उस की घबराहट और बढ़ गई. क्रिस दूध पीने के बाद सो गया. रोहन को उस की पसंद का टीवी पर प्रोग्राम लगा दूसरे कमरे में बिठाया और फिर तीनों कमरे में मिले.
नयन ने सीधी बात शुरू की, ‘‘पवन, मैं समझता हूं कि ऐसे हालात में तुम क्रिस को हमारा बेटा समझ यहां छोड़ जाओ. आगे की सोचो, तुम वापस जाना चाहो या यहां रहो, यह तुम्हारा अपना फैसला होगा. मां को हम समझा लेंगे.’’ पवन का दिलआंखें ऐसे रोईं कि भाभी भी साथ रोती हुई, उस को तसल्ली दे, उस की पीठ थपथपाती रही.
‘‘सब ठीक हो जाएगा, हौसला रखो, पवन,’’ कह कर नयन उठ बाहर चले गए.
इस बार मां को इस दुख से उबारने की जिम्मेदारी पवन ने स्वयं ली. भरे मन से क्रिस को भाभी के पास छोड़ मां के पास जा, बिना रोए, ढांढ़स बांध, सारी बात बताई. मां ने उस के सिर पर हाथ रख कर कहा, ‘‘बेटा, किस को दोष दें, समय की बात है.’’ मां ने समझाया, ‘‘जो हुआ सो हुआ, अब वह जल्दी अपना घर बसाए. शादी टूटने की बात तो ठीक है पर बच्चे की चर्चा न ही हो तो अच्छा है.’’
पवन ने वापस लौट कुछ समय के बाद घर और नौकरी बदल ली. बैठता तो क्रिस को याद करने के साथ यह भी सोचता कि कैसी ममतामयी और समझदार हैं संजना भाभी, कितनी सहजता से भाई ने क्रिस को अपने बेटे जैसे रखने के बारे में सोच लिया. मां भी क्या रिश्ता है, कितनी सरलता से मां ने उसे आगे की सोचने की सलाह दी. क्या ऐनी के मन में ऐसा कोई भाव नहीं जागा.
इतवार का दिन था, पवन 10 बजे तक लेटा रहा. रात किनकिन विचारों में उलझा रहा था. तभी फोन बजा. भाई का फोन था, बता रहा था कि क्रिस ठीक है और उस की कुछ फोटो अपलोड कर भेजी हैं. साथ ही, यह भी बताया कि ईमेल पर किसी की पूरी डिटेल्स, फोटो और पता लिखा है. तुम स्वयं भी साइट देख सकते हो. मां और संजना लड़की के परिवार से मिल सब जानकारी ले भी आए और तुम्हारे विषय में भी बता दिया है. याद रहे, क्रिस अब हमारा बेटा है. जैसा मां का सुझाव था वैसे ही करो. लड़की सिम्मी अपने भाईभाभी के पास पिछले 2 वर्षों से रह रही है जो यूके में कई वर्षों से हैं. तुम्हारा पता नहीं दिया. मां चाहती हैं कि तुम स्वयं देखभाल कर बात बढ़ाओ.
पवन का मन खुश न हो, दुखी हुआ, काश, ऐनी के साथ ही सब ठीक रहता तो…किसे दोष दे. पवन को लगा शायद पहली बार सब मां के आशीर्वाद के बिना हुआ था इसलिए…टालता रहा. पर जब मां ने पूछा कि उन्हें फोन क्यों नहीं किया, सिम्मी के परिवार से क्यों नहीं मिला तो अब तक कहा कि इस इतवार सिम्मी के परिवार को फोन अवश्य करूंगा.
फोन किया तो सिम्मी ने ही उठाया, पूछा, ‘‘कहिए, किस से बात करनी है?’’
‘‘संजयजी से, जरा रुकें, भाभी को मैसेज दे दें.’’
झिझकते हुए पवन ने अपना परिचय दिया तो भाभी फोन पर बात करती हुई खुश हो पूछ बैठी, ‘‘आप आज शाम मिल सकते हैं.’’
‘‘जी, ठीक है, कहां?’’
‘‘संजयजी अभी आते होंगे, वे आप को बताएंगे.’’ अब तो पवन घबराया कि क्या बताए क्या छिपाए.
शाम कौ सैंट्रलसिटी रैस्टोरैंट में मिले. सिम्मी ने स्वयं अपनी शादी व तलाक के बारे में बताया कि लड़का जरमनी से आया था पर जल्दी ही उस के ड्रग ऐडिक्ट होने की बात सामने आई. सिम्मी ने अस्पताल और समयसमय पर थेरैपी के साथ रीहैबिलिटेशन के पेपर दिखाए. उस का मानना था कि ऐसी आदत जल्दी छूटती नहीं. वह यहां एमबीए कर रही है. इतना कहते हुए अपने भाईभाभी का आभार प्रकट किया.
साधारण सी दिखती लड़की का साहस और सोच पवन को अच्छी लगी. पवन अभी साहस जुटा रहा था अपने बारे में बताने का कि सिम्मी के भाई ने कहा कि आप के बारे में मांपापा व बड़े भाई को जानकारी है और अब आप का और सिम्मी का निर्णय ही हमारा फैसला होगा.
कुछ दिनों के बाद भाई की सलाह से सिम्मी ने फोन पर पवन से बात की और दोनों बाहर मिले. सिम्मी की तरफ से हां पर पवन ने फोन पर मां को बताया कि ठीक है. फिर भी जाने क्यों, जो पवन के साथ हो चुका था, उस का डर उस के मन के किसी कोने में छिपा बैठा था.
बर्मिंघम की कोर्ट में शादी के अवसर पर पवन का भाई नयन पहुंचा. सादी सी सैरामनी के साथ और परिवार के नाम पर 5 लोगों ने बाहर खाना खाया और नवदंपती को विदाई दी. नयन एक हफ्ता होटल में रुक इधरउधर घूम वापस लौटा. संजना भाभी खुश थी. मां ने महल्ले में लड्डू बंटवाए और पवन की विदेश में शादी की सब को खबर दी. पहले की घटित हुई सारी कहानी पर खाक डाल दी गई.
एक सप्ताह का आनंदमय समय इकट्ठा बिता पवन काम पर लौटा और सिम्मी पढ़ाई में लग गई. पवन की मां या भाभी से सिम्मी बहुत आदर से फोन पर बात करती. सिम्मी के भाईभाभी भी कभी थोड़ी देर के लिए आ जाते और बहन को खुश देख राहत की सांस लेते. परीक्षा खत्म हुई और अच्छा रिजल्ट पा सिम्मी के साथ पवन भी खुश हुआ और उस को सुंदर सी ड्रैस गिफ्ट की.
सिम्मी ने पवन को यह कह हैरान कर दिया कि नौकरी तो कभी भी की जा सकती है पर परिवार बढ़ाना है तो हम दोनों की आयु देखते हमें पहले बच्चे के विषय में सोचना चाहिए. पवन खुश, ‘‘अरे, सोचना क्या, इरादा नेक है.’’ जब समय मिलता, दोनों कहीं न कहीं घूम आते. 2 महीने बीते तो पाया कि सिम्मी गर्भवती है. सब बहुत खुश और सिम्मी के पैर तो खुशी के मारे धरती पर टिक ही नहीं रहे थे, ‘‘हमारा पहला बच्चा.’’
पवन सिम्मी का पूरा ध्यान रखता.
6 महीने बीतने को आए जब एक दिन औफिस से लौटने पर सिम्मी ने एक फोटो सामने रखते पवन से पूछा, ‘‘यह कौन है, कितना प्यारा बच्चा है?’’ पवन के काटो तो खून नहीं, यह फोटो उस ने ऐनी की क्रिस को गोद लिए पहले दिन डेकेयर छोड़ने जाने पर खींची थी. अच्छा हुआ कि वह नहीं था उस फोटो में. उस ने बड़ी सावधानी से कैमरे, अलबम, फ्रेम से सब फोटो बड़े दुख के साथ निकाल फेंक दी थी. यह फोटो किसी दूसरी फोटो के साथ उलटी लगी रह गई थी जिसे वह देख नहीं पाया. अपने को संभालते हुए, एक सहकर्मी व उस के बेटे की बता फोटो ले ली. सिम्मी की ओर से कोई प्रश्न न पूछा जाए, सोच कर पवन किचन में अपने व सिम्मी के लिए चाय बनाने लगा.
ऐनी अब स्कौटलैड में ही थी पर पवन के घर व औफिस बदलने की उसे खबर थी. ऐनी की बहन के विवाह को 10 वर्ष हो चुके थे. पर कोई संतान नहीं थी. काफी इलाज कराने के बाद कोई संभावना भी नहीं थी. घर में बच्चा गोद लेने की चर्चा चल रही थी.
ऐनी सब पीछे छोड़ तो आई थी पर कभीकभी उस का मन क्रिस को याद कर उदास हो जाता. उस ने बहन से सलाह की कि यदि उस का पति माने तो वह क्रिस को गोद ले सकती है. उस के पास क्रिस के जन्म पर अस्पताल से मिला प्रमाणपत्र है जिस पर उस का व पवन का नाम लिखा है. बात तय हो गई.
यूके में कोर्ट द्वारा पवन को सम्मन भिजवा दिया गया जिस में ऐनी ने बिना किसी शर्त के बेटे क्रिस को अपनाने की अपील की. पत्र पवन के नाम था, पर घर पर सिम्मी को मिला. खोला तो ऐनी नाम देख उसे याद हो आया यही नाम तो बताया गया था पवन की पहली पत्नी का. पर बच्चा उस की तो कभी चर्चा ही नहीं की किसी ने? सिम्मी का 8वां महीना चल रहा था और उस के मानसपटल पर इतने विचार आजा रहे थे कि वह बहुत घबरा गई. पवन को फोन पर तुरंत घर आने को कह वह बैठ गई. अचानक तसवीर उभरी जो उस को अलबम में मिली थी जिसे पवन ने सहकर्मी और उस का बेटा बताया था. कहीं वह बच्चा पवन…क्या हो रहा है ये सब, वह मन को शांत करते हुए सोफे पर बैठ गई.
घबराए आए पवन ने उसे यों बैठे देखा तो सोचा, अवश्य उस की तबीयत ठीक नहीं. कहा, ‘‘उठो, अस्पताल चलते हैं.’’
‘‘नहीं, कोर्ट में जाओ,’’ कहते हुए सिम्मी ने लिफाफा थमाया. पवन को तो जैसे घड़ों पानी पड़ गया हो, कहां जा डूबे, क्या करे? सिम्मी ने उसे हाथ पकड़ कर पास बैठाया, फिर उठ कर पानी ला कर पिलाया और धीरे से उस का झुका मुंह उठा, पूछा, ‘‘पवन, बस, सच बताओ, बाकी हम संभाल लेंगे.’’
अब छिपाने को कुछ रह ही नहीं गया था. पवन सिम्मी के कंधे पर सिर रख फफक कर रो पड़ा. सिम्मी ने उसे बांहों में सहलाया, ‘‘रोओ नहीं, शांत हो जाओ.’’
जब वह पूरी तरह शांत हो गया तो माफी मांगते सच उगल दिया.
सिम्मी ने कहा, ‘‘अब पूरी सचाई से बताओ कि तुम क्या चाहते हो?
‘‘प्लीज सिम्मी, मेरा साथ नहीं छोड़ना.’’
‘‘पवन अगर तुम ने हमें शादी से पहले अपने बेटे के बारे में बताया होता तो सच मानो वह आज हमारे साथ होता पर फिक्र न करो वह अब भी हमारे घर में है तुम्हारे भाईभाभी के साथ. जब चाहे उसे यहां ले आओ. हमारे 2 बच्चे हो जाएंगे.
बोलती सिम्मी का मुख पवन गौर से परखता रहा, क्या यह सच कह रही है, क्या ऐसा संभव है, क्या अब मेरा बेटा मेरे पास रह सकता है?
सिम्मी ने उसे धीरे से झिंझोड़ा, ‘‘पवन, मैं तुम्हारे बेटे की मां बनने को तैयार हूं. उठो, नोटिस का जवाब दो. कल किसी अच्छे वकील से मिलो. उठो पवन, शाम की चाय नहीं पिलाओगे.’’
पवन हैरान, ‘कैसी औरत है, कितनी सहजता से सब समेट लिया. कोई शिकायत नहीं, कितना बड़ा दिल है इस का. बिना कहे क्षमा कर दिया.’
दोनों ने मिल कर चाय पी और फिर सिम्मी बोली, ‘‘पवन, जरा भाईभाभी को फोन कर क्रिस का हाल जानें और उन्हें बताएं कि दूसरे बच्चे के होने के बाद हम पहले उसे लेने वहां आएंगे.’’
‘‘सच सिम्मी.’’
‘‘हां, सच पवन. और सुनो, मां को भी अपना फैसला बताएंगे तो वे भी खुश होंगी. रही मेरे परिवार की बात, तो उन से मैं स्वयं निबट लूंगी.’’
ये सब सुन पवन ने फोन लगा, सिम्मी को पकड़ाया और साथ ही झुक उस का माथा चूम लिया. सिम्मी
ने शरारत से देख, कहा, ‘‘अब मेरी बारी…अब तुम्हारा मुंह मीठा कर दिया मैं ने, कड़वी बातें भूल जाओ. मैं हूं मीठी परी, मुझ से कभी झूठ न बोलना.’’ पवन ने अपने दोनों कान पकड़ नहीं की मुद्रा में सिर हिलाया तो सिम्मी अपने पेट पर दोनों हाथ रख जोर से हंस दी. पवन हैरान था उस का यह सुहावना रूप देख, धीरे से बुदबुदाया, ‘मीठी परी’.