लेखक- पूनम पांडे

कीवी एक ऐसा बहुगुणी फल है, जो हर मौसम में हर जगह आसानी से मिल भी रहा है और पूरी दुनिया में अपनी विशेषताओं के लिए खास फल रूपी औषधि भी बन रहा है. कीवी सिर के बालों से ले कर पैर के तलवे तक शरीर के हर भाग को भरपूर पोषण देता है. जहां यह बालों को घना और सेहतमंद बनाता है, वहीं दिल, लिवर, आंत और पैरों की थकान तक को कम करता है. कीवी दरअसल चाइनीज गूजबैरी है, जो अब संसार के हर कोने में ‘कीवी फल’ के नाम से प्रसिद्ध है. कीवी फल उत्पादन के लिहाज से भी इतना लाभदायक है कि किसानों के लिए यह एक नकदी फल बनता जा रहा है. कीवी फल की खेती हिमालय के मध्यवर्ती, निचले पर्वतीय क्षेत्रों, घाटियों और मैदानी क्षत्रों में, जहां सिंचाई की सुविधा हो, सफलतापूर्वक की जा सकती है. अंगूर की बेलों की तरह ही इस की बेलें बढ़ती हैं.

कीवी फल भूरे रंग का, लंबूतरा, मुरगी के अंडे के आकार का होता है. छिलके पर बारीक रोएं हाते हैं, जो फल पकने पर रगड़ कर उतारे जा सकते हैं. कीवी फल का गूदा हलके हरे रंग का होता है. इस में काले रंग के छोटेछोटे बीज होते हैं. इस का स्वाद खट्ठामीठा होता है. कीवी फल को ताजा फल के रूप में या सलाद के रूप में खाने के लिए उपयोग में लाया जाता है. यह पोषक तत्त्वों और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. इस में विटामिन बी और सी और खनिज जैसे फास्फोरस, पोटाश व कैल्शियम की अधिक मात्रा होती है. डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड, खून में हीमोग्लोबिन की कमी होने पर खासतौर पर मरीज को 2 कीवी प्रतिदिन खाने की डाक्टर सलाह देते हैं. कीवी फल भारत के लिए दशकों तक विदेशी रहा, फिर कुछ बागबानी विशेषज्ञों की भरपूर कोशिश से भारत में साल 1960 में सर्वप्रथम बैंगलुरू में लगाया गया था, लेकिन बैंगलुरू की जलवायु में पर्याप्त ठंडक न मिल पाने के कारण कीवी उत्पादन में जरा भी सफलता नहीं मिली. इस के 3 साल बाद 1963 में राष्ट्रीय पादप आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो, क्षेत्रीय संस्थान के शिमला स्थित केंद्र फागली में कीवी की 7 प्रजातियों के पौधे आयातित कर के लगाए गए, जहां पर कीवी के इन पौधों से सफल उत्पादन प्राप्त किया गया.

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