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क्या सोनम कपूर ने कंगना पर साधा निशाना? सोशल मीडिया पर कह दी ये बात

बॉलीवुड अदाकारा कंगना रनौत ने सुशांत सिंह राजपूत के मौतके बाद से एक से बढ़कर एक बॉलीवुड के खुलासे कर रही हैं. इस बात से पूरी दुनिया हैरान है कि बाहर से दिखने वाला बॉलीवुड अंदर से इतना ज्यादा गंदा कैसे हो सकता है.

कुछ लोग कंगना रनौत के सपोर्ट में नजर आ रहे हैं तो वहीं कुछ लोग सुशांत के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं. वहीं कंगना रनौत के खिलाफ बॉलीवुड का कई गैंग हो गया है जो लगातार कंगना पर निशाना साध रहा है. कंगना के खिलाफ उल्टी सीधी बाते कर रहा है.

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इसी बीच सोनम कपूर ने कुछ ऐसा कह दिया है जिससे सोशल मीडिया पर बवाल मच गया है. सोनम कपूर ने एक ट्विट में लिखा है कि मैंने काफी समय पहले कहा था कि सुअर से नहीं लड़ना चाहिए आप गंदे हो जाते हैं और सुअर को लड़ने में मजा आता है.

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सोनम कपूर के इस ट्विट को लोग कंगना रनौत से जोड़कर देख रहे हैं. उनका मानना है कि सोनम ने मणिकर्णिका एक्ट्रेस पर निशाना साधते हुए अपनी बात कही है.

कंगना रनौत के फैंस इस बात से पूरी तरह से नाराज है कि उन्हें ऐसा क्यों कहा जा रहा है. इस ट्विट के रिएक्शन देखकप आपको भी पता चल जाएगा.

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वहीं कंगना रनौत के कई दिग्गज नेताओं ने भई निशाना साधा हुआ है. उनका मानना है कि वह बॉलीवुड के बारे में गंदी बातें फैला रही है. इससे साफ हो रहा है कंगना की लड़ाई बहुत लंबी है वह जल्द इससे हार नहीं मानने वाली हैं.क्या सोनम कपूर ने कंगना पर साधा निशाना? सोशल मीडिया पर कह दी ये बात

शिल्पा शिंदे ने ‘गैंग्स ऑफ फिल्मिस्तान’ की प्रॉड्यूसर पर लगाएं ये आरोप, मैसेज दिखाकर दिया जवाब

बिग बॉस विनर शिल्पा शिंदे टीवी की दुनिया में वापसी करते ही धमाल मचा दी हैं. वह अपने अपकमिंग शो ‘गैंग्स ऑफ फिल्मिस्तान’ को छोड़ रही हैं. उनका कहना है कि शो में सुनील ग्रोवर से उन्हें बहुत परेशानी हो रही है. वहीं शो कि प्रोड्यूसर प्रीती सिमोस ने कहा है कि उस बात की जानकारी शिल्पा शिंदे ने उन्हें नहीं दिया है कि वह शो को छोड़ रही हैं.

वहीं शिल्पा शिंदे को इस बात की जानकारी मिलते ही उन्होंने इस शो की प्रॉडयूसर को करारा जवाब देते हुए सोशल मीडिया पर उनका मैसेज वायरल कर दिया है. इस मैसेज से साफ हो गया है कि शिल्पा ने बहुत पहले ही अपने प्रॉड्यूसर को शो छोड़ने की जानकारी दे दी थी.

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“THE POT CALLING THE KETTLE BLACK” Suits on you Dear Preeti/ Neeti Simoes @preeti_simoes @neeti_simoes Have some shame Preeti/Neeti Simoes..Screenshot nahi dalne ko bol rahi aur phir khud WhatsApp ki Chat mere replies hide karke media ko de rahi ho? Abhi kya mein bhi poori script post kar du??Maine sirf abhi front page post kiya hai.. “Ek bar clearly apni baat batane ke baad ,I am not answerable to u..Mera NO means NO hota Hai” “DOODH KA DOODH PAANI KA PAANI ABHI HO GAYA HAI”..So Plz stop spreading lies…Asliyat Saamne aa gayi toh mirchi lagi kya?? Abhi phone calls bhi hain jaha maine tumko(Preeti Simoes) clearly bola ki “Mujhe Sunil Grover ji ke sath kaam nahi karna”..Woh bhi daal du??? If you dont want to aggravate this.. So its better plz just concentrate on your ghatiya script & do your job..All the best?? @spotboye_in @pinkvilla @indiaforums @starbharat @lilfrodoproductions

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आगे शिल्पा शिंदे ने अपनी बातों को रखते हुए कहा है कि प्रीती सिमोस आप मेरे बारे में झू बोलना बंद कर दीजिए मैनें जब आपको शो छोड़ने के बारे में बताया था तब आप ही थी जिसने गेटवेल सून कहते हुए कहा था कि सेट पर सभी तुम्हें बहुत ज्यादा मिस करेंगे., और आज आप यह कह रही हैं. आप पर भरोसा करना मुश्किल हो रहा है.

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शिल्पा ने अपनी बातों को बढ़ाते हुए कहा कि कोरोना वायरस के लक्षण मुझे आपके सेट से ही मिले , मुझे किसी बात की परवाह नहीं मेरी तबीयत का ध्यान रखना है मुझे. ऐसे परिस्थिति में अफवाह मत फैलाइए.

 

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Dear, Preeti/Neeti @preeti_simoes @neeti_simoes Stop telling lies as I had already e-mail you on 29th Aug 2020 regarding my issues & wanted to end this matter on happy note & you have replied too I’ve also received flowers & a note stating “Get well soon and missing you at the sets”. Hence kindly stop this drama. I’ve been unwell while shooting at your sets and currently have COVID symptoms. No one is paying for this but only I have to face… So atleast what you could do is not to spread that you are trying to contact me and all. It is a male dominated comedy, I suppose everyone would agree. I don’t understand why are you claiming to have called me again and again. After this bitterness, I doubt I would be able to do a comedy show with you. So let’s not aggravate the situation then what it is already or else let’s end this on positive note. P.S. Screenshot of Mail Sent on 29th Aug 2020.. Swap~ @starbharat

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प्रीती सिमोस पर निशाना साधते हुए कहा कि आपको भई इस बात का अच्छे से पता है कि आपको शो कौन संभाल रहा है. ऐसे में किसी के बारे में भी गलत बातें न करें तो बेहतर होगा.

नए रिश्ते -भाग 3: रानो को आखिर किस अदृश्य धागे ने जोड़ा

‘‘इस के लिए तुम क्या करती हो?’’

‘‘कुछ नहीं. मैं उन्हें घूमने देती हूं.’’

‘‘शादी के पैगाम भी आते होंगे?’’

‘‘हां, कई,’’ नंदा नेपकिन को खोल लपेट रही थी.

‘‘फिर शादी क्यों नहीं की?’’ चिनगारी को फिर हवा मिली.

‘कहा न, अनुभव कड़वा है. विवाह में आस्था नहीं रही.’’

‘‘बौस कैसा है?’’

‘‘अच्छा है. वह भी मुझ से विवाह के लिए निवेदन कर चुका है.’’

‘‘मान लेतीं. बड़ा बिजनैस है, रुपएपैसे की बहार रहती.’’

उन के आपसी अनेक मतभेदों में एक कारण नंदा का बेहद खर्चीला स्वभाव भी था.

‘‘खयाल बुरा नहीं. वह 55 वर्ष का  है. विधुर और गंजा. 1 लड़का और 2 लड़कियां हैं.’’

‘‘फिर?’’

‘‘उस के बच्चों को यह विचार पसंद नहीं. सोचते हैं कि मैं उन के पिता के धन की ताक में हूं. वे लोग इस विचार से काफी परेशान रहते हैं.’’

‘‘तुम क्या सोचती हो?’’

‘‘कुछ सोचती नहीं, सिर्फ हंसती हूं. अच्छा, अपनी बताओ, क्या कर रहे हो आजकल?’’

‘‘बस, नौकरी.’’

‘‘विवाह?’’

‘‘अभी तक तो चल रहा है. नहीं चलेगा तो मजबूरी है. रानो के खयाल से डर लगता है. उस ने रानो को पसंद न किया तो वह मासूम मारी जाएगी. मैं तो दिनभर दफ्तर में रहता हूं. उसे देख नहीं पाता. अभी तो बूआ उस की देखरेख करती हैं, पता नहीं बाद में बूआ रहना पसंद करें या न करें.’’

‘‘तुम यह नहीं कर सकते कि रानो को मुझे दे दो. तुम शादी कर लो. इस से सभी सुखी होंगे,’’ नंदा का स्वर काफी उत्तेजित हो आया था.

‘‘रानो को तुम्हें दे दूं? कभी नहीं, हरगिज नहीं. तुम उस की ठीक से देखभाल नहीं कर सकोगी. अदालत में इतना झगड़ा कर के रानो को लिया है, तुम्हें नहीं दे सकता.’’

नंदा हंसी, ‘‘यह तो अदालत नहीं है. अदालत रानो को खुशियां नहीं दे सकी. तुम्हारी जिद थी, पूरी हो गई. अब तुम्हें स्वयं लग रहा है कि रानो तुम्हारे विवाह में बाधा है या विवाह के बाद वह सुखी नहीं रह सकेगी. रानो को मुझे देने के बाद इस का भय न रहेगा, तुम सुख से रहना.’’

‘‘रानो को तुम्हें दे कर सुख से रहूं? तुम क्या अच्छी तरह उसे रख पाओगी?’’ प्रदीप का स्वर तेज हो गया था.

‘‘मैं उस की मां हूं. बड़े कष्ट से उसे जन्म दिया है. मैं उसे ठीक से नहीं रख पाऊंगी? कम से कम विमाता से तो अच्छी तरह ही रखूंगी.’’

‘‘नहीं, नंदा, रानो का भला मेरे पास रहने में ही है. तुम्हारा जिम्मेदारी का काम तुम्हें समय ही कम देगा. फिर तुम्हारे पास रह कर उसे वह शिक्षा कहां से मिलेगी, जो अच्छे बच्चे को मिलनी चाहिए. ऐश और आराम का जीवन बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा नहीं है.’’

‘‘अच्छा, मैं चलती हूं. बेकार की बातें सुन कर मन और खराब होता है. यह विडंबना ही है कि रानो मेरे और तुम्हारे संयोग से पैदा हुई. मातापिता की गलती का परिणाम बच्चों को भुगतना पड़ता है. इस बात का इस से बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है,’’ नंदा उठ कर जाने लगी.

‘‘वह बात तो तुम से कही ही नहीं जिसे कहने को तुम्हें बुलाया था. तुम रानो से मत मिला करो. वह तुम से मिल कर अस्थिर हो जाती है, टूट जाती है, जीवन से जुड़तेजुड़ते कट सी जाती है. फिर उसे सामान्य करना कठिन हो जाता है.’’

‘‘कैसी विडंबना है कि मां के होते हुए बेटी मातृहीना की तरह पल रही है,’’ नंदा की आंखों से मोटेमोटे आंसू गिरने लगे. उस ने उन्हें पोंछने का कोई उपक्रम नहीं किया. आतेजाते और बैठे लोग उसी की तरफ देखने लगे थे.

प्रदीप स्थिति से काफी त्रस्त हो उठा. अपनी बात दोबारा कहने या बढ़ाने का मौका नहीं था. वह जल्दी से बिल दे कर उठ खड़ा हुआ. नंदा वहीं मेज पर कोहनी टिका कर, सिर छिपा कर फफकने लगी.

उस ने नंदा को बांह का सहारा दे कर उठाया. नंदा रूमाल से मुंह पोंछती उस का सहारा ले कर लड़खड़ाती सी चलने लगी.

दोनों बाहर आ कर कार में बैठ गए. प्रदीप का हाथ नंदा को घेरे रहा.

प्रदीप के अंदर घुमड़ता क्षोभ हर क्षण गलता जा रहा था. वर्षों पहले हुए झगड़े उसे नाटक से लग रहे थे. उन नाटकों का अंत हुआ था अदालत में संबंधविच्छेद के रूप में.

उसे महसूस हुआ कि अपनीअपनी राह जाने के प्रयास के बाद भी वे एक राह के ही राही बने रहे थे. नंदा प्रदीप को भूल सकी, पर रानो को नहीं भूल सकी थी. प्रदीप भी नंदा को भूलने की कोशिश करता रहा, पर रानो का हितअहित उस के जीवन का प्रथम प्रश्न बना रहा, जो उस का रक्त अंश थी, नंदा के शरीर में पली थी.

रानो उन दोनों के मध्य हमेशा ही बनी रही है, बनी रहेगी. चाहे वह और नंदा दुनिया के अलगअलग कोनों पर कितने ही दूर चले जाएं, पर रानो के माध्यम से एक धागा उन दोनों को परस्पर बांधे ही रहेगा.

प्रदीप को लगा वह और नंदा अपनी निर्धारित भूमिका को छोड़ कर किसी और की ही भूमिका अदा कर रहे थे. वे दोनों ही अपने रास्ते से हट गए थे. पतिपत्नी का रिश्ता झुठलाना कठिन नहीं, किंतु मांबेटी का और पितापुत्री का रिश्ता कोई शक्ति झुठला नहीं सकती. बूआ जो कहती हैं, वह शायद ठीक ही है.

उस ने कार स्टार्ट कर दी और घर की तरफ मोड़ दी. नंदा चिरपरिचित रास्ते को पहचान रही थी. वह सीधी हो कर बैठ गई.

‘‘वहां नहीं, रानो को देख कर मेरा कठिनाई से सहेजा हुआ दिल फिर छिन्नभिन्न हो जाएगा. जिस रास्ते को पीछे छोड़ आई हूं उस पर यदि चल ही नहीं सकती तो चाहे जैसे भी हो उस का मोह तो छोड़ना ही होगा.’’

रानो को फिर से देखने की, छाती से चिपटाने की अदम्य इच्छा उस के कलेजे में घुमड़ने लगी.

‘‘क्या तुम रानो से नहीं मिलोगी? वह तुम्हें याद करती, रोतेरोते सो गई है. जागने पर तुम्हें देखेगी तो कितनी खुश होगी.’’

‘‘तुम्हीं तो कह रहे थे कि मुझ से मिल कर वह टूट सी जाती है. दिल से और छलावा करने से क्या लाभ? उसे अब इस टूटे रिश्ते को स्वीकार करना सीख ही लेना चाहिए.’’

नंदा की आंखें रहरह कर भर आ रही थीं. जिस रानो को उस ने जन्म दिया था, दिनरात गोदी में झुलाया था, उस से क्या सचमुच ही उस का रिश्ता टूट गया है? नाता तो उस ने प्रदीप से तोड़ा था. रानो से कब, क्यों और किस तरह उस का नाता टूट गया?

प्रदीप चुपचाप कार चलाता रहा. कार रुकते ही नंदा पागलों की तरह अंदर भागी. रानो अब भी सो रही थी. उस का दिल हुआ वह उसे उठा कर सीने से चिपटा ले, पर वह उस के सिरहाने बैठी उसे देखती रही. आंखों से वात्सल्य छलकाती रही.

उस ने देखा कि प्रदीप की बूआ कमरे में आ रही हैं. उस ने उठ कर उन के पैर छुए. सरला ने नंदा को छाती से लगा लिया. नंदा का अपने पर रहासहा नियंत्रण भी समाप्त हो गया. वह बच्चों की तरह फूट पड़ी. सरला रानो की तरह नंदा को सहलाने लगी.

‘‘नंदा, मैं सब जानती हूं. बस, एक ही बात पूछना चाहती हूं कि तुम और प्रदीप आपस में झगड़ कर अपनीअपनी राह पर चल दिए. आपस में बनी नहीं, संबंध तोड़ दिया. ठीक ही किया, पर रानो को अकेला क्यों छोड़ दिया? तुम दोनों इतनी बड़ी दुनिया में रह भी लोगे, खुशियां भी ढूंढ़ लोगे, अपनेअपने घर भी बसा लोगे, पर क्या रानो का टूटा जीवन कभी साबुत हो सकेगा? कोई भी कुसूर न होने पर भी सब से ज्यादा सजा रानो को ही मिल रही है. बोलो क्यों? ऐसा क्यों हो रहा है?’’

प्रदीप भी कमरे में आ गया था.

सरला का प्रवाह रुक नहीं रहा था. वर्षों से मन में दबे प्रश्न अपना जवाब मांग रहे थे

‘‘मैं तो अविवाहिता निपूती हूं. पति और संतान की चाहना क्या होती है, यह मुझ से ज्यादा कोई नहीं जानता. तुम लोग रुपएपैसों को संभाल कर बटुए और तिजोरी में रखते हो, पर एक अमूल्य जीवन को पैरों तले रौंद रहे हो. रानो अभी एक अविकसित, मुरझाई कली है, बड़ी होने पर वह सिर्फ एक अविकसित मुरझाया फूल बन कर रह जाएगी.

‘‘तुम लोगों ने अपने मानअपमान और अहंपूर्ति के चक्कर में रानो के जीवन को मिलते प्रकाश और हवा के रास्ते क्यों बंद कर दिए? क्यों उस नन्हे से जीवन को दम घोट कर मार रहे हो? यदि तुम दोनों, जो वयस्क और समझदार हो, परस्पर समझौता नहीं कर सकते तो नासमझ रानो की जिंदगी से किस स्तर पर समझौता करने की अपेक्षा करते हो?’’

प्रदीप और नंदा दोनों अपराधी से सिर झुकाए खड़े थे.

‘‘प्रदीप, क्या तू अपनी जिद नहीं छोड़ सकता? बहू, तुम ही क्या अपने मानअपमान के प्रश्न को नहीं पी सकतीं? तुम लोग जो अपना जीवन जी चुके हो, रानो के जीवन और खुशियों की बलि क्यों ले रहे हो? क्या तुम उसे जीने का मौका नहीं दे सकते?’’

सरला को लगा कि वह सहसा बहुत थक चुकी है और अपनी बात उन तक पहुंचाने में असमर्थ है.

उन्होंने अंतिम प्रयास किया, ‘‘प्रदीप और बहू, क्या तुम लोग फिर से एकसाथ नया जीवन नहीं शुरू कर सकते? पुरानी गलतियों को भूल कर नए तरीके से अपने लिए न सही, रानो के लिए क्या यह टूटा घर फिर से साबुत नहीं बनाया जा सकता? ऐसा घर जहां रानो प्रसन्न रह सके, संपूर्ण जीवन जी सके?’’

सरला धीरेधीरे कमरे से बाहर चली गई. प्रदीप और नंदा सोती हुई रानो को देख रहे थे. उन्हें महसूस हुआ कि एक अदृश्य धागा अपने में लपेट कर नए रिश्तों में बांध रहा है- प्रदीप को, नंदा को और रानो को. सहसा लगा कि नन्ही रानो के जीवन का प्रश्न बहुत बड़ा है और उन दोनों के आपसी रिश्ते उस के आगे बिलकुल तुच्छ, नगण्य हो कर रह गए हैं.

नए रिश्ते -भाग 2: रानो को आखिर किस अदृश्य धागे ने जोड़ा

सरला बड़ी अनमनी सी हो उठी.

‘‘तुम लोग पढ़ेलिखे हो और होशियार, पर मैं इतना जरूर कह सकती हूं कि रानो की जिंदगी आज नहीं, तुम और नंदा दोनों मिल कर बहुत पहले ही तोड़ चुके हो. जिस पौधे को कुशल माली की देखरेख में यत्नपूर्वक सुरक्षित रख कर पाला जाना चाहिए था उसे तो तुम झंझावात में अकेला छोड़ चुके हो. मां से मिलने पर कुछ नया घटित नहीं होता, केवल उस के अंदर दबाढंका विद्रोह ही उभरता है. बच्चा चाहे कुछ और न समझे, पर मां से गहरे लगाव की बात उसे समझनी नहीं पड़ती. इस बेचारी की तो मां है, यह कैसे भूल सकती है? तेरी मां तो तुझे 10-12 साल का छोड़ कर इस लोक से चली गई थी, क्या तुझे कभी उस की याद नहीं आई?’’

प्रदीप क्षणभर को शर्मिंदा सा हो उठा, ‘‘नहीं, बूआ, यह ठीक नहीं है. रानो नंदा से मिलेगी तो उस की कमी और भी ज्यादा महसूस करेगी. उसे भूल नहीं सकेगी. जो मिल नहीं सकता, उसे भूल जाना ही अच्छा है.’’

सरला चुप हो गई. बहस करना बेकार था. मानअपमान का प्रश्न इस घर को तोड़ चुका था, पर वह अब भी खत्म नहीं था. सबकुछ देखतेबूझते भी वह मन ही मन यह उम्मीद करती रहती है कि किसी तरह इस टूटे घर में फिर से बहारें आ जाएं.

बूआ की बात से प्रदीप के दिमाग में उबलता हुआ लावा कुछ ठंडा होने लगा था, परंतु फिर भी वह नंदा के व्यवहार से जरा भी प्रसन्न नहीं था. उस ने नंदा का फोन मिलाया :

‘‘नंदा.’’

‘‘कौन? आप?’’

‘‘तुम रानो के स्कूल गई थीं?’’

‘‘हां,’’ नंदा का सूक्ष्म उत्तर था.

‘‘तुम जानती हो, तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. रानो स्कूल से लौटी तो बेहद उत्तेजित थी. वह रोतेरोते सो गई. कम से कम अब तो तुम्हें हम लोगों को शांति में रहने देना चाहिए,’’ न चाहने पर भी प्रदीप के स्वर में सख्ती आ गई थी.

उत्तर में उधर से दबीदबी सिसकियां सुनाई पड़ रही थीं.

‘‘हैलो, हैलो, नंदा.’’

नंदा रोती रही. प्रदीप का भी दिल सहसा बहुत भर आया. उस का दिल हुआ कि वह भी रोने लगे. उस ने कठिनाई से अपने को संयत किया.

‘‘नंदा, क्या कुछ देर को मौडर्न कौफीहाउस में आ सकती हो?’’

‘‘वहां क्या कहोगे? कहीं तमाशा न बन जाए?’’

‘‘जरा देर के लिए आ जाओ, जो मैं तुम्हें समझाना चाहता हूं. वह फोन पर न हो सकेगा.’’

‘‘अच्छा, आती हूं.’’

कौफीहाउस के वातानुकूलित वातावरण में भी प्रदीप के माथे पर पसीना उभर रहा था. उसे लगा कि उस का सख्ती से सहेजा गया जीवन फिर उखड़ने लगा है और भावनाओं की आंधी में सूखे पत्ते सा उड़ता चला जा रहा है. दिमाग विचित्र दांवपेंच में उलझने लगा. वह नंदा के साथ बिताए गए जीवन में घूमने लगा. उसे लगा सभी कुछ उलटपुलट गया है.

उसे अधिक प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी. शीघ्र ही नंदा उस के सामने बैठी थी. पहले से कहीं ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक, हमेशा की तरह आसपास के लोगों की दृष्टि उस के इर्दगिर्द चक्कर काटने लगी. और हमेशा की तरह उस के हृदय में ईर्ष्या की नन्ही चिनगारी जलने लगी. उस ने तुरंत अपने को संयत किया. नंदा का सौंदर्य व आकर्षण और उस की स्वयं की ईर्ष्या प्रवृत्ति एक घर को नष्ट कर के काफी आहुति ले चुकी थी. उसे अब स्वयं को शांत रखना था.

यत्नपूर्वक छिपाने पर भी नंदा के चेहरे पर रुदन के चिह्न मौजूद थे. वह अनदेखे की चेष्टा करने पर भी बारबार नंदा को देखता रहा. नंदा की बड़ीबड़ी आंखें उस पर स्थिर हो गई थीं और वह बेचैनी सी महसूस करने लगा था.

अस्थिरता की दशा में उस ने काफी चीजों का और्डर दे दिया था. वह उस से बात शुरू करने के लिए कोई सूत्र ढूंढ़ने लगा.

‘‘रानो ठीक रहती है?’’  नंदा ने ही झिझकते हुए पूछा.

‘‘हां.’’

‘‘ज्यादा याद तो नहीं करती?’’ नंदा का स्वर भीगने लगा था.

‘‘तुम से मिलने से पहले तो नहीं करती.’’

नंदा को देख कर उसे लगा कि अब वह रो देगी.

‘‘मुझे पता नहीं था कि मैं रानो को इतना याद करूंगी. हर समय उसी के बारे में सोचती रहती हूं. उसे देख कर मन को कुछ शांति मिली, पर क्षणभर को ही.’’

‘‘यह सब तो पहले सोचना चाहिए था,’’ प्रदीप का स्वर बेहद ठंडा था.

‘‘उस समय तो हर चीज, हर व्यक्ति और हर भाव के प्रति मन में कटुता व्याप्त हो गई थी. रानो मुझ से इस तरह छिन जाएगी, यह स्वप्न में भी नहीं सोचा था. कभीकभी मन बेहद भटक जाता है. वह नन्ही सी जान कैसे अपनी देखभाल करती होगी?’’ नंदा की आंखों से आंसू टपकने लगे थे.

नंदा से मिलना पूर्णतया सामान्य नहीं हो सकेगा, इस की तो प्रदीप को संभावना थी. परंतु फिर भी एक सार्वजनिक स्थान पर इस तरह से भाव प्रदर्शन के लिए वह तैयार नहीं था. वह काफी परेशान सा हो उठा.

‘‘आजकल क्या कर रही हो,’’ वह रानो की बात छोड़ कर व्यक्तिगत धरातल पर उतर आया.

‘‘मुंबई की एक फर्म में प्रौडक्ट मैनेजर हूं.’’

‘‘तनख्वाह तो खूब मिलती होगी?’’

‘‘बड़ी फर्म है, अच्छा देते हैं. फिर भी रुचि अच्छी तनख्वाह में नहीं, काम में है. मुझ अकेली को कितना चाहिए. काम अच्छा है. नएनए चेहरे, काफी लोगों से मुलाकात, मन की भटकन से बची रहती हूं.’’

‘‘दोबारा शादी करने की सोची?’’

‘‘एक बार का अनुभव क्या काफी नहीं?’’ स्वर में व्यंग्य छिपा था.

‘‘फिर भी, कभी तो सोचा होगा. तुम अभी जवान हो, खूबसूरत भी, कुछ समय बाद यह स्थिति नहीं रहेगी.’’

‘‘जवान दिखने पर भी इस तरह के अनुभव स्त्री को मन से बूढ़ी बना देते हैं. फिर जो कभी न सोचा था वह हो गया, अब सोच कर ही क्या कर पाऊंगी?’’

‘‘काम भी ऐसा है. लोग तुम्हारी ओर आकर्षित तो होते होंगे,’’ प्रदीप अपनी बात पर अड़ा रहा. न चाहने पर भी ईर्ष्या की बेमालूम चिनगारी हवा पाने लगी.

नंदा उदास सी हंसी हंस दी, ‘‘मेरातुम्हारा चोरसिपाही वाला रिश्ता तो खत्म हो चुका है, फिर छिपा कर भी क्या करना है. मैं स्वयं किसी की तरफ आकर्षित नहीं हूं, पर मेरे चारों ओर घूमने वालों की कमी नहीं है. जैसा कि तुम ने कहा, मैं अभी खूबसूरत भी हूं, जवान भी.’’

पूसा डीकंपोजर से बनाएं कंपोस्ट

कंपोस्ट एक कार्बनिक पदार्थ है, जिसे कृषि अवशेषों को सड़ागला कर बनाया जाता है.यह पौधों को बढ़ने में उर्वरक की तरह मदद करता है. फसल अवशेषों से कंपोस्ट बनाना बेहद आसान है.कंपोस्ट बनाने के लिए फसल के बाद बचीखुची खेती की बेकार चीजों जैसे पुआल, फूल, पत्ते, घास, सब्जियां वगैरह के अवशेष और पशुओं के मल जैसे गाय, भैंस, मुरगी व रसोई का हरा कचरा पर्याप्त होते हैं.

धान के पुआल के अलावा सब्जियों, मक्का, दलहनी फसलों के अवशेष, पेड़ों की पत्तियां वगैरह का भी अच्छी क्वालिटी का कंपोस्ट बना सकते हैं.

इन फसल अवशेषों का तेजी के साथ जैव विघटन यानी कंपोस्ट खाद बनाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली के सूक्ष्म जीव विज्ञान संभाग द्वारा एक कंपोस्ट कल्चर पूसा डीकंपोजर विकसित किया है. इसे हम आसान भाषा में टीका भी कह सकते हैं.

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इस कंपोस्ट कल्चर टीका की मदद से फसल या कंपोस्ट बनाने की प्रक्रिया तेजी से होती है और उच्च गुणवत्ता वाली कंपोस्ट से मिट्टी में मौजूद पोषक तत्त्वों का सुधार होता है. इस कंपोस्ट को अच्छी क्वालिटी का जैविक खाद माना गया है.

कंपोस्ट बनाने की सरल पिट या गड्ढा विधि

सब से पहले कंपोस्ट बनाने के लिए किसानों को पशुओं के बाड़े के पास गड्ढा बनाना चाहिए, जिस से अवशेषों को डालने में आसानी हो.

गड्ढा जमीन की सतह से ऊपर होना चाहिए, जिस से बाहरी पानी गड्ढे में न आ सके. इस के अलावा गड्ढे के ऊपर टिन या खपरैल की छत बनानी चाहिए, ऐसा करने से बारिश का पानी अंदर नहीं गिरता और चील, कौए व दूसरे पक्षी का कोई भी अवांछित पदार्थ जैसे मरे हुए चूहे, छिपकली व हड्डियां वगैरह नहीं फेंक सकते और पक्षियों की बीट यानी मल उस के ऊपर नहीं गिरता, जिस से फालतू के खरपतवार नहीं उग पाते.

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गड्ढे को पक्का बनाने से पानी और पोषक तत्त्वों का जमीन के अंदर रिसाव नहीं हो पाता. गड्ढे की गहराई 1.0 मीटर, चौड़ाई

2 मीटर और लंबाई 8 मीटर होनी चाहिए.

गड्ढे को 2 तरीकों से भरा जा सकता है, लेकिन जब भी गड्ढा भरना हो, उसे 24 घंटे में संपूर्ण कर देना चाहिए.

गड्ढे में सब से पहले धान के पुआल या सूखी पत्तियों की 1-2 परत फैलाई जाती है, फिर उस में गोबर/फार्म से निकला कचरा, कुक्कुट बीट व पूसा डीकंपोजर, पुरानी सड़ीगली खाद, उर्वरक मिट्टी का घोल बना कर एकसमान तरीके से छिड़काव किया जाता है. इस प्रक्रिया को तब तक दोहराया जाता है, जब तक गड्ढा पूरा न भर जाए.

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मिश्रण बनाने का तरीका

इस विधि में फसल के अवशेष, गोबर या कुक्कुट बीट, पुराना कंपोस्ट व उर्वरक मिट्टी का अनुपात क्रम के हिसाब से 8:1:0.5:0.5  में रखा जाता है. सूखे पुआल के लिए कम से कम 90 फीसदी नमी हो. पानी की मात्रा अधिक नहीं होनी चाहिए. एक मुट्ठी में मिश्रण को दबा कर देखने से बूंदबूंद पानी गिरना चाहिए. सारे मिश्रण को गड्ढे में पूसा कंपोस्ट कल्चर यानी टीका के साथ मिला कर सड़नेगलने के लिए छोड़ देना चाहिए. अधिक गरमी या सर्दी होने पर सब से ऊपर एक हलकी परत मिट्टी की डालनी चाहिए, इस से नमी की मात्रा कम नहीं होती है.

15 दिनों के अंतर पर गड्ढे के अंदर पलटाई की जाती है और इसी तरह से अगले 15 दिनों के अंतर पर 3 पलटाई की जाती हैं.

धान का पुआल 90 दिनों में, सूखी पत्तियां 60 दिनों में और हरी सब्जियों के अवशेष

45 दिनों में पूरी तरह सड़गल जाते हैं और उत्तम गुणवत्ता वाली कंपोस्ट तैयार हो जाती है. तैयार खाद गहरी भूरी, भुरभुरी व बदबूरहित होती है.

   कंपोस्ट के लाभ

* कंपोस्ट के प्रयोग से मिट्टी अपने अंदर अधिक मात्रा में कार्बनिक कार्बन का संगठन करती है, जिस के बहुत लाभकारी प्रभाव होते हैं.

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* निरंतर कंपोस्ट का प्रयोग करने से मिट्टी की अपने अंदर हवा और पानी बनाए रखने की कूवत व मात्रा बढ़ जाती है.

* भूमि नरम हो जाती है. पौधों की जड़ें गहराई तक जाती हैं और जुताई आसानी से हो जाती है.

* मिट्टी में पोषक तत्त्वों का संतुलन बना रहता है. पोषक तत्त्वों से समृद्ध खाद के प्रयोग से मिट्टी की सेहत में काफी सुधार हो जाता है.

* कंपोस्ट बनाना और बेचना एक कामयाब धंधा भी है

और यह देश के नौजवानों की बेरोजगारी को दूर करने में मददगार हो सकता है.

Nutrition Week: हेल्थ के लिए बेस्ट है शुगरफ्री डाइट, ध्यान रखें ये बातें

बिना चीनी वाला भोजन न केवल कई तरह की गंभीर बीमारियों से बचाता है, बल्कि वजन कम करने में भी मदद करता है. लेकिन ऐसे भोजन लेना शुरू करने से पहले कुछ चीजों को समझ लेना बेहद जरूरी है.

शुगरफ्री भोजन क्या है

शुगरफ्री भोजन का मतलब है कि उस में हर तरह की जरूरत से ज्यादा या छिपी चीनी का सेवन बंद. इस में सिंपल कार्बोहाइडे्रट भी शामिल हैं. रोजाना 350 कैलोरी से अधिक शुगर लेने से मोटापा, मधुमेह और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.

इस के अलावा जरूरत से ज्यादा शुगर लेना शरीर के इम्यून सिस्टम को भी कमजोर बनाता है. कुछ लोग सोचते हैं कि शुगरफ्री भोजन का अर्थ है हर तरह की चीनी लेना बंद कर देना. लेकिन ऐसा नहीं है. इस में अनाज और फलों की मात्रा को कम करना चाहिए, लेकिन बंद बिलकुल नहीं करना चाहिए.

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कैसे करता है काम

शुगरफ्री भोजन करने से ब्लड शुगर में अचानक बदलाव नहीं आता. इस में ज्यादा ग्लाइसेमिक से युक्त खाने वाली चीजें शामिल होती हैं, जिन का सीधा असर ब्लड शुगर और ग्लूकोज के स्तर पर पड़ता है. कम ग्लाइसेमिक से युक्त चीजें पचाने में ज्यादा मुश्किल होती हैं. इन्हें लेने से मैटाबोलिक रेट में सुधार होता है और आप पेट भरा हुआ महसूस करते हैं. आप के शरीर में प्रोटीन और वसा से ऊर्जा पैदा होती है. इस से धीरेधीरे वजन भी कम होने लगता है.

शुगरफ्री डाइट प्लान

ऐसे भोजन में कई खाने वाली चीजों को पूरी तरह बंद कर दिया जाता है. कुछ को ही शामिल किया जाता है. खट्टे फल ज्यादा खाए जाते हैं.

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क्या खाएं

– ज्यादा फाइबर वाली चीजें जैसे ब्रोकली, चाइना सीड, बैरी, टमाटर, भूरे चावल आदि.

– सेहतमंद वसा जैसे जैतून का तेल, अखरोट, बादाम, कद्दू के बीच आदि.

– खट्टी चीजें जैसे अचार, टोफू, सिरका, नीबू का रस आदि.

– चिकन बोन ब्रोथ, दालें, बींस, सालमन फिश, अंडे, कच्चा चीज आदि.

क्या न खाएं

– जंक फूड, मिठाई, कैंडी, फलों का रस.

– रिफाइंड अनाज से बनी चीजें.

– सोडा और मीठे पेय.

– गन्ने से बनी चीनी और टेबल शुगर.

शुगरफ्री भोजन के फायदे

– इस से वजन कम होता है और डायबिटीज की संभावना भी कम होती है.

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– इस तरह का भोजन मोटापे से बचाता है और ब्लड शुगर का लैवल नौर्मल बनाए रखता है. ब्लड शुगर में अचानक उतारचढ़ाव नहीं आता.

– लंबे समय तक ऊर्जा देता है. आम चीनी सिंपल कार्बोहाइडे्रट होते हैं. ये जल्दी पचते हैं और तुरंत खून में चले जाते हैं. इस से ब्लड शुगर का लैवल बढ़ जाता है. लेकिन जैसे ही यह चीनी मैटाबोलाइज हो जाती है. ब्लड शुगर कम हो जाती है. शुगरफ्री चीजों को पचने में ज्यादा समय लगता है. इस से दिनभर ब्लड शुगर का लैवल एक जैसा बना रहता है.

– त्वचा को जवां और खूबसूरत बनाता है. शुगरफ्री भोजन के द्वारा आप एजिंग के लक्षणों को रोक सकते हैं.

– हर कोई जानता है कि रोजाना चीनी वाली चीजें खाने से वजन बढ़ता है, जिस का सब से ज्यादा असर पेट पर पड़ता है.

– चीनी वाला भोजन ब्लड शुगर को बढ़ाता है,  जिस से शरीर में इंसुलिन ज्यादा बनने लगता है, समय के साथ जरूरत से ज्यादा ग्लूकोज पेट पर जमने लगता है. विसरल फैट की ये कोशिकाएं सब से ज्यादा खतरनाक होती हैं, क्योंकि इन से ऐडिपोंिंकस और ऐडिपोज हारमोन बनते हैं, जो खून की नलियों और शरीर के अंगों में पहुंच कर सूजन पैदा करते हैं, दिल की बीमारियों और कैंसर तक का कारण बन सकते हैं. चीनी कम करते ही पेट पर जमी वसा कम होने लगती है और आप खतरनाक बीमारियों से बच जाते हैं.

– पाचनतंत्र की बात करें तो कम चीनी और ज्यादा फाइबर वाला भोजन आप को इरिटेबल बाउल सिंड्रोम यानी आंतों का रोग, पेट फूलना, कैंडिडा, बैक्टीरिया के संक्रमण से बचाए रखता है.

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– चीनी का सेवन कम करने से फैटी लिवर रोग की संभावना कम हो जाती है. आप कई तरह के कैंसर से भी बचे रहते हैं.

– शुगरफ्री भोजन के द्वारा शरीर की सूजन को कम किया जा सकता है.

– कैंडिडा वायरस के इलाज में भी शुगरफ्री भोजन लेने की सलाह दी जाती है.

– श्रुति शर्मा, बैरिएट्रिक काउंसलर ऐंड न्यूट्रिशनिस्ट, जेपी हौस्पिटल, नोएडा

Crime Story: गजाला के प्यार में डूबा शाहिद

10जुलाई, 2020 की सुबह आगरा के महात्मा दूधाधारी इंटर कालेज के पास नगला कमाल के रास्ते पर एक युवक की लाश पड़ी थी. सूचना मिलते ही मौके पर गांव वाले पहुंच गए, भाजपा नेता उदय प्रताप भी वहां पहुंचे. उन्होंने इस की सूचना थाना खेरागढ़ पुलिस को दे दी.लाश पड़ी होने की सूचना पा कर थानाप्रभारी अवधेश अवस्थी पुलिस टीम के मौके पर पहुंच गए. वहां पहुंच कर उन्होंने फौरेंसिक टीम और डौग स्क्वायड टीम को भी बुलवा लिया. इस के बाद थानाप्रभारी ने लाश का निरीक्षण किया. मृतक की उम्र 28 से 30 वर्ष के बीच रही होगी. उस के गले पर किसी तेज धारदार हथियार के निशान थे. कपड़ों की तलाशी ली गई तो उस की पैंट की जेब में आधार कार्ड मिला.

आधार कार्ड मृतक का ही था. उस में उस का नाम शाहिद खान लिखा था. पता कटघर ईदगाह, आगरा लिखा था. इस के अलावा कोई साक्ष्य नहीं था. आधार कार्ड को जाब्ते में लेने के बाद थानाप्रभारी ने जरूरी काररवाई पूरी कर लाश पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दी. फिर थाने वापस लौट आए.पुलिस ने इस की सूचना मृतक के घरवालों को दे दी. शाहिद की हत्या की खबर मिलते ही घर में हाहाकार मच गया. घर वाले थाने पहुंच गए. थानाप्रभारी अवस्थी ने उन से पूछताछ की तो पता चला मृतक शाहिद खान खुद का टैंपो चलाता था. 4 साल से वह पत्नी गजाला और 2 बच्चों के साथ रैना नगर, धनौली में किराए पर रह रहा था. उन से पूछताछ के बाद पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया.

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थानाप्रभारी अवधेश अवस्थी मृतक के घर गए तो घर पर शाहिद की पत्नी गजाला मिली. पूछने पर उस ने बताया कि एक दिन पहले यानी 9 जुलाई की शाम शाहिद टैंपो ले कर निकला था, तब से वापस नहीं आया.
थाने लौटने के बाद थानाप्रभारी अवस्थी ने मामले पर विचार किया कि कहीं शाहिद की हत्या की वजह लूटपाट तो नहीं है, क्योंकि उस का टैंपो भी नहीं मिला था. लेकिन अगले ही पल दिमाग में आया कि हत्या लूट के लिए की गई होती तो लुटेरे लाश को इतना दूर क्यों फेंकते.इंसपेक्टर अवस्थी ने दिमाग पर जोर दिया तो उन्हें शाहिद की पत्नी गजाला की हरकतें कुछ अटपटी लगीं. जब वह शाहिद के घर गए थे तो गजाला घबराई हुई थी. वह रो तो रही थी लेकिन उस की आंखें बराबर इधरउधर चल रही थीं. वह बराबर पुलिस की गतिविधि पर नजर रख रही थी.

थानाप्रभारी को गजाला पर शक हुआ तो उन्होंने उस के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. उस की काल डिटेल्स में एक ऐसा नंबर था, जिस पर वह रोजाना बातें करती थी. वह नंबर रैना नगर के ही रहने वाले राहुल हुसैन का था.इस के बाद सर्विलांस टीम की मदद ली गई. सर्विलांस टीम ने जांच की तो पता चला घटना वाले दिन 9 जुलाई की शाम को राहुल हुसैन शाहिद खान के साथ था. यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने 12 जुलाई को राहुल हुसैन को गिरफ्तार कर लिया. उस से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस के दोस्त इमरान को भी उठा लिया. दोनों से पूछताछ के बाद गजाला को उस के घर से गिरफ्तार किया गया. तीनों से जब पुलिसिया अंदाज में पूछताछ की गई तो उन्होंने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया.

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30 वर्षीय शाहिद खान आगरा के खेरागढ़ के कटघर ईदगाह (रकाबगंज) मोहल्ले में रहने वाले हबीब खान का बेटा था. 2 भाइयों में सब से बड़ा शाहिद अपना खुद का टैंपो चलाता था.8 साल पहले शाहिद का निकाह रैना नगर, धनौली (मलपुरा) में रहने वाली गजाला के साथ हुआ था. शाहिद गजाला जैसी खूबसूरत पत्नी पा कर बहुत खुश था. जबकि सांवले रंग के साधारण शौहर शाहिद से गजाला खुश नहीं थी. दरअसल गजाला ने अपने मन में जिस तरह शौहर की कल्पना की थी, शाहिद वैसा नहीं था. गजाला ने सपना संजो रखा था कि उस का शौहर हैंडसम और सुंदर होगा. जबकि शाहिद उस की अपेक्षाओं के बिलकुल विपरीत था.

गजाला अपने हिसाब से उसे मौडर्न बनाने की कोशिश भी करती, शाहिद फैशनेबल कपड़े पहनता भी तो उस पर वे जंचते नहीं थे, वह रंगरूप से मात खा जाता था. गजाला मन मसोस कर रह जाती. इसी चक्कर में वह कुंठित और चिड़चिड़ी हो गई. वह बातबात में शाहिद से झगड़ने लगती थी. उस की यह आदत सी बन गई थी.पतिपत्नी के रोजरोज के झगड़ों से शाहिद के घरवाले परेशान रहने लगे. इस सब के चलते गजाला एक बेटा और एक बेटी की मां बन गई. 4 साल पहले शाहिद रैना नगर, धनौली में ससुराल के पास किराए पर कमरा ले कर रहने लगा.शाहिद सुबह टैंपो ले कर निकल जाता तो देर रात घर लौटता था. उस के चले जाने के बाद चंचल हसीन और खूबसूरत गजाला को रोकनेटोकने वाला कोई नहीं था. उस का मन नहीं लगता तो वह बनसंवर कर घर से निकल कर ताकझांक करने लगती. चूंकि पास में ही उस का मायका था, इसलिए वह कुछ देर के लिए मायके चली जाती थी.

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गजाला भले ही 2 बच्चों की मां बन गई थी, लेकिन उस की महत्त्वाकांक्षा उसे चंचल बना रही थी, मर्यादा हनन करने को उकसा रही थी.रैना नगर में ही राहुल हुसैन रहता था. वह अपने मांबाप की एकलौती संतान था. देखने में स्मार्ट और अविवाहित. गजाला जब उस के मोहल्ले में पति के साथ रहने आई, तभी उस की नजर गजाला पर पड़ चुकी थी. उसे गजाला का रूपसौंदर्य पहली नजर में ही भा गया था.गजाला राहुल से परिचित थी. शाहिद के घर न होने पर राहुल उसके पास पहुंचने लगा. गजाला को उस से बात करना अच्छा लगता था. चंद मुलाकातों में दोनों के बीच काफी नजदीकियां हो गईं. राहुल और गजाला में हंसीमजाक भी होने लगी. गजाला राहुल के मजाक का बिलकुल बुरा नहीं मानती थी. राहुल बातूनी था, इसलिए वह भी उस से खूब बतियाती थी. दरअसल गजाला के दिल में राहुल के प्रति चाहत पैदा हो गई थी.
राहुल जब भी उस के रूपसौंदर्य की तारीफ करता तो गजाला के शरीर में तरंगें उठने लगती थीं. 2 बच्चों की मां बनने के बाद गजाला का गदराया यौवन और रसीला हो गया था. आंखों में मादकता छलकती थी.

एक दिन राहुल ने उस के हुस्न और जिस्म की तारीफ की तो वह गदगद हो गई. फिर वह बुझे मन से बोली, ‘‘ऐसी खूबसूरती किस काम की, जिस पर शौहर ध्यान ही न दे.’’राहुल को गजाला की ऐसी ही किसी कमजोर नस की ही तलाश थी. जैसे ही उस ने पति की बेरुखी का बखान किया, राहुल ने उस का हाथ थाम लिया, ‘‘तुम क्यों चिंता करती हो, हीरे की परख जौहरी ही करता है. आज से तुम्हारे सारे दुख मेरे हैं और मेरी सारी खुशियां तुम्हारी.’’राहुल की लच्छेदार बातों ने गजाला का मन मोह लिया. वह उस की बातों और व्यक्तित्व की पूरी तरह कायल हो गई. उस के दिल की धड़कनें बढ़ गईं. मन बेकाबू होने लगा तो गजाला ने थरथराते होठों से कहा, ‘‘अब तुम जाओ. उन के आने का समय हो गया है. कल दोपहर में आना, मैं इंतजार करूंगी.’’

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राहुल ने वह रात करवटें बदलते काटी. सारी रात वह गजाला के खयालों में डूबा रहा. सुबह वह देर से जागा. दोपहर तक सजसंवर कर वह गजाला के घर पहुंचा. गजाला उसी का इंतजार कर रही थी. उस ने उस दिन खुद को विशेष ढंग से सजायासंवारा था. राहुल ने पहुंचते ही गजाला को अपनी बांहों में समेट लिया, ‘‘आज तो तुम हूर लग रही हो.’’‘‘थोड़ा सब्र से काम लो. इतनी बेसब्री ठीक नहीं होती.’’ गजाला ने मुसकरा कर कहा, ‘‘कम से कम दरवाजा तो बंद कर लो, वरना किसी आनेजाने वाले की नजर पड़ गई तो हंगामा हो जाएगा.’’

राहुल ने फौरन कमरे का दरवाजा बंद कर लिया. जैसे ही उस ने अपनी बांहें फैलाईं तो गजाला उन में समा गई. राहुल के तपते होंठ गजाला के नर्म और सुर्ख अधरों पर जम गए. इस के बाद एक शादीशुदा औरत की पवित्रता, पति से वफा का वादा सब कुछ जल कर स्वाहा हो गया.अवैध संबंधों का यह सिलसिला एक बार शुरू हुआ तो फिर रुकने का नाम नहीं लिया. ऐसी बातें समाज की नजरों से कब तक छिपी रह सकती हैं. शाहिद की गैरमौजूदगी में राहुल का उस के कमरे पर बने रहना पड़ोसियों के मन में शक पैदा कर गया. किसी पड़ोसी ने यह बात शाहिद के कान में डाल दी. यह सुन कर उस पर जैसे पहाड़ टूट पड़ा.

बीवी के बारे में ऐसी बात सुन कर शाहिद परेशान हो गया. उस का काम से मन उचट गया. बड़ी मुश्किल से शाम हुई तो वह घर लौट आया. गजाला को पता नहीं था कि उस के शौहर को उस की आशनाई के बारे में पता चल गया है. वह खनकती आवाज में बोली, ‘‘क्या बात है, आज बड़ी जल्दी घर लौट आए.’’
‘‘सच जानना चाहती हो तो सुनो. तुम जो राहुल के साथ गुलछर्रे उड़ा रही हो, मुझे सब पता चल गया है.’’ शाहिद ने बड़ी गंभीरता से कहा, ‘‘अब तुम्हारी भलाई इसी में है कि मुझ से बिना कुछ छिपाए सब कुछ सचसच उगल दो. उस के बाद मैं तुम्हें बताऊंगा कि तुम्हारा क्या करना है.’’गजाला शौहर की बात सुन कर अवाक रह गई. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक न एक दिन शाहिद को सब पता चल जाएगा. भय के मारे उस का चेहरा उतर गया. वह घबराए स्वर में कहने लगी, ‘‘जिस ने भी तुम से मेरे बारे में यह सब कहा है, वह झूठा है. लोग हम से जलते हैं, इसलिए किसी ने तुम्हारे कान भरे हैं.’’

गजाला ने जान लिया था कि अब त्रियाचरित्र दिखाने में ही उस की भलाई है. वह भावुक स्वर में बोली, ‘‘मैं कल भी तुम्हारी थी और आज भी तुम्हारी हूं. कोई दूसरा मेरा बदन छूना तो दूर मेरी ओर देखने की हिम्मत भी नहीं कर सकता. ‘‘तुम मुझ पर यकीन करो. तुम ने जो कुछ सुना है, वह सिर्फ अफवाह है. कुछ लोग मेरे पीछे पड़े हैं, वह मुझे हासिल नहीं कर सके तो हमारे बीच आग लगा कर हमारा जीना हराम करना चाहते हैं.’’

आखिरकार गजाला की बातों से शाहिद को लगा कि वह सच कह रही है. उस ने गजाला पर यकीन कर लिया. घर में कुछ दिन और शांति बनी रही. फिर एकदो लोगों ने टोका, ‘‘शाहिद, तुम दिन भर बाहर रहते हो, देर रात को लौटते हो. इस बीच गजाला किस के साथ गुलछर्रे उड़ा रही है, तुम्हें क्या मालूम, अब भी समय है, चेत जाओ वरना ऐसा न हो कि किसी दिन तुम्हें पछताना पड़े.’’

शाहिद को उन की बात समझ में आ गई. वह जान गया कि धुंआ तभी उठता है, जब कहीं आग लगती है. उस ने गजाला को चेतावनी दी कि अब कभी उस ने कोई गलत काम किया तो अंजाम अच्छा नहीं होगा. अच्छा हुआ भी नहीं. कोई न कोई गजाला की खबर उस तक पहुंचा देता था, इस से आजिज आ कर शाहिद गजाला के साथ झगड़ा और मारपीट करने लगा.

घटना से 6 दिन पहले गजाला की बहन तनु की शादी थी. शाहिद ने शादी के बाद भी गजाला को पीटा. गजाला पति से परेशान हो चुकी थी. उस ने फोन पर रोतेरोते यह बात राहुल को बताई. वैसे भी गजाला राहुल से निकाह कर के उस के साथ रहने का मन बना चुकी थी. राहुल भी यही चाहता था. ऐसे में राहुल ने शाहिद को रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया. गजाला को उस ने बताया तो उस ने भी अपनी सहमति दे दी. शाहिद की हत्या करने के लिए राहुल ने अपने दोस्त इमरान को भी शामिल कर लिया. वह उसी मोहल्ले में रहता था.

9 जुलाई, 2020 की देर शाम को राहुल ने शाहिद का टैंपो भाड़े पर बुक किया और उसे सब्जी मंडी बुलाया. वहां राहुल इमरान के साथ पहले से मौजूद था. शाहिद के वहां पहुंचने पर राहुल ने उसे कोल्ड ड्रिंक पिलाई, जिस में उस ने नशीली गोलियों का पाउडर मिला दिया था. कोल्ड ड्रिंक पी कर शाहिद
बेहोश हो गया. दोनों ने उसे टैंपो की पिछली सीट पर लिटा दिया. इमरान टैंपो चलाने लगा.
दोनों बेहोश हुए शाहिद को दूधाधारी इंटर कालेज के पास ले गए. वहां दोनों ने तेज धारदार चाकू से शाहिद का गला रेत कर उस की हत्या कर दी और उस की लाश वहीं फेंक कर फरार हो गए.
लेकिन आखिरकार कानून की गिरफ्त में आ ही गए. राहुल और इमरान की निशानदेही पर पुलिस ने आलाकत्ल चाकू और शाहिद का टैंपो भी बरामद कर लिया. इस के बाद कानूनी लिखापढ़ी कर के गजाला, राहुल और इमरान को न्यायालय में पेश किया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया़

नए रिश्ते -भाग 1: रानो को आखिर किस अदृश्य धागे ने जोड़ा

रानो घर में दौड़ती हुई घुसी. बस्ता एक तरफ पटक कर वह सरला से लिपट गई. ‘‘दादी बूआ, दादी बूआ, आज हमें मम्मी मिली थीं. हमें मम्मी मिली थीं, दादी बूआ.’’

रानो बड़े उत्तेजित स्वर में बताती जा रही थी कि मम्मी ने उसे क्याक्या खिलाया, क्याक्या कहा.

सरला उस की बातें सुनती रही, उस के सिर और शरीर को सहलाती रही. न रानो के स्वर की उत्तेजना कम हुई थी और न ही सरला के शरीर पर उस के नन्हे हाथों की पकड़ ढीली पड़ी थी. वह अपनी समस्त शक्ति से दादी बूआ के शरीर से चिपटी रही जैसे वही एकमात्र उस का सहारा थी. कुछ ही देर में रानो की उत्तेजना आंसू बन कर टपकने लगी.

‘‘मम्मी घर क्यों नहीं आतीं, दादी बूआ? वे दूसरे घर में क्यों रहती हैं? सब की मम्मी घर में रहती हैं, मेरी मम्मी क्यों नहीं रहतीं? मैं भी यहां नहीं रहूंगी, मैं भी मम्मी के पास जाऊंगी, दादी बूआ.’’

रानो का रोना बढ़ता ही जा रहा था. सरला की समझ में नहीं आ रहा था कि वह उसे कैसे चुप कराए. वह उसे चिपटाए हुए उस का शरीर सहलाती रही. रानो की व्यथा उस की स्वयं की व्यथा बनती जा रही थी. उस की आंखें रहरह कर भरी आ रही थीं. रानो की मम्मी घर पर क्यों नहीं रहतीं, यह क्या वह स्वयं ही समझ सकी थी?

जब वह बूढ़ी होने पर यह बात नहीं जान पाई थी कि रानो की मम्मी उस के साथ क्यों नहीं रहती तो बेचारी रानो ही कैसे समझ सकती थी. वह और रानो तो अल्पबुद्धि थे, यह सब नहीं समझ सकते थे, परंतु प्रदीप तो अपने को बड़ा बुद्धिमान समझता था. क्या उस के पास ही इस बात का कोई उत्तर था और नंदा ही क्या इस का उत्तर जानती थी? वे दोनों समझते हैं कि वे जानते हैं, पर शायद वे भी नहीं जानते कि वे दोनों मिल कर क्यों नहीं रह सके.

वह रानो को कस कर छाती में दबाए रही, जैसे इसी से वह उसे दुनिया के सारे दुखों से बचा लेगी. उस के हाथों के नीचे नन्हा सा शरीर सुबकता हुआ हिचकोले ले रहा था. वह मन ही मन अपना सारा स्नेह और ममता रानो पर उड़ेल रही थी. धीरेधीरे रानो शांत होने लगी और कुछ ही देर में वह बचपन की शांत गहरी नींद में खो गई. उस का आंसुओं की लकीरों से भरा मासूम चेहरा वेदना की साकार मूर्ति लग रहा था.

जिस नन्ही सी कोमल कली को मां की छाया में पलना चाहिए था, उसे मांविहीना कर के कड़ी धूप में झुलसने को छोड़ दिया गया था.

सरला किचन की टेबल पर सब्जी काटने लगी. मन बहुत सी उलझी हुई गुत्थियों में उलझने लगा.

सत्य क्या है, कौन जान सकता है? वह जीवन में बहुत सी कमियों को झेलती रही थी. उस ने विवाह नहीं किया था. एक छोटी नौकरी के चक्कर में कितने ही लड़कों को न कर दिया था. बाद में मातापिता की मृत्यु के बाद वह इन अभावों को सहती हुई अकेली जीवन व्यतीत करती रही थी. परंतु नंदा को तो सबकुछ मिला था – एक स्वस्थ, सुंदर पति तथा फूल सी प्यारी बिटिया. उस ने किस तरह, कैसे उन्हें हाथ से निकल जाने दिया, क्या उस के लिए पति तथा पुत्री का कोई महत्त्व नहीं था? कुछ तो होगा बहुत ही बड़ा, बहुत ही महत्त्वपूर्ण, जो इन अभावों की पूर्ति कर सका होगा.

वह तो अपने पतिविहीन तथा संतानहीन जीवन को एक यातना समझ कर जी रही थी, परंतु नंदा के लिए इन दोनों का होना ही शायद यातना बन गया था, तभी वह अपने खून और जिगर के टुकड़े को छोड़ कर जा सकी थी. अन्य दिनों की तरह वह आज भी इस प्रश्न को टटोलती रही, पर कोई उत्तर न पा सकी.

प्रदीप आ गया था.

‘‘रानो कहां है, बूआ? दिखाई नहीं दे रही, क्या बाहर खेलने गई है?’’

‘‘सो रही है.’’

‘‘इस समय? तबीयत तो ठीक है?’’ प्रदीप चिंतातुर हो उठा.

‘‘तबीयत तो ठीक है पर उस का मन ठीक नहीं है,’’ बूआ की बात सुन कर प्रदीप प्रश्नचिह्न बना उसे देखता रहा.

‘‘आज उसे उस की मम्मी मिली थी.’’

‘‘क्या नंदा यहां आई थी?’’

‘‘नहीं. वह स्कूल के बाद उसे मिली थी. रानो लौटी तो बेहद उत्तेजित थी. घर आ कर मम्मी को याद करती रोतेरोते सो गई.’’

‘‘कैसी नादानी है नंदा की. बच्ची से मिल कर उसे इस तरह हिला देने का क्या मतलब है? यह तय हो चुका है कि बिना मेरी अनुमति के वह रानो से मिलने की चेष्टा नहीं करेगी. उस ने ऐसा क्यों किया?’’ क्रोध के मारे प्रदीप की कनपटी की नसें फड़क रही थीं.

सरला चुपचाप बैठी सब्जी काटती रही. वह क्या उत्तर दे इन प्रश्नों का. या तो वह पागल है या ये लोग, प्रदीप और नंदा, जो प्राकृतिक सत्य को झुठला कर कोई दूसरा सत्य स्थापित करने की चेष्टा कर रहे हैं. मां अपनी कोखजायी बेटी से बिना अनुमति नहीं मिल सकती? यह कैसा और कहां का नियम है? क्या खून के रिश्तों को कानून के दायरे से घेरा जा सकता है?

प्रदीप दनदनाता हुआ बाहर जाने लगा.

बूआ ने रोका, ‘‘प्रदीप, कहां जा रहा है? चाय तो पी ले, सुबह का भूखाप्यासा है.’’

‘‘नहीं, बूआ, भूख नहीं है. जरा काम से जा रहा हूं.’’

‘‘मुझे पता है तू कहां जा रहा है. क्रोध कर के मत जा, प्रदीप. सब संबंध तोड़ देने के बाद तुझे क्रोध करने का हक भी कहां रह गया है?’’

‘‘नहीं बूआ, अब चुप रहने से काम नहीं चलेगा. वह एकदो बार पहले भी ऐसा कर चुकी है. खुशी से रह रही रानो से मिल कर वह उसे कितने दिनों के लिए तोड़ जाती है, रानो अपनी जिंदगी से दूर जा कर अलग हो जाती है. रानो के दिमाग पर इस का कितना गहरा और स्थायी असर पड़ सकता है. मैं ऐसा नहीं होने दे सकता.’’

कंगना रनौत के निशाने पर बॉलीवुड के ये सितारे, कहा- नहीं लेते ड्रग्स तो कराएं जांच

बॉलीवुड अदाकारा कंगना रनौत इन दिनों सुशांत सिंह राजपूत के मौत के बाद से लगातार सुर्खियों में बनी हुई हैं. कंगना अभी तक न जानें कई बॉलीवुड की मशहूर हस्तियों पर निशाना साधा है. कंगना रनौत इन दिनों खुलकर बॉलीवुड के सितारों पर बोल रही हैं.

कंगना ने हाल ही में बॉलीवुड के कुछ मशहूर नाम को अपने निशाने पर लिया है. कंगना ने रणबीर कपूर, रणवीर सिंह, विक्की कौशल और अयान मुखर्जी को अपने निशाने पर लिया है. अदाकारा ने अपने एक ट्विट में कहा है कि रणबीर कपूर, रणवीर सिंह और अयान मुखर्जी से अपील करती हूं कि वह अपने खून की जांच करवाएं.

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ऐसी अफवाह है कि आप लोग कोकिन का सेवन करते हैं. मैं चाहती हूं कि आप लोग अपने ऊपर लग रहे अफवाहों पर पूरी तरह से विराम दें. इस ट्विट के बाद लोग तरह –तरह के कमेंट करने शुरू कर दिए हैं. कंगना आए दिन बॉलीवुड के सच्चाई से लोगों को रुबरु कराती रहती हैं.

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वहीं कुछ लोग कंगना रनौत के ट्वीट को जमकर सराह रहे हैं. वहीं अश्विनी महाजन ने लिखा है कि कंगना रनौत चाहती हैं कि फिल्मी हस्तियों को अवार्ड देने से पहले उनका खून चेक किया जाए. वैसे ये सही डिमांड हैं कंगना रनौत कहती हैं कि एक ड्रग एडिक्ट कैसे हमारा रोल मॉडल हो सकता है.

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वहीं कंगना अपने सोशल मीडिया के जरिए लगातार सुशांत सिंह राजपूत को सपोर्ट करती नजर आ रही हैं. कंगना रनौत कई ट्विट में रिया चक्रवर्ती पर निशाना साधा है. साथ ही कंगना रनौत के निशाने पर बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर करण जौहर भी आ चुके हैं.

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