बाजे और बरात के बिना भारतीय शादियों को हमेशा से अधूरा मानते आए हैं. अब कोरोना में यह शौक तो धरा का धरा रह ही गया है. साथ ही, एक नई समस्या आ खड़ी हुई है. शादी बिना तामझाम तो कर लेंगे लेकिन अब रिश्ता जोड़ना आसान नहीं रह गया.

कोरोनाकाल में रहनसहन और जीवनशैली में बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं. खानपान, घूमनेफिरने, शौपिंग करने, दोस्तों और नातेरिश्तेदारों से मिलने, औफिस जाने व शादीब्याह करने आदि की सामान्य गतिविधियां भी बदल चुकी हैं. अब न लोग एकदूसरे के करीब जा रहे हैं न ऐसी किसी चीज के संपर्क में आना चाहते हैं जिन से उन्हें कोरोना संक्रमण होने की संभावना हो.

लोग घरों में ही रहना चाहते हैं. जब तक कोई जरूरी काम न हो वे बाहर निकलने से परहेज कर रहे हैं. बात यदि शादीब्याह की हो तो लोग अपनी छत, बालकनी, घर के अंदर या बाहर किसी न किसी तरह से शादी कर रहे हैं. लेकिन, ये सभी वे शादियां हैं जो पहले से होनी तय थीं और जिन्हें समयानुसार कर लेने में ही सब ने भलाई समझी.

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सवाल यह है कि नई शादियां अब कैसे होंगी? जिन घरों में बिनब्याही बेटी या बेटा है उन के लिए मांबाप अब रिश्ते कहां से लाएंगे? बिना मिले या खुद से जांचपरख किए क्या शादियां कराई जा सकेंगी? लड़केलड़कियों को भी अब न डेट्स पर जाने का मौका मिल रहा है और न ही वर्चुअल दुनिया के बाहर किसी को जाननेसमझने का. ऐसे में अरैंज तो अरैंज, लवमैरिज पर भी काले बादल छा गए हैं.

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