मुंबई पुलिस के टीआरपी शिकंजे में फंसने के बाद अर्णब गोस्वामी ने सनातनी चोला ओढ़ लिया. अर्णब को मुंबई पुलिस से बचाने के लिए लखनऊ में टीआरपी को ले कर पुलिस में हुई एफआईआर को योगी सरकार ने 2 दिन के भीतर ही सीबीआई को सौंप दिया और आननफानन में सीबीआई ने मामला स्वीकार भी कर लिया.
इस बहाने महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश सरकार आमनेसामने है. महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले में एक आदेश जारी करते हुए कहा है कि बिना कोर्ट की अनुमति के सीबीआई महाराष्ट्र में जांच नहीं कर सकेगी. टीआरपी कांड के जरीए योगी सरकार उन समाचार चैनलों को भी शिकंजे में कस सकेगी, जो सरकार के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं. टीआरपी घोटाले से दर्शकों को यह समझने की जरूरत है कि समाचार चैनल भरोसे लायक नहीं हैं. यह भ्रामक खबरें भी दिखाते हैं.
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'गोल्डन रैबिट' कंपनी के क्षेत्रीय निदेशक कमल शर्मा ने 17 अक्तूबर, 2020 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज थाने में उत्तर प्रदेश के टीआरपी यानी टैलीविजन रेटिंग प्वाइंटस घोटाले की शिकायत दर्ज कराई, जिस में कहा गया कि ‘गलत तरह से टीआरपी को ज्यादा दिखा कर विज्ञापनदाताओं और उपभोक्ताओं को ठगा जा रहा है. इसी टीआरपी के आधार पर विज्ञापनदाता तय करते हैं कि किस चैनल को विज्ञापन देना है. कई विज्ञापन एजेंसियां भी इसी टीआरपी को मानक मान कर अपने उपभोक्ताओं से डील करती हैं कि फलां चैनल में कितनी देर तक का विज्ञापन दे, जो उन के लिये फायदेमंद रहता है.‘
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