Download App

संजय राउत ने कंगना रनौत को दी ‘मुंह तोड़ने की धमकी’ तो महिला आयोग ने की गिरफ्तारी की मांग

बॉलीवुड अदाकारा कंगना रनौत पिछले कुछ समय से लगातार सुर्खियों में बनी हुई हैं. कंगना रनौत ने हाल ही में एक ट्विट के जरिए जानकारी दी थी थी उन्हें संजय राउत की तरफ से धमकी मिल रही है कि वह मुंबई लौटकर न आए.

वहीं कंगना ने इस ट्विट की तुलना पीओके से भी कर डाली है. कंगना का यह अंदाज लोगों के गले से उतर नहीं रहा है. लोग कंगना के इस ट्विट से परेशान हैं.

ये भी पढ़ें- क्या सोनम कपूर ने कंगना पर साधा निशाना? सोशल मीडिया पर कह दी ये

कंगना के इस ट्विट के बाद माहौल गर्म नजर आ रहा है. संजय राउत कंगना रनौत के बयान से काफी नराज है. वह लगातार पलटवार कर अपना गुस्सा व्यक्त कर रही है. एक रिपोर्ट के अनुसार सरनाईक ने कंगना रनौत को मुंह तोड़ने की धमकी दी है. सरनाईक ने कहा कि कंगना रनौत को मुंबई में रहने का हक नहीं है हम उसे मुंबई घुसने नहीं देंगे.

ये भी पड़ें- शिल्पा शिंदे ने ‘गैंग्स ऑफ फिल्मिस्तान’ की प्रॉड्यूसर पर लगाएं ये आरोप, मैसेज दिखाकर दिया जवाब

इस लडाई में अब महिला आयोग की भी एंट्री हो गई है. महिला आयोग कि अध्यक्ष रेखा शर्मा ने सरनाईक के गिरफ्तारी की मांग उठाई है. वहीं रेखा शर्मा ने एक रिपोर्ट में बातचीत करते हुए कहा है कि कंगना के ट्विट से कहीं भी ऐसा नहीं लग रहा है कि वह एक देशद्रोही महिला है.

ये भी पढ़ें- कंगना रनौत के निशाने पर बॉलीवुड के ये सितारे, कहा- नहीं लेते ड्रग्स तो कराएं जांच

आगे उन्होंने कहा कि संजय राउत के तरफ से जो बाते कहीं जा रही है उससे पता चलता है कि इनकी विचारधारा क्या है. रेखा शर्मा के बयान के अनुसार नेता प्रताप सरनाईक को मुंबई पुलिस को तुरंत गिरफ्तार करना चाहिए. इतना ही नहीं संजय राउत ने कंगना को पीओके जानें की सलाह भी दे डाली है.

ये भी पड़ें- दिलीप कुमार ने 12 दिन के अंदर ही खो दिया दूसरा भाई, एक की कोरोना से हुई

इसी बीच कंगना रनौत ने महाराष्ट्र को अपना कर्मभूमि बताया है. कुछ वक्त पहले ही कंगना रनौत ने अपनी विचारधारा को ट्विट कर जारी किया था.

आम के बाग की करें देखभाल

इस साल मिज कीट शुरू से ही मुलायम पत्तियों, प्ररोह और बौर को नुकसान पहुंचाता रहा है  और अब नन्हे फलों को भी बरबाद कर रहा है. फलों पर इस की उपस्थिति छोटे से काले धब्बे, जिस के बीचोंबीच बारीक छेद हों, से की जाती है.  इस का प्रबंधन क्विनालफास 25 ईसी के 2 मिलीलिटर या इमिडा क्लोप्रिड के 0.3 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी की दर से छिड़काव कर सकते हैं.

अगर आम के बगीचे में भुनगा कीट का प्रकोप अभी भी हो, तो थायोमेथाक्जाम 25 डब्लूजी 10 ग्राम प्रति 15 लिटर पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करें. खरपतवार नियंत्रण के लिए अगर बाग की जुताई न की गई हो, तो  6 इंच की गहराई तक हलकी जुताई कराएं.

अगर खर्रा रोग के लिए तापमान अनुकूल है और यह विलंबित बौर पर नुकसान कर सकता है, तो इस के लिए सल्फर 2 ग्राम या हेक्साकोनाडोल 5 एसएल की 1 मिलीलिटर  मात्रा प्रति लिटर पानी की दर से छिड़काव कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें- पूसा डीकंपोजर से बनाएं कंपोस्ट

फलों की अच्छी बढ़ोतरी के लिए 10 से 12 दिन बाद सिंचाई जरूर करें. छोटे फलों को गिरने से बचाने के लिए प्लानोफिक्स  1 मिलीलिटर दवा प्रति 3 लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए. जहां पर फल मक्खी की समस्या गंभीर हो, वहां इस के नियंत्रण के लिए मिथाइल यूजीनोल फैरोमैन ट्रैप

10 ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करना चाहिए.  आम  के बाग के आसपास अगर ईंट के गड्ढे या बाग की मिट्टी बलुई हो तो आम के फल का निचला हिस्सा काला पड़ जाता है या फल फटने की समस्या पाई जाती है. इस के नियंत्रण के लिए जरूरी है कि बोरैक्स 6 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए.

फलों की तोड़ाई से पहले थायोफेनेट मिथाइल 70 डब्लूपी 1 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करें. ऐसा करने से फल की तोड़ाई के बाद होने वाले नुकसान से काफी हद तक बचा जा सकता है.

ये भी पढ़ें- अरवी और बंडा की खेती

आम की तोड़ाई हमेशा सुबह या शाम के समय 8-10 सैंटीमीटर डंठल समेत करनी चाहिए. यदि मुमकिन हो, तो तोड़ाई सिकेटियर की मदद से करें.

भंडारण से पहले फलों को धो लेना चाहिए.  धोने के बाद फलों को एकसमान पकाने के लिए जरूरी है कि इसे इथरेल नामक दवा 1.5 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी  में  घोल कर  5-7 मिनट डुबा कर भंडारण करना चाहिए.

आम को कभी भी कार्बाइड से नहीं पकाना चाहिए, क्योंकि यह सेहत के लिए बहुत ही खतरनाक है.           आम के बागों में

आजकल आम का सीजन जोरों पर है. ज्यादातर किसानों ने आम को तोड़ कर मंडियों में भेज दिया है. कुछ किसानों ने फसल को खुद पकने के लिए छोड़ भी रखा होगा. जिन किसानों के बाग 10 साल या उस से ज्यादा पुराने हैं, उन को अब अपने बागों में उर्वरक प्रबंधन करना चाहिए, ताकि अगले साल भी फल आ सकें. इस के लिए  सड़ी गोबर की खाद, डीएपी, पोटाश, बोरैक्स एजोटोबैक्टर, पीएसबी, माइकोराइजा को मिला कर मिश्रण तैयार कर लें.

ये भी पढ़ें- स्टिकी ट्रैप करे कीटों से सुरक्षा

इस मिश्रण को तने से एक मीटर की दूरी पर पेड़ की पूरी कैनोपी के नीचे मिट्टी में मिला कर हलकी सिंचाई करें और बाद में नमी रहने पर चूना, जिंक सल्फेट और यूरिया को भी मिट्टी में मिला दें. इस खाद की आधा मात्रा को फल तोड़ने के बाद जुलाई महीने में और बाकी आधी मात्रा नवंबर महीने में बाग में डालें.

आम के लिए मिट्टी का पीएच मान 7.00 और जीवांश कार्बन 1-3 फीसदी तक सब से अच्छा रहता है. खाद की मात्रा

ये भी पढ़ें- नर्सरी का मौडर्न तरीका प्लास्टिक ट्रे

1.गोबर की खाद : 100 ग्राम प्रति पेड़

2.पोटाश : 1 किलोग्राम प्रति पेड़

3.जिंक सल्फेट : 200 ग्राम प्रति पेड़

4.बोरैक्स : 100 ग्राम प्रति पेड़

5.कौपर सल्फेट : 100 ग्राम प्रति पेड़

6.केंचुए की खाद : 5 किलोग्राम प्रति पेड़

7.माइकोराइजा : 100 ग्राम प्रति पेड़

8.एजोटोबैक्टर : 100 ग्राम प्रति पेड़

सारी मात्रा को बताई गई विधियों के मुताबिक ही इस्तेमाल करें.ज्यादा जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से संपर्क करें.

मीठी परी-भाग 1 : पवन की जिंदगी में परी बनकर आई सिम्मी

प्रकृति की अद्भुत देन नर और मादा न होते तो इस संसार का विकल्प कुछ और ही होता. स्त्रीपुरुष की देन के साथ कितना कुछ जुड़ा है- दिमाग की सोचविचार, भाषा, भंगिमा, प्रेम प्रदर्शन, दिशा, सहमति, समर्पण, उत्पत्ति, आनंद आदि. जन्मदात्री स्त्री का तो हृदय परिवर्तन ही हो जाता है जब वह अपने शरीर से उपजे नन्हे शरीर को पहली बार छूती है. पनपती है एक अनुभूति ममता.

रमा ने अपने दोनों बेटों नयन और पवन को पति के सहयोग से जो दिशा दी, उस का परिणाम सामने है. बड़ा बेटा नयन सेना में है. फिलहाल असम में तैनात है. छोटा बेटा पवन इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर विदेश में नौकरी करने के लिए जाने की तैयारी में है.

पिता दोनों को देखते हैं तो गर्व से फूले नहीं समाते, अपने जवान बेटों पर. और अब तो एक और खुशखबरी है, बिग्रेडियर बक्शी की बेटी संजना का नयन से शादी का प्रस्ताव. न कहने की कोई गुंजाइश नहीं. दोनों ओर से हां होते ही रस्मोरिवाज, लेनदेन का सिलसिला चलता रहा. शादी 6 महीने बाद होनी तय हुई.

नयन की शादी घर की पहली शादी थी, सो वे पतिपत्नी तैयारी की योजना में लग गए, होने वाली बहू के लिए गहनेकपड़ों के अलावा देनेलेने के लिए गिफ्ट्स, अतिथियों की लिस्ट, बाजेगाजे, पार्टी का प्रबंध आदि.

अचानक काला साया एक रात नयन के पिता को ले चला. औफिस से थोड़ा पहले घर आ, रमा को थोड़ा थका बता, आराम करने लेटे. जबरदस्ती चाय के साथ हलका नाश्ता करा रमा उन के माथे पर हलका स्पर्श दे, सहलाती रही जब तक वे सो नहीं गए. कंधे तक चादर ओढ़ा, थोड़ी देर उन के पास बैठी रही, फिर शाम का खाना बनाने के लिए उठ गई. दोनों बेटे भी घर आ कर पिता के आराम में बाधा न डालने की सोच, दबेपांव जा उन्हें सोता देख लौट आए.

नयन के कहने पर कि उन्हें आराम करने दें, रमा ने थोड़ा सा बच्चों के साथ खा लिया और कमरे में लौटी. पति को सोते में न जगाया जाए, यह सोच वह दूसरी चादर ले, पास चुपचाप लेट गई. बारबार उठ, बिस्तर के दूसरे कोने में दूसरी ओर लेटे पति को रात की मद्धिम लाइट में शांत सोते देख उन के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती रही. जब नींद ही नहीं आ रही तो उठा जाए, सोच कर रमा रसोई में जा कर अपने और पति के लिए चाय बना लाई.

धीरे से पति को आवाज दी, फिर हिलाया. माथा, मुंह, बांहें छू कर जो समझी, तो चीख मार बच्चों को आवाज दी. पता नहीं कब उस के पति इस दुनिया से चले गए थे. डाक्टर ने उन की मृत्यु का कारण घातक हार्टअटैक बताया जो कई घंटे पहले आ चुका था. बेटों ने खुद को, मां को संभालते हुए सब को सूचना दी व पड़ोसियों की सहायता से पिता के दाहसंस्कार की तैयारी व बाकी के प्रबंध में लग गए.

रमा के मायके से भाईभाभी ने पहुंच, उसे संभाला. नयन की होने वाली ससुराल वालों व और सब के आने पर शाम जब क्रियाकर्म करवा लौटे तो रुदन की दिल हिलाने वाली आवाजों से घर का कोनाकोना रो रहा था. रमा को कौन समझाए. बेटे की होने वाली शादी की कहां तो वह खुशीखुशी पति के साथ मिल सब तैयारियां कर रही थी और आज उन के बिना कोने में बैठी कितनी उदास व निरीह सी बैठी थी. शादी अब पति की बरसी होने तक टाल दी गई थी.

संजना के पिता ब्रिगेडियर बक्शी के प्रयत्न से नयन की 6 महीने की अपातकालीन छुट्टी का प्रबंध कर दिया गया था ताकि वह अपनी मां के पास रह, उसे इस दुख से उबार सके. समझदार रमा ने इस नियति की मार से उबरने का प्रयास कर अब अकेले ही अपनी हिम्मत जुटा, बच्चों के प्रति अपनी ममता व कर्तव्य को जानते हुए व्यस्त रहती. बेटे उस का पूरा ध्यान रखते.

अभी 2 महीने ही बीते थे कि पवन को सूचना मिली कि उसे यूनाइटेड किंगडम की एक अच्छी कंपनी में तुरंत जौब करने का औफर है. बच्चों के भविष्य को समझते हुए रमा ने हां कह उसे तुरंत जाने की तैयारी करने को कहा. पवन अपने बड़े भाई नयन की होने वाली पत्नी यानी अपनी भाभी संजना से मिलने गया, लंदन जाने के बाद इतनी जल्दी भाई की शादी पर आना हो पाए या नहीं. मां का मन चिंतित व उदास हुआ यह सोच कर कि बच्चा इतनी दूर जा रहा है, फिर मैं उसे देख भी पाऊंगी. पति की अकस्मात मृत्यु से ऐसे विचार आना स्वाभाविक थे. उस के जाने के दिन रमा के आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे.

खुले विचारों वाले पवन को लंदन पहुंच कर अच्छा लगा. कंपनी की तरफ से छोटा सा सुंदर अपार्टमैंट मिला और कार की भी सुविधा थी. उस ने अपने साथ काम करने वाले सहयोगियों से जल्दी दोस्ती गांठ ली, विशेषकर लड़कियों से. फुर्तीला, काम में अच्छा, व्यवहार में विनम्र, अच्छे कपड़े पहनने का शौकीन पवन जहां जाता, अपनी जगह स्वयं बना लेता.

वहां लोग फ्राइडे शाम को कुछ ज्यादा ही रिलैक्स्ड रहते हैं. पब पीने वालों से भरे होते और सड़कें मस्त जोड़ों से. कौन पत्नी है और कौन गर्लफ्रैंड क्या जानना, बस बांहों में बांहें डाले मौजमस्ती करते जीवन का भरपूर आनंद उठाते कितने ही जोड़े दिखते. पवन भी पब में शुक्रवार की शाम बिताता और वहां एक लड़की को कोने में अकेली आंखें नीचे किए बैठी बियर पीते देखता.

एक शुक्रवार को पवन से रहा नहीं गया. अपना बियरभरा गिलास लिए उस के पास की दूसरी कुरसी पर लगभग बैठता हुआ पूछ बैठा, ‘‘डू यू माइंड इफ आई…’’ पलकें उठा, उस की ओर देखते, वह बोली, ‘‘इट्स ओके.’’

बस 10 मिनट ही लगे पवन को उस लड़की के बारे में जानने में. पिछले महीने ही 2 वर्षों से साथ रहते बौयफ्रैंड से ब्रेकअप हुआ था. कारण, अपनी बीमार मां को साथ लाना. ‘‘सौरी टू नो दैट.’’ कहा तो ऐनी ने आंखें उठा देखा जिस में छिपा दर्द साफ झलक रहा था. ऐनी ने उस के बारे में कुछ नहीं पूछा. यह सिलसिला केवल शुक्रवार मिलने से अब रोज मिलने पर आ गया.

Crime Story: देवर-भाभी का खूनी प्यार

15जुलाई, 2020 की शाम के 4 बजे का वक्त रहा होगा. आरती ने बेटे अर्नव को बाहर वाले कमरे
में छोड़ा और उस के गीले कपड़े बदलने के लिए अंदर से सूखे कपड़े लेने चली गई. कपड़े तलाशने में थोड़ा टाइम लग गया. जब वह बच्चे के कपड़े ले कर बाहर आई तो अर्नव वहां से गायब था. उस ने यह सोच कर कि कोई अर्नव को खिलाने के लिए साथ न ले गया हो, पड़ोसियों से पूछा, लेकिन बच्चे का कहीं पता नहीं लग सका.योगेश के बेटे अर्नव के अचानक गायब हो जाने की खबर से गांव में तहलका मच गया कि इतना छोटा बच्चा कहां चला गया. इस तरह बच्चे का गायब हो जाना चिंता की बात थी. किसी अनहोनी की आशंका के चलते तय हुआ कि पुलिस में रिपोर्ट लिखा दी जाए.

घर वाले थाने जाने के लिए तैयार हो ही रहे थे कि किसी ने बताया कि पास के नाले में प्लास्टिक का एक कट्टा पड़ा हुआ है. चिंतित परिवार वाले नाले के पास पहुंचे और कट्टे को बाहर निकाला. उसे देखते ही सभी सदमे में आ गए. क्योंकि कट्टे में मासूम अर्नव ही था. अर्नव को कट्टे से बाहर निकाल कर घर वाले उसे एक प्राइवेट अस्पताल ले गए. पता चला काफी समय पहले उस की मौत हो चुकी थी.

ये भी पढ़ें- Crime Story: गजाला के प्यार में डूबा शाहिद

बच्चे की गरदन पर नाखून के गहरे निशान थे, जिस से अंदाजा लगाया गया कि उस की हत्या गला दबा कर की गई होगी. यह इलाका काशीपुर (उत्तराखंड) के थाना आईटीआई के अंतर्गत आता था. योगेश अपने परिवार के साथ थाने के पास रेलवे लाइन के किनारे बसी दोहरी परसा कालोनी में रहता था. देर रात इस मामले की सूचना पुलिस को दी गई. बच्चे का अपहरण कर के उस की हत्या की सूचना पाते ही थानाप्रभारी कुलदीप सिंह, एसआई मनोज देव के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. योगेश के घर जा कर पुलिस ने इस मामले में विस्तृत जानकारी हासिल की. पुलिस ने बच्चे की लाश वाले बोरे को गौर से देखा तो उस पर विकास (परिवर्तित नाम) लिखा हुआ था. पुलिस ने विकास के बारे में पूछताछ की तो पता चला कि विकास योगेश का मौसेरा भाई है.

कालोनी के एक आदमी ने पुलिस को बताया कि करीब 5 बजे उस ने विकास को प्लास्टिक का एक कट्टा कंधे पर लाद कर ले जाते देखा था. विकास नाबालिग था. उसे देख कर यह कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि अवयस्क लड़का इतना जघन्य अपराध करेगा. इस के बावजूद पुलिस ने विकास को बुला कर उस से पूछताछ की. उस ने साफ शब्दों में कह दिया कि अर्नव की हत्या के बारे में उसे कुछ नहीं मालूम. उस कट्टे को विकास के घर वाले भी पहचानते थे. उन का कहना था कि वे उस कट्टे में आटा पिसवाते थे. कट्टा शायद हवा के झोंके में मकान की छत से उड़ गया होगा.

ये भी पढ़ें- Crime Story: बेवफा पत्नी का खूंखार प्यार

इस मामले में योगेश के मौसेरे भाई का नाम सामने आते ही पुलिस ने उस के बारे में जानकारी जुटाई. इस मामले में कोई बेगुनाह न फंसे, सोच कर पुलिस ने इस अपराध की तह तक जाने के लिए डौग स्क्वायड और फोरैंसिक एक्सपर्ट को भी मौके पर बुला लिया. डौग स्क्वायड देर रात तक बच्चे की मौत की जांच में जुटी रही. लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. पुलिस ने आसपास के सीसीटीवी कैमरे भी खंगाले. लेकिन उन से भी कोई अहम जानकारी नहीं मिल सकी.

अंतत: पुलिस ने अपना पूरा ध्यान किशोर विकास की ओर लगा दिया. पुलिस ने विकास को हिरासत में लेने के लिए उस के घर दबिश दी तो वह घर से फरार मिला. इस से पुलिस को उस पर पूरा शक हो गया. विकास इतना चालाक था कि डौग स्क्वायड के आने से पहले ही गायब हो गया था. थानाप्रभारी ने उस के घर पर निगरानी के लिए एक सिपाही को लगा दिया.इसी दौरान पुलिस को एक अहम जानकारी मिली कि बच्चे को ढूंढते समय विकास भी साथ था. योगेश के घर वालों की उस नाले में पड़े कट्टे पर पहले भी नजर गई थी. लेकिन उसे चैक करने के लिए विकास ही नाले में उतरा था.

ये भी पढ़ें- Crime Story: आलिया की नादानी

उस ने कट्टा देखते ही खाली होने की बात कह कर उधर से सब का ध्यान हटा दिया था. जिस के बाद योगेश और गांव वाले वहां से हट कर दूसरी ओर चले गए थे. बाद में गांव के ही एक आदमी ने जब बताया कि नाले में जो कट्टा पड़ा है, उस में जरूर कुछ न कुछ है. तब शक दूर करने के लिए योगेश के घर वाले दोबारा वहां पर गए. फिर नाले से कट्टा निकाल कर देखा तो उस में बच्चे का शव था.इसी दौरान थानाप्रभारी को जानकारी मिली कि विकास घर आया हुआ है. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी विकास के घर पहुंच गए और विकास को हिरासत में ले लिया. पुलिस हिरासत में आते ही विकास के चेहरे की रंगत उड़ गई.
उस से वहीं पर कड़ाई से पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार कर लिया कि अर्नव की हत्या उसी ने की थी. 17 वर्षीय विकास ने स्वीकार किया कि आरती भाभी से उस के संबंध हैं. जिस की वजह से उसे अर्नव की हत्या करनी पड़ी.

विकास की बात सुन कर पुलिस भी हैरत में पड़ गई. 17 वर्षीय लड़के के प्रेम संबंध भाभी से होने वाली बात लोगों के गले नहीं उतर रही थी. सच्चाई जानने के लिए पुलिस ने आरती से पूछताछ की तो वह मूक बनी रही. बाद में घर वालों ने उस से हकीकत जाननी चाही तो उस ने बताया कि विकास उस के पीछे पड़ा हुआ था. उस ने उसे कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आता था. विकास ने अर्नव को क्यों मारा, उसे कोई जानकारी नहीं थी.विकास से पूछताछ के दौरान यह तो साबित हो गया था कि योगेश की बीवी का भले ही विकास के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था, लेकिन उसे मारने में आरती का कोई हाथ नहीं था.

ये भी पढ़ें- Crime Story: बीवी का दलाल

देवरभाभी के प्यार के इस खेल में देवर ने एक मासूम को मौत की नींद सुला दिया था. आखिर उस डेढ़ वर्षीय बच्चे से उस की क्या दुश्मनी थी, जिसे रास्ते से हटाने के लिए उसे इतना बड़ा अपराध करना पड़ा. देवरभाभी की प्रेम दास्तान भी कुछ विचित्र थी.ठाकुरद्वारा के खबरिया गांव निवासी निहाल सिंह का परिवार सन 1995 में रोजगार की तलाश में काशीपुर आया था. काशीपुर में निहाल सिंह को रामनगर रोड स्थित एक फैक्ट्री में नौकरी मिल गई थी. रामनगर रोड स्थित हिम्मतपुर में निहाल सिंह ने किराए का मकान ले लिया और वहीं रहने लगा.

उसी दौरान निहाल सिंह को आईजीएल फैक्ट्री में काम मिल गया तो वह वहां से नौकरी छोड़ कर अपने परिवार के साथ आईजीएल फैक्ट्री के पास किराए के मकान में रहने लगा. बाद में निहाल सिंह ने वहीं पर दोहरी परसा कालोनी में अपना मकान बना लिया था.निहाल सिंह के 2 बेटे थे, बड़ा लोकेश और उस से छोटा योगेश. उस के दोनों बेटों ने उसी के साथ फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया था. दोनों बेटे कमाने लगे तो उस ने दोनों की शादी कर दी थी. सन 2017 में निहाल सिंह के छोटे बेटे योगेश की शादी टंडोला मंझरा की आरती के साथ हुई थी. आरती सुंदर थी, जबकि उस के मुकाबले योगेश का रंग कुछ दबा हुआ था.योगेश नौकरी करता था. उस ने आरती के खर्चों में किसी भी तरह की परेशानी नहीं आने दी थी.
डेढ़ साल पहले आरती अर्नव की मां बनी. घर में बच्चे के आते ही उस के परिवार की खुशियां दोगुनी हो गई थीं.

योगेश के घर के पास ही उस के मौसा का घर था. उस के मौसा अनूप सिंह भी काफी समय पहले ठाकुरद्वारा के निकटवर्ती गांव जैतपुर से आ कर यहां बस गए थे. गांव की कुछ जमीन बेच कर कर अनूप सिंह ने भी उसी कालोनी में अपना मकान बना लिया था.

अनूप सिंह भी उसी फैक्ट्री में काम करता था, जिस में योगेश काम करता था. उस के परिवार में पत्नी तारावती, 2 बच्चे बेटी नीलम और बेटा विकास, कुल मिला कर 4 सदस्य थे. विकास उस का एकलौता बेटा था. विकास का पढ़ाई में मन नहीं लगता था, जिस से वह हाईस्कूल में फेल हो गया. बाद में उस ने ओपन से हाईस्कूल की तैयारी करनी शुरू कर दी थी. उस का रेगुलर स्कूल जाना बंद हुआ तो वह इधरउधर आवारागर्दी करने लगा.

घर पर रहते घर वाले उसे पढ़ाई करने को कहते तो विकास निगाह बचा कर योगेश के घर चला जाता था. योगेश की ड्यूटी का टाइम फिक्स नहीं था. कभी उस की ड्यूटी दिन में लग जाती तो कभी रात में. विकास को इस से कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ता था. चूंकि योगेश उस की मौसी का लड़का था, इसलिए वह योगेश के सामने भी उस के घर पर पड़ा रहता था. दिन में योगेश के ड्यूटी जाने के बाद घर पर केवल उस की पत्नी आरती ही रह जाती थी, जो विकास का टाइम पास करने के लिए बढि़या जरिया बन गई थी. आरती विकास से कुछ ज्यादा ही घुलमिल गई थी. विकास उस से जो भी पूछता, वह हंस कर जबाव देती थी. कुछ ही दिनों में उस की हंसती छवि विकास के दिल पर गहरा घाव कर गई.

विकास भले ही अभी बच्चा था, लेकिन इंटरनेट से उस ने वह सब पहले ही जान लिया था, जो उसे जवानी में जानना चाहिए था. उसी एकांत का लाभ उठा कर वह अपनी भाभी को भी इंटरनेट पर परोसी जा रही अश्लीलता के दर्शन करा देता था. जिस से दोनों एकदूसरे से इतने खुल गए थे कि विकास आरती के साथ कोई भी शरारत करता तो वह उसे हंस कर टाल देती. लेकिन शरारत के बाद वह उसे अजीब सी नजरों से देखती. आरती की इन्हीं अदाओं पर वह मर मिटा था. वह भाभी के इस तरह से देखने का मतलब भी समझने लगा था.

इंसान की जुबान भी अजीब ही चीज है. कड़वे शब्द भी उसी से निकलते हैं और मीठे भी. अंतर दोनों में केवल इतना होता है कि कड़वे शब्द किसी के दिल में तीर की तरह चुभते हैं, तो मीठे शब्द किसी के दिल को खुश कर देते हैं. यही आरती के साथ भी हुआ. योगेश अपने काम में व्यस्त रहता था कि उस की बीवी कभी भी उस से खुश नहीं रहती थी. जबकि आवारा की तरह घर पर पड़ा विकास उस के दिल को भाने लगा था.

आरती की आंखों में अपने प्रति चाहत देख कर विकास अकेलेपन का लाभ उठाने की सोचने लगा. इस मामले में आरती भी पीछे नहीं थी. दोनों एकदूसरे से खूब प्यारीप्यारी बातें करते. लेकिन एक दिन ऐसा भी आया कि दोनों ने रिश्ते की मर्यादाओं को लांघ कर अवैध संबंध बना लिए. अब योगेश की अनुपस्थिति में दोनों आए दिन अपनी शारीरिक भूख मिटाने लगे थे. विकास का हर वक्त योगेश के घर पर पड़े रहना योगेश को बुरा जरूर लगने लगा था. लेकिन बच्चा समझ कर उसने उस पर शक नहीं किया था.
योगेश का भ्रम तब टूटा जब एक दिन सच्चाई उस के सामने आई. दोनों के संबंधों का कच्चा चिट्ठा दोनों के घर वालों के सामने आ गया.

योगेश अपनी बीवी को प्यार करने के साथ उस की हर ख्वाहिश पूरी करता था. लेकिन उस की बीवी और उस के भाई ने उस के साथ जितना बड़ा विश्वासघात किया था, उस ने योगेश को बुरी तरह तोड़ दिया. उस ने आरती को खूब खरीखोटी सुनाई और उस की पिटाई भी की. उस के बाद दोनों के परिवार वालों के बीच मनमुटाव हो गया. विकास ने उस दिन के बाद आरती के पास आनाजाना भी बंद कर दिया. उस के परिवार वालों ने भी उसे काफी मारापीटा और फिर कभी भी ऐसी हरकत न करने की नसीहत दी.
कुछ ही दिनों में योगेश का परिवार आरती और विकास की हरकतों को भुला बैठा था. आरती और विकास के दिलों में जो प्यार का अधपका ज्वालामुखी फट चुका था, उसे रोकना संभव नहीं था. आरती फिर से मौका पाते ही विकास से मोबाइल पर बात करने लगी.

वह एकांत का लाभ उठाने के लिए विकास को बुला लेती और उस के साथ अपनी हसरतों का खेल खेल कर उसे घर से निकाल देती. कई बार अर्नव उन के संबंधों में अड़चनें पैदा करने लगा था. बच्चा तो आखिर बच्चा ही होता है. न उस के खानेपीने का कोई निश्चित समय होता है और न सोनेजागने का. विकास को अर्नव का डिस्टर्ब करना जरा भी पसंद नहीं था.विकास ने कई बार आरती से घर से भाग चलने को कहा. लेकिन आरती जानती थी कि न तो उस के पास नौकरी है और न ही पैसा. ऐसे में उस के साथ भाग कर क्या खाएगी और क्या बेटे को खिलाएगी. यह बात उस ने विकास को समझाई भी.

लेकिन विकास नादान था. उसे केवल आरती के शरीर से खेलने की सनक थी, जिस के लिए उस के मन में आरती और अपने बीच से अर्नव को हटाने की जुनून सवार हो गया.
जब विकास का धैर्य टूट गया तो उस ने उस के बच्चे को ही रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया. बच्चे को मौत की नींद सुलाने की योजना बना कर उस ने 2 दिन पहले घर से एक प्लास्टिक का कट्टा ले कर रेलवे लाइन के किनारे स्थित दोमंजिले खंडहर में छिपा दिया था, ताकि वह अर्नव की हत्या कर उस कट्टे में डाल कर उसे कहीं दूर फेंक सके. वह मौके की तलाश में रहने लगा.

15 जुलाई, 2020 को उसे मौका मिल गया. अर्नव विकास को अच्छी तरह पहचानता था. उस दिन अर्नव की मां आरती जब उसे छोड़ कर घर के अंदर गई तो विकास बड़ी फुरती से वहां पहुंचा और अर्नव को चौकलेट खाने को दी. उस के बाद वह उसे उसे गोद में उठा कर रेलवे लाइन के किनारे स्थित खंडहर में ले गया. जहां पर जाते ही उस ने उस की गला दबा कर हत्या कर दी. अर्नव को मौत की नींद सुलाने के बाद उस ने उस की लाश कट्टे में डाल कर पास के नाले में फेंक दी. बाद में जब गांव में अर्नव के गायब होने की बात चली तो वह भी उसे ढूंढने में सब के साथ लगा रहा, ताकि कोई उस पर शक न कर सके.

विकास से पूछताछ के बाद पुलिस ने मासूम अर्नव के हत्यारोपी विकास को भादंवि की धारा 301/201/264 के अंतर्गत मामला दर्ज कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.केस का खुलासा होने के बाद योगेश और उस के घर वालों को आरती के प्रति इस कदर नफरत पैदा हो गई कि उन्होंने उसे उसी समय उस के मायके वालों के साथ भेज दिया. उन का कहना था कि जो औरत अपनी औलाद की न हुई, वह दूसरों की क्या होगी. बच्चे की हत्या में संलिप्तता न पाई जाने पर पुलिस ने उसे पूछताछ के बाद छोड़ दिया था.

मीठी परी-भाग 4 : पवन की जिंदगी में परी बनकर आई सिम्मी

उस की घबराहट और बढ़ गई. क्रिस दूध पीने के बाद सो गया. रोहन को उस की पसंद का टीवी पर प्रोग्राम लगा दूसरे कमरे में बिठाया और फिर तीनों कमरे में मिले.

नयन ने सीधी बात शुरू की, ‘‘पवन, मैं समझता हूं कि ऐसे हालात में तुम क्रिस को हमारा बेटा समझ यहां छोड़ जाओ. आगे की सोचो, तुम वापस जाना चाहो या यहां रहो, यह तुम्हारा अपना फैसला होगा. मां को हम समझा लेंगे.’’ पवन का दिलआंखें ऐसे रोईं कि भाभी भी साथ रोती हुई, उस को तसल्ली दे, उस की पीठ थपथपाती रही.

‘‘सब ठीक हो जाएगा, हौसला रखो, पवन,’’ कह कर नयन उठ बाहर चले गए.

इस बार मां को इस दुख से उबारने की जिम्मेदारी पवन ने स्वयं ली. भरे मन से क्रिस को भाभी के पास छोड़ मां के पास जा, बिना रोए, ढांढ़स बांध, सारी बात बताई. मां ने उस के सिर पर हाथ रख कर कहा, ‘‘बेटा, किस को दोष दें, समय की बात है.’’ मां ने समझाया, ‘‘जो हुआ सो हुआ, अब वह जल्दी अपना घर बसाए. शादी टूटने की बात तो ठीक है पर बच्चे की चर्चा न ही हो तो अच्छा है.’’

पवन ने वापस लौट कुछ समय के बाद घर और नौकरी बदल ली. बैठता तो क्रिस को याद करने के साथ यह भी सोचता कि कैसी ममतामयी और समझदार हैं संजना भाभी, कितनी सहजता से भाई ने क्रिस को अपने बेटे जैसे रखने के बारे में सोच लिया. मां भी क्या रिश्ता है, कितनी सरलता से मां ने उसे आगे की सोचने की सलाह दी. क्या ऐनी के मन में ऐसा कोई भाव नहीं जागा.

इतवार का दिन था, पवन 10 बजे तक लेटा रहा. रात किनकिन विचारों में उलझा रहा था. तभी फोन बजा. भाई का फोन था, बता रहा था कि क्रिस ठीक है और उस की कुछ फोटो अपलोड कर भेजी हैं. साथ ही, यह भी बताया कि ईमेल पर किसी की पूरी डिटेल्स, फोटो और पता लिखा है. तुम स्वयं भी साइट देख सकते हो. मां और संजना लड़की के परिवार से मिल सब जानकारी ले भी आए और तुम्हारे विषय में भी बता दिया है. याद रहे, क्रिस अब हमारा बेटा है. जैसा मां का सुझाव था वैसे ही करो. लड़की सिम्मी अपने भाईभाभी के पास पिछले 2 वर्षों से रह रही है जो यूके में कई वर्षों से हैं. तुम्हारा पता नहीं दिया. मां चाहती हैं कि तुम स्वयं देखभाल कर बात बढ़ाओ.

पवन का मन खुश न हो, दुखी हुआ, काश, ऐनी के साथ ही सब ठीक रहता तो…किसे दोष दे. पवन को लगा शायद पहली बार सब मां के आशीर्वाद के बिना हुआ था इसलिए…टालता रहा. पर जब मां ने पूछा कि उन्हें फोन क्यों नहीं किया, सिम्मी के परिवार से क्यों नहीं मिला तो अब तक कहा कि इस इतवार सिम्मी के परिवार को फोन अवश्य करूंगा.

फोन किया तो सिम्मी ने ही उठाया, पूछा, ‘‘कहिए, किस से बात करनी है?’’

‘‘संजयजी से, जरा रुकें, भाभी को मैसेज दे दें.’’

झिझकते हुए पवन ने अपना परिचय दिया तो भाभी फोन पर बात करती हुई खुश हो पूछ बैठी, ‘‘आप आज शाम मिल सकते हैं.’’

‘‘जी, ठीक है, कहां?’’

‘‘संजयजी अभी आते होंगे, वे आप को बताएंगे.’’ अब तो पवन घबराया कि क्या बताए क्या छिपाए.

शाम कौ सैंट्रलसिटी रैस्टोरैंट में मिले. सिम्मी ने स्वयं अपनी शादी व तलाक के बारे में बताया कि लड़का जरमनी से आया था पर जल्दी ही उस के ड्रग ऐडिक्ट होने की बात सामने आई. सिम्मी ने अस्पताल और समयसमय पर थेरैपी के साथ रीहैबिलिटेशन के पेपर दिखाए. उस का मानना था कि ऐसी आदत जल्दी छूटती नहीं. वह यहां एमबीए कर रही है. इतना कहते हुए अपने भाईभाभी का आभार प्रकट किया.

साधारण सी दिखती लड़की का साहस और सोच पवन को अच्छी लगी. पवन अभी साहस जुटा रहा था अपने बारे में बताने का कि सिम्मी के भाई ने कहा कि आप के बारे में मांपापा व बड़े भाई को जानकारी है और अब आप का और सिम्मी का निर्णय ही हमारा फैसला होगा.

कुछ दिनों के बाद भाई की सलाह से सिम्मी ने फोन पर पवन से बात की और दोनों बाहर मिले. सिम्मी की तरफ से हां पर पवन ने फोन पर मां को बताया कि ठीक है. फिर भी जाने क्यों, जो पवन के साथ हो चुका था, उस का डर उस के मन के किसी कोने में छिपा बैठा था.

बर्मिंघम की कोर्ट में शादी के अवसर पर पवन का भाई नयन पहुंचा. सादी सी सैरामनी के साथ और परिवार के नाम पर 5 लोगों ने बाहर खाना खाया और नवदंपती को विदाई दी. नयन एक हफ्ता होटल में रुक इधरउधर घूम वापस लौटा. संजना भाभी खुश थी. मां ने महल्ले में लड्डू बंटवाए और पवन की विदेश में शादी की सब को खबर दी. पहले की घटित हुई सारी कहानी पर खाक डाल दी गई.

एक सप्ताह का आनंदमय समय इकट्ठा बिता पवन काम पर लौटा और सिम्मी पढ़ाई में लग गई. पवन की मां या भाभी से सिम्मी बहुत आदर से फोन पर बात करती. सिम्मी के भाईभाभी भी कभी थोड़ी देर के लिए आ जाते और बहन को खुश देख राहत की सांस लेते. परीक्षा खत्म हुई और अच्छा रिजल्ट पा सिम्मी के साथ पवन भी खुश हुआ और उस को सुंदर सी ड्रैस गिफ्ट की.

सिम्मी ने पवन को यह कह हैरान कर दिया कि नौकरी तो कभी भी की जा सकती है पर परिवार बढ़ाना है तो हम दोनों की आयु देखते हमें पहले बच्चे के विषय में सोचना चाहिए. पवन खुश, ‘‘अरे, सोचना क्या, इरादा नेक है.’’ जब समय मिलता, दोनों कहीं न कहीं घूम आते. 2 महीने बीते तो पाया कि सिम्मी गर्भवती है. सब बहुत खुश और सिम्मी के पैर तो खुशी के मारे धरती पर टिक ही नहीं रहे थे, ‘‘हमारा पहला बच्चा.’’

पवन सिम्मी का पूरा ध्यान रखता.

6 महीने बीतने को आए जब एक दिन औफिस से लौटने पर सिम्मी ने एक फोटो सामने रखते पवन से पूछा, ‘‘यह कौन है, कितना प्यारा बच्चा है?’’ पवन के काटो तो खून नहीं, यह फोटो उस ने ऐनी की क्रिस को गोद लिए पहले दिन डेकेयर छोड़ने जाने पर खींची थी. अच्छा हुआ कि वह नहीं था उस फोटो में. उस ने बड़ी सावधानी से कैमरे, अलबम, फ्रेम से सब फोटो बड़े दुख के साथ निकाल फेंक दी थी. यह फोटो किसी दूसरी फोटो के साथ उलटी लगी रह गई थी जिसे वह देख नहीं पाया. अपने को संभालते हुए, एक सहकर्मी व उस के बेटे की बता फोटो ले ली. सिम्मी की ओर से कोई प्रश्न न पूछा जाए, सोच कर पवन किचन में अपने व सिम्मी के लिए चाय बनाने लगा.

ऐनी अब स्कौटलैड में ही थी पर पवन के घर व औफिस बदलने की उसे खबर थी. ऐनी की बहन के विवाह को 10 वर्ष हो चुके थे. पर कोई संतान नहीं थी. काफी इलाज कराने के बाद कोई संभावना भी नहीं थी. घर में बच्चा गोद लेने की चर्चा चल रही थी.

ऐनी सब पीछे छोड़ तो आई थी पर कभीकभी उस का मन क्रिस को याद कर उदास हो जाता. उस ने बहन से सलाह की कि यदि उस का पति माने तो वह क्रिस को गोद ले सकती है. उस के पास क्रिस के जन्म पर अस्पताल से मिला प्रमाणपत्र है जिस पर उस का व पवन का नाम लिखा है. बात तय हो गई.

यूके में कोर्ट द्वारा पवन को सम्मन भिजवा दिया गया जिस में ऐनी ने बिना किसी शर्त के बेटे क्रिस को अपनाने की अपील की. पत्र पवन के नाम था, पर घर पर सिम्मी को मिला. खोला तो ऐनी नाम देख उसे याद हो आया यही नाम तो बताया गया था पवन की पहली पत्नी का. पर बच्चा उस की तो कभी चर्चा ही नहीं की किसी ने? सिम्मी का 8वां महीना चल रहा था और उस के मानसपटल पर इतने विचार आजा रहे थे कि वह बहुत घबरा गई. पवन को फोन पर तुरंत घर आने को कह वह बैठ गई. अचानक तसवीर उभरी जो उस को अलबम में मिली थी जिसे पवन ने सहकर्मी और उस का बेटा बताया था. कहीं वह बच्चा पवन…क्या हो रहा है ये सब, वह मन को शांत करते हुए सोफे पर बैठ गई.

घबराए आए पवन ने उसे यों बैठे देखा तो सोचा, अवश्य उस की तबीयत ठीक नहीं. कहा, ‘‘उठो, अस्पताल चलते हैं.’’

‘‘नहीं, कोर्ट में जाओ,’’ कहते हुए सिम्मी ने लिफाफा थमाया. पवन को तो जैसे घड़ों पानी पड़ गया हो, कहां जा डूबे, क्या करे? सिम्मी ने उसे हाथ पकड़ कर पास बैठाया, फिर उठ कर पानी ला कर पिलाया और धीरे से उस का झुका मुंह उठा, पूछा, ‘‘पवन, बस, सच बताओ, बाकी हम संभाल लेंगे.’’

अब छिपाने को कुछ रह ही नहीं गया था. पवन सिम्मी के कंधे पर सिर रख फफक कर रो पड़ा. सिम्मी ने उसे बांहों में सहलाया, ‘‘रोओ नहीं, शांत हो जाओ.’’

जब वह पूरी तरह शांत हो गया तो माफी मांगते सच उगल दिया.

सिम्मी ने कहा, ‘‘अब पूरी सचाई से बताओ कि तुम क्या चाहते हो?

‘‘प्लीज सिम्मी, मेरा साथ नहीं छोड़ना.’’

‘‘पवन अगर तुम ने हमें शादी से पहले अपने बेटे के बारे में बताया होता तो सच मानो वह आज हमारे साथ होता पर फिक्र न करो वह अब भी हमारे घर में है तुम्हारे भाईभाभी के साथ. जब चाहे उसे यहां ले आओ. हमारे 2 बच्चे हो जाएंगे.

बोलती सिम्मी का मुख पवन गौर से परखता रहा, क्या यह सच कह रही है, क्या ऐसा संभव है, क्या अब मेरा बेटा मेरे पास रह सकता है?

सिम्मी ने उसे धीरे से झिंझोड़ा, ‘‘पवन, मैं तुम्हारे बेटे की मां बनने को तैयार हूं. उठो, नोटिस का जवाब दो. कल किसी अच्छे वकील से मिलो. उठो पवन, शाम की चाय नहीं पिलाओगे.’’

पवन हैरान, ‘कैसी औरत है, कितनी सहजता से सब समेट लिया. कोई शिकायत नहीं, कितना बड़ा दिल है इस का. बिना कहे क्षमा कर दिया.’

दोनों ने मिल कर चाय पी और फिर सिम्मी बोली, ‘‘पवन, जरा भाईभाभी को फोन कर क्रिस का हाल जानें और उन्हें बताएं कि दूसरे बच्चे के होने के बाद हम पहले उसे लेने वहां आएंगे.’’

‘‘सच सिम्मी.’’

‘‘हां, सच पवन. और सुनो, मां को भी अपना फैसला बताएंगे तो वे भी खुश होंगी. रही मेरे परिवार की बात, तो उन से मैं स्वयं निबट लूंगी.’’

ये सब सुन पवन ने फोन लगा, सिम्मी को पकड़ाया और साथ ही झुक उस का माथा चूम लिया. सिम्मी

ने शरारत से देख, कहा, ‘‘अब मेरी बारी…अब तुम्हारा मुंह मीठा कर दिया मैं ने, कड़वी बातें भूल जाओ. मैं हूं मीठी परी, मुझ से कभी झूठ न बोलना.’’ पवन ने अपने दोनों कान पकड़ नहीं की मुद्रा में सिर हिलाया तो सिम्मी अपने पेट पर दोनों हाथ रख जोर से हंस दी. पवन हैरान था उस का यह सुहावना रूप देख, धीरे से बुदबुदाया, ‘मीठी परी’.

मीठी परी-भाग 3 : पवन की जिंदगी में परी बनकर आई सिम्मी

भाभी ने उस की शादी के बारे में पूछा तो पवन ने रोंआसा हो बताया कि यह अचानक किया फैसला है और झूठ का सहारा ले यह कह दिया कि यहां सैटल होने के लिए यहां की लड़की से शादी करने से मदद मिल जाती है.

पवन का मन परेशान हुआ कि बच्चे के बारे में जानेंगे तो क्या सोचेंगे. भाभी ने कहा कि मां उस के लिए यहां लड़कियां देख रही थीं. अचानक खबर से उन्हें काफी धक्का लगा है. पर अब क्या हो सकता है. तसल्ली दी कि जब तक मां पूरी तरह ठीक नहीं हो जाएंगी, वह यहां रह उन की देखभाल करेगी. नयन भी आतेजाते रहेंगे. बाद में वे मां को अपने साथ असम ले जाएंगे.

पिछली बार जब रमा असम गई थी तो कुछ दिनों के बाद ही कहना शुरू कर दिया था कि यहां बहुत अकेलापन है. वह वापस जाना चाहती है. नयन ने समझाने की बहुत कोशिश भी की थी कि आप की बहू, बेटा, पोता हैं, यहां अकेलापन कैसा और फिर यह भी आप का घर है. पर नहीं, वह जल्दी लौट आई थी.

इधर, ऐनी बच्चे क्रिस को अकेले संभालने में परेशान हो जाती थी. पवन रात में बच्चे के लिए कई बार जागता था. अब ऐनी के काम पर वापस जाने का समय हुआ. क्रिस को घर से दूर एक डेकेयर में छोड़ना तय हुआ. क्रिस को सुबह पवन छोड़ आता था, शाम को ऐनी ले आती थी. आसान नहीं था यह सब. अब आएदिन दोनों में किसी न किसी बात पर बहस होने लगी. बच्चे के कारण दोनों का बाहर घूमनाफिरना, मौजमस्ती कम हो गई थी. ऐनी जैसी मौजमस्ती में रहने वाली के लिए यह सब बदलाव मुश्किल सा हो गया था जबकि पवन ने बहुत सी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली थी.

अचानक एक दिन ऐनी को पता नहीं क्या सूझी, जो सीधा ही पवन से कह दिया कि वह नौकरी छोड़ बेबी क्रिस को ले अपनी मांबहन के पास स्कौटलैंड चली जाएगी.

पवन हैरत में था कि अपनी ओर से वह और क्या करे कि ऐनी अपना इरादा बदल ले. अभी इस बात को एक सप्ताह ही बीता था कि पवन को डेकेयर से फोन पर बताया गया कि मिस ऐनी का उन्हें फोन आया था कि आज आप क्रिस को लेने आएं, वे नहीं आ पाएंगी. ‘‘ठीक है,’’ कह कर पवन ने सोचा कि ऐनी यह बात सीधे उस से भी कह सकती थी. फिर यह सोच कर मन को तसल्ली दी कि वह आजकल बहुत परेशान व नाराज सी रहती है. इसलिए शायद उस से नहीं कहा.

पवन औफिस से जल्दी निकल, क्रिस को डेकेयर से घर लाया, उसे दूध पिलाया. ऐनी को कई बार फोन किया पर उस का फोन स्विच औफ था. उस का मन भयभीत होने लगा कि कहीं उसे कुछ हो तो नहीं गया. जब ऐसे करते रात के 12 बजने को आए तो चिंतित पवन कहां फोन करे, उस के पास तो ऐनी के किसी जानपहचान वाले या उस की मांबहन का नंबर तक नहीं था. कैसा बेवकूफ है वह, कभी उन से बात ही नहीं हुई.

रात 2 बजे फोन बजा तो उस ने लपक कर फोन उठाया, फोन ऐनी का ही था. उस ने सीधा कहा, ‘‘मैं अपनी मां के पास आ गई हूं. तुम्हें क्रिस को स्वयं पालना है, मुझे कुछ नहीं चाहिए. मेरा कोई पता या फोन नंबर नहीं है.’’

‘‘ऐनीऐनी’’ कहता रह गया पवन, और फोन कट गया. सिर धुन लिया पवन ने और सोते क्रिस को देख बेहाल हो गया. क्या कुसूर है उस का या इस नन्हे बच्चे का.

दिन बीतते गए. सब रोज के ढर्रे पर चलता रहा. ऐसा कब तक चलेगा? हताश हो कर सोचा, मां या भाई को बताऊं. पहले ऐनी के साथ रहने का बता मां को सदमा दिया था, अब उस से बड़ा सदमा देने के बारे में सोच कर ही डर गया.

कुछ तो करना होगा, यह सोच कर हिम्मत जुटा भाई को फोन किया तो पता चला वह 1 महीने के लिए दूसरी जगह पोस्ंिटग पर है. फोन पर पवन के रोने की आवाज सुन, भाभी डर गई, ‘‘पवन, क्या हुआ, ऐनी तो ठीक है?’’

‘‘भाभी, ऐनी मुझे छोड़ कर चली गई.’’

भाभी ने कुछ और समझा, ‘‘कैसे हुआ, क्या हुआ, तुम साथ नहीं थे क्या?’’

‘‘भाभी, वो अब मेरे साथ रहना नहीं चाहती. अपने बेटे को छोड़ कर, अपनी मां के पास चली गई है.’’

‘‘बेटे को, यानी तुम्हारा बेटा या केवल उस का?’’ भाभी कुछ अंदाजा लगा चुकी थी, ‘‘तुम ने पहले क्यों नहीं बताया?’’

‘‘जब पहली बार ऐनी के बारे में बताया था, तब हमारा बेटा क्रिस 2 महीने का था.’’

‘‘अब क्या करोगे?’’

‘‘भाभी, कुछ समझ नहीं आ रहा.’’

संजना ने कहा, ‘‘सुनो, बच्चे को ले सीधा हमारे पास चले आओ, तब तक तुम्हारे भाई भी आ जाएंगे. सब मिल कर कुछ उपाय सोचेंगे.’’

तुरंत बच्चे का पासपोर्ट बनवा, वीजा लगवा, काम से एक महीने की छुट्टी ले पवन वापस इंडिया चल पड़ा. भाई के घर वापस आने से 4 दिन पहले पहुंच गया. भाभी को पूरी बात बता, थोड़ा सहज हुआ.

‘‘कुछ गलत तो नहीं किया तुम ने ऐनी से शादी कर. अगर बच्चा पैदा हो गया तो विदेश में ऐसी बातें होती ही हैं.’’

‘‘भाभी, शादी नहीं की थी, सोचा था, कुछ समय इकट्ठा गुजारेंगे. पर उसी बीच वह प्रैग्नैंट हो गई. उस के बाद भी शादी कर लेता तो ठीक होता.’’

भाभी ने कहा, ‘‘अब अपने देश में भी अजीब सा चलन हो गया है लिवइन रिलेशनशिप का. लगता है लगाव, जिम्मेदारी, ममता केवल शब्द ही रह गए हैं, कोई भावना नहीं.’’

अगली सुबह नयन आ गए. अचानक पवन को वहां देख हैरान हुए और फिर घर में बच्चे के रोने की आवाज सुन और भी हैरान से हो गए. संजना ने जल्दी से कहा, ‘‘मैं चाय बनाती हूं. आप पहले अपने बेटे रोहन को जगाएं, आप को आया देख खुश होगा. फिर सब बात होगी.’’

नयन कुछ समझ नहीं पा रहा था. रोहन उठ, पापा से मिला और फिर भाग, दूसरे कमरे में ताली बजा नन्हे क्रिस को रोते से चुप कराने की कोशिश करने लगा. पवन ये सब देख अपने आंसू नहीं रोक पाया.

पत्नी संजना से सब जान नयन ने किसी को कुछ नहीं कहा.

नाश्ता करते नयन ने देखा पवन चुपचाप खाने की कोशिश कर रहा पर जैसे खाना उस के गले से नहीं उतर रहा था. नयन के कहने पर कि नाश्ते के बाद हमारे कमरे में मिलते हैं,

मीठी परी-भाग 2 : पवन की जिंदगी में परी बनकर आई सिम्मी

पवन ने एक इतवार ऐनी को बाहर लंच पर बुलाया और बाद में कौफी के लिए घर ले आया. अपार्टमैंट में चीजें बिखरी पड़ी थीं, अकेला रहता था, कौन देखने आने वाला है. इंडिया में घर को ठीकठाक रखना तो नौकर का काम होता था. अब यह कौफी का नया दौर चला तो हर शनिवार वह घर व रसोई ठीक कर लेता.

3 बार के बाद ऐनी ने कहा कि अगली बार लंच वह बना कर लाएगी. चीज से बने पकवान और रोस्टेड चिकन दोनों ने भरपूर आनंद ले खाया. टीवी पर मूवी देखी. शाम की कौफी बाहर गैलरी में बैठ पी. ठंडी हवा का आनंद लिया और अब रात घिर आई थी. न तो ऐनी का घर जाने का मन था और न ही पवन उसे जाने देना चाहता था. एक ही बार रुकने को कहा तो ऐनी ने दोनों हाथों से उस का चेहरा पकड़, आंखों में झांकते कहा, ‘ठीक है’. पवन को जैसे आंखों ही आंखों में ऐनी की इजाजत मिल गई.

हमेशा की तरह मां अपने बेटे से बात कर उस की खबर लेती रहती. पर इस बार सामने पड़ा फोन बजता रहा, पवन ने नहीं उठाया. वह मां को नई खबर नहीं देना चाहता था.

अगले हफ्ते ऐनी अपना सामान ला पवन के साथ रहने आ गई. अंधा क्या मांगे, दो आंखें. बिखरा सामान ठिकाने लग गया. सुबह का नाश्ता दोनों इकट्ठे बैठ कर खाते. शनिवार पब जाने और बाहर खाना खा कर आने का रूटीन बन गया. इतवार घर में रह मस्ती होती और अब पवन ने भी कुछकुछ पकाना सीख लिया था. शाम की कौफी बनाना अब उस की जिम्मेदारी थी.

अब पवन मां को स्वयं फोन कर थोड़ी सी बातें कर लेता, लेकिन अभी तक ऐनी की कोई चर्चा नहीं की. मां की बारबार शादी की बात वह यह कह कर टाल जाता कि अभी वह और अच्छी नौकरी की तलाश में है.

मां उसे कुछ समय के लिए वापस घर बुला रही थी. पिता की बरसी करनी थी और फिर एक महीने बाद नयन की संजना से शादी थी. रमा की भाभी उस के पास रहने व सहारा देने आ गईं. कहा जाता है कि सब काम समय पर होते चलते हैं. बस, जाने वाला ही चला जाता है. सब के प्रयत्न से शादी अच्छी हो गई. पर रमा बारबार होती गीली आंखों के आंसुओं को अंदर ही रोके रही, शगुन का काम था.

कुछ दिन मायके और ससुराल रह संजना नयन के साथ असम चली गई. नयन मां को अकेला छोड़ कर नहीं जाना चाहता था पर मां ने सब यादों को समेटे अपने घर में ही रहना तय किया. संजना कभीकभी फोन कर देवर का हाल जानती रहती थी.

उधर, ऐनी व पवन के बीच सब ठीक चल रहा था, कभी छुट्टियां ले दोनों कहीं घूम आते. देखतेदेखते 10 महीने बीत गए. मां ने इस बार पवन को खुशखबरी देते संजना के गर्भवती होने की बात बताई.

संजना के मायके वाले उसे डिलीवरी के लिए अपने पास रखना चाहते थे. पर नयन यह कह कर कि उसे यहां हर तरह का आराम है और फिर मां भी गोदभराई की रस्म के लिए आएंगी, तो रुकेंगी, उस का जाना टाल दिया. सब ठीक रहा और संजना ने एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया. सब ओर से बधाई का आदानप्रदान हुआ. चाचा पवन को नई पदवी की विशेष बधाई मिली. बच्चे के 4 महीने के होते ही मां असम से लौट आईं, नयन स्वयं छोड़ने आया.

‘यह कैसे हो गया, कहां गलती हुई, क्यों नहीं ध्यान दिया?’ ऐनी यह सब सोचते हुए परेशान थी. वह प्रैग्नैंट थी. ‘नहीं, वह झंझट नहीं ले सकती, उसे नौकरी करनी है.’ सब आगापीछा सोचते हुए पवन से अबौर्शन की जिद करने लगी. पवन थोड़ा तो परेशान हुआ पर तसल्ली दी कि वह पूरी तरह से सहयोग करेगा ऐनी व बच्चे का ध्यान रखने में.

ऐनी की मां अब अपनी छोटी बेटी के पास स्कौटलैंड में रहती थी. समय पर मां को बुलाने पर बात अटकी तो पवन ने कहा, ‘देखेंगे.’ पहले वाले लड़के ने मां के कारण ही ऐनी से किनारा किया था और अब वह वही मुसीबत मोल ले ले, नहीं. ऐनी को यह मंजूर न था.

अपनी गर्भावस्था के दौरान ऐनी स्वस्थ व चुस्त रही और काम पर जाती रही. बस, डिलीवरी होने से पहले 3 दिन ही घर पर रही थी और 9 महीने पूरे होते ही उस ने सुंदर, स्वस्थ बेटे को जन्म दिया. उस के गोल्डन, ब्राउन, घुंघराले बालों को देखते ही चहकी, ‘‘यह तो अपने नाना जैसा है.’’ अपने पिता की याद में उस की आंखें भर आईं. वे दोनों बहनें छोटी ही थीं जब उस के पिता का कार दुर्घटना में निधन हो गया था और पिता के काम की जगह ही मां को काम दे दिया गया था.

ऐनी को नौकरी से 3 महीने की छुट्टी मिल गई और पवन भी कोशिश कर उस की हर संभव सहायता करता. छोटे बेबी को पालना आसान नहीं. मां के फोन आते रहते. पर इस बार पवन ने पक्का इरादा कर ऐनी के बारे में बता दिया, लेकिन बच्चे का जिक्र नहीं किया.

मां यह सुन सन्नाटे में आ, पूछना भूल गई कि कौन है, कब यह सब हुआ? पवन हैलोहैलो ही कहता रह गया, फोनलाइन कट गई. बिना शादी एकसाथ रहना, बच्चे होना और फिर साथ रहने की गारंटी, क्या कहा जा सकता है.

पवन दोबारा फोन करने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाया. लेकिन, भाभी का फोन आ गया. ‘‘मां अस्पताल में हैं. उन की अचानक तबीयत खराब होने की खबर सुनते ही वे लोग फौरन मां के पास पहुंच गए. अभी नयन मां के पास अस्पताल में हैं.’’

Nutrition Week: डायबिटीज के मरीज भी खा सकते हैं ये 5 ड्राई फ्रूट्स

अच्छी सेहत के लिए ड्राई फ्रूट्स बेहद फायदेमंद होते हैं. इनमें भरपूर मात्रा में विटामिन, मिनरल्स, कैल्शियम, और अनसैचुरेटेड फैटी एसिड पाए जाते हैं. पर वो लोग जिन्हें डायबिटीज की शिकायत है उन्हें इसके उपभोग में सावधानी बरतनी चाहिए. क्योंकि डायबिटीज के मरीजों के लिए डाइट बहुत महत्वपूर्ण होती है. डायबिटीज के मरीज जो भी खाते हैं, उसका सीधा असर उनके ब्लड शुगर पर पड़ता है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि डायबिटीज के मरीजों के लिए कौन से ड्राई फ्रूट्स फायदेमंद होंगे.

1.काजू

ब्लड प्रेशर के मरीजों को अपनी डाइट में काजू जरूर शामिल करना चाहिए. ब्लड प्रेशर नार्मल रखने के साथ साथ ये दिल के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है. डायबिटीज के मरीजों को भी काजू के सेवन से फायदा पहुंचता है.

ये भी पढ़ें- Nutrition Week: हेल्थ के लिए बेस्ट है शुगरफ्री डाइट, ध्यान रखें ये बातें

2.अखरोट

कई शोधों की माने तो अखरोट खाने से पेट भरता है और ज्यादा खाने की क्रेविंग नहीं होती. जानकारों की माने तो रोजाना अखरोट का सेवन करने से वजन कम होता है. साथ ही ये डायबिटीज के मरीजों के लिए भी फायदेमंद होते हैं.

3.बादाम

एक स्टडी की माने तो बादाम खाने से शरीर में ग्लूकोज का स्तर समान्य रहता है. बादाम औक्सिडेटिव तनाव को कम करने में बेहद फायदेमंद होता है. इससे व्यक्ति को डायबिटीज और दिल संबंधी समस्याओं में फायदा पहुंचाते हैं

ये भी पढ़ें- Nutrition Week: हेल्थ और ब्यूटी के लिए बेहद फायदेमंद है ‘ओटमील’

4.मूंगफली

मूंगफली में प्रचूर मात्रा में फाइबर और प्रोटीन मिलता है. टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों के लिए मूंगफली बहुत फायदेमंद होती है. रोजाना फल खाने से वजन कम रहता है और दिल संबंधित परेशानियां भी नहीं होती. डायबिटीज के मरीजों को मूंगफली के सेवन से बहुत फायदा पहुंचता है. इससे डायबिटीज मरीजों का ब्लड शुगर नार्मल रहता है.

ये भी पढ़ें-  डॉक्टर से औनलाइन परामर्श कैसे लें

5.पिस्ता

पिस्ता में भरपूर मात्रा में प्रोटीन और गुड फैट होता है होता है. आपको बता दें कि इसे खाने के बाद लंबे समय तक भूख नहीं लगती. पिस्ता खाने से डायबिटीज के मरीजों में ब्लड शुगर का स्तर समान्य रहता है.

क्या सोनम कपूर ने कंगना पर साधा निशाना? सोशल मीडिया पर कह दी ये बात

बॉलीवुड अदाकारा कंगना रनौत ने सुशांत सिंह राजपूत के मौतके बाद से एक से बढ़कर एक बॉलीवुड के खुलासे कर रही हैं. इस बात से पूरी दुनिया हैरान है कि बाहर से दिखने वाला बॉलीवुड अंदर से इतना ज्यादा गंदा कैसे हो सकता है.

कुछ लोग कंगना रनौत के सपोर्ट में नजर आ रहे हैं तो वहीं कुछ लोग सुशांत के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं. वहीं कंगना रनौत के खिलाफ बॉलीवुड का कई गैंग हो गया है जो लगातार कंगना पर निशाना साध रहा है. कंगना के खिलाफ उल्टी सीधी बाते कर रहा है.

ये भी पढ़ें- कंगना रनौत के निशाने पर बॉलीवुड के ये सितारे, कहा- नहीं लेते ड्रग्स तो कराएं जांच

इसी बीच सोनम कपूर ने कुछ ऐसा कह दिया है जिससे सोशल मीडिया पर बवाल मच गया है. सोनम कपूर ने एक ट्विट में लिखा है कि मैंने काफी समय पहले कहा था कि सुअर से नहीं लड़ना चाहिए आप गंदे हो जाते हैं और सुअर को लड़ने में मजा आता है.

ये भी पढ़ें- दिलीप कुमार ने 12 दिन के अंदर ही खो दिया दूसरा भाई, एक की कोरोना से हुई मौत

सोनम कपूर के इस ट्विट को लोग कंगना रनौत से जोड़कर देख रहे हैं. उनका मानना है कि सोनम ने मणिकर्णिका एक्ट्रेस पर निशाना साधते हुए अपनी बात कही है.

कंगना रनौत के फैंस इस बात से पूरी तरह से नाराज है कि उन्हें ऐसा क्यों कहा जा रहा है. इस ट्विट के रिएक्शन देखकप आपको भी पता चल जाएगा.

ये भी पढ़ें- अमिताभ बच्चन ने खरीदी नई कार तो लोगों ने दिया कुछ ऐसा रिएक्शन

वहीं कंगना रनौत के कई दिग्गज नेताओं ने भई निशाना साधा हुआ है. उनका मानना है कि वह बॉलीवुड के बारे में गंदी बातें फैला रही है. इससे साफ हो रहा है कंगना की लड़ाई बहुत लंबी है वह जल्द इससे हार नहीं मानने वाली हैं.क्या सोनम कपूर ने कंगना पर साधा निशाना? सोशल मीडिया पर कह दी ये बात

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें