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प्रश्नचिह्न – भाग 2 : क्या थी यश के बदले व्यवहार की वजह?

‘‘कुछ नहीं होगा. तुम्हें केवल थोड़ा सावधान रहना होगा. तुम कहती हो कि यश लंबे समय तक फोन पर बात करता है. कम से कम फोन नंबर पता करो. एक दिन जैसे ही यश घर से निकले, तुम पीछा करो. पता तो लगे कि सचाई क्या है?’’

‘‘मैं कोशिश करूंगी, हर्षिता, पर कोई वादा नहीं करती.’’

‘‘मेरे चाचाजी पुलिस में बड़े अफसर हैं. तुम चाहो तो हम उन की मदद ले सकते हैं. वे यश से बातचीत कर के कोई न कोई समाधान अवश्य निकाल लेंगे,’’ हर्षिता ने सुझाव दिया था.

‘‘नहीं, हर्षिता, यह परिवार के सम्मान की बात है. रतन भैया को सूचित किए बिना मैं ने ऐसा कुछ किया तो वे नाराज होंगे.’’

‘‘ठीक है, तुम अच्छी तरह सोचविचार लो. क्या करना है, यह निर्णय तो तुम्हें ही लेना होगा. पर तुम्हें जब भी मेरी मदद की जरूरत हो, मैं तैयार हूं. स्वयं को कभी अकेला मत समझना,’’ हर्षिता ने आश्वासन दे कर विदा ली.

अंबिका देर तक अकेली बैठी सोचती रही. कहीं से कोई प्रकाश की किरण नजर नहीं आ रही थी. तभी अचानक उसे याद आया कि 3 दिन बाद ही आयुष का जन्मदिन है. हर वर्ष आयुष का जन्मदिन वे बड़ी धूमधाम से मनाते रहे हैं. उसे लगा कि इतनी सी बात भला उसे समझ में क्यों नहीं आई. पिछले जन्मदिन पर सब ने कितना धमाल किया था.

पांचसितारा होटल में ऐसी शानदार थीम पार्टी का आयोजन किया था यश ने कि सब ने दांतों तले उंगली दबा ली थी.

अंबिका को बड़ी राहत मिली थी. यश अवश्य ही आयुष के जन्मदिन पर ‘सरप्राइज पार्टी’ का आयोजन कर रहा है. तभी तो उस ने कुछ बताया नहीं. आज आने दो घर, खूब खबर लूंगी. कम से कम गेस्ट लिस्ट के बारे में तो उस से सलाह लेनी ही चाहिए थी.

इसी ऊहापोह में कब आंख लग गई, अंबिका को पता ही नहीं लगा. पर जब नींद खुली और यश का बिस्तर खाली देखा तो वह धक् से रह गई. यश रात को घर लौटा ही नहीं था. यदि वह घर नहीं लौटा तो उसे वह कहां ढूंढ़ने जाए. फूटफूट कर रोने का मन हो रहा था पर इस कठिन समय में आंसू भी उस का साथ छोड़ गए थे.

उस ने मशीनी ढंग से आयुष को तैयार कर स्कूल भेजा. तभी यश की कार की आवाज आई तो वह लपक कर मुख्यद्वार पर पहुंची.

‘‘कहां थे अब तक? कम से कम एक फोन ही कर दिया होता. चिंता के कारण मेरा बुरा हाल था. कल शाम से खाना तो क्या, मुंह में पानी की बूंद तक नहीं गई है,’’ अंबिका एक ही सांस में बोल गई थी पर यश बिना कोई उत्तर दिए अंदर चला गया.

‘‘मैं कुछ पूछ रही हूं, यश. मुझे अपने प्रश्नों के उत्तर चाहिए.’’

‘‘बाहर नौकरों के सामने तमाशा करने की क्या जरूरत है? ये प्रश्न घर में आ कर भी पूछे जा सकते हैं,’’ यश बोला.

‘‘तो अब बता दो, यश. रातभर कहां थे तुम? और यह भी कि मुझ से ऐसा क्या अपराध हो गया है कि तुम ने इस तरह मुंह फेर लिया है? तुम बहुत बदल गए हो, यश.’’

‘‘समय के साथ हर व्यक्ति बदल जाता है. तुम्हें नहीं लगता कि तुम आजकल इतने प्रश्न पूछने लगी हो कि स्वयं एक प्रश्नचिह्न बन कर रह गई हो. बारबार मैं कहां गया था, क्यों गया था जैसे प्रश्न मत किया करो, क्योंकि मेरे पास इन के उत्तर हैं ही नहीं. तुम मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो. कल से पानी भी नहीं पिया, जैसे ताने दे कर अपनी निरीहता भी मुझे मत दिखाओ. घर में क्या खाने का सामान नहीं है? मेरी 10 से 5 की नौकरी नहीं है. तुम लोगों के ऐशोआराम के लिए बहुत खटना पड़ता है. हर समय इन बातों का ब्योरा मत मांगा करो,’’ यश ने टका सा उत्तर दिया था. हालांकि मीठा बोल बोलने वाले यश ने अपना स्वर ऊंचा नहीं किया, पर उस की बातों से अंबिका का दिल छलनी हो गया.

अगले दिन आयुष का जन्मदिन था. सुबह से ही उसे शुभकामनाएं देने वालों के फोन आने लगे थे. पर यश भोर में ही उठ कर कहीं चला गया था. आयुष कई बार पूछ चुका था कि उस के जन्मदिन की पार्टी कहां होगी?

‘सरप्राइज पार्टी’ की प्रतीक्षा करते हुए शाम घिर आई थी. आयुष कंप्यूटर गेम्स खेलने में व्यस्त था. अपने जन्मदिन की बात शायद अब वह भूल ही गया था.

‘‘आयुष, कहां हो तुम? अंबिका, यश, घर में कोई है या नहीं?’’ जैसे प्रश्नों से सारा घर गूंज उठा था. यश के बड़े भाई रतनलाल, उन की पत्नी अंजलि व उन के दोनों बच्चे आए थे.

‘‘तुम लोग तो हमें याद करते नहीं, हम ने सोचा हम ही मिल आएं. आयुष बेटे, जन्मदिन मुबारक हो,’’ रतन ने बड़ा सा डब्बा आयुष को पकड़ा दिया.

‘‘इस की जरूरत नहीं थी, भाईसाहब. हम कोई पार्टी नहीं कर रहे,’’ अंबिका उदास स्वर में बोली.

‘‘पार्टी नहीं भी कर रहे तो क्या हुआ? आयुष को जन्मदिन का उपहार तो मिलना ही चाहिए,’’ अंजलि ने प्यार से आयुष का माथा चूम लिया.

‘‘यश कहां है? तुम लोग आजकल रहते कहां हो, महीनों से यश घर नहीं आया? तुम भी हमें भूल ही गई हो,’’ अंजलि ने उलाहना दिया.

उत्तर में अंबिका के मुख से एक शब्द भी नहीं निकला. वह स्वयं पर नियंत्रण नहीं रख सकी और फफक कर रो पड़ी.

‘‘क्या हुआ?’’ अंजलि और रतन ने हैरानपरेशान स्वर में पूछा. बच्चे भी टकटकी लगा कर अंबिका को ही घूर रहे थे.

‘‘तुम लोग अंदर जा कर खेलो,’’ रतन ने बच्चों से कहा.

अंबिका ने आंसुओं को संभालते हुए रतन और अंजलि को सबकुछ बता दिया.

‘‘यश के रंगढंग बदले हुए हैं, यह तो मुझे भी लगा था. आजकल उस की किसी काम में रुचि नहीं रही, पर तुम लोगों के घरेलू जीवन में ऐसी उथलपुथल मची हुई है, इस की तो हम ने कल्पना भी नहीं की थी.

‘‘चिंता मत करो, अंबिका. मैं एकदो दिन में सब पता कर लूंगा. पहले तो मैं कल ही बच्चू से सब उगलवा लूंगा. तुम जल्दी से तैयार हो जाओ. आज आयुष के जन्मदिन की पार्टी हम ‘इंद्रप्रस्थ रिजोर्ट’ में करेंगे,’’ रतन ने कहा.

इंद्रप्रस्थ रिजोर्ट में आयुष का जन्मदिन मना कर रात में देर से लौटी थी अंबिका. आयुष प्रसन्नता से झूम रहा था.

अगली सुबह अंबिका पर मानो वज्रपात हुआ. फोन की घंटी बजी तो उनींदी सी अंबिका ने फोन उठाया.

‘‘हैलो, क्या मैं अंबिका राज से बात कर सकती हूं?’’ दूसरी ओर से किसी स्त्री का स्वर गूंजा था.

‘‘बोल रही हूं,’’ अंबिका बोली.

‘‘तुम से अधिक बेशर्म स्त्री मैं ने दूसरी नहीं देखी. जब यशराज तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहता तो क्यों उस के गले पड़ी हो? छोड़ क्यों नहीं देतीं उसे?’’

‘‘कौन हो तुम? और मुझ से इस तरह बात करने का साहस कैसे हुआ तुम्हारा?’’ अंबिका की नींद हवा हो गई थी. वह ऐसे तड़प उठी मानो किसी ने बिजली का नंगा तार छुआ दिया हो.

‘‘मैं कौन हूं, यह महत्त्वपूर्ण नहीं हैं, मैं जो कह रही हूं वह महत्त्वपूर्ण है. यशराज तुम्हारे साथ नहीं, मेरे साथ जीवन बिताना चाहता है. अपना और अपने बेटे का भला चाहती हो तो तुरंत बिस्तर बांधो और मुक्त कर दो मेरे यश को.’’

‘‘नहीं तो क्या कर लोगी तुम?’’ अंबिका चीखी.’’

‘‘यह तो समय आने पर ही पता चलेगा,’’ दूसरी ओर से अट्टहास सुनाई दिया.

काफी देर तक अंबिका पत्थर की मूर्ति की भांति बैठी रह गई. धीरेधीरे दिन बीता, शाम आई. देर रात गए यश घर लौटा और सोफे पर ही पसर गया. वह अब भी गहरी नींद में था.

पर आज अंबिका के संयम का बांध टूट गया. उस ने झिंझोड़ कर यश को जगाया. हैरान यश आंखें मलते हुए उठ बैठा.

‘‘तुम्हारी प्रेमलीला इस सीमा तक पहुंच जाएगी यह तो मैं ने सोचा भी नहीं था. पर मेरे जीवन में जहर घोल कर तुम इस तरह चैन से नहीं सो सकते,’’ अंबिका बिफर उठी.

‘‘बात क्या है, अंबिका? इस तरह रोष में क्यों हो?’’

‘‘मेरे रोष का कारण जानना चाहते हो तुम? मुझ से मुक्ति चाहते हो? एक बार कह कर तो देखते, मैं यह उपकार भी कर देती. पर तुम ने तो अपनी प्रेमिका से कहलवा कर मुझे अपमानित करना ही उचित समझा.’’

‘‘किस ने अपमानित किया तुम्हें, अंबिका?’’ यश सन्न रह गया.

‘‘सबकुछ जानते हुए बनने का प्रयत्न मत करो. तुम्हारी सहमति के बिना किसी का मुझ से इस तरह बात करने का साहस नहीं हो सकता.’’

‘‘आओ, अंबिका, यहां बैठो मेरे पास. मैं तुम्हें सब सच बताऊंगा. मैं ने आज तक तुम्हें कुछ नहीं बताया क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि जिस नर्क की आग में मैं जल रहा था, वह मेरे हंसतेखेलते परिवार को भस्म कर दे. पर अब शायद पानी सिर से गुजर गया है.’’

‘‘कौन है वह? मुझे इस तरह धमकी देने का साहस कैसे हुआ उस का?’’

‘‘वह? एक डांसर है. बार में, होटलों में और छोटेमोटे उत्सवों में नाचगा कर अपना काम चलाती है. मेरा परिचय उस से मेरे मित्र तेजाश्री ने कराया था. मैं भी शराब के नशे में शायद बहक गया था. तब से वह मुझे यह कह कर ब्लैकमेल करती रही कि मेरे संबंध के बारे में वह तुम्हें बता देगी, पत्रपत्रिकाओं में फोटो छपवा देगी. अब तक वह मुझ से लाखों रुपए ऐंठ चुकी है और अब उस ने मुझ पर दबाव डालना शुरू कर दिया कि तुम्हें छोड़ कर उस से विवाह कर लूं वरना अपने गुंडों से हमारे पूरे परिवार को तबाह करवा देगी.’’

‘‘इतना कुछ हो गया और तुम ने मुझे हवा तक नहीं लगने दी. पतिपत्नी यदि सुखदुख के साथी न हों तो दांपत्य जीवन का अर्थ ही क्या है?’’ अंबिका क्रोधित स्वर में बोली.

प्रश्नचिह्न – भाग 1 : क्या थी यश के बदले व्यवहार की वजह?

लेखिका – Shakuntala Sharma

आयुष का बिलखने का स्वर सुन कर अंबिका लपक कर अपने ड्राइंगरूम में आई थी.

‘‘क्या हुआ, बेटे?’’ उस ने आयुष से पूछा.

‘‘पापा ने मारा,’’ आयुष गाल सहलाते हुए बोला.

‘‘यश, क्यों मारा तुम ने? 4 साल के बच्चे पर हाथ उठाते तुम्हें शर्म नहीं आई?’’ अंबिका गुस्से में पलटी, पर उस का स्वर तो मानो किसी पत्थर से टकरा कर लौट आया था. यश तक तो उस का स्वर शायद पहुंचा ही नहीं था.

एक क्षण के लिए अंबिका का मन हुआ कि बुरी तरह बिफर कर यश को इतनी खरीखोटी सुनाए कि वह फिर कभी नन्हे मासूम आयुष पर हाथ उठाने की बात सोच भी न सके. पर कुछ सोच कर चुप रह गई थी.

आयुष अब भी सिसक रहा था.

उस पर जान छिड़कने वाले पिता ने उसे क्यों मारा, यह बात उस की समझ से परे थी.

यश अपना फोन कान से लगाए न जाने किस से बातचीत में उलझा था. उस के लिए तो मानो अंबिका और आयुष हो कर भी नहीं थे वहां.

अंबिका ने आयुष को शांत कर के खिलापिला कर सुला तो दिया था पर उस के मुख पर चिंता की स्पष्ट रेखाएं थीं.

‘क्या हो गया था यश को? ऐसा तो नहीं था वह,’ अंबिका सोच में डूब गई.

परिवार का हीरेजवाहरात का पुराना कारोबार था जिसे यश और उस के बड़े भाई रतनराज मिल कर संभालते थे. उन के पिता ने घर और व्यापार का बंटवारा दोनों बेटों के बीच इतनी सावधानी से किया था कि दोनों के बीच मनमुटाव की गुंजाइश ही नहीं थी.

कारोबार में कुशल यश को जीवन की हर आकर्षक वस्तु से लगाव था. पार्टियां देना और पार्टियों में जाना हर रोज लगा ही रहता था, पर पिछले 3-4 माह से यश में आ रहे परिवर्तनों को देख कर वह हैरान थी. कभीकभी उसे लगता कि कहीं कुछ नहीं बदला, पर दूसरे ही क्षण वह कुछ घटनाओं को याद कर के घबरा उठती. हर क्षण उसे आभास होता कि यश अब पहले जैसा नहीं रहा, लेकिन बहुत सोचने पर भी उसे इस परिवर्तन का कारण समझ में नहीं आ रहा था.

कार स्टार्ट होने की आवाज सुनते ही अंबिका की तंद्रा टूटी थी. फोन पर हुई लंबी बातचीत के बाद यश कहीं चला गया था.

आयुष को उस के बिस्तर में सुला कर अंबिका बाहर निकली. वहां ड्राइवर माधव को चौकीदार से हंसीठिठोली करते देख हैरान रह गई.

‘‘तुम यहां बैठे हो, माधव? साहब की कार कौन चला कर ले गया है?’’

‘‘साहब अपनेआप चला कर ले  गए हैं. मुझे बुलाया ही नहीं,’’ माधव का उत्तर था.

‘‘तुम यहां रहते ही कब हो? पान खाने या सिगरेट पीने गए होगे. साहब कब तक तुम्हारी प्रतीक्षा करते?’’ अंबिका का सारा गुस्सा माधव पर ही उतरा था.

‘‘मैं तो यहीं चौकीदार के पास बैठा था. कार स्टार्ट होने की आवाज सुन कर भाग कर उन के पास पहुंचा, पर साहब ने मेरी ओर देखा तक नहीं.’’

‘‘ठीक है,’’ अंबिका अंदर चली गई.

सोफे पर बैठ कर अंबिका देर तक शून्य में ताकती रही. यही सब बातें तो हैं जो उस के मन को खटकती हैं. यश का इस तरह उसे बिना बताए चले जाना, ऐसा पहले तो कभी नहीं हुआ. भीड़भाड़ वाली सड़कों पर स्वयं कार चलाने से यश सदा बचता था. यदि माधव जरा भी इधरउधर चला जाए तो वह चीखचिल्ला कर घर सिर पर उठा लेता था. आज वही यश माधव को छोड़ कर स्वयं ही चला गया. अंबिका को चिंता होने लगी. उस ने यश को कौल किया पर यश ने मोबाइल फोन स्विच औफ कर रखा था.

अंबिका को अब पूरा विश्वास हो चला था कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है. वह किसी से बात कर के अपने मन का बोझ हलका करना चाहती थी. अपने मातापिता को असमय फोन कर के वह परेशान नहीं कर सकती थी. यश के बड़े भाई रतनराज का विचार भी आया मन में, पर उन से फोन पर कुछ कहना ठीक न समझा. आखिर में उस ने अपनी प्रिय सहेली हर्षिता को फोन लगाया. हर्षिता उस की सब से करीबी सहेली तो थी ही, संकट की घड़ी में उस पर आंख मूंद कर विश्वास भी किया जा सकता था.

हर्षिता से फोन पर बात करते हुए अंबिका का गला भर आया, आवाज भर्रा गई.

‘‘क्या बात है, अंबिका? तुम इतनी परेशान हो और मुझे बताया तक नहीं. ये सब बातें फोन पर नहीं होतीं. तुम इंतजार करो. मैं 5 मिनट में तुम्हारे घर पहुंचती हूं,’’ हर्षिता ने आश्वासन दिया.

कुछ ही देर में हर्षिता उस के घर में थी. आते ही बोली, ‘‘अब विस्तार से बता, बात क्या है?’’

उत्तर में अंबिका उस के गले लग कर फूटफूट कर रो पड़ी.

‘‘पता नहीं हमारे हंसतेखेलते घर को किस की नजर लग गई, हर्षिता. यश को न अब मेरी चिंता है न आयुष की.’’

‘‘तुम ने उस से बात करने का प्रयत्न किया?’’

‘‘कई बार, पर यश कुछ बोलता ही नहीं. बस, मूक बन कर बैठा रहता है.’’

‘‘सारे लक्षण तो वही हैं, तुझे बहुत सावधानी से काम लेना पड़ेगा,’’ हर्षिता किसी बड़े विशेषज्ञ की तरह बोली.

‘‘कैसे लक्षण?’’

‘‘प्रेमरोग के लक्षण. मैं तो तुझे बहुत समझदार समझती थी, पर तू तो निरी बुद्धू निकली. मैं दावे के साथ कह सकती हूं कि यश के जीवन में कोई और स्त्री आ गई है. उसी ने तुम लोगों के जीवन में उथलपुथल मचा दी है.’’

‘‘मैं नहीं मानती. यश में चाहे कितनी भी बुराइयां हों पर उस के चरित्र में कोई खोट नहीं है.’’

‘‘बड़ी भोली हो तुम. ऐसी स्त्रियां बहुत फरेबी होती हैं. इन के प्रभाव से तो विश्वामित्र जैसे ऋषिमुनि भी नहीं बच सके थे. यश तो फिर भी मनुष्य है.’’

‘‘ठीक है. मैं कल ही यश से बात करूंगी.’’

‘‘तुम ऐसा कुछ नहीं करोगी. मैं ने कहा न, तुम्हें सावधानी से काम  लेना पड़ेगा.’’

‘‘तो क्या करूं?’’

‘‘तुम्हें यश की हर गतिविधि पर नजर रखनी होगी. अच्छा होगा कि एक डायरी बना लो और उस में प्रतिदिन की घटनाएं लिखती जाओ.’’

‘‘पर कौन सी घटनाएं?’’

‘‘यही कि यश कब आता है, कब जाता है, किसकिस से मिलताजुलता है. घर आने पर उस की हर चीज का ध्यान से निरीक्षणपरीक्षण करो. सब से बड़ी बात कि यश के विरुद्ध कुछ सुबूत इकट्ठा करो.’’

‘‘उस से क्या होगा, मैं कौन सा उस के विरुद्ध कोर्टकचहरी के चक्कर लगाऊंगी?’’ अंबिका बोली.

‘‘तुम कुछ समझती नहीं हो. जब तुम यश पर किसी और स्त्री के चक्कर में होने का आरोप लगाओगी तो सुबूत तो पेश करने ही होंगे.’’

‘‘मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगी. मुझे पूरा विश्वास है कि यश बेवफा हो ही नहीं सकता. तुम्हें तो स्वयं पता है कि यश किस तरह हमारा खयाल रखता था.’’

‘‘तुम ठीक कहती हो. हम सब यश का उदाहरण देते थकते नहीं थे, पर अब तुम खतरे की घंटी स्वयं सुन रही हो तो तुम क्या अपने परिवार को सुरक्षित नहीं रखना चाहोगी?’’ हर्षिता ने प्रश्न किया.

‘‘क्यों नहीं, इसीलिए तो तुम्हें फोन किया था. पर मैं ऐसा कुछ नहीं करना चाहती कि स्थिति और बिगड़ जाए.’’

संपादकीय

किसी भी देश की संपत्ति और साधन असिमित नहीं होते और यह देश के नेताओं का फर्ज होता है कि वे अपनी संपत्ति का सही इस्तेमाल करें. अमेरिका ने पिछले 100 सालों में अमेरिकियों की मेहनत, सूझबूझ और नई खोजों से खरबों कमाए और वह आज भी दुनियाका सब से अमीर देश है जबकि पहले 2 विश्वयुद्धों, कोल्ड कर, वियतनाम और अफगानिस्तान में उस ने बहुत पैसा बर्बाद किया.

अमेरिका को इस का लाभ यह हुआ कि यूरोप के समर्थ देश जर्मनी को पिछली सदी में रोका जा सका और उस के बाद रूस के कम्युनिस्टों का केंद्र बनाने से रोका जा सका. वियतनाम में उसे कम्युनिस्ट शासन रोकने में बुरी तरह मार खानी पड़ी पर हनोई की तब की विजय आज वियतनाम को फिर कैपिटलिस्ट इकोनौमी की ओर ले जा रही है. जो अमेरिका ने खोया था, असल में पा लिया.

अफगानिस्तान से निकलने की वजह यह रही है कि अमेरिक अब अपने साधन और अपनी संपत्ति को चीन से व्यापार युद्ध में लगाना चाहता है. अमेरिका को दिख रहा है कि चीन किस तेजी से औद्योगिक ही नहीं खोजी वातावरण को मजबूत कर रहा है और नई चीजें बनाने में वह बिना दुनिया भर का टेलेंट जमा किए भी पीछे नहीं है.

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अमेरिका के लिए चीन एक काला बादल है जो हो सकता है उस पर बरस पड़े. अमेरिका ने अफगानिस्तान की दलदल से निकल कर हार तो चाहे मान ली पर अब उसे आतंक का सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि वह विश्व सरकार नहीं रह गया है, वह लगता है स्वीट्जर लैंड, स्वीडन, नार्वे, ङ्क्षसगापुर का मौडल अपनाएगा जिस में नागरिकों की खुशहाली ज्यादा मुख्य लक्ष्य होगी बजाए दुनिया भर में लोकतंत्र और न्याय का निर्यात करने के. चीन ने दूसरे देशों में दखल नहीं दिया खरबों डालर बनाए थे.

भारत के लिए यह कठिन स्थिति है. हम अपने साधनों और संपत्ति को धर्मकर्म में झोंक रहे है. देश भर में पागलपन की हद तक पैसा मंदिरों, आश्रमों, घाटों, घंटों घडिय़ालों और पूजा अर्चनाओं पर खर्च हो रहा है. पौराणिक युग का बखान पढ़ो तो वहां हर समय इस ऋ षि ने यज्ञ किया, उस महॢष ने हवन किया का बखान है. यही आज हमारे यहां हो रहा है. देश की संपत्ति का बड़ा हिस्सा धर्म में बर्बाद हो रहा है.

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अफगानिस्तान को अकेला छोड़ देने का मतलब है कि अब पठान फिर 1947 को कश्मीर में दोहरा सकते हैं. कश्मीर कभी काबुल के राजाओं के हिस्से में भी था. वे इतिहास के पन्ने उसी तरह पढ़ सकते हैं जैसे हम अपने इतिहास को अपनी दृष्टि से पढ़ रहे हैं. हमारा सारा पैसा धर्म, और जमीन बचाने में लगे तो बड़ी बात नहीं होगी. रूस और चीन के एक जमाने में कम्युनिज्म फैलाने में व थोपने में देश के लोगों को कंगाल किया था. अब भारत की बारी जिस का आटा तो कंगाली में गीला होने वाला है.

अब इस म्यूजिक वीडियो में नजर आएंगे टीवी के ‘अलादीन’ सिद्धार्थ निगम

2013 में फिल्म ‘धूम 3’’ में बाल कलाकार के रूप में अभिनय कैरियर की शुरूआत करने वाले सिद्धार्थ निगम बाद में ‘मुन्ना माइकल’ फिल्म के अलावा ‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक’ व ‘बालवीर रिटर्न’ सहित कई सीरियलों में अभिनय करते नजर आए. इतना ही नही 2018 में सिद्धार्थ निगम ने ‘‘तू ना आया’’ से म्यूजिक वीडियो करने शुरू किए. अब तक पंद्रह म्यूजिक वीडियो करने के बाद अब सिद्धार्थ निगम अपने नए म्यूजिक वीडियो ‘‘दर्द तेरे’’ को लेकर चर्चा में हैं.

यह रोमांटिक गाना ‘दर्द तेरे‘ ‘‘बीलाइव म्यूजिक’’ पर रिलीज होते ही वायरल हो गया. यह गाना संगीत चार्ट पर धूम मचाने के लिए तैयार है. इस संगीतमय विडियो में सिद्धार्थ बॉलीवुड ब्यूटी रित्स बडियानी के साथ स्क्रीन शेयर करते नजर आ रहे हैं. जी हाॅ! म्यूजिक वीडियो ‘‘दर्द तेरे’’में सिद्धार्थ निगम के साथ रित्स बडियानी रोमांस करते हुई नजर आ रही है.

नए गाने ‘दर्द तेरे’’ को जिस तरह से लोग पसंद कर रहे हैं,उस पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए अभिनेता सिद्धार्थ निगम कहते हैं -‘‘जब मैंने पहली बार यह गाना सुना,तो मैं इसमें खो सा गया था.मुझे इस गाने के ऑडियो पर उतना ही विश्वास था, जितना अब लोग इसके वीडियो पर दिखा रहे हंै.मैं इस सफल उद्यम का हिस्सा बनकर खुश हूं.

मुझे लोगों की तरफ से काफी अच्छी प्रतिक्रियाएं मिल रही है.मुझे यकीन है कि यह गाना सभी के दिलों जीत लेगा.‘‘ गीत के बारे में बात करते हुए रित्स बडियानी कहती हैं, “मैं इस गीत की सादगी और इसकी रचना, शब्दों और

इसके द्वारा दिए गए संदेश को लेकर अभिभूत हो गई थी और इसी वजह से मैं तुरंत इसका हिस्सा बनना चाहती थी.‘‘

सिद्धार्थ निगम, रित्स बडियानी और गायक ईशान खान अभिनीत ‘दर्द तेरे‘‘ इस गाने को प्रतिभाशाली निर्देशक नदीम अख्तर, नितिन एफसीपी ने निर्देशित किया हैं और रश्मि विराग ने इस गाने को लिखा तथा उद्दीपन शर्मा द्वारा रचित किया गया हैं. इस संगीत वीडियो को बीलाइव म्यूजिक और वर्षा कुकरेजा के लेबल के तहत निर्मित किया है. ट्रैक महेश कुकरेजा द्वारा बनाया गया है और बीलाइव म्यूजिक, संजय कुकरेजा और रेमो डिसूजा द्वारा प्रस्तुत किया गया है.

Top 10 Best Romantic Story in Hindi : टॉप 10 बेस्ट रोमांटिक कहानियां हिंदी में

Romantic Story in Hindi: इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं सरिता की 10 Best Romantic Stories in Hindi . इन कहानियों में प्यार और रिश्तों से जुड़ी कई दिलचस्प कहानियां हैं जो आपके दिल को छू लेगी और जिससे आपको प्यार का नया मतलब जानने को मिलेगा. इन रोमांटिक कहानियां से आप कई अहम बाते भी जान सकते हैं कि प्यार की जिंदगी में क्या अहमियत है और क्या कभी किसी को मिल सकता है सच्चा प्यार. तो अगर आपको भी है ऐसी रूमानी कहानियां पढ़ने का शौक तो यहां पढ़िए सरिता की Best Hindi Romantic Stories.

  1.  उलझन- समीर और शिखा के बीच में कौन आया था

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जैसे जैसेशिखा के जन्मदिन की पार्टी में जाने का समय नजदीक आ रहा है, मेरे मन की बेचैनी बढ़ती ही जा रही है. मैं उस के घर जाने के लिए पूरी तरह से तैयार हूं पर अपने फ्लैट से कदम निकालने की हिम्मत नहीं हो रही है.

मैं करीब 2 महीने पहले शिखा से पहली बार अपने कालेज के दोस्त समीर के घर मिला था. उसी मौके पर मेरा समीर की पत्नी अंजलि, उस के दोस्त मनीष और उस की प्रेमिका नेहा से भी परिचय हुआ था.

शिखा के सुंदर चेहरे से मेरी नजरें हट ही नहीं रही थीं. वह जब छोटीछोटी बातों पर दिल खोल कर हंसती तो सामने वाला खुदबखुद मुसकराने लगता था.

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2.  जाना पहचाना – क्या था प्रतिभा के सासससुर का अतीत?

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अमर और प्रतिभा एक ही ऑफिस में पिछले 4 सालों से साथ काम करते आ रहे हैं. प्रतिभा पटना की है और दिल्ली में पढ़ाई के साथ पार्टटाइम जॉब करती है. इधर अमर भी लखनऊ से अपने सपनों को पूरा करने दिल्ली आया हुआ है. दोनों इतने दिनों से साथ हैं. एकदूसरे को पसंद भी करते हैं. पर आज पहली दफा अमर ने साफ तौर पर प्रतिभा से दिल की बात कही थी. दोनों के दिल सुनहरे सपनों की दुनिया में खो गए थे.अगले दिन सुबहसुबह ट्रेन थी. प्रतिभा ने एक सुंदर हल्के नीले रंग का फ्रॉकसूट पहना. उस पर गुलाबी रंग का काम किया हुआ दुपट्टा लिया. माथे पर नीले रंग की बिंदी लगाई. होठों पर हल्का गुलाबी लिपस्टिक लगा कर बालों को खुले छोड़ दिए. हाई हील्स पहन कर जब वह अमर के सामने आई तो वह आहें भरता हुआ बोला,” आज तो महताब जमीन पर उतर आया है.

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3. टीचर – क्या था रवि और सीमा का नायाब तरीका?

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मेरे दोस्त विवेक के छोटे भाई की शादी की रिसैप्शन पार्टी में तब तक ज्यादा लोग नहीं पहुंचे थे. उस महिला का यों अचानक उठ कर मेरे पास आना सभी की नजरों में जरूर आया होगा.

‘‘मैं सीमा हूं, मिस्टर रवि,’’ मेरे नजदीक आ कर उस ने मुसकराते हुए अपना परिचय दिया. मैं उस के सम्मान में उठ खड़ा हुआ. फिर कुछ हैरान होते हुए पूछा, ‘‘आप मुझे जानती हैं?’’ ‘‘मेरी एक सहेली के पति आप की फैक्टरी में काम करते हैं. उन्होंने ही एक बार क्लब में आप के बारे में बताया था.’’

‘‘आप बैठिए, प्लीज.’’

‘‘आप की गरदन को अकड़ने से बचाने के लिए यह नेक काम तो मुझे करना ही पड़ेगा,’’ उस ने शिकायती नजरों से मेरी तरफ देखा पर साथ ही बड़े दिलकश अंदाज में मुसकराई भी.

‘‘आई एम सौरी, पर कोई आप को बारबार देखने से खुद को रोक भी तो नहीं सकता है, सीमाजी. मुझे नहीं लगता कि आज रात आप से ज्यादा सुंदर कोई महिला इस पार्टी में आएगी,’’ उस की मुसकराने की अदा ही कुछ ऐसी थी कि उस ने मुझे उस की तारीफ करने का हौसला दे दिया.

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4. पीली दीवारें – क्या पति की गलतियों की सजा खुद को देगी आभा?

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6 बार घर आ चुका है, पर उस से बात करना तो दूर तुम उस से मिले तक नहीं. ऐसे नहीं निबाहे जाते रिश्ते, उन के लिए त्याग करना ही पड़ता है,’’ आभा औफिस जाने के लिए तैयार होते हुए बोली.

उन की शादी को 2 साल हो गए थे, पर एक भी दिन ऐसा नहीं गया था जब अजय ने झगड़ा न किया हो.

‘‘मुझ से ज्यादा बकवास करने की जरूरत नहीं है. मुझे किसी की परवाह नहीं है. तुम अपनेआप को समझती क्या हो? यह भाषण देना बंद करो.’’

‘‘मैं भाषण नहीं दे रही हूं अजय, सिर्फ तुम्हें समझाने की कोशिश कर रही हूं कि हमेशा अकड़े रहने से कुछ हासिल नहीं होता. ऐसा कर के तो तुम हर किसी को अपने से

दूर कर लोगे. इंसान को अपनी गलती भी माननी चाहिए.’’

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5. विकराल शून्य -निशा की कौनसी बीमारी से बेखबर था सोम?

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अजय की गहरी बातें वास्तव में अपने में बहुत कुछ समाए रखती हैं. जब भी उस के पास बैठता हूं, बहुत कुछ नया ही सीख कर जाता हूं.

बड़े गौर से मैं अजय की बातें सुनता था जो अजय कहता था, गलत या फिजूल उस में तो कुछ भी नहीं होता था. सत्य है हमारा तो रोमरोम किसी न किसी का आभारी है. अकेला इनसान संपूर्ण कहां है? क्या पहचान है एक अकेले इनसान की? जन्म से ले कर बुढ़ापे तक मनुष्य किसी न किसी पर आश्रित ही तो रहता है न.

‘‘मेरी पत्नी सुबह से शाम तक बहुत कुछ करती है मेरे लिए, सुबह की चाय से ले कर रात के खाने तक, मेरे कपड़े, मेरा कमरा, मेरी व्यक्तिगत चीजों का खयाल, यहां तक कि मेरा मूड जरा सा भी खराब हो तो बारबार मनाना या किसी तरह मुझे हंसाना,’

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6. एक लड़की – प्यार के नाम से क्यों चिढ़ती थी शबनम?

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एक घायल लड़के को अपने कंधे पर एक तरह से लादे हुए वह अंदर दाखिल होने की कोशिश में थी और गार्ड लड़के को अंदर ले जाने से मना कर रहा था.

‘‘भैया, होस्टल के नियम तो तुम मुझे सिखाओ मत. कोई सड़क पर मर रहा है, तो क्या उसे मर जाने दूं? क्या होस्टल प्रशासन आएगा उसे बचाने? नहीं न. अरे, इंसानियत की तो बात ही छोड़ दो, यह बताओ किस कानून में लिखा है कि एक घायल को होस्टल में ला कर दवा लगाना मना है? मैं इसे कमरे में तो ले जा नहीं रही. बाहर ग्राउंड में जो बैंच है, उसी पर लिटाऊंगी. फिर तुम्हें क्या प्रौब्लम हो रही है? लड़कियां अपने बौयफ्रैंड को ले कर अंदर घुसती हैं तब तो तुम से कुछ बोला नहीं जाता,’’ शबनम झल्लाती हुई कह रही थी.

गार्ड ने झेंपते हुए दरवाजा खोल दिया और शबनम बड़बड़ाती हुई अंदर दाखिल हुई. उस ने किसी तरह लड़के को बैंच पर लिटाया और जोर से चीखी, ‘‘अरे, कोई है? ओ बाजी, देख क्या रही हो? जाओ, जरा पानी ले कर आओ.’’ फिर मुझ पर नजर पड़ते ही उस ने कहा, ‘‘नेहा, प्लीज डिटोल ला देना. इस के घाव पोंछ दूं और हां, कौटन भी लेती आना.’’

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7. दिल पे न जोर कोई

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रीमा नोट कर रही थी कि आजकल आशीष जिम में ज्यादा देर लगा रहा है. अत: एक दिन उस ने पूछ ही लिया, ‘‘क्या बात है देर कैसे हो गई? आज क्या खास बात है… जिम से पसीनापसीना हो कर आए, फिर भी चेहरे पर अलग ही खुशी झलक रही है? रोज की तरह अपनी थकान का रोना नहीं?’’ रीमा ने चुटकी लेते हुए आशीष से कहा.‘‘क्या मैं रोज थकान का रोना रोता हूं? अरे अपनेआप को फिट रखना क्या इतना आसान है? कभी जिम जा कर देख आओ कि अपनेआप को मैंटेन करने के लिए कितनी मशक्कत करनी पड़ती है. लो हो गए शुरू…. मेरी तरह 2 बच्चे पैदा करो पहले, फिर फिटनैस की बात करो मुझ से,’’ रीमा ने कहा.

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8. मैं यहीं रहूंगी

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सुरुचि यह सुन कर अवाक रह गई. अभी विवाह को दिन ही कितने हुए हैं, इसलिए कोई भी सवाल करना उसे ठीक नहीं लगा. उन के जाने के बाद उस के दिमाग में सवालों ने उमड़ना शुरू कर दिया था, कहीं दीदी इसलिए तो मुझ पर इतना स्नेह नहीं उड़ेल रही थीं कि अपने बच्चों की जिम्मेदारी मुझ पर डाल कर आजाद होना चाह रही थीं. उन के छोटे से शहर में अच्छी पढ़ाई होती नहीं है, लेकिन एक बार मुझ से अपनी योजना के बारे में बता कर मेरी भी तो मरजी जाननी चाहिए थी. जल्दी से जल्दी अपने शक को दूर करने के लिए वह पति के औफिस से लौट कर आने का इंतजार करने लगी.

सुंदर के आते ही उस ने उसे चाय दी. उस के थोड़े रिलैक्स होते ही, यह सोच कर कि उसे यह न लगे कि उस की बहन के बच्चे रखने में उसे आपत्ति है, उस ने धीरे से पूछा, ‘‘दीदी के बच्चे यहीं रहेंगे क्या?’’

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9. हुस्न और इश्क

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मेरी बड़ी बहन भी सुंदर है, पर मुझ से बहुत कम. ऐसा 2 बार हुआ कि उसे देखने लड़के वाले आए पर पसंद मुझे कर गए. इन दोनों घटनाओं के बाद मैं उस की नजरों में खलनायिका बन गई. बहन का बहन पर से ऐसा विश्वास उठा कि राकेश जीजाजी के साथ अब भी अगर वह मुझे अकेले में बातें करते देख ले तो सब काम छोड़ कर हमारे बीच आ जमती है. मैं किसी तरह का गलत व्यवहार करने की कुसूरवार नहीं हूं, पर उस बेचारी का शायद विश्वास डगमगा गया है

मुझे लड़कियों के कालेज में दाखिला दिलाया ही जाना था, पर मेरे मम्मीपापा का यह कदम भी मेरी परेशानियों को कम नहीं कर सका. वहां मुझे अपनी सहेलियों की जलन का सामना करना पड़ा.

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10.  सहयात्री – कनिका किस घटना के बाद पूरी तरह बदल गई

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कनिका के पीछे खड़े उसी अनजान लड़के ने बिना देर किए झटके से उस का पैर निकाला और फिर सहारा दे कर उठाया. वह चल नहीं पा रही थी. उस ने कहा, ‘‘यदि आप को बुरा न लगे तो मेरे कंधे का सहारा ले सकती हैं… ट्रेन छूटने ही वाली है.’’

कनिका ने हां में सिर हिलाया तो अजनबी ने उसे ट्रेन में सहारा दे चढ़ा कर सीट पर बैठा दिया और खुद भी सामने की सीट पर बैठ गया. तभी ट्रेन चल दी.

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मेरे पति बिना बात के मारते हैं, गालियां देते हैं, लड़ाई के बाद वे कई दिनों के लिए बाहर चले जाते हैं, मैं क्या करूं?

सवाल
मेरी शादी 10 साल पहले हुई थी. मेरे 2 बच्चे हैं. मेरे पति बिना बात के मुझे मारते हैं, गालियां देते हैं. लड़ाई के बाद वे कईकई दिनों के लिए बाहर चले जाते हैं. मैं क्या करूं?

जवाब
आप ने यह नहीं बताया कि आप नौकरी करती हैं या नहीं? सामान्यतया कोई व्यक्ति तभी किसी पर अत्याचार करता है जब वह जानता है कि उस का कोई और ठिकाना नहीं.

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यदि आप पढ़ीलिखी हैं तो सब से पहले आप अपने लिए कोई अच्छी नौकरी ढूंढ़ें और खुद को स्वावलंबी बनाने का प्रयास करें. इस से पति का आप पर एकाधिकार खत्म होगा. यदि आप के पति का व्यवहार शुरू से ऐसा ही है तो आप को अपना रास्ता अलग कर लेना चाहिए और यदि ऐसा कुछ समय से है तो कारण जानने का प्रयास करें. कहीं उन की संगत तो गलत नहीं या फिर वे किस तरह की परेशानी में तो नहीं फंसे हैं. आप का खुद के प्रति बेपरवाह रहना भी एक कारण हो सकता है. अपने पहनावे और मेकअप पर ध्यान दें. स्वयं को थोड़ा सजाएंसंवारें. अपने व्यवहार पर भी ध्यान दें. इस से आप के पति का प्यार आप के प्रति लौट सकता है.

यदि घर में आप के सासससुर हैं तो उन से भी इस संदर्भ में चर्चा कर सकती हैं. नारीहित में काम करने वाली किसी संस्था से भी संपर्क कर सकती हैं. वह संस्था आप को रास्ता दिखाने के साथसाथ आप की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगी.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem 

कम लागत में अधिक लाभ के लिए करें तिल की उन्नत खेती

लेखक-डा. राघवेंद्र विक्रम सिंह, डा. स्मिता सिंह, डा.एसएन सिंह

तिलहनी फसलों में तिल एक प्रमुख फसल है, जिसे कम लागत और सीमित संसाधनों में उगा कर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है. तिल का क्षेत्रपल धीरेधीरे बढ़ रहा है. डायरैक्टोरेट औफ इकोनौमिक्स और सांख्यिकी, भारत सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में साल 2019 में तिल का कुल क्षेत्रफल 1.3 मिलियन हेक्टेयर और कुल उत्पादन 3.99 लाख मिलियन टन रिकौर्ड किया गया, जबकि साल 2018 में कुल उत्पादन 1.78 लाख मिलियन टन रिकौर्ड किया गया था. देश में उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश प्रमुख तिल उत्पादक राज्य हैं. साल 2019 में उत्तर प्रदेश में तिल का कुल क्षेत्रफल 4.17 लाख हेक्टेयर, कुल उत्पादन 99 हजार मिलियन टन और कुल उत्पादकता 239 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रिकौर्ड की गई.

एक रिपोर्ट के अनुसार, तिल के क्षेत्रफल और उत्पादन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश के 10 जिलों (झांसी, हमीरपुर, महोबा, जालौन, बांदा, हरदोई, उन्नाव, फतेहपुर, सीतापुर और शाहजहांपुर) में झांसी अग्रणी रहा है. कृषि आय को बढ़ाने में तिल एक अच्छा विकल्प है, जिसे शुद्ध और मिलवा पद्धति से खेती कर के अपनी आय को दोगुना किया जा सकता है. किंतु अधिक आय उन्नत विधि के अनुसार तिल की खेती करने से ही प्राप्त की जा सकती है. तिल की उन्नत खेती तिल की फसल से अधिक उपज प्राप्त करने में भूमि का चुनाव, खेत की तैयारी, खाद और उर्वरक की संतुलित मात्रा, सही समय पर रोगों और कीटों की पहचान, उन का निदान इत्यादि विधियों का महत्त्वपूर्ण योगदान है.

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भूमि का चुनाव और खेत की तैयारी अधिक पैदावार के लिए उत्तम जल निकास वाली भूमि तिल की फसल के लिए अच्छी मानी जाती है, क्योंकि अधिक जल भराव की दशा में पौधे सड़ जाते हैं और फसल खराब हो जाती है. बीज बोआई से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लेना चाहिए. 2-3 जुताइयां मिट्टी पलटने वाले हल से कर के भूमि को समतल बना लेना चाहिए. खेत की तैयारी के दौरान की 5 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की सड़ी हुई खाद, नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा भूमि में मिला कर पाटा लगा देना चाहिए. बीज दर और बीजोपचार एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए 3-4 किलोग्राम बीज सही होता है. बोआई के लिए सेहतमंद और साफ बीज का इस्तेमाल करना चाहिए. बोआई से पहले बीजों को जैव फफूंदनाशी ट्राइकोडर्मा विरिडी 6-7 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज दर से या थीरम, कार्बंडाजिम 1:1 के अनुपात में फफूंदनाशी 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज से शोधित करना चाहिए. बोआई का उचित समय जून के आखिरी हफ्ते से जुताई का पहला पखवारा तिल की बोआई के लिए सही समय होता है.

बोआई की विधि तिल की बोआई 2 विधियों से की जा सकती है : 1. छिटकवां विधि 2. पंक्ति विधि पंक्ति विधि से बोआई करने पर बीज कम लगता है, जबकि छिटकवां विधि में अधिक लगता है. बीज को कम गहराई पर बोना चाहिए. तिल के बीज छोटे आकार के होते हैं, अत: बीज को रेत, राख या बारीक बलुई मिट्टी में मिला कर बोना चाहिए. खाद और उर्वरक प्रबंधन अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए खाद और उर्वरकों की संतुलित मात्रा का प्रयोग करना चाहिए. 5 टन गोबर की सड़ी हुई खाद, 30 किलोग्राम नाइट्रोजन, 20 किलोग्राम, फास्फोरस और 20 किलोेग्राम गंधक का प्रयोग प्रति हेक्टेयर की दर से करना चाहिए. नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फास्फोरस और गंधक, सड़ी हुई गोबर खाद की पूरी मात्रा बेसल डै्रसिंग के रूप में खेत की तैयारी के दौरान ही भूमि में मिला देना चाहिए.

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बाकी बची आधी नाइट्रोजन की मात्रा निराईगुड़ाई के समय प्रयोग करनी चाहिए. खरपतवार प्रबंधन खेत में खरपतवारों के रहने पर मुख्य फसल की बढ़वार रुक जाती है, क्योंकि ये खरपतवार पौधों से पोषक तत्त्वों और पानी के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं. अत: फसल की समयसमय पर निराईगुड़ाई करते रहना चाहिए. पहली निराईगुड़ाई बोआई के 15-20 दिन बाद और दूसरी निराई 30-35 दिन बाद करनी चाहिए. निराईगुड़ाई के समय पौधों की थिनिंग जरूर करनी चाहिए, क्योंकि सघन अवस्था में पौधों की वृद्धि और विकास पर गलत प्रभाव पड़ता है, जिस से उपज में कमी आ जाती है. सिंचाई प्रबंधन मिट्टी में नमी की कमी होने पर तिल की बोआई करने से पहले एक हलकी सिंचाई अवश्य करनी चाहिए, जिस से बीज का जमाव अच्छा हो. फसल की बढ़वार के समय एक सिंचाई करनी चाहिए और दूसरी सिंचाई कैप्सूल बनने की अवस्था पर करनी चाहिए, जिस से फली, दानों की संख्या और आकार में वृद्धि हो सके. कटाई और मड़ाई जब फलियों का रंग पीला होने लगे, तब फसल की कटाई कर लेनी चाहिए, वरना फली के ज्यादा सूखने पर बीज झड़ने लगते हैं. कटाई के बाद पौधों को बंडल बना कर उर्ध्वाकार में रखें. बंडल सूखने के बाद पौधों को मड़ाई के लिए पक्के फर्श या तिरपाल पर फैला देना चाहिए, जिस से उपज की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव न पड़े और बाजार भाव अच्छा मिल सके. फसल सुरक्षा प्रबंधन फाइलोडी यह रोग फाइटोप्लाज्मा के द्वारा लगता है. संक्रमित पौधों का पुष्प भाग छोटीछोटी हरी पत्तियों के गुच्छे के रूप में परिवर्तित हो जाता है.

बाद में पत्तियां पीली पड़ जाती हैं. अधिक संक्रमण होने पर संक्रमित पौधों के इंटनोइस छोटे हो जाते है और शाखाएं झुक जाती हैं. प्रभावित पौधों पर फलियां नहीं बनती हैं. यदि पौधों के नीचे के भाग में कैप्सूल बनता है, तो उस में दाने नहीं बनते. यह रोग का वाहक फुदका कीट है. प्रबंधन * संक्रमित पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिए. * तिल की बोआई समय पर ही करनी चाहिए. * फुदका कीट को नष्ट करने के लिए रासायनिक कीटनाशक थायोमेथाक्जाम 25 प्रतिशत 0.3 ग्राम प्रति लिटर पानी अथवा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल (1 मिली प्रति 3 लिटर पानी) का घोल बना कर छिड़काव करना चाहिए. सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा यह एक बीजजनित रोग है. यह रोग सर्कोस्पोरा सीसेमी नामक फफूंद के द्वारा लगता है. प्रमुख लक्षण सर्वप्रथम पत्तियों के दोनों सतहों पर जलयुक्त गोल धब्बे बनते हैं, जिन के चारों ओर पीले रंग का घेरा होता है. बाद में ये धब्बे आपस में मिल कर बड़े हो जाते हैं. संक्रमण अधिक होने पर पत्तियां अपरिपक्व अवस्था में झड़ने लगती हैं और ये धब्बे तनों, टहनियों व फलियों पर भी दिखाई देते हैं. प्रबंधन * यह बीजजनित रोग है, अत: बोआई से पहले बीज को जैव फफूंदनाशी ट्राइकोडर्मा विरिडी (5-6 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज) अथवा फफूंदनाशी कार्बंडाजिम या थीरम (2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज) में अवश्य शोधित कर लेना चाहिए.

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* खड़ी फसल में रोग के लक्षण दिखाई देने पर सावधानी के रूप में एजाक्सस्ट्रोबिन 23 फीसदी एससी फफूंदनाशी (0.1 फीसदी की दर से) का एक छिड़काव कर देना चाहिए अथवा कार्बंडाजिम 12 फीसदी डब्ल्यूपी, मैंकोजब 63 फीसदी डब्ल्यूपी, 0.2 फीसदी घोल बना कर छिड़काव करना चाहिए.

फाइटोफ्थोरा झुलसा यह रोग मृदाजनित फफूंद के द्वारा होता है. यह रोग पौधे की किसी भी अवस्था में आ सकता है. शुरुआती लक्षण संक्रमित पौधों के तनों और पत्तियों पर बादामी भूरे रंग के जलयुक्त धब्बे दिखाई पड़ते हैं, बाद में ये काले रंग में बदल जाते हैं. आर्द्र मौसम और अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में इस रोग का प्रकोप अधिक होता है. पूरी पत्ती झुलसी हुई दिखाई पड़ती है. मुख्य जड़ संक्रमित हो जाती है और संक्रमित पौधे को खींचने पर वह आसानी से उखड़ जाता है. प्रबंधन

* इस रोग के प्रबंधन के लिए मैटालैक्सिल 8 फीसदी डब्ल्यूपी, मैंकोजेब 63 फीसदी डब्ल्यूपी (2 ग्राम प्रति लिटर पानी) फफूंदनाशी का छिड़काव करना चाहिए.

कीट प्रबंधन पत्ती लपेटक और फली छेदक इस कीट के शिशु कोमल पत्तियों को जाला बना कर लपेट लेते हैं, फिर पत्तियों का रस चूसते हैं. फूल आने की अवस्था पर इस कीट के लार्वा कैप्सूल में छेद कर घुस जाते हैं और बन रहे बीज को खाते हैं. जैसिड/एफिड इस कीट के शिशु पत्तियों का रस चूसते हैं और अधिक आक्रमण होने पर पत्तियां सूख कर गिर जाती हैं.

प्रबंधन * इन कीटों के प्रबंधन के लिए नीम का तेल (5 मिलीलिटर/लिटर पानी), इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल (1 लिटर प्रति 3 लिटर पानी), प्रोफेनोफास 50 ईसी (1 मिलीलिटर/लिटर पानी) का घोल बना कर छिड़काव करना चाहिए.

* फली छेदक कीट के प्रबंधन के लिए क्लोरट्रानिलीप्लोर 18.5 एससी (0.4 मिलीलिटर/लिटर पानी) का घोल बना कर छिड़काव करना चाहिए.

साक्षी के बाद – भाग 3 : संदीप की दूसरी शादी के लिए जल्दबाजी के पीछे क्या वजह थी?

फिर साक्षी एक तटस्थ भाव चेहरे पर लिए चली गई थी और पूर्वा अगली सुबह अरुण और सूर्य के साथ आगरा चली गई भाई की शादी में. 5 दिन बाद लौटी तो ये सब. वहां मौजूद लोगों से पता चला कि वह अबौर्शन के लिए अकेली ही अस्पताल पहुंच गई थी. सास को पता चला तो वह भी पीछेपीछे पहुंच गईं और उस की मरजी देखते हुए उसे इजाजत दे दी. फिर अबौर्शन ऐसा हुआ कि बच्ची के साथसाथ वह भी चली गई.

देखते ही देखते साक्षी विदा हो गई सदा के लिए. कई दिन तक हर दिन पूर्वा वहां जाती और कलेजे को पत्थर बना कर वहां बैठी रहती. उस दौरान स्वाति और उस की मां कई दिन पूर्वा के घर ही रहीं. एक दिन पारंपरिक रस्म अदायगी के बाद साक्षी का अध्याय बंद हो गया. सुहानी मौसी के साथ इन दिनों में इतना घुलमिल गई थी कि पल भर भी नहीं रहती थी उस के बिना, इसलिए फैसला यह हुआ कि फिलहाल तो मौसी व नानी के साथ ही जाएगी वह.

एक दौर गुजरा और दूसरा दौर शुरू हुआ उदासी का, साक्षी के संग गुजारे अनगिनत खूबसूरत पलों की यादों का. संदीप भाई भी जबतब इन यादों में हिस्सा बंटाने चले आते और सिर्फ और सिर्फ साक्षी की बातें करते तो पूर्वा तड़प उठती. लगता था संदीप भाई कभी नहीं संभल पाएंगे, लेकिन हर अगले दिन रत्तीरत्ती कर दुख कम होता जा रहा था. यही तो कुदरत का नियम भी है.

‘‘अरे, ऐसे कैसे बैठी हो गरमी में, पूर्वा और इतनी सुबह क्यों उठ गईं तुम?’’ अरुण ने पंखा चलाते हुए कहा तो पूर्वा वर्तमान में लौट आई.

‘‘लोग कितनी जल्दी भुला देते हैं उन्हें, जिन के बिना घड़ी भर भी न जी सकने का दावा करते हैं, है न अरुण?’’ एक सर्द सांस लेते हुए सपाट स्वर में कहा पूर्वा ने.

‘‘किस की बात कर रही हो पूर्वा?’’

‘‘इंदु भाभी का फोन आया था. आप के संदीप ने दूसरी शादी कर ली.’’

सुन कर चौंके नहीं अरुण. बस तटस्थ से खामोश बैठे रहे.

हैरानी हुई पूर्वा को. पूछा, ‘‘आप कुछ कहते क्यों नहीं अरुण? हां, क्यों कहोगे, मर्द हो न, मर्द का ही साथ दोगे. अच्छा चलो, एक बात का ही जवाब दे दो. यही हादसा अगर संदीप भाई के साथ गुजरा होता तो क्या साक्षी दूसरी शादी करती, वह भी इतनी जल्दी?’’

‘‘नहीं करती, बिलकुल नहीं करती, मैं मानता हूं. औरत में वह शक्ति है जिस का रत्ती भर भी हम मर्द नहीं छू सकते. तभी तो मैं दिल से इज्जत करता हूं औरत की और इंदु भाभी या उन जैसी कोई और रिपोर्टर तुम्हें नमकमिर्च लगा कर कल को कुछ बताए, उस से पहले मैं ही बता देता हूं तुम्हें कि मैं भी संदीप के साथ था. कल मैं औफिस के काम से नहीं, संदीप के लिए बाहर गया था.’’

‘‘क्या, इतनी बड़ी बात छिपाई आप ने मुझ से? लड़की कौन है?’’ घायल स्वर में पूछा पूर्वा ने.

‘‘साक्षी की बहन स्वाति.’’

‘‘क्या, ऐसा कैसे कर सकते हैं संदीप भाई और वे साक्षी की मां, कैसा दोहरा चरित्र है उन का? उस वक्त तो सब की नजरों से बचाबचा कर यहां छिपा रही थीं स्वाति को. कहती थीं, बिटिया गरीब हूं तो क्या जमीर बेच दूं? खूब समझ रही हूं मैं इन सब के मन की बात, पर कैसे कर दूं अपनी उस बच्ची को इन के हवाले, जहां से मेरी एक बेटी गई. जीजूजीजू कहते जबान नहीं थकती लड़की की, अब कैसे उसे पति मान पाएगी? और संदीप भाई

का क्या यही प्यार था साक्षी के प्रति कि वह चली गई तो उसी की बहन ब्याह लाए? और कोई लड़की नहीं बची थी क्या दुनिया में?’’ अपने स्वभाव के एकदम विपरीत अंगारे उगल रही थी पूर्वा.

अरुण ने आगे बढ़ कर उस के मुंह पर अपनी हथेली रख दी. बोले, ‘‘शांत हो जाओ, पूर्वा. यह सब इतना आसान नहीं था संदीप के लिए और न ही स्वाति के लिए. रही बात साक्षी की मां की, तो यह उन की मरजी नहीं थी, स्वाति का फैसला था. उस का कहना था कि मेरे लिए साक्षी दीदी अब सिर्फ सुहानी में बाकी हैं. उस के सिवा और कोई खून का रिश्ता नहीं बचा मेरे पास. मैं सुहानी के बिना नहीं जी सकती. अगर इस की नई मां आ गई तो सुहानी के साथ नहीं मिलनेजुलने देगी हमें. तब इसे देखने तक को तरस जाऊंगी मैं और शादी तो मुझे कभी न कभी करनी ही है, तो क्यों न जीजू से ही कर लूं. सब समस्याएं हल हो जाएंगी.

‘‘साक्षी की मां ने मुझे अलग ले जा कर कहा था कि मैं अपने ही कहे लफ्जों पर शर्मिंदा हूं अरुणजी, संदीपजी के साथ स्वाति का रिश्ता न जोड़ने की बात एक मां के दिल ने की थी और अब जोड़ने का फैसला एक मां के दिमाग का है. कहां है मेरे पास कुछ भी, जो स्वाति को ब्याह सकूं. होता तो कब की ब्याह चुकी होती. और भी बहुत कुछ था, जो अनकहा हो कर भी बहुत कुछ कह रहा था. तुम ने उन की गरीबी नहीं देखी पूर्वा, मैं ने देखी है. एक छोटे से किराए के कमरे में रहती हैं मांबेटी. एक नर्सरी स्कूल में नौकरी करती हैं आंटी और थोड़ी तनख्वाह में से घर भी चला रही हैं और स्वाति को भी पढ़ा रही हैं.

‘‘अब रही बात संदीपकी, तो उस का कहना था कि अरुण, मम्मीजी मेरा ब्याह किए बिना तो मानेंगी नहीं, इकलौता जो हूं मैं. फिर कोई और लड़की क्यों, स्वाति क्यों नहीं? एक वही तो है, जो मेरा दर्द समझ सकती है, क्योंकि यही दर्द उस का भी है. और एक वही है, जो मेरी सुहानी को सगी मां की तरह पाल सकती है. कोई और आ गई तो सब कुछ तहसनहस हो जाएगा.’’

पूर्वा खामोश बैठी रही बिना एक शब्द बोले, तो अरुण ने तड़प कर कहा, ‘‘यों खामोश न बैठो पूर्वा, कुछ तो कहो.’’

‘‘बसबस, बहुत हो गया. मैं चाय बना कर लाती हूं. चाय पी कर घर के कामों में मेरी मदद करो. आज बाई छुट्टी पर है. साथ ही, यह सोच कर रखो कि स्वाति को शगुन में क्या देना है. यह काम भी सुबहसुबह निबटा आएंगे और स्वाति और संदीप भाई को भी अच्छा लगेगा.’’

एक मीठी मुसकराहट के साथ पूर्वा उठ खड़ी हुई तो राहत भरी मुसकान अरुण के होंठों पर भी बिखर गई.

 

Heart Attack: नाजुक दिल को संभालें

बिग बॉस 13 के विनर और टीवी एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला का महज 40 साल की उम्र में हार्ट अटैक से निधन हो गया. जिससे हर कोई सदमे में हैं. उनके फैंस इसलिए भी दुखी और हैरान हैं क्योंकि वो एक हेल्दी पर्सन थे और फिटनेस का पूरा ख्याल रखते थे. फिर भी वो हार्ट अटैक का शिकार हो गए.

मौजूदा समय में बदलती लाइफस्टाइल और तनाव के बीच आम लोग भी इस समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. ताकी आपका दिल स्वस्थ रहे.

बदलती लाइफ स्टाइल ने हमारे दिल के लिए खतरा बढ़ा दिया है. जीवनशैली व खानपान में बदलाव जहां लोगों को हृदय संबंधी रोगों के करीब पहुंचा रहा है वहीं वैवाहिक जीवन में मनमुटाव और मनमुताबिक नौकरी नहीं मिलने या काम का अधिक प्रैशर हार्ट अटैक का कारण बन रहा है. डब्लूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 तक कार्डियोवैस्कुलर बीमारियां देश में मौत की सब से बड़ी वजह बन जाएंगी. मुंबई के लीलावती और नानावटी अस्पताल से जुड़े जानेमाने हार्ट सर्जन डा. पवन कुमार अपना अनुभव बांटते हुए कहते हैं कि हर साल पूरे विश्व में दिल के रोग से 17 मिलियन लोग प्रभावित होते हैं.

बदलते लाइफस्टाइल से दिल के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. हार्ट डिजीज के लिहाज से 20 से 35 साल का एज ग्रुप बहुत अहम है. युवाओं को दिल का दौरा पड़ने का मुख्य कारण यह है कि वे हृदय रोग को गंभीरता से नहीं लेते. लाइफस्टाइल को ले कर कैजुअल अप्रोच, स्मोकिंग, अल्कोहल के इस्तेमाल व खानपान और रहनसहन की गलत आदतें हृदय की बीमारी की ओर ले जाती हैं. अपनेआप को सेहतमंद रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना, स्ट्रैस कम लेना, डाइट का खयाल रखना और धूम्रपान से दूर रहने के अलावा जैनेटिक प्रोफाइलिंग भी बेहद जरूरी है.

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डा. पवन कुमार चिंता जताते हुए कहते हैं कि हमारे पास 30 प्रतिशत मरीज ऐसे आते हैं जिन्हें दिल का दौरा या तो आ चुका होता है या फिर बीमारी की शुरुआत हो चुकी होती है. आश्चर्य की बात यह है कि इन मरीजों की उम्र 40 वर्ष से कम होती है. इन में से 50 प्रतिशत डायबिटीक होते हैं. इसे आप यंग डायबिटीक कह सकते हैं. बाईपास सर्जरी के मामले में हम यह भी पा रहे हैं कि ऐसे मरीजों के 6-7 बाईपास करने पड़ते हैं. कुछ मामले ऐसे भी आए हैं कि 27 साल की उम्र में ही मरीज की बाईपास सर्जरी करनी पड़ी.

सिर्फ उम्रदराज ही नहीं बल्कि अब तो नौजवान भी दिल से जुड़ी बीमारी के शिकार हो रहे हैं. देश में हर साल 3 करोड़ से ज्यादा भारतीयों को यह बीमारी अपनी चपेट में ले रही है और इस से 24 लाख मौतें होती हैं.

मैट्रो अस्पताल, नोएडा के जानेमाने वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा. पुरुषोत्तम लाल कहते हैं कि अकसर लोग सीने, कंधे, गरदन, हाथ, जबड़े या पीठ के दर्द को छोटामोटा दर्द समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं. कई बार घर व बाहर की जिम्मेदारी के कारण उन्हें अपनी देखभाल करना समय की बरबादी महसूस होता है. परंतु आप ऐसे दर्द को लंबे समय तक न टालें क्योंकि इस प्रकार के दर्द का लक्षण एंजाइना हो सकता है.

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एंजाइना कोई बीमारी नहीं है पर यह लक्षण कोरोनरी धमनी रोग या कोरोनरी हृदय रोग में तबदील हो सकता है. आजकल लोगों की जिंदगी आपाधापी से भरी है. सभी व्यस्त जीवन गुजार रहे हैं. ऐसे में कोरोनरी हृदय रोग के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. बहुत सारे लोग इस के लक्षण को समझ ही नहीं पाते हैं. वे जब तक समझ पाते हैं तब तक देर हो जाती है.

कोरोनरी धमनी रोग यानी सीएडी या कोरोनरी हृदय रोग यानी सीएचडी एक गंभीर अवस्था है. इस में हृदय को औक्सीजन और पोषक तत्त्वयुक्त रक्त पहुंचाने वाली धमनियां क्षतिग्रस्त या रोगग्रस्त हो जाती हैं. प्लाक के कारण कोरोनरी धमनियां सिकुड़ जाती हैं, जिस के चलते हृदय को कम मात्रा में खून प्राप्त होता है. कम रक्त प्रवाह होने के कारण सीने में दर्द यानी एंजाइना हो सकता है या अन्य कोरोनरी धमनी की बीमारी के संकेत और लक्षण पैदा हो सकते हैं. प्लाक के कारण कोरोनरी धमनियों में एक पूर्व रुकावट दिल के दौरे का कारण बन सकती है.

इस रोग के कई रिस्क फैक्टर हैं जो एकदूसरे से जुड़े हुए हैं : उच्च रक्तचाप भी कोरोनरी हृदय रोग की संभावनाओं को बढ़ा देता है. किसी काम या मेहनत वाली गतिविधि के दौरान हृदय की मांसपेशियां शरीर की औक्सीजन की मांग के अनुसार तेजी से धड़कने लगती हैं. डिस्लीपिडेमिया रक्त लिपिड और लेपोप्रोटीन में असामान्यताओं को दर्शाता है. अगर कम घनत्व लेपोप्रोटीन (एचडीएल) अर्थात खराब कोलैस्ट्रौल, 130 एसजी/डीएल से अधिक या उच्च घनत्व (एचडीएल) लेपोप्रोटीन, जो अच्छा कोलैस्ट्रौल है, 40 एमजी/डीएल से कम हो या कुल कोलैस्ट्रौल 200 एमजी/डीएल से अधिक हो तो सीएडी का खतरा बढ़ जाता है.

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अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होने का सीएचडी के सभी अन्य जोखिम वाले कारकों के साथ सीधा संबंध है. जिन लोगों के पेट पर चरबी अधिक होती है उन्हें इस का खतरा अधिक होता है. जो लोग नियमित व्यायाम कार्यक्रम में कम से कम 30 मिनट या सप्ताह के ज्यादातर दिन शामिल नहीं होते उन्हें सीएडी का जोखिम अधिक होता है. आसान जीवनशैली सीएडी के अन्य जोखिम वाले कारकों को प्रेरित करती है. समयसमय पर नियमित रूप से ब्लडप्रैशर की जांच करवाएं. कोलैस्ट्रौल के स्तर पर नजर रखें. साथ ही खानपान पर भी ध्यान रखें.

इन बातों का रखें खयाल

यदि किसी व्यक्ति को उच्च कोलैस्ट्रौल, रक्तचाप जैसी समस्याएं होती हैं तो उस को हृदयाघात का अधिक जोखिम रहता है. गुड कोलैस्ट्रौल का 50 से कम होना और बैड कोलैस्ट्रौल का 100 से अधिक होना खतरनाक है. ब्लडप्रैशर का 130/85 से अधिक होना ठीक नहीं. आज युवाओं में हृदयाघात और हृदय की बीमारियों की बढ़ती संख्या, चिंता का विषय बन रही है. ऐसे में हृदय की समस्याओं से बचने का एक ही उपाय है कि आप खुद अपनी कुछ सामान्य जांच करें और हृदय संबंधी समस्याओं को गंभीरता से लें.

कैसे बचें इस बीमारी से

आज अधिकतर औफिस की इमारतें बहुमंजिली हैं और लोग इस के लिए सीढि़यों के बजाय लिफ्ट का इस्तेमाल करते हैं, जिस से थोड़ा सा भी व्यायाम नहीं हो पाता. बेहतर यह होगा कि आप सीढि़यों का इस्तेमाल करें. गतिशील बनें और मादक पदार्थों का सेवन कदापि न करें. डायबिटीज, हाइपरटैंशन और कोलैस्ट्रौल के स्तर को नियंत्रित रखें. संतुलित आहार लें. बाहर का खाना कम से कम खाएं.

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भागमभाग भरी जिंदगी से थोड़ा वक्त अपने लिए भी निकालें. कहीं सैरसपाटे के लिए निकल जाएं. एक स्वस्थ मन स्वस्थ शरीर का परिचायक होता है. तनाव को हावी न होने दें, हंसें और मुसकराएं व दूसरों से अपनी हंसी बांटें. याद रखें, जान है तो जहान है.

समझौता – भाग 1 : नई किराएदारिन किसे देखकर हैरान थी

सुधा ने अपने दोमंजिले से नीचे उतरती नई किराएदारिन पर एक नजर डाली. लंबी, छरहरी, गुलाबी रंगत लिए गोरी काया, कजरारी आंखें, चौड़े माथे पर नन्ही सी मैरून रंग की बिंदी, कमर तक लहराते बालों से अभी भी पानी टपक रहा था.

सुधा को अपनी तरफ देखते हुए रीना सकुचा कर बोली, “दीदी नमस्ते, आज सुबह उठने में देर हो गई. कल अस्पताल में 4 डिलीवरी थीं. मैं बहुत थक गई थी.”

“अरे, गीले बालों को तो सुखा लेती, एक ड्रायर ले कर रख लो.”“आ कर आप से मिलते हूं दीदी,” रीना तेजी से गेट खोल कर बाहर निकल गई. बाहर वही मोटरसाइकिल सवार खड़ा था. रीना उस के पीछे लपक कर बैठ गई.

“सुनोजी, ये रीना आप को विधवा लगती हैं क्या? ये मोटरसाइकिल वाला रोज ही इसे लेने व छोड़ने आता है. ये तो अस्पताल में होती हैं, पर ये महाशय तो  सिलेंडर, सब्जी, घरेलू सामान ला कर रख जाता है. एक चाभी इस को भी दे रखी है इस ने,” सुधा शंकित हो अपने पति विराज से बोली.

“उसी से खुल कर पूछ लो एक दिन. उस की विधवा होने और 2 छोटे बेटे गांव में रखने की कहानी तो उस से सुन ही चुकी हो, तब तुम्हें बड़ा तरस आ रहा था. अब क्या हुआ?” विराज ने चिढ़ाते हुए कहा.

सुधा जानती थी कि रीना को कम किराए पर वन रूम सेट देने के कारण ही उस के कंजूस पति उस से  नाराज हैं. उस ने पलट कर कुछ नहीं कहा और सोचा रीना को समझा देगी कि उसे इस पुरुष का बेरोकटोक घर पर आना पसंद नहीं. भले ही वह रीना का रिश्तेदार ही क्यों न हो.

उस दिन रीना एक प्लेट में  गरमागरम पकौड़ी ले कर आई और बोली, “दीदी, आज बड़े दिनों के बाद पकौड़ी बनाने का मन हुआ. सोचा कि आप को भी खिला दूं.”

सुधा सोच में पड़ गई. वे जल्दी से हर किसी के हाथ से खाना पसंद नहीं करती हैं. वे पहले दूसरों की साफसफाई पर ध्यान देती हैं.“लीजिए, आप पकौड़ी खाइए, मैं चाय बना कर लाती हूं,” रीना की बात सुनते ही सुधा बोल पड़ी,

“तुम बैठ कर पकौड़ी खाओ. मैं चाय बना कर लाती हूं. आज मेरा सुबह से ही पेटदर्द कर रहा है. मैं फिर कभी पकौड़ी खा लूंगी.”रीना का मुंह उतर गया. वह चुपचाप बैठ कर पकौड़ी कुतरने लगी. सुधा चाय बना कर ले आई और बोली.“तुम्हारे बेटों के क्या हाल है?”

“वे दोनों बहुत शैतान हैं, अकेले छोड़ने लायक नहीं हैं. बड़ा वाला 5 साल का है और छोटा ढाई साल का.”“तुम्हारे मायके में कौनकौन हैं?” सुधा ने जानना चाहा.“मां, पिताजी और 2 भाई  हैं. मेरे ससुराल से अनाज आ जाता है. भाई लोग वहां से मिली जमीन की देखभाल करते हैं. हर महीने 5,000 रुपए मैं भी भेज देती हूं,” रीना चाय का घूंट भरती हुई बोली.

“ससुराल से जमीन मिल गई क्या?” सुधा ने पूछा.“मेरे पति के हिस्से की जायदाद अब दोनों बेटों के नाम करा दी है. ससुर तो पहले ही गुजर चुके थे. मेरा पति यहां शहर में निजी कंपनी में ड्राइवर था. मैं गांव में ही 2 बच्चों के साथ अपनी सास के संग रह रही थी.

“हमारी शादी को 6 बरस हो गए थे. सास हमारी टीबी की मरीज थी. वे समय से दवा नहीं खाती थीं. एक दिन वे रातभर खांसती रहीं, फिर सुबह दम तोड़ दिया. हम बच्चों को ले कर शहर आ गए. केवल 8वीं जमात पास हैं हम. हम ने कभी शहर देखा नहीं था. गांवों में शादियां भी कमउम्र में हो जाती हैं. यहां मेरे पति ने एक गंदी सी बस्ती में मकान किराए पर लिया हुआ था. उन्हीं शराबीजुआरियों के बीच उस का उठनाबैठना था. मुझे 4,000 रुपए थमा देते घर चलाने को, बाकी सब रुपया फूंक देते. बच्चे टौफी, बिसकुट, दूध को तरसते रहते. इस से तो गांव अच्छा था. अपने घर दूध, घी, अनाज की कमी नहीं थी,” रीना बोलती ही चली गई, जैसे कितना कुछ भरा हो भीतर, कोई तो सुने उस के दुखदर्द.

तभी गेट में हौर्न बजा. विराज औफिस से घर लौट आए थे. दोनों की बातचीत अधूरी रह गई. सुधा गेट खोलने चली गई. रीना दोमंजिले में चढ़ गई.

एक सुबह सुधा की 5 बजे ही नींद खुल गई. दिसंबर के महीने में बाहर धुंध लगी हुई थी. उस ने धीरे से गेट खुलने और बंद होने की आवाज सुनी. बाहर झांक कर देखा तो रीना गेट बंद कर रही थी. तभी मोटरसाइकिल स्टार्ट होने की आवाज आई.

“ओह… तो कल रात ये महेश यहीं रुका था,” सुधा ने सोचा. वे दिनभर उस महेश के विषय में सोचती रहीं. दिन में अखबार की एक खबर पढ़ कर उसे यह विचार आया कि कहीं ऐसा तो नहीं कि रीना भी अपने प्रेमी के साथ मिल कर पति का कत्ल कर अब मेरे मकान में आ कर रहने लगी हो. आजकल किसी के चरित्र का कोई भरोसा नहीं है. विराज से भी कुछ विचारविमर्श नहीं कर सकती. उस ने ठान लिया कि बुधवार को जब रीना  घर पर रहती है, तो उस से खुल कर बात करेगी और कोई न कोई बहाना बना कर घर खाली करवा लेगी.

बुधवार की सुबह सुधा ने 11 बजे तक सारे काम निबटा लिए और रीना के पास पहुंच गई.सुधा को अचानक सामने देख रीना हड़बड़ा गई. अपने बेड के सिरहाने रखा फोटोफ्रेम उस ने झट से उलटा दिया.“दीदी आइए न, आज 2 महीने हो गए, आप के घर आए. आप कभी ऊपर झांकने भी नहीं आईं,” रीना ने प्लास्टिक की कुरसी खिसकाते हुए कहा.

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