Download App

नई जिंदगी-भाग 2: रघुवीर भैया अपनी पत्नी पर क्यों चीखते थे

एक दिन मैं ने दिवाकर से खूब झगड़ा किया था. खूब बुराभला कहा था रघु भैया को. दिवाकर शांत रहे थे. गंभीर मुखमुद्रा लिए अपने चेहरे पर मुसकान बिखेर कर बोले, ‘‘शालू, रघु की जगह अगर तुम्हारा भाई होता तो तुम क्या करतीं? क्या ऐसे ही

कोसतीं उसे?’’

‘‘सच बताऊं, मैं उस से संबंधविच्छेद ही कर लेती. हमारे परिवार में बच्चों को ऐसे संस्कार दिए जाते हैं कि वे बड़ों का अनादर कर ही नहीं सकते,’’ क्रोध के आवेग में बहुतकुछ कह गई थी. जब चित्त थोड़ा शांत हुआ तो खुद को समझाने बैठ गई कि मेरे पति भी इसी परिवार के हैं, कभी दुख नहीं पहुंचाया उन्होंने किसी को. फिर रघु भैया का व्यवहार ऐसा क्यों है?

एक दिन, अम्माजी ने अखबार रद्दी वाले को बेच दिए थे. रघु भैया को किसी खास दिन का अखबार चाहिए था. टूट पड़े अम्माजी पर. दिवाकर ने उन्हें शांत करते हुए कहा, ‘आज ही दफ्तर की लाइब्रेरी से तुम्हें अखबार ला दूंगा.’

पर रघु भैया की जबान एक बार लपलपाती तो उसे शांत करना आसान नहीं होता था. गालियों की बौछार कर दी अम्मा पर. वे पछाड़ खा कर गिर पड़ी थीं.

दिवाकर अखबार लेने चले गए और मैं डाक्टर को ले आई थी. तब तक रघु भैया घर से जा चुके थे. डाक्टर अम्माजी को दवा दे कर जा चुके थे. मैं उन के सिरहाने बैठी अतीत की स्मृतियों में खोती चली गई. कैसे हृदयविहीन व्यक्ति हैं ये? संबंधों की गरिमा भी नहीं पहचानते.

दिन बीतते गए. रघु भैया के विवाह के लिए अम्माजी और दिवाकर चिंतित थे. दिवाकर अपने भाई के लिए संपन्न घराने की सुंदर व सुशिक्षित कन्या चाहते थे. अम्माजी चाह रही थीं, मैं अपने मायके की ही कोई लड़की यहां ले आऊं. पर मुझे तो रघु भैया का स्वभाव कभी भाया ही नहीं था. जानबूझ कर दलदल में कौन फंसे.

एक दिन दिवाकर मुझ से बोले, ‘शालू, रघु के लिए कोई लड़की देखो.’

मैं विस्मय से उन का चेहरा निहारने लगी थी.  समझ नहीं पा रही थी, वे वास्तव में गंभीर हैं या यों ही मजाक कर रहे हैं. रघु भैया के स्वभाव से तो वही स्त्री सामंजस्य स्थापित कर सकती थी जिस में समझौते व संयम की भावना कूटकूट कर भरी हो. घर हो या बाहर, आपा खोते एक पल भी नहीं लगता था उन्हें. मैं हलकेफुलके अंदाज में बोली, ‘ब्याह भले कराओ देवरजी का पर उस स्थिति की भी कल्पना की है तुम ने कभी, जब वे पूरे वातावरण को युद्धभूमि में बदल देते हैं. मैं तो डर कर तुम्हारी शरण में आ जाती हूं पर उस गरीब का क्या होगा?’

मैं ने बात सहज ढंग से कही थी पर दिवाकर गंभीर थे. मेरे दृष्टिकोण का मानदंड चाहे जो भी हो पर दिवाकर के तो वे प्रिय भाई थे और अम्माजी के लाड़ले सुपुत्र.

दोनों की दृष्टि में उन का अपराध क्षम्य था. वैसे लड़का सुशिक्षित हो, उच्च पद पर आसीन हो और घराना संपन्न हो तो रिश्तों की कोई कमी नहीं होती. कदकाठी, रूपरंग व आकर्षक व्यक्तित्व के तो वे स्वामी थे ही. मेरठ वाले दुर्गाप्रसाद की बेटी इंदु सभी को बहुत भायी थी.

मैं सोच रही थी, ‘क्या देंगे रघु भैया अपनी अर्धांगिनी को? उन के शब्दकोश में तो सिर्फ कटुबाण हैं, जो सर्पदंश सी पीड़ा ही तो दे सकते हैं. भावों और संवेदनाओं की परिभाषा से कोसों दूर यह व्यक्ति उपेक्षा के नश्तर ही तो चुभो सकता है.’

इंदु को हमारे घर आना था. वह आई भी. 2 भाइयों की एकलौती बहन. इतना दहेज लाई कि अम्माजी पड़ोसिनों को गिनवागिनवा कर थक गई थीं. अपने साथ संस्कारों की अनमोल धरोहर भी वह लाई थी. उस के मृदु स्वभाव ने सब के मन को जीत लिया. मुझे लगा, देवरजी के स्वभाव को बदलने की सामर्थ्य इंदु में है.

विवाह के दूसरे दिन स्वागत समारोह का आयोजन था. दिवाकर की वकालत खूब अच्छी चलती थी. संभ्रांत व आभिजात्य वर्ग में उन का उठनाबैठना था. रघु भैया चार्टर्ड अकाउंटैंट थे. निमंत्रणपत्र बांटे गए थे. ऐसा लग रहा था, जैसे पूरा शहर ही सिमट आया हो.

इंदु को तैयार करने के लिए ब्यूटीशियन को घर पर बुलाया गया था. लोगों का आना शुरू हो गया था. उधर इंदु तैयार नहीं हो पाई थी. रघु भीतर आ गए थे. क्रोध के आवेग से बुरी तरह कांप रहे थे. सामने अम्माजी मिल गईं तो उन्हें ही धर दबोचा, ‘कहां है तुम्हारी बहू? महारानी को तैयार होने में कितने घंटे लगेंगे?’

मैं उन का स्वभाव अच्छी तरह जानती थी, बोली, ‘ब्यूटीशियन अंदर है. बस 5 मिनट में आ जाएगी.’

पर उन्हें इतना धीरज कहां था. आव देखा न ताव, भड़ाक से कमरे का दरवाजा खोल कर अंदर पहुंच गए. शिष्टाचार का कोई नियम उन्हें छू तक नहीं गया था. ब्यूटीशियन को संबोधित कर आंखें तरेरीं, ‘अब जूड़ा नहीं बना, चुटिया बन गई तो कोई आफत नहीं आ जाएगी. गंवारों को समय का ध्यान ही नहीं है. यहां अभी मेहंदी रचाई जा रही है, अलता लग रहा है, वहां लोग आने लगे हैं.’

अपमान और क्षोभ के कारण इंदु के आंसू टपक पड़े थे. वह बुरी तरह कांपने लगी थी. मैं भाग कर दिवाकर को बुला लाई थी. भाई को शांत करते हुए वे बोले, ‘रघु, बाहर चलो. तुम्हारे यहां खड़े रहने से तो और देर हो जाएगी.’

Crime Story: ताबीज का रहस्य  

उत्तर प्रदेश का एक जिला है मैनपुरी. इसी जिले के गांव भहलोई में रहते थे सौरभ और मूर्ति देवी. दोनों जवानी की दहलीज पर कदम रख चुके थे. इस उम्र में युवकयुवतियों का एकदूसरे के प्रति आकर्षण बढ़ जाता है. ये दोनों भी एकदूसरे के आकर्षण में बंधते चले गए.

दोनों को एकदूसरे से कब प्यार हो गया, इस का उन्हें एहसास ही नहीं हुआ. बाद में उन की स्थिति ऐसी हो गई कि जब तक वह एकदूसरे को देख नहीं लेते थे, चैन नहीं मिलता था.

मूर्ति के पिता जीतपाल सिंह किसान थे. उन के 4 बच्चों में ऋषि, मूर्ति, सुषमा व सब से छोटा बेटा सोनू था. मूर्ति और सौरभ का प्यार परवान चढ़ रहा था. धीरेधीरे उन के प्यार के चर्चे गांव में होने लगे. यह खबर जब मूर्ति के पिता जीतपाल के कानों तक पहुंची तो वे बदनामी को ले कर वह परेशान रहने लगे.

ये भी पढ़ें- Crime Story: सावधान – झक मारना नहीं है औनलाइन फिशिंग

इस से बचने के लिए उन्होंने मूर्ति की शादी करने का फैसला कर लिया. वह उस के लिए लड़का ढूंढने लगे. कोशिश रंग लाई और उन्होंने 19 वर्षीय बेटी मूर्ति की शादी 30 अप्रैल, 2018 को फिरोजाबाद जिले के कस्बा शिकोहाबाद के गांव मोहिनीपुर के रहने वाले श्याम सिंह के बेटे अर्जुन सिंह के साथ कर दी. श्याम सिंह भी खेतीकिसानी करते थे.

प्रेमिका की शादी हो जाने के बाद सौरभ मायूस हो गया. अब मूर्ति के बिना उसे गांव में अच्छा नहीं लगता था. वह मूर्ति से मिलने के लिए बेचैन हो उठा. उस ने मूर्ति से मिलने की खातिर किसी तरह अर्जुन के भाई उदयवीर से दोस्ती कर ली.

अब सौरभ कभीकभी मूर्ति की ससुराल मोहिनीपुर आने लगा. ससुराल वालों के सामने वह मूर्ति से बातचीत भी कर लेता था. धीरेधीरे सौरभ का आनाजाना बढ़ गया. वह बेहिचक घर आता और मूर्ति से घंटों हंसीठिठोली करता.ससुराल वालों को यह पता नहीं था कि सौरभ और मूर्ति का पहले से कोई चक्कर है. लिहाजा उन्होंने उन के मिलने की बात को गंभीरता से नहीं लिया. लेकिन बाद में अर्जुन को सौरभ का बारबार उस के घर के चक्कर लगाना अच्छा नहीं लगा तो अर्जुन ने सौरभ को अपने घर आने से साफ मना कर दिया.

ये भी पढ़ें- Crime Story: कसरत के लिए मशक्कत

सौरभ बेशरम था. वह नहीं माना और मना करने के बावजूद मूर्ति से मिलने पहुंच जाता. तब अर्जुन और उस के घर वाले उसे बेइज्जत कर के भगा देते थे. 7 सितंबर, 2019 को सौरभ फिर अर्जुन के घर पहुंच गया. घर वालों के विरोध पर गांव के लोगों ने उसे पकड़ लिया और उस की पिटाई कर दी. इस के बाद उसे गांव में दोबारा न आने की नसीहत देते हुए भगा दिया.

इस पूरे मामले की जानकारी अर्जुन ने अपनी सास मोहरश्री व बड़े साले ऋषि कुमार को दी. सूचना मिलने पर दोनों 9 सितंबर को मोहिनीपुर आ गए. ससुराल वालों ने शिकायत करते हुए सौरभ के घर आने और मूर्ति से बात करने पर विरोध जताया. मोहरश्री और उस के बेटे ने मूर्ति को समझाया कि वह सौरभ से बात न करा करे. मूर्ति को समझा कर वे दोनों रात को वहीं रुके.

मूर्ति ने मां और अपने भाई से वादा तो कर लिया था कि वह आइंदा सौरभ से बात नहीं करेगी लेकिन उस के मन में अलग ही खिचड़ी पक रही थी. वह सौरभ को हरगिज छोड़ना नहीं चाहती थी. और उसी रात वह ससुराल से रहस्यमय ढंग से गायब हो गई.

ये भी पढ़ें- Crime Story: मुंगेर का चर्चित गोलीकांड

10 सितंबर की सुबह जब घर वालों की अांखें खुलीं तो इस घटना का पता चला. घर वालों ने मूर्ति की तलाश भी की, लेकिन वह नहीं मिली.अर्जुन सिंह ने पुलिस कंट्रोल रूम में फोन कर अपनी पत्नी के भाग जाने की खबर दी. कुछ ही देर में शिकोहाबाद थाने की पुलिस गांव पहुंच गई. पुलिस ने इस संबंध में अर्जुन सिंह की तरफ से सौरभ के खिलाफ पत्नी मूर्ति को आभूषण व 50 हजार की नकदी सहित बहलाफुसला कर भगा ले जाने की रिपोर्ट दर्ज करा दी.

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद भी पुलिस ने सौरभ और मूर्ति को ढूंढने में दिलचस्पी नहीं दिखाई बल्कि उस ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया. मूर्ति के घर वाले ही उसे तलाश करते रहे लेकिन दोनों का कोई सुराग नहीं मिला.

फिरोजाबाद जिले का एक थाना है सिरसागंज. इस थाने के गांव भदेसरा निवासी चौकीदार रमेशचंद्र ने 20 सितंबर, 2019 की सुबह थाने में आ कर सूचना दी कि गांव में बचान सिंह के खेत में खड़ी बाजरे की फसल के बीच एक अधजली लाश पड़ी है. जो देखने में महिला की लग रही है.

तत्कालीन थानाप्रभारी सुनील कुमार तोमर ने चौकीदार से विस्तार से पूछताछ की. चौकीदार ने बताया कि वह सुबह खेतों की तरफ गया था. वहां बचान सिंह के बाजरे के खेत से एक कुत्ता एक व्यक्ति की टांग का कुछ हिस्सा ले कर बाहर निकला. इस पर जिज्ञासावश वह खेत में कुछ अंदर की तरफ गया. उस ने वहां जो दृश्य देखा तो परेशान हो गया.

वहां एक महिला के सिर के टुकड़े, बाल, दांत व एक पैर गली हुई अवस्था में पड़ा थे. इस के साथ ही पसलियों की हड्डियां व कंकाल भी खेत में पड़ा था.

इस सूचना पर थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ भदेसरा गांव स्थित बाजरे के खेत में पहुंच गए. यह गांव थाने से लगभग 6 किलोमीटर दूर था.

पुलिस जब वहां पहुंची तो बाजरे के खेत के बीचोंबीच एक जली हुई लाश क्षतविक्षत कंकाल के रूप में पड़ी थी. कुछ अधजले कपड़े आदि भी पुलिस ने खेत से बरामद किए. थानाप्रभारी ने यह सूचना अपने उच्चाधिकारियों को भी दे दी. बिना किसी देरी के अवशेषों को एकत्र कर उन्हें मोर्चरी भेज कर अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया.

पुलिस को घटनास्थल के निरीक्षण से पता चला कि लाश को कई दिन पूर्व रात के समय खेत के बीचोंबीच ले जा कर जलाया गया था. इस से यह बात साफ हो गई थी कि हत्यारों ने महिला की हत्या के बाद उस के शव को यहां चोरीछिपे ला कर किसी ज्वलनशील पदार्थ से जलाया था.

लाश किस महिला की है, इस का पता लगाया जाना बहुत जरूरी था, लिहाजा पुलिस ने लाश के अस्थिपंजरों के फोटो सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से खूब प्रसारित किए. लेकिन पुलिस को इस में कोई सफलता नहीं मिली.

मृतका की पहचान न हो पाने तथा हत्यारे का भी पता न चलने के कारण इस मामले के विवेचक ने सुरागरसी जारी रखते हुए 8 मार्च, 2020 को मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी.इस बीच 14 महीने बीत गए. सितंबर, 2020 में एसएसपी (फिरोजाबाद) सचिंद्र पटेल थाना शिकोहाबाद में निरीक्षण कर रहे थे.

इस दौरान उन की जानकारी में एक मामला आया.मामला यह था कि मोहिनीपुर के रहने वाले अर्जुन सिंह ने शिकोहाबाद में 10 सितंबर, 2019 को एक रिपोर्ट दर्ज कराई थी. इस में कहा गया था कि उस की पत्नी मूर्ति देवी सौरभ नाम के अपने प्रेमी के साथ घर से कुछ नकदी व आभूषण ले कर भाग गई है.

मामले के विवेचक ने इस संबंध में कोई काररवाई नहीं की थी. एसएसपी ने इस केस को खोलने के लिए एएसपी (ग्रामीण) राजेश कुमार के नेतृत्व में एक टीम बनाई. उन्होंने इस काम में एसओजी व सर्विलांस सैल को भी लगा दिया.

जिम्मेदारी मिलने के तुरंत बाद एसओजी प्रभारी कुलदीप सिंह चौहान की टीम ने अपना काम शुरू कर दिया.टीम ने जिले के विभिन्न थानों से इस संबंध में लापता महिलाओं की जानकारी जुटानी शुरू कर दी. जांच में पता चला कि अर्जुन सिंह द्वारा शिकोहाबाद थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने के 10 दिन बाद ही सिरसागंज थाना पुलिस ने बाजरे के खेत से एक महिला का कंकाल बरामद किया था.

इस जानकारी के बाद पुलिस टीम थाना सिरसागंज पहुंची. टीम ने महिला के कंकाल के साथ मिले अन्य सामान को देखा. इस सामान में कंकाल से प्राप्त ताबीज, एक रुपए का छेद वाला सिक्का व अन्य सामान भी था. पुलिस ने लापता मूर्ति देवी के पिता जीतपाल सिंह निवासी मैनपुरी को बुला कर वह सारा सामान दिखाया.

जीतपाल ने ताबीज व सिक्के को देखते ही बता दिया कि यह सारा सामान उन की बेटी मूर्ति का है. वह अपने गले में काले धागे में बंधा यह ताबीज व एक रुपए का सिक्का पहनती थी. इसी के आधार पर उन्होंने बताया कि खेत में मिला कंकाल उन की बेटी मूर्ति का ही था.

मृतका की शिनाख्त होने पर एसओजी प्रभारी कुलदीप सिंह चौहान व थाना सिरसागंज के थानाप्रभारी गिरीशचंद्र गौतम को लगा कि दाल में जरूर कुछ काला है. उन्होंने जीतपाल से मूर्ति का मोबाइल नंबर ले लिया.

टीम ने इस मामले में संदिग्ध लग रहे लोगों से पूछताछ शुरू कर दी. चूंकि अर्जुन ने सौरभ के खिलाफ पत्नी को भगा कर ले जाने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, इसलिए पुलिस भहलोई गांव स्थित उस के घर गई. सौरभ घर से गायब मिला. पुलिस ने उस के घर वालों के फोन नंबर ले लिए. इस के बाद पुलिस ने पूछताछ के लिए मृतका के ससुराल वालों को कई बार बुलाया.

कई बार बुलाए जाने के बाद भी मृतका के ससुरालीजन यहां तक कि मृतका का पति अर्जुन भी पुलिस के सामने नहीं आया. इस से पुलिस का संदेह और मजबूत हो गया. उधर सर्विलांस टीम ने बताया कि पता चला कि जिस जगह पर कीर्ति के अस्थिपंजर मिले थे, वहां पर घटना वाले दिन कीर्ति के पति अर्जुन और जेठ उदयवीर के फोन की लोकेशन वहीं की थी.

मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने 30 नवंबर,2020 को सुबह करीब सवा 8 बजे सोथरा चौराहा फ्लाईओवर से मृतका मूर्ति देवी के पति अर्जुन व जेठ उदयवीर को हिरासत में ले लिया. पुलिस दोनों को थाना सिरसागंज ले आई. दोनों से गहनता से पूछताछ की गई.

दोनों भाइयों ने स्वीकार कर लिया कि मूर्ति की हत्या उन्होंने ही की थी. इस के बाद उन्होंने उस की लाश ठिकाने लगा दी थी.केस का खुलासा होने के बाद एसएसपी सचिंद्र पटेल ने पुलिस लाइन सभागार में प्रैस कौन्फ्रैंस कर के हत्यारोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी दी. इस हत्याकांड के पीछे प्रेम संबंधों की चौंकाने वाली कहानी सामने आई.

मूर्ति देवी की शादी के कुछ महीने बाद ही उस के पति अर्जुन को पता चल गया था कि शादी से पहले से ही मूर्ति के संबंध गांव के ही सौरभ से हैं. उस ने यह बात अपने बड़े भाई उदयवीर को बताई. दूसरे युवक से प्यार करने की बात ने अर्जुन के कलेजे को चीर कर रख दिया था. यह बात उसे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी. उस के सीने में नफरत की आग सुलग रही थी. उस ने भाई उदयवीर के साथ मिल कर मूर्ति देवी को रास्ते से हटाने और बाद में दूसरी शादी करने का निर्णय लिया.

अर्जुन के बड़े भाई उदयवीर की दोस्ती मूर्ति के प्रेमी सौरभ से थी. योजना के अनुसार उन्होंने 9 सितंबर, 2019 को मूर्ति को सौरभ के साथ जाने दिया. सौरभ प्रेमिका मूर्ति को इटावा ले गया. सुबह होने पर अर्जुन ने यह बात फैला दी कि मूर्ति घर से भाग गई है. चूंकि उस के संबंध सौरभ से थे, इसलिए अर्जुन ने सौरभ के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज करा दी.

कुछ दिनों बाद अर्जुन व उदयवीर ने षडयंत्र के तहत मूर्ति को सौरभ के पास से ले आए और रात में उस के गले में गमछा (अंगौछा) डाल कर उस का गला दबा दिया. जिस से उस की मौत हो गई.

हत्या करने के बाद शव को ठिकाने लगाने के लिए अर्जुन और उस के भाई उदयवीर ने पड़ोसी से मांगी गई मोटरसाइकिल पर लाश को बीच में इस प्रकार बैठाया मानो वह किसी बीमार को ले जा रहे हों.

हत्या के बाद शव को करीब 6 किलोमीटर दूर गांव भदेसरा में बाजरे के एक खेत में ले जा कर पैट्रोल छिड़क कर जला दिया था.पूछताछ के दौरान आरोपी उदयवीर ने बताया था कि मूर्ति की हत्या में सौरभ भी शामिल था.लेकिन पुलिस का मानना है कि वह ऐसा केवल सौरभ को फंसाने के लिए कह रहा है. हत्या दोनों भाइयों ने ही प्रेमी सौरभ से चलते प्रेम संबंधों को ले कर की थी.

मृतका के पिता जीतपाल के अनुसार उन की बेटी मूर्ति गर्भवती थी. हत्यारों ने उस पर जरा भी रहम नहीं किया और उस की गर्भवती बेटी को मार डाला.

घटना को अंजाम देने के बाद दोनों भाई वापस अपने गांव आ गए थे. पुलिस ने दोनों हत्यारोपियों की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त गमछा तथा मोटरसाइकिल बरामद कर ली.

पूछताछ के बाद गिरफ्तार दोनों हत्यारोपियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया.

घटना का परदाफाश करने वाली टीम में थानाप्रभारी गिरीशचंद्र गौतम, एसओजी प्रभारी कुलदीप सिंह चौहान, एसआई रनवीर सिंह के अलावा कांस्टेबल (एसओजी) राहुल यादव, रविंद्र कुमार, भगत सिंह, नदीम खान व थाना सिरसागंज के कांस्टेबल विजय कुमार व कुलदीप सिंह आशीष शुक्ला व मुकेश कुमार शामिल थे.

एसएसपी सचिंद्र पटेल ने इस घटना का खुलासा करने वाली टीम को 25 हजार रुपए का ईनाम दिया.

हत्यारे निश्चिंत थे कि वह अपनी योजना में पूरी तरह सफल हो गए हैं लेकिन 14 महीने बाद पुलिस ने ताबीज के जरिए इस सनसनीखेज हत्याकांड का खुलासा कर आरोपियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी: किसानों को बनाए मजबूत

लेखक-डा. सुनील कुमार, डा. पूनम कश्यप, डा. आशीष कुमार प्रूष्टि व डा. पीयूष पूनिया भा.कृ.अनु.प.-

भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान, मेरठ, उत्तर प्रदेश किसानों को बनाए मजबूत इंफौमेंशन टैक्नोलौजी कृषि कारोबार से जुड़ी प्रमुख समस्याओं व जानकारियां, जिन पर ध्यान देना जरूरी है, जिस में किसानों को कृषि तकनीक के संबंध में जानकारी, नए अनुसंधान व आविष्कार, उन्नत फसल, गुणवत्ता वाले बीज, पोषक तत्त्व प्रबंधन और उत्पादन, कृषि विपणन, उर्वरकों का बेहतर उपयोग, फसल कीट प्रबंधन के उपाय, फसल चक्र से मिट्टी की उर्वरता को बढ़ावा, दुग्ध व्यवसाय, मधुमक्खीपालन, सूअरपालन, मुरगीपालन, मछलीपालन आदि की जानकारी व स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर पर मौसम अनुमान आदि जानकारियां शामिल हैं.

इन सभी समस्याओं को ध्यान में रख कर आज किसान के लिए नई तकनीकी व नई सोच के साथ स्मार्टफोन में किसानी एप्स तैयार किए गए हैं, जो आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं. इस से हमें कई तरह के फायदे होते हैं. आज ग्रामीण व शहरी तंत्र को जोड़ने में और उस के विकास में आईटी ने मुख्य भूमिका निभाई है. सूचना प्रौद्योगिकी से आज हम किसी भी तरह की सूचना को दूसरों तक पहुंचाने में कामयाब हुए हैं. किसानों के लिए ईकियोस्क, ईचौपाल, कृषि विज्ञान केंद्र व कृषि विभाग से समयसमय पर जानकारियां मिलती रहती हैं.

ये भी पढ़ें- पौधा उत्पादन में पौलीटनल तकनीक का महत्त्व और उपयोगिता

किसानी एप्स इंटरनैट पर बहुत से एप्स उपलब्ध हैं, जो किसानों की खेती से जुड़ी जानकारी देते हैं. सभी एप्स एंड्रौयड मोबाइल में काम करते हैं. इफको किसान एप यह एप खेती से जुड़ी जानकारी देने में मदद करता है. इस एप्लिकेशन से किसान को अनुकूलित खेती करने में सुविधा मिलती है और इस से नवीनतम मंडी कीमतों, मौसम पूर्वानुमान, कृषि सलाहकार, सर्वोत्तम सु झाव, पशुपालन, बागबानी, फसल चक्र, फसल रोग प्रबंधन, जल प्रबंधन आदि की जरूरी जानकारी दी जाती है और यह एप 11 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है.

किसानों की मदद के लिए इफको ग्रीन सिम कार्ड भी इफको द्वारा मुहैया करवाती है, जिस में खेती से जुड़ी हर जानकारी मौजूद है. कृषि उन्नति एप एक सकारात्मक सोच, जो खेती को बढ़ावा देने के लिए सामाजिक मीडिया के माध्यम से खेती संबधी जानकारी और किसानों की समस्या को दूर करने के लिए बनाया गया है. आज ईमीडिया की मदद से हम फेसबुक, ह्वाट्सएप, इंटरनैट वैबसाइट की मदद से किसानों को जानकारियां दे सकते हैं.

ये भी पढ़ें- आपके पशुओं के लिए डाक्टरी सलाह

हमें खेती से संबंधित जानकारी, बागबानी, फूलों की खेती, डेरी प्रबंधन, फसल रोगों, उत्तम खेती प्रथाओं, जैविक खेती, मृदा स्वास्थ्य, मौसम की सूचना, औषधीय पौधों की खेती, खाद्य प्रसंस्करण की जानकारी ले सकते हैं. खेतीबारी ‘जैविक खेती’ एप यह एक ऐसा एप है, जिस में आप को खेती के सु झाव, खेती के पूर्वानुमान, कृषि उत्पादों की खरीदब्रिकी की जानकारी आसानी से मिल जाती है. इस एप का चयन 4 अलगअलग भाषाओं (हिंदी, अंगरेजी, मराठी और गुजराती) में कर सकते हैं. इस एप का प्रमुख उद्देश्य ‘जैविक खेती’ को बढ़ावा और समर्थन देना है.

किसान मित्र एप यह एप केवल किसानों के हितों को ध्यान में रख कर के बनाया गया है. इस में किसान की खरीद शक्ति बढ़ाने पर जोर दिया गया है. इस में किसानों की बुनियादी जरूरतों का ध्यान रखा गया है, इसीलिए इस एप में वर्तमान दरें, बीज, उर्वरक, कृषि उपकरणों, पशुधन की जानकारी के अलावा कृषि विशेषज्ञ द्वारा जानकारी और अन्य खेती के आवश्यक विषयों पर जानकारियां मुहैया कराई गई हैं. किसान सुविधा एप सरकार ने ‘किसान सुविधा’ के नाम से मोबाइल एप लौंच किया है. इस एप के जरीए किसान खेती, मौसम की जानकारी हासिल करने के साथसाथ कृषि वैज्ञानिकों से जुड़ कर उन से सलाह भी ले सकते हैं. किस फसल का दौर चल रहा है और किस फसल के लिए कौन सी दवा उपयुक्त रहेगी, इस से संबंधित जानकारी इस एप पर मुहैया हैं.

ये भी पढ़ें- मशरूम की खेती से मिली नई राह

एग्रो कनैक्ट किसान एग्री एप फसल को कीट व बीमारी लगने से कैसे बचाएं, कौनकौन सी कीटनाशक दवा का इस्तेमाल कब और कितनी मात्रा में करना है. इस के अलावा फसल से जुड़े किसी भी सवाल पर किसानों और विशेषज्ञों के साथ चर्चा करने की भी सुविधा इस एप में है. ?

* कृषि एप किसान को खेती से जुड़ी हर जानकारी देता है जैसे कि उच्च मूल्य, कम उत्पाद, बीज की किस्में, मिट्टी का रखरखाव, जलवायु और भंडारण आदि की समय पर जानकारी देता है. ?

* सूचना की समय पर जानकारी होने से किसान को समय रहते अपने उत्पाद को बेचने की सही कीमत पता चल सके. ?

* ‘इफको ग्रीन सिम कार्ड’ किसान को खेती में मदद करता है. इस हैल्पलाइन के माध्यम से आईकेएसएल 534351 और किसान काल सैंटर 18001801551 पर किसान कृषि विशेषज्ञों से जानकारी हासिल कर सकते हैं. ?

* कृषि से संबंधित समाचारों व कृषि पत्रिकाओं की मदद से भी किसान अपनी खेती को और ज्यादा बेहतर कर सकते हैं. कृषि से संबंधित जानकारी की कुछ वैबसाइटों के नाम इस प्रकार हैं :  इस वैबसाइट पर आप को खेती से संबंधित विशेष जानकारी देते हैं जैसे कि बाजार की मंडियों के रोजाना के दामों में बदलाव की जानकारी. इस साइट पर सभी भाषाओं में जानकारी मुहैया करवाई जाती है. एक जीआईएस आधारित राष्ट्रीय कृषि बाजार, एटलस उत्पाद, भंडारण के क्षेत्रों के बारे में पूरी जानकारी देता है.

(द्धह्लह्लश्चर्//स्रड्डष्ठ्ठद्गह्ल.ठ्ठद्बष्.द्बठ्ठ) इस वैबसाइट का मकसद सूचना और विशिष्ट विषयों के एक नंबर पर कृषक सुमदाय के लिए सेवाएं मुहैया करवाता है, जो तिलहन पर एक व्यापक रूप से उत्पादन के बारे में जानकारी प्रदान कराता है- कार्यक्रमों/योजनाओं, फसल, बीमारियों से संबंधित, बीज, किस्मों, उत्पादन और उपज, तिलहन फसलों की बोआई का समय, कीमतों की जानकारी देता है. फसल निदेशालयों में बीज किस्मों, कीट प्रंबधन, गुणवत्ता मानकों, उत्पादन आंकड़ों, प्रौद्योगिकी और सरकारी योजनाओं का चावल, गेहूं, गन्ना, बाजरा, कपास, दाल से संबंधित, जूट, बागबानी फसलों और तंबाकू फसल की औनलाइन साप्ताहिक रिपोर्ट की जानकारी राज्यवार ले सकते हैं. कृषि मशीनरी और जैविक खेती के बारे में और कृषि परीक्षण के बारे में जानकारी देता है.

प्रशिक्षण कार्यक्रम की समय सारणी का पता लगाया जा सकता है. (द्धह्लह्लश्चर्//ड्डद्दह्म्द्बष्शशश्च.ठ्ठद्बष्.द्बठ्ठ) इस वैबसाइट पर विभागीय योजनाओं, प्रकाशन कार्यक्रम, सम्मेलनों, सैमिनारों, फसल स्थिति, न्यूनतम समर्थन मूल्य, जलाशय स्तर, मौसम का पूर्वानुमान आदि से संबंधित जानकारी हासिल होती है. (द्धह्लह्लश्चर्//ह्यद्गद्गस्रठ्ठद्गह्ल.द्दश1.द्बठ्ठ) इस वैबसाइट पर आप को उपयोगकर्ता के समूह के तहत स्थापित बीज, औनलाइन सूचनाएं और विभिन्न क्षेत्रों में बीजों की उपलब्धता व आपूर्ति के अलावा फसल चक्र प्रणाली का डाटाबेस भी मुहैया है. देश में बीज के इष्टतम उपयोग की सारी जानकारी मुहैया कराई गई है.

(द्धह्लह्लश्चर्//ड्डद्दष्द्गठ्ठह्यह्वह्य.ठ्ठद्बष्.द्बठ्ठ) आईटी अनुप्रयोग में दूसरे पोर्टलों पर अभी और काम किया जा रहा है जैसे कि वाटर शैड और एनडब्लूडीपीआरए, आरवीपी पर भी प्रोग्राम बनाया जा रहा है. कंप्यूटर इंटरनैट का खेती में योगदान कंप्यूटर इंटरनैट प्रणाली से हम खेती से जुड़ी बहुत सी जानकारी हासिल सकते हैं, जो हमें हमारी खेती में मदद करती है.

कंप्यूटर की मदद से हम मंडियों के दाम और किस समय कौन सी फसल की ज्यादा जरूरत लोगों को है, इन सभी बातों की जानकारी मिल सकती है. आज का युग सूचना प्रौद्योगिकी का युग है. सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) का उपयोग अब हमारी मुख्य जरूरत बन गया है. इस तरह सूचना प्रौद्योगिकी और विभिन्न तरह के एप का इस्तेमाल कर के किसान घर बैठे व समय रहते विभिन्न नवीनतम मंडी की कीमतों, मौसम का पूर्वानुमान, कृषि सलाहकार, सर्वोत्तम सु झाव, पशुपालन, बागबानी, फसल चक्र, फसल रोग प्रबंधन, जल प्रबंधन आदि की पूरी जानकारी अपने कंप्यूटर व मोबाइल पर हासिल कर सकते हैं.

सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन हम सबके लिए ज़रूरी है

आप ये आर्टिकल पढ़ रहे हों और आपको लगे की आप पहले से ड्राइव करना जानते हैं और ड्राइव करते भी हैं इसलिए आपको इसकी ज़रूरत नही लेकिन समय के साथ सड़क सुरक्षा के नियमों में बदलाव होते रहते हैं इसलिए ये ज़रूरी है कि सड़क सुरक्षा के नियमों को लेकर आप भी अपनी जानकारी दुरुस्त रखें और नए नियमों के साथ अपटूडेट रहें.

ये भी पढ़ें- ड्राइविंग के वक्त ज़रूरी है पैदल चालकों का ध्यान रखना

वक्त के साथ बदलते नियमों की जानकारी आपको सुरक्षित ड्राइविंग में मदद करेगी. और ये तो अच्छा ही होगा कि सड़क का इस्तेमाल करने वाली सभी लोग सड़क सुरक्षा के नए नियमों से रूबरू हों,इससे न सिर्फ़ सड़क पर ड्राइविंग के वक्त होने वाली गलतफहमियाँ दूर होंगी बल्कि सड़क सभी के लिए सुरक्षित भी बनेगी.

ऋचा चड्ढा का नया लुक फैंस को आ रहा है पसंद

लेखिका- प्रेक्षा सक्सेना

मैडम चीफ़ मिनिस्टर एक बॉलीवुड पॉलिटिकल ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन सुभाष कपूर कर रहे है. इस फिल्म के मुख्य किरदार में ऋचा चड्ढा नज़र आएँगी.

ऋचा चड्ढा के आलावा अक्षय ओबरॉय, मानव कौल और सौरभ शुक्ल भी मुख्य किरदारों में दिखेंगे. फिल्म निर्माण टी सीरीज़ और कांगरा फिल्म्स ने मिलकर किया है .फिल्म का पहला पोस्टर 4 जनवरी 2021 को रिलीज़ किया गया और रिलीज़ होते ही इस फ़िल्म के प्रति एक माहौल बन गया .वैसे तो ट्रेलर की शुरूवात ही ही इस डिस्क्लेमर से होती है कि फ़िल्म काल्पनिक है पर ट्रेलर देखते ही समझ आ जाता है कि कहीं न कहीं इस फ़िल्म का प्रमुख किरदार जिसे ऋचा चड्ढा ने अभिनीत किया है उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी मायावती से प्रेरित है.वैसे भी फ़िल्म का निर्देशन सुभाष कपूर ने किया है जो कि पहले राजनैतिक पत्रकार रह चुके हैं इसके बाद वो निर्देशन में उतरे हैं और उनकी जॉली एल एल बी और जॉली एल एल बी 2 हमारी न्यायिक व्यवस्था पर करारा और सफल व्यंग थी ऐसे में इस फ़िल्म से उम्मीदें बढ़ जाती हैं.

ये भी पढ़ें- फिल्म ‘मास्साब ‘ 29 जनवरी को होगी रिलीज

ये फिल्म  कल यानी 22 जनवरी 2021 को सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी. फ़िल्म की कहानी में ऋचा चड्ढा ने एक राजनेत्री का किरदार निभाया है जो सारी विषमताओं के बावजूद भारत के जनसंख्या बहुल राज्य उत्तरप्रदेश में राजनैतिक सफलता के नए आयाम गढ़ती है.ट्रेलर शुरू होने के कुछ ही सेकण्ड्स में हम ऋचा चड्ढा को एक दृढ़ संकल्पी नेत्री और समाज सुधारक  के रूप में डॉ बी आर अम्बेडकर की प्रतिमा के सामने खड़ा देखते हैं जिन्होंने दलितों के प्रति क्रूरता के विरुद्ध आंदोलन चलाया था.जहाँ वो समाज में गहराई तक पैठे हुए जातिवाद की बेड़ियाँ काटने का प्रण लेती नज़र आती हैं.जैसे  जैसे ट्रेलर आगे बढ़ता है हम ऋचा चड्ढा को एक प्रेरणादायक राजनैतिक हस्ती के रूप में देखते हैं जो समाज की गंदगी को साफ करने का वादा करती है मंच पर अपने रहस्यमय व्यक्तित्व के साथ.फ़िल्म में जिस प्रकार एक काम उम्र की लड़की के एक सफल राजनेत्री के रूप में स्थापित होते दिखाया है वो मायावती के जीवन से बहुत कुछ मिलती जुलती दिखाई देती है. ऋचा के किरदर की हेयर स्टाइल और बॉडी लेंग्विज पूरी तरह मायावती से प्रेरित दिखती है.

ये भी पढ़ें- सुशांत सिंह राजपूत के नाम पर होगी दिल्ली की यह सड़क, सरकार से मिली

मायावती जिस तरह राजनीति में अचानक उदित हुई थीं तात्कालिक प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हाराव ने “मिरेकल ऑफ डेमोक्रेसी” का खिताब दिया था.मायावती न केवल उत्तरप्रदेश की सबसे कम उम्र की मुख्य मंत्री थीं बल्कि पूरे भारत मे पहली दलित मुख्यमंत्री थीं जब 1995 में उन्होंने कुर्सी संभाली थी. ऋचा चड्ढा ने दलित नेत्री का किरदार बखूबी निभाया है .ट्रेलर में वो उतनी ही प्रभावशाली दिखाई देती हैं जैसा कि राजनीति में दलितों के लिए सीट रिजर्व कराने वाली और दलितों को आगे लाने के प्रयास करने वाली मायावती अपने चमत्कारिक राजनैतिक कैरियर में दिखाई देती थीं. फ़िल्म के ऊपर विवाद होने पर ऋचा ने दुखी होते हुए कहा कि फ़िल्म में उत्तर प्रदेश की राजनीति अवश्य दिखाई गई है पर ये कहना कि ये बीसपी सुप्रीमो मायावती पर बनाई गई है कहना गलत होगा.वैसे प्रोमो को बहुत अच्छा रिस्पांस मिलने पर भी कहा गया कि मेन लीड में दलित एक्टर को कास्ट क्यों नहीं किया गया.

ये भी पढें- सुशांत के जन्मदिन पर कंगना रनौत ने फिर साधा रिया चक्रवर्ती पर निशाना

पर सारे विवादों को अलग किया जाए तो प्रोमो देखकर लगता यही है कि फ़िल्म बहुत ही सार्थक और मनोरंजक है.ऋचा चड्ढा का शानदार अभिनय और सुभाष कपूर के सधे हुए निर्देशन से तो सभी वाकिफ़ हैं बाकी तो निर्णय कल रिलीज़ के बाद ही होगा.

फिल्म ‘मास्साब ‘ 29 जनवरी को होगी रिलीज

देश विदेश के कई फिल्म महोत्सवों में ढेरों पुरस्कारों के साथ साथ लोगों का दिल जीतने वाली फिल्म ‘मास्साब ‘ अब 29 जनवरी, 2021 में देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रहीहै. फिल्म ‘‘मास्साब’’के लेखक व निर्देषक तथा अलहाबाद निवासी आदित्य ओम दक्षिण भारत के अलावा कुछ बालीवुड की सफल फिल्मों मेंअभिनय व निर्देषन कर ढेरों अवॉर्ड जीत चुके है.

पुरुषोत्तम स्टूडियोज के बैनर तले बनी मास्साब फिल्म का आदित्य ओम नेनिर्देशन करने के साथ साथ पटकथा व संवाद भी लिखे हैं.जब कि इस फिल्म की कहानी,अतिरिक्त स्क्रीनप्ले व संवाद शिवासूर्यवंशी ने लिखे हैं. फिल्म क्रिएटिब प्रोड्यूसर आलोक जैन, एक्जक्यूटिब निर्माता आशीष कुमार,कैमरामैन श्रीकांत असाती,संपादनप्रकाशझा,पाष्र्व संगीतकार वीरल-लावण तथासंगीतकार महावीरप्रजापति हैं.

ये भी पढें- सुशांत सिंह राजपूत के नाम पर होगी दिल्ली की यह सड़क, सरकार से मिली

इस फिल्म से अपने कैरियर की शुरुआत करने जा रहे शिवासूर्यवंशी  ‘मास्साब ‘ में मुख्य नायक के तौ पर नजर आएंगे.फिल्म की मुख्य नायिका शीतल सिंह है. फिल्म के अन्य कलाकारों में  कृतिका  सिंह और चंद्रभूषण सिंह हैं.

फिल्म‘ ‘मास्साब’‘ की अनूठी कहानी भारत के  ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक शिक्षा की पृष्ठभूमि को आधारबनाकर गढ़ी गयी है. फिल्म के नायक आशीष कुमार को बच्चों को पढ़ाने-लिखाने का जुनून है. अपने इस सपने को पूरा करने की खातिर वह अपनी आईएएस की सरकारी नौकरी को भी त्याग देते हैं.उन्हें  एक बेहद पिछड़े हुए ग्रामीण इलाके में पढ़ाने का मौका मिलता है जहां उसका सामनाद किया नूसीरिवाजों व अंधविश्वासों को मामने वालों, उपेक्षा और करप्शन का शिकार लोगों से होता है. बाद में अपनी मेहनत, लगन और समर्पण से वह गांव के प्राथमिक स्कूल का हालत इस कदर बदल देते हैं कि बाद में वह स्कूल श्रेष्ठ निजी स्कूलों कोटक्कर देने में सक्षम हो जाता है. मगर गांव में उसके सकारात्मक बदलाव लाने के प्रयासों से नाराज लोग उसके खिलाफ एक बड़ा षडयंत्र रचते हैं.

ये भी पढ़ें- सुशांत के जन्मदिन पर कंगना रनौत ने फिर साधा रिया चक्रवर्ती पर निशाना

ऐसे में आशीष कुमार इस इननयी चुनौतियों का कैसे  रताह और कैसे इन विषम हालात में भी स्कूली बच्चों को शिक्षा देने का कार्य जारी रखता है, इसका खुलासा रोमांचक अंदाज में फिल्माए गए क्लाइमेक्स के दौरान होता है.

‘‘मास्साब’‘ ने अमेरिका के  और लैंडो के फ्लोरिडा मेंआयोजित कॉस्मिक फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ नाटकीय फिल्म का खिताब जीता था. इस फिल्म को राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष् ठ फिल्म (क्रिटिक च्वाइस),शिवा सूर्यवंशी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता,आदित्य ओमको ‘स्पेशल अप्रीसिएशन अवॉर्ड’ से भी सम्मानित किया गया था. इनके अलावा रांची में आयोजित झारखंड अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में इसे बेस्टइंस्पीरेशनल फिल्म के खिताब से भी नवाजा गया था. इसे नाशिक में आयोजित दादासाहेबफाल्के नाशिक इंटरनेशनल फिल्म महोत्सव में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार प्राप्त हुआ था.जब कि अहमदाबाद इंटरनेशनल चिल्ड्रेन फिल्म फेस्टिवल में इसे सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला था. फिल्म ने जमशे्दपुर में सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ एक्टर (शिवा सूर्यवंशी) और बेस्टमेक-अपका खिताब प्राप्त किया था. इंदौर में आयोजित इंटरनेशल फिल्म फेस्टिवलऑफ एमपी में फिल्म कोबेस्ट चिल्ड्रेन फिल्म, बेस्ट एक्टर (शिवा सूर्यावंशी) और मोस्टप्रामिसिंग यंग डायरेक्टर (आदित्य ओम) जैसे पुरस्कार मिले थे. मुम्बई में आयोजित कला समृद्धि इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में फिल्म को बेस्ट डायरेक्टर (आदित्य ओम), बेस्टस्टोरी (शिवा सूर्यवंशी) जैसे खिताब हासिल हुए थे. इस फिल्म का आधिकारिक रूप से कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, जागरण फिल्म फेस्टिवल, कोलकाता इंटरनेशनल चिल्ड्रेन फिल्म फेस्टिवल, थर्डआई एशियन फिल्म फेस्टिवल, सिंधु दुर्ग इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, हेबिटाट फिल्म फेस्टिवल और गुवाहाटी फिल्म फेस्टिवल के लिए भी चयन हो चुका है.

खुद आदित्य ओम फिल्म ‘‘मास्साब‘’ के बारे में बातें करते हुए कहते हैं-‘‘यह सत्य घटनाओं पर आधारित है. हमने इस फिल्म को एक सिनेमाई अंदाज में कुछ इस तरह से फिल्माया है कि आपको यह फिल्म सत्यता और प्रामाणिकता का आभास कराएगी. इस फिल्म को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महोत्सवों में खूब सराहा गया है.अब 29 जनवरी, 2021 में देशभर में रिलीज होगी. हमें यकीन है कि यह फिल्म दर्शकों को पसंद आएगी.‘‘

सुशांत सिंह राजपूत के नाम पर होगी दिल्ली की यह सड़क, सरकार से मिली मंजूरी

21 जनवरी को सुशांत सिंह राजपूत का जन्मदिन था, इस दि दिंवगत अभिनेता को यादकर फैंस काफी ज्यादा इमोशनल नजर आ रहे थें, काफी लोगों ने सोशल मीडिया पर सुशांत सिंह के जन्मदिन पर पोस्ट शेयर किया.

इस बात को जानकर सुशांत सिंह राजपूत के फैंस को काफी ज्यादा खुशी होगी की सुशांत सिंह राजपूत के नाम पर दिल्ली के सड़क का नाम रखा जाएगा. बहुत जल्द दक्षइम दिल्ली की एंड्रयूज गंज सड़क का म बगलकर सुशांत सिंह राजपूत के म पर रखा जाएगा.

ये भी पढ़ें- सुशांत के जन्मदिन पर कंगना रनौत ने फिर साधा रिया चक्रवर्ती पर निशाना

इस बात की जानकारी एक रिपोर्ट में दिया गया है कि सुशांत कि याद में एक सड़क का नाम रखा जाएगा. वहीं खबर है कि इस बात के लिए सरकार के तरफ से भी मंजूरी मिल गई है. सुशांत के फैंस का कहना है कि सुशांत एक मीडिल क्लास परिवार से निकलकर पूरे दुनिया में अपना नाम बनाएं हैं इस वजह से इन्हें पूरे देश भर में याद किया जाएगा. इनकी याद में सड़क बनाना एक बड़ी उपलब्धि कहलाएगी.

ये भी पढ़ें- Happy B’day Sushant: चांद पर जमीन खरीदने वाले पहले एक्टर थे

मालूम हो कि बीते साल 14 जून को सुशांत सिंह ने अपने फ्लैट पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया था. इसके बाद से कई एजेंसिया इस मामले की जांच कर रही है लेकि इस बात का खुलासा अभी तक नहीं हो पाया है कि सुशांत सिंह कि मौत किस कारण से हुई थी.

ये भी पढ़ें- ‘तांडव’के डायरेक्टर अली अब्बास जफर ने फिर मांगी मांफी, कहा हटाए जाएंगे विवादित सीन

इस केस में सुशांत कि गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती का नाम सामने आया था, रिया चक्रवर्ती को एक महीने तक जेल में सजा भी काटनी पड़ी थी, रिया के खिलाफ देश में कई तरह के प्रोटेस्ट भी कराए गए लेकिन अभी तक सच्चाई का कुछ पता नहीं चल पाया है. रिया चक्रवर्ती अब जेल से बाहर हैं. अपे परिवार के साथ

बंटवारा -भाग 3: फौजिया की सास उसे क्यों डांटती थी

लेखिका- आरती पांड्या

गांव में उस की इस हरकत से हंगामा मच गया और उस को पंचायत में घसीट कर ले जाया गया. लेकिन लक्ष्मी डरी नहीं. उस ने साफ़साफ़ कह दिया कि जो भी उस के खेतों की तरफ या उस की तरफ बुरी नज़र डालेगा उस का वह यही हश्र करेगी. कुछ लोग उस की इस जुर्रत के लिए उसे पत्थरों से मारने की सज़ा देने की बात करने लगे और कुछ लोगों ने गांव से निकाल देने की सलाह दी. लेकिन गांव के सरपंच, जो एक बुजुर्गवार थे, ने फैसला अमीरन के हक़ में करते हुए गांव वालों को चेतावनी दी कि कोई भी इस अकेली औरत पर ज़ुल्म नहीं करेगा वरना उस आदमी को सज़ा दी जाएगी.

सरपंच की सरपरस्ती के कारण लक्ष्मी अपनी मेहनत से अपने बच्चों को पालने लगी. बड़ा बेटा अकरम जब खेतों में अम्मी की मदद करने लायक हो गया तो लक्ष्मी को थोड़ा आराम मिला. लेकिन उसे हमेशा इस बात का अफ़सोस रहा कि उस के अपने बच्चों ने भी कभी अपनी अम्मी का साथ नहीं दिया. कितनी बार उस ने अपने बेटों की खुशामद की कि एक बार उसे हिंदुस्तान ले जा कर उस के भाइयों से मिलवा दें लेकिन उन लोगों की निगाहों में तो अम्मी के नाते वाले सब काफिर थे और काफिरों से नाता रखना उन के मज़हब के खिलाफ है. इसलिए हर बार बेटों ने उस के अनदेखे परिवार वालों को दोचार गालियां देते हुए लक्ष्मी (अमीरन) को काफिरों के पास जाने की जिद छोड़ देने को कहा.

अमीरन ने गांव वालों से भी कई बार खुशामद की कि उसे हिंदुस्तान भिजवाने का कुछ इंतज़ाम करवा दें. कुछ लोगों ने तो उस की बात पर कान ही नहीं दिए लेकिन गफूर के एक दूर के रिश्तेदार कादिर ने पास के एक गांव से 2 लोगों को ला कर उस के सामने खड़ा कर दिया और बोला, “परजाई, तेरे प्रा नू ले आया.” पहले तो अमीरन उनको देख कर खुश हो गई लेकिन जैसे ही उस ने उन दोनों के नाम पूछे तो कादिर का झूठ  खुल गया क्योंकि उन नकली भाइयों ने अपने नाम जाकिर और हशमत बताए. बस, फिर क्या था, अमीरन ने झाड़ू से पीटपीट कर तीनों को घर से बाहर निकाल दिया और कादिर को दोबारा इस तरफ आने पर जान से मार देने की धमकी दे दी.

वक्त गुज़रता गया और धीरेधीरे चारों बेटों ने खेतीबारी पूरी तरह से संभाल ली. लक्ष्मी को पुराने बेकार सामान की तरह घर के एक कोने में पटक दिया. रहीसही कसर बहुओं ने अपनी सास की दुर्दशा कर के पूरी कर दी. धीरेधीरे चारों बेटे अलगअलग घर बसा कर रहने लगे और मां को बड़े बेटे के पास छोड़ गए. तब से लक्ष्मी अकरम के परिवार के साथ रह रही है और उन लोगों द्वारा किए जाने वाले अपमान को सह रही है. लेकिन दुख के इस अंधेरे में रज़िया उस के लिए उम्मीद की किरन बन कर हमेशा उस के साथ खड़ी रहती है.

सारी बात सुन कर अफशां ने रजिया से पूछा,  “रज्जो, हुण त्वाडे दिमाग विच की चलदा प्या मैनू दस.” तब रजिया ने उस से पूछा कि क्या वे बेबे की मदद करने के लिए फेसबुक पर बेबे के परिवार वालों को ढूंढने की कोशिश करेंगी? अफशां ने जवाब दिया कि बगैर नामपता जाने फेसबुक पर किसी को ढूंढना मुश्किल है और बेबे को अपने भाइयों के पूरे नाम भी मालूम नहीं हैं. और यह भी ज़रूरी नहीं है कि बेबे के परिवार वाले  लोग फेसबुक पर हों.

रजिया यह सुन कर निराश हो गई. तब अफशां ने कुछ सोच कर लक्ष्मी की पूरी कहानी और मोर गांव का ज़िक्र करते हुए एक लेख फेसबुक पर पोस्ट किया और साथ ही, लोगों से प्रार्थना की कि इस बारे में कोई भी जानकारी होने पर तुरंत सूचित करें.

पोस्ट डाले कई दिन बीत गए. लेकिन किसी का कोई जवाब नहीं आया. अफशां निराश हो गई और रजिया से बोली कि शायद बेबे को उस के परिवार से मिलवाना संभव नहीं होगा. मगर रजिया ने उम्मीद नहीं छोड़ी और अफशां को दोबारा लोगों से अपील करने को कहा जिस पर अफशां ने एक बार फिर लोगों से मदद की अपील की.

रजिया के गांव से 4-5 सौ किलोमीटर दूर बीकानेर के एक दफ्तर में बैठे मनीष राठौर ने जब अपने  फेसबुक के पन्ने पर लक्ष्मी की कहानी पढ़ी तो उस का ध्यान सब से पहले मोर गांव ने खींचा और उस ने फ़ौरन अपने मित्र संजय मेघवाल को फोन मिलाया जो मूलरूप से मोर गांव का रहने वाला है. “संजय, तूने फेसबुक पर लक्ष्मी की कहानी देखी?” संजय ने शायद जवाब नहीं में दिया क्योंकि मनीष ने उसे बताया कि कहानी किसी लक्ष्मी नाम की महिला से संबंधित है जो मोर गांव से पार्टीशन के समय गायब हुई थी. “यार, जल्दी से पढ़ पूरा किस्सा, हो सकता है तेरे पापा या दादाजी इस औरत को जानते हों.”

मित्र के आग्रह पर संजय ने पूरा किस्सा फेसबुक पर पढ़ा तो उसे ख़याल आया कि बहुत पहले दादू ने एक बार ज़िक्र तो किया था अपनी किसी रिश्तेदार के गायब होने का.

बंटवारा -भाग 2: फौजिया की सास उसे क्यों डांटती थी

लेखिका- आरती पांड्या

विभाजन के समय बेबे 13-14 साल की बच्ची थी और राजस्थान के एक गांव में रहती थी. उसे अपने गांव का नाम व पता तो अब याद नहीं है लेकिन इतना ज़रूर याद है कि उस के गांव में मोर  बहुत थे और उसी बात के लिए उस का गांव मशहूर था. परिवार में अम्मा, बापू के अलावा 3 भाई और 1 बहन थी. बहन व भाइयों के नाम उसे आज भी  याद हैं- बंसी, सरजू और किसना 3 भाई और बहन का नाम लाली.l  उस का बापू कालूराम गांव के ज़मींदार के खेतों में काम करता था और अम्मा भी कुंअरसा ( ज़मींदार ) के घर में पानी भरने व कपड़ेभांडी धोने का काम करती थी. अपने छोटे बहनभाइयों को लक्ष्मी (बेबे) संभालती थी. बापू ने  पास के गांव में लक्ष्मी का रिश्ता तय कर दिया था. लक्ष्मी का होने वाला बिनड़ा चौथी जमात में पढ़ता था और उस की परीक्षा के बाद दोनों के लगन होने की बात तय हुई थी.

उसी दौरान देश का विभाजन होने की खबर आई और चारों तरफ हड़कंप सा मचने लगा. उस के गांव से भी कुछ मुसलमान परिवार पाकिस्तान जाने की तैयारी करने लगे. लक्ष्मी के बापू ने उस की ससुराल वालों से हालात सुधरने के बाद लगन करवाने के लिए कहा, तो लक्ष्मी के होने वाले ससुर ने कहा कि ब्याह बाद में कर देंगे, पर सगाई अभी ही करेंगे.

सगाई वाले दिन हाथों में मेंहदी लगा व नया घाघराचोली पहन कर लक्ष्मी तैयार हुई. अम्मा ने फूलों से चोटी गूंथी तो लक्ष्मी घर के एकलौते शीशे में बारबार जा कर खुद को निहारने लगी. आंगन में ढोलक बज रही थी और आसपास की औरतें बधाइयां गा रही थीं. फिर उस की होने वाली सास ने लक्ष्मी को चांदला कर के हंसली व कड़े पहनाए और हाथों में लाललाल चूड़ियां पहना कर उस को सीने से लगा लिया. घर में गानाबजाना चल रहा था, तब मां की आंख बचा कर लक्ष्मी अपने गहने व कपड़े सहेलियों को दिखाने के लिए झट से बाहर भाग गई व दौड़ती हुई खेतों की तरफ चली गई. बहुत ढूंढा, पर उसे वहां कोई भी सहेली खेलती हुई नहीं मिली. हां, खेतों के पास से कई खड़खडों  में भर कर लोगों की भीड़ कहीं जाती हुई ज़रूर दिखाई दी.

लछमी वापस लौटने लगी, तभी किसी ने उसे पुकारा. उस ने पलट कर देखा. उस की सहेली फातिमा एक खड़खड़े में बैठी उसे आवाज़ दे रही थी. लक्ष्मी दौड़ कर उस के पास गई और उस से पूछने लगी कि वह कहां जा रही है? फातिमा ने बताया कि वह पाकिस्तान जा रही है और अब वहीं रहेगी. लक्ष्मी अपनी सहेली से बिछुड़ने के दुख से रोने लगी. तभी फातिमा के अब्बू जमाल चचा ने लक्ष्मी को झट से हाथ पकड़ कर अपने खड़खड़े में बैठा लिया और कहा कि जब तक चाहे वह अपनी सहेली से बात कर ले, फिर वह उसे नीचे उतार देंगे. खड़खड़ा चल पड़ा और दोनों सहेलियां बातें करते हुए गुट्टे खेलती रहीं. बीचबीच में जमाल बच्चियों को गुड़ के लड्डू खिलाता जा रहा था. इन्हीं सब में वक्त का पता ही न चला और घर जाने का ख़याल लक्ष्मी को तब आया जब जमाल चचा ने उसे अपने खड़खड़े से उतार कर दूसरी ऊंटगाड़ी में बैठा दिया.

उस ने चारों तरफ निगाह घुमाई, तो देखा कि वह अपने गांव से बहुत दूर रेगिस्तानी रास्ते में है और वहां ढेर सारी भीड़ गांव से उलटी दिशा में चली जा रही है. लक्ष्मी यह देख कर ऊंटगाड़ी से कूदने लगी, तो  गाड़ी में बैठे दाढ़ी वाले आदमी ने उस का हाथ कस कर पकड़ लिया और फिर एक रस्सी से उस के हाथपैर बांध कर अपनी अम्मा के पास बैठाते हुए बोला कि वह उस को अपने साथ पाकिस्तान ले जा रहा है क्योंकि उस ने जमाल को पूरे 30 रुपए दे कर लक्ष्मी को खरीदा है और अब वह उस की  बीवी है. लाचार लक्ष्मी पूरे रास्ते रोती रही. पर न उस आदमी को रहम आया, न ही उस की बूढी अम्मा को.

गफूर नामक वह आदमी भी राजस्थान के किसी गांव से ही आया था.  पकिस्तान पहुंच कर इस गांव में उस ने अपना डेरा डाल दिया और धीरेधीरे अच्छा पैसा कमाने लगा. आते ही गफूर ने यह मकान और कुछ खेत यह सोच कर  ख़रीद लिए कि उस की गिनती गांव के रईसों में होने लगेगी और लोग उस की इज्ज़त करेंगे. मगर जिसे अपना असली मुल्क समझ कर वह आया था वहां, तो उसे हमेशा परदेसी का ही दर्जा दिया गया और अपनी इस घुटन व झुंझलाहट को वह अमीरन यानी लक्ष्मी पर उतारता था.

दिनभर उस की मां अमीरन को मारतीपीटती रहती और रात को गफूर अपना तैश उस बच्ची पर निकालता. उस की सास ने पहले तो उसे डराधमका कर गोश्त पकाना सिखाया और उस से भी मन नहीं भरा, तो मांबेटे ने कई दिनों तक भूखा रख कर उसे ज़बरदस्ती  गोश्त खिलाना भी शुरू कर दिया और आखिर उस को लक्ष्मी से अमीरन बना कर ही दम लिया. जब तक अमीरन 20 वर्ष की हुई तब तक 3 बच्चे जन चुकी थी. धीरेधीरे खानदान बढ़ता गया और अमीरन  के अंदर की लक्ष्मी मरती गई.

अमीरन (लक्ष्मी) के बच्चे छोटेछोटे थे, तभी गफूर की मौत हो गई और लक्ष्मी की परेशानियां और भी बढ़ गईं क्योंकि अकेली औरत जान कर गांव वालों ने उस के खेतों पर कब्ज़ा करने की कोशिश तो शुरू कर ही दी, साथ ही, कई लोगों ने उस को अपनी हवस का शिकार भी बनाना चाहा. और जब एक दिन खेत में काम करते समय बगल के खेत वाले अब्दुल ने उस को धोखे से पकड़ कर उस के साथ ज़बरदस्ती करनी चाही  तो अमीरन के अंदर की राजस्थानी शेरनी जाग गई और उस ने घास काटने वाले हंसिए से अब्दुल की गरदन काट डाली.

कहीं बड़ी न बन जाएं ये छोटी बीमारियां

39 साल की देविका की त्वचा संवेदनशील है. एक दिन उस ने अपनी जांघ पर छोटेछोटे लाल रंग के चकत्ते देखे जिन में दर्द हो रहा था. उस ने इन चकत्तों को अनदेखा कर दिया. वैसे भी 2 बच्चों की मां की व्यस्त दिनचर्या में खुद के लिए वक्त कहां मिलता है.

मगर धीरेधीरे देविका ने महसूस किया कि वह अकसर थकीथकी सी रहने लगी है. कुछ हफ्तों बाद एक दिन जब वह सोफे पर आराम कर रही थी तो उस ने अपने कूल्हे के पास एक गांठ देखी. वह घबरा गई और यह सोच कर रोने लगी कि उसे कैंसर हो गया है.

ये भी पढ़ें- सिंगल वुमन के लिए जरूरी हैं ये 7 मेडिकल टैस्ट

पति के कहने पर वह अस्पताल गई और वहां जांच कराई. तब डाक्टर ने बताया कि उसे शिंगल्ज नाम का चर्मरोग है और गांठ बनना इस बीमारी का एक लक्षण है जो लिंफ नोड की सूजन के कारण था. तुंरत डाक्टर के पास जाने से देविका जल्दी ठीक हो गई.

ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है. जब भी त्वचा से जुड़ी कोई परेशानी दिखे तो डाक्टर से सलाह लें. ध्यान रखें कि ऐसी बहुत सी छोटीछोटी बीमारियां हैं जो घातक नहीं, मगर कभीकभी कैंसर जैसे घातक रोग का कारण भी हो सकती हैं. सो, इन बीमारियों के बारे में जानना जरूरी है.

ये भी पढ़ें- कंप्यूटर विजन सिंड्रोम से बचें ऐसे

1 सोरायसिस

यह एक त्वचा रोग है जिस में त्वचा पर लाल, परतदार चकत्ते दिखाई देते हैं. इन में खुजली व दर्द का एहसास भी होता है. हालांकि यह रोग शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकता है किंतु ज्यादातर यह सिर, हाथपैर, हथेलियों, पांव के तलवों, कुहनी तथा घुटनों पर होता है. अकसर यह 10 से 30 वर्ष की आयु में शुरू होता है. यह बीमारी बारबार हो सकती है. कभीकभी यह पूरी जिंदगी भी रहती है.

कैसे होता है :

शरीर के इम्यून सिस्टम यानी रोगप्रतिरोधक प्रणाली की गड़गड़ी से यह बीमारी होती है. जिस से त्वचा की बाहरी परत यानी एपिडर्मिस कोशिकाएं बहुत तेजी से बनने लगती हैं. बाद में चकत्ते दिखने लगते हैं. हालांकि, यह छूत की बीमारी नहीं है.

ये भी पढ़ें- 13 टिप्स: आखिर क्या है मोटापे का परमानेंट इलाज, जानें यहां

शोधकर्ताओं का मानना है कि इस रोग के पीछे आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारक जिम्मेदार होते हैं. सोरायसिस होने का एक कारण तनाव, धूम्रपान और अधिक शराब का सेवन भी है. शरीर में विटामिन ‘डी’ की कमी व उच्च रक्तचाप की दवाइयां खाने से भी यह हो सकता है. इस के अलावा यदि घर में कोई इस बीमारी से पीडि़त है तो यह आप को भी हो सकती है.

सोरायसिस के लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में अलगअलग दिखाई देते हैं. ये लक्षण इस बात पर भी निर्भर करते हैं  कि व्यक्ति को किस तरह का सोरायसिस है.

इलाज : सोरायसिस पर काबू पाने के लिए पहले स्टैप के तौर पर टौपिकल स्टीरौयड एक से 2 सप्ताह तक लगाया जा सकता है. जिस से चकत्ते घटने लगते हैं. हलकी धूप लेने से भी आराम मिलता है. विटामिन ‘डी’ सिंथेटिक फौर्म में, मैडिकेटेड शैंपू आदि भी तकलीफ घटाते हैं.

ध्यान रखें : सोरायसिस के लगभग 10 से 30 प्रतिशत मरीजों में गठिया होने की आशंका रहती है. इस के अलावा टाइप 2 डायबिटीज और कार्डियो वैस्कुलर डिजीज भी सोरायसिस की वजह से हो सकती हैं.

2 शिंगल्ज

शिंगल्ज एक त्वचा संक्रमण है. यह आमतौर पर जोड़ों में होता है. इस के अलावा यह पेट, चेहरे अथवा त्वचा के किसी भी हिस्से में हो सकता है. आम बोलचाल की भाषा में इसे दाद भी कहा जाता है.

शिंगल्ज के कारण :

यह रोग तब होता है जब चिकनपौक्स फैलाने वाला वायरस शरीर में दोबारा सक्रिय हो जाता है. जब आप चिकनपौक्स से उबर जाते हैं तो यह वायरस आप के शरीर की तंत्रिका प्रणाली में सुप्तावस्था में चला जाता है. कुछ लोगों में यह आजीवन इसी अवस्था में रहता है. वहीं कुछ व्यक्तियों में अधिक उम्र के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली में होने वाली कमजोरी के चलते यह फिर सक्रिय हो जाता है.

कुछ मामलों में दवाएं भी इस वायरस को जागृत करने में अहम भूमिका निभाती हैं और व्यक्ति को शिंगल्ज की शिकायत हो जाती है.

शिंगल्ज का इलाज :

अगर शिंगल्ज के लक्षण नजर आएं तो तुरंत डाक्टर के पास जाना चाहिए. इसे दवाओं से ठीक किया जा सकता है. इन दवाओं में एंटीवायरल मैडिसिन और दर्दनिवारक दवाएं शामिल होती हैं. लगभग 72 घंटे के अंदर एंटीवायरल दवाएं लेने से रेशेज जल्दी ठीक हो जाते हैं और दर्द भी कम हो जाता है. इसे अनदेखा करने पर रिकवरी में 3 माह से 1 साल तक का समय लग सकता है.

3 एक्जिमा

यह ऐसा चर्मरोग है जिस में त्वचा लाल, शुष्क व पपड़ीदार हो जाती है. त्वचा की ऊपरी सतह पर नमी की कमी हो जाने के कारण रोगी को, खासतौर पर रात में, बहुत खुजली महसूस होती है. एक्जिमा के रैशेज आमतौर पर कुहनी, टखने के पास और घुटने के पीछे, जोड़ों के पास होते हैं. अगर इन का इलाज न किया जाए तो त्वचा खुरदरी होने लगती है. त्वचा के रंग में भी परिवर्तन आ जाता है.

एक्जिमा के कारण :

यदि मातापिता इस बीमारी से पीडि़त हों तो संतान में भी एक्जिमा होने की आशंका बढ़ जाती है. इस के अलावा किसी चीज की एलर्जी से भी एक्जिमा हो सकता है. आप के आहार में भी कुछ तत्त्व एक्जिमा को ट्रिगर कर सकते हैं. यदि आप के मातापिता को अस्थमा, फीवर जैसी कोई बीमारी है तब भी आप को एक्जिमा होना संभव है.

उपाय : हर दिन स्नान करने के बाद तथा सोने से पहले अपनी त्वचा को मौइश्चराइज करना न भूलें. गंभीर स्थिति में टौपिकल कोर्टिको स्टेराइड क्रीम का उपयोग करें. जिद्दी एक्जिमा के उपचार हेतु फोटोथेरैपी जैसी तकनीक अपनाई जाती है, जिस में यूवीबी लाइट से गंभीर सूजन का इलाज होता है.

याद रखें : एक्जिमा भी त्वचा के कैंसर का लक्षण हो सकता है. त्वचा पर यदि 4 सप्ताह से अधिक समय तक धब्बे हों तो ये त्वचा के कैंसर का संकेत हो सकते हैं.

4 पित्ती

पित्ती (आर्टिकारिया) त्वचा रोग है जिस में शरीर पर खुजली वाले लाल चकत्ते निकल आते हैं. ये चकत्ते शरीर पर कुछ घंटों से ले कर कुछ हफ्ते तक रह सकते हैं. हलके पड़ने पर ये किसी नई जगह पर निकल आते हैं. पित्ती को आमतौर पर 2 भागों में बांटा जाता है. पहला, एक्यूट या अल्पकालिक जो कुछ समय के लिए रहती है और शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है. दूसरा, क्रोनिक या दीर्घकालिक पित्ती 6 हफ्ते से अधिक रहती है.

पित्ती के कारण :

पित्ती निकलने के बहुत से कारण हो सकते हैं लेकिन ये अधिकतर शरीर से निकलने वाले हिस्टामिन्स से प्रतिक्रिया होने के कारण होते हैं जो आप को किसी खा- पदार्थ, दवा या अन्य किसी चीज की एलर्जी के कारण रिलीज होते हैं. हालांकि पित्ती होने के ज्यादातर मामलों में वजह का पता नहीं चलता. इस के कारणों में वायरल संक्रमण तथा अंदरूनी बीमारियां भी मानी जाती हैं.

पित्ती का इलाज :

पित्ती के लक्षणों को कम करने और उस की रोकथाम के लिए ओवर द काउंटर एंटीहिस्टमीन का सेवन करना चाहिए. यदि आप को दीर्घकालिक पित्ती की समस्या है तो डाक्टर आप को एंटीहिस्टमीन की स्ट्रौंग डोज तथा एंटीइनफ्लैमेटरी दवाओं की सलाह देते हैं.

5 रौसेसिया

यह एक त्वचा संबंधी रोग है जो चेहरे की त्वचा पर दिखाई देता है. चेहरे की रक्त नलिकाएं जब लंबे समय तक बड़ी हो कर उसी अवस्था में रहती हैं तो यह स्थिति रौसेसिया कहलाती है. इस की वजह से चेहरे की त्वचा पर लालिमा के साथ दर्द भी रहता है जो पिंपल की तरह दिखाई देते हैं. कई बार यह छोटे लाल दानों की तरह भी निकल आता है. रौसेसिया से पीडि़त व्यक्ति की नाक के पास की त्वचा मोटी हो जाती है जिस की वजह से नाक उभरी हुई दिखाई देने लगती है.

रौसेसिया के कारण :

एक्जिमा की ही तरह यदि मातापिता रौसेसिया से पीडि़त हों तो संतान में भी इस के होने की आशंका बढ़ जाती है. इस के अलावा सूरज की तेज किरणों के संपर्क में आने से भी यह रोग हो सकता है. कुछ दवाओं के गलत प्रभाव से भी रक्त नलियां आकार में बड़ी हो जाती हैं. आमतौर पर ये गुलाबी मुंहासे हलकी त्वचा के रंग वालों में 35 वर्ष की आयु में आरंभ होने लगते हैं और उम्र बढ़ने के साथ गंभीर रूप धारण कर लेते हैं.

रौसेसिया का इलाज :

इस के इलाज के लिए कुछ ओरल एंटीबायोक्टिस व कुछ स्किन क्रीम वगैरह दी जाती हैं. छोटी रक्त वाहिकाओं से हुई त्वचा की लाली का सब से अच्छा उपचार लेजर द्वारा किया जा सकता है.

6 त्वचाशोथ या कौंटेक्ट डर्मेटाइटिस

त्वचाशोथ या त्वचा की सूजन और एक्जिमा दोनों को त्वचा की एक ही तरह की समस्या माना जाता है, क्योंकि दोनों ही बीमारियों में जलन, सूजन, खुजली तथा त्वचा लाल होने जैसे लक्षण देखे जाते हैं. वास्तव में डर्मेटाइटिस एक्जिमा की तरह कोई गंभीर समस्या नहीं है. यह रोग दाने के रूप में केवल उन हिस्सों में होता है जो हिस्से वैसी चीजों के संपर्क में आते हैं जिन से त्वचा को एलर्जी होती है.

कारण :

पौयजनस आईवी के पौधे, गहने, इत्र, फेसक्रीम या अन्य सौंदर्य उत्पादों से एलर्जी आदि त्वचाशोथ के मुख्य कारण हैं.

इलाज :

यदि रोगी को सूजन है और साथ में अन्य कोई सक्रमण है तो उस के लिए एंटीबायोटिक दवा की आवश्यकता होती है. एक्जिमा की भांति त्वचाशोथ भी त्वचा के कैंसर का लक्षण हो सकता है. इसलिए सही उपचार हेतु विशेषज्ञ डाक्टर से संपर्क करें.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें