Download App

बिग बॉस 14: अपनी इन गलतियों कि वजह से कुछ घंटों में ही कैप्टेंसी से हाथ धो बैठे निशांत मलखानी

वैसे तो बिग बॉस 14 का हर एपिसोड मजेदार रहता है. जहां एक तरफ पवित्रा पुनिया और राहुल वैद्या कि लड़ाई ने खूब लाइम लाइट बटोरी वहीं दूसरी तरफ निशांत सिंह मलखानी के सर से कैप्टसेसी का जात छीन लिया गया है. एक नहीं दो नहीं करीब 6 गलतियों का उल्लंधन होने से उनके सर से ताज छील लिया गया है.

दरअसल, बिग बॉस 14 के घर में एंट्री करने के बाद निशांत मलखानी अंग्रेजी में बात करते नजर आएं. यहीं नहीं निशांत ने अपने दोस्तों से घर के अंदर नॉमिनेशन के बारे में भी बात करते नजर आएं. इसके साथ ही निशांत सिंह मलखानी ने नियमों का भी पालन नहीं किया.

ये भी पढ़ें- ‘‘कसाईः  मानवीय परतों को उधेड़ते हुए राजनीति का असली चेहरा ’’

निशांत सिंह मलखानी के कैप्टेंसी में घर के बहुत सारे सदस्य दिन में भी सोते नजर आएं. वहीं निशांत सिंह मलखानी को बिग बॉस ने कई बार माइक न पहनने पर भी टोका. बार- बार मना करने के बाद भई निशांत अपनी गलतियों को दोहरा रहे थें. जिससे घर के सदस्य और बिग बॉस भी परेशान हो गए थें.

ये भी पढ़ें- 10 साल के हुए संजय दत्त के जुड़वा बच्चें, मान्यता ने धूमधाम से मनाया जन्मदिन

इन सभी के बाद बिग बॉस ने निशांत मलखानी की जमकर क्लास लगाई. बिग बॉस ने उनकी सभी गलतियों को गिनाया.

ये भी पढ़ें- निशांत मलखानी होगें बिग बॉस के घर के पहले कैप्टन, फैंस ने जाहिर कि अपनी

साथ ही बिग बॉस ने निशांत मलखानी को एक लापरवाह कैप्टन बताया. जिसके बाद बिग बॉस ने निशांत को सारे समान को घर से बाहर लाने के लिए कहा. वहीं जब सभी को पता चला कि निशांत सिंह मलखआनी की कैप्टेंसी जा रही है तो सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया. सभी घर वाले हैरान होकर देखने लगे.

ये भी पढ़ें- टीआरपी घोटाले के बहाने मीडिया पर शिकंजा

जहां एक तरफ फैंस निशांत का सपोर्ट करते नजर आ रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ टीवी सितारे निशांत का जमकर मजाक बनाते नजर आ रहे हैं. इससे घर पर भी खूब बवाल मचा हुआ है.

ये रिश्ता क्या कहलाता है: ‘कायरव’ को समझाने के लिए ‘कार्तिक-नायरा’ ने लिया नया अवतार

मोहसिन खान और शिवांगी जोशी का सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है में ट्विस्ट आने वाला है. अपकमिंग शो में दिखाया जाएगा कि नायरा और कार्तिक कायरव को मानाने के लिए कड़ा मशक्त करते नजर आएंगे.

ये रिश्ता क्या कहलाता है के पिछले एपिसोड़ में दिखाया गया है कि कैरव अपने मम्मी- पापा से इसलिए नाराज है क्योंकि उसे समझ नहीं आ रहा है कि उसके मम्मी-पापा कृष्णा से इतना प्यार क्यों करते हैं. ऐसे में अब नायरा और कार्तिक अपने बेटे को मनाने के लिए नई तरकीब निकालेंगे.

ये भी पढ़ें- शाहजादा अलीः बच्चों के संसार में झांकने का प्रयास….’’

 

View this post on Instagram

 

_____________________ @shivangijoshi18 @khan_mohsinkhan @tanmayrishi @tejasweebhadane @simrankhannaofficial @maazchampofficial @kshiteejog @medhajambotkar @shehzadss @harshak20 @niyatijoshiofficial @swatichitnisofficial @shilpa_s_raizada @samir_onkar @realkaranmehra @realhinakhan @rohanmehraa @kanchisingh09 @romitsp27_official ______________________ _ _ ________________________ #kaira #kairav #kartikgoenka #nairagoenka #shivin #starplus #kairavgoenka #shivangijoshi #naira #mohsinkhan #kartik #mohsin #yrkkh #gayu #naksh #yerishtakyakahlatahai #heenakhan #akshara #shilparaizada #samironkar #simrankhanna #suhasinigoenka #surekhagoenka #manishgoenka #akhileshgoenka #samarthgoenka #swarnagoenka _______________________

A post shared by Kaira (@ye_rishta_kya_kahlata_he_fc) on

सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है में नायरा और कार्तिक देवकी और वासुदेव के किरदार में नजर आएंगे. सोशल मीडिया पर शिवांगी जोशी की तस्वीर खूब वायरल हो रही है. जिसमें वह नायरा नहीं बल्कि माता देवकी बनी नजर आ रही हैं.

ये भी पढ़ें- टीआरपी घोटाले के बहाने मीडिया पर शिकंजा

Gorgeousness overload

वहीं मोहसिन खान भी वासुदेव के लुक में काफी ज्यादा जच रहे हैं. इस लुक को देखने के बाद फैंस खूब तारीफ कर रहे हैं. दोनों को एक साथ खूब पसंद किया जा रहा है.

 

View this post on Instagram

 

New Kairav

A post shared by Kaira (@ye_rishta_kya_kahlata_he_fc) on

इस सीरियल में कार्तिक और नायरा एक प्ले करेंगे जिसमें यह दिखाया जाएगा कृष्ण के जन्म के बाद क्या हुआ था. इसे देखने के बाद घर वाले भी इमोशनल होकर रोने लगेंगे.

ये भी पढ़ें- बिग बॉस 14 में होगी रिया चक्रवर्ती की एंट्री! दुनिया को बताएंगी अपनी सच्चाई

कार्तिक की बहन कृति यशोदा बनेगी जिसमें वह कृष्ण को लेकर आएगा और विनती करेगा कि इसकी प्राणों की रक्षा करें. क्योंकि उसका जान खतरे में हैं.

कृति के जिंदगी में भी इन दिनों काफई उथल-पुथल मची है उसके रिश्ते नक्ष के साथ भी अच्छे नहीं हैं. हालांकि इन सबके बावजूद भी वह कार्तिक और नायरा की मदद करेगी.

ऐसे तैयार करें टोमेटो मसाला ग्रेवी

जब आप किसी भी होटल में जाते हैं तो ऑर्डर देने के कुछ वक्त बाद ही आपकी सब्जी बनकर तैयार हो जाती है. ऐसे में आपको समझ नहीं आता है कि इतनी टेस्टी सब्जी इतनी जल्दी कैसे बन गई. आइए आपको बताते हैं मसाला ग्रेवी बनाने की विधि.

सामग्री-

चार−पांच बड़े प्याज

ये भी पढ़ें- फेस्टिवल स्पेशल : कुछ मीठा खाने का मन करे तो बनाएं बेसन का हलवा

हरी मिर्च

डेढ़ किलो टमाटर

नमक

हल्दी

लाल मिर्च

धनिया पाउडर

100 ग्राम ऑयल

ये भी पढ़ें- घर पर आसान तरीके से बनाए पनीर टिक्का

आधा छोटा चम्मच सिटिक एसिड

एक चम्मच चीनी

विधि

-सबसे पहले आप प्याज व हरी मिर्च को बारीक काट लें. अब कुकर को गर्म करें. इसमें तेल डालें और इसमें तेजपत्ता, जीरा डालकर चटकाएं.

ये भी पढ़ें- फेस्टिवल स्पेशल: मीठा खाने का मन करे तो घर पर बनाएं कच्चे पपीते का हलवा

-अब इसमें हरी मिर्च डालकर 10−15 सेकंड के लिए फ्राई करें. इसके बाद इसमें प्याज डालें व नमक डालें. अब आप टमाटर को भी बारीक काट लें.

-जब प्याज हल्के भून जाएं तो इसमें आप हल्दी, लाल मिर्च व धनिया पाउडर डालकर अच्छी तरह मिक्स करें. इन सभी मसालों को एक मिनट के लिए भून लें.

-अब आप इसमें टमाटर डालकर मिक्स कर दें. अब प्रेशर कुकर में ढक्कन लगा दें और दो सीटी लगाएं. दो सीटी आने के बाद गैस लो करें और पांच मिनट तक पकने दें. इसके बाद गैस बंद करें और ठंडा होने दें. जब सीटी निकल जाए तो ढक्कन खोल दें.

ये भी पढ़ें- फेस्टिवल स्पेशल: इस आसान तरीके से बनाएं बादाम की बर्फी

-अब फ्लेम को हाई करें और टमाटर ग्रेवी में मौजूद पानी को सुखाएं. करीबन दस से बारह मिनट में अतिरिक्त पानी सूख जाएगा.

-अब आप इसमें एक चम्मच चीनी और आधा छोटा चम्मच सिटिक एसिड डालें. यह डालने से टोमेटो मसाला सात से दस दिन तक खराब नहीं होगा. आखिरी में इसमें गरम मसाला डालकर एक बार फिर से मिक्स करें.

-आपका मसाला बनकर तैयार है. अब आप इस मसाले की मदद से अपनी सूखी या तरी वाली सब्जी झटपट तैयार हो जाएगी.

टिपः अगर आपके पास सिटिक एसिड नहीं है तो आप मसाले में ऑयल थोड़ा अधिक डालें और पांच−दस मिनट के लिए अधिक पकाएं.

अनोखा हनीमून-भाग 3: मिस्टर माथुर का सिया के साथ क्या रिश्ता था?

लेखक- नीरज कुमार मिश्रा

मैनेजर ने आंखें सिकोड़ीं, मानो वो बिना बताए ही सबकुछ समझने की कोशिश कर रहा था.‘‘अरे साहब, कोई जरूरी नहीं कि वह बच्चा अब भी यहां हो या उसे कोई आ कर गोद ले गया हो… इतने साल पुरानी बात आप आज क्यों पूछ रहे हैं… हालांकि मुझे इस बात से कोई लेनादेना नहीं है… पर, अब पुराने रिकौर्ड भी इधरउधर हो गए हैं… और फिर हम किसी अजनबी को अपनी कोई जानकारी भला दे भी क्यों?‘‘ मैनेजर ने अपनी हथेली खुजाते हुए कहा.

नमिता अपने बच्चे को देखने के लिए अधीर हो रही थी. उस ने अपने पर्स से सौ के नोट की एक गड्डी निकाली और मैनेजर की ओर बढ़ाई.

‘‘जी, ये लीजिए डोनेशन… और इस की रसीद भी हमें आप मत दीजिए. उसे आप ही रख लीजिएगा… बस आज से 15 साल पहले 10 अगस्त को एक लड़की को कोई आप के यहां दे गया था. आप हमें उस बच्ची से मिलवा दीजिए… हम उसे गोद लेना चाहते हैं.‘‘

नोटों की गड्डी को जेब के हवाले करते हुए मैनेजर ने अपना सिर रजिस्टर में झुका लिया और कुछ ढूंढ़ने का उपक्रम करने लगा.‘‘जी, आप जिस बच्ची की बात कर रही हैं… वह कहां है… देखता हूं…‘‘

कुछ देर बाद मैनेजर ने उन लोगों को बताया कि 10 अगस्त के दिन एक लड़की को कोई छोड़ तो गया था, पर अब वह लड़की उन के अनाथालय में नहीं है.‘‘तो कहां है मेरी बेटी?‘‘ किसी अनिष्ट की आशंका से डर गई थी नमिता.

‘‘जी, घबराइए नहीं. आप की बेटी जहां भी है, सुरक्षित है. आप की बेटी को कोई निःसंतान दंपती आ कर गोद ले गए थे.‘‘‘‘कौन दंपती? कहां हैं वो? आप हमें उन का पता दीजिए… हम अपनी बेटी उन से जा कर मांग लेंगे,‘‘ वीरेन ने कहा.

‘‘जी नहीं सर… उस दंपती ने पूरी कानूनी कार्यवाही कर के उस बच्ची को गोद लिया है… अब कोई भी उन से बच्ची को छीन नहीं सकता है,‘‘ मैनेजर ने कहा.

‘‘पर, आप हमें बता तो सकते हैं न कि किस ने उसे गोद लिया है… हम एक बार अपनी बेटी से मिल तो लें,‘‘ नमिता परेशान हो उठी थी.

‘‘मैं चाह कर भी उन लोगों की पहचान आप को नहीं बता सकता हूं… ये हमारे नियमों के खिलाफ है,‘‘ मैनेजर ने कहा.

अब बारी वीरेन की थी. उस ने भी मैनेजर को पैसे पकड़ाए, तो कुछ ही देर में उस ने उस दंपती का पूरा पता एक कागज पर लिख कर मेरी ओर बढ़ा दिया.

ये बरेली के सिविल लाइंस में रहने वाले मिस्टर राजीव माथुर का पता था.‘‘अब हमें वापस चलना चाहिए,‘‘ वीरेन ने नमिता से कहा.‘‘नहीं, मैं अपनी बेटी से जरूर मिलूंगी और अपने साथ ले कर आऊंगी,‘‘ नमिता ने कहा, तो वह उस के चेहरे पर कठोरता का भाव साफ देख सकता था.

वीरेन के समझाने पर भी नमिता नहीं मानी, तो वे बरेली की तरफ चल दिए और वहां पहुंच कर दिए गए पते को खोजते हुए राजीव माथुर के घर के सामने खड़े हुए थे. वह एक सामान्य परिवार था. उन का घर देख कर तो ऐसा ही लग रहा था.

राजीव माथुर के घर की घंटी बजाई, तो उन के नौकर ने दरवाजा खोला. सामने ही मिस्टर माथुर थे. मिस्टर माथुर की उम्र कोई 70 साल के आसपास होगी, पर उन्हें व्हीलचेयर पर बैठा देख वीरेन को एक झटका सा जरूर लगा, मिस्टर माथुर के साथ ही उन की पत्नी भी खड़ी थीं. उन दोनों को देख कर नमिता और वीरेन के चेहरे पर कई प्रश्नचिह्न आए.

पर, फिर भी उन्होंने एक महिला को देख कर उन्हें ड्राइंगरूम में बिठाया और अपने नौकर को 2 कप चाय बनाने को कहा.

‘‘जी, दरअसल, हम लोग दिल्ली से आए हैं और आप लोग जिस अनाथालय से एक लड़की को गोद ले कर आए थे… वो दरअसल में हमारी बेटी है,‘‘ नमिता ने एक ही सांस में मानो सबकुछ कह डाला था और बाकी का अनकहा मिस्टर माथुर बखूबी समझ गए थे.

‘तो आज इतने सालों के बाद मांबाप का प्यार जाग उठा है… अब आप लोग मुझ से क्या चाहते हैं?‘‘‘देखिए, मैं जानता हूं कि आप ने कागजी कार्यवाही पूरी करने के बाद ही हमारी बेटी को गोद लिया है… पर, फिर भी…‘‘ वह आगे कुछ कह न पाया, तो मिस्टर माथुर ने वीरेन की मदद की.

‘‘पर, फिर भी… क्या… बेहिचक कहिए…‘‘‘‘दरअसल, हम हमारी बेटी को वापस चाहते हैं.‘‘वीरेन भी हिम्मत कर के अपनी बात कह गया था.

कुछ देर चुप रहने के बाद मिस्टर माथुर ने बोलना शुरू किया, ‘‘देखिए, यह तो संभव नहीं है. आज का युवा मजे करता है, जब फिर बच्चे पैदा होते हैं,  फिर अनाथालय में छोड़ देता है और फिर एक दिन अचानक उन का प्यार जाग पड़ता है और वे औलाद को ढूंढ़ने चल पड़ते हैं.

‘‘आप जैसे लोगों की वजह से ही अनाथालयों में बच्चों की भीड़ लगी रहती है और कई नवजात बच्चे कूड़े के ढेर में पड़े हुए मिलते हैं… और मुझे लग रहा है कि आप दोनों अब भी अविविवाहित हैं?‘‘ मिस्टर माथुर का पारा बढ़ने लगा था. उन की अनुभवशाली आंखें काफीकुछ समझ गई थीं.

कुछ देर खामोशी छाई रही, फिर मिस्टर माथुर ने अपनेआप को संयत करते हुए कहा, ‘‘खैर जो भी हो, अब वह हमारी बेटी है और वह हमारे ही पास रहेगी… अगर आप चाय पीने में दिलचस्पी रखते हों तो पी सकतें हैं, नहीं तो आप लोग जा सकते हैं.‘‘

कुछ कहते न बना वीरेन और नमिता से, वे दोनों अपना सा मुंह ले कर मिस्टर माथुर के घर से निकल आए.माथुर दंपती ने जब अनाथालय से बच्ची को गोद लिया था, तब उन की उम्र 55 साल के आसपास थी, एक बच्ची को गोद लेने की सब से बड़ी वजह थी कि मिस्टर माथुर के भतीजों की नजर उन की संपत्ति पर थी और माथुर दंपती के निःसंतान होने के नाते उन के भतीजे उन की दौलत को जल्दी से जल्दी हासिल कर लेना चाहते थे.

मिस्टर माथुर ने बच्ची को गोद लेने के बाद उस का नाम ‘सिया‘ रखा और उसे खूब प्यारदुलार दिया. उन्होंने सिया के थोड़ा समझदार होते ही उसे ये बात बता दी थी कि सिया के असली मांबाप वे नहीं हैं, बल्कि कोई और हैं और वे लोग उसे अनाथालय से लाए हैं.

इस बात को सिया ने बहुत ही सहजता से लिया और वह माथुर दंपती से ही अपने असली मांबाप की तरह प्यार करती रही.आज माथुर दंपती के इस प्रकार के रूखे व्यवहार से नमिता बुरी तरह टूट गई थी. वह होटल में आ कर फूटफूट कर रोने लगी. वीरेन ने उसे हिम्मत दी, “तुम परेशान मत हो नमिता… मैं माथुर साहब से एक बार और मिल कर उन से प्रार्थना करूंगा, उन के सामने अपनी झोली फैलाऊंगा. हो सकता है कि उन्हें दया आ जाए और वे हमारी बेटी से हमें मिलने दें,” वीरेन ने कहा.

अगले दिन वीरेन एक बार फिर मिस्टर माथुर के सामने खड़ा था. उसे देखते ही मिस्टर माथुर अपना गुस्सा कंट्रोल करते हुए बोले, “अरे भाई, क्यों बारबार चले आते हो हमें डिस्टर्ब करने…? क्या कोई और काम नहीं है तुम्हारे पास? हम तुम्हें अपनी बेटी से नहीं मिलवाना चाहते… अब जाओ यहां से?”

एक बार फिर वीरेन अपना सा मुंह ले कर वापस आ गया था.वीरेन को बारबार सिया से मिलने के लिए परेशान और मिस्टर माथुर के रूखे व्यवहार को देख कर मिस्टर माथुर की पत्नी ने उन से कहा, “आप उन लोगों को सिया से मिला क्यों नहीं देते?”

“आज को तुम बेटी को मिलाने को कह रही हो, कल को उसे उन लोगों के साथ जाने को कहोगी… और क्या पता कि ये लोग भला उस के असली मांबाप हैं भी या नहीं,” मिस्टर माथुर ने अपनी पत्नी से कहा.

“वैसे, अपनी सिया की शक्ल उस युवक से काफी हद तक मिलती तो है,” मिसेज माथुर ने कहा, तो मिस्टर माथुर ने भी अपनी आंखें कुछ इस अंदाज में सिकोड़ीं, जैसे वे वीरेन और सिया की शक्लें मिलाने का प्रयास कर रहे हों और कुछ देर बाद वे भी मिसेज माथुर की बात से संतुष्ट ही दिखे.

“अब यहां रुके रहने से क्या फायदा वीरेन? हम ने जो गलत काम किया है, उस की सजा हमें इस रूप में मिल रही है कि हम अपनी बेटी के इतने करीब आ कर भी उस से नहीं मिल पाएंगे,” नमिता ने दुखी स्वर में कहा.

“हां नमिता… पर, एक बार मुझे और कोशिश करने दो. हो सकता है कि उन का मन पसीज जाए… और फिर तुम ने ही तो एक बार किसी कवि की चंद पंक्तियां सुनाई थीं न… ‘फैसला होने से पहले मैं भला क्यों हार मानूं… जग अभी जीता नहीं है… मैं अभी हारा नहीं हूं’,” वीरेन ने कहा.

“तो फिर मैं भी तुम्हारे साथ हूं,” नमिता ने भी दृढ़ता से कहा.एक बार फिर से वीरेन और नमिता माथुर दंपती के सामने बैठे हुए थे. मिस्टर माथुर का लहजा भी थोड़ा नरम लग रहा था.

“तो वीरेनजी, हम आप को आप की बेटी से मिलने तो देंगे, पर हम ये कैसे मान लें कि आप ही सिया के असली मांबाप हैं?”“जी, मैं किसी भी तरह के टैस्ट के लिए तैयार हूं,” वीरेन का स्वर अचानक से चहक उठा था.

“तो फिर ठीक है, आप लोग अपना डीएनए टेस्ट करवा लाइए और आज मैं आप लोगों को सिया से मिलवा देता हूं.”मिसेज माथुर अपने साथ सिया को ले कर आईं, 15 साल की सिया कितनी भोली लग रही थी, उस के चेहरे पर वीरेन की झलक साफ नजर आ रही थी.नमिता ने दौड़ कर सिया को अपनी बांहों में भर लिया और उसे चूमने लगी. वीरेन तो सिर्फ सिया को निहारे जा रहा था. उन का इस तरह से अपनी बेटी से मिलना देख कर माथुर दंपती की आंखें भी भर आई थीं.

कुछ दिनों बाद डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट से यह साफ हो गया था कि सिया ही नमिता और वीरेन की बेटी है.

“देखो गलती हर एक से होती है, पर अपनी गलती का अहसास हो जाए तो वह गलती नहीं कहलाती… सिया तुम्हारी ही बेटी है, ये तो टैस्ट से साबित हो गया है, पर अब कानूनन हम ही उस के उस के मांबाप हैं और हम अपनी बेटी को अब किसी को गोद नहीं देंगे… तुम लोगों को भी नहीं…

“पर, मैं तुम दोनों से सब से पहले तो ये गुजारिश करूंगा कि तुम दोनों शादी कर लो और आगे का जीवन प्यार से बिताओ.‘‘

मिस्टर माथुर की ये बात सुन कर नमिता के गालों पर अचानक शर्म की लाली घूम गई थी. साथ ही साथ ये भी कहूंगा कि तुम दोनों अपनी सारी संपत्ति सिया के नाम करो, तभी मुझे ये लगेगा कि तुम लोगों का अपनी बेटी के प्रति यह प्रेम कहीं  क्षणभंगुर तो नहीं…, कहीं यह कोई दिखावा तो नहीं है, जैसे वक्तीतौर का प्यार होता है…” मिस्टर माथुर ने मुसकराते हुए कहा.

मिस्टर माथुर की किसी भी बात से वीरेन और नमिता को कोई गुरेज नहीं था. वीरेन ने नमिता की तरफ प्रश्नवाचक नजरों से देखा, नमिता खामोश थी, पर उस की मुसकराती हुई खामोशी ने वीरेन को जवाब दे दिया था.

“माथुर साहब, आप ने हमें हमारी बेटी से मिलने की अनुमति दे कर हम पर बहुत बड़ा अहसान किया है, भले ही हम सिया को दुनिया में लाने का माध्यम बने हैं, पर उस को मांबाप का प्यार तो आप लोगों ने ही दिया है… सिया आप की बेटी बन कर ही रहेगी… इसी में हम लोगों की खुशी है,” वीरेन ने कहा.

“और हम लोगों की खुशी तुम दोनों को दूल्हादुलहन के रूप में देखने की है… अब जल्दी करो शादी तुम लोग…” मिसेज माथुर ने मुसकराते हुए कहा. कमरे में सभी के चेहरे पर मुसकराहट दौड़ गई थी.

नमिता और वीरेन दोनों ने एक मंदिर में एकदूसरे को जयमाल पहना कर शादी कर ली. दोनों बहुत सुंदर लग रहे थे. सिया अपने वीडियो कैमरे से वीरेन और नमिता को शूट कर रही थी, जो उस के जैविक मातापिता थे.

वीरेन और नमिता ने आगे बढ़ कर माथुर दंपती के पैर छू कर आशीर्वाद लिया.“माथुर साहब, आप ने मेरी इतनी बातें मानीं, इस के लिए आप का शुक्रिया, पर, मैं अब एक निवेदन और करना चाहता हूं कि आप दोनों और सिया हमारे साथ शिमला चलें, जहां हम सब मानसिक रूप से रिलेक्स कर सकें,” वीरेन ने कहा.

“अरे भाई, शिमला तो लोग हनीमून मनाने जाते हैं… हम लोग तो बूढ़े हो चुके हैं.” हंसते हुए मिस्टर माथुर ने कहा.

‘‘माथुर साहब, उम्र तो सिर्फ एक नंबर है… और फिर हम भी हनीमून ही तो मनाने जा रहें हैं, जिस में आप लोग हमारे साथ होंगे और हमारी बेटी सिया भी हमारे साथ होगी… होगा न यह एक एक अनोखा हनीमून.”माथुर दंपती ने मुसकरा कर हामी भर ली.

कुछ दिनों बाद माथुर दंपती, सिया और नमिता और वीरेन शिमला में अपना अनोखा हनीमून मना रहे थे और सिया अपने वीडियो कैमरे में नजारे कैद कर रही थी.

अनोखा हनीमून-भाग 2: मिस्टर माथुर का सिया के साथ क्या रिश्ता था?

लेखक- नीरज कुमार मिश्रा

‘‘पर, मेरी बेटी अनाथालय में है, यह बात मेरे पूरे व्यक्तित्व को ही कचोटे डाल रही है… मैं अपनी बेटी से मिलने के बाद उसे अपने साथ रखूंगा… मैं उसे अपना नाम दूंगा.‘‘‘पर, कहां ढूंढ़ोगे उसे?‘‘

‘‘अपने भाई का मोबाइल नंबर दो मुझे… मैं उस से पूछूंगा कि उस ने मेरी बेटी को किस अनाथालय में दिया है?‘‘ वीरेन ने कहा.‘‘वैसे, इस सवाल का जवाब तुम्हें कभी नहीं मिल पाएगा… क्योंकि इस बात का जवाब देने के लिए मेरा भाई अब इस दुनिया में नहीं है. एक सड़क हादसे में उस की मौत हो गई थी.‘‘

‘‘ओह्ह, आई एम सौरी,‘‘ मेरे चेहरे पर दुख और हताशा के भाव उभर आए.‘‘हम शायद अपनी बेटी से कभी नहीं मिल पाएंगे?‘‘‘‘नहीं नमिता… भला जो भूल हम ने की है, उस का खमियाजा हमारी बेटी क्यों भुगते… मैं अपनी बेटी को कैसे भी खोज निकालूंगा.’’

‘‘मैं भी इस खोज में तुम्हारा पूरा साथ दूंगी.‘‘नमिता का साथ मिल जाने से वीरेन का मन खुशी से झूम उठा था. शायद ये उन दोनों की गलती का प्रायश्चित्त करने का एक तरीका था.

अपनी नाजायज बेटी को ढूंढ़ने के लिए वीरेन ने जो प्लान बनाया, उस के अनुसार उन्हें दिल्ली जाना था और उस अस्पताल में पहुंचना था, जहां नमिता ने बेटी को जन्म दिया था.

वीरेन के हिसाब से उस अस्पताल के सब से निकट वाले अनाथालय में ही नमिता के भाई ने बेटी को दिया होगावीरेन की छुट्टी को पास कराने के लिए एप्लीकेशन पर नमिता के ही हस्ताक्षर होने थे, इसलिए छुट्टी मिलने या न मिलने का कोई अंदेशा नहीं था… नमिता को अपने अधिकारी से जरूर परमिशन लेनी थी.

वीरेन और नमिता उस की पर्सनल गाड़ी से ही दिल्ली के लिए रवाना हो लिए थे.वीरेन के नथुनों में नमिता के ‘डियोड्रेंट‘ की खुशबू समा गई. नमिता के बाल उस के कंधों पर झूल रहे थे, निश्चित रूप से समय बीतने के साथ नमिता के रूप में और भी निखार आ गया था.

‘‘नमिता कितनी सुंदर है… कोई भी पुरुष नमिता को बिना देर किए पसंद कर लेगा, पर… ‘‘ वीरेन सोच रहा था.‘‘अगर जिंदगी में ‘इफ‘, ‘बट‘, ‘लेकिन’, ‘किंतु’, ‘परंतु’ नहीं होता, तो कितनी सुहानी होती जिंदगी… है न,‘‘ नमिता ने कहा, पर मुझे उस की इस बात का मतलब समझ नहीं आया.

नमिता की कार सड़क पर दौड़ रही थी. नमिता अपने साथ एक छोटा सा बैग लाई थी, जिसे उस ने अपने साथ ही रखा हुआ था.नमिता ‘व्हाट्सएप मैसेज‘ चेक कर रही थी.

वीरेन को याद आया कि पहले नमिता अकसर हरिवंशराय बच्चन की एक कविता अकसर गुनगुनाया करती थी, ‘जो बीत गई सो बात गई‘.

वीरेन ने तुरंत ही गूगल के द्वारा उस कविता को सर्च किया और नमिता के व्हाट्सएप पर भेज दिया.नमिता मैसेज देख कर मुसकराई और उसे पूरे ध्यान से पढ़ने लगी. कुछ देर बाद मैं ने अपने मोबाइल पर भी नमिता का एक मैसेज देखा, जो कि एक पुरानी फिल्म का गीत था, ‘दुनिया में हम आए हैं तो जीना ही पड़ेगा… जीवन है अगर जहर तो पीना ही पड़ेगा’.‘‘

उस के द्वारा इस तरह से एक गंभीर मैसेज भेजने के बाद और कोई मैसेज भेजने की वीरेन की हिम्मत नहीं हुई.नमिता खिड़की से बाहर देख रही थी. बाहर अंधेरे के अलावा सिर्फ बहुमंजिला इमारतों की जगमगाहट ही दिखती थी. हालांकि एसी औन था, फिर भी पसीने की चमक मैं नमिता के माथे पर देख सकता था.

‘‘तुम्हारा ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है क्या?‘‘ वीरेन ने पूछ ही लिया.‘‘नहीं. दरअसल, इस से पहले जब तुम साथ में थे, तो उस के बाद मेरे जीवन में एक भूचाल आया था और अब फिर से मैं तुम से मिल रही हूं… ऊपर वाला ही जाने कि अब क्या होगा,‘‘ नमिता के चेहरे पर फीकी मुसकराहट थी.

नमिता को अच्छी तरह पता था कि पीला कलर वीरेन को बहुत पसंद है… और आज उस ने पीली कलर की साड़ी पहनी थी.बीचबीच में वीरेन की नजर अपनेआप नमिता के चेहरे पर चली जाती थी.

‘‘मेरी वजह से नमिता कितना परेशान रही होगी. और न जाने कैसे उस ने अपने मांबाप के अत्याचारों और तानों को सहा होगा,‘‘ यह सोच कर वीरेन को गहरा अफसोस हो रहा था.गाड़ी हाईवे पर दौड़ रही थी. बाहर ढाबों और रैस्टोरैंट की कतार देख कर वीरेन ने कहा, ‘‘चलो, खाना खा लेते हैं.‘‘

वीरेन ने अपने लिए दाल फ्राई और चपाती मंगाई, जबकि नमिता ने सिर्फ सलाद और्डर किया… और धीरेधीरे खाने लगी.

वापस कार में बैठते ही नमिता ने कानों में हैडफोन लगा लिया था और कोई संगीत सुनने लगी. वीरेन समझ गया कि नमिता अब और ज्यादा बातें नहीं  करना चाहती है. लिहाजा, वीरेन भी अपने मोबाइल पर उंगलियों को सरकाने लगा.

कार सड़क पर मानो फिसल रही थी. बाहर रात गहरा रही थी. शहर पीछे छूटते जा रहे थे और नमिता का सिर वीरेन के कंधे पर आ गया था. उसे नींद आ गई थी. उस का मासूम सा चेहरा नींद में कितना खूबसूरत लग रहा था.

नमिता का वीरेन के कंधे पर सिर रख लेना उस के लिए सुखद अहसास से कम नहीं था.कुछ देर बाद ही नमिता जाग गई थी. वीरेन ने भी अपने उड़ते विचारों को थाम लिया था.वे दिल्ली पहुंच गए थे, और वे वहां से कैब ले कर नमिता के फ्लैट की तरफ चल दिए.

‘अमनचैन अपार्टमैंट्स‘ में ही नमिता आ कर रुकी थी और वहीं से कुछ ही दूरी पर एक नर्सिंगहोम था, जहां पर नमिता ने बेटी को जन्म दिया था. यहां पहुंच कर उन्हें सब से पास का अनाथालय ढूंढ़ना था, जिस के लिए वीरेन ने तकनीक की मदद ली और गूगल मैप की सहायता से उसे अनाथालय ढूंढ़ने में कोई परेशानी नहीं हुई. उन्होंने अनाथालय में जा कर वहां के मैनेजर से मुलाकात की.

‘‘जी कहिए… आप कितना डोनेशन देने आए हैं सर,‘‘ गंजे सिर वाले मैनेजर ने पूछा.‘‘डोनेशन…? हम तो एक बच्चे को ढूंढ़ने आए हैं, जिसे आज से 15 साल पहले आप के ही अनाथालय में कोई आ कर दे गया था.‘‘

Crime Story: बहू ने की सास की हत्या

सौजन्या- सत्यकथा

समाज में सास और बहू के संबंधों पर कई टीवी धारावाहिक बने हैं. सास बहू का रिश्ता हर परिवार

में देखने को मिलता है. ज्यादातर सास की अपनी बहुओं से कोई न कोई शिकायत रहती ही है. बहू भले ही कितनी भी सुघड़ और समझदार हो. भले ही वह सास को अपनी जन्मदात्री मां के बराबर दर्जा दे कर उन के इशारों पर दिनरात काम करती रहे. मगर सास नामक प्राणी को बहू से इस के बाद भी शिकायत ही रहती है.

कुछ ही सास होती हैं जो बहू को बेटी समझ कर लाड़प्यार से रखती हैं वरना तो अधिकांश सास अपनी बहू के काम में कोई न कोई मीनमेख निकालती ही रहती हैं. कहने का मतलब है कि ऐसी सास कभी भी अपनी आदत से बाज नहीं आती.

ये भी पढ़ें- Crime Story: जिन्न की हत्या

लेकिन अब जमाना काफी बदल गया है. आज की बहुओं को सास द्वारा उन के काम में मीनमेख निकालना पसंद नहीं है. वह अपनी लाइफ में पति के अलावा किसी और का हस्तक्षेप पसंद नहीं करतीं. इतने पर भी सास यदि तानाशाही दिखाती रहे तो परिणाम भयानक सामने आते हैं.

राजस्थान के जोधपुर जिले के थाना मतोड़ा के अंतर्गत एक गांव आता है हरलाया रामदेव नगर. इस में दमाराम मेघवाल अपने परिवार के साथ रहते हैं. उन के परिवार में पत्नी कमलादेवी के अलावा 5 बेटे हैं. उस ने अपने पांचों बेटों की शादियां कर दी थी. सभी बेटे अपने परिवार के साथ अलगअलग मकान बनवा कर रह रहे थे. दमाराम की बीवी कमलादेवी भी कड़क स्वभाव की सास थी. वह अपनी बहुओं को दबाव में रखना चाहती थी. उस ने ऐसा ही किया. बड़े और मंझले बेटे की शादी हुई तो इन दोनों बहुओं को उस ने अपने नियंत्रण में रखा.

ये भी पढ़ें- Crime Story: घर बचाने को

उन से सास कुछ भी कहती तो बहुओं की हिम्मत नहीं होती थी कि वे सास को पलट कर जवाब दें. सास द्वारा काम में टोकाटाकी व हायतौबा मचाने पर भी वे चुप रहती थीं.

 

जब छोटे 3 बेटों पुखराज, मिश्रीलाल व मदनराम के विवाह हो गए तब दोनों बड़े बेटे अलग हो गए. पुखराज व मिश्रीलाल की बीवियां प्रेमा एवं पिंटू सगी बहनें थीं. वहीं मदनराम की पत्नी ओमा इन की चचेरी बहन थी. तीनों बहनें एक सगे भाइयों में ब्याही थीं.

पुखराज, मिश्रीलाल एवं मदनराम राजमिस्त्री का काम करते थे. ज्यादातर वे अपने गांव या आसपास के गांवों में काम करते थे. वे सुबह नाश्ता कर के अपने काम पर चले जाते और दोपहर में घर आ कर खाना खा कर थोड़ा सा आराम कर के पुन: काम पर चले जाते थे.

दैनिक मजदूरी 7-8 सौ रुपए थी. इस से परिवार का भरणपोषण आराम से हो रहा था. इन तीनों भाइयों के घर आसपास ही थे जबकि बड़े भाइयों के घर थोड़े दूर थे.

तीनों बहनें प्रेमा, पिंटू व ओमा मिलजुल कर रहती थीं. ससुराल में अगर सगी बहन या चचेरी बहन ब्याही होती है तो उन में कुछ ज्यादा ही बनती है. इन तीनों के पति काम पर चले जाते, तो तीनों बहनें घर का काम निबटा कर एक जगह पर इकट्ठा हो कर बतियाती रहती थीं. जिस से इन का टाइम पास हो जाता था. मगर इन के टाइम पास में सास अकसर खलल डाल देती थी.

ये भी पढ़ें Crime Story: दगाबाज दोस्त

सास कमला देवी उन को ताने देती कि घर के काम में मन नहीं लगता. जब देखो तब बैठ कर गप्पे मारती रहती हो. जब बहुएं कहतीं कि घर का सारा काम कर लिया है, तो सास उन पर चढ़ दौड़ती. वह उन्हें 10 काम और बता देती कि यह नहीं किया, वो नहीं किया.

 

तीनों बहनों को सास गालीगलौज देने लगती तो रुकती ही नहीं. वह पूरा घर सिर पर उठा लेती थी. तीनों बहनें परेशान हो जातीं. मगर कमला देवी को कोई फर्क नहीं पड़ता था.

उस के सामने प्रेमा पड़ती तो उसे गाली एवं काम में मीनमेख व टोकाटाकी. पिंटू पड़ती तो वही मीनमेख और हायतौबा. ओमा पड़ती तो उसे भी सास की बेवजह हायहाय सुननी पड़ती थी. अगर ये बहुएं अपनी सास से कुछ कहतीं तो वह उन पर बिफर जाती और अपने बेटों के घर आने पर बहुओं की शिकायत करती कि यह तीनों बैठ कर दिन भर गप्पें मारती रहती हैं. कामधाम कुछ नहीं करतीं. अगर मैं कुछ कहती हूं तो यह मुझे आंखें दिखाती हैं और जुबान लड़ाती हैं. मुझ से इस तरह बात करती हैं जैसे मैं इन की बहू हूं.

बेटे मां की बात सुन कर अपनी बीवियों को समझाते कि मां जो कुछ कहती है, उन के भले के लिए कहती है. वह बूढ़ी हो गई हैं अब कितने दिन की मेहमान हैं. उन का सम्मान किया करो. जुबान बंद रखा करो.

बेटे अपनी बीवियों को समझा कर जाते और मां से भी कहते कि वह भी क्यों बेवजह परेशान होती हैं. अगर बहुएं काम नहीं करें तो मत करने दो. उन का बिगड़ेगा, तुम्हारे ऊपर क्या फर्क पड़ेगा. तुम रामनाम की माला जपो. मगर बेटों के समझाने का भी कमला देवी पर कोई असर नहीं पड़ता. लिहाजा उस के और तीनों बहुओं के बीच हर रोज कलह और विवाद होता था. कलह के कारण सब परेशान थे. मगर कलह करने वाले अपनी आदत से बाज नहीं आ रहे थे.

ये भी पढ़ें- Crime Story: बेवफाई की सजा

कमलादेवी 62 साल की थी फिर भी वह अपनी बकरियां ले कर जंगल में चराने के लिए हर रोज जाती थी. दोपहर तक बकरियां चरा कर वह घर आ जाती थी. घर आ कर बकरियों को बाड़े में बांध कर फिर वह आराम करती थी. बेटे जब दोपहर में खाने घर आते थे तो मां घर पर आराम करते मिलती थी.

लेकिन 28 अगस्त, 2020 को दयाराम के तीनों बेटे पुखराज, मदन एवं मिश्रीलाल मेघवाल दोपहर को खाना खाने घर आए तो बकरियां घर के बाहर खुले में खड़ी थीं.

यह देख कर वे चौंके कि बकरियां आज खुली कैसे हैं. क्योंकि मां पहले बकरियां बाड़े में बांधती थी. मदन व पुखराज ने मां को आवाज लगाई. मगर कोई जवाब नहीं मिला.

घर में देखा मां वहां भी नहीं थी. मां कहां चली गई. यह उन्होंने अपनी बीवियों से पूछा. बीवियों ने कहा कि हमें पता नहीं, वे कहां गईं. तब मदन, पुखराज मां को देखने घर के बाहर बने कमरे में गए. कमरे में देखते ही उन की चीख निकल गई. मां गले में फंदा डाल कर छत पर पंखे से लटकी हुई थी. यह नजारा देख कर बेटों के हाथपैर कांपने लगे. वे रोने लगे.

 

दोपहर में रोने की आवाज सुन कर आसपड़ोस के लोग भी वहां आ गए. गांव वाले समझ नहीं पा रहे थे कि कमला देवी ने इस उम्र में आत्महत्या क्यों की? बहुएं तो बुक्का फाड़ कर रो रही थीं. किसी ने मृतका के पीहर (मायके) हरिओमनगर भीकमकोर में सूचना दे दी. भीकमकोर से मृतका के भाईभतीजे शाम होतेहोते हरलाया रामदेव नगर आ गए. पीहर वालों ने जब कमला देवी को पंखे से लटके देखा तो उन्हें लगा कि कमला देवी की हत्या कर के शव फंदे पर लटकाया गया है. मृतका के बेटे और बहुएं यह मानने को तैयार नहीं थे.

मृतका के पीहर वालों के संदेह करने का कारण था फंदा पंखे के हुक से न बांध कर पंखे के पाइप से बांधना. प्लास्टिक का पाइप वजन से पंखे सहित सुसाइड करने की स्थिति में झटका लगने से टूट सकता था. मगर वह टूटा नहीं था. इस पर पीहर वालों ने शक जताया. उन्होंने मृतका की बहुओं प्रेमा, पिंटू, ओमा से पूछा तो वे कहती रहीं कि सास ने आत्महत्या की है. जबकि मृतका कमला देवी के भतीजे प्रभुराम ने बताया कि वह 25 अगस्त, 20 को जब बुआ कमला से मिलने आया था. तब बुआ ने रोते हुए उसे बताया था कि पुखराज की पत्नी प्रेमा उर्फ प्रेमी उस की हत्या कर सकती है. वह मारने की धमकियां दे रही है. तब भतीजे प्रभुराम ने बुआ को दिलासा दिया था कि वह वापस आ कर उस के बेटों से बात करेगा.

इसी बीच 28 अगस्त, 2020 की शाम को प्रभुराम के करनाणियों ढाणी के रिश्तेदार उस के पास हरिओमनगर भीकमकोर आए. उन्होंने बताया कि तुम्हारी बुआ कमला देवी का शायद काम तमाम कर दिया है. प्रभुराम ने अपनी बुआ के बेटों पर आरोप लगाया कि उन्होंने उन्हें घटना की जानकारी तक नहीं दी. रिश्तेदारों से सुन कर प्रभुराम अपने भाईभतीजों के साथ हरलाया रामदेवनगर आए.

 

प्रभुराम ने बुआ कमला देवी की हत्या कर के शव पंखे पर लटकाने का आरोप लगाया. रात भर इस हत्याकांड पर घर में चर्चा होती रही. मृतका की बहुओं से भी पूछताछ की गई और झांसा दिया गया कि वे सच बता दें. तब प्रेमा, पिंटू और ओमा ने सभी के सामने स्वीकार कर लिया कि उन तीनों ने ही अपनी सास की गला दबा कर हत्या करने के बाद शव पंखे से लटकाया था.

अब सच सामने आ चुका था. 3 बहुओं ने मिल कर सास की सांस रोक दी थी. लिहाजा 29 अगस्त, 2020 को प्रभुराम मेघवाल ने थाना मतोड़ा जा कर थानाप्रभारी नेमाराम इनाणिया को अपनी बुआ कमला देवी की हत्या की सूचना दे कर मुकदमा दर्ज करा दिया. इस के बाद थानाप्रभारी प्रभुराम को ले कर पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे. कमला देवी का शव जिस स्थिति में था. देख कर संदेह होना स्वाभाविक था कि मारने के बाद शव फांसी पर लटकाया गया है.

उन्होंने सूचना उच्चाधिकारियों को भी दे दी. एसपी (जोधपुर ग्रामीण) राहुल बारहठ से निर्देश प्राप्त कर थानाप्रभारी नेमाराम ने काररवाई शुरू कर मृतका का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

मैडिकल बोर्ड बना कर मृतका का पोस्टमार्टम कराया गया. जब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिलती तब तक पुलिस जांच आगे नहीं बढ़ सकती थी. पुलिस पूछताछ में मृतका के बेटे और बहुएं आदि कह रहे थे कि मां ने आत्महत्या की है. जबकि मृतका के पीहर वाले सीधे तौर पर हत्या का आरोप लगा रहे थे.

पोस्टमार्टम के बाद कमला देवी का शव उस के परिजनों को सौंप दिया. उसी रोज मृतका का दाह संस्कार कर दिया गया. पुलिस को मृतका कमला देवी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला दबा कर हत्या की बात सामने आई.

 

मामला अब एकदम साफ हो चुका था. पुलिस का मकसद अब हत्यारे तक पहुंचना था. इस के बाद थानाप्रभारी ने मृतका कमला देवी के घर जा कर कड़ी पूछताछ की. पूछताछ में प्रेमा उर्फ प्रेमी पत्नी पुखराज, पिंटू पत्नी मिश्रीलाल, ओमा पत्नी मदनराम मेघवाल ने सास का गला दबा कर हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया. तब पुलिस ने पहली सितंबर, 2020 को प्रेमा, पिंटू और ओमा को गिरफ्तार कर लिया. इन्हें थाने मतोड़ा ला कर पूछताछ की गई. पूछताछ में उन्होंने बताया कि सास उन के हर काम में टांग अड़ाती थी, हर काम में किचकिच करने और बेवजह लड़ाईझगड़ा करने के कारण वे बहुत परेशान हो गई थीं.

इस के बाद उन्होंने सास की हत्या की योजना बना ली. फिर 28 अगस्त 2020 को दोपहर में सास जब बकरियां चरा कर घर लौटी तो आते ही उस ने तीनों बहुओं से झगड़ना शुरू कर दिया. तब तीनों ने पकड़ कर सास को गिरा दिया और गला दबा कर मार डाला.

इस के बाद उन्होंने उस के गले में रस्सी का फंदा डाल कर उस का शव कमरे में लगे छत के पंखे पर लटका दिया. ताकि मामला आत्महत्या का लगे. लेकिन किसी के देख लेने के डर से जल्दबाजी में शव पंखे के ऊपर लगे हुक से बांधने के बजाय प्लास्टिक पाइप से बांध दी. शव जमीन को भी छू रहा था. उन्होंने बहुत कोशिश की मगर खून करने के बाद तीनों डर के मारे कुछ कर नहीं पा रही थीं.

इस कारण जब मृतका के पीहर वालों एवं पुलिस ने शव लटका देखा तो संदेह हो गया था. मगर बगैर किसी सबूत के किसी पर आरोप लगाना भी ठीक नहीं था. ऐसे में पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज होने के बाद एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने तक गुप्त रूप से इस घटना की तहकीकात की. इस जांच में सामने आया कि बहुओं ने सास की हर रोज की किचकिच से परेशान हो कर साजिश रच कर हत्या की थी.

 

वृद्ध सास अगर अपनी बहुओं को बेटियां मान कर हर काम में मीनमेख नहीं निकालती और बहुओं के साथ प्यार का बर्ताव करती तो शायद बहुएं उस का काल नहीं बनतीं. तीनों बहुओं प्रेमा उर्फ पेमी, पिंटू और ओमा से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें पहली सितंबर 2020 को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन तीनों बहुओं को अजमेर जेल भेजने के कोर्ट ने आदेश दिए.

अजमेर जेल भेजने से पहले इन तीनों हत्यारोपी बहुओं की कोरोना जांच करवाई गई. अगर कमला देवी अपनी आदत सुधार लेती या फिर उन की तीनों बहुएं सास की आदत है कह कर

या सुन कर आवेश में न आतीं तो उन्हें आज यह दिन नहीं देखना पड़ता.

सास की हत्या करने की आरोपी बहुएं सैकड़ों किलोमीटर दूर अजमेर जेल में बंद हैं.

इन तीनों के पति और बच्चे अपने हाल पर हैं. समाज में घरपरिवार की इज्जत गई सो अलग. कलह के कारण पूरा परिवार बिखर चुका है. गलत राह पकड़ने से पहले एक बार सोच लें तो कभी परिवार नहीं बिखरेगा. वरना गृहकलेश में ऐसा ही होता है.

पपीता उत्पादन में नई तकनीक

लेखक- भानु प्रकाश राणा सरदार वल्लभभाई पटेल

कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ के जैव प्रोद्यौगिकी विभाग में पपीते के पौधों को ले कर शोध किया जा रहा है, जिस से पपीते के पौधे के पनपते अथवा पहली अवस्था में ही पता चल जाएगा कि पौधा नर है या मादा. पपीते की उन्नत खेती के लिए यह शोध के काम के लिए सरकार द्वारा भी मदद की जा रही है, जिस से इन का सीधा लाभ किसानों को मिलेगा और पपीते की खेती से अधिक उत्पादन कर आमदनी को बढ़ाने में मदद मिलेगी. पपीते की खेती में यदि नर पौधों की संख्या ज्यादा निकल जाए, तो किसानों को लाभ के बजाय नुकसान उठाना पड़ता है, क्योंकि खेत में पौधों के बड़े होने तक काफी मात्रा में खाद, पानी और निराईगुड़ाई हो गई होती है.

इस से बचने के लिए यदि किसानों को पौधे के पनपने की पहली अवस्था में पता लग जाएगा कि पौधे नर हैं अथवा मादा, तो किसान अधिक से अधिक संख्या में मादा पौधे लगा सकेंगे टिश्यू कल्चर विभाग के प्रोफैसर राकेश सिंह सेंगर ने बताया कि शोध लगभग अंतिम चरण में चल रहा है. कृषि विज्ञान की दुनिया में यह शोध बेहद अहम होगा. पपीता एक लोकप्रिय व उपयोगी फल है. इस की खेती उष्ण और उपोष्ण दोनों प्रकार की जलवायु में की जाती है. इस को अधिकतर लोग अपनी गृहवाटिका में भी उगा लेते हैं. पपीते की खेती फलों के अतिरिक्त पपेन के लिए भी की जाती है.

ये भी पढ़ें- स्वस्थ नर्सरी भरपूर उत्पादन

यह कच्चे पपीते से सुखाए हुए दूध के रूप में उपलब्ध हो जाता है. पपीते से प्राप्त पपेन का औषधीय और व्यवसाय के तौर पर बहुत बड़े पैमाने पर उपयोग होता है, इसलिए इस की खेती करना बहुत लाभदायक है. कहां उगेगा पपीता प्रोफैसर राकेश सिंह सेंगर ने बताया कि इस की उत्तम पैदावार के लिए गरम और नम जलवायु का होना अति आवश्यक है. खेती के लिए कम से कम 40 डिगरी फारेनहाइट और अधिक से अधिक 110 डिगरी फारेनहाइट का तापमान जरूरी है. इस की अच्छी उपज के लिए 90 से 100 डिगरी फारेनहाइट उपयुक्त माना जाता है. इस की फसल को पानी, पाला और लू तीनों प्रभावित करते हैं. पपीते की सब से अच्छी खेती जीवांशयुक्त मिट्टी में की जाती है.

शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाता है पपीते के फल में विटामिन की प्रचुर मात्रा होती है, जो आंखों की रोशनी के लिए उपयुक्त है. विटामिन सी भी इस में उपलब्ध होता है, जो बच्चों की शारीरिक वृद्धि व विकास के साथसाथ स्कर्वी रोग की रोकथाम करता है. पपीते का उत्पादन एक हेक्टेयर में 30 से 40 टन तक होता है. पपीता कुदरत की अनमोल देन है. यह कई औषधीय गुणों से भरपूर होने के साथसाथ सेहत के लिए भी बहुत लाभकारी है. पपीते की सब से बड़ी खासीयत यह है कि बहुत कम समय में फल देता है और किसानों को इस के उत्पादन के लिए मेहनत भी कम करनी पड़ती है. औषधीय गुणों के कारण पपीते की मांग सालभर रहती है. यह कम समय में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है.

ये भी पढ़ें- लसोड़ा ताकत बढ़ाने में लाभकारी

एक हेक्टेयर में पपीते का उत्पादन 30 से 40 टन तक होता?है. क्या है टिश्यू कल्चर टिश्यू कल्चर विभाग के प्रोफैसर आरएस सेंगर ने बताया कि टिश्यू कल्चर विधि से अच्छी प्रजाति के रोगरहित पौधों का विकास किया जाता है. इस में पौधे के टिश्यू या माई स्टेम की सहायता से बोतल या टैस्टट्यूब के अंदर पौधों को विकसित किया जाता है. इन पौधों की हार्डनिंग करने के बाद खेतों में लगाया जाता है. पपीते की उन्नत किस्में पंत पपीता 1, पूसा ज्वाइंट, पूसा डेलीसियस, पूसा मैजेश्टी, कोयंबटूर 1, पूसा नन्हा, वाशिंगटन, कोयंबटूर 2, सूरया, कोयंबटूर 4, पपीते की चल रही शोध और इस के टिश्यू कल्चर से विकसित पौधों का किसानों को सीधा लाभ मिलेगा. किसानों को समय , मेहनत और पैसे की बचत होगी.

पपीता एक सदाबहार फूल है. किसानों को चक्रीय प्रणाली अपनानी चाहिए. ठ्ठ पपीते के पौधे उगते ही पता लगेगा कि नर है या मादा. पपीता उत्पादन में इस नई तकनीक से आएगी क्रांति और पपीते की बागबानी से किसानों की आय में होगी बढ़ोतरी. किस ने क्या कहा आज के इस बदलते दौर में खेती की नई तकनीकों का समावेश करेंगे, तो खेती में अच्छा मुनाफा होगा. हमें तौरतरीके बदलने होंगे. अभी भी हम परंपरागत खेती पर ही ज्यादा ध्यान देते हैं. कृषि में आय बढ़ाने के लिए कृषि विविधीकरण को अपना कर नई तकनीकों को अपनाना होगा. किसान यदि नए बीज और नई तकनीकों का समावेश करेंगे, तो खेती में अच्छा मुनाफा होगा. – प्रोफैसर आरके मित्तल, कुलपति, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ.

ये भी पढ़ें- साफ तरीकों से करें दूध का उत्पादन, बढ़ाएं मुनाफा

कृषि जैव प्रौद्योगिकी विभाग में पपीते की खेती करने वाले किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी परिषद उत्तर प्रदेश लखनऊ के सहयोग से एक परियोजना पर काम किया जा रहा है. इस के अंतर्गत टिश्यू कल्चर विधि से पपीते के मादा पौधों का विकास किया जा रहा है. खेत में यदि मादा पौधों की संख्या अधिक होगी, तो उत्पादन काफी अच्छा होगा. -प्रोफैसर आरएस सेंगर, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ. आज के इस बदलते दौर में अनेक किसान पपीते की खेती सघन बागबानी विधि से पौधों की प्रति इकाई संख्या बढ़ा कर जमीन का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर रहे हैं, जिस से अधिक पैदावार ली जा सकेगी. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा वित्त पोषित परियोजना के माध्यम से तकनीकी ज्ञान को किसानों के द्वारा पहुंचाने का काम किया जा रहा है, जिस से प्रदेश के किसानों को लाभ मिल सके. – डा. डीके श्रीवास्तव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, लखनऊ.

अनोखा हनीमून

लेखक- नीरज कुमार मिश्रा

‘‘पर, क्या तुम्हें अब भी लगता है कि मैं ने तुम को धोखा दिया है और प्यार का नाटक कर के तुम्हारा बलात्कार किया है,‘‘ वीरेन की इस बात पर नमिता सिर्फ सिर झुकाए बैठी रही. उस की आंखों में बहुतकुछ उमड़ आया था, जिसे रोकने की कोशिश नाकाम हो रही थी.

नमिता के मौन की चुभन को अब वीरेन महसूस कर सकता था. उन दोनों के बीच अब दो कौफी के मग आ चुके थे, जिन्हें होठों से लगाना या न लगाना महज एक बहाना सा लग रहा था, एकदूसरे के साथ कुछ समय और गुजारने का.

‘‘तो इस का मतलब यह है कि तुम सिर्फ मुझे ही दोषी मानती हो… पर, मैं ने तुम्हारे साथ कोई जबरदस्ती नहीं की… हमारे बीच जो भी हुआ, वो दो दिलों का प्यार था और जवान होते शरीरों की जरूरत… और फिर संबंध बनाने से कभी तुम ने भी तो मना नहीं किया.‘‘

वीरेन की इस बात से नमिता को चोट पहुंची थी, तिलमिलाहट की रेखा नमिता के चेहरे पर साफ देखी जा सकती थी.

पर, अचानक से एक अर्थपूर्ण मुसकराहट नमिता के होठों पर फैल गई.

‘‘उस समय तुम 20 साल के रहे होगे और मैं 16 साल की थी… उम्र के प्रेम में जोश तो बहुत होता है, पर परिपक्वता कम होती है और किए प्रेम की परिणिति क्या होगी, यह अकसर पता नहीं होता…

‘‘वैसे, सभी मर्द कितने स्वार्थी होते हैं… दुनिया को अपने अनुसार चलाना चाहते हैं और कुछ इस तरह से कि कहीं उन का दामन दागदार न हो जाए.‘‘

‘‘मतलब क्या है तुम्हारा?‘‘ वीरेन ने पूछा.‘‘आज से 16 साल पहले तुम ने प्रेम की आड़ ले कर मेरे साथ जिस्मानी संबंध बनाए, उस का परिणाम मैं आज तक भुगत ही तो रही हूं.‘‘‘थोड़ा साफसाफ कहो,‘‘ वीरेन भी चिहुंकने लगा था.

‘‘बस यही कि मेरे बच्चा ठहर जाने की बात मां को जल्द ही पता चल गई थी. वे तुरंत ही मेरा बच्चा गिराने अस्पताल ले कर गईं…”पर… पर, डाक्टर ने कहा कि समय अधिक हो गया है, इसलिए बच्चा गिरवाने में मेरी जान को भी खतरा हो सकता है,‘‘ दो आंसू नमिता की आंखों से टपक गए थे.

‘‘हालांकि पापा तो यही चाहते थे कि मुझे मर ही जाने दिया जाए, कम से कम मेरा चरित्र और उन की इज्जत दोनों नीलाम होने से बच जाएंगे… लेकिन, मां मुझे ले कर मेरठ से दिल्ली चली आईं और बाकी का समय हम ने उस अनजाने शहर में एक फ्लैट में बिताया, जब तक कि मैं ने एक लड़की को जन्म नहीं दे दिया,‘‘ कह कर नमिता चुप हो गई थी.

उस ने बोलना बंद किया.‘‘कोई बात नहीं नमिता, जो हुआ उसे भूल जाओ… अब मैं अपनी बेटी को अपनाने को तैयार हूं… कहां है मेरी बेटी?‘‘‘‘मुझे नहीं पता… पैदा होते ही उसे मेरा भाई किसी अनाथालय में छोड़ आया था,‘‘ नमिता ने बताया.

‘‘पर क्यों…? मेरी बेटी को एक अनाथालय में छोड़ आने का क्या मतलब था?‘‘‘‘तो फिर एक नाजायज औलाद को कौन पालता…? और फिर, हम लोगों से क्या कहते कि हमारे किराएदार ने ही हमारे साथ धोखा किया.‘‘‘‘पर, मैं ने कोई धोखा नहीं किया नमिता.‘‘

‘‘एक लड़की के शरीर से खिलवाड़ करना और फिर जब वह पेट से हो जाए तो उस को बिना सहारा दिए छोड़ कर भाग जाना धोखा नहीं तो और क्या कहलाता है वीरेन?‘‘

‘‘देखो, जहां से तुम देख रही हो, वह तसवीर का सिर्फ एक पक्ष है, बल्कि दूसरा पक्ष यह भी है कि तुम्हारे भाई और पापा मेरे कमरे में आए और मुझे बहुत मारा, मेरा सब सामान बिखेर दिया और मुझे लगा कि मेरी जान को भी खतरा हो सकता है, तब मैं तुम्हारा मकान छोड़ कर भाग गया…

“यकीन मानो, उस के बाद मैं ने अपने दोस्तों के द्वारा हर तरीके से तुम्हारा पता लगाने की कोशिश की, पर तुम्हारा कुछ पता नहीं चल सका.‘‘

‘‘हां वीरेन… पता चलता भी कैसे, पापा ने मुझे घर में घुसने ही नहीं दिया… मैं तो आत्महत्या ही कर लेती, पर मां के सहयोग से ही मैं दूसरी जगह रह कर पढ़ाई कर पाई और आज अपनी मेहनत से तुम्हारी बौस बन कर तुम्हारे सामने बैठी हूं.‘‘

नमिता के शब्द वीरेन को चुभ तो गए थे, पर मैं ने प्रतिउत्तर देना सही नहीं समझा.‘‘खैर, तुम बताओ, तुम्हारी शादी…? बीवीबच्चे…? सब ठीक तो होंगे न,‘‘ नमिता के स्वर में कुछ व्यंग्य सा था, इसलिए अब वीरेन को जवाब देना जरूरी लगा.

‘‘नहीं नमिता… तुम स्त्रियों के मन के अलावा हम पुरुषों के मन में भी भाव रहते हैं… हम लोगों को भी सहीगलत, ग्लानि और प्रायश्चित्त जैसे शब्दों का मतलब पता होता है…

“तुम्हारे घर से निकाले जाने के बाद मैं पढ़ाई पूरी कर के राजस्थान चला गया. वहां मैं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने लगा… मेरे मन में भी अपराधबोध था, जिस के कारण मैं ने आजीवन कुंवारा रहने का प्रण लिया… ‘‘

मेरे ‘कुंवारे‘ शब्द के प्रयोग पर नमिता की पलकें उठीं और मेरे चेहरे पर जम गईं.‘‘मेरा मतलब है… अविवाहित… मैं अब भी अविवाहित हूं.‘‘‘‘और मैं भी…‘‘ नमिता ने कहा.

उन दोनों की बातों का सफर लंबा होता देख वीरेन ने और दो कौफी का और्डर दे दिया.

‘‘कसाईः  मानवीय परतों को उधेड़ते हुए राजनीति का असली चेहरा ’’

फिल्म समीक्षाः

रेटिंगः तीन स्टार

निर्माताः हरबिंगर क्रिएशंस
निर्देशकःगजेंद्र एस श्रोत्रिय
कहानीकारःचरण सिंह पथिक
कलाकारःमीता वशिष्ठ,रवि झांकल,वी के षर्मा,अषोक कुमार बांठिया,मयूर मोरे ,रिचा मीणा,सर्वश्ष व्यास,विकास पारिक,अल्ताफ खान,
अवधिः एक घंटा 36 मिनट और 45 सेकंड
ओटीटी प्लेटफार्म:शेमारूमी बाक्स आफिस

राजस्थान के मशहूर कहानीकार चरण सिंह पथिक को ग्रामीण परिवेश,ग्रामीण राजनीति, ग्रामीण लड़कियों व औरतांे के हालात आदि की बड़ी बारीक समझ हैं.उनके लेखन की सबसे बड़ी खूबी है कि वह हमेशा अपने आस पास के सत्य घटनाक्रम को लेकर कहानी का ताना बाना बुनते हैं.उनकी एक कहानी पर विशाल भारद्वाज ने फिल्म ‘‘पटाखा’’बनायी थी.और अब जयपुर के फिल्मकार गजेंद्र एस श्रोत्रिय ने उनकी ही एक कहानी पर फिल्म ‘‘कसाई’’लेकर आए हैं,जो कि चरण सिह पथिक के गाॅंव मंे घटित एक सत्य घटनाक्रम पर आधारित है.इस फिल्म में हमारे देश की राजनीति पर कुठाराघात करते हुए इस बात का चित्रण है कि अपनी राजनैतिक जागीर को सही सलामत रखने के लिए इंसान अपने ही हाथों गुस्से में अपने युवा बेटे की हत्या भी कर सकता हैं.फिल्म‘‘कसाई’’ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘शेमारूमी बाक्स आफिस’’पर 23 अक्टूबर से देखा जा सकता है.
कहानीः
फिल्म की कहानी उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे राजस्थान के पूर्वी इलाके के एक गाॅंव सेंगरपुर की है.फिल्म शुरू होती है गाॅंव के हरे भरे खेतों के बीच सूरज(मयूर मोरे)और मिसरी(रिचा मीणा) के एक दूसरे के प्रेम में डूबे होने से.दोनों की बातचीत से पता चलता है कि सूरज को इस बात पर हमेशा एतराज रहता है कि उसके दादा व सरपंच बेवजह गरीब किसानों को परेशान करते रहते हैं और सूरज चुपचाप उनकी मदद करता रहता है.मगर खेतों के बीच सूरज व मिसरी को सेक्स संबंध बनाते एक महिला देख लेती है.खबर मिसरी के परिवार तक पहुॅच जाती है.इससे मिसरी के पिता जगन(सर्वेश व्यास) और दादा भग्गी पटेल(अशोक बांठिया) को गुस्सा आ जाता है कि उनके दोस्त के पोते ने ऐसा कुकर्म कर उनके परिवार की इज्जत पर हाथ डाला है.भग्गी पटेल किंग मेकर है.सरपंच कौन बनेगा, इसमंे उसकी अहम भूमिका रहती है.
जबकि सूरज गाॅंव के सरपंच पूमाराम(वी के शर्मा)का पोता और लखन(रवि झांकल)व गुलाबी (मीता वशिष्ठ)का का बेटा है.जबकि पूमाराम का तीसरा बेटा बाबू (विकास पारिक)है.लखन जल्द गुस्सा होने वाला और बिना सोचे समझे कोई भी कदम उठाने वाला इंसान है.दो माह में सरपंच के चुनाव होने हैं.जब भग्गी अपने परिवार के साथ सरपंच पूमाराम व लखन को सूरज की करतूत के लिए धमकाता है,तो लखन अपनी तरफ से मामले को रफादफा करने का प्रयास करता है.पूमाराम अब तक सरपंच का चुनाव भग्गी पटेल की मदद से ही सदैव जीतते रहे है.परिणामतः लखन अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पाता और गुलाबी के सामने ही अपने अठारह वर्षीय बेटे सूरज की हत्या कर देता है.अब एक तरफ उसे इस कांड से निपटना है और दूसरी तरफ गांव की राजनीति गर्मा जाती है,तो वहीं तीसरी तरफ गुलाबी अपने बेटे के लिए न्याय की मांग कर रही है.लखन प्रचारित कर देता है कि पीपल के पेड़ पर रहने वाले कसाई ने उसके बेटे की हत्या कर दी.पर इससे बात नही बनती.पूमाराम को यकीन हो गया है कि इस बार वह चुनाव नही जीत पाएगा.उधर भग्गी पटेल को पता चलता है कि उसकी पोती मिसरी,सूरज के बेटे की मां बनने वाली है.तब वह एक चाल चलता है.पूमाराम को सरपंच बनवाने में मदद कराने के नाम पर उन्हे सच बताकर बाबू की शादी मिसरी से करने के लिए कहता है.शादी की एक रश्म हो जाती है.उसके बाद वह दूसरी चाल चलता है,जिसमें गुलाबी मारी जाती है और लखन ख्ुाद को पुलिस के हवाले कर देता है.तीसरी चाल चलते हुए इस गाॅव की सरपंच की सीट महिला सीट घोषित करवा देता है.
निर्देशनः
एक बेहतरीन पटकथा पर गजेंद्र एस श्रोत्रिय ने एक यथार्थ परक फिल्म बनायी है.जब फिल्म शुरू होती है,तो अहसास होता है कि कम बजट में बनी एक साधारण फिल्म होगी.मगर फिर निर्देशक ने एक हिंसक और अस्थिर दुनिया की शक्ति, लालच, विश्वासघात, विश्वास, वासना के ज्वार और मानवीय परतो को उधेड़ते हए बेहतरीन चित्रण करने मंे सफल रहे हंै. फिल्म में  राजनीति का कुत्सित चेहरा रेखंाकित करने के साथ ही पितृसत्तात्मक सोच पर भी चोट की है.लेकिन वह सूरज व मिसरी की प्रेम कहानी को सही आकार नहीं दे पाए.इसी तरह गुलाबी के चरित्र के साथ भी न्याय नहीं कर पाए.मां व बेटे के संबंधांे को भी सही ढंग से उकेरने की जरुरत थी.पर वह कई जगह चूक गए.जबकि उन्हे सर्वश्रेष्ठ व मंजे हुए कलाकारों का साथ मिला है.
ये भी पढ़ें- शाहजादा अलीः बच्चों के संसार में झांकने का प्रयास….’’
अभिनयः
लखन के किरदार में रवि झंाकल ने शानदार परफाॅर्मेंस दी है.मीता वशिष्ठ ने अपने अभिनय से एक बार फिर साबित कर दिखाया कि पितृसत्तात्मक सोच का विरोध करने वाली ग्रामीण नारी तथा अपने बेटे के लिए न्याय की लड़ाई लड़ने वाली गुलाबी के किरदार को उनसे बेहतर कोई साकार नहीं कर सकता था.सूरज के किरदार मयूर मोरे व मिसरी के किरदार में रिचा मीणा ने भी ठीक ठाक अभिनय किया है.सरपंच के किरदार में वी के शर्मा ने कमाल का अभिनय किया है.एक कुटिल राजनीतिज्ञ व किंग मेकर भग्गी पटेल के किरदार को तो अशोक बांठिया ने आत्मसात कर रखा है.अन्य कलाकारों की परफार्मेंस ठीक ठाक है.

10 साल के हुए संजय दत्त के जुड़वा बच्चें, मान्यता ने धूमधाम से मनाया जन्मदिन

संजय दत्त ने हाल ही में अपने फैंस को खुशखबरी दी है कि वह कैंसर जैसे खतरनाक बीमारी से जंग जीत चुके हैं. इसके बाद से संजयदत्त के सारे फैंस बहुत ज्यादा खुश हैं. वहीं इस खबर के बाद से उनके घर में भी खुशी का माहौल है.

हाल ही में संजय दत्त की पत्नी ने इस बात की खुशी जताई है कि वह अपने पति के ठीक होने के बाद अपने बच्चों का जन्मदिन बहुत ज्यादा धूमधाम से मनाया है. इस बात से उनके बच्चें भी बहुत ज्यादा खुश नजर आ रहे हैं.

ये भी पढ़ें- निशांत मलखानी होगें बिग बॉस के घर के पहले कैप्टन, फैंस ने जाहिर कि अपनी

 

View this post on Instagram

 

Manyata Dutt celebrating her kids birthday ❤️ . . #manyatadutt

A post shared by BollywoodImages (@bollywoodimages) on

मान्यता दत्त ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर फोटो शेयर करते हुए लिखा है कि वह अपने बच्चों के साथ उनका दसवां जन्मदिन बहुत ही ज्यादा धूमधाम से मनाया है.

ये भी पढ़ें- टीआरपी घोटाले के बहाने मीडिया पर शिकंजा

हालांकि इस वक्त संजय दत्त अपने बच्चों के साथ मौजूद नहीं थें. उन्होंने अपने बच्चों के साथ न होते हुए भी वीडियो कॉल पर लगातार जश्न के दौरान जुड़े हुए थें.

इकरा और शहरान दत्त बहुत ज्यादा खुश नजर आ रहे थें. इस वक्त संजय दत्त का पूरा परिवार दुबई में हैं ये जश्न वहीं मनाया गया. जबकी संजय दत्त अपने परिवार से दूर रहकर मुंबई में जन्मदिन का जश्न मना रहे हैं.

ये भी पढ़ें- शाहजादा अलीः बच्चों के संसार में झांकने का प्रयास….’’

वहीं खबर ये भी है कि जनमदिन के दिन संजय दत्त के दोनं बच्चें उन्हें काफी ज्यादा मिस कर रहे थें. उन्हें साथ न होने पर .

संजय दत्त के दोनों बच्चों ने अपना दसवां जन्मदिन मनाया है. जन्मदिन के दौरान मान्यता दत्त अपने बच्चों के साथ खूब एंजॉय करती दिखी.

मान्यता दत्त अपने बच्चों का ध्यान अकेले ही दुबई में रख रही हैं. फैंस हर वक्त संजय दत्त के ठीक होने की दुआ कर रहे हैं. उम्मीद है संजय दत्त जल्द अपने बच्चों के साथ नजर आएंगे.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें