साल 2020 में कोरोना महामारी की वजह से मचे मौत के तांडव ने देशदुनिया को हिला दिया. जब भारत में लौकडाउन हुआ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता से अपील करते हुए ‘जो जहां है वहीं रहे’ की अपील की तो मानो भगदड़ सी मच गई. पूरा देश एकदम बंद हो गया. सड़कें सुनसान और घर वीरान से दिखने लगे. लोग घरों में कैद जो हो गए थे.

इस से शहरों में रोजगार कमाने आए लाखोंकरोड़ों लोगों पर अपने सिर की छत और रोजीरोटी गंवाने का खतरा बढ़ गया. लिहाजा, बहुत से लोग अपने परिवार समेत सिर पर सामान लादे निकल पड़े सड़कों पर अपनेअपने गांव की ओर. पर जब मुसीबतें आईं तो उन्हें जरूरत पड़ी किसी ऐसे की जो उन की मदद कर सके.

ये भी पढ़ें- मंदिर और मूर्तियां बनाना कहां का विकास है?

ऐसा हुआ भी. बहुत से अनजान लोगों ने बिना किसी लालच के बहुत से भूखों को खाना दिया, उन की प्यास बु झाई, छाले पड़े पैरों पर मरहम लगाया. पर एक इंसान तो मानो सुपरहीरो बन गया. नाम था सोनू सूद, जो फिल्मों में तो विलेन बनता था, पर कोरोनाकाल में ऐसा नायक बना कि बड़ेबड़े हीरो पीछे छूट गए.

पंजाब के मोगा जिले से ताल्लुक रखने वाले सोनू सूद ने लौकडाउन के दौरान प्रवासियों को उन के घर पहुंचाने में मदद की, मजदूरों के लिए बसों, ट्रेनों का इंतजाम किया ताकि वे अपनेअपने घरों तक पहुंच पाएं.

यही वजह है कि सोनू सूद इसी विषय पर एक किताब भी लिख रहे हैं. यही नहीं, उन्होंने 3 लाख प्रवासियों को नौकरी दिलाने का भी वादा किया है. सवाल उठता है कि सोनू सूद ने यह समाजसेवा क्यों की और क्या समाजसेवा और राजनीति के जरिए लोग दूसरों की बिना किसी लालच के मदद कर सकते हैं?

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...