भारत भूमि युगे युगे फूलपत्तों को तो बख्शो ड्रैगन फ्रूट नाम से ही भयानक और चाइनीज लगता है, वरना यह एक खूबसूरत व नाजुक फल है जिस का वैज्ञानिक नाम जीनस हिलोकेरस है. कैक्टस कुल का यह पौधा दक्षिण अमेरिका का है जिस के कई औषधीय गुण हैं. लेकिन अब गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने इस का नाम कमलम घोषित कर दिया है क्योंकि उन्हें ड्रैगन फ्रूट कमल जैसा नजर आता है. इन दिनों गुजरात के कच्छ इलाके में इस की खेती का बड़ा जोर है. अच्छा तो उन का यह दावा न करना रहा कि ड्रैगन फ्रूट भी, दरअसल, विष्णु की नाभि से पैदा हुआ पौधा है.
उत्तर प्रदेश के महंत मुख्यमंत्री आदित्यनाथ तो शहरों, रेलवे स्टेशनों और इमारतों के ही नाम बदलते रह गए, इधर, विजय भाई ने जड़ से चेतन की यात्रा कर डाली. उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द ही मनीप्लांट, यूकेलिप्टस, लिली और डहेलिया जैसे सैकड़ों पौधों के भी नाम परिवर्तन कर उन्हें हिंदू धर्म में शामिल कर लिया जाएगा. वेतनभोगी होंगी गृहिणियां यह खुशखबरी हालफिलहाल तमिलनाडु की गृहिणियों के लिए ही है कि अगर अभिनेता कमल हासन की पार्टी मककल निधि मैयम वहां सत्ता में आई तो उन की सरकार गृहिणियों को हर महीने सैलरी देगी.
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नेता अभिनेता की यह अनूठी पहल और दलील हर कोई पसंद कर रहा है कि गृहिणियों को समाज नजरअंदाज करता है और उन के काम को अहमियत नहीं देता. एक दूसरे अभिनेता रजनीकांत के पार्टी न बना पाने के बाद बेहद आक्रामक मूड में आ चले कमल अभी से बढ़त बनाते नजर आ रहे हैं और वे डीएमके व एडीएमके दोनों को खूब कोसते रहते हैं. गरीब दलितों की राजनीति का दावा करने वाले इस अभिनेता पर कांग्रेस ने डोरे डालने शुरू कर दिए हैं क्योंकि भाजपा से कमल हासन का छत्तीस का आंकड़ा है. वरिष्ठ कांग्रेसी शशि थरूर ने उन के इस आइडिए की तुरंत तारीफ करते अपनी पार्टी के मंसूबे जाहिर कर दिए.
अब देखना दिलचस्प होगा कि कमल अपनी पार्टी के चुनाव चिह्न टौर्च को हाथ के पंजे में थमाते हैं या नहीं. ए-वन सीएम न्यूज चैनल्स के पास जब कोई ब्रेकिंग या विवादित खबर नहीं होती तो वे दर्शकों को बांधे रखने के लिए ऐसे सर्वे परोसना शुरू कर देते हैं जिन के जमीनीतौर पर होने का शक हर किसी को बना रहता है. इन अधिकांश सर्वेक्षणों का इकलौता मकसद यह बताना रहता है कि ‘औफ्टर औल’ नरेंद्र मोदी नंबर वन हैं. एक न्यूज चैनल ने एक सर्वे में ओडिशा के नवीन पटनायक के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नंबर दो पर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को टौप टैन से भी बाहर बताया तो बाजू वाले चैनल को गुस्सा आ गया.
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नतीजतन, उस ने तीसरे दिन ही एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में योगी को नंबर वन पर बैठाल कर हिसाब चुकता कर लिया. इन प्रायोजित सर्वेक्षणों से परे कोई शक नहीं कि अपने कामों के बलबूते पर अरविंद नंबर वन हैं और गैरभाजपाई व गैरकांग्रेसी नेताओं की भी पहली पसंद हैं जिन में ममता बनर्जी, हेमंत सोरेन और कमल हासन जैसे नाम शामिल हैं. लिहाजा, भाजपा का डर जायज है कि 2024 आतेआते कहीं सर्वे अरविंद को पीएम पद के लिए मोदी के बराबर न बताने लगें.
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नमस्ते ट्रंप – प्रणाम बाइडेन जिद्दी और बेशर्म डोनाल्ड ट्रंप का जो होना था, सो हो गया. लेकिन, उन के जिगरी दोस्त नरेंद्र मोदी को करारा झटका लगा है. दोस्ती गांठने का उन का हुनर अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडेन के सामने चलेगा, ऐसा लग नहीं रहा क्योंकि वे न तो कट्टरवादी हैं और न ही शोबाजी के शौकीन हैं. अब अगर मोदी को अमेरिका से कुछ चाहिए तो उन्हें अपनी रीढ़ झुकाते प्रणाम बाइडेन करना पड़ेगा. खुशामद उन्हें कमला हैरिस की भी करने को मजबूर होना पड़ेगा जिन का कनैक्शन उन के गुप्तचर गुजरात या हिंदूवादी विचारधारा से नहीं निकाल पाए. वैसे ट्रंप की बेदखली और दुर्दशा मोदी के लिए 2024 के आम चुनाव के मद्देनजर एक सबक भी है कि अभी भी सुधरने और संभलने के लिए वक्त है.