लेखक- रोहित और शाहनवाज

दुनिया में चश्में कई प्रकार के होते हैं, कुछ नजरों के होते हैं, कुछ फैशन के तो कुछ यूं ही शोकिया पहन लिए जाते हैं, पर केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद एक नए प्रकार का चश्मा इजाद हुआ. जिसे ‘भक्त का चश्मा’ से जाना गया.

जी हां, भक्त का चश्मा ऐसा चश्मा हैं जिसे पहनते ही भक्तों के दिमाग में तर्क एक कान से घुसते ही दुसरे कान से बाहर निकल जाता है. दिमाग में कोई तर्क ठहरने की थोड़ी सी भी गुंजाइश नहीं रहती. उन के दिमाग में वैज्ञानिक आधार पर न तो तर्क बनते हैं और न वे सहन कर पाते हैं. इस के लिए बस एक ही काम करना होता है भाजपा का कट्टर समर्थक बन जाना. बाकी तो हमारे यहां गंगा पाप धोने के लिए है ही.

मोगा में निकाय चुनावों के भाजपा की हार के कमोबेश सभी तरह के समीकरणों की जांच कर लेने के बाद हम मोगा के स्टेशन रोड पर टहलते टहलते एक चाय की दुकान पर जा पहुंचे. हम ने 2 चाय आर्डर की और उसी चाय की टपरी के पास खाली जगह पर बैठ गए. यह दुकान मोगा रेलवे स्टेशन से एकदम नजदीक है जहां हर समय चहल पहल रहती है. खुला रोड, हर समय गाड़ियों की आवाजाही, छोटी-बड़ी ब्रांड की दुकाने इत्यादि चीजों को उस जगह देखा जा सकता है.

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चाय पीते पीते हम मोगा में भाजपा की हार के समीकरणों को ले कर दुकान के पास खड़े हो आपस में मोदीजी की तरह ‘चाय पर चर्चा’ करने लगे. इतने में एक आवाज पीछे से आई-

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