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प्रीतीश नंदी ने सलमान खान को कहा- ‘नारी द्वेषी’, जानें क्या है मामला

बिग ब़स 14 के बीते वीकेंड के वार पर सलमान खान और शो के मेकर्स को बहुत ज्यादा ट्रोल किया जा रहा है. सामने आ रही रिपोर्ट में मेकर्स ने सलमान पर पक्षपात का आरोप लगाया है. इस बीच प्रोड्यूसर प्रीतीश नंदी बिग बॉस द्वारा दिए गए व्यूज से सहमत नहीं हैं.

प्रितीश ने ट्वीट करते हुए सलमान खान को नारी द्वेषी भी बताया है. इतना ही नहीं प्रोड्यूसर ने निक्की तम्बोली और रुबीना दिलाइक का सपोर्ट भी किया है.

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प्रीतीश नंदी ने लिखा की बिग बॉस देखते हुए मैंने अनुभव किया है कि सलमान खान मेरे पसंदीदा कंटेस्टेंट रुबीना दिलाइक और निक्की तम्बोली के साथ बहुत ज्यादा कठोर व्यवहार करते हैं. आगे उन्होंने कहा कि सलमान खान  नारी द्वेषी ना बनें .

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प्रितीश नंदी का ये ट्वीट धड्डले से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. फैंस भी इस ट्वीट को देखकर अलग-अलग रिएक्शन दे रहे हैं. बीते वीकेंड पर सलमान ने रुबीना की जमकर क्लास लगाई थी. जिसके बाद से प्रितीश ने ऐसा रिएक्शन दिया है.

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राखी सावंत ने जब अभिनव शुक्ला का नाड़ा खींचा तो राखी सावंत का बचाव करते सलमान खान ने अभिनव शुक्ला की क्लास लगाई थी. जिसके बाद लोग सलमान खान को उल्टा सीधा कहने लगे हैं. इसके अलावा सलमान खान ने निक्की तम्बोली की भी जमकर क्लास लगाई है.

इंडियन आइडल 12 के सेट पर दिखा नेहा कक्कड़ का डांस, ‘सैंया जी’ गाने पर झूमती नजर आईं

नेहा कक्कड़ इन दिनों लगातार सुर्खियों में छाई हुई हैं. अपने नए-नए गाने को लेकर. वहीं नेहा रियलिटी शो इंडियन आइडल 12 में बतौर जज नजर आती हैं. इसके साथ ही वह एक के बाद एक नए प्रोजेक्ट्स पर काम करती नजर आ रही हैं.

अपने काम और गानों से नेहा कक्कड़ अपने फैंस का दिल जीत लेती हैं. हाल ही में नेहा कक्कड़ का गाना सैंया जी रिलीज हुआ है. इन गानों पर नेहा आए दिन झूमती हुई नजर आती हैं. नेहा कक्कड़ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया है जिसमें वह अपने गाने पर शानदार अंदाज में डांस करती नजर आ रही हैं.

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इस गाने पर डांस के दौरान नेहा का एक्सप्रेशन देखते बनता है. बता दें कि इंडियन आइडल के मंच पर नेहा हमेशा धमाकेदार एंट्री मारती हैं. उनके इस अंदाज के फैंस भी दीवाने हैं. की दफा नेहा कक्कड़ अपने ड्रेस के साथ-साथ अपने स्टाइल से लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचती नजर आती हैं.

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नेहा के फैंस अक्सर उनके हेयर स्टाइल को कॉपी करते नजर आते हैं. इंडियन आइडल के मंच पर नेहा को आए दिन अलग-अलग हेयर स्टाइल में देखा जाता है. जो उनके लुक पर खूब जचता है.

बता दें कि कुछ दिनों पहले ही नेहा कक्कड़ जबसे रोहनप्रीत के साथ शादी के बंधन में बंधी हैं. जिसके बाद लगातार वह सुर्खिया बटोरती नजर आ रही हैं. नेहा और रोहनप्रीत की जोड़ी को बेस्ट जोड़ी बताया जा रहा है. वह अपनी शादी से बेहद ज्यादा खुश हैं. नेहा को लोग शादी के बाद ढ़ेर सारी बधाइयां दी थी.

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रोहनप्रीत भी एक पंजाबी सिंगर हैं, दोनों के परिवार वालों की मर्जी से इनकी शादी हुई है.

ड्रिप और मल्चिंग पद्धति से शिमला मिर्च की खेती

परंपरागत खेती में रोज ही नएनए तरीके अपना कर किसान उन्नत खेती के साथ मुनाफा ले रहे हैं. ड्रिप और मल्चिंग पद्धति से खेती कर के फसलों की पैदावार बढ़ाई जा सकती है. इन के इस्तेमाल से न सिर्फ अच्छा उत्पादन मिलता है, बल्कि खरपतवार नियंत्रण और सिंचाई जल की बचत भी की जा सकती है.
मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के गरहा गांव के प्रगतिशील किसान विजय शंकर शर्मा ने अपने खेत के 2 एकड़ रकबे में शिमला मिर्च की खेती की है. ड्रिप व मल्चिंग पद्धति से पूरे खेत में बिछी सिल्वर कलर की पौलीथिन और उस में से झांकते पौधे देखने के लिए राह चलते लोग भी रुक जाते हैं.
विजय शंकर शर्मा बताते हैं कि जब लौकडाउन में सबकुछ बंद था, लोग घरों में बैठे थे, उस दौरान उन्हें खाली समय का सही इस्तेमाल खेती में करने का विचार आया. इस तरीके से खेती करने की प्रेरणा उन्हें सिवनी जिले के लखनादौन के पास विजना गांव में मल्चिंग पद्धति से खेती करने वाले रिश्तेदार से मिली थी.
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ड्रिप और मल्चिंग पद्धति की पूरी जानकारी ले कर उन्होंने 2 एकड़ में शिमला मिर्च की खेती करने की योजना बनाई. इस के तहत पूरे खेत में ड्रिप इरिगेशन के लिए पाइपलाइन बिछाई गई. मल्चिंग के लिए मिट्टी ऊंची कर के पूरे खेत को पौलीथिन से ढक दिया. 2 एकड़ खेत में बीज समेत सभी खर्च मिला कर तकरीबन 2 लाख रुपए की लागत आई.
किसान विजय शंकर शर्मा ने बताया कि इस काम को करते वक्त शुरू में उन का लोगों ने काफी मजाक उड़ाया. वहीं उन के छोटे भाई शिक्षक सतीश शर्मा व शिवम शर्मा ने पूरा सहयोग दे कर उन्हें खेती करने के लिए पे्ररित किया. बस फिर क्या था, अच्छी देखरेख के चलते तकरीबन 3-4 महीने में पौधे फल देने लगे.
आजकल फुटकर बाजार में शिमला मिर्च का भाव 100 रुपए प्रति किलोग्राम है. विजय शंकर की मेहनत से उगाई शिमला मिर्च में एक अनूठी मिठास भी है. इस से बाहर की शिमला मिर्च के उलट उन की मिर्च क्वालिटी में उम्दा साबित हो रही है.
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जहां आमतौर पर किसानों को सब्जी बेचने के लिए भटकना पड़ता है, वहीं उन की उपज थोक विक्रेता खुद और्डर पर मंगाते हैं. वर्तमान में 8-10 क्विंटल उपज बाजार में बिक चुकी है. आगे 1-2 महीने और मिर्च उपज देगी, जिस में अनुमानित 20 से 30 क्विंटल उत्पादन होगा. उन्होंने साथ में खाली जमीन में लहसुन भी लगाया है. इस से जहां लहसुन से खेत में कीटाणु नहीं हो रहे, वहीं खाली जगह का सही इस्तेमाल भी हो रहा है. अगली बार शिमला मिर्च के पौधे अलग कर टमाटर की खेती करेंगे.
विजय शंकर शर्मा ने अपनी मेहनत से आसपास के किसानों के लिए उम्मीद जगाई है. आसपास के गांव के किसान उन की खेती देखने रोज ही आते हैं. उन्होंने बताया कि उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने आ कर फसल देखी है और शासन से इस पद्धति को प्रोत्साहन और मदद दिलाने का भरोसा दिलाया है. 2 लाख रुपए की लागत में कम से कम 6 लाख रुपए की उपज निकलने का अंदाजा है.
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एक पौधे पर दर्जनों मिर्च
मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले की जलवायु शिमला मिर्च उत्पादन के लिए सही नहीं मानी जाती?है, लेकिन किसान की मेहनत और लगन ने शिमला मिर्च की खेती कर के यह साबित कर दिया है कि कोई काम नामुमकिन नहीं है. खेत पर लगे 1-1 पौधे पर तकरीबन एक दर्जन से ज्यादा शिमला मिर्च के फल लगे हुए हैं. इतना ही नहीं, बाजार में मिलने वाली शिमला मिर्च की तुलना में इन की उपज में ज्यादा चमक और बड़ी साइज भी देखने को मिली है.
इसलिए है फायदेमंद
इस तकनीक से खेतों में नमी बनी रहती है और मिट्टी का कटाव नहीं होता है. क्षेत्र के दूसरे जानकार किसानों के मुताबिक, मल्चिंग व ड्रिप इरीगेशन के तालमेल से एकबार में लागत लगा कर जब तक पौलीथिन खराब नहीं होती, खेती की जा सकती है. तकरीबन 2-3 साल में एक बार इस तरह पौलीथिन बिछा कर खेती करने में बखरनी और ट्रैक्टर चलाने का खर्च बचता है. वहीं खेत में कोई दवा डालनी हो, तो ड्रिप पद्धति से दवा पाइप से सीधे पौधों तक आसानी से पहुंचाई जाती है. इस से अलग से दवा डालने की मेहनत बचती है. सब से बड़ी बात ड्रिप इरीगेशन से पानी की बचत होती है.
सब्जियों की फसल में इस का इस्तेमाल कैसे करें
मल्चिंग विधि के जानकार किसान बताते हैं कि जिस खेत में सब्जी वाली फसल लगानी है, उसे पहले अच्छी तरह से जुताई कर लें, फिर उस में गोबर की खाद और मिट्टी परीक्षण करवा कर उचित मात्रा में खाद दे कर खेत में उठी हुई क्यारी बना लें. फिर उन के ऊपर ड्रिप सिंचाई की पाइप लाइन को बिछा लें. 25 से 30 माइक्रोन प्लास्टिक मल्च फिल्म, जो सब्जियों के लिए बेहतर रहती है, को उचित तरीके से बिछा दें, फिर फिल्म के दोनों किनारों को मिट्टी की परत से दबाना चाहिए. इसे आप ट्रैक्टरचालित यंत्र से भी दबा सकते हैं.
फिर उस फिल्म पर गोलाई में पाइप से पौधों से पौधों की दूरी तय कर के छेद कर लें. किए हुए छेदों में बीज या नर्सरी में तैयार पौधों का रोपण करना चाहिए.
खेत में मल्चिंग करते समय रखी जाने वाली सावधानियां
* प्लास्टिक फिल्म हमेशा सुबह या शाम के समय लगानी चाहिए.
* फिल्म में ज्यादा तनाव न रखें.
* प्लास्टिक फिल्म लगाते समय उस में सिलवटें नहीं पड़नी चाहिए.
* फिल्म में सिंचाई नली का ध्यान रख कर छेद सावधानी से करने चाहिए.
* छेद एकजैसे करें और फिल्म न फटे, इस बात का ध्यान रखें.
* मिट्टी चढ़ाने में दोनों साइड एकजैसी रखें.
* फिल्म को फटने से बचाएं, ताकि उस का इस्तेमाल दूसरी बार भी कर पाएं और उपयोग होने के बाद उसे सुरक्षित रखें.
शिमला मिर्च की खेती और ड्रिप और मल्चिंग पद्धति से खेती करने की जानकारी किसान विजय शंकर शर्मा के मोबाइल फोन नंबर 9165732179 पर बात कर के ली जा सकती है.

रिश्तों की कसौटी

Valentine’s Special: रिश्तों की कसौटी- भाग 2: क्यों दुखी थी सुरभी

अमित का परिवार दिल्ली में था. फिर भी वह हर सप्ताह मालती से मिलने आगरा चला आता. मगर ठहरता गेस्ट हाउस में ही था. उन की इन मुलाकातों में परिवार की रजामंदी भी शामिल थी, इसलिए उन का प्यार परवान चढ़ने लगा. पर मालती ने इस प्यार को एक सीमा रेखा में बांधे रखा, जिसे अमित ने भी कभी तोड़ने की कोशिश नहीं की.

मालती की परवरिश उन के पिता, बूआ व दादाजी ने की थी. उन की मां तो 2 साल की उम्र में ही उन्हें छोड़ कर मुंबई चली गई थीं. उस के बाद किसी ने मां की खोजखबर नहीं ली. मालती को भी मां के बारे में कुछ भी पूछने की इजाजत नहीं थी. बूआजी के प्यार ने उन्हें कभी मां की याद नहीं आने दी.

बड़ी होने पर मालती ने स्वयं से जीवनभर एक अच्छी और आदर्श पत्नी व मां बन कर रहने का वादा किया था, जिसे उन्होंने बखूबी पूरा किया था.

उन की शादी से पहले की दीवाली आई. मालती के ससुराल वालों की ओर से ढेरों उपहार खुद अमित ले कर आया था. अमित ने अपनी तरफ से मालती को रत्नजडि़त सोने की अंगूठी दी थी. कितना इतरा रही थीं मालती अपनेआप पर. बदले में पिताजी ने भी अमित को अपने स्नेह और शगुन से सिर से पांव तक तौल दिया.

दोपहर के खाने के बाद बूआजी के साथ घर के सामने वाले बगीचे में अमित और मालती बैठे गपशप कर रहे थे. इतने में उन के चौकीदार ने एक बड़ा सा पैकेट और रसीद ला कर बूआजी को थमा दी.

रसीद पर नजर पड़ते ही बूआ खीजती हुई बोलीं, ‘2 महीने पहले कुछ पुराने अलबम दिए थे, अब जा कर स्टूडियो वालों को इन्हें चमका कर भेजने की याद आई है,’ और पैसे लेने वे घर के अंदर चली गईं.

‘लो अमित, तब तक हमारे घर की कुछ पुरानी यादों में तुम भी शामिल हो जाओ,’ कह कर मालती ने एक अलबम अमित की ओर बढ़ा दिया और एक खुद देखने लगीं.

संयोग से मालती के बचपन की फोटो वाला अलबम अमित के हाथ लगा था, जिस में हर एक तसवीर को देख कर वह मालती को चिढ़ाचिढ़ा कर मजे ले रहा था. अचानक एक तसवीर पर जा कर उस की नजर ठहर गई.

‘यह कौन है, मालती, जिस की गोद में तुम बैठी हो?’ अमित जैसे कुछ याद करने की कोशिश कर रहा था.

‘यह मेरी मां हैं. तुम्हें तो पता ही है कि ये हमारे साथ नहीं रहतीं. पर तुम ऐसे क्यों पूछ रहे हो? क्या तुम इन्हें जानते हो?’ मालती ने उत्सुकता से पूछा.

‘नहीं, बस ऐसे ही पूछ लिया,’ अमित ने कहा.

‘ये हम सब को छोड़ कर वर्षों पहले ही मुंबई चली गई थीं,’ यह स्वर बूआजी का था.

बात वहीं खत्म हो गई थी. शाम को अमित सब से विदा ले कर दिल्ली चला गया.

इतना पढ़ने के बाद सुरभी ने देखा कि डायरी के कई पन्ने खाली थे. जैसे उदास हों.

फिर अचानक एक दिन अमित साहनी के पिता का माफी भरा फोन आया कि यह शादी नहीं हो सकती. सभी को जैसे सांप सूंघ गया. किसी की समझ में कुछ नहीं आया. अमित 2 सप्ताह के लिए बिजनेस का बहाना कर जापान चला गया. इधरउधर की खूब बातें हुईं पर बात वहीं की वहीं रही. एक तरफ अमित के घर वाले जहां शर्मिंदा थे वहीं दूसरी तरफ मालती के घर वाले क्रोधित व अपमानित. लाख चाह कर भी मालती अमित से संपर्क न बना पाईं और न ही इस धोखे का कारण जान पाईं.

जगहंसाई ने पिता को तोड़ डाला. 5 महीने तक बिस्तर पर पड़े रहे, फिर चल बसे. मालती के लिए यह दूसरा बड़ा आघात था. उन की पढ़ाई बीच में छूट गई.

बूआजी ने फिर से मालती को अपने आंचल में समेट लिया. समय बीतता रहा. इस सदमे से उबरने में उसे 2 साल लग गए तो उन्होंने अपनी पीएच.डी. पूरी की. बूआजी ने उन्हें अपना वास्ता दे कर अमित साहनी जैसे ही मुंबई के जानेमाने उद्योगपति के बेटे परेश से उस का विवाह कर दिया.

अब मालती अपना अतीत अपने दिल के एक कोने में दबा कर वर्तमान में जीने लगीं. उन्होंने कालेज में पढ़ाना भी शुरू कर दिया. परेश ने उन्हें सबकुछ दिया. प्यार, सम्मान, धन और सुरभी.

सभी सुखों के साथ जीते हुए भी जबतब मालती अपनी उस पुरानी टीस को बूंदबूंद कर डायरी के पन्नों पर लिखती थीं. उन पन्नों में जहां अमित के लिए उस की नफरत साफ झलकती थी, वहीं परेश के लिए अपार स्नेह भी दिखता था. उन्हीं पन्नों में सुरभी ने अपना बचपन पढ़ा.

रात के 3 बजे अचानक सुरभी की आंखें खुल गईं. लेटेलेटे वे मां के बारे में सोच रही थीं. वे उन के उस दुख को बांटना चाहती थीं, पर हिचक रही थीं.

अचानक उस की नजर उस बड़ी सी पोस्टरनुमा तसवीर पर पड़ी जिस में वह अपने मम्मीपापा के साथ खड़ी थी. वह पलंग से उठ कर तसवीर के करीब आ गई. काफी देर तक मां का चेहरा यों ही निहारती रही. फिर थोड़ी देर बाद इत्मीनान से वह पलंग पर आ बैठी. उस ने एक फैसला कर लिया था.

पानी में नमक मिला कर नहाने से होते हैं ये फायदे

सर्दियों में कई तरह की बीमारी के होने का खतरा बना रहता है. जैसे, त्वचा में रूखापन, खुजली, दाद-खाज, त्वचा में सफेदी आदि. इसके अलावा शरीर में नमी की कमी के कारण बाल झड़ने, डैंड्रफ जैसी दिक्कतें भी होती हैं. इन समस्याओं में पानी में नमक डाल कर नहाना काफी फायदेमंद होता है.

सर्दी में गर्म पानी से नहाना लोगों की मजबूरी होती है. ऐसे में बेहतर होता है कि आप उस गुनगुने पानी में नमक डाल कर नहाएं, इससे कई तरह की बीमारियां दूर होती हैं.

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इस खबर में हम आपको बताएंगे कि गुनगुने पानी में नमक मिला कर नहाने से कौन से फायदे हो सकते हैं.

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  • रोजाना गुनगुने पानी में थोड़ा सा नमक डालकर नहाने से त्वचा की सफाई अच्छे से होती है. इससे बालों और त्वचा में चमक भी आती है.
  • अक्सर ठंड में सफाई की कमी और नम कपड़ों के कारण शरीर में खुजली व दाद की समस्या होती है. नमक में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं. नमक मिला गुनगुना पानी त्वचा पर मौजूद बैक्टीरिया और जीवाणुओं को खत्म कर रोगों से बचाव करता है.
  • आमतौर पर गर्मी के मुकाबले सर्दियों में निखार कम लगती है. खासकर के औयली स्किन वाले लोगों में ये समस्या और ज्यादा होती है. गुनगुने पानी में नमक मिलाकर नहाने से त्वचा में मौजूद डेड स्किन सेल्स निकल जाते हैं. इससे त्वचा में निखार आता है.
  • गुनगुने पानी में नमक मिला कर नहाने से मांसपेशियों को काफी राहत मिलती है. कई जानकारों का मानना है कि आर्थराइटिस के मरीजों को गुनगुने पानी में नमक मिला कर नहाने से आराम मिलता है.
  • आपको बता दें कि अवसाद या चिंता की स्थिति में भी मांसपेशियों में तनाव आ जाता है. नमक मिला गुनगुना पानी मानसिक तनाव को भी कम करता है.

बिखरते बिखरते : माया क्या सोचकर भावुक हो रही थी ? – भाग 3

समय अपनी गति से घूमता रहा.

10 वर्ष जाने कैसे सपने से बीत गए. छोटी बहन और भाई की शादी हो चुकी थी. माया उम्र के एक ऐसे मोड़ पर आ खड़ी थी जहां आदर्श टूट जाते हैं, कल्पनाएं धुएं की तरह उड़ जाती हैं और जीवन अपने कटु यथार्थ के धरातल पर आ जाता है. प्यार, गुस्सा, बदला, सौरभ सबकुछ मन के किसी अवचेतन कोने में जा कर दुबक गए थे. माया ने अनुभव किया कि अब उसे पुरुष की बलिष्ठ, संरक्षक बांहों की आवश्यकता है.

छोटी बहन की ससुराल से महेश आए थे. महेश ने माया से ब्याह करने का प्रस्ताव रखा था. महेश का व्यक्तित्व अति सामान्य और अनाकर्षक था. उन की अपनी एक छोटी फैक्टरी थी. क्या इस अनाकर्षक 42 वर्षीय प्रौढ़ के लिए ही उस ने इतनी लंबी प्रतीक्षा की थी? लेकिन अपने मन की ख्वाहिशों को दबा कर माया ने महेश का हाथ थाम लिया.

विवाह के अगले वर्ष सुषमा का जन्म हुआ था. माया अपनी पिछली कड़वाहट भूल कर बेटी में खो गई थी. पर माया के शांत जीवन में अचानक आंधी आ गई. महेश सुषमा को होस्टल में भेजना चाहते थे. माया ने लाख मिन्नतें कीं पर महेश ने अपना निर्णय नहीं बदला. सुषमा के होस्टल में चले जाने के बाद माया गुमसुम सी हो गई थी. न ही वह महेश के साथ उस की पार्टियों में जा कर घंटों बैठ पाती थी, न महेश की नीरस बातें सहन कर पाती थी. उसे सब से अधिक खलती थी, महेश की संगीत के प्रति अरुचि. न महेश को उस का वायलिन बजाना भाता था, न ही वह संगीत कार्यक्रमों में जाता था. माया का नौकरी करना भी उसे पसंद नहीं था. न कोई रोमांस, न रोमांच. माया दुख और अलगाव में जीतेजीते पत्थर सी हो गई थी.

‘‘बीबीजी, चाय बना लाऊं? दूध आ गया है,’’ नौकरानी की आवाज से माया की तंद्रा टूटी और वह वर्तमान में लौट आई.

सिर भारी हो आया है. ओह, अकेले 10 दिन वह नहीं रहेगी घर में. मौसी के यहां चली जाएगी. नौकरानी से चाय बनाने के लिए कह कर माया हाथमुंह धोने चली गई.

माया ने अपनी गाड़ी एक ओर खड़ी की और मौसी के लिए फल खरीदने स्टोर में घुस गई.

‘‘कार्ड पेमैंट है?’’ पेमैंट के लिए लाइन में खड़ी माया यह आवाज सुन कर चौंक उठी. लाइन में आगे खड़ी रिंकू को देखा.

‘‘रिंकू,’’ माया खुश हो जोर से बोली.

रिंकू ने माया को बांहों में भर लिया. पेमैंट कर रिंकू माया की गाड़ी में आ बैठी.

रिंकू अपना किस्सा सुनाने लगी. उस ने रिसर्च पूरा कर लिया था. उसी दौरान उस की शादी हो गई थी. उस की भी इकलौती बेटी है जिस की पिछले अक्तूबर में शादी हो गई है. वह यहां पति के साथ आई थी, कुछ काम था उन का.

रिंकू ने माया को नहीं छोड़ा. खोदखोद कर उस की निजी जिंदगी के संबंध में पूछने लगी. कईर् वर्षों बाद किसी अपने ने उस की दुखती रग पर हाथ रखा था. सो, माया का मन मर्यादा त्याग कर उमड़ पड़ा, ‘‘रिंकू, मैं पूरा जीवन भटकती ही रह गई. मुझे कुछ भी न मिला. आखिरकार मेरा अपना बन कर कोई भी तो न रहा. मेरे चारों ओर है केवल उदासी, उलझन, तनाव. मैं जाने कब टूट कर बिखर जाऊं,’’ माया सिसक रही थी.

रिंकू सिसकती माया को चुपचाप देखती रही. रोने दो जीभर. बरसों की घुटन आंखों की राह बह जाए तो माया का तनाव कुछ कम हो जाएगा. कक्षा में सब से आगे रहने वाली माया की कुशाग्र बुद्धि उसे जीवनसंग्राम में विजयी बनने की राह नहीं दिखा सकी.

‘‘माया,’’ रिंकू ने माया के कंधे पर हाथ रखा. माया सिर उठा कर भरे नेत्रों से रिंकू की ओर देख रही थी.

‘‘माया, क्या इस सारे बिखराव का कारण तुम स्वयं नहीं हो? तुम में निर्णय करने और जोखिम मोल लेने की हिम्मत ही नहीं थी. किसी ज्योतिषी की ग्रहगणना में तो तुम्हें विश्वास था, लेकिन सौरभ के आश्वासनों पर, उस के दृढ़ संकल्पों पर तुम विश्वास नहीं कर सकीं. हम ने न सौरभ के ब्याह में जन्मपत्रियां मिलवाईं, न मेरे ब्याह में ही. मैं ने अपनी बेटी के ब्याह में भी पत्रियां नहीं मिलवाईं. फिर भी हम सब सुखी दांपत्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं.

‘‘माया, सचाई यह है कि तुम्हारे अंतर्मन में सौरभ निराकार रूप में आज भी व्याप्त है. मन की यही गांठ महेश के साथ सुखद और आनंदमय जीवन जीने से तुम्हें निरंतर रोक रही है.’’

रिंकू कुछ देर मौन बैठी रही, फिर माया के माथे पर आए पसीने की बूंदों को पोंछते हुए बोली, ‘‘माया, जरा सोचो तो, आखिर महेश में ऐसी क्या कमी है? वे व्यस्त व्यवसायी हैं. उन के व्यवहार में उन का अपना संस्कार छाया हुआ है. संस्कारों को आसानी से बदला भी तो नहीं जा सकता. सुषमा को उन्होंने होस्टल तुम से छीनने के लिए तो नहीं भेजा है, बल्कि उस के अच्छे भविष्य के लिए ही भेजा है. माया, जरा सोचो? क्या तुम ने अपने पति के साथ न्याय किया है. न कभी उन के व्यवसाय में दिलचस्पी ली, न उन के दोस्तों में. तुम्हारा सान्निध्य तो महेश को कभी मिला ही नहीं. माया, न तो तुम में सौरभ से ब्याह करने की हिम्मत थी, न ही उस की स्मृति में अकेले दृढ़ जीवन बिताने का साहस. तुम स्वयं को भी समझ नहीं पाईं,’’ रिंकू एक सांस में ही इतना कुछ कह कर हांफने लगी थी.

कुछ पल तक दोनों मौन बैठी सजल नयनों से सड़क की ओर देखती रहीं. रिंकू ने घड़ी की ओर देखा. फिर झट गाड़ी से उतर पड़ी और उस के कंधे पर हाथ रख कर बोली, ‘‘माया, देर हो रही है, मैं चलूं. कम से कम जीवन के बचे चंद दिनों को अब महेश के साथ प्रसन्नता से जी लो.’’ माया ने रूमाल निकाल कर अच्छी तरह चेहरा पोंछ लिया. आकाश से छंटे बादलों की तरह उसे अपना मन साफ लगा. महेश, सुषमा, महेश का व्यवसाय सबकुछ तो उस का अपना है. अब वह नहीं बिखरेगी, नहीं भटकेगी. उसे तो अभी बहुतकुछ करना है पति के लिए, बेटी के लिए.

निष्पक्ष पत्रकारों पर सरकारी दमन के खिलाफ मीडिया समूह एकजुट

लेखक- रोहित और शाहनवाज

26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान ‘असत्यापित’ खबर शेयर करने के चलते पत्रकारों पर लगाए गए गंभीर आरोपों, जिस में देशद्रोह जैसे संगीन आरोप भी शामिल हैं, के बारे में मीडिया और पत्रकारों की यूनियन बौडी ने 30 जनवरी को दिल्ली के प्रेस क्लब औफ इंडिया में एक प्रेस कौंफ्रेंस कर अपना विरोध दर्ज किया.

इस संयुक्त प्रैस कौंफ्रेंस का आयोजन प्रैस क्लब औफ इंडिया (पीसीआई), एडिटर्स गिल्ड औफ इंडिया, प्रैस एसोसिएशन, भारतीय महिला प्रैस कोर (आईडब्लूपीसी), दिल्ली यूनियन औफ जर्नलिस्ट्स (डीयूजे) और इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन (आईजेयू) इत्यादि द्वारा किया गया था, जिस में कई मुख्य मीडिया पर्सनैलटीज भी शामिल थीं.

दरअसल, 28 जनवरी को उत्तर प्रदेश पुलिस और मध्य प्रदेश पुलिस ने ‘द कारवां’ के मुख्य संपादक परेश नाथ, संपादक अनंत नाथ और कार्यकारी संपादक विनोद के. जोस के साथ ‘नेशनल हेराल्ड’ की सीनियर कंसल्टिंग एडिटर मृणाल पांडे, ‘इंडिया टुडे ग्रुप’ के सीनियर पत्रकार राजदीप सरदेसाई, ‘कौमी आवाज’ के एडिटर जफर आगा, सांसद शशि थरूर द्वारा 26 जनवरी, 2021 को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के दौरान एक किसान की मौत पर असत्यापित ट्वीट करने के आरोप में यह एफआईआर दर्ज किया.

carvaan news

उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा सेडिशन के साथ अन्य आरोप लगाए गए हैं, जबकि एमपी पुलिस ने दुश्मनी को बढ़ावा देने का मामला दर्ज किया है.

बता दें, उन पर भारतीय दंड सहिता 1860 के तहत 124ए (देशद्रोह), 153ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 153बी (राष्ट्रीय-एकीकरण के लिए पूर्वाग्रह से जुड़े दावे) और अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. इस मामले में कुल 11 धाराएं लगाई गई हैं, जिस में से 10 भारतीय दंड सहिता 1860 के तहत अंगरेजी हुकूमत से चलती आ रही हैं, जिस का विरोध समयसमय पर मानवाधिकारियों द्वारा होता रहा है. जिस पर आरोप लगता रहा है कि यह सरकार द्वारा अपने खिलाफ उठ रही आवाज को दबाने की साजिश का हिस्सा रहता है.

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उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बाद इस सिलसिले में इन के खिलाफ मामलों को आगे बढ़ाने वाला हरियाणा तीसरा राज्य बन गया है. ध्यान देने वाली बात यह है कि तीनों राज्यों में भाजपा सत्ता में है, वहीं केंद्र के अधीन दिल्ली पुलिस द्वारा भी इस के तहत मामला दर्ज किया जा चुका है.

पत्रकारों पर लगाए गए इन संगीन आरोपों के खिलाफ ‘एडिटर गिल्ड औफ इंडिया’ की तरफ से 29 जनवरी को एक प्रैस स्टेटमेंट भी जारी किया गया था, जिस में उन्होंने विभिन्न भाजपाई राज्यों के प्रशासन द्वारा किए गए इस कृत्य की कड़े शब्दों में निंदा की, जिस में उन्होंने यह मांग की, “एफआईआर को तुरंत वापस लिया जाए और मीडिया को बिना किसी भय और स्वतंत्रता के साथ रिपोर्ट करने की अनुमति दी जाए.”

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उन्होंने आगे कहा, “हम अपनी पहले की मांग पर भी फिर से जोर देते हैं कि उच्च न्यायपालिका इस तथ्य को गंभीरता से संज्ञान में लें कि ‘देशद्रोह’ जैसे कानूनों का इस्तेमाल अकसर फ्रीडम औफ स्पीच को बाधित करने के लिए किया जाता है, जिस पर यह सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश जारी करें कि ऐसे कानूनों का उपयोग स्वतंत्र मीडिया के लिए उचित नहीं है.”

30 जनवरी को मीडिया से जुड़े यूनियनों ने इस विषय पर प्रैस कौंफ्रेंस की, जिस में अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ इस प्रकार के संगीन सेडिशन जैसे आरोपों का विरोध किया व प्रैस स्टेटमेंट जारी किया.

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‘प्रैस क्लब औफ इंडिया’ के प्रैसिडेंट आनंद किशोर सहाय ने प्रशासन की इस कार्यवाही का विरोध किया और कहा, “सेडिशन एक ऐसा कानून है, जिस की जगह दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक देश में नहीं होनी चाहिए.”

वे कहते हैं, “यह पहली बार नहीं है, जब पत्रकारों के साथ ऐसा हो रहा हो, इस से पहले भी विनोद दुआ, प्रशांत कनौजिया व अन्य के खिलाफ सेडिशन का चार्ज लगाया जा चुका है.

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साल 2017-18, नेशनल कमीशन फौर रिसर्च पुलिस ब्यूरो के अनुसार, लगभग 70-80 लोगों पर हर साल सेडिशन का चार्ज लगाया जा रहा है. 20 राज्यों में लगभग 55 पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज हैं. कई मामले ऐसे हैं, जिन में पत्रकारों पर यूएपीए जैसे खतरनाक कानून लगाए गए हैं, जिन में बेल तक संभव नहीं है.”

एडिटर गिल्ड की प्रैसिडेंट सीमा मुस्तफा कहती हैं, “सेडिशन का कानून, जिसे पहले ही रद्द कर दिया जाना चाहिए था, उसे बेधड़क डराने और उत्पीड़ित करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि कोई सवाल न उठाया जा सके.”

वे आगे कहती हैं, “हर कोई पत्रकार जो फील्ड पर हैं, कनफ्लिक्ट कवर कर रहे हैं, जो सड़क पर हैं, हर किसी को पता है कि गलतियां हो सकती हैं. जब आप चश्मदीदों को आधार बना कर अपनी रिपोर्टिंग करते हैं, चाहे वह असम के गृह युद्ध में हो, 84 के दिल्ली दंगों में हो, उत्तर प्रदेश व बिहार की जातीय हिंसा पर हो, आप जानते हैं कि आप उन्हीं चश्मदीदों के बयान के आधार पर ही रिपोर्ट बना रहे हैं.

“आज के समय में जल्द से जल्द रिपोर्ट बनाने की होड़ है. इस में गलतियों की संभावना हो सकती है, लेकिन उस पर सेडिशन जैसा कानून लगा देना क्या सही है? जबकि यह पता हो कि बिना किसी सुनवाई के इस केस में आप को बंद किया जा सकता है.”

सीमा मुस्तफा कहती हैं, “यह सब इसीलिए हो रहा है ताकि पत्रकारों को डराया, धमकाया और उत्पीड़ित किया जा सके. इस के साथसाथ पेशेगत रूप से काम कर रहे इसी फील्ड के लोगों को आतंकित किया जा सके. आज एक फेसबुक पोस्ट से 3 जर्नलिस्ट्स पर ऐसे केस डाल दिए हैं, वहीं एक ट्वीट के कारण सेडिशन के चार्ज लगा दिए हैं. यह एक पैटर्न है, जिस का संदेश साफ है कि चुप हो जाओ.”

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दिल्ली यूनियन औफ जर्नलिस्ट्स (डीयूजे) के प्रैसिडेंट एसके पांडे का मानना है कि प्रशासन की पत्रकारों पर यह कार्यवाही अघोषित आपातकाल का प्रतीक है. वे कहते हैं, “लोग पहले भी आपातकाल की स्थिति देख चुके हैं, हम और भी बदतर स्थिति की तरफ आगे बढ़ रहे हैं, जहां अगर आप उन शक्तियों के खिलाफ आवाज उठाते हैं, तो उन के द्वारा आप पर निशाना बनाया जाएगा. चाहे वह देशद्रोह के माध्यम से हो, या एफआईआर दर्ज करने के माध्यम से, ताकि आप लड़ने की इच्छा खो दें या मजबूर महसूस करें.”

भारतीय महिला प्रैस कोर (आईडब्लूपीसी) से विनीता कहती हैं, “सरकार और पत्रकारों की आपस में कभी दोस्ती नहीं हो सकती. पत्रकारों का काम सरकार को आईना दिखाना है. मैं सीपीजी का डेटा देख रही थी तो पता चला कि इजिप्ट, टर्की, चाइना और सऊदी अरबिया इन देशों में सब से ज्यादा पत्रकारों को जेल होती है और अब मुझे लगता है कि भारत भी उस लिस्ट में जल्द ही शामिल होने वाला है. अगर आप एक ट्वीट पर सेडिशन जैसा चार्ज लगाते हैं, तो आप पूरे जस्टिस सिस्टम का मजाक उड़ा रहे हैं. पुलिस को पत्रकारों पर तुरंत कोई न कोई सेक्शन ठोकने में एक मिनट का भी समय नहीं लगता. सरकार के पास ही अपने फोरम हैं, वे प्रैस कौंसिल, प्रैस एसोसिएशन में जा सकते हैं, जहां पर वो किसी पत्रकार की शिकायत कर सकते हैं. लेकिन इस में तो कोई सड़क चलता आदमी किसी भी पत्रकार पर सेडिशन जैसा चार्ज लगा देगा.”

वे आगे कहती हैं, “हम कुछ समय से लगातार ही एक तरीके का पैटर्न देख रहे हैं. ऐसा लगता है कि सरकार ने पहले से ही चुनचुन कर लोगों को सलैक्ट किया हुआ है, जिन की एक गलती पर ही उन पर इस तरह से चार्जेज लगा दें. अगर हम सरकार की तारीफ और प्रशंसा के पुल नहीं बांध रहे तो हम आप के लिए बुरे हैं. हाल ही में उत्तर प्रदेश में ठंड में ठिठुरते बच्चों की सही रिपोर्टिंग करने के आरोप में 2 पत्रकारों पर यूएपीए का चार्ज लगा दिया. आप ने तो पूरे लौ सिस्टम का ही मजाक बना दिया है.”

इस बीच पत्रकार राजदीप सरदेसाई, जो उन पत्रकारों में से एक हैं, जिन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, ने भी देशद्रोह कानूनों के उदारवादी उपयोग की बात की और आलोचना की. उन्होंने कहा, “आप जम्मूकश्मीर या मणिपुर में पत्रकार हैं या कांग्रेसशासित राज्य में, राजद्रोह पत्रकारों के खिलाफ अस्वीकार्य आरोप है.”

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हम ने इस पूरे मामले को ले कर एसएन सिन्हा से बात की, जो आल इंडिया वोर्किंग न्यूज कैमरामेन एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं. उन्होंने कहा, “जर्नलिस्ट आर नौट टेररिस्ट. जर्नलिस्ट का काम अथोरिटी से सवाल पूछना है. अगर हम सवाल पूछते हैं, तो हम पर सेडिशन का चार्ज लगा दिया जाता है. यह पूरा मामला कुछ इस प्रकार का है कि एक समय पर 4 तरह की खबरें आती हैं, हो सकता है कि एक वक्त तक आप को वह खबर लगे, लेकिन अंत में वह खबर न लगे, सेडिशन तो फिर भी नहीं बनता है. सेडिशन का कानून केवल लोगों को डराने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, ताकि वह सवाल न उठाए.”

वे आगे कहते हैं, “पहले के समय भी सरकारों ने इस कानून का इस्तेमाल किया है, पत्रकारों को चुप कराने के लिए पहले भी इस तरह के हथकंडे उपयोग किए गए हैं. लेकिन साल 2014 के बाद एक नया ट्रेंड चला है, जिस में सरकार दूसरी आवाज को सुनने को तैयार नहीं है. यह एक तरह से अथोरिटेरियन (अधिनायक) सरकार का स्टाइल है. पहले की सरकारें तो फिर भी लोगों की सुन लेती थीं, लेकिन यह सरकार तो किसी की भी सुनने को तैयार ही नहीं है.”

बता दें कि एसएन सिन्हा इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

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वहीं हमारी बात जब सीनियर पत्रकार आशुतोष से हुई, तो उन्होंने बताया, “सेडिशन का चार्ज लगा कर सरकार पत्रकारों को दबाने का काम कर रही है. लेकिन अगर पत्रकार डर गए, तो लोकतंत्र सुरक्षित नहीं रहेगा. जो लोग सरकार के साथ हैं, उन पर किसी तरह का कोई ऐक्शन नहीं लिया जाता. वो चाहे सांप्रदायिकता फैलाएं, माइनौरिटीज को टारगेट करें, झूठ फैलाएं, नफरत का वातावरण पैदा करें, उन के खिलाफ कहीं कोई कानून नहीं है. जो सरकार के भोपूं बन जाएं वो फ्रीली घूम सकते हैं.”

वे आगे कहते हैं, “हमारे बीच के कुछ साथी सरकारी भोपूं बन चुके हैं, जिन्हें कुछ न कुछ फायदा सरकार से मिल ही रहा है. हम सरकार की चमचागिरी करने के लिए नहीं हैं, हम उन के अच्छे काम गिनवाने के लिए नहीं हैं, हम यह बताने के लिए हैं कि आप (सरकार) कहां क्या गलत कर रहे हैं.

बता दें कि इस कौंफ्रेंस में कई नामी और वरिष्ठ पत्रकार व वकील शामिल हुए, जिन में एनडीटीवी के मनोरंजन भारती व श्रीनिवास जैन, जय शंकर गुप्ता, शेखर गुप्ता, संजय हेगड़े व अन्य इत्यादि थे.

सरकार द्वारा निष्पक्ष पत्रकारिता कर रहे पत्रकारों पर उत्पीड़न मुखर होता जा रहा है. इस का ज्वलंत उदाहरण हमारे सामने है. स्वतंत्र व ‘द कारवां’ के लिए लिखने वाले पत्रकार मंदीप पुनिया की घटना इसी की ही जीतीजागती मिसाल है. 30 जनवरी की शाम को किसानों के आंदोलन को लगातार कवर कर रहे मंदीप को दिल्ली पुलिस ने रात को धरनास्थल से ही गिरफ्तार कर लिया. उन के खिलाफ सेक्शन 186, 323 और 353 के तहत आरोप दर्ज किया गया है. इस के पहले एक अन्य पत्रकार धर्मेंद्र को भी हिरासत में लिया गया था, जिन्हें सुबह 5:30 बजे छोड़ा गया, लेकिन मंदीप अभी भी पुलिस हिरासत में ही हैं. जिस के बाद सरकार के इस दमन के खिलाफ अब पत्रकार समूहों से विरोध होना शुरू हो चुका है.

जावेद अख्तर मामले में कंगना को मिला समन, गुस्से में कहा – ‘गीदड़ों की फौज’

बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत आए दिन सुर्खियों में बनी रहती हैं. कुछ दिन पहले रिया चक्रवर्ती वाले मामले में तो वहीं अब कंगना के सर पर एक और समन आ गया है. कंगना रनौत को जावेद अख्तर मानहानी मामले में पेश होने के लिए मुंबई के कोर्ट से समन आया है.

जावेद अख्तर का बयान लेने के बाद कोर्ट ने जुहू में पुलिस को कारवाई करने का आदेश दे दिया है. पिछले हफ्ते ही पुलिस ने अपनी जांच के बाद रिपोर्ट पेश किया है. इसके बाद पुलिस ने तुरंत कंगना रनौत को आदेश दिया है पेश होने के लिए . जिसके बाद कंगना ने बिना सोचे समझे अपने ट्वीटर पर ट्विट करते हुए लिखा है गीदड़ों की फौज.

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दरअसल, बीते हफ्ते जावेद अख्तर ने ये कहते कंगना के खिलाफ केस दर्ज करवाया है कि वह जाबुझकर उन्हें बदाम करने की कोशिश कर रही हैं. उन्होंने कहा मैं पिछले 25 साल से इस इंडस्ट्री का हिस्सा हूं. कंगना ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह जावेद अख्तर और ऋतिक रौश के खिलाफ केस वापस लेने की बात कही थी.

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कंगना ने सुशांत के मौत के बाद टीवी पर कई आपत्तिजनक बाद कही थी जावेद अख्तर के खिलाफ. इस बयान से जावेद अख्तर आहत हो गए थें. जिसके उन्होंने अपनी बातों को रखते हुए ये बयान दिया था. जावेद अख्तर अपनी बदनामी नहीं चाहते थें इसलिए उन्होंने ऐसा कदम उठाया है. इस मामले पर सुनवाई 1 मार्च को होगी.

दीपिका की नई तस्वीर को देख फैंस ने पूछा सवाल, क्या मां बनने वाली हैं आप ?

दीपिका पादुकोण इनदिनों अपने प्रोजेक्ट्स को लेकर चर्चा में बनी हुई हैं. इसके साथ ही दीपिका अपनी लेटेस्ट तस्वीर को लेकर भी खूब सुर्खियां बटोर रही हैं. अपनी नईतस्वीर की वजह से दीपिका पादुकोण ने अपने फैंस को सोचने पर मजबूर कर दिया है.

दीपिका ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अपनी एक पिक्चर पोस्ट की हैं. जिसमें वह अपनी पेट की तरफ निहारती नजर आ रही हैं. इस तस्वीर में दीपिका बेहद ज्यादा खूबसूरत लग रही हैं. वहीं एक्ट्रेस की इस तस्वीर को देखकर फैंस उनके प्रेंग्नेंसी का अंदाजा लगाने लगे हैं. साथ ही जल्द खूशखबरीमिलने की आशा कर रहे हैं.

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दरअसल पिछले साल बॉलीवुड के कई सितारों ने अपने फैंस को खुशखबरी दी है. जिसे देखते हुए लोग कयास लगा रहे हैं कि दीपिका पादुकोण भी अपने फैंस को जल्द खुशखबरी देने वाली हैं. बता दें कि अनुष्का शर्मा और करीना कपूर ने अपनी प्रेग्नेंसी की खबरों से अपने फैंस को खुश किया है.

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जिसके बाद अब लोगों की निगाह दीपिका पादुकोण की तरफ है कि कब वह खुशकबरी देने वाली हैं. दीपिका पादुकोण की नई तस्वीर ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. खैर अगर कुछ ऐसा होगा तो जल्द ही फैंस को खुशखबरी मिल जाएगी.

दीपिका पादुकोण अपनी तस्वीर में बला की खूबसूरत लग रही हैं , तस्वीर में वो नीचे देखते हुए शर्माती नजर आ रही हैं. जिसे देखकर फैंस कयास लगा रहे हैं कि दीपिका मां बनने वाली हैं. वहीं बात करें दीपिका के वर्कफ्रंट की तो दीपिका कई नए प्रोजोक्ट्स पर काम करती हुई नजर आ रही हैं.

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वहीं पिछले महीने दीपिका अपने पति रणवीर सिंह के साथ राजस्थान में नए साल की सेलिब्रेशन करती नजर आई थी. दीपिका अपने नए लुक्स से अपने फैंस को खुश करती रहती हैं. वहीं इन दोनों कपल को खूब पसंद किया जाता है.ok

 

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