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अक्षय कुमार ने मुंबई पुलिस को दिए 1000 रिस्ट बैंड, सेंसर से पता चलेंगे कोरोना के लक्षण  

देश में कोरोना का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट महाराष्ट्र है जहां रोजाना COVID-19 के हजारों मरीजों की पुष्टि हो रही है. इसी बीच राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने वाले पुलिसकर्मी भी इस खतरनाक महामारी की चपेट में आने लगे हैं. कोरोना से जंग में अक्षय कुमार ने एक बार फिर आगे आकर अब मुंबई पुलिस की मदद की है. GOQii के ब्रांड एंबेसडर अक्षय कुमार ने मुंबई पुलिस को 1000 GOQii महत्वपूर्ण ३.० बैंड दान किए हैं जो COVID-19 के खिलाफ लड़ाई में साथ देंगे.

बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार ने अपने स्तर पर कई बार सहायता की है. फंड में डोनेट करने की बात हो या फिर बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (बीएमसी) को आर्थिक मदद हो, अक्षय कुमार हर मोर्चे पर आगे रहे हैं और दिलखोल कर मदद की है. अब अक्षय ने मुंबई पुलिस वालों के लिए कुछ ऐसा किया है जिसको लेकर उनकी खूब तारीफ कर रहे हैं.

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GOQii ने महत्वपूर्ण 3.0 के प्रक्षेपण के माध्यम से जल्दी COVID का पता लगाने में एक बड़ी सफलता की घोषणा की है. COVID 19 लक्षणों का पता लगाने के लिए सेंसर के साथ अपने कलाई बैंड के माध्यम से COVID-19 रोकथाम में दुनिया के पहले प्रमुख अवरोधों में से एक में.

मुंबई पुलिस विभाग दुनिया का पहला संगठन होगा जो GOQii निवारक स्वास्थ्य मंच के माध्यम से अपने कर्मियों के स्वास्थ्य ट्रैक कर और प्रबंधित करने में सक्षम होगा.

कलाई बैंड अपने कदम गिनती और कैलोरी पर नियंत्रण रखते हुए शरीर के तापमान, हृदय गति, रक्तदाब और नींद जैसी नब्ज को ट्रैक करेगा .  GOQii ने जर्मन हेल्थ टेक स्टार्टअप थ्रिव के साथ भागीदारी की है ताकि महत्वपूर्ण ३.० द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर COVID 19 संक्रमणों का जल्दी पता लगाने के लिए एक नैदानिक अध्ययन किया जा सके. यह पता लगते ही संयुक्त उपयोग संभावित COVID-19 रोगियों को अलग करने और आगे फैलने को रोकने में काफी मदद कर सकते हैं.

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वायरस के तेजी से फैलने पर अंकुश लगाने के लिए दुनिया भर की सरकारें यह सुनिश्चित कर रही हैं कि हरसार्वजनिक स्थान पर तापमान की जांच अनिवार्य है. तापमान की जांच एक महत्वपूर्ण उपकरण है कि कई स्तरों पर प्रभावी हो सकता है. शरीर का तापमान, वायरस और बाद का पता लगाने से प्रभावित होने का पहला लक्षण है, लोगों को नियमित रूप से और समय पर तापमान की जांच की जरूरत है.

GOQii महत्वपूर्ण 3.0 उपयोगकर्ताओं की मदद करेगा, साथ ही रोगियों, किसी भी मानव संपर्क के बिना उनके तापमान की जांच, विशेष रूप से नर्सों और डॉक्टरों के साथ संपर्क इस प्रकार दूसरों के लिए जोखिम को कम करेगा .

“हम स्वास्थ्य  के विकास को देख रहे हैं, Wearables + कोच के एकीकरण/ दुनिया भर की सरकारें, अस्पताल, स्कूल, बीपीओ, बीमा, बैंकिंग, राइड-शेयरिंग, फूड डिलिवरी, ई-कॉमर्स और लॉजिस्टिक्स कंपनियां GOQii Vital ३.० का इस्तेमाल करने के लिए हमारे साथ बातचीत कर रही हैं . डिटेक्शन एल्गोरिदम और GOQii महत्वपूर्ण 3.0 स्मार्ट बैंड का संयुक्त उपयोग संभावित COVID-19 रोगियों को अलग करने और आगे फैलने से रोकने में काफी मदद कर सकता है. हमें विश्वास है कि नैदानिक अध्ययन COVID-19 संक्रमण की भविष्यवाणी में सकारात्मक परिणाम दिखाएगा, “कहते हैं, विशाल गोंडल, संस्थापक और सीईओ, GOQii.*

“हम अपने प्रयास में GOQii के साथ भागीदार के लिए एक निवारक स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए और सामने धावक COVID-19 वायरस का जल्दी पता लगाने में एक क्रांति लाने के लिए खुश हैं” कहते हैं, * फ्रेडरिक Lämmel, सीईओ, Thryve * कहते हैं कि यह पहनने योग्य उपकरण मूल्यवान डेटा प्रदान करते हैं जिनका हमारे उन्नत एल्गोरिदम द्वरा कार्रवाई योग्य स्वास्थ्य अंतर्दृष्टि में अनुवाद किया जा सकता है .

GOQii Vital 3.0 भारत में चरणों में उपलब्ध होगा और अग्रिम पंक्ति के कामगारों, सरकारी और निजी उद्यमों और कुछ इकाइयों के लिए तत्काल आधार पर जनता के लिए उपलब्ध होगा. अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, जापान, यूएई, सिंगापुर और अन्य देशों में लॉन्च करने की योजना चल रही है .

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘स्थानीय के बारे में मुखर रहें’ के आह्वान के बाद #AtmaNirbharBharat GOQii भी भारत में विनिर्माण विकल्पों का मूल्यांकन कर रहा है. GOQii Vital 3.0 GOQii ऐप से ऑर्डर के लिए उपलब्ध होगा और जल्द ही अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध होगा.

GOQii महत्वपूर्ण 3.0 केवल एक स्क्रीनिंग डिवाइस है और एक चिकित्सा उपकरण नहीं है. यह सिफारिश की जाती है कि इसका उपयोग केवल स्क्रीनिंग उद्देश्यों के लिए किया जाए. GOQii द्वारा एकत्र किए गए सभी डेटा HIPA, जीडीपीआर और प्रासंगिक डेटा गोपनीयता दिशानिर्देशों के अधीन हैं.

लॉकडाउन की वजह से ऑनलाइन रिलीज होगी अमिताभ और आयुष्मान की ‘गुलाबो सिताबो’

कोरोना नें दुनियां भर में तमाम बदलाव लाने का काम किया है. भारत भी इससे अछूता नहीं हैं यहाँ भी कोरोना के चलते लॉक डाउन लगाया गया है जिसका तीसरा चरण ख़त्म होने को है और चौथे चरण की घोषणा भी की जा चुकी है.

इस लॉक डाउन नें हर तरह के उद्योगों को प्रभावित किया है. तो भारतीय फिल्म इंडस्ट्री इससे कैसे अछूती रह पाती. देश में बॉलीवुड से लेकर साऊथ और भोजपुरी से लेकर पंजाबी, मराठी व रीजनल भाषाओं में रिलीज के लिए तैयार फ़िल्में कोरोना के कहर के ख़त्म होने व लॉक डाउन के समाप्त किये जाने की घोषणा का इंतज़ार कर रहीं है. जिससे फिल्म उद्योग को फिर से पटरी लाया जा सके.

इसी बीच बॉलीवुड से कुछ बड़े एक्टर्स और बड़े बजट वाली फिल्मों को डिजिटल प्लेटफार्म पर रिलीज किये जानें की कवायद भी शुरू कर दी गई है. क्योंकि बॉलीवुड का करोड़ों रुपया फिल्मों की रिलीजिंग के रुक जानें से फंसा हुआ है.

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इस सब के बीच डिजिटल प्लेटफार्म पर जिस बड़ी फिल्म के रिलीज किये जाने की घोषणा की गई है वह इस सदी के महानायक अमिताभ और आयुष्‍मान खुराना की फिल्‍म ‘गुलाबो सिताबो’ है. इस फिल्म का उनके फैन्स लम्बे समय से इंतज़ार कर रहे थे. इस फिल्म को इसी साल 17 अप्रैल को रिलीज किया जाना था लेकिन लॉक डाउन के चलते सिनेमा हालों के खोले जाने पर पाबंदी और लोगों के घरों से निकलने पर लगाए गए पाबंदी के चलते इसकी रिलीजिंग टाल दी गई थी.

लेकिन अब ‘गुलाबो सिताबो’ को फिल्म से जुड़े लोगों नें इसे ऑनलाइन रिलीज किये जाने की  घोषणा की है. इस फिल्म को अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज किये जाने की घोषणा की गई है. फिल्‍म के प्रीमियर की तिथि 12 जून को निर्धारित की गई है.

इस फिल्म को रिलीज किये जाने को लेकर अमिताभ बच्‍चन ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर एक पोस्ट कर जानकारी दी है. उन्होंने पोस्ट के साथ फिल्म का पोस्टर भी शेयर किया है और लिखा है “फिल्म इंडस्ट्रीज़ में शामिल हुए 1969 से 2020 तक 51 साल हो गए.. कई बदलाव और चुनौतियाँ देखीं .. अब एक और चुनौती.

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मेरी फिल्म गुलाबो सिताबो के डिजिटल रिलीजिंग. 12 जून अमेज़ॅन प्राइम 200+ देश .. यह अद्भुत है” एक और बदलाव का हिस्सा बनने के लिए शामिल किया गया.इसके पहले उन्होंने एक और पोस्ट किया है और लिखा है “ एक इज्जतदार जनाब और उनकेअनोखे किरायेदार की कहानी ‘गुलाबो सिताबो’ शुजित सरकार के निर्देशन में बनाई गई है. फिल्म की स्टोरी और डॉयलाग जूही चतुर्वेदी ने लिखा है. फिल्म के निर्माता रोनी लाहिरी और शील कुमार हैं. फिल्म की सिनेमेटोग्राफी अविक मुखोपाध्याय नें की है.

फिल्म की लेखिका राइटर जूही चतुर्वेदी नें विक्की डोनर’, पीकू और अक्‍टूबर जैसी सफल फिल्मों का लेखन भी किया हैं. फिल्म ‘गुलाबो सिताबो’ में उन्होंने एक किराएदार और मकान मालिक के बीच होने वाली तकरार और लड़ाई को लेकर कहानी गढ़ी है. इस फिल्म में आयुष्मान किराएदार बने हैं और अमिताभ बच्चन मकान मालिक. कहानी की पृष्ठभूमि लखनऊ की है.वहीँ लॉकडाउन की वजह से हो रहे फिल्म इंडस्ट्री के नुकसान को देखते हुए ‘सूर्यवंशी’, ‘राधे’, ‘संदीप और पिंकी फरार’ जैसी फिल्मों को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर रिलीज किये जाने के भी कयास लगाए जा रहें हैं.

Crime Story: हाईप्रोफाइल हसीनाओं का रंगीन खेल

उस दिन जनवरी, 2020 की 5 तारीख थी. आईजी मोहित अग्रवाल अपने कार्यालय में कानपुर शहर की कानूनव्यवस्था पर पुलिस अधिकारियों के साथ मीटिंग कर रहे थे. दरअसल, नागरिकता कानून को ले कर शहर में धरनाप्रदर्शन जारी थे, जिस से शहर की कानूनव्यवस्था बिगड़ती जा रही थी. इस बिगड़ती कानूनव्यवस्था को सुधारने के लिए ही उन्होंने पुलिस अधिकारियों को बुलाया था ताकि शहर में कोई हिंसक प्रदर्शन न हो और अमनचैन कायम रहे.

दोपहर 12 बजे मीटिंग समाप्त होने के बाद आईजी मोहित अग्रवाल ने अपनी समस्या समाधान के लिए आए आगंतुकों से मिलना शुरू किया. इन्हीं आगंतुकों में अधेड़ उम्र के 2 व्यक्ति भी थे, जो आईजी साहब से मिलने आए थे. अपनी बारी आने पर वे दोनों आईजी साहब के कक्ष में पहुंचे और हाथ जोड़ कर अभिवादन किया.

आईजी साहब ने उन पर एक नजर डाली. कुरसी पर बैठने का संकेत किया. इस के बाद उन से पूछा, ‘‘आप लोगों का कैसे आगमन हुआ? बताइए, क्या समस्या है?’’ तभी उन में से एक ने कहा, ‘‘सर, हम चकेरी थाने के श्यामनगर मोहल्ले में रहते हैं. हमारे घर के पास अजय सिंह का आलीशान मकान है. उस मकान में वह खुद तो नहीं रहते लेकिन उन्होंने मकान किराए पर दे रखा है. मकान की पहली मंजिल पर 2 अफसर रहते हैं पर भूतल पर जो किराएदार है, उस की गतिविधियां बेहद संदिग्ध हैं. उस के घर पर अपरिचित युवकयुवतियों का आनाजाना लगा रहता है. हम लोगों को शक है कि वह किराएदार अपनी पत्नी के सहयोग से सैक्स रैकेट चलाता है.

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‘‘सर, हम लोग इज्जतदार हैं. इन लोगों के आचारव्यवहार का असर हमारी बहूबेटियों पर पड़ सकता है. इसलिए आप से विनम्र निवेदन है कि इस मामले में उचित कानूनी काररवाई करने का कष्ट करें.’’आईजी मोहित अग्रवाल ने आगंतुकों की बात गौर से सुनी और फिर उन्हें आश्वासन दिया कि वह इस सूचना की जांच कराएंगे. अगर सूचना सही पाई गई तो दोषियों के खिलाफ काररवाई की जाएगी.  ‘‘ठीक है, लेकिन सर हमारा नाम गुप्त रहना चाहिए वरना वे लोग हमारा जीना दूभर कर देंगे.’’ जाते समय उन में से एक बोला.आईजी मोहित अग्रवाल को आगंतुकों ने जो जानकारी दी थी, वह वाकई चौंकाने वाली थी. एकबारगी तो उन्हें उन की खबर पर विश्वास नहीं हुआ, पर इसे अविश्वसनीय समझना भी उचित नहीं था. अत: उन्होंने तत्काल एसपी (क्राइम) राजेश कुमार यादव को कार्यालय बुलवा लिया.

एसपी (क्राइम) राजेश कुमार यादव आईजी कार्यालय पहुंचे तो मोहित अग्रवाल ने उन्हें आगंतुकों द्वारा दी गई सूचना के बारे में बताया और कहा कि अगर सूचना की पुष्टि होती है तो दोषियों के खिलाफ जल्द काररवाई करें.  एसपी (क्राइम) राजेश कुमार यादव ने चकेरी थानाप्रभारी रणजीत राय को इस गुप्त सूचना की सत्यता लगाने के निर्देश दिए, तो थानाप्रभारी ने मुखबिरों को लगा दिया.उसी दिन शाम 5 बजे मुखबिरों ने थानाप्रभारी रणजीत राय को इस बारे में जो जानकारी दी, उस ने सूचना की पुष्टि कर दी. उन्होंने बताया कि श्यामनगर क्षेत्र के रामपुरम में एचएएल अफसर का एक मकान है, जिस की देखरेख उस का बेटा अजय सिंह करता है.  इस मकान की पहली मंजिल पर पैरा मिलिट्री फोर्स के 2 अफसर रहते हैं. भूतल पर राघवेंद्र शुक्ला अपनी पत्नी अनीता के साथ रहता है. अनीता ही अपने पति के साथ मिल कर वहां सैक्स रैकेट का चलाती है. इस मकान में वह पिछले एक साल से रह रही है.

मुखबिरों से पुख्ता जानकारी मिलने की सूचना थानाप्रभारी ने तत्काल एसपी (क्राइम) राजेश कुमार यादव को दे दी. इस के बाद राजेश यादव ने सैक्स रैकेट का परदाफाश करने के लिए एक पुलिस टीम गठित की. इस टीम में उन्होंने सीओ (कलेक्टरगंज) श्वेता सिंह, थानाप्रभारी रणजीत राय, एसआई (क्राइम ब्रांच) डी.के. सिंह, अर्चना, कांस्टेबल अनूप कुमार, अनुज, मनोज, कविता, रीता आदि को शामिल किया.5 जनवरी, 2020 को रात 8 बजे थानाप्रभारी रणजीत राय ने सीओ (कलेक्टरगंज) श्वेता सिंह के निर्देश पर अनीता शुक्ला के रामपुरम स्थित मकान पर छापा मारा. मकान के अंदर एक कमरे का दृश्य देख कर थानाप्रभारी वहीं ठिठक गए.कमरे में एक महिला अर्धनग्न अवस्था में बिस्तर पर चित पड़ी थी. उस के साथ एक युवक कामक्रीड़ा में लीन था. पुलिस पर निगाह पड़ते ही युवकयुवती ने दरवाजे से भागने का प्रयास किया, पर दरवाजे पर खड़े पुलिसकर्मियों ने उन्हें दबोच लिया.दूसरे कमरे में 2 अन्य युवतियां सजीसंवरी बैठी थीं. शायद वे ग्राहक के आने के इंतजार में थीं. महिला दरोगा अर्चना ने उन्हें अपनी हिरासत में ले लिया. इसी समय 3 युवतियों तथा 2 युवकों ने मुख्य दरवाजे की ओर भागने का प्रयास किया, किंतु सीओ श्वेता सिंह व अन्य पुलिसकर्मियों ने उन्हें दबोच लिया.

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इस तरह पुलिस छापे में सरगना सहित 6 युवतियां, 2 दलाल तथा एक ग्राहक पकड़ा गया. मकान की तलाशी ली गई तो वहां से कामवर्धक दवाएं, स्प्रे, कंडोम तथा अन्य आपत्तिजनक सामग्री के अलावा 4 मोबाइल फोन तथा कुछ नगदी भी बरामद हुई. पुलिस पकड़े गए युवकयुवतियों को थाना चकेरी ले आई.
जिस मकान में सैक्स रैकेट चलता था, उस का मालिक अजय सिंह था. संदेह के आधार पर पुलिस ने उसे भी थाने बुलवा लिया. अजय सिंह एक अफसर का बेटा था, अत: उसे छोड़ने के लिए थानाप्रभारी के पास रसूखदारों के फोन आने लगे.लेकिन इंसपेक्टर रणजीत राय ने जांचपड़ताल के बाद ही रिहा करने की बात कही. अजय सिंह ने भी स्वयं को निर्दोष बताया और कहा कि उस ने तो उन लोगों को मकान किराए पर दिया था. उसे सैक्स रैकेट की जानकारी नहीं थी.

सीओ श्वेता सिंह ने जिस्मफरोशी के आरोप में पकड़े गए युवकयुवतियों से पूछताछ की तो युवतियों ने अपना नाम अनीता शुक्ला, अंकिता झा, सरिता तिवारी, पूनम, नीलम तथा नेहा बताया. इन में अनीता शुक्ला सैक्स रैकेट की संचालिका थी. अंकिता तथा सरिता अनीता की सगी छोटी बहनें थीं. तीनों बहनें जिस्मफरोशी के धंधे में लिप्त थीं.युवकों ने अपने नाम राघवेंद्र शुक्ला, आशुतोष झा तथा सत्यम द्विवेदी बताए. इन में राघवेंद्र शुक्ला और आशुतोष झा सगे साढ़ू थे और अपनीअपनी पत्नियों के लिए दलाली करते थे. जबकि लालकुर्ती कैंट (कानपुर) का रहने वाला सत्यम द्विवेदी ग्राहक था.

चूंकि सैक्स रैकेट के सभी आरोपियों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था, अत: सीओ श्वेता सिंह ने स्वयं वादी बन कर अनैतिक देह व्यापार निवारण अधिनियम 1956 की धारा 3, 4, 5, 6, 7 के तहत अनीता शुक्ला, अंकिता झा, सरिता तिवारी, नीलम, पूनम, नेहा, राघवेंद्र शुक्ला, आशुतोष झा तथा सत्यम द्विवेदी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी.इन सब से पुलिस ने जब पूछताछ की तो देह व्यापार में लिप्त युवतियों ने इस धंधे में आने की अपनी अलगअलग मजबूरी बताई.

कालगर्ल्स सरगना अनीता उन्नाव जिले के बेहटा गांव की निवासी थी. उस की 2 छोटी बहनें और थीं, जिन के नाम अंकिता तथा सरिता थे. इन 3 बहनों का एक इकलौता भाई भी था, जो बचपन में ही रूठ कर घर से चला गया था. वह दिल्ली में रहता है और दाईवाड़ा (नई सड़क) स्थित एक किताब की दुकान में काम करता है.अनीता खूबसूरत थी. उस ने जब जवानी की दहलीज पर कदम रखा तो उस के पैर डगमगा गए. उस का मन पढ़ाई में कम और प्यारमोहब्बत में ज्यादा रमने लगा. वह बीघापुर स्थित पार्वती इंटर कालेज में 10वीं में पढ़ती थी. कालेज आतेजाते ही उस की मुलाकात उमेश से हुई.

उमेश निराला कालेज में इंटरमीडिएट में पढ़ रहा था. उमेश और अनीता की मुलाकातें धीरेधीरे बढ़ती गईं और दोनों एकदूसरे को चाहने लगे. प्यार परवान चढ़ा तो उनके बीच की सारी दूरियां खत्म हो गईं.
उमेश और अनीता का अवैध रिश्ता आम हुआ तो अनीता के पिता को बड़ा दुख हुआ. उन्होंने बेटी को समझाया, घरपरिवार की इज्जत का वास्ता दिया, लेकिन अनीता की समझ में नहीं आया. वह तो आसमान में उड़ने लगी थी. उस ने उमेश के अलावा और भी कई बौयफ्रैंड बना लिए थे, जिन के साथ वह घूमतीफिरती और मौजमस्ती करती थी. अनीता की बदचलनी का असर उस की दोनों छोटी बहनों पर भी पड़ने लगा. वे भी उसी की राह पर चल पड़ी थीं.

अनीता के कदम बहके तो पिता को उस के ब्याह की चिंता सताने लगी. उन्होंने उस के हाथ पीले करने को स्वयं तो दौड़धूप शुरू की ही, नातेरिश्तेदारों से भी कह दिया कि वह अनीता के लिए कोई लड़का बताएं. एक रिश्तेदार के माध्यम से उन्हें एक लड़का पसंद आ गया. लड़के का नाम था राघवेंद्र कुमार शुक्ला.
राघवेंद्र के पिता अजय कुमार शुक्ला उन्नाव जिले के अचलगंज कस्बे के रहने वाले थे. उन के 3 बच्चों में राघवेंद्र सब से बड़ा था. वह पढ़ालिखा तो था किंतु बेरोजगार था. उस का मन खेती में नहीं लगता था और उसे नौकरी भी नहीं मिल रही थी. सो वह आवारा घूमता था. अनीता के पिता ने राघवेंद्र को देखा तो यह सोच कर उसे पसंद कर लिया कि पढ़ालिखा है. शरीर से भी स्वस्थ है, नौकरी आज नहीं तो कल मिल ही जाएगी.

देवनारायण ने राघवेंद्र के पिता अजय कुमार शुक्ला से उस के ब्याह की बात चलाई तो वह राजी हो गए. इस के बाद सन 2010 में अनीता की शादी राघवेंद्र के साथ हो गई.शादी के बाद अनीता ससुराल आई तो सभी ने उस के रूप की तारीफ की. राघवेंद्र भी सुंदर पत्नी पा कर इतरा उठा. सब खुश थे पर अनीता खुश नहीं थी. उसे एक तो बेरोजगार पति मिला था, दूसरे उस की स्वच्छंदता पर प्रतिबंध लग गया था. इसलिए वह परेशान रहती थी. घर से बाहर आनेजाने को ले कर उस की तूतूमैंमैं पति से भी होती थी और सासससुर से भी.

अनीता ने जैसेतैसे 3 साल ससुराल में बिताए. इस बीच वह एक बेटे की मां भी बनी. उस के बाद अनीता को ले कर घर में कलह होने लगी. दरअसल, अनीता ने शादी के पहले के अपने प्रेमियों के साथ घूमनाफिरना शुरू कर दिया था. उन के साथ वह बहाने से उन्नाव तो कभी बदरका घूमने निकल जाती थी. राघवेंद्र तथा उस के परिवार से यह बात अधिक दिनों तक छिपी नहीं रही.

वह समझ गए कि अनीता बदचलन है. राघवेंद्र ने पत्नी पर अंकुश लगाना चाहा तो वह पति को ही आंखें दिखाने लगी, ‘‘ज्यादा टोकाटाकी की तो थाने जा कर घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज करा दूंगी. सभी जेल में दिखाई दोगे. इज्जत नीलाम होगी अलग से.’’धमकी से डर कर राघवेंद्र ने अनीता को उस की मरजी और हाल पर छोड़ दिया. अनीता ने पति को तो दबाव में ले लिया पर ससुराल वालों को नहीं दबा सकी. वह घर में ऐसी औरत को भला कैसे बरदाश्त करते जो बदचलन हो. लिहाजा सब मिल कर उसे घर से निकालने पर तुल गए.अनीता जानती थी कि अकेली औरत कटी पतंग की तरह होती है. नाम के लिए ही सही, लेकिन पुरुष साथ हो तो वह अनेक मुसीबतों से सुरक्षित रहती है. अपनी इसी सोच के तहत अनीता घर से तो निकली पर पति को भी साथ ले गई. अनीता पति के साथ कानपुर आ गई और किदवईनगर में किराए का कमरा ले कर रहने लगी. वहां राघवेंद्र दादानगर स्थित एक फैक्ट्री में नौकरी करने लगा. अनीता ने भी नौकरी ढूंढ ली और काम पर जाने लगी.

छोटीछोटी उन नौकरियों में वेतन भी मामूली था और मेहनत अधिक थी. अत: आमदनी बढ़ाने के लिए अनीता ने किसी दूसरे काम की तलाश शुरू कर दी. इसी तलाश में अनीता एक कालगर्ल रैकेट की सरगना से जा टकराई. सरगना ने जौब दिलाने का झांसा दे कर अनीता को अपने जाल में फंसाया और फिर देहव्यापार के धंधे में उतार दिया. अनीता खूबसूरत और जवान थी. उस की डिमांड अधिक होती थी, अत: वह खूब पैसे कमाने लगी.राघवेंद्र प्राइवेट नौकरी करता रहा और अनीता देहव्यापार के गंदे तालाब की मछली बनी रही. हालांकि राघवेंद्र को पत्नी का धंधा कतई पसंद नहीं था, मगर वह उसे रोक नहीं पाता था. जब भी अनीता से कुछ कहता तो वह उसे डराधमका कर चुप रहने को विवश कर देती थी. तब राघवेंद्र खून का घूंट पी कर रह जाता.

अनीता ने जब जिस्मफरोशी के धंधे के सभी गुर सीख लिए तो उस ने अपना अलग रैकेट बना लिया. उस के रैकेट में पेशेवर कालगर्ल्स थीं. इस के अलावा वह अपने स्तर से नई कालगर्ल भी तैयार करती थी. इस के लिए अनीता गरीब मजबूर व सुंदर लड़कियों को टारगेट करती. वह उन्हें रुपयों या फिर नौकरी दिलाने का लालच दे कर अपने जाल में फंसाती फिर देहव्यापार में उतार देती. शर्मनाक बात तो यह रही कि अनीता ने अपनी जवान व खूबसूरत सगी बहनों को भी देह के धंधे में उतार दिया. उन के पति ही उन की दलाली करने लगे.

अनीता घर में ही देहव्यापार करती थी. वह ग्राहक से फुल नाइट के 5 से 10 हजार रुपए लेती थी. जो ग्राहक कालगर्ल को बाहर ले जाना चाहते थे, उन्हें अतिरिक्त चार्ज देना पड़ता था. कालगर्ल का सारा खर्चा कस्टमर को ही देना पड़ता था.पुलिस के भय से अनीता किसी एक मकान में लंबे अरसे तक नहीं रहती थी. स्थानीय पुलिसकर्मियों से वह सांठगांठ बनाए रखती थी. 2019 के जनवरी महीने में अनीता ने चकेरी थाने के श्यामनगर क्षेत्र के रामपुरम में एक मकान 15 हजार रुपए महीने के किराए पर लिया. यह मकान अजय सिंह का था.

इसी किराए के मकान में अनीता अपना हाईप्रोफाइल सैक्स रैकेट का संचालन करने लगी थी. उस ने अपना दायरा भी बढ़ा लिया था. वह शहर के बाहर भी कालगर्ल्स भेजने लगी थी. अनीता ने शहर के बाहर कालगर्ल भेजने का 25 हजार रुपया तय कर रखा था. वह वाट्सऐप, फेसबुक के जरिए भी ग्राहकों को युवतियों की फोटो भेज कर सौदा तय करती थी और ग्राहकों की डिमांड पर दूसरे शहरों से भी कालगर्ल्स बुलाती थी.बड़े शहरों के जिस्मफरोशी के दलाल उस के संपर्क में थे. अनीता का पति राघवेंद्र भी अब पत्नी के अनैतिक धंधे में शामिल हो गया था. पैसों का लेनदेन वही करने लगा था.

रामपुरम में अनीता का धंधा खूब फलफूल रहा था कि पड़ोसियों की नजर उस के धंधे पर पड़ गई. उन्होंने इस की जानकारी आईजी मोहित अग्रवाल को दी और उस के सैक्स रैकेट का भंडाफोड़ हो गया.
पुलिस छापे में पकड़ी गई अंकिता, अनीता की सगी बहन थी. वह अपने पति आशुतोष झा के साथ नौबस्ता थाना क्षेत्र के पशुपतिनगर में रहती थी. वहीं पर एक मंदिर में दोनों की मुलाकात हुई, जो बाद में प्यार में बदल गई. तब अंकिता ने आशुतोष के साथ प्रेम विवाह किया था. आशुतोष मधुबनी, बिहार का रहने वाला था.आशुतोष से शादी करने के बाद अंकिता पशुपतिनगर में रहने लगी. आशुतोष प्राइवेट नौकरी करता था. इस नौकरी से वह न तो अपनी जरूरतें पूरी कर पाता था और न ही अंकिता की ख्वाहिशें. 2-3 सालों में ही प्यार का नशा उतर गया था और वे दोनों आर्थिक परेशानी से जूझने लगे थे. अंकिता सदैव चिंताग्रस्त रहने लगी थी.

अंकिता का अपनी बहन अनीता के घर आनाजाना लगा रहता था. बहन के ठाठबाट से अंकिता प्रभावित थी. वह उस की अहसानमंद भी थी, क्योंकि वह उस की आर्थिक मदद कर देती थी. एक दिन अंकिता ने बातोंबातों में उस से कहा, ‘‘अनीता दीदी, मैं सदैव परेशानी में रहती हूं. आशुतोष इतना नहीं कमा पाता कि हमारा गुजारा हो सके. दीदी, हमें भी कोई धंधा बताओ ताकि हमारा भी गुजारा हो सके.’’
अनीता ने अंकिता के चेहरे पर नजरें गड़ा दीं. फिर कुछ क्षण बाद बोली, ‘‘जो धंधा मैं करती हूं, तू भी शुरू कर दे, कुछ ही दिनों में तेरे दिन भी बहुर जाएंगे.’’‘‘कौन सा धंधा दीदी?’’ अंकिता ने अचकचा कर पूछा.
‘‘वही जिस्मफरोशी का.’’ अनीता ने बताया. ‘‘दीदी, यह आप क्या कह रही हैं, यह तो बहुत गंदा काम है. क्या आप यही करती हो?’’

‘‘हां, अंकिता मैं यही धंधा करती हूं. बता, इस में गलत क्या है? देख ले, इस में कमाई बहुत है. सोच ले, मन करे तो आ जाना.’’ अंकिता एक सप्ताह तक पसोपेश में पड़ी रही. उस के बाद वह राजी हो गई. फिर अनीता ने बहन को देह धंधे में उतार दिया. आशुतोष झा ने भी प्राइवेट नौकरी छोड़ दी और पत्नी की देह की दलाली करने लगा. अंकिता सजधज कर बहन के अड्डे पर पहुंच जाती और जिस्म का धंधा करती. आशुतोष पत्नी के लिए ग्राहक तलाश कर लाता.छापे वाले दिन अंकिता पति आशुतोष झा के साथ बहन के घर पहुंची ही थी कि पुलिस का छापा पड़ गया और वह पति के साथ पकड़ी गई.

जिस्मफरोशी के अड्डे से पकड़ी गई सरिता फतेहपुर जिले के असोम कस्बे की रहने वाली थी. सरिता अनीता की सब से छोटी बहन थी. उस का विवाह असोम निवासी बलवीर के साथ हुआ था. बलवीर फेरी लगा कर कपड़े बेचता था. कपड़े के व्यवसाय में उसे कभी घाटा तो कभी मुनाफा होता था. उसी से वह जैसेतैसे अपनी गृहस्थी चलाता था.

सरिता महत्त्वाकांक्षी थी. वह पति की कमाई से संतुष्ट नहीं थी. सरिता अपनी बहनों के घर आतीजाती थी. वह उन के ठाटबाट देख कर मन ही मन कुढ़ती थी. उस ने बहनों से कमाई और ठाटबाट का रहस्य जाना तो उस ने भी बहनों का साथ पकड़ लिया और जिस्मफरोशी का धंधा करने लगी. उस ने पति बलवीर को भी राजी कर लिया. बलवीर भी पत्नी की देह का दलाल बन गया.सरिता कुछ ही समय में इस धंधे की खिलाड़ी बन गई. वह असोम तथा फतेहपुर से ग्राहक तथा लड़कियां भी फंसा कर लाने लगी. इस के एवज में अनीता उसे कमीशन भी देती थी.छापे वाले दिन सरिता को ग्राहक के साथ उन्नाव जाना था लेकिन ग्राहक आने से पहले ही वह पुलिस के हत्थे चढ़ गई. उस दिन उस का पति बलवीर उस के साथ अड्डे पर नहीं आया था, जिस से वह बच गया.पुलिस रेड में पकड़ी गई नेहा फतेहपुर की रहने वाली थी. 4 भाईबहनों में वह सब से छोटी थी. उस के पिता प्राइवेट नौकरी कर परिवार का पालनपोषण करते थे. नेहा की शादी कल्याणपुर निवासी रमेश के साथ हुई थी.

रमेश शराबी था, जो कमाता था वह सब शराब में ही उड़ा देता था. नेहा विरोध करती तो वह उसे मारतापीटता था. लगभग 3 साल उस ने जैसेतैसे पति के साथ बिताए, फिर उस का साथ छोड़ कर मायके आ गई.पिता उस की दूसरी शादी रचा कर गृहस्थी बसाना चाहते थे, लेकिन नेहा राजी नहीं हुई. नेहा पिता पर बोझ नहीं बनना चाहती, अत: वह कानपुर आ गई और दादानगर स्थित एक प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करने लगी. लेकिन यह नौकरी उसे ज्यादा समय तक रास नहीं आई.

वह पढ़ीलिखी थी सो दूसरी नौकरी की तलाश में जुट गई. इसी तलाश में उस की मुलाकात कालगर्ल सरगना अनीता शुक्ला से हुई. अनीता ने उसे अच्छी नौकरी लगवाने का झांसा दिया और उस की आर्थिक मदद करने लगी. नेहा जवान और खूबसूरत थी. अनीता ने उस को देहसुख का चस्का भी लगा दिया. इस के बाद अनीता ने उसे देहव्यापार के धंधे में उतार दिया.नेहा फैशनेबल थी. वह जींसटौप पहनती थी. ग्राहक उसे देखते ही पसंद कर लेता था. अनीता नेहा की बुकिंग दिल्ली, आगरा जैसे बड़े शहरों को करती थी और भारीभरकम रकम वसूलती थी. छापे वाले दिन नेहा का सौदा 10 हजार रुपए में तय था. ग्राहक कार से उसे लेने आ रहा था. लेकिन इसी बीच पुलिस का छापा पड़ गया और वह पकड़ी गई.

पुलिस छापे में पकड़ी गई पूनम, असोम (फतेहपुर) की रहने वाली थी. उस का पति फतेहपुर खागा रोड पर टैंपो चलाता था. वह इतना कमा लेता था कि अपनी पत्नी व 2 बच्चों का पालनपोषण हो जाता था. लेकिन एक दिन उस का टैंपो ट्रक से भिड़ गया, जिस से वह बुरी तरह जख्मी हो गया. उस का साल भर इलाज चला पर वह चल न सका. उस का एक पैर खराब हो गया. फिर हमेशा के लिए बिस्तर ही उस का साथी बन गया था.

पूनम के पास जो जमापूंजी थी, वह सब उस ने पति के इलाज में लगा दी. वह कर्जदार भी हो गई. बच्चों के भूखों मरने की नौबत जब आ गई तब उसे घर के बाहर कदम निकालना पड़ा. वह फतेहपुर में एक चूड़ी की दुकान पर काम करने लगी. इसी चूड़ी की दुकान पर पूनम की मुलाकात कालगर्ल सरिता से हुई.
सरिता ने पूनम को अच्छी नौकरी दिलवाने का झांसा दिया और अपनी बहन अनीता से मिलवाया. अनीता ने पूनम की मजबूरी समझी और फिर प्रलोभन दे कर सैक्स के धंधे में उतार दिया.पूनम को शुरू में तो धंधा करने में झिझक हुई, किंतु जब शरीर की भरपूर कीमत मिलने लगी तो वह इस धंधे में रम गई. छापे वाले दिन उस का रात भर का सौदा 5 हजार रुपए में तय हुआ था. वह अपने ग्राहक के साथ कमरे में बिस्तर पर थी, तभी पुलिस का छापा पड़ा और वह पकड़ी गई.

जिस्म का धंधा करते पकड़ी गई नीलम भी असोम (फतेहपुर) की रहने वाली थी. उस का पति मानसिक रोगी था. घर में ही पड़ा रहता था.सासससुर और 3 बच्चों का बोझ उस के कंधे पर था. उस की मजबूरी का फायदा असोम की रहने वाली सरिता ने उठाया. सरिता ने उसे अपनी बड़ी बहन अनीता से मिलवाया. अनीता ने नीलम को समाज की कड़वी सच्चाई से अवगत कराया और फिर जिस्म बेचने को राजी कर लिया.

मजबूरी में नीलम देह का सौदा करने लगी. हालांकि नीलम का पति और सासससुर यही समझते थे कि नीलम किसी कंपनी में नौकरी करती है और कंपनी के काम से उसे बाहर जाना पड़ता है. छापे वाली रात नीलम ग्राहक के इंतजार में थी, तभी पुलिस का छापा पड़ गया और वह पकड़ी गई.

देहव्यापार के अड्डे पर अय्याशी करते रंगेहाथ पकड़ा गया सत्यम द्विवेदी कानपुर नगर के छावनी थाने के लालकुर्ती मोहल्ले का रहने वाला था. वह कपड़े का व्यापार करता था और अय्याश प्रवृत्ति का था.
एक रंगीनमिजाज दोस्त के माध्यम से वह श्यामनगर क्षेत्र में स्थित अनीता के अड्डे पर पहुंचा था. पूनम नाम की कालगर्ल को पसंद कर उस ने पूरी रात का सौदा 5 हजार रुपए में तय किया था. पूनम के साथ वह कमरे में हमबिस्तर था, तभी पुलिस का छापा पड़ा और वह पकड़ा गया. 6 जनवरी, 2020 को थाना चकेरी पुलिस ने देहव्यापार के अड्डे से पकड़े गए सभी आरोपियों को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से सभी को जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा संकलन सूत्रों पर आधारित. महिला पात्रों के नाम परिवर्तित किए गए हैं.

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#coronavirus: मास्क एक फायदे अनेक

6 मार्च को जहां जापान में कोरोना वायरस से सिर्फ 21 लोगों की मौत हुई थी, वहीं उसी दिन अमेरिका में कोरोना से 2,129 लोगों की मौत हुई जो जापान में हुई मौतों से 10 गुना ज्यादा थी. मगर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मास्क न पहनने की जिद ठान रखी है. हालांकि उन के आसपास रहने और काम करने वाले लोग अब मास्क में जरूर नजर आते हैं लेकिन ट्रंप बिना मास्क के ही कोरोना से जंग जीतना चाहते हैं.

वायरस के खिलाफ मास्क की प्रभावशीलता पर बहुत बहस के बाद आखिरकार व्हाइटहाउस ने अपने सभी कर्मचारियों को मास्क पहनना अनिवार्य किया था, लेकिन ट्रंप अभी तक मास्क में नहीं दिखे हैं.

अमेरिका में तबाही की वजह

कोरोना ने अमेरिका में सब से ज्यादा तबाही मचाई है. इस की वजह है लापरवाही और जिद. जिद मास्क न लगाने की, जिद लौकडाउन न करने की, जिद सोशल डिस्टैंसिंग न रखने की जबकि कोरोना पर होने वाली रिसर्चों में ज्यादातर रिसर्च करने वालों  का मानना है कि मास्क और सोशल डिस्टैंसिंग से कोरोना के 80% मामले रोके जा सकते हैं. अमेरिका में कुछ जगहों पर लौकडाउन हुआ जिसे भी अब वह पूरी तरह खोलने की तैयारी में है जबकि जापान में कभी उस तरीके से लौकडाउन लगा ही नहीं. जापान में अब नए मामले भी बहुत कम आ रहे हैं जबकि पूरी दुनिया में कोरोना के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि जापान में मास्क पहनने का कल्चर पहले से ही है.

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हाल ही में आई एक वैज्ञानिक स्टडी का दावा है कि इसी खास उपाय से कोरोना वायरस के 80 फीसदी मामलों को कम किया जा सकता है. वैज्ञानिकों की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने वायरस का सामना करने के लिए कई तरह के नए मौडलों का प्रयोग किया है, जिस में से एक चीज को उन्होंने सब से प्रभावी बताया है और वह है मास्क.

वैज्ञानिकों का दावा

इस समय पूरी दुनिया लौकडाउन खोलने की तरफ धीरेधीरे कदम बढ़ा रही है, ऐसे में वैज्ञानिकों का यह दावा लोगों के लिए बहुत काम का हो सकता है.

नए आंकड़ों के अनुसार, इतिहास और विज्ञान कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए एक ही बात पर सहमत हैं और वह है मास्क पहनने के साथसाथ सोशल डिस्टैंसिंग का खयाल रखना.

अर्थशास्त्री और कोरोना स्टडी में सहयोग करने वाले पैरिस के इकोले डे गुएरे का कहना है,”सिर्फ मास्क और सोशल डिस्टैंसिंग ही ऐसी चीज है जो कोरोना से बचाने का काम कर सकती है. जब तक इस की कोई वैक्सीन या दवा नहीं बन जाती, हमें कोरोना से ऐसे ही लड़ना होगा.”

मास्क जरूरी क्यों है

अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका वैनिटी फेयर अपने लेख में कहती है कि जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं बन जाती, सिर्फ मास्क ही हमें कोरोना वायरस से बचाने का काम कर सकता है.

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हम जानते हैं कि कोरोना हवा से फैलने वाला संक्रमण नहीं है फिर भी हमें मास्क लगाने की सलाह क्यों दी जा रही है ? इसका जवाब यह है कि चूंकि कोरोना का वायरस लिविंग बीइंग अर्थात जीवित प्राणियों और नौन लिविंग औब्जैक्ट्स से फैलता है, तो यहां समझने वाली बात यह है कि हमारे हाथ जानेअनजाने उन लोगों को और उन स्थानों या वस्तुओं को स्पर्श कर सकते हैं जो कोरोना संक्रमित हैं या जिन पर कोरोना के विषाणु हैं. इस स्थिति में अगर हम अपनी आंखों, नाक या मुंह को छूते हैं तो यह विषाणु हमारे भीतर पहुंच सकता है. पर ऐसा होगा नहीं क्योंकि हम ने मास्क पहना है जिस ने हमारे मुंह और नाक को ढंक रखा है. मुंह और नाक को न छूना एक बड़ी सुरक्षा है कोरोना के खिलाफ, जिस का श्रेय जाता है मास्क को.

महिलाओं को बड़ा फायदा

बीते 3 महीनो में मास्क पहनने के कुछ और भी फायदे सामने आए हैं. इस में से एक बड़ा फायदा महिलाओं से जुड़ा है. जब से महिलाओं ने मास्क पहनना शुरू किया है उन की लिपस्टिक कम इस्तेमाल हुई है. कुछ ने तो इन 3 महीनो में लिपस्टिक को छुआ तक नहीं है. फिर चाहे वे घर पर रही हों या काम से बाहर निकली हों. यह बहुत बड़ा खर्च था.

हर सूटसाड़ी से मैचिंग लिपस्टिक की खरीदारी कोरोना की वजह से अब काफी समय तक के लिए टल गई है.
सुबह दूधसब्जी खरीदने निकलीं महिलाओं को देखिए. सब के चेहरे मास्क से ढंके हैं. मास्क के नीचे लिपस्टिक नहीं लगाई जा सकती है क्योंकि मास्क की रगड़ से यह फैल कर पूरे चेहरे का नकशा बदल देगी. कोरोना के कारण महिलाओं को एक काम से मुक्ति मिल गई है.

चैनल रिपोर्टर्स को अब कैमरे के सामने आने से पहले सजना नहीं पड़ रहा है. बस मुंह पर मास्क लगाया और माइक ले कर खबर बता डाली. होस्पिटल में नर्स, मैडिकल स्टाफ की अन्य महिलाएं, महिला डाक्टर्स, आया सभी आजकल बिना लिपस्टिक के हैं. कल जब लौकडाउन खुलेगा और अन्य कार्यालय भी काम करने लगेंगे तो ये मास्क महिलाओं के लिए बड़े काम का साबित होगा.

इस में दोराय नहीं कि मास्क का इस्तेमाल अभी लंबे वक्त तक करना होगा ऐसे में लिपस्टिक और अन्य मेकअप के सामान खरीदने की कोई अधिक आवश्यकता महिलाओं को नहीं पड़ेगी. न लिपग्लौस की जरूरत होगी, न लिप लाइनर की, न फाउंडेशन की और अगर सिर को भी कवर करना पड़ा तो जल्दीजल्दी हेयर कलर करवाने की जरूरत भी नहीं है. हर 2-3 दिनों में हेयरस्टाइल चैंज करने की ज़रूरत भी नहीं है. हेयर जैल भी क्या लगाना जब बालों की चमक दिखानी ही नहीं है.

औफिस में ग्लव्स पहनने जरूरी हुए तो नेल पैंट लगाने की भी जरूरत नहीं है. युवा लड़कियों में नेलआर्ट का जो बुखार चढ़ा रहता था कोरोना ने वह बुखार भी उतार दिया है. नएनए डिजाइनों की अंगूठियों की नुमाइश भी अब देखने को नहीं मिलेगी. अब बारबार ग्लव्स उतार कर अपनी अंगूठियां तो कोई दिखाने से रहा. चूड़ियां,कड़े सब का खर्च कोरोना बचाएगा.

रंग निखरेगा स्वस्थ रखेगा मास्क

किसी ने एक रोज़ पूछा था कि ज्यादातर मुसलमान औरतें गोरी, बेदाग और कोमल गालों वाली होती हैं? जवाब था, क्योंकि ज्यादाद वक्त उन का शरीर और चेहरा बुरके में ढंका रहता है. अब मास्क भी वही काम करेगा और चेहरे की नाजुक त्वचा को सूरज की अल्ट्रावाइलैट खतरनाक किरणों से बचाएगा.

इस में कोई संदेह नहीं कि दिनभर धूप, धुएं और गरमी में काम करने वाली महिलाओ को ये मास्क बहुत बड़ी राहत देगा और उन का रूपसौंदर्य निखरेगा. ऐसे में ब्यूटीपार्लर जा कर फेस क्लीनिंग या फेसिअल कराना भी ज़रूरी नहीं लगेगा यानी यह बड़ा खर्चा भी बच जाएगा और वक्त भी.

पीपीई किट में दिखेंगे सब एक जैसे

पीपीई यानी पर्सनल प्रोटैक्टिव इक्विपमैंट इस वक्त भारत ही नहीं पूरी दुनिया में डि‍मांड में है. जब कोरोना ने दस्तक दी थी तो देश में पर्याप्त पीपीई किट नहीं थे. चीन समेत दूसरे यूरोपीय देशों से करीब 52 हजार पीपीई किट मंगवाए गए थे. अब ये किट भारत में भी तैयार की जा रही हैं. हर दिन लगभग 2 से 3 लाख पीपीई किट बन कर तैयार हो रहे हैं. इस का उत्पादन बहुत तेजी से बढ़ाया जाएगा, क्योंकि लौकडाउन खुलने के बाद कोरोना के केसेज में बहुत उछाल आएगा तब युद्धस्तर पर  पीपीई किट की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में संभव है कि तमाम सरकारी और गैरसरकारी संस्थान और स्कूलकालेजों में पीपीई किट पहनना अनिवार्य कर दिया जाए.

जब पूरा शरीर पीपीई किट में ढंक जाएगा तो नीचे घर के कपडे पहन कर औफिस में बैठे हैं या कोई नया सूट, यह कौन देखता है. कामकाजी महिलाओं का तो कितना बड़ा खर्च बचने वाला है. ‘अब रोज़ रोज़ क्या नया पहनूं’ वाले झंझट से भी मुक्ति मिल जाएगी.

अन्य बीमारियों से बचाएगा मास्क और किट

अगर चेहरे पर मास्क और पीपीई किट को आने वाले समय में कोरोना से बचाव के लिए पहनना अनिवार्य किया जाता है तो मनुष्य कई अन्य बीमारियों से भी बचा रहेगा. कई संक्रमित रोग जैसे जुकाम, बुखार, खांसी, टीबी जो लोगों के संपर्क से फैलते हैं मास्क की वजह से कम होंगे. यही नहीं धुएं और प्रदूषण से हमारा बहुत बचाव होगा. सांस के कई रोग इस दौरान काफी कम होंगे. कोरोना से जान जाने का भय है इस में कोई शक नहीं, लेकिन इस की बदौलत इंसान अपने जीने के ढंग में अभूतपूर्व बदलाव लाएगा, यह एक अच्छी बात होगी. खुद को साफ रखना सीख जाएगा, हाथों को बारबार धोएगा, खुद को सैनिटाइज करेगा तो दूसरी बीमारियां भी उस से दूर रहेंगी. यही नहीं सोशल डिस्टैंसिंग बसों, ट्रेनों और मैट्रो में होने वाली धक्कामुक्की और छेड़छाड़ से भी नजात देगी. लोग खुद एकदूसरे से दूर रहेंगे कि कहीं कोरोना न चिपट जाए.

मेघदूत मोबाइल एप: मुट्ठी में मौसम की जानकारी

कुछ साल पहले तक देश के तमाम किसान मौसम की जानकारी के लिए पुराने पारंपरिक तरीकों से ही अनुमान लगाते थे, जैसे हवा चलने का रुख आसमान को देख कर या पक्षियों के व्यवहार को देख कर या उन का खुद का अनुमान था, जिस के आधार पर वह मौसम के बारे में अनुमान लगा सकते थे. उसी अनुमान के आधार पर वह अपने खेतों काम करते थे, चाहे वह बीज बोआई का काम हो, खेत में पानी देने का काम हो या फसल गहाई का काम हो, लेकिन पुराने तरीके से अनुमान लगाना कभीकभी गलत भी हो जाता था. लेकिन उस समय इस के अलावा कोई चारा भी नहीं था, क्योंकि उस समय मौसम की जानकारी देने के लिए कोई ऐसा सटीक इंतजाम भी नहीं था, जिस से किसानों को जानकारी मिल सके.

लेकिन अब तकनीकी के दौर में अनेक ऐसे आधुनिक साधन हैं, जिन में किसानों को मौसम की सही जानकारी मिलती है.

मोबाइल एप भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है. आजकल कृषि के क्षेत्र में अनेक ऐसे कृषि मोबाइल एप हैं, जो खेती से जुड़ी तमाम जानकारी मुहैया कराते हैं. मौसम की जानकारी देने के लिए ऐसा ही एक एप है ‘मेघदूत मोबाइल एप’, जिस के जरीए किसान या आमजन मौसम की जानकारी ले सकता है.

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‘मेघदूत मोबाइल एप’ के बारे में मौसम वैज्ञानिक डाक्टर पूजा गुप्ता सोनी ने बताया कि आज के ज्यादातर किसान स्मार्टफोन से जुड़े हैं और उन्हें इंटरनैट व आधुनिक तकनीकी से जोड़ने के लिए मौसम विज्ञान विभाग व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने मिल कर एक एप्लिकेशन तैयार किया है. इस एप्लिकेशन को एंड्रोयड मोबाइल फोन में आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है.

इस मेघदूत मोबाइल ऐप के जरीए किसानों को घर बैठे मौसम की जानकारी मिलती है. यह एप आने वाले 5 दिनों तक की जानकारी देता है. अगर मौसम में कोई खास बदलाव है, तो उस की चेतावनी भी जारी की जाती है. इस के अलावा इस में समयसमय पर उन्नत खेती के बारे में अनेक सुझाव मिलेंगे.

इस एप को अपने मोबाइल फोन में डाउनलोड करने के लिए प्लेस्टोर में जाना होगा. वहां पर रजिस्ट्रेशन करने के लिए किसान को या अन्य जिसे भी यह ऐप डाउनलोड करना है, उसे कुछ सामान्य जानकारी फोन नंबर सहित देनी होगी. उस के बाद यह एप आप के मोबाइल फोन में डाउनलोड हो जाता है. यह एप देश की प्रमुख 10 भाषाओं में बनाया गया है.

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इस एप के जरीए बारिश, धूप, कुहरा, पाला, गरमी, सर्दी, मौसम की नमी वगैरह के बारे में जानकारी मिलती है.

‘मेघदूत मोबाइल एप’ की खासीयत यह है कि फसलों में कब सिंचाई करें, खेती में कितनी खाद दें, मौसम के हिसाब से कौन सी फसल लगाएं वगैरह की जानकारी भी मिलती है.

यह एप्लिकेशन कुछ चुनिंदा इलाकों के लिए हर मंगलवार और शुक्रवार को फसल की जरूरत के बारे में भी जानकारी देता है, इसलिए अगर आप के पास भी एंड्रोयड फोन है तो इस का फायदा ले सकते हैं.

 

Hyundai #WhyWeLoveTheVenue: Visibility

एक SUV खरीदने का मुख्य कारण है SUV द्वारा दी जाने वाली सड़क के कमांडिंग व्यू . हुंडई वेन्यूएक ऊंचाई वाली एडजस्टेबल ड्राइवर सीट के साथ आता है. जिसे आप अपने अनुसार सेट कर सकते है और सामने का दृश्य आसानी से देख सकते है.

वेन्यू पर एक ए-पिलर और एक लंबे ग्रीनहाउस के आकार का पिलर्स है जिसका मतलब है की जो भी आपके आस-पास हो रहा है वो 360 डिग्री का दृश्य है.

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इसके अलावा इस मेंएक ड्राइवर रियर व्यू मॉनिटर भी है, जो बैक साइड कैमरे का लाभ उठाता है, अगर पीछे सीट में तीन लंबे कद वाले यात्री भी बैठे है, तो आपको हमेशा पता चल जाएगा कि कार के पीछे क्या हो रहा है.

हुंडई आता है एक्सीलेंटविजिबिलिटी के साथ. WhyWeLoveTheVenue

Ranbir को दूल्हा बनते देखना चाहते थे ऋषि कपूर, सादगी से करना चाहते थे शादी

बीते 30 अप्रैल को बॉलीवुड के सुपर स्टार ऋषि कपूर ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. वह पिछले दो साल से कैंसर जैसे खतरनाक बीमारी से जूझ रहे थें. ऋषि कपूर अपने साथ-साथ कई सपनों को भी अधूरा छेड़ गए है. वह अफने बेटे को घोड़ी चढ़ते देखना चाहते थें.

बीते दिन ऋषि कपूर की याद में प्रेयर मीट हुआ था जिसमें पूरा कपूर खानदान नजर आया था. ऋषि कपूर के जाने का गम सभी को है. ऋषि कपूर फैमलीमैन थें. वह अपने बच्चों और पत्नी नीतू का खूब ख्याल रखते थें. इस बात का खुलासा लेखिका मीना ने किया जो ऋषि कपूर के जीवन पर किताब लिख रही हैं.

 

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ऋषि कपूर के बारे में बात करते हुए मीना ने बताया था कि ऋषि कपूर के बेटे रणबीर कपूर अपनी शादी सादगी से करना चाहते हैं लेकिन मैं चाहता हूं कि शादी में अगर 45 लोग भी शामिल होंगे तो मुझे बेहद खुशी होगी.

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मैं शादी में अपने खास दोस्तों को बुलाऊंगा जो दुल्हा- दुल्हन को आशीर्वाद देंगे. जो लोग शादी में मेहमान नहीं बनेंगे उनसे माफी मांग लूंगा.

मेरा बेटा बहुत ज्यादा प्राइवेट पर्सन हैं उसकी मैं सम्मान करता हूं. उसकी शादी का सभी कपूर परिवार के सदस्य इंतजार कर रहे हैं. बेटे की शादी मेरा बहुत बड़ा सपना है.

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बीते कुछ सालों से आलिया भट्ट औऱ रणबीर कपूर की शादी की खबरें आ रही हैं. सूत्रों की माने तो कपूर परिवार ने इस साल 2020 में इन दोनों की शादी भी तय कर दी थीं.  लेकिन अब कयाल लगाए जा रहे हैं कि इन दोनों की शादी की डेट आगे बढ़ा दी जाएंगी.

ऋषि कपूर अक्सर अपने बेटे की तारीफ किया करते थें. वह बेटे को बहुत गंभीर इंसान मानते थे. ऋषि कपूर ने अपने किताब में रणबीर कपूर के बारे में बहुत कुछ लिखा है.

लोकल की बात और विदेशी कंपनियों का साथ

एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता से ‘लोकल से वोकल’ होने की अपील कर रहे हैं, वहीं स्वदेशी को ले कर बहुत सारी घोषणाएं भी होने लगी हैं. कभी भारतीय जनता पार्टी के यही नेता लालू प्रसाद यादव के द्वारा रेलगाड़ियों में कुल्हड़ के प्रयोग की शुरुआत करने का मजाक उङाया करते थे. लालू प्रसाद यादव के रेलमंत्री पद से हटते ही कुल्हड़ की योजना बंद कर दी गई थी.

एक तरफ प्रधानमंत्री स्वदेशी का नारा दे रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ उन की ही सरकार देश मे श्रम कानून को 3 साल के लिए खत्म कर रही है जिस से विदेशी कंपनियों को देश में अपना कारोबार शुरू करने में आसानी हो सके. यह दोनो ही बातें आपस में पूरी तरह से विपरीत हैं और जनता की समझ से परे भी.

चाइना से पलायन करने वालों पर निशाना

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चाइना से पलायन कर के उद्योगधंधे भारत की तरफ आ रहे हैं यह बात जोरशोर से उठाई जा रही. उत्तर प्रदेश सरकार के 2 मंत्री सतीश महाना और सिद्धार्थ नाथ सिंह इन विदेशी कंपनियों के साथ रोज बातचीत करने का दावा कर रहे हैं. ये लोग सब से पहले अपने प्रदेश में इन को आकर्षित करने का दावा करते यह भूल जाते हैं कि 3 साल में हुई 2 इनवैस्टर समिट और एक डिफैंस ऐक्सपो का नतीजा जमीन पर नहीं दिखाई दिया. उधर उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी चरम  पर है.

श्रम कानून में बदलाव के पीछे की मूल वजह इन कंपनियों को बताया जा रहा है. ये कंपनियां कोरोना वायरस के संकट के समय चाइना से अपना कारोबार समेट कर दूसरे देशों में कारोबार करने के लिए जाना चाहते हैं. केंद्र सरकार इस बात को बराबर कह रही है कि चाइना से पलायन करने वाली कंपनियां भारत आना चाहती हैं इसलिए कठोर लेबर कानून को सरल किया जाना चाहिए. भारत सरकार ने इस दिशा में कई कदम भी उठाए हैं. कई प्रदेशों की सरकारों ने श्रम कानूनों में 3 साल के लिए छूट देने का एलान भी किया है.

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चाइना तो बहाना है

चाइना से कंपनियों के पलायन की बात उतनी बड़ी नही है जितना बड़ा कर के उसे पेश किया जा रहा है. कोरोना वायरस के संकट वाले दौर में चाइना को छोड़ने वाली कंपनियों की संख्या बहुत कम है. चाइना ने अपने बिजनैस करने वाले 90% कंपनियों को वहां रोकने में सफलता हासिल कर ली है. केवल 10% कंपनियां ही चाइना को छोड़ने पर विचार कर रही हैं. ये 10% कंपनियां केवल भारत से ही बातचीत नहीं कर रहीं, बल्कि ताइवान, मलयेशिया, सिंगापुर जैसे दूसरे देशों के साथ भी बातचीत कर रही हैं.

इन कंपनियों के चाइना छोड़ने का कारण कोरोना वायरस नहीं है. इस की वजह अमेरिकी निर्यात और आयात की कुछ नीतियां हैं, जिस से प्रभावित हो कर कुछ कंपनियां चाइना छोड़ कर दूसरे देशों से अपना कारोबार शुरू करने की योजना में हैं. इन कंपनियों की पहली पसंद भारत नहीं है क्योंकि श्रम कानून सरल होने के बाद भी यहां अपराध और बिजली की सप्लाई बड़ी परेशानी है. ऐसे में भारत को कोई बड़ा निवेश मिलेगा इस की संभावना कम ही नजर आ रही है. यह और बात है कि कोरोना वायरस संकट की आड़ में केंद्र सरकार श्रम कानून को फांसी पर डाल कर मजदूरों के साथ भेदभाव जरूर कर रही है.

 

इनवैस्टर समिट का वादा नहीं हुआ पूरा

उत्तर प्रदेश सरकार चाइना से पलायन करने वाली कंपनियों से बातचीत का रोज विवरण डाल रही है, मगर यह नहीं बताती कि इस से पहले जो इनवैस्टर समिट हुए उन में जो वादे हुए थे उन का क्या हुआ?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर 2 इनवैस्टर समिट के जरीए देश की दिग्गज कंपनियों को निवेश कराने के लिए राजधानी लखनऊ बुलाया गया था. इन के प्रयास धरातल पर उतर नहीं पाए हैं कि अब चाइना से पलायन करने वाली कंपनियों को उत्तर प्रदेश लाने की मुहिम शुरू हो गई है.

चाइना से आने वाली कंपनियों की बात समझने के लिए जरूरी है कि पिछली इनवैस्टर समिट के नतीजों पर नजर डाल लें :

इन प्रयासों का नतीजा यह रहा है कि प्रदेश में 4,28,054 करोड़ के निवेश के प्रस्तावों पर महज 1,045 एमओयू ही साइन हुए. औद्योगिक एवं अवस्थापना विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पहली ग्राउंड ब्रैकिंग सैरेमनी में 61,792 करोड़ रुपए के 81 प्रोजेक्टों के एमओयू हुआ. 81 एमओयू में मात्र 6 ही शुरू हुए हैं.

दूसरी ग्राउंड ब्रेकिंग सैरेमनी में 67,201.5 करोड़ रुपए के 290 एमओयू हुए. इन में से 44 एमओयू पर काम शुरू हुआ है. जबकि 101 एमओयू प्रक्रियाधीन हैं. उधर 111 एमओयू शुरू ही नहीं हो पाए हैं.

4 कंपनियों ने एमओयू से पीछा छुड़ा लिया है. इस के साथ ही औद्योगिक एवं अवस्थापना विभाग थर्ड ग्राउंड ब्रेकिंग सैरेमनी की तैयारियों में जुटा है. 11,488 करोड़ के 20 एमओयू विभिन्न कंपनियों से होने की उम्मीद है.

बीते 3 सालों में टौप 6 मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में 28, ऐग्रो ऐंड फूड प्रोसैसिंग में 196, आईटी ऐंड इलैक्ट्रोनिक्स में 92, टूरिज्म में 76, इंफ्रास्ट्रक्चर में 70, रिन्यूऐबिल ऐनर्जी में 71 एमओयू हुए.

औद्योगिक एवं अवस्थापना विभाग के सूत्रों का कहना है कि फर्स्ट जीबीसी के 10 एमओयू जून 2020 में, 5 एमओयू दिसंबर 2020 में और 6 एमओयू दिसंबर 2021 तक पूरी होने की संभावना है. इसी तरह सैकंड जीबीसी के 46 एमओयू जून 2020 तक, 40 एमओयू दिसंबर 2020 तक और 17 एमओयू दिसंबर 2021 तथा 28 एमओयू दिसंबर 2021 तक पूरी होने की संभावना है.

आंकड़ों की बात छोड़ भी दें तो जमीनी स्तर पर किसी कंपनी ने कोई काम शुरू नहीं किया.

कोरोना संकट के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दावा है कि 20 लाख लोगों को रोजीरोजगर दिया जाएगा. यह कैसे होगा? इस के जवाब में केवल इतना बातया जा रहा है कि चाइना से पलायन करने वाली कंपनियों से बात चल रही है.

कोरोनावायरस: इन 10 देशों में दुनिया के सबसे अधिक सक्रिय संक्रमित व्यक्ति

पूरे दुनिया में कोरोना वायरस जारी है. बुधवार की शाम तक पूरे दुनिया में 44 लाख 28 हजार से अधिक लोगों संक्रमित हो चुके थे .  2 लाख 98 हजार से अधिक लोगों का मौत इस वायरस के कारण हो चुका है . इन सबके बीच सुकून की बात यह है कि अभी तक इलाज से 16लाख 56 हजार से अधिक लोग स्वस्थ होकर अपने घर पहुंच चुके हैं .

दुनिया भर में कुल सक्रिय संक्रमित लोगों पर नजर डाला जाए ,उनकी संख्या 2472000 से अधिक है. आइए जानते हैं किस देश में कितने  सक्रिय संक्रमित मरीज है…

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  1. दुनिया में सबसे अधिक सक्रिय संक्रमित मरीज अमेरिका में है 10 लाख 34 हजार से अधिक लोग यहां अभी भी कोरोनावायरस से संक्रमित हैं . जबकि यहां पर कुल संक्रमित लोगो की संख्या 14 लाख 30 हजार से अधिक है. मौत का आंकड़ा यहां पचासी हजार से अधिक पहुंच चुका है और 3 लाख 10 हजार से अधिक लोग इलाज के बाद ठीक हो कर घर पहुंच चुके हैं.
  2. दूसरे नंबर पर इंग्लैंड है. यहां पर 1 लाख 96 हजार से अधिक लोगों अभी भी कोरोना वायरस के संक्रमण से संक्रमित है. इंग्लैंड में कुल 2 लाख 29 हजार लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं . इनमें से 30 हजार से अधिक लोगों का मौत हो चुका है.
  3. तीसरे नंबर पर 1 लाख 92 हजार मरीजों के साथ रूस है. यहां कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 2 लाख 42 हजार है.
  4. चौथे नंबर पर 97 हजार 500  सक्रिय मरीजों  के साथ ब्राजील है.  यहां करीब 1 लाख 90 हजार संक्रमित कोरोना वायरस से संक्रमित है.
  5. सक्रिय संक्रमित मरीजों की संख्या के अनुसार पांचवे स्थान पर फ्रांस का स्थान आता है. यहां कुल 92 हजार से अधिक लोग सक्रिय हैं, जबकि कुल संक्रमित मरीजों की संख्या एक लाख 78 हजार के करीब है. 27 हजार से अधिक लोगों का मौत हो चुका है .
  6. छठे नंबर पर इटली का नाम आता है. यहां पर सक्रिय संक्रमित मरीजों की संख्या 78 हजार से अधिक है, जबकि यहां पर कुल संक्रमित लोगो की संख्या 2 लाख 22 हजार से अधिक है.  21 हजार से अधिक लोगों का मौत यहां हो चुका है.
  7. सातवें नंबर पर 60 हजार से अधिक संक्रमित मरीजों के साथ स्पेन आता है .
  8. यहां कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 2 लाख 71 हजार से अधिक है. 27 हजार से अधिक लोगों का मौत हो चुका है .
  9. आठवें नंबर पर पेरू आता है. यहां पर भी 49 हजार 5 सौ से अधिक लोगों की सक्रिय संक्रमित मरीज हैं.  यहां पर कुल मरीजों की संख्या 76000 है.
  10. नौवें नंबर पर अपना देश भारत आता है. यहां पर सक्रिय संक्रमित मरीजों की संख्या 49 हजार से अधिक पहुंच चुकी है, जबकि  कुल संक्रमित मरीजों की  संख्या 78 हजार से अधिक है.  4600 से अधिक  लोगों का मौत हो चुका है.
  11. दसवें नंबर पर 37 हजार सक्रिय संक्रमित मरीजों के साथ जर्मनी का स्थान आता है. जर्मनी में अभी तक कुल संक्रमित मरीजों की संख्या एक लाख 74 हजार से अधिक पहुंच चुकी है.
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