बॉलीवुड के महानयाक अमिताभ बच्चन की नातिन नव्या नवेली ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम अकाउंट को पब्लिक किया है. उनकी फोटोज सोशल मीडिया पर बिना वक्त लिए वायरल हो रही है. कुछ वक्त पहले से नव्या नवेली का नाम जावेद जाफरी के बेटे मिजान जाफरी के साथ जोड़ा जा रहा है.
दोनों अपने रिलेशनशिप को लेकर आएं दिन चर्चा में बने रहते हैं. हाल ही में एक इंटरव्यू में मिजान ने नव्या के साथ रिलेशन से लेकर शादी तक की बात कही है. मिजान से एक इंटरव्यू के दौरान पूछा गया कि अगर आपको मरने , शादी करने और हुकअप करने के लिए सारा अली खान, नव्या नवेली और अन्नया पाडें को दिया जाएं तो आप इन तीनों में से किसको चुनेंगे. इस पर मिजान ने कहा कि वह शादी नव्या नवेली के साथ करना चाहेंगे हुकअप सारा अली खान के साथ करना चाहेंगे और मरना वह अन्नया पांडे के साथ चाहेंगे.
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इसी इंटरव्यू में मिजान के साथ नव्या का नाम जोड़ा जाने लगा. उन्होंने कहा कि हम किसी रिलेशनशिप में नहीं है हमदोनों के बीच दोस्ती भी एक रिलेशनशिप हैं. सिर्फ डेटिंग करना ही रिलेशऩशिप नहीं होता है.
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बता दें कि मिजान और नव्या न्यूयार्क में पढ़ाई कर रहे थें उन्हें साल 2019 में एक फिल्म डेट पर एख साथ देखा गया था.
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जिसके बाद उनके लिंकअप कि खबरे आने लगी थीं. मिजान इसी साल अपना बॉलीवुड डेब्यू किया था वह फिल्म ‘ मलाल ’ में नजर आएं थें.
बता दें कि इससे पहले भी नव्या का नां शाहरुख खान के बड़े बेटे आर्यन के साथ जुड़ चुका है. हालांकि मिजान के साथ रिलेशन को लेकर अभी तक किसी ने कुछ खुलकर नहीं कहा है. देखते हैं आगे इस रिश्ते कि सच्चाई क्या होती है.
टीवी इंडस्ट्री से ब्रेक ले चुकी अभिनेत्री सना खान ने साल 2020 में अपने फैंस को एक झटका दिया है. सना खान ने गुजरात के व्यापारी मुफ्ती अनस से 20 नवंबर को शादी रचा लिया था.
इस खबर से सना खान को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर सना ने ये फैसला क्यों लिया लेकिन सना खान ने बहुत सोच-समझकर ये फैसला लिया था. अब उनके निकाह के करीब दोमहीने होने जा रहे हैं इसी बीच सना खान के पति ने सोशल मीडिया पर शादी की तस्वीर शेयर करते हुए सना खान की तारीफ में कुछ लिखा है.
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मुफ्ती अनस ने फोटो शेयर करते हुए लिखा है कि खूबसूरत पत्नी वो नहीं जो सूट कर जाएं बल्कि खूबसूरत पत्नी वो है जो आपको जन्नत के करीब ले जाए. अल्लाह ने बहुत कर्म का फैसला फरमाया है.
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मुफ्ती अनस की रोमांटिक लाइन लोगों को खूब पसंद आ रही है. अभी तक सिर्फ सना खान सोशल मीडिया पर एक्टिव दिखाई देती थी लेकिन अब सना के पति अंदाज भी सोशल मीडिया पर छाया हुआ है.
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वैसे देखा जाए तो सना खान ने भी अपने पति के लिए स्पेशल मैसेज शेयर किया है. उन्होंने निकाह की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है कि मुझे परफ्केट एंडिग चाहिए थी. मुझे स्वीकार करने के लिए शुक्रिया मैं आपको अपना बेस्ट देने की कोशिश करुंगी.
मालूम हो कि सना खान कुछ दिनों पहले अपे पति के साथ कश्मीर के वादियो में अपना हनीमून सेलिब्रेट कर रही थीं. उनके हनीमून की फोटो सोशल मीडिया पर खूब ट्रेंड कर गई. इससे पहले सना खान की निकाह से लेकर शादी तक की सभी फोटो चर्चा का विषय बना हुआ था.
किसी भी मौसम में रूखे और फटे होंठों की समस्या करीबकरीब हर महिला को होती है. कुछ के लिए तो लिपबाम साथ रखना उतना ही जरूरी होता है जितना कि बटुआ. क्योंकि होंठों पर तेल की ग्रंथियां नहीं होतीं और न ही इन पर पर्यावरण से सुरक्षा देने के लिए बाल होते हैं. यही वजह है कि होंठ जल्दी रूखे हो जाते हैं और फटने लगते हैं.
ऐसे में अपने होंठों को देखभाल के लिए अपनाएं ये उपाय:
होंठों की नमी
त्वचा के लिए सब से ज्यादा जरूरी होता है उसे पर्याप्त नमी प्रदान करना. त्वचा और होंठों में पर्याप्त नमी बरकरार रखने के लिए हर मौसम में शरीर को पानी की जरूरत होती है. अत: सर्दी के मौसम में भी पर्याप्त पानी पीएं.
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जीभ पर रखें काबू
होंठों पर बाबार जीभ फिराने से होंठ रूखे हो जाते हैं अथवा इन की त्वचा खिंचने लगती है. तब होंठों को मुलायम और नम बनाए रखने के लिए मौइश्चर की जरूरत होती है. अत: होंठों पर जीभ फिराने की आदत छोड़ दें.
आहार में विटामिन बी शामिल करें
विटामिन बी पर्याप्त मात्रा में न लेने से न सिर्फ आप का पाचनतंत्र प्रभावित होता है, बल्कि इस से आप के होंठों की सेहत भी प्रभावित होती है. होंठों के किनारे और मुंह के कोने सूख कर फट जाते हैं. विटामिन बी की कमी से मुंह में अल्सर भी हो जाता है. ऐसे में सर्दी में होंठों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी लें.
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धूम्रपान न करें
धूम्रपान से होंठ काले और रूखे हो जाते हैं, इसलिए होंठों की पिंक रंगत के लिए तुरंत धूम्रपान छोड़ दें. सिगरेट पीने वालों के होंठ काले रहते हैं.
घरेलू नुसखे
शहद और नीबू की कुछ बूंदें मिला कर नियमित रूप से होंठों पर लगाएं. इस से होंठों की रंगत ठीक होगी और वे मुलायम भी रहेंगे. तेल भी होंठों के लिए अच्छा होता है. आप औलिव औयल, सरसों का तेल या लौंग का तेल होंठों पर लगा सकती हैं. इस से होंठ मुलायम और चमकदार रहेंगे. कैस्टर औयल भी होंठों के लिए बेहतरीन है. यह होंठों को फटने अथवा रंगत खराब होने से बचाता है.
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होंठों के लिए कौस्मैटिक प्रौसिजर
जिन के होंठ पतले हैं और वे उन में उभार चाहती हैं, उन के लिए डर्मल फिलर जुवेडर्म बेहतरीन और प्रभावी विकल्प है. जब यह होंठों पर लगाया जाता है, तब ह्यालुरोनिक ऐसिड बेस्ड फिलर होंठों को उभार देता है. हाइडोफिलिक जैल भी होंठों में नमी का ठहराव बढ़ाता है और रूखे व फटे होंठों को नमी प्रदान करता है. इस का असर 6 से 9 महीने तक बरकरार रहता है.
यूवी किरणों से सुरक्षा
गरमी के दिनों में हम अधिकतर वक्त घर में बिताना चाहती हैं लेकिन ठंड में इस के विपरीत ज्यादा समय तक बाहर रहना पसंद करती हैं. अत: सूर्य की यूवी किरणों के संपर्क में आने से होंठों की रंगत धूमिल हो जाती है. ऐसे त्वचा की तरह होंठों को भी यूवी किरणों से सुरक्षित रखने की जरूरत होती है. होंठों को रूखा और काला होने से बचाने के लिए ऐसे बाम या जैल का इस्तेमाल करें, जो सूर्य की यूवी किरणों से सुरक्षा देता हो.
होंठों को भी चाहिए स्क्रबिंग
होंठों की रंगत गुलाबी रखने के लिए उन पर नियमित रूप से स्क्रब लगाने की जरूरत होती है. होंठों को स्क्रब करने के लिए आप औलिव औयल और शुगर पाउडर का मिक्सचर इस्तेमाल कर सकती हैं.
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होंठों की रंगत सुधारें
होंठों को काला होने से बचाना चाहती हैं, तो नीबू का इस्तेमाल करें. नीबू में प्राकृतिक ब्लीच होती है, जिस से होंठों के धब्बे आसानी से हलके हो जाते हैं. होंठों को गुलाबी रंगत देने, उन्हें ठंडा रखने, मौइश्चराइज करने और ऐक्सफोलिएट करने के लिए चुकंदर और गुलाबजल का इस्तेमाल करें. आप गुलाबजल की कुछ बूंदें शहद में मिला कर भी होंठों पर लगा सकती हैं. अपने होंठों को पोषण और नमी देने के लिए आप इन की औलिव औयल से मसाज भी कर सकती हैं. होंठों को प्राकृतिक रूप से गुलाबी बनाने के लिए अनार के रस की कुछ बूंदों को होंठों पर मसलें. अनार के रस में पानी और क्रीम मिला कर होंठों पर लगाएं.
-डा. इंदु बलानी
डर्मेटोलौजिस्ट, दिल्ली
‘‘यह तुम क्या कह रहे हो, प्रहर?’’ श्रुति का दिल धड़क उठा, ‘‘तुम होश में तो हो?’’
‘‘मैं पूरी तरह होश में हूं और जो कह रहा हूं वह खूब सोचसमझ कर कह रहा हूं.’’
श्रुति का चेहरा शर्म से सुर्ख हो गया. उस ने नजरें झुका कर कहा, ‘‘लेकिन मैं किसी से शादी के लिए तैयार नहीं हूं. मैं अपनी इस एकाकी जिंदगी से संतुष्ट हूं.’’
‘‘तुम्हें किसी दूसरे से नहीं, मुझ से शादी करनी है. तुम्हारी इसी संतुष्टि में मैं सुख भरना चाहता हूं.’’
‘‘मुझ पर इस तरह अचानक दया दिखाने की कोई वजह?’’
‘‘मेरे प्रेम को दया कह कर उस का अपमान मत करो श्रुति,’’ प्रहर ने उस के कंधे पर हाथ रख कर कहा, ‘‘मैं तुम्हें प्यार करता हूं श्रुति. मैं तुम्हारे शरीर से नहीं, तुम्हारे पूरे व्यक्तित्व और अस्तित्व से प्यार करता हूं. मेरी इस चाहत को किसी भी तरह के दाग का ग्रहण नहीं लग सकता, यह खोखली नहीं है.’’
श्रुति ने तमाम दलीलें दीं, लेकिन प्रहर ने उसे मना ही लिया. इस के बाद श्रुति ने मम्मीपापा से बात की. वे तो चाहते ही थे कि उन की बेटी की शादी हो जाए. बड़ी ही सादगी से श्रुति और प्रहर का विवाह हो गया. इस तरह दोनों ने वैवाहिक जीवन का नया अध्याय शुरू किया.
नया घर, नया वातावरण और ताजाताजा प्रेमसंबंध. श्रुति के मन में अब तक अपने प्रति जो नफरत और कुंठा थी वह देखतेदेखते गायब हो गई. प्रहर की मम्मी का प्रेम उसे अपनी मम्मी की याद दिला देता था. पापा अवधेश अपने में ही मस्त रहते थे. उन्हें किसी बात की चिंता नहीं रहती थी. वे दोस्तों के साथ ताश खेलते रहते थे. घर में आने वाला पैसा वे जुए में उड़ा देते थे. नौकरी में श्रुति प्रहर के साथ थी ही, घर में भी हर तरह से उस का साथ निभा रही थी. श्रुति के जीवन में देर से ही सही, लेकिन सुख का सूरज उदय हो चुका था.
‘‘हैपी मैरिज एनिवर्सरी,’’ सो रही श्रुति के कान के नजदीक मुंह ले जा कर प्रहर ने कहा तो श्रुति के आंखें खोलते ही सुख और आनंद के उन्माद में उस ने श्रुति का चेहरा अपनी दोनों हथेलियों में ले कर चूम लिया. शादी की पहली सालगिरह थी, इसलिए दोनों ने औफिस से छुट्टी ले रखी थी. श्रुति ने उठ कर खिड़की का परदा हटाया तो सुबह का उजास बैडरूम में इस तरह दाखिल हुआ जिस तरह उस के जीवन में प्रहर दाखिल हुआ था.
अपनी इस पहली एनिवर्सरी को यादगार बनाने के लिए प्रहर ने जो प्रोग्राम बनाया था, श्रुति को उस की भनक तक नहीं थी. प्रहर एनिवर्सरी विश कर के बाहर चला गया था. श्रुति वाशरूम गई और बाहर आ कर हाथमुंह पोंछते हुए किचन की ओर जा रही थी कि तभी उस की सासूमां के ये शब्द उस के कानों में पड़े. वे ड्राइंगरूम में बैठी पति से कह रही थीं, ‘‘प्रहर और श्रुति की शादी को 1 साल हो गया. दोनों एकदूसरे से कितना प्यार करते हैं. मैं चाहती हूं कि दोनों एकदूसरे को हमेशा इसी तरह प्यार करते रहें. लेकिन अगर कहीं से बहू को पता चल गया कि प्रहर ने उस से शादी करने के लिए उस के पापा से 50 लाख रुपए लिए थे तो क्या वह प्रहर को इसी तरह उसे प्यार कर पाएगी?’’
‘‘आज के बाद कभी गलती से भी इस बात को मुंह से मत निकालना. जानती ही हो, दीवारों के भी कान होते हैं. अगर बहू के कानों में यह बात पड़ गई तो वह प्रहर को कतई माफ नहीं करेगी. हो सकता है, वह हम सब को छोड़ कर चली जाए,’’ प्रहर के पापा ने कहा.
आखिर वही हुआ, जिस की आशंका प्रहर के पापा ने व्यक्त की थी. श्रुति ने सासूमां की यह बात सुन ली थी कि प्रहर ने उस से शादी के लिए उस के पापा से 50 लाख रुपए लिए थे. इस रहस्य के खुलने के बाद श्रुति आगे कुछ नहीं सुन सकी थी. उसे सारा कुछ घूमता नजर आने लगा था. उस की देह में आग सी लग गई थी. किचन से वह सीधे नहाने की तैयारी कर रहे प्रहर के पास पहुंची. उस के बदले रूप को देख कर प्रहर उस से कुछ पूछता, उस के पहले ही वह धीमी, लेकिन तीखी आवाज में बोली, ‘‘प्रहर, एक बात पूछूं, सचसच बताना?’’
‘‘पूछो,’’ प्रहर ने कहा, ‘‘वैसे भी मैं ने कब तुम से झूठ बोला है?’’‘‘बोला है, तभी तो कह रही हूं,’’ श्रुति ने उसी तरह तीखे लहजे में कहा, ‘‘मुझे पता चला है कि तुम ने मुझ से शादी के लिए मेरे पापा से 50 लाख रुपए लिए थे?’’
‘‘कौन कह रहा था?’’ प्रहर ने हैरानी से पूछा.
‘‘कौन कह रहा था, यह मेरी बात का जवाब नहीं हुआ. तुम मुझे यह बताओ कि तुम ने रुपए लिए थे या नहीं, सिर्फ हां या न में जवाब दो?’’
प्रहर सन्न रह गया. वह हां करता था तो श्रुति के तेवर साफ बता रहे थे कि वह उसे माफ करने वाली नहीं है. वह झूठ भी नहीं बोल सकता था. इसलिए सिर झुका कर बोला, ‘‘हां, लिए थे.’’
प्रहर आगे भी कुछ कहना चाहता था, लेकिन आगे की बात सुने बगैर ही श्रुति बैडरूम की ओर भागी. सुबह से शाम हो गई, घर के किसी सदस्य ने न कुछ खाया न पिया. श्रुति ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया तो खोला ही नहीं. इस बीच प्रहर ने ही नहीं, उस के मम्मीपापा ने भी न जाने कितनी बार श्रुति को मनाने की कोशिश की, मगर उस ने न किसी की कोई बात सुनी और न दरवाजा खोला. रोरो कर उस की आंखें सूज गई थीं. प्रहर ने आखिरी कोशिश की, ‘‘प्लीज, श्रुति मुझे माफ कर के सिर्फ एक बार मेरी बात सुन लो, उस के बाद तुम्हारे मन में जो आए वह करना.’’
श्रुति ने दरवाजा खोल कर कहा, ‘‘मुझे अब तुम्हारी कोई बात नहीं सुननी प्रहर, कल सुबह मैं यहां से चली जाऊंगी. डिवोर्स के पेपर तैयार करवा कर भिजवा दूंगी, उन पर दस्तखत कर देना. सचाई जान लेने के बाद मैं तुम्हारे साथ बिलकुल नहीं रह सकती. कल सुबह मैं नौकरी से भी इस्तीफा दे दूंगी. अब मैं तुम से फिर कभी मिलना नहीं चाहती.’’
प्रहर ने भर्राई आवाज में कहा, ‘‘श्रुति, मैं तुम से कह रहा हूं न, कि एक बार मेरी बात सुन लो, अगर मेरी बात सुनने के पहले तुम ने कोई निर्णय ले लिया तो शायद मैं जी न पाऊं, उस के बाद तुम भी पूरी जिंदगी पछताओगी.’’
‘‘अब कहने को बचा ही क्या है?’’
‘‘अभी ही तो कहने का मौका आया है. मैं यह सब कहना नहीं चाहता था, लेकिन तुम ने कहने को मजबूर कर दिया है तो सुनो श्रुति, मैं ने इंपैक्ट आईटी कंपनी जौइन की थी, तब मैं भी तुम से उतनी ही नफरत करता था, जितनी अन्य लोग करते थे. लेकिन तुम्हारी प्यारभरी बातें और व्यवहार का मैं कुछ इस तरह कायल हुआ कि मुझे लगा कि तुम नफरत नहीं, प्यार के काबिल हो. सफेद दाग तो किसी को भी हो सकते हैं. अगर किसी को शादी के बाद सफेद दाग हो जाएं तो आदमी क्या करेगा? छोड़ तो नहीं देगा?’’
इतना कह कर प्रहर पलभर के लिए रुका. उस के बाद लंबी सांस ले कर बोला, ‘‘बस, यही सोच कर मुझे तुम से प्यार हो गया और मैं तुम्हारे नजदीक आने की कोशिश करने लगा. मेरी उसी कोशिश का नतीजा था कि तुम्हें भी मुझ से प्यार हो गया. लेकिन दिल की बात न तुम मुझ से कह सकीं और न मैं ही तुम से कह सका. उसी बीच तुम्हारे पापा आ कर मुझ से मिले.
‘‘किसी बुद्धिशाली ने उन्हें यह युक्ति बताई थी. उसी के बताए अनुसार, उन्होंने कंपनी के कर्मचारियों के बारे में पता किया. किसी से उन्हें हमारी नजदीकियों के बारे में पता चल गया. इस के बाद वे मुझ से मिले और एक बिजनैसमैन की तरह मेरे सामने प्रपोजल रखा. मैं ने उन का प्रपोजल स्वीकार कर लिया. लेकिन मैं ने उन का प्रपोजल इसलिए नहीं स्वीकार किया था कि मुझे उन के पैसों का लालच था. मैं ने उन का प्रपोजल इसलिए स्वीकार किया था कि उन्हें यह न लगे कि मैं उन की विरासत पाने के लिए उन की सफेद दाग से कुरूप हुई उस बेटी से शादी कर रहा हूं जिस से कोई शादी करने को तैयार नहीं है. यही नहीं, उन के मन में यह विचार भी आ सकता था कि बिना पैसे लिए अगर मैं तुम से शादी कर लेता हूं तो शादी के बाद तुम्हें परेशान कर सकता हूं और छोड़ भी सकता हूं.
‘‘उन की भावनाओं को ध्यान में रख कर ही मैं ने उन से पैसे लिए हैं. लेकिन उन पैसों में से एक भी पैसा मैं ने अपने पास नहीं रखा. वे सारे पैसे मैं ने तुम्हारे पापा की सर्राफ एसोसिएट में तुम्हारे नाम जमा करा दिए हैं. इस बात की जानकारी मेरे अलावा किसी और को नहीं है, तुम्हारे पापा को भी नहीं,’’ इतना कह कर प्रहर ने दुछत्ती में रखे एक पुराने कार्टून से एक फाइल निकाल कर श्रुति की ओर बढ़ा कर कहा, ‘‘अगर तुम्हें विश्वास न हो तो सर्राफ एसोसिएट में जमा पैसों के सारे पेपर इस फाइल में रखे हैं, तुम खुद देख लो.’’
श्रुति ने एक नजर फाइल पर डाल कर अपनी नजरें प्रहर पर जमा दीं. प्रहर ने देखा, थोड़ी देर पहले श्रुति की जिन आंखों में नफरत की आग दहक रही थी, अब उन्हीं आंखों में पछतावे का समुद्र हिलोरे ले रहा है. प्रहर श्रुति की नम आंखों में आंखें डाल कर बोला, ‘‘श्रुति, शरीर के ये दाग मात्र एक परिस्थिति हैं, कलंक नहीं. तुम्हारा आंतरिक सौंदर्य बहुत अच्छा है, उसी को परख कर मैं ने तुम से प्यार किया और शादी की. तुम्हें पता होना चाहिए कि प्यार दिल से होता है, जिसे पैसों से नहीं खरीदा जा सकता. एक साल से साथ रहते हुए खुद तुम्हें इस बात का एहसास हो गया होगा कि मैं तुम्हें कितना प्यार करता हूं. पैसे मैं ने तुम से शादी के लिए नहीं, तुम्हारे पापा को संतुष्ट करने के लिए लिए थे. तुम जाना चाहती हो न, जाओ लेकिन तुम्हें पता होना चाहिए कि अब मैं तुम्हारे बिना जी नहीं पाऊंगा, अगर तुम मुझे छोड़ कर चली गईं तो…’’
यह कहतेकहते प्रहर की आंखें भर आईं और गला रुंध गया, इसलिए उस की बात पूरी होने से पहले ही श्रुति ने आगे बढ़ कर अपना सिर उस के सीने पर रख दिया.
तीनों उठ कर बाहर निकलने लगे तो डा. सक्सेना ने अविनाश को रोका, ‘सर्राफ साहब, एक मिनट.’
कुछ गड़बड़ होने का यह पहला मौका था. उस के बाद रोजरोज माथे और कान के नीचे की त्वचा का रंग बदलने लगा. महंगीमहंगी ट्यूब्स, क्रीम के बाद तमाम घरेलू उपचार, जड़ीबूटी, तरहतरह के लेप, लेकिन कुछ भी काम नहीं आया. जब पहली बार श्रुति को पता चला कि उसे सफेद दाग हुआ है तो वह चीख उठी थी, साधना भी फफक पड़ी थीं. अभी तो बेटी की जिंदगी शुरू ही हुई थी और उस के साथ इतना बड़ा हादसा हो गया. अब इस का क्या होगा? खूबसूरती का खजाना श्रुति को न जाने किस की नजर लग गई थी.
जिस सुंदरता पर श्रुति को गरूर था, उस में दाग लग गया था. सफेद दाग फैलने लगा. धीरेधीरे चेहरे, गले और फिर हाथों तक फैल गया था. वह समय अभी कहां दूर गया था जब उस के चेहरे पर पड़ने वाली नजर हटती नहीं थी. वही श्रुति अब आईने में अपना चेहरा देख कर कांप उठती थी. भविष्य के लिए देखे गए सपने सफेद दाग के इस तूफान में उड़ गए थे. अब उस पर डिप्रैशन की सुनामी आ गई थी. बाहर के सारे संपर्क उस ने खत्म कर दिए थे. वह अपने कमरे में अकेली पड़ी रहती थी. कालेज का फाइनल सैमेस्टर का परिणाम आया तो उस का पहला नंबर था. लेकिन वह किसी भी फौरमैलिटी के लिए कालेज नहीं गई थी. उस ने अपने सभी दोस्तों और सहेलियों से मिलने से भी मना कर दिया था. अब श्रुति का क्या होगा, इस चिंता में उस के मांबाप की नींद उड़ गई थी.
परिणाम आने के 6-7 महीने के बाद अचानक एक रात डाइनिंग टेबल पर श्रुति ने कहा, ‘पापा, मैं नौकरी करना चाहती हूं. मैं यह शहर छोड़ कर दिल्ली जाना चाहती हूं.’
‘क्या?’ अविनाश ने हैरानी से पूछा. जबकि साधना कुछ बोल नहीं पाई. अविनाश की आवाज सहज भारी होती गई, ‘यह तुम क्या कह रही हो बेटी. तुम्हें नौकरी करने की क्या जरूरत…’
पापा को बीच में ही रोकते हुए श्रुति ने कहा, ‘मेरा डिसीजन फाइनल है पापा, मैं अब बच्ची नहीं रही, कुछ भी करने को स्वतंत्र हूं. जौब के लिए मैं ने औनलाइन अप्लाई किया था, मेरा सलैक्शन हो गया है. इंपैक्ट आईटी कंपनी का हैडक्वार्टर दिल्ली में है. कंपनी रहने के लिए होस्टल भी दे रही है और आनेजाने के लिए गाड़ी भी.’
अविनाश ने थोड़ा चिढ़ कर कहा, ‘मेरी समझ में नहीं आता कि तुम्हें नौकरी करने की जरूरत क्या है?’
साधना ने उन्हें आगे कुछ कहने से मना कर दिया. थोड़ी देर बाद वह श्रुति के कमरे में गई तो उन की दलीलों के जवाब में उस ने अपने मन की सारी बातें रख दीं, ‘मम्मी, यह शहर, कालेज, दोस्त और सगेसंबंधी जिस खूबसूरत श्रुति को जानते हैं वह अब रही नहीं. रोतेरोते मेरे आंसू सूख चुके हैं. अब मेरी समझ में आया है कि अब मैं अनजान शहर में अनजान लोगों के बीच अनजान व्यक्ति के रूप में अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करूं. मैं ने काफी सोचविचार कर यह निर्णय लिया है. प्लीज, आप लोग मुझे रोकिए मत. मेरे चेहरे का यह दाग मुझे यहां चैन से रहने नहीं दे रहा है.’
शेयर बाजार के दिग्गज अविनाश सर्राफ, जो सेंसैक्स के गिरने पर भी परेशान नहीं होते थे, वे बेटी के इस निर्णय से परेशान हो गए. सफेद दाग से कुरूप हुई अपनी इकलौती बेटी के लिए उन के मन में सब से बड़ा सवाल यह था कि उस से शादी कौन करेगा. 7 साल का समय दिल वालों की नगरी दिल्ली में कैसे बीत गया, श्रुति को पता ही नहीं चला. श्रुति अब तक 27 साल की हो चुकी थी. अपनी इस कुरूपता के साथ उस ने जीना सीख लिया था. उस ने नौकरी नहीं बदली थी, इसलिए कंपनी में अब तक वह वहां सीनियर मैनेजर हो गई थी. साधना और अविनाश ने न जाने कितनी जगहों पर अपने से गरीब परिवारों में भी श्रुति के विवाह की कोशिश की थी, लेकिन उस के सफेद दाग की वजह से सभी ने मना कर दिया था. पतिपत्नी परेशान रहते थे कि वे बेटी की शादी के लिए क्या करें.
एक रविवार की शाम को श्रुति के फ्लैट की घंटी बजी तो उस की तंद्रा भंग हुई. श्रुति ने दरवाजा खोला तो बाहर प्रहर खड़ा था. उसे अंदर आने की जगह देते हुए उस ने हैरानी से कहा, ‘‘प्रहर, तुम यहां?’’
‘‘हां, आज पहली बार यहां आया हूं और पहली बार एक बात भी कहना चाहता हूं.’’
‘‘मोस्ट वैलकम, प्रहर. लेकिन ऐसी कौन सी बात है जिसे तुम औफिस के बदले यहां कहने चले आए?’’
‘‘घर बसाने की बात, यह बात औफिस में नहीं कही जा सकती थी न?’’
‘‘क्या?’’ श्रुति ने हैरानी से पूछा.
‘‘हां श्रुति, यह सच है कि मैं तुम से शादी करना चाहता हूं.’’
प्रहर अभी कुरसी पर बैठ भी नहीं पाया था कि श्रुति ने टोका, ‘‘प्रहर, तुम्हें कल छुट्टी लेनी थी तो अपने कंप्यूटर का पासवर्ड ही बता जाते. तुम्हारा मोबाइल भी आउट औफ कवरेज बता रहा था.’’
‘‘शायद आप ने ईशा से पूछा नहीं,’’ अपनी सीट पर बैठते हुए प्रहर ने कंप्यूटर के मौनीटर का स्विच औन करते हुए कहा, ‘‘आप तो आते ही सिर्फ काम की बात करने लगती हैं. यह भी नहीं पूछतीं कि आखिर मैं आया क्यों नहीं था.’’
‘‘ओके, सौरी,’’ अपनी टेबल के नजदीक पहुंच कर श्रुति ने कहा, ‘‘क्या प्रौब्लम थी जो कल नहीं आए?’’
‘‘पिताजी की तबीयत खराब हो गई थी, उन्हें अस्पताल ले कर चला गया था.’’
‘‘अब ठीक हैं न?’’
‘‘ठीक हैं, तभी तो आया हूं.’’
‘‘कल का सारा पैंडिंग काम हो गया है प्रहर, इसलिए परेशान होने की जरूरत नहीं है. अगर आज जल्दी जाना हो तो चले जाना.’’
‘‘थैंक्यू श्रुति, आप मुझे हमेशा टैंशन फ्री रखती हैं. लेकिन हमें परमानैंट टैंशन देने वाले औफिस मैनेजर मिस्टर शिंदे के बेटे की शादी की रिसैप्शन पार्टी में कल शाम को चलेंगी या नहीं?’’
प्रहर की इस बात के जवाब में श्रुति आहिस्ता से बोली, ‘‘तुम्हें तो पता है प्रहर, कि मैं इस तरह की किसी पार्टी में जाना पसंद नहीं करती.’’
‘‘तो फिर कल तुम्हें किस पार्क में जाना है, यह बता दो तो मैं वहीं पहुंच जाऊंगा.’’
‘‘मुझे इस तरह का मजाक बिलकुल पसंद नहीं है प्रहर.’’
‘‘नाराजगी तुम्हारे चेहरे पर जरा भी अच्छी नहीं लगती श्रुति.’’
‘‘मेरे चेहरे पर जो है इस के अलावा अब दूसरा कुछ अच्छा भी कैसे लगेगा,’’ कांपते स्वर में श्रुति ने कहा.
‘‘ऐसा क्यों कहती हो, श्रुति?’’
‘‘सफेद दाग से कुरूप हुए मेरे चेहरे को क्यों याद दिलाते हो प्रहर?’’
‘‘श्रुति, तुम खुद ही नहीं भूलना चाहतीं,’’ प्रहर ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘शायद तुम इसे भूलना भी नहीं चाहतीं. चेहरे और शरीर के दाग ही व्यक्ति या व्यक्तित्व का रूपस्वरूप नहीं हैं.’’
श्रुति ने प्रहर की इस बात का कोई जवाब नहीं दिया तो बात खत्म हो गई. लेकिन रात को वह देर तक जागती रही. 3 साल इंपैक्ट आईटी में सौफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम करने वाला प्रहर इधर कुछ दिनों से उस के नजदीक आने की कोशिश कर रहा था. उसी तरह श्रुति भी उस की ओर खिंचती हुई सी महसूस कर रही थी. लेकिन जबरदस्ती वह इन बातों को दिमाग से बाहर धकेलती थी. सफेद दाग वाले चेहरे का प्रतिबिंब आंखों के सामने रख कर वह धीरेधीरे दिल को अच्छे लगने वाले खयालों को दिमाग से दूर रखने की कोशिश कर रही थी.
मम्मीपापा को किसी तरह मना कर अपनी इच्छा से वह दिल्ली आ कर नौकरी कर रही थी. शेयर बाजार में किंग माने जाने वाले अविनाश सर्राफ का ‘सर्राफ एसोसिएट्स’ का कारोबार इस तरह चल रहा था कि उन की कई पीढि़यों को कहीं बाहर जा कर कुछ करने की जरूरत नहीं थी. इस के बावजूद श्रुति दूसरे शहर में जा कर नौकरी कर रही थी. अच्छे नंबर आने और सहेलियों के कहने पर उस ने मां से सलाह कर के एक प्रतिष्ठित संस्थान में एमबीए करने के लिए ऐडमिशन ले लिया था. अविनाश सर्राफ को यह बात नागवार गुजरी थी. उन्होंने कहा था, ‘क्या जरूरत थी यह सब करने की. तुम्हें सीधेसीधे ग्रेजुएशन कर लेना था, बस.’
श्रुति जितना अपने लुक के प्रति सजग रहती थी उतना ही पढ़ाई के प्रति भी. गोरा चेहरा, सुगठित शरीर, औसत से अधिक लंबाई, हंसती थी तो गालों में डिंपल पड़ जाते थे. यही उस की सुंदरता की चुंबकीय आभा थी. साथ पढ़ने वाले लड़के ही नहीं, उसे पढ़ाने वाले कुछ प्रोफैसर भी उस से बात कर के स्वयं को धन्य समझते थे. उम्र का एक ऐसा पड़ाव, उस पर रूप की यह छटा, कालेज का 1 साल उन्मादी नशे में कैसे बीत गया, पता ही नहीं चला. साथ के तमाम लड़के उस से परिचय बढ़ाने के लिए तरहतरह के पैंतरे रचते रहे लेकिन उन की दाल नहीं गली. उस की अल्हड़ता और बेफिक्री उन्हें बहुत खलती. तभी तो उस के सब से करीबी माने जाने वाले अशेष ने उस के मुंह पर कहा था, ‘श्रुति, इस दुनिया में जो भी आया है उसे अपने पैर जमीन पर ही रखने चाहिए.’
‘मुझे पता है अशेष,’ श्रुति ने उस की इस बात को जरा भी महत्त्व न देते हुए गर्व से कहा था.
यही श्रुति एक दिन सुबह कालेज के लिए तैयार हो कर ड्रैसिंग टेबल के शीशे में अपने मोहक चेहरे को देख कर मुसकरा रही थी कि अचानक उसे लगा, माथे की त्वचा का रंग कुछ अलग सा हो रहा है. मन का वहम मान कर बालों को ठीक किया और बाहर निकल गई. क्योंकि कालेज जाने का समय हो गया था. कुछ दिनों बाद उसे लगा कि अलग सा लगने वाला माथे का वह रंग लाल हो रहा था. उसी के साथ बाएं कान के नीचे सफेद चकत्ता सा दिखाई दे रहा था. वह एकदम से घबरा गई और जोर से चिल्लाई, ‘मम्मी?’
लगभग दौड़ते हुए साधना उस के पास पहुंचीं, ‘क्या हुआ बेटा, इतने जोर से क्यों चिल्लाई?’
आईने से नजर हटाए बगैर कान के नीचे पड़े चकत्ते पर उंगली रख कर घबराई आवाज में श्रुति ने कहा, ‘समथिंग इस गोइंग रौंग विद माई फेस, मम्मी?’
साधना ने उस के चेहरे पर हाथ फेर कर देखा. इस के बाद बालों में उंगलियां फेरते हुए पीठ पर हलकी सी धौल जमा कर कहा, ‘चिंता जैसी कोई बात नहीं है बेटा, एलर्जी रिऐक्शन है.’
‘बट मम्मी, आज तक तो मुझे?’
‘ठीक है भई, डा. सक्सेना से अपौइंटमैंट ले लेते हैं, ओके.’
अगले दिन शाम को अविनाश और साधना अपनी लाड़ली बेटी श्रुति के साथ शहर के जानेमाने स्किन स्पैशलिस्ट डा. सक्सेना के यहां जा पहुंचे. डाक्टर ने माथे और कान के नीचे पड़े चकत्तों को गौर से देखा, इस के बाद कुछ कहे बगैर प्रिस्क्रिप्शन पर लिख दिया. श्रुति ने उन की ओर सवालिया नजरों से देखा तो उन्होंने कहा, ‘चिंता जैसी कोई बात नहीं है, ये दवाएं खाओ और मरहम लगाओ, चकत्ते खत्म हो जाएंगे, फौरगेट इट.’
लेखक- शाहनवाज
जरूरतमंद लोगों का कोई देश नहीं होता, कोई मजहब नहीं होता, कोई जात नहीं होती और न ही कोई उम्र होती है. लेकिन भारत में सत्ता में बैठे लोग और उन के कट्टरपंथी समर्थक जरूरतमंद का मजहब और जात देखने में देर नहीं लगाते. ‘अन्न का कोई धर्म नहीं होता. खाना दिलों को जोड़ने का काम करता है, न कि तोड़ने का.’ ये व इन से मिलते वाक्य आप ने भी अपने जीवन में कभी न कभी सुने होंगे. लेकिन हाल ही में देश की राजधानी दिल्ली में कुछ ऐसा हुआ जिसे यदि आप सुनेंगे तो एक पल यह सोचने के लिए मजबूर हो जाएंगे कि शायद ऊपर लिखे हुए वाक्य अभी भी कुछ लोगों के दिलोदिमाग से कोसों दूर हैं. वे अपने दिलों में असीम नफरत और भेदभाव भरे हुए हैं.
इस के साथ ही, वे अपनी दिमागी बेवकूफी का परिचय भी देते हैं. अचानक थोपे गए लौकडाउन की वजह से देश में सब से ज्यादा चोट खाए इंडस्ट्री में से एक हौस्पिटैलिटी इंडस्ट्री (आतिथ्य उद्योग) है. रैस्टोरैंट से जुड़ा व्यापार इसी उद्योग में शामिल होता है. अब जाहिर सी बात है, सबकुछ जब अचानक से बंद कर दिया जाएगा तो भला कोई भी धंधा कैसे काम कर सकता है. हम सभी ने अचानक से थोपे हुए लौकडाउन को झेला है और हम सभी जानते हैं कि देश की गरीब व पिछड़ी आबादी ने दुनिया के सब से कड़े लौकडाउन को कैसे झेला है. इतने नुकसान के बावजूद, दिल्ली के कुछ रैस्टोरैंट मानवता का हाथ बढ़ाने के लिए रोहिंग्या शरणार्थियों के बीच खाना बांटने के लिए पहुंचे.
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सब से पहले यह खबर एक न्यूज एजेंसी ने अपने पोर्टल पर डाली. देखते ही देखते कुछ ही घंटों में मानवता के कुछ दुश्मन, जिन रैस्टोरैंट ने रोहिंग्या शरणार्थियों के बीच खाना वितरण किया था, ट्विटर पर उन्हें बायकौट करने की बात करने लगे. बायकौट करने वाले लोगों का कहना है, ‘‘रोहिंग्या लोग मुसलमान हैं और वे इस देश के लिए सांप की तरह हैं. उन्हें इस देश में रहने का हक नहीं है.’’ कोई कहता है, ‘‘अगर खाना खिलाना ही था तो दूसरे गरीबों के बीच खाना बांट दिया होता, रोहिंग्या को क्यों?’’ कोई कहता है, ‘‘पाकिस्तान से आए हुए हिंदू शरणार्थी भी तो थे उन्हें क्यों नहीं खाना बांटा?’’ यह व और भी न जाने क्याक्या बिना सिरपैर वाली बातें कर के वे रैस्टोरैंट के मालिकों को ट्रोल करने लगे. समस्या तब और अधिक बढ़ने लगी जब ये सिर्फ ट्रोल ही नहीं, बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफौर्म पर इन के खिलाफ गलतगलत रिव्यू लिखने के लिए लोगों से आग्रह करने लगे.
जहां पर इस काम के लिए इन रैस्टोरैंट्स को फाइव स्टार देने की बात होनी चाहिए थी, वहीं लोग इन्हें केवल एक स्टार दे कर इन की रेटिंग गिराने लगे. फिर कुछ समय बाद जब यह खबर और लोगों के बीच पहुंची, तब इन के समर्थन में भी ट्वीट किए गए और इन्हें पौजिटिव रिव्यू मिलने लगे. इन में से एक रैस्टोरैंट के मालिक शिवम सहगल ने नई दिल्ली से प्रकाशित एक इंग्लिश दैनिक से बातचीत के दौरान बताया, ‘हम ने यह काम बहुत सकारात्मक तरीके से किया है. यदि कोई इसे गलत तरीके से ले रहा है, तो यह उस की अपनी निजी समस्या है. हमारे रैस्टोरैंट का मकसद समाज के ऐसे लोगों की मदद करना है जो कि इसी समाज का हिस्सा हैं. जहां 70 फीसदी लोग हमारे द्वारा किए गए इस काम की सराहना कर रहे हैं वहीं 30 फीसदी लोग ऐसे हैं जो इस की आलोचना कर रहे हैं. यह उन की अपनी मानसिकता है, जिस का हमारे द्वारा किए गए काम से लेनादेना नहीं है.’
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दिलों में नफरत क्यों 2017 में रोहिंग्या समुदाय के लोग बड़ी संख्या में अपनी जान बचा कर अलगअलग देशों में शरण लेने के लिए पहुंचे. सभी रोहिंग्या शरणार्थी सिर्फ भारत आ कर नहीं बसे. इन देशों में इंडोनेशिया, मलयेशिया, लाओस, कंबोडिया, बंगलादेश भी शामिल हैं. रोहिंग्या समुदाय के लोग म्यांमार में 8वीं सदी से रह रहे हैं. परंतु म्यांमार के 1982 के नागरिकता कानून के तहत रोहिंग्या समुदाय के लोगों को नागरिकता देने से वंचित कर दिया गया. संयुक्त राष्ट्र की मानें तो रोहिंग्या समुदाय के लोगों ने लंबे समय तक दमन का सामना किया है, जिन में उन का अकसर नरसंहार हुआ है. यही नहीं, रोहिंग्या समुदाय के लोगों को दुनिया के सब से सताए हुए जातीय अल्पसंख्यक के रूप में वर्णित किया गया है. इस के साथ ही रोहिंग्या समुदाय के बारे में झूठी खबरें फैला कर यह प्रचारित किया गया कि ये सभी मुसलमान हैं. जबकि, ऐसा नहीं है. रोहिंग्या समुदाय में हिंदू धर्म के लोग भी हैं जोकि अल्पसंख्यक हैं. यह तो था रोहिंग्या समुदाय के लोगों के बारे में संक्षेप में एक परिचय.
परंतु समाज में हिंसा फैलाने वाले, समाज को धर्मों, जातियों, भाषा, संस्कृति इत्यादि रूप से बांटने वाले लोगों की मानसिकता रोहिंग्या समुदाय के इन लोगों के प्रति भी उतनी ही जहरीली है. रोहिंग्या शरणार्थियों के प्रति भाजपा समर्थक और उन की लीडरशिप की मानसिकता लगभग एकजैसी है. वे इन के लिए अपने दिलों में पहले से ही नफरत लिए घूमते हैं. 2017 में रोहिंग्या समुदाय के लोगों का भारत में आने पर असम और मणिपुर में भाजपा की अगुआई वाली राज्य सरकारों ने अपनी पुलिस को, विशेषकर सीमावर्ती जिलों में, यह हिदायत दी कि कोई भी सीमा पार कर भारत में न घुस पाए. असम और मणिपुर में भाजपा सरकारों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में अतिरिक्त सतर्कता बरतने के लिए अलर्ट जारी किया था. सितंबर 2017 को असम में भाजपा के अल्पसंख्यक नेता बेनजीर अरफान को भाजपा ने पार्टी से सस्पैंड कर दिया इसलिए कि अरफान ने फेसबुक पर एक पोस्ट अपलोड कर लोगों से म्यांमार सरकार द्वारा रोहिंग्याओं के साथ किए गए व्यवहार के विरोध में उपवास करने का अनुरोध किया था.
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असम में भाजपा के महासचिव दिलीप सैकिया द्वारा अरफान को खत लिख कर यह सूचना दी गई, ‘आप के कार्य को पार्टी के नियमों और विचारधारा के विरुद्ध मानते हुए, भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष ने आप को सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया और आप को पार्टी से निलंबित कर दिया.’ अप्रैल 2018 में दक्षिणी दिल्ली के कालिंदी कुंज इलाके की जिस बस्ती में रोहिंग्या रिफ्यूजी रह रहे थे उसे भाजपा के यूथ विंग लीडर मनीष चंदेला द्वारा जला दिया गया. इस घटना के कारण ये शरणार्थी अपने सगेसंबंधियों से बिछुड़ गए और आग में कइयों के संयुक्त राष्ट्र द्वारा दिए गए रिफ्यूजी वीजा भी जल कर खाक हो गए. चंदेला ने ट्विटर पर यह स्वीकार भी किया कि बस्ती में आग उस ने ही लगाई थी. ट्विटर पर चंदेला ने ट्वीट कर पोस्ट किया, ‘‘हमारे नायकों द्वारा बेहद अच्छा काम किया गया. हां, हम ने रोहिंग्या आतंकवादियों के घर जला दिए.’’ उस ने उस के बाद एक ट्वीट और किया, ‘‘हां, हम ने यह किया और फिर से करेंगे.’’ उस के द्वारा ‘रोहिंग्या क्विट इंडिया हैशटैग’ को चलाया गया. प्रशासन द्वारा मनीष चंदेला पर कानूनी कार्यवाही की कोई खबर नहीं है. यानी, यह धूल भी कारपेट के नीचे सरका दी गई.
हमारे समाज में रोहिंग्या शरणार्थियों के विरोध में जिस तरह से नफरत फैलाने वाले अभियान छेड़े गए हैं उस से दूसरे देशों के सताए हुए इन लोगों को यहां पर भी राहत की सांस नहीं मिल रही. हाल ही में नागरिकता संशोधन कानून के पास होने के बाद ये लोग हमेशा डर के साए में जीने को मजबूर हैं. जब हम बात सोशल मीडिया की करते हैं तो फेसबुक, ट्विटर इत्यादि प्लेटफौर्म्स पर रोहिंग्या रिफ्यूजियों के प्रति हेट स्पीच लगातार देखने को मिल ही जाती हैं. रोहिंग्या मुसलमानों पर नरभक्षण का झूठा आरोप लगाया जाता है. ऐसे घृणाभरे पोस्ट को वायरल किया जाता है जिन में उन के भारत न छोड़ने पर उन के घरों को जलाने की धमकियां भी दी जाती हैं. कुछ हिंदू राष्ट्रवादियों ने रोहिंग्या शरणार्थियों को आतंकवादी बुलाया और सोशल नैटवर्क पर वीडियो शेयर किए, जिन में भारत की सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी के नेता अल्पसंख्यक समूह और अन्य मुसलमानों को ‘दीमक’ कह कर उन्हें देश से बाहर निकालने की कसम भी खाते दिखाई दिए. 2019 में पश्चिम बंगाल में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों पर यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने भाजपा कार्यकर्ता की हत्या की है. हालांकि, ऐसा कुछ भी नहीं था और यह सब फेसबुक के जरिए झूठी खबरें फैलाने का काम किया जा रहा था.
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सोशल मीडिया रोहिंग्याओं के प्रति लोगों में नफरत भरने का सब से आसान रास्ता है जहां बिना किसी तथ्य के, कोई भी कुछ भी फेक न्यूज आसानी से वायरल करवाई जा सकती है. नफरत बांटने वालों से रहें दूर जिन विकट परिस्थितियों से निकल कर रोहिंग्या समुदाय अपना देश छोड़ कर अन्य देशों में धक्के खाने को मजबूर है और भेदभाव सहने को मजबूर है उस से यही समझ में आता है कि रोहिंग्या समुदाय म्यांमार में कितने अधिक प्रताडि़त थे. जब हिंदू कट्टरपंथी लोगों के दिल और दिमाग में नफरत का बीज बो रहे होते हैं तो सब से अधिक नुकसान हमारे समाज को ही झेलना पड़ता है. नफरत पैदा करने वालों से हमें बेहद सावधान रहने की जरूरत है, फिर चाहे वह पार्टी का कोई छोटा कार्यकर्ता हो या बड़ा लीडर. दिल्ली में रोहिंग्या शरणार्थियों के बीच खाना बांटने वालों का बायकौट करने वालों ने कभी खुद अपने इलाके में किसी जरूरतमंद की मदद नहीं की होगी. लेकिन जब देखा कि मामला हिंदू बनाम मुसलमान का है तो यही लोग ट्विटर पर इन्हें बायकौट करने की बात उठाने लगे. भारत ने जब भी कोई विभिन्न समुदायों के बीच सौहार्द बढ़ाने की बात करता है या फिर काम करता है तो भगवा गैंग के लोगों को मिर्च लगनी शुरू हो जाती है. इस का सब से ताजा उदाहरण बीते कुछ दिनों पहले तनिष्क का टैलीविजन पर विज्ञापन है. ज्वैलरी ब्रैंड तनिष्क के इस ऐड में यह दिखाया गया कि 2 अलगअलग धर्मों के लोगों में शादी हुई है और एक पारिवारिक समारोह में घर की बहू (जो कि हिंदू परिवार से है) अपनी सास (जो कि मुसलिम समुदाय से है) से सवाल करती है कि,
‘यह रस्म तो आप के यहां नहीं निभाई जाती है न?’ जिस के जवाब में सास कहती है कि, ‘‘लेकिन बेटी को खुश रखने की रस्म तो हर घर में निभाई जाती है.’’ सचाई तो यह है कि मौजूदा हालात को देखते हुए इस ऐड को देख कर किसी भी व्यक्ति का दिल पिघल जाएगा. लेकिन यह समझ नहीं आता है कि भगवा गैंग को इतने सौहार्द बढ़ाने वाले ऐड में ‘लव जिहाद’ कहां से नजर आ गया? ठीक उसी तरह, भोजन खिलाना और बांटना समाज में हमेशा सामाजिक और अच्छे कार्यों में से एक माना जाता है. लेकिन रोहिंग्याओं को भोजन बांटना समाज में कब से गैरकानूनी हो गया? इसीलिए जरूरी है कि हम आम लोग इन जैसे लोगों से दूरी बना कर रखें जो हमेशा एक धर्म के लोगों को दूसरे धर्म के लोगों के प्रति भड़काते हैं. मामला चाहे रोहिंग्याओं का ही क्यों न हो, हैं तो वे भी इंसान ही.
साल 2020 में कोरोना महामारी की वजह से मचे मौत के तांडव ने देशदुनिया को हिला दिया. जब भारत में लौकडाउन हुआ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता से अपील करते हुए ‘जो जहां है वहीं रहे’ की अपील की तो मानो भगदड़ सी मच गई. पूरा देश एकदम बंद हो गया. सड़कें सुनसान और घर वीरान से दिखने लगे. लोग घरों में कैद जो हो गए थे.
इस से शहरों में रोजगार कमाने आए लाखोंकरोड़ों लोगों पर अपने सिर की छत और रोजीरोटी गंवाने का खतरा बढ़ गया. लिहाजा, बहुत से लोग अपने परिवार समेत सिर पर सामान लादे निकल पड़े सड़कों पर अपनेअपने गांव की ओर. पर जब मुसीबतें आईं तो उन्हें जरूरत पड़ी किसी ऐसे की जो उन की मदद कर सके.
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ऐसा हुआ भी. बहुत से अनजान लोगों ने बिना किसी लालच के बहुत से भूखों को खाना दिया, उन की प्यास बु झाई, छाले पड़े पैरों पर मरहम लगाया. पर एक इंसान तो मानो सुपरहीरो बन गया. नाम था सोनू सूद, जो फिल्मों में तो विलेन बनता था, पर कोरोनाकाल में ऐसा नायक बना कि बड़ेबड़े हीरो पीछे छूट गए.
पंजाब के मोगा जिले से ताल्लुक रखने वाले सोनू सूद ने लौकडाउन के दौरान प्रवासियों को उन के घर पहुंचाने में मदद की, मजदूरों के लिए बसों, ट्रेनों का इंतजाम किया ताकि वे अपनेअपने घरों तक पहुंच पाएं.
यही वजह है कि सोनू सूद इसी विषय पर एक किताब भी लिख रहे हैं. यही नहीं, उन्होंने 3 लाख प्रवासियों को नौकरी दिलाने का भी वादा किया है. सवाल उठता है कि सोनू सूद ने यह समाजसेवा क्यों की और क्या समाजसेवा और राजनीति के जरिए लोग दूसरों की बिना किसी लालच के मदद कर सकते हैं?
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जहां तक सोनू सूद का सवाल है, तो जब उन्होंने मुसीबत के मारे किसी पहले शख्स के बारे में सुना होगा तो इंसानियत के तौर पर उस की मदद की होगी, फिर धीरेधीरे यह कारवां बढ़ता गया.
इस से पता चलता है कि सोनू सूद ही नहीं, बल्कि कोई भी इंसान इस तरह किसी की मदद कर सकता है. यहां यह बात भी उजाले में आती है कि अगर मौका मिले तो हमें समाजसेवा और राजनीति से जुड़ कर कोई ऐसा काम जरूर करना चाहिए जिस से लोगों का भला हो और हमारा आत्मविश्वास बढ़े.
इस सिलसिले में समाजसेवी रीता शर्मा ने काफी अहम बातें बताईं. वे लखनऊ, उत्तर प्रदेश में एक स्वयंसेवी संस्था ‘शक्तिस्वरूपा सेवा संस्थान’ चलाती हैं, जिस में सिलाईकटाई, बुनाई, डिजाइनिंग कोर्स, सैल्फडिफैंस ट्रेनिंग, महिला जागरूकता मुहिम जैसे कार्यक्रम मुफ्त चलाए जाते हैं, साथ ही कानूनी मदद भी दी जाती है.
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रीता शर्मा ने बताया, ‘‘लौकडाउन में जब देशभर में तालाबंदी थी, उस समय हमारी संस्था द्वारा गांवदेहात की लड़कियों को ट्रेनिंग दे कर उन्हीं के घर पर डिजाइनर मास्क सिलने की सहूलियत दी गई. इस से न केवल उन के समय का अच्छा इस्तेमाल हुआ, बल्कि उन के हाथ में अच्छे पैसे भी आए, साथ ही मास्क पहनने की जरूरत भी सम झ आई.’’
बता दें कि बीते एक साल से रीता शर्मा सामाजिक कामों के साथसाथ राजनीतिक रूप से सक्रिय रही हैं. उन का मानना है कि अगर आप के पास मौका और समय है तो सामाजिक और राजनीतिक रूप से सक्रिय रहना चाहिए खासकर महिलाओं को, इस से न केवल जरूरतमंदों को मदद मिलती है और समय का सही इस्तेमाल होता है, बल्कि समाज में एक अच्छी पहचान भी बनती है.
रीता शर्मा का कहना है, ‘‘अगर महिलाओं की बात की जाए तो उन का दायरा काफी सीमित होता है. सामाजिक और राजनीतिक सक्रियता उन के संपर्क को बढ़ाती हैं. नएनए लोगों के संपर्क में आने से वे नएनए विचारों से अवगत होती हैं.’’
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इस के अलावा रीता शर्मा का मानना है कि महिलाओं से संबंधित सामाजिक कुरीतियों, सामाजिक असमानता, भेदभाव, निरक्षरता, महिला अपराध आदि पर खासतौर से काम कर के महिलाएं सामाजिक व्यवस्था को भी सुधार सकती हैं.
पर दिक्कत यह है कि राजनीति में महिलाओं की भागीदारी पर बात तो जरूर होती है लेकिन वास्तविक रूप से बहुत कम महिलाएं इस प्लेटफौर्म पर दिखती हैं. अगर राजनीति में महिलाएं सक्रिय रहती हैं तो अन्य क्षेत्रों में उन की भूमिका ज्यादा दिखाई देगी. लिहाजा, जिन की रुचि हो उन्हें राजनीति में अपनी भूमिका जरूर अदा करनी चाहिए.
दिल्ली में मालती फाउंडेशन चलाने वाली मधु गुप्ता ने बताया, ‘‘हम सभी समाज का हिस्सा हैं और समाज के प्रति हमारी भी कुछ जिम्मेदारियां हैं, इसलिए हमें भी सामाजिक हित में कुछ काम जरूर करने चाहिए.
‘‘दुनिया में हर कोई हमेशा ही सक्षम नहीं रहता है, उसे कभी न कभी मदद की भी जरूरत पड़ती है और हमारा सभी का समाज में रहते हुए यह फर्ज बनता है कि हम दूसरों की मदद के लिए आगे आएं. यह मदद हम अपनी हैसियत के मुताबिक किसी भी रूप में कर सकते हैं, बस करने का जज्बा होना चाहिए.
‘‘मेरा मानना है कि राजनीति से जुड़ कर भी हम समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभा सकते हैं, अपने आसपड़ोस में फैली समस्याओं का आप राजनीति से जुड़ कर जल्दी निदान कर सकते हैं. वैसे भी हम सब समाज सुधारने या देश सुधारने की उम्मीद दूसरों से ही करते हैं, खुद क्यों नहीं करते? मेरी मानें तो राजनीति भी एक तरह की समाजसेवा ही है.
‘‘मैं एक गृहिणी हूं और राजनीति में भी सक्रिय हूं. 2 छोटे बच्चों की मां होने पर मेरे लिए यह सब करना बेहद चुनौतीभरा है, पर समाजसेवा मन को सुकून देती है, इसीलिए कभी पीछे नहीं हटती. मैं बस यही कहना चाहती हूं कि हर इंसान को समाजसेवा या राजनीति से जरूर जुड़ना चाहिए.’’
उत्तराखंड राज्य अलग बनने के बाद वहां के पहाड़ी जनपदों से बेतहाशा पलायन को देखते हुए साल 2016 में ‘पलायन : एक चिंतन समूह’ बनाया गया. इस समूह का मकसद पलायन से प्रभावित गांवों का दौरा कर वहां के हालात का जायजा लेना, पलायन की वजहों की तह में जाना व इसे रोकने के उपाय ढूंढ़ना था.
पहाड़ में पर्यटन के जमीनी विशेषज्ञ रतन सिंह असवाल की अगुआई में इस समूह द्वारा उत्तराखंड में पलायन से सब से ज्यादा प्रभावित पौड़ी जनपद के हैडक्वार्टर में एक विचारगोष्ठी व कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिस में बड़ी तादाद में प्रवासियों के साथ विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने पलायन की वजहों व इसे कम करने के उपायों पर चर्चा की.
साल 2018 में इस संस्था की मुहिम द्वारा पौड़ी जनपद की नयारघाटी के शीला बांघाट गांव में 8 हैक्टेयर बंजर जमीन को आबाद कर वहां पर्वतीय खेतीबाड़ी और आजीविका उन्नयन केंद्र बना कर खेती शुरू की गई, साथ ही वहां नदी किनारे कैंप गोल्डनमहाशीर की शुरुआत कर खेती के साथ पर्यटन से आजीविका के मौके पैदा करने की पहल की गई.
इस समूह द्वारा खेती के साथ पर्यटन की गतिविधियों से पहाड़ पर बदलाव आने के बाद उत्तराखंड सरकार द्वारा 19 से 22 नवंबर तक नयारघाटी के बिलखेत में ‘प्रथम नयारघाटी साहसिक खेल महोत्सव’ का आयोजन किया गया.
रतन सिंह असवाल का मानना है, ‘‘मेरे लिए यह समाजसेवा, नहीं बल्कि एक मिशन है. पहाड़ से लोगों के पलायन के बाद नई पीढ़ी अपनी जड़ों से कट गई है, पहाड़ी रीतिरिवाजों को भूल गई है. इस से उत्तराखंड को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है.
‘‘हमारी संस्था ‘पलायन : एक चिंतन समूह’ नौजवानों को पहाड़ पर रोजगार दिलाने की कोशिश कर रहा है. यहां पर पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं और हम इसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.’’
सच है कि समाजसेवा एक माने में किसी मिशन से कम नहीं है. अगर आप छोटे स्तर पर भी किसी जरूरतमंद की मदद करते हैं तो खुशी तो बढ़ी ही मिलती है.
बहुत से लोगों ने समाजसेवा और राजनीति का नाम ले कर अपना निजी फायदा भी उठाया है. ऐसे लोगों के झांसे में न आएं और न ही दूसरों की मदद करने के जज्बे को कम होने दें.