ओटमील ऐसा पोषक आहार है, जिस में प्रोटीन, फाइबर और बीटा ग्लूकोन काफी मात्रा में होता है. यह कोलैस्ट्रौल को तो नियंत्रित करता ही है, साथ ही स्वादिष्ठ भी होता है. ओटमील (जौ का दलिया) बाजार में कई फ्लेवर्स और वैराइटीज में मौजूद है.
ओट्स की किस्में
1.- ओट ग्रोट्स (जई का दलिया): ग्रोट्स बनाने के लिए ओट्स का बाहरी छिलका हटा दिया जाता है. ग्रोट्स को भिगो कर या पका कर खाया जा सकता है.
2.- स्टील कट ओट्स: इसे आइरिश या स्कौच ओट्स भी कहा जाता है. वास्तव में ये काट कर बनाए गए ग्रोट्स हैं. ये ग्रोट्स की तुलना में जल्दी पक जाते हैं और चबाने में भी आसान होते हैं.
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3.- ओल्ड फैशंड ओट्स: इन्हें रोल्ड ओट्स भी कहा जाता है. इस में दानों को चटका कर दिया जाता है ताकि वे जल्दी पक जाएं. पकने के बाद भी ये थोड़े कड़क रहते हैं.
4.- क्विक ओट्स: इन्हें भी रोल किया जाता है, लेकिन ये ओल्ड फैशंड ओट्स की तुलना में पतले होते हैं. ये सिर्फ 1 मिनट में पक जाते हैं और पकने के बाद मुलायम हो जाते हैं.
5.- इंसटैंट ओटमील: ये पतले, पहले से पके फ्लैक्स होते हैं, जिन्हें खाने से पहले किसी गरम पेयपदार्थ में मिलाया जा सकता है.
ओट्स के फायदे
6- इन में ऐंटीऔक्सीडैंट भरपूर मात्रा में होता है: ओटमील में ऐंटीऔक्सीडैंट की मात्रा बहुत अधिक होती है जो शरीर को स्वस्थ बनाता है.
7- कार्डियोवैस्क्युलर रोगों से बचाता है: ओटमील में कैल्सियम और पोटैशियम होता है, जो ब्लड प्रैशर को नियंत्रित रखने के लिए जरूरी है.
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8- ब्लड शुगर को करता है नियंत्रित: ओटमील का ग्लाइसैमिक इंडैक्स कम होता है. इस में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, इसलिए यह ब्लड शुगर पर नियंत्रण रखने के लिए बेहद फायदेमंद है.
9- कैंसर की संभावना कम करता है: इस में मौजूद लिगनेन दिल की बीमारियों के अलावा हारमोन से जुड़े कैंसर की संभावना को भी कम करता है.
10- हाइपरटैंशन/उच्चरक्तचाप को कम करता है: ओटमील तनाव पैदा करने वाले हारमोनों का स्तर कम करता है और सिरोटोनिन को बढ़ाता है, जिस से मन शांत रहता है.
11- कोलन कैंसर की संभावना कम करता है: ज्यादा फाइबर से युक्त आहार का सेवन करने से कोलन कैंसर की संभावना कम होती है. भोजन में फाइबर ज्यादा होने से आहार नाल में भोजन और व्यर्थ पदार्थ का प्रवाह आसानी से होता है. सौल्यूबल फाइबर पानी में घुल जाता है. इस से लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस होता है. इन्सौल्यूबल फाइबर पानी में नहीं घुलने के कारण कब्ज पैदा करता है. यही कारण है कि फाइबर से युक्त ओट्स कोलन यानी मलाशय को स्वस्थ बनाए रखते हैं.
12- कब्ज से बचाता है: ओटमील में सौल्यूबल और इन्सौल्यूबल फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो कब्ज से बचाती है. ओट्स खाने से पेट अच्छी तरह साफ हो जाता है.
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13- हड्डियों के लिए फायदेमंद: ओट्स में कुछ जरूरी विटामिन और मिनरल्स होते हैं, जो हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए जरूरी हैं. ओट्स में सिलिकौन भी पाया जाता है, जो हड्डियों के लिए जरूरी है. सिलिकौन महिलाओं में मेनोपौज के बाद होने वाले औस्टियोपोरोसिस के इलाज में भी मददगार है. फाइबर का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से महिलाएं मेनोपौज के बाद चिड़चिड़ापन महसूस नहीं करतीं.
14- ऊर्जा देता है: ओटमील कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन से भरपूर होता है, जो कैलोरी और ऊर्जा देता है. ओटमील जैसे खाद्यपदार्थों में ग्लाइसेमिक का स्तर कम होता है, जो व्यायाम के दौरान फैट बर्निंग के अनुकूल है.
15- वजन कम करने में मदद करता है: ओट्स कम कैलोरी से युक्त खाद्यपदार्थ है, जो धीरेधीरे पचता है, जिस से बारबार भूख नहीं लगती.
16- प्राकृतिक क्लींजर: ओट में मौजूद सैपोनिन त्वचा से हानिकारक पदार्थों को निकाल कर उसे गहराई से साफ करता है. ओट्स को पानी में भिगोने से कुछ देर बाद उन से मिल्क निकलता है, जिसे त्वचा पर लगाने से वह न केवल साफ होती है, बल्कि चमकदार और जवां भी दिखती है.
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17- मुंहासों के लिए कारगर इलाज: ओट्स त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद हैं. मुंहासों का कारण त्वचा में बनने वाला ज्यादा तेल होता है. इस के लिए उबले ओट्स का पेस्ट बना कर चेहरे पर लगाएं. यह पेस्ट त्वचा से अतिरिक्त तेल और हानिकारक रसायनों को सोख लेता है. इसे स्क्रब की तरह भी इस्तेमाल कर सकती हैं, जिस से त्वचा से डैड सैल्स निकल जाते हैं और डार्क स्पौट्स हलके होने लगते हैं.
18- बाल झड़ने से रोकता है: अगर आप के बाल झड़ रहे हैं, तो 1 चम्मच ओटमील, थोड़ा सा ताजा दूध और थोड़ा सा बादाम का दूध मिला कर पेस्ट बना कर उसे बालों में लगाएं.
– श्रुति शर्मा
बैरिएट्रिक काउंसलर और न्यूट्रिशनिस्ट
जेपी हौस्पिटल, नोएडा