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जोड़तोड़ में ‘चिंतित’ भाजपा

हिमाचल प्रदेश और कनार्टक की विधानसभाओं में और पश्चिम बंगाल की पंचायतों में हार के बाद भारतीय जनता पार्टी चिंतित है कि हिंदूमुसलिम विद्वेष की लकड़ी की हांडी में उस की दाल कितने दिन और गलेगी. वैसे, चिंता की कोई खास बात नहीं है उस के लिए क्योंकि धर्म के धंधे से जुड़ा या उस से फायदा उठाने वाला हर जना भाजपा का ‘अवैतनिक प्रचारक’ है ही जो दिल और पैसा लगा कर उस के लिए काम करता रहता है.

कठिनाई यह है कि ज्यादा दिखने वालेज्यादा बोलने वालेज्यादा व्यवहार कुशलज्यादा पैसे वाले ये लोग गिनती में उन के बराबर कहीं नहीं जो अपनी मेहनत का खाते हैंदूसरों के जुल्म सहते हैंपूजापाठ में भी भरोसा करते हैं पर दिल से भाजपा को चाहें, यह जरूरी नहीं.

इन लोगों को अपने में समेटने में भारतीय जनता पार्टी अब जोरशोर से दूसरी पार्टियों को अपने साथ ला रही है चाहे इस चक्कर में कुछ को तोडऩा पड़े या उन में आपसी जोड़ लगाना हो. पुलिसफौजकानूनअदालतेंमीडिया आदि भारतीय जनता पार्टी के अधीन हैं या कह लें कि प्रभाव में हैं. लेकिन इस के बावजूद तमिलनाडूकर्नाटकहिमाचलराजस्थानपश्चिम बंगाल में विपक्ष के सरकारें हैं. इसलिए भाजपा एनडीए को पुनर्जीवित करने में जुट गई है.

फिलहाल दलित नेता चिराग पासवानओ पी राजभरटीडीपी के चंद्रबाबू नायडू और जनता दल यूनाइटेड के देवगौड़ा से बात हो रही है. अगले चुनावों में भारतीय जनता पार्टी यदि हर जाति-धर्म को ले कर चुनाव में आए तो यह देश के लिए अच्छा होगा. राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने जोड़ा या नहीं, लेकिन उसने भाजपा को दूसरी पार्टियां को जोडऩे पर मजबूर कर दिया. 2014 से पहले ये पार्टियां अपनेआप नैशनल डैमोक्रेटिक फ्रंट यानी एनडीए का हिस्सा बनी थीं. अब लालच दे कर उन्हें लाया जा रहा है और भारतीय जनता पार्टी की 2-3 पीढिय़ों के कर्मठ नेताओं को चुप बैठने को कहा जा रहा है.

इन पार्टियों को बुला कर लाने का मतलब है कि अब सनातन धर्म कहे जाने पौराणिक हिंदू धर्म में भी पानी पिलाने की जरूरत आ पड़ी है. पिछले 3-4 महीने से प्रधानमंत्री ने किसी बड़े मंदिर काधार्मिक कौरिडोर का उद्घाटन नहीं किया. ससंद भवन का उद्घाटन का धार्मिकीकरण जरूर हुआ था पर उस में भी संविधान ऊपर था, वेदपुराणदेवीदेवता नहीं. चाह कर भी भाजपा नए संसद भवन पर विष्णुब्रह्माशंकर या मनु का 200 फुट ऊंचा स्टैचू नहीं लगवा पाई.

दूसरी पार्टियों को बुला कर लाने का अर्थ यही है कि ज्यादा सीटें होने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी की न चलना जो महाराष्ट्र में हो रहा है. एकनाथ शिंदे वापस न लौट जाएं, यह डर देवेंद्र फडनवीस को हर दम खाए रहता है. इसीलिए अजित पवार को छोड़ा गया है. अब दोनों ही नहीं, भारतीय जनता पार्टी के लोग भी नाराज हैं.

इस जोड़तोड़ का मतलब है कि नई भारतीय जनता पार्टी कुछकुछ विपक्षी दलों के गठजोड़ की तरह दिखने लगेगी. वैसे भी, अगर वोट सिर्फ में बंटेंगे तो भारतीय जनता पार्टी या उस के सहयोगियों को वोट, शायद, इतने न मिलें जितने वे चाहते हैं. आमतौर पर भारतीय जनता पार्टी जीतती रही है क्योंकि भाजपाविरोधी वोट बंट रहे थे. अब जिन में कटते थे वे भाजपा के साथ चले गए तो कांग्रेस व दूसरी पार्टियों को नुकसान के बदले फायदा हो सकता है. इसीलिए आजकल जब भी बात भविष्य की जाती है तो कहा जाता है कि अगर 2024 में नरेंद्र मोदी जीत जाते हैं तो यह होगा, वह होगा. अगर’ अब बड़ा होता जा रहा है. मगरमच्छों को पालने से अगर’ कमजोर होगाइस में संदेह है.

‘इंडिया’ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गरिमा…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विपक्ष के गठबंधन के ‘इंडिया’ नाम रखने पर आलोचना के लिए शब्द…. जुमले में वक्तव्य की ड्राफ्टिंग बनातेबनाते लंबा समय लग गया. जैसा कि देश के सामने है, अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में 26 राजनीतिक दलों ने ‘इंडिया’ नामक गठबंधन बनाया है. इस नाम से अगर किसी को सब से ज्यादा पीड़ा हो रही है तो वह है भारतीय जनता पार्टी, क्योंकि वह बातबात में देश और देशभक्ति की बातें करने से पीछे नहीं रहती.

संभवतः देशभक्ति के लिए अपना ट्रेडमार्क करवा रखा है, ऐसे में विपक्ष का अपने गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रख लेना भाजपा के लिए मानो किसी बड़े आघात से कम नहीं है. अब ‘इंडिया’ बनाम ‘एनडीए’ जब देश के सामने है और यह सुर्खियों में है तो प्रथमदृष्टया ही ‘इंडिया’ ‘एनडीए’ पर भारी पड़ने लगा है.

भारतीय जनता पार्टी, जो वर्तमान में केंद्र में सत्तारूढ़ है और आगामी वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर जीत हासिल करना चाहती है, की छटपटाहट साफ दिखाई दे रही है. ‘इंडिया’ नाम से भाजपा का पसीना निकलने लगा है. शायद यही कारण है कि बहुत सोचविचार कर के स्वयं प्रधानमंत्री 25 जुलाई, 2023 को पार्टी के संसदीय दल की बैठक में विपक्ष पर हमला करने के लिए परदे के पीछे से आ गए और राजनीतिक विपक्ष दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ की आलोचना उन्होंने अपनी नकारात्मक शैली में की. सिर्फ विरोध करने के लिए देश के विपक्षी पार्टियों की तुलना ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ से कर दी और विपक्षी दलों पर अपनी गरिमा से हट कर हमला करते हुए ‘इंडियन मुजाहिदीन’, ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ का हवाला दिया और कहा कि देश की जनता को गुमराह नहीं किया जा सकता है ‘इंडिया’ नाम से.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी गठबंधन इंडियन नैशनल डवलपमैंटल इन्क्लूसिव अलायंस यानी ‘इंडिया’ को देश का अब तक का सब से ‘दिशाहीन’ गठबंधन करार दिया.

साथ ही, नरेंद्र मोदी ने ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ और ‘इंडियन मुजाहिदीन’ जैसे नामों का हवाला देते हुए कहा, “केवल देश के नाम के इस्तेमाल से लोगों को गुमराह नहीं किया जा सकता.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह वक्तव्य उन की तरफ से जारी नहीं हुआ है. इसे मीडिया में ले कर आए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी. इस का तात्पर्य है कि नरेंद्र मोदी पहली दफा देश के 26 विपक्षी दलों पर प्रत्यक्ष रूप से खुल कर हमला करने की स्थिति में नहीं हैं. यह हमला उन्होंने एक तरह से परदे के पीछे से किया है, जिस के कई अर्थ आज हमारे सामने हैं. सब से पहला तो यह कि भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी विपक्ष के ‘इंडिया’ नाम रखने से एक तरह से अपनेआप को कमजोर और मजबूर पा रही है कि कहीं ‘इंडिया’ की आलोचना करने से देश की सत्ता हाथ से न चली जाए.

जिस तरह नरेंद्र मोदी ने ‘इंडियन मुजाहिदीन’ और ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ से आज के 26 विपक्षी दलों की एकता और गठबंधन के नाम की तुलना कर के आलोचना की है, वह बताता है कि भाजपा और नरेंद्र मोदी पहली बार कुछ कदम पीछे हट रहे हैं.

‘इंडिया’ से डरी भाजपा

आज भाजपा से सवाल यह है कि विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ का विरोध जिस तरह छुपछुप कर किया जा रहा है, क्या उन के पास जवाब है कि स्वयं उन की पार्टी भारतीय जनता पार्टी में ‘भारतीय’ शब्द का प्रयोग क्यों किया गया है? जब भाजपा का निर्माण हुआ, तो यह कहा जा सकता था कि आप भी ‘भारतीय’ शब्द के माध्यम से यह जताने का प्रयास कर रहे हैं कि भारत के लोग आप के साथ हैं. कांग्रेस या किसी ने भी यह मुद्दा नहीं उठाया, आलोचना नहीं की. संसदीय दल में अपने मुंह मियां मिट्ठू बन मोदी कह रहे थे कि राजग को लगातार तीसरा कार्यकाल मिलना तय है.

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष के ‘हताश और निराश’ व्यवहार का उल्लेख किया और कहा कि उस के इस रुख से यह दिखाई पड़ता है कि उस ने आने वाले कई सालों तक विपक्ष में रहने का निर्णय लिया है.

विपक्षी दलों के ‘इंडिया’ (गठबंधन) नाम के बैनर तले लामबंद होने के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम का इस्तेमाल करने वाले कुछ प्रतिबंधित चरमपंथी और आतंकवादी संगठनों सहित कुछ अन्य संगठनों के इतिहास का हवाला दिया और समूह को भ्रष्ट नेताओं और पार्टियों का गठबंधन बताया.

प्रधानमंत्री ने विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि आप देश को तोड़ना चाहते हैं, इसे विभाजित करना चाहते हैं, लोगों को गुमराह करने के लिए ‘इंडिया’ और ‘इंडियन’ जैसे नामों का इस्तेमाल किया है. भारत की जनता अब और परिपक्व हो गई है और इस तरह के नामकरण से गुमराह नहीं होगी. भाजपा की ओर से विपक्षी दलों पर संसद की कार्यवाही बाधित करने का आरोप लगाए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वे अधिक गैरजिम्मेदार हो गए हैं और इस से सत्तारूढ़ दल के लिए अधिक जिम्मेदारी से व्यवहार करना अनिवार्य हो गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दुनिया भी सोचती है, भारत के लोग भी सोचते हैं कि यह शुरुआत है. इसलिए दुनिया भी इस सरकार के साथ, इस नेतृत्व के साथ आगे बढ़ना चाहती है, इसलिए बहुत महत्त्वपूर्ण समझौते हुए हैं. विश्व में भारत की मान्यता बहुत बढ़ रही है. यह सारे तथ्य बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी की टीम आज किस तरह प्रैशर में है.

जानें उम्र और आई वी एफ की सफलता के सम्बन्ध तथा इसके विकल्प

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) ने प्रजनन चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति ला दी है, जिससे प्रजनन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लाखों जोड़ों को माता-पिता बनने की आशा मिली है। सहायक प्रजनन तकनीक, जिसका आईवीएफ एक हिस्सा है, में नियंत्रित प्रयोगशाला में शरीर के बाहर शुक्राणु के साथ अंडों का निषेचन किया जाता है। इसके बाद, सफलता की उच्चतम संभावना वाले भ्रूण को गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है।

डॉ. क्षितिज मुर्डिया सीईओ और सह-संस्थापक इंदिरा आईवीएफ का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में, मुख्य रूप से विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और व्यक्तिगत कारकों के कारण, अधिक उम्र में,आईवीएफ चुनने वाली महिलाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

आईवीएफ के सफलता दर को समझना

आईवीएफ की सफलता दर, इस प्रक्रिया के माध्यम से सफल गर्भावस्था और जीवित बच्चे के जन्म की संभावना को दर्शाता है।ये दरें आईवीएफ पर विचार करने वाले व्यक्तियों या जोड़ों के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनसे वे उपचार की प्रभावशीलता और संभावित परिणामों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।

महिला प्रजनन क्षमता पर उम्र का प्रभाव

महिलाओं की प्रजनन क्षमता उम्र के साथ कम हो जाती है, खासकर 35 के बाद। अधिक उम्र वाली महिलाओं को ओवेरियन रिजर्व, अंडे की गुणवत्ता और मात्रा में कमी का अनुभव होता है। अंडों में क्रोमोसोमल असामान्यताओं का खतरा भी उम्र के साथ बढ़ता है, जिससे आनुवंशिक विकार और असफल गर्भधारण होता है। हालाँकि, नए शोध से पता चला है कि 35 वर्ष से कम उम्र के लोगों में समय से पहले ओवेरि की उम्र बढ़ने लगती है, जिससे प्राकृतिक गर्भाधान चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

आईवीएफ की सफलता को प्रभावित करने वाले आयु-संबंधित कारण

उम्र ओवेरियन उत्तेजना के लिए की गयी दवाओं की प्रतिकिया को प्रभावित करता है, जिसके कारणवश उत्पादित स्वस्थ अंडों की संख्या प्रभावित होती है।बढ़ती उम्र के साथ सफल भ्रूण प्रत्यारोपण की संभावना कम हो जाती है, जिससे समग्र आईवीएफ सफलता दर प्रभावित होती है।इसके अतिरिक्त, किसी भी गर्भावस्था के दौरान गर्भपात का खतरा उम्र के साथ बढ़ता है, जिससे अधिक उम्र वाले जोड़ों के लिए भावनात्मक चुनौतियाँ पैदा होती हैं।

पुरुष आयु और आईवीएफ की सफलता

पुरुष की उम्र भी आईवीएफ की सफलता को प्रभावित कर सकती है, क्योंकि उन्नत पैतृक उम्र शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी और संतानों में आनुवंशिक असामान्यताओं के बढ़ने के जोखिम से जुड़ी होती है।
पिछले 45 वर्षों में शुक्राणुओं की संख्या में 51.6% की कमी देखी गई है।

भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक पहलू

उम्र से संबंधित प्रजनन संबंधी कठिनाइयों का सामना करने वाले जोड़े अक्सर अपनी आईवीएफ यात्रा के दौरान भावनात्मक उथल-पुथल और तनाव का अनुभव करते हैं।पूरी प्रक्रिया के दौरान सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने के लिए परामर्श और भावनात्मक समर्थन महत्वपूर्ण हैं।
माता पिता बनने के अन्य विकल्प-

उम्र से संबंधित प्रजनन चुनौतियों का सामना करने वालों के लिए आईवीएफ को ही एकमात्र विकल्प नहीं माना जा सकता है। अन्य सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकियाँ, जैसे अंडाणु या शुक्राणु दान, अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान, और इंट्रासाइटोप्लाज्मिक शुक्राणु इंजेक्शन, माता-पिता बनने के लिए व्यवहार्य विकल्प प्रदान करती हैं।

आईवीएफ की सफलता दर पर उम्र के प्रभाव को आज के दौर मे समझना महत्वपूर्ण हो जाता है क्यों की आज कल ज्यादा लोग जीवन में बाद में आईवीएफ का विकल्प चुन रहे हैं। उम्र से संबंधित प्रजनन चुनौतियों और भावनात्मक पहलुओं के बारे में जागरूक होने से जोड़ों को सही निर्णय लेने में मदद मिल सकती है।माता-पिता बनने के लिए वैकल्पिक रास्तों पर विचार करने से उम्र से संबंधित प्रजनन संबंधी कठिनाइयों का सामना करने वालों को आशा मिलती हैं। सही सहयोग और जानकारी से परिवार शुरू करने का सपना हकीकत बन सकता है।

विरासत : पाकिस्तान से दादी को किसने फोन किया?

‘‘दादाजी, आप का पाकिस्तान से फोन है,’’ आश्चर्य भरे स्वर में आकर्षण ने अपने दादा नंद शर्मा से कहा.

‘‘पाकिस्तान से, पर अब तो हमारा वहां कोई नहीं है. फिर अचानक…फोन,’’ नंद शर्मा ने तुरंत फोन पकड़ा.

दूसरी ओर से आवाज आई, ‘‘अस्सलामअलैकुम, मैं पाकिस्तान, जडांवाला से जहीर अहमद बोल रहा हूं. मैं ने आप का साक्षात्कार यहां के अखबार में पढ़ा था. मुझे यह जान कर बहुत खुशी हुई कि मेरे शहर जड़ांवाला के रहने वाले एक नागरिक ने हिंदुस्तान में खूब तरक्की पाई है. मैं ने यह भी पढ़ा है कि आप के मन में अपनी जन्मभूमि को देखने की बड़ी तमन्ना है. मैं आप के लिए कुछ उपहार भेज रहा हूं जो चंद दिनों में आप को मिल जाएगा, शेष बातें मैं ने पत्र में लिख दी हैं जो मेरे उपहार के साथ आप को मिल जाएगा.’’

फोन पर जहीर की बातें सुन कर नंद शर्मा भावुक हो उठे. फिर बोले, ‘‘भाई, आज बरसों बाद मैं ने अपने जन्मस्थान से किसी की आवाज सुनी है. आज आप से बात कर के 55 साल पहले का बीता समय आंखों के आगे घूम रहा है. मैं क्या कहूं, कुछ समझ में नहीं आ रहा है. बस, आप की समृद्धि और उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं.’’

इतना कहतेकहते नंद शर्मा की आंखें डबडबा गईं. वह आगे कुछ न कह सके और फोन रख दिया.

14 साल का आकर्षण अपने दादाजी के पास ही खड़ा था. उस ने दादाजी को इतना भावुक होते कभी नहीं देखा था.

आकर्षण कुछ देर वहां बैठा और उन के सामान्य होने का इंतजार करता रहा. फिर बोला, ‘‘दादाजी, आप को अपने पुराने घर की याद आ रही है?’’

‘‘हां बेटा, बंटवारे के समय मैं 17 साल का था. आज भी मुझे वह दिन याद है जब जड़ांवाला में कत्लेआम शुरू हुआ और दंगाइयों ने चुनचुन कर हिंदुओं को गाजरमूली की तरह काटा था. हमारे पड़ोसी मुसलमान परिवार ने हमें शरण दी और फिर मौका पा कर एकएक कर के मेरे परिवार के लोगों को सेना के पास पहुंचा दिया था. मेरे परिवार में केवल मैं ही पाकिस्तान में बचा था. मैं भी मौका देख कर निकलने की ताक में था कि किसी ने दंगाइयों को खबर कर दी कि नंद शर्मा को उस के पड़ोसियों ने पनाह दे रखी है.

‘‘खबर पा कर दंगाई पागलों की तरह उस घर की ओर झपटे. इस से पहले कि वे मेरी ओर पहुंच पाते मुझे छत के रास्ते से उन्होंने भगा दिया.

‘‘मैं एक छत से दूसरी छत को फांदता हुआ जैसे ही सड़क पर पहुंचा कि तभी सेना का ट्रक आ गया और सेना को देख कर दंगाई भाग खड़े हुए. फिर उसी ट्रक से सेना ने मुझे अमृतसर के लिए रवाना कर दिया.

‘‘उस वक्त तक मैं यही समझता था कि यह अशांति कुछ समय की है… धीरधीरे सब ठीक हो जाएगा, मैं फिर अपने परिवार के साथ वापस जड़ांवाला जा पाऊंगा पर यह मेरा भ्रम था. पिछले 55 सालों में कभी ऐसा मौका नहीं आया. मेरा शहर, मेरी जन्मभूमि, मेरी विरासत हमेशा के लिए मुझ से छीन ली गई.’’

इतना कह कर नंद शर्मा खामोश हो गए. आकर्षण का मन अभी और भी बहुत कुछ जानने को इच्छुक था पर उस समय दादा को परेशान करना उचित नहीं समझा.

नंद शर्मा हरियाणा के अंबाला शहर में एक प्रतिष्ठित पत्रकार थे. उन की गिनती वहां के वरिष्ठ पत्रकारों में होती थी. कुछ समय पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री ने एक पत्रकार सम्मेलन में उन्हें सम्मानित किया था. उस सम्मेलन में पाकिस्तान से भी पत्रकारों का प्रतिनिधिमंडल आया हुआ था. उस समारोह में नंद शर्मा ने इस बात का जिक्र किया था कि वह विभाजन के बाद जड़ांवाला से भारत कैसे आए थे और साथ ही वहां से जुड़ी यादों को भी ताजा किया.

समारोह समाप्त होने के बाद एक पाकिस्तानी पत्रकार ने उन का साक्षात्कार लिया और पाकिस्तान आ कर अपने अखबार में उसे छाप भी दिया. वह साक्षात्कार जड़ांवाला के वकील जहीर अहमद ने पढ़ा तो उन्हें यह जान कर बहुत दुख हुआ कि कोई व्यक्ति इस कदर अपनी जन्मभूमि को देखने के लिए तड़प रहा है.

जहीर एक नेकदिल इनसान था. उस ने नंद शर्मा के लिए फौरन कुछ करने का फैसला लिया और समाचारपत्र में प्रकाशित नंबर पर उन से संपर्क किया.

नंद शर्मा एक भरेपूरे परिवार के मुखिया थे. उन के 4 बेटे और 1 बेटी थी. सभी विवाहित और बालबच्चों वाले थे. आज के इस भौतिकवादी युग में भी सभी मिलजुल कर एक ही छत के नीचे रहते थे.

आकर्षण ने जब सब को पाकिस्तान से आए फोन के  बारे में बताया तो सब विस्मित रह गए. फिर नंद शर्मा के बड़े बेटे मोहन शर्मा ने पिता के पास जा कर कहा, ‘‘बाबूजी, यदि आप कहें तो हम सब जड़ांवाला जा सकते हैं और अब तो बस सेवा भी शुरू हो चुकी है. इसी बहाने हम भी अपने पुरखों की जमीन को देख आएंगे.’’

‘‘मन तो मेरा भी करता है कि एक बार जड़ांवाला देख आऊं पर देखो कब जाना होता है,’’ इतना कह कर नंद शर्मा खामोश हो गए.

एक दिन नंद शर्मा के नाम एक पार्सल आया. वह पार्सल देखते ही आकर्षण जोर से चिल्लाया, ‘‘दादाजी, आप के लिए पाकिस्तान से पार्सल आया है,’’ और इसी के साथ परिवार के सारे सदस्य उसे देखने के लिए जमा हो गए.

नंद शर्मा आंगन में कुरसी डाल कर बैठ गए. आकर्षण ने उस पैकेट को खोला. उस में 100 से भी अधिक तसवीरें थीं. हर तसवीर के पीछे उर्दू में उस का पूरा विवरण लिखा हुआ था.

नंद शर्मा के चेहरे पर उमड़ते खुशी के भावों को आसानी से पढ़ा जा सकता था. उन्होंने ही नहीं, उन का पूरा परिवार उन तसवीरों को देख कर भावविभोर हो उठा.

एक तसवीर उठाते हुए नंद शर्मा ने कहा, ‘‘यह देखो, हमारा घर, हमारी पुश्तैनी हवेली और यहां अब बैंक आफ पाकिस्तान बन गया है.’’

नंद शर्मा के पोतेपोतियां बहुत हैरान हो उन तसवीरों को देख रहे थे. उन के छोटे पोते मानू और शानू बोले, ‘‘दादाजी, क्या इन में आप का स्कूल भी है?’’

‘‘हां बेटा, अभी दिखाता हूं,’’ कह कर उन्होंने तसवीरों को उलटापलटा तो उन्हें स्कूल की तसवीर नजर आई. अपने स्कूल की तसवीर देख कर उन का चेहरा खिल उठा और वह खुशी से चिल्ला उठे, ‘‘यह देखो बच्चों, मेरा स्कूल और यह रही मेरी कक्षा. यहां मैं टाट पर बैठ कर बच्चों के साथ पढ़ता था.’’

धीरेधीरे जड़ांवाला के बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, खेल के मैदान, सिनेमाघर, वहां की गलियां, पड़ोसियों के घर, गोलगप्पे, चाट वालों की दुकान और वहां की छोटी से छोटी जानकारी भी तसवीरों के माध्यम से सामने आने लगी. अंत में एक छोटी सी कपड़े की थैली को खोला गया. उस में कुछ मिट्टी थी और साथ में एक छोटा सा पत्र था. पत्र जहीर अहमद का था जिस में उस ने लिखा था :

‘नमस्ते, आज यह तसवीरें आप के पास पहुंचाते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है. आप भी सोचते होंगे कि मुझे क्या जरूरत पड़ी थी यह सब करने की. भाईजान, मेरे वालिद बंटवारे से पहले पंजाब के बटाला शहर में रहते थे. अपने जीतेजी वह कभी अपने शहर वापस न आ सके. उन के मन में यह आरजू ही रह गई कि वह अपनी जन्मभूमि को एक बार देख सकें. इसलिए जब मैं ने आप के बारे में पढ़ा तो फैसला किया कि आप की खुशी के लिए जो बन पड़ेगा, जरूर करूंगा.

‘भाईजान, इस पोटली में आप के पुश्तैनी मकान की मिट्टी है जो मेरे खयाल से आप के लिए बहुत कीमती होगी. इस के साथ ही मैं अपने परिवार की ओर से भी आप को पाकिस्तान आने की दावत देता हूं. आप जब चाहें यहां तशरीफ ला सकते हैं. आप अपने बच्चों, पोतेपोतियों के साथ यहां आएं. हम आप की खातिरदारी में कोई कमी नहीं रखेंगे.

‘आप का, जहीर अहमद.’

पत्र पढ़तेपढ़ते नंद शर्मा भावुक हो उठे. उन्होंने फौरन घर की पुश्तैनी मिट्टी को अपने माथे से लगाया और अपने पोते आकर्षण को बुला कर उस मिट्टी से सब के माथे पर तिलक करने को कहा.

‘‘दादाजी, पाकिस्तानी तो बहुत अच्छे हैं,’’ आकर्षण बोला, ‘‘फिर क्यों हम उस देश को नफरत की दृष्टि से देखते हैं. आज जहीर अहमद के कारण ही घरबैठे आप को अपनी विरासत के दर्शन हुए हैं.’’

‘‘ठीक कहते हो बेटा,’’ नंद शर्मा बोले, ‘‘घृणा और नफरत की दीवार तो चंद नेताओं और संकीर्ण विचारधारा वाले तथाकथित लोगों ने बनाई है. आम हिंदुस्तानी और पाकिस्तानी के दिलों में कोई मैल नहीं है. आज अगर मैं तुम्हारे सामने जिंदा हूं तो अपने उस मुसलिम पड़ोसी परिवार के कारण जिन्होंने समय रहते मुझे व मेरे परिवार को वहां से बाहर निकाला.’’

नंद शर्मा अगले कुछ दिनों तक घर आनेजाने वालों को जड़ांवाला की तसवीरें दिखाते रहे. एक दिन शाम को जब वह पत्रकार सम्मेलन से वापस आए तो ‘हैप्पी बर्थ डे टू दादाजी’ की ध्वनि से वातावरण गूंज उठा. उस दिन उन के जन्मदिन पर बच्चों ने उन्हें पार्टी देने का मन बनाया था.

नंद शर्मा को उन के पोतेपोतियों ने घेर लिया और फिर उन्हें उस कमरे की ओर ले गए जहां केक रखा था. वहां जा कर उन्होंने केक काटा और फिर सब ने खूब मस्ती की. फोटोग्राफर को बुलवा कर तसवीरें भी खिंचवाई गईं. बाद में उन में से एक तसवीर जो पूरे परिवार के साथ थी, वह जड़ांवाला भेज दी गई.

वक्त गुजरता रहा. धीरधीरे पत्राचार और फोन के माध्यम से दोनों परिवारों की नजदीकियां बढ़ने लगीं. देखते ही देखते 1 साल बीत गया. एक दिन जहीर अहमद का फोन आया, ‘‘भाईजान, ठीक 1 माह बाद मेरे बड़े बेटे की शादी है. आप सपरिवार आमंत्रित हैं. और हां, कोई बहाना बनाने की जरूरत नहीं है. मैं ने सारा इंतजाम कर दिया है. आप के पुरखों की विरासत आप का इंतजार कर रही है.’’

नंद शर्मा तो मानो इसी पल का इंतजार कर रहे थे. उन्होंने तुरंत कहा, ‘‘ऐसा कभी हो सकता है कि मेरे भतीजे की शादी हो और मैं न आऊं. आप इंतजार कीजिए, मैं सपरिवार आ रहा हूं.’’

रात के खाने पर जब सारा परिवार जमा हुआ तो नंद शर्मा ने रहस्योद्घाटन किया, ‘‘ध्यान से सुनो, हम सब लोग अगले माह जड़ांवाला जहीर के बेटे की शादी में जा रहे हैं. अपनीअपनी तैयारियां कर लो.’’

‘‘हुर्रे,’’ सब बच्चे खुशी से नाच उठे.

‘‘सच है, अपनी जमीन, अपनी मिट्टी और अपनी विरासत, इन की खुशबू ही कुछ और है,’’ कह कर नंद शर्मा आंखें बंद कर मानो किसी अलौकिक सुख में खो गए.

बच्चों की भावना: क्या छोटे बच्चों की परेशानी कोई समझता है?

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शादी के बाद इन 7 तरीकों से करें खुद को एडजस्ट

जी हां अक्सर शादी के बाद लड़कियां खुद को एडजस्ट नहीं कर पाती हैं क्योंकि उन्हें अचानक से  दूसरे घर में जाकर हमेशा के लिए रहना होता है और ऐसे में जब उन्हें दिक्कत होती है, उनके मन मुताबिक चीजें नहीं हो पाती या नहीं मिल पाती हैं तो वो अपने पति पर दबाव बनाती हैं कहीं बाहर रहने के लिए और परिवार से दूर अलग रहने के लिए. ऐसे में परिवार भी टूटता है और घर में रिश्ते भी खराब होते हैं. खटास आ जाती है रिश्तों में. ऐसे में अगर आप चाहती हैं कि सब कुछ ठीक रहे तो अपनाए ये 7 तरीकें.

  1. सबसे पहले पति के परिवार को अपना ही परिवार समझे क्योंकि शादी के बाद वो आपका परिवार होता है जब तक आप उसे अपना नहीं समझेंगी तब तक उस परिवार को अपना नहीं पाएंगी और अनकंफर्टेबल फील करेंगी. इसलिए घर के हर सदस्य को जाने समझे उनके तौर तरीके समझें, कौन कैसा है उससे बात करके ही आपको पता चलेगा उन्हें भी अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिश करें. इस तरह आप परिवार में एडजस्ट जल्दी हो जाएंगी.
  2. जब आप परिवार में एडजस्ट हो जाएंगी तो आपको उस घर में सारे तौर-तरीके समझने में कोई दिक्कत नहीं होगी.फिर आप सब खुद समझने लगेंगी कि आपको क्या करना है और क्या नहीं और परिवार से आपका संबंध भी अच्छा बनेगा.

3. अगर आपको कोई दिक्कत है तो अपनी सास से भाभी से जेठानी से शेयर करें अगर आपको कुछ पता नहीं है या आप कुछ भी अपने हिसाब से चाहती हैं जो आपको मन मुताबिक नहीं मिल रहा है तो आप उनसे कहिए वे बेशक आपकी मदद करेंगी और आप और भी ज्यादा अच्छे से एडस्ट हो पाएंगी.

4. कभी भी घर में एक-दूसरे की किसी से बुराई न करें वरना आपकी छवि उस घर में अच्छी नहीं बनेगी और साथ ही पति से भी कभी उसके परिवार की बुराई न करें वरना वो तंग आकर आपके परिवार को भी ताने मारने से पीछे नहीं हटेगा और फिर आपके ही रिश्ते में खटास आएगी और आपको ही परेशानी होगी.

5. अपने ससुराल की बातें मायके में और मायके की बातें ससुराल में न करें…कभी भी शिकायत न करें इससे रिश्ते बिगड़ते हैं…इसलिए रिश्तों को संभालना सीखे ये सीखे की कैसे रिश्तों को जोड़ना है.तभी आपकी जिंदगी भी खुशहाल बनी रहेगी.

6. पति से कभी उसके परिवार से दूर जाकर रहने के लिए दबाव न बनाएं.वरना उसके मन में भी यही बात आएगी की ये मुझे मेरे परिवार से दूर रहने को कह रही है भले ही आपका वो इंटेशन न हो आप भले ही परिवार से प्यार करती हों लेकिन पति ये बात नहीं समझेगा.

7. पति के बेडरूम में भी अपनी एक खास जगह बनाएं साथ ही अपने पति के रिश्तेदारों से भी अपना व्यवहार बना कर रखें ताकि वो भी कभी ये न समझें कि पता नहीं कैसी बहू आयी है.

ये सारे तरीके अपना कर आप शादी के बाद अपने ससुराल में खुद को आसानी से एडजस्ट कर सकती हैं और फिर आपको किसी भी तरीके की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.

मेरे पति मुझे बहुत चाहते हैं, पर उनका संबंध दूसरी औरत के साथ है, मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल

मैं 38 वर्षीय गृहिणी हूं. शादी को 11 साल हो चुके हैं, एक बेटा है जिसकी उम्र 8 साल है . अभी तक हमारा वैवाहिक जीवन ठीक ठाक गुजर रहा था लेकिन पिछले 6-7 महीनों से बहुत परेशान और तनाव में हूं. क्योंकि मेरे पति का संबंध उनकी ही अकेली रह रही एक विधवा सहकर्मी  हैं . उसके पति ने 2 साल पहले आत्महत्या कर ली थी. जिसकी  असली वजह आजतक किसी को पता नहीं है लेकिन मैंने सुना है कि इसकी वजह पत्नी की चरित्रहीनता थी. उसके दूसरे पुरुष से संबंध थे .

मेरी समस्या यह है कि मेरे पति अब देर रात गए घर लौटते हैं और पूछने पर साफ साफ कह देते हैं कि उसी के पास था. इस बात को लेकर हम दोनों में आए दिन कलह होती रहती है. पति का स्पष्ट कहना है कि इससे मेरे अधिकारों पर कोई डाका नहीं पड़ रहा है और वे आज भी मुझे उतना ही चाहते हैं. जितना कि पहले चाहते थे लेकिन किसी भी कीमत पर उसके यहां आना जाना नहीं छोड़ सकते.

यह सुनकर मुझ पर क्या गुजरती है इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता.  मैं अपने पति को बहुत चाहती हूं और उन्हें खोना नहीं चाहती. क्या करूं कि उन्हें उस डायन से छुटकारा भी मिल जाये और हमारी बदनामी भी न हो. मुझे लगता है मेरे पति पूरी तरह उसके जाल में फंस गए हैं. कृपया सही रास्ता सुझाएं, मैं आपकी एहसानमंद रहूंगी क्योंकि अब मेरे मन में भी कभी कभी आत्महत्या का विचार आने लगा है पर बेटे का मुंह देखकर मन मसोस कर रह जाती हूं .

जवाब

आपकी समस्या वाकई बहुत गंभीर है लेकिन इतनी भी नहीं कि आप आत्महत्या की बात सोचने लगें. यह तो सरासर बुझदिली और परेशानी के सामने घुटने टेक देने वाली बात होगी. इसलिए यह खयाल तो दिलो दिमाग से निकाल ही दें. दरअसल मैं आपके तनाव की एक बड़ी वजह इस मामले में आपकी कुछ न कर पाने की बेबसी और पति का साफतौर पर यह मान लेना है कि वे उसे किसी भी कीमत पर छोड़ नहीं सकते.

आमतौर पर जवान और वे विधवाएं जिन पर कोई पारिवारिक और सामाजिक अंकुश नहीं होता उस पुरुष से अपनी शारीरिक और भावनात्मक जरूरतें पूरी करने उसका सहारा लेती हैं जो आसानी से उन्हें मिल जाता है. आपके शब्दों में कहें तो फंस जाता है. अगर वह पुरुष शादीशुदा हो तो परेशानी उसकी पत्नी को होती हो जैसे कि आप को हो रही है. बेहतर होगा कि आप धैर्य से काम लें और इस मसले पर अब पति से कलह बिलकुल न करें क्योंकि इससे बात बनने के बजाय और बिगड़ेगी.

यह भी ठीक है कि ऐसी हालत में आप पति से सहज नहीं रह सकती लेकिन अब आपको एक्टिंग इसी बात की करनी होगी कि आपको पति और उनकी विधवा सहेली का यह संबंध मंजूर है. धीरे धीरे मन मसोस कर ही सही उसमें दिलचस्पी लें और कभी कभार पति के साथ उसके यहां आना जाना भी शुरू करें या उसे अपने यहां इन्वाइट करें. इससे उन दोनों को परेशानी होगी जो आपके फायदे की बात होगी  मुमकिन है पति इस के लिए तैयार न हों क्योंकि उन्हें यह एहसास तो है कि वे गलत कर रहे हैं जो आपके साथ ज्यादती ही है.

एक रास्ता यह भी है कि अगर हो सकता हो तो अपने लेबल पर कोशिश कर पति का तबादला कहीं और करा लें लेकिन यह काम इस तरह करें कि किसी को कानोकान खबर न लगे. ऐसा भी न हो पाये तो चुपचाप कुढ़ते किलपते ही सही इस संबंध के खत्म होने का इंतजार करें क्योंकि इस तरह के सम्बन्धों की मियाद अक्सर ज्यादा नहीं होती. इस बात की चिंता बिलकुल न करें कि उसके लिए पति आपको छोड़ देंगे क्योंकि उन्हें भी इज्जत और परिवार की चिंता और डर होगा यही स्थिति उनकी सहेली की भी होगी. इस तरह के संबंध आमतौर पर शारीरिक जरूरत और आकर्षण वाले होते हैं इसलिए अपने आप में भी आकर्षण पैदा करें और कोशिश करें कि किसी भी बहाने से पति के साथ लंबे सैर सपाटे के लिए जाएं.

Gadar 2 के ट्रेलर लॉन्च पर सकीना ने तारा सिंह पर लुटाया प्यार, देखें वीडियो

Sunny Deol & Ameesha Patel Viral Video : बॉलीवुड एक्टर सनी देओल (Sunny Deol) और एक्ट्रेस अमीषा पटेल (Ameesha Patel) की फिल्म ‘गदर 2’ (Gadar 2) बड़े पर्द पर धमाल मचाने को पूरी तरह से तैयार हैं. बीते दिन यानी 26 जुलाई को फिल्म का ट्रेलर रिलीज किया गया, जिसे लोगों का खूब प्यार मिल रहा है. वहीं, फिल्म से पहले ‘गदर 2’ के ट्रेलर लॉन्च इवेंट का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में सकीना यानी अमीषा पटेल तारा सिंह उर्फ सनी देओल पर जमकर प्यार लुटा रही हैं.

सकीना-तारा की दिखी खास बॉन्डिंग

दरअसल सेलिब्रिटी फोटोग्राफर विरल भयानी ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक्टर सनी और अमीषा का एक वीडियो (Sunny Deol & Ameesha Patel Viral Video) शेयर किया है. ये वीडियो फिल्म ‘गदर 2’ के ट्रेलर लॉन्च का है. जहां सनी देओल येलो कुर्ते और सिर पर पग बांधे हुए है, तो वहीं अमीषा पिंक कलर के शरारे में बहुत खूबसूरत लग रही हैं.

इस वायरल वीडियो की खास बात ये है कि इसमें साफ-साफ देखा जा सकता है कि अमीषा पटेल सनी देओल (Sunny Deol) पर जमकर प्यार लुटा रही हैं. जहां पहले अमीषा सनी देओल के गाल पर हाथ लगाती हैं तो फिर उसके बाद उनके गले लग जाती हैं. लोगों को सनी-अमीषा की ये बॉन्डिंग काफी इंप्रेस कर रही हैं.

इस दिन रिलीज होगी ‘गदर 2’

आपको बता दें कि सनी देओल और अमीषा पटेल (Ameesha Patel) की फिल्म ‘गदर 2’ 11 अगस्त को बड़े पर्दे पर रिलीज होगी, जिसमें गदर : एक प्रेम कथा की कहानी को आगे दिखाया जाएगा. इस रोमांटिक फिल्म में सनी और अमीषा के अलावा उनके बेटे का रोल निभा रहे उत्कर्ष शर्मा और बहू सिमरत कौर भी अहम भूमिका में है.

Kavya : सुंबुल तौकीर खान ने IAS ऑफिसर बन जीता दिल

Sumbul Touqeer Khan New Show : छोटे पर्दे की मशहूर एक्ट्रेस सुंबुल तौकीर खान एक बार फिर अपनी एक्टिंग से टीवी पर धमाल मचाने को तैयार है. दरअसल इस बार उनके हाथ एक बड़ा टीवी शो ‘काव्या: एक जज्बा एक जुनून’ (Kavya- Ek Jazbaa Ek Junoon Promo) हाथ लगा है, जिसमें वह आईएएस ऑफिसर का किरदार निभाएंगी. बीते दिन अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर सुंबुल (Sumbul Touqeer Khan) ने खुद इस शो का प्रोमो वीडियो जारी किया है. प्रोमो में सुंबुल का एक दम नया अवतार देखने को मिला और उनके इस नए अवतार से उनके फैंस काफी इंप्रेस हुए हैं.

सुंबुल के तेवर देख दंग हुए लोग

आपको बता दें कि, सुंबुल तौकीर खान (Sumbul Touqeer Khan) का अपकमिंग शो ‘काव्या: एक जज्बा एक जुनून’ सोनी टीवी पर आएगा. शो (Kavya- Ek Jazbaa Ek Junoon Promo) का प्रोमो वीडियो भी सोनी टीवी ने अपने इंस्टाग्राम एकाउंट पर रिलीज किया है.

प्रोमो में दिखाया गया है कि काव्या यानी सुंबुंल के पिता को सरकारी ऑफिसर्स के सामने गिड़गिड़ाना पड़ता है बावजूद इसके वो उसके पिता की बात नहीं सुनते हैं. इसे देख काव्या आईएएस ऑफिसर बनने का फैसला करती है और जब लोग उससे मिलने के लिए आते हैं तो काव्या उनकी मदद तो करती ही है. साथ ही उन्हें अपने गले से भी लगाती है.

शो का प्रोमो देख फैंस हुए खुश

बहरहाल सुंबुल (Sumbul Touqeer Khan) के शो का प्रोमो वीडियो देखने के बाद उनके फैंस काफी खुश है और सोशल मीडिया पर उनकी तारीफों के पुल बांध रहे हैं. एक यूजर ने सुंबुल की तारीफ करते हुए लिखा, “ये कहानी बिल्कुल नई लग रही है, जो बाकी प्लॉट्स से काफी अलग है. एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘सुंबुल आप शानदार हो. काव्या की आंखों में चमक और एक औदा, आप जबरदस्त एक्ट्रेस हैं.’

मणिपुर हिंसा : स्वघोषित राजा खामोश क्यों

देश में संभवतया ऐसा पहली दफा हो रहा है जब मणिपुर में भयावह स्थिति बनी हुई है. आज भी हिंसा और पलायन जारी है. हालात कुछ ऐसे दिखाई दे रहे हैं मानो भारतपाकिस्तान का विभाजन हुआ है और मारकाट मची हुई है, बलात्कार हो रहे हैं, पलायन हो रहा है.

देश के विभाजन के समय हुई त्रासदी के लिए अगर हम अंगरेजों को माफ नहीं कर सकते तो फिर आजाद भारत की लोकतांत्रिक चुनी हुई सरकार तो क्या देश माफ कर देगा?

दरअसल, केंद्र में एक सक्षम और मजबूत सरकार बैठी हुई है जो यह मानती है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दुनिया पीछे चलने के लिए तैयार है। ऐसे में मणिपुर में जो कुछ हो रहा है अगर वह केंद्र सरकार और भाजपा की राज्य सरकार के संरक्षण में नहीं चल रहा, तो यह कैसे माना जा सकता है? क्या कारण था कि अगर कोई विपक्ष का बड़ा नेता मणिपुर जाना चाहता है, लोगों से मिलना चाहता है तो उसे मिलने नहीं दिया जाता? अगर दुनिया में कहीं चर्चा शुरू हो जाती है तो कहा जाता है कि यह तो हमारा आंतरिक मामला है मगर इन सब के बाद भी केंद्र और राज्य सरकार मणिपुर पर हाथ पर हाथ धरे हुए बैठे हुए हैं तो इस का स्पष्ट कारण यह है कि केंद्र और राज्य का संबल मिला हुआ है उपद्रवियों को.

आवाज दबाने की गंदी कोशिश

विपक्ष जाता है कि संसद में चर्चा हो मगर बेहद चालाकी से सत्ता यह कह रही है कि हम तो बातचीत के लिए तैयार हैं, ऊपर से बातचीत नहीं करना चाहता। यह घातप्रतिघात देश देख रहा है और निश्चित रूप से इस का खमियाजा भारतीय जनता पार्टी को उठाना पड़ेगा.

अगर हम मणिपुर के घटनाक्रम पर नजर डालें तो स्पष्ट है कि कुछ तथ्य ऐसे हैं जो विचलित करने वाले हैं जैसे कि 49 दिन बाद प्राथमिकी, 77 दिन बाद गिरफ्तारी.

  • 3 मई : मणिपुर में कुकीमैतेई समुदाय में हिंसा फैली.
  • 4 मई : थोबल में महिलाओं के साथ भीड़ ने दरिंदगी की. इस का वीडियो बनाया. कुकी समुदाय की 2
  • महिलाओं को नंगा कर सड़कों पर घुमाया गया. सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल
  • 18 मई : शिकायत दर्ज कराई गई थी.
  • 21 जून : प्राथमिकी दर्ज हुई
  • 19 जुलाई : वीडियो वायरल होने के बाद हंगामा.
  • 20 जुलाई : मामले के मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी हुई.

यह तो अच्छा है कि आज वीडियो तकनीक हमारे पास उपलब्ध है। अगर यह वीडियो उपलब्ध नहीं होता तो भाजपा के बड़ेबड़े चेहरे यह मानने के लिए तैयार ही नहीं होते कि मणिपुर में महिलाओं के साथ दरिंदगी का खेल हुआ है। आश्चर्य तो यह भी है कि वीडियो को इन लोगों ने मान कैसे लिया? ये लोग यह भी कह सकते थे कि वीडियो प्रमाणित नहीं है और अभी हम इस की जांच कराएंगे और भक्तगण इस पर भी तालियां बजाते. यह सब देखसमझ कर कर सिर शर्म से झुक जाता है कि आज देश नैतिकताविहीन, कमजोर, झूठे लोगों के हाथों में है जो हमारा नेतृत्व कर रहे हैं.

उच्चतम न्यायालय की दृष्टि

सुकून की बात यह है कि आज देश में उच्चतम न्यायालय लाठी दिशानिर्देश दे रही है. मणिपुर में 2 महिलाओं को नंगा कर घुमाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से तत्काल काररवाई को कहा. सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो का संज्ञान लेते हुए देश के उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश, धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने नाराजगी भरे लहजे में कहा, “मणिपुर में महिलाओं के साथ जो हुआ वह पूरी तरह अस्वीकार्य है. सरकार इस मामले में तुरंत काररवाई करे.”

देश की केंद्र सरकार और मणिपुर की राज्य सरकार के लिए यह आजतक का सब से काला दिन कहा जाएगा जब इन दोनों ही सरकारों पर सुप्रीम कोर्ट में सवालिया निशान लग गया.

मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने के वीडियो का संज्ञान लेते हुए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पीठ ने कहा, “वहां महिलाओं के साथ जो हुआ वह पूरी तरह अस्वीकार्य है. क्षेत्र में महिलाओं को किसी वस्तु की तरह इस्तेमाल करना संविधान का उल्लंघन है.”

कहां है सरकार

न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने यहां तक कहा कि अगर सरकार इस पर काररवाई नहीं करती है, तो हम करेंगे. उन्होंने कहा,”घटना का जो वीडियो प्रसारित हो रहा है, वह काफी परेशान करने वाला है. हम सरकार को थोड़ा समय दे रहे हैं. अगर आगे जमीन पर कुछ नहीं होता है तो हम खुद काररवाई करेंगे.”

यह सब देश आज देख रहा है और चिंतन कर रहा है कि मणिपुर किस दिशा में अग्रसर है. बातें तो बड़ीबड़ी की जा रही हैं मगर जमीनी स्तर पर आज महिलाओं के साथ जो अत्याचार व दरिंदगी हो रही है, वह किसी भी हालात में माफी लायक नहीं है.

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