किसी अनजान जगह में नौकरी करना आसान काम नहीं होता खासकर बङे शहरों में. बङी समस्या तब आती है जब रहने के लिए किसी आशियाने की तलाश करनी हो.

जौइनिंग के बाद किसी गेस्टहाऊस या होटल में रह कर मकान ढूंढ़ना बेहद पेचिदा काम होता है. रहने का ठौर मिल भी जाए तो फिर जरूरत का सामान जैसे बैड, टेबलकुरसी वगैरह के साथ शिफ्ट करना आसान काम नहीं होता.

भोपाल के 26 वर्षीय चैतन्य ने बताया,”मुझे समझ आ गया कि आते वक्त क्यों मम्मीपापा चिंता जताते ढेरों नसीहतें दे रहे थे.”

अब से कोई डेढ़ साल पहले बीटेक करने के बाद चैतन्य की नौकरी एक नामी सौफ्टवेयर कंपनी में लगी थी तो उस की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था.

शुरुआती पैकेज भी अच्छा यानी उसे ₹7 लाख सालाना मिल रहा था. अपना घर, शहर और पेरैंट्स को छोड़ने का दुख जरूर था लेकिन सवाल कैरियर का था.

यों आजकल के युवा बेहद व्यावहारिक हो चले हैं और खुद के लिए फैसले लेने लगे हैं पर चैतन्य के साथ जो हुआ उसे जान कर लगता है कि उस के अंदर उत्साह तो था मगर अनुभव की कमी थी.

अनजान जगह नौकरी करने जाना आसान काम है लेकिन वहां जमने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है और इस की तालीम किसी कालेज में नहीं मिलती.

चैतन्य जैसे कई और युवाओं से बात करने पर महसूस होता है कि घर से दूर अनजान जगह जा कर नौकरी करना एक तरह से नई जिंदगी की शुरुआत होती है जिस की तुलना उस प्रचलित कहावत से की जा सकती है कि बच्चे को जन्म देना किसी भी स्त्री का दूसरा जन्म होता है.

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दूरदराज तो दूर की बात है खुद के शहर में भी किराए का मकान आसानी से नहीं मिलता फिर मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, पुणे और बैंगलुरु जैसे महानगरों की तो बात ही कुछ और है.

चैतन्य ने सोचा था कि मकान यों ही घूमतेफिरते मिल जाएगा. इस के लिए उस ने कुछ इलाकों के चक्कर काटे मगर खुद चकरा उठा.

पहली समस्या उसे भाषा की आई क्योंकि कन्नड़भाषी हिंदी और इंग्लिश दोनों ही अच्छी तरह नहीं जानते, दूसरे अनजान आदमी को कोई मकान देने को तैयार नहीं होता.

घबराए चैतन्य ने कंपनी के हिंदीभाषी सहकर्मियों को अपनी परेशानी बताई तो उसे सलाह दी गई कि किसी ब्रोकर के जरीये मकान ले लो. ब्रोकर के जरीये मकान लेना महंगा पड़ता है.

भागादौड़ी के बाद पता चला कि बैंगलुरु में अधिकतर हिंदी प्रदेशों के नौकरीपेशा युवा इलैक्ट्रोनिक सिटी और व्हाइट फील्ड इलाकों में रहते हैं. चैतन्य इन इलाकों में गया तो उसे थोड़ी राहत मिली क्योंकि वहां वाकई हिंदीभाषी राज्यों के युवा इफरात से दिखे, जिन से बातचीत हुई तो उसे मकान मिलने की आस बंधी और पहली बार अपनापन महसूस हुआ.

नहीं तो पिछले 10 दिनों में उसे यही लगा कि वह अपने ही देश के एक राज्य में नहीं बल्कि विदेश में कहीं रहने आया है.

खैर जैसेतैसे उसे मकान मिल गया. मदद करने वाला था झारखंड के धनबाद जिले का अभिनव, जिसे एक रूममेट की तलाश थी क्योंकि 2 कमरों वाले जिस छोटे से फ्लैट में वह रह रहा था उस का किराया ही ₹25 हजार महीना था.

अभिनव की नौकरी भी चैतन्य की तरह प्लेसमेंट के जरीये एक सौफ्टवेयर कंपनी में लगी थी. आधा किराया चैतन्य के हिस्से आया जो उसे ज्यादा नहीं लगा क्योंकि मकान में तमाम सुविधाएं मौजूद थीं.

रहने की समस्या हल हो गई लेकिन 12 दिन चैतन्य तनाव, आशंका और चिंता में रहा.

चैतन्य ने बताया कि अगर हिंदीभाषी राज्यों के युवा खासतौर से दक्षिण भारत के राज्यों में नौकरी के लिए आएं तो उन्हें घर से ही सारी जानकारियां हासिल कर लेनी चाहिए और किसी अनजान जगह में नौकरी करते समय कई सावधानियां भी बरतनी चाहिए.

गलतियों से बचें

चैतन्य को अभिनव ने पहले ही बता दिया था कि यहां सब से बडी परेशानी भाषा की है. स्थानीय लोग कन्नड़ ही बोलते हैं और इस वजह से हिंदी भाषियों से ज्यादा मेलजोल भी नहीं रख पाते.

फ्लैट में शिफ्ट होने के बाद नई परेशानी खानेपीने की होने लगी. कुछ दिन तो होटल का खाना अच्छा लगा लेकिन फिर बेस्वाद लगने लगा क्योंकि बैंगलुरु में अच्छी रोटी मिलती नहीं और मिलती भी है तो मैदे की बनी, जिस की उसे आदत नहीं थी.

मुंबई की एक कंपनी में जौब कर रही गुंजन के मुताबिक, हिंदीभाषी राज्यों के युवाओं की एक बडी समस्या खानपान है जो महाराष्ट्र में भी मनमुताबिक नहीं मिलता.

पुणे की अपूर्वा को अब भी याद है कि जब मम्मी मनपसंद पकवानों से सजी थाली लिए आगेपीछे घूमती थीं तो उसे नखरे आते थे. अब अकसर वड़ापाव खाना पङता है.

लेकिन रहने और खाने के अलावा और भी कई बातें हैं जिन पर बाहर रह कर नौकरी कर रहे युवाओं को खास ध्यान रखने की जरूरत है.

आइए, कुछ अहम बातों को ऐसे ही कुछ युवाओं की जबानी समझें :

• घर से दूर नौकरी करने पर युवा पारिवारिक बंदिशें, रोकटोक और नसीहतों से आजाद हो जाते हैं लेकिन इस का दुरुपयोग महंगा पड़ सकता है इसलिए उन्हें बहुत संभल कर रहना चाहिए.

• सब से पहले तो युवाओं को शराब और नशे की लत आदि से बच कर रहना चाहिए.

• शराब की तरह धूम्रपान भी युवाओं के लिए नुकसानदेह साबित होता है. यह सोचना बहुत बङी गलती और गलतफहमी भी है कि सिगरेट पीने से गम को भुलाया जा सकता है या फिर कम किया जा सकता है. धूम्रपान से असाध्य रोगों यानी कैंसर आदि से पीङित होने की संभावना रहती है.

• पुणे में नौकरी कर रही विदिशा की मानें तो रैडलाइट इलाकों में भी कई नौकरीपेशा युवा जाते हैं और वहां से सैक्स रोग ले आते हैं और फिर दूसरी गलती नीमहकीमों से बीमारियों का इलाज कराते हैं.

इसलिए गलती से ही सही ऐसा कुछ हो जाए तो उन्हें एलोपैथी के विशेषज्ञ डाक्टरों से ही इलाज कराना चाहिए और सैक्स संबंध बनाते समय कंडोम का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए.

• गुरुग्राम की एक कंपनी में कार्यरत उज्जैन की प्रकृति सोशल मीडिया पर वक्त की बरबादी को नौकरीपेशा युवाओं की सब से बङी गलती मानती हैं.

उन के मुताबिक, सोशल मीडिया की जगह युवाओं को पत्रपत्रिकाएं अथवा अच्छा साहित्य पढ़ने में मन लगाना चाहिए जिस से बुद्धि और प्रतिभा और निखरें.

• युवाओं को यह हर समय याद रखना चाहिए कि वे घर से दूर जा कर नौकरी पैसा कमाने के लिए कर रहे हैं नकि अपनी कमाई को बरबाद करने के लिए, इसलिए उन्हें फुजूलखर्ची से बचना चाहिए.

बचत का पैसा ही असली कमाई होता है जोकि भविष्य और बुरे वक्त में काम आता है.हालांकि अपनी कमाई से उन्हें अपने वे तमाम शौक पूरे करने का पूरा हक है जिस के लिए कालेज लाइफ में वे तरस जाते थे मसलन ब्रैंडेड कपङे, फुटवियर और फैशन से जुङी तमाम ऐसी चीजें जिन का उन्हें पहले से ही शौक रहा हो लेकिन छात्र जीवन में पूरी न कर पाए हों.

• जितना हो सके उधारी के लेनदेन से बचना चाहिए.

• महीने का बजट बना कर खर्च करना चाहिए और सट्टे की लत आदि से दूर रहना चाहिए.

• आमतौर पर किसी कंपनी में एक दिन में 10 से 12 घंटे काम करना पड़ता है. इसलिए बचे हुए वक्त में खुद की सेहत पर खास ध्यान देना चाहिए. इस के लिए या तो घर पर ही कसरत करना बेहतर होता है या फिर जिम आदि जौइन करना, जिस से फिट रहा जा सके.

• वक्त काटने का एक और उपयोगी तरीका खुद घर पर खाना बनाने का है. इस से अपनी पसंद का जायकेदार खाना खाने को मिलेगा.

• शुरुआती दौर में होम सिकनैस से बचने के लिए घर वालों से रोज बात करना बेहतर है. वीडियो काल इस के लिए बेहतर है.

• स्थानीय लोगों से वादविवाद में नहीं पड़ना चाहिए.

• युवतियों को खासतौर से एहतियात बरतने की जरूरत होती है.

चैन्नई में कार्यरत नेहा कहती है कि अनजान लोगों से ज्यादा संबंध बनाना कभीकभी महंगा पड़ जाता है.

वह यह भी सलाह देती है कि लड़कियां  अपने बौयफ्रैंड से सैक्स संबंध बनाते समय कंडोम का इस्तेमाल जरूर करें और सैक्स पार्टनर को इस के लिए दबाव दें ताकि अनावश्यक गर्भधारण से बचा जा सके.

ऐसी कई छोटीबडी बातों का ध्यान रखा जाए तो कई परेशानियों से युवा खुद को बचाए रख सकते हैं. खुद को अपडेट रखने से जौब में भी फायदा होता है और खुद का आत्मविश्वास भी बढ़ता है.

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