जज्बा होता है कुछ करगुजरने का, यों ही नहीं लोग मिसाल बनते हैं यह शेर एक ऐसे किसान पर सही बैठता है, जिस ने कृषि के क्षेत्र में मिसाल कायम की है. 10वीं क्लास तक पढ़े बनारस के किसान जय प्रकाश सिंह ने बीजों की सैकड़ों तरह की उन्नत किस्मों की प्रजातियां विकसित की हैं.

प्रगतिशील किसान जय प्रकाश सिंह के बेटे सुभाष सिंह ने बताया कि उन के पिता 10वीं क्लास में फेल हो गए, तो उन्हें लगा कि अब क्या किया जाए? तब उन्होंने फैसला किया कि किसान हूं तो क्यों न किसानी में हाथ आजमाऊं, कुछ नया करूं. यही सोच कर उन्होंने बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया और लग गए बीजों को विकसित करने के काम में. जय प्रकाश सिंह ने बताया कि उन्होंने अब तक गेहूं की 120 प्रजातियां, अरहर की 60 और धान की लगभग सैकड़ों प्रजातियां ढूंढ़ निकाली हैं.

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राष्ट्रपति के हाथों 2 बार सम्मानित किसान जय प्रकाश सिंह बनारसइलाहाबाद रोड पर स्थित राजा तालाब के पास टडियां गांव के रहने वाले हैं. उन के पास कोई कृषि डिगरी नहीं होते हुए भी वे एक तरह से किसान वैज्ञानिक बन गए हैं. उन्हें कई राज्य सरकारों ने भी सम्मानित किया है. उन्होंने बीज चुनने का काम पारंपरिक तरीके से किया. इस काम में उन के बुजुर्गों का तजरबा भी काम आया. इस समय किसानों की आय दोगुनी करने वाली सरकार द्वारा बनाई गई 37 सदस्यों की कमेटी के एक सदस्य जेपी सिंह ने बताया कि वे उत्तर प्रदेश के बीज प्रमाणीकरण बोर्ड में शोध सलाहकार के तौर पर भी काम कर चुके हैं. अरहर की किस्में अरहर की 60 किस्मों में से एमपी 09 किस्म अरहर बीज को एक बार बो देने से अगले 2-3 साल तक उस से अरहर और जानवरों के लिए चारा मिल सकता है. 1 एकड़ के लिए 2 किलोग्राम बीज लगता है और अधिक उत्पादन मिलता है.

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