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सोने की मोहरों से भरे घड़े : इन बाबाओं से आप भी बचकर रहिये

कमरे का वातावरण रहस्यमय था. लाल रंग का मद्धिम रोशनी वाला बल्ब टिमटिमा रहा था. कमरे के एक कोने में बिछी काली दरी पर एक बाबाजी बैठे थे. उन की उम्र 35 से 40 साल के बीच रही होगी. वह साधुसंन्यासियों या तांत्रिकों जैसे कपड़े पहनने के बजाय पैंटशर्ट पहने था. सिर पर गुलाबी रंग की पगड़ी बांधे उस बाबा के सामने 30-32 साल का एक युवक बैठा था. उस के पीछे 2 अन्य लोग भी बैठे थे. उन की उम्र 55-60 साल रही होगी. सामने गद्दी पर बैठे बाबा ने थोड़ी सख्त आवाज में पूछा, ‘‘आप लोग घर के आंगन की मिट्टी लाए हैं?’’

बाबाजी के सामने बैठे युवक ने झट से अपने हाथ में थामी कपड़े की छोटी सी पोटली बाबा की ओर बढ़ा दी. उस में शायद मिट्टी थी. बाबा ने पोटली से चुटकी भर मिट्टी निकाल कर अपनी हथेली पर रख कर उसे सूंघा. उस के बाद हैरानी से आंखें फाड़ कर सामने बैठे युवक को घूरते हुए कहा, ‘‘हूं…मैं ने पहले ही कहा था कि जरूर कोई बला है. अब पता चला कि वह बला नहीं, बल्कि शेषनाग बैठा है धन पर कुंडली मारे.’’

‘‘शेषनाग…धन…कुंडली..? हम कुछ समझे नहीं बाबाजी.’’ सामने बैठे युवक ने ही नहीं, उस के पीछे बैठै दोनों लोगों ने हैरानी से कहा.

‘‘अरे भाई, तुम लोग तो बड़े भाग्यशाली हो, तुम्हारे घर के अंदर बहुत बड़ा खजाना दबा है.’’ बाबा ने उन्हें समझाते हुए कहा.

‘‘यह आप क्या कह रहे हैं बाजाजी, हम कुछ समझ नहीं पाए? हमारे घर की समस्याएं, परेशानियां..?’’

‘‘सब इसी खजाने की वजह से है.’’ बाबा ने उन की बात बीच में ही काटते हुए कहा, ‘‘वह खजाना इन समस्याओं के माध्यम से बारबार चेतावनी दे रहा है कि मुझे बाहर निकालो. लेकिन बात तुम लोगों की समझ में नहीं आ रही है. खैर, कोई बात नहीं, अब तुम मेरे पास आ गए हो तो समझ लो कि तुम्हारे भाग्य खुल गए.’’

‘‘लेकिन बाबाजी, हमें क्या पता कि हमारे घर में खजाना कहां गड़ा है?’’ युवक ने कहा.

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‘‘यह काम तुम्हारा नहीं है. कहीं खजाने के चक्कर में अपने घर को मत खोद डालना. गड़ा धन ऐसे नहीं मिल जाता. उस के लिए बड़ी पूजा करनी पड़ती है. तरहतरह के उपाय और साधना करनी पड़ती है. इस के लिए काफी रुपए खर्च करने पड़ेंगे. अगर बिना पूजापाठ के धन निकालने की कोशिश की गई तो परिवार तबाह हो जाता है.

‘‘तुम्हारे घर के अंदर 16 मटके दबे हुए हैं, जिन में सोने की मोहरें भरी हैं. एक बात और ध्यान से सुन लो, मैं श्री गुरुनानक देवजी का वंशज हूं. वह बेदी थे और मैं भी बेदी हूं, इसीलिए यह काम पूरी दुनिया में सिर्फ मैं ही कर सकता हूं. दूसरा कोई माई का लाल पैदा नहीं हुआ, जो यह काम कर सके. समझे कि नहीं?’’

‘‘नहीं महाराज, हम खुद धन निकालने की कैसे सोच सकते हैं, क्योंकि हमें कहां पता है कि मटके कहां गड़े हैं? अब आप ही बताइए कि इस काम में कितना खर्च आएगा?’’

‘‘लगभग 3 लाख रुपए तो खर्च हो ही जाएंगे. और सुनो, अगर यह काम इसी सप्ताह शुरू नहीं हुआ तो धन तो जाएगा ही, तुम्हारा सब सत्यानाश कर के जाएगा. इसलिए यह काम 2-4 दिनों में ही शुरू करना होगा.’’ बाबा ने चेतावनी देते हुए कहा.

बाबा की बात सुन कर युवक और उस के पीछे बैठे दोनों लोगों ने एक साथ कहा, ‘‘ठीक है बाबाजी, हम 2 दिनों में रुपयों की व्यवस्था कर के आते हैं.’’

इस के बाद तीनों बाबा को प्रणाम कर के चले गए.

करतारपुर और कपूरथला के बीचोबीच कपूरथला के थाना सदर का एक गांव है कोट करार. इसी गांव में सरदार तरसेम सिंह पत्नी और 2 बेटों हरजिंदर सिंह तथा चरणजीत सिंह के साथ रहते थे. उन के पास भले ही जमीन ज्यादा नहीं थी, पर उन के यहां किसी चीज की कमी नहीं थी.

दोनों बेटों को उन्होंने 12वीं तक पढ़ा कर समय से उन की शादियां कर दी थीं. शादी के बाद दोनों बेटे टैंपो खरीद कर चलाने लगे थे. कुछ सालों पहले तरसेम और उन की पत्नी की मौत हो गई थी.

दोनों भाइयों की कमउम्र में ही शादियां हो गई थीं, इसलिए उन्हें बच्चे भी जल्दी हो गए थे. इस समय हरजिंदर का बेटा 12वीं में पढ़ रहा है तो चरणजीत का 9वीं में. वैसे तो दोनों भाइयों को किसी चीज की कमी नहीं थी, पर इधर कुछ दिनों से उन के सारे काम उलटेपुलटे हो रहे थे.

यह इत्तफाक था या कुछ और कि पूरे परिवार को यह सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि आखिर यह हो क्या रहा है? उन के बने काम भी एकदम से बिगड़ने लगे थे. घर का वातावरण भी नकारात्मक हो गया था. परिवार के सदस्यों को बुरे और डरावने सपने आने लगे थे.

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हालांकि यह सब मात्र संयोग था, लेकिन वहम हो जाए तो उस का इलाज किसी के पास नहीं है. ऐसे में किसी ने कह दिया कि यह सब किसी ऊपरी साए की वजह से हो रहा है तो सब ने मान भी लिया. फिर तो सभी ने यही माना कि बिना किसी उपचार के यह ठीक नहीं होगा.

चरणजीत के चाचा परमजीत सिंह भी गांव में ही रहते थे. उन के एक मित्र थे जसवीर सिंह. वह काफी समझदार और अनुभवी आदमी थे. उन्होंने किसी अखबार में एक इश्तहार देखा था, जिस में लिखा था, ‘बनते काम बिगड़ते हों, ऊपरी हवा का चक्कर हो, संतान हो कर गुजर जाती हो, बीमारी या मुकदमेबाजी हो, दुश्मनों का भय या फिर काम बंद हो, हर समस्या का समाधान, हर मुसीबत से शर्तिया छुटकारा. एक बार अवश्य मिलें. नोट: कृपया आने से पहले फोन अवश्य कर लें.’

समाचारपत्र में छपा यह विज्ञापन देख कर जसवीर सिंह ने यह बात अपने मित्र परमजीत को बता कर कहा, ‘‘क्यों न तुम्हारे भतीजों को इस के यहां दिखाया जाए, शायद उन की समस्या का समाधान हो ही जाए?’’

‘‘बात तो तुम ठीक कह रहे हो. जाने में कोई हर्ज भी नहीं है.’’ परमजीत सिंह ने कहा था.

दरअसल, उन्हें भी यह बात जंच गई थी. उस समय हरजिंदर घर पर नहीं था. उन्होंने छोटे भतीजे चरणजीत से बात की और उसे साथ चलने को राजी कर लिया. हालांकि वह बड़े भाई से पूछे या सलाह किए बिना जाना नहीं चाहता था, पर चाचा की वजह से वह इनकार भी नहीं कर सका.

24 दिसंबर, 2016 को चरणजीत सिंह, जसवीर सिंह और परमजीत सिंह समाचारपत्र में दिए पते के अनुसार फ्लैट-2055 नियर बीएमसी स्कूल, चंडीगढ़ रोड, लुधियाना पहुंच गए.

चलने से पहले जसवीर ने फोन कर दिया था. वहां पहुंचने पर तीनों की मुलाकात रविंदर सिंह बेदी नामक सिख युवक से हुई. वह खुद को तंत्रमंत्र, ज्योतिष आदि का विशेषज्ञ बताता था. इन लोगों की समस्या सुन कर उस ने इन्हें अगले दिन घर की मिट्टी ले कर आने को कहा. इस तरह ये लोग 2-3 दिनों तक कपूरथला से लुधियाना आतेजाते रहे.

26 दिसंबर, 2016 को रविंदर सिंह बेदी ने चरणजीत से उस के घर में खजाना दबे होने की बात बता कर उसे निकालने के लिए पूजा के लिए 3 लाख रुपए का खर्च बताया.

चरणजीत का बड़ा भाई हरजिंदर गाड़ी ले कर बाहर गया था. उस के वापस आने का कोई निश्चित दिन नहीं था. दूसरी ओर रविंदर के कहे अनुसार, एक भी दिन देर करना उचित नहीं था. अकेले कोई फैसला लेने में चरणजीत को मुश्किल हो रही थी. दूसरी ओर चाचा और जसवीर सिंह बारबार कह रहे थे कि वह चिंता न करे, सब ठीक हो जाएगा.

दिमाग पर ज्यादा जोर न देते हुए चरणजीत ने रुपयों का इंतजाम किया और 28 दिसंबर, 2016 को चाचा परमजीत और जसवीर सिंह के साथ अपनी अल्टो कार से लुधियाना रविंदर के यहां पहुंच गया. रविंदर ने कहा, ‘‘मैं कोई भी काम गलत या कच्चा नहीं करता. हर काम लिखित और गारंटी के साथ करता हूं. इसलिए पहले कोर्ट चल कर इस काम को करने के लिए एग्रीमेंट बनवाते हैं.’’

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जसवीर, परमजीत और चरणजीत ने बहुत कहा कि उन्हें उस पर पूरा विश्वास है, लेकिन रविंदर ने उन की एक नहीं सुनी. वह तीनों को लुधियाना की न्यू कोर्ट ले गया और नोटरी के माध्यम से चरणजीत की अल्टो कार अपने नाम पर यह कह कर ट्रांसफर करवा ली कि अभी उसे इस की जरूरत है. काम हो जाने के बाद वह उसे वापस कर देगा.

जिस एग्रीमेंट के लिए रविंदर उन्हें कोर्ट ले गया था, वह पीछे रह गया. कोर्ट से लौट कर चरणजीत सिंह ने 50-50 हजार कर के 2 लाख रुपए रविंदर बेदी को नकद दे दिए. इस के अलावा उस ने चरणजीत से हजारों रुपए के महंगे स्टोन, पुखराज, पन्ना, नीलम आदि मंगवाए.

रविंदर बेदी का कहना था कि पूजा के समय ये स्टोन पूजा वाले स्थान पर रखे जाएंगे. जिस जगह खजाना दबा होगा, ये स्टोन अपने आप चल कर उस जगह को बताएंगे. उस दिन के बाद चरणजीत को वे स्टोन खजाने का पता क्या बताते, रविंदर बेदी खुद ही गायब हो गया.

चरणजीत लुधियाना स्थित रविंदर बेदी के घर के चक्कर लगालगा कर थक गया, उसे न उस की कार मिली और न खजाना. उस के रुपए भी चले गए. रविंदर का कुछ अतापता नहीं था, काफी चक्कर लगाने के बाद एक दिन बेदी मिला भी तो सिवाय आश्वासन के उस ने कुछ नहीं दिया. उस ने कहा, ‘‘चिंता करने की जरूरत नहीं है. शुभ मुहूर्त आते ही वह पूजा शुरू कर के तुम्हें राजा बना देगा.’’

इस के बाद न कभी वह शुभ मुहूर्त आया और न ही चरणजीत राजा बन सका. धीरेधीरे चरणजीत की समझ में आ गया कि रविंदर बेदी ने उसे ठग लिया है. एक दिन वह अपने बड़े भाई हरजिंदर और 2 रिश्तेदारों को साथ ले कर रविंदर बेदी के घर पहुंचा. उस ने अपनी कार और 2 लाख रुपए वापस मांगे.

रविंदर ने उन्हें टका सा जवाब देते हुए कहा, ‘‘कैसे रुपए? जो रुपए तुम ने दिए थे, वे पूजापाठ की सामग्री में खर्च हो गए. रही बात कार की तो उसे खुद तुम ने मुझे बेचा था. बाबाजी की सेवा के लिए.’’

रविंदर की बात सुन कर चरणजीत सिंह के पैरों तले से जमीन खिसक गई. दुख तो उसे 2 लाख रुपयों का भी था, लेकिन कार की चिंता अधिक थी, क्योंकि कार उस ने एचडीएफसी बैंक से फाइनैंस करवाई थी, जिस की किस्तें वह अभी भी भर रहा था.

वह समझ गया कि खजाने का लालच दे कर रविंदर ने उस के साथ जबरदस्त चीटिंग की है. एक बार और उस ने बेदी से निवेदन करते हुए कहा कि उसे खजानावजाना कुछ नहीं चाहिए. वह उस की कार और 2 लाख रुपए लौटा दे. इस के बाद वह उस के द्वारा ठगी का किसी के सामने जिक्र नहीं करेगा.

चरणजीत का इतना कहना था कि रविंदर आगबबूला हो उठा. उस ने चरणजीत को धमकी देते हुए कहा, ‘‘चुपचाप शराफत से चले जाओ, वरना पुलिस को बुला कर बंद करवा दूंगा.’’

‘‘कमाल है, एक तो चोरी ऊपर से सीनाजोरी. ठगा भी मैं ही गया हूं और तुम बंद भी मुझे ही कराओगे. बदमाशी की भी हद होती है. अब मैं पुलिस के पास जाता हूं.’’

‘‘जाओ, शौक से जाओ. पुलिस थानों में मेरी इतनी चलती है कि वहां कोई तुम्हारी बात नहीं सुनेगा. तुम्हें पता नहीं कि मैं पुलिस को हफ्ता देता हूं.’’

सच पूछो तो उस समय रविंदर बेदी की धमकी से चरणजीत डर गया था. उस ने घर जा कर यह बात अपने बड़े भाई और रिश्तेदारों को बताई. तब सब ने यही सलाह दी कि उसे पुलिस के पास जाना चाहिए. लेकिन सब ने सोचा कि एक बार और रविंदर के पास जा कर बात कर लेनी चाहिए. पर जब वे रविंदर के फ्लैट पर पहुंचे तो उस ने कोई बात सुने बिना सभी को धमका कर भगा दिया.

पूरे 6 महीने हो गए थे चरणजीत को रविंदर के पीछे भटकते हुए. हार कर लुधियाना के थाना डिवीजन-7 में जा कर उस ने थानाप्रभारी सतवंत सिंह को अपने साथ रविंदर बेदी द्वारा की गई ठगी की पूरी कहानी सुना दी. चरणजीत की पूरी बात सुन कर सतवंत सिंह ने एएसआई सुखविंदर सिंह को बुला कर यह मामला उन के हवाले कर काररवाई करने को कहा.

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सुखविंदर सिंह चरणजीत की शिकायत पर काररवाई करते हुए सिपाही बलबीर सिंह को रविंदर बेदी के घर बुलाने भेजा, ताकि आमनेसामने बैठ कर बात की जा सके.

दरअसल, ऐसे मामलों में काफी हद तक पीडि़त खुद ही दोषी होता है, जो अंधविश्वास के झूठे मायाजाल में फंस कर अपना नुकसान कर बैठता है. सोचना चरणजीत को चाहिए था कि उस के घर से लगभग 150 किलोमीटर दूर बैठा आदमी यह बात कैसे जान गया कि उस के घर में खजाना दबा है. लालच और अंधविश्वास में ही उलझ कर चरणजीत जैसे लोग रविंदर बेदी जैसे फरेबी तांत्रिकों के मायाजाल में फंस कर उल्लू बन जाते हैं.

बहरहाल, सुखविंदर सिंह के बुलवाने पर रविंदर बेदी थाने नहीं आया. वह घर से ही गायब हो गया. पुलिस उस की तलाश करती रही. पुलिस अपना काम अपने तरीके से कर रही थी. कार और 2 लाख रुपए तो चरणजीत के फंसे हुए थे, इसलिए वह और उस के रिश्तेदार गुपचुप तरीके से रविंदर के घर की निगरानी कर रहे थे.

एक दिन रविंदर बेदी कपड़े और कुछ रुपए लेने जैसे ही घर आया, चरणजीत और उस के रिश्तेदारों को देख कर ठिठका. वह शहर छोड़ कर भाग जाना चाहता था. चरणजीत और उस के रिश्तेदारों को देख कर वह गली में भागा, पर चरणजीत और उस के रिश्तेदारों ने दौड़ा कर उसे पकड़ लिया. इस में मोहल्ले वालों ने भी उन की मदद की. क्योंकि मोहल्ले वाले भी उस की ठगी के धंधे से अच्छी तरह परिचित थे. सभी रविंदर को पकड़ कर थाने ले गए.

रविंदर का साथी कमल शर्मा उर्फ ड्राइवर भी पकड़ा गया था. वह रविंदर के हर काम में उस का सहायक था. चरणजीत की कार भी रविंदर ने उसी के नाम करवाई थी. थाने पहुंच कर रविंदर ने नौटंकी शुरू कर दी. काफी देर तक उस की नौटंकी चलती रही.

कभी वह कहता कि अपनी तंत्रमंत्र की ताकत से सभी को भस्म कर देगा तो कभी कहता कि वह इन के 2 लाख रुपए किस्तों में लौटा देगा. रही बात कार की तो इसे उस ने चरणजीत से खरीदी थी, जिस के उस के पास बाकायदा कागज हैं.

लेकिन पुलिस ने न उस की बातों पर ध्यान दिया और न नौटंकी पर. 16 मई, 2017 को अपराध संख्या 109/2017 पर भादंवि की धारा 420, 406, 120बी के तहत उस के और उस के साथी कमल शर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर अदालत में पेश कर के एक दिन के पुलिस रिमांड पर ले लिया.

लेकिन रिमांड अवधि में पुलिस उस से ज्यादा जानकारी हासिल नहीं कर सकी. रिमांड खत्म होने पर उसे अदालत में पेश कर जेल भेज दिया गया था. बाद में चरणजीत ने अपनी कोशिश से उस से कार वापस ली थी.

इस मामले में चरणजीत का कहना है कि पुलिस ने उस की बात ठीक से नहीं सुनी. लेकिन पुलिस ऐसे मामलों में कर भी क्या सकती है?

पुलिस या कानून किसी से नहीं कहता कि लालच में अपना सब कुछ लुटा दो. यहां तो हर कोई लूटने को बैठा है. लुटने वाले को भी तो कुछ सोचना चाहिए.

लुटना या बचना आदमी के अपने हाथ में है. कुदरत ने हर इंसान को बराबर दिमाग दिया है. अगर कोई फंसाने के लिए दिमाग लगाता है तो सामने वाले को बचने के लिए अपने दिमाग का उपयोग करना चाहिए. ऐसे में अगर कोई फंस जाता है तो वह भी कम दोषी नहीं है.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सरप्राइज गिफ्ट : अवैद्य संबंधों का था शक, तो बीवी की कर दी हत्या

19 जून, 2017 की शाम मनोज बेहद खुश था. लेकिन उस के दोस्त अनुज को उस की यह बेवजह की खुशी समझ में नहीं आ रही थी. जब रहा न गया तो अनुज ने पूछ ही लिया, ‘‘बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना क्यों हो रहा है, कुछ बताएगा भी या यूं ही बकवास करता रहेगा.’’

‘‘बताऊंगा, पर ऐसे नहीं. पहले मिल कर थोड़ा जश्न मनाते हैं. फिर अपनी खुशी का राज जाहिर करूंगा. ये ले पैसे और औफिसर्स चौइस की बोतल, तले हुए काजू, नमकीन और सिगरेट का पैकेट ले आ. सोच ले, आज मैं तुझे अपनी आजादी की पार्टी दे रहा हूं.’’ कह कर उस ने पर्स से 2 हजार रुपए का नोट निकाल कर अनुज को दे दिया.

अनुज की समझ में तो कुछ नहीं आया, लेकिन उस ने मनोज के हाथों से 2 हजार रुपए का नोट ले कर जेब में रखा और शराब के ठेके की ओर चला गया. कुछ देर बाद वह सारा सामान ले आया तो दोनों कमरे में पीने बैठ गए. मनोज ने 2 पैग बनाए और जाम से जाम टकराने के बाद दोनों शराब पीने लगे. जब मनोज पर नशे का सुरूर चढ़ा तो उस ने कहना शुरू किया, ‘‘अनुज, जानते हो मैं आज इतना खुश क्यों हूं.’’

‘‘जब तक तू बताएगा नहीं, तब तक मैं कैसे जानूंगा कि तेरे मन में किस बात को ले कर लड्डू फूट रहे हैं.’’ नशे की झोंक में अनुज उस की ओर देख कर बोला.

‘‘बेटे, आज मैं आजाद हो गया हूं.’’

‘‘पहेलियां न बुझा कर सीधी तरह बता, तेरी इस खुशी का राज क्या है?’’ अनुज ने चौथा पैग पीते हुए उत्सुकता से पूछा.

‘‘मैं ने तेरी भाभी को खुदागंज रवाना कर दिया है. मुझे उस से हमेशा के लिए छुटकारा मिल गया है.’’

मनोज की बात सुन कर अनुज को विश्वास नहीं हुआ, लेकिन जब उस ने पूरी बात बताई तो उसे लगा कि हो न हो मनोज ने कोमल की हत्या कर दी है. अनुज का सारा नशा काफूर हो गया. थोड़ी देर तक वह मनोज की बात सुनता रहा, फिर पीना छोड़ कर उठ खड़ा हुआ और घर में किसी जरूरी काम का बहाना कर के वहां से चला गया.

बाहर आ कर वह कुछ दोस्तों से मिला और मनोज की बात उन्हें बताई. सब ने उसे यही सलाह दी कि इस बात की सूचना पुलिस को दे देनी चाहिए, क्योंकि बाद में वह भी पुलिसिया लफड़े में फंस सकता है. सोचविचार कर उस ने यह सूचना कंझावला थाने की पुलिस को दे दी.

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पति द्वारा किसी औरत की हत्या की सूचना मिलते ही कंझावला थाने की पुलिस हरकत में आ गई. जेजे कालोनी सवदा पहुंच कर पुलिस ने मनोज गुजराती को हिरासत में ले लिया. थाने में जब मनोज से पूछताछ शुरू हुई, तब तक उस का नशा कम हो चुका था. पहले तो उस ने एसआई निखिल को बताया कि शराब के नशे में वह यह सब अपने दोस्त पर रौब जमाने के लिए  कह रहा था. लेकिन निखिल का एक करारा थप्पड़ उस के गले पर पड़ा तो उस के होश ठिकाने आ गए.

उस ने बताया कि वह अपनी पत्नी कोमल की हरकतों से बहुत परेशान था. इसलिए उस ने उसे बोंटा पार्क के जंगल में ले जा कर उस की हत्या कर दी है. बोंटा पार्क दिल्ली यूनिवर्सिटी के पास है. कंझावला थाने से वह काफी दूर था. तब तक काफी रात हो चुकी थी, इसलिए अगली सुबह निखिल कांस्टेबल महेश और नरेश को साथ ले कर उत्तरी दिल्ली के मोरिसनगर थाने पहुंचे और वहां की थानाप्रभारी इंसपेक्टर आरती शर्मा को उन के इलाके के बोंटा पार्क में एक लड़की की हत्या किए जाने की सूचना दी.

17 जून, 2017 को कंझावला पुलिस द्वारा मिली इस सूचना को थाना मौरिसनगर के डीडी नंबर 14 ए में दर्ज करवा कर इंसपेक्टर आरती शर्मा ने अतिरिक्त थानाप्रभारी इंसपेक्टर  वीरेंद्र सिंह को इंसपेक्टर राकेश कुमार, एएसआई बिजेंद्र, हैडकांस्टेबल राजकुमार, सुखवीर, कांस्टेबल श्याम सैनी तथा महिला कांस्टेबल मधु को आरोपी मनोज और कंझावला पुलिस के साथ बोंटा पार्क भेजा.

पुलिस टीम पार्क के गेट नंबर 6 से अंदर दाखिल हुई. अंदर जा कर पुलिस कोमल की लाश की तलाश में जुट गई. मनोज ठीक से उस जगह के बारे में नहीं बता पा रहा था, जहां उस ने अपनी पत्नी कोमल की हत्या कर के उस की लाश छिपाई थी. पुलिस की तलाशी 12 घंटे तक जारी रही, लेकिन कोमल की लाश नहीं मिली. रात घिर आई थी, फिर भी तलाशी चलती रही.

रात के करीब 12 बजे मनोज पुलिस टीम को एक छोटी चट्टान के पास ले कर गया, जहां 22-23 साल की एक लड़की की लाश पड़ी थी. वह गुलाबी रंग का टौप और नीले रंग की जींस पहने थी. लाश की छानबीन करते समय इंसपेक्टर वीरेंद्र सिंह ने देखा कि उस के दाहिने हाथ पर कोमल गुदा हुआ था.

आरोपी मनोज ने लाश की ओर इशारा कर के बताया कि यह उस की पत्नी कोमल की लाश है, जिसे उस ने कल शाम को धोखे से यहां ला कर उस की हत्या कर दी थी. लाश की फोटोग्राफी कराने के बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए सब्जीमंडी मोर्चरी भेज दिया गया, साथ ही कोमल के घर वालों को फोन कर के उस की लाश की शिनाख्त के लिए सब्जी मंडी मोर्चरी बुला लिया गया.

17 जून को कोमल की बड़ी बहन गौरी सब्जी मंडी पहुंची,जहां लाश देखने के बाद उस ने उस की पहचान अपनी छोटी बहन और मनोज गुजराती की पत्नी कोमल के रूप में कर दी. कोमल की लाश की शिनाख्त होने के बाद गौरी की तहरीर पर उसी दिन कोमल की हत्या का मामला उस के पति मनोज गुजराती के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत दर्ज कर लिया गया. इस मामले की विवेचना इंसपेक्टर वीरेंद्र सिंह को सौंपी गई. गौरी के बयान तथा मनोज गुजराती के बयानों के बाद 2 साल की लव मैरिज का जो दर्दनाक वाकया सामने आया, वह इस प्रकार था—

कोमल के पिता चमनलाल का परिवार नांगलोई के चंचल पार्क में रहता था. उन के परिवार में पत्नी कमलेश के अलावा 4 बेटियां तथा 2 बेटे थे. इन में कोमल पांचवे नंबर की थी. घर के लोग उसे प्यार से कमली कह कर पुकारते थे. कोमल के बड़े भाई गंगाराम की शादी 8 साल पहले दिव्या से हुई थी. मनोज गुजराती दिव्या का चचेरा भाई था.

मनोज का परिवार कंझावला इलाके के सावदा गांव में रहता था. उस के परिवार में उस के अलावा इस के पिता राजू गुजराती, मां कमलेश तथा एक बहन परवीन थी. घर के बाहरी कमरे में मनोज की परचून की दुकान थी. दुकान अच्छीखासी चलती थी, जिस की वजह से मनोज की जेब हमेशा भरी होती थी. वह शौकीनमिजाज युवक था और हमेशा बनठन कर रहता था. चूंकि दोनों के परिवार आपस में रिश्तेदार थे, इसलिए समय समय पर उन का एकदूसरे के यहां आनाजाना लगा रहता था.

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2 साल पहले एक दिन मनोज अपने दोस्तों के साथ मस्ती करने गुरुग्राम के सहारा मौल पहुंचा. वहां उस की नजर एक लड़की पर पड़ी, जो शक्लसूरत से जानीपहचानी लग रही थी. वह कोमल थी. मौडर्न कपड़ों, गहरे मेकअप और फ्लड लाइट की रंगबिरंगी रोशनी में कोमल बहुत ही सुंदर लग रही थी. दरअसल, कोमल वहां एक पब में नौकरी करती थी.

मनोज ने किसी बहाने से कोमल को अपने पास बुलाया तो दोनों ने एकदूसरे को पहचान लिया. बातोंबातों में मनोज ने उस का मोबाइल नंबर ले लिया और जल्द ही उस के घर चंचल पार्क आने का वादा किया. कोमल ने मनोज की खूब आवभगत की और उसे अपने साथ काम करने वाली कुछ सहेलियों से भी मिलवाया.

कोमल के लटकेझटके देख कर मनोज पहली ही नजर में उसे दिल दे बैठा. इधर कोमल भी मनोज के प्रति आकर्षित हो गई. उस दिन मनोज घर लौटा तो उस के दिलोदिमाग में कोमल की मनमोहिनी सूरत बसी हुई थी. वह जल्दी से जल्दी उसे अपनी बना लेना चाहता था.

उस दिन के बाद दोनों एकदूसरे को फोन कर के अपने दिल की बातें शेयर करने लगे. कोमल मनोज को हमेशा मौल में आने वाले हाईफाई लोगों के बारे में तरहतरह के किस्से सुनाती, जो मनोज को बहुत अच्छे लगते. वह कोमल को प्रभावित करने के लिए उसे महंगे तोहफे देने लगा. धीरेधीरे दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा. दोनों के घर वाले इस सब से कब तक अनजान रह सकते थे. उन्हें भी उन के प्यार की जानकारी हो गई.

मनोज और कोमल के घर वाले यों तो रिश्तेदार थे, लेकिन पता नहीं क्यों उन्हें यह रिश्ता मंजूर नहीं था. कोमल के पिता चमनलाल को लगता था कि मनोज उन की बेटी को ज्यादा दिनों तक खुश नहीं रख पाएगा. मनोज सावदा गांव में रहता था, जहां के लोगों का रहनसहन पुराने जमाने जैसा था.

उधर मनोज के घर वालों की सोच भी कुछ ऐसी ही थी. जब मनोज और कोमल ने अपनेअपने घरों में अपनी पसंद जाहिर की तो उन्होंने इसे सिरे से नकार दिया. लेकिन प्यार इन बंदिशों को कहां मानता है. वैसे भी दोनों ही अपने पैरों पर खड़े थे. इसलिए 5 जून, 2015 को कोमल ने अपने मम्मीपापा की मर्जी के खिलाफ जा कर तीसहजारी कोर्ट में मनोज से शादी कर ली. शादी के बाद दोनों रघुबीर नगर में किराए का मकान ले कर रहने लगे.

8-10 महीने तो दोनों ने खूब मौजमस्ती की, लेकिन बाद में मनोज को कोमल का सहारा मौल में काम करना बुरा लगने लगा. उस ने कोमल से यह काम छोड़ देने के लिए कहा, पर वह इस के लिए तैयार नहीं थी. उसे मौल में जा कर परफौरमेंस देना और नएनए लोगों से मिल कर हंसनाबोलना अच्छा लगता था. बात आगे बढ़ी तो दोनों के बीच झगड़े शुरू हो गए. पड़ोसियों ने दोनों को समझाया तो कोमल मनोज के घर जेजे कालोनी, सावदा में रहने को तैयार हो गई.

इस के बाद कोमल अपने पति मनोज के साथ सावदा में जा कर रहने लगी. लेकिन घर छोटा होने के कारण उसे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. मनोज की एक बहन परवीन थी, जिस से उस की कतई नहीं बनती थी. यह देख कर मनोज ने दूसरी जगह किराए पर एक घर ले लिया और दोनों उसी में रहने लगे. कुछ दिनों तक दोनों सुखचैन से रहे. मनोज की जिंदगी में अचानक भूचाल तब आया, जब एक दिन वह कोमल के सूटकेस में रखी उसकी एलबम देख रहा था. एक फोटो में वह एक लड़के के साथ बहुत खुश दिख रही थी.

मनोज ने कोमल को वह फोटो दिखा कर उस लड़के के बारे में पूछा तो कोमल ने बताया कि यह अमित है और उस के साथ सहारा मौल में नौकरी करता था. अमित महज उस का दोस्त है. लेकिन मनोज को कोमल की बातों पर विश्वास नहीं हुआ. उस ने कोमल के जानकारों से अमित के बारे में पूछा तो पता चला कि शादी से पहले अमित कोमल का बौयफ्रैंड था. मनोज को यह जानकारी मिली तो वह परेशान हो गया. कोमल के बारे में यह जानकारी मिलने के बाद मनोज उस से उखड़ाउखड़ा रहने लगा.

कुछ ही दिनों बाद उन के बीच फिर से झगड़े शुरू हो गए. कोमल ने अपने घर में फोन कर के बताया कि मनोज उस से दहेज लाने के लिए दबाव डालता है और मना करने पर उस के साथ मारपिटाई करता है.

एक महीने बाद कोमल मनोज की मारपिटाई से दुखी हो कर अपनी बड़ी बहन किरण के पास रहने के लिए रघुवीरनगर चली गई. मनोज सावदा स्थित अपने घर में अकेला रह गया. एक दिन उसे पता चला कि कोमल फिर से अपने पुराने बौयफ्रैंड अमित से मिलने लगी है. यह जान कर मनोज को चिंता हुई कि कोमल कहीं उस से किनारा न कर ले. यही सोच कर उस ने कोमल के मोबाइल पर बात करने की कोशिश की. कुछ दिन तो कोमल मनोज के फोन को नजरअंदाज करती रही, लेकिन धीरेधीरे दोनों में बातचीत शुरू हो गई.crime story

एक महीना पहले कोमल ने मनोज को बताया कि वह बहन पर बोझ नहीं बनना चाहती, इसलिए उस ने रघुवीरनगर के ही डी ब्लौक में अपने लिए अलग कमरा ले लिया है, जहां रह कर अब वह फिर से जौब पर जाएगी. घर में बैठेबैठे उस का मन नहीं लगता. दूसरे बिना पैसों के जिंदगी भी नहीं चलती. मनोज को उस की यह बात अच्छी नहीं लगी तो उस ने उस के नौकरी करने का विरोध करते हुए वापस घर लौट आने के लिए कहा. इस पर कोमल ने ऐतराज करते हुए मनोज से कहा कि वह उस के साथ गांव में नहीं रहेगी, क्योंकि वह उस के  साथ गालीगलौच करने के साथ मारपीट करता है. ऐसा जीवन वह नहीं जी सकती.

15 जून, 2017 को मनोज अपनी दुकान छोड़ कर कोमल से मिलने उस के घर पहुंचा. मनोज को आया देख कर उस ने उसे और उस के परिवार वालों को बहुत बुराभला कहा. कोमल की बातों से मनोज को लगा कि वह उस के साथ नहीं रहना चाहती. उसे बहुत गुस्सा आया. घर पहुंच कर वह सोचने लगा कि उस ने कोमल से कोर्टमैरिज की है और वह उस की पत्नी है. अगर वह उस के साथ नहीं रहेगी तो वह भी उसे उस की मनमर्जी से नहीं जीने देगा.

अगले दिन सुबह उस ने एक मोबाइल शौप पर जा कर नया सिम खरीदा और एक मैकेनिक के यहां से क्लच वायर ले आया. उसी सिम से उस ने कोमल से बड़े प्यार से बात की. बातोंबातों में उस ने कोमल को घूमने जाने के लिए राजी कर लिया. उस दिन काफी बारिश हुई थी, जिस से मौसम सुहाना हो गया था.

16 जून को मनोज ने कोमल को फिर फोन कर के मिलने के लिए सीमेंट गोदाम के पास बुलाया. कोमल ने कहा कि वह उस के पास पहुंच जाएगी. 2 बजे मनोज अपनी मोटरसाइकिल से सीमेंट गोदाम के पास पहुंचा तो थोड़ी देर बाद कोमल आ गई. उस ने कोमल को मोटरसाइकिल की पिछली सीट पर बिठाया और रिंगरोड होते हुए दिल्ली यूनिवर्सिटी के बोंटा पार्क जा पहुंचा.

पार्क के गेट पर मोटरसाइकिल खड़ी कर के वह कोमल के साथ अंदर चला गया. कोमल को विश्वास में लेने के लिए वह उस से रोमांटिक बातें कर रहा था. वहां झाडि़यों के पास कई युवा जोड़े प्रेमालाप में मग्न थे. यह देख कर कोमल भी रोमांटिक हो गई. कोमल से प्यारीप्यारी बातें करते हुए मनोज उसे एकांत में ले गया, जहां दोनों एक साफसुथरी चट्टान पर बैठ गए. मनोज ने उसे बांहों में ले कर अपनी गलतियों के लिए माफी मांगी और फिर से ऐसा न करने की कसम खाई तो कोमल खुश हो गई.

जब मनोज को लगा कि मौका एकदम सही है तो उस ने कोमल से कहा, ‘‘तुम अपना मुंह पीछे की तरफ कर लो, मैं तुम्हारे लिए एक सरप्राइज गिफ्ट लाया हूं.’’

कोमल ने खुश हो कर मुंह पीछे की ओर कर लिया. उचित मौका देख कर मनोज ने जेब में रखा क्लच वायर निकाला और कोमल की गर्दन पर लपेट कर कस दिया. कोमल ने मनोज को वायर ढीला करने के लिए कहा, साथ ही बचने के लिए बहुत हाथपैर मारे, जिस की वजह से मनोज के हाथों में खरोंचे भी आ गईं. लेकिन उस ने वायर को ढीला नहीं किया.

कुछ ही पलों में कोमल ने आखिरी हिचकी ली और उस की गर्दन एक ओर लुढ़क गई. कोमल की लाश को परे धकेल कर वह पार्क से बाहर आ गया और अपनी मोटरसाइकिल पर सवार हो कर घर लौट आया. इस के बाद उस ने अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए अपने दोस्त अनुज के साथ शराब की पार्टी की, जहां कोमल की हत्या का राज उस पर जाहिर कर दिया. पूछताछ के बाद पुलिस ने 17 जून, 2017 को मनोज को तीसहजारी कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

टीम इंडिया का ये खिलाड़ी है जोरू का गुलाम

टीम इंडिया के गब्बर सोशल मीडिया पर अपने साथी खिलाड़ियों की खिंचाई करने के लिए जाने जाते हैं. इस बार भी शिखर ने अपने साथी खिलाड़ी भुवनेश्वर कुमार की खिंचाई करने का मौका नहीं छोड़ा.

दोनों का यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. दरअसल भुवी 23 नवंबर को अपनी गर्लफ्रेंड नूपुर नागर के साथ विवाह बंधन में बंधने जा रहे हैं. शादी से पहले ही धवन ने भुवी को जोरू का गुलाम करार दिया. लेकिन उनकी इस खिंचाई का भुवी ने भी शानदार जवाब दिया. इस वीडियो में दोनों मजाकिया अंदाज में नजर आ रहे हैं. इन दोनों के बीच कुछ ऐसी बातें हुई जिन्हें सुनकर आप भी मुस्कुराने लगेंगे.

धवन ने भुवी से पूछा, “लो जी हमारा एक और शेर कल जोरू का गुलाम बन जाएगा. मोतीचूर का लड्डू जो खाए वो भी पछताए जो ना खाए वो भी पछताए, कैसा लग रहा है और क्या तैयारी है.”

इसके जवाब में भुवी ने कहा, मुझे शादी को लेकर कुछ फीलिंग नहीं आ रही है. जो तैयारी शादी की है वो घरवालों ने की है. इसके बाद उन्होंने उल्टा शिखर की खिंचाई करते हुए कहा कि इन सीनियर्स के अनुभव से पता चला है कि शादी के बाद बहुत मजा आता है.

Lo ji ban gya ek aur joru ka ghulam @imbhuvi ..??Wish you a very happy married life bro..???

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लेकिन शिखर ने भुवी की बात काटते हुए धवन ने कहा कि मुझे अभी से लगता है कि तू अभी से जोरू का गुलाम बना हुआ है तो आपका इस बारे में क्या कहना है. तब भुवी ने जवाब देते हुए कहा कि मुझे तो नहीं लगता पता नहीं आपको ऐसा क्यों लगता है. मुझे लगता है इसे प्यार कहते हैं.

आपको बता दें कि इससे पहले भुवी ने अपने रिश्तेदारों और दोस्तों की मौजूदगी में 4 नवंबर को ग्रेटर नोएडा में नुपुर नागर के साथ सगाई की थी.

इस आसान तरीके को अपनाएं और डुप्लीकेट कान्टेक्ट्स को चुटकियों में हटाएं

जब नया फोन लेते हैं तो हम अपने काम के कान्टेक्ट्स उसमें सेव कर लेते हैं, लेकिन धीरे-धीरे फोन में डुप्लीकेट कान्टेक्ट्स इकट्ठे होते जाते हैं. फिर इन बढ़ते डुप्लीकेट कान्टेक्ट्स की वजह से फोन को चलाने में काफी दिक्कत होने लगती है. हमें फोन में कान्टेक्ट सर्च करने में समय लगता है.

आपके फोन में डुप्लीकेट कान्टेक्ट्स के बनने का सबसे मुख्य कारण है आपके फोन में कई अकाउंट का बनना, जैसे की जीमेल अकाउंट और अन्य ऐप का इस्तेमाल कर बनाये गये अलग अलग अकाउंट. जिसकी वजह से आपके कान्टेक्ट की कापी होकर धीरे धीरे कई डुप्लीकेट कापी बनती जाती है. यदि आप इन डुप्लीकेट कापी को एक एक करके डिलीट करते हैं तो इसमे आपका काफी समय बरबाद होता है.

अगर आप भी इससे परेशान हैं तो आज हम आपको इससे छुटकारा दिलाने के लिए एक बहुत ही अच्छी ट्रिक बताने वाले हैं,  जिसका इस्तेमाल कर आप एक ही क्लिक में सारे डुप्लीकेट कान्टेक्ट डिलीट कर पाएंगे और अपने बहुमूल्य समय को बचा पाएंगे.

इस तरह के ट्रिक के लिए आपको सबसे पहले प्ले स्टोर से आपको डुप्लीकेट कान्टेक्ट रिमूवर (Duplicate Contacts Remover) नाम का एक मोबाइल ऐप डाउनलोड करना होगा.

आप इस ऐप को अपने फोन में इंस्टाल करने के बाद इसे ओपेन (Open) करें. ये कुछ एक्सेस मांगेगा उसे अलाउ

(Allow) कर दें. ध्यान रखें अगर आप इसे अलाउ नहीं करेंगे तो अपने फोन पर से डुप्लीकेट कान्टेक्ट्स को डिलीट नहीं कर पाएंगे.

आप जैसे ही इस ऐप को अपने फोन पर ओपन करेंगे ये उसपर मौजुद सभी डुप्लीकेट कान्टेक्ट्स को स्कैन कर लेगा.

इसके बाद आपको डिलीट के विकल्प पर जाकर क्लिक करना है ऐसा करते ही आपके फोन से सारे डुप्लीकेट कान्टेक्ट्स डिलीट हो जाएंगे.

नागपुर में लौंच हुआ देश का पहला इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन

सरकारी स्वामित्व वाली इंडियन आयल कौरपोरेशन (आईओसी) ने एक इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) चार्जिंग स्टेशन को लौन्च किया है. यह देश का पहला इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) चार्जिंग स्टेशन है. आइओसी ने इसे नागपुर के अपने एक पेट्रोल पम्प पर लगाया है. आइओसी ने इस इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन को ऐप बेस्ड कैब सर्विस कंपनी ओला के सहयोग से लगाया है.

गौरतलब है कि नागपुर को भारत में इलेक्ट्रिक पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन माडल के रुप में पेश करने वाले पहले शहर के रूप में भी जाना जाता है अब इस चार्जिंग स्टेशन के लौंच होने के साथ ही इस शहर के साथ एक और बड़ी उपलब्धि भी जुड़ गई है.

इस अवसर पर इंडियन आयल के एक अधिकारी ने मुरली श्रीनिवासन ने कहा कि भारत के प्रमुख तेल रिफाइनर के रूप में, इंडियनआयल अपने मुख्य व्यवसाय के हिस्से के रूप में पारिस्थितिक स्थिरता को बढ़ावा देता है. इस प्रकार, ओला के साथ यह साझेदारी सही है क्योंकि आने वाले वर्षों में भारत इस क्षेत्र में काफी तरक्की करने वाला है. उन्होंने कहा कि हम ओला को नागपुर में एक नए स्तर से इलेक्ट्रिक वाहन ईको-प्रणाली बनाने और उनके प्रयासों में उनके साथ मिलकर खुश हैं. ईवीओं में वर्तमान में वाहनों के प्रदूषण और हवा की गुणवत्ता के बारे में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करने की क्षमता है और एक बड़े पैमाने पर गतिशील मंच के रूप में, ओला परिवर्तन के बारे में सोच सकता है.

बता दें कि भारतीय सरकार ने ईवी चार्जिंग स्टेशनों के बुनियादी ढांचे या पदचिह्न बढ़ाने के प्रयास में पिछले हफ्ते नीति आयोग ने दिल्ली में 135 इलेक्ट्रिक वीइकल चार्जिंग स्टेशन लगाने का प्रस्ताव दिया था. इस प्रस्ताव का ड्राफ्ट आईटी सलूशन कंपनी AC2SG ने नीति आयोग के सहयोग से तैयार किया है. इसे नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने जारी किया है. इस प्रस्ताव के जरिए गुड़गांव-आइजीआइ-नोएडा कारिडोर पर ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर की शुरुआत की जा सकती है.

नेहा शर्मा के अभिनय से ज्यादा उनकी खूबसूरती के दीवाने हैं लोग

बौलीवुड की बोल्ड एंड ब्यूटीफुल एक्ट्रेस और मौडल नेहा शर्मा आज अपना 30वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रही हैं. इस खूबसूरत एक्ट्रेस का जन्म 21 नवंबर 1987 को बिहार के भागलपुर में हुआ था. उनके पिता अजीत शर्मा एक बिजनेसमैन और पौलीटिकल लीडर हैं.

वह कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुए हैं, नेहा अपने पिता के चुनाव प्रचार का भी हिस्सा भी रही हैं. नेहा ने 2010 में मोहित सूरी की फिल्म ‘क्रुक’ से बौलीवुड में डेब्यू किया था. इस फिल्म में नेहा एक्टर इमरान हाश्मी के साथ रोमांस करती दिखीं थीं. नेहा को फिल्म में देख लड़के उनकी खूबसूरती के दीवाने हो गए थे. इसके बाद नेहा ने फिल्म ‘तेरी मेरी कहानी’ में कैमियो रोल भी किया.

नेहा अपने अभी तक के करियर में कुछ खास नहीं कर पाई हैं. उन्हें लोग उनकी एक्टिंग से ज्यादा उनकी खूबसूरती के लिए पसंद करते हैं. वह कई ब्रांड के लिए मौडलिंग भी करती हैं. नेहा ने हिंदी भाषा के अलावा तेलुगू में भी काम किया है.

उन्होंने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत 2007 में तेलुगू फिल्म ‘चिरुथा’ से की थी. इसके बाद नेहा एक और तेलुगू फिल्म ‘कुरुदु’ में भी एक्टिंग करती दिखीं. नेहा ‘यमला पगला दीवाना 2’, ‘यंगिस्तान’ और ‘तुम बिन 2’ जैसी फिल्मों में नजर आ चुकी हैं. पिछले साल रिलीज हुई ‘तुम बिन 2’ भले ही टिकट खिड़की पर कुछ खास कमाल ना कर सकी हो लेकिन फिल्म में नेहा की एक्टिंग को सभी ने काफी पसंद किया था. इस साल वह दो फिल्मों ‘मुबारकां’ और ‘सोलो’ में नजर आईं हैं. मुबारकां में नेहा एक छोटे से किरदार में थीं.

  • नेहा ने अपनी पढ़ाई भागलपुर के माउंट कर्मेल स्कूल से की है. इसके बाद उन्होंने दिल्ली के नेशनल इंस्टिट्यूट औफ फैशन टेक्नोलौजी से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया.
  • नेहा को एक्टिंग के अलावा कुकिंग का काफी शौक है. वह अपने खाली समय में गाने सुनने के अलावा किताबें पढ़ना भी पसंद करती हैं.
  • नेहा एक ट्रेंड डांसर हैं, उन्होंने भारतीय क्लासिकल डांस कत्थक में ट्रेनिंग ली है. नेहा स्ट्रीट हिप-हौप, साल्सा, जाइव और जैज डांस भी सीख चुकी हैं. उन्होंने ये डांस फौर्म लंदन के पाइनएप्पल डांस स्टूडियो से सीखे हैं.
  • नेहा बहुत जल्द अपना क्लोथिंग ब्रांड भी लौन्च करने का मन बना रही हैं.
  • नेहा राधिका आप्टे और मनोज तिवारी के साथ एक शौर्ट फिल्म ‘क्रीति’ में भी नजर आईं थीं. इस फिल्म में नेहा के काम की क्रिटिक्स ने काफी तारीफ की थी.

पीएफ खाताधारकों के लिए खुशखबरी, ईपीएफओ दिलाएगा ज्यादा रिटर्न

प्रोविडेंट फंड यानी पीएफ खाताधारकों के लिए एक अच्छी खबर है. कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन (ईपीएफओ) शेयर बाजार में आई तेजी का फायदा उठाने की तैयारी कर रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, ईपीएफओ अपने मेंबर्स को पीएफ का ज्यादा हिस्सा इक्विटी में निवेश करने का औप्शन दे सकता है.

हालांकि, इसका फैसला पूरी तरह खाताधारक पर निर्भर करेगा. उपभोक्ता की मंजूरी के बिना ईपीएफओ निवेश नहीं बढ़ाएगा. ईपीएफओ का मानना है कि इक्विटी में निवेश से मेंबर्स को पीएफ डिपौजिट पर बेहतर रिटर्न मिल सकेगा.

दरअसल, 23 नवंबर को ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड औफ ट्रस्‍टी (सीबीटी) की बैठक है. इसका इक्विटी निवेश का प्रस्‍ताव पेश किया जाएगा. अगर सीबीटी प्रस्‍ताव को मंजूरी देता है तो पीएफ सदस्यों के पास यह विकल्प होगा कि वह अपने डिपौजिट का ज्यादा हिस्सा शेयर बाजार में निवेश करने की मंजूरी दे.

शेयर बाजार में निवेश पर होगा प्रेजेंटेशन

सूत्रों की मानें तो 23 नवंबर को सीबीटी की बैठक में इक्विटी में निवेश के तरीकों पर एक्सपर्ट की एक टीम प्रजेंटेशन देगी. शेयर बाजार में निवेश के तरीके में बदलाव पर सीबीटी की बैठक में विचार होना है. इनमें से एक प्रस्ताव इक्विटी में पैसा लगाने के विकल्प का है. एक्‍सपर्ट्स की टीम सीबीटी को प्रस्‍ताव के फायदे और नुकसान की जानकारी देगी.

ईपीएफओ के सामने रिटर्न की चुनौती   

ईपीएफओ के सूत्रों के मुताबिक, ईपीएफओ अभी शेयर बाजार में कुल 15 फीसदी तक निवेश करता है. इस निवेश पर अब तक बेहतर रिटर्न मिला है. उधर, सरकारी सिक्‍युरिटीज में निवेश पर रिटर्न नहीं मिल रहा. ऐसे में ईपीएफओ के सामने ये चुनौती है कि वह पीएफ डिपौजिट पर बेहतर रिटर्न कैसे दिलाए. ईपीएफओ ने पिछले साल पीएफ पर 8.65 फीसदी रिटर्न दिया है. वहीं बैंक एफडी और स्‍मौल सेविंग स्कीम्स पर मिलने वाले ब्‍याज में लगातार कम हुआ है.

इंटरेस्‍ट रेट पर नहीं होगा विचार

पीएफ पर मिलने वाले ब्याज पर जल्द फैसला होना है. हालौंकि, सूत्रों की मानें तो 23 नवंबर को होने वाली बैठक में वित्‍त वर्ष 2017-18 के लिए पीएफ पर मिलने वाले ब्याज पर कोई फैसला नहीं होगा. बैठक में सिर्फ ब्याज दर पर विचार किया जाएगा. ब्याज दर तय करने के लिए सीबीटी की एक और बैठक दिसंबर में हो सकती है.

पिच बनाते बनाते यह खिलाड़ी बन गया स्टार बौलर

वास्तविक जिंदगी में इक्का-दुक्का कहानियां ही बौलीवुड फिल्मों की तरह तेजी से बदल जाती हैं. इस औस्ट्रेलियाई क्रिकेटर के साथ भी कुछ ऐसा हुआ. जिंदगी ने ऐसा पलटी खाई कि आज तक मुड़कर पीछे नहीं देखा. कंगारू क्रिकेटर और स्टार औफ स्पिनर नौथन लियौन की किस्मत कुछ ऐसी ही बदली कि वह देखते ‘रंक’ से राजा बन गए. वह दो दिन बाद ही शुरू हो रही एशेज सीरीज के लिए कंगारू टीम का बहुत ही अहम हिस्सा हैं.

नौथन की किस्मत में बड़े बदलाव के बारे में जानने के लिए फ्लैशबैक में चलते हैं. साल 2011 से करीब एक साल पहले की बात है. तब नौथन क्रिकेट से दूर रहकर क्यूरेटर (पिच बनाने वाला) का काम कर रहे थे. यही काम उन्हें कैनबरा से एडिलेड ले आया और वह साल 2010 के आस-पास बतौर क्यूरेटर एडिलेड ओवल ग्राउंड स्टौफ का हिस्सा बन गए.

इसी मैदान पर वह पिच बनाते और घास काटते हुए नेट पर अभ्यास का समय भी निकाल लेते थे. इसी दौरान रेडबैक्स बिग बैश के कोच डौरेन बैरी ने उनकी प्रतिभा को पहचानकर उनकी हौसला अफजाई की. दक्षिण औस्ट्रेलिया के लिए टी-20 क्रिकेट खेलते हुए उन्होंने अपनी बौलिंग से सभी को प्रभावित किया. इस प्रदर्शन से उनके प्रथण श्रेणी करियर का आगाज हुआ. इसके बाद उनका करियर किसी रौकेट की तरह तेजी से ऊपर चला गया.

पहला फर्स्ट क्लास मैच खेलने के सात महीने के भीतर ही जुलाई साल 2011 में नौथन लियौन औस्ट्रेलिया टेस्ट टीम का हिस्सा बन गए. किस्मत लियौन के ऊपर ऐसी ऐसी मेहरबान रही कि गाले में मेजबान श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट करियर की पहली ही गेंद पर नौथन ने कुमार संगाकारा जैसे बल्लेबाज का विकेट लेते हुए पारी में पांच विकेट लिए.

इसके बाद जो सिलसिला शुरू हुआ, फिर तो मानो थमा ही नहीं. साल 2015 आते-आते नौथन लियौन, हग ट्रंबल को पछाड़ते हुए औस्ट्रेलिया क्रिकेट इतिहास के सबसे कामयाब औफ स्पिनर बन गए. चंद ही सालों में नौथन 69 टेस्ट मैचों में 269 विकेट चटका चुके हैं.

अब जबकि दो तीन बाद ही एशेज की जंग शुरू हो रही है, तो एक बार फिर से कंगारू टीम नौथन लियौन से करिश्माई प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है.

‘अक्सर 2’ की रिलीज के बाद निर्माताओं पर जरीन खान ने लगाया यह गंभीर आरोप

जरीन खान और गौतम रोडे की फिल्म ‘अक्सर 2’ इस शुक्रवार यानी 17 नवंबर को रिलीज हो चुकी है. ‘हेट स्टोरी 3’ की तरह फिल्म में जरीन खान बोल्ड अंदाज में नजर आ रही हैं, लेकिन इस फिल्म के बोल्ड सीन और किसिंग सीन को लेकर जरीन खान काफी नाराज हैं. उन्होंने अपनी इस नाराजगी को जाहिर करते हुए फिल्म निर्माताओं पर फिल्म के दौरान बिना बताए किसिंग सीन को लंबा किये जाने का आरोप लगाया है.

आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही दिल्ली में जरीन खान के छेड़खानी का शि‍कार होते होते बचने की खबरें आईं थी. इस घटना को लेकर अब समाने आईं जरीन खान का कहना है कि जब 40 से 50 लोगों की भीड़ में वे घि‍री हुईं थीं तब वह समझ गई थीं कि उनके साथ छेड़खानी होने वाली है लेकिन हैरानी की बात ये थी कि वहां मौजूद मेकर्स को इसकी जरा भी परवाह न थी. वो तो सिर्फ वहां बैठकर बीयर पीने में व्यस्त थे.

अक्सर 2 के प्रोड्यूसर वरुण बजाज जो कि इंडस्ट्री के मशहूर प्रोड्यूसर श्याम बजाज के बेटे हैं पर जरीन खान ने कई आरोप लगाते हुए उन्हें बिल्कुल अनप्रोफेशनल कहा. जरीन ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि इस फिल्म को लेकर शुरुआत से ही कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था. वह फिल्म में काम करने को लेकर संतुष्ट नहीं थीं.

जरीन ने कहा कि फिल्म साइन करने से पहले मेकर्स ने उन्हें कहा कि वह हेट स्टोरी 3 नहीं बना रहे, अक्सर 2 बना रहें हैं जो कि एक साफ सुथरी फिल्म है, लेकिन मेकर्स ने शूट के दौरान उससे बिलकुल उल्टा किया, उन्हें फिल्म के हर फ्रेम में ना सिर्फ छोटे कपड़े पहनने के लिए कहा गया बल्कि कई हाट सीन करने के लिए भी कहा गया और हद तो तब हो गई जब बिना उन्हें बताए और बिना कि‍सी कारण के किसिंग सीन्स को बढ़ाया गया.

जरीन ने बताया, ‘हर दिन मेरे कपड़ों को लेकर बदलाव किए गये, सेंसुअस सीन को भी इस हद तक फिल्माया कि उसने सेंसुअस फैक्टर की सारी लाइन को क्रोस कर लिया अब इसे सेंसुअस सीन नहीं सिर्फ वलगर सीन कहा जा सकता है.’

मेकर्स ने उनपर लगाए गये आरोपो पर जवाब दिया कि जहां तक प्रमोशन के दौरान छेड़खानी की नौबत आने की बात है तो जरीन को प्रमोशन का शड्यूल का पता था, जिसकी जानकारी उन्हें रवाना होने से दो दिन पहले ही दे दी गई थी. बावजूद इसके जरीन ने अपनी कमिटमेंट को पूरा नहीं किया. मेकर्स ने बयान में कहा, ‘ तय शड्यूल के मुताबिक जरीन ने ना सिर्फ प्रेस कान्फ्रेंस को नजरअंदाज कि‍या बल्कि एक स्पोंसर विजिट में भी नही गईं.

उन्होंने जरीन के प्रमोशन वेन्यू पर सिक्योरिटी ना मिलने की बात को भी झूठ बताया है. उनका कहना है कि जरीन ने प्रमोशन वेन्यू पर स्पोंसर्स के साथ काफी बहसबाजी की, जिसके बाद उन्होंने गुस्से में वहां डिनर ना करने और वहां से तुरन्त जाने का फैसला किया. फिर उन्होंने चार बौडीगार्ड्स के साथ वेन्यू छोड़ा और तब उनका मैनेजर भी उनके साथ था. उस समय परिस्थिति को देखते हुए उन्हें गाड़ी में बैठाकर सुरक्षि‍त होटल पहुंचाया गया. इसके बाद भी वह टीम को बिना बताए मुंबई के लिए रवाना हो गईं. जरीन का इस तरह के रवइया और अपनी कमिटमेंट्स को पूरा ना करना उनके लिए बहुत बड़ा नुकसान साबित हुआ. जिसके बाद उस नुकसान की भरपाई के करने के लिए उन्हें स्पोंसर्स को मोटी रकम अदा करनी पड़ी.

स्मार्टफोन से खत्म होता हेडफोन जैक का चलन, क्या है वजह

स्मार्टफोन्स में कम समय में ही कंपनियों ने कई बड़े बदलाव किए हैं. ये बदलाव यूजर्स को आकर्षित करने और टेक्नोलौजी का विस्तार करने के लिए किए गए हैं. ऐसा ही एक बदलाव हेडफोन जैक को लेकर देखने को मिला है.

अब तक फोन्स में 3.5mm औडियो जैक आता था. लेकिन इस चलन के अंत की शुरुआत भी हो चुकी है. एप्पल, मोटो, एचटीसी और लीईको जैसी कंपनियां इस चलन की शुरूआत कर चुकी हैं. अब सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर कंपनियां ऐसा क्यों कर रही हैं? इसके दो बड़े कारण हैं जो हम आपको अपनी इस रिपोर्ट में बता रहे हैं.

स्मार्टफोन से क्यों गायब हो रहे हैं हेडफोन जैक

पहला कारण

फोन्स से हेडफोन जैक हटाना टेक्नोलौजी के विस्तार के साथ-साथ कंपनियों की जरुरत भी कही जा सकती है. आजकल कंपनियां स्लिम स्मार्टफोन्स लौन्च करने की होड़ में लगी हैं. ऐसे में स्लिम फोन पेश करने के लिए हेडफोन जैक हटाया जाता है. हालांकि, इससे 1 से 2mm का ही फर्क पड़ता है.

दूसरा कारण

इसके पीछे का दूसरा कारण यह है की कंपनियां अपने फोन्स में USB Type C को शामिल करना चाहती हैं. इससे ट्रांसमिशन और डिजिटल सिग्नल्स का कन्वर्जन होता है. हेडफोन जैक के मुकाबले इनकी औडियो क्वालिटी बेहतर होती है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

एक्सपर्ट के अनुसार कंपनियों ने टेक्नोलौजी ट्रेंड को बदलने के लिए यह कदम उठाया है. जिस तरह लोगों को डिजिटल ट्रांजैक्शंन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए नोटबंदी का कदम उठाया गया. उसी तरह टेक कंपनियां लोगों को वायरलेस टेक्नोलौजी की तरफ प्रोत्साहित करने के लिए नया ट्रेंड लेकर आ रही हैं. फिलहाल यूजर्स को महंगे वायरलेस हेडफोन्स की समस्या से जरूर जूझना पड़ सकता है. लेकिन जैसे-जैसे बिना हैडफोन जैक के फोन्स आम होंगे, वैसे-वैसे वायरलेस हेडफोन्स की कीमत भी कम हो जाएगी.

किन स्मार्टफोन्स में दिखा यह बदलाव

स्मार्टफोन टेक्नोलौजी में हेडफोन जैक की बात करें तो 2016 में LeEco ने अपने तीन फोन्स में हेडफोन जैक हटाकर USB Type C कनेक्टर को जगह दी थी. इसके बाद मोटोरोला ने अपने फोन्स Moto Z और Moto Z Force स्मार्टफोन्स में इस चलन को आगे बढ़ाया. इसी क्रम में एप्पल जैसी दिग्गज कंपनी भी पीछे नहीं रही. एप्पल ने अपने आईफोन 7 से हेडफोन जैक को पूरी तरह से हटा दिया. कंपनी के 7 के बाद लौन्च हुए अन्य फोन्स जैसे कि- आईफोन 8, 8 प्लस और 10 में भी हेडफोन जैक नहीं है.

टेक्नोलौजी बदलने से कैसे बदलेगा यूजर का अनुभव

अगर आप बिना हेडफोन जैक वाला फोन लेते हैं तो सबसे बड़ी परेशानी तो यही होगी की आप किसी भी आम हैडफोन का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे. ऐसा करने के लिए आपको अलग से एक पिन खरीदनी होगी. लेकिन इसमें भी एक खामी यह है की आप फोन चार्ज करते समय इस तरह हेडफोन का प्रयोग नहीं कर पाएंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि चार्जिंग और अन्य चीजों के लिए एक ही पोर्ट उपलब्ध होती है. इस तरह की परेशानियों के बीच ऐसा भी संभव है की आने वाले समय में कुछ ऐसी टेक्नोलौजी लाई जाए जो इन समस्याओं का समाधान करते हुए काम कर सके.

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