शरीर में होने वाली कुछ बीमारियां ऐसी होती है जो सबसे ज्यादा प्रभाव लिवर पर ही डालती है. लिवर का काम खाने का पचाने का होता है. पचे हुये खाने से ही शरीर को ऊर्जा मिलती है. जिससे शरीर अपना काम सही तरह से करता है. एक आम धारणा यह होती है कि लिवर केवल शराब पीने से ही खराब होता है. यह सच है कि शराब लिवर का बहुत हद तक खराब करती है. सच्चाई यह भी है कि केवल शराब ही लिवर को खराब नही करती है. हेपेटाइटिस बी और सी और दूसरी कई बीमारियां बहुत तेजी से लिवर को खराब करने का काम कर रही है.

लिवर बीमारी के मामलों को लेकर आयी एक रिपोर्ट से पता चलता है कि जिन मामलों में लिवर का ट्रांसप्लांट किया जाता है उनमें 50 फीसदी हेपेटाइटिस बी और सी के साथ ही साथ लिवर की दूसरी बीमारियों के चलते खराब हुये थे. इसके अलावा लिवर कैंसर और लीवर सिरोसिस जैसी बीमारी भी लिवर को प्रभावित करती है. कुछ बीमारियों में पैरासीटामाल नामक दवा का सेवन करने वाले लोगों को भी लिवर की बीमारियां हो जाती है.

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बीमारियांे खासकर हेपेटाइटिस के लिये गंदे पानी का सेवन बहुत खराब होता है. इसके अलावा संक्रमति सुई लगवाने से भी यह बीमारियां हो जाती है. कुछ गर्भवती महिलाओं के रोगी होने से पैदा होने बच्चा भी इन बीमारियों की चपेट में आ जाता है. अगर हेपेटाइटिस बी से संक्रमित रक्त किसी को चढाया जाये तो उसको भी यह बीमारी अपनी चपेट में ले लेती है.

हेपेटाइटिस का असर जब शरीर पर दिखता है तो मरीज को सबसे पहले थकान महसूस होने लगती है. इसके अलावा मरीज को हल्का बुखार , भूख कम लगना, खाने का मन न होना और उलटी को होना जैसी परेशानियां भी दिखने लगती है. पेट के निचले  हिस्से में दर्द और लिवर में जलन का महसूस होना भी होता है. जब बीमारी ज्यादा बढ जाती है तो पेषाब, आंखों का रंग पीला पड जाता है.

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चेहरा थका थका नजर आने लगता है.इन बीमारियों में अपने मन से दवा नही लेनी चाहिये.हेपेटाइटिस की बीमारी से बचाव के लिये टीकाकरण सबसे ज्यादा जरूरी होता है. यह टीका बच्चों और बडो सभी को बीमारियों से बचाता है. बचपन में लगावाया गया टीका ज्यादा असरदार होता है. पतिपत्नी में कोई इस रोग से ग्रसित है तो “ाारीरिक संबंधों के दौरान कंडोम का प्रयोग जरूर करे.

लिवर की बीमारियों में मरीज क्या खाये :

लिवर की बीमारियों में मरीज को पौष्टिक भोजन करना चाहिये. कार्बोहाइड्रेड वाली सब्जियां खाने से बौडी को ज्यादा ताकत मिलती है. फलो का जूस भी पीना सही रहता है. घर में साफ तरह से निकाले गये जूस का सेवन करे. बाहर निकाले गये जूस में गंदगी की संभावना होती है. इसलिये इस तरह के जूस का सेवन नही करना चाहिये. सही तरह के खानपान से अलग अलग तरह के विटामिन भी “ारीर में पहुचते है और उसके अदंर रोगो से लडने की क्षमता का विकास करते है. इसके लिये ताजे फल, हरी सब्जी और दालो का सेवन सही मात्रा मंे करना चाहिये. इसके साथ ही साथ दही का प्रयोग भी करना चाहिये. दही चिकनाई रहित होना चाहिये. दूध का सेवन पेट की बीमारियों के लिये ठीक नही रहता है.

“ारीर में विटामिन सी की मात्रा को पूरा करने के लिये हरी सरसो, नीबू, संतरा, फूलगोभी, पत्ता गोभी, स्ट्राबेरी, पपीता, आम, षिमलामिर्च और ब्रोकली का सेवन करना चाहिये. विटामिन ई की कमी को पूरा करने के लिये बादाम, सूर्यमुखी के बीज, नाषपाती, टमाटर, सभी तरह के अनाज और हरे पत्ते वाली सब्जियांे का प्रयोग करना चाहिये. इसके अलावा सोयाबीन, एग योल्क, मछली, मंूगफली, चना और भूरे चावल को भोजन में उचित मात्रा में “ाामिल करना चाहिये.

लाभदायक होगे अंकुरित अनाज :

डाइटीषियन इंद्रिका त्यागी कहती है ‘पेट की बीमारियों में अंकुरित अनाज का सेवन करना लाभदायक रहता है. अंकुरित अनाज में रोग से लडने की क्षमता बढाने वाले तत्वो को मजबूत करने की ताकत होती है. भोजन में मौजूद पौष्टिक तत्व बौडी की ताकत को बढाते है और बौडी को रोगो से लडने की ताकत को बढाते है. जिससे बौडी इंफेक्षन से बच सके. अंकुरित अनाज फूड एजाइम्स के साथ डाइट सप्लीमेंट लेने का भी अच्छा तरीका होते है. लिवर की बीमारियों में तली भुनी चीजो का सेवन मना होता है. ऐसे में अंकुरित अनाज का सेवन करना बहुत लाभदायक होता है.

अंकुरित अनाज का सेवन करने के लिये उसका सही तरह से अंकुरण करना भी जरूरी होता है. अनाज को अंकुरित करने के लिये किसी भी बीज को लगभग 8 घंटे तक पानी में भिगो कर रखा जाता है. लगभग 12 घंटे के बाद अंकुरित बीजो को अलग निकाल ले. सेवन से पहले इनको साफ तरह से साफ पानी से धो ले. पुराना बचा हुआ पानी बहा दे. अगर कुछ बीज अंकुरित होने से रह जाते है तो उनको साफ पानी में दोबारा भिगो दे. अंकुरित बीजो को ठंडी जगह पर ही रखे. इससे यह खराब होने से बच जाते है.

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अंकुरित अनाज में बीज, दाल फलियां और नट्स खास होती है. मूग, चना, मेथी अल्फालफा, बींस, चिकपीज और फेनूग्रीक सीड्स खास होते है. डाइटिषयन इंन्द्रिका त्योगी का मानना है कि अंकुरित अनाज के जरीये “ारीर को एंटीआक्सीडेंंट्स, विटामिन ए, बी, सी और ई कैल्षियम, पोटैषियम, मैग्नेषियम, आयरन और जिंक जैसे जरूरी तत्व मिलते है. अंकुरित अनाजों में कैलोरी कम होती है. हल्के होने के कारण यह आसानी से पच जाते है. अंकुरित होने से इनमें अमीनो एसिड भी बढ जाता है जो बौडी के लिये बहुत जरूरी होता है.

कई बार अंकुरित अनाज का सेवन करना अच्छा नही लगता है. इसको स्वादिष्ट बनाने के लिये सलाद के साथ मिलाकर खाया जा सकता है. इसे अलावा सैंडविच, सूप, सब्जियों में मिलाकर भी खा सकते है. गेहॅू, बाजरा, राई के दानों को अकुरित करके सब्जी के रूप में भी खाया जा सकता है.

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