टमाटर, भिंडी व बैगन में फल छेदक की सूंड़ी और सफेद मक्खी का प्रकोप दिखता है. इस के लिए ‘एनपीवी और वीटी’ जैव दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं. स्टिकी ट्रैप दरअसल पतली सी चिपचिपी शीट होती है. यह फसलों की रक्षा बिना किसी रसायन के इस्तेमाल से करती है और रसायन के मुकाबले सस्ती भी रहती है. स्टिकी ट्रैप शीट पर कीट आ कर चिपक जाते हैं. इस के बाद वे फसल को नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं.

रासायनिक दवाओं से कीट नियंत्रण में कई तरह की दिक्कत आती है, जिन में कृषि पर्यावरण को कई तरह के नुकसान शामिल रहते हैं, जबकि स्टिकी ट्रैप के इस्तेमाल से किसान इन सभी दिक्कतों से बच सकते हैं. रासायनिक कीटनाशकों के लगातार इस्तेमाल से कई गंभीर खतरे पैदा होते रहते हैं. रसायन  के ज्यादा इस्तेमाल से कीटों में रसायन के प्रति प्रतिरोधक क्षमता, खाद्य शृंखला में कीटनाशक अवशेष, मृदा प्रदूषण, मित्र कीटों का अनचाहा नुकसान और पर्यावरण को कई दूसरे नुकसान भी होते हैं.

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  क्या होता है स्टिकी ट्रैप

स्टिकी ट्रैप कई तरह की रंगीन शीटें होती हैं, जो फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए खेत में लगाई जाती हैं. इस से फसलों पर आक्रमणकारी कीटों से रक्षा हो जाती है और खेत में किस तरह के कीटों का प्रकोप चल रहा है, इस का सर्वे भी हो सकता है.

  कैसे काम करता है  स्टिकी ट्रैप

हर कीट किसी खास रंग की ओर आकर्षित होता है. अब अगर उसी रंग की शीट पर कोई चिपचिपा पदार्थ लगा कर फसल की ऊंचाई से करीब एक फुट और ऊंचे पर टांग दिया जाए तो कीट रंग से आकर्षित हो कर इस शीट पर चिपक जाते हैं, फिर वे फसल को नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं.

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