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Nutrition Week: कैसी हो बैलेंस्ड डाइट? जानें यहां

अच्छी सेहत के लिए संतुलित आहार बहुत जरूरी है. खासतौर पर मां को विशेष पोषण की जरूरत होती है. परिवार की देखभाल और काम के बीच संतुलन बनातेबनाते महिलाएं अपने आहार पर ध्यान नहीं दे पाती हैं जबकि सही भोजन न केवल ऐनर्जी देता है, बल्कि वजन भी सामान्य बनाए रखता है.

महिलाओं की पोषण संबंधी जरूरतें कुछ खास होती हैं. उन के आहार में विशेष विटामिन और मिनरल्स होने चाहिए. गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति के समय तो खासतौर पर उन्हें इन की जरूरत होती है. अपने आहार को सेहतमंद और संतुलित बनाना कई बार मुश्किल हो सकता है.

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1.कैलोरी:

ऐक्टिविटीज के साथसाथ कैलोरीज को संतुलित करना बहुत जरूरी है. महिलाओं में पेशियां कम होती हैं और वसा की मात्रा अधिक. उन के शरीर का आकार पुरुषों की तुलना में छोटा होता है. ऐसे में उन्हें अपने शरीर के वजन और ऐक्टिविटीज लैवल को सामान्य बनाए रखने के लिए कम कैलोरी की जरूरत होती है. आमतौर पर एक सक्रिय मां को औसतन 1800 से 2200 कैलोरी प्रतिदिन चाहिए होती है.

2.विटामिन और मिनरल:

सक्रिय मां के आहार में कैल्सियम, आयरन और फौलिक ऐसिड तीनों जरूरी होते हैं.

3.प्रजनन स्वास्थ्य:

जीवन की विभिन्न अवस्थाओं में जैसे गर्भावस्था, स्तनपान के दौरान या रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं की पोषण संबंधी जरूरतें अलगअलग होती हैं.

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4.स्वास्थ्य समस्याएं:

आजकल माताओं में पोषण से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं आम हो गई हैं. जैसे सेलिएक रोग, लैक्टोज इन्टौलरैंस, विटामिन, मिनरल और आयरन की कमी के कारण खून की कमी.

5.मैटाबोलिज्म:

महिलाओं में कैलोरी बर्र्न होने का तरीका पुरुषों से अलग होता है. आराम या व्यायाम करते समय उन के शरीर में पुरुषों की तुलना में कम कैलोरी बर्न होती हैं.

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6.आयरन से युक्त पदार्थ:

महिलाओं की अच्छी सेहत और ऊर्जा का स्तर सामान्य बनाए रखने के लिए आयरन बहुत जरूरी है. रैड मीट, चिकन, फिश, पालक, बींस, दालें और अनाज में आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है. पौधों से मिलने वाला आयरन शरीर में आसानी से अवशोषित हो जाता है बशर्ते इसे विटामिन सी के स्रोत के साथ खाया जाए. आयरन शरीर में हीमोग्लोबिन बनाता है, जो खून में औक्सीजन ले जाने के लिए जरूरी है. यह त्वचा, बालों और नाखूनों को सेहतमंद बनाए रखने के लिए भी जरूरी है.

मासिकधर्म के दौरान महिलाओं के शरीर से काफी रक्तस्राव हो जाता है. ऐसे में उन्हें पुरुषों की तुलना में आयरन की जरूरत दोगुनी मात्रा में होती है. गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान तो आयरन की जरूरत और बढ़ जाती है.

महिलाओं के आहार में आयरन की कमी के कारण उन में खून की कमी हो जाती है. खून की कमी से शरीर में ऊर्जा का स्तर कम हो जाता है, महिला थकान महसूस करती है. थोड़ा सा व्यायाम करने पर भी उस की सांस फूलने लगती है. आयरन की कमी का असर मूड पर भी पड़ता है. इस से डिप्रैशन हो जाता है. स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है, एकाग्रता कम होने लगती है.

7.प्रजनन वर्षों के दौरान फौलिक ऐसिड:

गर्भवती महिलाओं के आहार में पर्याप्त मात्रा में फौलिक ऐसिड होना चाहिए. इस से बच्चे में जन्मजात दोषों की संभावना को कम किया जा सकता है.

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महिला को रोजाना 400 माइक्रोग्राम फौलिक ऐसिड की जरूरत होती है. इसलिए अपने आहार में रोजाना फौलिक ऐसिड से युक्त पदार्थ शामिल करें. सिट्रस फलों, हरी पत्तेदार सब्जियों, बींस, मटर आदि में प्राकृतिक फौलिएट पाया जाता है. अनाज, चावल और ब्रैड में भी फौलिक ऐसिड पाया जाता है.

8.रोजाना कैल्सियम की जरूरत:

स्वस्थ हड्डियों और दांतों के लिए मां को रोजाना कैल्सियम से युक्त पदार्थों का सेवन करना चाहिए. कैल्सियम हड्डियों को मजबूत बनाता है. औस्टियोपोरोसिस को रोकता है. दिल की गतियों को नियमित रखता है और सुनिश्चित करता है कि हमारा तंत्रिका तंत्र ठीक से काम करे.

औस्टियोपोरोसिस हड्डियों की ऐसी बीमारी है, जिस में हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और आसानी से टूट सकती हैं. लो फैट या फैट फ्री दूध, दही, चीज, कैल्सियम, फोर्टिफाइड खा•पदार्थों जैसे रस और अनाज में कैल्सियम पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है.

कैल्सियम की कमी से चिड़चिड़ापन, चिंता, तनाव, अवसाद, नींद न आना आदि परेशानियां हो सकती हैं. अगर भोजन में पर्याप्त कैल्सियम न हो तो शरीर की कोशिकाएं अपने काम को ठीक से करने के लिए हड्डियों से कैल्सियम सोखने लगती हैं, जिस से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और औस्टियोपोरोसिस हो जाता है. महिलाओं में औस्टियोपोरोसिस की संभावना पुरुषों की तुलना में अधिक होती है. इसलिए जरूरी है कि वे अपने आहार में कैल्सियम, मैग्निशियम और विटामिन डी का भरपूर सेवन करें.

9.सही आहार लें

पोषक पदार्थों से युक्त आहार महिला के व्यस्त जीवन में ऊर्जा देता है और उसे बीमारियों से बचाता है. रोजमर्रा के सेहतमंद आहार में शामिल हैं:

  • साबूत अनाज जैसे साबूत अनाज की ब्रैड, रोटी, चावल या ओट.
  • कम वसा या वसारहित डेयरी उत्पादों की 3 सर्विंग्स जिन में कम वसा या वसारहित दूध, दही या चीज शामिल है.
  • 500 ग्राम प्रोटीन जैसे चिकन, मछली, अंडा, सोयाबीन, बींस, मटर.
  • 2 कप मौसमी फल.
    ढाई कप सब्जियां.

10.इन पदार्थों का सीमित मात्रा में करें सेवन

किभी भी उम्र में वजन पर नियंत्रण रखने के लिए महिलाओं को बहुत अधिक चीनी या वसा से युक्त पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए. मसलन:

  • सौफ्ट ड्रिंक, चीनीयुक्त मीठे पेयपदार्थ, कैंडी, बेक किए और तले खा•पदार्थों का सेवन सीमित मात्रा में करें.
  • फुल फैट के बजाय लो फैट यानी कम वसा से युक्त डेयरी एवं मीट प्रोडक्ट्स का सेवन करें.
  • सैचुरेटड फैट, वसा से युक्त खा•पदार्थ का सेवन सीमित मात्रा में करें जैसे फैटी मीट, चीज, फैट डेयरी प्रोडक्ट्स और बेक किए खा•पदार्थ.

11.व्यायाम करना भी है जरूरी

कामकाजी महिलाओं और गृहिणियों के लिए सही आहार लेने के साथसाथ नियमित व्यायाम करना भी जरूरी है. व्यायाम एवं जीवनशैली से जुड़ी कई अन्य चीजें हड्डियों को सेहतमंद बनाने के लिए जरूरी हैं. रोजाना व्यायाम करने से वजन नियंत्रित रहता है, पेशियां मजबूत होती हैं, तनाव नहीं होता है. व्यायाम जैसे चलना, डांस करना, वेट लिफ्टिंग से औस्टियोपोरोसिस की संभावना कम होती है.

– साक्षी चोपड़ा, बैरिएट्रिक न्यूट्रिशनिस्ट, जेपी हौस्पिटल, नोएडा 

नशा -भाग 1 : क्या रेखा ने बर्बाद कर लिया अपना जीवन?

‘‘अम्माजी, ऐसा कभी नहीं हो सकता. आप मेरी मां हैं, मैं आप की बात पर विश्वास करूंगा. किंतु लगता है आप को गलतफहमी हुई है. रेखा शराब पीने लगी है, यह कैसे मान लूं, मैं.’’

‘‘बेटा, तेरे घर में तूफान आया है. और मैं तेरी मां हूं. यदि तेरे घर को तबाह करने वाले तूफान की आहट न पा सकूं तो मुझ से बढ़ कर मूंढ़ कौन होगा. बस, मैं तो यही कहती हूं, जल्दी से जल्दी इंडिया आ जा और तूफान से होने वाली तबाही को रोक ले.’’

बेटे देवेश से बात कर के अम्माजी ने फोन रख दिया था. ‘देवेश आज यहां नहीं है, तो मेरा तो कर्तव्य है कि उस के घर के तिनके बिखरने से पहले उन्हें बचा लूं,’ सोचतेसोचते अम्माजी वहीं सोफे पर लेट गई थीं. बड़े आश्चर्य की बात है कि रेखा पीती है, वे जानती न थीं. वह तो सोसायटी के गेट पर बैठे चौकीदार ने सुबह बताया था, ‘माताजी, देवेश बाबू एक शरीफ और समझदार व्यक्ति हैं.

2 साल पहले जब वे विदेश जा रहे थे तो कहा था कि घर तुम पर छोड़ कर जा रहा हूं, मुझे यह भी याद है कि उन्होंने आप का फोन नंबर भी दिया था, कहा था कि जरूरत पड़े तो अम्माजी को सूचित कर देना. इसीलिए बता रहा हूं, मैम का देर से घर आना ठीक नहीं लगता. आप तो बुजुर्ग हैं. मैम आप की बहू हैं, कहते शर्म आती है. अच्छा हुआ जो आप आ गई हैं संभाल लेंगी.’ सुन कर अम्माजी सन्न रह गई थीं. चुपचाप फ्लैट पर आ गई थीं.

सुबह का समय था, रेखा घर में नहीं थी. ‘‘मैम तो सुबह निकल जाती हैं. देररात तक वापस आती हैं. मैं तो नौकरानी हूं, क्या कहूं? अच्छा हुआ आप आ गई हैं. अम्माजी, मैं अब यहां नहीं रहूंगी. आप ही ने मुझे यहां भेजा था, आप से ही छुट्टी चाहती हूं. बस, यह नशे की लत है ही बुरी. छोटा मुंह बड़ी बात. यदि झूठ बोलूं तो फूफी को सौ जूती मार लो…’’ नौकरानी फूफी ने भी जब चौकीदार की बात को दोहराया तो उन्हें लगा कि यहां हालात सचमुच ठीक नहीं हैं.

नौकरानी फूफी आगे बोली, ‘‘अम्माजी, बैठो, खाना तैयार है. मूली के परांठे बनाए हैं.’’ अम्माजी बड़ी अनमनी सी बोलीं, ‘‘छोड़ो फूफी, मन नहीं कर रहा. अभी तो बहू का इंतजार कर रही हूं. आज तो शनिवार है, जल्दी आ जाएगी.’’ वे सोफे पर बैठ गईं और अतीत में खो गईं.

देवेश और राकेश अम्माजी के 2 बेटे हैं. जब उन के पति की मृत्यु हुई थी तो दोनों की उम्र 12 वर्ष और 10 वर्ष थी. अम्माजी का वैसे तो नाम अल्पना है पर उन की समझदारी और सोच को देख पूरा महल्ला उन्हें अम्माजी कहता था. पति के न रहने पर उन्होंने बड़ी मुसीबतों में दिन काटे हैं. सब याद है उन्हें.

हरियाणा के छोटे से गांव में स्कूल की छोटी सी नौकरी थी. उसी में सारा गुजारा करना होता था. सो, बच्चों को भी कंजूसी से चलने की आदत थी.

अम्माजी ने दोनों बच्चों को इंजीनियर बनाया था. कितनी परेशानी से वे पढ़े थे, अम्माजी से ज्यादा कौन जानता था. फिर दोनों का विवाह भी किया था उन्होंने ही. ‘‘अम्माजी, खाना टेबल पर लगा दिया है,’’ नौकरानी की आवाज सुन कर वे वर्तमान में लौटीं.

अम्माजी 60 की होने वाली थीं. रिटायर होने के बाद देवेश के साथ रहने की सोच रही थीं. देवेश की शादी को 2 वर्ष बीते तो उसे कंपनी की तरफ से एक प्रोजैक्ट के लिए जरमनी जाना पड़ गया. 3 वर्षों का कौन्ट्रैक्ट था. पैसे भी अच्छे मिल रहे थे. ऐसे सुअवसर को देवेश छोड़ना नहीं चाहता था. देवेश के जाने के कुछ दिनों पहले रेखा ने भी एक नौकरी जौइन कर ली थी. औफिस, उस के घर से काफी दूर था.

एक दिन उस के एक सहयोगी ने कहा, ‘‘रेखा, यहीं औफिस के करीब सोसायटी फ्लैट है, चाहो तो किराए पर ले सकती हो. इतनी दूर आनंद विहार से द्वारका आनाजाना आसान नहीं है. आनंद विहार के फ्लैट सुंदर व सस्ते भी थे. कम किराए में सुंदर फ्लैट. अम्माजी, देवेश और रेखा तीनों को अच्छा लगा.

देवेश के जरमनी जाने से पहले घर बदल भी लिया था. एक रोज देवेश ने रेखा से कहा, ‘यह फ्लैट छोटा है पर गुजारे लायक है. जरमनी से लौटूंगा तो मैं काफी पैसा बचा लूंगा. 50 लाख रुपए के लगभग मेरे पास होंगे, तब मैं अपना फ्लैट खरीद लूंगा.’ ‘ठीक कहते हैं आप, दिल्ली में हमारा अपना मकान होगा. लोगों का यह सपना होता है. हमारा भी यह सपना है,’ रेखा बोली थी.

दरअसल, देवेश ने इस प्रोजैक्ट के लिए हामी भरी ही इसलिए थी. वह बरसों पहले देखा ‘अपना घर’ का सपना पूरा करना चाहता था. इसलिए एकएक पैसा इकट्ठा कर रहा था. बेशक, 3 वर्षों के लिए पत्नी से दूर होना पड़े, पर यही एक रास्ता था. यह बात रेखा भी जानती थी.

देवेश जरमनी चला गया. शुरू में रेखा को खालीपन लगता था. अकसर अम्माजी आ जाती थीं. पर उन की उम्र ढल रही थी. सो, आनाजाना आसान न था. महीनों गुजर जाते. बस, फोन पर सासबहू एकदूसरे का हाल ले लेतीं. रेखा एक समझदार लड़की है. आज तक सासबहू में तूतूमैंमैं कभी नहीं हुई. अम्माजी यहां आ कर पैर फैला कर सोती हैं. इस पर फूफी नौकरानी हमेशा कहती, ‘अच्छी बहू मिली है, अम्माजी.’ उसी फूफी के मुंह से यह सब सुन कर उन का मन खिन्न हो गया. तभी दरवाजे की घंटी बजी. अम्माजी ने समय देखा कि रात में पूरे 12 बजे थे. दिमाग घूम गया.

नशा -भाग 4 : क्या रेखा ने बर्बाद कर लिया अपना जीवन?

‘‘छोड़ो अम्माजी, इस पुलिंदे को ले कर आप क्यों परेशान हैं? छोड़ो ये सब रचनावचना,’’ कहतेकहते उस की आंखें भर आई थीं.

‘‘बेटा, मैं तेरी सासूमां हूं. क्या बात है जो तू इतनी दुखी है और मुझे कुछ भी नहीं पता? क्या सबकुछ खुल कर नहीं बताओगी?’’

‘‘क्या कहूं अम्माजी. आप को यह तो पता ही है कि मेरे पापा बहुत बड़े साहित्यकार थे. परिवार में साहित्यिक माहौल था. मुझे पढ़ने व लिखने का जनून था. कितने ही साहित्यकारों से मेरे पिता व रचनाओं के जरिए परिचय था. मेरी शादी से पहले मेरे 3 कविता संग्रह व एक कहानी संग्रह छप चुके थे. मेरे काम को काफी सराहा गया था. एक पुस्तक पर मुझे अकादमी पुरस्कार भी मिला था. बहुत खुश थी मैं.’’

रेखा ने बात जारी रखी, ‘‘सोचती थी देवेश को दिखाऊंगी तो गर्व करेंगे पत्नी पर. शादी के बाद जब मैं ने अपनी रचनाओं तथा पुस्तकों का उन से जिक्र किया तो वे बोले, ‘छोड़ो ये सब, मुझे तो तुम में रुचि है. ये आंखें, ये गुलाबी कपोल, खूबसूरत देह मेरे लिए यही कुदरत की रचना है.’

‘‘‘छोड़ो सब बेकार के काम, तुम्हारे लिए एक अच्छी सी नौकरी ढूंढ़ता हूं. समय भी कट जाएगा और बैंक बैलेंस भी बढ़ेगा.’

‘‘मैं समझ गई कि देवेश की सोच का दायरा बहुत सीमित है. उस वक्त मैं चुप रह गई. हालांकि उन की बात मेरे लिए बहुत बड़ा आघात थी. लेकिन अपने को रोक पाना मेरे लिए मुश्किल था. मेरा अंदर का लेखक तड़पता था.

‘‘छिपछिप कर कुछ रचनाएं लिखीं, भेजीं और छपी भी थीं. छपी हुई रचनाएं जब देवेश को दिखाईं तो वे मुझी पर बरस पड़े, ‘यह क्या पूरी लाइब्रेरी बनाई हुई है. लो, अब पढ़ोलिखो…’ इन्होंने मेरी किताबों को आग के हवाले कर दिया.

‘‘मेरी आंखों में खून उतर आया लेकिन चुप रही. आप बताइए जो व्यक्ति जनून की हद तक किसी टेलैंट को प्यार करता हो, उस का जीवनसाथी ऐसा व्यवहार करे तो परिणाम क्या होगा?

‘‘सपना था मेरा प्रथम श्रेणी की लेखिका बनने का, पर वह बिखर गया. हताश हो मैं ने इस बंडल को इस स्टोर में डाल फेंका.

‘‘पति के जरमनी जाने के बाद कई बार सोचा कि फिर से शुरू करूं, अकेलापन दूर करने का यही एक साधन था मेरे पास. लेकिन इसी बीच दीपा से मेरा संपर्क हुआ. और मैं नशे में डूबती चली गई. अब तो पढ़नेलिखने का जी ही नहीं करता. अम्माजी, यह है इस बंडल की कहानी.’’ रेखा की आंखें डबडबा गई थीं.

अम्माजी को लगा कि आज पहली बार उस ने नशे की बात को स्वीकारा है. निश्चय ही जो यह कह रही है, वह सच है. जरा भी मिलावट नहीं है. और बेटे देवेश के लिए जो इस ने कहा, वह भी सच ही होगा. सुन कर उन्हें कोई आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि शुरू से देवेश को सिर्फ पैसे से प्यार है. पैसे के अभाव में उस ने मुश्किल के दिन देखे हैं, सो, उस के जीवन का मकसद सिर्फ पैसा कमाना है.

इस के अलावा यह हो सकता है कि आघात पाने के बाद, रेखा ने सोचा हो, शराब में अपने को डुबो कर वह पति से बदला लेगी. या शायद अकेलेपन से घबरा कर उस ने यह रास्ता अपनाया हो.

यह तो अम्माजी को पता था कि एक बार बच्चे को ले कर दोनों में काफी खींचातानी हुई थी. देवेश बच्चा नहीं चाहता था, ‘जब तक घर अपना नहीं होगा मैं बच्चा नहीं चाहता.’ जबकि रेखा का कहना था, ‘बच्चा घर में होगा तो मैं व्यस्त रहूंगी, खालीपन मुझे काटने को दौड़ता है.’ जो भी हो, इस वक्त तो कोई रास्ता निकालना ही पड़ेगा कि जिस से रेखा के पीने की आदत पर रोक लग सके.

यहां मैं ने यह निष्कर्ष निकाला है कि पति की उस के टेलैंट के प्रति उपेक्षा सब से बड़ा कारण है. उत्साह व बढ़ावा देने की जगह देवेश ने उस की मानसिक जरूरत पर ध्यान नहीं दिया है, बस उसी का परिणाम ‘पीना’ लगता है. यह सोचतेसोचते अम्माजी ने एक बार फिर बड़े प्यार से उस से कहा, ‘‘बेटा, तुम मेरे साथ इरा के घर चलोगी? बड़ी समझदार महिला हैं, साथ ही मेरी बचपन की सहेली भी. वे तुम से मिलने को उत्सुक हैं.’’

‘‘ठीक है, चलती हूं.’’

कुछ देर बाद दोनों इरा के सामने थीं. वह इरा को देख कर अवाक थी. ये तो इतनी जबरदस्त लेखिका हैं, इन से तो लोग मिलने के लिए लाइन लगा कर खड़े होते हैं. ये मुझ से मिलना चाहती थीं. लोग अपनी पुस्तक के लिए इन से दो लाइनें लिखाने को घंटों इंतजार करते हैं. अम्माजी ने रेखा का परिचय कराया तो रेखा कहे बिना न रह सकी, ‘‘इराजी को कौन नहीं जानता, सारे साहित्य जगत में इन के लेखन की धूम है.’’ तभी अम्माजी ने वह बंडल इरा की मेज पर रखा, ‘‘इरा, मैं ने तुझे बताया था कि मेरी बहू भी लिखती है.’’

‘‘हां, बताया था.’’

‘‘ये हैं इस की कुछ रचनाएं और कुछ पुस्तकें.’’

रेखा लगातार इरा को देख रही थी. इरा रेखा की रचनाओं को पढ़ रही थीं. पढ़ने के बाद मुसकरा कर बोलीं, ‘‘अद्भुत. मैं हैरान हूं इतनी सी उम्र में, इतना सुंदर शब्द चयन, विषय चयन, और प्रस्तुति. मैं ने तो कितनी ही किताबें छपवाई हैं पर ऐसी रचनाएं… वाह.

‘‘बेटा, इस को आप मेरे पास छोड़ जाओ. कल तुम्हें फोन पर डिटेल बताऊंगी. फिर भी अल्पना, मैं यह भविष्यवाणी करती हूं कि ऐसे ही ये लिखती रही तो एक दिन ये उभरती हुई रचनाकारों की श्रेणी में उच्चतम स्तर पर होगी.’’

इरा से मुलाकात के बाद सासूमां के साथ रेखा लौट आई. रेखा को रास्ते भर यही लगा कि इराजी अभी भी वही वाक्य दोहरा रही हैं, ‘ऐसे ही ये लिखती रही…’

घर पहुंच कर वह अपने मन को टटोलती रही थी. यह कैसी भविष्यवाणी थी जिस ने उस के मन में खुशियां और उत्साह के फूल बरसाए थे. इतनी बड़ी लेखिका के मुंह से ऐसी तारीफ. सपने में भी वह आज की मुलाकात के मीठे सपने देखती रही थी.

सुबहसवेरे, आज उस ने अटैची में रखी कुछ और रचनाओं को निकाला था. उन्हें भी ठीकठाक कर के मेज पर छोड़ा था. तभी फोन की घंटी बज उठी-

‘‘मैं इरा बोल रही हूं. कल आप जिन रचनाओं को छोड़ गई थीं उन्हें मैं ने एक पुस्तक के रूप में सुनियोजित करने को दे दी हैं. पुस्तक का नाम मैं अपने अनुसार रखूं तो आप को आपत्ति तो नहीं होगी?’’

‘‘नहीं मैम, नहीं, कभी नहीं.’’

‘‘हां, एक बात और, साहित्यकार मीनल राज और प्रिया से इन कविताओं के लिए दो शब्द लिखवाने का निश्चय हम ने किया है. बाकी मिलोगी, तो बताऊंगी.’’

उसे लगा वह सपना देख रही है- मीनल राज और प्रिया, इतने दिग्गज लेखक हैं दोनों. खुशी उस के अंगअंग से फूट रही थी. वह बैठेबैठे मुसकरा रही थी.

‘‘अरे, क्या हुआ? किस का फोन था?’’ अम्माजी ने पूछ ही लिया, ‘‘इतनी क्यों खुश है?’’

‘‘वो, इरा मैम का फोन था. वे कह रही थीं…’’ उस ने सारी बात सासूमां को बताई.

उस के चेहरे पर थिरकती प्रसन्नता इस बात का सुबूत थी कि वह इसी की तलाश में थी. और उस ने रास्ता पा लिया है अपने खोए जनून और टेलैंट के लिए.

इस के बाद वह कई बार इरा मैम के पास गई. कभीकभी सारा दिन उन की लाइब्रेरी में पढ़ती रहती. पुस्तकों व रचनाओं को ले कर इरा मैम से विचारविमर्श करती.

इस बीच, दीपा कई बार उस के घर आई पर रेखा की सासू मां ने कहा, ‘‘बेटा, वह अब तुम्हारे चंगुल में कभी नहीं फंसेगी, जाओ…’’

2 महीने बाद, रेखा को एक लिफाफा मिला. उस में 20 हजार रुपए का एक ड्राफ्ट था और एक पत्र भी. पत्र में लिखा था-

‘‘प्रिय रेखा,

‘‘तुम्हारी 2 पुस्तकों के प्रकाशन कौपीराइट की कीमत है, स्वीकार लो. अगले महीने हम और तुम जयपुर पुस्तक मेले में जा रहे हैं.

‘‘एक और खुशखबरी है, समीक्षा हेतु तुम्हारी दोनों

पुस्तकों को कुछ पत्रपत्रिकाओं में भेजी है. ये पत्रिकाएं भी तुम्हारे पास जल्द ही पहुंचेंगी.

‘‘शुभकामनाओं सहित

इरा.’’

ड्राफ्ट देख उस की बाछें खिल गईं. ‘अम्माजी के हाथ में दूंगी, यह उन की मेहनत का फल है.’ यह सोच कर रेखा पीछे मुड़ी तो पाया, उस के हाथ में ड्राफ्ट देख अम्माजी मुसकरा रही थीं, ‘‘मिल गया ड्राफ्ट?’’

‘‘आप को कैसे पता?’’

‘‘कल शाम को इरा का फोन आया था. उस ने मुझे इस ड्राफ्ट के बारे में बताया था.’’

वे अभी भी मुसकरा रही थीं, शायद अपनी जीत पर.

‘‘लेट्स सैलीब्रेट, अम्माजी,’’ रेखा की खुशी देखते ही बनती थी.

‘‘अरे, आज तो खुल जाए बोतल,’’ अम्माजी ने चुटकी ली.

‘‘छोड़ो अम्माजी, जितना नशा मुझे आज चढ़ा है इस ड्राफ्ट से, उतना बोतल में कहां? आज हम दोनों डिनर बाहर करेंगे, आप की प्रिय मक्की की रोटी और सरसों का साग. साथ में…’’ वह अम्माजी की ओर देख रही थी. ‘‘मक्खन मार के लस्सी…’’ अम्माजी ने उस की बात पूरी की और खुशी से बहू को सीने से लगा लिया.

 

नशा -भाग 3 : क्या रेखा ने बर्बाद कर लिया अपना जीवन?

देवेश को अम्मा ने जब से रेखा के बारे में बताया है, जरमनी में हर स्त्री उसे रेखा सी दिखती है. वह रैस्त्रां के आगे से गुजरता है तो लगता है, रेखा इस रैस्त्रां में शराब पी रही होगी. दूसरे ही क्षण सोचता- यहां रेखा कैसे आ सकती है?

औफिस में भी देवेश बेचैन रहता है. दिनरात सोतेजागते ‘रेखा शराबी’ का खयाल उस से जुड़ा रहता है. देवेश का जी करता है, अभी इंडिया के लिए फ्लाइट पकड़े और पत्नी के पास पहुंच जाए, बांहों में भर कर पूछे, ‘रेखा, तुम्हें जीवन में कौन सा दुख है जो शराब का सहारा ले लिया.’ देवेश कितनी खुशियां ले कर आया था जरमनी में. इंडिया में घर खरीदेंगे, मियांबीवी ठाट से रहेंगे. फिर बच्चे के बारे में सोचेंगे. मां भी साथ रहेंगी. किंतु क्यों? ये सब क्या हुआ, कैसे हुआ? किस से पूछे वह? जरमनी में तो उस का अपना कोई सगा नहीं है जिस से मन की बात कह भी सके.

वह इतना मजबूर है कि न तो रेखा से कुछ पूछ सकता है और न ही अम्मा से. बस, मन की घायल दशा से फड़फड़ा कर रह जाता है. उसे लग रहा है कि वह डिप्रैशन में जा रहा है. दोस्तों ने उस की शारीरिक अस्वस्थता देख उसे अस्पताल में भरती करा दिया था.

कुछ स्वस्थ हुआ तो हर समय उसे पत्नी का लड़खड़ाता अक्स ही दिखाई देता. घबरा कर आंखें बंद कर लेता. और, अम्माजी, उस दिन बेटे से बात करने के बाद ऊपर से तो सामान्य सी दिख रही थीं किंतु अंदर से उन को पता था वे कितनी दुखी हैं. पूरी रात सो न सकी थीं. बेचारी क्या करतीं. आज सुबह वे हमेशा की तरह जल्दी न उठीं.

रेखा जब औफिस चली गई तो बेमन से उठीं और स्टोर में घुस गईं. स्टोर कबाड़ से अटा पड़ा था. किताबें, कौपियां, न्यूजपेपर्स और न जाने क्याक्या पुराना सामान था. कबाड़ी को बुला कर सारा सामान बेच दिया सिर्फ एक बंडल को छोड़ कर. इसे फुरसत में देखूंगी क्या है.

सब काम खत्म कर के बंडल को झाड़झूड़ कर खोला. उन्हें लगता था किसी ने हाथ से कविताएं लिखी हैं. शायद यह रेखा की राइटिंग है. कविताएं ही थीं. देखा एक नहीं, 30-35 कविताएं थीं. उन्हें पढ़ कर वे स्तब्ध थीं.

सुंदर शब्दों के साथ ज्वलंत विषयों पर लिखी कविताएं अद्वितीय थीं. यानी, बहू कविताएं भी लिखती है. इस बंडल मे 2-3 पुस्तकें भी थीं. सभी रेखा की कृतियों का संग्रह थीं. अम्माजी कभी कविता संग्रह पढ़तीं, तो कभी हस्तलिखित रचनाओं को. इतनी गुणी है उन की बहू और वे इस से अब तक अनजान रहीं.

झाड़पोंछ कर उन्हें कोने में टेबल पर रख दिया. सोचा, शाम को बात करूंगी. क्यों बहू ने इस गुण की बात हम से छिपाई? कभीकभी हम अपने टेलैंट को छोड़ कर इधरउधर भटकते हैं. दुर्गुणों में फंस कर जीवन को दुश्वार बना लेते हैं.

रेखा के घर आने से पहले उन्होंने कई जगह फोन किए. दोपहर को बेटे देवेश का फोन आ गया, ‘‘कैसी हो अम्मा?’’

‘‘ठीक हूं.’’

‘‘और रेखा?’’

‘‘वह अभी औफिस से लौटने वाली है. आएगी तो बता दूंगी. तू परेशान है उस को ले कर, यह मैं जानती हूं.’’

‘‘नहीं अम्मा, मैं ठीक हूं. बस, आने के दिन गिन रहा हूं.’’

‘‘नहीं, मैं जानती हूं, तू झूठ बोल रहा है. पर वादा करती हूं तेरे आने तक घर को संभालने की पूरी कोशिश करूंगी.’’ अम्मा की आंखों में आंसू आ गए थे.

‘‘अम्मा, ऐसा तो मैं ने कभी नहीं सोचा था कि धन कमाने की होड़ में परिवार को ही खो बैठूंगा.’’

‘‘नहीं बेटा, ऐसा मत सोचो, सब ठीक हो जाएगा, धीरज रखो.’’ इस से आगे बात करना संभव न था. अम्माजी का गला आवेग से भर्रा गया था.

काम से रेखा लौट आई थी. चेहरे पर चिंता व परेशानी झलक रही थी. अम्माजी को रेखा की चिंता का विषयकारण पता था. अम्माजी ने बड़ी हिम्मत कर के कहा, ‘‘आज बहुत थक गई हो, काम ज्यादा था क्या?’’

‘‘नहीं अम्माजी, बस, वैसे ही थोड़ा सिरदर्द था. आराम करूंगी, ठीक हो जाएगा.’’

ऐसे में वे भला कैसे कहतीं कि आज इरा खन्ना से उन्होंने समय लिया है. वे हमारी राह देख रही होंगी.

‘‘अम्माजी, आप कहीं जाने के लिए तैयार हो रही हैं?’’

‘‘रेखा, आज मैं एक सहेली के पास जा रही थी, चाहती थी कि तुम भी साथ चलो.’’

‘‘नहीं, फिर कभी.’’

‘‘ठीक है जब तुम्हारा मन करे. पर वे तुम से ही मिलना चाहती थीं.’’

‘‘अच्छा? आप ने बताया होगा मेरे बारे में, तभी?’’

‘‘हां, मैं ने यही कहा था कि मेरी बहू लाखों में एक है. नेक, समझदार व दूसरों को सम्मान देने वाली स्त्री है. मेरी बहू से मिलोगी तो सब भूल जाओगी. है न बहू?’’ वह सास की बात पर मुसकरा रही थी, मन ही मन कहने लगी, यानी, अम्माजी को पता नहीं कि मैं दुश्चरित्रा हूं, मैं शराब पीती हूं, बुरी स्त्री हूं. यदि वे जान गईं तो घर से निकाल सकती हैं.

वैसे जो बात अभी अम्माजी ने अपनी सहेली से की थी, सुन कर उसे बहुत अच्छा लगा. मैं जरूर उन से मिलूंगी. पता नहीं, कब वह सो गई और अम्माजी, सोफे पर उसे सोया देख सोच रही थीं कि ये उठे तो मैं इस को साथ ले चलूं. फिर वे भी अंदर जा कर लेट गईं.

‘‘एक कप चाय बना दो, फूफी. सिरदर्द से फटा जा रहा है,’’ रेखा सोफे पर बैठी सोच रह थी कि उस की नजर कोने की मेज पर रखे एक बंडल पर पड़ी. बिजली सी चमक की तरह वह उछली, ‘‘फूफी, यह बंडल यहां क्यों रखा है? इसे मैं ने स्टोर में डाला था, क्यों निकाला?’’ वह लगभग चीख पड़ी.

‘‘क्या हुआ, बेटा? यह बंडल स्टोर में था. मैं ने आज स्टोर की सफाई की तो निकाल कर देखा, इस में कविताएं व कुछ और भी था…सारा झाड़कबाड़ बेच दिया, इस को फेंकने का मन न किया. सोचा, तुम आओगी तो तुम से पूछ कर ही कुछ सोचूंगी.’’

‘‘पूछना क्या है, इसे भी कबाड़ में फेंक देतीं. क्या करूंगी इन सब का? अब सब खत्म हो गया.’’

उस के स्वर में वितृष्ण से अम्माजी को समझते देर न लगी कि इस बंडल से जुड़ा कोई हादसा अवश्य है जिसे मैं नहीं जानती, पर जानना जरूरी है.

‘‘बेटा, बोलो, क्या बात है जो इतनी सुंदर रचनाओं को तुम ने रद्दी में फेंक दिया?’’ अम्मा ने फिर पुलिंदा मेज पर ला रखा.

नशा -भाग 2 : क्या रेखा ने बर्बाद कर लिया अपना जीवन?

‘‘अरे फूफी, देखो, लगता है रेखा आ गई है.’’

‘‘हां, वही है.’’

अम्माजी को ड्राइंगरूम में बैठा देख वह सहम गई. ‘‘अम्माजी, आप?’’ उस ने खुद ही महसूस किया कि उस की आवाज लड़खड़ा रही है.

‘‘बहू, इतनी देर?’’

‘‘वह, मेरी सहेली की बेटी का जन्मदिन था. सो, लेट हो गई.’’ उस ने झूठ बोला था. अम्माजी जानती थीं. पर कुछ भी न कहा सिवा इस के, ‘‘अच्छा, हाथमुंह धो ले, मैं तेरे इंतजार में भूखी बैठी हूं.’’

वह हड़बड़ा कर बाथरूम में घुस गई थी. शावर लेते हुए वह सोचने लगी, कुछ देर पहले नशे में धुत्त थी. टैक्सी में बैठी बार वाली उस घटना पर हंस रही थी- नंदिनी और एक शराबी कैसे दोनों लिपटे हुए एकदूसरे को चूमचाट रहे थे. बाकी लोग तालियां बजा कर तमाशा देख रहे थे.

एक शराबी उस को खींच कर नाचने के डांस?फ्लोर पर ले आया. वह शर्म से पानीपानी हो गई थी. मौका ताड़ कर वह भाग कर बार से बाहर आ गई. नशा उतर रहा था, जो टैक्सी मिली, बैठ कर घर आ गई. अच्छा हुआ जो निकल आई, पता नहीं, शायद अम्माजी को शक हो गया है या उसे यों ही लग रहा है. और वह सोसायटी के गेट पर बैठा मुच्छड़ चौकीदार, गेट खोलते समय ऐसे घूर रहा था, जैसे कह रहा हो, ‘मैडमजी, आज तो बड़ी जल्दी घर लौट आईं.’

नहाधो कर वह काफी हलका महसूस कर रही थी. टेबल पर अम्माजी उस का इंतजार कर रही थीं.

‘‘बेटा, देवेश का फोन आया था. बता रहा था प्रोजैक्ट 6 महीने पहले खत्म हो रहा है. वह शायद इसी साल के दिसंबर में आएगा. और मैं भी दिसंबर में रिटायर हो कर तुम लोगों के पास रहूंगी.’’

‘देवेश जल्दी आ रहे हैं’ सुन कर रेखा के मन में खुशी की तरंग दौड़ गई. पर, अम्माजी हमारे साथ हेंगी, यह तो कभी सोचा भी न था.

‘‘अभी मैं 15 दिनों की छुट्टी ले कर आई हूं,’’ अम्माजी ने बरतन समेटते हुए सूचना दी थी. यानी 15 दिन अभी रहेंगी. उस के बाद रिटायर हो कर भी यहीं हमारे पास रहेंगी. इस का मतलब वह इन 15 दिनों तक डिं्रक से दूर रहेगी. और जब अम्मा यहां रहने आ जाएंगी तो फिर उस के पीने का क्या होगा? यही सब सोच रही थी रेखा.

वह डाइनिंग टेबल से उठ कर बिस्तर पर लेट गई और सोचने लगी, यह उसे क्या हो गया है ? उस की हर बात ड्रिंक से जुड़ी होती है. पीने के अलावा वह कुछ सोचती ही नहीं. अगर अम्माजी को पता लग गया, मैं क्लब जाती हूं, पीती हूं, तो क्या होगा? यह कैसा शौक पाल बैठी मैं?

बड़ा अजीब सा संयोग था जब दीपा ने उसे औफर दिया था, ‘तुम अकेली हो, तुम्हारे पति बाहर हैं, कैसे वक्त काटती हो?’

‘फिर क्या करूं खाली समय में?’ उस ने अचकचा कर दीपा से पूछा था.

‘अरे, मेरे साथ चलो, भूल जाओगी अकेलापन.’

‘कहां जाना होगा मुझे?’ मासूम सा प्रश्न किया रेखा ने.

‘चलोगी तो जान जाओगी,’ दीपा ने उस के साथ शाम का समय फिक्स किया था.

क्लब का अंदर का दृश्य देख कर वह दंग रह गई थी. रंगीन जोड़े फर्श पर थिरक रहे थे. लोग जाम पर जाम लगा रहे थे यानी शराब पी रहे थे. सब नशे में चूर थे. ऐसा तो उस ने फिल्मों में ही देखा था. वह एकटक सब देख रही थी. दीपा के कहने पर उस ने शराब पी थी और वह भी पहली दफा. फिर तो हर दिन उस का औफिस में बीतता, तो शाम क्लब में बीतती.

दीपा शुरू में तो उस को अपने पैसे से पिलाती थी, बाद में उसी के पैसे से पीती थी. शनिवार और इतवार को वे दोनों रेखा के घर में ही पीतीं. रेखा जानती है कि वह गलत कर रही है, वहीं वह यह भी जानती है कि उस को अपने को रोक पाना अब उस के वश में नहीं है. शाम होते ही हलक सूखने लगता है उस का.

कई बार फूफी कह चुकी है- ‘इस दीपा का अपना घरबार नहीं है, यह दूसरों का घर बरबाद कर के ही दम लेगी. अरे, रेखा बीबी, इस औरत का साथ छोड़ो. बड़ी बुरी लत है शराब की. मेरा पति तो शराब पीपी के दूसरी दुनिया में चला गया. तभी तो मुझ फूफी ने इस घर में उम्र गुजार दी. बड़ी बुरी चीज है शराब और शराबी से दोस्ती.’

फूफी के ताने रेखा को न भाते. जी करता धक्के मार कर घर से बाहर निकाल दे. लेकिन नहीं कर सकती ऐसा. यह चली गई तो घर कौन संभालेगा.

आज उसे घबराहट हो रही है, जब से अम्माजी ने सब बताया कि वे रिटायर होने वाली हैं. व्याकुल मन के साथ बड़ी देर तक बिस्तर पर करवटें बदलती रही. न जाने कब सोई, पता ही नहीं लगा. उधर, देवेश को जब से रेखा के बारे में पता लगा है, उस की व्याकुलता का अंत नहीं है. वहां जरमनी में स्त्रीपुरुष सब शराब पीते हैं, ठंडा मुल्क है. पर हिंदुस्तान में लोग इसे शौकिया पीते हैं. स्त्रियों का यों क्लबरैस्त्रां में पीना दुश्चरित्र माना जाता है.

Crime Story: प्यार की धार

सौजन्य- सत्यकथा 

उत्तर प्रदेश के शहर बरेली का एक थाना है बिशारतगंज. इस्माइलपुर गांव इसी थाना क्षेत्र में आता है.
गुड्डू अपने परिवार के साथ इसी गांव में रहता था. उस के परिवार में पत्नी के अलावा बेटी बेबी और एक बेटा प्रकाश था. बेटी बीए फाइनल में पढ़ रही थी. गुड्डू खेतीकिसानी करता था. इसी से उस के परिवार की गुजरबसर होती थी.बेबी के घर के पास गांव के 22 वर्षीय अमित गुप्ता की किराने की दुकान थी. बेबी घर का खानेपीने का सामान अमित की दुकान से लाती थी. इसी आनेजाने में वह मन ही मन अमित को पसंद करने लगी थी. लेकिन उस ने अपने मन की बात अमित पर जाहिर नहीं होने दी थी.

अमित के पिता रामकुमार का कई साल पहले निधन हो गया था, मां अभी थी. भाईबहनों से उस का परिवार भरा पूरा था. अमित का पढ़ाई में मन नहीं लगा तो उस ने परचून की दुकान खोल ली थी.
एक दिन बेबी जब अमित की दुकान पर पहुंची, तो वहां उस के अलावा कोई ग्राहक नहीं था. सौदा लेने के बाद चलते समय उस ने अमित से कहा, ‘‘तुम बहुत सुंदर हो.’’ अकसर ऐसी प्यार भरी बातें चाहने वाले लड़के अपनी प्रेमिका से कहते हैं. जबकि यहां यह बात एक युवती कह रही थी. सुन कर अमित के शरीर में सिहरन सी दौड़ गई. उस ने भी मुसकरा कर कह दिया, ‘‘अच्छा…’’ और बेबी शरमा कर वहां से चली गई.
दुकान पर आतेजाते उसे अमित अच्छा लगने लगा था. काफी दिनों तक तो उस ने अपने दिल पर काबू रखा था. लेकिन उस दिन उस ने हिम्मत कर के अमित से सुंदर लगने वाली बात कह ही दी थी.

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अब बेबी इसी ताक में रहने लगी कि जब अमित की दुकान पर कोई ग्राहक न हो तभी सामान लेने जाए. एक दिन उसे यह मौका मिल गया. सामान लेते समय अमित ने उस का हाथ पकड़ कर पूछा, ‘‘उस दिन तुम क्या कह रही थीं?’’ ‘‘कुछ भी तो नहीं,’’ बेबी ने भोली बन कर हंसते हुए कहा, ‘‘तुम सच में बड़े भोले हो, तुम्हारी यह अच्छाई मुझे बहुत पसंद है.’’अपनी प्रशंसा सुन कर अमित खुश हो गया. वह बोला, ‘‘बेबी तुम भी बहुत अच्छी लगती हो मुझे. जब भी तुम आती हो मेरे दिल की धड़कने बढ़ जाती हैं.
‘‘अच्छा…’’ इतना कह कर बेबी मुसकराती हुई वहां से चली गई.

बेबी और अमित करीबकरीब हमउम्र थे. दोनों के बीच बातचीत का दायरा बढ़ता गया और नजदीकियां सिमटती गईं. अमित जब भी बेबी को देखता, खुशी के मारे उस का दिल बागबाग हो उठता. बेबी भी अमित को देख कर खुश हो जाती थी.धीरेधीरे दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा. जब तक दोनों एकदूसरे को देख नहीं लेते, दिलों को चैन नहीं मिलता था. दोनों के इस प्रेमप्रसंग की किसी को कानोंकान खबर नहीं लगी. यहां तक कि उन के घर वालों तक को भी नहीं.

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बाद में दोनों दुकान के अलावा चोरीछिपे भी मिलने लगे. हालांकि दोनों की जाति अलगअलग थी, इस के बावजूद उन्होंने शादी करने का फैसला कर लिया था. एक बार बेबी ने अमित से पूछ लिया, ‘‘अमित, वैसे तो मैं जातपात में विश्वास नहीं करती, पर समाज से डर कर तुम मुझे कहीं भूल तो नहीं जाओगे?’’
इस पर अमित ने उस के होंठों पर हाथ रख कर चुप कराते हुए कहा, ‘‘बेबी, अगर हमारा प्यार सच्चा है तो चाहे कितनी भी बाधाएं आएं, हम जुदा नहीं होंगे.’’ दोनों ने फैसला किया कि एकदूसरे के लिए ही जिएंगे.
आखिर किसी तरह बेबी के घर वालों को पता चल गया कि उन की बेटी का गांव के ही दूसरी जाति के युवक से प्रेमप्रसंग चल रहा है. इस से घर वालों की चिंता बढ़ गई.

गुड्डू ने पत्नी से कहा कि वह बेटी पर ध्यान दे. उस के पांव बहक रहे हैं. हाथ से निकल गई या कोई ऊंचनीच कर बैठी तो समाज में मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे. उसे अमित के करीब जाने से मना कर दे.
बेबी की मां ने समझदारी दिखाते हुए यह बात बेटी को सीधे तरीके से न कह कर अप्रत्यक्ष ढंग से समझाई. वह जानती थी कि बेटी सयानी हो चुकी है. सीधेसीधे बात करने से उसे बुरा लग सकता था. वैसे भी बेबी जिद्दी स्वभाव की थी, जो मन में ठान लेती थी, उसे पूरा करती थी.

बेबी अपनी मां की बात को अच्छी तरह समझ गई थी कि वह क्या कहना चाहती है. लेकिन उस के सिर पर अमित के इश्क का भूत सवार था. उसे अमित के अलावा किसी और की बात समझ में नहीं आती थी. उस ने मां से साफसाफ कह दिया कि वह अमित से प्यार करती है और शादी भी उसी से करेगी.अमित और बेबी जान चुके थे कि उन के प्यार के बारे में दोनों के घर वालों को पता लग चुका है. दोनों परिवार इस रिश्ते को किसी भी तरह स्वीकार नहीं करेंगे, इस बात को ले कर अमित काफी परेशान रहने लगा था.

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बेबी किसी भी तरह अपने मांबाप की बात मानने को तैयार नहीं हुई. अमित और बेबी के प्रेम प्रसंग के चर्चे अब गांव में भी होने लगे थे. बात जब हद से आगे निकलने लगी तो गुड्डू ने बिरादरी में होने वाली बदनामी से बचने के लिए अपने चचेरे भाई सचिन से इस संबंध में बात की. निर्णय लिया गया कि बिना देरी किए बेबी के लिए लड़का तलाश कर उस के हाथ पीले कर दिए जाएं.इस की भनक जब बेबी को लगी तो उस ने विरोध किया. उस ने कह दिया कि अभी वह पढ़ रही है. पढ़ाई पूरी नहीं हुई है. इसलिए शादी नहीं करेगी. वह पढ़ाई कर के नौकरी करना चाहती है.

लेकिन चाचा सचिन ने उस की बात का विरोध करते हुए कहा, ‘‘पढ़ाई का शादी से कोई संबंध नहीं होता. पढ़ने से तुम्हें ससुराल में भी कोई नहीं रोकेगा.’’ घर वालों ने भागदौड़ कर बदायूं के दातागंज में बेबी की शादी तय कर दी. एक माह बाद यानी 16 जून, 2020 को गांव में बेबी की बारात आनी थी.जब अमित को इस बात का पता चला, तो उस का दिल टूट गया. उस ने बेबी के साथ भविष्य के जो सपने संजोए थे, बिखरते दिखे. एक दिन अमित बेबी के घर जा पहुंचा. उस ने बेबी के घर वालों को बताया कि वह और बेबी एकदूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं.

घर में मौजूद बेबी ने भी अमित के अलावा किसी दूसरे के साथ शादी करने से इनकार कर दिया. लेकिन बेबी के घर वालों के सामने अमित और बेबी की एक नहीं चली. घर वालों ने अमित से बेबी की शादी से साफ मना कर दिया. उन्होंने कहा कि बेबी की शादी अपनी जाति के लड़के से ही करेंगे.बेबी की शादी में मात्र 2 दिन शेष रह गए थे. 2 दिन बाद प्रेमिका के घर शहनाइयां बजने वाली थीं. अमित को कुछ सूझ नहीं रहा था. उस की हालत पागलों जैसी हो गई थी. अमित की दुकान भी कई दिनों से बंद थी. उस का मन बेबी में अटका हुआ था. वह किसी तरह एक बार बेबी से मिल कर दिल की बात कहना चाहता था. लेकिन बेबी पर उस के घर वालों का कड़ा पहरा था.

बेबी के परिवार में खुशियों का माहौल था. शादी की तैयारियों में घर वालों के साथसाथ रिश्तेदार व गांव के परिचित भी लगे हुए थे. 14 जून की सुबह 5 बजे बेबी अपनी बुआ, तहेरी बहन और ताई के साथ खेतों की ओर निकली.आधे घंटे बाद बेबी खेत से घर लौट रही थी. वह अपने घर के दरवाजे के पास पहुंची तभी अमित आ गया. उस ने बेबी से साथ चलने को कहा. पर बेबी ने उस के साथ जाने से मना कर दिया. अमित ने अपने प्यार की दुहाई दी, लेकिन बेबी पर कोई असर नहीं हुआ. इस से अमित आपा खो बैठा और साथ लाए तंमचे से बेबी के ऊपर फायर कर दिया.

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गोली बेबी की कमर व बांह में लगी, वह चीख कर वहीं गिर पड़ी. बेबी को गोली मारने के बाद अमित तमंचा लहराता हुआ गांव के बाहर भागा. कुछ देर बाद पता चला कि अमित ने बेबी के घर से लगभग 400 मीटर दूर ग्राम प्रधान के घर के पास खाली मैदान में खुद को गोली मार ली है.सुबहसुबह गांव में गोली चलने की आवाज सुन कर गांव वाले एकत्र हो गए. अमित की रक्तरंजित लाश देख कर गांव में हड़कंप मच गया, जिस ने भी यह दृश्य देखा वह सन्न रह गया. किसी ने अमित के घर वालों को घटना की जानकारी दे दी.
जानकारी मिलते ही अमित के घर वाले घटनास्थल की ओर दौड़े, अमित के सीने में गोली लगी थी. उस की मौत हो चुकी थी. लाश के पास ही तमंचा पड़ा था. अमित की मौत की खबर सुन कर उस की मां रोतेरोते बेहोश हो गई.

चौकीदार नत्थूलाल की सूचना पर थाने से पुलिस टीम के साथ एसआई खेम सिंह गांव इस्माइलपुर पहुंच गए. गांव की सीमा पर भीड़ जुटी थी. एसआई ने मैदान में युवक की लाश के पास सिपाही तैनात करने के साथ ही घायल बेबी को एंबुलेंस से मझगवां अस्पताल भिजवाया, जहां से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. इस बीच जानकारी होने पर थानाप्रभारी राजेश कुमार सिंह व सीओ आंवला रामप्रकाश भी घटनास्थल पर पहुंच गए. थानाप्रभारी ने पुलिस के आला अधिकारियों को भी घटना की जानकारी दे दी. इस पर एसएसपी शैलेश पांडेय व एसपी (देहात) संसार सिंह भी घटनास्थल पर आ गए. फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया गया.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. साथ ही गांव वालों से पूछताछ भी की. मृतक व घायल युवती के घर वालों से भी घटना के संबंध में जानकारी हासिल की गई.
युवक के घर वालों ने जहां युवती के घर वालों पर औनरकिलिंग का आरोप लगाया, वहीं युवती के घर वालों ने बताया कि मृतक ने हमारी बेटी को गोली मार कर घायल किया और फिर खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली.पुलिस ने मौकाएवारदात से 312 बोर का एक तमंचा बरामद किया. इस के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. फोरैंसिक टीम ने भी युवती के दरवाजे के पास से व युवक की लाश के आसपास जांच कर आवश्यक साक्ष्य जुटाए.

बेबी की गंभीर हालत को देखते हुए उसे जिला अस्पताल से एक निजी मिशन अस्पताल में ले जाया गया. इस सनसनीखेज घटना के बाद गांव में तनाव की स्थिति बन गई थी. इसे देखते हुए गांव में पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई.पुलिस भले ही प्रेमिका को गोली मार कर प्रेमी द्वारा खुदकुशी करने की बात कह रही थी, लेकिन गांव के बहुत से लोगों के गले यह बात नहीं उतर रही थी. उन का कहना था कि यदि अमित अपनी प्रेमिका को गोली मार कर उस के साथ अपना भी जीवन खत्म करना चाहता था तो उस ने खुदकुशी करने के लिए वहां से लगभग 400 मीटर दूर जगह क्यों चुनी.

दूसरी बात खुदकुशी करने वाला तमंचे से गोली अकसर अपनी कनपटी पर मारता है, जबकि अमित के सीने में गोली लगी थी. तमंचा उस के शव से 3 मीटर दूर पड़ा मिला. वहीं खोखा भी एक ही मिला, जबकि गोली 2 चली थीं. गांव में प्रेमप्रसंग में हत्या किए जाने का शक जाहिर किया जा रहा था.बेबी की मां का कहना था कि प्रेम प्रसंग नहीं था. उन की बेटी व मृतक की बहन पक्की सहेली थीं. नौकरी के लिए फार्म भरने को बेटी ने उसे अपने प्रमाणपत्र दिए थे. मृतक की बहन अब उन्हें नहीं लौटा रही थी. जिन्हें न देने की वजह से दोनों परिवारों में तनातनी थी. बेबी अमित से प्यार नहीं करती थी.

अमित की मां के अनुसार युवती की शादी तय हो जाने व उस के घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगाने से अमित मानसिक रूप से परेशान था. कुछ दिन पहले उस ने नींद की गोलियां खा कर भी जान देने की कोशिश की थी. वह बेबी से शादी करना चाहता था. लड़की भी अमित से शादी की जिद पर अड़ी थी. उस के घर वालों ने धमकी दी थी कि तुझे और अमित दोनों को मार देंगे. इस के बाद भी लड़की नहीं मान रही थी.
मां ने बताया कि सुबह अमित के पास वीरपाल प्रधान का फोन आया था. वह उसे बुला रहे थे, वह उसी समय घर से चला गया था. इस के बाद यह घटना हो गई.

वहीं पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंचे अमित के बड़े भाई राजबाबू के अनुसार अमित पिछले 2 साल से बेबी के संपर्क में था, 3 माह पूर्व दोनों ने गुपचुप तरीके से कोर्टमैरिज कर ली थी. इस बात की जानकारी घटना से कुछ दिन पहले ही अमित ने घर वालों को दी थी. लेकिन हम ने उस की बात पर विश्वास नहीं किया था.
उधर युवती भी दूसरी जगह शादी नहीं करना चाहती थी. वह भी अमित से शादी की जिद पर अड़ी थी. उस ने अपने घर वालों से कह दिया था कि बारात लौटा दो. यह जानकारी मिलने पर बेबी के घर वालों ने प्रधान से साजिश कर पहले अपनी बेटी और फिर उस के भाई को गोली मार दी.शाम को पोस्टमार्टम के बाद अमित के घर वालों ने मझगवां-आंवला मार्ग पर उस का शव रख कर हंगामा किया. घर वालों का आरोप था कि अमित की हत्या बेबी के घर वालों ने की है. पुलिस उन के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कर रही है.
सूचना पर मौके पर पहुंचे एसडीएम कमलेश कुमार सिंह व सीओ रामप्रकाश ने उन्हें समझाया, लेकिन जब वे नहीं माने तब हलका बल प्रयोग कर उन्हें वहां से हटा दिया.

दूसरे दिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई. रिपोर्ट में अमित द्वारा सल्फास खाने की भी पुष्टि हुई थी. रिपोर्ट के मुताबिक गोली ऐन दिल पर लगी थी, छर्रे आसपास भी धंसे थे. घायल युवती के पिता गुड्डू ने थाने में मृतक अमित व उस के भाइयों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई. बेबी के पिता की तहरीर पर पुलिस ने आत्महत्या करने वाले प्रेमी अमित सहित उस के भाइयों राजबाबू, अजय, सुमित, कल्लू व विनोद गुप्ता के खिलाफ जान से मारने की नीयत से हमला करने की रिपोर्ट दर्ज कर ली. वहीं एसआई खेम सिंह की ओर से भी मृतक पर अवैध तमंचा रखने तथा खुदकुशी करने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया. रिपोर्ट में मृतक पर एकतरफा प्यार करने का भी आरोप लगाया गया था.
इस तरह एक प्रेम कहानी का दर्दनाक अंत हो गया.

हुंडई वरना के साथ लॉन्ग ड्राइव पर नहीं आएगी कोई दिक्कत

न्यू हुंडई वरना के इस खास क्वालिटी के बारे में जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे. लॉन्ग ड्राइव के दौरान अगर आपको किसी तरह कि कोई दिक्कत आती है तो आप परेशान न हो.

हुंडई वरना कि स्पीड कम भी होती है अचानक कोई ऐसा रास्ता आता है जहां ज्यादा स्पीड की ज्यादा जरुरत होती है हुंडई वरना इसे खुद मैनेज कर लेती है. इसलिए इसे #betterThanTheRest कहा गया है.

एक शिक्षिका जिसने नेता बनकर दुनिया में भारत का नाम रोशन किया

शिक्षिका से राजनेता बनीं के.के. शैलजा का डंका आज पूरी दुनिया में बज रहा है. कोरोना काल में इन मंत्री की चपलता को ले कर पहले भी कई अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संस्थाओं में के.के. शेलेजा कि प्रशंसा चलती रहीं थी किन्तु इस बार वर्ल्ड फेमस ब्रिटिश मेगेजीन प्रोस्पेक्ट ने स्वास्थ्य मंत्री को कोविड एरा में दुनिया की सर्वोच्च विचारक बता दिया.

इस खबर ने एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है. केरल की हेल्थ मिनिस्टर माननीय के. के. शैलजा को कोविड 19 के संकट की सब से बड़ी थिंक टेंकर के तौर पर पहला स्थान मिला है. इंग्लेंड की वर्ल्ड फैमश मैगेजीन प्रोस्पेक्ट ने कोरोना काल के टॉप 50 विचारकों के नामों की लिस्ट जारी की है. भारत के लिए ख़ुशी की बात यह कि इस में के. के. शैलजा को सर्वोच्च स्थान प्राप्त हुआ है.

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ब्रिटिश मैगेजीन ‘प्रोस्पेक्ट’ ने यह लिस्ट को कोरोना काल में पूरी दुनिया के थिंक टेंकरों के विचारों के आधार पर बनाई, जिस के लिए सर्वे भी किए गई. कहा जा रहा है कि 20,000 मत पब्लिक बैलट पर इस लिस्ट को बनाने के लिए लिए गए. जिस में दुनिया भर के 50 उच्च अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री, दार्शनिकों, लेखकों, वैज्ञानिकों और बुध्हिजीवियों को सेलेक्ट किया गया.

इस लिस्ट में पहले स्थान पर भारत में केरल की हेल्थ मिनिस्टर के.के शैलजा रहीं. उन के बाद न्यूजीलैंड की प्रधानमन्त्री जेसिका अर्डरन दुसरे स्थान पर रहीं. मैगेजीन ने के.के शैलजा की उपलब्धियों को याद करते हुए लिखा कि उन्होंने सही समय पर सही फैसले लिए. के.के. शैलजा के लिए लिखा गया,

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“जब कोविड-19 चीन में अपने पैर पसार रहा था तभी से ही के.के. शैलजा ने केरल में इस के खिलाफ मोर्चा संभालना शुरू कर दिया था. उन्होंने जनवरी में ही कोरोना वायरस को रोकने के लिए उचित कदम उठाने शुरू कर दिए. साल 2018 में भी उन्होंने केरल में फैले निपाह वायरस का भी डट कर सामना किया. और उसे राज्य से निकाल फेंका था.” मैगेजीन के अनुसार, “वे सब से सही महिला रही, सही जगह पर इससे लड़ने के लिए.”

यही नहीं इससे पहले भी बीबीसी, द गार्डियन, द न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे कई अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संस्थान भी कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए केरल के प्रयासों और के.के. शैलजा की सराहना कर चुके हैं. सयुंक्त राष्ट्र ने भी जून में अपने लोक सेवा दिवस पर के.के. शैलजा को अपने विचार साझा करने के लिए आमंत्रित किया था. संयुक्त राष्ट्र ने कोविड 19 की रोकथाम के लिए उठाए गए क़दमों को ले कर माननीय शैलजा की प्रशंसा की थी.

यूएन में अपनी बात रखते हुए कुमारी शैलजा ने कहा था, ‘निफा वायरस और दो बढ़ से निपटने के अनुभव- 2018 और 2019 जहां स्वास्थ्य क्षेत्र ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इन अनुभवों ने ही कोरोना वायरस (कोविड-19) के समय पर निपटने में मदद की. ठीक उसी समय से जब वुहान में कोविड-19 के मामले दर्ज हुए, केरल डब्ल्यूएचओ के ट्रेक में आ गया उर हर मानक संचालन प्रोटोकौल और अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का पालन किया. इसलिए, हम संपर्क प्रसार डर को 12.5 प्रतिशत से नीचे रखने में सक्षम हुए और मृत्यु डर 0.6 प्रतिशत रहा.’

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लिस्ट में महिला विचारक रहीं अव्वल

इस लिस्ट में सबसे खूबसूरत बात यह रही कि इस में महिलाओं का प्रभुत्व देखने को मिला. के.के शैलजा के अलावा टॉप 5 में जगह बनाने वालों में से अन्य 3 महिलाएं ही रहीं. दुसरे नंबर पर इस लिस्ट में न्यूजीलेंड की 40वीं प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डनर रहीं. जिन्होंने हाल ही में अपने देश में कोरोना के कर्व को फ्लैट कर 100 से अधिक दिन तक उसे शुन्य पर रखा. यहां तक कि न्यूजीलेंड पहला देश बना जहां कोरोना के मामले इतने दिनों तक शुन्य दर्ज किये गए. जेसिंडा खुद को सोशल डेमोक्रेट विचारों की बताती हैं. मैगेजीन ने जेसिंडा के लिए लिखा, ‘क्राइस्टचर्च मस्जिद नरसंहार के बाद उन की सहजता और जोड़े रखने वाली नेतृत्व शैली एक प्रेरणा थी. उन की कोविड-19 रणनीति मुख्य वैज्ञानिक जूलियट जेरार्ड के साथ लौकस्टो में तैयार की गई. जिसने दुनिया में सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त किए.”

इसी लिस्ट में अलग नाम बंगलादेश से मरीना तबस्सुम का रहा. जिन्हें श्रेय दिया गया कि उन के घरों को सेफ डिजाईन देने के प्रोजेक्ट के लिए. जिस से परिवार को बदलते क्लाइमेट से सुरक्षित किया जा सके. वहीँ इस लिस्ट में चौथा स्था कार्नेल वेस्ट का रहा जो अफ्रीकन अमेरिकन दार्शनिक हैं. जो इतिहासकार भी हैं. इसी लिस्ट में पांचवां स्थान इल्होना कारवाल्हो का है जिनहे मुख्यता सिविक एक्शन, ड्रग पौलिसी और वायलेंस प्रेवंशन और रिडक्शन के काम के लिए जाना जाता है. इस टौप 50 लोगों की लिस्ट की खासियत यह कि इसमें अधिकतम (26) महिलाएं रहीं. यानी देखा जाए तो कोविड एरा में चीजों को बेहतर तरीके से हैंडल करने और समझने में महिला चिंतकों राजनीतिज्ञों ने अपनी अहम् भूमिका निभाई.

समस्त उत्तर भारत का यूं उन्हें इग्नोर करना दुखद

20 नवंबर,1956 में जन्मी केके शैलजा को केरल में शिक्षिका के तौर पर भी जाना जाता रहा है, जो अभी इस समय केरल राज्य की स्वास्थय मंत्री हैं. वे कुठुपरम्बा सीट से बीते इलेक्शन में चुनी गईं थी. के.के. शैलेजा राजनीति में सीपीआई(एम) के स्टूडेंट संगठन एएफआई से एक्टिव हुई थीं. उसके बाद वह पार्टी की सेंट्रल कमिटी में शामिल हुई थी. वह केरल की केबिनेट मिनिस्ट्री में 2 महिला मंत्री में से एक हैं. इन सब के अलावा उन्होंने स्त्री शब्दम में चीफ एडिटर के तौर पर काम किया है.

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राजनीति में आने से पहले शैलजा ने मत्तानुर के पझास्सी राजा एनएसएस कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की थी. 1980 में उन्होंने वेसवेसवर्र्या से बीएड की पढ़ाई की. उसके बाद उन्होंने हाई स्कूल में अध्यापक के तौर पर अपनी सेवाएँ दीं. जिसका कार्यकाल 2004 में उनकी रिटायरमेंट के बाद समाप्त हुआ. साल 1996 में उन्होने फली बार केरला लेजिस्लेटिव के लिए चुनाव लड़ा और कुठूपराम्बा से प्रतिनिधित्वा किया. उन्होंने उस दौरान एम.पी कृष्णान नायर को हराया. उसके बाद 2006 में वह पेरावूर से लड़ीं और प्रोफेसर एडी मुस्तफा को हराया. विगत चुनाव (2016) वह जेडी(यू) के कैंडिडेट केपी मोहनन  के खिलाफ खाड़ी हुईं और जीत हांसिल की. और उन्हें कैबिनेट में जगह देकर हेल्थ मिनिस्टर बनाया गया.

के.के शैलजा का नाम अब खासतौर पर उन नेताओं में दर्ज हो गया है जिन्होंने कोविड 19 को शुरूआती तौर पर नियंत्रण करने के लिए जरुरी कार्यवाहियां की. वह अन्तराष्ट्रीय तौर पर किसी भी हिसाब से पुरे देश के लिए मिशाल हैं और गौरव भी हैं. दुखद यह कि उन की इन कार्यवाहियों में उत्तर भारत की मुख्यधारा की मीडिया शांत रही. यह तब भी शांत थी जब निफा वायरस से केरल अकेले लड़ रहा था और शैलजा की कर्यशेलियों को उस वक्त ऊंचाइयां मिल रही थी. कोरोना काल में यह मीडिया ज्यादातर समय कोरोना से लड़ने में मोदी के तालीथाली, दिया टोर्च इत्यादि फौके या टोटकों के कसीदे ही कसते दिखीं. जबकि उसी समय दक्षिण भारत से एक महिला नेता इस कोरोना काल के पैनिक समय में बड़े सूझबूझ से एहम फैंसले ले रही थी. और आज जब कोरोना मोदी के बूते से बाहर की बात हो चली तो कोरोना कि खबर इसी मीडिया में दम तोडती दिख रही है.

भारत के लिए मायने 

भारत में इस समय कोरोना के मामले लागातार बढ़ रहे हैं. इस समय पूरी दुनिया में भारत सर्वोच्च तीसरे पायदान पर है. हाल ही में भारत में पूरी दुनिया के एक दिन में रिकॉर्ड 83,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए. जबकि हम से ऊपर दो देश (अमेरिका और ब्राजील) हैं. जिन के यहां कोरोना केसेस फ्लेट हो रहे हैं. एकलौता इस समय भारत ऐसा देश है जहां कोरोना की रफ़्तार काफी तेजी से बढ़ रही है. इस समय कोरोना के मामलों में भारत में कुल केसेस 40 लाख से ऊपर हो चुके हैं. वहीँ दुसरे पायदान में ब्राजील के मामलों को देख कर लगता है कि कुछ ही दिनों में भारत दुसरे नंबर पर आ जाएगा.

ऐसे में जहां केरल की स्वास्थ्य मंत्री की प्रसंशा दुनिया भर के अलग अलग प्लेटफॉर्म पर हो रही है वहीँ भारत में लगातार बढ़ रहे मामले प्रधानमंत्री की लचर कार्यवाहियों और खराब नेतृत्व की तरफ इशारा कर रहे हैं. कोरोना को लेकर के.के. शैलजा की इनिशियल कार्यवाहियों ने जहां देश दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा वहीँ प्रधानमंत्री की नाटकीयता ने भारत को भयंकर आर्थिक विपदा और महामारी की चपेट में झोंक दिया है.

नेतृत्व के सवाल पर प्रधानमन्त्री के कोविड की शुरूआती तैयारियों पर काफी सवाल खड़े हुए हैं. फिर चाहे आपदा के समय अमेरिकी राष्ट्रपति का नमस्ते ट्रंप से मान मनोहर करना हो, मध्यप्रदेश की सरकार को गिराने और बनाने का प्रकरण हो, या स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर करने की जगह लोगों से ताली थाली बजवाना हो. यहां तक कि प्रधानमन्त्री का कोरोना को ले कर ख़ास संजीदा न होना उन की दशोदिशा को सामने ला रहा है. असल में कोरोना का हाल भी नोटबंदी सरीके हो गया है. जिसे मोदी जी ने कहा तो था कि 50 दिन सारा काला धन वापस आ जाएगा. ठीक उसी प्रकार कोरोना के खिलाफ उनके 21 दिन के युद्ध वाले सारे दावे खोखले साबित हो गए हैं. यहां तक कि अब तो इससे पैदा हो रही विपत्ति को एक्ट ऑफ़ गॉड का नाम दिया जा रहा है.

भारत के लिए किसी महिला नेता का इस तरह कमान संभालना गौरव की बात है. यहां तक कि दुनिया के अलग अलग हिस्सों में उन के कार्यों पर प्रसंशा उत्साहवर्धक है.

TV एक्ट्रेस कृतिका सेंगर की शादी के 6 साल पूरे, फैमिली के साथ किया सेलिब्रेशन

टीवी जगत की जानी मानी अदाकारा कृतिका सेंगर ने बीते दिनों अपना 6वां एनिवर्सरी सेलिब्रेट किया है. कृतिका ने अपनी पूरी फैमली के साथ मिलकर खूब जश्न मनाया है .

एनिवर्सरी की तस्वीर में दोनों कपल बहुत ज्यादा प्यारे लग रहे हैं. कृतिका को पति के साथ देखकर ऐसा लग रहा है वह दोनों एक- दूसरे से बहुत ज्यादा प्यार करते हैं.

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कृतिका सेंगर अपने पति के साथ-साथ अपने ससुराल वालों से भी बहुत ज्यादा कनेक्टेड है. दोनों बेहद ही रोमांटिक अंदाज में नजर आ रहे हैं.

कृतिका और पति निकितिन धीर की तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. इसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है. टीवी के बेस्ट कपल हैं. इन दोनों का रोमांटिक अंदाज लोगों को खूब पसंद आ रहा है.

एक तस्वीर में कृतिका अपने पति निकितीन धीर  को किस करती नजर आ रही हैं. दोनों एक –दूसरे के साथ बेहद खुश हैं.

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सबसे खास बात यह है कि दोनों ने एक रंग के कपड़े अपने एनिवर्सरी पर पहना हुआ है. कृतिका ने व्हाईट रंग की शर्ट पहनी है तो वहीं निकितिन ने भी व्हाईट शर्ट पहन रखी है. दोनों का यह अंदाज फैंस खूब पसंद कर रहे हैं.

Gorgeousness overload

कृतिका ने अपने ससुर पंकज धीर के साथ नजर आ रही हैं. देखकर ऐसा लग रहा है कि मानो ये एक दूसरे के साथ काफी एंजॉय करते हैं.

कृतिका और निकितिन पूरी फैमली के साथ भी एक तस्वीर अपने सोशल मीडिया पर शेयर किया है. जिसमें निकितिन की पूरी फैमली है. सब साथ में खुश नजर आ रहे हैं.

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कृतिका कई टीवी सीरियल्स में काम कर चुकी हैं . झांसी की रानी में इन्हें लोगों ने खूब पसंद किया था. फिलहाल कृतिका अपनी फैमली के साथ समय बीता रही हैं.

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