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Indian Idol 12: Sawai bhatt के खिलाफ हो सकता है केस दर्ज, फैंस ने तोड़े नियम

सिंगिग रियलिटी शो से हाल ही में बाहर हुए सिंगर सवाई भाट अपने होमटाउन नागौर पहंचे हैं, जहां उनके स्वागत में हजारों की भीड़ जुटी और बैंड बाजे के साथ उनका स्वागत किया गया. इस दौरान कोरोना गाइडलाइन्स की जमकर धज्जियां उड़ाई गई.

भीड़ इतनी ज्यादा थी कि लोगों ने सोशल डिस्टेंशिंग का पालन करना छोड़ दिया और मास्क लगाना भी भूल गए, सिर्फ और सिर्फ वह सेल्फी लेने में मस्त नजर आ रहे थें. जिसके बाद से इस बात की खबर प्रशासन को लगी और उन्होंने सवाई भाट के खिलाफ एक्शन लेने का मूड बना लिया है.

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दरअसल, फैंस सवाई भाट का एक झलक पाने के लिए इतना ज्यादा परेशान थे कि उन्हें मालूम ही नहीं हो रहा था कि अभी कोरोना के गाइडलाइन्स को भी फॉलो करना है.

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जब सवाई अपने नानी के यहां डिडवाना पहुंचे तो वहां भी उनके स्वागत के लिए कई जगहों पर डीजे लगाए गए थें और साथ में उनके स्वागत के लिए हजारों की संख्या में भीड़ जुटी हुई थी. इस कार्यक्रम के वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे है.

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कुछ लोग इस कार्यक्रम के दौरान डांस करना भी शुरू कर दिए जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. इसकी खबर प्रशासन तक जा पहुंची है, अब देखना यह है कि क्या पुलिस वाले इस पर अपनी कार्यवाही करेंगे या फिर सवाई भाट को एक मौका देंगे.

सवाई भाट के गाने को फैंस बहुत ज्यादा पसंद करते थें, उन्हें उम्मीद था कि वह फाइनल तक जरुर जाएंगे, लेकिन आखिरी सफर तक पहुंचने से पहले ही उन्हें शो से बाहर होना पड़ा.

अंतहीन

अंतहीन- भाग 2 : कौनसी अफवाह ने बदल दी गुंजन और उसके पिता की जिंदगी?

‘‘मैत्री से गुंजन का कोट भी लेना है, उस में उस का पर्स, मोबाइल आदि सब हैं मगर मैं कैसे जाऊं?’’ तनु ने असहाय भाव से कहा, ‘‘तुम्हीं लोग ले आओ न, प्लीज.’’

‘‘लेकिन हमें तो कोई गुंजन का सामान नहीं देगा और हो सकता है गाड़ी के बारे में भी कुछ पूछताछ हो,’’ प्रभव ने कहा, ‘‘तुम्हें भी साथ चलना पड़ेगा, तनु.’’

‘‘गुंजन को इस हाल में छोड़ कर?’’ तनु ने आहत स्वर में पूछा.

‘‘गुंजन को तुम ने सही हाथों में सौंप दिया है तनु और फिलहाल सिवा डाक्टरों के उस के लिए कोई और कुछ नहीं कर सकता. तुम्हारी परेशानी और न बढ़े इसलिए तुम गुंजन का सामान और अपनी गाड़ी लेने में देर मत करो,’’ राघव ने कहा.

‘‘ठीक है, मैं दोनों काम कर के 15-20 मिनट में आ जाऊंगी.’’

‘‘यहां आ कर क्या करोगी तनु? न तो तुम अभी गुंजन से मिल सकती हो और न उस के इलाज के बारे में कोई निर्णय ले सकती हो. अपनी चोटों पर भी दवा लगवा कर तुम घर जा कर आराम करो,’’ राघव ने कहा, ‘‘यहां मैं और प्रभव हैं ही. रजत, तू इन लड़कियों के साथ चला जा और सीमा, मिन्नी तुम में से कोई आज रात तनु के साथ रह लो न.’’

‘‘उस की फिक्र मत करो राघव, मगर तनु को गुंजन के हाल से बराबर सूचित करते रहना,’’ कह कर दोनों युवतियां और रजत तनु को ले कर बगैर रामदयाल की ओर देखे चले गए.

गुंजन की चिंता में त्रस्त रामदयाल सोचे बिना न रह सके कि गुंजन के बाप का तो खयाल नहीं, मगर उस लड़की की चिंता में सब हलकान हुए जा रहे हैं. उन के दिल में तो आया कि वह राघव और प्रभव से भी जाने को कहें मगर इन हालात में न तो अकेले रहने की हिम्मत थी और फिलहाल न ही किसी रिश्तेदार या दोस्त को बुलाने की, क्योंकि सब का पहला सवाल यही होगा कि गुंजन नेहरू प्लैनेटोरियम की पहाड़ी पर शाम के समय क्या कर रहा था जबकि गुंजन ने सब को कह रखा था कि 6 बजे के बाद वह बौस के साथ व्यस्त होता है इसलिए कोई भी उसे फोन न किया करे.

रामदयाल तो समझ गए थे कि कहां किस बौस के साथ, वह व्यस्त होता था मगर लोगों को तो कोई माकूल वजह ही बतानी होगी जो सोचने की मनोस्थिति में वह अभी नहीं थे.

तभी उन्हें वरिष्ठ डाक्टर ने मिलने को बुलाया. रौंदे जाने और लुढ़कने के कारण गुंजन को गंभीर अंदरूनी चोटें आई थीं और उस की बे्रन सर्जरी फौरन होनी चाहिए थी. रामदयाल ने कहा कि डाक्टर, आप आपरेशन की तैयारी करें, वह अभी एटीएम से पैसे निकलवा कर काउंटर पर जमा करवा देते हैं.

प्रभव उन्हें अस्पताल के परिसर में बने एटीएम में ले गया. जब वह पैसे निकलवा कर बाहर आए तो प्रभव किसी से फोन पर बात कर रहा था… ‘‘आफिस के आसपास के रेस्तरां में कब तक जाते यार? उन दोनों को तो एक ऐसी सार्वजनिक मगर एकांत जगह चाहिए जहां वे कुछ देर शांति से बैठ कर एकदूसरे का हाल सुनसुना सकें. नेहरू प्लैनेटोरियम आफिस के नजदीक भी है और उस के बाहर रूमानी माहौल भी. शादी अभी तो मुमकिन नहीं है…गुंजन की मजबूरियों के कारण…विधुर पिता के प्रति इकलौते बेटे की जिम्मेदारियां और लगाव कुछ ज्यादा ही होता है…हां, सीमा या मिन्नी से बात कर ले.’’

उन्हें देख कर प्रभव ने मोबाइल बंद कर दिया.

पैसे जमा करवाने के बाद राघव और प्रभव ने उन्हें हाल में पड़ी कुरसियों की ओर ले जा कर कहा, ‘‘अंकल, आप बैठिए. हम गुंजन के बारे में पता कर के आते हैं.’’

रामदयाल के कानों में प्रभव की बात गूंज रही थी, ‘शादी अभी तो मुमकिन नहीं है, गुंजन की मजबूरियों के कारण. विधुर पिता के प्रति इकलौते बेटे की जिम्मेदारियां और लगाव कुछ ज्यादा ही होता है.’ लगाव वाली बात से तो इनकार नहीं किया जा सकता था लेकिन प्रेमा की मृत्यु के बाद जब प्राय: सभी ने उस से कहा था कि पिता और घर की देखभाल अब उस की जिम्मेदारी है, इसलिए उसे शादी कर लेनी चाहिए तो गुंजन ने बड़ी दृढ़ता से कहा था कि घर संभालने के लिए तो मां से काम सीखे पुराने नौकर हैं ही और फिलहाल शादी करना पापा के साथ ज्यादती होगी क्योंकि फुरसत के चंद घंटे जो अभी सिर्फ पापा के लिए हैं फिर पत्नी के साथ बांटने पड़ेंगे और पापा बिलकुल अकेले पड़ जाएंगे. गुंजन का तर्क सब को समझ में आया था और सब ने उस से शादी करने के लिए कहना छोड़ दिया था.

तभी प्रभव और राघव आ गए.

‘‘अंकल, गुंजन को आपरेशन के लिए ले गए हैं,’’ राघव ने बताया. ‘‘आपरेशन में काफी समय लगेगा और मरीज को होश आने में कई घंटे. हम सब को आदेश है कि अस्पताल में भीड़ न लगाएं और घर जाएं, आपरेशन की सफलता की सूचना आप को फोन पर दे दी जाएगी.’’

‘‘तो फिर अंकल घर ही चलिए, आप को भी आराम की जरूरत है,’’ प्रभव बोला.

‘‘हां, चलो,’’ रामदयाल विवश भाव से उठ खड़े हुए, ‘‘तुम्हें कहां छोड़ना होगा, राघव?’’

‘‘अभी तो आप के साथ ही चल रहे हैं हम दोनों.’’

‘‘नहीं बेटे, अभी तो आस की किरण चमक रही है, उस के सहारे रात कट जाएगी. तुम दोनों भी अपनेअपने घर जा कर आराम करो,’’ रामदयाल ने राघव का कंधा थपथपाया.

हालांकि गुंजन हमेशा उन के लौटने के बाद ही घर आता था लेकिन न जाने क्यों आज घर में एक अजीब मनहूस सा सन्नाटा फैला हुआ था. वह गुंजन के कमरे में आए. वहां उन्हें कुछ अजीब सी राहत और सुकून महसूस हुआ. वह वहीं पलंग पर लेट गए.

संपादकीय

कोविड का आपदा ने एक सबक हरेक को सिखाया है कि आफत कभी नोटिस देकर नहीं आती और जब आफत बहुतों को एक साथ आए तो छीनाछपटी की जगह समस्या का सब से आसान हल ढूंढऩा होना चाहिए.

कोरोना के मामले एकदम इतनी तेजी से देशभर में बढ़ेंगे इस की कल्पना किसी ने नहीं की थी. हम तो वैसे ही भविष्य की योजनाएं बनाने में कमजोर हैं क्योंकि हमारी सरकारी मशीनरी का मूलमंत्र बड़े काम का है कि  आफत आए तो कागज बना कर टांग दो. बहुत से परेशान पढ़ कर चाहे मर जाएं, घर लुट जाएं, शोर नहीं मंचाएंगे.

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जब कोविड के मामले बढऩे लगे और न आईसीयू बैड बचे, न औक्सीजन सिलेंडर न रेमडिसिवर जैलि दवाएं, न शमशानों में जगह तो आपाधापी मचने लगी. लोग भूल गए कि समस्या का हल ब्लैक में खरीदना नहीं है, नए बनाने हैं. पर क्या कोई इतना बड़ा काम दिनों में कर सकता है?

हां, यह संभव है. देश में पक्के मकानों की कमी नहीं है सारे देश में एयरकंडीशंड हाल भी बिखरे हुए हैं. सिलेंडर भी उपलब्ध हैं क्योंकि औक्सीजन सिलेंडर इंडस्ट्रीयल उपयोग में आती है. औक्सीजन बनाने के प्लांट भी उपलब्ध है.

देश के होटलों में लाखों की गिनती में बैड बने बनाए खाली पड़े थे. 2-4 दवाओं को छोड़ कर बाकि सब मौजूद था. फिर भी जाने गईं. रोते देखे लोग दिखे, जो बचे उन के परिवारों के पलपल मुश्किल से काटा.

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यह सब इसलिए हुआ कि सरकार मंत्रा में विश्वास करने वाली है और जनता मंत्रा के उच्चारणों के अंधविश्वास में फंसी है और ये मंंत्र ग्रंथों में उसी तरह रहते हैं जैसे जो फाइलों से निकलते हैं और उन्हीं में समा जाते हैं.

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प्रधानमंत्री का कोई भाषण सुन लें. हमें यह करना है, हम वह करेंगे, आप यह करो, आप वह करो का गाना है. हम ने यह कर दिया और खड़े हो कर कराया कभी पता नहीं चलेगा. वे दिन लद गए जब प्रधानमंत्री ड्राइंगों के सामने खड़े हो कर फोटो ङ्क्षखचाया करते थे. अब वे दिन हैं जब प्रधानमंत्री मूॢतयों के आगे लोट लगा कर फोटो ङ्क्षखचाने हैं. आपदा में मानव परिश्रम व सूझबूझ की परीक्षा होती है पर यहां पीएम का आदेश, सीएम का आदेश, डीएम का आदेश, एसपी का आदेश, एसएसओ का आदेश, सीएमओ का आदेश लटका दिखेगा, और कुछ नहीं.

अंतहीन- भाग 1: कौनसी अफवाह ने बदल दी गुंजन और उसके पिता की जिंदगी?

रामदयाल क्लब के लिए निकल ही रहे थे कि फोन की घंटी बजी. उन के फोन पर ‘हेलो’ कहते ही दूसरी ओर से एक महिला स्वर ने पूछा, ‘‘आप गुंजन के पापा बोल रहे हैं न, फौरन मैत्री अस्पताल के आपात- कालीन विभाग में पहुंचिए. गुंजन गंभीर रूप से घायल हो गया है और वहां भरती है.’’

इस से पहले कि रामदयाल कुछ बोल पाते फोन कट गया. वे जल्दी से जल्दी अस्पताल पहुंचना चाह रहे थे पर उन्हें यह शंका भी थी कि कोई बेवकूफ न बना रहा हो क्योंकि गुंजन तो इस समय आफिस में जरूरी मीटिंग में व्यस्त रहता है और मीटिंग में बैठा व्यक्ति भला कैसे घायल हो सकता है?

गुंजन के पास मोबाइल था, उस ने नंबर भी दिया था मगर मालूम नहीं उन्होंने कहां लिखा था. उन्हें इन नई चीजों में दिलचस्पी भी नहीं थी… तभी फिर फोन की घंटी बजी. इस बार गुंजन के दोस्त राघव का फोन था.

‘‘अंकल, आप अभी तक घर पर ही हैं…जल्दी अस्पताल पहुंचिए…पूछताछ का समय नहीं है अंकल…बस, आ जाइए,’’ इतना कह कर उस ने भी फोन रख दिया.

ड्राइवर गाड़ी के पास खड़ा रामदयाल का इंतजार कर रहा था. उन्होंने उसे मैत्री अस्पताल चलने को कहा. अस्पताल के गेट के बाहर ही राघव खड़ा था, उस ने हाथ दे कर गाड़ी रुकवाई और ड्राइवर की साथ वाली सीट पर बैठते हुए बोला, ‘‘सामने जा रही एंबुलैंस के पीछे चलो.’’

‘‘एम्बुलैंस कहां जा रही है?’’ रामदयाल ने पूछा.

‘‘ग्लोबल केयर अस्पताल,’’ राघव ने बताया, ‘‘मैत्री वालों ने गुंजन की सांसें चालू तो कर दी हैं पर उन्हें बरकरार रखने के साधन और उपकरण केवल ग्लोबल वालों के पास ही हैं.’’

‘‘गुंजन घायल कैसे हुआ राघव?’’ रामदयाल ने भर्राए स्वर में पूछा.

‘‘नेहरू प्लैनेटोरियम में किसी ने बम होने की अफवाह उड़ा दी और लोग हड़बड़ा कर एकदूसरे को रौंदते हुए बाहर भागे. इसी हड़कंप में गुंजन कुचला गया.’’

‘‘गुंजन नेहरू प्लैनेटोरियम में क्या कर रहा था?’’ रामदयाल ने हैरानी से पूछा.

‘‘गुंजन तो रोज की तरह प्लैनेटोरियम वाली पहाड़ी पर टहल रहा था…’’

‘‘क्या कह रहे हो राघव? गुंजन रोज नेहरू प्लैनेटोरियम की पहाड़ी पर टहलने जाता था?’’

अब चौंकने की बारी राघव की थी इस से पहले कि वह कुछ बोलता, उस का मोबाइल बजने लगा.

‘‘हां तनु… मैं गुंजन के पापा की गाड़ी में तुम्हारे पीछेपीछे आ रहा हूं…तुम गुंजन के साथ मेडिकल विंग में जाओ, काउंटर पर पैसे जमा करवा कर मैं भी वहीं आता हूं,’’ राघव रामदयाल की ओर मुड़ा, ‘‘अंकल, आप के पास क्रेडिट कार्ड तो है न?’’

‘‘है, चंद हजार नकद भी हैं…’’

‘‘चंद हजार नकद से कुछ नहीं होगा अंकल,’’ राघव ने बात काटी, ‘‘काउंटर पर कम से कम 25 हजार तो अभी जमा करवाने पड़ेंगे, फिर और न जाने कितना मांगें.’’

‘‘परवा नहीं, मेरा बेटा ठीक कर दें, बस. मेरे पास एटीएम कार्ड भी है, जरूरत पड़ी तो घर से चेकबुक भी ले आऊंगा,’’ रामदयाल राघव को आश्वस्त करते हुए बोले.

ग्लोबल केयर अस्पताल आ गया था, एंबुलैंस को तो सीधे अंदर जाने दिया गया लेकिन उन की गाड़ी को दूसरी ओर पार्किंग में जाने को कहा.

‘‘हमें यहीं उतार दो, ड्राइवर,’’ राघव बोला.

दोनों भागते हुए एंबुलैंस के पीछे गए लेकिन रामदयाल को केवल स्ट्रेचर पर पड़े गुंजन के बाल और मुंह पर लगा आक्सीजन मास्क ही दिखाई दिया. राघव उन्हें काउंटर पर पैसा जमा कराने के लिए ले गया और अन्य औपचारिकताएं पूरी करने के बाद दोनों इमरजेंसी वार्ड की ओर चले गए.

इमरजेंसी के बाहर एक युवती डाक्टर से बात कर रही थी. राघव और रामदयाल को देख कर उस ने डाक्टर से कहा, ‘‘गुंजन के पापा आ गए हैं, बे्रन सर्जरी के बारे में यही निर्णय लेंगे.’’

डाक्टर ने बताया कि गुंजन का बे्रन स्कैनिंग हो रहा है मगर उस की हालत से लगता है उस के सिर में अंदरूनी चोट आने की वजह से खून जम गया है और आपरेशन कर के ही गांठें निकालनी पड़ेंगी. मुश्किल आपरेशन है, जानलेवा भी हो सकता है और मरीज उम्र भर के लिए सोचनेसमझने और बोलने की शक्ति भी खो सकता है. जब तक स्कैनिंग की रिपोर्ट आती है तब तक आप लोग निर्णय ले लीजिए.

यह कह कर और आश्वासन में युवती का कंधा दबा कर वह अधेड़ डाक्टर चला गया. रामदयाल ने युवती की ओर देखा, सुंदर स्मार्ट लड़की थी. उस के महंगे सूट पर कई जगह खून और कीचड़ के धब्बे थे, चेहरा और दोनों हाथ छिले हुए थे, आंखें लाल और आंसुओं से भरी हुई थीं. तभी कुछ युवक और युवतियां बौखलाए हुए से आए. युवकों को रामदयाल पहचानते थे, गुंजन के सहकर्मी थे. उन में से एक प्रभव तो कल रात ही घर पर आया था और उन्होंने उसे आग्रह कर के खाने के लिए रोका था. लेकिन प्रभव उन्हें अनदेखा कर के युवती की ओर बढ़ गया.

‘‘यह सब कैसे हुआ, तनु?’’

‘‘मैं और गुंजन सूर्यास्त देख कर पहाड़ी से नीचे उतर रहे थे कि अचानक चीखतेचिल्लाते लोग ‘भागो, बम फटने वाला है’ हमें धक्का देते हुए नीचे भागे. मैं किनारे की ओर थी सो रेलिंग पर जा कर गिरी लेकिन गुंजन को भीड़ की ठोकरों ने नीचे ढकेल दिया. उसे लुढ़कता देख कर मैं रेलिंग के सहारे नीचे भागी. एक सज्जन ने, जो हमारे साथ सूर्यास्त देख कर हम से आगे नीचे उतर रहे थे, गुंजन को देख लिया और लपक कर किसी तरह उस को भीड़ से बाहर खींचा. तब तक गुंजन बेहोश हो चुका था. उन्हीं सज्जन ने हम लोगों को अपनी गाड़ी में मैत्री अस्पताल पहुंचाया.’’

‘‘गुंजन की गाड़ी तो आफिस में खड़ी है, तेरी गाड़ी कहां है?’’ एक युवती ने पूछा.

‘‘प्लैनेटोरियम की पार्किंग में…’’

‘‘उसे वहां से तुरंत ले आ तनु, लावारिस गाड़ी समझ कर पुलिस जब्त कर सकती है,’’ एक युवक बोला.

‘‘अफवाह थी सो गाड़ी तो खैर जब्त नहीं होगी, फिर भी प्लैनेटोरियम बंद होने से पहले तो वहां से लानी ही पड़ेगी,’’ राघव ने कहा.

ऐसे बनाएं कटहल का स्क्वैश

लेखक-डा. साधना वेश 

आमतौर पर कटहल की सब्जी बनाई जाती है, जो अनेक लोगों की पसंदीदा सब्जी होती है. कटहल का अचार भी अनेक लोग बनाना पसंद करते हैं, जिसे लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन जब कटहल पक जाता है, तो उस की सब्जी नहीं बनाई जाती, क्योंकि उस में मीठापन आ जाता है. कुछ लोग उसे ऐसे ही बड़े स्वाद से खाते हैं.

आजकल पके कटहल से स्क्वैश भी बनाया जाने लगा है, जिसे बनाने का बहुत ही सरल तरीका यहां दिया जा रहा है, इसलिए आप भी घर में कटहल का स्क्वैश बना सकते हैं.

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कटहल का स्क्वैश बनाने के लिए निम्नलिखित सामग्री की जरूरत होती है :

कटहल का गूदा : 1 किलोग्राम.

चीनी : 1.75 किलोग्राम.

पानी : 1 लिटर.

सिट्रिक एसिड : 40 ग्राम.

पोटैशियम मैटाबाईसल्फाइट : 2.5 ग्राम.

खाने वाला पीला रंग जरूरत के मुताबिक.

 बनाने की विधि

* पूरी तरह से पके हुए रसदार कोवे वाले कटहल को ले कर बीच से  2 भागों में काटिए. हाथों में तेल लगा कर कोवे को छिलके व कोर से अलग कर दीजिए. कोवे के दोनों छोर काट कर अंदर के बीज व पतले आवरण को निकाल दीजिए. कोवे को काट लीजिए.

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* कोवे के टुकड़ों को उन के आधे तौल के पानी में यानी 1 किलोग्राम कोवे में आधा लिटर पानी मिला कर धीरेधीरे गरम कीजिए. एक महीन छलनी में गूदा डाल कर खूब रगड़ कर एकसार कर लीजिए.

* चीनी, पानी और सिट्रिक एसिड को मिला कर गरम कीजिए और कपड़े से छान लें.

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* गूदा और चीनी के घोल को एक साफ बरतन में डाल कर अच्छी तरह से मिलाएं. इस में पीला रंग जरूरत के मुताबिक मिला दीजिए. आखिर में पोटैशियम मैटाबाईसल्फाइट को थोड़े से स्क्वैश में घोल कर अच्छी तरह मिला दीजिए.

* तैयार स्क्वैश को बोतलों  में भर कर ढक्कन लगा कर बंद  कर दीजिए और सूखी जगह पर  रख लीजिए.

 

 

फिल्म ‘द कन्वर्जन’’ में दिखाई जाएगी धर्म परिवर्तन की कहानी

बौलीवुड हास्य अभिनेता कृष्णा अभिषेक को लेकर 2018 में सुपर हिट एक्शन कॉमेडी फिल्म ‘तेरी भाभी है पगले‘ का निर्देशन कर चुके निर्देशक विनोद तिवारी अब एक संवेदनशील मसले पर एक बार फिर बॉलीवुड फिल्म ‘द कन्वर्जन‘ लेकर आ रहे हैं.

फिल्म का नाम इस बात का अहसास दिला देता है कि इसकी कहानी लव जिहाद पर होगी. फिल्म का पोस्टर भी इसी बात का संकेत देता है कि फिल्म की विषय वस्तु गत कुछ वर्षों से सामने आ रहे लव जिहाद पर ही आधारित है.

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लव जेहाद यानी कि प्रबल धर्म परिवर्तन.लेकिन प्रबल धर्म परिवर्तन की ही विषय वस्तु पर विनोद तिवारी ने एक शानदार प्रेम कहानी वाली फिल्म‘‘द कन्वर्जन’’बनायी है. फिल्म ‘‘द कन्वर्जन’’की चर्चा करते हुए निर्देशक विनोद तिवारी कहते हैं-‘‘देखिए फिल्म का कथानक लाजवाब है.

हमने एक अति संवेदनशील मसले को लेकर यह फिल्म जरुर बनाई है,लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि इस फिल्म को हर वर्ग के दर्शक पसंद करेंगें.फिल्म का पोस्टर रिलीज हो गया है, जिसे दर्शकों के बीच काफी पसंद भी किया जा रहा है.हमने इस फिल्म को एक त्रिकोणीय प्रेम कहानी के रूप में पेश  किया है.

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इतना ही नहीं हमने इस फिल्म को बाबा भोलेनाथ की नगरी उत्तर प्रदेश के बनारस षहर के घाटों में फिल्माया है. फिल्म के निर्देशक विनोद तिवारी का दावा है कि उनकी इस फिल्म के सभी कलाकारों ने बेहतरीन परफार्मेंस दी है.

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फिल्म में विंध्या तिवारी, प्रतीक शुक्ला और रवि भाटिया मुख्य भूमिका में हैं.इसके अलावा सपना चैधरी, विभा छिब्बर, सुनीता राजभर, अमित बहल, संदीप यादव, सुशील सिंह और मनोज जोशी ने भी बेहतरीन किरदार निभाए हैं.

फिल्म के निर्माता राज पटेल, भोजराज नवानी और विपुल पटेल, कहानीकार वंदना तिवारी,संगीतकार अनामिक चैहान,कैमरामैन नवनीत बोहर हैं. विनोद तिवारी का दावा है कि वह अपनी फिल्म ‘‘द कन्वर्जन’’को सिनेमाघरों  में ही प्रदर्शित करेंगें.तथा फिल्म का दूसरा पोस्टर अतिशीघ्र आने वाला है.

Super Dancer 4 में दी गई Rishi Kapoor को श्रद्धांजलि, इमोशनल हुईं नीतू कपूर

डांस रियलिटी शो सुपर डांसर 4 में काफी ज्यादा धमाल आने वाला है, इस खास एपिसोड में बॉलीवुड एक्ट्रेस नीतू सिंह गेस्ट बनकर आएंगी, जिसके बाद सभी कंटेस्टेंट उनके गाने पर डांस करेंगे, जिसे देखकर नीतू कपूर काफी ज्यादा खुश हो जाएंगी.

कंटेस्टेंट के सभी परफॉर्मेंस को देखकर नीतू कपूर समेंत सभी जज हैरान रह जाएंगे, सभी उनकी खूब तारीफ करेंगे, जिसके बाद नीतू कपूर दिवंगत अभिनेता ऋषि कपूर के जीवन के बारे में कुछ खास बाते बताएंगी.

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ऋषि कपूर की बातों को बताते- बताते नीतू कपूर काफी ज्यादा इमोशनल हो जाएंगी. और शो के दौरान वह रोने लगेंगी, जिसे देखकर सभी मौजूद वहां जज और कंटेस्टेंट भी काफी ज्यादा इमोशनल हो जाएंगे. इस खास एपिसोड में वह कई मौके पर भावुक होती नजर आएंगी, जिसे शो के प्रोमो में दिखाया गया है.

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इससे पहले भी नीतू कपूर कई सारे रियलिटी शो में जा चुकी हैं, जहां वह कई दफा अपने दिवंगत पति को यादकर आंसू बहा चुकी हैं. नीतू कपूर को सुनकर और देखकर ऐसा लगता है कि वह हर वक्त अपने पति को मिस करती रहती हैं.

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साल 2020 में  ऋषि कपूर इस दुनिया को अलविदा कह गए थे, इससे पहले वह कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जुझ रहे थें, जिसका इलाज करवाने के लिए वह विदेश भी गए हुए थें. जहां उनसे मिलने के लिए कई सारे सेलिब्रिटी गए हुए थें.

खैर आज ऋषि कपूर हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनकी खूबसूरत यादें और नीतू सिंह के साथ उनकी लव स्टोरी हर किसी को पता है जिसकी चर्चा अक्सर शो में नीतू कपूर करती रहती हैं.

रोजगार देने में देश में नंबर वन साबित हुईं यूपी की एमएसएमई योजना

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मिशन रोजगार सरकारी नौकरियों से लेकर निजी क्षेत्र में भी कारगर साबित हो रहा है. कोरोना काल के बावजूद पिछले एक साल में देश में प्रदेश की सूक्ष्म, लघु, और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) इकाईयों ने प्रदेश में सबसे ज्यादा रोजगार दिया है. सरकार ने इन इकाईयों को 140 करोड़ रुपए की सब्सिडी भी दी है.

सीएम योगी ने कोरोना काल में मानवता को बचाने के लिए जीवन और जीविका दोनों को प्राथमिकता दी थी. इसके लिए पिछले साल प्रदेश के इतिहास में सबसे ज्यादा लोन उद्योगों को दिए गए थे. इससे पहले भी पूर्व की सरकारों की तुलना में योगी सरकार ने उद्योगों को प्राथमिकता पर रखकर लोन उपलब्ध कराया था. प्रदेश सरकार के समन्वय से बैंकों ने पिछले चार साल में 55 लाख 45 हजार 147 एमएसएमई को लोन दिया था, जिसमें तीन लाख आठ हजार 331 इकाइयों के सैंपल सर्वे में नौ लाख 51 हजार 800 लोगों को रोजगार देने की भौतिक रूप से पुष्टि हुई थी. जबकि 55 लाख 45 हजार 147 इकाइयों में औसतन डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मिला है.

ऐसे ही इकाईयों को विभिन्न योजनाओं में प्रदेश सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी गई है. प्रदेश में पिछले साल 4571 इकाईयों में 45,166 लोगों को रोजगार दिया गया है. इन इकाईयों को सरकार की ओर से 140 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी है. देश में दूसरे नंबर पर गुजरात की 1437 इकाईयों ने 32,409 लोगों को रोजगार दिया है और उन्हें सौ करोड़ रुपए सब्सिडी दी गई है. तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश की 3362 इकाईयों ने 30,565 लोगों को रोजगार दिया है और 88 करोड़ की सब्सिडी दी गई है.

चार साल में दिए 55 लाख 45 हजार एमएसएमई को लोन

वित्त वर्ष 2016-17 में सपा सरकार के दौरान 6,35,583 एमएसएमई को लोन दिया गया था. जबकि 2017 में सत्ता परिवर्तन होते ही योगी सरकार में वित्त वर्ष 2017-18 में 7,87,572 एमएसएमई को लोन दिया गया. वित्त वर्ष 2018-19 में 10,24,265 उद्यमियों और 2019-20 में 17,45,472 लोन दिए गए हैं. वित्त वर्ष 2020-21 में एक अप्रैल 2020 से 18 मार्च 2021 तक 13 लाख 52 हजार 255 उद्यमियों को लोन दिए गए हैं. इसमें नौ लाख 13 हजार 292 एमएसएमई को 32 हजार 321 करोड़ 31 लाख रुपए लोन दिए हैं. इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) में चार लाख 39 हजार 310 इकाइयों को 12 हजार 69 करोड़ 57 लाख रुपए का लोन दिया गया है. ऐसे में कुल 55 लाख 45 हजार 147 एमएसएमई को लोन दिया गया है.

Kumkum Bhaya : 2 साल के लीप के बाद इतने बदल गए हैं सभी किरदार

जी टीवी के सीरियल कुमकुम भाग्य में 2 साल का लीप आ चुका है. जिसके बाद सब कुछ दर्शकों को पहले से अलग देखने को मिल रहे हैं. इसकी झलक कुछ वक्त पहले रिलीज हुए प्रोमो में दिखाया जा चुका है. इस शो के सभी किरदारों का लुक बदल गया है.

लीप के बाद से प्रज्ञा एक बिजनेस वूमन बन गई है, जिसके बाद से इसके तेवर में काफी ज्यादा बदलाव नजर  आ रहा है, चश्मा में नजर आने वाली प्रज्ञा अब स्टाइलिश वुमन बन गई है.

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वहीं प्रज्ञा का अभि यानि अभिषेक मेहरा लीप के बाद से पूरी तरह बर्बाद हो गया है. वह लग्जरी लाइफ से हटकर चॉल में रहना शुरू कर दिया है. वह मवाली गुंडे की तरह दर -दर की ठोकरे खा रहा है.

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लीप के बाद से रणवीर की जिंदगी भी पूरी तरह से बदल गई है, वह अपनी पत्नी प्राची के साथ रहना शुरू कर दिया है, 2 साल में रणवीर भी पूरी तरह बदल गया है.

सब पर अपना हुक्म चलाने वाली आलिया भी गरीब होने चुकी है और वह अपनी लाइफ स्टाइल एक चॉल में बिता रही है. जिससे उसके लुक में बहुत ज्यादा परिवर्तन आ गया है.

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रेहा कि जिंदगी भी बाकी किरदारों की तरह पलट चुकी  है. वह भी काफी अलग अंदाज में नजर आ रही है. वहीं प्राची अपनी गृहस्थी में व्यस्थ हो गई है और वह अपने पति के साथ खुशहाल जिंदगी बिता रही है.

एक से बढ़कर एक कपड़े पहनने वाली तनु अब सादे लिबास में नजर आएगी, उसकी हालत देखकर सभी को तरस आ रहा है.

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