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हौलीवुड फिल्म के लिए विद्युत जामवाल को वंडर स्ट्रीट ने किया अनुबंधित

बौलीवुड के एक्षन स्टार विद्वुत जामवाल नित नए मुकाम हासिल करते रहते हैं.ब्रूसली, जैकी चैन और जेटली जैसे दिग्गजों के साथ अपना नाम दर्ज करवाने वाले विद्युत जामवाल दुनिया के शीर्ष मार्शल आर्टिस्टों में से एक हैं.अब विद्युत जामवाल अन्य भारतीय कलाकारों के ही नक्षे कदम पर चलते हुए हौलीवुड में प्रवेश कर ऊंची उड़ान भरने के लिए तैयार हैं.

टोनीजा, माइकल जाव्हाइट और डॉल्फ लुंदग्रेन जैसे एक्शन नायकों का प्रतिनिधित्व करने वाली विश्व की प्रतिष्ठित टेलेंट मैनेजमेंट एजेंसी-वंडरस्ट्रीट ने विद्युत जामवाल को अनुबंधित किया है.
पिछले वर्ष अपने चैट सेगमेंट एक्स-रेडबाय विद्युत के माध्यम से फिल्म‘‘खुदा हाफिज’’फेम अभिनेता विद्युत जामवाल ने दुनिया भर के एक्शन आइकनों के साथ बातचीत की थी, जिन्होंने मार्शलआर्ट के प्रति उनके जुनून को सरहद के पार पहुंचाया.

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विद्युत भी कलारीप यट्टू के साथ कुछ ऐसा ही कर रहे हैं, और अब हॉलीवुड, फिटनेस स्टार के लिए एक विशाल अवसर के रूप में सामने आया है.अपने काम और प्रतिभा के दम पर विद्युत जामवाल अब पश्चिमी देशों  में भी भारत का परचम लहराएंगे. वह वंडर स्ट्रीट पार्टनर्स क्रिस्टीन होल्डर और मार्क होल्डर के साथ काम करेंगे.

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विद्युत जामवाल के लिए यह खबर एक उपलब्धि ही है.वैसे लोग उन्हें कमांडो सिरीज ,खुदा हाफिज, और जंगली जैसे कामयाब फिल्मों में देख कर उनके एक्षन के प्रशंसक बन चुके हैं.इसी वर्ष विद्युत जामवाल ने अपने प्रोडक्शन हाउस ‘एक्शन हीरो फिल्म्स’ की भी शुरूआत की है. सूत्रों की माने तो वे हॉलीवुड के प्रमुख निर्माताओंसेबातचीत भी कर रहे हैंजो उनके प्रोडक्शन के साथ मिलकर काम करे.
वंडरस्ट्रीट के साथ अपने जुड़ाव की चर्चा करते हुए विद्युत जामवाल कहते हैं-‘‘‘मैं हौलीवुड के कुछ सबसे मेहनती कलाकारों के साथ जुड़कर बेहद खुश हूं.‘‘

योगी सरकार ने शिल्पियों के हुनर दी अंतर्राष्ट्रीय पहचान

योगी  सरकार ने देश के शिल्पियों के हुनर को जीआई उत्पाद के रूप में विश्व में पहचान दिलाई है. जिससे  कोरोना काल में भी जीआई उत्पादों पर लोगों का भरोसा रहा और  मांग बनी  रही. लॉकडाउन में जब दुकानें बंद रही तब भी इस उत्पाद की  बिक्री देश और विदेशों  में ऑनलाइन  माध्यम से होती रही. वाराणसी के एक उद्यमी ने योगी सरकार के स्टार्टअप योजना का लाभ उठाते हुए कोविड काल में जीआई उत्पादों का लाखों का क़ारोबार कर लिया है. आप को जानकर ताज़्जुब होगा की ये कोराबार सिर्फ़ ऑनलाइन हुआ है. प्रतीक बी सिंह नाम के इस युवा उद्यमी के वेब साइट पर सिर्फ जीआई उत्पाद ही बिकते है. लेकिन अब प्रतीक ने कुछ ओडीओपी उत्पादों को भी ऑनलाइन प्लेटफार्म देना शुरू किया  है.

आईएएस बनने की चाह रखने वाले इस युवा को स्टार्टअप योजना ने आसमान में उड़ने की राह दिखा दी है. अब प्रतीक उन हुनरमंद लोगों को भी प्लेटफार्म दे रहे हैं, जिन्होंने अपने हुनर का लोहा पूरी दुनिया से  मनवाया है. 370 जीआई उत्पादों में से देश के 299 जीआई उत्पादों (जिनमे से  उत्तर प्रदेश से अकेले 27 जीआई उत्पाद है)  को एक जग़ह शॉपिंगकार्ट 24 नामक इ -कॉमर्स की साईट पर लाकर भारत के हस्तकला शिल्पियों की  हुनर को पूरे विश्व में पहुँचा रहे है. खाने, सजाने, संगीत, खिलौने, पहनने से लेकर हर रोज़ इस्तेमाल होने वाली जीआई  उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री देश और विदेशो में खूब हो रही है. वाराणसी का लकड़ी का ख़िलौना, बनारसी साड़ी, गुलाबी मीनाकारी , पंजादारी, ज़री जरदोजी , सिद्धार्थ नगर का काला नमक चावल, गोरखपुर का टेराकोटा, गाज़ीपुर की वाल हैंगिंग आदि उत्पादों की अमेरिका समेत कई देशों में भारी मांग है. जीआई उत्पाद की ख़ास बात ये होती  कि ये सभी उत्पाद हैंडलूम व हैंडीक्राफ्ट उत्पाद होते हैं.

प्रतीक ने बताया कि उन्होंने 2016 में  अपनी स्टार्टअप कंपनी शुरु की थी. उसके बाद जीआई उत्पादों को धीरे-धीरे ऑनलाइन प्लेटफार्म पर लाना शुरू किया. कोरोना काल में लॉकडाउन ने जब दुकानें खुलना बंद हुई तो प्रतीक ने ऑनलाइन बाज़ार का दरवाजा दुनिया के लिए खोल दिया. प्रतीक अप्रैल से अब तक करीब 7 लाख का जीआई उत्पाद देश और विदेशों  में बेच चुके हैं. प्रतीक ने बताया कि पहले  काशी के जीआई टैगिंग प्राप्त उत्पादों को ऑनलाइन बेचना शुरू किया. फिर वो यूपी के 27 प्रोडक्ट्स को ऑनलाइन  प्लेटफार्म पर लेकर आए. इनकी कंपनी से  डिपार्टमेंट ऑफ़ प्रमोशन ऑफ़ इंडस्ट्रीज़ एंड इंटरनल ट्रेड( DPIIT ) से  मान्यता प्राप्त है. जिससे ई-कॉमर्स में मदद मिलती  है.

अपने कस्टमर के लिए ये कंपनी हुनरमंद कलाकारों के लाइव प्रदर्शन भी करवाती है. जिसे बाद में सोशल मीडिया के माध्यम से उनकी कला को और लोगों तक पहुंचने में भी मदद मिलती है. शिल्पियों को ट्रिपल “ई” एजुकेट ,एम्पॉवर,एनरिच  के फॉर्मूले से समृद्ध  करते है. जीआई ( जियोग्राफिकल  इंडिकेशन) जीआई उत्पाद यानी भौगोलिक संकेतक या जियोग्राफिकल इंडिकेशन ऐसे उत्पादों होते है  जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है. इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है. इस तरह का संबोधन उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता का एहसास देता है.

नौकरी के पीछे भागना छोड़, नौकरी देने वाला बन रहा यूपी का युवा : सीएम योगी

महामारी का दौर थमने की आहट के साथ ही योगी सरकार ने एक बार फिर रोजगार-स्वरोजगार के कार्यों को तेजी देनी शुरू कर दी है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक साथ 31,542 सूक्ष्म, छोटे और मंझोले उद्योगों को विस्तार के लिए 2505.58 करोड़ का ऋण प्रदान किया. साथ ही, एक जनपद-एक उत्पाद योजना के तहत चिन्हित उत्पादों के उत्पादन से लेकर विपणन तक की सभी जरूरतों में मदद के लिए विशेष पोर्टल की शुरुआत करते हुए 09 जिलों में कॉमन फैसिलिटी सेंटर की आधारशिला भी रखी.

ऑनलाइन स्वरोजगार संगम के इस खास मौके पर सीएम ने कहा कि ऐसे ही ऋण मेले अगले एक माह में सभी 75 जिलों में आयोजित किए जाने चाहिए.

मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के विकास में एमएसएमई इकाइयों की सराहना करते हुए कहा कि आज प्रदेश में युवा वर्ग नौकरी के पीछे भागने की बजाय नौकरी देने की सोच के साथ अपने लक्ष्य तय कर रहा है. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना, एक जनपद-एक उत्पाद जैसी योजनाओं ने युवाओं को बड़ा सहारा दिया है. स्वरोजगार के कार्यक्रमों में महिलाओं-बेटियों ने खूब उत्साह दिखाया है. वैसे भी, लखनऊ की चिकनकारी जैसे परंपरागत शिल्प को महिलाओं की भूमिका हमेशा से ही रही है. प्रधानमंत्री जी ने जिस “आत्मनिर्भर भारत” की परिकल्पना की है, युवाओं की यही सोच, ऐसे प्रयास ही उसका आधार हैं.

सीएम योगी ने कहा कि बीते साल कोरोना की पहली लहर के दौरान हमारे सामने 40 लाख प्रवासी श्रमिकों के जीवन और जीविका को सुरक्षित करने की चुनौती थी. एमएसएमई इकाइयों ने इस दिशा में बहुत सराहनीय कार्य किया. बीते वर्ष भी कोविड काल में करीब 34 हजार एमएसएमई इकाइयों को वित्तीय सहायता दी गई थी, तो कोविड की दूसरी लहर के नियंत्रण में आते ही फिर से उद्योगों को ऋण उपलब्ध कराने का कार्यक्रम हो रहा है. मुख्यमंत्री ने एमएसएमई विभाग के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह, अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल सहित पूरी विभागीय टीम के साथ-साथ स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी के सहयोग को भी सराहां सीएम ने जनपदीय अधिकारियों को जिला स्तरीय बैंकर्स कमेटी के साथ समन्वय बनाकर युवाओं को स्वरोजगार के लिए वित्तीय संसाधन मुहैया कराने के भी निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि उत्पादों की मैपिंग कराई जाए, हमारे यहां प्रतिभा का अभाव नहीं, मंच देने भर की देर है. उत्तर प्रदेश आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने में सबसे अहम भूमिका निभाएगा.

विश्वकर्माओं को मिला टूल-किट का उपहार: मुख्यमंत्री ने विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजनांतर्गत कविता साहू और मंजू कश्यप को सिलाई, राहुल को बढ़ई , अमित कुमार को सुनार तथा रिजवान को नाई से जुड़े व्यवसाय के लिए जरूरी टूल-किट का उपहार भी दिया.

उत्पादन से मार्केटिंग तब सबके लिए मिलेगी मदद:

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को गाजियाबाद, मैनपुरी, मऊ, मीरजापुर, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, आगरा, मुरादाबाद और भदोही में प्रस्तावित कॉमन फैसिलिटी सेंटर का शिलान्यास किया. 79 करोड़ 54 लाख के खर्च से तैयार होने वाले इन केंद्रों पर उद्यमियों को ओडीओपी योजनांतर्गत जनपद के चिन्हित उत्पादों के उत्पादन से लेकर विपणन तक के समस्त अवयवों जैसे कच्चा माल, डिजाइन, उत्पादन प्रक्रिया, गुणवत्ता सुधार, अनुसंधान एवं विकास, पर्यावरण एवं ऊर्जा संरक्षण तथा पैकेजिंग आदि की सुविधाएं मिल सकेंगी.इसके अलावा, सीएम ने https://diupmsme.upsdc.gov.in/en पोर्टल का भी शुभारंभ किया.

विश्व में हो ओडीओपी की चर्चा: सिद्धार्थ नाथ

एमएसएमई विभाग के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि बीते चार वर्षों में प्रदेश के एमएसएमई सेक्टर ने बड़ी ऊंचाइयां हासिल की हैं. सीएम योगी के अभिनव प्रयोग ओडीओपी की चर्चा न केवल देश, बल्कि विदेशों में भी हो रही है. सरकार ने परंपरागत शिल्प, उद्योगों को विकास के लिए बड़ा संबल दिया है. इससे पहले, एसीएस नवनीत सहगल ने विभागीय गतिविधियों के बारे में संक्षिप्त जानकारी भी दी.

सलमान खान मानहानि केस में KRK को लगा बड़ा झटका, कोर्ट ने दिया ये आदेश

हाल ही में बॉलीवुड एक्टर सलमान खान की टीम ने कथित फिल्म समीक्षक केआरके के खिलाफ केस दर्ज करवाया था, टीम ने अपनी बातों को रखते हुए कहा है कि बीते कई दिनों से केआरके उनके टीम के खिलाफ उल्टी सीधी बाते कर रहे हैं. जिससे उनके छवि को नुकसान पहुंच रहा है.

इसके साथ ही टीम ने केआरके से 90 लाख रुपये का हर्जाना की मांग कि है. कई दिनों कि सुनवाई के बाद से बुधवार को कोर्ट ने इस मामले पर आंतरिम आदेश जारी कर दिया है.

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वहीं केआरके को आदेश देते हुए कोर्ट ने कहा है कि वह और उनकी टीम सलमान खान के खिलाफ अब किसी भी तरह के कोई बेकार की वीडियो नहीं बना सकेंगे. इसके अलावा न वह ट्वीट कर सकेंगे और नहीं कोई वीडियो अपलोड कर सकेंगे.

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इसके अलावा जज ने कोर्ट में कहा कि प्रतिष्ठा न सिर्फ नमक है बल्कि इंसान के जीवन का सबसे बड़ा इत्र भी है. जिंदगी का सबसे शुद्ध खजाना इसे कहा जा सकता है. एक अच्छा नाम धन से कही ज्यादा बेहतर है. समाज में इंसान का अच्छा नाम होना बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है. इसलिए किसी के नाम को खराब न करें.

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बता दें कि कमाल आर खान ने सलमान खान के खिलाफ कई सारे वीडियोज बनाएं थें जिसमें उन्होंने सलमान खान की कंपनी बिंइग ह्यूमन को फ्रॉड बताया था.

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इसके अलावा कमाल आर खान ने राधे का बहुत बुरा रिव्यू किया था. जिसे लोगों ने बिल्कुल भी पसंद नहीं किया था.

अब देखना यह है कि केआरके इन सभी बताए गए नियमों का पालन कर पाते हैं या नहीं.

Indian Idol 12: Sawai bhatt के खिलाफ हो सकता है केस दर्ज, फैंस ने तोड़े नियम

सिंगिग रियलिटी शो से हाल ही में बाहर हुए सिंगर सवाई भाट अपने होमटाउन नागौर पहंचे हैं, जहां उनके स्वागत में हजारों की भीड़ जुटी और बैंड बाजे के साथ उनका स्वागत किया गया. इस दौरान कोरोना गाइडलाइन्स की जमकर धज्जियां उड़ाई गई.

भीड़ इतनी ज्यादा थी कि लोगों ने सोशल डिस्टेंशिंग का पालन करना छोड़ दिया और मास्क लगाना भी भूल गए, सिर्फ और सिर्फ वह सेल्फी लेने में मस्त नजर आ रहे थें. जिसके बाद से इस बात की खबर प्रशासन को लगी और उन्होंने सवाई भाट के खिलाफ एक्शन लेने का मूड बना लिया है.

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दरअसल, फैंस सवाई भाट का एक झलक पाने के लिए इतना ज्यादा परेशान थे कि उन्हें मालूम ही नहीं हो रहा था कि अभी कोरोना के गाइडलाइन्स को भी फॉलो करना है.

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जब सवाई अपने नानी के यहां डिडवाना पहुंचे तो वहां भी उनके स्वागत के लिए कई जगहों पर डीजे लगाए गए थें और साथ में उनके स्वागत के लिए हजारों की संख्या में भीड़ जुटी हुई थी. इस कार्यक्रम के वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे है.

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कुछ लोग इस कार्यक्रम के दौरान डांस करना भी शुरू कर दिए जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. इसकी खबर प्रशासन तक जा पहुंची है, अब देखना यह है कि क्या पुलिस वाले इस पर अपनी कार्यवाही करेंगे या फिर सवाई भाट को एक मौका देंगे.

सवाई भाट के गाने को फैंस बहुत ज्यादा पसंद करते थें, उन्हें उम्मीद था कि वह फाइनल तक जरुर जाएंगे, लेकिन आखिरी सफर तक पहुंचने से पहले ही उन्हें शो से बाहर होना पड़ा.

अंतहीन

अंतहीन- भाग 2 : कौनसी अफवाह ने बदल दी गुंजन और उसके पिता की जिंदगी?

‘‘मैत्री से गुंजन का कोट भी लेना है, उस में उस का पर्स, मोबाइल आदि सब हैं मगर मैं कैसे जाऊं?’’ तनु ने असहाय भाव से कहा, ‘‘तुम्हीं लोग ले आओ न, प्लीज.’’

‘‘लेकिन हमें तो कोई गुंजन का सामान नहीं देगा और हो सकता है गाड़ी के बारे में भी कुछ पूछताछ हो,’’ प्रभव ने कहा, ‘‘तुम्हें भी साथ चलना पड़ेगा, तनु.’’

‘‘गुंजन को इस हाल में छोड़ कर?’’ तनु ने आहत स्वर में पूछा.

‘‘गुंजन को तुम ने सही हाथों में सौंप दिया है तनु और फिलहाल सिवा डाक्टरों के उस के लिए कोई और कुछ नहीं कर सकता. तुम्हारी परेशानी और न बढ़े इसलिए तुम गुंजन का सामान और अपनी गाड़ी लेने में देर मत करो,’’ राघव ने कहा.

‘‘ठीक है, मैं दोनों काम कर के 15-20 मिनट में आ जाऊंगी.’’

‘‘यहां आ कर क्या करोगी तनु? न तो तुम अभी गुंजन से मिल सकती हो और न उस के इलाज के बारे में कोई निर्णय ले सकती हो. अपनी चोटों पर भी दवा लगवा कर तुम घर जा कर आराम करो,’’ राघव ने कहा, ‘‘यहां मैं और प्रभव हैं ही. रजत, तू इन लड़कियों के साथ चला जा और सीमा, मिन्नी तुम में से कोई आज रात तनु के साथ रह लो न.’’

‘‘उस की फिक्र मत करो राघव, मगर तनु को गुंजन के हाल से बराबर सूचित करते रहना,’’ कह कर दोनों युवतियां और रजत तनु को ले कर बगैर रामदयाल की ओर देखे चले गए.

गुंजन की चिंता में त्रस्त रामदयाल सोचे बिना न रह सके कि गुंजन के बाप का तो खयाल नहीं, मगर उस लड़की की चिंता में सब हलकान हुए जा रहे हैं. उन के दिल में तो आया कि वह राघव और प्रभव से भी जाने को कहें मगर इन हालात में न तो अकेले रहने की हिम्मत थी और फिलहाल न ही किसी रिश्तेदार या दोस्त को बुलाने की, क्योंकि सब का पहला सवाल यही होगा कि गुंजन नेहरू प्लैनेटोरियम की पहाड़ी पर शाम के समय क्या कर रहा था जबकि गुंजन ने सब को कह रखा था कि 6 बजे के बाद वह बौस के साथ व्यस्त होता है इसलिए कोई भी उसे फोन न किया करे.

रामदयाल तो समझ गए थे कि कहां किस बौस के साथ, वह व्यस्त होता था मगर लोगों को तो कोई माकूल वजह ही बतानी होगी जो सोचने की मनोस्थिति में वह अभी नहीं थे.

तभी उन्हें वरिष्ठ डाक्टर ने मिलने को बुलाया. रौंदे जाने और लुढ़कने के कारण गुंजन को गंभीर अंदरूनी चोटें आई थीं और उस की बे्रन सर्जरी फौरन होनी चाहिए थी. रामदयाल ने कहा कि डाक्टर, आप आपरेशन की तैयारी करें, वह अभी एटीएम से पैसे निकलवा कर काउंटर पर जमा करवा देते हैं.

प्रभव उन्हें अस्पताल के परिसर में बने एटीएम में ले गया. जब वह पैसे निकलवा कर बाहर आए तो प्रभव किसी से फोन पर बात कर रहा था… ‘‘आफिस के आसपास के रेस्तरां में कब तक जाते यार? उन दोनों को तो एक ऐसी सार्वजनिक मगर एकांत जगह चाहिए जहां वे कुछ देर शांति से बैठ कर एकदूसरे का हाल सुनसुना सकें. नेहरू प्लैनेटोरियम आफिस के नजदीक भी है और उस के बाहर रूमानी माहौल भी. शादी अभी तो मुमकिन नहीं है…गुंजन की मजबूरियों के कारण…विधुर पिता के प्रति इकलौते बेटे की जिम्मेदारियां और लगाव कुछ ज्यादा ही होता है…हां, सीमा या मिन्नी से बात कर ले.’’

उन्हें देख कर प्रभव ने मोबाइल बंद कर दिया.

पैसे जमा करवाने के बाद राघव और प्रभव ने उन्हें हाल में पड़ी कुरसियों की ओर ले जा कर कहा, ‘‘अंकल, आप बैठिए. हम गुंजन के बारे में पता कर के आते हैं.’’

रामदयाल के कानों में प्रभव की बात गूंज रही थी, ‘शादी अभी तो मुमकिन नहीं है, गुंजन की मजबूरियों के कारण. विधुर पिता के प्रति इकलौते बेटे की जिम्मेदारियां और लगाव कुछ ज्यादा ही होता है.’ लगाव वाली बात से तो इनकार नहीं किया जा सकता था लेकिन प्रेमा की मृत्यु के बाद जब प्राय: सभी ने उस से कहा था कि पिता और घर की देखभाल अब उस की जिम्मेदारी है, इसलिए उसे शादी कर लेनी चाहिए तो गुंजन ने बड़ी दृढ़ता से कहा था कि घर संभालने के लिए तो मां से काम सीखे पुराने नौकर हैं ही और फिलहाल शादी करना पापा के साथ ज्यादती होगी क्योंकि फुरसत के चंद घंटे जो अभी सिर्फ पापा के लिए हैं फिर पत्नी के साथ बांटने पड़ेंगे और पापा बिलकुल अकेले पड़ जाएंगे. गुंजन का तर्क सब को समझ में आया था और सब ने उस से शादी करने के लिए कहना छोड़ दिया था.

तभी प्रभव और राघव आ गए.

‘‘अंकल, गुंजन को आपरेशन के लिए ले गए हैं,’’ राघव ने बताया. ‘‘आपरेशन में काफी समय लगेगा और मरीज को होश आने में कई घंटे. हम सब को आदेश है कि अस्पताल में भीड़ न लगाएं और घर जाएं, आपरेशन की सफलता की सूचना आप को फोन पर दे दी जाएगी.’’

‘‘तो फिर अंकल घर ही चलिए, आप को भी आराम की जरूरत है,’’ प्रभव बोला.

‘‘हां, चलो,’’ रामदयाल विवश भाव से उठ खड़े हुए, ‘‘तुम्हें कहां छोड़ना होगा, राघव?’’

‘‘अभी तो आप के साथ ही चल रहे हैं हम दोनों.’’

‘‘नहीं बेटे, अभी तो आस की किरण चमक रही है, उस के सहारे रात कट जाएगी. तुम दोनों भी अपनेअपने घर जा कर आराम करो,’’ रामदयाल ने राघव का कंधा थपथपाया.

हालांकि गुंजन हमेशा उन के लौटने के बाद ही घर आता था लेकिन न जाने क्यों आज घर में एक अजीब मनहूस सा सन्नाटा फैला हुआ था. वह गुंजन के कमरे में आए. वहां उन्हें कुछ अजीब सी राहत और सुकून महसूस हुआ. वह वहीं पलंग पर लेट गए.

संपादकीय

कोविड का आपदा ने एक सबक हरेक को सिखाया है कि आफत कभी नोटिस देकर नहीं आती और जब आफत बहुतों को एक साथ आए तो छीनाछपटी की जगह समस्या का सब से आसान हल ढूंढऩा होना चाहिए.

कोरोना के मामले एकदम इतनी तेजी से देशभर में बढ़ेंगे इस की कल्पना किसी ने नहीं की थी. हम तो वैसे ही भविष्य की योजनाएं बनाने में कमजोर हैं क्योंकि हमारी सरकारी मशीनरी का मूलमंत्र बड़े काम का है कि  आफत आए तो कागज बना कर टांग दो. बहुत से परेशान पढ़ कर चाहे मर जाएं, घर लुट जाएं, शोर नहीं मंचाएंगे.

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जब कोविड के मामले बढऩे लगे और न आईसीयू बैड बचे, न औक्सीजन सिलेंडर न रेमडिसिवर जैलि दवाएं, न शमशानों में जगह तो आपाधापी मचने लगी. लोग भूल गए कि समस्या का हल ब्लैक में खरीदना नहीं है, नए बनाने हैं. पर क्या कोई इतना बड़ा काम दिनों में कर सकता है?

हां, यह संभव है. देश में पक्के मकानों की कमी नहीं है सारे देश में एयरकंडीशंड हाल भी बिखरे हुए हैं. सिलेंडर भी उपलब्ध हैं क्योंकि औक्सीजन सिलेंडर इंडस्ट्रीयल उपयोग में आती है. औक्सीजन बनाने के प्लांट भी उपलब्ध है.

देश के होटलों में लाखों की गिनती में बैड बने बनाए खाली पड़े थे. 2-4 दवाओं को छोड़ कर बाकि सब मौजूद था. फिर भी जाने गईं. रोते देखे लोग दिखे, जो बचे उन के परिवारों के पलपल मुश्किल से काटा.

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यह सब इसलिए हुआ कि सरकार मंत्रा में विश्वास करने वाली है और जनता मंत्रा के उच्चारणों के अंधविश्वास में फंसी है और ये मंंत्र ग्रंथों में उसी तरह रहते हैं जैसे जो फाइलों से निकलते हैं और उन्हीं में समा जाते हैं.

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प्रधानमंत्री का कोई भाषण सुन लें. हमें यह करना है, हम वह करेंगे, आप यह करो, आप वह करो का गाना है. हम ने यह कर दिया और खड़े हो कर कराया कभी पता नहीं चलेगा. वे दिन लद गए जब प्रधानमंत्री ड्राइंगों के सामने खड़े हो कर फोटो ङ्क्षखचाया करते थे. अब वे दिन हैं जब प्रधानमंत्री मूॢतयों के आगे लोट लगा कर फोटो ङ्क्षखचाने हैं. आपदा में मानव परिश्रम व सूझबूझ की परीक्षा होती है पर यहां पीएम का आदेश, सीएम का आदेश, डीएम का आदेश, एसपी का आदेश, एसएसओ का आदेश, सीएमओ का आदेश लटका दिखेगा, और कुछ नहीं.

अंतहीन- भाग 1: कौनसी अफवाह ने बदल दी गुंजन और उसके पिता की जिंदगी?

रामदयाल क्लब के लिए निकल ही रहे थे कि फोन की घंटी बजी. उन के फोन पर ‘हेलो’ कहते ही दूसरी ओर से एक महिला स्वर ने पूछा, ‘‘आप गुंजन के पापा बोल रहे हैं न, फौरन मैत्री अस्पताल के आपात- कालीन विभाग में पहुंचिए. गुंजन गंभीर रूप से घायल हो गया है और वहां भरती है.’’

इस से पहले कि रामदयाल कुछ बोल पाते फोन कट गया. वे जल्दी से जल्दी अस्पताल पहुंचना चाह रहे थे पर उन्हें यह शंका भी थी कि कोई बेवकूफ न बना रहा हो क्योंकि गुंजन तो इस समय आफिस में जरूरी मीटिंग में व्यस्त रहता है और मीटिंग में बैठा व्यक्ति भला कैसे घायल हो सकता है?

गुंजन के पास मोबाइल था, उस ने नंबर भी दिया था मगर मालूम नहीं उन्होंने कहां लिखा था. उन्हें इन नई चीजों में दिलचस्पी भी नहीं थी… तभी फिर फोन की घंटी बजी. इस बार गुंजन के दोस्त राघव का फोन था.

‘‘अंकल, आप अभी तक घर पर ही हैं…जल्दी अस्पताल पहुंचिए…पूछताछ का समय नहीं है अंकल…बस, आ जाइए,’’ इतना कह कर उस ने भी फोन रख दिया.

ड्राइवर गाड़ी के पास खड़ा रामदयाल का इंतजार कर रहा था. उन्होंने उसे मैत्री अस्पताल चलने को कहा. अस्पताल के गेट के बाहर ही राघव खड़ा था, उस ने हाथ दे कर गाड़ी रुकवाई और ड्राइवर की साथ वाली सीट पर बैठते हुए बोला, ‘‘सामने जा रही एंबुलैंस के पीछे चलो.’’

‘‘एम्बुलैंस कहां जा रही है?’’ रामदयाल ने पूछा.

‘‘ग्लोबल केयर अस्पताल,’’ राघव ने बताया, ‘‘मैत्री वालों ने गुंजन की सांसें चालू तो कर दी हैं पर उन्हें बरकरार रखने के साधन और उपकरण केवल ग्लोबल वालों के पास ही हैं.’’

‘‘गुंजन घायल कैसे हुआ राघव?’’ रामदयाल ने भर्राए स्वर में पूछा.

‘‘नेहरू प्लैनेटोरियम में किसी ने बम होने की अफवाह उड़ा दी और लोग हड़बड़ा कर एकदूसरे को रौंदते हुए बाहर भागे. इसी हड़कंप में गुंजन कुचला गया.’’

‘‘गुंजन नेहरू प्लैनेटोरियम में क्या कर रहा था?’’ रामदयाल ने हैरानी से पूछा.

‘‘गुंजन तो रोज की तरह प्लैनेटोरियम वाली पहाड़ी पर टहल रहा था…’’

‘‘क्या कह रहे हो राघव? गुंजन रोज नेहरू प्लैनेटोरियम की पहाड़ी पर टहलने जाता था?’’

अब चौंकने की बारी राघव की थी इस से पहले कि वह कुछ बोलता, उस का मोबाइल बजने लगा.

‘‘हां तनु… मैं गुंजन के पापा की गाड़ी में तुम्हारे पीछेपीछे आ रहा हूं…तुम गुंजन के साथ मेडिकल विंग में जाओ, काउंटर पर पैसे जमा करवा कर मैं भी वहीं आता हूं,’’ राघव रामदयाल की ओर मुड़ा, ‘‘अंकल, आप के पास क्रेडिट कार्ड तो है न?’’

‘‘है, चंद हजार नकद भी हैं…’’

‘‘चंद हजार नकद से कुछ नहीं होगा अंकल,’’ राघव ने बात काटी, ‘‘काउंटर पर कम से कम 25 हजार तो अभी जमा करवाने पड़ेंगे, फिर और न जाने कितना मांगें.’’

‘‘परवा नहीं, मेरा बेटा ठीक कर दें, बस. मेरे पास एटीएम कार्ड भी है, जरूरत पड़ी तो घर से चेकबुक भी ले आऊंगा,’’ रामदयाल राघव को आश्वस्त करते हुए बोले.

ग्लोबल केयर अस्पताल आ गया था, एंबुलैंस को तो सीधे अंदर जाने दिया गया लेकिन उन की गाड़ी को दूसरी ओर पार्किंग में जाने को कहा.

‘‘हमें यहीं उतार दो, ड्राइवर,’’ राघव बोला.

दोनों भागते हुए एंबुलैंस के पीछे गए लेकिन रामदयाल को केवल स्ट्रेचर पर पड़े गुंजन के बाल और मुंह पर लगा आक्सीजन मास्क ही दिखाई दिया. राघव उन्हें काउंटर पर पैसा जमा कराने के लिए ले गया और अन्य औपचारिकताएं पूरी करने के बाद दोनों इमरजेंसी वार्ड की ओर चले गए.

इमरजेंसी के बाहर एक युवती डाक्टर से बात कर रही थी. राघव और रामदयाल को देख कर उस ने डाक्टर से कहा, ‘‘गुंजन के पापा आ गए हैं, बे्रन सर्जरी के बारे में यही निर्णय लेंगे.’’

डाक्टर ने बताया कि गुंजन का बे्रन स्कैनिंग हो रहा है मगर उस की हालत से लगता है उस के सिर में अंदरूनी चोट आने की वजह से खून जम गया है और आपरेशन कर के ही गांठें निकालनी पड़ेंगी. मुश्किल आपरेशन है, जानलेवा भी हो सकता है और मरीज उम्र भर के लिए सोचनेसमझने और बोलने की शक्ति भी खो सकता है. जब तक स्कैनिंग की रिपोर्ट आती है तब तक आप लोग निर्णय ले लीजिए.

यह कह कर और आश्वासन में युवती का कंधा दबा कर वह अधेड़ डाक्टर चला गया. रामदयाल ने युवती की ओर देखा, सुंदर स्मार्ट लड़की थी. उस के महंगे सूट पर कई जगह खून और कीचड़ के धब्बे थे, चेहरा और दोनों हाथ छिले हुए थे, आंखें लाल और आंसुओं से भरी हुई थीं. तभी कुछ युवक और युवतियां बौखलाए हुए से आए. युवकों को रामदयाल पहचानते थे, गुंजन के सहकर्मी थे. उन में से एक प्रभव तो कल रात ही घर पर आया था और उन्होंने उसे आग्रह कर के खाने के लिए रोका था. लेकिन प्रभव उन्हें अनदेखा कर के युवती की ओर बढ़ गया.

‘‘यह सब कैसे हुआ, तनु?’’

‘‘मैं और गुंजन सूर्यास्त देख कर पहाड़ी से नीचे उतर रहे थे कि अचानक चीखतेचिल्लाते लोग ‘भागो, बम फटने वाला है’ हमें धक्का देते हुए नीचे भागे. मैं किनारे की ओर थी सो रेलिंग पर जा कर गिरी लेकिन गुंजन को भीड़ की ठोकरों ने नीचे ढकेल दिया. उसे लुढ़कता देख कर मैं रेलिंग के सहारे नीचे भागी. एक सज्जन ने, जो हमारे साथ सूर्यास्त देख कर हम से आगे नीचे उतर रहे थे, गुंजन को देख लिया और लपक कर किसी तरह उस को भीड़ से बाहर खींचा. तब तक गुंजन बेहोश हो चुका था. उन्हीं सज्जन ने हम लोगों को अपनी गाड़ी में मैत्री अस्पताल पहुंचाया.’’

‘‘गुंजन की गाड़ी तो आफिस में खड़ी है, तेरी गाड़ी कहां है?’’ एक युवती ने पूछा.

‘‘प्लैनेटोरियम की पार्किंग में…’’

‘‘उसे वहां से तुरंत ले आ तनु, लावारिस गाड़ी समझ कर पुलिस जब्त कर सकती है,’’ एक युवक बोला.

‘‘अफवाह थी सो गाड़ी तो खैर जब्त नहीं होगी, फिर भी प्लैनेटोरियम बंद होने से पहले तो वहां से लानी ही पड़ेगी,’’ राघव ने कहा.

ऐसे बनाएं कटहल का स्क्वैश

लेखक-डा. साधना वेश 

आमतौर पर कटहल की सब्जी बनाई जाती है, जो अनेक लोगों की पसंदीदा सब्जी होती है. कटहल का अचार भी अनेक लोग बनाना पसंद करते हैं, जिसे लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन जब कटहल पक जाता है, तो उस की सब्जी नहीं बनाई जाती, क्योंकि उस में मीठापन आ जाता है. कुछ लोग उसे ऐसे ही बड़े स्वाद से खाते हैं.

आजकल पके कटहल से स्क्वैश भी बनाया जाने लगा है, जिसे बनाने का बहुत ही सरल तरीका यहां दिया जा रहा है, इसलिए आप भी घर में कटहल का स्क्वैश बना सकते हैं.

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कटहल का स्क्वैश बनाने के लिए निम्नलिखित सामग्री की जरूरत होती है :

कटहल का गूदा : 1 किलोग्राम.

चीनी : 1.75 किलोग्राम.

पानी : 1 लिटर.

सिट्रिक एसिड : 40 ग्राम.

पोटैशियम मैटाबाईसल्फाइट : 2.5 ग्राम.

खाने वाला पीला रंग जरूरत के मुताबिक.

 बनाने की विधि

* पूरी तरह से पके हुए रसदार कोवे वाले कटहल को ले कर बीच से  2 भागों में काटिए. हाथों में तेल लगा कर कोवे को छिलके व कोर से अलग कर दीजिए. कोवे के दोनों छोर काट कर अंदर के बीज व पतले आवरण को निकाल दीजिए. कोवे को काट लीजिए.

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* कोवे के टुकड़ों को उन के आधे तौल के पानी में यानी 1 किलोग्राम कोवे में आधा लिटर पानी मिला कर धीरेधीरे गरम कीजिए. एक महीन छलनी में गूदा डाल कर खूब रगड़ कर एकसार कर लीजिए.

* चीनी, पानी और सिट्रिक एसिड को मिला कर गरम कीजिए और कपड़े से छान लें.

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* गूदा और चीनी के घोल को एक साफ बरतन में डाल कर अच्छी तरह से मिलाएं. इस में पीला रंग जरूरत के मुताबिक मिला दीजिए. आखिर में पोटैशियम मैटाबाईसल्फाइट को थोड़े से स्क्वैश में घोल कर अच्छी तरह मिला दीजिए.

* तैयार स्क्वैश को बोतलों  में भर कर ढक्कन लगा कर बंद  कर दीजिए और सूखी जगह पर  रख लीजिए.

 

 

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