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कोरोना और मेरे अपने : भाग 1

दोपहर के एक बजे दरवाजे पर आहट हुई. मैं ने बेड से उठ कर देखने की कोशिश की, पर रोमरोम जैसे दर्द में जकड़ा था, ऐसा दर्द तो कभी भी नहीं हुआ था कि शरीर हिलते ही जान निकलने जैसा लगे. दरवाजे के पास जो स्टूल रखा है इन दिनों, उसी पर ही सीमा ने ग्लव्स पहने हुए हाथ से खाने की प्लेट रखी, कहा, ”कुछ और चाहिए तो फोन कर लेना. लिविंग रूम में ही बैठ कर टीवी देख रही हूं,‘’ मैं ने दर्द में जकड़ा हाथ उठा कर हिला दिया. सीमा चली गई. मेरे पास रखा फोन बजा तो मैं ने गरदन बड़ी मुश्किल से हिलाई. सुमन भाभी का फोन था. उन का नाम देखते ही मेरी आंखों के कोरों से आंसू बह निकले. जब से मुझे कोरोना हुआ है और मैं इस कमरे में बंद हूं, भाभी को चैन नहीं आ रहा. आंसू में डूबी उन की आवाज जैसे मेरे दिल की हर चोट को, मेरे तनमन के दर्द को एक आराम सा  पहुंचा जाती है. इस समय मेरी हिम्मत बात करने की नहीं थी, गला बहुत दुख रहा था, पर भाभी की आवाज सुनने का मोह न छोड़ पाया. मैं ने फोन उठा ही लिया, जैसे ही ‘हेलो’ कहा, भाभी का स्नेह से भरा स्वर जैसे मेरी आत्मा को ठंडक पहुंचा गया, ”बिट्टू, कैसे हो? बेटा, आज कुछ आराम हुआ?”

”भाभी, अभी तो नहीं.” ”आवाज से लग रहा है कि गला बहुत खराब है.‘’”हां भाभी,” कहते हुए मुझे खांसी शुरू हो गई, तो भाभी का भीगा सा स्वर सुन मुझे बहुत तेज रोने का मन हुआ. ”बिट्टू, कुछ भी मसालेदार मत खाना, गले में लगेगा. कुछ हलका ही खाना. लंच क्या किया?”

”अभी देखा नहीं, सीमा प्लेट तो रख कर गई है, अभी उठा नहीं देखने.‘’ ”अच्छा, तुम खाना खा लो, फिर बात करती हूं. और हां, तुम्हें दूध वाला दलिया पसंद है न, वह खा लेना. सीमा को बहुत देर से फोन कर रही हूं, उठा नहीं रही है, वो तो ठीक है न?”

”हां भाभी, वो ठीक है.‘’ भाभी ने फोन रख दिया. अभी तो वे कई बार मेरा हालचाल पूछती रहेंगी. और उन्हें याद है कि मुझे दलिया पसंद है, सीमा कैसे भूल गई.

मैं वाशरूम जाने के लिए उठा तो टांगें कांप गईं. शरीर का यह दर्द तो सहन ही नहीं हो रहा. महसूस हुआ कि मुझे फीवर भी है, मेरी नजर पानी के जग पर पड़ी, खाली हो गया था. मैं ने बेड पर बैठेबैठे सीमा का नंबर मिलाया, आवाज देने लायक तो मैं हूं ही नहीं. फोन नहीं उठा तो जरा सा दरवाजा खोला तो टीवी चल रहा था. सीमा और हमारे दोनों युवा बेटे अनिल और सुनील टीवी देख रहे थे. अनिल की नजर मुझ पर पड़ी, तो उस ने रिमोट से टीवी म्यूट किया और पूछा, ”पापा, कुछ चाहिए?”

”हां, पानी.‘’ सीमा ने कहा, ”अनिल, जग भर दो और तुम ने खाना खा लिया? कैसे लगे छोले?” ”अब खाऊंगा, भाभी का फोन आ गया था.”  मुझे खड़े होने में बहुत परेशानी हो रही थी. मैं अपने दरवाजे के पास रखी चेयर पर ही बैठ गया.

अनिल ने पानी से भरा जग दरवाजे के पास ही रख दिया था. सीमा ने मुंह बना कर कहा, ”अपने बहनभाई से बात करते हुए गला नहीं दुखता तुम्हारा? हम से तो बात भी नहीं की जा रही है तुम से.”

मैं ने एक ठंडी सांस ले कर कहा, ”तुम लोग इतने बिजी हो. तुम लोगों से उठउठ कर बात करने के लिए बारबार आ भी तो नहीं सकता. तुम लोग ही दरवाजे के बाहर से बात कर लिया करो. जरा अच्छा लगेगा.’’

वह बोली, ”मतलब, बाहर खड़े हो कर तुम से गपें मारते रहें? हमें और भी काम होते हैं, विनय. तुम्हें आराम ही तो करना है, फिर क्या परेशानी है.” पानी मिल गया तो मैं वापस दरवाजा बंद कर हाथ धो कर खाने बैठ गया. पहला टुकड़ा चखते ही तेज खांसी उठी. थोड़ाथोड़ा लगा कर किसी तरह एक रोटी खाई, खाना भी जरूरी था, क्योंकि दवाएं लेनी थीं, फिर सीमा को फोन किया, इस बार उस ने देख लिया और बाहर  खड़े हो कर पूछ लिया, ”खाया…?”

”हां.‘’ ”कैसे लगे छोले, तुम्हारे लिए रोटी बना दी थी. हम लोगों ने तो भठूरे खाए, अच्छा लगा खाना?””खाया नहीं गया, पता नहीं, कुछ टेस्ट तो आ नहीं रहा है आजकल.’’

”विजय, तुम्हारे नखरे कम नहीं हुए बीमारी में भी. हर वक्त तुम्हें कुछ न कुछ  चाहिए ही होता है…?” ”एक चम्मच कुछ  सौंफ ही दे दो.‘’ सीमा ने मुझे सौंफ का डब्बा ही दे दिया, ”अपने पास ही रख लो, बाद में तो सब सेनिटाइज होना ही है, अब तुम सो जाओ.‘’

Kitchen Garden Part 2: किचन गार्डन में काम आने वाले यंत्र

अगर हम किचन गार्डन में सब्जियां या फल उगाने जा रहे हैं, तो उस के लिए काम आने वाले यंत्रों की भी जरूरत पड़ती है, जिस से किचन गार्डन का काम आसान बनाया जा सकता है. किचन गार्डन में गुड़ाई के लिए कुदाल और फावड़ा को जरूरी यंत्रों में शामिल किया जा सकता है. इस के अलावा निराई के लिए खुरपी, पानी देने के लिए पाइप और फव्वारा के साथ दरांती, टोकरी, बालटी, सुतली, बांस या लकड़ी का डंडा, एक छोटा स्प्रेयर जैसी चीजों की भी जरूरत पड़ती है, जो आसानी से नजदीक के बाजार से खरीदी जा सकती हैं.

आप भी बना सकते हैं और्गेनिक खाद अगर आप को जैविक या कंपोस्ट खाद मौके से बाजार में न भी मिले तो चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि हम खुद ही घर पर जैविक और कंपोस्ट खाद बना कर न केवल बाजार पर निर्भरता कम कर सकते हैं, बल्कि पैसों की बचत भी कर सकते हैं. इस के लिए हम घर से निकलने वाले कूड़ेकरकट, सब्जियों के छिलकों, रेत मिट्टी व थोड़ी मात्रा में गोबर की जरूरत पड़ती है. कंपोस्ट खाद बनाने के लिए हम जमीन में एक गहरा गड्ढा खोद सकते हैं या मिट्टी के बड़े गमले का प्रयोग भी कर सकते हैं. सब से पहले इस गड्ढे या गमले के तले में मिट्टी की मोटी परत बिछाई जाती है. इस के ऊपर किचन से निकलने वाले सब्जियों और फलों के मुलायम छिलके और पल्प डाला जाता है.

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इस के बाद ही ऊपर से मिट्टी की मोटी परत डाल कर ढक दिया जाता है. 15-20 दिन में यह खाद इस्तेमाल के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाती है. ऐसे करें बीज की बोआई और पौधों की रोपाई किचन गार्डन में कुछ सब्जियों को सीधे बीज द्वारा बो कर उपजाया जा सकता है, तो कुछ के पौधों को नर्सरी में तैयार किए जाने के बाद रोपा जाता है. जिन सब्जियों की मिट्टी में सीधे बोआई की जाती है, उन में करेला, बींस, लौकी, घीया, तोरई, कद्दू, लहसुन, प्याज, ककड़ी, पालक, अरवी, लोबिया, खीरा, मूली, धनिया, चौलाई, अजवायन, तुलसी जैसी फसलें शामिल की जा सकती हैं. जिन सब्जियों के पौधों की रोपाई करनी पड़ती है, उस में फूल व पत्ता गोभी, टमाटर, बैगन, परवल, सौंफ, पुदीना, हरी मिर्च, शिमला मिर्च जैसी तमाम सब्जियां शामिल हैं.

सीधे बोआई की जाने वाली सब्जियों की बोआई मेंड़ या क्यारी बना कर की जानी चाहिए. धनिया, प्याज, पुदीना को गार्डन में आनेजाने के रास्तों के बगल और मेंड़ पर उगाया जा सकता है. जिन सब्जियों के पौधों की रोपाई करनी होती है, उन्हें किसी विश्वसनीय नर्सरी से ही लेना उचित होता है. आप ने अपने किचन गार्डन में जिन सब्जियां की बोआई कर रखी है, उन में कोशिश करें कि हर 15 दिन पर फसल को और्गेनिक खाद मिलती रहे. इस के अलावा फसल में सही नमी बनाए रखने के लिए समय से सिंचाई करते रहना भी जरूरी है. गरमियों में सिंचाई पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है. कोशिश करें कि फसल में खरपतवार न उगने पाएं, इसलिए नियमित रूप से खरपतवार निकालते रहें.

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रखें सावधानी किचन गार्डन की शुरुआत करने के पहले कुछ सावधानियों को बरतने की खास जरूरत होती है, इसलिए अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से इस की जानकारी ले सकते हैं. देशभर में बनाए गए ज्यादतर कृषि विज्ञान केंद्र शहरों से सटे हुए हैं, जहां गृह विज्ञान और किचन गार्डन से जुड़े ऐक्सपर्ट भी होते हैं. इन से जानकारी ले कर किचन गार्डन में सब्जियां उगाना ज्यादा फायदेमंद होता है. इस के अलावा कृषि महकमे की वैबसाइटों, आईसीएआर की वैबसाइट से भी जानकारी ली जा सकती है. कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती के विशेषज्ञ राघवेंद्र विक्रम सिंह का कहना है कि किचन गार्डन में लगाई जाने वाली सब्जियों की उचित बढ़वार के लिए खुली धूप मिलना जरूरी है, इसलिए हमें घर बनाने का प्लान करते समय इन चीजों का ध्यान रखना चाहिए. घर बनाते समय उस के आसपास की मिट्टी में कंकड़पत्थर की मात्रा बढ़ जाती है, जिसे गुड़ाई कर निकाल कर मिट्टी को भुरभुरा बना लेना उचित होता है.

हम जिन सब्जियों के बीज को सीधे मिट्टी में बो रहे हैं, उन्हें बोआई के पूर्व में ही जैव फफूंदनाशी व जैव कल्चर से उपचारित कर लेना चाहिए. इस के अलावा बेल वाली सब्जियों जैसे लौकी, तोरई, करेला, खीरा आदि को दीवार के सहारे छत के ऊपर ले जा सकते हैं. इस से बाकी जमीन पर लताएं नहीं फैलती हैं और खाली जमीन पर हम दूसरी सब्जियों की बोआई कर सकते हैं. सब्जियों की सालभर उपलब्धता बनी रहे, इस के लिए हमें सब्जियों के चयन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. गार्डन बनाने के फायदे कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती के विशेषज्ञ राघवेंद्र विक्रम सिंह का कहना है कि किचन गार्डन में सब्जियां और फलफूल से यह न केवल हर समय ताजा मिलती है, बल्कि घर के आसपास की खाली भूमि का सदुपयोग हो जाता है. इस से सब्जियों और फलफूल के ऊपर होने वाले खर्च की पूरी तरह से बचत हो जाती है.

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इस के साथ ही हमारी बाजार की सब्जियों पर निर्भरता कम होने से सब्जी खरीदने में होने वाले समय की भी बचत हो जाती है. उन का कहना है कि किचन गार्डन में घर के व्यर्थ पानी और कूड़ेकरकट का उपयोग भी हो जाता है. विशेषज्ञ राघवेंद्र विक्रम सिंह का कहना है कि किचन गार्डन आप को कुदरत के और भी करीब लाता है और सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होता है, क्योंकि पौधे की देखभाल करने में आप को संतुष्टि मिलती है तनाव कम होता है. इस के साथ ही रसायनमुक्त सब्जियां होने से सेहत भी अच्छी रहती है.

राघवेंद्र विक्रम सिंह के अनुसार, किचन गार्डन में हम ऐसे कई पौधे उगा सकते है, जिस से मच्छर को भगाने में मदद मिलती है. ये पौधे दूसरी तरह के कीड़ों को भी भगाने में कारगर होते हैं. इस में गेंदा, लेमनग्रास, तुलसी, नीम, लैवेंडर, रोजमेरी, हौर्समिंट, सिट्रोनेला जैसे पौधे प्रमुख हैं. अगर आप भी चाहते हैं कि बाजार से आने वाली पैस्टीसाइड मिले हुए बासी फल, सागसब्जियों की जगह ताजे फल व सब्जियां मिलती रहें, तो इस में किचन गार्डन विधि आप के लिए सब से कारगर साबित हो सकती है.

मेरे पापा 52 साल के हैं, 3 साल से उन का डायलिसिस चल रहा है, क्या उनके लिए किडनी ट्रांसप्लांट ठीक रहेगा?

सवाल

मेरे पिताजी की उम्र 52 वर्ष है. 3 वर्षों से उन का डायलिसिस चल रहा है. क्या उन के लिए किडनी प्रत्यारोपण ठीक रहेगा?

जवाब

किडनी का मुख्य कार्य व्यर्थ पदार्थों को यूरिन में बदल कर शरीर के बाहर निकालना होता है. जब किडनी अपनी क्षमता खो देती है, तो व्यर्थ पदार्थ शरीर में एकत्र होने लगते हैं, जो जीवन के लिए खतरा हो सकते हैं. ऐसी स्थिति में डाक्टर डायलिसिस या गुरदा प्रत्यारोपण की सलाह देते हैं.

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ज्यादातर लोग गुरदा प्रत्यारोपण करा सकते हैं. इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन की उम्र क्या है. यह प्रक्रिया उन सब के लिए उपयुक्त है, जिन्हें ऐनेस्थीसिया दिया जा सकता है और कोई ऐसी बीमारी नहीं है, जो औपरेशन के बाद बढ़ जाए जैसे कैंसर आदि. हर वह व्यक्ति गुरदा प्रत्यारोपण करा सकता है, जिस के शरीर में सर्जरी के प्रभावों को सहने की क्षमता हो.

गुरदा प्रत्यारोपण की सफलता की दर दूसरे प्रत्यारोपण से तुलनात्मक रूप से अच्छी होती है. जिन्हें गंभीर हृदयरोग, कैंसर या एड्स है, उन के लिए प्रत्यारोपण सुरक्षित और प्रभावकारी नहीं है.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem

कोरोना और मेरे अपने

धर्म के नाम पर बंटता देश

सनातन धर्म, हिंदू राष्ट्र, विश्वगुरू, ङ्क्षहद-मुसलिम, मंदिर, आरतियों, तीर्थों की बात करने वाले रातदिन बखान करते रहते हैं कि धर्म ही समाज को पटरी कर रखता है और अगर धर्म, पाप, पुण्य को लोग भूल जाएं तो पूरा समाज अंधेरा राज बन जाएगा. बारबार कहा जाता है कि सरकार मंदिर बनवा कर, कुंभ करा कर, अयोध्या को बनवा कर लोगों को सही रास्ते पर ला रही है सुधार रही है, उन्हें दूसरों के लिए जीना सिखा रही है.

पर असलीयत दिख रही है. उत्तर के दक्षिण तक हर जगह कोविड बिमारों को लूटने की हर कोशिश की जा रही है. कोविड के लिए जरूरी शर्मामीटरों की बालाबाजारी होने लगी है. औक्सीजन नापने के औक्सीलीटरों का दाम कहीं का कहीं पहुंच गया है. बिमारों को अस्पताल तक चंद किलोमीटर  ले जाने वाले एंबुलैंस वाले हजारों रुपए पहले ही धरा लेते हैं.

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अस्पतालों में बैड अब ब्लैक में बिल रहे हैं. दिल्ली के दयाल औप्टीकल के मालिक के यहां औक्सीजन कंसट्रेटर पकड़े गए जो ब्लैक में ऊंचे दामों में बेचे जा रहे थे. शमशान तक में जगह रिश्वत दे कर मिल रही है.

यह कैसा धर्म है जो बिमार और मरने वाले के लिए भी दया नहीं पैदा करता. क्या इसी धर्म के लिए लोगों को कहा जाता है कि दूसरे धर्म वाले का सिर फोड़ दो.

भारतीय जनता पार्टी जो दूध की धुली मानी जाती है, आज भी अपने लोगों को सेवा के लिए तैयार नहीं कर पा रही. कोविड विचारों के कहीं भी पार्टी के एक करोड़ मेंबर सेवा करते नजर नहीं आ रहे. बिमारों के लोग कभी साईकल पर ले जा रहे हैं, कभी 2 पहिए वाली बाइक पर. सरकार को अभी भी दिल्ली में आलीशान संसद भवन बनवाने की लगी हुई है, उस सरकार को जो दूसरों के भले के लिए बने खास धर्म को बीच बेच कर वोट पा कर बनी थी.

हर गले में 5-7 मंदिर बने हुए हैं. छोटे गांवों में भी बड़े मंदिर बने हुए हैं. हर मंदिर में 4-5 हट्टेकट्टे पुजारी हैं और 10-20 और आदमी औरतें हैं जो कहने को जनता को भगवान दिलाने का पुण्य कारण करते हैं पर इस आपदा के समय न तो कोविड बिमारों को वहां ठहरने दिया जा रहा है, न मंदिरों में भरा खजाना इस्तेमाल किया जा रहा है न पंडे पुजारी पीपीई किट पहने कोविड बिमारों या उन के रिश्तेदारों की सेवा करते नजर आ रहे हैं.

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लाखों घरों में चूल्हे नहीं जल पा रहे पर मजाल है कि मंदिर खाने के बने हों. वे लेना जानते हैं, देना नहीं. कुछ धर्म तो ऐसे हैं जो दूसरों की सेवा थोड़ी बहुत दिखावे के लिए करना सिखाते भी हैं पर ङ्क्षहदू धर्म तो ठहरा खास. यहां तो दूसरों के लेना ही सिखाया जाता है. कोविड का फायदा तो हवा करा कर, औक्सीजन टैंकरों की पूजा करा कर, अस्पताल में पंडितों को बुला कर शुद्ध कराने में उठाया जाता है और हर जगह पूजापाठी दुकानदारों को पैसा मिल रहा है. जान जोखिम में डाल कर कोई बिमारों की देखभाल के आगे नहीं आ रहा है.

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इसी खर्च के नाम पर देश को हिस्सों में बांट रखा है. हिंदू-मुसलिम तो अलग है हीं, हिंदू हिंदू भी अलग हैं. यह ब्राह्मïण है, यह वैश्य है, यह यादव है, यह चमार है, यह मंगी है जैसी बातें कोविड में भी कही जा रही हैं. हां कोविड जरूर सब घर बराबरी से हल्ला कर रहा है. कोविड कोई भेदभाव नहीं कर रहा, ऊंचनीच नहीं कर रहा. फर्क इतना है अमीर ऊंचे घरानों के औक्सीजन और अस्पताल के बेड के लिए हायहाय करते मर रहे हैं, गरीब निचली जातियों के बिना दवाइयों, बिना इलाज के खांसतेखांसते.

Ye rishta kya kehlata hai: कार्तिक को सीरत संग शादी का चैलेंज देगा रणवीर!

स्टार प्लस के सुपरहिट धारावाहिक ये रिश्ता क्या कहलाता है में एक मोड़ आने वाला है. धारावाहिक में अबतक लोगों ने देखा कि सीरत और कार्तिक की शादी कि रस्में चल रही हैं. इस शादी से कुछ लोग खुश हैं तो कुछ लोग के मुंह फूले हुए हैं.

कार्तिक और सीरत की शादी की जानकारी जब रणवीर को लगती है तो वह परेशान हो जाता है. रणवीर किसी भी किमत पर सीरत और कार्तिक को एक होते नहीं देखऩा चाहता है. लेकिन अब उसके पास कोई रास्ता नहीं बचता है.

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बता दें कि ये रिश्ता क्या कहलाता है के अगले एपिसोड़ में दर्शकों को जबरदस्त लडाई देखने को मिलने वाली है. जिसमें रणवीर कार्तिक को खुलेआम चैलेंज देता नजर आएगा कि वह कार्तिक और सीरत कि शादी नहीं होने देगा.

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कार्तिक को पता है कि रणवीर इस शादी के खिलाफ है लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा है कि अब वह क्या करें कार्तिक नहीं चाहता कि सीरत रणवीर से शादी करें. इस वजह से दोनों के बीच काफी ज्यादा लड़ाई होने वाली है.

कार्तिक सीरत से सिर्फ अपने बच्चों के लिए शादी करना चाहता है, बाकी वह दिल से नहीं चाहता है कि सीरत कार्तिक के पास जाए. रणवीर का चैलेंज सुनकर उसे बुरा लग जाएगा लेकिन वह बाद में ये सोचेगा कि अगर हम किसी को दिल से नहीं चाहते हैं तो शादी के सात फेरे लेने का क्या फायदा.

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अब देखना यह है कि रणवीर दिए हुए चैलेंज के बाद कार्तिक क्या फैसला लेता है. क्या वह वाकई सीरत से शादी करने से मना कर देगा.

KBC 13: अमिताभ बच्चन ने पूछा ये सवाल, जवाब मालूम हो तो आजमाएं अपनी किस्मत

टीवी दुनिया का सबसे लोकप्रिय शो कौन बनेगा करोड़पति के 13वें सीजन के एपिसोड की तैयारी हो चुकी है. शो के होस्ट इस बार भी हमेशा कि तरह अमिताभ बच्चन ही हैं. इस बार अमिताभ बच्चन ने सवाल पूछा है कि रूस की पहली कोविड वैक्सीन का नाम क्या है.

अगर आपको इस सवाल का जवाब मालूम है तो आप जवाब इस वीडियो के जरिए दे सकते हैं. अगर आपका जवाब सही हुआ और किस्मत ने जोर खाया तो आप कौन बनेगा करोड़पति का हिस्सा बन सकते हैं.  इस वीडियो को देखऩे के बाद आपको पता चल जाएगा कि इसका जवाब क्या होगा.

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इससे पहले भी केबीसी के कई सीजन आ चुके हैं जिसके होस्ट हमेशा कि तरह अमिताभ बच्चन ही रहे हैं. इस बार भी कोविड कि वजह से सीजन को शुरू करने में थोड़ी देर तो हुई लेकिन जल्द टीवी चैनल के माध्यम से इस शो को आप अपने घर बैठे ही देख पाएंगे. इस शो को देखने वाले फैंस की कमी नहीं है. लोग बड़ी संख्या में इस शो को देखना पसंद करते हैं.

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कुछ कंटेस्टेंट ऐसे भी आते हैं जो कई करोड़ जीतकर इस शो से जाते हैं. कंटेस्टेंट इस शो का इंतजार हर साल करते हैं. इसमें भाग लेने के लिए.

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अगर अमिताभ बच्चन के वर्कफ्रंट कि बात करें तो वह इन दिनों इस शो पर ज्यादा फोक्स कर रहे हैं. और आएं दिन सोशल मीडिया पर नए-नए पोस्ट शेयर करते रहते हैं.

योगी सरकार के कोविड प्रबंधन का कायल हुआ डब्‍ल्‍यूएचओ

लखनऊ . योगी सरकार के शानदार कोविड प्रबंधन पर एक बार फिर विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने मुहर लगा दी है. ग्रामीण इलाकों में राज्‍य सरकार के कोरोना के माइक्रो मैनेजमेंट का डब्‍ल्‍यूएचओ भी कायल‍ है. विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने अपनी वेबसाइट पर यूपी सरकार के कोविड प्रबंधन की खुल कर तारीफ की है.

डब्‍ल्‍यूएचओ ने यूपी के ग्रामीण इलाकों में कोरोना को रोकने के लिए  चलाए जा रहे महा अभियान की चर्चा करते हुए अपनी रिपोर्ट में बताया  है कि राज्‍य सरकार ने किस तरह से 75 जिलों के 97941 गांवों में घर घर संपर्क कर कोरोना की जांच करने के साथ आइसोलेशन और मेडिकल किट की सुविधा उपलब्‍ध कराई.

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने योगी सरकार के कोविड मैनेजमेंट को धरातल पर परखने के लिए यूपी के ग्रामीण इलाकों में 10 हजार घरों का दौरा किया . डब्‍ल्‍यू एचओ की टीम ने खुद गांवों में कोविड मैनेजमेंट का हाल जाना. कोरोना मरीजों से उनको मिल रही चिकित्‍सीय सुविधाओं के बारे में पूछताछ की. इतना ही नहीं विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के विशेषज्ञों ने फील्‍ड में काम कर रही 2 हजार सरकारी टीमों के काम काज की गहन समीक्षा भी की है.

डब्‍ल्‍यूएचओ ने अपनी रिपोर्ट में  बताया है कि किस तरह यूपी के ग्रामीण इलाकों में किस तरह योगी सरकार ने सामुदायिक केंद्रों, पंचायत भवनों और स्‍कूलों में कोरोना मरीजों की जांच और इलाज की सुविधा दे रही है. जिले के हर ब्‍लाक में कोविड जांच के लिए राज्‍य सरकार की ओर से दो मोबाइल वैन तैनात की गई है. कोरोना के खिलाफ महाअभियान के लिए स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की 141610 टीमें दिन रात काम कर रही हैं.

कोविड मैनेजमेंट की इस पूरे अभियान पर नजर रखने के लिए योगी सरकार ने 21242 पर्यवेक्षकों की तैनाती की है.

ग्रामीण इलाकों में कोविड समेत अन्‍य संक्रामक बीमारियों की  रोकथाम के लिए योगी सरकार ने बड़े स्‍तर पर स्‍वच्‍छता अभियान चला रखा है. 60 हजार से अधिक निगरानी समितियों के 4 लाख सदस्‍य गांवों में घर घर पहुंच कर न सिर्फ कोविड के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे हैं बल्कि साफ, सफाई और स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं से भी जोड़ रहे हैं. राज्‍य में इस तरह का अभियान चलाने वाला यूपी देश का पहला राज्‍य है.  गौरतलब है कि कोरोना की पहली लहर के दौरान भी योगी सरकार के शानदार कोविड मैनेजमेंट की डब्‍ल्‍यूएचओ समेत देश और दुनिया में जम कर तारीफ हुई थी.

मदर्स डे स्पेशल : बौबी

अंतिम प्रहार -भाग 5 : शिवानी का जीवन नीरस क्यों हो गया था

‘‘क्या मतलब?’’ मां ने भौंहें ऊंची कर के पूछा. उन की सम?ा में सचमुच कुछ नहीं आया था.

‘‘अपने लिए वर ढूंढ़ने गई थी,’’ शिवानी ने साफसाफ बता दिया. सुन कर मां के तोते उड़ गए. कानों पर विश्वास नहीं हुआ. फटी आंखों से उसे देखती रही. फिर बोली, ‘‘तुम्हारी शादी के लिए पैसा कहां से आएगा?’’

‘‘क्यों, पापा की मृत्यु के बाद जो पैसा मिला था वह कहां गया? उस में मेरा भी तो आधा हिस्सा है.’’

‘‘उस के बारे में सोचना भी मत,’’ सुषमा ने चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘तुम भले ही घर से भाग कर शादी कर लो परंतु उस पैसे के बारे में सोचना भी मत. गौरव नया प्लौट खरीद रहा है. उस के लिए पैसे बचा कर रखे हैं.’’

शिवानी के मुंह में ढेर सारी कड़वाहट घुल गई. मुंह पर ‘थू’ का भाव लाते हुए बोली, ‘‘यही तो आप चाहती थीं कि मैं कहीं भाग जाऊं. परंतु बचपन में ऐसे संस्कार ही नहीं दिए. बेटी को अनिच्छा से पालना और बड़ा करना फिर उसे परदों में बंद कर के रखना ताकि कहीं मुंह काला कर के परिवार की ?ाठी मर्यादा को मटियामेट न कर दे. यही आप जैसी मांओं ने सीखा है.

आप की इसी गंदी सोच ने देश की बेटियों का भविष्य गर्त कर रखा है. मां, आप चिंता न करो. आप के पति और बेटे की कमाई का मु?ो एक ढेला भी नहीं चाहिए. जीवन में खुशियों से बढ़ कर कुछ नहीं होता. आप का पैसा मेरे किस काम का, जब मेरे जीवन में पति, परिवार और बच्चे का सुख नहीं है. सोच कर देखिए, अगर आप के मांबाप आप जैसी सोच के होते और आप की शादी न करते तो आप भाई के घर में कैसा महसूस करतीं और कैसा जीवन व्यतीत करतीं.’’

शिवानी आज बहुत कुछ बोल गई थी. सुषमा को जैसे लकवा मार गया था. शिवानी ने जैसे अंतिम प्रहार करते हुए कहा, ‘‘आप गौरव को राजमहल बनवा कर दीजिए. वह आप का और परिवार का नाम रोशन करेगा. बेटियां केवल दुख देती हैं, तो मां, बस एकाध महीना तुम्हें और दुख दूंगी. इस के बाद मैं चली जाऊंगी. ?ोंपड़ी के अंधेरे में रह लूंगी परंतु तुम्हारे महल की जगमगाहट देखने कभी नहीं आऊंगी,’’ कहतेकहते शिवानी का गला भर आया. आंखों में आंसू ?िलमिलाने लगे. वह मुंह घुमा कर कमरे के भीतर चली गई.

सुषमा जैसे पत्थर की हो गई थी. परंतु उस के अंदर भी कुछ घुमड़  रहा था जो बाहर निकलने के लिए बेताब था. शिवानी ने उन के अंतर्मन को हिला कर रख दिया था और वह सोचने के लिए मजबूर हो गई थी. कहीं न कहीं उन से बहुत बड़ी गलती हुई थी. पुत्रमोह में कोई इतना अंधा नहीं होता कि बेटी को बिलकुल उपेक्षित कर दे, उस का भविष्य बरबाद कर के उसे नाटकीय जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर कर दे.

अंदर से घुमड़ कर जब उन की आंखों से आंसू बह निकले तो उन की चेतना लौटी. वह लगभग भाग कर कमरे में गई और शिवानी को अपने अंक में भर कर बोली, ‘‘बेटी, मु?ो माफ कर दे. मैं तेरी गुनाहगार हूं. यह क्या कर दिया मैं ने तेरे साथ. परंतु अब तू चिंता मत कर, मैं तु?ो इस घर से बाजेगाजे के साथ बिदा करूंगी तेरी पसंद के वर के साथ,’’ फिर वह रोने लगी.

शिवानी भी अपनी मां के सीने से लग कर फफक पड़ी. दोनों को ही पता नहीं था कि वे दुख से रो रही थीं कि खुशियों के अतिरेक से. उन्हें बस इतना पता था कि उन के चारों तरफ धवल ज्योत्सना बिखरी पड़ी थी जिस ने सब के मन के कलुष को धो दिया था.

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