जेबा की बरात आने वाली थी. सभी पूरी तैयारी के साथ बरात के आने का इंतजार कर रहे थे कि तभी जेबा का आशिक राहिल कहीं से अचानक आंगन में आ गया. ‘‘आप डरें नहीं. मैं कुछ गड़बड़ करने नहीं आया हूं. मैं तो सिर्फ जेबा से मिलने आया हूं. आज से वह किसी दूसरे की हो जाएगी. प्लीज, मुझे उस से आखिरी बार मिल लेने दें,’’ आंगन में खड़ी औरतों से इतना कहने के बाद राहिल सीधा जेबा के कमरे में घुस गया, जिस में वह दुलहन बनी बैठी थी.

‘‘जेबा, यह तो मेरी शराफत है, जो तुम्हें किसी और की होते देख रहा हूं, वरना किस में इतनी हिम्मत थी कि जो तुम को मुझ से जुदा कर देता. ‘‘खैर, मैं तुम से यह कहने आया हूं कि हम दो जिस्म जरूर हैं, लेकिन जान एक है. कोई दूसरा तुम्हारे सिर्फ तन पर हक जमा सकता है, लेकिन मन पर नहीं. मुझे पूरा यकीन है कि तुम मुझे कभी नहीं भूलोगी...’’

इतना कहने के बाद राहिल अपना मुंह जेबा के कान के पास ले जा कर धीरे से बोला, ‘‘तुम अपनी मांग में कभी सिंदूर मत भरना. मैं भी तुम से वादा करता हूं कि जिंदगीभर किसी दूसरी लड़की की तरफ नजर नहीं उठाऊंगा. ‘‘अच्छा जेबा, अब मैं चलता हूं. तुम हमेशा खुश रहो,’’ इतना कह कर राहिल उस कमरे से चला गया.

राहिल के जाने के बाद सब ने राहत की सांस ली, मगर दिलों में यह खटका बना रहा कि वह कमबख्त कहीं निकाह के वक्त आ कर किसी तरह की हंगामेबाजी न शुरू कर दे. इन हालात से निबटने के लिए जेबा के घर वालों ने पूरी तैयारी कर रखी थी. पर सबकुछ शांति से पूरा हो गया और जेबा अपने हमसफर शबाब के साथ

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