इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) ने प्रजनन चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति ला दी है, जिससे प्रजनन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लाखों जोड़ों को माता-पिता बनने की आशा मिली है। सहायक प्रजनन तकनीक, जिसका आईवीएफ एक हिस्सा है, में नियंत्रित प्रयोगशाला में शरीर के बाहर शुक्राणु के साथ अंडों का निषेचन किया जाता है। इसके बाद, सफलता की उच्चतम संभावना वाले भ्रूण को गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
डॉ. क्षितिज मुर्डिया सीईओ और सह-संस्थापक इंदिरा आईवीएफ का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में, मुख्य रूप से विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और व्यक्तिगत कारकों के कारण, अधिक उम्र में,आईवीएफ चुनने वाली महिलाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
आईवीएफ के सफलता दर को समझना
आईवीएफ की सफलता दर, इस प्रक्रिया के माध्यम से सफल गर्भावस्था और जीवित बच्चे के जन्म की संभावना को दर्शाता है।ये दरें आईवीएफ पर विचार करने वाले व्यक्तियों या जोड़ों के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनसे वे उपचार की प्रभावशीलता और संभावित परिणामों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
महिला प्रजनन क्षमता पर उम्र का प्रभाव
महिलाओं की प्रजनन क्षमता उम्र के साथ कम हो जाती है, खासकर 35 के बाद। अधिक उम्र वाली महिलाओं को ओवेरियन रिजर्व, अंडे की गुणवत्ता और मात्रा में कमी का अनुभव होता है। अंडों में क्रोमोसोमल असामान्यताओं का खतरा भी उम्र के साथ बढ़ता है, जिससे आनुवंशिक विकार और असफल गर्भधारण होता है। हालाँकि, नए शोध से पता चला है कि 35 वर्ष से कम उम्र के लोगों में समय से पहले ओवेरि की उम्र बढ़ने लगती है, जिससे प्राकृतिक गर्भाधान चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
आईवीएफ की सफलता को प्रभावित करने वाले आयु-संबंधित कारण
उम्र ओवेरियन उत्तेजना के लिए की गयी दवाओं की प्रतिकिया को प्रभावित करता है, जिसके कारणवश उत्पादित स्वस्थ अंडों की संख्या प्रभावित होती है।बढ़ती उम्र के साथ सफल भ्रूण प्रत्यारोपण की संभावना कम हो जाती है, जिससे समग्र आईवीएफ सफलता दर प्रभावित होती है।इसके अतिरिक्त, किसी भी गर्भावस्था के दौरान गर्भपात का खतरा उम्र के साथ बढ़ता है, जिससे अधिक उम्र वाले जोड़ों के लिए भावनात्मक चुनौतियाँ पैदा होती हैं।
पुरुष आयु और आईवीएफ की सफलता
पुरुष की उम्र भी आईवीएफ की सफलता को प्रभावित कर सकती है, क्योंकि उन्नत पैतृक उम्र शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी और संतानों में आनुवंशिक असामान्यताओं के बढ़ने के जोखिम से जुड़ी होती है।
पिछले 45 वर्षों में शुक्राणुओं की संख्या में 51.6% की कमी देखी गई है।
भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक पहलू
उम्र से संबंधित प्रजनन संबंधी कठिनाइयों का सामना करने वाले जोड़े अक्सर अपनी आईवीएफ यात्रा के दौरान भावनात्मक उथल-पुथल और तनाव का अनुभव करते हैं।पूरी प्रक्रिया के दौरान सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने के लिए परामर्श और भावनात्मक समर्थन महत्वपूर्ण हैं।
माता पिता बनने के अन्य विकल्प-
उम्र से संबंधित प्रजनन चुनौतियों का सामना करने वालों के लिए आईवीएफ को ही एकमात्र विकल्प नहीं माना जा सकता है। अन्य सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकियाँ, जैसे अंडाणु या शुक्राणु दान, अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान, और इंट्रासाइटोप्लाज्मिक शुक्राणु इंजेक्शन, माता-पिता बनने के लिए व्यवहार्य विकल्प प्रदान करती हैं।
आईवीएफ की सफलता दर पर उम्र के प्रभाव को आज के दौर मे समझना महत्वपूर्ण हो जाता है क्यों की आज कल ज्यादा लोग जीवन में बाद में आईवीएफ का विकल्प चुन रहे हैं। उम्र से संबंधित प्रजनन चुनौतियों और भावनात्मक पहलुओं के बारे में जागरूक होने से जोड़ों को सही निर्णय लेने में मदद मिल सकती है।माता-पिता बनने के लिए वैकल्पिक रास्तों पर विचार करने से उम्र से संबंधित प्रजनन संबंधी कठिनाइयों का सामना करने वालों को आशा मिलती हैं। सही सहयोग और जानकारी से परिवार शुरू करने का सपना हकीकत बन सकता है।