जैन समुदाय में अब शादियों से पहले होने बाले प्री वेडिंग शूट और महिला संगीत में कोरियोग्राफी प्रतिबंधित रहेगी. भोपाल के जैन समाज ने यह फैसला अपने मुनियों शैल सागर , निकलंक सागर और प्रसाद सागर के आदेश पर लिया है. जैन पंचायत कमेटी के अध्यक्ष प्रमोद हिमांशु के मुताबिक इन मुनियों ने कहा है कि जो इन निर्देशों को न माने उसे समाज में तबज्जो न दी जाये यानि समाज से बहिष्कृत कर दिया जाये.

इस तुगलकी फैसले के बाबत परंपरावादियों के अपने घिसे पिटे तर्क भी हैं कि यह एक नए किस्म की फिजूलखर्ची है और एक नए प्रकार का प्रदूषण भी है. प्री वेडिंग शूट के लिए लड़का लड़की को सगाई के बाद अकेले अपने ही शहर में या फिर किसी पर्यटन स्थल पर जाकर फोटो खिंचाने की इजाजत या छूट दे दी जाती है, वहां इन लोगों के साथ कोई भी अप्रिय घटना हो सकती है. दूसरे समाज के बुजुर्ग उस वक्त नाराजगी जताते हैं जब ये फोटो शादी वाले दिन स्क्रीन पर दिखाये जाते हैं.

बेशक इन दलीलों में कोई दम नहीं है जो युवाओं की इच्छाओ और आजादी पर धर्म और संस्कृति की आड़ में अंकुश लगाने दी जा रही हैं. दरअसल में चूंकि मुनिगण ऐसा नहीं चाहते इसलिए यह सब थोपा जा रहा है, जिसके नतीजे भी जैन समाज को भुगतना होंगे. यह वही जैन समाज है, जो अपनी घटती आबादी को लेकर इतना चिंतित है कि नए जोड़ों को ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील भी वक्त वक्त पर करता रहता है. इसी जैन समाज में हजारों युवा दीन दुनिया से विरक्त होकर सन्यास ले लेते हैं जिसका खूब धूम धड़ाका किया जाता है.

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