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3 हत्याओं से खुला इश्क का खौफनाक मंजर

सौजन्य: मनोहर कहानियां

Writer- श पी.एल. कश्यप ‘अलंकृत’

इधर लखनऊ पुलिस 3 लाशों का सच जानने के सिलसिले में उस के हत्यारे की तलाश में जुटी थी, तो वहीं हत्यारा सरफराज खुद को बचाने का तानाबाना बुन कर पुलिस की आंखों में धूल झोंक रहा था.

विधानसभा चुनावों की गहमागहमी में एक सप्ताह के भीतर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 3 लाशों के बरामद होने से कानूनव्यवस्था पर अंगुली उठने लगी थी. बरामद लाशों के पहनावे आदि से उन के मुसलिम होने का संदेह हुआ था. इस वजह से पुलिस और भी चिंतित हो गई थी. पुलिस को इस बात की आशंका थी कि कहीं इसे कोई राजनीतिक दल या सोशल मीडिया सांप्रदायिक मुद्दा न बना दे.

पहली लाश 6 जनवरी, 2022 को सुबहसुबह लखनऊ जिले के सीतापुर रोड से इटौंजा थाना क्षेत्र में मिली थी. उसे थानाप्रभारी सुभाषचंद्र सरोज ने एक सड़क ठेकेदार की सूचना पर बरामद किया था.

वह एक 25-26 वर्षीय युवक की लाश थी, जो सुलतानपुर गांव के पास सुनसान जगह पर सड़क किनारे  गड्ढे में पड़ी हुई थी. उस की गरदन आधी कटी थी, लेकिन शरीर पर कहीं भी चोट के निशान नहीं थे. उस का पहनावा मुसलिमों जैसा था.

शव बरामदगी के बाद उसे अज्ञात लाश के तौर पर पंचनामा कर भादंवि की धारा 302 के तहत अनजान व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई थी. इसी के साथ आगे की काररवाई शुरू की जा चुकी थी.

दूसरी लाश 2 दिनों के बाद 8 जनवरी, 2022 को मलीहाबाद थानांतर्गत जेहटा रोड पर यादव खेड़ा गांव के पास मिली थी. वह लाश एक 60-62 साल के व्यक्ति की थी. इस की भी मलीहाबाद थाने में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया था. इस लाश की गरदन कटी हुई थी, लेकिन उस पर जख्म के कई निशान थे. यह लाश भी पहली नजर में देखने पर मुसलिम व्यक्ति की लग रही थी.

तीसरी लाश की बरामदगी 13 जनवरी को माल थाने के अंतर्गत दुबग्गा मेन रोड के किनारे झाडि़यों से हुई थी. वह लाश एक वृद्ध महिला की थी. उस का पहनावा भी मुसलमानों वाला ही था. पुलिस ने उसे भी अज्ञात शव के तौर पर अनजान आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था.

इस तरह से एक सप्ताह के भीतर 3 अलगअलग थानों में 3 अज्ञात लाशों की प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी थी. इस की सूचना जब लखनऊ के पुलिस हैडक्वार्टर को मिली, तब बड़े अधिकारी चिंतित हो गए. इस की वजह यह थी कि मीडिया में अज्ञात मुसलिम समुदाय के व्यक्तियों की लाशें बरामद होने की खबरें आने लगी थीं.

सोशल मीडिया पर भी इस की चर्चा हो रही थी. इसे देखते हुए आला पुलिस अधिकारियों ने तीनों थानों के प्रभारियों को उन के बारे में जल्द से जल्द तहकीकात कर मामले को निपटाने के आद

राहुल-प्रियंका: राहें अभी और भी हैं…

दरअसल,उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनाव परिणाम के पश्चात देश में जो हवाएं बह रही है उसके मुताबिक कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में तो कांग्रेस को खोने के लिए कुछ भी न था, मगर उत्तराखंड, पंजाब और गोवा की हालत कांग्रेस के ताबूत पर एक कील के रूप में देखी जा रही है. ऐसी स्थितियों में इस रिपोर्ट में हम उन महत्वपूर्ण तथ्यों पर नजर डाल रहे हैं जिससे आने वाले समय में कांग्रेस मजबूत होती है.

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों में कांग्रेस के सुपड़ा साफ होने के बाद राहुल और प्रियंका गांधी जैसे शीर्ष  नेतृत्व पर सवाल उठ खड़े होने की संभावना है.

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कांग्रेस शासित पंजाब जिसे बड़े ही राजनीतिक सूझबूझ के साथ अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस की झोली में डाला था हाथ से निकल गया है. पंजाब की सबसे बड़ी ताकत अकाली दल उसके बाद भाजपा की जगह अगर अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी ने सत्ता पर कब्जा बनाया है तो सवाल खड़े हो जाते हैं कि कांग्रेस 5 साल आखिर क्या कर रही थी?

पंजाब में जिस तरीके से गुटबाजी अपने उफान पर थी नवजोत सिंह सिद्धू लगातार हाईकमान को आंखें दिखा रहे थे. मुख्यमंत्री को औकात दिखाने की कोशिश जारी थी और यह सब छुपी हुई बातें नहीं बल्कि देश की नजरों के सामने चल रही थी. इस नाटक को रोक पाने में राहुल और प्रियंका गांधी नाकाम रहे. यही हालात उत्तराखंड में भी चल रहे थे. परिणाम स्वरूप वही हुआ जिसकी आशंका थी पंजाब और उत्तराखंड दोनों ही महत्वपूर्ण राज्य कांग्रेस के हाथ से निकल गए हैं अब चिंतन का विषय यह है कि राहुल गांधी जो कांग्रेस से पहले ही एक तरह से हाशिए पर स्वयं चले गए हैं यानी कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ चुके हैं क्या कदम उठाते हैं.

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प्रियंका का राजनीतिक पाठ

उत्तर प्रदेश का अति महत्वपूर्ण चुनाव इस दफे पूरी तरीके से प्रियंका गांधी के हाथों में था. शुरुआत में उन्होंने उत्तर प्रदेश के साथ पूरे देश में यह संदेश दिया कि कांग्रेस बड़ी ताकत के साथ आगे आ रही है उनकी घोषणाओं वक्तव्यों को लोगों ने बड़ी गंभीरता से लिया जिसमें उन्होंने कहा था कि मैं लड़की हूं और लड़ सकती  हूं.

जिस राजनीतिक परिपक्वता का परिचय प्रियंका गांधी को देना चाहिए था उसमें चूक हो गई. चुनाव के दरमियान जब एक पत्रकार ने उनसे पूछा था कि क्या आप मुख्यमंत्री पद की दावेदार हैं तो प्रियंका ने इशारे इशारे में कहा था कि कौन दिखाई दे रहा है और कोई है क्या?

इस बात का उत्तर प्रदेश सहित संपूर्ण देश में एक सकारात्मक प्रभाव गया था. मगर चंद घंटों बाद ही उन्होंने यह बयान वापस ले लिया. सच तो यह है कि इसके बाद से ही उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पीछे पीछे और पीछे होती चली गई.

मुख्यमंत्री वाले बयान पर अगर प्रियंका गांधी कायम होती तो निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का चित्र बदल सकता था. कांग्रेस को चाहिए कि वह अनुभवी साथियों  को तवज्जो दें और पार्टी संगठन को मजबूत बनाने का प्रयास करें.

अन्यथा आने वाले समय में कांग्रेस  देश के राजनीतिक नक्शे से ही गायब न हो जाए.

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यहां गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के यूपी में पार्टी की कमान संभालने के बावजूद राज्य में कांग्रेस का मत फीसद आधा रह गया. इस बार पार्टी यूपी में तीन फीसद मत हासिल करने में यूपी नाकाम रही है.

उल्लेखनीय है कि पंजाब जहां कांग्रेस सत्ता में थी, वहां कांग्रेस का मत फीसद 2017 में 38.5 फीसद से गिर कर 2022 में 23.3 फीसद हो गया . इसके अतिरिक्त 2017 में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी कांग्रेस गोवा और मणिपुर में दूसरे पायदान पर खिसकने से पार्टी के मत फीसद में भी गिरावट आई है. मणिपुर में कांग्रेस का वोट मत फीसद 2017 में 35.1 फीसद था, 2022 में आधा होकर 17 फीसद रह गया .

तेजस्वी प्रकाश और Karan Kundrra जल्द करेंगे शादी? खुद किया कुबूल

तेजस्वी प्रकाश (Tejasswi Prakash) और करण कुंद्रा (Karan Kundrra) की जोड़ी फैंस का दिल जीत रही है. फैंस को करण-तेजस्वी के फोटोज और वीडियो का बेसब्री से इंतजार रहता है. दोनों की केमिस्ट्री फैंस को खूब पसंद आती है. हाल ही में तेजस्वी प्रकाश और करण कुंद्रा अपने मम्मी-पापा के साथ एक्ट्रेस के घर पर भी मिले थे, जिससे जुड़ी उनकी फोटोज और वीडियो खूब वायरल हुए थे.

दरअसल करण कुंद्रा को तेजस्वी प्रकाश के घर पर स्पॉट किया गया. करण अपने पेरेंट्स के साथ तेजस्वी प्रकाश के घर पहुंचे थे. इस दौरान करण के माथे पर टीका लगा नजर आया. जिससे अंदाजा लगाया गया कि करण कुंद्रा और तेजस्वी प्रकाश का रोका हो गया है. लेकिन करण कुंद्रा ने बताया कि वह तेजस्वी प्रकाश के मम्मी-पापा की एनीवर्सरी सेलीब्रेट करने गए थे.

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अब करण कुंद्रा का एक वीडियो सामने आया है. इस वीडियो को देखने के बाद आप भी कहेंगे कि करण-तेजस्वी जल्द ही शादी करेंगे. करण कुंद्रा कैमरे के सामने कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि वह तेजस्वी प्रकाश के साथ अपनी जिंदगी बिताना चाहते हैं.

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दरअसल, करण कुंद्रा से सवाल किया गया कि वह तेजस्वी प्रकाश के साथ फिल्म, शो या क्या करना चाहते हैं? इसके जवाब में करण ने कहा, मुझे लगता है कि मैं उनके साथ अपनी जिंदगी बिताना चाहता हूं, मूवी और शो तो आते-जाते रहेंगे.

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Anupamaa: अनुपमा ने की अनुज की नकल, Video हुआ वायरल

‘अनुपमा’ सीरियल में अनुज कपाड़िया (Anuj Kapadia) और अनु (Anupama) की जोड़ी अक्सर चर्चे में छायी रहती है. दोनों की जोड़ी को फैंस बहुत पसंद करते हैं. अनुज-अनुपमा ऑफस्क्रीन भी खूब मस्ती करते हैं. अनुपमा कैमरे के पीछे अनुज को खूब तंग करती है. एक वीडियो ने इसका खुलासा किया है. इस वीडियो को अनुपमा ने शेयर किया है.

इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि सेट पर अनुपमा और अनुज एक साथ सेट पर मस्ती करते हुए दिखाई दे रहे हैं. वीडियो में अनुपमा कहती हुई दिखाई दे रही है, ‘देखिए द अनुज कपाड़िया की वॉक.’ इसके बाद अनुपमा अनुज कपाड़िया की तरह चलने की नकल करती हैं. जिसे देखने के बाद अनुज कहता है, ये तो ऐसे चल रही है जैसे कोई रैंप पर वॉक कर रहा हो.तभी रुपाली गांगुली कहती है, हां  लेकिन आप ऐसे ही वॉक करते हैं.

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रुपाली गांगुली ने इस वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन लिखा है. वॉक करो बात नहीं. ये तो वॉक था वॉक है. द अनुज कपाड़िया वॉक अनुपमा के द्वारा.

 

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अनुपमा के अपकमिंग एपिसोड में खूब ड्रामा देखने को मिलने वाला है. शो में आप देखेंगे कि अनुपमा शाह हाउस में किंजल के लिए रहने लगेगी. तो दूसरी तरफ वनराज अपने तेवर दिखाएगा. वनराज कहेगा कि अनुज शाह हाउस में अनुपमा से नहीं मिल सकता. जिसके बाद वनराज और अनुपमा के बीच जबरदस्त बहस होगी.

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तो दूसरी तरफ अनुपमा के आने बाद काव्या भी चिढ़ जाएगी. काव्या वनराज को खरी-खोटी सुनाएगी. वनराज के मना करने के बाद भी अनुज शाह हाउस पहुंच जाएगा. अनुज अनुपमा साथ में शिवरात्री की पूजा करेंगे. अनुज और अनुपमा का प्यार देखकर वनराज को जलन होगी.

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पौराणिक ख्वाब

‘2 मई, दीदी गई’ का नारा देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई बयान नहीं आया पर उन में छटपटाहट और हताशा अवश्य होगी. दरअसल, पश्चिम बंगाल के शहरी निकायों के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी का ‘जयश्रीराम’ का छद्म नारा एक भी शहर में नहीं चला. 107 शहरी निकायों में से 102 पर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने कब्जा कर लिया. धर्म को राष्ट्र का नाम दे व पूजापाठ को विकास का नारा दे कर जो ख्वाब पौराणिक सोच वाली, हेडगेवार, सावरकर व गोलवालकर की अनुयायी, भारतीय जनता पार्टी ने देखा था वह चूर होता प्रतीत हो रहा है क्योंकि वह एकएक कर चुनाव हारती जा रही है.

दक्षिण में तमिलनाडू में भी यही हुआ जब नगर पंचायतों के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी समर्थक अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम को न के बराबर सीटें मिलीं और कांग्रेस व द्रविड़ मुनेत्र कषगम के सहयोग वाले गठबंधन ने लगभग सारे जिले जीत लिए. 21 कौर्पोरेशनों, 138 म्युनिसिपैलिटीज और 489 शहरी पंचायतों की 12,500 सीटें में से दोतिहाई से ज्यादा एम के स्टालिन की झोली में जा गिरीं.

ओडिशा के स्थानीय चुनावों की 829 सीटों में से 74 सीटों पर नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल को जीत मिली, दूसरे नंबर पर 42 सीटें भारतीय जनता पार्टी को मिलीं. भाजपा ने 5 वर्षों पहले 297 सीटों पर कब्जा किया था.

नरेंद्र मोदी और अमित शाह की अहंकारी व हर समय लडऩे के मूड वाली राजनीति उत्तर प्रदेश और 4 अन्य विधानसभाओं में ही नहीं पिट रही है, उन राज्यों में भी मार खा रही है जहां भारतीय जनता पार्टी मेहनत से पैर जमा रही थी.

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2014 के बाद सरकार चलाने में बेसिरपैर के फैसले लेने की जो आदत भाजपा सरकार ने अपना ली है वह अब कच्चे रंगों की तरह से घुल गई है और पूरे भारत में वह अब कांग्रेस की जगह पर आ खड़ी हुई है. ओडिशा और पश्चिम बंगाल दोनों में सीटें लगभग बराबर हैं.

पौराणिक ग्रंथों को पढ़पढ़ कर आए पूजापाठी लोगों की सरकार के फैसले पुराणों की कहानियों से प्रेरित होते हैं. अमृत मंथन में पहले दस्युओं को साथ लेना और फिर विष्णु का मोहिनी रूप धारण कर उन से अमृत क्लश छीन लेना या दशरथ का एक अंधे दंपती के पुत्र को मार डालना या कौरवों और पांडवों का भाईयों के झगड़े में बड़ी लड़ाई कर डालना और उसे जीतने के लिए कृष्ण की अगुआई में पांडवों का हर नियम को तोड़ देना आज भगवाई नेताओं की सोच का हिस्सा बना हुआ है.

भारतीय जनता पार्टी के नेता अच्छे वक्ता हैं. प्रवचनों में कुतर्क का जम कर इस्तेमाल होता है. कपोलकल्पित बातें बारबार दोहराई जाती हैं. संस्कृत शब्दों से लपेट कर हर तरह की बेईमानी को भगवान की मरजी घोषित कर दिया जाता है. पिछड़ों को शूद्र और दलितों को अछूत की सोच को कृष्ण की गीता का आदेश मान कर 21वीं सदी में थोपा जा रहा है.

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देश अब इस छलावे से होशियार होने लगा है. उसे मंदिर या हिंदू राष्ट्र नहीं, रोजगार, सही सड़कें, साफसुथरे शहर और संविधान के अनुसार स्वतंत्रता, बराबरी, कानून का राज चाहिए. वर्ष 1996 के बाद कांग्रेस के पतन का कारण यह था कि उस में ब्राह्मणत्व बुरी तरह घुसने लगा था. वर्ष 2004 में सोनिया गांधी ने इस दलदल से पार्टी को निकाला पर 2014 आतेआते ब्राह्मणत्व के खिलाफ उन की लड़ाई धीमी पड़ गई. नरेंद्र मोदी ने उसी के उग्र रूप -हिंदुत्व- का लाभ उठा कर एकछत्र राज की नींव रख दी. अफसोस कि पूजापाठों, साष्टांग प्रवचनों, आरतियों, धर्मों आदि ढकोसलों से किसी देश का उत्थान नहीं होता.

नरेंद्र मोदी और मंहगाई का भूत

शायद आपको पता नहीं हो, मगर यह सच है कि जिस दिन से पांच राज्यों का चुनाव का आगाज हुआ है देश में पेट्रोल और डीजल के दामों में मानो ब्रेक लग गया है.

इसका सीधा सा मतलब यह है कि केंद्र सरकार यह जब कहती है कि पेट्रोल-डीजल के दाम हमारे हाथों में नहीं है यह तो कंपनियां तय करती है, तो वह सफेद झूठ कहती है.

हम आपको अभी से बताते चलें कि जैसे ही उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्य की विधानसभा चुनाव संपन्न होंगे पेट्रोल डीजल के दाम फिर बढ़ने लगेंगे.

इस घटनाक्रम से संपूर्ण सत्य का उद्घाटन हो जाता है और सबसे बड़ी बात यह है कि केंद्र सरकार हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी की भाजपा सरकार का एक ऐसा सच उद्घाटित होता है जिससे यह पता चलता है कि एक रणनीति के तहत सारा खेल चलता रहता है. और भोले भाले नागरिक, अंधभक्त किसी दूसरी दुनिया में विचरण करते रहते हैं.

हम अगर यह कहे कि महंगाई एक सच है तो फिर सरकार को  भी इसके लिए तैयार रहना चाहिए कि वह देश की आम जनता को यह समझा सके कि सच क्या है और राहत भी दे सकें. इसके लिए एक चुनी हुई सरकार को ईमानदार सरकार की भूमिका का निर्वहन करना होगा.

आम जनमानस को यह महसूस होना चाहिए कि चुने हुए प्रतिनिधि सच्चे अर्थों में हमारा प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, हमारे सुख दुख में भागीदार हैं. हमारे हित में निर्णय कर रहे हैं मगर आजादी के बाद धीरे-धीरे स्थिति बिगड़ती चली गई है और हमारे जनप्रतिनिधि 5 साल तक हमसे दूर दूर रहते हैं चुनाव आते ही हमारे सबसे बड़े वेलविशर हो जाते हैं.

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मंहगाई को रोकने के उपाय….

अब एक नया संकट सामने आ गया है-  रूस यूक्रेन के बीच शुरू हो रहा युद्ध. इससे देश दुनिया की आर्थिक स्थिति पर खासा असर दिखाई देने वाला है.

यूक्रेन पर रूस के हमले से बने दुनियावी हालात को देखते हुए कच्चे तेल की कीमत पहले नौ वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है. इससे आपको को महंगे पेट्रोलियम उत्पादों का बोझ तो उठाना ही पड़ेगा. और दूसरी महंगाई के लिए भी अब आपको तैयार हो जाना चाहिए.

दरअसल, रूस प्रतिदिन पैंसठ लाख बैरल कच्चा तेल निर्यात करता है और दुनिया भर में कुल गैस का सत्रह फीसद उत्पादन अकेले दम रूस करता है. अब हम देश की यानी घरेलू स्तर पर इसके असर की बात करें तो आम  आदमी को महंगे पेट्रोल-डीजल एवं महंगी रसोई गैस के लिए अपनी जेब हल्की करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए.

देश में अभी बड़ी ही चतुराई के साथ महंगाई को रोक के रखा गया है याने की केंद्र सरकार महंगाई के भूत से भयभीत है यह जानती है कि मतदान के समय तक महंगाई को रोक कर रखा जाए जैसे ही मतदान समाप्त होगा महंगाई आपके सर पर डोलने लगेगी.

दरअसल,पांच राज्यों के चुनाव के बाद तुरंत तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतें अवश्य बढ़ाएंगी,बस अब देखना यह है कि सारा बोझ एक साथ जनता पर पड़ेगा या यह दिन प्रतिदिन बढ़ेगी .

महंगाई तो सुरसा की तरह  खड़ी है मगर आम जनता के लिए सरकार क्या राहत ला रही है यह हमें देखना है.

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राजस्थान सरकार के मुखिया अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार को एक रास्ता दिखाया है पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करके उन्होंने एक तरह से बाजी मार ली है.

अब यह परिपाटी सबको स्वीकार करनी चाहिए देश की सभी राज्य सरकारों से अपेक्षा है कि वे पुरानी पेंशन का प्रावधान लागू करने की व्यवस्था अवश्य करें, जिसे जनवरी 2022 से पहले से लागू किया जाए, तो काफी कर्मचारियों को लाभ मिलेगा. वर्तमान पेंशन व्यवस्था सभी के लिए काफी दुखदाई है और किसी को भी इससे कोई फायदा नहीं मिल रहा है.

देश में महंगाई जिस तो है सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती जा रही है उसी प्रकार नरेंद्र दामोदरदास मोदी सरकार को भी चाहिए कि महंगाई रोकने के उपाय करें जनता को राहत दे.

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पैसा ही शक्ति है

Writer- राज लक्ष्मी

प्रश्न बहुत जटिल और असमंजस भरा है लेकिन है समय की जरूरत है. वास्तव में पैसा क्या है? क्या पैसे के अभाव में फैली विकट परिस्थितियां उपज सकती हैं जैसे ढेरों सवाल इस प्रश्न से जुड़े हैं.

कोविड के दौरान लोगों को पता चला कि अगर हाथ में पूंजी न होती, जान पर कितनी आफतें आ सकती हैं. यह कभी पता नहीं चलेगा कि पैसे की कमी के चलते कितनों को एंबुलैंस नहीं मिली, कितनों को औक्सीजन सिलैंडर नहीं मिला.

‘बाप बड़ा न भैया, सब से बड़ा रुपया.’ पैसे को शक्ति मानना कहां तक उचित है, यह सोचने वाली बात है. इस बारे में हरेक की सोच अलग हो सकती है पर कहीं न कहीं बात पैसे को किसी न किसी रूप में शक्ति मानने पर ही ठहर जाती है.

बुनियादी जरूरत

मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘कफन’ पैसे के महत्त्व को एकदम से उजागर कर देती है. उस में नायक घीसू, भूख से परेशान होने के कारण, ने अपनी पत्नी के लिए एकत्रित उस के कफन के पैसों से भरपेट खाना खाया व शराब पी और उस के बाद मरने वाली को आशीर्वाद देने लगा कि जातेजाते भी वह उस के लिए खानेपीने का इंतजाम कर गई. इस कहानी ने पैसे के लिए व्यक्ति किसी हद तक गिर सकता है उजागर कर दिया. धर्म के ठेकेदार बारबार धर्म को मानने के साथ दानदक्षिणा पर ही जोर देते हैं. वे जानते हैं कि असल शक्ति उन का बनाया भगवान नहीं, उस के नाम पर वसूला पैसा है.

यह निर्विवाद सत्य है कि पैसा व्यक्ति की मूलभूत जरूरत है. उस के बिना एक कदम चल पाना भी मुश्किल है. हालांकि पैसों के अभाव में देश की 50 फीसदी जनसंख्या है.

भारत सरकार जो ढोंग पीट रही है कि वह 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दे रही है, वह टैक्स के पैसे की शक्ति के कारण कर पा रही है. अगर सरकार के पास लाखों करोड़ का बजट न होता तो उस के द्वारा यह दावा नहीं किया जा सकता था.

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पैसा शक्ति है

इस में संदेह नहीं है कि अगर आप के पास पैसा है तो सारी दुनिया आप की मुट्ठी में है. लेकिन पैसे की कमी आप की सारी योग्यता और आत्मविश्वास को नगण्य कर देती है. नौकरी के लिए आवेदन करना है तो पैसा चाहिए. उपयुक्त पद पर चयन हेतु पैसे का चढ़ावा देना पड़ेगा.

अगर आप के बटुए में पर्याप्त पैसा है तो सफर के दौरान या खरीदारी के दौरान गर्व से दीप्त चेहरा व्यक्ति के व्यक्तित्व को खुद ही बढ़ा देता है. सच यह है कि पैसे के आगे सारे के सारे नियमकानून धरे के धरे रह जाते हैं. अगर आप के पौकेट में पैसा है तो आप रैडलाइट जंप करने से भी नहीं हिचकेंगे. क्योंकि आप को पता है ज्यादा से ज्यादा चालान हो जाएगा और आप को कुछ पैसा देना पड़ेगा. यही नहीं, आप बिना मास्क के भी चल सकते हैं और दुकान भी लौकडाउन में खोल सकते हैं.

पैसा है तो डर, भय, आशंका सब एक ?ाटके से दूर हो जाते हैं. पैसे की शक्ति व्यक्ति को गलती के भय को सही बनाने की सामर्थ्य दे देती है. आईएएस प्रतियोगिता के लिए कोचिंग इंस्टिट्यूट चलाने वाली टीचर का कहना है, ‘‘पैसा शक्ति है, यह कुछ हद तक सही है. जब मेरे पास पर्याप्त पैसा होता है तो मेरी सृजनशीलता बढ़ जाती है. उस समय मेरा दिमाग तेजी से काम करता है. मु?ो पता होता है कि कैसे काम जल्दी से करना है. ऐड बनवाना है, औफिस मैनेजमैंट करना है या फिर घर में ही कोई पार्टी अरेंज करनी है, सबकुछ अच्छे से हो जाता है क्योंकि बटुए में पर्याप्त पैसा मेरे आत्मविश्वास को बढ़ा देता है और मैं सारे कार्य सुचारु रूप से कर पाती हूं.’’

योग्यता नहीं, पैसा भारी

पैसे के पावर में बहुत दम है. कुछ टेढ़ेमेढ़े कार्यों को करवाने के लिए भी पैसा मददगार है. वैसे भी चांदी का जूता किसी के मुंह पर मारा जाए तो इस से किसी को कष्ट नहीं होता बल्कि लोग इसे सहर्ष स्वीकारते हैं.

पैसा होने पर अपनी प्राइवेट फर्म में एमडी की कुरसी पर बैठा नाकाबिल बौस भी अपने से 10 गुना बुद्धिमान व योग्य कर्मचारियों को बेवकूफ और निकम्मा कह कर हर वक्त उन्हें प्रताडि़त कर सकता है. जबकि असलियत में वह बौस अगर कहीं दूसरी जगह कोई नौकरी करने जाए तो शायद उसे चपरासी का पद भी न मिले. उस के पास चूंकि बापदादा का पैसा है, सो वह शक्तिशाली है और पैसे के इस पावर के बल पर वह अपने से ज्यादा सक्षम कर्मचारियों पर रोब मार सकता है.

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नशा है पैसा

ड्रग एडिक्शन की तरह पैसा भी एक तरह का नशा है. इस की अधिकता व्यक्ति को गरूर और घमंड से भर देती है. पैसे वाला व्यक्ति अपने सामने वाले को कीड़ेमकोड़े से ज्यादा कुछ नहीं सम?ाता. कहा भी गया है, ‘कनककनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय…’ पैसे का नशा धतूरे से भी तेज है क्योंकि नशीले पदार्थ का नशा तो समय के साथ उतर जाता है पर रुपए की खनखन का नशा हरदम सिर चढ़ कर बोलता है.

पैसा फेंको, तमाशा देखो

मनपसंद पढ़ पाने के लिए लाखों रुपए की रिश्वत देने में भी कोई हिचकता नहीं. इतना ही नहीं, अगर आप को किसी सरकारी विभाग में नौकरी चाहिए तो उस में कोई दिक्कत नहीं है बशर्ते आप के पास पैसा है जिसे सही तरीके से नियुक्तिकर्ता तक पहुंचाया जा सके. बस, आप का काम हो जाएगा. एक पद के लिए लाखों लोग अप्लाई करते हैं पर जिस के पास पैसे की शक्ति है उस का सलैक्शन हो जाता है.

इस तरह के मामले अकसर समाचारों की सुर्खियों में आते रहते हैं. विभिन्न घोटाले भी पैसे के महत्त्व को ही बताते हैं. मतलब यह है कि पैसा है तो सबकुछ संभव है, वरना जूते घिसटते रहो, कुछ भी नहीं होने वाला. आप की डिग्री, काम के प्रति डैडिकेशन आदि सब व्यर्थ है.

प्यार में भी पैसा शक्ति

पैसे की महत्ता हर जगह है. उस की शक्ति सर्वविदित है. पैसे से सबकुछ खरीदा जा सकता है. पहले कहा जाता था कि पैसे से प्यार नहीं खरीदा जा सकता परंतु वर्तमान में यह बात ?ाठी सिद्ध हो गई है. अब तो पैसे की सहायता से प्यार भी खरीदा जा सकता है. कितने ही युवक अपने पैसे के बल पर जबरदस्ती शादी करने में सफल हो जाते हैं.

युवतियां भी पिता के पैसे से जबरदस्ती रोब दिखा कर शादी कर लेती हैं. क्या फर्क पड़ता है पैसा सारे अवगुणों को छिपा जो देता है. वैसे भी रुपयों का मुलम्मा चढ़ा कर मेंढकी भी परी बनाई जा सकती है और लंगूर को भी हीरो बनते देर नहीं लगती. अमीर पति या पत्नी कैसा या कैसी भी हो, गरीब से अच्छा या अच्छी है.

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पैसा साधन है

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कंप्यूटर हार्डवेयर पार्ट्स का व्यवसाय करने वाले एक व्यवसायी का कहना है, ‘‘पैसा शक्ति है लेकिन सबकुछ नहीं, एक स्तर पर यह नगण्य हो जाता है. तरक्की के लिए पैसा फ्यूल की तरह है. यह ऐसी आग है जो जलाती तो नहीं लेकिन इस के बिना आग भी नहीं लगती.

‘‘सफलता के लिए पैसे जरूरी हैं. आप की सोच, आप की क्रिएटिविटी उस के बिना व्यर्थ है. जब तक आप के विचारों में नयापन नहीं होगा, आप उस का सही उपयोग नहीं कर सकते. सही मानो में पैसा साधन है, शक्ति नहीं, क्योंकि पैसा किसी को तमीज नहीं सिखा सकता. हां, यह जरूर है कि इनकम टैक्स, टैंडर पास करवाने आदि जैसे मामलों में यह सहायक होता है और उसी समय ही पैसे की शक्ति का पता चलता है.’’

पैसे के संबंध में लोगों के अलगअलग विचार हैं. कहीं पर यह साधन है, कहीं बुनियादी जरूरत तो कहीं सफलता का सहायक उपादान, पर किसी न किसी रूप में यह एक ऐसी शक्ति है जो हरेक के लिए सिर चढ़ कर बोलती है. जिस के पास है उस पर भी और जिस के पास

नहीं है उस पर भी. व्यभिचार, भ्रष्टाचार, लूटखसोट आएदिन हो रहे सरकारी तथा नैतिक घोटाले पैसे की शक्ति की ध्वजा ही फहराते प्रतीत होते हैं.

डौंट वरी, मेरे बटुए में पैसा है

बेटे या बेटी के एग्जाम में अच्छे मार्क्स नहीं आए, कालेज में एडमिशन की समस्या है, कोई बात नहीं क्योंकि बटुए में पैसा है, काम हो जाएगा.

बेटी ज्यादा सुंदर नहीं है. पढ़ने में मन भी नहीं लगता पर पति स्मार्ट हैंडसम चाहिए, कोई बात नहीं, बैंक बैलेंस है, काम हो जाएगा.

लाइसैंस बनवाना है लेकिन ऐड्रैस प्रूफ नहीं है. गाड़ी भी ढंग से ड्राइव करनी नहीं आती. कोई बात नहीं, पैसा है न, काम हो जाएगा.

इनकम टैक्स का मामला फंसा है, लंबी चपत है. कोई बात नहीं. पैसा है तो काम आसान हो जाएगा.

बिजली, टैलीफोन के बिल ज्यादा आ गए हैं, कम करवाना है. डौंट वरी यार, पैसा है न.

बेटे ने दंगाफसाद कर दिया है, शायद जेल जाना पड़ेगा. पैसे का रसूख है न, फिर दिक्कत क्या है.

गर्लफ्रैंड रूठ गई है, उस ने मु?ो किसी दूसरी लड़की के साथ देख लिया है. टेक इट ईजी यार, क्रैडिट कार्ड है न, बढि़या सा गिफ्ट दे दो, मान जाएगी.

बेटे ने शराब के नशे में पुलिस वालों पर गाड़ी चढ़ा दी. इस में टैंशन की क्या बात है, रुपया है. दे दो, कुछ नहीं होगा.

किसी ने मर्डर करते या अन्य संगीन जुर्म करते देख लिया है. चिंता की क्या बात है, रुपए का जूता मार दो, गवाह बदलने में मिनट भी नहीं लगेंगे.

Holi Special: होली खेलने के बाद बेसन फेस पैक से पाएं निखार

बेसन फेस पैक पूरी तरह से नेचुरल होने के साथ ही चेहरे पर निखार लाने में भी सहायक है. यदि होली के दिन रंगो ने आपके चेहरे पर अपनी जगह बना ली है तो बेसन का उपयोग आपके लिए बहुत लाभकारी साबित होगा. आज हम आपको बेसन से फेस पैक बनाना सिखाएंगे. जिसका उपयोग कर आप भी खूबसूरत त्वचा पा सकेंगी.

1 बेसन, नींबू और बादाम

इस पैक को बनाने के लिये रातभर बादाम को पानी में भिगो दें और सुबह इसे छिलके सहित पीस लें. फिर इसमें नींबू की कुछ बूंदे और 1 चम्‍मच बेसन डालें. बेसन पैक से त्‍वचा पर पड़े दाग-धब्‍बे साफ हो जाएंगे और त्‍वचा में विटामिन ई की वजह से निखार आएगा.

2 बेसन और दूध

बेसन में तकरीबन आधा कप दूध मिलाएं और एक गाढा पेस्‍ट तैयार कर लें. आप चाहें तो इसमें शहद भी मिला सकती हैं. यह फेसमास्‍क सर्दियों में मौइस्‍चराइजर का कार्य करेगा. इससे रंगो का असर भी त्वचा पर नही होगा.

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3 बेसन और अंडे का सफेद भाग

यदि आपके चेहरे पर jरंगो की वजह से बहुत से पिंपल होते हैं तो 2 अंडों का सफेद भाग ले और उसमें 1 चम्‍मच बेसन डाल कर फेंट लें. इस पेस्‍ट को चेहरे पर लगा कर 10 मिनट के लिये छोड़ दें. अंडे का सफेद भाग चेहरे पर से एक्‍स्‍ट्रा तेल को सोख लेगा.

4 हल्‍दी और बेसन

इस फेसमास्‍क को लगाने से काली पड़ी त्‍वचा में निखार आ जाता है और उसका रंग साफ हो जाता है.

5 बेसन और दही

तेज धूप की वजह से जब आपकी त्वचा पर टैनिंग हो जाए तो ऐसे में बेसन और दही का पैक तैयार करें. इससे त्‍वचा को राहत मिलेगी और सन टैनिंग भी मिटेगी.

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Holi Special: एक-दूसरे पर जब रंग बरसे

होली पर रंगों से खेलना पुरानी परंपरा है. मगर अब रंगों का रूप बदल गया है. जहां पहले अबीर, गुलाल, टेसू, केसर आदि रंगों से होली खेली जाती थी वहीं आज पेंट मिले पक्के रंगों से खेली जाती है. ये रंग शारीरिक व मानसिक नजरिए से तो पीड़ादायक होते ही हैं, सौंदर्य की दृष्टि से भी कम नुकसानदायक नहीं होते. होली अकसर 2 तरह के रंगों से खेली जाती है-सूखे रंगों से व गीले रंगों से. सूखे रंग त्वचा को उतना नुकसान नहीं पहुंचाते जितने गीले रंग पहुंचाते हैं. मगर आजकल सूखे रंग भी ऐसे मिलावटी पदार्थों से बनाए जाते हैं जो यदि त्वचा पर ज्यादा देर तक लगे रहें तो त्वचा फट जाती है. स्थायी या अस्थायी तौर पर लाल चकत्ते भी उभर सकते हैं.

रंगों का सीधा प्रभाव

सूखे रंगों में अधिकतर गुलाल का प्रयोग होता है. यदि आप ध्यान से देखें तो आप उस में एक चमकीला सा पदार्थ पाएंगे. वह अभ्रक होता है जो बहुत खुरदरा होता है. विभिन्न रंगों में रंगा गुलाल भी चूना, रेत व राख जैसी सस्ती चीजों से बनाया जाता है. इस प्रकार का मिलावटी व घटिया गुलाल यदि ज्यादा देर तक त्वचा व बालों में लगा रहे तो कुप्रभाव डालता है. ऐसे गुलाल को यदि कोई रगड़ कर त्वचा पर लगा दे तो त्वचा छिल भी सकती है. इसलिए त्वचा के बचाव के लिए आप होली खेलने से पहले पूरे शरीर पर वैसलीन या कोल्डक्रीम लगा लें. इस से आप की त्वचा पर रंगों का सीधा प्रभाव नहीं पडे़गा, बल्कि त्वचा इतनी कोमल हो जाएगी कि खुरदरे व पक्के रंग भी त्वचा पर जलन व खुश्की पैदा नहीं करेंगे. हां, कोशिश यह करें कि जैसे ही कोई आप पर सूखा रंग डाले उसे तुरंत त्वचा व बालों से झाड़ दें. यदि आप की त्वचा संवेदनशील हो तो उसे तुरंत ठंडे पानी से धो लें.

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जब उतारना हो रंग

बालों पर भी रंगों का दुष्प्रभाव न पड़े, इसलिए रात को ही बालों में कोई तेल लगा लें. इस से सूखे या गीले रंगों के कारण बालों में रूखापन या खुरदरापन महसूस नहीं होगा. बालों से रंग उतारने के लिए आप चाहे शैंपू से धोएं या साबुन से, मगर पानी गरम ही इस्तेमाल करें. इस से रंग उतारने में आसानी होगी. रंगों से नाखूनों को भी जरूर बचाएं, क्योंकि यदि पक्का रंग नाखूनों पर चढ़ गया तो जल्दी नहीं उतरेगा. नाखूनों पर रंग न चढ़े, इसलिए पहले से ही कोई नेलपौलिश नाखूनों पर लगा लें. इस से रंग नाखूनों पर न चढ़ कर नेलपौलिश पर ही चढ़ेगा. जब आप होली खेल कर नेलपौलिश उतारने लगेंगी तो रंग भी अपनेआप उतर जाएगा. यदि रंग नाखूनों के अंदर या आसपास की त्वचा पर चढ़ जाए तो उसे साबुन से रगड़ने के बजाय 2-3 बार नीबू से रगड़ें. यदि आप की एडि़यां फटी हुई हैं तो पैरों में मोजे पहन कर होली खेलें. वरना फटी एडि़यों में रंग चला गया तो उसे रगड़ कर उतारना मुश्किल होगा. अपने शरीर को अधिक से अधिक कपड़ों से ढक कर रखें ताकि रंग त्वचा पर न लग कर कपड़ों पर ही लगे.

ताकि दुष्प्रभाव न हो

गीले रंगों का प्रयोग पानी अथवा तेल में डाल कर भी किया जा सकता है. ये रंग पक्के तो होते ही हैं, साथ ही इन में कुछ विषैले रासायनिक तत्त्व भी मिले होते हैं. यदि ये शीघ्र न उतारे जाएं तो तब तक नहीं उतरेंगे जब तक नई त्वचा न आ जाए. त्वचा पर ये अपना असर फौरन दिखा सकते हैं और कुछ घंटे बाद भी. इसलिए कोशिश यह करें कि जैसे ही कोई आप के चेहरे पर गीला रंग, कालिख या पेंट मले उसे सूखने से पहले ही हटा लें.

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यदि रंग सूख गया तो उसे उतारने में मुश्किल होगी. इसलिए गीले रंग को जल्दी से किसी कपड़े से पोंछ कर पानी व साबुन से धो लें. यदि रंग बहुत पक्का हो और साबुन से भी न उतरे तो रुई के फाहे में थोड़ा सा मिट्टी का तेल लगा कर उसे रंग वाले स्थान पर हलकाहलका रगड़ें. इस से रंग उतर जाएगा. मगर हां, मिट्टी के तेल को त्वचा पर इस्तेमाल करने के बाद किसी ऐंटीसैप्टिक क्रीम या कोल्डक्रीम का इस्तेमाल जरूर करें. यदि ये चीजें घर में उपलब्ध न हों तो दूध व हलदी का लेप ही थोड़ी देर तक लगा लें. इस से आप की त्वचा पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा.

विराट को मनाने में सई होगी कामयाब! पाखी को होगी जलन

सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) में विराट का गुस्सा बढ़ता जा रहा है. होश में आने के बाद उसने अपने परिवार के हर सदस्य से शिकायत की है. विराट ने कहा कि किसी ने भी उस पर भरोसा नहीं किया. वह अपनी मां से कहता है कि आप मुझ पर भरोसा नहीं करती लेकिन अपनी परवरिश पर तो भरोसा करती. विराट का परिवार उसे लगातार मनाने की कोशिश कर रहा है लेकिन उसका गुस्सा कम नहीं हो रहा है. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में.

शो में आपने देखा कि विराट सई से बात करने से इनकार कर देता है. इसी बीच सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ की कहानी में एक नई ट्विस्ट आने वाला है. विराट को मनाने के लिए पहले तो सई चौहान हाउस में एंट्री करेगी. घर में आते ही सई विराट के कमरे में घुस जाएगी, विराट सई को अपने कमरे में देखकर भड़क जाएगा.

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विराट सई को पूरी तरह से नजरअंदाज करेगा तो वहीं विराट और सई को साथ देखकर पाखी को जलन होने लगेगी. शो में आप ये भी देखेंगे कि जल्द ही सई विराट के साथ होली का जश्न मनाएगी. इस दौरान सई विराट को खूब परेशान करेगी.

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विराट के कमरे में जगह बनाने के बाद सई उस पर हुक्म चलाएगी. सई की हरकतें देख विराट को गुस्सा आएगा. लेकिन विराट चाहकर भी कुछ नहीं कर सकेगा. शो में ये भी दिखाया जाएगा कि सई विराट को मना लेगी.

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