रश्मि ने इस काम के लिए अपने चाचा की मदद लेने की सोची. किसी तरह उस ने अपने चाचा के साथ नरेश को मिलाने का इंतजाम करवाया.
चाचा उस से मिले, लेकिन उन्होंने भी बिना लागलपेट के कह दिया, “हमें यह शादी मंजूर नहीं है. हम रश्मि के लिए अपने समाज में ही लड़का ढूंढ़ रहे हैं.”
नरेश यह सुन कर मायूस हुआ, पर उस ने हिम्मत नहीं हारी. उस ने संभल कर कहा, “ठीक है, आप ढूंढ़ लीजिए, और अगर लड़का नहीं मिला, तो प्लीज, मेरी शादी रश्मि से करवा दीजिएगा.”
चाचा ने कहा, “ऐसी कोई बात नहीं है. लड़का मिल जाएगा. ऐसे कामों में समय लगा करता है. आप भी कब तक इंतजार करेंगे.”
इस पर नरेश ने कहा, “जब तक आप कहेंगे, मैं इंतजार करूंगा.’’
चाचा ने कहा, “इस में सालों भी लग सकते हैं.”
नरेश ने जवाब दिया, “फिर भी मैं इंतजार करूंगा.”
चाचा को नरेश की इस बात ने बहुत प्रभावित किया. मतलब, नरेश का तीर सही निशाने पर लगा था.
चाचा ने अपने भाई को बताया कि लड़का बहुत ही नेक और शरीफ है. वह रश्मि को खुश रखेगा. रश्मि से शादी के लिए इस पर विचार किया जा सकता है.
इस तरह काफी जद्दोजहद के बाद नरेश को रश्मि मिल पाई.
शादी के बाद इतने सालों बाद भी नरेश को कभी नहीं लगा कि उस ने रश्मि के साथ शादी कर के कोई गलती की है, क्योंकि रश्मि ने ईमानदारी और निष्ठा से अपना पत्नी धर्म निभाया था. उस ने पूरा घर संभाला, नरेश को पूरा सुख दिया.
कहते हैं कि सुंदरता के सभी शिकारी... रश्मि की सुंदरता के कारण लोग उस के आगेपीछे घूमते थे, उस से बातें करना चाहते थे और दोस्ती करना चाहते थे.