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Crime Story: आवाज से ठगी

सौजन्य -मनोहर कहानियां

लेखक कपूर चंद 

वह तरहतरह की आवाजें निकालने में माहिर था. इतना ही नहीं, वह पुरुषों के अलावा हर आयु वर्ग की महिलाओं की आवाज इतनी स्पष्टता से निकाल लेता था कि सुनने वाले आश्चर्यचकित रह जाते थे. इस के अलावा वह अलगअलग शख्सियतों की भी मिमिक्री कर लेता था.

सिद्धार्थ पटेल अगर चाहता तो अपनी इस प्रतिभा को स्टेज के जरिए एक नई पहचान दिला सकता था, लेकिन उस ने ऐसा करने के बजाए लोगों को ठगने का काम किया. सिद्धार्थ ने सब से पहले फेसबुक पर संजना के नाम से एक लड़की की फेक आईडी बनाई, जिस में उस ने दिल्ली की रहने वाली बताया. इस के बाद उस ने फेसबुक के माध्यम से रवि इनाणिया नाम के एक बिजनैसमैन से दोस्ती की. रवि जोधपुर के चौहाबो कस्बे का रहने वाला था.

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रवि को जब भी समय मिलता, वह संजना (सिद्धार्थ) से चैटिंग कर लेता. धीरेधीरे दोनों के बीच बातचीत का दायरा बढ़ता गया. उन की फोन पर भी बात होने लगी. सिद्धार्थ फोन पर रवि से लड़की की आवाज में बात करता था. रवि को उस की आवाज और बातें बहुत अच्छी लगती थीं. उसे बात करते समय बिलकुल भी अहसास नहीं हुआ कि वह जिस संजना से बात कर रहा है, वह लड़की नहीं बल्कि लड़का है.

रवि शादीशुदा था, इस के बावजूद वह संजना से बहुत प्रभावित था. कह सकते हैं, वह संजना को चाहने लगा था और उस से शादी करने का फैसला ले चुका था. उस ने अपने मन की बात फोन पर संजना को बता दी थी.

शादी के लिए संजना ने भी अपनी सहमति दे दी थी, लेकिन उस ने बताया कि उस की कुंडली में शनि और मंगल का दोष है, जब तक यह दोष दूर नहीं हो जाता तब तक शादी नहीं हो सकती.

रवि उस से शादी के लिए इतना उतावला था कि कुछ भी करने को तैयार था. इस बारे में उस ने संजना के परिजनों से बात करने की इच्छा जताई तो सिद्धार्थ ने पिता, मां और भाई की आवाज में उस से फोन पर खुद ही बात की.

उस ने बदली हुई आवाज में रवि को बताया कि जब तक शनि और मंगल का दोष दूर नहीं होगा, तब तक शादी नहीं हो सकेगी. दोष दूर करने के लिए उस ने 4 बार में नर्मदा नदी की 10,400 किलोमीटर की यात्रा भी करवाई.

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मजे की बात यह कि इस दौरान सिद्धार्थ जो संजना बन कर रवि से फोन पर बातें करता था, वह संजना का भाई बन कर रवि के साथ घूमता भी रहा. वह 3 साल तक रवि के पैसों से ही जगहजगह घूमा. उस से लाखों रुपए ऐंठे. रवि ने सिद्धार्थ से कहा कि वह अपनी बहन संजना से उस की कम से कम एक बार तो मुलाकात करा दे. तब सिद्धार्थ ने कहा कि उन के यहां शादी से पहले लड़की को अपने होने वाले पति से मिलने की अनुमति नहीं होती.

रवि फोन पर बात करते समय समझता था कि वह अपनी प्रेमिका संजना से ही फोन पर बात कर रहा है, जबकि हकीकत कुछ और ही थी.

संजना के भाई बने सिद्धार्थ ने एक बार रवि से कहा कि संजना की तबीयत बहुत खराब है. इलाज कराने पर भी फायदा नहीं हो रहा है. एक पंडित ने होने वाले पति और भाई को कामाख्या मंदिर और ओंकारेश्वर की परिक्रमा करने की सलाह दी है. यदि ऐसा किया गया तो वह बच सकती है.

रवि अपनी प्रेमिका संजना को हर हालत में ठीक देखना चाहता था, इसलिए वह पंडित द्वारा बताया गया उपाय करने को तैयार हो गया. सिद्धार्थ ने रवि के साथ कामाख्या मंदिर और ओंकारेश्वर की भी परिक्रमा की.

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काश! रवि यह जान पाता कि सिद्धार्थ न केवल खुद संजना था, बल्कि संजना की मां, पिता, मौसी सब वही था और अलगअलग आवाजों में वही रवि से बातें करता था. वही सोशल साइट पर उस से चैटिंग करता था. लेकिन रवि तो संजना की आवाज का मुरीद था. सिद्धार्थ अपनी आवाज का पूरा फायदा उठा रहा था.

इस तरह सिद्धार्थ ने रवि के साथ 3 सालों में करीब 1 लाख किलोमीटर से अधिक की यात्राएं कीं और समयसमय पर किसी न किसी बहाने उस से पैसे भी ऐंठता रहा. लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी जब रवि को उस की प्रेमिका संजना से नहीं मिलाया गया तो रवि को शक हो गया कि आखिर सिद्धार्थ और उस के घर वाले उसे संजना से मिलने क्यों नहीं दे रहे.

रवि इनाणिया ने इस बात की शिकायत जोधपुर के चौहाबो थाना पुलिस से की. पुलिस ने रवि की शिकायत पर जांच शुरू की. पुलिस ने संजना का फेसबुक एकाउंट चैक किया. इस एकाउंट और फोन नंबर के सहारे पुलिस 16 दिसंबर, 2019 को मध्य प्रदेश के हरदा जिले के रहने वाले सिद्धार्थ पटेल के पास पहुंच गई.

सिद्धार्थ से जब सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार किया कि वही संजना बन कर लड़की की आवाज निकाल कर रवि से बातें करता था.

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पुलिस को सिद्धार्थ के बारे में जानकारी मिली कि उस ने अंगरेजी मीडियम स्कूल में अपनी पढ़ाई की. 10वीं और 12वीं कक्षा में सिद्धार्थ अपने स्कूल का टौपर रहा था. स्कूल की पढ़ाई के बाद उस ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन किया था. उस का सपना आईएएस बनना था, इसलिए सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी के लिए वह दिल्ली चला गया था. वह शुरू से प्रतिभावान रहा. वह बचपन से ही कई तरह की आवाजें निकाल कर दोस्तों का मनोरंजन करता था.

पुलिस ने सिद्धार्थ को न्यायालय में पेश कर 7 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड अवधि में सिद्धार्थ से विस्तार से पूछताछ की गई. सिद्धार्थ ने रवि के सामने संजना (लड़की) की आवाज निकाली तो रवि के अलावा पुलिस भी आश्चर्यचकित रह गई.

तब रवि ने कहा कि यह आवाज तो उस की प्रेमिका संजना की ही है लेकिन सिद्धार्थ संजना नहीं है. उस ने आशंका जताई कि हो सकता है कि इन लोगों ने संजना का मोबाइल छीन कर उसे जबरदस्ती कैद कर रखा हो. रवि को भले ही उस की संजना नहीं मिली पर पुलिस ने सिद्धार्थ पटेल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

बहुत देर कर दी-भाग 1: हानिया की दीवानी कौन थी?

सूरत ज्यादा अच्छी न हो और उम्र 30 पार कर जाए तो रिश्ते घर का दरवाजा भूल जाते हैं. कभी भूलेभटके कोई रिश्ता आ भी जाता है तो ऐसा होता है कि आप उसे कुबूल नहीं कर पाते, बहुत कमतर. आजकल हानिया इसी मुश्किल से गुजर रही थी. नाकनक्शा तो अच्छा था मगर रंग सांवला था. बड़ीबड़ी आंखें जिन में गजब की कशिश थी पर पता नहीं लड़के वालों की पहली मांग गोरा रंग ही क्यों होती है. नाकनक्शा कैसा भी हो पर रंग गोरा हो तो लड़की पसंद कर ली जाती है, भले लड़का काला हो. हानिया से छोटी बहन सानी, जिस का रंग गोरा था, की 3 साल पहले शादी हो गई थी. आज एक बच्चे की मां थी. हानिया 32 साल की हो रही थी पर कहीं कोई बात नहीं बन रही थी. न कोई ढंग का रिश्ता आ रहा था न कहीं बात चल रही थी. कभी किसी कम पढ़ेलिखे व कम पैसे वाले की बहनें देखने आ जातीं या कभी 40-45 साल के आदमी, जिन के औलाद न हुई हो या बीवी की मृत्यु हो चुकी हो, के बच्चे संभालने को रिश्ता आ जाता. हानिया के अम्मीअब्बा पढ़ेलिखे, सुलझे हुए थे. वे इस विचार के थे कि पढ़ीलिखी बेटी को गलत रिश्ते में झोंकने से अच्छा है वह कुंआरी  रहे.

हानिया ने फैशन डिजाइनिंग में डिप्लोमा कर लिया था और उसी इंस्टिट्यूट में जौब कर रही थी. सब से अच्छी बात यह थी कि उसे इस बात का कोई कौम्प्लैक्स नहीं था कि उस से पहले छोटी बहन की शादी हो गई, बल्कि उस ने ही सानी का रिश्ता आने पर मांबाप को उस की शादी कर देने के लिए राजी किया था. उस ने उन्हें यह तल्ख हकीकत समझाई थी कि अच्छे रिश्ते बारबार नहीं आते. इस तरह उस से पहले सानी की शादी हो गई. हानिया के ताया और ताई उसे खूब प्यार करते थे. उन का एक ही बेटा था सलमान, बेटी की कमी हानिया से पूरी हो जाती थी. वह वक्त मिलने पर अकसर ही ताया के यहां चली जाती. उस के जाने से उस घर में रौनक आ जाती. उन का बेटा सलमान गंभीर स्वभाव का था. उस ने अपनी पसंद अनुशा से शादी की थी. अनुशा बहुत खूबसूरत थी. वह जितनी खूबसूरत थी उतनी ही स्वभाव की भी अच्छी थी, खूब हंसनेहंसाने वाली लड़की. हानिया से उस की खूब बनती थी. अच्छी दोस्ती के लिए अच्छी सोच का होना जरूरी था जो दोनों में खूब थी.

अनुशा की 2 साल की बेटी गजाला, हानिया की दीवानी थी. जैसे ही हानिया वहां पहुंचती, जिंदगी खिलखिला उठती. अनुशा को नईनई चीजें पकाने का बहुत शौक था. दोनों मिल कर खूब एक्सपेरिमैंट करतीं. जिंदगी इसी तरह गुजर रही थी. बीचबीच में हानिया के रिश्ते आते रहते पर ऐसे न होते जिन्हें कुबूल किया जाता. किसी रिश्तेदार की शादी में शिरकत कर के तायाताई, अनुशा और गजाला लौट रहे थे कि कार का ऐक्सिडैंट हो गया. सलमान औफिस की जरूरी मीटिंग की वजह से शादी में नहीं जा सके थे. ताया और अनुशा मौके पर ही खत्म हो गए. ताई के पैर की हड्डी टूट गई. गजाला को थोड़ी खरोंचें आई थीं. सारे खानदान में कोहराम मच गया. एक हंसतामुसकराता घर पलभर में बरबाद हो गया. हानिया उस के अम्मीअब्बा और भाई मंजूर, ताया के गम में बराबर के शरीक थे. मरने वाले तो मर गए पर अपने पीछे बेबसी और परेशानी छोड़ गए. ताई अस्पताल में ऐडमिट थीं. पैर के औपरेशन के बाद रौड डाल दी गई.

वक्त का काम गुजरना है. बड़े से बड़ा जख्म भी समय के साथ भर जाता है. ताई लकड़ी के सहारे चलने लगी थीं. हानिया उस के मांबाप, भाई इतने दिनों से ताया के घर पर ही थे. अब अपने घर लौट गए. वैसे घर पास ही था. घर में काम करने वाली बूआ का काम भी बढ़ गया था. वह बड़ी ईमानदार और हमदर्द औरत थी. इस बुरे वक्त में वह पूरा साथ दे रही थी. पर गजाला को संभालना उस के बस की बात न थी. इसलिए हानिया इंस्टिट्यूट से आते वक्त उसे साथ ले कर अपने घर चली जाती और सलमान औफिस से वापसी पर उसे पिक कर लेता. ताई छुट्टी के दिन हानिया और उस के छोटे भाई मंजूर को अपने घर पर बुला लेतीं. 3-4 महीने यही रूटीन रहा. सब ठीकठाक चल रहा था.

समय ऐसा भी आया कि हानिया के लिए एक अच्छा रिश्ता आ गया. लड़का 35-36 साल का था. उस की बीवी की बच्चे की डिलीवरी में मौत हो गई थी और बच्चे वगैरा नहीं थे. दुबई में अच्छी पोस्ट पर काम कर रहा था. रिश्ता हानिया के पापा के दोस्त लाए थे. हर तरह की तसल्ली दी, रिश्ता सभी को पसंद आया. सब लोग यह खुशखबरी सुनाने ताई के पास गए. ताई ने रिश्ते के बारे में सुन कर मुबारकबाद दी. पर उन का चेहरा उतर गया. उन्होंने बड़ी नरमी से देवर से कहा, ‘‘भाई अजहर, रिश्ता तो बहुत अच्छा है पर हम लोग हानिया के बगैर बेआसरा हो जाएंगे. मैं हानिया को अपने से दूर नहीं कर सकती. आप बस 15-20 दिन रुक जाएं. मैं सलमान की मरजी मालूम करती हूं. मैं हानिया को अपनी बहू बनाना चाहती हूं. गजाला को मां और मुझे बेटी मिल जाएगी. धीरेधीरे सलमान भी ऐडजस्ट हो जाएगा. बस, थोड़े दिन रुक जाइए.’’ अजहर साहब को भाभी से बड़ी हमदर्दी थी, भतीजे व पोती का बड़ा खयाल था, इसलिए बात दिल को लगी. हानिया की अम्मी भी बेटी को दूर नहीं भेजना चाहती थीं. वे भी इसी पक्ष में थीं कि सलमान से शादी हो जाए, बेटी पास में रहेगी. सलमान में कोई कमी न थी. उस की उम्र भी 36-37 साल ही थी, देखाभाला था. पर जो रिश्ता हानिया के लिए आया था वह भी एक शादी कर चुका था. जहां तक हानिया की मरजी जानने का सवाल था, वह मांबाप की खुशी में खुश थी. मंजूर, जो हानिया से 7-8 साल छोटा था, उसे भी सलमान पसंद था.

बकरीपालन को कैसे दें प्रोफेशनल रंग

भारत के गांवों में गरीब तबके के लाखों लोग पिछले कई दशकों से जैसेतैसे बकरीपालन कर के अपने परिवारों का पेट पालते रहे?हैं. कई सालों तक बकरीपालन करने के बाद भी गरीबों की माली हालत में रत्ती भर भी सुधार नहीं हो पाता है.

आज बकरीपालन एक बड़ा कारोबार बन चुका है. अगर बकरीपालन करने वाले व्यावसायिक तरीके से गोट फार्मिंग (बकरीपालन) करें तो बकरियों की संख्या और आमदनी दोनों में लगातार इजाफा हो सकता है. इतना ही नहीं बड़े पैमाने पर बकरीपालन शुरू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की बकरीपालन योजनाओं और अनुदान का लाभ भी लिया जा सकता है.

इस कारोबार को शुरू करने से पहले यह जानना और समझना जरूरी?है कि?व्यावसायिक बकरीपालन क्या?है? इस में कितनी लागत आएगी? कितना मुनाफा होगा? सरकार की ओर से?क्या मदद मिलती है? बकरीपालन में 100 से 1000 बकरियों को 1 ही बाड़े में रखा जा सकता?है और बड़े नाद में सभी को एकसाथ खाना खिलाया जाता?है. यह तरीका मुरगीपालन यानी पोल्ट्री फार्म की तरह ही होता है. घर में 5-7 बकरियां पालने और बकरियों का व्यावसायिक रूप से पालन करने में फर्क है. अगर 1 परिवार कम से कम 100 बकरियों का पालन करे तो उस परिवार के 6-8 लोगों को काम मिलेगा और आमदनी भी बढ़ेगी.

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गौरतलब है कि भारत में मांस की मांग करीब 80 लाख टन है, जबकि 60 लाख टन का ही उत्पादन हो पाता है. इस में बकरी के मांस की खपत 12 फीसदी ही है. इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि बकरीपालन का बाजार कितना खाली है.

पशु वैज्ञानिक डा. सुरेंद्र नाथ बताते?हैं कि गोट फार्मिंग की छोटी यूनिट में 20 बकरियां और 1 बकरा होते?हैं, जबकि बड़ी यूनिट में 40 बकरियां और 2 बकरे होते हैं. लोकल किस्म की बकरी 1 साल में 2 बार 2-2 बच्चे देती है. कुछ बकरियां 3-4 बच्चे भी देती?हैं. इस हिसाब से 20 बकरियों वाली यूनिट से 1 साल में कम से कम 80 बच्चे मिल सकते?हैं. 1 बकरे या बकरी की कीमत कम से 4000 रुप्ए होती?है. इस लिहाज से 80 बकरेबकरियों की कीमत 320000 रुपए होगी. 1 यूनिट की बकरियों के चारे, दवा व टीकों आदि पर साल में करीब 1 लाख रुपए खर्च होते?हैं. इस तरह 1 यूनिट से कम से कम?ढाई लाख रुपए के करीब सालाना कमाई होती है

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पिछले 12 सालों से बकरीपालन कर के अच्छीखासी कमाई करने वाले पटना जिले के नौबतपुर गांव के मनोज बताते?हैं कि इस व्यवसाय की सब से बड़ी खासीयत यह?है कि बाढ़ या सूखा जैसी आपदा का इस पर खास असर नहीं पड़ता. इस के अलावा अचानक पैसों की जरूरत पड़ने पर बकरियों को बेचा जा सकता है. बकरों व बकरियों को कभी भी कहीं भी बेचा जा सकता है. कई मौकों पर तो बकरियों की मुंहमांगी कीमतें मिलती?हैं.

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प्रोफेशनल तरीके से बकरीपालन शुरू करने से पहले विशेषज्ञों से सलाह लेना जरूरी है. किसी की सुनीसुनाई बातों में फंस कर इस काम को शुरू नहीं करें. बकरियों की 1 छोटी यूनिट के लिए 300 वर्गमीटर जगह और करीब 1 लाख रुपए की जरूरत होती है. बकरियों को रखने के लिए जमीन से कुछ ऊंचाई पर बांस की जमीन बना ली जाती?है. बकरीपालन वाली जगह पर पानी का जमाव नहीं होना चाहिए और जगह हवादार होनी चाहिए. इस कारोबार को समझने के बाद बजट और योजना बना कर ही काम शुरू करना बेहतर होगा.

बहुत देर कर दी-भाग 5: हानिया की दीवानी कौन थी?

हानिया को लगा, उसे किसी ने शोलों में धकेल दिया हो. सारी उम्र की मेहनत व कुरबानी सब बेकार गई. उस ने बेबस आंखों से सलमान को देखा और सिर झुका लिया, कुछ कह कर वह बात बढ़ाना नहीं चाहती थी. जीशान भी वहीं था. वह गुस्से से होंठ काटने लगा. पर मां का खयाल कर के चुप रहा. आज तक हानिया अनुशा की जगह न ले सकी थी. मौत के 17-18 साल बाद भी अनुशा उस के दिल पर राज कर रही थी. शादी खूब अच्छे से हो गई. सभी रिश्तेदारों, मेहमानों ने खूब तारीफ की. हर किसी की जबान पर एक ही बात थी, ‘मां हो तो हानिया जैसी.’ इतनी तारीफें भी हानिया के होंठों पर हंसी न ला सकीं. एक रोबोट की तरह वह सारे काम निबटाती रही, मुसकरा कर लोगों से मिलती रही. विदाई से पहले उसे गजाला के पास बैठने

का वक्त मिला. जैसे ही वह मां के गले लगी, बिलखबिलख कर रो पड़ी और दोनों हाथ जोड़ कर गजाला कहने लगी, ‘‘अम्मी, मुझे माफ कर दीजिए, आप ने मेरे लिए जो किया वह सगी मां भी नहीं कर सकती. आप ने मेरे लिए कितने उलाहने, कितने ताने, कितनी बातें सहीं. मेरी वजह से आप की जिंदगी एक अजाब बन गई. सिर्फ मेरी वजह से आप ने जीशान को होस्टल भेज दिया, अपनी ममता का गला घोंट दिया. अम्मी, मैं किसकिस बात के लिए आप से माफी मांगूं? मेरी अली से शादी पर भी कैसेकैसे इलजाम पापा ने आप पर लगाए. आप तो पापा की मरजी के अनुसार अमान से ही मेरी शादी पर राजी थीं. पर मेरे कहने पर मेरी पसंद पर आप को अपनी राय बदलनी पड़ी. और मेरा दिल रखने के लिए आप ने अली का नाम लिया. पापा आप से नाराज भी हुए पर मेरी खातिर आप अपनी बात पर अड़ी रहीं. अम्मी, मैं कैसे इतने एहसान उतार पाऊंगी? आप ने सगी मां से बढ़ कर मेरे लिए किया है.’’ एक बार फिर वह सिसक उठी. हानिया उसे चुप कराने लगी.

सलमान जो बेटी से मिलने कमरे में आ रहा था, बेटी की आवाज, ‘‘अम्मी, मुझे माफ कर दो…’’ सुन कर बाहर ही रुक गया. बेटी के मुंह से हकीकत और मां की तारीफ सुन कर जैसे वह शर्म से पानीपानी हो रहा था. उस ने हानिया के साथ क्याक्या न जुल्म किए, कितना अपमान किया, कैसेकैसे इलजाम न लगाए पर वह खामोश, सब सुनती रही, सहती रही. सलमान बेटी के मुंह से अली के बारे में सुन कर बहुत शर्मिंदा हुआ. इस के लिए भी उस ने हानिया को दोष दिया था. सच में हानिया ने सलमान और गजाला के लिए अपनी परवा न की. घर का माहौल न बिगड़े, उस ने मासूम बच्चे को होस्टल भेज दिया. कैसी अंधी मुहब्बत थी सलमान की अनुशा और गजाला के लिए कि वह जीतीजागती चाहने वाली बीवी की मुहब्बत पैरों तले रौंदता रहा और मरी हुई बीवी का दम भरता रहा. आज उसे एहसास हो रहा था, हानिया उस के लिए कितनी जरूरी है. कितनी अच्छी तरह उस ने उस की गृहस्थी चलाई. दिल में हानिया की मुहब्बत तो सिर उभार रही थी, चाहत तो कब से पनप रही थी पर वह मानने को राजी न था. अपनी गलती, अपने जुल्म, अपनी लापरवाही पर उसे बड़ी शर्मिंदगी हो रही थी. उस ने इरादा कर लिया कि वह जल्द ही हानिया से अपनी गलतियों की माफी मांग लेगा. उसे उस का सही मुकाम व इज्जत देगा. जो तकलीफें उस ने उठाई हैं उतने ही सुख उसे देगा.

हानिया उसी वक्त गजाला को समझाती हुई दरवाजे से बाहर ला रही थी. सलमान ने आगे बढ़ कर बेटी को गले लगाया. गजाला बाप से मिल कर फूटफूट कर रोई. सलमान भी रो पड़े, दिल भारी हो गया. विदाई के बाद घर में बेहद सन्नाटा हो गया. एक अजीब सी उदासी पसर गई. मंजूर और फैमिली दूसरे दिन जाने वाले थे. हानिया घर समेट रही थी, पता नहीं कब सोई. दूसरे दिन सुबह सलमान की आंख देर से खुली. नाश्ते की टेबल पर सब उन का इंतजार कर रहे थे. नाश्ता कर के सब बातें करते रहे. मंजूर वगैरा अपनी तैयारी करने के लिए उठ गए. सलमान उठ कर अपने कमरे में आया. कमरा हमेशा की तरह साफसुथरा महकता हुआ मिला. उस का दिल खुश हो गया. उसे याद आया, ‘हानिया कितनी ही थकी हुई हो, कितनी ही देर से सोई हो पर सवेरे कमरा इसी तरह चमकतादमकता मिलता था.’ उस ने सोचा कि आज वह हानिया का खूब शुक्रिया अदा करेगा. तारीफ कर के उस का जी खुश कर देगा.

हानिया उसी वक्त सूटकेस खींचती स्टोर से बाहर निकली और सलमान के सामने खड़ी हो गई. उस की आंखों में निश्चय की चमक और विश्वास था. उस ने धीरेधीरे बात कहना शुरू किया, ‘‘सलमान, आज आप से मुझे जरूरी बात करनी है. आप ने शादी की पहली रात ही मुझे बता दिया था कि आप सिर्फ गजाला के लिए मुझे ब्याह कर लाए हैं. उस के बाद भी कभी आप ने मुझे गजाला की मां नहीं समझा. शक और वहम आप को भरमाते रहे. आप ने कभी भी मुझे बीवी की इज्जत और मुहब्बत नहीं दी. ‘‘अब आप की बेटी इस घर से विदा हो गई है. मेरी जिम्मेदारी खत्म हो गई. अब आप को और आप के घर को मेरी जरूरत नहीं है. मैं अपनी अम्मी के साथ जा रही हूं. इतने अरसे तक मैं ने अपने बेटे को खुद से दूर रखा. उसे मां की मुहब्बत से वंचित रखा. अब मैं उस के पास रह कर उस का पूरा हक अदा करूंगी. मेरा उस के प्रति भी कोई फर्ज है जो मैं पूरा करना चाहती हूं. उस के हिस्से की मुहब्बत उसे दूंगी. आप अब मुझे इजाजत दीजिए.’’ सलमान को लगा जैसे किसी ने उस के पांवों के नीचे से जमीन खींच ली हो. वह अब हानिया के बिना जिंदगी गुजारने की सोच भी नहीं सकता था. वह जल्दी से बोल उठा, ‘‘हानिया, मेरी बात सुनो, मैं अपनी गलतियों पर शर्मिंदा हूं. मैं मानता हूं मैं ने तुम्हारे साथ बहुत ज्यादती की है. पर मुझे इस तरह छोड़ कर न जाओ. मुझे तुम्हारी बहुत जरूरत है.’’

हानिया ने अटल लहजे में जवाब दिया, ‘‘जब मुझे आप की जरूरत थी तब आप ने साथ न दिया. अब मुझे आदत हो चुकी है. मैं ने फैसला कर लिया है, मैं जीशान के पास रहूंगी. मैं जा रही हूं. अब मुझे आप की कोई दलील रोक नहीं सकेगी.’’ यह कह कर, सूटकेस ले कर वह कमरे से बाहर निकल गई. बाहर मंजूर, जीशान सभी तैयार खड़े थे. वह उन लोगों के साथ गाड़ी में बैठ गई. सलमान देखता रह गया.

बहुत देर कर दी-भाग 4: हानिया की दीवानी कौन थी?

मंजूर की शादी थी. वह हफ्तेभर के लिए मायके गई. खूब अच्छी लड़की मिली, शादी भी अच्छे से हो गई. शादी के बाद हानिया के मम्मीपापा भी पुणे चले गए. गजाला बीए फाइनल में आ गई. जीशान ने 12वीं मैरिट में पास किया. उस का पुणे मैडिकल कालेज में ऐडमिशन हो गया. जीशान नानानानी के पास रह कर मैडिकल की पढ़ाई करने लगा. उस दिन सलमान बहुत खुशीखुशी घर आया और बताया कि उन का दोस्त जो अमेरिका में था, अब यहां आ कर सैट हो गया है. हमीर ने अपना बिजनैस शुरू किया है. उस का बेटा अमान एक मल्टीनैशनल कंपनी में जौब कर रहा है. उन का घर मुंबई में है, वहीं सब साथ रह रहे हैं. अमान बहुत स्मार्ट और समझदार है. हमीर ने उस का रिश्ता गजाला के लिए दिया है. यह फोटो भी भेजा है. तुम फोटो दिखा कर गजाला से उस की मरजी मालूम कर लो ताकि बात तय की जा सके.

हानिया ने गजाला को फोटो दिखाया और उस की मरजी पूछी तो वह एकदम चुप हो गई, फिर बोली, ‘‘अम्मी, आप पापा को बोल दो कि मैं इतनी जल्दी शादी नहीं करना चाहती.’’ सलमान ने सुना तो गुस्से में आ गया, कहने लगा, ‘‘इतना अच्छा रिश्ता है, बिजनैस क्लास फैमिली है, गजाला वहां राज करेगी. पता नहीं क्यों आजकल की लड़कियां बस अपनी मरजी चलाना चाहती हैं. मैं खुद बात करूंगा.’’

सलमान की गजाला से बात करने की नौबत ही नहीं आई, उस के पहले गजाला की सहेली रूमी के मम्मीपापा अपने डाक्टर बेटे का रिश्ता ले कर आ गए. रूमी के पापा शहर के माने हुए सर्जन थे. उन का खुद का अस्पताल था. उन का बेटा अली भी उन्हीं के साथ था. काफी अच्छा खानदान था. दूसरा बेटा भी मैडिकल में था. एक बेटी रूमी थी जो गजाला के साथ थी. अली देखने में काफी स्मार्ट और मिलनसार था. सभी को खूब पसंद आया. जीशान तो अली के ही पक्ष में था क्योंकि वह खुद भी मैडिकल में था. सलमान खामोश हो गया. दोनों रिश्ते अच्छे थे पर सलामन का इरादा अपने दोस्त के बेटे अमान के लिए था. हानिया ने सोच कर जवाब देने को कह दिया. रात को गजाला हानिया के पास आई और उस ने साफसाफ कह दिया कि वह अली को पसंद करती है. उस से उस की अच्छी अंडरस्टैंडिंग है, इसलिए अली के रिश्ते को मंजूरी दे दी जाए. अब हानिया की समझ में आया, इसी वजह से उस ने अमान को ‘नहीं’ कह दिया था. रूमी उस की दोस्त है. उस की अली से मुलाकात हुई होगी. दोनों एकदूसरे को पसंद करते होंगे. पर यह बात वह सलमान को बता कर बेटी को नीचा नहीं दिखाना चाहती थी. उस ने और जीशान ने अली के खानदान, उस के रखरखाव की इतनी तारीफ की कि आधेअधूरे मन से सलमान को अली के रिश्ते के लिए हां कहना पड़ा.

शादी की तैयारियां शुरू हो गईं. सलमान खूब धूमधाम से शादी करना चाहता था. हानिया ने भी कपड़ेजेवर सभीकुछ बहुत कीमती व अच्छा चुना. ताकि अब उस पर कोई इलजाम न आए. सलमान सब देख कर खुश तो बहुत हुआ पर मुंह से तारीफ न की. लेकिन इतना जरूर कहा, ‘‘मैं तो अमान को बेटी देना चाहता था, खूब रईस खानदान था. मेरी बेटी ऐश करती. सब से बड़ी बात इकलौता बेटा था. सबकुछ गजाला का ही होता. पर अपनीअपनी सोच है. ठीक है अली डाक्टर है, इसलिए उसे बेटी दे दी. आज भी तुम उसे अपनी बेटी न समझ सकीं. इतने दौलतमंद घराने को छोड़ कर डाक्टर के यहां बेटी ब्याह दी.’’

बहुत देर कर दी-भाग 3: हानिया की दीवानी कौन थी?

हानिया अब और सावधान हो गई. घर के कामकाज के साथ 2 छोटे बच्चों को संभालना. वह फिरकनी की तरह फिरती. खाना भी खुद पकाती क्योंकि सलमान को बूआ के हाथ का खाना पसंद न था. वह हर मुमकिन कोशिश करती कि कुछ ऐसा न हो जाए कि सलमान को लगे कि बेटी की उपेक्षा हो रही है. जीशान भी सलमान का खून था पर उस के दिल में जो चाहत गजाला के लिए थी, जीशान से वैसी मुहब्बत न थी. जीशान की हर जरूरत पूरी की जाती, बहुत खयाल रखा जाता. वह हर चीज का हकदार था, पर गजाला सी चाहत का नहीं. हां, ताई गजाला की तरह जीशान पर भी जीजान से न्योछावर थीं. हानिया का जब जी भर आता, मांबाप के पास चली जाती. वहां दोनों को बेपनाह मुहब्बत मिलती. उम्र इसी तरह सरक रही थी. गजाला थर्ड स्टैंडर्ड में आ गई. उस के स्कूल में कोई फंक्शन था, जिस में पेरैंट्स को बुलाया गया था. सलमान तो अपनी व्यस्तता की वजह से जा नहीं सकता था. हानिया का जाने का पक्का इरादा था. अचानक जीशान के पेट में सख्त दर्द उठा और फिर उलटी व दस्त शुरू हो गए. हानिया को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. जीशान को इस हालत में छोड़ कर वह नहीं जा सकती थी. गजाला ने ही सुझाया, उस की दोस्त जो करीब में ही रहती है, वह उस की मम्मीडैडी के साथ चली जाएगी. हानिया की भी उन से अच्छी दोस्ती थी. उस ने उन्हें फोन कर दिया.

तभी मंजूर, उस का भाई, आ गया जो पुणे में कहीं जौब कर रहा था. भांजे की तबीयत खराब देखी तो बहन को डाक्टर के पास ले गया. डाक्टर ने जीशान को ऐडमिट कर लिया. हानिया मंजूर को वहां छोड़ कर घर आ गई. 4 बजे गजाला की दोस्त व उस के मम्मीपापा आ गए. वे लोग खुशीखुशी पूरी तसल्ली दे कर गजाला को साथ ले गए. 2 घंटे का प्रोग्राम था. शाम को 7 बज गए. अभी तक वे लोग नहीं आए थे. हानिया वैसे भी बहुत परेशान थी क्योंकि जीशान को पास ही के एक नर्सिंगहोम में ऐडमिट करना पड़ा था. जैसेजैसे वक्त बीतता जा रहा था, उस की चिंता बढ़ती जा रही थी. शुक्र हुआ मंजूर जीशान को ले कर घर आ गया. ग्लूकोज चढ़ाने के बाद उस की तबीयत काफी अच्छी थी.

वह मंजूर के साथ बैठ कर बातें कर रही थी. साढ़े 7 बजे के करीब सलमान औफिस से आ गया. चाय वगैरा पी कर उस ने गजाला के बारे में पूछा. जैसे ही उसे पता चला, गजाला अपनी दोस्त के पेरैंट्स के साथ फंक्शन में गई है और अब तक नहीं आई है, उस का पारा चढ़ गया. ‘‘हानिया, तुम्हें गजाला की जरा भी फिक्र नहीं है. साल में 1-2 बार ही उस के स्कूल जाना पड़ता है. तुम वह भी नहीं करतीं. आखिर, तुम्हें जाने में क्या तकलीफ थी?’’ हानिया ने उसे जीशान की तबीयत के बारे में बताया कि उसे ऐडमिट करना पड़ा था.’’ जवाब मिला, ‘‘उसे अम्मा देख लेतीं. तुम्हें उसे अकेले नहीं भेजना था. 8 बज रहे हैं, अभी तक पता नहीं है उन सब का?’’

उसी वक्त कार रुकने की आवाज आई. दोनों लपक कर गेट पर पहुंचे. गजाला गाड़ी से उतर रही थी. उस के हाथ पर पट्टी बंधी थी. अंकलआंटी को भी थोड़ी चोट लगी थी. उन लोगों ने बताया कि वे लोग फंक्शन के बाद स्कूल से लौट रहे थे. ट्रैफिक बहुत था. इसी बीच किसी जीप ने उन की गाड़ी को टक्कर मारी और तेजी से निकल गई. वह तो गनीमत रही कि किसी को ज्यादा चोट नहीं आई. गजाला के हाथ पर चोट लगी, हलका सा हेयरलाइन फ्रैक्चर है. वे लोग डाक्टर को दिखा कर आए थे. वे लोग चले गए. हानिया ने गजाला को दूध और दवा दे कर सुला दिया. सलमान का गुस्सा किसी तरह कम नहीं हो रहा था. एक हंगामा खड़ा कर दिया. हानिया की इतने सालों की मुहब्बत, मेहनत सब भुला दी.

‘‘मुझे मालूम था मेरी बच्ची इतनी तकलीफ में सिर्फ तुम्हारी वजह से है. तुम्हें अपने बेटे की पड़ी थी. दिखा दिया न तुम ने सौतेलापन? उस का खयाल होता तो तुम कभी उसे अकेली न भेजतीं.’’

इतनी शिकायतें, इतनी बदगुमानियां जैसे किसी ने उसे आसमान से जमीन पर पटक दिया हो. ताई ने सलमान को रोकासमझाया. मंजूर ने कहा, ‘‘भाईजान, ये सब तो होता रहता है. बच्चे गिरपड़ कर ही बड़े होते हैं.’’ जब तक गजाला के हाथ में पट्टी रही, सलमान का मूड औफ ही रहा. यह तो अच्छा हुआ कि हाथ जल्दी ठीक हो गया और कोई नुक्स न रहा.

दिनरात का पहिया घूमता रहा. हानिया हद से ज्यादा गजाला का खयाल रखती. इस चक्कर में जीशान उपेक्षित भी हो जाता पर वह भी शायद बाप का मिजाज और मां की मजबूरी समझ गया था. कभी कोई शिकायत न करता. जीशान भी स्कूल जाता. दोनों के स्कूल अलगअलग थे पर टाइम एक ही था. सुबह के वक्त दोनों को तैयार करना, लंचबौक्स साथ देना, एक हड़बड़ी सी मच जाती. उस दिन भी वह इन्हीं कामों में लगी थी कि मंजूर उस से मिलने आया. वह वापस पुणे जा रहा था. वह कई दिनों से अम्मा के पास भी न जा सकी थी. बच्चों को नाश्ता दे कर वह वहीं बैठ कर बातें करने लगी. उसी वक्त जीशान दूध का गिलास उठा रहा था कि वह उस के हाथ से फिसल गया. गजाला के हाथ पर कुछ छींटे पड़े हालांकि दूध ज्यादा गरम न था पर सलमान फिर शुरू हो गए. गजाला कहती रही कि कुछ खास नहीं जला पर वह उस पर जरा सी ज्यादती बरदाश्त नहीं कर पाता था. एक लंबे भाषण और इलजाम के बाद हंगामा शांत हुआ.

सलमान के जाने के बाद मंजूर ने बहन को समझाया, ‘‘सलमान भाई को लगता है गजाला उन की महबूबा अनुशा की निशानी है. तुम उस से जरा भी ज्यादती न करो. तुम तो उसे बहुत प्यार करती हो पर उन्हें लगता है तुम्हारा ध्यान जीशान में है. इसलिए ऐसी घटनाएं घटती हैं. मुझे लगता है कि समस्या जीशान की वजह से ही उठती है. मेरी जौब पुणे में है. वहां बहुत अच्छेअच्छे स्कूल हैं. मैं नए सैशन में उस का ऐडमिशन करा देता हूं. पढ़ाई भी अच्छी होगी. जीशान यहां एक कौंपलैक्स में जी रहा है. अगर यह कौंपलैक्स बढ़ गया तो वह बाप व बहन से नफरत करने लग जाएगा. बेहतर है आप उसे पुणे भेज दो. मैं उस की पूरी देखरेख करूंगा और औरंगाबाद से पुणे ज्यादा दूर भी नहीं है.’’

हानिया को उस की बात समझ में आ गई. उस ने रजामंदी दे दी. वह धीरेधीरे जीशान को दिमागीतौर पर तैयार करने लगी. उस ने यह बात सलमान और ताई से कही. ताई तुरंत विरोध करने लगीं. सलमान ने कहा, ‘‘जैसा ठीक समझो, वह करो. मुझे कोई एतराज नहीं है.’’ उस ने समझाबुझा कर ताई व गजाला को भी राजी कर लिया. नए सैशन में जीशान मंजूर के साथ पुणे चला गया. घर में जैसे सन्नाटा छा गया. हानिया के दिल का एक कोना एकदम वीरान हो गया. 8 साल का मासूम बच्चा मां से जुदा हो गया. यह एक मां की कड़ी परीक्षा थी. शादी को खुशहाल बनाने की उसे यह कीमत चुकानी पड़ी. हालात पहले से बेहतर हो गए. सलमान का बेवजह का गुस्सा खत्म हो गया. अब हानिया पूरी तरह से गजाला की परवरिश में लग गई. गजाला बड़ी हो रही थी. उस पर ज्यादा ध्यान देना भी जरूरी था. जीशान छुट्टियों में आता रहता. उस का दिल होस्टल में लग गया था. पर मां की, घर की कमी तो महसूस होती ही थी. जिंदगी गुजरती रही. ताई कुछ दिन बीमार रहीं, फिर चल बसीं. हानिया को लगा, उस के सिर से मुहब्बत का साया हट गया. उन्होंने उसे हमेशा मां से बढ़ कर प्यार दिया था. वे उस के दुख को खूब समझती थीं.

पत्नी की सलाह मानना दब्बूपन की निशानी नहीं

कपिल इंजीनयर हैं. लोक सेवा आयोग से चयनित राकेश उच्च पद पर हैं. विभागीय परिचितों, साथियों में दोनों की इमेज पत्नियों से डरने, उन के आगे न बोलने वाले भीरु या डरपोक पतियों की है. पत्नियों का आलम यह है कि नौकरी संबंधी समस्याओं की बाबत मशवरे के लिए पतियों के उच्च अधिकारियों के पास जाते समय वे भी उन के साथ जाती हैं.उच्चाधिकारियों से मशवरे के दौरान कपिल से ज्यादा उन की पत्नी बात करती है. सोसाइटी में कपिल की दयनीय स्थिति को ले कर खूब चर्चाएं होती हैं. वहीं, राकेश ने अपनी स्थिति को जैसे स्वीकार ही कर लिया है और उन्हें इस से कोई दिक्कत नहीं है. असल में, उन्हें पत्नी की सलाह से बहुत बार लाभ हुए. बहुत जगह वह खुद ही काम करा आती. वे सब के सामने स्वीकार करते हैं कि शादी के बाद उन की काबिल पत्नी ने बहुत बड़ा त्याग किया है.

वे घर व बाहर के सभी काम खुशीखुशी करते हैं, पत्नी की डांट भी खाते हैं और कभी ऐसा नहीं लगता कि वे खुद को अपमानित महसूस करते हों.वास्तव में जो पतिपत्नी आपस में अच्छी समझ रखते हैं और मिलजुल कर निर्णय लेते हैं उन के घर में आपसी सामंजस्य और हंसीखुशी का माहौल रहता है. जरूरत इस बात की है कि पति हो या पत्नी, दोनों एकदूसरे की राय को बराबर महत्त्व व सम्मान दें और कोई भी निर्णय किसी एक का थोपा हुआ न हो. यदि पत्नी ज्यादा समझदार, भावनात्मक रूप से संतुलित व व्यावहारिक है तो पति अगर उस की राय को मानता है तो इस में पति को दब्बू न समझ कर, समझदार समझा जाना चाहिए.इस के विपरीत, महेश और उन की पत्नी का दांपत्य जीवन इसलिएकभी सामान्य नहीं रह पाया क्योंकि उन्होंने अपनी दबंग पत्नी के सामने खुद को समर्पित नहीं किया. उन का सारा वैवाहिक जीवन लड़तेझगड़ते, एकदूसरे पर अविश्वास और शक करते हुए बीता. इस के चलते उन के बच्चे भी इस तनाव का शिकार हुए.

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कई परिवार ऐसे दिख जाएंगे जिन में पति की कोई अस्मिता या सम्मान नहीं दिखेगा और पत्नियां पूरी तरह से परिवार पर हावी रहती हैं. ये पति अपने इस जीवन को स्वीकार कर चुके होते हैं और परिस्थितियों से समझौता कर चुके होते हैं. ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या ये दब्बू या कायर व्यक्ति हैं जिन का कोई आत्मसम्मान नहीं है? या फिर किन स्थितियों में उन्होंने हालात से समझौता कर लिया है और अपनी स्थिति को स्वीकार कर लिया है? अगर गहन विश्लेषण करें तो इन स्थितियों के कारण सामाजिक, पारिवारिक ढांचे में निहित दिखते हैं, जिन के कारण कई लोगों को अवांछित परिस्थितियों को भी स्वीकार करना पड़ता है.समाज में एक बार शादी हो कर उस का टूटना बहुत ही खराब बात मानी जाती है. विवाह जन्मजन्मांतर का बंधन माना जाता है. और फिर बच्चों का भविष्य, परिवार की जगहंसाई, समाज का संकीर्ण रवैया आदि कई बातें हैं जिन के कारण लोग बेमेल शादियों को भी निभाते रहते हैं. कर्कशा और झगड़ालू पत्नियों के साथ  पति सारी जिंदगी बिता देते हैं.

ऐसी स्त्रियां बच्चों तक को अपने पिता के इस तरह खिलाफ कर देती हैं कि बच्चे भी बातबात पर पिता का अपमान कर मां को ही सही ठहराते हैं और पुरुष बेचारे खून का घूंट पी कर सब चुपचाप सहन करते रहते हैं. समाज का स्वरूप पुरुषवादी है और यदि वह पत्नी की बात मानता है, उस की सलाह को महत्त्व देता है तो परिवार व समाज द्वारा उस पर दब्बू होने का ठप्पा लगा दिया जाता है.बच्चे भी तनाव के शिकारश्रमिक कल्याण विभाग के एक औफिसर की पत्नी ने पति की सारी कमाई यानी घर, प्रौपर्टी हड़प कर, बच्चों को भी अपने पक्ष में कर के गुंडों की मदद से पति को घर से निकलवा दिया और वह बेचारा दूसरे महल्ले में किराए का कमरा ले कर रहता है, कभीकभार ही घर आता है. आखिर, इस तरह के एकतरफा संबंध चलते कैसे रहते हैं?  इतना अपमान झेल कर भी पुरुष क्यों  ऐसी पत्नियों के साथ निभाते रहते हैं? वास्तव में सारा खेल डिमांड और सप्लाई का है. भारतीय समाज में शादी होना एक बहुत बड़ा आडंबर होने के साथसाथ एक सामाजिक बंधन ज्यादा है. चाहे उस बंधन में प्रेम व विश्वास हो, न हो, फिर भी उसे तोड़ना बहुत ही कठिन है.

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वैवाहिक संबंध को तोड़ने पर समाज, रिश्तेदारों, आसपास के लोगों के सवालों को झेलना और सामाजिक अवहेलना को सहन करना बहुत ही दुखदायी होता है. और एक नई जिंदगी की शुरुआत करना तो और भी दुष्कर होता है. ऐसे में व्यक्ति अकेला हो जाता है और मानसिक रूप से टूट जाता है.बच्चों का भी जीवन परेशानियों से भर जाता है. उन की पढ़ाई, कैरियर सब प्रभावित होते हैं, साथ ही, बच्चे मानसिक रूप से अस्थिर हो कर कई तरह के तनावों का शिकार हो जाते हैंइन परिस्थितियों में अनेक लोग इसी में समझदारी समझते हैं कि बेमेल रिश्ते को ही झेलते रहा जाए और शांति बनाए रखने के लिए चुप ही रहा जाए. जब पति घर में शांति बनाए रखने के लिए चुप रहते हैं और पत्नी के साथ जवाबतलब नहीं करते तो इस तरह की अधिकार जताने वाली शासनप्रिय महिलाएं इस का फायदा उठाती हैं और पतियों पर और ज्यादा हावी होने की कोशिश करने लगती हैं. ऐसी पत्नी को इस बात का अच्छी तरह भान होता है कि यह व्यक्ति उसे छोड़ कर कहीं नहीं जा सकता. अगर पति कुछ विरोध करने की कोशिश करता भी है तो वह उस पर झूठा इलजाम लगाने लगती है.

यहां तक कि उसे चरित्रहीन तक साबित कर देती है. ऐसी हालत में पुरुष की स्थिति मरता क्या न करता की हो जाती है. इधर कुआं तो उधर खाई. पति को अपने चंगुल में रखना ऐसी स्त्रियों का प्रमुख उद्देश्य होता है. वे घर तो घर, बाहर व चार लोगों के सम्मुख भी पति पर अपना अधिकार व शासन प्रदर्शित करने से बाज नहीं आतीं. और धीरेधीरे यह उन की आदत में आ जाता है. स्थिति को और ज्यादा हास्यास्पद बनने न देने के लिए पतियों के पास चुप रहने के सिवा चारा नहीं होता. इसे उन का दब्बूपन समझ कर उन पर दब्बू होने का ठप्पा लगा दिया जाता है. यह इमेज बच्चों की नजरों में भी पिता के सम्मान को कम कर देती है और ये औरतें बच्चों को भी अपने स्वार्थ व अपने अधिकार को पुख्ता बनाने के लिए इस्तेमाल करती हैं. समस्या की जड़ हमारे समाज का दकियानूसी ढांचा है जहां व्यक्ति इस संबंध को तोड़ने की हिम्मत नहीं कर पाता और अपना सारा जीवन इसी तरह काट देता है.

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हमेशा केवल स्त्रियों की त्रासदी का जिक्र किया जाता है. कई पुरुषों का जीवन भी त्रासदीपूर्ण होता है, ऐसा गलत स्त्री से जुड़ जाने के कारण हो जाता है. ऐसे पुरुषों के प्रति भी सहानुभूति रखनी चाहिए और वैवाहिक जीवन को डिमांड व सप्लाई का खेल न बना कर प्रेम व एकदूसरे के प्रति सम्मान की भावना से पूर्ण बनाना चाहिए. पतिपत्नी गाड़ी के 2 पहिएइस समस्या को दूसरे पहलू से भी देखा जाना चाहिए. एक धारणा बना रखी गई है कि पुरुष हमेशा स्त्री से ज्यादा समझदार होते हैं. समाज ने पारिवारिक, आर्थिक व सामाजिक सभी तरह के निर्णय लेने के अधिकार पुरुष के लिए रिजर्व कर दिए हैं. जबकि, यह तथ्य हमेशा सही नहीं हो सकता कि पुरुष ही सही निर्णय ले सकते हैं, स्त्री नहीं. जो स्त्री सारा घर चला सकती है, उच्चशिक्षा ग्रहण कर बड़ेबड़े पद संभाल सकती है वह पति को निर्णय लेने में अपनी सलाह या मशवरा क्यों नहीं दे सकती?कई बार देखा गया है कि स्त्रियां परिस्थितियों को ज्यादा सही ढंग से समझ पाती हैं और अधिक व्यावहारिक निर्णय लेती हैं.

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ऐसे में यदि पति अपनी पत्नी की राय को सम्मान देता है, उस के मशवरे को मानता है तो उस पर दब्बू होने का ठप्पा लगा देना कैसे उचित है?परिवार में केवल एक के द्वारा लिए गए फैसले एकतरफा और जल्दबाजी में लिए गए भी हो सकते हैं. जब कहते हैं कि, पतिपत्नी एक गाड़ी के 2 पहिए हैं, तो भला एक पहिए से गाड़ी कैसे चल सकती है? पत्नी को पति की अर्धांगिनी कहा जाता है लेकिन वही अर्धांगिनी अपनी बात मानने को या उस की राय पर विचार करने को कहे तो उसे शासन करना कहा जाता है. अब वह समय आ गया है कि दकियानूसी धारणाओं को छोड़ परिवार के निर्णयों को लेने में स्त्री की राय को भी प्राथमिकता दी जाए और उसे पूरा महत्त्व दिया जाए.

 

बहुत देर कर दी-भाग 2: हानिया की दीवानी कौन थी?

ताई ने जब सलमान से हानिया से शादी करने को कहा तो उस ने साफ इनकार कर दिया, ‘‘मैं अनुशा से बहुत मुहब्बत करता हूं. मैं उसे भूल नहीं सकता. मैं उस की जगह दूसरी लड़की ला कर उस की जिंदगी बरबाद नहीं कर सकता. न मैं उस की जगह किसी को देना चाहता हूं.’’ ताई उस वक्त चुप हो गईं, क्या कहतीं. 4-5 दिन बाद गजाला को तेज बुखार आ गया. सलमान ने छुट्टी ली पर गजाला हानिया से ज्यादा अटैच्ड थी. सलमान से संभल ही नहीं रही थी, न कुछ खा रही थी, न दवा पी रही थी. एक ही दिन में सारा घर परेशान हो गया. 4 बजे हानिया आई. उस ने सब अच्छे से संभाल लिया. गजाला को चिकन सूप और दलिया खिलाया, दवा पिलाई. वह आराम से सो गई. उस ने 2 दिनों की छुट्टी ले ली. उस ने गजाला के ठीक होने तक सारी जिम्मेदारी उठा ली. तीसरे दिन वह ठीक हो गई. यह सब हानिया की मुहब्बत और देखभाल का कमाल था.

उस दिन छुट्टी थी, सलमान घर पर था. गजाला को बर्गर खाना था. बूआ को बनाना नहीं आता था. थकहार कर सलमान उसे हानिया के घर छोड़ आए. फिर ताई ने सलमान को जिंदगी की हकीकत समझाई, ‘‘बेटा, जब देखो तब तुम गजाला को हानिया के यहां छोड़ आते हो. बीमारी में भी वही उसे संभाल सकती है. अब उस के लिए दुबई से एक अच्छा रिश्ता आया है. जल्द ही वह शादी कर के दुबई चली जाएगी. फिर तुम क्या करोगे? मैं पैर व बीमारी से मजबूर हूं. बूआ घर का काम संभाल लेती है, यही बहुत है. गजाला को संभालना हमारे बस का नहीं है. मैं तुम्हें इसीलिए हानिया से शादी करने को कह रही हूं. घर की लड़की है, सबकुछ जानतीसमझती है और सब से बड़ी बात गजाला को बहुत प्यार करती है.’’

सलमान ने मजबूरी के आगे सिर झुका दिया. हानिया अब सलमान की  दुलहन बन कर ताई के घर आ गई. पहली ही रात सलमान ने उसे उस की हैसियत समझा दी, ‘‘देखो हानिया, यह शादी मैं ने सिर्फ गजाला की वजह से की है, उसी के लिए तुम्हें लाया हूं. अनुशा को भूल पाना मेरे लिए मुश्किल है. उस की चाहत किसी से बांटना भी नहीं चाहता. मुझ से तुम उम्मीदें मत लगा लेना. और हां, यह बात याद रखना, गजाला में मेरी जान बसती है. उस की कोई तकलीफ मुझ से बरदाश्त न होगी. इस से अगर तुम ने कोई ज्यादती की तो मैं बरदाश्त नहीं करूंगा.’’ अरमानभरी रात सलमान की हिदायतों में गुजर गई. हानिया ने आंसूभरी आंखों से उस इंसान को देखा जो उस का हमसफर था. शायद, वह यह जानता भी न होगा कि हानिया के दिल में सलमान की मुहब्बत की कोंपल नवजवानी की सोंधी मिट्टी में जम चुकी थी पर अपनी कमसूरती का एहसास कर के उस ने अपने जज्बात अपने दिल में ही घोंट लिए थे. जबां पर ताला लगा लिया था. पर उस की मुहब्बत की आंच धीमेधीमे उस के दिल को तपा कर कुंदन बनाती रही. हानिया की अनुशा व गजाला से चाहत सलमान की मुहब्बत से ही जुड़ी थी. जो सलमान को प्यारा वह उसे भी प्यारा था. काश, अपनी मुहब्बत वह सलमान पर जाहिर कर सकती. उसे जो कुछ भी मिला है उसी में वह खुश रहने की काशिश करती.

जिंदगी कब दिल और जज्बात देखती है, वह तो अपनी रफ्तार से गुजरती है. हानिया के लिए कुछ नया न था, सिर्फ रिश्ता बदल गया था. हानिया ने सलमान से कोई उम्मीद नहीं जोड़ी थी. वह जानती थी, अनुशा उस के दिल पर राज करती है. उसे अपनी खिदमत, अपनी चाहत से ही सलमान के दिल में थोड़ी सी जगह बनानी थी जो कि एक मुश्किल काम था. कम से कम घर में उस के लिए रोशनी के मीनार थे- ताई की मुहब्बत और गजाला का मासूम प्यार. इतनी रोशनी जिंदगी गुजारने के लिए काफी थी. सलमान औफिस से आते, कुछ देर ताई के पास बैठते, कुछ वक्त गजाला के साथ बिताता, कुछ आम सवाल हानिया से पूछता. उस की हर जरूरत व ख्वाहिश का खयाल रखता पर मुहब्बत के मामले में वह बेहिस पत्थर बना रहा. हानिया ने भी हालात से समझौता कर लिया, उस ने जानतेबूझते यह सौदा किया, फिर गिला कैसा?

हानिया की तबीयत कुछ दिनों से ठीक नहीं थी. डाक्टर को दिखाने पर खुशखबरी मिली कि वह मां बनने वाली है. ताई बेहद खुश हुईं. उसी वक्त मिठाई मंगवाई. उस के अम्मीअब्बा भी आए. अच्छाखासा खुशी का माहौल बन गया. बस, सलमान जरा चुपचुप सा था. रात को हानिया ने हिम्मत कर के पूछा, ‘‘क्या आप को बच्चे की खबर से खुशी नहीं हुई?’’ वह बोला, ‘‘खुशी, नाखुशी का क्या सवाल? अभी शादी को 6 महीने हुए, जरा जल्दी नहीं हो गया? पर तुम्हें इस बात का बहुत खयाल रखना होगा कि इस बच्चे की देखभाल में गजाला को न भूल जाओ.’’

हानिया का दिल कट कर रह गया, आंसू बहाने का कोई मतलब न था. उसे अपने व्यवहार से यह साबित करना था कि वह सगी मां से बढ़ कर है. बेटे के जन्म से घर में एक रौनक सी आ गई. ताई तो फूले न समातीं. गजाला को भी भाई को देख कर बहुत खुशी हुई. पर हानिया के लिए एक नया इम्तिहान शुरू हो गया. गजाला का पूरा खयाल रखते हुए बेटे जीशान को संभालना था. गजाला मां के मरने के बाद से थोड़ी जिद्दी व चिड़चिड़ी हो गई थी. उसे बड़ी होशियारी और प्यार से नौर्मल करना था. कहीं उस के दिल में यह खयाल न आ जाए कि मां, भाई को ज्यादा चाहती है. शायद नन्हा जीशान मां की मजबूरी जान गया था. वह थोड़े में ही सब्र करने लगा. उस का ज्यादा वक्त दादी के पास रखे झूले में ही गुजरता. उस दिन हानिया गजाला को एक नया खिलौना चलाना सिखा रही थी कि जीशान के रोने की आवाज आई. पहले तो वह बैठी रही पर रोना बढ़ गया तो वह उठ कर जीशान को देखने चली गई. सलमान बैठे न्यूजपेपर पढ़ रहे थे. अभी हानिया को बच्चे को संभालते 10 मिनट ही हुए थे कि गजाला के चीखचीख कर रोने की आवाज आई. वह घबरा कर उस के पास पहुंची. गजाला ने खिलौने का स्ंिप्रग मुंह के पास रख कर खींच दिया था, होंठ पर जरा सी चोट लग गई थी. सलमान ने एक हंगामा खड़ा कर दिया.

थोड़ी देर में ही हानिया ने गजाला को चुप करा लिया. उस के फूले होंठ पर शहद लगा दिया. पर सलमान की शिकायतें एक घंटा चलती रहीं, ‘‘तुम गजाला को छोड़ कर कैसे चली गईं. उस के हाथ से खिलौना ले कर जाना था. बेटे का रोना सुनते ही एकदम बेचैन हो जाती हो. अगर ज्यादा जोर से लग जाती तो? सच है अपना, अपना ही होता है.’’ वह सब खामोशी से सुनती रही. लेकिन ताई ने सलमान को डांटा, ‘‘इतनी चाहने वाली मां पर तुम इलजाम लगा रहे हो. वह अपने बच्चे से ज्यादा गजाला का खयाल रखती है. पर तुम्हारे दिमाग में जो वहम पल रहे हैं वे कभी तुम्हें सुकून से नहीं रहने देंगे, समझे.’’

हुंडई ग्रैंड i10 Nios- इंटीरियर

हुंडई ग्रैंड i10 Nios में न सिर्फ आप फ्रंट के सीट पर कंम्फर्टेबल महसूस करते हैं बल्कि आपको पीछे के सीट पर भी उतना ही आराम महसूस होगा. आइए जानते हैं क्या खासियत है पीछे के सीट की.

दरअसल, नियोस कार की पीछे के सीट को भी बहुत आरामदायक तरह से डिजाईन किया हुआ है. जिससे पीछे बैठने वाले यात्री को किसी तरह की परेशानी न हो.

नियोस के सीट को अष्टकोणीय बनावट से स्टाइल किया गया है. इसके सीट पर लगे फैबरिक बहुत ज्यादा सोफ्ट हैं. वहीं इसके नीचे पैर रखने का भी पूरा जगह दिया गया है. जिससे आपको यात्रा के दौरान आराम महसूस होगा.  इससे यह मालूम होता है कि हुंडई नियोस के पीछे के सीट को लंबी यात्रा का ख्याल रखते हुए बनाया गया है.  हुंडई ग्रैंड i10 Nios में बैठना #MakesYouFeelAlive.

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