इस साल मिज कीट शुरू से ही मुलायम पत्तियों, प्ररोह और बौर को नुकसान पहुंचाता रहा है  और अब नन्हे फलों को भी बरबाद कर रहा है. फलों पर इस की उपस्थिति छोटे से काले धब्बे, जिस के बीचोंबीच बारीक छेद हों, से की जाती है.  इस का प्रबंधन क्विनालफास 25 ईसी के 2 मिलीलिटर या इमिडा क्लोप्रिड के 0.3 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी की दर से छिड़काव कर सकते हैं.

अगर आम के बगीचे में भुनगा कीट का प्रकोप अभी भी हो, तो थायोमेथाक्जाम 25 डब्लूजी 10 ग्राम प्रति 15 लिटर पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करें. खरपतवार नियंत्रण के लिए अगर बाग की जुताई न की गई हो, तो  6 इंच की गहराई तक हलकी जुताई कराएं.

अगर खर्रा रोग के लिए तापमान अनुकूल है और यह विलंबित बौर पर नुकसान कर सकता है, तो इस के लिए सल्फर 2 ग्राम या हेक्साकोनाडोल 5 एसएल की 1 मिलीलिटर  मात्रा प्रति लिटर पानी की दर से छिड़काव कर सकते हैं.

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फलों की अच्छी बढ़ोतरी के लिए 10 से 12 दिन बाद सिंचाई जरूर करें. छोटे फलों को गिरने से बचाने के लिए प्लानोफिक्स  1 मिलीलिटर दवा प्रति 3 लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए. जहां पर फल मक्खी की समस्या गंभीर हो, वहां इस के नियंत्रण के लिए मिथाइल यूजीनोल फैरोमैन ट्रैप

10 ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करना चाहिए.  आम  के बाग के आसपास अगर ईंट के गड्ढे या बाग की मिट्टी बलुई हो तो आम के फल का निचला हिस्सा काला पड़ जाता है या फल फटने की समस्या पाई जाती है. इस के नियंत्रण के लिए जरूरी है कि बोरैक्स 6 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए.

फलों की तोड़ाई से पहले थायोफेनेट मिथाइल 70 डब्लूपी 1 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करें. ऐसा करने से फल की तोड़ाई के बाद होने वाले नुकसान से काफी हद तक बचा जा सकता है.

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आम की तोड़ाई हमेशा सुबह या शाम के समय 8-10 सैंटीमीटर डंठल समेत करनी चाहिए. यदि मुमकिन हो, तो तोड़ाई सिकेटियर की मदद से करें.

भंडारण से पहले फलों को धो लेना चाहिए.  धोने के बाद फलों को एकसमान पकाने के लिए जरूरी है कि इसे इथरेल नामक दवा 1.5 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी  में  घोल कर  5-7 मिनट डुबा कर भंडारण करना चाहिए.

आम को कभी भी कार्बाइड से नहीं पकाना चाहिए, क्योंकि यह सेहत के लिए बहुत ही खतरनाक है.           आम के बागों में

आजकल आम का सीजन जोरों पर है. ज्यादातर किसानों ने आम को तोड़ कर मंडियों में भेज दिया है. कुछ किसानों ने फसल को खुद पकने के लिए छोड़ भी रखा होगा. जिन किसानों के बाग 10 साल या उस से ज्यादा पुराने हैं, उन को अब अपने बागों में उर्वरक प्रबंधन करना चाहिए, ताकि अगले साल भी फल आ सकें. इस के लिए  सड़ी गोबर की खाद, डीएपी, पोटाश, बोरैक्स एजोटोबैक्टर, पीएसबी, माइकोराइजा को मिला कर मिश्रण तैयार कर लें.

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इस मिश्रण को तने से एक मीटर की दूरी पर पेड़ की पूरी कैनोपी के नीचे मिट्टी में मिला कर हलकी सिंचाई करें और बाद में नमी रहने पर चूना, जिंक सल्फेट और यूरिया को भी मिट्टी में मिला दें. इस खाद की आधा मात्रा को फल तोड़ने के बाद जुलाई महीने में और बाकी आधी मात्रा नवंबर महीने में बाग में डालें.

आम के लिए मिट्टी का पीएच मान 7.00 और जीवांश कार्बन 1-3 फीसदी तक सब से अच्छा रहता है. खाद की मात्रा

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1.गोबर की खाद : 100 ग्राम प्रति पेड़

2.पोटाश : 1 किलोग्राम प्रति पेड़

3.जिंक सल्फेट : 200 ग्राम प्रति पेड़

4.बोरैक्स : 100 ग्राम प्रति पेड़

5.कौपर सल्फेट : 100 ग्राम प्रति पेड़

6.केंचुए की खाद : 5 किलोग्राम प्रति पेड़

7.माइकोराइजा : 100 ग्राम प्रति पेड़

8.एजोटोबैक्टर : 100 ग्राम प्रति पेड़

सारी मात्रा को बताई गई विधियों के मुताबिक ही इस्तेमाल करें.ज्यादा जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से संपर्क करें.

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