पतंजलि द्वारा कोरोना के इलाज के लिए बनाई गयी दवा कोरोनिल को किस तरह भारत के बाज़ार में उतार कर बड़ा मुनाफ़ा कमाया जा सके, इस जुगत में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण लम्बे समय से लगे हैं और इस दवा के बारे में एक के बाद एक झूठ बोल रहे हैं. गौरतलब है कि पिछले साल कोरोना शुरू हुए कुछ ही समय बीता था कि पतंजलि ने कोरोनिल को कोरोना का इलाज कह कर इसका प्रचार शुरू कर दिया था. पहले इस दवा को कोरोना की सटीक दवा बता कर मार्किट में लाने की कोशिश की गयी, लेकिन तब वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों ने विरोध जताया कि जब सारी दुनिया के साइंटिस्ट्स और डॉक्टर कोरोना का इलाज ढूंढ पाने में विफल हुए जा रहे हैं और अभी इसकी वैक्सीन बनने में भी वक़्त है तो इतनी जल्दी पतंजलि को कोरोना का तोड़ कैसे मिल गया? मोदी सरकार पर दबाव बना तो रामदेव के कोरोनिल को मार्केट में नहीं उतरने दिया गया. बाद में रामदेव को कहना पड़ा कि ये कोरोना की दवाई नहीं बल्कि इम्युनिटी बूस्टर है.
अब जबकि कई कम्पनिया कोरोना की वैक्सीन ईजाद कर चुकी हैं और लोगों को वैक्सीन लगनी शुरू हो गयी हैं, तो बाबा रामदेव अपने कोरोनिल के स्टॉक को फिर मार्किट में उतारने को उतावले हो रहे हैं और अबकी बार तो उन्होंने इसके लिए तगड़ा वाला झूठ बोला है. बाबा में कहा कि कोरोनिल को अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) प्रमाणन योजना के तहत आयुष मंत्रालय से प्रमाण पत्र मिला है कि उनकी बनाई कोरोनिल कोविड-19 का मुकाबला करने वाली पहली साक्ष्य-आधारित दवा है.
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बाबा के इस दावे से विश्व स्वास्थ्य संगठन के कान खड़े हो गए और उन्होंने तुरंत इस दावे को खारिज करते हुए बयान जारी कर दिया. डब्ल्यूएचओ साउथ-ईस्ट एशिया के ट्विटर अकाउंट से लिखा गया, ‘डब्ल्यूएचओ ने किसी भी पारंपरिक औषधि को कोरोना के इलाज के लिए रिव्यू या फिर उसे सर्टिफिकेट नहीं दिया है, जिसमें उसके असर के बारे में बताया गया हो.डब्ल्यूएचओ की तरफ से कोरोना के इलाज के लिए अब तक किसी भी पारंपरिक औषधि को मंजूरी नहीं दी गई है.’
इस बयान के आने के बाद बाबा का झूठ पकड़ा गया और फिर आचार्य बालकृष्ण के द्वारा इस पर लीपापोती का काम शुरू हुआ.
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आचार्य बालकृष्ण ने सफाई पेश करते हुए कहा – “हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि पतंजलि की कोरोनावायरस की दवा कोरोनिल को भारत के दवा नियामक से डब्ल्यूएचओ के गाइडलाइंस के हिसाब से सर्टिफिकेट मिला है.”
इस बात से स्पष्ट है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस दवा को मंजूर नहीं किया है.
इसके बाद एक बालकृष्ण ने एक और ट्वीट किया और कहा, “हम इस बात से खुश हैं कि कोरोना की दवा को भारत के दवा नियामक से मंजूरी मिली है. यह मंजूरी डब्ल्यूएचओ के जीएमपी क्वालिटी मानदंड के हिसाब से दी गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन किसी भी दवा को मंजूरी देने या खारिज करने का काम नहीं करता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन वास्तव में दुनिया भर में लोगों के बेहतर और स्वस्थ भविष्य के लिए काम करता है.”
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कितना फर्क है डब्ल्यूएचओ द्वारा मंजूरी मिलने और डब्ल्यूएचओ के जीएमपी क्वालिटी मानदंड के हिसाब से आयुष मंत्रालय द्वारा मंजूरी मिलने में. लेकिन बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ये भलीभांति जानते हैं कि भारत की भोली जनता इन बातों की तह में जाए बिना ही डब्ल्यूएचओ का लेबल चस्पा होते ही उनकी दवा को हाथोंहाथ खरीद लेगी. लिहाजा झूठ का मुलम्मा चढाने में उन्होंने ज़रा भी देर नहीं लगाईं.
मज़े की बात यह है कि उन्होंने अपने इस झूठ में भाजपा नेता डॉ. हर्षवर्धन और नितिन गडकरी तक को शामिल कर लिया, जिन्होंने ‘कोरोना की दवाई पतंजलि ने बनाई’ और ‘पतंजलि रिसर्च का वैज्ञानिक अनुसंधान विश्व के 158 देशों के लिए बना वरदान’ जैसे दावों से आच्छादित एक लम्बे चौड़े बैनर के सामने खड़े होकर कोरोनिल का प्रचार किया. कितना हास्यास्पद है कि जो दवा भारत के बाज़ार में उतरने के लिए हाथ पैर मार रही है उसको 158 देशों के लिए वरदान बताया जा रहा है और देश के स्वास्थ मंत्री बाबा के साथ खड़े होकर इसका विज्ञापन कर रहे हैं.
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शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट कर कहा है कि – ‘मुझे उम्मीद है कि कोरोनिल को प्रमोट करने के ऐसे दावों के साथ स्वास्थ्य मंत्री देश की फजीहत होने से बचाएंगे. मुझे आयुर्वेद में यकीन है, लेकिन यह दावा करना है कि यह कोविड के खिलाफ गारंटीयुक्त उपचार है, यह कुछ और नहीं बल्कि धोखाधड़ी और देश को भ्रमित करने का प्रयास है.
कोरोनिल को कोरोना की दवा बताने पर जब पहले बाबा की किरकिरी हुई थी और इस दवा को बाजार में उतरने से रोक दिया गया था तब बाबा रामदेव को कहना पड़ा था कि कोरोनिल इम्यूनिटी बूस्टर है. हालांकि पतंजलि की कोरोनिल सचमुच कितनी प्रभावी है इसको लेकर अभी तक कोई प्रमाण सामने नहीं आया है.
कहते हैं ‘घर का भेदी लंका ढावे’ यानी घर के राज़ जानने वाला ही घर को तबाह करता है और यही कुछ पश्चिम बंगाल में भी देखने को मिल रहा है. कभी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ख़ास सिपहसालारों में शुमार रहे शुभेंदु अधिकारी भाजपा के गढ़ में जाते ही ममता के लिए विभीषण बन गए हैं. ममता के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी की पत्नी रुजीरा नरूला के खिलाफ सीबीआई को कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज शुभेंदु अधिकारी द्वारा सौंपे गए हैं. उन्होंने बंगाल के चर्चित कोल घोटाले में ‘मैडम नरूला’ को बड़ी धनराशि प्राप्त करने वाला बताया है और इसके सबूत के रूप में सीबीआई को एक रसीद मुहैय्या करवाई है जिसके अनुसार रुजिरा के खाते में एक बहुत बड़ी राशि ट्रांसफर की गई है.
दरअसल पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के रण में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को जड़ से उखाड़ फेंकने की चाहत में इस वक़्त भाजपा अपना पूरा जोर लगाए हुए है. केंद्रीय जांच एजेंसियों की सक्रियता इस समय बंगाल में अपनी चरम पर है. पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के परिवार पर सीबीआई की नज़र टिक गयी है. सीबीआई और ईडी दोनों ही एजेंसियों ने ममता के नज़दीकियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. हालांकि दीदी की तरफ से भी पलटवार हो रहा है मगर भाजपा के मुकाबले कमजोर पड़ रहा है. दो दिन पहले ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था. और अब सीबीआई की ओर से कोयला घोटाले में अभिषेक बनर्जी की पत्नी रुजिरा नरूला और उनकी साली मेनका गंभीर से पूछताछ के लिए समन जारी किया गया है.
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गौरतलब है कि सीबीआई ने गत नवंबर में चोरी रैकेट के सरगना मांझी उर्फ लाला, ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (ईसीएल) के महाप्रबंधकों-अमित कुमार धर (तत्कालीन कुनुस्तोरिया क्षेत्र और अब पांडवेश्वर क्षेत्र) तथा जयेश चंद्र राय (काजोर क्षेत्र) , ईसीएल के सुरक्षा प्रमुख तन्मय दास, क्षेत्र सुरक्षा निरीक्षक, कुनुस्तोरिया, धनंजय राय और एसएसआई एवं काजोर क्षेत्र के सुरक्षा प्रभारी देबाशीष मुखर्जी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. आरोप है कि मांझी उर्फ लाला कुनुस्तोरिया और काजोरा क्षेत्रों में ईसीएल की पट्टे पर दी गईं खदानों से कोयले के अवैध खनन और चोरी में लिप्त है.
इसी सम्बन्ध में रुजिरा बनर्जी को भी पश्चिम बंगाल स्थित ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) से कोयला चोरी के मामले में पूछताछ के लिए सीबीआई का समन भेजा गया है. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक कोयला तस्करी का पैसा फर्जी कंपनियों के जरिए विदेशी खाते में जमा किए जाते हैं और विदेशों के ये बैंक खाते अभिषेक बनर्जी की पत्नी रुजिरा और साली मेनका के हैं. भाजपा अभिषेक की पत्नी रुजिरा को विदेशी बताकर घेर रही है. भाजपा नेता अर्जुन सिंह ने रुजीरा को थाईलैंड का नागरिक बताया है. अर्जुन सिंह के मुताबिक़ रुजिरा और उनकी बहन के पास थाईलैंड की नागरिकता है और वहां इनके बैंक खाते हैं.
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वहीँ ममता के ख़ास रहे शुभेंदु अधिकारी भाजपा की गोद में बैठ कर अब सीबीआई को ममता परिवार के खिलाफ तमाम दस्तावेज मुहैया करवा रहे हैं. सार्वजनिक आयोजनों और लाइम लाइट से हमेशा दूर रहने वाली दो बच्चों के माँ 32 वर्षीया रुजीरा नरूला को थाई नागरिक सिद्ध करने की कोशिश में यह भी कहा जा रहा है कि उनके द्वारा समय-समय पर जमा किये गए कुछ दस्तावेजों में उनके दो पिता होने की बात सामने आती है. पीआईओ (पर्सन ऑन इंडियन ओरिजिन) कार्ड और शादी के प्रमाण पत्र पर त्रुटियों के चलते गृह मंत्रालय ने पिछले साल 29 मार्च को अभिषेक बनर्जी की पत्नी रुजिरा नरूला को एक नोटिस भेजा था. इस नोटिस के मुताबिक, रुजिरा नरूला, एक थाई नागरिक हैं और उन्होंने बैंकॉक में भारतीय राजदूत द्वारा पीआईओ कार्ड नंबर P234979 जारी करवाया था.
नोटिस के मुताबिक, आठ जनवरी 2010 को ये कार्ड जारी किया गया था और इस पर पिता के तौर पर मिस्टर निफॉन नरूला का नाम लिखा था. इसके बाद उन्होंने अपना पीआईओ कार्ड, ओसीआई कार्ड में बदलने के लिए अप्लाई किया और आठ नवंबर 2017 को रुजिरा को ओसीआई नंबर A2B79448 जारी किया गया.
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पीआईओ कार्ड से ओसीआई कार्ड में बदलने की प्रक्रिया के दौरान रुजिरा ने एक महत्वपूर्ण दस्तावेज का इस्तेमाल किया, जो उनकी शादी का प्रमाण पत्र था. ये प्रमाण पत्र 13 फरवरी 2013 को जारी हुआ था और इस पर रुजिरा के पिता का नाम गुरसरन सिंह आहुजा लिखा था. अब तक जो जानकारी प्राप्त हुई है उसके मुताबिक़ रुजिरा दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले एक व्यापारिक घराने से ताल्लुक रखती हैं. वो अभिषेक बनर्जी से कॉलेज के दौरान मिली थीं. दोनों में प्रेम हुआ और साल 2012 में दोनों ने विवाह कर लिया. रुजीरा के बारे में कहा जाता है कि वे बहुत सरल स्वभाव की हैं और सार्वजनिक और राजनितिक कार्यक्रमों से हमेशा दूर रहती हैं. लेकिन कोयला घोटाले में रुजीरा ही नहीं, बल्कि उनकी बहन मेनका गंभीर को भी सीबीआई ने लिप्त पाया है और उनसे पूछताछ कर रही है. मेनका गंभीर पर भी कोयला तस्करी में शामिल होने के आरोप हैं. इसके अलावा शुभेंदु अधिकारी ने एक ट्वीट कर मेनका पर यह आरोप भी लगाया है कि ममता बनर्जी सरकार ने प्रदेश के स्कूली छात्रों को साइकिल बांटने की स्कीम में मेनका की कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए उनके पक्ष में पूरा टेंडर खोला.
यानी दुश्मन को हताहत करने के लिए चौतरफा नाकेबंदी हो रही है और कानूनी दांव-पेंच चले जा रहे हैं. याद होगा कि दो साल पहले फरवरी 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले ठीक इसी तरह कांग्रेस नेत्री सोनिया गाँधी के परिवार को परेशान करने की कवायद हुई थी. प्रवर्तन निदेशालय प्रियंका गाँधी वाड्रा के पति रोबर्ट वाड्रा को मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूछताछ के लिए घंटों अपने दफ्तरों में बिठा कर रखता था. तब चुनाव प्रचार पर जाने से पहले प्रियंका खुद अपने पति रोबर्ट वाड्रा को ईडी ऑफिस छोड़ कर जाती थीं. चुनाव ख़त्म होने के साथ ही ईडी की कवायत भी ख़त्म हो गयी.
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रोबर्ट वाड्रा से कई दौर की पूछताछ में ईडी के हाथ क्या लगा ये आज तक सामने नहीं आया. मगर केंद्र की क़वायतों के सामने डरने या घबराने की बजाय प्रियंका गांधी ने भी दर्शा दिया था कि वह पति और परिवार के साथ खड़ी हैं. इसके साथ ही उन्होंने अपने तेवरों से साफ कर दिया कि जल्द ही कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच राजनीतिक मंच पर एक बड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है. अब वही स्थिति पश्चिम बंगाल में देखने को मिल रही है. जहाँ विभीषण के रोल में शुभेंदु अधिकारी ‘घर के राज़’ जांच एजेंसी को बता रहे है और उसी के मुताबिक़ एजेंसी कदम-कदम आगे बढ़ रही है, लेकिन क्या यह देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी की स्वतंत्र और निष्पक्ष एजेंसी होने के दावे पर सवालिया निशान नहीं खड़े करता है?
लेखक- रोहित और शाहनवाज
दुनिया में चश्में कई प्रकार के होते हैं, कुछ नजरों के होते हैं, कुछ फैशन के तो कुछ यूं ही शोकिया पहन लिए जाते हैं, पर केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद एक नए प्रकार का चश्मा इजाद हुआ. जिसे ‘भक्त का चश्मा’ से जाना गया.
जी हां, भक्त का चश्मा ऐसा चश्मा हैं जिसे पहनते ही भक्तों के दिमाग में तर्क एक कान से घुसते ही दुसरे कान से बाहर निकल जाता है. दिमाग में कोई तर्क ठहरने की थोड़ी सी भी गुंजाइश नहीं रहती. उन के दिमाग में वैज्ञानिक आधार पर न तो तर्क बनते हैं और न वे सहन कर पाते हैं. इस के लिए बस एक ही काम करना होता है भाजपा का कट्टर समर्थक बन जाना. बाकी तो हमारे यहां गंगा पाप धोने के लिए है ही.
मोगा में निकाय चुनावों के भाजपा की हार के कमोबेश सभी तरह के समीकरणों की जांच कर लेने के बाद हम मोगा के स्टेशन रोड पर टहलते टहलते एक चाय की दुकान पर जा पहुंचे. हम ने 2 चाय आर्डर की और उसी चाय की टपरी के पास खाली जगह पर बैठ गए. यह दुकान मोगा रेलवे स्टेशन से एकदम नजदीक है जहां हर समय चहल पहल रहती है. खुला रोड, हर समय गाड़ियों की आवाजाही, छोटी-बड़ी ब्रांड की दुकाने इत्यादि चीजों को उस जगह देखा जा सकता है.
चाय पीते पीते हम मोगा में भाजपा की हार के समीकरणों को ले कर दुकान के पास खड़े हो आपस में मोदीजी की तरह ‘चाय पर चर्चा’ करने लगे. इतने में एक आवाज पीछे से आई-
“सन 1990 में हम लोग 8-10 दिन अपनी दुकान बंद कर सौ-सवा सौ किलोमीटर खाली पेट पैदल चले थे मज्जिद ढाने के लिए.”
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यह आवाज इतनी भारी भरकम और तीखी थी जो शायद 15-20 मीटर दूर से भी सुनाई दे जाए. हम पीछे मुड़े तो देखा लगभग 6 फीट की हाईट वाले, मटमैला रंग का कुरता पजामा पहने, लगभग 63-66 वर्षीय वृद्ध आदमी हमारे ठीक पीछे खड़े थे. उन्होंने धुमैली रंग की स्वेटर डाली हुई थी जिस में कई दाग लगे थे, जिसे देख लग रहा था मानो कई दिनों से वह धुला न हो. सर पर बेहद कम और छोटे छोटे ग्रेइश बाल थे. उन की दाई आंख के इर्द गिर्द गहरा काला धब्बा था और वह आंख आधी ही खुल पा रही थी जिसे देख ऐसा महसूस हो रहा था की मानो उन की आंख पर किसी समय में गहरी चोट लगी हो.
खैर हम ने उन से पूछा की, ” क्या आप हम से कह रहे हैं?”
तो वह कहने लगे, “हां बात सुन ले, तेरा जिस समय जन्म नहीं हुआ था, हम ने अयोध्या में मज्जिद ढा दी थी. इस्लाम जहां कही भी फैला है बस तलवार की जोर पर फैला है. पहले हिन्दू डरपोक था अब नहीं है. अब तू देख लियो बंगाल में भी बीजेपी आ जाएगी, वो भी पूर्ण बहुमत से आएगी. ममता को उखाड़ फैंकना है. बंगाल में जय श्री राम का नारा लगाने में उन को दिक्कत है. वहां हजारों हमारे कार्यकर्त्ता मार दिए. बांग्लादेश से मुसलमान भारत आ जाते हैं. यहां खाते हैं रहते हैं अपने बच्चे पैदा करते हैं और आतंकवादी बन जाते हैं.”
पिछले 3 दिन के पंजाब के सफर में, हम इस तरह के विचारधारा वाले लोगों से मिलने के लिए तरस गए थे. पंजाब निकाय चुनावों के रिजल्ट से भाजपा को मिली करारी हार को ध्यान में रखते हुए हमें ऐसा ही लग रहा था की शायद ऐसी मानसिकता रखने वाले लोगों का कुछ उद्धार हो चुका होगा. लेकिन अंकल की बातों ने हमें बिलकुल गलत साबित कर दिया.
हम ने सोचा क्यों न अंकल से कुछ गंभीर विषयों पर सवाल पूछे जाए. हम ने उन से बेरोजगारी के संबंध में सवाल पूछा. उन्होंने जवाब दिया कि, “सरकार बार बार कहती है, बैंको से लोन लो, आत्मनिर्भर बनो, सरकार ने हर आदमी को नौकरी देने का क्या ठेका ले रखा है? हिन्दुस्तान में मुसलमान 3-3 शादियां कर लेता था, मोदी ने तीन तलाक का कानून इसे रोकने के लिए बनाया. सरकार में आने के बाद बीजेपी ने धारा 370 हटा दी और जम्मू-कश्मीर को भारत में मिला लिया. ज्यादा देर नहीं रह गई तू देख लेना अब पाकिस्तान के भी 3 टुकड़े हो जाएंगे और निरकाना साहिब जाने के लिए पासपोर्ट नहीं लेना पड़ेगा…”
सवाल एक चीज का पूछा था लेकिन जवाब उसे छोड़ कर उन सब का मिल गया जो पूछा ही नहीं था. अगर हम अंकल को रोकते नहीं तो अंकल नॉनस्टॉप आगे कुछ कुछ कहते रहते. इसीलिए हम ने दिल्ली बौर्डर पर हो रहे किसान आंदोलन के बारे में पूछना बेहतर समझा.
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हमने उन से पूछा की किसान आंदोलन के बारे में उन का क्या मानना है तो जवाब मिला, “अरे भाई ये तो किसान है ही नहीं. इन को बैठ कर खाने की आदत हो गई है. काम ये करते नहीं हैं. हर आदमी को कमा कर के खाना होगा. ऐसे नहीं चलेगा. ये सब खालिस्तानी पीछे पकड़े गए जब 26 जनवरी को बवाल हुआ. हम तो कारसेवक थे. मज्जिद ढाने के लिए सौ सवा सौ किलोमीटर पैदल चलें हैं वो भी बिन खाए पीए. अभी तो दो मज्जिद और हैं काशी और मथुरा में…”
फिर वही हुआ जो पहले हुआ था, पूछा कुछ और जवाब मिला कुछ और ही और वो भी ऊलझुलूल. अंकल ने हमें फिर गोलमोल घुमा दिया. इस बार हम ने सोचा अंकल की दुखती रग पर ही हाथ रख देते हैं कुछ तो निकलेगा, कुछ तो कमी दिखेगी सरकार की. हम ने पूछा आप पेट्रोल, डीजल और गैस के दाम बढ़ गए, लौकडाउन में देश गर्त में चला गया, उस पर आपका क्या कहना है.
अंकल जी तमतमा गए. शायद वे इस सवाल की अपेक्षा नहीं कर रहे थे, और सवाल पूछने वाले को वहीँ पीटपीट कर धो देना चाहते थे, लेकिन वे भी मजबूर थे. उन्होंने हमारी पीठ पर दुत्कारते हुए हाथ मारा, और कहने लगे, “देखो बेटा बात ऐसी है ‘कट यौर कोट्स अकॉर्डिंग टू यौर क्लोथस’. यानी चादर देखकर पैर पसारे. यह बात सुन ले ध्यान से. गाड़ी जो होती है वो सिर्फ कमर्शियल यूज़ के लिए होती है. जियो के टावर ग..म..ग.. म… ग..ग..ग.. क्यों तोड़े? आन्दोलन से क्या मतलब है? टावर तोड़ने पर सरकार टैक्स लगाएगी की नहीं? पंजाब में पेट्रोल प्लाज़ा बंद किया हुआ है, दाम तो बढ़ेंगे ही.”
“तो क्या सर सरकार ने दाम बढ़ा कर ठीक किया क्या?” जब हम ने यह पूछा तो अंकल कहने लगे, “मोदी एक ऐसा टाइम ला देगा जब दुनिया भारत से पेट्रोल डीजल खरीदेगी.” वे आगे थोड़ा सा हकलाते हुए कहने लगे, “ग…ग..म…म..ग.. ची..ची…चीन… जैसे यह चीन दुनिया को आंखें दिखाता है अगर इस में हिम्मत होती तो भारत से लड़ाई कर के देखता. इस ने हमारी मार्किट खाई तो हम ने इन के चीजों का बहिष्कार कर दिया…..”
जब हम ने उन से कहा कि मोदी ने चाइना का जवाब एप बैन कर के दिया तो अंकल ने फिर बात घुमा दी, और हम से हमारी जात पूछने लगे.
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बातों ही बातों में अंकल ने बताया कि उनका घर रेलवे स्टेशन के पीछे ही है. और यह भी बताया कि उनके घर में सभी लोगों की नौकरियां सरकारी है. खुद वह भी कभी किसी जमाने में सरकारी नौकर थे. पोस्ट ऑफिस में काम किया करते थे. उन्हीने कहा, “हमारी तीनों बहुएं गवर्नमेंट सर्विस करती हैं. तीनो टीचर है. हमारा बड़ा लड़का सेशन कोर्ट में सेशन जज का लीडर है. सन 48 में हम ने परचून की दुकान यहां पर ली. इसी के बगल में हमने कुछ सालों बाद एक और दुकान ली. यही मौके में हम ने अपने चार मकान भी बनाए.” फिर सब इंग्लिश में कहावत कहते हुए उन्हीने कहा, ‘ओन्ली द वेयरर नोस वेयर द शू पिन्चेस’. जो आदमी पैसा कमा रहा है सिर्फ उसी को पता है कि वह पैसा कैसे कमा रहा है.”
जब हमने उनसे यह पूछा कि उनके और उनके बच्चों की कांग्रेस के समय पर सरकारी नौकरियां लग गई, लेकिन आज के समय पर भाजपा एक-एक कर सारी सरकारी कंपनियों को प्राइवेट कर रही है और सरकारी नौकरियों का कुछ अता पता नहीं है तो इसके जवाब में वह कहते हैं, “देख बेटा ‘नेसेसिटी इस द मदर ऑफ इन्वेंशन’. जरूरत ही आविष्कार की जननी होती है. तुम चाहो तो रिक्शा चलाकर छोटा-मोटा व्यापार कर कर किसी भी तरीके से अपना घर चला सकते हो और आगे बढ़ सकते हो. दाम बढ़ा है तो क्या हुआ. यही नियति है.”
अंकल बताते हैं कि वो करीब 100 साल पहले हरियाणा के रेवाड़ी के कोसली इलाके में रहते थे. जिसके बाद उनके पिताजी पंजाब के मोगा में आकर बस गए और उसके बाद से वो यहीं पर रह रहे हैं.
उन्होंने पंजाब के सिखों के बारे में इस तरीके से बताया कि, “पंजाब में जो हिंदू है वह हिंदू ही है. यह जो सिख हैं ना इन की बातें जैसी है इन की खोपड़ी भी वैसे ही है.”
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निकाय चुनावों के संबंध में अंकल ने बताया की, “यहां के लोग और किसान भाजपा के कैंडिडेट को प्रचार ही नहीं करने देते थे. यह लोग तो यहां पर किसी को खड़ा ही नहीं होने देते थे. बीजेपी तो पंजाब की बाकी सब जगह पर जीती हुई है.”
खैर भाजपा की हार के संबंध में हम ने अंकल की अज्ञानता को वैसे ही रहने दिया, सोचा उन्हें इसी प्रकार खुश रहने दिया जाए. फिर जाते जाते हम ने अंकल का नाम पूछा तो उन्होंने अपना नाम सुरेश कुमार शर्मा बताया और स्टेशन पर हमें आगे तक छोड़ कर हम ने एकदूसरे को अलविदा कह दिया.
बिग बॉस 14 को जीतने के बाद रुबीना दिलाइक के घर वापसी पर फैमली वालों ने उनका ग्रांड वेलकम किया, पति अभिनव ने खास तैयारी कर रखी थी. जिसकी कुछ झलकिया रुबीना दिलाइक ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर कि हुई हैं.
पति अभिनव ने रुबीना दिलाइक के स्वागत के लिए घर को बेहद शानदार तरीके से सजाया था. वहीं रुबीना के लिए खास बिग बॉस खिताब के लुक का केक बेक करवाया गया था. जिसे देखकर आपको मालूम होगा कि यह केक नहीं ट्रॉफी है.
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वहीं रुबीना दिलाइक अपने पति के साथ मिलकर केक काटती हुई नजर आ रही हैं. रुबीना दिलाइक की सभी लोग खूब ज्यादा तारीफ करते नजर आ रहे हैं.
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करीब 5 महीने बिग बॉस के घर में रहने के बाद जब बिग बॉस का ताज जीतकर घर वापस आई तो उनके खुशी का ठिकाना नहीं था. वहीं फैमली वाले भी रुबीना के इस खुशी पर अपना प्यार बरसाते नजर आ रहे थें.
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बता दें कि घर वापस आते ही रुबीना दिलाइक ने सबसे पहले अपने खास दोस्तों के साथ जमकर पार्टी करती नजर आ रही हैं. रुबीना दिलाइक के इस अंदाज को देखकर फैंस भी बहुत ज्यादा खुश हो रहे हैं.
रुबीना ने जो पार्टी की तस्वीर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर कि है उसमे रुबीना दिलाइक की खास दोस्त सृष्टि रोड़े हर जगह रुबीना के साथ खास बॉन्ड शेयर करते नजर आ रही हैं.
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वहीं रुबीना के साथ उनके बाकी कई और मित्र भी इस पार्टी में शामिल हुए हैं. जिसे देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं रुबीना दिलाइक के इस जीत से लोगों को कितनी ज्यादा खुशी हो रही है.
रुबीना के पति अभिनव ने घर को अच्छे से सजाया है जिसे देखकर वह पति को थैक्यूं कहती नजर आ रही हैं.
इंडियन आइडल 12 लोगों के बीच दिन प्रतिदिन लोकप्रिय होता जा रहा है . हालांकि यह शो जीतना लोकप्रिय हो रहा है उससे कही ज्यादा विवादों के बीच घिरता जा रहा है. शो का कंट्रोवर्सी पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रहा है.
इस शो में आए दिन कुछ न कुछ नया विवाद देखने को मिल रहा है,पहले शो के मेकर्स सवाई भट्ट पर सवाल खड़ा किया गया. बीते एपिसोड़ में प्यारे लाल जी गेस्ट बनकर आएं उनके साथ में संगीतकार संतोष आनंद भी आएं, जिनकी गरीबी के बारे में बात किया. जिसके बाद इस शो को लोगों ने खूब देखा, लेकिन किसी को क्या पता था कि इस शो के खत्म होते ही इतना बड़ा सवाल खड़ा किया जाएगा.
Satosh Anand ji blessed the stage with is presence & shared stories about his past & left us with beautiful message, ‘hausla toota hai magar kaleja nahi’. We agree with him, RT if you do too & keep watching #IndianIdol2020 #LaxmikantPyarelalSpecial. @iAmNehaKakkar @VishalDadlani pic.twitter.com/MNnqIshCis
— sonytv (@SonyTV) February 21, 2021
शो में आएं संतोष जी की हालत को देखकर पहले तो सभी लोगों की आंखे नम हो गई, उसके बाद संतोष आनंद जी ने अपने जीवन के बारे में कुछ बताया जिसे जानने के बाद लोग और भी ज्यादा भावुक हो गए.
वहीं शो की बतौर जज और सिंगर नेहा कक्कड़ ने इस बात का का एलान शो के दौरान किया कि वह उन्हें 5 लाख रुपये देंगी. जिससे उनकी आर्थिक मदद हो जाएगी.
तो वहीं कुछ लोग शो के मेकर्स को जमकर ट्रोल कर रहे हैं , उनका कहना है कि शो के मेकर्स टीआरपी के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. लोगों ने शो पर आरोप लगाया है कि संतोष जी के गरीबा और उनके आर्थिक स्थिति का मजाक बनाया गया है.
टीआरपी के लिए एक शख्स की गरीबी को बेचा जा रहा है इस तरह के और भी कई आरोप लगाएं गए हैं. इंडियन आइडल के जजों के ऊपर, देखते हैं कि क्या नेहा कक्कड़ अपनी सफाई के लिए कुछ बयान देंगी या नहीं.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा विधान सभा में प्रस्तुत वर्ष 2021-22 का बजट एक लोक कल्याणकारी, विकासोन्मुख व सर्व समावेशी बजट है. यह बजट ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ की उत्कृष्ट लोकतांत्रिक भावना से परिपूर्ण है. यह बजट वैश्विक महामारी कोरोना के मध्य देश के सबसे बड़े राज्य को नयी आशा, नयी ऊर्जा देने के साथ ही, प्रदेश की नयी सम्भावनाओं को उड़ान देने का माध्यम बनेगा. इस बजट में हर घर को नल, बिजली, हर गांव में सड़क की व्यवस्था और उसे डिजिटल बनाने तथा हर खेत को पानी एवं हर हाथ को काम देने का संकल्प निहित है.
उन्होंने कहा कि प्रस्तुत बजट गांव, गरीब, किसान, नौजवान, महिलाओं तथा समाज के प्रत्येक तबके का प्रतिनिधित्व करने वाला बजट है. यह बजट आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की भावना के अनुरूप है. रोजगार की व्यवस्था, सभी वर्गाें के उत्थान का इरादा, वंचितों, शोषितों एवं युवाओं के सुन्दर भविष्य की रूपरेखा और प्रदेश के नवनिर्माण की संरचना इस बजट में निहित है.
मुख्यमंत्री जी आज विधान सभा में राज्य सरकार के वर्ष 2021-22 का बजट प्रस्तुत किये जाने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि उत्तर प्रदेश को पेपरलेस बजट प्रस्तुत करने वाला देश का पहला राज्य होने पर उन्होंने वित्त मंत्री व उनकी टीम को बधाई दी. उन्होंने कहा कि आज ही प्रदेश में पहली बार ई-कैबिनेट बैठक सम्पन्न हुई. बजट से पूर्व हुई कैबिनेट की बैठक पहली ई-कैबिनेट थी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट का आकार 05 लाख 50 हजार 270 करोड़ 78 लाख रुपये का है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने कोरोना काल में भी वित्तीय अनुशासन बनाये रखते हुए आधारभूत संरचना के विकास के साथ ही लोक कल्याण के लिए कदम उठाये. विगत वर्ष कोविड-19 से आमजन जीवन के साथ ही अर्थव्यवस्था भी व्यापक रूप से प्रभावित हुई. लक्ष्य के अनुरूप राजस्व की प्राप्तियां सम्भव नहीं हुईं. इसके बावजूद राज्य सरकार ने भारत सरकार द्वारा निर्धारित एफआरबीएम की सीमा का पालन किया.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान सरकार का वर्ष 2017-18 में पहला बजट किसानों को समर्पित था. वर्ष 2018-19 का दूसरा बजट औद्योगिक विकास तथा बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के विकास के लिए था. वर्ष 2019-20 का बजट महिलाओं के सशक्तिकरण के माध्यम से समाज में उनके प्रति दृष्टिकोण में सकारात्मक परिवर्तन के लिए था. वर्ष 2020-21 का बजट युवाओं तथा इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए समर्पित था. वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट का केन्द्र बिन्दु प्रदेश के समग्र एवं समावेशी विकास द्वारा प्रदेश के विभिन्न वर्गाें का ‘स्वावलम्बन से सशक्तीकरण’ है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रस्तुत बजट के माध्यम से प्रदेश में ईज ऑफ लिविंग के लिए हर घर को पानी, बिजली, हर गांव को सड़क तथा डिजिटल बनाने के साथ ही राज्य के समग्र विकास की रूपरेखा प्रारम्भ की गयी है. कृषि क्षेत्र में मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना को विस्तार दिया गया है. इस योजना के तहत अब किसान के साथ-साथ उसके परिवार का कमाऊ सदस्य, बटाईदार आदि को भी सम्मिलित किया गया है. दुर्घटना से मृत्यु की स्थिति में 05 लाख रुपये बीमा की व्यवस्था की गयी है. साथ ही, आयुष्मान भारत योजना से कवर न होने वाले किसान परिवारों को मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 05 लाख रुपये के निःशुल्क चिकित्सा बीमा कवर की व्यवस्था की गयी है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रस्तुत बजट में महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए नयी योजनाएं प्रारम्भ की गयी हैं. मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना को नया आयाम दिया गया है. मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का आच्छादन बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. प्रस्तुत बजट में एक नयी योजना मुख्यमंत्री सक्षम सुपोषण योजना प्रस्तावित है. इसके अन्तर्गत आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पंजीकृत 06 माह से 05 वर्ष के चिन्हित कुपोषित बच्चों तथा एनीमिया ग्रस्त 14 वर्ष तक की स्कूल न जाने वाली किशोरी बालिकाओं को अतिरिक्त पोषण प्रदान किया जाएगा. वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में ग्रामीण क्षेत्रों में महिला दुग्ध उत्पादकों के स्वयं सहायता समूहों की आजीविका बढ़ाने के लिए महिला सामर्थ्य योजना भी प्रस्तावित की गयी है. इसके लिए 200 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले प्रतियोगी छात्र-छात्राओं को निःशुल्क कोचिंग के लिए मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना प्रारम्भ की गयी है. योजना के अन्तर्गत फिजिकली और वर्चुअली निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था है. इस योजना के अन्तर्गत 18 मण्डल मुख्यालयों पर 10 लाख से अधिक युवा जुड़ चुके हैं. प्रदेश में यह योजना तेजी से लोकप्रिय हो रही है. अन्य राज्यों में भी प्रतियोगी परीक्षार्थियों द्वारा इसकी डिमाण्ड की जा रही है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के अन्तर्गत पात्र श्रेणी के परीक्षार्थियों को टैबलेट उपलब्ध कराये जाने का प्रस्ताव बजट में किया गया है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में कुल 18 मण्डल हैं. जिन मण्डलों में सैनिक स्कूल नहीं हैं, उन मण्डलों में सैनिक स्कूल की स्थापना की जाएगी. संस्कृत विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों को गुरुकुल पद्धति के अनुरूप निःशुल्क छात्रावास एवं भोजन की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है. युवाओं को खेल-कूद के बेहतर अवसर सुलभ कराने के लिए ग्रामीण स्टेडियम एवं ओपेन जिम के निर्माण हेतु धनराशि की व्यवस्था प्रस्तुत बजट में प्रस्तावित है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जिन मण्डलों में राज्य विश्वविद्यालय नहीं हैं, वहां राज्य विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी. प्रदेश के 59 जनपदों में राजकीय अथवा निजी मेडिकल कॉलेज स्थापित हैं. मेडिकल कॉलेजों से असेवित 16 जनपदों में पी0पी0पी0 मोड पर मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जाएगी. इससे प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं अत्यन्त सुदृढ़ हो जाएंगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल खण्ड में संगठित व असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की समस्याओं के समाधान के लिए निःशुल्क राशन, भरण पोषण भत्ता उपलब्ध कराया गया. श्रमिकों के आवागमन के लिए भी सुविधा सुलभ करायी गयी. श्रमिकों के बच्चों को बेहतर शिक्षा सुलभ कराने के लिए अटल आवासीय विद्यालयों की स्थापना करायी जा रही है. प्रदेश में असंगठित क्षेत्र में एक करोड़ से अधिक श्रमिक कार्यरत हैं. इनमें खेतों में काम करने वाले श्रमिकों सहित पल्लेदार, कुली आदि बड़ी संख्या में श्रमिक सम्मिलित हैं. असंगठित क्षेत्र के कर्मकारों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री दुर्घटना बीमा योजना तथा चिकित्सा सुविधा सुलभ कराने के लिए मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना प्रारम्भ करने के लिए धनराशि का प्रस्ताव किया गया है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोवंश संरक्षण एवं निराश्रित पशुओं की देखभाल के लिए संचालित गो आश्रय स्थलों में 05 लाख 58 हजार गोवंश संरक्षित हैं. मुख्यमंत्री निराश्रित एवं बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के अन्तर्गत 74,000 से अधिक गोवंश इच्छुक गोपालकों की सुपुर्दगी में दिये गये हैं. प्रस्तुत बजट में सभी न्याय पंचायतों मंे गो आश्रय स्थलों की स्थापना तथा इन्हें स्थानीय एवं स्वैच्छिक संगठनांे की सहभागिता से संचालित करने का प्रस्ताव किया गया है. वाराणसी के गोकुल ग्राम की तर्ज पर शहरों में भी गो संरक्षण की व्यवस्था की जाएगी. व्यापारियों के कल्याण के लिए संचालित मुख्यमंत्री व्यापारी दुर्घटना बीमा योजना के अन्तर्गत प्रति लाभार्थी को देय धनराशि को बढ़ाकर 10 लाख रुपये किया जाना प्रस्तावित है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि दूरदराज के क्षेत्रों में टेलीमेडिसिन तथा टेलीकंसल्टेशन के माध्यम से चिकित्सा सुविधा को सुदृढ़ किया जाएगा. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी, पुणे की तर्ज पर लखनऊ में एक संस्थान बनाया जाएगा, जिससे भविष्य में कोरोना जैसे वायरस पर नियंत्रण के लिए प्रभावी प्रयास किये जा सकें. उन्होंने कहा कि श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की स्मृति में स्थापित किये जा रहे अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ हेतु बजट में धनराशि का प्रस्ताव है. प्रधानमंत्री स्वस्थ भारत योजना के अन्तर्गत एसजीपीजीआई, लखनऊ में लेवल-3 के बायो सेफ्टी लैब की स्थापना की जाएगी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जल जीवन मिशन, हर घर नल पहुंचाने की योजना है. उन्होंने कहा कि शुद्ध पेयजल की उपलब्धता से बीमारियों की आशंका आधी हो जाती है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में इन्सेफेलाइटिस पर नियंत्रण में स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत निर्मित शौचालयों की महत्वपूर्ण भूमिका रही. बुन्देलखण्ड, विन्ध्य क्षेत्र तथा आर्सेनिक, फ्लोराइड की समस्या से प्रभावित क्षेत्रों में जल जीवन मिशन के अन्तर्गत शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए प्रस्तुत बजट में 17,000 करोड़ रुपये की धनराशि प्राविधानित की गयी है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में नगरीय क्षेत्रों का दायरा बढ़ा है. प्रदेश के 10 नगर स्मार्ट सिटी मिशन तथा 60 शहर अमृत योजना से आच्छादित हैं. शहरी क्षेत्रों में नागरिकों के जीवन में व्यापक सुधार के लिए बजट में धनराशि की व्यवस्था प्रस्तावित की गयी है.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग’ में उल्लेखनीय सुधार हुआ है. पिछले 03 वर्षाें में इस रैंकिंग में प्रदेश पूरे देश में द्वितीय स्थान पर आ गया है. वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान इसके प्रबन्धन के साथ ही औद्योगिक विकास के क्षेत्र में भी कार्य हुआ. प्रदेश में बड़ी मात्रा में निवेश आया. जनपद गौतमबुद्धनगर में डिस्प्ले यूनिट की स्थापना हो रही है. यह संयंत्र चीन से प्रदेश में आया है. डाटा सेण्टर पार्क की स्थापना से बड़ी मात्रा में निवेश हो रहा है. फर्नीचर व हाउस होल्ड में दुनिया की प्रख्यात कम्पनी आइकिया द्वारा प्रदेश में 5500 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था के क्षेत्र में व्यापक सुधार हुआ है. कानून-व्यवस्था की बेहतर स्थिति को निरन्तर बनाये रखने के लिए कदम उठाये जा रहे हैं. फॉरेन्सिक साइंस में आवश्यक विशेषज्ञता व प्रशिक्षित जनशक्ति तैयार करने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस और फॉरेन्सिक साइंस इंस्टीट्यूट की स्थापना की गयी है. सभी 18 रेन्ज में फॉरेन्सिक लैब स्थापित करने जा रहे हैं. हर जनपद में साइबर थाना बनाने का कार्य तेजी से आगे बढ़ाया गया है.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम का क्षेत्र रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर सृजित करने का महत्वपूर्ण माध्यम है. बन्द पड़ी कताई मिलों की परिसम्पत्तियों को पुनर्जीवित कर पी0पी0पी0 मोड पर औद्योगिक पार्क/आस्थान/क्लस्टर स्थापित करने के लिए धनराशि की व्यवस्था प्रस्तावित है. ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना के अन्तर्गत धनराशि की व्यवस्था का प्रस्ताव किया गया है. प्रदेश के शिक्षित युवा बेरोजगारों को मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना से लाभान्वित करने के लिए भी बजट में धनराशि की व्यवस्था है. उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम क्षेत्र में उद्योग लगाने के लिए 1,000 दिनों तक लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अवस्थापना विकास के लिए निरन्तर कार्य किया गया. पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का 88 प्रतिशत, बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे का 50 प्रतिशत तथा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे का लगभग 25 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है. बलिया लिंक एक्सप्रेस-वे को सैद्धान्तिक मंजूरी प्राप्त हो गयी है. गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए भूमि प्राप्त करने हेतु बजट में धनराशि की व्यवस्था प्रस्तावित है. उन्होंने कहा कि हर गांव को सड़क से जोड़ने तथा गांवों के डिजिटलीकरण के लिए धनराशि की व्यवस्था का प्रस्ताव किया गया है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य में एयर कनेक्टिविटी के क्षेत्र में किसी भी अन्य राज्य से अधिक कार्य किया गया है. जनपद अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हवाई अड्डा, अयोध्या के निर्माण के लिए बजट व्यवस्था प्रस्तावित है. जेवर में निर्माणाधीन एयरपोर्ट में हवाई पट्टियों की संख्या 02 से बढ़ाकर 06 करने के लिए धनराशि प्रस्तावित है. यह एयरपोर्ट एशिया के सबसे बड़े एयरपोर्ट के रूप में विकसित होगा. कुशीनगर एयरपोर्ट को केन्द्र सरकार द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट घोषित किया गया है. प्रदेश में पुलिस के लिए अवस्थापना कार्याें हेतु बजट की व्यवस्था प्रस्तावित है. प्रत्येक जनपद में पुलिस के लिए बनाये गये आवासों का नामकरण महान क्रान्तिकारी एवं शहीद ठाकुर रोशन सिंह के नाम पर किये जाने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि क्रान्तिकारियों व शहीदों के स्मारक स्थलों के जीर्णाेद्धार एवं सौन्दर्यीकरण के लिए बजट व्यवस्था प्रस्तावित है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में असीम सम्भावनाएं हैं. प्रयागराज कुम्भ-2019 में स्वच्छता, सुरक्षा व सुव्यवस्था के कारण 24 करोड़ श्रद्धालु और पर्यटक इसमें सम्मिलित हुए. उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काशी, नैमिष, विन्ध्यवासिनी धाम, चित्रकूट आदि का पर्यटन विकास कराये जाने की योजना है. अयोध्या को दुनिया के नये टूरिस्ट सेण्टर के रूप में विकसित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पर्यटन संवर्धन योजना के माध्यम से ईको व हेरिटेज टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा. बजट में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ी जाति के लिए भी व्यवस्था है. जनजातीय संग्रहालय की स्थापना के लिए बजट धनराशि प्रस्तावित है.
इस अवसर पर वित्त मंत्री श्री सुरेश कुमार खन्ना, वित्त राज्यमंत्री श्री संदीप सिंह, मुख्य सचिव श्री आरके तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एमएसएमई श्री नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव वित्त श्रीमती एस.राधा चौहान, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना श्री संजय प्रसाद, सूचना निदेशक श्री शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.
लेखक-अश्विनी कुमार आलोक
समूची दुनिया में कहर बरपा रही संक्रामक बीमारी कोरोना का आतंक कुछ मद्धिम हुआ है.यह खुशी की बात है कि शुरुआती तीन मौतों के बाद हमारे डाॅक्टरों और नर्सों की सतर्कता ने इस अस्पताल में भर्ती तिरपन में से ग्यारह जानें बचा ली हैं. इस तरह उन ग्यारहों लोगों को अपने घर लौटने की छुट्टी दी जाती है.शेष लोगों के लिए हम प्रयासरत हैं. आशा है कि उनके परिजन भी शीघ्र उन्हें अपने पास पायेंगे.” अस्पताल के सुपरिंटेंडेंट जब वार्डों में गूंजी , तो उन चेहरों पर मुस्कानें फैल गयीं , जो इस महामारी में मरते – मरते बच गये थे और अब स्वस्थ घोषित किये जा रहे थे.उन चेहरों पर भी एक हरापन आकार लेने लगा था , जिन पर मास्क चढ़े थे या जिनके नथुनों में ऑक्सीजन की नलियाँ घुसेड़ी गयी थीं. कुछ लोग बेसुध थे. उनकी तीमारदारी में लगे डॉक्टरों एवं नर्सों ने मास्कों के भीतर से मुस्कानें बिखेरकर अपनी सफलताओं के लिए स्वयं की प्रशंसा की.
घंटे – दो घंटे में सारी ऑपचारिकताएँ पूरी कर ली गयीं. वार्ड के दस बेड खाली हो गये. सुमित्रा ने महीनेभर के बाद यह हल्कापन महसूस किया. किसी नर्स के लिए उसके मरीजों का स्वस्थ होकर घर के लिए लौटना तपस्या से वरदान प्राप्त करने जैसा है. उसने मास्क और दस्ताने को ढक्कन वाले कूड़ेदान में उतारकर फेंका.वाॅशरूम गयी और आधे घंटे में निकल आयी.अब इस वार्ड में जब तक कोई नया मरीज नहीं आता , नहीं आना पड़ेगा. वह दरवाजे से निकलने ही वाली थी कि ठहर गयी.वह कुछ समझ पाती कि हल्की – सी मुस्कान के साथ बेड पर बैठे बैठे युवक ने कहा : ” मैं अभी ठीक नहीं हुआ हूँ”
सुमित्रा सन्न रह गयी , अब यह कौन -सी बला है!उसने जाँच के लिए स्वयं सैंपल इकट्ठे किये थे और सिनियर डाॅक्टर अमिताभ शुक्ला ने रिपोर्ट बनायी थी.
सुमित्रा ने याद किया , यह तो वही युवक है , जिसे पहले ही से टीबी है, नाम रघुवर है. सुमित्रा ने दुपट्टे को नाक पर चढ़ाया और निकट चली गयी , ” तुम बिल्कुल ठीक हो , रघुवर जाओ, घरवाले चिंतित होंगे”
वह कुछ नहीं बोला , हल्की – फीकी मुस्कान लाकर होठों पर जीभ फेरी और सिर झुका लिया.
” समस्तीपुर के हो न ? ” सुमित्रा ने फिर पूछा
जवाब में उसने सिर हिला दिया, बोला नहीं
सुमित्रा ने फिर पूछा: ” कौन – सा प्रखंड? रघुवर ”
” मोहीउद्दीननगर हजरतपुर गाँव” इस बार उसे बोलना पड़ा
” तुम बिल्कुल ठीक हो” सुमित्रा ने उसे आश्वस्त किया
” लेकिन , मैं नहीं जा पाऊंगा, मैडम!कमजोरी है” रघुवर ने असमर्थता व्यक्त की
वार्ड की पहरेदारी में लगे चार सिपाहियों में से एक उत्तेजित हो गया, ” जवान आदमी है. तीस – बत्तीस की उम्र कहीं से रोगी नहीं लग रहा घंटेभर से कहे जा रहा हूँ कि घर लौटने के लिए सरकारी व्यवस्था है , लौट जाये।पर जिद पर अड़ा हुआ है”
” मैं कल जाऊंगा” रघुवर ने निगाहें उठाकर सुमित्रा पर टिका दीं
” तब तुम यहाँ नहीं रह सकते सिपाहियो ! रघुवर के साथ किसी प्रकार की सख्ती नहीं होनी चाहिए. इसे बाहर खड़ी गाड़ियों में से किसी पर बैठाओ और शीतला माता मंदिर वाली धर्मशाला में पहुँचा दो.ऐसे लोगों के लिए वहीं व्यवस्था की गयी है” सुमित्रा नर्स इंचार्ज है , लोग अदब भी करते हैं. एक सिपाही ने स्वीकृति में सिर हिलाया. सुमित्रा घर के लिए निकल गयी.
दिनभर की थकी – मांदी सुमित्रा ने जैसे ही कालोनी में पाँव रखे , खिड़कियों से घूरती हुईं नजरों ने उसे अविनम्रता से देखा. उसे न तो गुस्सा आया , न ग्लानि महसूस हुई.ऐसा रोज होता है , पर वह किसी प्रकार की प्रतिक्रिया व्यक्त करना उचित नहीं समझती सुमित्रा के परिवार के लोग भी उसके प्रति ऐसे ही भाव रखते हैं.वह किस – किस से कहे- बीते तेईस दिनों में उसने जो सहा है , वह असह्य है. हालांकि पेशे से इंजीनियर पति साकेत ने कभी नहीं चाहा कि सुमित्रा नर्स की इस छोटी-सी नौकरी से लिपटी रहे.विवाह के छह सालों के बाद भी सुमित्रा अपने पति को अपने सुख – दुःख का सहभागी नहीं बना सकी.पति को मित्र के रूप में देखने की इच्छा दबाये हुए उसने एक बेटे को जन्म दिया, पर वह स्वामी और अधिपति ही बना रहा.
सुमित्रा ने घड़ी पर निगाह डाली, छह बजेंगे. सीढ़ियों पर पाँव रखे , तो सिहर गयी.पति की डाँट वह बीते तेईस दिनों से नहीं सुन रही. एक प्रकार से इन तेईस दिनों में उससे दूर रहकर वह सुकून ही महसूस करती रही है. पर चार साल के बेटे नलिन के निकट नहीं जाना उसके लिए सबसे अधिक दुःखदायी है.दूसरे कमरे में वह अपने पिता के साथ कैसे रहता होगा. सुमित्रा की चिंता पति के कड़े स्वभाव को लेकर नहीं बढ़ती,वह तो इंजीनियर होने के दंभ में जीता है. सुमित्रा अपने पति के साथ नहीं जीती, यहाँ तो एक इंजीनियर के साथ कोई नर्स जबरन रिश्तेदारी कायम करने की चेष्टा करती हुई बीते छह सालों में बार बार पिछड़ी है.
दरवाजे के करीब पहुँचकर उसने फोन लगाया, कोरोना संक्रमितों की तीमारदारी में लगी नर्स को काॅलबेल छूने का अधिकार नहीं.दाई दरवाजा खोलकर पीछे हट गयी. सुमित्रा अपने कमरे की ओर बढ़ गयी.
कोई दो घंटे बाद दाई खाना रख गयी और दूसरे कमरे से झाँकते नलिन की ओर इशारा किया.सुमित्रा ने मुस्कुराकर हाथ हिला दिया.नलिन के पीछे बिछावन पर लेटा हुआ उसका पति मोबाइल पर व्यस्त था.उसके कमरे से टेलीविजन के आते – जाते चित्र शीशे पर चमक जा रहे थे.सुमित्रा ने एक बार पति के कमरे को शीशे की दीवार से ऐसे ही देख लिया.उसके मन में कोई भाव नहीं आया. इंजीनियर के कमरे के ऐश्वर्य ने उसे आकर्षित नहीं किया. बेटे नलिन को देखकर मुस्कुराते हुए उसने हाथों से इशारे किये.शीशे की दीवार आर – पार के लोगों का दीदार भले करा दे ,पर आवाज निगल जाती है.सुमित्रा ने कुछ बोलना निरर्थक समझा.
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थकावट से बोझिल आँखें लग गयीं , तो दिनभर के लिए ताजग देकर सुबह – सुबह खुल भी गयीं. यह तो रोज का सिलसिला है.सुमित्रा की तरह के सैंकड़ों लोगों के भीतर के अंधेरे को रात अपने आँचल में छुपा लेती है.ऐसे ही , हर दिन फिर से जीवन शुरु करती है सुमित्रा.
अस्पताल में पहुँचते ही उसने बड़े – से रजिस्टर पर निगाह दौड़ायी. गहरी साँस ली , ” उफ ! रात भर में तीन मरीज बढ़ गये. ”
सुमित्रा वार्ड में घूमने के लिए उठी ही थी कि रघुवर दिख गया।वह उसी को देख रहा था।
” अरे ! गये नहीं ? ” सुमित्रा ने आश्चर्य से पूछा।
रघुवर कुछ नहीं बोला।
सुमित्रा जल्दीबाजी में थी , वार्ड की ओर निकल गयी।
दूसरे दिन रघुवर फिर सुमित्रा को अस्पताल के दरवाजे पर दिख गया।उसके साँवले चेहरे पर एक प्रसन्नकारी ताजगी दिखाई पड़ रही थी।सुमित्रा ने मुस्कुराकर पूछा , ” खुश लग रहे हो । लेकिन घर क्यों नहीं गये ? ”
” घर में क्या रखा है ! ” रघुवर ने हल्की – सी मुस्कान बिखेरी।
” क्यों ? पत्नी, बच्चे , माँ – बाप ।इंतजार तो करते होंगे? ” सुमित्रा ने सहजता से पूछा।
” पत्नी बीते साल चल बसी।एक बच्चा है, उसे मेरे माँ – बाप देखते हैं।” रघुवर ने सिर झुका लिया।
” ओह ! लेकिन , घर जाना चाहिए।” सुमित्रा ने अधिक रुचि नहीं ली और अस्पताल के वार्डों की ओर निकल गयी।
रात में खाना खाने के बाद रघुवर का चेहरा अनायास सुमित्रा की आँखों में आ गया।उसके लिए रघुवर के संबंध में सोचने की न तो कोई जरूरत थी , न कोई विषय था।पर , वह यह नहीं समझ पा रही थी कि यह लड़का ठीक होने के बजाय अस्पताल के निकट क्यों मंडराता रहता है।सुमित्रा की आँखें बंद हुई जा रही थीं।कोरोना के नये मरीज अब अस्पताल में नहीं आ रहे थे, सरकार आश्वस्त हुई जा रही थी।उसने अनायास अपने कमरे का टीवी ऑन कर दिया।महीनेभर से वह देश दुनिया से बेखबर रही है।पर टीवी के समाचारों ने उसे आकर्षित नहीं किया ।जैसे खोला था , वैसे ही बंद भी कर दिया।
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सुमित्रा ने सुबह उठते उठते विचार किया था, आज कुछ सवेरे अस्पताल जायेगी।यदि रघुवर फिर खड़ा दिखा , तो आज कुछ बातें करेगी।नर्स प्रेम और अपनापन बाँटती है , यदि यह किसी को भला लगता है , तो इसे उसकी सफलता कहेंगे।
नियत समय से एक घंटा पूर्व सुमित्रा ने अस्पताल में
कदम रखा।रघुवर फिर उसका इंतजार करता दिखा।वह उसी के निकट जा बैठी। रघुवर ऐसे मुस्कुराया , जैसे उसकी मुराद पूरी हो गयी।
” रघुवर ! मैं आज तुम्हारे लिए सवेरे आयी हूँ।कहो , कुछ कहना है मुझसे?” सुमित्रा के मुँह से अनायास निकल गया।
रघुवर एक पल कुछ नहीं बोला, हाथ जोड़कर उसे निहारता रहा।फिर , हाथ जोड़कर उसे निहारता रहा।फिर , धीरे – से बोल पड़ा- ” आप मुझे अच्छी लगती हैं, बस।”
” मुझे ही देखने आते हो ? ” पता नहीं उसने क्यों मुस्कुरा दिया।
” हाँ। ” रघुवर ने सिर हिला दिया।
” ऐसा क्या है मुझमें ? ” सुमित्रा के इस प्रश्न पर रघुवर चुप हो गया।फिर धीरे से बोला, ” मेरी पत्नी आप ही के जैसी थी।स्वभाव , चाल – चलन , हँसी – मुस्कुराहट सब कुछ आप से मिलता था।”
सुमित्रा गंभीर हो गयी।
” मैं मैं आपके साथ रह सकता हूँ? ” उसने हकलाते हुए हिम्मत जुटायी।
” क्या ?” जैसे चौंक पड़ी सुमित्रा, ” रघुवर ! मैं शादीशुदा हूँ।मेरा एक बच्चा भी है।मेरा इंजीनियर पति सुन भी लेगा , तो तुम्हें कच्चा चबा जायेगा।”
रघुवर उदास हो गया।
” और कुछ बोलो ।” सुमित्रा ने सहानुभूति दिखायी।रघुवर दूसरी ओर देखने लगा।
अस्पताल दुःखों की दुनिया है।दुःखों को देख – देखकर नर्स जीना सीखती है और दूसरों के दुःख में अपनत्व बढ़ाकर उनके लिए जीवन की आशाएँ जगाती हैं।रघुवर का दुःख अपने दुःख जैसा लगा , उसे लगा कि रघुवर जैसे अनजान युवक के जीवन को उसकी जरूरत है।पर यह तो सर्वथा असंभव है।
उसीने बात बढ़ायी , ” कैसे मरी तुम्हारी पत्नी?”
रघुवर की आँखें छलछला आयीं, ” हम दोनों ने प्रेमविवाह किया था।महीनों तक ससुरालवालों से भागते रहे ।केस हो गया।हमने आपसी मर्जी से विवाह का हलफनामा दिया , तो जान छूटी।मैं एक हाॅस्टल में दरबानी करने लगा।कम आमदनी होती थी , पर हम खुश थे।मेरी पत्नी रूना मुझपर जान लुटाती थी।उसने जान लुटा भी दी।बच्चे के जन्म के बाद महीनों तक खून गिरा।वह घर – आंगन में थकावट महसूस करने लगी और उचित चिकित्सा के अभाव में उसे कैंसर हो गया।” रघुवर चुप हो गया , उसकी आँखें पनीली हो गयीं।
कुछ देर चुप रहकर फिर बोलना शुरु किया , ” मैं कंपाउंडरी करने लगा , इच्छा थी कि अपने जैसे कमजोर लोगों की सेवा करूँ।दिल्ली में एक अस्पताल में नौकरी की , साल भर।वहीं से आया हूँ। ”
” ओह ! ” रघुवर के दर्द को सुमित्रा ने महसूस किया।
सुमित्रा ने रघुवर की आँखों में देखा , ” अब बीती हुई बातें भूलकर नया जीवन शुरु करो रघुवर!मेरा दुःख तुम- सा ही है , मैं हर रोज एक नया जीवन शुरु करती हूँ।”
” आप आपके साथ कंपाउंडर बनकर रह लेता , तो अच्छा होता।” रघुवर ने विकल्प सुझाया।
” साथ रहोगे और मुझमें अपनी पत्नी का चेहरा
देखोगे ।” सुमित्रा खीझ गयी।वह उठकर जाने लगी , तो रघुवर ने फिर टोका , ” मैं यही कहने के लिए रुका हुआ था।कल गाँव लौट जाऊंगा।फोन नंबर देतीं , तो कभी – कभार बात कर लेता ।”
सुमित्रा ने सुना , पर जैसे नहीं सुना।वह आगे बढ़ गयी। फिर पीछे लौटकर रघुवर की ओर देखा , कहा :
” लिखो।”
रघुवर ने जेब से कलम निकाली और हाथ ही पर जल्दी – जल्दी में सुमित्रा का मोबाईल नंबर लिख लिया।
कोरोना के मरीज नहीं आ रहे थे।सरकार ने सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए पूर्णबंदी समाप्त कर दी।लेकिन नर्स की दिनचर्या तो रोगियों से शुरु होती है और रोगियों पर ही खत्म।इस दौरान रघुवर का कोई फोन नहीं आया।न जाने क्यों , सुमित्रा ने प्रायः हर दिन उसके फोन का इंतजार किया।उसने रघुवर का नंबर लिया भी नहीं कि हालचाल पूछ लेती।किसी से हालचाल पूछ लेना अंतरंगता बढ़ाना तो नहीं होता।रघुवर टीबी का मरीज था , पर लगता नहीं था।उसकी आँखें गहरी और सपने देखनेवाली थीं, उनमें जीने का साहस था।
सुमित्रा ने गहरी साँस ली और शीशे की दीवार से पति और बच्चे की ओर निगाह दौड़ायी, ” मैं इनके बारे में क्यों नहीं सोचती कि एक अनजान युवक के बारे में सोचकर परेशान हुई जाती हूँ!” उसका प्रश्न अपने आप से था ।उसीके अंदर से उत्तर भी आ गया , ” किसी के बारे में सोचने में हर्ज क्या है ! ”
वक्त के साथ यादें धुंधली हो ही जाती हैं।कि एक दिन फिर रघुवर अस्पताल के अहाते में दिख गया ।सुमित्रा ने तपाक से पूछ दिया , ” अरे , फोन नहीं किया ? ”
” आपने इंतजार किया था ? ”
” कैसे हो ? ” सुमित्रा ने उसकी पीठ पर हाथ रख दिया।
” यहाँ से जाने के बाद खून की कई उल्टियाँ हुईं।अब कुछ ठीक हूँ, तो रहा न गया।आपको देखने आ गया।अब एक भी उल्टी हुई , तो नहीं बचूंगा । ” वह एक पीली- सी हँसी हँसकर रह गया।
” आओ। ” सुमित्रा के पीछे – पीछे रघुवर अस्पताल में दाखिल हो गया।
अस्पताल में रघुवर की जाँच हुई, टीबी के अतिरिक्त पेप्टिक अल्सर भी निकला।सुमित्रा ने तय कर लिया , यहीं अपनी देखरेख में उसका ऑपरेशन करायेगी।अस्पताल के सुपरिंटेंडेंट सुमित्रा को मानते हैं।उसने तय कर लिया कि उसके ठीक होते ही इसी अस्पताल
में कंपाऊंडर के रूप में रघुवर को रखवाने के लिए बात करेगी।यदि उसे देखकर किसी को खुशी मिले , तो इसमें क्या बुराई है !
चार दिनों तक रघुवर की चिकित्सा चली।हिमोग्लोबिन की स्थिति ठीक होते ही उसका ऑपरेशन होना तय हो गया।
सुमित्रा दूसरे वार्ड में थी ।तभी वार्डब्वाय दौड़ा हुआ आया , ” आपका मरीज खून की उल्टियाँ कर रहा है।”
वह दौड़ी।रघुवर बुखार से तप रहा था, उसके कपड़े खून से रंग गये थे।
सुमित्रा सुई लाने के लिए मुड़ी , रघुवर ने हाथ पकड़ लिया , ” कहीं मत जाइए।” हिचकियों से उसका दम उखड़ रहा था।सुमित्रा ने उसके सिर पर हाथ रखा ,
” रघुवर ! हौसला रखो।”
रघुवर ने एक और हिचकी ली, ” आपको देखने की इच्छा थी , पूरी हुई।” उसके मुँह से निकली लार में खून के थक्के निकल आये।सिर एक तरफ लुढक कर शांत हो गया।सुमित्रा सन्न रह गयी , उसकी ओर झुकती चली गयी।
” आपका कोई सगा था सिस्टर? ” वार्डब्वाय ने पूछा।पर वह बिना कुछ बोले चुप रही।
डाॅक्टर ने पूछा , ” रजिस्टर में इसके किसी परिजन का नाम नहीं! ”
” केयर ऑफ माइन ” उसके मुँह से निकल गया।
शुक्र है , किसी ने नहीं पूछा कि मृतक उसका कौन था।
सवाल
मैं 62 वर्षीया महिला हूं. घर में एक बेटा, बहू और 2 पोते हैं. मेरी बहू ने कुछ सालों पहले ही अपना खुद का बुटीक खोला और तब से ही उस में बिजी रहने लगी. इस बुटीक के चलते उस की दोस्ती कई लोगों से हो गई है. इन्हीं लोगों में उस का एक बड़ा ही घनिष्ठ दोस्त है जो घर आताजाता रहता है. उस पुरुष से मुझे अपनी बहू की दोस्ती अच्छी नहीं लगती. मेरे बेटे को तो इस से कुछ फर्क नहीं पड़ता लेकिन महल्लेपड़ोस के लोग बातें बनाने लगे हैं. क्या करें?
जवाब
देखिए, आप की बहू आज के जमाने की कामकाजी महिला है. आप का बेटा इस बात को समझता है, इसीलिए अपनी पत्नी के दोस्त और उन के परिवार के घर आनेजाने से उसे किसी तरह की परेशानी नहीं है. मेरा सुझाव आप के लिए यही है कि आप को भी अपनी सोच में परिवर्तन लाना चाहिए. वे दिन बीत गए जब बहुओं का काम केवल घर में पड़े रह कर सासससुर की सेवा करना होता था. आजकल बहुएं भी कामकाजी हैं और उन्हें भी पूरा हक है कि अपने अनुसार काम कर सकें व दोस्त बना सकें. जब आप के बेटे को आप की बहू के दोस्त से कुछ परेशानी नहीं, तो आप को भी नहीं होनी चाहिए. महल्लेपड़ोस का तो काम ही होता है बातें बनाना. इस का यह मतलब नहीं कि उन की बातों पर गौर किया जाए.
आप को यदि उस व्यक्ति के व्यवहार से परेशानी है तो इस बारे में आप अपनी बहू या बेटे से बात कर सकतीं हैं, लेकिन यदि परेशानी उस दोस्त के पुरुष होने से है, तो यह गलत है.
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वर्षा के हाथों में थमा मायके से आया भाभी का पत्र हवा से फड़फड़ा रहा था. वह सोच रही थी न जाने कैसा होगा लव, भाभी उस की सही देखभाल भी कर पा रही होंगी या नहीं.
भाभी ने लिखा था कि लव जब छत पर बच्चों के साथ पतंग उड़ा रहा था, नीचे गिर गया. उस के पैर की हड्डी टूट गई, पर उस की हालत गंभीर नहीं है, जल्दी ठीक हो जाएगा. शरीर के अन्य हिस्सों पर भी मामूली चोटें आई थीं. हम उस का उचित इलाज करा रहे हैं.
‘‘मां, तुम रो रही हो?’’ भरत ने पुकारा तो वर्षा की तंद्रा भंग हुई. उस की आंखों से आंसू बह रहे थे. उस ने झटपट आंखें पोंछीं और भरत को गोद में बैठा कर मुसकराने का यत्न कर पूछने लगी, ‘‘स्कूल से कब आया, भरत?’’
‘‘कब का खड़ा हूं, पर तुम ने देखा ही नहीं. बहुत जोरों से भूख लगी है,’’ भरत ने कंधे पर टंगा किताबों का बोझा उतारते हुए कहा.
‘‘अभी खाना परोसती हूं,’’ कहती हुई वर्षा रसोईघर में गई. फौरन दालचावल गरम कर लाई और भरत को खाना परोस दिया.
‘‘मां, तुम भी खाओ न,’’ भरत ने आग्रह किया.
उस का आग्रह उचित भी था क्योंकि प्रतिदिन वर्षा उस के साथ ही भोजन करती थी, लेकिन आज वर्षा के मुंह में निवाला चल नहीं पा रहा था. बारबार आंखों में आंसू आ रहे थे. मन लव के आसपास ही दौड़ रहा था.
भरत शायद उस के मन के भाव समझ गया था सो खाना खातेखाते रुक कर बोला, ‘‘किस की चिट्ठी आई है?’’
‘‘किसी की नहीं, देखो, मैं खा रही हूं,’’ वर्षा बोली. वह घर में बखेड़ा खड़ा करना नहीं चाहती थी, सो होंठों पर नकली मुसकान ला कर बेमन से खाने लगी.
भरत संतुष्ट हो कर चुप हो गया, फिर वह खाना खा कर अपने कमरे में बिस्तर पर लेट गया.
वर्षा उस के सिरहाने बैठ कर थोड़ी देर उस का सिर सहलाती रही. फिर जब भरत ऊंघने लगा तो वह अपने कमरे में आ कर बिस्तर पर पड़ गई, पर मन फिर से मायके की दहलीज पर जा पहुंचा. कैसा होगा लव? इस दुर्घटना के क्षणों में उस ने मां को अवश्य याद किया होगा, वह उसे याद कर के रोया भी बहुत होगा, इतने छोटे बच्चे मां से दूर रह भी कैसे सकते हैं? हो सकता है लव ने आदित्य को भी याद किया हो, आदित्य का कितना दुलारा था लव. वह दफ्तर से आते ही लव को गोद में ले कर बैठ जाते, उस के लिए भांतिभांति के बिस्कुट, टाफियां व खिलौने ले कर आते.
उस वक्त लव था भी कितना प्यारा, गोराचिट्टा, गोलमटोल. जो देखता प्यार किए बिना नहीं रह पाता. जब लव डेढ़ वर्ष का हुआ तो उस ने नन्हेनन्हे बच्चों की फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार जीता था. नन्हा सा दूल्हा बन कर कितना जंच रहा था लव.
यही सब सोच कर वर्षा की आंखों से फिर आंसू बहने लगे. रक्त कैंसर से आदित्य की मृत्यु न हुई होती तो उस का भरापूरा परिवार क्यों बिखरता. आदित्य जीवित होता तो उस का प्यारा लव इस तरह क्यों भटकता.
आदित्य को खो कर वर्षा 3 वर्ष के लव को सीने से चिपकाए मायके लौटी तो वहां उन दोनों मांबेटों को दिन बिताने कठिन हो गए. आदित्य के जीवित रहते जो भैयाभाभी उसे बारबार मायके आने को पत्र लिखते, वे ही एकाएक बेगाने बन गए. उन्हें उन दोनों का खर्च संभालना भारी लगा था.