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Crime Story: आखिरी फैसला

सौजन्या- मनोहर कहानियां

उस दिन सितंबर, 2020 की 10 तारीख थी. साधना ने फैसला कर रखा था कि मां का बताया व्रत जरूर रखेगी. मां के अनुसार, इस व्रत से सुंदर स्वस्थ पुत्र की प्राप्ति होती है. लेकिन व्रत रखने से पहले ही लेबर पेन शुरू हो गया.

इस में उस के अपने वश में कुछ नहीं था, क्योंकि उसे 2 दिन बाद की तारीख बताई गई थी. निश्चित समय पर वह मां बनी, लेकिन पुत्र नहीं पुत्री की. तीसरी बार भी बेटी आई है, सुन कर सास विमला का गुस्से से सिर भन्ना गया. वह सिर झटक कर वहां से चली गई.

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बच्ची के जन्म पर मां बिटोली आ गई थी. उस ने साधना को समझाया, ‘‘जी छोटा मत कर. बेटी लक्ष्मी का रूप होती है. क्या पता इस की किस्मत से मिल कर तेरी किस्मत बदल जाए.’’बेटी के मन पर छाई उदासी पर पलटवार करने के लिए मां बिटोली बोली, ‘‘आजकल बेटेबेटी में कोई फर्क नहीं होता. तेरी सास के दिमाग में पता नहीं कैसा गोबर भरा है जो समझती ही नहीं या जानबूझ कर समझना नहीं चाहती.’’

साधना क्या कर सकती थी. 2 की तरह तीसरी को भी किस्मत मान लिया. उसे भी बाकी 2 की तरह पालने लगी. वह भी बहनों की तरह बड़ी होने लगी.उस दिन अक्तूबर 2020 की पहली तारीख थी. सेहुद गांव निवासी कुलदीप खेतों से घर लौटा, तो घर का दरवाजा अंदर से बंद था. उस ने दरवाजा खुलवाने के लिए कुंडी खटखटाई, पर पत्नी ने दरवाजा नहीं खोला. घर के अंदर से टीवी चलने की आवाज आ रही थी.

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  उस ने सोचा शायद टीवी की तेज आवाज में उसे कुंडी खटकने की आवाज सुनाई न दी हो. उस ने एक बार फिर कुंडी खटखटाने के साथ आवाज भी लगाई. पर अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. कुलदीप का माथा ठनका. मन में घबराहट भी होने लगी.

  उस के घर के पास ही भाई राहुल का घर था तथा दूसरी ओर पड़ोसी सुदामा का घर. भाई घर पर नहीं था. वह सुदामा के पास पहुंचा और बोला, ‘‘चाचा, साधना न तो दरवाजा खोल रही है और न ही कोई हलचल हो रही है. मेरी मदद करो.’’

कुलदीप पड़ोसी सुदामा को साथ ले कर भाई राहुल के घर की छत से हो कर अपने घर में घुसा. दोनों कमरे के पास पहुंचे तो मुंह से चीख निकल गई. कमरे के अंदर छत की धन्नी से लोहे के कुंडे के सहारे चार लाशें फांसी के फंदे पर झूल रही थीं. लाशें कुलदीप की पत्नी साधना और उस की बेटियों की थीं.

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 कुलदीप और सुदामा घर का दरवाजा खोल कर बाहर आए और इस हृदयविदारक घटना की जानकारी पासपड़ोस के लोगों को दी. उस के बाद तो पूरे गांव में सनसनी फैल गई और लोग कुलदीप के घर की ओर दौड़ पड़े. देखते ही देखते घर के बाहर भीड़ उमड़ पड़ी. जिस ने भी इस मंजर को देखा, उसी का कलेजा कांप उठा.

 कुलदीप बदहवास था, लेकिन सुदामा का दिलोदिमाग काम कर रहा था. उस ने सब से पहले यह सूचना साधना के मायके वालों को दी, फिर थाना दिबियापुर पुलिस को.पुलिस आने के पहले ही साधना के मातापिता, भाई व अन्य घर वाले टै्रक्टर पर लद कर आ गए. उन्होंने साधना व उस की मासूम बेटियोें को फांसी के फंदे पर झूलते देखा तो उन का गुस्सा फूट पड़ा.

 उन्होंने कुलदीप व उस के पिता कैलाश बाबू के घर जम कर उत्पात मचाया. घर में टीवी, अलमारी के अलावा जो भी सामान मिला तोड़ डाला. साधना के सासससुर, पति व देवर के साथ हाथापाई की.

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साधना के मायके के लोग अभी उत्पात मचा ही रहे थे कि सूचना पा कर थानाप्रभारी सुधीर कुमार मिश्रा पुलिस टीम के साथ आ गए. उन्होंने किसी तरह समझाबुझा कर उन्हें शांत किया. चूंकि घटनास्थल पर भीड़ बढ़ती जा रही थी, अत: थानाप्रभारी मिश्रा ने इस घटना की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी और घटनास्थल पर अतिरिक्त पुलिस बल भेजने की सिफारिश की.

 इस के बाद वह भीड़ को हटाते हुए घर में दाखिल हुए. घर के अंदर आंगन से सटा एक बड़ा कमरा था. इस कमरे के अंदर का दृश्य बड़ा ही डरावना था. कमरे की छत की धन्नी में लोहे का एक कुंडा था. इस कुंडे से 4 लाशें फांसी के फंदे से झूल रही थीं.

 मरने वालो में कुलदीप की पत्नी साधना तथा उस की 3 मासूम बेटियां थीं. साधना की उम्र 30 साल के आसपास थी, जबकि उस की बड़ी बेटी गुंजन की उम्र 7 साल, उस से छोेटी अंजुम थी. उस की उम्र 5 वर्ष थी. सब से छोेटी पूनम की उम्र 2 माह से भी कम लग रही थी.

 साड़ी के 4 टुकड़े कर हर टुकड़े का एक छोर कुंडे में बांध कर फांसी लगाई गई थी. कमरे के अंदर लकड़ी की एक छोटी मेज पड़ी थी. संभवत: उसी मेज पर चढ़ कर फांसी का फंदा लगाया गया था.

 थानाप्रभारी सुधीर कुमार मिश्रा अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी सुनीति तथा एएसपी कमलेश कुमार दीक्षित कई थानों की पुलिस ले कर घटनास्थल आ गए.उन्होंने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने तनाव को देखते हुए सेहुद गांव में पुलिस बल तैनात कर दिया. उस के बाद घटनास्थल का निरीक्षण किया.

 मां सहित मासूमों की लाश फांसी के फंदे पर झूलती देख कर एसपी सुनीति दहल उठीं. उन्होंने तत्काल लाशों को फंदे से नीचे उतरवाया. उस समय माहौल बेहद गमगीन हो उठा.मृतका साधना के मायके की महिलाएं लाशों से लिपट कर रोने लगीं. सुनीति ने महिला पुलिस की मदद से उन्हें समझाबुझा कर शवों से दूर किया.

फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए. घटनास्थल पर मृतका का भाई बृजबिहारी तथा पिता सिपाही लाल मौजूद थे. पुलिस अधिकारियों ने उन से पूछताछ की तो बृजबिहारी ने बताया कि उस की बहन साधना तथा मासूम भांजियों की हत्या उस के बहनोई कुलदीप तथा उस के पिता कैलाश बाबू, भाई राहुल तथा मां विमला देवी ने मिल कर की है.जुर्म छिपाने के लिए शवों को फांसी पर लटका दिया है. अत: जब तक उन को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक वे शवों को नहीं उठने देंगे. सिपाही लाल ने भी बेटे की बात का समर्थन किया.

 बृजबिहारी की इस धमकी से पुलिस के माथे पर बल पड़ गए. लेकिन माहौल खराब न हो, इसलिए पुलिस ने मृतका के पति कुलदीप, ससुर कैलाश बाबू, सास विमला देवी तथा देवर राहुल को हिरासत में ले लिया तथा सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें थाना दिबियापुर भिजवा दिया.

सच्चाई का पता लगाने के लिए पुलिस अधिकारियों ने कुलदीप के पड़ोसी सुदामा से पूछताछ की. सुदामा ने बताया कि कुलदीप जब खेत से घर आया था, तो घर का दरवाजा बंद था. दरवाजा पीटने और आवाज देने पर भी जब उस की पत्नी साधना ने दरवाजा नहीं खोला, तब वह मदद मांगने उस के पास आया. उस के बाद वे दोनों छत के रास्ते घर के अंदर कमरे में गए, जहां साधना बेटियों सहित फांसी पर लटक रही थी.

 सुदामा ने कहा कि कुलदीप ने पत्नी व बेटियों को नहीं मारा बल्कि साधना ने ही बेटियों को फांसी पर लटकाया और फिर स्वयं भी फांसी लगा ली.

  निरीक्षण और पूछताछ के बाद एसपी सुनीति ने मृतका साधना व उस की मासूम बेटियों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए औरैया जिला अस्पताल भिजवा दिया.

  डाक्टरों की टीम ने कड़ी सुरक्षा के बीच चारों शवों का पोस्टमार्टम किया, वीडियोग्राफी भी कराई गई. इस के बाद रिपोर्ट पुलिस को सौंप दी.

  पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, मासूम गुंजन, अंजुम व पूनम की हत्या गला दबा कर की गई थी, जबकि साधना ने आत्महत्या की थी. रिपोर्ट से स्पष्ट था कि साधना ने पहले अपनी तीनों मासूम बेटियों की हत्या की फिर बारीबारी से उन्हें फांसी के फंदे पर लटकाया. उस के बाद स्वयं भी उस ने फांसी के फंदे पर लटक कर आत्महत्या कर ली. उस ने ऐसा शायद इसलिए किया कि वह मरतेमरते भी जिगर के टुकड़ों को अपने से दूर नहीं करना चाहती थी.

थाने पर पुलिस अधिकारियों ने कुलदीप तथा उस के मातापिता व भाई से पूछताछ की. कुलदीप के पिता कैलाश बाबू ने बताया कि कुलदीप व साधना के बीच अकसर झगड़ा होता था, जिस से आजिज आ कर उन्होंने कुलदीप का घर जमीन का बंटवारा कर कर दिया था. वह छोटे बेटे राहुल के साथ अलग रहता है. उस का कुलदीप से कोई वास्ता नहीं था.

 पूछताछ के बाद पुलिस ने कैलाश बाबू उस की पत्नी विमला तथा बेटे राहुल को थाने से घर जाने दिया, लेकिन मृतका साधना के भाई बृजबिहारी की तहरीर पर कुलदीप के खिलाफ भादंवि की धारा 309 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली और उसे विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जांच में घर कलह की सनसनीखेज घटना सामने आई.

 गांव अमानपुर, जिला औरेया का सिपाही लाल दिबियापुर में रेलवे ठेकेदार के अधीन काम करता था. कुछ उपजाऊ जमीन भी थी, जिस से उस के परिवार का खर्च आसानी से चलता था.

 सिपाही लाल की बेटी साधना जवान हुई तो उस ने 12 फरवरी, 2012 को उस की शादी सेहुद गांव निवासी कैलाश बाबू के बेटे कुलदीप के साथ कर दी. लेकिन कुलदीप की मां विमला न बहू से खुश थी, न उस के परिवार से.

 साधना और कुलदीप ने जैसेतैसे जीवन का सफर शुरू किया. शादी के 2 साल बाद साधना ने एक बेटी गुंजन को जन्म दिया. गुंजन के जन्म से साधना व कुलदीप तो खुश थे, लेकिन साधना की सास विमला खुश नहीं थी, क्योंकि वह पोते की आस लगाए बैठी थी. बेटी जन्मने को ले कर वह साधना को ताने कसने लगी थी.

 घर की मालकिन विमला थी. बापबेटे जो कमाते थे, विमला के हाथ पर रखते थे. वही घर का खर्च चलाती थी. साधना को भी अपने खर्च के लिए सास के आगे ही हाथ फैलाना पड़ता था. कभी तो वह पैसे दे देती थी, तो कभी झिड़क देती थी. तब साधना तिलमिला उठती थी. साधना पति से शिकवाशिकायत करती, तो वह उसे ही प्रताडि़त करता.

गुंजन के जन्म के 2 साल बाद साधना ने जब दूसरी बेटी अंजुम को जन्म दिया तो लगा जैसे उस ने कोई गुनाह कर दिया हो. घर वालों का उस के प्रति रवैया ही बदल गया.

 सासससुर, पति किसी न किसी बहाने साधना को प्रताडि़त करने लगे. सास विमला आए दिन कोई न कोई ड्रामा रचती और झूठी शिकायत कर कुलदीप से साधना को पिटवाती. विमला को साधना की दोनों बेटियां फूटी आंख नहीं सुहाती थीं. वह उन्हें दुत्कारती रहती थी.

 बेटियों के साथसाथ वह साधना को भी कोसती, ‘‘हे भगवान, मेरे तो भाग्य ही फूट गए जो इस जैसी बहू मिली. पता नहीं मैं पोते का मुंह देखूंगी भी या नहीं.’’

 धीरेधीरे बेटियों को ले कर घर में कलह बढ़ने लगी. कुलदीप और साधना के बीच भी झगड़ा होने लगा. आजिज आ कर साधना मायके चली गई. जब कई माह तक वह ससुराल नहीं आई, तो विमला की गांव में थूथू होने लगी.

 बदनामी से बचने के लिए उस ने पति कैलाश बाबू को बहू को मना कर लाने को कहा. कैलाश बाबू साधना को मनाने उस के मायके गए. वहां उन्होंने साधना के मातापिता से बातचीत की और साधना को ससुराल भेजने का अनुरोध किया, लेकिन साधना के घर वालों ने प्रताड़ना का आरोप लगा कर उसे भेजने से साफ मना कर दिया.

 मुंह की खा कर कैलाश बाबू लौट आए. उन्होंने वकील से कानूनी सलाह ली और फिर साधना को विदाई का नोटिस भिजवा दिया. इस नोटिस से साधना के घर वाले तिलमिला उठे और उन्होंने साधना के मार्फत थाना सहायल में कुलदीप तथा उस के घर वालों के खिलाफ घरेलू हिंसा का मुकदमा दर्ज करा दिया. इस के अलावा औरैया कोर्ट में कुलदीप के खिलाफ भरणपोषण का मुकदमा भी दाखिल कर दिया.

 जब कुलदीप तथा उस के पिता कैलाश बाबू को घरेलू हिंसा और भरणपोषण के मुकदमे की जानकारी हुई तो वह घबरा उठे. गिरफ्तारी से बचने के लिए कैलाश बाबू समझौते के लिए प्रयास करने लगे. काफी मानमनौव्वल के बाद साधना राजी हुई. कोर्ट से लिखापढ़ी के बाद साधना ससुराल आ कर रहने लगी.

 कुछ माह बाद कैलाश बाबू ने घर, जमीन का बंटवारा कर दिया. उस के बाद साधना पति कुलदीप के साथ अलग रहने लगी. साधना पति के साथ अलग जरूर रहने लगी थी, लेकिन उस का लड़नाझगड़ना बंद नहीं हुआ था. सास के ताने भी कम नहीं हुए थे. वह बेटियों को ले कर अकसर ताने मारती रहती थी. कभीकभी साधना इतना परेशान हो जाती कि उस का मन करता कि वह आत्महत्या कर ले. लेकिन बेटियों का खयाल आता तो वह इरादा बदल देती.

10 सितंबर, 2020 को साधना ने तीसरी संतान के रूप में भी बेटी को ही जन्म दिया, नाम रखा पूनम. पूनम के जन्म से घर में उदासी छा गई. सब से ज्यादा दुख विमला को हुआ. उस ने फिर से साधना को ताने देने शुरू कर दिए. छठी वाले दिन साधना की मां विटोली भी आई. उस रोज विमला और विटोली के बीच खूब नोंकझोंक हुई. सास के ताने सुनसुन कर साधना रोती रही.

 विटोली बेटी को समझा कर चली गई. उस के बाद साधना उदास रहने लगी. वह सोचने लगी क्या बेटी पैदा होना अभिशाप है? अब तक साधना सास के तानों और पति की प्रताड़ना से तंग आ चुकी थी.

 अत: वह आत्महत्या करने की सोचने लगी. लेकिन खयाल आया कि अगर उस ने आत्महत्या कर ली तो उस की मासूम बेटियों का क्या होगा. उस का पति शराबी है, वह उन की परवरिश कैसे करेगा. वह या तो बेटियों को बेच देगा या फिर भूखे भेडि़यों के हवाले कर देगा.

सोचविचार कर साधना ने आखिरी फैसला लिया कि वह मासूम बेटियों को मार कर बाद में आत्महत्या करेगी.1 अक्तूबर, 2020 की सुबह 7 बजे कुलदीप खेत पर काम करने चला गया. उस के जाने के बाद साधना ने मुख्य दरवाजा बंद किया और टीवी की आवाज तेज कर दी. फिर उस ने साड़ी के 4 टुकड़े किए और इन के एकएक सिरे को मेज पर चढ़ कर छत की धन्नी में लगे लोहे के कुंडे में बांध दिया.

 साड़ी के टुकड़ों के दूसरे सिरे को उस ने फंदा बनाया. उस समय गुंजन और अंजुम चारपाई पर सो रही थीं. साधना ने कलेजे पर पत्थर रख कर बारीबारी से गला दबा कर उन दोनों को मार डाला फिर उन के शवों को फांसी के फंदे पर लटका दिया.

21 दिन की मासूम पूनम का गला दबाते समय साधना के हाथ कांपने लगे आंखों से आंसू टपकने लगे. लेकिन जुनून के आगे ममता हार गई और उस ने उस मासूम को भी गला दबा कर मार डाला और फांसी के फंदे पर लटका दिया. इस के बाद वह स्वयं भी गले में फंदा डाल कर झूल गई.

 घटना की जानकारी तब हुई जब कुलदीप घर वापस आया. पड़ोसी सुदामा ने घटना की सूचना मोबाइल फोन द्वारा थाना दिबियापुर पुलिस को दी.

 सूचना पाते ही थानाप्रभारी सुधीर कुमार मिश्रा आ गए. उन्होंने शवों को कब्जे में ले कर जांच शुरू की तो घर कलह की घटना प्रकाश में आई.

2 अक्टूबर, 2020 को थाना दिबियापुर पुलिस ने अभियुक्त कुलदीप को औरैया कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

मेरी पत्नी की ओवरी में 7 सैंटीमीटर की रसौली है, प्रैगनैंसी के 11 सप्ताह हो गए हैं, कृपया बताएं कि कौन सी दवा लेनी चाहिए?

सवाल
मेरी पत्नी की ओवरी में 7 सैंटीमीटर की रसौली है. प्रैगनैंसी के 11 सप्ताह हो गए हैं. अभी होम्योपैथिक दवा चल रही है. कृपया बताएं कि कौन सी दवा लेनी चाहिए?

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जवाब
फाइब्रौयड यानी रसौली. इसे ट्यूमर भी कहते हैं. रसौली ऐसी गांठें होती हैं, जो महिलाओं के गर्भाशय में या उस के आसपास पनपती हैं. वैसे तो 16 से 50 साल की महिलाएं कभी भी इस बीमारी की चपेट में आ सकती हैं, लेकिन अकसर 30 से 50 साल की महिलाओं में यह अधिक देखी जाती है. ये गांठें अलगअलग आकार की होती हैं. इन का आकार तब बढ़ता है जब ऐस्ट्रोजन हारमोन का स्तर बढ़ने लगता है, जैसे गर्भावस्था के दौरान. और आकार तब घटने लगता है जब ऐस्ट्रोजन का स्तर गिरने लगता है. जैसे मेनोपौज के बाद. अत: किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से संपूर्ण चैकअप करवाएं.

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नया सवेरा-भाग 3 : घर की बड़ी बहू सभी को गंवार क्यों समझती थी

फिर दोनों अपने कमरे में चले गए. पड़ोस में लड़के की शादी थी. संबंध अच्छे थे, इसलिए सपरिवार बुलाया था. सभी तैयार हो गए. हम बड़ी भाभी का इंतजार कर रहे थे. मां ने मुझे उन्हें बुलाने के लिए भेजा.

मैं ने बाहर से ही आवाज दी, ‘‘भाभी, जल्दी चलिए.’’

‘‘बीनू, अंदर आ जा,’’ भाभी बोलीं.

अंदर वे तैयार खड़ी कुछ ढूंढ़ रही थीं. बोलीं, ‘‘पता नहीं, लौकर की चाबी कहां रख दी है. नैकलैस के बिना कैसे चलूं. इतना ढूंढ़ा पर मिल ही नहीं रहा. तेरे भैया भी ढूंढ़ कर थक गए. अभी उन्हें नहाने भेजा है.’’

भैया ने स्नानघर से ही कहा, ‘‘क्यों परेशान हो रही हो. मां से मांग लो, आ कर वापस कर देना. मैं थोड़ी देर में आता हूं.’’

पर मां से जेवर निकलवाना इतना आसान नहीं था. उन का एक ही जवाब होता था, ‘तुम लोगों को पहनने का ढंग है नहीं, कहीं तोड़ दिया या खो दिया तो? ना बाबा, मैं तो नहीं देती, ये सब बीनू के लिए हैं. तुम लोगों से तो कुछ होगा नहीं, कम से कम मेरे गहने तो रहने दो.’

भाभी को जैसे कुछ याद आया. उन्होंने प्यार से पास आ कर मेरे माथे पर हाथ फेरा. जी धक से हो गया कि अब क्या होने वाला है. वे बोलीं, ‘‘बीनू, जन्मदिन पर जो नैकलैस पिताजी ने तुम्हें दिया था, उसे एक रात के लिए दे दो.’’

‘‘पर भाभी, मैं कैसे…’’

‘‘अरे, कुछ नहीं होगा. मैं मां से नहीं कहूंगी. उन्हें पता ही नहीं चलेगा. मैं वहां से आ कर तुरंत दे दूंगी.’’

मरती क्या न करती, बिना परिणाम सोचे मैं ने नैकलैस उन्हें दे दिया.

पर मां को जैसे शक हो गया था. वे कभी भाभी के गले को तो कभी मुझे घूरतीं. मैं बिना कुसूर के मुंह छिपाए इधर से उधर घूम रही थी और भाभी ठहाके पर ठहाके लगाए जा रही थीं. परंतु छोटी भाभी को पता नहीं कैसे सब पता चल जाता था. वे पूरे समय मेरे साथ ही बनी रहीं. उन की मौजूदगी दिलासा देती रही. उन की सब से बड़ी खासीयत यही थी कि वे बिना कुछ कहे सब कुछ कह जाती थीं.

उस रात तो भाभी ने नैकलैस नहीं लौटाया. मैं डर के मारे मांगने की हिम्मत न कर सकी. दूसरे दिन सुबह ही मैं ने धीरे से उन के कमरे में जा कर नैकलैस की बात की. भाभी कुछ घबराई हुई थीं. भैया का कुछ पता नहीं था. वे सुबह ही सुबह मालूम नहीं कहां चले गए थे.

‘‘बीनू, मैं ने नैकलैस यहीं सामने रखा था, मालूम नहीं कहां गया. मिल ही नहीं रहा. कब से खोज रही हूं,’’ भाभी ने रोंआसी हो कर कहा.

मुझे तो जैसे चक्कर आ गया. सोचने लगी, हाय अब क्या होगा? किसी तरह कमरे में आ कर बिस्तर पर गिर पड़ी. आंखों से आंसू बहने लगे. सिर पर किसी के स्पर्श से आंखें खोलीं तो देखा, सामने छोटी भाभी खड़ी हैं. उन की गोद में मुंह छिपा कर मैं रो पड़ी.

छोटे भैया भी तब तक वहां भाभी को खोजते आ पहुंचे थे. मुझे इस हालत में देख सब को हंसाने के लिए बोले, ‘‘क्यों बीनू, कल की शादी देख मन मचल गया क्या? खूब भाभी को मसका लग रहा है.’’

उन की बात सुन मैं और जोर से रो पड़ी. छोटी भाभी ने उन्हें इशारे से बुलाया व सारी बात समझाई. सुनते ही भैया बड़ी भाभी के कमरे में पहुंचे. यह तो अच्छा था कि मां पूजा पर बैठ चुकी थीं और डेढ़ घंटे तक उन के उठने की कोई संभावना न थी. छोटी भाभी के साथ मैं भी भैया के पीछेपीछे बड़ी भाभी के कमरे में पहुंची.

नैकलैस ढूंढ़तेढूंढ़ते भाभी को अपने लौकर की चाबी मिल गई. मुझे देख उन्होंने कहा, ‘‘बीनू, यदि तुम्हारा नैकलैस नहीं मिला तो मैं अपना नैकलैस तुम्हें दे दूंगी, तुम चिंता मत करो,’’ उन की आवाज बता रही थी कि उन्हें भी नैकलैस न मिलने का गहरा दुख है.

उन्होंने सब के सामने लौकर खोला तो चक्कर खा कर गिर पड़ीं. भैया ने उन्हें बिस्तर पर लिटाया. छोटी भाभी मुझे छोड़ उन की तरफ लपकीं और मैं पानी लेने दौड़ पड़ी. यह सब इतनी जल्दी हुआ कि कुछ सोचने का होश ही नहीं रहा.

छोटे भैया ने देखा कि लौकर खाली पड़ा है. तब तक भाभी को भी होश आ गया. वे जोरजोर से रोने लगीं. छोटे भैया इस मौके को कहां छोड़ने वाले थे. बड़ी भाभी को आड़े हाथों लिया.अंत में यह फैसला हुआ कि मां और पिताजी को कुछ न बताया जाए. पिताजी दिल के मरीज हैं, शायद इस सदमे को बरदाश्त न कर सकें. सभी आगे की योजना बनाने लगे कि तभी बड़े भैया मजे से सीटी बजाते कमरे में दाखिल हुए.

भाभी को बिस्तर पर लेटे और हम सब को पास बैठे देख वे दौड़ कर उन के पास पहुंचे व घबरा कर बोले, ‘‘सुमन, क्या हुआ, तुम ठीक तो हो?’’

‘‘खबरदार, जो मुझे हाथ लगाया. अब और नाटक मत करो,’’ इस तेज आवाज ने हम सब को सकते में डाल दिया. उन्होंने भैया को खूब झिड़का, ‘‘तुम पति बनने के योग्य नहीं हो. सिर्फ शराब पीने के लिए तुम ने इतनी घिनौनी हरकत कर डाली. मुझे मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा.’’

भैया ‘सुमन सुनो तो’ कहते रहे किंतु भाभी पर तो जैसे भूत सवार था. तब भैया फौरन बाहर जाने को पलटे.

‘‘खबरदार, जो एक कदम भी आगे बढ़ाया,’’ इस आवाज ने भैया के पैरों में जैसे जंजीर डाल दी. बड़े भैया आश्चर्य से पत्नी को देख रहे थे. उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि जो पत्नी उन के आगेपीछे गऊ की तरह दुम हिलाती थी, आज शेरनी कैसे बन गई.तब तक भाभी के कहने पर छोटे भैया ने बड़े भैया की तलाशी ले डाली. उन की जेब से रुपयों की गड्डी तथा एक रसीद मिली. यह देख भाभी सिर पकड़ कर वहीं बैठ गईं.

छोटे भैया रसीद व रुपए ले कर तुरंत बाहर निकल गए. बड़े भैया भी पीछेपीछे पता नहीं कहां चल पड़े.

करीब आधे घंटे में छोटे भैया नैकलैस व भाभी की बालियां ले कर लौट आए. उन्होंने बताया कि भैया ने भाभी के सारे गहने उसी सुनार के यहां गिरवी रख छोड़े हैं जहां नैकलैस दिया था.

भाभी के तो आंसू ही नहीं रुक रहे थे. अचानक छोटी भाभी कमरे से चली गईं. कुछ देर बाद लौटीं तो उन के हाथों में कुछ रुपए थे. उन्होंने रुपए पति को दे कर कहा, ‘‘जितने भी गहने आ सकते हैं, ले आइए.’’

तब तक मैं भी अपनी जमाराशि ले आई थी. बड़ी भाभी ने हम दोनों को लिपटा लिया और जोर से रो पड़ीं. हम सब को भी रोना आ गया.छोटे भैया ने बात संभाली, उन्होंने फिर से सब को सचेत किया कि मां को भनक तक नहीं लगनी चाहिए.

बड़ी भाभी दिनभर कमरे से बाहर न निकलीं. मां 2-3 बार देखने भी आईं पर उन्होंने बीमारी का बहाना बना दिया. उन के 1 वर्ष के बेटे को छोटी भाभी ही संभाले रहीं.

छोटे भैया ने बड़ी भाभी के व अपने खाते से रुपए निकाल कर भाभी के सारे गहने शाम तक ला दिए. बड़े भैया का रातभर कुछ पता न चला.

सुबहसुबह उन के दोस्त अजय ने आ कर खबर दी कि वे भैया को अस्पताल में दाखिल करा कर आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि बड़े भैया अपने किए पर इतना शर्मिंदा थे कि सुबह से ही शराब पी रहे थे. रात बेहोशी की हालत में उन्हें अस्पताल में दाखिल करवाया. ज्यादा पीने से उन के एक गुरदे ने काम करना बंद कर दिया है. रातभर वे वहीं थे. डाक्टरों ने औपरेशन कर दिया है. वे खतरे से बाहर हैं.

अभी हम सब यह बुरी खबर सुन ही रहे थे कि नौकर ने आ कर खबर दी कि पिताजी ने छोटे भैया को अपने कमरे में बुलाया है. सुन कर सभी घबरा गए.

छोटे भैया ने सब को शांत किया और ऊपर गए. हम सब से रहा न गया. सभी दबेपांव पिताजी के कमरे के बाहर जा पहुंचे. मां भी वहीं थीं.

पिताजी ने शांत स्वर में पूछा, ‘‘पैसों की इतनी जरूरत आन पड़ी थी कि इतने सारे रुपए एकसाथ तुम ने व बहू ने निकाले?’’

सब का खाता उसी बैंक में था जहां वे मैनेजर थे. कैशियर छोटे भैया को पहचानता था. चापलूसी के लिए शायद उस ने सारी बात पिताजी को बता दी थी.

छोटे भैया ने सारी बातें पिताजी को बता दीं. बस, नैकलैस की बात छिपा गए. मां तो सुन कर ‘हायहाय’ करने लगीं किंतु पिताजी ने उन्हें डांट कर चुप करा दिया. फिर बोले, ‘‘मुझे खुशी है कि छोटे ने इस विपत्ति में हिम्मत और समझदारी से काम लिया. चलो, अस्पताल चलते हैं. शायद उस नालायक को भी सद्बुद्धि आ जाए.’’

हम सभी अस्पताल पहुंचे. पहले भैया हम सब से मिलने को तैयार ही न हुए. किंतु उन के दोस्त अजय के बहुत समझाने पर मिलने को राजी हो गए. वे किसी से आंखें नहीं मिला पा रहे थे. दोनों हाथों से मुंह ढक कर रो पड़े. उन्हें रोते देख हम सब रो

पड़े. पिताजी उन के सिर पर हाथ फेरते रहे. मां उन के आंसुओं को पोंछती हुई चेहरा भिगो रही थीं.

आखिर बड़े भैया बोले, ‘‘मुझे जीने का कोई हक नहीं है. मैं ने सब के विश्वास को धोखा दिया है.’’

‘‘नहीं बेटे, ऐसा नहीं कहते. जब आंख खुले, तभी सवेरा. देखो, यह क्या करिश्मा है कि समय रहते तुम्हें सद्बुद्धि आ गई,’’ पिताजी ने उन्हें धीरज बंधाया.

हम सभी की आंखें भरी थीं, पर आंसू अब गम के नहीं, खुशी के थे.

 

नया सवेरा-भाग 2 : घर की बड़ी बहू सभी को गंवार क्यों समझती थी

तब तक भाभी आ गई थीं. वे बिना कुछ कहे सहारा दे कर भैया को कमरे में ले गईं. उस रात मैं सो न सकी. सारी रात करवटें बदलते बीती. यही सोचती रही कि मां से कह दूं या नहीं? कुछ समझ में नहीं आ रहा था. सुबह थोड़ी झपकी आई ही थी कि

बड़ी भाभी ने आ कर जगा दिया. बोलीं, ‘‘बीनू, कृपया रात की बात किसी से न कहना.’’

तब तक मैं ने भी निर्णय कर लिया था कि बात छिपाने से अहित भैया का ही है. मैं ने उन की तरफ सीधे देखते हुए कहा, ‘‘वह तो ठीक है भाभी, किंतु जब मैं ने रात को दरवाजा खोला तो विचित्र बू का आभास हुआ. कहीं भैया…’’

भाभी बीच में ही मुंह बना कर बोलीं, ‘‘हमें तो कोई गंध नहीं आई.’’

मैं खुद अपने प्रश्न पर लज्जित हो गई. अपने पर क्रोध भी आया कि जब भाभी को भैया की फिक्र नहीं है तो मैं ही क्यों चिंता में पड़ूं. इसी तरह 2 हफ्ते और बीत गए. मैं भी घर में कलह नहीं कराना चाहती थी, इसीलिए मुंह सी लिया.

किंतु कब तक कोई बात छिपती है. छोटी भाभी को इस बात की भनक लग गई. उन्होंने बड़ी भाभी, बड़े भैया के बारे में अपनी शंका व्यक्त की. वे उन्हें समझाना चाहती थीं किंतु बड़े भैया ने भाभी पर न जाने क्या जादू कर दिया था कि वे वैसे तो अच्छीभली रहतीं किंतु जहां भैया की बात होती, वे झगड़ने को तैयार हो जातीं. उन से छोटी भाभी की बात सहन न हो सकी. दनदनाती हुई मेरे कमरे में आईं और गुस्से में बोलीं, ‘‘बीनू, तुझ से नहीं रहा गया न. कैसा बित्तेभर का पेट है. पचा नहीं सकी, उगल ही दिया?’’

मां वहीं बैठी थीं. वे आश्चर्य से कभी मुझे तो कभी भाभी को देखने लगीं.

‘‘क्या बात है, बेटे, आखिर हुआ क्या?’’ मां ने पूछा.

मैं ने भी पूछा, ‘‘पर भाभी, हुआ क्या? मैं ने तो किसी को कुछ नहीं कहा.’’ पर वे कहां सुनने वाली थीं. सच ही कहा गया है, क्रोध में इंसान का दिमाग पर कोई बस नहीं होता. तब तक छोटे भैया व भाभी भी आ गए. गनीमत यह थी कि पिताजी शहर से बाहर गए हुए थे और बड़े भैया सो रहे थे.

छोटे भैया ने मां को धीरे से सब बता दिया. फिर भाभी से बोले, ‘‘आप समझती क्यों नहीं हैं, रात देर से घर आना कोई अच्छी बात नहीं है.’’

‘‘अच्छाबुरा वे खूब समझते हैं. साहब बनने के लिए बड़े लोगों के साथ उठनाबैठना तो पड़ेगा ही, वरना कौन तरक्की देगा.’’

मां से सहन नहीं हुआ. उन्होंने जोर से कहा, ‘‘ऐ बहू, रात देर से आने से लोगों की तरक्की होती है, यह एक नई बात सुन रही हूं.’’

‘‘नई नहीं, यह सच है. आप पुराने विचारों की हैं. आप को क्या पता, जब तक बड़े लोगों के साथ पिओपिलाओ नहीं, अफसरी नहीं मिलती,’’ तैश में भाभी के मुंह से खुद ही सारी बात निकल गई.

‘‘ओह, तो आप को पता है कि वे पी कर आते हैं?’’ छोटे भैया ने पूछा.

‘‘थोड़ीबहुत साथ देने के लिए चख ली तो क्या बुराई है. बंबई में तो हर नौजवान बीयर पीता है और मेरे भाई खुद पीते हैं.’’

भाभी से बात करना अपना माथा फोड़ना था. तब तक शोर सुन कर बड़े भैया भी आ गए. उन्हें देख छोटे भैया ने कहा, ‘‘कल आप के दोस्त अजय मिले थे. उन्होंने बताया कि आजकल आप के पास बहुत पैसा रहता है. क्या कोई दूसरी नौकरी मिल गई है? सुनो भाभी, वे बोल रहे थे कि आप के पिताजी हजार रुपए महीना जेबखर्च भेजते हैं,’’ उन्होंने बड़े भैया की उपस्थिति में भाभी से स्पष्टीकरण मांगा.

छोटे भैया की बात सुन बड़ी भाभी ने पहले तो नजरभर बड़े भैया को देखा, फिर जोर से हंस कर ‘हां’ में सिर हिला दिया. बात तो स्पष्ट थी, किंतु बड़े भैया ने ऐसा जाल उन पर फेंका था, जिस से बड़ी भाभी जैसी नारी का बच निकलना मुश्किल था. वे यह सोच कर खुश थीं कि उन का पति कितना अच्छा है जो बिना कुछ पाए ही उन के पिता की प्रशंसा का ढिंढोरा पीट रहा है. यही कारण था कि इतने गंभीर प्रश्न को भी उन्होंने हंसी में उड़ा दिया.

उन्होंने मस्तिष्क पर तनिक भी जोर न डाला कि आखिर पैसों की बारिश हो कहां से रही है. देवर का मुंह ‘हां’ कह कर बंद कर दिया था. भाभी पति की तरफ अपार कृतज्ञता से देख रही थीं.

मां यह सब सुन कर सन्न रह गईं. उन्होंने अपना माथा पीट लिया. ‘‘क्यों बड़े, क्या यही दिन देखना रह गया था? क्या कमी थी जो इस नीच हरकत पर उतर आया है? अगर यही करना है तो जा, बन जा घरजमाई. यहां यह सब नहीं होगा, समझे,’’ कह कर रोती हुई वे कमरे से बाहर निकल गईं. छोटे भैया और भाभी भी धीरे से खिसक लिए.

मां की बात सुन बड़े भैया कुछ अनमने से हो गए थे, किंतु भाभी ने उन्हें संभाला, ‘क्यों चिंता करते हैं. सब ठीक हो जाएगा.’

गाजर और मेथी की सब्जी को बनाएं इस रेसिपी से

सर्दियों में ज्यादातर लोग गाजर और मेथी का सब्जी खाना पसंद करते हैं. हालांकि मेथी खाने में थोड़ी सी कड़वी लगती है. स्वास्थ्य और स्वाद से भरपूर होता है ये, इस सब्जी को आप कम समय में बना सकते हैं. इस सब्जी को आप गुणकारी भी मानी जाता है.

समाग्री

मेथी

250 ग्राम गाजर

छोटा चम्मच जीरा

हींग

जीरा, धनिया

अदरक

बारीक कटी धनिया

आमचूर

गरम मसाला

बड़ा चम्मच तेल

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विधि

सबसे पहले मेथी के डंडल को हटाकर साफ कर लें, जिससे इसका पानी निकल जाए, अब मेथी को बारीक काट लें,

अब कड़ाही में तेल गर्म करें, गर्म तेल में आप जीरा डालें, फिर उसमें हींग डालें, आंच को धीमा करें और उसमें मिर्च डालें, अब अदरक डालकर भूनें, अब इसमें मेथी डालकर भूनें, जब कुछ देर तक मेथी भूंन जाए तो उसमें गाजर डालें,

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अब सब्जी में नमक, मिर्च और मसाला डालकर भूनें, अब गाजर तक पकने तक बनाएं, जब गाजर गल जाएं तो उसमें गरम मसाले और आमचूर पाउडर डालें. अब आप इसे रोटी और चावल के साथ खा सकते हैं.

हुंडई i20 की पावरट्रेन में ये है खास

हुंडई i20 की सबसे खास बात यह है कि इसमें 120 बिट के अलग- अलग पावर ट्रेन को ऑफर में दिए हुए हैं. इसके साथ ही इसमें 1.2 लीटर का पेट्रोल इंजन दिया हुआ है, जो 2 अलग-अलग धुन सुनाता जाता है.
इसमें 82 बीएचपी और 11.7 किलोग्राम का टार्क जोड़ी को 5 स्पीड मैनुअल बॉक्स और 87 बीएचपी के साथ 11.7 के आईवीटी गेयर बॉक्स जोड़ा जाता है. यहीं नहीं हुंडई i20 के 118 bhp में शक्तिशाली 1.0 लीटर टर्बो पेट्रोल इंजन और 17.5 kgm का ट्यून स्टेट दिया गया है, जिसे 7-स्पीड DCT या 6-स्पीड iMT के साथ जोड़ा जा सकता है.

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हुंडई i20 में शानदार ऑफर दिया गया है, जिससे आप अपने दूर की यात्रा को आसान बना सकते हैं. इसमें 1.5-लीटर डीजल इंजन भी मौजूद है. जो कि 99 बीएचपी और 24. 5 टार्क इंजन का उत्पादन करता है.
यहां 6 स्पीड मैनुअल गियरबॉक्स के ट्रांसमिशन को पूरा किया जाता है. जो कि पर्याप्त पॉवर ट्रेन को पूरा करने में मदद करता है. इसलिए इसे ग्राहकोम की जरुरत बताया गया है. इसे कहते हैं #BringsTheRevolution

कसौटी जिंदगी फेम एक्टर सीजेन खान पर महिला ने लगाया आरोप, कहा मुझसे ग्रीन कार्ड लेने के लिए शादी की

सीरियल कसौटी जिंदगी से हर घर में अपनी पहचान बनाने वाले अनुराग बासु यानि सीजेन खान पर एक विदेशी महिला ने गंभीर आरोप लगाएं हैं. जिसे जानने के फैद सीजेन खान के फैंस भी हैरान हो गए हैं. आइए जानते हैं इस महिला ने क्या आरोप लगाए हैं. सीजेन खान पर,

हालांकि एक रिपोर्ट से बात करते हुए सीजेन खान ने कहा कि यह सब गलत अफवाह मेरे लिए उड़ाए जा रहे हैं. मुझे लगता है कि यह महिला मेरी बहुत बड़ी फैन है अपनी पब्लिसिटी के लिए यह कर रही है. ऐसे लोगों के बारे में बात करना मैं जरुरी नहीं समझता हूं.

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आयशा नाम कि महिला ने खुलासा किया है कि सीजेन ने मुझसे साल 2015 में 3 अप्रैल को शादी की थी, इतना ही नहीं महिला ने सीजेन खान के साथ कि शादी की सर्टीफिकेट भी दिखाया है. इस महिला  सीजेन के साथ अपनी कई खूबसूरत तस्वीर भी साझा किया है.

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गौरतलब है कि सीजेन खान अपनी गर्लफ्रेंड से बहुत जल्द शादी करने जा रहे हैं. सीजेन खान की गर्लफ्रेंड उत्तर प्रदेश अमरोहा कि है. सीजेन खान ने अब तक अपनी गर्लफ्रेंड कि पहचान किसी और को नहीं बताई है.

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वहीं सीजेन खा का परिवार उनके शादी में जुटी हुई है. सीजेन खान ने अपनी पहचान इंडस्ट्री में सीरियल कसौटी जिंदगी से कि थी. जिसमें लोगों ने इन्हें खूब पसंद किया था.

बिग बॉस 14 : एजाज खान को सरप्राइज देने का प्लान कर रहे हैं मेकर्स, जानें किसकी होगी एंट्री

बिग बॉस 14 में इस समय फैमली वीक चल रहा है. इस समय सभी कंटेस्टेंट के फैमली वाले आ रहे हैं उनसे मिलने, एजाज खान, राखी सावंत और राहुल वैद्या अपने घर वालों से मिलकर इमोशनल नजर आएं.

वहीं कुछ प्रतियोगी ऐसे भी थे जो बिग बॉस के बाहरी दुनिया में क्या चल रहा है. उसे भी जानकर अपने परिवार वालों से पूछा. शो में आ रही ताजा रिपोर्ट की मानें तो शो के मेकर्स ने एजाज खान को सरप्राइज देने के लिए प्लान बना रहे हैं.

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शो में पवित्रा पुनिया दोबारा एंट्री मारने वाली हैं. जिससे शो के मेकर्स एजाज को सरप्राइज देंगे. एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. इस खबर के बाद से फैंस का दिल गदगद हो जाएगा. बता दें कि एजाज खान और पवित्रा पुनिया की मुलाकात बिग बॉस 14 के दौरान हुई थी.

लेकिन कुछ ही दिनों में इन दोनों की दोस्ती बहुत ज्यादा गहरी हो गई थी. वहीं एक रिपोर्ट में एजाज खान के भाई ने बात करते हुए कहा कि अगर एजाज खान भविष्य में पवित्रा के साथ रहना चाहेंगे तो हमें कोई आपत्ति नहीं होगी.

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वहीं एजाज और पवित्रा भी एक- दूसरे के साथ काफी खुश नजर आते हैं, फैंस भी इस कपल को भविष्य में एक साथ देखने कि उम्मीद करते हैं.

वहीं रुबीना दिलाइक की नन्द उनसे मिलने आई उन्होंने रुबीना कि बहुत तारीफ करते हुए कहा कि रुबीना बहुत अच्छा कर रही है. हमें उम्मीद है कि हमारे घर से ही कोई  कोई विजेता बनेगा. जिसे सुनकर रुबीना के आंखों में आंसू आ गए. वहीं अभिनव शुक्ला और रुबीना दिलाइक के बीच भी शो के दौरान कई तरह कि गलतफैमिया आई थीं.

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हालांकि दोनों ने उसे बहुत अच्छे से समझ कर फैसला ले लिया.

अचानक क्यों मरने लगे पक्षी

कुछ दिन पहले एक खबर काफी सुर्ख़ियों में थी. ये खबर थी सोन चिरैया यानी ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ के विलुप्त होने की कगार पर पहुंचने की. इस खबर ने पक्षीप्रेमियों और बायोलॉजिस्ट को चिंता में डाल दिया था. जिस सोन चिरैया की आबादी वर्ष 1969 में 1260 थी वह अब देश के पांच राज्यों में मात्र 150 ही बची हैं. बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि एक समय सोन चिरैया भारत की राष्ट्रीय पक्षी घोषित होते-होते रह गई थी. जब भारत के ‘राष्ट्रीय पक्षी’ के नाम पर विचार किया जा रहा था, तब ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ का नाम भी प्रस्तावित किया गया था, जिसका समर्थन प्रख्यात भारतीय पक्षी विज्ञानी सलीम अली ने किया था. लेकिन ‘बस्टर्ड’ शब्द के गलत उच्चारण की आशंका के कारण ‘भारतीय मोर’ को राष्ट्रीय पक्षी चुना गया था.
भारतीय वन्य जीव संस्थान ने सोन चिरैया को श्रेणी1 के संरक्षित वन्य प्राणियों में शामिल किया है और इसके शिकार पर पूर्णतः पाबंदी है. देशभर में लटके बिजली के तारों की वजह से सोन चिरैया-ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की लगातार होती मौत पर ग्रीन ट्रिब्यूनल अथॉरिटी ने गहरी नराजगी जाहिर की थी. उसने केंद्र के साथ राज्य सरकारों को भी निर्देश दिए थे कि चार महीने के अंदर बिजली के तारों पर पक्षियों को भगाने के उपकरण लगाए जाएं और आने वाले समय में बिजली के तार भूमिगत बिछाए जाएं. ट्रिब्यूनल का यह आदेश सोन चिरैया को ही नहीं, बल्कि अन्य पक्षियों को भी बचाने में सहायक साबित हो सकता था, लेकिन अफ़सोस कि उसके आदेश को ना तो केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया और ना ही किसी राज्य सरकारों ने.
सोन चिरैया ही नहीं, घर-घर में फुदकने और दाना चुगने वाली गौरैया भी अब लगभग गायब हो चुकी है. बड़ी संख्या में कौवे और गिद्ध भी ख़त्म हो रहे हैं. इन पक्षियों की विलुप्ती का मुख्य कारण है जंगलों का तेज़ी से ख़त्म होते जाना, आसमान में बिजली के नंगे तारों का जाल फैला होना और गगनचुम्बी इमारतों में लगे चमचमाते शीशे. जंगलों के ख़त्म होने पर पक्षियों के आशियाने ख़त्म हो गए हैं, उनके घोसले उजाड़ गए हैं और वह अब इंसानी दुनिया में आकार गर्मी, प्रदूषण और बिजली के खुले नंगे तारों के खतरों के बीच जीने को मजबूर हैं.
फारेस्ट रेंज ऑफिसर पियूष मोहन श्रीवास्तव
अधिकांशतः पक्षी धूप, गर्मी, पानी-खाने की कमी और प्रदूषण के चलते अपनी जान गवां रहे हैं.शहरों में वाहनों का ध्वनि प्रदूषण भी उनकी जान ले रहा है. उधर फसलों को बचाने के लिए भी पक्षियों को जहर देकर मारा जाने लगा है. फसलों पर अंधाधुंध कीड़े मारने की दवा के छिड़काव पक्षियों के लिए जानलेवा साबित हो ही थे. बढ़ता जल और ध्वनि प्रदूषण भी पक्षियों को मौत की नींद सुलाने वाला एक बड़ा कारक है. पानी में बढ़ते तमाम तरह के केमिकल और समुद्र के पानी में बिखरे तेल से भी पक्षियों की मौत हो रही है. जाने-अनजाने हम अपने घरों में भी पक्षियों की मौत के कारणों को बढ़ावा दे रहे हैं. घरों के आसपास इकट्ठा गहरे खुले पानी में भी पक्षी डूब कर मर जाते हैं. यही नहीं, हमारे पालतू जानवर भी पक्षियों के दुश्मन बने हुए हैं. पक्षियों को दूषित खाना या ब्रेड देना अक्सर उन्हें बीमारी से लेकर मौत तक के मुंह में धकेल देता है. पक्षी, प्राकृतिक आपदा जैसे तूफान और तेज आंधी आने तथा बिजली गिरने से भी मारे जाते हैं.
पक्षियों के संरक्षण पर काम करने वाली अमेरिका की एक संस्था नैशनल ऑडबोन सोसायटी से जुड़े बायॉलजिस्ट मेलानी डिसकोल अपने एक लेख में कहते हैं कि अकेले अमेरिका में हर दिन अलग-अलग प्रजातियों के सवा करोड़ से ज्यादा पक्षी मर जाते हैं. ‘नैचरल डेथ’ से ज्यादा मौत ‘मानव रचित’ कारणों से होती है. घरों, दफ्तरों में शीशे के दरवाजे-खिड़कियां लगाने का चलन हर साल करोड़ों पक्षियों की मौत का कारण बनता है. शीशे में प्राकृतिक दृश्य देख भ्रमित पक्षी तेजी से उड़ते हुए आते हैं और शीशों से टकरा जाते हैं. ऐसे में सदमा और गंभीर चोट लगने से 50 फीसदी से ज्यादा पक्षी दम तोड़ देते हैं. हाल ही में हुए एक सर्वे में बताया गया कि अमेरिका में पालतू और जंगली बिल्लियां भी हर साल करोड़ों पक्षियों को अपना शिकार बना लेती हैं. बिजली के नंगे तार तो इन बेज़ुबान जीवों के जान के दुश्मन हैं ही, अब जो नया दुश्मन पैदा हो गया है वह है वायरस। तेजी से पनपते माइट्स, वायरस, बैक्टीरिया मनुष्यों के ही लिए नहीं, पक्षियों के लिए भी खतरनाक हैं. वे एक साथ हजारों पक्षियों का खात्मा कर देते हैं.
बर्ड फ्लू वायरस का प्रकोप   
इन दिनों बर्ड फ्लू वायरस का संचार पक्षियों के बीच बहुत तेज़ी से हो रहा है. 2021 की शुरुआत के साथ ही दुनिया भर में पक्षियों की मौतों का आंकड़ा तेज़ी से बढ़ रहा है. जिसको लेकर जीवविज्ञानियों और डॉक्टर्स के बीच बड़ी चिंता व्याप्त है. बर्ड फ्लू को एवियन एंफ्लुएंजा भी कहते हैं. ये एक तरह का वायरल इंफेक्शन है, जो पक्षियों से मनुष्यों को भी हो सकता है. ये जानलेवा भी हो सकता है. इसका सबसे आम रूप H5N1 एवियन एंफ्लुएंजा कहलाता है. ये बेहद संक्रामक है. समय पर इलाज न मिलने पर जानलेवा हो सकता है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक सबसे पहले एवियन एंफ्लुएंजा के मामले साल 1997 में दिखे. इससे संक्रमित होने वाले लगभग 60 प्रतिशत लोगों की जान चली गई.
अयोध्या के कुमारगंज रेंज में पोस्टेड फारेस्ट रेंज ऑफिसर पियूष मोहन श्रीवास्तव ने इस सम्बन्ध में ‘सरिता’ से लम्बी बातचीत के दौरान कई बातों पर प्रकाश डाला. बता दें कि पियूष मोहन श्रीवास्तव कतर्नियाघाट वाइल्डलाइफ सेंचुरी, लखनऊ चिड़ियाघर, दुधवा टाइगर रिज़र्व जैसी महत्वपूर्ण जगहों पर लम्बे समय तक पोस्टेड रहे हैं और जीव-जंतुओं के व्यवहार, खानपान और प्रजनन पर बारीक नज़र रखते हैं. पियूष मोहन कहते हैं कि देश के कई राज्यों से अचानक बड़ी संख्या में पक्षियों के मरने की खबरें आ रही हैं. हर साल सर्दियों के मौसम में पशु-पक्षियों की मुसीबत तो बढ़ ही जाती है, लेकिन उनकी लगातार हो रही मौतों से अलग तरह की चिंता पैदा हो रही है. कुछ पक्षियों की पोस्टमार्टर्म रिपोर्ट से पता चलता है कि पक्षी वायरस जनित रोगों का शिकार हो रहे हैं.
पियूष मोहन कहते हैं, ‘बर्ड फ्लू का वायरस प्रवासी पक्षियों के द्वारा बाहर से भारत में आ रहा है. इसको रोकना बहुत मुश्किल हो रहा है. हर साल सर्दियां शुरू होते हे माइग्रेंट पक्षियों की तादात देश में बढ़ती है. हम हमेशा इनका स्वागत करते हैं. हिमाचल, उत्तराखंड से लेकर केरल तक इन माइग्रेंट बर्ड्स से गुलजार होते हैं. लेकिन इस बार ये प्रवासी अपने साथ खतरनाक वायरस और बैक्टीरिया भी लेकर आये हैं. कुछ समय पहले ही राजस्थान में अलग-अलग प्रजातियों के लगभग 18 हजार प्रवासी पक्षी मृत पाए गए थे. बरेली स्थित इंडियन वैटनरी रिसर्च इंस्टिट्यूट ने जांच के बाद बताया कि पक्षी न्यूरो मैसकुलर डिसऑर्डर से पीड़ित थे. यह बीमारी एक प्रकार के बैक्टीरिया के विकसित होने से पैदा हुए जहर के कारण होती है.’
गौरतलब है कि इसी बीच भारत में राजस्थान झालावाड़ की राड़ी के बालाजी क्षेत्र में 50 कौवों की मौत हो गई है. पहली नजर में ये बर्ड फ्लू ही लगा. राजस्थान के जयपुर समेत 7 जिलों में 200 से ज़्यादा कौओं की मौत होने की सूचना है. वहां राज्य सरकार ने हालात की निगरानी के लिए कंट्रोल रूम स्थापित कर दिए हैं. साथ ही, चार संभागों में विशेषज्ञ दल भी भेजे गए हैं. सांभर झील में बड़े पैमाने पर पक्षियों की अचानक मृत्यु की घटना के बाद यह दूसरी सबसे बड़ी मुसीबत सामने आई है.
मध्य प्रदेश में भी इंदौर के एक निजी कॉलेज परिसर में मृत पाए गए 100 से ज्यादा कौओं में से 2 की जांच में ‘एच-5 एन-8’ वायरस पाया गया है. गुजरात के जूनागढ़ स्थित बांटला गांव में भी 2 जनवरी को 53 पक्षी मृत मिले थे. इन्हे भी बर्ड फ्लू होने का अंदेशा जताया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश स्थित पोंग डैम इलाके में 1,400 से अधिक प्रवासी पक्षियों की रहस्यमयी मौत हो गई. एहतियातन कांगड़ा जिला प्रशासन ने बांध के जलाशय में सभी तरह की गतिविधियों में अगले आदेश तक रोक लगा दी है. मौत के कारण का पता लगाने के लिए भोपाल स्थित हाई सिक्यॉरिटी एनिमल डिजीज लैब में सैंपल भेजे जा चुके हैं. पंचकूला जिले के बरवाला में 10 दिन में 4,09,970 मुर्गियों की मौत हो चुकी है. बरवाला के गांव गढ़ी कुटाह और गांव जलोली के पास 20 पोल्ट्री फार्मों में चार लाख से ज्यादा मुर्गियों की असामान्य मौत होने पर नमूने एकत्र कर क्षेत्रीय रोग निदान प्रयोगशाला (आरडीडीएल) जालंधर को भेजे गए हैं.
कोरोना वायरस महामारी के साथ ही अब देश में बर्ड फ्लू का संकट गहराता जा रहा है. इस बीच केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सभी राज्य मुख्य सचिवों और मुख्य वन्यजीव वार्डनों को चिट्ठी लिखकर उनसे एवियन इन्फ्लुएंजा (H5N1) के लिए राज्य स्तरीय निगरानी समितियों का गठन करने को कहा है. राज्यों को सलाह दी गई है कि पशुपालन विभाग द्वारा सैंपलिंग टेक्नीक पर आयोजित ट्रेनिंग में भाग लेने के लिए कर्मचारियों/अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की जाए. साथ ही प्रवासी पक्षियों की सभी मौतें – उनकी संख्या और कारण पर्यावरण मंत्रालय को बताया जाए. मंत्रालय ने कहा है कि भेजे गए सैंपल और टेस्टिंग रिपोर्ट्स के कलेक्शन, डिस्पैच के लिए स्थानीय पशु चिकित्सा विभाग से संपर्क किया जाना चाहिए.

प्रवासी पक्षियों की निगरानी
पर्यावरण मंत्रालय ने सभी राज्यों में प्रवासी पक्षियों की निगरानी के लिए एक एक्शन प्लान तैयार करने को कहा गया है. राज्य प्रवासी पशु-पक्षियों के नमूनों के संग्रह में राज्य पशु चिकित्सा विभागों के साथ सहयोग करेंगे. इसमें मृत पक्षियों का सैंपल अत्यंत सावधानी और साइंटिफिक ऑब्जर्बेशन के साथ लिया जाएगा. वहीं, निगरानी केवल संरक्षित क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि उन क्षेत्रों में भी होगी जहां प्रवासी पक्षी आते हैं.

कई राज्यों में बर्ड फ्लू की पुष्टि
हिमाचल प्रदेश, केरल, राजस्थान में बर्ड फ्लू के चलते हजारों पक्षी मर गए हैं. हिमाचल में इस मौसम में प्रवासी पक्षी बहुतायत में कांगड़ा और आसपास के इलाकों में आते हैं. जनवरी के पहले सप्ताह में 2300 पक्षियों के मौत की पुष्टि हो चुकी है। केरल में 12000 से ज्यादा बत्तख केवल दो जिलों कोट्टायम और अलप्पुझा में मर चुकी हैं. इस राज्य में हर साल ही बर्ड फ्लू की मार पड़ती है. बर्ड फ्लू बीमारी इंसानों में फैलने के डर से राज्य सरकार कई प्रभावित इलाकों में पक्षियों को मार रही है. राजस्थान में भी 500 के आसपास पक्षी मारे गए हैं. मध्य प्रदेश राज्य में भी अलर्ट जारी हो गया है. सरकार कहना है कि बर्ड फ्लू से एच5एन8 और कई अऩ्य तरह के वायरस एंफ्लुएंजा का खतरा है.

हिमाचल प्रदेश में पहली बार 28 दिसंबर को जब वन विभाग के कर्मचारी प्रवासी पक्षियों की संख्या का अनुमान लगा रहे थे, तभी कुछ पक्षी मरे हुए मिले. इसके बाद कर्मचारियों ने पूरे अभयारण्य क्षेत्र का दौरा किया. कई पक्षी मृत पाए गए. मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) उत्तर, उपासना पटियाल कहती हैं, ‘हम इस मौसम के दौरान एक पखवाड़े में प्रवासी पक्षियों के आने का आकलन करते हैं. हमने 15 दिसंबर तक 57,000 प्रवासी पक्षियों के आगमन का अनुमान लगाया था. मृत पाए गए पक्षियों को प्रोटोकॉल के अनुसार दफनाया जा रहा है. जो अभी जिंदा हैं, उन्हें आइसोलेट कर दिया गया है.’

रहें सावधान 

फारेस्ट रेंज ऑफिसर पियूष मोहन श्रीवास्तव कहते हैं, ‘कोरोना काल में मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षियों पर भी बड़ी आफत टूटी है. कोरोना वायरस फैलने के दौरान चीन में लाखों की संख्या में मुर्गी, सूअर, कुत्ते आदि जानवरों को जला कर मारने के कई वीडियो सामने आये. अब नए कोरोना वायरस स्ट्रेन के चलते डेनमार्क में लाखो ऊदबिलाव इसलिए मारे जा रहे हैं क्योंकि उनसे कोरोना वायरस बढ़ने के आसार हैं. इसके साथ बर्ड फ्लू वायरस अपना तांडव दिखा रहा है. बहरहाल, बड़ी बात यह है कि मिलकर प्रयास किया जाए तो लाखों पक्षियों की जान बचाई जा सकती है. इसके लिए जागरूकता फैलाने की जरूरत है. जंगलों को ख़त्म करके हमने पक्षियों को बेघर कर दिया है.
ऐसे में अगर हमें अपने घरों के आसपास पेड़ों पर, छत की मुंडेर पर कहीं पक्षियों के घोंसले दिखें तो उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी हमें लेनी चाहिए. उनके लिए अगर हम अपने घरों की छतों पर बाजरा, गेहूं जैसे अनाज डाल दें, साफ़ पानी मिटटी के कटोरों में रख दें तो काफी हद तक पक्षियों की समस्या का समाधान हो सकता है. ऐसे में वह नीचे उतरने और कुत्ते-बिल्ली का शिकार बनने से बचेंगे। इस साल हमारी तरह ही प्रवासी पक्षियों का सफर भी चुनौतीपूर्ण रहा है. हम मिल-जुलकर ही एक-दूसरे के जीवन में थोड़ा सुकून ला सकते हैं. राजस्थान, मध्य प्रदेश के बाद हिमाचल और केरल तक बर्ड फ्लू से दहशत मच गई है जिसे देखते हुए राज्य सरकारों ने अलर्ट जारी किया है. ऐसे में पोल्ट्री प्रोडक्ट से बचें या इस्तेमाल करते वक़्त उन्हें अच्छी तरह पकाएं ताकि वायरस के खतरे से बचे रहें.
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