‘‘कुछ समय बाद छोटा बेटा भी कंपनी की तरफ से अमेरिका चला गया. जाते वक्त उस ने अपनी मां से कहा कि वह उस के लिए अपनी मनपसंद लड़की खोज कर रखे. 1 साल बाद जब वह भारत लौटेगा तो शादी करेगा.
‘‘पर वह अमेरिका के माहौल में इतना रचाबसा कि वहां ही स्थायी रूप से रहने का निर्णय ले लिया और वहां की नागरिकता प्राप्त करने के लिए एक अमेरिकी लड़की से विवाह कर लिया.
‘‘केसर के सारे अरमान धूलधूसरित हो गए. वह बिलकुल खामोश रही और एकदम जड़वत हो गई. बस, अकेले ही अंदर ही अंदर वेदना के आसव को पीती रही. नतीजा यह हुआ कि वह बीमार पड़ गई और फिर एक दिन मुझे अपनी यादों के सहारे छोड़ कर इस संसार से विदा हो गई.’’
यह कहतेकहते नवीनजी की आवाज भर्रा गई. जानकी की आंखों की कोर भी गीली होने लगी. वे भीगे कंठ से बोलीं, ‘‘न जाने क्यों बच्चे अपने मांबाप के सपनों की समाधि पर ही अपने प्रेम का महल बनाना चाहते हैं?’’ फिर वे रसोईघर की तरफ मुड़ते हुए बोलीं, ‘‘मैं अभी आप के लिए मसाले वाली चाय बना कर लाती हूं. मूंग की दाल सुबह ही भिगो कर रखी थी. आप मेरे हाथ के बने चीले खा कर बताइएगा कि केसरजी के हाथों जैसा स्वाद है या नहीं.’’
नवीनजी के उदास मुख पर मुसकान की क्षीण रेखा उभर आई.
थोड़ी ही देर में जानकी गरमगरम चाय व चीले ले कर आ गईं. चाय का एक घूंट पीते ही नवीनजी बोले, ‘‘चाय तो बहुत लाजवाब बनी है, सचमुच मजा आ गया. कौनकौन से मसाले डाले हैं आप ने इस में. मुझे भी बनाना सिखाइएगा.’’