लेखक- रोहित और शाहनवाज 

पंजाब में हुए एमसी चुनाव ने देश के बाकी राज्यों के लिए कुछ मिसाल छोड़ी है. यह मिसाल उस महंगाई, बेरोजगारी, खराब होती अर्थव्यवस्था और आम लोगों के मुद्दों को सरकार द्वारा नकारने के खिलाफ था जो यहां के शहरी लोगों ने भाजपा के खिलाफ मैंडेट देकर साबित किया. इस मैंडेट को कांग्रेस के भारी समर्थन के तौर पर समझना फिलहाल जल्दबाजी होगी. लेकिन यह तय है की यहां शुद्ध तरीके से भाजपा व उसके पूर्व सहयोग में रहे दल के खिलाफ था. कृषि कानूनों के भवर के अतिरिक्त यह उस बिगड़ती अर्थव्यवस्था के खिलाफ भी था जो पिछले 7 सालों की भाजपा की नकमियाबीयों का नतीजा था.

पढ़े-लिखे युवा आज घरों में खाली बैठने को मजबूर है. जिन की दुकानें व छोटे-मोटे व्यापार है, वह किसी तरह से अपना समय काट रहे हैं. यहां शहरों में नौकरियों का भारी अकाल है. युवा यहां से दूसरे बड़े महानगरों की ओर बढ़ रहे हैं लेकिन वहां से भी उन्हें निराशा हाथ लग रही है. शहरों के बाजार एकदम ठंडे पड़े हैं. जो चहल पहल पहले हुआ करती थी वह अब नहीं रही.

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मोगा के जिस गेस्ट हाउस में हम रुके थे वह चेंबर रोड पर स्थित शहीदी पार्क के ठीक अगली वाली 9 नंबर की गली के दाएं हाथ पर था. गेस्ट हाउस के मालिक का कहना था कि "अब होटल लाइन बहुत ही ठंडे पड़ गए हैं. पहले जो रौनक हुआ करती थी अब वह नहीं रह गई है. बिल्कुल ही फीकी पड़ गई है."

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