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जुनून – भाग 4 : इश्क जब हद से गुजरता है तो जुनून बन जाता है

इस वक्त वह घर पर बिलकुल अकेली थी. शिखा अपनी पारिवारिक व्यस्तता के चलते कुछ दिनों के लिए शहर से बाहर गई थी. मगर क्यों? उस ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? उस के मन में ऐसे तमाम सवाल उमड़ रहे थे जिन का जवाब सिर्फ रोहित दे सकता था.

उस ने ठान लिया कि वह रोहित को बेनकाब कर के रहेगी. इतने दिनों से वह रिया का दोस्त बन कर उस के भरोसे का फायदा उठा रहा था. जो उस का गुनाहगार था उसे ही रिया अपना सब से बड़ा हमदर्द समझती रही.

अगले दिन रिया बहुत देर तक बेसब्री से रोहित का इंतजार करती रही. मैट्रो में सफर करने वालों की भीड़ एक के बाद एक आ कर गुजर गई मगर रोहित उसे कहीं नजर न आया. अंत में निराश हो कर वह अपने इंस्टिट्यूट के लिए चल पड़ी.

देर शाम घर वापस आते हुए रिया को कई बार लगा कि कोई उस का पीछा कर रहा है. वह गली के पास मुड़ी और एक खंभे की आड़ में छिप गई.

बहुत हुआ लुकाछिपी का खेल. आज तो वह उस साए को धर दबोचेगी. रिया ने पूरी हिम्मत जुटा ली, चाहे कुछ हो जाए वह जान कर रहेगी कि आखिर कौन उस का पीछा करता है.

जैकेट के हेडकवर से चेहरे को छिपाए उस शख्स ने गली में कदम रखा ही था कि रिया ने झपट कर उस का नकाबरूपी हुड खींच लिया. उस शख्स को जब तक संभलने का मौका मिलता, उस का चेहरा बेनकाब हो चुका था.

‘‘रोहित.’’ रिया को एक और झटका मिला, ‘‘अच्छा तो छिपछिप कर मेरा पीछा करने वाले भी तुम ही हो और मुझे वो फूल और गिफ्ट भी तुम ही भेजते थे.’’ सिर झुकाए रोहित चुपचाप रिया के सामने खड़ा था.

‘‘अब चुप क्यों हो? जवाब दो,’’ उसे नफरत से देखते हुए रिया ने कहा.

‘‘मुझे माफ कर दो, रिया. ये सब मैं ने तुम्हारे प्यार को पाने के लिए किया. बहुत प्यार करता हूं मैं तुम से.’’

‘‘तुम ने यह सोचा भी कैसे? तुम सिर्फ मेरे दोस्त थे और अब आज से हमारा दोस्ती का रिश्ता भी खत्म हो गया. आज के बाद मुझ से मिलने की कोशिश भी मत करना.’’

‘‘प्लीज रिया, ऐसा मत करो. देखो, मान जाओ. न जाने कब से मैं तुम्हारे प्यार के लिए तरस रहा हूं,’’ रोहित गिड़गिड़ाया.

‘‘नहीं रोहित, मेरी जिंदगी में प्यारमुहब्बत के लिए कोई जगह नहीं है. मेरे लिए सब से जरूरी मेरा परिवार और मेरा कैरियर है. पर तुम नहीं समझोगे ये सब,’’ रिया अब तक अपने गुस्से को सब्र में बंधे हुए थी.

‘‘रिया, मेरा प्यार कुबूल कर लो, प्लीज,’’ रोहित उस से प्यार की भीख मांग रहा था.

रिया रोहित के छल और फरेब से पहले ही आहत थी. उस ने रोहित के घडि़याली आंसुओं की कोई परवा नहीं की.

जनून में आ कर रोहत ने रिया का रास्ता रोक लिया. ‘‘रिया, अगर तुम ने मेरा प्यार कुबूल नहीं किया तो मैं खुद को मार डालूंगा,’’ धमकी भरे अंदाज में रोहित ने कहा.

‘‘तो मार डालो खुद को,’’ रिया ने दांत भींच कर सख्ती से कहा और एक जोर का धक्का दे कर रोहित को अपने रास्ते से हटाया.

‘‘ठीक है, रिया, मैं मरूंगा तो तुम्हें भी मरना होगा, तुम मेरी नहीं हो सकती तो किसी और की भी नहीं हो पाओगी.’’

रोहित की जबान से इतनी खतरनाक धमकी सुन कर रिया सन्न रह गई. उस ने पलट कर रोहित को देखा. अंधेरे में रोहित के इरादे खूंखार लग रहे थे. उस ने अपने कपड़ों में छिपा बड़ा सा खंजर निकाल लिया. उस की आंखों में वहशीपन देख कर रिया के चेहरे का रंग उड़ गया.

‘‘नहीं रोहित, प्लीज मुझे जाने दो,’’ रिया गिड़गिड़ाई. रोहित के हाथ में चाकू देख कर रिया के पसीने छूट गए, किस हद तक जा सकता है वह, उस ने सोचा नहीं था.

रोहित उस की तरफ खतरनाक इरादे से बढ़ता ही जा रहा था. वह पूरी ताकत के साथ रोहित से बचने के लिए भाग रही थी. दूरदूर तक कोई मदद नहीं दिख रही थी. वह चीख कर मदद की गुहार लगा रही थी. रोहित किसी साए की तरह उस के पीछे लगा हुआ था. कुछ ही दूर पर उसे अपना घर नजर आया. दोगुनी ताकत लगा कर वह दौड़ रही थी. किसी तरह वहां तक पहुंच जाए एक बार उस की सांसें उखड़ने लगी थीं. मगर उस के पैर नहीं रुके.

किसी जानवर की सी ताकत से उस का पीछा करता रोहित उस के पास पहुंच गया था. रिया ने उसे परे धकेलने के लिए जोर लगाया. रोहित ने उस का हाथ अपनी मजबूत गिरफ्त में ले लिया. बेबस रिया उस की गिरफ्त से छूटने के लिए छटपटाने लगी. वह बारबार मदद के लिए पुकार रही थी. तभी रोहित ने खंजर से उस पर वार कर दिया. विस्फारित नजरों से रिया ने अपने ही खून को पानी की तरह बहते देखा.

वह अर्धमूर्छित हालत में जमीन पर गिर पड़ी. उस की आंखें मुंदने लगी. मां का आंचल उस की आंखों में तैरने लगा. उस के बाद उसे कुछ होश न रहा.

पूरे शहर में इस घटना की चर्चा थी. न्यूज चैनलों से ले कर गलीमहल्लों के नुक्कड़ों पर लोग इस खौफनाक वारदात के बारे में ही बातें कर रहे थे. महज 20 साल की एक महत्त्वाकांक्षी, होनहार लड़की किसी सिरफिरे दरिंदे के जनून का शिकार हो गई.

अस्पताल के डाक्टरों के मुताबिक, रिया को करीब 10 से 12 बार चाकू से गोदा गया था. पुलिस पोस्टमौर्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही थी.

रिया के घर वाले सदमे में थे और मां को बारबार बेहोशी के दौरे पड़ रहे थे. शिखा और रिया के दोस्तों से पूछताछ के नतीजे में पुलिस ने रोहित को गिरफ्तार कर लिया था.

शिखा को अपनी गलती पर बारबार पछतावा हो रहा था, आखिर क्यों उस ने उस दिन पुलिस स्टेशन में जा कर रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई. अगर उस दिन वह रिया की बात न मान कर पुलिस स्टेशन में शिकायत कर देती, तो शायद रोहित बहुत पहले ही गिरफ्तार हो चुका होता और आज उस की सब से अजीब दोस्त रिया जिंदा होती.

एक सिरफिरे के जनून ने एक मासूम कली को खिलने से पहले ही कुचल डाला था.

जुनून – भाग 3 : इश्क जब हद से गुजरता है तो जुनून बन जाता है

शिखा ने गैस पर आग की लपटें देखीं. वह तुरंत भागती हुई आई और चूल्हा बुझा कर डब्बे पर पानी की बालटी उड़ेल दी. ‘‘यह क्या कर रही है रिया,होश में तो है? अभी पूरा घर ही जल जाता.’’

‘‘मैं तंग आ गई हूं, शिखा. अब बरदाश्त नहीं होता. न जाने कौन है जो मुझे चैन से जीने नहीं दे रहा. अब तो सुबह के खयाल से ही डर लगता है. वही फूल, वही सब रोजरोज नहीं झेला जाता.’’

रिया फफकफफक कर रोने लगी. उस के सब्र का बांध टूट गया था. उस की इस हालत पर शिखा बहुत परेशान हो उठी. आखिर वह भी एक लड़की थी. रिया के दुख से वह वाकिफ थी.

शिखा ने उसे अपने आलिंगन में ले लिया, फिर बोली, ‘‘चुप हो जा, रिया. तू रो मत. जो भी तेरे साथ ये सब कर रहा है, अब बचेगा नहीं. तू आज ही मेरे साथ पुलिस स्टेशन चल. तुझे तंग करने वाले को अब पुलिस ही सबक सिखाएगी.’’

‘‘नहीं, मैं पुलिस के पास नहीं जाऊंगी. बात मेरे घर वालों तक पहुंच जाएगी.’ मांबाबूजी का चेहरा रिया की आंखों के आगे तैर गया.

‘‘तू नहीं जानती, शिखा, मेरे मांबाबूजी को. बहुत कमजोर दिल के हैं वे लोग. फौरन मुझे वापस बुला लेंगे. और मेरे सारे सपने अधूरे…’’ कहते हुए रिया की रुलाई फूट पड़ी.

रिया के पास बैठ कर बड़ी देर तक शिखा उसे हौसला बंधाती रही. उस का दिमाग रिया की परेशानी दूर करने का उपाय ढूंढ़ रहा था.

मानसिक तनाव की वजह से रिया का मन अब ट्रेनिंग में नहीं लग रहा था, उसे यों लगता था मानो कोई उस के हर पल की खबर रख रहा है. रातों को अजीबअजीब से सपने आते. मन का डर उस के चेहरे पर दिखने लगा. चेहरे पर हरदम बनी रहने वाली मुसकान अब गायब हो गई थी.

एक दिन उस की ट्रेनर मिस सिन्हा ने उसे अपने पास बुलाया, ‘‘क्या बात है, रिया? कई दिनों से देख रही हूं आजकल तुम कुछ खोईखोई सी रहती हो, क्लास में भी अब पहले जैसा उत्साह नहीं दिखाती? एनी प्रौब्लम?’’

रिया इस प्रश्न से सकपका गई. यह बात अगर जगजाहिर हुई तो उस का मखौल बन कर रह जाएगा. ‘‘नो, मैम, सब ठीक है. कोई प्रौब्लम नहीं है,’’ रिया ने मुसकरा कर कहा.

‘‘हूं, आई होप सो,’’ मिस सिन्हा बोलीं.

एक सीसीटीवी कैमरा घर के गेट पर लगाने का खयाल शिखा के दिमाग में आया. रिया को भी यह बात दुरुस्त लगी. जो भी गिफ्ट रखने दरवाजे के पास आएगा, उन्हें कैमरे में उस की तसवीर दिख जाएगी. उन्होंने मकानमालकिन से कैमरा लगवाने की बात की तो उस ने शकभरी नजर से दोनों को घूरा.

दोनों ने महल्ले में बढ़ती चोरी की वारदात का जिक्र किया तो वह मान गई.

यह अजीब इत्तेफाक था कि सीसीटीवी कैमरे के लगते ही फूल और गिफ्ट आने एकाएक बंद हो गए. हफ्ता बगैर किसी परेशानी के गुजर गया.

घर से इंस्टिट्यूट तक वह मैट्रो ट्रेन में सफर करती थी. मैट्रो की भीड़ में अपने लिए जगह तलाश करती रिया को अचानक किसी ने नाम ले कर पुकारा. रिया ने चौंक कर पुकारने वाले की तरफ देखा. कुछ जानापहचाना सा लगा उसे वह लड़का जो उस के लिए एक सीट खाली करा कर उसे बैठने का इशारा कर रहा था.

‘‘थैंक्स,’ रिया ने मुसकरा कर शुक्रिया अदा किया.‘ आप मेरा नाम कैसे जानते हैं?’’ रिया ने पूछा.

‘‘उस दिन पार्टी में मैं आप से मिला था.’’

रिया को याद आया. यह वही लड़का था जो उस दिन विवेक के जन्मदिन की पार्टी में उस के साथ डांस कर रहा था.

रोहित ने उसे बताया कि वह किसी पौलिटैक्निक कालेज का छात्र है. उन की मुलाकात अब रोज ही होने लगी. रिया के लिए वह हमेशा कोई सीट खाली करा देता ताकि वह आराम से सफर कर सके. उस की तहजीब और शराफत से रिया के मन में अब उस की छवि बदल गई थी.

पार्टी में रिया को रोहित बदतमीज किस्म का लगा था पर कुछ दिनों में रोहित की शराफत और तहजीबभरे रवैए से रिया प्रभावित हुए बिना न रह सकी. रिया रोहित पर आंख मूंद कर विश्वास करने लगी थी. रिया की हर छोटीबड़ी मुश्किल में रोहित हमेशा मदद के लिए आगे रहता था.

उसे सताने वाला न जाने कहां गायब हो गया था. उस के लिए अब कोई फूल या उपहार रख कर नहीं जाता था. उन पुरानी बातों को भूल कर रिया एक बार फिर से अपनी पढ़ाई में दिलोजान से जुट गई. उसे लगने लगा कि जिंदगी में अब सब ठीक चल रहा है.

एक दिन भीड़ में किसी उचक्के ने रिया को छूने की कोशिश की तो रिया ने विरोध किया. रोहित उस के साथ ही खड़ा था. उस ने तैश में आ कर उस गुंडे का कौलर पकड़ लिया.

नौबत मारपीट तक आ गई तो रिया घबरा गई. उस ने किसी तरह रोहित को समझाबुझा कर मामला शांत करवाया.

दोनों अपने गंतव्य स्टेशन पर ट्रेन से उतर गए. ‘‘तुम्हें क्या जरूरत थी इस तरह उस गुंडे से उलझने की?’’ रिया बोली तो रोहित बोल पड़ा, ‘‘हिम्मत भी कैसे हुई उस की तुम्हें हाथ लगाने की? और क्या करता मैं? चुपचाप तमाशा देखता?’’

‘‘तो क्या उस की जान ले लेते?’’ रिया खीझ कर बोली.

‘‘अगर तुम न रोकती तो मैं सच में उस की जान ले लेता,’’ रोहित ने जवाब दिया.

रिया अवाक रह गई. उस ने रोहित की तरफ देखा. उस का चेहरा गुस्से में लाल था. ‘‘क्या बोल रहे हो, रोहित? मामूली बात पर कोई किसी की जान लेता है क्या?’’ रिया को हंसी आ रही थी उस की बातों पर.

‘‘रिया, अगर कोई भी तुम्हें छुए तो मैं…’’ कहतेकहते रोहित अचानक चुप हो गया. फिर नरम लहजे में बोला, ‘‘मेरे दोस्तों के साथ कोई बदतमीजी करे तो मुझे गुस्सा आ जाता है.’’

‘‘हाऊ स्वीट, तुम सच में कितने अच्छे हो जो दोस्तों की इतनी परवा करते हो,’’ रिया ने उस का गाल पकड़ कर खींचा.

उसे हमेशा घर के पास तक छोड़ने के बाद रोहित वापस चला जाता था. हाथमुंह धो कर जब रिया फारिग हुई तो उस की नजर उस किताब पर पड़ी जो वह अपने साथ ले आई थी. यह किताब हमेशा रोहित के हाथ में रहती थी. उस गुंडे से हाथापाई के दौरान किताब रोहित के हाथों से गिर पड़ी थी जिसे रिया ने उठा लिया था और बातोंबातों में उसे देना भूल गई थी.

उस ने यों ही किताब के पन्ने पलटे. कुछ पन्नों पर कुछ लिखावट की गई थी. एक पन्ने पर उसे अपना नाम लिखा हुआ मिला. उस ने गौर से देखा, लिखावट कुछ जानीपहचानी लगी. कुछ और पन्ने रिया ने पलटे, ज्यादातर पन्नों पर उस का नाम था और उस के नाम के साथ एक और नाम लिखा हुआ था. 2 नामों को एकसाथ दिल के आकार में जोड़ कर लिखा गया था.

उस ने उन लिखे हुए अक्षरों को बारबार देखा. कोई संदेह नहीं था कि किताब में लिखे शब्दों की लिखावट उन गिफ्टकार्ड के अक्षरों से हुबहू मिलती थी.

रिया सन्न रह गई. अचानक सारा राज ताश के पत्तों की तरह उस के सामने खुल गया. रिया के लिए यकीन करना मुश्किल था कि वह रोहित ही था जो उसे गुमनाम तोहफे भेजा करता था. खौफ की ठंडी लहर उस की रीढ़ की हड्डी से गुजर गई. जिस डर पर काबू पाने में उसे इतना वक्त लगा था वह अब एक नाम और चेहरे के साथ उस की जिंदगी में लौट आया था.

जुनून – भाग 2: इश्क जब हद से गुजरता है तो जुनून बन जाता है

फाइवस्टार होटल की दावत के अनुरूप कपड़े खरीदने के लिए रिया ने पूरे 2 महीने तक कंजूसी कर के पैसे बचाए थे. कपड़े, मेकअप से ले कर नए जूते तक खरीद डाले थे उस ने. पहली बार किसी फाइवस्टार होटल के नजारे देख कर उस की आंखें चुंधिया गईं. शानोशौकत क्या होती है, यह उसे आज एहसास हुआ.

विवेक अपने दोस्तों के साथ बैठ कर जाम पे जाम चढ़ाए जा रहा था. रिया की तरह ही कई बला की खूबसूरत लड़कियां वहां मेहमान थीं और महफिल की शान में चारचांद लगा रही थीं. विवेक रिया को ललचाई नजरों से घूर रहा था. रिया ने हाथ मिला कर उसे जन्मदिन की बधाई दी तो बहुत देर तक उस ने रिया का हाथ नहीं छोड़ा.

उत्तेजक संगीत की धुन में कई जवान जोड़े डांसफ्लोर पर थिरक रहे थे. शिखा ने हाथ पकड़ कर रिया को डांसफ्लोर की तरफ खींचा. ‘‘नहींनहीं, मुझे नाचना नहीं आता,’’ रिया ने प्रतिरोध में हाथ छुड़ाया.

‘‘कम औन रिया, चल न, बड़ा मजा आएगा,’’ शिखा पूरे मूड में थी.

‘‘यार, मुझे नहीं आता नाचना. मेरा मजाक बन के रह जाएगा,’’ रिया को झिझक हो रही थी.

‘‘चल मेरे साथ, मैं सिखा दूंगी,’’ रिया के मना करने के बावजूद शिखा उसे अपने साथ ले चली.

कुछ ही देर में रिया भी उसी मस्ती के माहौल में डूबने लगी. एक सुरूर सा उस के तनमन पर छाने लगा. उस का चेहरा लाखों में एक था, उस पर कमसिन उम्र और मासूम अदाएं. सुर्ख लाल रंग की मिनी ड्रैस में वह आज कहर ढा रही थी. उस की छठी इंद्रिय अनजान नहीं थी इस बात से कि न जाने कितनी ही बेकरार नजरें उसे निहार रही थीं.

मगर, एक जोड़ी आंखें उस का पीछा तब से कर रही थीं जब से उस ने यहां कदम रखा था. रिया पर से वे आंखें एक पल को भी नहीं हटी थीं. मगर इस से बेखबर रिया डांसफ्लोर पर किसी नागिन सी झूम रही थी.

‘‘गला सूख रहा है. मैं अभी आई कुछ पी कर,’’ शिखा उस के कान में लगभग चीखती हुई बोली.

‘‘मेरे लिए भी कुछ लेते आना,’’ रिया ने भी चिल्ला कर कहा. पुरजोर बजते कानफोड़ू संगीत में कुछ सुनाई नहीं दे रहा था.

‘‘ठीक है,’’ कह कर शिखा होटल के बार की तरफ बढ़ गई.

‘‘मे आई हैव द प्लेजर टू डांस विद यू,’’ उस अजनबी ने रिया के पास आ कर पूछा.

रिया औपचारिकता से मुसकरा दी तो वह अजनबी उस के साथ थिरकने लगा.

वह रिया को टकटकी लगाए देखे जा रहा था, कभी उस के एकदम पास आ जाता, कभी उस की गरम सांसें रिया के चेहरे से टकरा जातीं. वह जितना दूर जाने की कोशिश करती, वह उस के उतने ही करीब आ रहा था. रिया अब असहज होने लगी, सारा मजा किरकिरा हो चला था.

न जाने क्या था उन आंखों की गहराई में कि उस का मन चाहा कि वह फौरन वहां से हट जाए. हाथ में बियर का बड़ा सा मग ले कर शिखा लौटी तो रिया ने चैन की सांस ली.

‘‘बहुत देर से डांस कर रही हूं, मैं थक गई हूं, अब चलते हैं,’’ रिया उस के कान में फुसफुसाई. पार्टी देर तक चलने वाली थी मगर शिखा के साथ रिया वहां से चली आई. वे 2 आंखें अब भी रिया का पीछा कर रही थीं.

अपने कमरे में बिस्तर पर लेटते ही रिया को गहरी नींद ने आ घेरा. न जाने कितनी देर से उस के मोबाइल की घंटी बज रही थी. नींदभरी आंखें मलतेमलते उस का हाथ अपने मोबाइल तक पहुंचा.

‘‘हैलो,’’ उस ने फोन उठाया, ‘‘हैलो, हैलो.’’

दूसरी तरफ से कोई जवाब न पा कर उसे झल्लाहट हुई. कुछ देर खामोशी रही और दूसरी तरफ से फोन कट गया.

रात के 2 बज रहे थे. न जाने किस का फोन था. उस ने करवट बदली और एक बार फिर से नींद की आगोश में चली गई.

सुबहसुबह शिखा ने चहकते हुए उसे उठाया, ‘‘उठ रिया देख तेरे लिए क्या आया है?’’

‘‘क्या है?’’ खीझ कर रिया उठ बैठी.

‘‘कोई तुम्हारे लिए यह रख कर गया है दरवाजे पर. कौन है मैडम, हमें कभी बताया नहीं,’’ शरारती लहजे में शिखा खिलखिला रही थी.

दिलकश महकते फूलों से सजा हुए एक बुके था, साथ में लगा हुए एक छोटा सा कार्ड. रिया ने उलटपलट कर उस गुलदस्ते को देखा, कार्ड पर उस का नाम लिखा था फौर रिया विद लव.

‘‘मुझे नहीं पता यह किस ने भेजा और क्यों?’’ रिया का दिमाग चकराया. आज तो उस का जन्मदिन भी नहीं था, फिर किस ने उसे फूल भेजे हैं.

‘‘यार, नहीं बताना चाहती तो ठीक है, नाटक क्यों कर रही है,’’ शिखा बुरा लगने के अंदाज में बोली.

दोनों की दोस्ती इतनी गहरी थी कि दोनों एकदूसरे से कुछ नहीं छिपाती थीं कभी. रिया ने शिखा का मूड ठीक करने के लिए उसे कस कर आलिंगन में भर लिया. ‘‘सच में मुझे कुछ नहीं पता, ये फूल किस ने भेजे.’’  उस ने कसम खाने के लिए गले को छुआ.

‘‘फिर तो बड़ी अजीब बात है कि कोई यों ही फूल भेज रहा है,’’ शिखा कंधे उचका कर बोली.

‘‘तू उदास मत हो, क्या पता कल तेरे नाम का बुके आ जाए,’’ रिया ने चुहल की और दोनों जोरों से हंस पड़ीं.

बुके उठा कर रिया ने अपनी मेज पर सजा दिया. मगर यह सिलसिला सिर्फ फूलों तक नहीं थमा. रोज कोई चुपके से उस के दरवाजे पर उपहार रख के चला जाता था. रिया को लगा कोई उस के साथ शरारत कर रहा है. वह उपहारों को उठा लेती, शिखा के साथ मिल कर उन्हें खोलती और दोनों एकदूसरे को छेड़ कर खूब हंसतीं. मगर, मामला अब धीरेधीरे गंभीर हो चला.

तोहफे अब भी आते थे लेकिन रिया को अब हंसी नहीं आती थी, बल्कि एक अजीब सा खौफ उस के मन में छाने लगा. कोई जानपहचान वाला उसे तंग करने के लिए यह सब नहीं कर रहा था.

फूलों और तोहफों के सिलसिले ने जब थमने का नाम नहीं लिया तो रिया के मन का डर बढ़ने लगा. वह हर वक्त यही खैर मनाती कि उसे आज कोई फूल या उपहार न मिले दरवाजे पर. मगर वहां कुछ न कुछ रोज ही रखा रहता. लाल रंग के दिल के आकार के तकिए, महंगी विदेशी ब्रैंड की चौकलेट्स और बड़ेबड़े गिफ्टकार्ड जिन पर उस का नाम सजा होता. लेकिन कौन था इन तोहफों को भेजने वाला, यह राज था.

एक दिन घर लौटते वक्त उसे लगा कि कोई उस का पीछा कर रहा है. उस ने कई बार पलट कर देखा, 2-3 बार अलगअलग दुकानों में बेमतलब घुस गई. लोगों की भीड़ में आखिर वह किस पर शक करती.

‘शायद मेरा वहम है,’ उस ने खुद को ही तसल्ली दी.

रोज की तरह रिया ने जब सुबह का अखबार उठाने के लिए दरवाजा खोला तो पाया वहां आज फिर एक डब्बा रखा हुआ था. वह समझ गई कि उस में क्या होगा. सिर से पैर तक एक बिजली सी उस के तन में कौंध गई. आज उस का गुस्सा सातवें आसमान पर था. उस ने डब्बा उठाया और बगैर खोले गैस का चूल्हा जला कर उस पर रख दिया.

Crime Story: अधूरी रह गई डौन बनने की चाहत

‘‘है लो, एसएचओ कानूनगो साहब बोल रहे हैं?’’ मोबाइल पर आई काल पर किसी अनजान आदमी ने पूछा.

‘‘हां, मैं एसएचओ बोल रहा हूं.’’ फतेहपुर थाने के थानेदार मुकेश कानूनगो ने जवाब दिया.

‘‘एसएचओ साहब, आप के मतलब की एक सूचना है.’’ दूसरी ओर से काल करने वाले ने कहा.

‘‘आप कौन बोल रहे हो और सूचना क्या है?’’ एसएचओ ने पूछा.

‘‘एसएचओ साहब, आप आम खाओ, पेड़ मत गिनो.’’ काल करने वाला बोला, ‘‘सूचना यह है कि बदमाश अजय चौधरी, जगदीप उर्फ धनकड़ और कैलाश नागौरी वगैरह फतेहपुर में मंडावा रोड स्थित बेसवा गांव के पास पर आ रहे हैं.’’

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सूचना देने वाले ने अपनी बात कह कर बिना नाम, परिचय बताए फोन काट दिया. थानेदार कानूनगो ने पलट कर उसी नंबर पर काल की, लेकिन किसी ने काल रिसीव नहीं की.

यह बात बीते 6 अक्तूबर की रात 11 बजे के आसपास की है. उस समय राजस्थान में सीकर जिले के थाना फतेहपुर के थानेदार मुकेश कानूनगो अपने मातहतों को निर्देश दे कर रात की गश्त पर निकलने वाले थे. निकलने से कुछ देर पहले ही उन के मोबाइल पर यह काल आई थी.

कानूनगो को पता था कि अजय चौधरी गैंगस्टर है और कई बड़ी वारदातें कर चुका है. अजय को फेसबुक पर हथियारों के साथ फोटो डालने का शौक था. कुछ समय पहले अजय की हिस्ट्रीशीटर मनोज स्वामी से खटपट हो गई थी. उस ने मनोज स्वामी को देख लेने की धमकी दी थी. तभी से अजय उस की हत्या करने की फिराक में था.

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मनोज ने पुलिस को अपनी जान पर मंडराते खतरे के बारे में बता दिया था. पुलिस ने बदमाशों की तलाश के लिए मनोज जैसी दिखने वाली स्कौर्पियो प्राइवेट गाड़ी किराए पर ले रखी थी. यह गाड़ी थाने के बाहर ही खड़ी थी.

दरअसल, पुलिस को अजय चौधरी और उस के साथियों के फतेहपुर में होने की सूचना 2-3 दिन से मिल रही थी. पुलिस लगातार भागदौड़ कर उन की तलाश भी कर रही थी, लेकिन वे पकड़ में नहीं आ पा रहे थे.

थानाप्रभारी ने सोचा कि अजय चौधरी के फतेहपुर इलाके में घूमने की सूचना सही है तो वह कोई अपराध भी कर सकता है, इसलिए उस की तलाश की जाए. अगर वह पकड़ में आ गया तो कोई बड़ा अपराध नहीं हो सकेगा.

यही सोच कर थानाप्रभारी कानूनगो ने अपनेसाथ 4 कांस्टेबल रामप्रकाश, रमेश, शिव भगवान और सांवरमल को लिया और थाने के बाहर खड़ी स्कौर्पियो गाड़ी से बदमाशों की तलाश में चल दिए. सभी सादे कपड़ों में थे.

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मंडावा रोड पर बेसवा गांव के पास पुलिस को एक बोलेरो आती दिखाई दी. बोलेरो जब पुलिस की स्कौर्पियो के पास से आगे निकली तो ड्राइवर ने बताया कि बोलेरो में अजय है. यह सुन कर इंसपेक्टर ने ड्राइवर से पीछा करने को कहा. पुलिस की स्कौर्पियो बोलेरो का पीछा करने के लिए आगे बढ़ती, उस से पहले ही बोलेरो पलट कर वापस आई और पुलिस की गाड़ी के पास रुक गई.

यह देख कोतवाल मुकेश कानूनगो और सिपाही रामप्रकाश गाड़ी से नीचे उतर गए. इसी दौरान बोलेरो में सवार बदमाशों ने फायरिंग शुरू कर दी. फायरिंग में मुकेश कानूनगो और रामप्रकाश गंभीर रूप से घायल हो गए.

कानूनगो की गरदन में और रामप्रकाश की छाती में गोली लगी थी. फायरिंग होती देख कानूनगो के साथ आए शेष तीनों कांस्टेबल कुछ करते, इस से पहले ही बदमाश फायरिंग करते हुए बोलेरो से भाग गए.

तीनों कांस्टेबल खून से लथपथ थानाप्रभारी और सिपाही को फतेहपुर स्थित अस्पताल ले कर गए, जहां डाक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया. कांस्टेबलों ने पुलिस कंट्रोल रूम और अपने थाने को वारदात की सूचना दे दी. थाने से पुलिस अधिकारियों को घटना की जानकारी दी गई.

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कोतवाल और कांस्टेबल की हत्या की सूचना से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. सीकर एसपी प्रदीप मोहन शर्मा सहित जिले के तमाम अफसर मौके पर पहुंच गए. जयपुर से आईजी वी.के. सिंह भी रात को ही फतेहपुर आ गए. पुलिस ने बदमाशों को पकड़ने के लिए सीकर, चुरू और झुंझुनू जिले में कड़ी नाकेबंदी करा दी.

इस बीच कोतवाल और कांस्टेबल पर फायरिंग करने के बाद बदमाश बोलेरो से फतेहपुर शहर में नायकों के मोहल्ले में पहुंचे और वहां अब्दुल हन्नान के मकान का दरवाजा खटखटाया.

काफी देर तक दरवाजा नहीं खुलने पर बदमाशों ने परिवार के लोगों को धमकी दी. इस के बाद उन्होंने पहले हवाई फायर किया और फिर दरवाजे पर गोली चलाई. फायरिंग की आवाज सुन कर आसपास के लोग जाग गए तो बदमाश भाग खड़े हुए.

राजस्थान में विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के दूसरे दिन हुई इस घटना ने पूरी पुलिस फोर्स के साथ सरकार को भी झकझोर दिया था. इस घटना से शेखावटी में फिर गैंगवार होने की आशंका बढ़ गई थी. इस का कारण यह था कि पुलिस जो प्राइवेट स्कौर्पियो ले कर गैंगस्टर अजय चौधरी और उस के साथियों को पकड़ने के लिए निकली थी, उस गाड़ी को संभवत: अजय ने मनोज स्वामी की समझा था. अजय ने पुलिस के सहयोग से मनोज द्वारा उसे पकड़वाए जाने की आशंका से ही फायरिंग की थी.

दूसरे दिन इस घटना के विरोध में फतेहपुर कस्बा बंद रहा. राजस्थान के डीजीपी ओ.पी. गल्होत्रा, एटीएस के एडीशनल डीजीपी उमेश मिश्रा सहित जयपुर से आला पुलिस अफसर फतेहपुर पहुंच गए.

कोतवाल मुकेश कानूनगो और कांस्टेबल रामप्रकाश के घर वालों ने दोनों को शहीद का दर्जा देने और बदमाशों की गिरफ्तारी की मांग को ले कर शव लेने से इनकार कर दिया. जयपुर के आईजी वी.के. सिंह के आश्वासन पर वे लोग शव लेने पर राजी हुए.

कोतवाल मुकेश कानूनगो का परिवार जयपुर में थाना मुरलीपुरा के पास रहता है. वे मूलत: जयपुर जिले के गोविंदगढ़ के रहने वाले थे. कांस्टेबल रामप्रकाश झुंझुनू जिले में मुकंदगढ़ के घोड़ीवारा के रहने वाले थे. रामप्रकाश के पिता राजेंद्र सिंह सीकर जिले में थाना सदर में एएसआई हैं.

फतेहपुर में पोस्टमार्टम वगैरह की आवश्यक काररवाई पूरी होने के बाद पुलिस अफसरों ने कोतवाल मुकेश कानूनगो और कांस्टेबल रामप्रकाश के तिरंगे में लिपटे शव उन के घर वालों को सौंप दिए.

कोतवाल के शव को आईजी और एसपी ने कंधा दे कर जयपुर के लिए रवाना किया. इस से पहले पुलिस अधिकारियों और सीकर कलेक्टर नरेश ठकराल ने उन के शव पर पुष्पचक्र अर्पित किए. दोनों को गार्ड औफ औनर भी दिया गया.

कोतवाल मुकेश कानूनगो का शव जयपुर में मुरलीपुरा की रामेश्वरम धाम कालोनी स्थित उन के मकान पर पहुंचा, तो परिवार में कोहराम मच गया. दरअसल, मुकेश ने पत्नी मीरा से 7 अक्तूबर को जयपुर स्थित घर आने की बात कही थी, क्योंकि उस दिन ससुराल में उन की सास का श्राद्ध था. यह अलग बात है कि मुकेश 7 अक्तूबर को ही घर पहुंचे, लेकिन तिरंगे में लिपटे हुए.

अंत्येष्टि की तैयारी के दौरान मुकेश के बैच के साथी पुलिस अधिकारियों और रिश्तेदारों ने सरकार से शहीद का दरजा देने और विशेष सहायता पैकेज देने की मांग की. लोगों में इस बात का भी गुस्सा था कि कोई मंत्री या प्रशासनिक अधिकारी संवेदना जताने तक नहीं आया था.

बाद में विधायक हनुमान बेनीवाल वहां पहुंचे. उन्होंने दोनों पुलिसकर्मियों को वीरता अवार्ड, अनुकंपा नियुक्ति और स्पैशल पैकेज की मांग की. सीकर एसपी प्रदीप मोहन और जयपुर के डीसीपी वेस्ट अशोक कुमार गुप्ता ने लोगों को समझाबुझा कर शांत किया.

कांस्टेबल सांवरमल की रिपोर्ट पर थाने में मुकेश कानूनगो व कांस्टेबल रामप्रकाश की हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया था. इस में फतेहपुर निवासी अजय चौधरी, खांजी का बास निवासी जगदीप उर्फ धनकड़, फतेहपुर निवासी दिनेश उर्फ लारा और जलालसर निवासी ओमप्रकाश उर्फ ओपी को नामजद किया गया था. इन के अलावा 3-4 अज्ञात बदमाश बताए गए थे.

फतेहपुर में पुलिस ने जांचपड़ताल की तो पता चला कि पुलिस दल पर फायरिंग कर के बेसवा गांव की तरफ तेज गति से भागे बदमाशों की गाड़ी थोड़ी दूर आगे जा कर पलट गई थी. वहां उन्होंने अपने साथियों से 3 मोटरसाइकिलें मंगाईं.

इन मोटरसाइकिलों पर अजय और उस के साथी फतेहपुर पहुंचे और नायकों के मोहल्ले में फायरिंग की. पुलिस ने सड़क पर पलटी मिली बोलेरो बरामद कर ली. बोलेरो के अंदर खून के निशान मिले. इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि गाड़ी पलटने से बदमाशों को चोटें आई होंगी.

अजय और उस के साथियों को बाइक मुहैया कराने वाले नारीबारी गांव के 2 युवकों को पुलिस ने दूसरे दिन हिरासत में ले कर पूछताछ की तो पता चला कि अजय चौधरी अपने गैंग के साथ चुनाव के लिए आने वाले अवैध पैसे लूटने की फिराक में था. इसीलिए वह फतेहपुर आया था. पैसा लूट कर वह हथियार खरीदना चाहता था.

पुलिस का स्पैशल औपरेशन ग्रुप और आतंकवाद निरोधक दस्ता भी बदमाशों की तलाश में जुटा था. कई संदिग्ध लोगों से पूछताछ की गई. पुलिस की 10 से ज्यादा टीमें लगातार छापे मारती रहीं, साथ ही कड़ी नाकेबंदी कर के जांचपड़ताल भी करती रहीं. लेकिन हत्यारों का कोई ठोस सुराग नहीं मिला.

सरकार के निर्देश पर 9 अक्तूबर की रात करीब साढ़े 10 बजे से सीकर, चुरू व झुंझुनू जिले में इंटरनेट बंद करवा दिया गया. इस के पीछे कारण यह था कि पुलिस को जांच में पता चला था कि अजय चौधरी के गिरोह के बदमाश वाट्सऐप कालिंग, मैसेजिंग और वीडियो कालिंग के जरिए एकदूसरे से बात कर रहे थे.

इस वजह से पुलिस उन की लोकेशन ट्रेस नहीं कर पा रही थी. पुलिस का अनुमान था कि बदमाश शेखावटी इलाके में ही कहीं छिपे हैं, इसलिए आईजी ने संभागीय आयुक्त से बात कर के 3 जिलों में इंटरनेट बंद करवा दिया था.

पुलिस ने थानाप्रभारी व कांस्टेबल की हत्या वाली रात फतेहपुर शहर में नायकों का मोहल्ला में अब्दुल हन्नान के घर फायरिंग करने के मामले में 10 अक्तूबर को 2 बदमाशों दिनेश लारा और कैलाश नागौरी को गिरफ्तार कर लिया. इस मामले में अब्दुल हन्नान के बेटे मुख्तियार ने अजय चौधरी, दिनेश उर्फ लारा और कैलाश उर्फ नागौरी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

दूसरी ओर, 3 जिलों में इंटरनेट बंद किए जाने के बाद तरहतरह की अफवाहों का बाजार गर्म हो गया. सोशल मीडिया पर पुलिस द्वारा 2 बदमाशों का एनकाउंटर किए जाने की सूचना वायरल होती रही. बाद में एनकाउंटर की सूचनाओं को गलत बताते हुए पुलिस ने लोगों से अपील की कि सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वाली बातें शेयर न करें.

पुलिस की जांचपड़ताल में 11 अक्तूबर को यह खुलासा हुआ कि अजय चौधरी और उस के गिरोह ने कोतवाल और कांस्टेबल की हत्या में जिस बोलेरो का इस्तेमाल किया था, वह चुरू जिले के श्रवण के नाम थी. श्रवण ने यह गाड़ी चुरू के ही एक व्यक्ति को बेच दी थी.

इस तरह यह गाड़ी 9 बार बिक चुकी थी, लेकिन किसी भी खरीदार ने गाड़ी के कागजात व आरसी अपने नाम ट्रांसफर नहीं करवाए थे. केवल स्टांप पेपर पर इकरारनामे के आधार पर गाड़ी की खरीदफरोख्त होती रही. फिलहाल यह बोलेरो फतेहपुर के एक व्यक्ति के पास थी. पुलिस ने उस की तलाश की तो वह फरार हो गया.

अब्दुल हन्नान के घर फायरिंग वाले मामले में गिरफ्तार दिनेश उर्फ लारा और कैलाश उर्फ नागौरी को पुलिस ने 11 अक्तूबर को अदालत में पेश कर के 5 दिन के रिमांड पर ले लिया. पूछताछ में इन के हरियाणा सहित राजस्थान के कई जिलों के अपराधियों से संपर्क का पता चला.

कोतवाल व कांस्टेबल की हत्या के आरोपी पकड़ में न आए तो सीआईडी अपराध शाखा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ने 12 अक्तूबर को 4 आरोपियों पर इनाम घोषित कर दिया.

इन में मुख्य आरोपी अजय चौधरी और जगदीप उर्फ धनकड़ पर 40-40 हजार रुपए और ओमप्रकाश उर्फ ओपी व अनुज उर्फ छोटा पांडिया पर 20-20 हजार रुपए का इनाम रखा गया. इसी के साथ इन बदमाशों के पोस्टर सीकर, चुरू व झुंझुनू जिलों के अलावा कई अन्य स्थानों पर लगवाए गए.

इन में झुंझुनू जिले के मंडावा निवासी अनुज उर्फ छोटा पांडिया का नाम गिरफ्तार आरोपी दिनेश उर्फ लारा से पूछताछ में सामने आया था.

कोतवाल व कांस्टेबल की हत्या की वारदात में अनुज मुख्य आरोपी अजय के साथ था. अनुज का पहला भी आपराधिक रिकौर्ड था. आजकल वह फतेहपुर में अपनी ननिहाल में रहता था. पहले वह पांडिया गैंग से जुड़ा हुआ था, लेकिन बाद में अजय चौधरी के साथ जुड़ गया था. वह अजय का खास गुर्गा और हथियार चलाने में माहिर था.

दिनेश उर्फ लारा से पूछताछ में पुलिस को अजय, जगदीप और अनुज के कई ठिकानों का पता चला. इस पर पुलिस ने दिल्ली, हरियाणा सहित राजस्थान के शहरों से ले कर गांव ढाणी तक विभिन्न स्थानों पर छापे मारे, लेकिन घटना के एक सप्ताह बाद भी पुलिस के हाथ खाली ही रहे.

बदमाशों के संबंध में सूचना मिलने पर राजस्थान एटीएस के एडिशनल एसपी बजरंग सिंह अपनी टीम के साथ 12 अक्तूबर की शाम जयपुर से पुणे के लिए रवाना हुए. जयपुर स्थित एटीएस मुख्यालय से पुलिस इंसपेक्टर मनीष शर्मा और राजेश दुनेजा लगातार उन को तकनीकी सहयोग दे रहे थे.

पुणे पहुंच कर 3-4 जगह दबिश देने के बाद 14 अक्तूबर को तड़के पुलिस टीम ने रामपाल जाट को पकड़ लिया. रामपाल जाट भी मुकेश कानूनगो और रामप्रकाश की हत्या में शामिल था. पूछताछ में उस ने बताया कि अजय और जगदीप नेपाल जाने की बात कह कर 13 अक्तूबर की रात मुंबई चले गए थे.

यह जानकारी मिलने पर एडिशनल एसपी बजरंग सिंह बिना समय गंवाए पुणे से रवाना हो कर 14 अक्तूबर की सुबह करीब 8 बजे मुंबई पहुंच गए. मुंबई में रामपाल को उन्होंने पहले से आई हुई जयपुर रेंज की पुलिस टीम के हवाले कर दिया. फिर सीकर जिले के नवलगढ़ के डीएसपी रामचंद्र मूंड और सीआई महावीर को ले कर मुंबई एटीएस व क्राइम ब्रांच के साथ दादर रेलवे स्टेशन पहुंच गए. अजय व जगदीप को दादर स्टेशन पर कोलकाता जाने वाली ट्रेन से पकड़ा गया.

तीनों आरोपियों को पुलिस मुंबई व पुणे से ले कर 15 अक्तूबर को जयपुर पहुंची. बाद में पुलिस इन्हें कड़े सुरक्षा घेरे में सीकर लाई. इधर पुलिस ने एक अन्य आरोपी आमिर को फतेहपुर के कोलीड़ा गांव से पकड़ा. वह अजय के गैंग का मुख्य चालक था. उस दिन भी वह अजय के साथ था और बोलेरो चला रहा था. पुलिस पूछताछ में जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस तरह थी—

अजय चौधरी राजस्थान में शेखावटी का डौन बनने के लिए हिस्ट्रीशीटर मनोज स्वामी की हत्या करना चाहता था. 6 अक्तूबर की रात मनोज की स्कौर्पियो देख कर ही अजय अपने साथियों के साथ बोलेरो से वापस लौट आया था. स्कौर्पियो में मनोज के होने की संभावना के चलते अजय और उस के साथियों ने स्कौर्पियो से उतरे फतेहपुर इंसपेक्टर मुकेश कानूनगो व कांस्टेबल रामप्रकाश पर फायरिंग की थी. अजय को यह पता नहीं था कि वे लोग पुलिस वाले हैं.

उस समय सभी पुलिस वाले सादे कपड़ों में थे और मनोज स्वामी जैसी ही स्कौर्पियो में थे. अजय और उस के साथियों को दूसरे दिन पता चला कि उन्होंने जिन लोगों को गोली मारी थी, वे पुलिस वाले थे.

इंसपेक्टर और कांस्टेबल को गोली मारने के बाद अजय अपने साथियों के साथ बोलेरो से तेजीसे भागा तो इन लोगों की गाड़ी पलट गई. इस से जगदीप के हाथ में फ्रैक्चर आ गया और रामपाल को चोटें आईं. अजय व लारा बाइक मंगवा कर वहां से फतेहपुर चले गए.

आमिर व ओमप्रकाश उर्फ ओपी नवलगढ़ की तरफ गए, जबकि रामपाल व जगदीप पास में ही रामपाल की बहन के घर छोटी बिड़ौदी चले गए. बहन के घर से दोनों नवलगढ़ पहुंचे और अपना इलाज कराया. बाद में बाइक पर कच्चे रास्तों से सीकर जिले के नीमकाथाना पहुंचे. नीमकाथाना से ट्रेन द्वारा ये लोग अहमदाबाद गए और फिर पुणे. पुणे से जगदीप अजय के साथ मुंबई चला गया और रामपाल वहीं रह गया. रामपाल को पुलिस ने पुणे से पकड़ा.

दूसरी तरफ अजय 7 अक्तूबर को फतेहपुर से बस से सीकर आया. सीकर से जयपुर हो कर वह बस से पहले दिल्ली फिर फरीदाबाद पहुंचा. उस ने फरीदाबाद में पढ़ाई की थी, इसलिए फरीदाबाद में उस के कई दोस्त थे. फरीदाबाद से वह पुणे गया.

पुलिस उन के मोबाइल नंबर ट्रेस न कर सके, इस के लिए वे वाट्सऐप कालिंग करते थे. मोबाइल में सिम का इस्तेमाल करने के बजाए ये लोग इंटरनेट के लिए डोंगल का इस्तेमाल करते थे. इस के अलावा ट्रेन में यात्रियों या सड़क पर राहगीरों से मोबाइल मांग कर वाईफाई का इस्तेमाल करते थे.

पुणे में ये लोग दिन में मंदिरों में रहते थे और रात को किराए के फ्लैट में चले जाते थे. अजय ने अपना हुलिया भी बदल लिया था. उस ने अपने बाल छोटे करवा लिए थे और क्लीन शेव रहने लगा था.

बाद में पुलिस ने 16 अक्तूबर को एक अन्य आरोपी ओमप्रकाश उर्फ ओपी को गिरफ्तार कर के उस से एक पिस्टल बरामद की. वह घटनास्थल से 5 किलोमीटर दूर जलालसर गांव में खेतों में छिपा रहा था. यहां तक कि वह अपने घर पर भी गया था, जबकि पुलिस उसे पूरे राजस्थान और हरियाणा में ढूंढ रही थी. वह अपने पास मोबाइल नहीं रखता था, इसलिए पुलिस को उस की लोकेशन नहीं मिल रही थी.

इसी दिन अनुज उर्फ छोटा पांडिया को पुलिस ने भीलवाड़ा से गिरफ्तार कर लिया. वह अहमदाबाद से भीलवाड़ा आया था. अहमदाबाद में उस के परिवार का ट्रांसपोर्ट का काम है. वारदात के बाद वह फतेहपुर से सीकर आया और वहां से जयपुर चला गया. जयपुर से ट्रेन द्वारा वह अहमदाबाद चला गया था.

मुख्य आरोपी अजय ने सीकर की मोहन कालोनी में अपने मामा बलबीर के घर हथियार छिपा कर रखे थे. पुलिस ने इस मकान से 2 देसी कट्टे और 14 कारतूस बरामद किए. साथ ही बलबीर को भी गिरफ्तार कर लिया गया. लारा के घर से भी हथियार बरामद किए गए. रामपाल और अनुज उर्फ छोटा पांडिया के ठिकानों से भी 2 देसी कट्टे व कारतूस बरामद किए गए.

सवाल यह है कि कोतवाल और कांस्टेबल की हत्या की घटना के बाद राजस्थान की पूरी पुलिस फोर्स सक्रिय हो गई थी. जगहजगह कड़ी नाकेबंदी और जांचपड़ताल की जा रही थी. इस के बावजूद आरोपी फतेहपुर से नवलगढ़ चले गए, जहां उन्होंने इलाज करवाया. फिर नीमकाथाना में घूमते रहे.

वे आराम से सीकर, जयपुर, दिल्ली, फरीदाबाद, पुणे व मुंबई पहुंच गए. लेकिन पुलिस ने उन्हें कहीं भी रोकाटोका नहीं. उन की मोबाइल पर भी आपस में बातचीत होती रही, फिर भी पुलिस उन की लोकेशन एक सप्ताह तक नहीं ढूंढ सकी.

फेस्टिवल स्पेशल : घर पर बनाएं बंगाली मिठाई “संदेश”

मिठाई खाना हर किसी को पसंद होता है लेकिन बंगानी मिठाई की बात ही कुछ और होती है. ऐसे में आज आपको बताएंगे संदेश बनाने के तरीके.

 

सामग्री :

– 1/4 छोटा टम्मच इलायची पाउडर
– 5-7 केसर धागे
– 1 लीटर फुल क्रीम दूध
– 1/3 कप चीनी पाउडर
– 1/4 कटोरी पिस्ता, बारीक कटा हुआ
– 2 टीस्पून नींबू का रस

विधि : 

– एक गहरे पैन में दूध डालकर मद्धम आंच पर गरम करें.

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– आधी कटोरी पानी में नींबू का रस डालें और इसे दूध में डाल कर समय चम्मच से लगातार चलाते रहें.

– जब दूध फट जाए और इसमें से छेना अलग हो जाए तो इस छेने को एक सूती कपड़े में डालकर छान लें.  और ऊपर से ठंडा पानी भी डालें जिससे इसमें से नींबू की खटास निकल जाए।

– इस कपड़े को अच्छी तरह बांधकर छेने में से सारा पानी निकाल दें.

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– छेने को एक बड़ी प्लेट पर निकालें.

– फिर इसे 5-6 मिनट तक धीरे-धीरे मसलें ताकि इसमें कोई गांठ न रह जाए.

– इसके बाद छेने में चीनी पाउडर डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लें.

– मद्धम आंच में एक कड़ाही में छेना डालकर 4-5 मिनट तक चलाते हुए भूनें.

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– आंच बंद करके इसे एक प्लेट में निकालें. ठंडा होने के बाद इसमें इलायची पाउडर डालकर मिक्स करें.

– इसके बाद इसकी छोटी-छोटी लोइयां बना लें.

– हर संदेश पर एक केसर का धागा और पिस्ता लगाकर सजाएं. बंगाली संदेश मिठाई तैयार है.

जुनून – भाग 1: इश्क जब हद से गुजरता है तो जुनून बन जाता है

रिया बेतहाशा भाग रही थी उस साए से बचने के लिए, मगर उस की पुकार सुनने वाला वहां कोई नहीं था. भयभीत हिरनी की तरह शिकारी से बचने के लिए उस ने मदद के वास्ते अपनी नजरें चारों तरफ दौड़ाईं. मगर कहीं कोई नजर नहीं आया. पूरा शहर जैसे रातोंरात वीरान हो गया था. अब तक वह नकाबपोश उस के बेहद करीब पहुंच चुका था, भागने का कोई रास्ता अब बचा नहीं था. खुद को बचाने की कोशिश में उस ने पूरी ताकत लगा कर उस नकाबपोश का मुकाबला करना चाहा, मगर उस की कोशिशें उस दरिंदे की ताकत के सामने हार गईं. कपड़ों की तह में छिपा खंजर निकाल उस ने रिया पर हमला बोल दिया. दर्द में तड़पती हुई वह खून से लथपथ जमीन पर गिर पड़ी.

‘‘मुझे बचा लो, मां, मुझे बचा लो,’’ वह    बदहवास लहजे में चीख रही थी.

‘‘रिया उठ, रिया क्या हुआ? रिया, रिया,’’ कोई उसे झंझोड़ कर उठाने की कोशिश कर रहा था.

उस ने आंखें खोलीं तो देखा, वह अपने कमरे के बिस्तर पर लेटी हुई थी. उस की कुरती पसीने से भीगी हुई थी, पूरा शरीर अब भी थरथर कांप रहा था.

‘‘कोई बुरा सपना देखा क्या? बाप रे, कितनी जोर से चीखी तुम, मैं तो डर ही गई थी.’’ रूममेट शिखा

हैरानपरेशान उस के सिरहाने खड़ी थी.

 

‘‘बहुत डरावना सपना देखा, यार. कोई मेरी जान लेने की कोशिश कर रहा था,’’ रिया ने माथे का पसीना पोंछते हुए कहा.

‘‘सपना ही था न, खत्म हो गया, बस. अब उठ कर जल्दी से तैयार हो जा वरना आज फिर क्लास लगेगी,’’ शिखा ने कहा.

मगर रिया अभी तक उस सपने के सदमे में थी. कुछ देर तक वह यों ही चुपचाप बैठी रही. फिर उन बुरे खयालों को दिमाग से झटक कर वह बाथरूम में घुस गई.

उस की एयरहोस्टैस की ट्रेनिंग को अभी कुछ ही अरसा गुजरा था. इस नए शहर में उस के लिए सबकुछ नया था. शहर की तेजतर्रार जिंदगी के साथ रिया अभी कदम से कदम मिला कर चलना सीख रही थी. अपने घरपरिवार से दूर इस बड़े शहर में आने का उस का एक ही मकसद था, अपने भविष्य को सुनहरा बनाना और इस के लिए वह जीजान से मेहनत भी कर रही थी.

उस के छोटे से कसबे में इतनी सुविधाएं नहीं थीं कि रिया अपने सपनों की उड़ान भर पाती. 12वीं की परीक्षा अच्छे अंकों में पास करने के बाद उस के हौसले और मजबूत हो गए थे. कुछ करने की तमन्ना उस के मन में शुरू से ही थी. छोटी सी रिया जब अपनी छत पर से गुजरने वाले हवाईजहाजों को देखती तो उस का जी चाहता कि वह भी किसी जहाज में बैठ कर आसमान की ऊंचाइयों से नीचे झांके, अपना छोटा सा घरआंगन और आंगन में अपने परिवार वालों को ऊपर से देख कर हाथ लहराए.

बड़ी मानमनौवल के बाद उस के बाबूजी किसी तरह राजी हुए थे और मां तो इस खयाल से ही डर रही थी कि उस की बिटिया इतने बड़े शहर में अकेले कैसे रहेगी. यह रिया का ही जनून था जो उस ने अकेले अपने दम पर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में दाखिला लेने के लिए भागदौड़ की थी.

घर छोड़ते वक्त मां के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. बाबूजीने किसी तरह पैसों का इंतजाम किया था. कर्ज का बोझ और गरीबी की लाचारी उन के चेहरे पर हर वक्त झलकती थी. रिया मांबाप की सारी परेशानियां समझती थी, इसीलिए नौकरी कर के वह अपने परिवार का सहारा बनना चाहती थी. बड़ी बहादुरी से उस ने अपने आंसू रोक कर मां को तसल्ली दी कि बस, एक बार अच्छी सी नौकरी मिल जाए तो वह बाबूजी के सारे कर्ज उतार देगी. इतना सुख देना चाहती थी अपने मांबाप को वह कि लोग उस की मिसाल दें.

शहर में अकेले रहने की चुनौतियां कुछ कम नहीं थीं. शिखा से उस की मुलाकात इंस्टिट्यूट में ही हुई थी. एक ही इंस्टिट्यूट में होने के कारण दोनों का मकसद भी एक था और साथ में रहने से उन दोनों के खर्चे बचते. दोनों ने फैसला लिया कि वीमेन होस्टल के बजाय एक कमरा किराए पर ले कर रहा जाए.

एक ढंग का कमरा तो मिला मगर मकानमालकिन उम्रदराज और कुछ खब्ती निकली. उस की शर्त थी कि किसी तरह का कोई बवाल या हुड़दंग नहीं होना चाहिए और 3 महीने का अग्रिम किराया एकमुश्त देना होगा. इतना खर्च करना उस की जेब पर भारी पड़ रहा था, लेकिन यह तसल्ली थी कि एक सुरक्षित माहौल में रह कर दोनों अपनी ट्रेनिंग पूरी कर सकती हैं.

जल्द ही रिया ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट के होनहार छात्रों में शुमार हो गई. उस का एक ही लक्ष्य था और उस के लिए वह पूरी लगन के साथ अपनी पढ़ाई में ध्यान देती थी. इसी दौरान उस के बहुत से नए दोस्त भी बन गए. उन दोस्तों की संगत में उसे बड़े शहर के बहुत से अनछुए पहलुओं को जानने का मौका मिला. दोस्तों के साथ मिल कर मौजमस्ती करना, पब और डिस्को जाना आदि बातें अब उस की जिंदगी का हिस्सा थीं.

कभी सादगी से रहने वाली रिया अब किसी फैशन पत्रिका की मौडल सी नजर आने लगी थी. यह कायाकल्प उस के ग्लैमर से भरे एयरहोस्टैस की नौकरी की पहली जरूरत भी थी.

रिया में खूबसूरती के साथसाथ आत्मविश्वास भी गजब का था. उसे पसंद करने वालों में उस के कई पुरुष मित्र थे. ट्रेनिंग में साथी लड़के उस की एक नजर के लिए तरसते और वह जैसे जान के भी अनजान बन जाती. प्यार के चक्कर में पड़ कर वह अपनी मंजिल से भटकना नहीं चाहती थी.

अपने पैरों पर खड़ी होने का सपना ही उस का पहला प्यार था जिसे हर हाल में उसे पूरा करना था. मां का उदास चेहरा याद आते ही एक आग सी लग जाती उस के तनबदन में और वह खुद को दोगुनी ऊर्जा से भर कर ट्रेनिंग में झोंक देती.

रिया की सहेली का खास दोस्त था विवेक, जिस के जन्मदिन की पार्टी में रिया और बाकी दोस्त आमंत्रित थे. पैसे वाले बाप के बेटे विवेक को पार्टियां देने और खूबसूरत लड़कियों से दोस्ती करने का शौक था. इन पार्टियों का सारा खर्च उस के कारोबारी पिता के लिए किसी मामूली जेबखर्च से अधिक नहीं होता था, जहां शराब पानी की तरह बहाई जाती और जवानी के जोश में डूबे कमउम्र लड़केलड़कियां देर रात तक हुड़दंग मचाते.

गन्ने के खास गुण

लेखक- डा. आरएस सेंगर, डा. मनोज कुमार शर्मा, डा. रेशू चौधरी

गन्ने का रस स्वादिष्ठ, पौष्टिक, विटामिन ए, बी, सी और के से भरपूर होता है. इस में तमाम कैमिकल, लवण, फास्फोरस भी भरपूर मात्रा में होते हैं. गन्ने के रस में पका कर बनाई गई राब सेहत के लिए खासकर कफ में राहत देने वाली, वीर्य बढ़ाने वाली होती है.

गुड़ जितना पुराना होगा, उतना ही गुणकारी होता है. गन्ने के रस से बने हुए पदार्थ जैसे राब, गुड़, शक्कर, मिश्री वगैरह का इस्तेमाल पुराने समय से ही हो रहा है. शरीर के पोषण की दृष्टि से गन्ने का रस लेना बहुत ही फायदेमंद है.

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यह खून को साफ कर के हमें अनेक संक्रामक रोगों से बचाता है. गन्ने का रस फेफड़ों के लिए भी खासा फायदेमंद है. साथ ही, यह फेफड़ों को मुलायम बनाता है. गन्ने को चूसना अधिक फायदेमंद होता है. अगर गन्ने का रस मशीन से निकाल कर पीना है तो पीले, मोटे गन्ने का रस ही निकाल कर पीएं.

सड़ागला, काना, कीड़ों का खाया हुआ गन्ने का रस सेहत के लिए नुकसानदायक होता है.

1.अफरा, गैस, बदहजमी हो जाने पर गन्ने के रस को गरम कर के पीने से फायदा होता है. इस में आधा नीबू और एक चम्मच अदरक का रस जरूर मिलाएं.

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2. किसी भी तरह के त्वचा यानी स्किन रोग जैसे दाद, खाज, खुजली वगैरह होने पर नीम का रस और गन्ने के रस को मिला कर लें. इस से खून की सफाई हो जाएगी और त्वचा रोग से नजात मिल जाएगी.

3. अगर कब्ज की समस्या से परेशान हैं तो गन्ने के एक गिलास रस में 2 नीबू निचोड़ कर पी लें.

4. खून की कमी होने पर 2 गिलास गन्ने का रस रोज लें.

5. खूनी दस्त होने पर गन्ने के रस में अनार का रस मिला कर पीने से बहुत जल्दी आराम मिलता है.

6. पीलिया होने पर गन्ने के रस का हर रोज सेवन करें. इस से खून और फेफड़ों की सफाई होती है.

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7. पेशाब में रुकावट या जलन महसूस होने पर गन्ने का रस पी लें. तुरंत आराम मिलेगा.

8. अगर भूख न मिटती हो, दिनभर कुछ न कुछ खाता ही रहता हो, तो गन्ने के रस का दिन में 3 बार सेवन करें. हफ्तेभर में खुराक सामान्य हो जाती है.

9. मुंह में बदबू होने पर सुबहसवेरे गन्ना चूसें या रस को थोड़ी देर मुंह में रोक कर धीरेधीरे लें. कुछ दिन तक ऐसा करने से मुंह की बदबू दूर हो जाएगी.

10. लू लगने पर गन्ने के रस का सेवन बहुत फायदेमंद है. यह शरीर को ठंडक और स्फूर्ति देता है.

11. पित्त की उलटी होने पर एक गिलास गन्ने के रस में 2 चम्मच शहद मिला कर पी लें.

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12. कुकुर खांसी में गन्ने का रस मूली के साथ मिला पी लें, फौरन आराम मिलेगा.

13.  स्मरणशक्ति तेज करने के लिए गन्नेका रस और पुराना गुड़ मिलाकर सेवन करें.

14.  गन्ने के रस का रोज सेवन करने से शरीर बलवान हो जाता है.

अब डिजिटल वर्ल्ड में कदम रखेंगे बौलीवुड एक्टर शाहिद कपूर

2019 की सफलतम फिल्म ‘‘कबीर सिंह’’के बाद शाहिद कपूर ने काफी सोचसमझकर फिल्म ‘‘जर्सी’’ में अभिनय करना स्वीकार किया था.फिल्म‘कबीर सिंह’से उनके कैरियर को एक नई उंचाई व दिशा भी मिली.पर इन दिनों वह करण जोहर के घर पर 2019 में हुई पार्टी के वायरल वीडिया के चलते सोशल मीडिया व कुछ टीवी चैनलों पर ड्ग्स लेने के आरोपांे को झेल रहे हैं.

लेकिन इस तरह की खबरों से प्रभावित हुए बगैर शाहिद कपूर ने अब बतौर निर्माता डिजिटल माध्यम में कदम रखने का निर्णय लेकर तैयारी शुरू  कर दी है.सूत्रों की माने तो शाहिद कपूर ने ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘नेटफ्लिक्स’’ के संग सौ करोड़ रूपए की डील भी कर ली है.इतना ही नही वह अपना स्टूडियो भी खड़ा करने पर विचार कर रहे हैं.

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शाहिद कपूर न केवल नेटफ्लिक्स फिल्म या सीरीज में अभिनय करने के साथ ही स्वयं कुछ निर्माण भी करेंगे.सूत्र दावा कर रहे है कि शाहिद कपूर ‘नेटफ्लिक्स’के लिए एक फिक्शन वेब सीरीज है का निर्माण भी करने वाले है.मगर अब तक शाहिद कपूर या उनके प्रवक्ता ने इस बात को स्वीकार नही किया है.

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यॅंू तो शाहिद कपूर ने मणिपुरी बाक्सर नगंगम डिंगको सिंह पर बायोपिक फिल्म बनाने के भी अधिकार खरीदे हैं.इस फिल्म का निर्देशन राजा कृष्णन मेनन करने वाले हैं,मगर कोरोना के चलते इसकी शूटिंग शुरू नहीं हो पायी.इसमंे बाक्सर का किरदार स्वयं शाहिद कपूर निभा रहे हैं.

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सूत्र तो यह भी दावा कर रहे  हैं कि शाहिद आदित्य निंबालकर के निर्देशन में एक  एक्शन थ्रिलर फिल्म में अभिनय करने के लिए हामी भर चुके हैं,जिसका प्रसारण ‘ओटीटी’ प्लेटफार्म पर ही होगा.

दिव्यांका त्रिपाठी के नए लुक पर फिदा हुए फैंस, कमेंट में कह दी ये बात

टीवी जगत की मशहूर अदाकारा दिव्यांका त्रिपाठी अपने सोशल मीडिया पर आए दिन एक्टिव रहती हैं. इस बार ये है मोहब्बतें एक्ट्रेस दिव्यांका त्रिपाठी अपने नए लुक से फैंस का दिल जीत लिया है. दिव्यांका का नया लुक फैंस को इतना ज्यादा भा रहा है कि वह तारीफ किए बिना नहीं रह पा रहे हैं.

बैलून स्लीव्स के साथ लूज वाइट टॉप में नजर आ रही हैं. हालांकि इस लुक में सबसे ज्यादा ध्यान दिव्यांका का ट्रांसपेरेंट ग्लास खींच रहा है.

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पोज देते हुए दिव्यांका के बालकनी का नजारा काफी खूबसूरत लग रहा है. इस दिलकश नजारे की तारीफ हर कोई कर रहा है. वहीं दिव्यांका ने अपने न्यू लुक के साथ फोटो शेयर करते हुए लिखा है न्यू एडिसन इस तस्वीर में दिव्याकां अपनी मुस्कान से सभी का दिल जीत रही हैं.

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वहीं इस तस्वीर पर दिव्यांका के कई दोस्तों ने उनकी मुस्कान को प्यारी बताते हुए तारीफ की है. एक फैंस ने लिखा है मेरी प्यारी चश्मीश तो वहीं दूसरे फैंस ने लिखा है कि आपका चेहरा इतना प्यारा है कि आप किसी के भी होश उड़ा सकती हैं. अभी तक इस तस्वीर पर 2 लाख से ज्यादा लाइक मिल चुके हैं तो वहीं उससे कहीं ज्यादा कमेंट आ चुके हैं.

वर्फफ्रंट की बात करें तो दिव्याकां त्रिपाठी को आखिरी बार सीरियल ये है मोहब्बतें में देखा गया था. करण पटंल के ऑपोजिट. फिलहाल दिव्यांका त्रिपाठी अपने मली के साथ में क्वालिटी टाइम बिता रही हैं. उन्होंने अभी तक कही काम करना शुरू नहीं किया है.

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आए दिन सोशल मीडिया पर नई- नई तस्वीर शेयर करती रहती हैं. दिव्यांका के पति वेवेक दहिया भी आए दिन चर्चा में बने रहते हैं.

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