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स्वस्थ गाय-भैंस पालन हेतु सलाह

लेखक- डा. बीएस मीणा, मोहन लाल जाट, डा. बच्चू सिंह, मुकेश चौधरी एवं रूप सिंह

गरमी का मौसम शुरू होने के चलते लगातार तापमान बढ़ रहा है. इस हालत में पशुओं को गरमी से बचाने के लिए पर्याप्त मात्रा में संतुलित भोजन की जरूरत होती है. गरमी से बचाव के लिए गायभैंस का खास ध्यान रखने की जरूरत है. गरमियों में पशुओं काआवास प्रबंधन भीतरी व बाहरी परजीवियों से बचाव के लिए कृमिनाशक दवा का प्रयोग करें. पशुओं को खुरपका, मुंहपका, गलघोंटू और लंगड़ी ज्वर से बचाव के लिए टीका लगवाएं. पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन बी और सैलेनियम सप्लीमैंट दें. पशु बीमार हो तो सेहतमंद पशु से तुरंत अलग कर देखरेख करें.

जरूरत पड़ने पर नजदीकी पशु डाक्टर से संपर्क करें. पशुओं का बीमा जरूर करवा लें. गाय व भैंस को प्रतिदिन नहलाएं, पशुओं को बाहर न निकालें और न पशुओं के साथ यातायात करें. साफ और ताजा पानी भरपूर मात्रा में दें, जिस से पशुओं की सारी शारीरिक प्रक्रिया अच्छी तरह से चले और दुग्ध उत्पादन में किसी प्रकार की कमी न हो.संतुलित आहारपशुओं को हरा चारा के साथ सूखा चारा मिला कर खिलाएं.

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पौष्टिकता बढ़ाने के लिए गेहूं के भूसे को यूरिया से उपचारित करें (100 किलोग्राम भूसे को उपचारित करने के लिए 4 किलोग्राम यूरिया को 40 लिटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें.) पशुओं के संतुलित आहार में 50 ग्राम मिनरल पाउडर व 20 ग्राम नमक रोजाना दें.पशु ब्याने के 2 घंटे के अंदर नवजात बछड़े व बछिया को खीस जरूर पिलाएं. इस से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.

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दुधारू पशुओं को ढाई लिटर दूध उत्पादन पर एक किलोग्राम मिश्रित दाना देना चाहिए. गायभैंसों के 7 माह के गर्भकाल के बाद उस की खुराक के अलावा 1 से सवा किलोग्राम दाना उस की रोज की जरूरत के अलावा देना चाहिए, क्योंकि इन आखिरी महीनों में भ्रूण का तेजी से विकास होता है.किसान घर पर इस प्रकार पशुओं के लिए संतुलित आहार बना सकते हैं. नीचे बौक्स में दिऐ गए किसी भी एक तरीके से यह दाना मिश्रण बनाया जा सकता है, परंतु यह इस पर भी निर्भर करता है कि कौन सी चीज सस्ती व आसानी से उपलब्ध है.

 

Mother’s Day 2022: भावनाओं के साथी- भाग 2

‘‘कुछ समय बाद छोटा बेटा भी कंपनी की तरफ से अमेरिका चला गया. जाते वक्त उस ने अपनी मां से कहा कि वह उस के लिए अपनी मनपसंद लड़की खोज कर रखे. 1 साल बाद जब वह भारत लौटेगा तो शादी करेगा.

‘‘पर वह अमेरिका के माहौल में इतना रचाबसा कि वहां ही स्थायी रूप से रहने का निर्णय ले लिया और वहां की नागरिकता प्राप्त करने के लिए एक अमेरिकी लड़की से विवाह कर लिया.

‘‘केसर के सारे अरमान धूलधूसरित हो गए. वह बिलकुल खामोश रही और एकदम जड़वत हो गई. बस, अकेले ही अंदर ही अंदर वेदना के आसव को पीती रही. नतीजा यह हुआ कि वह बीमार पड़ गई और फिर एक दिन मुझे अपनी यादों के सहारे छोड़ कर इस संसार से विदा हो गई.’’

यह कहतेकहते नवीनजी की आवाज भर्रा गई. जानकी की आंखों की कोर भी गीली होने लगी. वे भीगे कंठ से बोलीं, ‘‘न जाने क्यों बच्चे अपने मांबाप के सपनों की समाधि पर ही अपने प्रेम का महल बनाना चाहते हैं?’’ फिर वे रसोईघर की तरफ मुड़ते हुए बोलीं, ‘‘मैं अभी आप के लिए मसाले वाली चाय बना कर लाती हूं. मूंग की दाल सुबह ही भिगो कर रखी थी. आप मेरे हाथ के बने चीले खा कर बताइएगा कि केसरजी के हाथों जैसा स्वाद है या नहीं.’’

नवीनजी के उदास मुख पर मुसकान की क्षीण रेखा उभर आई.

थोड़ी ही देर में जानकी गरमगरम चाय व चीले ले कर आ गईं. चाय का एक घूंट पीते ही नवीनजी बोले, ‘‘चाय तो बहुत लाजवाब बनी है, सचमुच मजा आ गया. कौनकौन से मसाले डाले हैं आप ने इस में. मुझे भी बनाना सिखाइएगा.’’

जानकी ने उत्तर दिया, ‘‘दरअसल, यह चाय मेरे पति शरदजी को बेहद पसंद थी. मैं खुद अपने हाथों से कूट कर यह मसाला तैयार करती थी. बाजार का रेडीमेड मसाला उन्हें पसंद नहीं आता था.’’

 

अपने पति का जिक्र करतेकरते जानकी की भावनाओं की सरिता बहने लगी. वे भावातिरेक हो कर बोलीं, ‘‘शरदजी और मुझ में आपसी समझ बहुत अच्छी थी. प्रतिकूल परिस्थितियों में सदैव उन्होंने मुझे संबल प्रदान किया. हम ने अपने दांपत्यरूपी वस्त्र को प्यार व विश्वास के सूईधागे से सिला था. पर नियति को हमारा यह सुख रास नहीं आया और मात्र 35 वर्ष की आयु में उन का निधन हो गया. तब नकुल 7 वर्ष का और नीला 5 वर्ष की थी. मैं ने अपने बच्चों को पिता का अभाव कभी नहीं खलने दिया. उन्हें लाड़प्यार करते समय मैं उन की मां थी व उन्हें अनुशासित करते समय एक पिता की भूमिका निभाती थी.

‘‘नकुल एक बैंक में अधिकारी है. उस की पत्नी लतिका एक कालेज में लैक्चरर है. नीला के पति विवेकजी इंजीनियर हैं. वे लोग भी इसी शहर में ही हैं. उन की एक बेटी भी है.

‘‘सेवानिवृत्त होने के बाद मैं फ्री थी. इसलिए जब कभी जरूरत पड़ती, नकुल और नीला मुझे बुलाते थे. पर बाद में काम निकल जाने के बाद उन दोनों के व्यवहार से मुझे स्वार्थ की गंध आने लगती थी. मैं मन को समझा कर तसल्ली देती थी कि यह मेरा कोरा भ्रम है पर सचाई तो कभी न कभी प्रकट हो ही जाती है.

‘‘बात उस समय की है जब लतिका दोबारा गर्भवती थी. तब मुझे उन लोगों के यहां कुछ माह रुकना पड़ा था. एक दिन नकुल मुझ से लाड़भरे स्वर में बोला, ‘मम्मी, आप के हाथ का बना मूंग की दाल का हलवा खाए बहुत दिन हो गए. लतिका को तो बनाना ही नहीं आता.’

‘‘मैं ने उत्साहित हो कर अगले ही दिन पीठी को धीमीधीमी आंच पर भून कर बड़े ही मनोयोग से हलवा तैयार किया. भले ही रात को हाथदर्द से परेशान रही. अब तो नकुल खाने में नित नई फरमाइशें करता और मैं पुत्रप्रेम में रोज ही सुस्वादु व्यंजन तैयार करती. बेटेबहू तारीफों की झड़ी लगा देते. पर मुझे पता नहीं था मेरे बेटेबहू प्रशंसा का शहद चटाचटा कर मेरा देहदोहन कर रहे हैं. एक दिन रात को मैं दही जमाना भूल गई. अचानक मेरी नींद खुली तो मुझे याद आया और मैं किचन की तरफ जाने लगी तो बहू की आवाज मेरे कानों में पड़ी, ‘सुनो जी, यदि मम्मी हमेशा के लिए यहीं रह जाएं तो कितना अच्छा रहे. मुझे कालेज से लौटने पर बढि़या गरमगरम खाना तैयार मिलेगा. कभी दावत देनी हो तो होटल से खाना नहीं मंगाना पड़ेगा और बच्चों की भी देखभाल होती रहेगी.’

‘‘‘बात तो तुम्हारी बिलकुल ठीक है पर 2 कमरों के इस छोटे से फ्लैट में असुविधा होगी,’ नकुल ने राय प्रकट की.

‘‘बहू ने बड़ी ही चालाकीभरे स्वर में जवाब दिया, ‘इस का उपाय भी मैं ने सोच लिया है. यदि मम्मीजी विदिशा का घर बेच दें और आप बैंक से कुछ लोन ले लें तो 3 कमरों का हम खुद का फ्लैट खरीद सकते हैं.’’

‘‘नकुल ने मुसकराते हुए कहा, ‘तुम्हारे दिमाग की तो दाद देनी पड़ेगी. मैं उचित मौका देख कर मम्मी से बात करूंगा.’

‘‘बेटेबहू का स्वार्थ मेरे सामने बेपरदा हो चुका था. मैं सोचने लगी कि अधन होने के बाद कहीं मैं अनिकेतन भी न हो जाऊं. बस, 2 दिन बाद ही मैं विदिशा लौट आई. नीला का भी कमोबेश यही हाल था. उस की भी गिद्ध दृष्टि मेरे मकान पर थी.

‘‘नवीनजी, मैं काफी अर्थाभाव से गुजर रही हूं. मैं ने बच्चों को पढ़ाया. नीला की शादी की. यह मकान मेरे पति ने बड़े ही चाव से बनवाया था. तब जमीन सस्ती थी. जब उन की मृत्यु हुई, मकान का कुछ काम बाकी था. मैं ने आर्थिक कठिनाइयों से गुजरते हुए जैसेतैसे इस को पूरा किया. अभी बीमार हुई तो काफी खर्च हो गया. मैं सोचती हूं कि कुछ ट्यूशंस ही कर लूं. मैं एक स्कूल में हायर सैकंडरी क्लास की कैमिस्ट्री की शिक्षिका थी.’’

नवीनजी ने जानकी की बात का समर्थन करते हुए कहा, ‘‘आप शुरू से ही शिक्षण व्यवसाय से जुड़ी हैं इसलिए इस से बेहतर विकल्प और कुछ नहीं हो सकता,’’ फिर कुछ सोचते हुए बोले, ‘‘क्यों न हम एक कोचिंग सैंटर खोल लें. मैं एक कालेज में गणित का प्रोफैसर था. मेरे एक मित्र हैं किशोर शर्मा. वे उसी कालेज में फिजिक्स के प्रोफैसर थे. वे मेरे पड़ोसी भी हैं. उन की भी रुचि इस में है. हम लोगों के समय का सदुपयोग हो जाएगा और आप को सहयोग. हां, हम इस का नाम रखेंगे, जानकी कोचिंग सैंटर क्योंकि इस में हम तीनों का नाम समाहित होगा.’’

जानकी उत्साह से भर गई और बोलीं, ‘‘2-3 विद्यालयों के पिं्रसिपल से मेरी पहचान है. मैं कल ही उन से मिलूंगी और विद्यालयों के नोटिसबोर्डों पर विज्ञापन लगवा दूंगी.’’

किशोरजी भी सहर्ष तैयार हो गए और जल्दी ही उन लोगों की सोच ने साकार रूप ले लिया. अब तो नवीनजी रोज ही जानकी के यहां आनेजाने लगे. कभी कुछ प्लानिंग तो कभी कुछ विचारविमर्श के लिए. वे काफी देर वहां रुकते. वैसे भी कोचिंग क्लासेज जानकी के घर में ही लगती थीं.

किशोरजी क्लास ले कर घर चले जाते क्योंकि उन की पत्नी घर में अकेली थीं. रोजरोज के सान्निध्य से उन लोगों के दिलों में आकर्षण के अंकुर फूटने लगे. वर्षों से सोई हुई कामनाएं करवट लेने लगीं व हृदय के बंद कपाटों पर दस्तक देने लगीं. जज्बातों के ज्वार उफनने लगे. आखिर उन्होंने एक ही जीवननौका पर सवार हो कर हमसफर बनने का निर्णय ले लिया.

ऐसी बातें भी भला कहीं छिपती हैं. महल्ले वाले पीठ पीछे जानकी और नवीनजी का मजाक उड़ाते व खूब रस लेले कर उलटीसीधी बातें करते. फिर ऐसी खबरों के तो पंख होते हैं. उड़तेउड़ते ये खबर नकुल और नीला के कानों में भी पड़ी. एक दिन वे दोनों गुस्से से दनदनाते हुए आए और जानकी के ऊपर बरस पड़े, ‘‘मम्मी, हम लोग क्या सुन रहे हैं? आप को इस उम्र में ब्याह रचाने की क्या सूझी? हमारी तो नाक ही कट जाएगी. क्या आप ने कभी सोचा है कि हमारा समाज व रिश्तेदार क्या कहेंगे?’’

जानकी ने तनिक भी विचलित न होते हुए पलटवार करते हुए उत्तर दिया, ‘‘और तुम लोगों ने कभी सोचा है कि मैं भी हाड़मांस से बनी, संवेदनाओं से भरी जीतीजागती स्त्री हूं. मेरी भी शिराओं में स्पंदन होता है. जिंदगी की मधुर धुनों के बीच क्या तुम लोगों ने कभी सोचा है कि अकेलेपन का सन्नाटा कितना चुभता है? बेटे, बुढ़ापा तो उस वृक्ष की भांति होता है जो भले ही ऊपर से हरा न दिखाई दे पर उस के तने में नमी विद्यमान रहती है. यदि उस की जड़ों को प्यार के पानी से सींचा जाए तो उस में भी अरमानों की कलियां चटख सकती हैं.

मदर्स डे स्पेशल : बेटा मेरा है तुम्हारा नहीं – भाग 2

उस साल मैं ने भी उसी कालेज में नयानया ऐडिमिशन लिया था जिस में अखिल था. लेकिन मुझे नहीं पता था कि वह मेरी ही सोसायटी में रहता है, क्योंकि पहले कभी मैं ने उसे देखा नहीं था. एक दिन औटो के इंतजार में मैं कालेज के बाहर खड़ी थी कि सामने से आ कर वह कहने लगा कि अगर मैं चाहूं तो वह मुझे मेरे घर तक छोड़ सकता है. जब मैं ने उसे घूरा, तो कहने लगा. ‘डरो मत, मैं तुम्हारी ही सोसायटी में रहता हूं. तुम वर्मा अंकल की बेटी हो न?’ फिर वह अपने बारे में बताने लगा कि वह उदयपुर में अपने चाचा के घर में रह कर पढ़ाई करता था. लेकिन अब वह यहां आ गया.

इस तरह एकदो बार मैं उस के साथ आईगई. लेकिन मैं ने कभी उस के बारे में ज्यादा जानना नहीं चाहा. वही अपने और अपने परिवार के बारे में कुछ न कुछ बताता रहता था. उस ने ही बताया था कि उस के चाचाचाची का कोई बच्चा नहीं है, इसलिए वह उन के साथ रहता था. लेकिन उस की चाची बड़ी खड़ूस औरत है, इसलिए अब वह हमेशा के लिए अपने मांपापा के पास आ गया. खैर, अब हम अच्छे दोस्त बन गए थे. एक बार मैं उस के घर भी गई थी नोट्स के लिए तब उस के परिवार से भी मिली थी. अखिल के अलावा उस के घर में उस के मांपापा और एक छोटी बहन थी जिस का नाम रीनल था.

एक ही कालेज में पढ़ने के कारण अकसर हम पढ़ाई को ले कर मिलने लगे. इसी मिलनेमिलाने में कब हम दोनों के बीच प्यार का अंकुर फूट पड़ा, हमें पता ही नहीं चला. अब हम रोज किसी न किसी बहाने मिलने लगे. और इस तरह से हमारा प्यार 3 वर्षों तक निर्बाध रूप से चलता रहा. लेकिन कहते हैं न, इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते कभी.

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एक दिन मेरी अंचला दीदी को हमारे प्यार की खबर लग ही गई और मजबूरन मुझे उन्हें सबकुछ बताना पड़ा. पहले तो उन्होंने मुझे कस कर डांट लगाई, कहा कि मैं कालेज में पढ़ने जाती हूं या इश्क फरमाने? फिर वे पूछने लगीं कि क्या हम शादी करना चाहते हैं या यों ही टाइम पास? ‘नहीं दीदी, हम प्यार करते हैं और शादी भी करना चाहते हैं’ मैं ने कहा, दीदी बोलीं, ‘पर क्या उस के मातापिता इस रिश्ते को मानेंगे?’

‘भले ही उस के मातापिता न मानें, पर हम तो एकदूसरे से प्यार करते हैं न, दीदी’, दीदी का हाथ अपने हाथों में ले कर बड़े विश्वास के साथ मैं ने कहा था, ‘दीदी, अखिल मुझ से बहुत प्यार करता है, कहता है, अगर मैं उसे न मिली तो वह मर जाएगा. इसलिए हम ने चुपकेचुपके सगाई भी कर ली, दीदी.’ सगाई की बात सुन कर दीदी चुप हो गईं. लेकिन फिर इतना ही कहा कि बता तो देती हमें. लेकिन यह बात मैं उन्हें बता नहीं पाई कि हमारे बीच शारीरिक संबंध भी बन चुके हैं. जब भी अखिल मेरे समीप आता, मैं खुद को उसे समर्पित करने से रोक नहीं पाती थी. क्योंकि मैं जानती थी हम एकनएक दिन एक होंगे ही और अखिल भी तो यही कहता था. अब जब भी मुझे अखिल से मिलने जाना होता, दीदी साथ देतीं. पूछने पर बता देतीं मांपापा को कि उन के घर पर ही हूं. इस तरह हमारा मिलना और भी आसान हो गया.

इधर कुछ दिनों से मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी. कुछ खातीपीती तो उलटी जैसा मन करता. कमजोरी भी बहुत महसूस हो रही थी. शंका हुई कि कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं है? मेरी शंका जायज थी. रिपोर्ट पौजिटिव आई और मैं नैगेटिविटी से घिर गई. मन में अजीबअजीब तरह के विचार आने लगे. कभी लगता दीदी को बता दूं, कभी लगता नहीं और फिर दीदी तो मां को बता ही देंगी. इतनी बड़ी बात छिपाएंगी नहीं. और मां तो मुझे मार ही डालेंगी. लेकिन अब चारा भी क्या था.

सुनते ही दीदी तिलमिला उठीं, गरजते हुए बोलीं, ‘शादी के पहले यह सब? और अब बता रही है तू मुझे?’

‘पर दीदी, मैं आप को बताने ही वाली थी, लेकिन प्लीज दीदी, प्लीज, आप को मांपापा से हमारी शादी की बात करनी होगी और राजी भी करना होगा उन्हें, नहीं तो…’ कह कर मैं सिसक पड़ी.

‘नहीं तो क्या, जान दे देगी अपनी? ठीक है, मैं देखती हूं’, कह कर वे वहां से चली गईं और मैं फिक्र में पड़ गई कि पता नहीं अब मांपापा कैसे रिऐक्ट करेंगे?

मैं और अखिल एकदूसरे से प्यार करते हैं और हम शादी भी करना चाहते हैं, यह सुन कर मांपापा का हृदय अकस्मात क्रोध से भर उठा. पर जब दीदी ने समझाया उन्हें कि लड़का देखाभाला है और ये एकदूसरे से प्यार करते हैं, तो क्या हर्ज है शादी करवाने में? और सब से बड़ी बात कि शादी के बाद उन की बेटी उन की आंखों के सामने ही रहेगी, तो और क्या चाहिए उन्हें? पहले तो मांपापा ने मौन धारण कर लिया, लेकिन फिर उन्होंने हमारी शादी के लिए अपनी पूर्ण सहमति दे दी. लेकिन दीदी ने उन्हें यह नहीं बताया कि मैं मां बनने वाली हूं. वैसे मैं ने ही मना किया था दीदी को बताने के लिए. नहीं तो मांपापा का मुझ पर से विश्वास उठ जाता और मैं ऐसा नहीं चाहती थी.

लेकिन उधर अखिल के मांपापा अपने बेटे के लिए मुझ जैसी कोई साधारण परिवार की लड़की नहीं, बल्कि कोई पैसे वाले परिवार की बेटी की खोज में थे, जो उन का घर धनदौलत से भर दे. और एक  दिन उन्हें ऐसा परिवार मिल भी गया. उसी शहर के एक बड़े बिजनैसमैन

जब अपनी एकलौती बेटी का रिश्ता ले कर उन के घर आए, तो बिना कुछ सोचेविचारे ही अखिल के मातापिता ने उस रिश्ते के लिए हां कर दी.

लेकिन अखिल ने उस रिश्ते के लिए मना कर दिया, यह कह कर कि वह मुझ से प्यार करता है और शादी भी मुझ से ही करेगा. अखिल की बातें सुन कर पहले तो उस के मातापिता उखड़ गए, लेकिन फिर समझाते हुए बोले कि एक शानदार जीवन जीने के लिए प्यार से ज्यादा पैसों की जरूरत होती है और उस का जो सपना है कि खुद अपना एक पैट्रोल पंप हो, वह इस शादी से पूरा हो सकता है.

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पैसों की चकाचौंध और उस के पूरे होते सपने उसे मुझ से बेमुख करने लगे. अब वह मुझ से कन्नी काटने लगा. जब भी मैं उसे फोन करती, वह मेरा फोन नहीं उठाता और अगर उठाता भी, तो एकदो बातें कर के तुरंत ही रख देता. मुझे तो तब भी यही लग रहा था कि अखिल मुझ से बहुत प्यार करता है.

अखिल के संग शादी को ले कर मेरे सपने बलवती होते जा रहे थे और उस ने ही कहा था कि वह अपने मांपापा को हमारी शादी के लिए मना ही लेगा, किसी न किसी तरह से, इसलिए मैं चिंता न करूं. वह सब तो ठीक है पर मैं अखिल को अपने आने वाले बच्चे के बारे में बताना चाह रही थी. खुशखबरी देना चाहती थी उसे. लेकिन वह तो मेरा फोन ही नहीं उठा रहा था. सो, मैं एक दिन खुद ही उस से मिलने चली गई. जब मैं ने उसे अपने होने वाले बच्चे के बारे में हंसते हुए बताया और कहा कि अब वह जल्द से जल्द अपने मातापिता से हमारी शादी की बात कर ले. तो वह बोला कि वह मुझ से शादी नहीं कर सकता क्योंकि उस की शादी कहीं और तय हो चुकी है.

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Mother’s Day 2022: अब हम समझदार हो गए हैं- भाग 3

चाचा की हूबहू तसवीर मेरे सामने थी. चाचा का अंश सामने खड़ा वही सब कर रहा था जो चाचा ने 30 साल पहले किया था. छाती पर मूंग कैसे दली जाती है कोई इन महापुरुषों से सीखे.

‘‘इस का दिमाग तो खराब है ही, सीमा का दिमाग भी खराब कर दिया इस औरत ने.’’

एक झन्नाटेदार हाथ पड़ा विजय के गाल पर. मेरे पिता बीच में चले आए थे.

‘‘दिमाग तो हम सब का खराब था जो तुम दोनों को इस घर में पैर भी रखने दिया. भाई का खून था जो संभालना पड़ा, जहां तक हिस्से का सवाल है इस परिवार ने सदा दिया है तुम दोनों को, तुम से लिया कुछ नहीं. अपने बाप की तरह दूसरों के कंधों पर पैर रख कर चलना बंद करो. भूल जाओ, तुम्हारे सहारे कोई जीने वाला है. तुम अपना निर्वाह खुद कर लो, उतना ही बहुत है. निकल जाओ इस घर से. न सीमा अपना घर बेचेगी और न ही इस घर में अब तुम्हारा कुछ है,’’ पापा ने सचमुच विजय की अटैची उठा कर बाहर फेंक दी.

‘‘हम ही समझदार नहीं हैं जो बारबार भूल जाते हैं कि किस पर प्यार लुटाना है और किस पर नहीं. तभी निकाल दिया होता तो आज किसी ढाबे पर बरतन मांज रहे होते. लाखों लगा कर तुम्हें पढ़ालिखा दिया यही हमारी बेवकूफी हुई. सच कहा तुम ने बेटा. यह औरत तो जरा सी भी समझदार नहीं है. बेवकूफ है, एक बहुत बड़ी पागल है.’’

‘‘मैं अदालत में जाऊंगा.’’

‘‘तुम सुप्रीम कोर्ट चले जाओ. इस घर में तुम्हारा कुछ नहीं. सीमा को भी मैं ने यहीं बुला लिया है, अपने पास. उस को भी रुलारुला कर मार रहे हो न तुम. जाओ, निकल जाओ.’’

पापा इतना सब जानते हैं, मुझे नहीं पता था. मैं तो सोच रहा था अभीअभी आग धधकी है. नहीं जानता था काफी दिन से जराजरा आग सुलग रही है जो छोटी मां, पापा और सीमा को जला रही है. 10 साल से उसे पाल रही थीं छोटी मां, मेरी सुलेखा चाची. असहाय नजरों से बंद दरवाजा देखने लगीं. मानो बीच चौराहे पर किसी ने चाची को वस्त्रहीन कर दिया हो. विस्फारित नजरों से बारीबारी सब का चेहरा देखने लगीं.

‘‘चलो बेटा, अंदर चलो.’’

पापा ने चाची के कंधे पर हाथ रखा. पत्थर सी सन्न होती चाची चल पड़ीं पापा के साथ. पापा के इशारे पर हम दोनों चाची को उन के कमरे में ले गए. कोई किस से क्या पूछता, एक और रिश्ते का दाहसंस्कार जो अभीअभी हुआ था.

तो यह बात थी. विजय को अपने फ्लैट के लिए खूब सारा पैसा चाहिए.

वह उसे उस की मां दे या भावी पत्नी, उस की मर्दानगी को कोई फर्क नहीं पड़ता.

सुबह तक कोई नहीं सो पाया. तरस आ रहा था हमें चाची पर. रोना रुपए का नहीं था, रोना था ठगे जाने का. विजय के पिता ने विदेश जाने के लिए घर की जमीन तक बिकवा दी थी और बेटा अपना घर बनाने के लिए बचाखुचा रिश्ता भी नोच कर खाना चाहता था.

सुबह आई और अपने साथ एक और सत्य ले कर आई. सीमा का संदेश आया चाची को. उस ने विजय से अपना रिश्ता तोड़ दिया था.

‘‘सुलेखा मौसी. मैं विजय की नीयत समझ नहीं पा रही हूं. ऐसा इंसान जिस की अपनी कोई जड़ ही नहीं, वह कबकब बेल की तरह मुझ से लिपट कर सहारा ही तलाशता रहेगा, कौन जाने. उस के पास न रीढ़ की हड्डी है न रिश्तों की समझ. उस की सोच सिर्फ अपने मतलब तक है.

उस के पार उसे कुछ नजर नहीं आता. ऐसा इंसान जो आप का सम्मान नहीं कर पाया, वह मुझे कब चौराहे का मजाक बना दे, कौन जाने. मैं दूसरी सुलेखा नहीं बनना चाहती. मौसी, मैं यह शादी नहीं करना चाहती. मुझे माफ कर दीजिएगा.’’

‘‘यह तो होना ही था,’’ चाची के होंठों से निकला.

हम डर रहे थे, पता नहीं क्या होगा. सुबहसवेरे चाची उठ भी पाएंगी कि नहीं. मगर सामान्य लगीं मुझे, चाची. नहाधो कर कालेज जाने को तैयार मिलीं. मैं चाय का कप ले कर पास ही आ बैठा था. समझ नहीं पा रहा था कि कैसे चाची से बात शुरू करूं. सीमा का लंबाचौड़ा एसएमएस मेरे हाथ में था और मैं चाची को सुना चुका था.

‘‘तरस आ रहा था मुझे विजय पर. बाप को मरने के लिए यह घर तो नसीब हुआ था. सोच रही हूं रिश्तों के नाम पर इस के पास क्या होगा?’’

चाची के शब्द सदा साफ और सटीक होते हैं. विजय का भविष्य उन्हें साफसाफ दिखाई दे रहा था. चाची टूटी नहीं थीं, यह देख मुझे बड़ा चैन मिला. चाची कालेज के लिए निकल चुकीं और मेरी नजरें उन के कमजोर कंधों से ही चिपकी रहीं देर तक. चाची के शब्द कानों में बजते रहे, ‘रिश्तों के नाम पर विजय के पास कल क्या होगा?’ मैं भी सोचने लगा.

2 दिन बीत गए. शायद विजय ने कानूनी सलाह ले ली होगी. समझ गया होगा कि कानूनी तरीका उसे कुछ नहीं दे सकता. मेरे औफिस चला आया विजय. जरा सा नरम लगा मुझे. दोबारा घर आना चाहता था.

‘‘काठ की हांडी बारबार आग पर नहीं चढ़ाई जा सकती, विजय. जिस औरत ने तुम पर अपने जीवनभर की जमापूंजी लगा दी उसी का तुम ने अपमान कर दिया. सच कहा था तुम ने, वह तुम्हारी लगती भी क्या है. तुम्हारी बकवास इसीलिए सुन ली क्योंकि तुम से प्यार करती थीं वरना तुम ने और तुम्हारे पापा ने इस रिश्ते में कौन सी ईमानदारी रोपी है, जरा सोचो. किस रिश्ते से चाची ने तुम्हें पढ़ायालिखाया, जरा सोचो. चाचा के मरते ही तुम्हें भी धक्के दे कर निकाल देतीं तो आज तुम कहां होते, सोच लो. विश्वास खो दिया है तुम ने हम सब का. शुक्रगुजार होना चाहिए था तुम्हें चाची का जो आज इज्जत की रोटी कमा कर खा सकते हो. अब घर लौटने का सपना बिसार दो. माफ कर दो हमें.’’

सहसा मुझे कुछ याद आया, ‘‘तुम तो अदालत में जाने वाले थे न? क्या पता चला? तुम्हारे पिता के नाम कुछ भी नहीं है. दादाजी ने सब छोटी मां के नाम कर दिया था. समझदार थे न हमारे बुजुर्ग जो उन्हें सब नजर आ गया था. हम तो नासमझ हैं जो संपोले को ही पालते रहे. छोटी मां बेचारी प्यार की आस में ही मारी गईं.

‘‘आज सोचता हूं, वे सच में समझदार नहीं हैं. क्या मिला उन्हें? तुम्हारे पिता को छोड़ कहीं और घर बसा लेतीं तो आज उन की भी भरीपूरी गृहस्थी होती. तुम्हारे पापा ने कभी कुछ डौलर किसी पर बरसाए होंगे तो उस से कहीं ज्यादा उन्होंने हम से पाया भी होगा. तुम्हारे पापा ने भी सिर्फ लूटा है हमें जिस तरह तुम ने. चाची ने सदा अपना कमा कर खाया है.’’

‘‘सोमू भैया, आप मुझे समझने की कोशिश…’’

‘‘अब हम समझदार हो गए हैं, बेटा. तुम्हारी नीयत जान चुके हैं. अब और नहीं.’’

उठ खड़ा हुआ मैं, अब मेरे पास भी विजय को सुनने का समय नहीं था. सदा रिश्तों को भुनाता ही रहे जो इंसान उसे मैं क्यों सुनूं. क्यों भरोसा करूं उस का जो न जाने कब मुझे चौराहे का मजाक बना दे. हाथ के इशारे से चले जाने को कह दिया मैं ने. क्योंकि अब हम सब समझदार हो गए थे.

 

मेरे पति मीडिया में काम करते हैं, एक लड़की उनसे बात करती है क्या करें, मुझे डर लगता है क्या करू?

सवाल

मेरे पति मीडिया चैनल में काम करते हैं. एक लड़की उन्हें रोमांटिक मैसेज भेजती है. पति का कहना है कि वह न लड़की उस की फैन है और उन की उस से कभी बात नहीं हुई. वे मुझे समझाते हैं कि मैं इस ओर से ध्यान हटा दूं लेकिन आजकल मैं उसी लड़की के बारे में सोचती रहती हूं. लगता है जैसे कि वह लड़की मेरे पति को मुझ से दूर कर रही है. मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूं. उन के बिना नहीं रह सकती. क्या करूं कि उन के दिमाग से उस लड़की को निकाल दूं और मेरे पति सिर्फ मेरे हो कर रहें. कोई रास्ता सु झाइए.

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जवाब

इस बात को ध्यान में रखें कि यदि आप का अपने पति से रिश्ता मजबूत है तो कोई तीसरा आप के बीच नहीं आ सकता. आप अपने पति पर बेवजह शक करने, कड़वाहट लाने के बजाय रिश्ते को और मजबूत करने की कोशिश करें. पति को अपना भरपूर प्यार दें. इस बात से आप इनकार नहीं कर सकतीं कि सैक्स पतिपत्नी के बीच रिश्ते को मजबूत बनाता है, सो, पति के साथ भरपूर सैक्स करें. उन के साथ वे सब करें जो उन्हें पसंद है. उन्हें इतना रि झाएं कि जब घर से बाहर जाएं तो वे घर लौटने को बेताब रहें.

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पति को जब आप का इतना साथ मिलेगा तो उन का ध्यान दूसरी लड़की की तरफ जाएगा ही नहीं. इतना सब करने के बावजूद आप को लगे कि वे अब भी उस लड़की में दिलचस्पी ले रहे हैं तो साफसाफ उन से इस बारे में बात करें. मामला आपस में बात करने से ही सुल झेगा.

कोरोना की मार: इस दर्द की दवा नहीं

मुंबई में रहने वाली 52 वर्षीय सुधा को कोविड हो गया, क्योंकि वे काम करने लोकल ट्रेन से दूसरी जगह जाती थी.  एक दिन उसे बुखार आया, तो दवा खा ली और खुद को क्वारंटाइन कर लिया, लेकिन अगले ही दिन 26 साल के भाई दिनेश को बुखार आ गया. भाई कहीं आताजाता नहीं था. उस का काम लौकडाउन की वजह से छूट  गया था. इसलिए भाई के फीवर आते ही सब का आरटीपीसीआर टैस्ट करवाया गया. सभी कोविड पौजिटिव निकलने के बाद उन के  फ्लैट को बृहन्मुंबई महानगरपालिका ने सील कर दिया.

2 दिन बाद  भाई की तबीयत अचानक बिगड़ी. उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी.  सुधा ने एंबुलैंस बुलाने की कोशिश की, कई जगह फोन किए, लेकिन कोई भी अस्पताल ले जाने के लिए तैयार नहीं हुआ.  तकरीबन एक घंटे बाद एक एंबुलैंस आई, जिस में भाई को सुधा खुद अस्पताल ले गई. वहां बैड बड़ी मुश्किल से मिला. 2 दिन बाद ही भाई की मौत कार्डिएक अरेस्ट से हो गई. इस दौरान उस के पिता और मां को भी कोविड ने घेर लिया.  आसपास के लोगों ने बेटे का अंतिम संस्कार करवाया.

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पिता को बेटे की मृत्यु का पता चलते ही हार्टअटैक आ गया. उन्हें भी अस्पताल ले जाया गया, पर उन्हें डाक्टर ने मृत घोषित कर दिया.  एक परिवार के 2 व्यक्ति एक दिन में गुजर गए. मां और बेटी अभी ठीक हैं, लेकिन रोरो कर उन का बुरा हाल हो रहा है. दोनों को कमजोरी बहुत है.  दरअसल, कमाने वाले व्यक्ति के गुजर जाने से पूरा परिवार मुश्किल में पड़ जाता है. इस परिवार ने पिता और बेटे को खोया है.  ऐसा ही कुछ कांदिवली की रहने वाली प्रीति के साथ हुआ. वे रोती हुई कहती हैं कि उन की 53 वर्षीय बहन, बेटा और गर्भवती बहू को कोविड हुआ. बेटा और बहू कुछ ठीक हुए नहीं कि बहन की हालत बिगड़ने लगी.

उन्हें नजदीक के अस्पताल में ले जाया गया. अस्पताल में बेटे को मां के लिए बैड बड़ी मुश्किल से मिला, लेकिन औक्सीजन का इंतजाम करतेकरते मां चल बसी. 2 दिन में बहन ने दम तोड़ दिया.  प्रीति ने इस तरह अपनी बहन और एक बेटे ने कमाऊ मां को खोया है. ऐसे न जाने कितने ही परिवार, घर बरबाद हो गए और बच्चे अनाथ हो गए.  असल में मुंबई जैसे शहर में इन सभी को बीएमसी के दफ्तर में डैथ सर्टिफिकेट, प्रौपर्टी का नाम अपने नाम करवाने के लिए न जाने कितने चक्कर लगाने पड़ेंगे.

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ये किसी को पता नहीं, क्योंकि सरकारी कार्यालयों में कोई काम समय से नहीं होता. हर कोई उस व्यक्ति को एक टेबल से दूसरे टेबल पर भेजता रहता है, दिन के अंत होने तक कोई भी काम का अंजाम व्यक्ति को नहीं मिल पाता. कार्यालयों में घूमने का सिलसिला कब तक जारी रहेगा, यह भी सम झ से परे है.  अब जब कोविड की दूसरी, तीसरी, चौथी न जाने कितनी लहरें आएंगी और हर लहर अपने साथ न जाने कितनों को बहा ले जाएगी, कितने लोग इस लौकडाउन यानी भुखमरी से मरेंगे, उन का हिसाब सरकार तो क्या कोई भी रखने में असमर्थ होगा. शायद इसलिए सरकार मैडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर, टीकाकरण, औक्सीजन आदि के बारे में न सोच कर ‘मेक इन इंडिया’  की धुन में है.

अच्छा ट्रीटमैंट मिल जाता तो बच जाता राहुल वोहरा   35 वर्षीय ऐक्टर और यूट्यूबर राहुल वोहरा की 9 मई को कोरोना की वजह से दिल्ली के अस्पताल में मौत हो गई. राहुल वोहरा ने अंतिम सांस लेने से एक दिन पहले यानी 8 मई को फेसबुक पर लिखा था कि अगर उन्हें अच्छा ट्रीटमैंट मिल जाता, तो वे बच जाते. उन का यह दर्दभरा मैसेज उन की मौत के बाद काफी वायरल हो रहा है.

राहुल वोहरा की पत्नी ज्योति तिवारी ने इलाज में लापरवाही को उस की मौत का जिम्मेदार ठहराया है. ज्योति ने अस्पताल से राहुल का आखिरी वीडियो शेयर किया है, जिस में वे औक्सीजन के बिना हांफते हुए दिख रहे हैं और बता रहे हैं कि कैसे डाक्टर उन्हें खाली औक्सीजन मास्क पहना कर चले गए और कोई उन की पुकार सुनने वाला भी नहीं. मास्क में बारबार पानी आ जाता है. नर्स वगैरह को बुलाने पर वह 2 मिनट की बात कह कर डेढ़दो घंटे में आते हैं.

राहुल का राजीव गांधी सुपर स्पैशलिटी अस्पताल, ताहिरपुर, दिल्ली में इलाज चल रहा था. राहुल और ज्योति की शादी 6 महीने पहले दिसंबर 2020 में हुई थी. ज्योति ने इंस्टाग्राम पर एक नोट शेयर किया, जिस में उन्होंने लिखा कि राहुल बहुत सारे सपने अधूरे छोड़ कर चले गए. उन्हें इंडस्ट्री में अच्छा काम करना था. खुद को साबित करना था, पर वह सबकुछ अधूरा रह जाएगा. इस हत्या के जिम्मेदार वे लोग हैं, जिन्होंने मेरे राहुल को तड़पते हुए देखा और हमें उन की  झूठी अपडेट देते रहे.

 

कोरोना काल में अनाथ बच्चों के नाथ बने योगी आदित्यनाथ

लखनऊ . उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ महामारी के समय एक ओर प्रदेशवासियों को कोरोना के प्रकोप से बचा रहे हैं तो दूसरी कठिन समय में अपनों के दूर चले जाने से मायूस बच्चों के लिए भी संवेदनशील हैं. कोरोना संक्रमण की चपेट में आए माता – पिता के बच्चे जो

18 साल से कम आयु वर्ग के हैं उनकी सुरक्षा, संरक्षण और पुनर्वास के लिए योगी सरकार प्रतिबद्ध है. कई बार सीएम योगी आदित्यनाथ का वात्सल्य रूप सभी को देखने को मिला है. ऐसे में योगी सरकार जल्द ही प्रदेश में एक नई कार्ययोजना पर काम कर रही है. जिससे सीधे तौर पर प्रदेश के ऐसे बच्चों को राहत मिलेगी जिन्होंने कोरोना काल में अपनों को खो दिया है.

प्रदेश में 555 ऐसे बच्चों को किया गया चिन्हित

महिला कल्याण विभाग के निदेशक मनोज कुमार राय ने बताया की प्रदेश में अब तक ऐसे करीबन 555 बच्चों को चिन्हित किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि महिला कल्याण विभाग ने प्रदेश के सभी जनपदों के डीएम को ऐसे सभी बच्चों की सूची तैयार कर भेजने के आदेश दिए हैं. जिससे ऐसे सभी बच्चों के संबंध में सूचनायें संबंधित विभागों, जिला प्रशासन को पूर्व से प्राप्त सूचनाओं, चाइल्ड लाइन, विशेष किशोर पुलिस इकाई, गैर सरकारी संगठनों, ब्लाॅक तथा ग्राम बाल संरक्षण समितियों, कोविड रोकथाम के लिए विभिन्न स्तरों पर गठित निगरानी समितियों और अन्य बाल संरक्षण हितधारकों के सहयोग व समन्वय किया जा रहा है.

सीएम जल्द देंगे इन बच्चों को बड़ा तोहफा

कोरोना काल में अपने माता पिता को खो चुके बच्चों के भरण पोषण, आर्थिक ,शिक्षा, काउंसलिंग, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी सहायता राज्य सरकार करेगी. ऐसे में एक बड़ी कार्य योजना के तहत सीएम ने महिला एवम बाल विकास को निर्देश जारी किए हैं. महिला कल्याण विभाग की ओर से जिसका प्रस्ताव तैयार कर सीएम योगी आदित्यनाथ को भेजा गया है.

Ye Rishta Kya Kehlata Hai : सीरत की शादी में होगी रणवीर के पिता की धमाकेदार एंट्री

स्टाप प्लस का पसंदीदा शो ये रिश्ता क्या कहलाता है में इन दिनों सीरत और रणवीर के शादी की तैयारियां चल रही हैं. जहां कार्तिक ने वादा किया है कि वह दोनों की शादी करा के मानेंगा. इस सीरियल में अब बहुच बड़ा ट्विस्ट आने वाला है.

अभी तक आपने देखा है कि सीरत गोयनका हाउस पूजा के लिए जाएंगी, जहां कार्तिक और रणवीर के एक्सीडेंट की खबर को सुनकर वह डर जाती हैं. कार्तिक के एक्सीडेंट होने के बाद सीरत उसका पूरा ख्याल रखती है जहां उसे एहसास होता है कि वह कार्तिक के करीब आने लगी है.

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कार्तिक दर्द से उबरने के बाद तैयारियों में जुट जाता है. क्योंकि उसने वादा किया होता है कि वह सीरत और रणवीर की शादी जरुर करवाएगा. इसी बीच मनीष कार्तिक को अपने पार्टनर से मिलवाने ले जाता है मनीष का पार्टनर कोई और नहीं रणवीर के पिता नरेंद्र नाथ चौहान हैं.

 

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अब इस सीरियल में नरेंद्र नाथ की वजह से सीरियल में भूचाल आने वाला है. इस सीरियल में आप आगे देखेंगे कि नरेंद्र नाथ के आने से पहले कार्तिक चला जाएगा. मीटिंग के दौरान मनीष नरेंद्र नाथ को शादी का न्योता देंगे जहां वहा आने के लिए तैयार हो जाएंगे.

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हालांकि इस बात की जानकारी रणवीर को नहीं है कि नरेंद्र नाथ चौहान शादी में बुलाए गए हैं, लेकिन जब वह आएंगे तो शादी में फिर से भूचाल आ जाएगा, क्योंकि एक बार रणवीर और सीरत नरेंद्र नाथ की वजह से अलग हो चुके हैं. देखते हैं इस बार शादी में अंजाम क्या होगा.

Shehnaaz Gill के फैंस ने लगाई ऑल्ट बालाजी की क्लास तो मांगनी पड़ी माफी, जानें पूरा मामला

शहनाज गिल का नाम इंडस्ट्री के सबसे पसंदीदा कलाकोरों के लिस्ट में आता है. कुछ लोग इन्हें पंजाब की कैटरीना कैफ के नाम से भी जानते हैं. शहनाज बिग बॉस 13 से ज्यादा पॉपुलर हुईं हैं. इस शो में इन्हें काफी ज्यादा लोकप्रियता मिली.

बिग बॉस 13 में सिद्धार्थ शुक्ला और शहनाज गिल की जोड़ी  को लोग देखना खूब पसंद करते थें, आज भी ये दोनों सोशल मीडिया पर ट्रेंड करते रहते हैं. हाल ही में सिद्धार्थ शुक्ला और सोनिया राठी के ‘ब्रोकन बट ब्यूटीफूल 3’ सीरीज का ट्रेलर लॉंच हुआ है. ऐसे में शहनाज गिल अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर लाइव आकर सभी फैंस से रिक्वेस्ट कर रही थी कि प्लीज इस सीरीज को जरुर देखें.

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इसी बीच ऑल्ट बाला जी के ट्विटर हैंडल से कुछ आपत्तिजनक ट्विट आएं. इतना ही नहीं उन लोगों ने शहनाज गिल को ट्रोल करने की पूरी कोशिश की. गंदें कमेंट भी किए हैं. इस पोस्ट पर शहनाज के फैंस ने नाराजगी जताते हुए माफी मांगने की बात कही.

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वहीं शहनाज गिल के फैंस ने #shamonbalaji  का ट्विटर पर ट्रेंड कर दिया. इसके बाद ऑल्ट बाला जी ने शहनाज गिल से माफी मांगते हुए कहा कि यह घटना गलती से हुआ है. हमारा कोई इरादा नहीं था शहनाज गिल को नुकसान पहुंचाने का.

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जिसके बाद शहनाज गिल के फैंस को तस्सली मिली . बावजूद इसके शहनाज गिल ने अभी तक कोई रिएक्शन नहीं दिया है. वहीं फैंस सिद्धार्थ और शहनाज को एक होते देखना चाहते हैं हालांकि अभी तक इन दोनों ने कोई बात नहीं कही है.

कोरोना काल में बिखरते परिवारों को जोड़ेगा राज्य महिला आयोग

लखनऊ. कोरोना महामारी के बीच राज्य महिला आयोग यूपी के विभिन्न जनपदों से आने वाले दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, महिलाओं के साथ छेड़छाड़, दुराचार के मामलों का निस्तारण करा रहा है. कोरोना काल में ही ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें पारिवारिक कलह से टूटते परिवारों को वापास जोड़ने का काम आयोग की सदस्यों ने पूरी संजीदगी के साथ किया है. राज्य महिला आयोग ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पीड़ित महिलाओं की शिकायतों के निस्तारण के लिये ऑनलाइन सेवा की शुरुआत की है. तो पति-पत्नी, बेटा-बहू के बीच रिश्तों में आई कड़वाहट को भी दूर करने का काम निरंतर जारी है.

कोरोना काल में 15 मार्च  से 17 मई  तक राज्य महिला आयोग ने यूपी के विभिन्न जनपदों से आई 6258 शिकायतों पर सुनवाई की है. इनमें से 3204 महिलाओं को न्याय दिलाया जा चुका है. जबकि 3054 शिकायतों पर कार्रवाई कर जल्द निस्तारित करने में आयोग के सदस्य जुटे हैं. इसके अलावा लखनऊ और अन्य जिलों से सदस्यों के मोबाइल पर आने वाली शिकायतों का रोज संज्ञान लिया जा रहा है. जिन जिलों से शिकायतें आयोग की सदस्यों के पास आ रही हैं वहां के संबंधित अधिकारियों से बात कर मामलों का निस्तारित कराया जा रहा है. उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्य सुनीता बंसल बताती हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों पर कोरोना काल में यूपी में पीड़ित महिलाओं को न्याय मिल रहा है. आयोग की सभी 25 सदस्य इस काम में दिन- रात जुटीं हैं. गौरतलब है कि योगी सरकार महिलाओं की सुरक्षा और उन्हें समाज में बराबरी का दर्ज दिलाने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है. इनसे निरंतर पीड़ित महिलाओं को न्याय मिलना संभव हुआ है.

यूपी में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में आ रही कमी

कोरोना महामारी के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उत्तर प्रदेश की महिलाओं को घर बैठे न्याय दिलाने की पहल राज्य महिला आयोग ने की है. पीड़ित महिलाओं को मिल रहे न्याय के कारण उनपर होने वाले अपराधों की संख्या काफी घटी है. महिला आयोग की अध्यक्ष और सदस्य जमीनी स्तर पर ठोस कार्ययोजना बनाकर महिलाओं को सशक्त बनाने में जुटी हैं.

पीड़ित महिलाएं व्हाट्सएप नम्बर 6306511708 पर भेज रही शिकायतें

प्रदेश के 75 जिलों में महिला आयोग की ओर से व्हाट्सएप नम्बर 6306511708 जारी किया गया है. उत्पीड़न की शिकार महिलाएं इसपर अपनी शिकायतें भेज रहीं है. अध्यक्ष और सदस्य अपने निजी ई-मेल पर भी शिकायत पत्र मंगा रहे हैं. जिससे पीड़ित महिलाओं की सुनवाई और शिकायतों का जल्द से जल्द निस्तारण किया जा सके.

न्याय के साथ बीमार महिलाओं को इलाज दिलाने में भी आयोग की सदस्य आगे

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता प्रदेश की महिलाओं को सशक्त बनाना और अपराधों पर अंकुश लगाना है. उन्होंने राज्य महिला आयोग को अपनी भूमिका बढ़ाते हुए महिलाओं को अपने अधिकारों व सुरक्षा के बारे में जागरूक करने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर टीम बनाकर काम करने के निर्देश दिये हैं . कोरोना काल में पीड़ित महिलाओं को न्याय ही नहीं, बीमार महिलाओं को अस्पतालों में भर्ती कराने के लेकर उनको इलाज दिलाने की मदद भी आयोग की महिला सदस्यों की ओर से किया जा रहा है.

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