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हेपेटाइटिस से बचायेगी हेल्दी डाइट

शरीर में होने वाली कुछ बीमारियां ऐसी होती है जो सबसे ज्यादा प्रभाव लिवर पर ही डालती है. लिवर का काम खाने का पचाने का होता है. पचे हुये खाने से ही शरीर को ऊर्जा मिलती है. जिससे शरीर अपना काम सही तरह से करता है. एक आम धारणा यह होती है कि लिवर केवल शराब पीने से ही खराब होता है. यह सच है कि शराब लिवर का बहुत हद तक खराब करती है. सच्चाई यह भी है कि केवल शराब ही लिवर को खराब नही करती है. हेपेटाइटिस बी और सी और दूसरी कई बीमारियां बहुत तेजी से लिवर को खराब करने का काम कर रही है.

लिवर बीमारी के मामलों को लेकर आयी एक रिपोर्ट से पता चलता है कि जिन मामलों में लिवर का ट्रांसप्लांट किया जाता है उनमें 50 फीसदी हेपेटाइटिस बी और सी के साथ ही साथ लिवर की दूसरी बीमारियों के चलते खराब हुये थे. इसके अलावा लिवर कैंसर और लीवर सिरोसिस जैसी बीमारी भी लिवर को प्रभावित करती है. कुछ बीमारियों में पैरासीटामाल नामक दवा का सेवन करने वाले लोगों को भी लिवर की बीमारियां हो जाती है.

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बीमारियांे खासकर हेपेटाइटिस के लिये गंदे पानी का सेवन बहुत खराब होता है. इसके अलावा संक्रमति सुई लगवाने से भी यह बीमारियां हो जाती है. कुछ गर्भवती महिलाओं के रोगी होने से पैदा होने बच्चा भी इन बीमारियों की चपेट में आ जाता है. अगर हेपेटाइटिस बी से संक्रमित रक्त किसी को चढाया जाये तो उसको भी यह बीमारी अपनी चपेट में ले लेती है.

हेपेटाइटिस का असर जब शरीर पर दिखता है तो मरीज को सबसे पहले थकान महसूस होने लगती है. इसके अलावा मरीज को हल्का बुखार , भूख कम लगना, खाने का मन न होना और उलटी को होना जैसी परेशानियां भी दिखने लगती है. पेट के निचले  हिस्से में दर्द और लिवर में जलन का महसूस होना भी होता है. जब बीमारी ज्यादा बढ जाती है तो पेषाब, आंखों का रंग पीला पड जाता है.

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चेहरा थका थका नजर आने लगता है.इन बीमारियों में अपने मन से दवा नही लेनी चाहिये.हेपेटाइटिस की बीमारी से बचाव के लिये टीकाकरण सबसे ज्यादा जरूरी होता है. यह टीका बच्चों और बडो सभी को बीमारियों से बचाता है. बचपन में लगावाया गया टीका ज्यादा असरदार होता है. पतिपत्नी में कोई इस रोग से ग्रसित है तो “ाारीरिक संबंधों के दौरान कंडोम का प्रयोग जरूर करे.

लिवर की बीमारियों में मरीज क्या खाये :

लिवर की बीमारियों में मरीज को पौष्टिक भोजन करना चाहिये. कार्बोहाइड्रेड वाली सब्जियां खाने से बौडी को ज्यादा ताकत मिलती है. फलो का जूस भी पीना सही रहता है. घर में साफ तरह से निकाले गये जूस का सेवन करे. बाहर निकाले गये जूस में गंदगी की संभावना होती है. इसलिये इस तरह के जूस का सेवन नही करना चाहिये. सही तरह के खानपान से अलग अलग तरह के विटामिन भी “ारीर में पहुचते है और उसके अदंर रोगो से लडने की क्षमता का विकास करते है. इसके लिये ताजे फल, हरी सब्जी और दालो का सेवन सही मात्रा मंे करना चाहिये. इसके साथ ही साथ दही का प्रयोग भी करना चाहिये. दही चिकनाई रहित होना चाहिये. दूध का सेवन पेट की बीमारियों के लिये ठीक नही रहता है.

“ारीर में विटामिन सी की मात्रा को पूरा करने के लिये हरी सरसो, नीबू, संतरा, फूलगोभी, पत्ता गोभी, स्ट्राबेरी, पपीता, आम, षिमलामिर्च और ब्रोकली का सेवन करना चाहिये. विटामिन ई की कमी को पूरा करने के लिये बादाम, सूर्यमुखी के बीज, नाषपाती, टमाटर, सभी तरह के अनाज और हरे पत्ते वाली सब्जियांे का प्रयोग करना चाहिये. इसके अलावा सोयाबीन, एग योल्क, मछली, मंूगफली, चना और भूरे चावल को भोजन में उचित मात्रा में “ाामिल करना चाहिये.

लाभदायक होगे अंकुरित अनाज :

डाइटीषियन इंद्रिका त्यागी कहती है ‘पेट की बीमारियों में अंकुरित अनाज का सेवन करना लाभदायक रहता है. अंकुरित अनाज में रोग से लडने की क्षमता बढाने वाले तत्वो को मजबूत करने की ताकत होती है. भोजन में मौजूद पौष्टिक तत्व बौडी की ताकत को बढाते है और बौडी को रोगो से लडने की ताकत को बढाते है. जिससे बौडी इंफेक्षन से बच सके. अंकुरित अनाज फूड एजाइम्स के साथ डाइट सप्लीमेंट लेने का भी अच्छा तरीका होते है. लिवर की बीमारियों में तली भुनी चीजो का सेवन मना होता है. ऐसे में अंकुरित अनाज का सेवन करना बहुत लाभदायक होता है.

अंकुरित अनाज का सेवन करने के लिये उसका सही तरह से अंकुरण करना भी जरूरी होता है. अनाज को अंकुरित करने के लिये किसी भी बीज को लगभग 8 घंटे तक पानी में भिगो कर रखा जाता है. लगभग 12 घंटे के बाद अंकुरित बीजो को अलग निकाल ले. सेवन से पहले इनको साफ तरह से साफ पानी से धो ले. पुराना बचा हुआ पानी बहा दे. अगर कुछ बीज अंकुरित होने से रह जाते है तो उनको साफ पानी में दोबारा भिगो दे. अंकुरित बीजो को ठंडी जगह पर ही रखे. इससे यह खराब होने से बच जाते है.

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अंकुरित अनाज में बीज, दाल फलियां और नट्स खास होती है. मूग, चना, मेथी अल्फालफा, बींस, चिकपीज और फेनूग्रीक सीड्स खास होते है. डाइटिषयन इंन्द्रिका त्योगी का मानना है कि अंकुरित अनाज के जरीये “ारीर को एंटीआक्सीडेंंट्स, विटामिन ए, बी, सी और ई कैल्षियम, पोटैषियम, मैग्नेषियम, आयरन और जिंक जैसे जरूरी तत्व मिलते है. अंकुरित अनाजों में कैलोरी कम होती है. हल्के होने के कारण यह आसानी से पच जाते है. अंकुरित होने से इनमें अमीनो एसिड भी बढ जाता है जो बौडी के लिये बहुत जरूरी होता है.

कई बार अंकुरित अनाज का सेवन करना अच्छा नही लगता है. इसको स्वादिष्ट बनाने के लिये सलाद के साथ मिलाकर खाया जा सकता है. इसे अलावा सैंडविच, सूप, सब्जियों में मिलाकर भी खा सकते है. गेहॅू, बाजरा, राई के दानों को अकुरित करके सब्जी के रूप में भी खाया जा सकता है.

लंच बौक्स-भाग 4 : कितनी पुरानी थी रश्मि और अनिल की दोस्ती?

विवाह से पहले ही समाज की विभिन्न स्थितियों ने, लोगों की उस पर पड़ने वाली नजरों ने, समाज में स्त्रियों के प्रति होते जघन्य अपराधों ने, समाज में स्त्रियों के प्रति सम्मानहीनता की भावना ने, उस के अपने मातापिता ने, और खुद उस की विवेक बुद्धि ने रश्मि को समझा दिया था कि स्त्री होने का मतलब एक ही चीज है और कोई भी पुरुष उसी चीज की लालसा से स्त्री के पास आता है और स्त्री का एकमात्र काम उस चीज को बचाए रखना है.

उसे सिमोन डे बौयर की वह बात याद आती थी, जिस में उस ने बहुत अच्छे शब्दों में कहा था कि स्त्री जन्म नहीं लेती, उसे स्त्री बनाया जाता है.
पराए मर्दों को अपना दुश्मन समझना और एक तरह से घरघुसिया हो कर ही रह जाना, रश्मि को स्त्री का यही धर्म समझाया गया था, और यही उस ने अपना लिया था.

विवाह से पहले रश्मि अपने मातापिता के संरक्षण में सुरक्षित रही और विवाह के बाद उस ने अपने पति, बच्चों और रिश्तेदारों को ही अपना दायरा मान लिया.

उस ने देखा था कि अगर कोई स्त्री किसी पुरुष से हंस कर दो बातें भी कर लेती है, तो वह और दूसरे लोग भी उसे उस की  प्रेमिका समझने में देर नहीं लगाते. तुरंत बातें होने लगती हैं और यहां तक पहुंच जाती हैं कि दोनों में शारीरिक संबंध हैं.

स्त्री जहां पुरुषों में मित्रता, सहृदयता, उदारता, करुणा और अपनेपन की भावना तलाशती है, तो वहीं पुरुष की उस के रूपरंग, शरीर के आकारप्रकार पर ही नजर रहती है. अंतर बस इतना हो सकता है कि कुछ इस मामले में इतने निर्लज्ज होते हैं कि अपनी अंतिम भावनाओं को छिपाते नहीं हैं, और कुछ इतने संवेदनशील, इतने संकोची होते हैं कि अपनी भावनाओं का पता ही नहीं चलने देते.

लेकिन, कुलमिला कर दोनों प्रकार के लोगों का लक्ष्य एक ही होता है. जिस काम के लिए स्त्री को खुद को भावनात्मक रूप से तैयार करने की जरूरत होती है, उस के लिए पुरुष को केवल स्थान की जरूरत होती है.

ऐसा नहीं था कि रश्मि को पुरुषों का साथ पसंद नहीं था. हकीकत यह थी कि वह स्त्रियों के मुकाबले पुरुषों का साथ ज्यादा पसंद करती थी. उस ने स्त्रियों के व्यवहार में एक तरह की रूटीन बातें देखी थी. वे ही घिसीपिटी घरगृहस्थी की बातें या दफ्तर की गौसिप. वहां उसे स्वार्थपरता और संकीर्णता भी नजर आती थी.

वहीं, पुरुषों में यह स्वार्थपरता और संकीर्णता नजर नहीं आती थी, लेकिन वहां स्वार्थपरता और संकीर्णता के दूसरे ही मायने हो जाते थे. यही वजह थी कि वह इन चीजों से दूर ही रहती थी. उस ने अपने लिए एक ऐसा कवच जैसा बना लिया था, जिसे भेद पाना पुरुषों के लिए मुश्किल था.
रश्मि को ऐसी फिल्में भी पसंद नहीं आती थीं, जिस में स्त्री को केवल प्रदर्शन की वस्तु के रूप में दिखाया जाता, यानी उसे ज्यादातर हिंदी फिल्में पसंद नहीं आती थीं. उस की अकसर लोगों से खूब बहस हो जाती थी, जब वे स्त्री की कुशलता, बुद्धिमत्ता, कर्मठता आदि को मान्यता देने के बजाय इस बारे में बात करते थे कि स्त्री के आगे बढ़ने का कारण मुख्य रूप से उस का स्त्री होना ही है.

उन की बातें सुन कर रश्मि अकसर सोचा करती थी कि अगर सिर्फ बुद्धिमत्ता, कर्मठता, कुशलता आदि ही ज्यादा महत्व की वस्तुएं हैं, तो स्त्रियां इतना सजतीसंवरती क्यों हैं? वे किस के लिए सोलह सिंगार कर के घर से बाहर निकलती हैं? ऐसा तो नहीं कहा जा सकता कि वे ऐसा अपने लिए ही करती हैं, क्योंकि सजनेधजने के बाद वे चाहती हैं कि लोग उन्हें देखें, उन की तारीफ करें, उन्हें पसंद करें.
खुद उसे भी अच्छे ढंग से रहना, बननासंवरना, अच्छे कपड़े पहनना पसंद आता था. लोग उसे देखें, पसंद करें, तारीफ करें, यह अच्छा लगता था. लेकिन इस सब के माध्यम से अगर पुरुष उस के साथ सिर्फ शारीरिक संबंध ही बनाना चाहते थे, तो यह उस की समझ के परे की बात थी. ऐसे में वह नरेश से कैसे बदला ले कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.

नरेश के सामने अपनी अहमियत जताने के इरादे को अंजाम देने के लिए सब से पहले रश्मि को अनिल की याद आई.

रश्मि ने उसे फोन किया और उस के साथ अपनी दोस्ती को प्रेम में बदलने का निश्चय किया. दोनों एकदूसरे के साथ बाहर जाने लगे, जिस के द्वारा रश्मि यह दिखाना चाहती थी कि नरेश की तरह वह भी कर सकती है, उस के पास किसी तरह की कमी नहीं है.

इस संबंध में भी रश्मि ने अपनी सीमा को बनाए रखा. उस ने किसी तरह की लक्ष्मण रेखा पार नहीं की. और शायद यही कारण था कि यह संबंध बहुत आगे नहीं जाने वाला था.

एक बार ऐसा हुआ कि उस ने अनिल के साथ बाहर जाने का प्रोग्राम बनाया. रश्मि तो वहां समय पर पहुंच गई, पर वह बिना कोई सूचना दिए नहीं आया.

रश्मि को आघात जैसा लगा. उस की समझ में नहीं आया कि इस धोखे को वह किस तरह से बरदाश्त करे.

जब रश्मि को कुछ और नहीं सूझा, तो उस ने बिना सोचेसमझे नरेश को फोन किया, सारी स्थिति बताई और कहा कि वह बहुत बेचैन है. वह उसे तुरंत आ कर ले जाए.

नरेश रश्मि को लेने चला गया. उस का मूड ठीक करने की नरेश ने भरसक कोशिश की. अच्छा खाना खिलाया और मौल में घुमाया. उस के लिए उपहार खरीदे. यहां तक कि उसे खुश करने के लिए अनिल को फोन भी किया.

नरेश के लिए इस सारे प्रसंग में आशा की एक किरण यह थी कि वह समझ रहा था कि इस घटना के बाद शायद अनिल के साथ रश्मि का मिलनाजुलना कम हो जाए.

हालांकि रश्मि द्वारा अनिल के लिए रोजरोज लंच लाने की बात उसे जंच नहीं रही थी. जब  रश्मि को छुट्टी लेनी पड़ती थी, ऐसे दिनों में वह नरेश से उस के लिए लंच ले जाने की पेशकश करती थी.

कहा जाता है कि पुरुष के दिल का रास्ता उस के पेट से हो कर गुजरता है. पता नहीं, यह बात यहां कितनी लागू होती है, लेकिन यह जरूर हुआ कि उन दोनों की प्रगाढ़ता बढ़ने लगी. वे अकसर बाहर मिलते, दफ्तर से घर पहुंचने पर फोन पर लंबीलंबी बातें होतीं.

रश्मि अनिल की एकएक चीज के बारे में पता करने की कोशिश करती और दूर रहते हुए भी उस की हर जरूरत का खयाल रखने की कोशिश करती. उसे सलाह देती, कोंचकोंच कर पूछती रहती थी कि खाना खाया कि नहीं?

कुलमिला कर वह अनिल के लिए एक तरह से भौतिक और मानसिक दोनों तरह का संबल बनती चली गई. उधर रश्मि का पति, बेटा और बेटी, उस की मां, बहन, भाई, सहेलियां और बाकी दूसरे रिश्तेदार भी उस से हमेशा शिकायत करने लगे कि भई तू रहती कहां है? जब भी फोन करते हैं, तो तेरा फोन बिजी रहता है. तू हम से बहुत कम मिलती है.

जवाब में या तो रश्मि मुसकरा देती या इस का जवाब टाल देती, क्योंकि उसे पता था कि उस का ज्यादातर समय अब अनिल के लिए निर्धारित हो गया था, जिसे वह किसी को बता नहीं सकती थी.

नरेश को कुछ संदेह होने लगा था कि यह बात अब लंच ले जाने तक ही सीमित नहीं रही और आगे बढ़ चुकी है.

वह रश्मि पर संदेह नहीं करना चाहता था, लेकिन शायद उस दायरे में घुसने की कोशिश करने लगा था.

एक बार जब नरेश ने रश्मि को दफ्तर में फोन कर के बताया कि आज का लंच बहुत अच्छा था, तो रश्मि ने कहा कि हां, क्यों अच्छा नहीं होगा. आखिर किस की देखरेख में बनता है. और तुम ही नहीं, बहुत सारे लोग तारीफ करते हैं.

नरेश समझ गया कि उस का इशारा अपने बौस की तरफ था, लेकिन वह कुछ बोला नहीं. बोलता भी क्या.

एक बार नरेश का जन्मदिन था, तो उस ने देखा कि रश्मि रसोई में कुछ काम कर रही है और फोन पर बातें भी कर रही है.

यह देख नरेश को गुस्सा आ गया. वह चिल्ला कर बोला, “यह क्या मतलब है? किसी दिन तो हमारे लिए भी समय निकाल लिया करो.”

रश्मि ने फोन काट दिया. लेकिन, वह अपनी नाराजगी दिखाने से बाज नहीं आई. उस ने नरेश को सख्ती से कहा, “इस तरह की झल्लाहट ठीक नहीं है. अगर तुम्हें कोई चीज गलत लगती है, तो सीधेसीधे कह दो. मैं उसे तुरंत बंद कर दूंगी.”

नरेश को बात बदल कर कहना पड़ा, “भई, आज मेरा जन्मदिन है. आज का दिन तो मेरा अपना दिन है. इसलिए तुम्हारा सारा समय मेरे लिए होना चाहिए.”

और इस तरह से बात को रफादफा करने की कोशिश की, लेकिन इस का खमियाजा उसे कुछ दिन तक तो रश्मि को मनाने में लगाना पड़ा, क्योंकि इस बात से रश्मि का मन फिर से उखड़ गया था.

नरेश को सबक सिखाने के चक्कर में रश्मि अपने और अनिल के रिश्ते को खुद ही समझ नहीं पा रही थी. वह नरेश से बहुत प्यार करती थी, पर उसे सबक भी सिखाना चाहती थी. इसी उधेड़बुन में वह बीमार रहने लगी. उस ने कुछ दिनों के लिए औफिस से छुट्टी ले ली.

अब अनिल को लंच कैसे पहुंचाया जाए, यह समस्या उस के सामने खड़ी थी. उस ने नरेश को ही यह काम सौंपा. नरेश न चाहते हुए भी इस काम के लिए तैयार हो गया

अगली सुबह रश्मि ने खासतौर पर अनिल के लिए उस के मनपसंद रसगुल्ले बनाए और लंच में उस की पसंद की चीजें रखीं. जबकि नरेश के लिए साधारण लंच रखा. यह सब उसे जलाने के लिए किया था. नरेश ने अपनी चिढ़ छिपाते हुए स्थिति को संभालने की कोशिश की.

और फिर नरेश ने रश्मि को छेड़ने के लिए कहा, “क्या बात है, बहुत प्यार से बौस के लिए लंच लगाया जा रहा है. आज तो मैं इसे ले जाऊंगा.”

रश्मि ने नरेश की बात को मजाक समझ कर टाल दिया, लेकिन हंसीहंसी में जानबूझ कर नरेश बौस का ही लंच बौक्स ले कर चलता बना.

रश्मि रसोईघर में लौटी, तो उस ने देखा कि नरेश का लंच बौक्स वहीं पड़ा है और बौस का नदारद है.

यह देख रश्मि को नरेश पर बेहद गुस्सा आया कि देखो, बौस का लंच खुद खाने के चक्कर में अनिल क्या खाएगा, यह भी नहीं सोचा.

अगले दिन भी नरेश ने यही किया. यह देख रश्मि बेहद परेशान थी. वह सोचने लगी कि अब क्या वह बौस के लिए अपने पति का लंच बौक्स ले कर जाए.

वह तुरंत तैयार हो कर पति नरेश का लंच ले कर औफिस के लिए निकल पड़ी. वहां अनिल उसे देख कर बोला, ‘‘अरे, बीमारी की हालत में तुम क्यों औफिस आई हो?’’

इस पर रश्मि ने लंच न पहुंचाने के लिए माफी मांगी और पति नरेश वाला लंच बौक्स उसे दिया. अनिल ने बेहद हैरान होते हुए कहा, ‘‘माफी किसलिए…? लंच तो रोज नरेश दे कर जा रहे हैं.’’

अब रश्मि हैरानपरेशान थी. उस ने मन में सोचा कि फिर नरेश इतने दिनों से क्या खा रहे हैं ?

वह जानती थी कि नरेश बाहर का खाना नहीं खाते हैं, वह उसी समय नरेश के औफिस पहुंची. और वह लंच नरेश को भिजवाया. नरेश उसे बेहद प्यार करते हैं, उसे यह समझ में आ चुका था.

नाहक ही नादानी में वह उस से बदला लेने चली थी. एक अनिल था, जो उसे लेने तक नहीं आया और एक नरेश हैं, जो नाराज हो कर भी अपनी पत्नी का वादा निभा रहे हैं. एक उस का प्यार है, जो बदला चाहता है और पति नरेश नाराजगी भी खुद भूखे रह कर बड़े प्यार से निभा रहे हैं.

‘चाहने वाले तुम्हें और भी हैं,’’ जितना सहज हो कर नरेश कहते हैं, क्यों वह उस के लिए सहज नहीं हो पाई. आज उसे लंच बौक्स में प्यार की एक नई परिभाषा समझ में आई

लंच बौक्स-भाग 3 : कितनी पुरानी थी रश्मि और अनिल की दोस्ती?

रश्मि ने इस काम के लिए अपने चाचा की मदद लेने की सोची. किसी तरह उस ने अपने चाचा के साथ नरेश को मिलाने का इंतजाम करवाया.

चाचा उस से मिले, लेकिन उन्होंने भी बिना लागलपेट के कह दिया, “हमें यह शादी मंजूर नहीं है. हम रश्मि के लिए अपने समाज में ही लड़का ढूंढ़ रहे हैं.”

नरेश यह सुन कर मायूस हुआ, पर उस ने हिम्मत नहीं हारी. उस ने संभल कर कहा, “ठीक है, आप ढूंढ़ लीजिए, और अगर लड़का नहीं मिला, तो प्लीज, मेरी शादी रश्मि से करवा दीजिएगा.”

चाचा ने कहा, “ऐसी कोई बात नहीं है. लड़का मिल जाएगा. ऐसे कामों में समय लगा करता है. आप भी कब तक इंतजार करेंगे.”

इस पर नरेश ने कहा, “जब तक आप कहेंगे, मैं इंतजार करूंगा.’’

चाचा ने कहा, “इस में सालों भी लग सकते हैं.”

नरेश ने जवाब दिया, “फिर भी मैं इंतजार करूंगा.”

चाचा को नरेश की इस बात ने बहुत प्रभावित किया. मतलब, नरेश का तीर सही निशाने पर लगा था.

चाचा ने अपने भाई को बताया कि लड़का बहुत ही नेक और शरीफ है. वह रश्मि को खुश रखेगा. रश्मि से शादी के लिए इस पर विचार किया जा सकता है.

इस तरह काफी जद्दोजहद के बाद नरेश को रश्मि मिल पाई.

शादी के बाद इतने सालों बाद भी नरेश को कभी नहीं लगा कि उस ने रश्मि के साथ शादी कर के कोई गलती की है, क्योंकि रश्मि ने ईमानदारी और निष्ठा से अपना पत्नी धर्म निभाया था. उस ने पूरा घर संभाला, नरेश को पूरा सुख दिया.

कहते हैं कि सुंदरता के सभी शिकारी… रश्मि की सुंदरता के कारण लोग उस के आगेपीछे घूमते थे, उस से बातें करना चाहते थे और दोस्ती करना चाहते थे.

रश्मि सीमा में रह कर लोगों से मिलतीजुलती थी. इस संबंध में वह पहले ही नरेश को सबकुछ बता दिया करती थी, ताकि किसी तरह की कोई गलतफहमी न रहे.

उस ने तय किया था कि वह चोरीछिपे ऐसा कोई काम नहीं करेगी, ताकि उन के विवाह के संबंध में कोई तनाव आए.

नरेश रश्मि को “चाहने वाले तुम्हें और भी हैं” गाना सुना कर इस बात के लिए छेड़ा करता था. दोनों इस पर खूब हंसा करते थे. दोनों इस बात को अच्छी तरह समझते थे कि वे दोनों एकदूसरे के प्रति ईमानदार हैं.

ऐसा नहीं था कि दोनों में कभी गलतफहमी हुई ही नहीं, ऐसे में रश्मि यह समझा कर नरेश को शांत करती कि दुनिया में कोई किसी का स्थान नहीं ले सकता.

तुम मेरे पति हो और पति के स्थान पर ही रहोगे, कोई दूसरा इस स्थान पर नहीं आ सकता.
ठीक इसी तरह से अगर कोई मेरा दोस्त है, तो वह दोस्त ही रहेगा और उस का स्थान कोई नहीं ले सकता यानी नरेश खुद भी नहीं ले सकता. हालांकि, उस ने उस का नाम नहीं लिया.

जया के आने से पहले सबकुछ ठीकठाक चल रहा था. जया नरेश के औफिस में एक सहकर्मी थी, जो उस पर लट्टू हो गई.

जया की अभी शादी नहीं हुई थी और वह नरेश के साथ अपने संबंध को परिणति देना चाहती थी. सप्ताहांत पर वह गाहेबगाहे जानबूझ कर ऐसे मौकों पर और ऐसे समय पर नरेश को फोन करने लगी, जो आपत्तिजनक था.

एक दिन रश्मि अपनी सहेली के साथ फिल्म देखने गई और उस ने अगली सीट पर ही नरेश और जया को बैठे देखा.

फिल्म खत्म होने के बाद रश्मि ने अपने पति नरेश को फोन किया और पूछा कि वह कहां है? तो उस ने साफ झूठ बोला कि वह तो औफिस की मीटिंग में बिजी है.

नरेश रात को काफी देर से आया. पूछने पर उस ने बताया कि मीटिंग काफी लंबी चली.

यह सुन कर उसे काफी तकलीफ हुई. एक तरह से उस का विश्वास ही हिल गया. वह बहुत ही विचलित हो गई. उसे लगा, जैसे उस का संसार ही उजड़ा जा रहा है. न तो उस का दफ्तर के काम में मन लगता, न घर में ही. बच्चे कुछ बात करते, तो वह झल्ला उठती और बातबेबात उन्हें डांटने लगती.

नरेश तो खैर उस के सामने ही नहीं पड़ता था. रश्मि की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. बात भी कुछ ऐसी ही थी कि वह किसी को बता भी नहीं सकती थी. क्योंकि सब उसी का दोष निकालते कि वह पति को काबू में नहीं रख पाई.

बौस अनिल ने रश्मि को इस हालत में देखा तो पूछा, “क्या बात है? तुम्हारी तबीयत ठीक तो है न?”

अब तो जैसे सब्र का बांध ही टूट गया. रश्मि लगभग रो दी, और उस ने सारी बात उसे बता दी.

उस ने रश्मि को समझाया कि यह कोई अनोखी बात नहीं है. पतिपत्नी के बीच अकसर ऐसा हो जाता है. वह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर है, इसलिए उसे किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है.

इस मामले में वह अपना मत बिना किसी लागलपेट और शर्मलिहाज के पति के सामने स्पष्ट कर दे.

अनिल से बात कर के रश्मि की हिम्मत लौट आई. उसे रास्ता साफ होता नजर आया. उस ने वही किया.

रश्मि की बात सुन कर नरेश के पैरों तले जमीन खिसक गई. उस ने बहुत मानमनौव्वल की और अपनी बेचारगी जैसा कुछ समझाया, माफी मांगी और वादा किया कि वह उस लड़की का साथ छोड़ देगा.

इस पर रश्मि ने बहुत सपाट ढंग से बस इतना ही कहा, “इसी में सब की भलाई है.”

लेकिन, रश्मि नरेश की इस बेईमानी को माफ नहीं कर पाई. उसे लगा कि अगर वह नरेश के साथ इतनी ईमानदारी से चल रही है, तो फिर नरेश ने उसे धोखा देने की हिम्मत कैसे की.

उस के सामने बारबार एक ही सवाल खड़ा हो जाता था कि आखिर नरेश ने उसे धोखा क्यों दिया?

उसे लगा कि वह तो पूरी ईमानदारी से अपना धर्म निभा रही है, लेकिन मर्द तो मर्द ही होता है की तर्ज पर नरेश ऐसा नहीं कर रहा. रश्मि के दिल में एक तरह से बदले की भावना ने जन्म ले लिया.

उसे लगा कि नरेश को सबक सिखाने की जरूरत है, परिवार के महत्व और परिवार से इतर संबंधों का मतलब समझाने की जरूरत है.

रश्मि भूल गई कि बदला लेने के जुनून में हम समझ नहीं पाते कि सामने वाले व्यक्ति को जितना दुख पहुंचाते हैं, उस से ज्यादा नुकसान हम अपना करते हैं.

Hyundai #WhyWeLoveTheVenue:कंफेर्टबल साइज की वजह से वेन्यू बनी सबकी पसंद  

  वेन्यू की साइज के बारे में हम शायद ही कभी सोचते हैं क्योंकि अंदर से इसका स्पेस काफी कंफर्टेबल है. आपको जानकार हैरानी होगी लेकिन यह फैक्ट है कि, चार मीटर से कम लंबाई में भी यह कार तंग गलियों और सड़कों के लिए परफेक्ट साइज है.

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वेन्यू संकरी सड़कों पर भी स्मूदली चलती है, साथ ही इसके साइज की वजह से यह कहीं भी पार्क की जा सकती है. इसमें लगे रियर कैमरे के  हाइ डेफ़िनेशन डिस्पले से सबकुछ क्लीयर दिखाई देता है जो पार्किंग को और आसान बनाता है. वेन्यू को पसंद करने की यह वजह अपने आप में पूरी है.                         

शूटिंग शुरू करने को लेकर सरकार की इस गाइडलाइन पर हैं FWICE को आपत्ति

रविवार,31 मई को महाराष्ट् सरकार के सांस्कृतिक विभाग ने फिल्म इंडस्ट्री को पुनः शुरू करने के लिए 16 पन्नों के ‘‘स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर’’(एस ओ पी) गाइड लाइन्स जारी की थी.जिसका फिल्म उद्योग से जुड़े कई लोगो ने खुशी जाहिर की.मगर सरकार की ‘‘एस ओ पी’’ गाइड लाइन्स’’को लेकर कुछ लोग संतुष्ट नहीं है.इसके पीछे उनकी अपनी ठोस वजहे हैं.

सरकार के 16 पन्नों के गाइड लाइन्स/एस ओ पी से सर्वाधिक निराश फिल्म निर्देशकों की एसोसिएशन के अलावा फिल्म इंडस्ट्री के सभी वर्करों के हित का ख्याल रखने वासी संस्था‘‘फेडरेशन आफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्पलाइज’’है.इस संस्था के पांच लाख सदस्य हैं.एशिया की सबसे बड़ी फेडरेशन ‘‘फेडरेशन आफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्पलाइज’’के अध्यक्ष बीरेंद्र नाथ तिवारी ने ‘‘सरिता’’पत्रिका के साथ एक्सक्लूसिब बातचीत करते हुए कहा-‘‘हम तो शूटिंग शुरू करने के लिए तैयार हैं.

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हमें काम करना है.मगर सरकार की तरफ से जारी एस ओ पी/गाइड लाइन्स से हम काफी निराश हैं. इसलिए हम आज पुनः माननीय मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे जी को पत्र लिख रहे हैं.हम अपने पत्र मे मुख्यमंत्री जी से निवेदन कर रहे हैं कि गाइड लाइन्स में एक शर्त यह है कि 60 वर्ष से बड़ी उम्र के लोग सेट पर नहीं आ सकते. हम चाहते हैं कि इस पर हमें कुछ रियायत दी जाए.क्योंकि हमारी फिल्म इंडस्ट्री के ज्यादातर निर्देशक साठ वर्ष की उम्र के हैं.हमारे ज्यादातर निर्देशक, तकनीषियन,मेकअप मैन भी साठ वर्ष के हैं.अभिनेता अमिताभ बच्चन जी की उम्र भी साठ वर्ष से अधिक है.तो क्या अब ‘कौन बनेगा करोड़पति’का अगला सीजन नही बन पाएगा?हम सरकार को पत्र लिखकर अनुरोध कर रहे हैं कि उम्र के मसले पर वह कुछ रियायत दें,जिससे सभी साठ वर्ष की उम्र के तकनीशियन कुछ ज्यादा बेहतर सुरक्षा उपायों का पालन करते हुए शूटिंग कर सकें.’’

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‘‘फेडरेशन आफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्पलाइज’’को इस बात पर भी एतराज है कि इस संस्था की तरफ से 22 मई को मुख्यमंत्री से हुई बातचीत के दौरान भी फिल्म शूटिंग शुरू करने के लिए ‘गाइड लाइन्स’पर चर्चा हुई थी.उसके बाद ‘‘फेडरेशन आफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्पलाइज’’ने 26 मई को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शूटिंग शुरू करने के लिए गाइड लाइन्स का जिक्र किया था.मगर सरकार ने फेडरेशन की गाइड लाइन्स पर गौर ही नहीं किया.‘‘फेडरेशन आफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्पलाइज’’के अध्यक्ष बीरेंद्र नाथ तिवारी ने इस संदर्भ में ‘‘सरिता’’ पत्रिका से एक्सक्लूसिब बात करते हुए कहा-‘‘हम कोशिश कर रहे हैं कि बीस जून से पहले शूटिंग शुरू  कर सके.

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मगर हम सरकार को पुनः पत्र लिख रहे हैं कि हमने अपने 26 मई के पत्र में शूटिंग के दौरान कलाकार,तकनीशियन व वर्करों की सुरक्षा के मद्दे नजर सभी का हेल्थ इंश्यूरेंस/हेल्थ जीवन बीमा  करवाने की जो मांग रखी थी,उसे सरकार ने अपनी गाइड लाइंस में नजरंदाज कर दिया है.जबकि यह अति अहम मुद्दा है.आखिर शूटिंग के दौरान कोई कोरोना से संक्रमित हो गया,तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?इंश्यूरेंस होने पर वर्कर के साथ साथ निर्माता भी आश्वस्त रहेगा.इसलिए हम पुनः महाराष्ट् सरकार को इन दो मुद्दों पर पत्र लिख रहे हैं.एक मुद्दा हेल्थ इंश्यूरेस/जीवन बीमा का है और दूसरा साठ वर्ष की उम्र के लोगों को काम करने की इजाजत देने का है.हमें उम्मीद है कि सरकार से हमें सकारात्मक सहयोग मिलेगा.’

Coronavirus: Sonali Bendre ने बताएं इम्यूनिटी बढ़ाने के 3 टिप्स, आप भी कर सकते हैं ट्राय

विशेषज्ञों और डॉक्टरों का कहना है की कोरोना के वायरस COVID-19 उन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक हैं जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है ऐसे में हमें अपने इम्युनिटी पावर को बढ़ाने के लिए खाने में पोषक तत्वों की मात्रा बढाने की जरुरत है. जो लोग लोगों को कोरोना से बचाव के लिए जागरूक कर रहें हैं वह हाथ और घरों को सेनेटाइज करनें की बात तो कर रहें हैं लेकिन लोगों के खान-पान जैसी आदतों पर बात नहीं कर रहें हैं.

इस मुद्दे पर लोगों को जागरुक करने वालों की संख्या बहुत ही सीमित है. इन्हीं सीमित लोगों में एक नाम है अपने ज़माने की मशहूर अभिनेत्री रही सोनाली बेंद्रे (Sonali Bendre) का. वह हाल ही में कैसंर जैसे घातक बिमारी से पूरी तरह मुक्ति पाने में कामयाब हुईं हैं.

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सोनाली ने शेयर किया वीडियो…

अब जब वह कैंसर से पूरी तरह ठीक हो चुकीं है और फिर से नए सिरे से अपने लाइफ को आगे बढ़ाने बढ़ा रहीं हैं इस Lockdown के बीच उन्होंने एक वीडियो शेयर कर लोगों को इम्युनिटी पावर बढ़ाने का टिप्स दिया है. सोनाली के इस इम्युनिटी बढ़ाने वाले टिप्स को बताने के पीछे कारण यह की जिसका इम्यून सिस्टम स्ट्रांग होगा उसे कोरोना वायरस से लड़ने में ज्यादा मदद मिलेगी.

अपने इंस्टाग्राम और ट्विटर अकाउंट पर उन्होंने 39 सेकेण्ड के इस वीडियो में 3 ऐसे  टिप्स दिए हैं जिसको अपना कर इम्यून पावर को बढ़ाया जा सकता है.

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सोनाली बेंद्रे (Sonali Bendre) द्वारा इम्यून पावर बढ़ाने वाले इस वीडियो पर यूजर्स के अच्छे रिस्पांस आ रहें हैं. लोगों नें उनके इस पोस्ट पर न केवल उनके स्वास्थ्य के बारे में जानना चाहा है बल्कि वह उनके इस टिप्स की सराहना भी कर रहें हैं.

क्या दिया है टिप्स
सोनाली बेंद्रे (Sonali Bendre) ने अपने सोशल मिडिया एकाउंट पर अपने वीडियो के जरिये तीन स्टेप्स में जो टिप्स दिए हैं…

पहले स्टेप में है यह बताया है की गर्म पानी का भाप लें.

दूसरे स्टेप में एक गिलास गर्म पानी पीने की बात की है.

तीसरे स्टेप में उन्होंने पालक, अखरोट, आंवला, गाजर, हल्दी, अदरक, बादाम, दालचीनी, मुनक्का और ब्लूबेरी से भरी प्लेट दिखाया गया जिसे ग्राइंड कर वह उसका शेक बनाती हुई दिख रहीं हैं.

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फैंस को दिया ये मैसेज….

अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स पर शेयर किये वीडियो के साथ सोनाली बेंद्रे (Sonali Bendre) उसके कैप्शन में लिखा हैं. “इस कठिन समय में हम सब जानते हैं कि मजबूत इम्युनिटी के क्या मायने हैं. कैंसर से जूझने के दौरान, मैंने इम्युनिटी सिस्टम को बूस्ट करने के लिए काफी रिसर्च की. फिर मैंने एक उपाय की शुरुआत की जो कि अब आदत बन चुका है. ये स्टेप्स काफी सिंपल हैं और मैं इन्हें आजमा चुकी हूं, टेस्ट कर चुकी हूं. कीमोथेरेपी के दौरान मैं इसकी वजह से इन्फेक्शन से बची हूं और मुझे लगता है कि यह सीक्रेट फ़ॉर्मूला उसके लिए कारगर साबित हुआ. ये मैं आपसे शेयर कर रही हूं, उम्मीद करती हूं कि आप सब भी इसका उपयोग कर इम्युनिटी बूस्ट करने में फायदा उठा सकते हैं.

इस लॉक डाउन में सोनाली बेंद्रे (Sonali Bendre) के टिप्स आप के लिए भी कारगर हो सकतें हैं क्यों की हमारा इम्यून जितना पावरफुल होगा हमारे बीमार पड़नें की संभावनाएं उतनी ही कम होंगी.

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#Lockdown:सलमान खान की इस हिरोइन ने बताया Immunity बढ़ाने का टिप्स  

मैनें प्यार किया जैसी सुपरहिट फिल्म की हिरोइन भाग्यश्री  को तो आप जानते उन्होंने ‘मैंने प्यार किया’ से ही सलमान के साथ डेब्यू किया था और इनकी यह फिल्म इतनीं सुपरहिट रही थी की आज भी लोग इस फिल्म को बार-बार देखना पसंद करते हैं इस फिल्म में दर्शकों नें भाग्यश्री और सलमान खान की केमेस्ट्री को खूब पसंद किया गया. इन दिनों भाग्यश्री   फिल्मों में ज्यादा एक्टिव नहीं हैं. लेकिन वह सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहतीं हैं उनके नेचुरल एक्टिंग को  ‘मैंने प्यार किया’  इतना पसंद किया गया था की यह फिल्म उस दौर बहुत बड़ी हिट फिल्म साबित हुई थी. इसके बाद वह  रातों रात सुपरहिट हीरोइन बन गई थीं.

इस लॉकडाउन में लसभी सेलेब्रेटीज की तरह वह भी खुद के घर में न केवल इंज्वाय कर रहीं हैं बल्कि लॉकडाउन से जुड़े जरुरी टिप्स भी दें रहीं हैंइसी कड़ी में उन्होंने बिमारियों से बचनें के लिए जबरदस्त इम्युनिटी बढ़ाने वाले टिप्स दिए हैं. उन्होंने अपनें ऑफिसियल इन्स्टाग्राम एकाउंट पर एक वीडियो जारी कर इसकी जानकारी दी.

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उन्होंने इस वीडियो में बताया की इसमें ज्यादा सामग्री भी प्रयोग नहीं होता है. इस डिश को उन्होंने ही किचन में जाकर बनाया और फैन्स के बीच शेयर किया. उन्होंने इम्युनिटी पावर बढ़ाने वाले इस डिस को बढ़ाने के पहले इसका रेसिपी भी शेयर किया हैं. जिसमें उन्होंने 6 से 7 टमाटर, आधा कप मूंगफली दान  , 6-7 हरी मिर्च, दो चम्मच राई, एक चम्मच खड़ा जीरा व दो चम्मच जीरा पाउडर , एक चम्मच लाल मिर्च पाउडर , एक चुटकी हींग, एक चुटकी हल्दी स्वादानुसार सेंधा नमक थोड़ी सी घी और करी पत्ता . इन सबको मिला कर उन्होंने डिस बनाते हुए का पूरा वीडियो अपलोड किया है जिसे उनके फैन्स खूब  पसंद कर रहें हैं और इस वीडियो को बार-बार देख रहें हैं.

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उन्होंने अपने इस वीडियो पोस्ट के कैप्शन में लिखा है आपकी रसोई में प्रतिरक्षा चार्टबस्टर्स. कोविद -19 ) का मुकाबला करने के लिए विटामिन सी. कोलेजन उत्पादन के लिए विटामिन सी भी महत्वपूर्ण है और यह एक एंटीऑक्सीडेंट भी है. उन्होंने अधिक जानकारी के लिए अपनें  चैनल विजिट करने की बात भी की है. भाग्य श्री द्वारा इस वीडियो को शेयर करने के बाद दो लाख से ज्यादा के ब्यूज मिल चुके हैं.

Medela Flex Breast Pump: अब और आसान होगी ब्रेस्ट फीडिंग

हर मां चाहती है कि उसके बच्चे को भरपूर पोषण मिले, इसके लिए वह बच्चे के जन्म लेते ही उसे अपना दूध पिलाती है, चाहे उसे इसके लिए कितनी भी पीड़ा क्यों सहनी पड़े. आखिर ये रिश्ता होता ही ऐसा है. मां से अपने बच्चे की पीड़ा देखी नहीं जाती. वह जानती है कि अगर बच्चे को हैल्थी रखना है, उसकी इम्युनिटी को बढ़ाना है तो उसे मां का दूध पिलाना ही होगा

लेकिन कई बार ऐसी स्थिति  जाती है जब मां चाहा कर भी अपने बच्चे को दूध नहीं पिला पाती. जैसे कई बार स्तनों में दूध नहीं आता या फिर अधिक दूध आने के कारण स्तनों में अत्यधिक पीड़ा होती है या जौब के कारण मजबूरन उसे अपने बच्चे का पेट भरने के लिए  फार्मूला मिल्क का सहारा लेना ही पड़ता है. जो भले ही बच्चे की भूख को शांत कर दे लेकिन इससे बच्चे को सभी जरूरी न्यूट्रिएंट्स नहीं मिल पाते हैं, जो आगे चलकर उसमें कई कमियों का कारण भी बन सकते हैं

लेकिन अब नई टेक्नोलॉजी के आने के कारण हमारा जीवन आसान हो गया है. हमारे सामने आज ढेरों विकल्प होते हैं. इसी में एक है ब्रैस्ट पंपअब ऐसे ब्रैस्ट पंप्स  गए हैं जिसने मां की परेशानी को दूर करने का काम किया है

क्या है ब्रैस्ट पंप 

ब्रैस्ट पंप एक ऐसा यंत्र है, जिसकी मदद से मां अपने दूध को संग्रहित करके रख सकती है और जब बच्चे को इसकी जरूरत हो आसानी से पिलाया जा सकता है. एक बार दूध संग्रहित होने के बाद मां दूसरे काम भी आसानी से टेंशन फ्री हो कर कर सकती है. हर मां के मन में ये सवाल जरूर आता है कि कहीं ब्रैस्ट पंप के इस्तेमाल से हमें दर्द तो नहीं होगा या फिर बच्चे को इस दूध से कोई नुकसान तो नहीं पहुंचेगा. तो आपको बता दें कि ये पूरी तरह से सेफ है. बस आप पंप की साफ़ सफाई का खास ध्यान रखें

आपको बता दें कि ब्रैस्ट पंप वैक्यूम के कारण काम करते हैं. जब इन पंप्स को दोनों स्तनों पर अच्छे से लगाया जाता है तो वैक्यूम के कारण स्तनों से दूध निकल कर पंप से जुड़ी हुई बोतल में भरने लगता है. जिन्हें आप आसानी से फ्रिज में स्टोर करके रख सकती हैं. बस इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे को दूध तभी पिलाएं जब दूध नोर्मल टेम्परेचर पर जाए. इससे जहां आपको सुविधा होगी वहीं आपके बच्चे को सभी जरूरी न्यूट्रिएंट्स भी मिल जाएंगे

वैसे को मार्केट में आपको ढेरों ब्रैस्ट पंप मिल जाएंगे. लेकिन सवाल है बच्चे की हैल्थ का जिससे कोई समझौता नहीं हो सकता. ऐसे में मेडेला फ्लेक्स ब्रैस्ट पंप का जवाब नहीं. क्योंकि उन्होंने एक मां की जरूरतों को ध्यान में रखकर ब्रेस्ट पंप बनाए हैं. जिसमें  हैल्थ भी और कम्फर्ट भी. चाहे बच्चा जन्म से पहले जन्मा  हो, स्तनों से दूध बाहर पा रहा हो, ऐसे में उच्च क्षमता वाले मेडेला फ्लेक्स ब्रैस्ट पंप मां के दूध को स्तनों से आसानी से बाहर निकाल के  बच्चे तक मां के दूध को पहुंचाने का काम करते हैं. इसके अधिकांश पम्प में 2 फेज एक्सप्रेशन टेक्नोलोजी है, जो काफी यूनिक है

तो फिर मेडेला फ्लेक्स ब्रैस्ट पंप से आप भी रहें रिलैक्स और बच्चे को भी दें पूरा पोषण. साथ ही में अपनी पर्सनल और प्रौफेशनल लाइफ का भी रखें ख्याल.

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Naagin 5: क्या बिग बॉस फेम Mahek Chahal होगी एकता कपूर की अगली ‘नागिन’?

कुछ समय पहले एकता कपूर ने इस बात का ऐलान कर दिया था कि जल्द ही सीरियल नागिन4 को ऑऱएयर किया जाएगा. जिसके बाद से ही मेकर्स नागिन 5 की तैयारी मेंजुट गए थें. वहीं सभी को उत्सुकता इस बात की है कि आखिर नागिन 5 में कौन होगा लीड रोल में.

वहीं एक रिपोर्ट के मुताबिक पता चला है कि एकता कपूर को सीरियल नागिन 5 की एक्ट्रेस मिल चुकी हैं. खबर है कि बिगबॉस सीजन 5 में नजर आ चुकी महक चहल नजर आएंगी नागिन 5 में.

हालांकि इस बात पर अभी तक एकत कपूर ने कुछ खुलासा नहीं किया है. लेकिन एकता कपूर के सीरियल कनच में नजर आ चुकी हैं. जिससे लोग कयास लगा रहे हैं.

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वहीं अगर सूत्रों की माने तो दोनों के बीच चीत चल रही है. जल्द ही एकता कपूर इस विषय पर खुलकर बात करेंगी. वहीं चैनल अपने प्रोडक्शन में 30 प्रतिशत कटौती कर चुका है.

ऐसे में मेकर्स चाहते है कि नया चेहरा कास्ट किया जाए, जिससे दर्शकों को पसंद आए. वहीं जब इस बात की जानकारी महक चहल से ली गई तो उन्होंने कहा है कि यह बात गलत है. फिलहाल ऐसी कोई भी प्लानिंग नहीं है. कुछ भी ऐसा होगा तो आप लोगों के बीच जरूर पहुचेगा.

 

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बीच में नागिन 4 की टीआरपी बाकी अन्य सीरियल्स के मुकाबले कम हो गए थें. जिस वजह से शो के मेकर्स परेशान रहने लगे थें.

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जिसके बाद एकता कपूर को यह फैसला लेना पड़ा. लॉकडाउन की गाइड लाइन आने के बाद यह तय हो चुका है कि 15 जून के बाद सभी सीरियल्स की शूटिंग शुरू हो जाएगी.

 

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खबर यह भी आ रही है कि नागिन 4 बंद होने से निया शर्मा बहुत दुखी हैं. वह नागिन 4 के लिए मोटी रकम वसूल रही थीं. ऐसे में मेकर्स उन्हें नागिन 5 का हिस्सा नहीं बनाना चाहते हैं.

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