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#lockdown: देश में कोरोना का कोहराम

भारत के हालात अमेरिका, स्पेन और इटली से बेहतर हैं. लेकिन कोरोना का फैलाव भारत में तेजी हो रहा है, स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बताया गया कि गुरुवार (09 अप्रैल 2020 ) को सुबह 08 बजे तक ,  कुल संक्रमित मरीजों कि संख्या 5734 पहुंच चुका है, वही 473 लोगो को इलाज के बाद संक्रमण मुक्त हो चुके है वही अभी तक 166 लोगो का मौत हो चूका है. फिर भी आश्वस्त नहीं हुआ जा सकता, क्योंकि विशेषज्ञ डाक्टरों का मानना है कि भारत में कोरोना दूसरे चरण  में तो था ही अब कुछ इलाको में यह तीसरे चरण में पहुंच चुका है. यदि यहीं नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह अगर व्यापक स्तर पर तीसरे चरण में भी पहुंच सकता है. स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि भारत में कोरोना दूसरे और तीसरे स्तर के बीच में है. लॉक डाउन का आखिरी सप्ताह सरकार के लिए काफी अहम है . इसलिए केंद्र सरकार ने सभी को कोरोना वायरस से मिल कर लड़ने को कह रही है. सख्ती से लॉकडाउन का पालन करने को कह रही है, लेकिन कुछ लोग है कि जो इस भयावह स्थिति को समझने को तैयार ही नहीं है. भारत के कई राज्य इसे से बेहद प्रभावित है तो कई राज्यों में यह संक्रमण ना के बराबर है, कही संक्रमण का फैलाव तेजी से हो रहा है तो कही रुका हुआ है तो आइये एक नजर डालते है  गुरुवार (09 अप्रैल 2020 ) तक भारत के किस इलाके का क्या हाल है.

* जहाँ संक्रमण तेजी रहा है :-

  • देश में सर्वाधिक कोरोना संक्रमित मरीज महाराष्ट्र में मिल रहे है . महाराष्ट्र में संक्रमण का मामला तेजी से संक्रमित मरीजों की संख्या 1135 पहुंच गया है , वहीं 72 लोगो का मौत हो चुका है , इलाज से 117 लोग ठीक हो चुके है . बाकी का इलाज चल रहा है .
  • दूसरे नंबर पर तमिलनाडु स्थान आ रहा है , तमिलनाडु में संक्रमण का मामला 738 पहुंच गया है, यहाँ इलाज से 21 लोग ठीक हो चुके है, जब 8 लोगो का मौत हो गया है , बाकी का इलाज चल रहा है.
  • तीसरे नंबर पर दिल्ली का स्थान आ रहा है. दिल्ली में मकरज मामला के बाद आचनक मरीजों की संख्या बढ़ा गया है , यहां कुल 669 संक्रमित मरीज मिले है, जिनका इलाज चल रहा है , इसमें से 21 लोग इलाज से ठीक हो कर अस्पताल से घर पहुंच चुके है , अभी तक 09 लोगो की मौत हुई है.
  • चौथा नंबर पर है तेलंगाना. यहाँ कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 427 पहुंच चुका है, इसके साथ ही यह संक्रमित मरीजों के हिसाब से सात वे स्थान पर आता है. जिनमें से 35 मरीज ठीक हो गए है , बाकी का इलाज चल रहा है , वहीं 7 मरीजों का देहांत हो चुका है.
  • कभी अपने विदेश पर्यटकों से गुलजार रहने वाला प्रदेश राजस्थान, आज कल कोराना के चपेट में है . यह संक्रमित मरीजों के हिसाब से पांचवे स्थान पर आता है ,यहां कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 381 पहुंच चुका है. इलाज से 21 लोग ठीक हो चुके है , 3 लोगो का मौत हो चुका है.
  • छठवे स्थान पर उत्तर प्रदेश है , यहाँ कुल 361 संक्रमित मरीज है, सबका इलाज चल रहा है. 27 मरीज ठीक हो गए है , वहीं 4 लोगो की मौत कोराना के कारण हुआ है.

ये भी पढ़ें-#lockdown: सीएमआईई की रिपोर्ट्स में महामंदी की आहट

  • सातवे नंबर पर आंध्र प्रदेश का स्थान आ रहा है , यहाँ कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 348 पहुंच गया है. इलाज से यह 06 मरीज ठीक हो कर घर पहुंच गया, वहीं अभी तक चार लोगों की मौत हो गया है.
  • आठवे स्थान पर भारत का वह राज्य है जहाँ कोरोना संक्रमित पहला मामला मिला था, केरल ने योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर के इसे फैलने से रोका, यह कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 345 पहुंच गया है, इसके साथ ही यह संक्रमित मरीजों के हिसाब से छठा राज्य है. यहाँ सभी मरीजों का इलाज चल रहा है , अभी तक 83 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके है , वहीं दो संक्रमित व्यक्ति का देहांत हो गया.
  • मध्यप्रदेश कोरोना संक्रमित मरीजों के हिसाब से नौवा स्थान पर है . शिवराज सरकार इन दिनों कोरोना से सख्ती से लड़ने की बात कहा है, प्रदेश में सबसे अधिक मामले इंदौर से मिला है , यहां संक्रमित मरीजों की संख्या 229 है, दुखद खबर है कि अभी तक यहाँ इलाज से कोई ठीक नहीं हुआ है , जबकि मारने वालो की संख्या 13 पहुंच चुका है.
  • 181 कुल संक्रमित मरीजों के साथ कर्नाटक दसवे स्थान पर है.  इलाज से 28 लोग यहां ठीक हो गए है , अभी तक 05 लोगो की मौत गया है.

* जहाँ धीरेधीरे फ़ैल रहा है कोरोना संक्रमण :-

  • गुजरात , हरियाणा , पंजाब , जम्मू और कश्मीर एवं पश्चिम बंगाल ऐसे राज्य है , जहाँ कोरोना धीरे- धीरे फ़ैल रहा है . गुजरात में अभी तक 179 संक्रमित मरीज है, जिनमे इलाज से 25 ठीक हो गए है ,16 लोगो का मौत हो चुका है. वही हरियाणा में हालात ठीक नहीं है कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 147 पहुंच गया है , 28 लोगो इलाज से ठीक हो गए , तो 3 लोगो का मौत हो गया है.
  • पंजाब का हालत भी ठीक नहीं है, पंजाब में कुल 101 संक्रमित मरीज है, जिनमे 04 मरीज इलाज से ठीक हो गए है वहीं 8 लोगो का मौत कोरोना से हो चुका है.
  • पंजाब के सीमा से सटा हुआ राज्य जम्मू और कश्मीर में संक्रमित मरीजों की संख्या 158 पहुंच गई है, यहां इलाज के बाद 4 मरीज ठीक हो गए है , जबकि 4 लोगो का देहांत हो गया है.
  • पश्चिम बंगाल में कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 103 है , जिसमें 16 मरीज इलाज के बाद ठीक हो गए है , वहीं अभी तक 5 मरीजों का मौत हो चुका है .

 * जहां  संक्रमण बहुत कम है , और फैलाव भी कम है :-

  • नॉर्थ ईस्ट के प्रदेश अरुणाचल प्रदेश , मिजोरम, मणिपुर और त्रिपुरा संक्रमित मरीजों की संख्या एक – एक- एक – एक है . संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है .
  • केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेर्री में पांच मामले सामने आया है , वहीं इलाज से एक लोग ठीक भी हो गए है , बाकी का इलाज चल रहा है.
  • गोवा में संक्रमित मरीजों की संख्या 7 पहुंच गई है , वहीं सबका इलाज चल रहा है.
  • छत्तीसगढ़ से भी अच्छी खबर है ,10 संक्रमित मामलों यहां देखे गए जिसमें 09 मरीज ठीक हो चुके है. बाकी का इलाज चल रहा है .
  • वहीं केंद्रशासित प्रदेश अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में संक्रमित मरीजों की संख्या 11 है . सबका  इलाज चल रहा है .

जहाँ  संक्रमित की संख्या 10 से अधिक है ,लेकिन 100 से कम है:-

  • ऐसे क्षेत्रों में पहला नाम आता है झारखण्ड , यहाँ  में अभी तक 13 संक्रमित मरीज मिले है , एक मरीज का मौत हो गया , बाकी सबका इलाज चल रहा है .
  • केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में अभी तक 14 कोराना के मामले सामने आए है , जिनमें इसमें से 10 लोग ठीक हो चुके है , एक सुखद खबर है , अभी तक किसी का मौत नहीं हुआ है.
  • इसके बाद केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ का स्थान आता है, यहाँ मरीजों संख्या 18 पहुंच चुका है ,वही उनमें से 7 लोगों अभी तक ठीक होकर घर जा चुके है , अभी तक किसी का कोरोना से  मौत नहीं हुआ है.
  • पहाड़ों की रानी का प्रदेश हिमाचल प्रदेश में 18 मामले आए है वहीं इसमें से 2 लोग ठीक हो चुके है , बाकी का इलाज चल रहा है , एक संक्रमित मरीज का मौत हुए है
  • देवभूमि का प्रदेश उत्तराखंड में अभी स्थिति समान्य है , यहां कुल 33 मामले सामने आए है , जिनमें 5 लोगों ठीक हो चुके है बाकी का इलाज चल रहा है .
  • चाय के बागान वाला प्रदेश असम से सुखद खबर है , यहां कोराना के  28 मामले आए है ,लेकिन किसी का मौत नहीं हुआ है , सभी का इलाज चल रहा है .
  • बिहार में 50 संक्रमित मरीज सामने आये है ,रक्तचाप से पीड़ित एक मरीज की छह अप्रैल को मौत हो गई. बाकि अन्य मरीजों का इलाज चल रहा है.
  • ओडिशा में अभी तक 42 संक्रमित मरीज सामने आए है , वही 2 मरीज ठीक हो गए है , बाकी मरीजों का इलाज चल रहा है , वही रक्तचाप से पीड़ित एक मरीज की छह अप्रैल को मौत हो गई.देश में कोराना का कोहराम

ये भी पढ़ें-#coronavirus: जमातियों ने ही नहीं अफसरों तक ने छिपाई कोरोना की

भारत के हालात अमेरिका, स्पेन और इटली से बेहतर हैं. लेकिन कोरोना का फैलाव भारत में तेजी हो रहा है, स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बताया गया कि गुरुवार (09 अप्रैल 2020 ) को सुबह 08 बजे तक ,  कुल संक्रमित मरीजों कि संख्या 5734 पहुंच चुका है, वही 473 लोगो को इलाज के बाद संक्रमण मुक्त हो चुके है वही अभी तक 166 लोगो का मौत हो चूका है. फिर भी आश्वस्त नहीं हुआ जा सकता, क्योंकि विशेषज्ञ डाक्टरों का मानना है कि भारत में कोरोना दूसरे चरण  में तो था ही अब कुछ इलाको में यह तीसरे चरण में पहुंच चुका है. यदि यहीं नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह अगर व्यापक स्तर पर तीसरे चरण में भी पहुंच सकता है. स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि भारत में कोरोना दूसरे और तीसरे स्तर के बीच में है. लॉक डाउन का आखिरी सप्ताह सरकार के लिए काफी अहम है . इसलिए केंद्र सरकार ने सभी को कोरोना वायरस से मिल कर लड़ने को कह रही है. सख्ती से लॉकडाउन का पालन करने को कह रही है, लेकिन कुछ लोग है कि जो इस भयावह स्थिति को समझने को तैयार ही नहीं है. भारत के कई राज्य इसे से बेहद प्रभावित है तो कई राज्यों में यह संक्रमण ना के बराबर है, कही संक्रमण का फैलाव तेजी से हो रहा है तो कही रुका हुआ है तो आइये एक नजर डालते है  गुरुवार (09 अप्रैल 2020 ) तक भारत के किस इलाके का क्या हाल है.

 

* जहाँ संक्रमण तेजी रहा है :-

  • देश में सर्वाधिक कोरोना संक्रमित मरीज महाराष्ट्र में मिल रहे है . महाराष्ट्र में संक्रमण का मामला तेजी से संक्रमित मरीजों की संख्या 1135 पहुंच गया है , वहीं 72 लोगो का मौत हो चुका है , इलाज से 117 लोग ठीक हो चुके है . बाकी का इलाज चल रहा है .
  • दूसरे नंबर पर तमिलनाडु स्थान आ रहा है , तमिलनाडु में संक्रमण का मामला 738 पहुंच गया है, यहाँ इलाज से 21 लोग ठीक हो चुके है, जब 8 लोगो का मौत हो गया है , बाकी का इलाज चल रहा है.
  • तीसरे नंबर पर दिल्ली का स्थान आ रहा है. दिल्ली में मकरज मामला के बाद आचनक मरीजों की संख्या बढ़ा गया है , यहां कुल 669 संक्रमित मरीज मिले है, जिनका इलाज चल रहा है , इसमें से 21 लोग इलाज से ठीक हो कर अस्पताल से घर पहुंच चुके है , अभी तक 09 लोगो की मौत हुई है.
  • चौथा नंबर पर है तेलंगाना. यहाँ कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 427 पहुंच चुका है, इसके साथ ही यह संक्रमित मरीजों के हिसाब से सात वे स्थान पर आता है. जिनमें से 35 मरीज ठीक हो गए है , बाकी का इलाज चल रहा है , वहीं 7 मरीजों का देहांत हो चुका है.
  • कभी अपने विदेश पर्यटकों से गुलजार रहने वाला प्रदेश राजस्थान, आज कल कोराना के चपेट में है . यह संक्रमित मरीजों के हिसाब से पांचवे स्थान पर आता है ,यहां कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 381 पहुंच चुका है. इलाज से 21 लोग ठीक हो चुके है , 3 लोगो का मौत हो चुका है.
  • छठवे स्थान पर उत्तर प्रदेश है , यहाँ कुल 361 संक्रमित मरीज है, सबका इलाज चल रहा है. 27 मरीज ठीक हो गए है , वहीं 4 लोगो की मौत कोराना के कारण हुआ है.
  • सातवे नंबर पर आंध्र प्रदेश का स्थान आ रहा है , यहाँ कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 348 पहुंच गया है. इलाज से यह 06 मरीज ठीक हो कर घर पहुंच गया, वहीं अभी तक चार लोगों की मौत हो गया है.
  • आठवे स्थान पर भारत का वह राज्य है जहाँ कोरोना संक्रमित पहला मामला मिला था, केरल ने योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर के इसे फैलने से रोका, यह कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 345 पहुंच गया है, इसके साथ ही यह संक्रमित मरीजों के हिसाब से छठा राज्य है. यहाँ सभी मरीजों का इलाज चल रहा है , अभी तक 83 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके है , वहीं दो संक्रमित व्यक्ति का देहांत हो गया.
  • मध्यप्रदेश कोरोना संक्रमित मरीजों के हिसाब से नौवा स्थान पर है . शिवराज सरकार इन दिनों कोरोना से सख्ती से लड़ने की बात कहा है, प्रदेश में सबसे अधिक मामले इंदौर से मिला है , यहां संक्रमित मरीजों की संख्या 229 है, दुखद खबर है कि अभी तक यहाँ इलाज से कोई ठीक नहीं हुआ है , जबकि मारने वालो की संख्या 13 पहुंच चुका है.
  • 181 कुल संक्रमित मरीजों के साथ कर्नाटक दसवे स्थान पर है.  इलाज से 28 लोग यहां ठीक हो गए है , अभी तक 05 लोगो की मौत गया है.

 

* जहाँ धीरेधीरे फ़ैल रहा है कोरोना संक्रमण :-

  • गुजरात , हरियाणा , पंजाब , जम्मू और कश्मीर एवं पश्चिम बंगाल ऐसे राज्य है , जहाँ कोरोना धीरे- धीरे फ़ैल रहा है . गुजरात में अभी तक 179 संक्रमित मरीज है, जिनमे इलाज से 25 ठीक हो गए है ,16 लोगो का मौत हो चुका है. वही हरियाणा में हालात ठीक नहीं है कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 147 पहुंच गया है , 28 लोगो इलाज से ठीक हो गए , तो 3 लोगो का मौत हो गया है.
  • पंजाब का हालत भी ठीक नहीं है, पंजाब में कुल 101 संक्रमित मरीज है, जिनमे 04 मरीज इलाज से ठीक हो गए है वहीं 8 लोगो का मौत कोरोना से हो चुका है.
  • पंजाब के सीमा से सटा हुआ राज्य जम्मू और कश्मीर में संक्रमित मरीजों की संख्या 158 पहुंच गई है, यहां इलाज के बाद 4 मरीज ठीक हो गए है , जबकि 4 लोगो का देहांत हो गया है.
  • पश्चिम बंगाल में कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 103 है , जिसमें 16 मरीज इलाज के बाद ठीक हो गए है , वहीं अभी तक 5 मरीजों का मौत हो चुका है .

 * जहां  संक्रमण बहुत कम है , और फैलाव भी कम है :-

  • नॉर्थ ईस्ट के प्रदेश अरुणाचल प्रदेश , मिजोरम, मणिपुर और त्रिपुरा संक्रमित मरीजों की संख्या एक – एक- एक – एक है . संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है .
  • केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेर्री में पांच मामले सामने आया है , वहीं इलाज से एक लोग ठीक भी हो गए है , बाकी का इलाज चल रहा है.
  • गोवा में संक्रमित मरीजों की संख्या 7 पहुंच गई है , वहीं सबका इलाज चल रहा है.
  • छत्तीसगढ़ से भी अच्छी खबर है ,10 संक्रमित मामलों यहां देखे गए जिसमें 09 मरीज ठीक हो चुके है. बाकी का इलाज चल रहा है .
  • वहीं केंद्रशासित प्रदेश अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में संक्रमित मरीजों की संख्या 11 है . सबका  इलाज चल रहा है .

 

जहाँ  संक्रमित की संख्या 10 से अधिक है ,लेकिन 100 से कम है:-

  • ऐसे क्षेत्रों में पहला नाम आता है झारखण्ड , यहाँ  में अभी तक 13 संक्रमित मरीज मिले है , एक मरीज का मौत हो गया , बाकी सबका इलाज चल रहा है .
  • केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में अभी तक 14 कोराना के मामले सामने आए है , जिनमें इसमें से 10 लोग ठीक हो चुके है , एक सुखद खबर है , अभी तक किसी का मौत नहीं हुआ है.
  • इसके बाद केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ का स्थान आता है, यहाँ मरीजों संख्या 18 पहुंच चुका है ,वही उनमें से 7 लोगों अभी तक ठीक होकर घर जा चुके है , अभी तक किसी का कोरोना से  मौत नहीं हुआ है.
  • पहाड़ों की रानी का प्रदेश हिमाचल प्रदेश में 18 मामले आए है वहीं इसमें से 2 लोग ठीक हो चुके है , बाकी का इलाज चल रहा है , एक संक्रमित मरीज का मौत हुए है
  • देवभूमि का प्रदेश उत्तराखंड में अभी स्थिति समान्य है , यहां कुल 33 मामले सामने आए है , जिनमें 5 लोगों ठीक हो चुके है बाकी का इलाज चल रहा है .
  • चाय के बागान वाला प्रदेश असम से सुखद खबर है , यहां कोराना के  28 मामले आए है ,लेकिन किसी का मौत नहीं हुआ है , सभी का इलाज चल रहा है .
  • बिहार में 50 संक्रमित मरीज सामने आये है ,रक्तचाप से पीड़ित एक मरीज की छह अप्रैल को मौत हो गई. बाकि अन्य मरीजों का इलाज चल रहा है.
  • ओडिशा में अभी तक 42 संक्रमित मरीज सामने आए है , वही 2 मरीज ठीक हो गए है , बाकी मरीजों का इलाज चल रहा है , वही रक्तचाप से पीड़ित एक मरीज की छह अप्रैल को मौत हो गई.

 

सौतन: भाग 1

निकलते-निकलते उसे वहीं देर हो गई. सुबह से उस का सिर भारी था, सोचा था घर जल्दी जा कर थोड़ा आराम करेगा पर उठते समय ही बौस ने एक जरूरी फाइल भेज दी. उसे निबटाना पड़ा. वैसे, यह काम रमेश का है पर वह धूमकेतु की तरह उदय हो दांत निपोर कर बोला, ‘‘यार, आज मेरा यह काम तू निबटा दे. मेरे दांत में दर्द है, डाक्टर को दिखाना है, प्लीज.’’

‘‘कट कर दे.’’

‘‘बाप रे, बुड्ढा कच्चा चबा जाएगा. आजकल वह कटखना कुत्ता बना है.’’

‘‘क्यों, क्या हुआ उसे, वह ठीकठाक तो है?’’

‘‘कुछ ठीकठाक नहीं, सब गड़बड़ हो गया है.’’

‘‘क्या गड़बड़ है?’’

‘‘इस उम्र में उस की बीवी ठेंगा दिखा कर भाग गई.’’

‘‘हैं…’’

‘‘तभी तो बौखला कर अब हमारे ऊपर गरज रहा है.’’ रमेश निकल गया और संजीव लेट हो गया. पत्नी भारती और 10 वर्ष की बेटी चांदनी उस की प्रतीक्षा में थे. उसे देखते ही भारती चाय का पानी रखने गई. संजीव सीधा बाथरूम गया फ्रैश होने. एक गैरसरकारी दफ्तर में मामूली क्लर्क है वह. मामूली परिवार का बेटा है. उस के पिता भी क्लर्क थे. उस का जीवन भी मामूली है. मामूली रहनसहन, मामूली पत्नी, मामूली समाज में उठनाबैठना. पर वह अपने जीवन में संतुष्ट है, सुखी है. कारण यह कि उस की आशाएं, योजनाएं, मित्र सभी मामूली हैं. मामूली जीवन में फिट हो कर भी संजीव एक जगह ट्रैक से अलग हट गया है. वह है बेटी चांदनी का पालनपोषण. अपने वेतन की ओर ध्यान न दे कर, भारती की आपत्ति को नजरअंदाज कर उस ने बेटी को एक महंगे अंगरेजी माध्यम स्कूल में डाला है. उस का वेतन हाथ में आता है 7 हजार रुपए. इस महंगाई के जमाने में क्या होता है उस में. पर भारती अपनी मेहनत, सूझबूझ और सुघड़ता से बड़े सुंदर ढंग से घर चला लेती है. किसी प्रकार का अभावबोध पति या बेटी को नहीं होने देती. पुराना घर और साथ में चारों ओर छूटी जमीन संजीव की एकमात्र पैतृक संपत्ति है. किराया बचता है और खुली, बड़ी जगह में रहने का सुख भी है.

भारती भी मामूली घर की बेटी है. सम्मिलित परिवार था. मां, चाची मिल कर घर का काम करतीं. दादीमां भी हाथ पर हाथ धर कर नहीं बैठती थीं, मिर्चमसाले कूटतीं, दाल, चावल, गेहूं बीन कर साफ करतीं. इसलिए शादी से पहले भारती को काम नहीं करना पड़ा. पर शादी के बाद सारा काम उस ने अपने सिर पर उठा लिया, और उस से उसे खुशी ही मिली. अपना घर, अपना पति और अपनी बच्ची, उन सब के लिए कुछ भी कर सकती है. प्राइवेट स्कूल में बेटी को डालने के बाद तो झाड़ूबरतन भी खुद ही करती, महीने के 500 रुपए बच जाते. उस ने वास्तव में घर को खुशहाल बना रखा था क्योंकि उस ने अपने घर में देखा था कि निर्धनता में भी कैसे सुखी रहा जाता है. वहां तीजत्योहार बड़े उत्साह से मनाए जाते, पूड़ीकचौरी, लड्डू, गुजिया बनते, हर मौसम का अचार पड़ता. यहां तक कि मार्चअप्रैल में मिट्टी के नए कलश में गाजरमूली का पानी वाला अचार पड़ता, पापड़ बनते, बडि़यां तोड़ी जातीं. अभावबोध कभी नहीं रहा. उसी ढंग से उस ने अपने इस घर को भी सुख का आशियाना बना रखा था. पति की हर बात मान कर चलने वाली भारती ने विरोध भी किया था बेटी को इतने महंगे स्कूल में डालने के लिए पर बापबेटी दोनों की इच्छा देख वह चुप हो गई थी.

चाय के साथ गरम पकौड़े ले कर आई भारती संजीव के पास बैठ गई. चांदनी पार्क में खेलने गई थी.

‘‘सुनोजी, वो बंसलजी आज फिर आए थे.’’ पकौड़े खातेखाते संजीव के माथे पर बल पड़ गए, ‘‘कब?’’

‘‘आज तो तुम लेट आए हो. तुम्हारे आने के 10-15 मिनट पहले.’’ चाय का घूंट भर कर उस ने एक और पकौड़ा उठाया, ‘‘अब क्या चाहिए? मैं ने मना तो कर दिया.’’

‘‘अरे, गुस्सा क्यों करते हो? वह तो निमंत्रण देने आए थे.’’

‘‘किस बात का निमंत्रण?’’

‘‘उन की सोसाइटी ‘आंचल’ का मुहूर्त है कल, मतलब गृहप्रवेश.’’

‘‘उन बड़ेबड़े लोगों में हम जैसे मामूली लोगों का क्या काम?’’ भारती बहुत ही धीरगंभीर है. शांत स्वर में बोली, ‘‘देखो, मान के पान को भी आदर देना चाहिए. वह बड़ेबड़े लोगों की सोसाइटी है, सब जानते हैं. पर उन्होंने हमें निमंत्रण दिया है तो मान दे कर ही. फिर हमें उन का भी मान रखना चाहिए.’’

‘‘तुम बहुत ही भोली हो. आज के संसार में तुम जैसी को बेवकूफ माना जाता है क्योंकि तुम चालाक लोगों के छक्केपंजे नहीं पकड़ पातीं. अरे मानवान कुछ नहीं, स्वार्थ है उन का सिर्फ.’’

भारती अवाक् संजीव का मुंह देखने लगी, ‘‘अब क्या स्वार्थ, सोसाइटी तो बन चुकी?’’

‘‘उस का धंधा है सोसाइटी बनाना. एक बन गई तो क्या काम छोड़ देगा? चौहान का घर खरीद रखा है, अब दूसरी सोसाइटी वहां बनेगी. वह जगह कम है, साथ में लगा है हमारा घर. हमारा घर पुराना व छोटा है पर जमीन कितनी सारी है, यह मिल गई तो यहां ‘आंचल’ से दोगुनी बड़ी सोसाइटी बनेगी.’’

‘‘पर चांदनी तो जाने के लिए उछल रही है, उस की स्कूल की 2 सहेलियां भी यहां आ रही हैं.’’ ‘‘वह बच्ची है. एक काम करते हैं, कल शनिवार है, आधी छुट्टी तो है ही, सोमवार को सरकारी छुट्टी है. चलो, उसे आगरा घुमा लाते हैं. वह खुश हो जाएगी और तुम भी तो अपनी बूआ से मिलने की बात कब से कह रही हो. 2 दिन उन के घर में भी रह लेंगे.’’ भारती चहक उठी, ‘‘सच, तब तो बड़ा अच्छा होगा. चांदनी खुश हो जाएगी ताजमहल देख कर. पर आखिरी महीना है, हाथ खाली होगा.’’

‘‘अरे वह जुगाड़ हो जाएगा.’’

दूसरे दिन शनिवार को ही संजीव सपरिवार आगरा चला गया, लौटा मंगलवार को. रविवार को सोसाइटी में ‘गृहप्रवेश’ समारोह था. आतेआते रात हो गई. गेट के सामने से ही ‘आंचल’ सोसाइटी पर नजर पड़ी. 150 फ्लैटों में बस 4-6 फ्लैट ही बंद हैं, बाकी फ्लैटों की खिड़कियां दूधिया रोशनी से झिलमिला रही हैं. खिड़कियों पर परदे पड़े हैं. भारती अवाक्. फिर बोली, ‘‘अरे, लोग रहने भी आ गए?’’ रिकशे से बैग उतार पैसे चुका रहा था संजीव. उस ने नजरें उठाईं फिर देख कर बोला, ‘‘तो क्या घर खाली पड़ा रहता? दिल्ली में किराया तो आसमान छूता है.’’

‘‘पार्टी जबरदस्त हुई होगी?’’

‘‘क्यों नहीं, बड़े लोगों की पार्टी थी. खाना, पीना, नाच, मस्ती सभी कुछ…’’

‘‘अच्छा हुआ कि हम नहीं गए.’’

संजीव हंसा, ‘‘ऐसे लोगों में हम चल नहीं पाते, तभी निकल गया था.’’

‘‘चलो पड़ोस बसा. रोशनी, चहलपहल रहेगी. सूना पड़ा था.’’

‘‘शहर लगभग सीमा के पास है. तभी आबादी कम है.’’

‘‘इतने बड़े लोगों के बीच बंसलजी को हमें बुलाना नहीं चाहिए था.’’

‘‘अरे उस ने उम्मीद नहीं छोड़ी. दूसरी सोसाइटी में बड़े फ्लैट का लाखों रुपए का चारा जो डाल रखा है.’’ संजीव ने गलत नहीं कहा. ‘आंचल’ बनाते समय ही उस की नजर इस घर पर थी. घर तो पुराना और जर्जर है पर साथ में जमीन बहुत सारी है. कुल मिला कर 3 बीघा तो होगी. यह मिल जाती तो 4 स्विमिंग पूल, कम्युनिटी हौल बनवाता तो इन्हीं फ्लैटों के दाम 10-10 लाख रुपए और बढ़ जाते. एक फ्लैट और 20-30 लाख रुपए कैश देने को तैयार था. रातोंरात संजीव की आर्थिक दशा सुधर जाती. भविष्य सुनहरा होने के साथ ही साथ सुखआराम से भरपूर सुंदर झिलमिलाता घर मिलता. एक उच्च समाज का प्रवेशपत्र भी हाथोंहाथ मिल जाता. पर संजीव नहीं माना. मामूली आदमी जो ठहरा. उस के लिए ग्लैमर से ज्यादा अपनी जड़, अपनी पहचान कीमत रखती थी. निर्धन पिता से पाई एकमात्र संपत्ति थी यह घर. इस को वह जीवनभर संभाल कर रखना चाहता था. भारती भी घर में बहुत संतुष्ट थी. दिनरात घर की सफाई और साजसज्जा में लगी रहती थी. घर की मरम्मत के लिए खर्चे से बचा कर पैसे भी जोड़ रही थी. उसे बस एक ही चिंता थी सो एक दिन संजीव से बोली, ‘‘सुनोजी, दोनों ओर ऊंचीऊंची सोसाइटी बन गईं तो हमारे घर की धूप, हवा, रोशनी एकदम बंद हो जाएगी.’’

संजीव चाय पी रहा था. हंस कर बोला, ‘‘कुछ भी बंद नहीं होगा.’’

‘‘क्यों?’’

#lockdown: रामायण और महाभारत के सहारे धर्म के राज का सपना

सोशल मीडिया पर एक मैसेज आजकल बहुत चल रहा है कि लॉक डाउन में रामायण और महाभारत का जीवन पर जिस तरह असर हो रहा उससे लगता है कि लोक डाउन के बाद ऑफिस जयेगे तो बोस को देख कर मुँह से यह ना निकल जाए कि “महाराज की जय हो ” असल मे सरकार भी यही चाहती है कि रामायण और महाभारत के जरिये धर्म की सत्ता को स्थापित किया जा सके।

राजा की याचना मे भी आदेश छिपा रहता है. रामायण और महाभारत की कहानियों में राजा और प्रजा के बीच संबंधों को बताया गया है. इसमें राजा के हर कार्य को भगवान का काम बताया गया है. रामायण और महाभारत में जीवन और मृत्यू के मर्म को भी बखूबी समझाया गया है. यही वजह है कि जब देश में करोनो का संकट आया रामायण और महाभारत का प्रसारण शुरू किया गया. जिससे जनता राजा और धर्म की शिक्षा में उलझ कर स्वास्थ्य और इंसान की जरूरतो पर सवाल ना कर सके.

रामायण और महाभारत के सहारे देश में धर्म के राज्य की स्थापना संभव हो सके. धार्मिक ग्रंथों में मरने के समय इंसान को जीवन और मृत्यू के गूढ़ रहस्यों को बताया जाता है. धर्म में कई तरह के कर्मकांड भी इसके लिये बने है. मोक्ष की प्राप्ति के लिये धार्मिक कहानियां को सुनने का कर्मकांड भी किया जाता है. रामायण और महाभारत दोनो धार्मिक ग्रंथो में जीवन के प्रति मोह पर दाशर्निक अंदाज में व्यख्यान दिया गया है.

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महाभारत में कृष्ण ने गीता का जो भी ज्ञान दिया है वह जीवन के प्रति मोह को खत्म करता है. रामायण और महाभारत दोनोग्रंथो में राजा और जनता के बीच संबंधों को भी बताया गया है.

जीवन और मृत्यू का सार

कोरोनावायरस के संकट भरे दौर में जब पूरी दुनिया अपने देश के वैज्ञानिकों को बायरस से निपटने के लिये दवाये बनाने के लिये तैयार कर रही उस समय भारत में अपने देश के लोगों को रामायण और महाभारत दिखाने में लग गई. वैसे तो यह दोनो ग्रंथ काफी लंबे समय तक चलने वाले थे. पर इसको इस तरह से प्रसारित किया जा रहा कि जीवन और मृत्यू के सार और राजा प्रजा के बीच के कर्तव्य वाली कहानियो के एपिसोड जरूर दिखाई दे जाये.
असलमें धर्म ही वह चाशनी है जिसमें लपेट कर कोई भी चीज जनता को परोसी जा सकती है. किसी को भी इस पर कोई आपत्ति भी नहीं होती है.

धर्म की चाशनी में डूबी मौत का भी खौफ खत्म हो जाता है. धर्म के प्रचार के लिये ऐसे ऐसे उदाहरण पेश किये जाते है कि जनता सच और झूठ के अंतर को नही समझ पाती है.

मंदिर जरूरी या अस्पताल:

सोशल मीडिया पर एक संदेश भरा मैसेज आता है. जिसमे यह बताया जाता है कि आज के इस दौर में मंदिर की जरूरत है या अस्पताल की. मैसेज में कहा जाता है कि विदेशों में अस्पताल सबसे ज्यादा है. इसके बाद भी वहां पर मरने वालों की संख्या सबसे अधिक रही है. ऐसे में समझने की बातहै कि हमें अस्पताल जरूरत है या मंदिर की.

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यह मैसेज उस समय वायरल किया गया जब कोरोना से लडने में अस्पतालों की भूमिका अधिक बताई जा रही थी. उस समय कहा गया था कि संकट के जिस समय में मंदिरों के दरवाजे लोगों के लिये बंद हो गये तो अस्पतालों के दरवाजे खुले थे ऐसे में हमें मंदिर नहीं अस्पताल चाहिये. मदिरों पर उठे सवालों से धर्म की सत्ता प्रभावित न हो जाये इसके लिये जवाब में विदेशों में कम मंदिर और ज्यादा मौत के सवाल का उठाते हुये मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे. कोरोना संकट के समय में धर्म की सत्ता बनी रहे इसके लिये थाली बजाने से लेकर दीये जलाने तक के काम किया गया.

इसका उददेश्य कोरोना संकट में लगे कर्मचारियों का उत्साह बढाना बताया गया पर असल में इसका उददेश्य जनता में यह देखना था कि अभी राजाऔर धर्म दोनो में उनका यकीन कायम है या नहीं.

#coronavirus: लॉकडाउन में पत्नी वियोग

कोरोना तो बीमारी लाया ही, पर कइयों की जिंदगी इस कदर हिला दी कि कहते नहीं बनता. कोरोना के चलते अचानक ही लॉकडाउन होने से जो जहां हैं वहीं का हो कर रह गया.

इस का जीताजागता निशाना एक परिवार बना. उस के निशां आज भी मेरे दिलोदिमाग को कचोटते है.

गोंडा में कुछ महीने पहले राकेश की शादी बड़ी ही धूमधाम से सोनी के साथ हुई. सोनी भी राकेश जैसे पति को पा कर बेहद खुश थी.

राकेश की नईनई शादी हुई थी इसलिए वह बौराया सा घूमता और पत्नी सोनी को किसी तरह की तकलीफ नहीं देना चाहता.

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सोनी भी राकेश में खुशियां तलाशने की कोशिश करती.

राकेश रहता गोंडा में था और अपना कामधंधा करता. पर लॉक डाउन होने से वह भी घर पर ही रहता.

लॉक डाउन से पहले इत्तेफाकन पत्नी सोनी को किसी काम से मायके जाना पड़ गया. उसी रात 12 बजे अचानक ही सबकुछ थम सा गया क्योंकि पूरे शहर में ही नहीं देश में लॉक डाउन लागू हो गया और इस का सख्ती से पालन किया जाने लगा.

पुलिस भी डंडे फटकारने में पीछे नहीं थी. भीड़ को तितरबितर करने के लिए लाठीचार्ज किया जा रहा था. लोग बदहवास दौड़ पड़े थे. कोई छिपने की कोशिश कर रहा था, तो कोई बच कर निकल जाने की जुगत में था.

पुलिस को भी पहली बार फ़िल्म सरीखा हकीकत का किरदार निभाने में बड़ा मजा आ रहा था. वहीं बाजार बंद, सिनेमाघरों में लाली गायब क्योंकि सिनेमा ही नहीं दिखाया जा रहा था. सड़कें सूनी सी आंखों को कौंधियाती. सड़क पर चलना भी मुश्किल क्योंकि पुलिस घरों में बंद होने को कह रही थी. सड़क पर दिखते ही लाठी भांजने लगती.

घर में बैठ सबकुछ सूनासूना सा लगता राकेश को, क्योंकि वह कैदियों सरीखी जिंदगी बिता रहा था. भले ही अपने घर में था, पर पूरापूरा दिन कभीकभी तो पूरी रात जाग कर बितानी पड़ती क्योंकि पत्नी की याद आ जाती. इस वजह से वह रात को सोता भी नहीं था.

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पर, दिन तो जैसेतैसे कट जाता था, पर रात में जब भी वह करवटें बदलता तो पत्नी सोनी की याद सताती.

राकेश उस दिन को कोस रहा था, जब पत्नी सोनी ने मायके जाने की बात उस से कही थी. यदि वह सोनी को उस दिन मना कर देता तो ऐसी नौबत ही नहीं आती.

इधर, पत्नी सोनी भी लॉक डाउन के कारण घर से निकल नहीं सकती थी, वहीं राकेश उस के बिना परेशान सा पूरे दिन इस कमरे से उस कमरे में चक्कर लगाते काटता.

एक दिन तो हद ही हो गई, जब राकेश ने पत्नी की बेहद याद आने पर पंखे से लटक कर जान देने की ठानी. पर तभी फोन की घंटी बजी. पत्नी वीडियो कॉल पर थी.

उस ने खुशखबरी देते हुए कहा कि वह पेट से है, यह खुशी की खबर सुनते ही उस को काटो तो खून नहीं. वह आत्मग्लानि से भर गया कि वह क्या करने जा रहा था. उसे लगा कि पत्नी ने उसे नई जिंदगी दी है. उस की पत्नी सही माने में जीवनसंगिनी है और वह कितना बेवकूफ.

और राकेश जीवन की नई जिम्मेदारी को संभालने की सोच में खो गया.

#lockdown: अब दूध भी और्गेनिक

हैल्थ इज वैल्थ यानी स्वास्थ्य ही धन है. यह कहावत दुनिया मानती है लेकिन दुनियावाले नहीं. अब जब कमजोर स्वास्थ्य वालों को वायरसरूपी दुश्मन आसानी से टारगेट कर रहा है तो जिस्म के इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने की चिंता दनियाभर में महसूस की जा रही है.

इम्यूनिटी के मद्देनजर आज हर तरफ और्गेनिक का बोलबाला है. सब्जी, फल, मसाले, दालें, आटा सभी कुछ और्गेनिक मिल रहा है और लोग भी और्गेनिक चीजों को खासा पसंद कर रहे हैं. इसी बीच, अब और्गेनिक दूध का भी प्रचलन बढ़ रहा है. कई कंपनियां तो लोगों को और्गेनिक दूध मुहैया करा भी रही हैं.

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क्या है और्गेनिक दूध और्गेनिक का मतलब होता है सौ फीसदी नेचुरल यानी जिस चीज के उत्पादन में किसी भी रासायनिक वस्तु का इस्तेमाल नहीं किया गया हो. दूध गाय और भैंस से निकाला जाता है तो फिर इसमें और्गेनिक क्या है, यह बड़ा सवाल है.दरअसल,‌ और्गेनिक दूध पाने के लिए पशुओं को ऐसा चारा खिलाया जाता है जिसका उत्पादन जैविक खाद से किया जाता है. इसके साथ ही इन जानवरों को किसी भी तरह का एंटीबायोटिक भी नहीं दिया जाता है.

और्गेनिक डेयरी फार्म में स्वच्छंद घूमती हैं गाय बड़े स्तर पर और्गेनिक दूध का उत्पादन करने के लिए विशेष तरह के डेयरी फार्म की जरूरत होती है. ये डेयरी फार्म कई एकड़ में फैले होते हैं. यहां एक हिस्से में पशुओं को रखने का इंतजाम होता है वहीं कई बड़े हिस्से में पशुओं के लिए और्गेनिक तरीके से चारे का उत्पादन किया जाता है. इन डेयरी फार्मों पर पशुओं को रेडीमेड चारा नहीं खिलाया जाता बल्कि फार्म में ही पैदा किया गया पौष्टिक व जैविक चारा खिलाया जाता है.

जैविक चारा इसलिए कहते हैं क्यों कि इसे उगाने में रासायनिक खादों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.  इतना ही नहीं, इन फार्मों में गायों को नेचुरल वातावरण में स्वच्छंद घूमने दिया जाता और चरने दिया जाता है, इन्हें बांध कर नहीं रखा जाता है.

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मशीन से निकाला जाता है दूध और्गेनिक डेयरी फार्म पर गायों का दूध निकालने में हाथ का इस्तेमाल नहीं किया जाता, बल्कि दूध दुहने के लिए मशीनों का इस्तेमाल होता है.  मशीन के जरिए दूध निकाल कर सीधे उसे चिलर प्लांट में ले जाया जाता है और फिर वहां से पैकिंग के बाद उपभोक्ताओं तक सप्लाई किया जाता है.

सेहत के लिए फायदेमंद है और्गेनिक दूध सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. शोध से पता चला है कि और्गेनिक चारा खाने वाली गाय का दूध पीने से शरीर में पौलिअनसेचुरेटिड फैट में इजाफा होता है. इस फैट का सेवन दिल के लिए फायदेमंद होता है. और्गेनिक दूध में गुड कोलैस्ट्रौल की मात्रा सामान्य दूध से दोगुनी ज्यादा होती है. एक नई रिसर्च में यह भी सामने आया है कि और्गेनिक मिल्क में ओमेगा 3 होता है, जो हार्ट के लिए अच्छा होता है.

 

#coronavirus: सच को परदे में रखना चाहती है ट्रोल आर्मी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस को धमकाने, डराने, भगाने के लिए देश भर में ताली-थाली पिटवाई. फिर अग्नि देवता का आह्वान भी किया और देश भर से दिया-बत्ती जलवाई मगर कोरोना का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. प्रधानमंत्री समय-समय पर टीवी पर प्रकट होकर नए-नए टोटके बताते हैं और अंधभक्त सच से आँखें फिरा कर टोटकों को पूरा करने में जुट जाते हैं. टोटकों को पूरा करने के चक्कर में सोशल डिस्टेंसिंग की वाट लग गई. कहीं थाली-ताली के चक्कर में लोगों का हुजूम सड़कों पर उतर कर नाचा तो कही दिया-बत्ती से भी आगे बढ़ कर मशाल जुलूस निकले. उत्तर प्रदेश में तो एक भाजपा नेत्री ने बाकायदा बन्दूक दागी. अब इसने कोरोना को भगाया या पास बुलाया?

भक्तों को ऐसे सवालों से मिर्ची लग जाती हैं. वो नहीं जानना चाहते कि कोरोना से निपटने के लिए सरकार कोई मज़बूत कदम उठा भी रही है या नहीं ? वो नहीं जानना चाहते कि तेज़ी से पैर पसारते जा रहे कोरोना से निपटने के लिए डॉक्टर्स को ज़रूरी संसाधन हासिल हो रहे हैं या नहीं ? वे नहीं जानना चाहते कि एम्स, वेदांता जैसे नामी अस्पतालों में कितने नर्स और डॉक्टर दूसरों की जान बचाते बचाते खुद अपनी जान दांव पर लगा बैठे हैं.वो नहीं जानना चाहते कि अगर कोरोना थर्ड स्टेज में पहुंच गया और कम्युनिटीज में फैला तो हज़ारों लोगों का इलाज करने के लिए कितने अस्पताल तैयार हैं ? कितने बेड, कितने ऑक्सीजन सिलिंडर, कितने वेंटीलेटर, कितने डॉक्टर, कितनी नर्स, कितनी दवाइयां भारत के पास हैं? क्योंकि समय-समय पर टीवी पर प्रकट होकर नए-नए टोटकों का फरमान सुनाने वाले हमारे प्रधानमंत्री कभी ये ज़रूरी बातें तो बताते ही नहीं हैं. हाँ उनके टोटकों के खिलाफ अगर कोई बोला, किसी ने कुछ लिखा तो फिर उसकी खैर नहीं. ट्रोल आर्मी जोंक की तरह उससे चिपक जाएगी.उसकी खूब लानत-मलामत करेगी. उसको खूब उपदेश देगी.जाति सूचक, धर्मसूचक बाण मारेगी और इस तरह अपनी अंधभक्ति का परिचय देते हुए अपने अंधविश्वास से सच को ढांप देना चाहेगी.

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‘सरिता’ बार बार इस सच को उघाड़ कर सामने लाती थी और लाती रहेगी. ‘सरिता’ खुली आँखों से देख रही है कि किस तरह धीरे-धीरे गरीबों की उम्मीदों का दिया बुझता जा रहा है.भुखमरी उनके दरवाज़े पर आ खड़ी हुई है. रामधनी की बूढ़ी बीमार माँ खाट पर पड़ी है, खांस-खांस कर बेहाल हुई जा रही है, मगर दवा मयस्सर नहीं है क्योंकि डॉक्टर के पास नहीं जा सकते. घर के बाहर कर्फ्यू लगा है. पुलिस डंडे फटकारते घूम रही है.रामधनी तुलसी-अदरक का काढ़ा बना बना कर बार बार पिला रहा है कि किसी तरह माँ को आराम आ जाए. बेचारी का पुराना दमा उभर आया है.

कल रात मोती नगर सब्ज़ी मार्किट में पुलिस वालों ने गरीब सब्ज़ी विक्रेताओं के सब्ज़ी से भरे ठेले पलट दिए. गरीब सब्ज़ी वालों के दिल पर क्या गुज़री होगी सड़क पर बिखरी अपनी सब्ज़िया देख कर. किस मुसीबत से उधार सब्ज़ियां लाये थे मगर पुलिस का डंडा पड़ा तो ठेला और सब्ज़ी वही छोड़ कर भागना पड़ा. सरकारी आदेश का पालन होना है, गरीब कोरोना से पहले भूख से मर जाए तो फ़िक्र नहीं.
मध्यवर्ग की तकलीफें भी बढ़नी शुरू हो चुकी हैं. आम जनता को आने वाली तकलीफों के अंत की राह धुंधली पड़ती नज़र आ रही है. किसी को हार्ट अटैक पड़ा है, एम्बुलेंस के लिए हॉस्पिटल में फ़ोन पर फ़ोन किया जा रहा है मगर एम्बुलेंस नहीं आ रही है. कैंसर के मरीज़ रिज़वान को कीमोथेरपी के बाद हर महीने लखनऊ मेडिकल कॉलेज में जांच के लिए जाना होता है मगर दो महीने बीत चुके हैं वह नहीं गया। छोटा व्यवसाई चिंतित है.दुकाने बंद हैं, बिक्री बंद है मगर दूकान का किराया तो फिर भी देना है. दूकान में सामान भरा है, पता नहीं लॉक डाउन के बाद जब दूकान खोलेगा तो कितना सामान ख़राब हो चुका होगा. वो नुक्सान का अनुमान लगा कर हलकान हुआ जा रहा है.

इन लोगो के लिए सरकार के पास का क्या ‘राहत पैकेज’ है? शायद कुछ भी नहीं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब  3 अप्रैल को कोरोना को लेकर तीसरी बार देश को संदेश दिया तो  उम्मीद जगी थी कि वे इस बीमारी से बचाव के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों और तैयारियों के बारे में बताएंगे, इस बीमारी से लड़ने में दिन रात जुटे हजारों लाखों, डॉक्टरों, नर्सों, मेडिकल स्टाफ, पुलिस कर्मी, सुरक्षा कर्मी, सफाई कर्मी और लोगों को रोजमर्रा की चीज़े मुहैया करा रहे लोगों केलिए कोई घोषणा होगी, कोई योजना होगी। लॉकडाउन से सबसे अधिक प्रभावित गरीब और वंचित तबके के लिए किसी नए रोडमैप का ऐलान होगा.

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मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ, वो आये और ‘ दिया जलाओ इवेंट’ का फरमान सुना कर चले गए.
प्रधानमंत्री ने जब कहा कि, “कोरोना महमामारी के अंधकार से हमें प्रकाश की तरफ जाना है. जो भी इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं हमारे गरीब भाई बहन, उन्हें कोरोना संकट से आशा की तरफ ले जाना है. कोरोना से जो अंधकार और अनिश्चतता पैदा हुई है उसे प्रकाश के तेज से चारों दिशाओं में फैलाना है.“ पीएम के इस कथन से उम्मीद जगी कि शायद गरीबों के लिए कुछ घोषणा होने वाली है, गरीबों के लिए वे सामर्थ्यवान लोगों से कुछ मांगने वाले हैं, या किसी सरकारी योजना की घोषणा करने वाले हैं. लेकिन…???
लेकिन उन्होंने इसके बाद जो कहा, वहा अद्भुत था. उन्होंने कहा, “इस रविवार 5 अप्रैल को हम सबको मिलकर कोरोना के संकट के अंधकार को चुनौती देनी है, उसे प्रकाश की ताकत का परिचय कराना है, 5 अप्रैल को हमें 130 करोड़ देशवासियों की महाशक्ति का जागरण करना है…5 अप्रैल रविवार को रात 9 बजे मैं आप सबके 9 मिनट चाहता हूं, घर की सभी लाइटें बंद करके, घर के दरवाजे पर या बालकनी में खड़े रहकर 9 मिनट तक मोमबत्ती, दीया या मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाए टॉर्च जलाएं…”
अच्छा होता अगर प्रधानमंत्री कोरोना से लड़ाई के इस टोटके  के बजाए देश को यह बताते कि चिकित्सा क्षेत्र में इस दौरान हमने क्या प्रगति की? हमने कितनी नई सुविधाएं तैयार कीं? हमने इस वायरस के कम्यूनिटी ट्रांसमिशन को रोकने के लिए कौन सी नई योजना पर काम किया?

उल्लेखनीय है कि जब चीन में इस वायरस की भयावहता सामने आई तो उसने 10 दिन के अंदर एक विशाल अस्पताल का निर्माण कर दिया, क्या हम ऐसी किसी योजना पर काम कर रहे हैं? आज चीन ने बहुत हद तक इस महामारी पर काबू पा लिए है. कितना अच्छा होता अगर हमारे भी प्रधानमंत्री बताते कि कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था को जो झटका लगा है, छोटे-बड़े सभी धंधे ठप हो गए हैं, उन्हें उबारने के लिए किस स्तर पर सरकार तैयारी कर रही है। सरकार अस्पतालों तक क्या सुविधाएं पहुंचा रही है.निसंदेह कोरोना से लड़ाई के लिए सोशल डिस्टेंसिंग ही सबसे पहला उपाय है, ताकि इस वायरस का फैलाव एक दूसरे से न हो, और लोग इसका पालन भी कर रहे हैं, करना भी चाहिए, और जो भी इसका उल्लंघन कर रहे हैं उन्हें सिर्फ आइसोलेशन या क्वारंटाइन में भेजने की जरूरत नहीं, बल्कि उनके खिलाफ तय कानून के तहत सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन इसके अतिरिक्त सरकार की ओर से और क्या किया जा रहा है, ये बताना भी हमारे प्रधानमन्त्री का दायित्व है.

‘सरिता’ बार-बार ये सवाल पूछ रही है.मगर जवाब नदारद है.  हाँ, ट्रोल आर्मी धड़ाधड़ कमेंट कर रही है. सत्ता का रक्षा कवच बन कर सवाल पूछने वाले पत्रकारों को निशाना बना रही है.सवालों को दबाने पर उतारू है. सच को छिपाने के जतन कर रही है. मगर हे मूरख, सच भी कभी छिपा है?

 

#coronavirus: कोरोना से न बढ़ने दे दिल की दूरी

भारत में जब से कोरोना संकट गहराया है.. अजीब सी स्थिति है.. सोशल डिस्टेंसिंग की बात की जा रही है.. मगर इस डिस्टेंसिंग ने लोगों के दिलों को दूर कर दिया है. सच है कि संक्रमण तेजी से फैलता है और एतिहातन हमें दूरी बनानी चाहिए.. मगर हम दूरी बनाए रखते हुए भी हालचाल पूछ सकते हैं कम से कम.. फोन करके.. उन्हें हिम्मत बंधा सकते हैं, सांत्वना दे सकते हैं. संक्रमण को देखते हुए काफी लोगों को घर या अस्पताल में क्वेरेनटाइन किया जा रहा है. लेकिन क्वेरेनटाइन का मतलब संक्रमित होना नहीं है और अगर संक्रमण होता भी है तब भी हमें रिश्तों को जीवंत रखना है.. फोन से उन्हें सबके साथ होने का एहसास दिलाए रखना है. कोरोना से तो एक बार हम जंग जीत जाएंगे मगर इस बीच इस वायरस के चलते जो दरार पड़ जाएगी उसे भरने में लंबा वक़्त लगेगा.. शायद कोई आपका अपना उपेक्षित होने पर माफ भी न कर पाए.

लोगों के मन में डर इस हद तक आ चुका है कि अगर ये पता चल जाए कि कोई बीमार है तो उससे किनारा करने लगते हैं.. इतना तक नहीं पूछा जा रहा है कि आखिर दिक्कत क्या है?

कोरोना संक्रमण के चलते प्राइवेट क्लिनिक और अस्पताल बंद है.. हमारे यहां पहले से काफी लोग किसी न किसी स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त हैं जैसे दमा, दिल के रोग, डायबिटीज, मानसिक तनाव और परेशानियाँ.. जो समय समय डॉक्टर से मिलकर दवा लेते थे.

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.अचानक से बंद हो जाने के कारण सभी लोग घरों में बंद हो गए हैं.. लेकिन उनकी समस्या तो रहेगी ही.. सम्भवतः समय से दवा न मिलने पर बढ़ भी सकती हैं.. ऐसे में आपसी सहयोग, वार्तालाप, हंसी मजाक इस स्थिति को थोड़ा हल्का कर सकती है.. जरूरी नहीं कि आप सामने बैठ कर बात करें.. दूरी बनाकर बात कर सकते हैं.. जो क्वेरेनटाइन है.. उनकी वीडियो काॅल की जा सकती है..शहरों में ऐसी परेशानियां ज्यादा देखने को मिल रही है कि कोई गलती से भी ये कह दे कि बीमार है तो उनके अपने, दोस्त दूरी बना लेते हैं.इस बीच हमें मानवता, प्रेम और जिम्मेदारी सिखाता एक उदाहरण सामने है..

 

KGMU लखनऊ के एक रेजिमेंट डॉक्टर की ड्यूटी कोरोना पेशेंट के वार्ड में बाकी डॉक्टर के साथ लगती है.. ड्यूटी करते हुए उन्हें अचानक हल्की सर्दी, खांसी के साथ कुछ परेशानी महसूस होती है.. वो अपने सीनियर से कहते हैं.. तुरंत उन्हें क्वेरेनटाइन किया जाता है.. अगले दिन उनकी रिपोर्ट positive आ जाती है.. सभी अवाक रह जाते हैं.. खासकर उनके दोस्त और वो परिवार वाले जो उनके साथ रहते हैं.. उनके संपर्क में आने वाले सभी लोगों की जांच होती है.. जिसमें से उनके परिवार के तीन लोगों की रिपोर्ट positive आ जाती है. सभी चिंतित तो होते हैं मगर हिम्मत नहीं हारते.. उचित सलाह, दवा और खानपान के चलते ये संक्रमित डॉक्टर ठीक हो जाते हैं.. इनका नाम है डॉ तौसीफ.. जो सेवा करते हुए बीमार हुए और बीमारी से जंग जीतकर आज स्वस्थ्य हो गए हैं.उन्होंने ठीक होने के बाद फिर से Corona positive वार्ड में ड्यूटी करने की इच्छा जाहिर की है.

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उन्होंने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि आपको डरने और घबराने की जरूरत नहीं है.. कोरोना उपचार के दौरान किसी भी तरह का दर्द नहीं होता है.. बस डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा और ध्यान रखने की जरूरत है.. यहाँ आपका positive होना बहुत जरूरी है और इसके लिए अपनों से संपर्क बनाए रखना.. उन्होने भी उपचार के दौरान अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से संपर्क बनाए रखा जिससे मानसिक रूप से स्वस्थ्य होने में मदद मिली..और अब भी बाकी परिवार वालों के साथ संपर्क में हैं और counselling करते रहते हैं जो उनके चलते positive हुए थे.

 

डॉ तौसीफ की inspirational स्टोरी जानने से हमको यही पता चलता है कि सही treatment के साथ सकारात्मक रहना बहुत जरूरी है और उसके किए परिवार, दोस्त के साथ संपर्क में रहना.. कोई भी आपका अपना जो क्वेरेनटाइन हो या किसी और समस्या से परेशान हैं तो उसे अकेला बिल्कुल न होने दे.. बात करते रहे.. कुछ भी creative करने को कहें जिससे खुशी मिलती हो.. बुक पढ़ना, ऑनलाइन कोई game खेलना, धार्मिक गीत, संगीत सुनना.. जिससे तनाव न हावी होने पाए.. खुश रहें और खुश रखे अपनों को.. शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए.. तो कोरोना से जंग जीतना बहुत आसान होगा.

 

मेरी समस्या थोड़ी अजीब है, मैं जानना चाहता हूं कि क्या ज्यादा सैक्स करने से सिर के बाल गिर जाते हैं?

सवाल
क्या ज्यादा सैक्स करने से सिर के बाल गिर जाते हैं?

जवाब
हमबिस्तरी की वजह से बाल झड़ने की समस्या पैदा नहीं होती. बालों का झड़ना फंगल इंफैक्शन, खानपान की कमी, तनाव या फिर मेल पैटर्न बाल्डनैस की वजह से हो सकता है. किसी कौस्मैटिक सर्जन को दिखाएं जो आप को दवाएं दे सकते हैं या फिर आप हेयर ट्रांसप्लांट सर्जरी करा सकते हैं. यह सर्जरी महंगी होती है.

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आखिर कब पड़ती है किसी और की जरूरत

वैवाहिक जीवन में सैक्स की अहम भूमिका होती है. लेकिन यदि पति किसी ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर से ग्रस्त हो, तो पत्नी की जिंदगी उम्र भर के लिए कष्टमय हो जाती है. सैक्सोलौजिस्ट डा. सी.के. कुंदरा ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर के बारे में बताते हुए कहते हैं कि उन की क्लीनिक में शादी के बाद कृष्णानगर की मृदुला अपनी मां के साथ आई. हुआ यह था कि शादी के बाद मृदुला एकदम बुझीबुझी सी मायके आई, तो उस की मां उसे देख कर परेशान हो गईं. लेकिन मां के लाख पूछने पर भी उस ने कोई वजह नहीं बताई. उस ने अपनी सहेली आशा को बताया कि वह अब ससुराल नहीं जाना चाहती, क्योंकि उस के पति महेश उस से संबंध बनाने के दौरान उस के यौनांग में बुरी तरह से चिकोटी काटते हैं और पूरे शरीर को हाथ फेरने के बजाय नाखूनों से खरोंचते हैं. जिस से घाव बन जाते हैं, हलका खून निकलता है. उसे देख कर महेश खुश होते हैं. फिर संबंध बनाते हैं. यह कह कर मृदुला रोने लगी. डा. कुंदरा ने आगे बताया कि आशा ने जब उस की मां को यह बात ताई तो वे मृदुला को ले कर मेरे पास आईं.

मृदुला की तरह कई महिलाएं अपनी पीड़ा को व्यक्त नहीं कर पाती हैं. मृदुला का पति ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर से ही पीडि़त था. इस स्थिति में स्त्री के लिए पूरी जिंदगी ऐसे पुरुष के साथ बिताना असंभव हो जाता है. उसे ऐसे किसी व्यक्ति की जरूरत महसूस होने लगती है, जो उस के मन की बात को समझे और उसे क्या करना चाहिए, इस के बारे में बताए.

कारण

सैक्सोलौजिस्ट डा. रामप्रसाद शाह के मुताबिक, ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर से व्यक्ति कई कारणों से ग्रसित होता है:

सैक्सफेरामौन: यानी गंध के प्रति कामुकता. ऐेसे पुरुष स्त्री देह की गंध से उत्तेजित हो कर सैक्स करते हैं. ऐसे में कोई भी स्त्री, जिस की देह गंध से ऐसा व्यक्ति उत्तेजित हुआ हो, उसे हासिल करने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है.

ऐक्सेसिव डिजायर: दीपक की उम्र 60 साल से ऊपर है. इस के बावजूद भी वह घर से बाहर सब्जी बेचने वाली, घरों में काम करने वाली और सस्ती कालगर्ल से कभीकभी सुबह तो कभी रात भर रख कर संबंध बनाता है. संबंध बनाने के लिए वह शराब का भी सहारा लेता है. घर वाले उस से परेशान रहते हैं, इसलिए उस से अलग और दूर रहते हैं. ऐसे शारीरिक संबंध बनाने वाला व्यक्ति ऐक्सेसिव डिजायर  पीडि़त होता है.

फेटिशिज्म: इस में व्यक्ति उन चीजों के प्रति आकर्षित रहता है, जो उस की सैक्स इच्छाओं को पूरा करने में सहायक होती हैं. जैसे सैक्सी किताबें, महिलाओं के अंडरगारमैंट्स और दोस्तों से सैक्स की बातें करना.

लक्ष्मी नगर की निशा का कहना है कि उस के पति दिनेश हमेशा दोस्तों के साथ किनकिन महिलाओं के साथ सहवास कबकब और कैसेकैसे किया जैसी बातें हमेशा करते हैं. उस के बाद वह निशा से संबंध बनाने की कोशिश करते हैं. ऐसे व्यक्ति महिलाओं को छिप कर देखने के साथ उन के साथ संबंध बनाने के लिए आतुर भी रहते हैं.

बस्टियैलिटी: ऐसे पुरुष पर सैक्स इतना हावी हो जाता है कि वह किसी से भी सहवास करने में नहीं झिझकता. जयपुर का रमेश अपनी इसी आदत की वजह से अपनी साली की 14 साल की लड़की से शारीरिक संबंध बना बैठा. ऐसे पुरुषों द्वारा अकसर रिश्तों की मर्यादा को ताक पर रख कर ऐसे संबंध बनाए जाते हैं. ऐसे में असहाय महिलाएं, लड़कियां, यहां तक कि पशु भी गिरफ्त में आ जाते हैं.

ऐग्जिबिशनिज्म: इस से ग्रस्त व्यक्ति अपने गुप्तांग को महिला या छोटेछोटे बच्चेबच्चियों को जबरदस्ती दिखाता है. इस से उसे खुशी के साथ संतुष्टि भी मिलती है. लेकिन इस से अप्रत्यक्ष रूप से ही सही हानि होती है इसलिए इसे अब गैरकानूनी की धारा में रखा जाता है. इस में जुर्माना और कैद भी है.

पीडोफीलिया: इस सैक्सुअल डिसऔर्डर से पीडि़त पुरुष अकसर छोटी उम्र की लड़कियों व लड़कों से संबंध बना कर अपनी कामवासना को संतुष्ट करता है. नरेंद्र की उम्र 50 के ऊपर हो चुकी थी पर वह बारबार 14 से 15 साल की नाबालिग लड़की से शारीरिक संबंध बनाने की लालसा रखता था. आखिर उस ने नाबालिग से संबंध बना ही डाला और कई दिनों तक सहवास करता रहा. अंत में पकड़े जाने पर नेपाल की जेल में 14 साल की सजा काट रहा है.

वैवाहिक रेप

हालांकि यह अजीब सा लगता है कि विवाह के बाद पति द्वारा पत्नी का रेप. लेकिन इस में कोई दोराय नहीं कि आज भी कई विवाहित महिलाओं को इस त्रासदी से गुजरना पड़ता है, क्योंकि अकसर पति अपनी पत्नी की इच्छाओं, भावनाओं को भूल कर जबरन यौन संबंध बनाता है. यह यौन शोषण और बलात्कार की श्रेणी में आता है. हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 375 और 379 के तहत पत्नी को अधिकार है कि वह ऐसा होने पर कानूनी तौर पर तलाक ले सकती है.

समाधान

सैक्सोलौजिस्ट डा. रामप्रसाद शाह का कहना है कि ऐसी स्थिति में नईनवेली दुलहन को संयम से काम लेना चाहिए. वह पति की उपेक्षा न कर के व ताना न दे कर प्यार से उसे समझाए.

सामान्य सहवास के लिए प्रेरित करे. ऐसे लोगों का मनोचिकित्सक द्वारा इलाज किया जा सकता है. ऐसे मरीज की काउंसलिंग की जाती है और बीमारी किस हद तक है पता चलने पर सलाह दी जाती है. अगर पति तब भी ठीक न हो और मानसिक व शारीरिक पीड़ा पहुंचाए, तो पत्नी तलाक ले कर अपनी जिंदगी को नई दिशा दे सकती है.

वैज्ञानिकों का मानना है कि मस्तिष्क में स्थित न्यूरो ट्रांसमीटर में किसी प्रकार की खराबी, मस्तिष्क में रासायनिक कोशिकाओं में कमी, जींस की विकृति आदि इस समस्या की वजहें होती हैं और अकसर 60 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्ति इस के शिकार होते हैं. गलत संगत, अश्लील किताबें पढ़ना, ब्लू फिल्में देखना आदि भी इस में सहायक होते हैं.

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सौतन: भाग4

बस गरम रोटी सेंकती थी. इस बीच, भारती का जन्मदिन आया तो उसे एक माइक्रोवेव गिफ्ट, कर गई. सुदर्शना से परिचय होने के बाद भारती के परिवार में मानो सुख, उल्लास की बाढ़ आ गई. सुखी परिवार तो पहले भी था पर अब एक मजबूत, घने पेड़ की छाया और मिल गई. काम है नहीं, चिंता भी कुछ नहीं तो भारती नित नया कुछ व्यंजन या पकवान बनाती. अब हाथ में पूरा समय है तो उस ने पुराने सामानों की सफाई शुरू की.

उसे सुदर्शना की याद आई. कुछ हफ्ते पहले ही उस की तबीयत खराब हुई थी. तब भारती अधिकतर समय उसी के पास बैठी रहती. सूप, चायकौफी बना कर पिलाती. बातें करती. उस समय पूछा था, ‘‘दीदी, आप इतनी सुंदर, पढ़ीलिखी, इतनी बड़ी नौकरी, आप के पिता भी कितने बड़े डाक्टर थे, जैसा कि आप ने बताया तो आप की शादी नहीं की उन्होंने?’’ वह हंसी, ‘‘सब को परिवार, पति, संतान का सुख नहीं मिलता.’’

‘‘पर क्यों, दीदी?’’

‘‘अरे, मैं कुंआरी नहीं. शादी हुई थी मेरी, पूरे सात फेरे, सिंदूरदान सबकुछ.’’

चौंकी भारती, हाय, कैसा न्याय है? इतनी नेक हैं दीदी और उन को विधवा का जीवन.

‘‘दीदी, आप के पति का देहांत कैसे हुआ था?’’

सिहर उठी थी सुदर्शना, ‘‘न, न, वे जीवित हैं, सुखी हैं. स्वस्थ हैं.’’

‘‘तो क्या उन्होंने आप को छोड़ दिया? क्यों?’’

‘‘नहीं रे, वे मुझे कभी नहीं छोड़ते पर मजबूरी थी. देख, एक तो हम दोनों ही नाबालिग थे. स्कूल से भाग शादी की थी. फिर वे थे गरीब परिवार के. मेरे पिता इतने पैसे वाले और प्रभावशाली व्यक्ति थे. उन्होंने मेरे पति को बहुत डराया. उन के पिता को बुला कर धमकी दी कि अगर अपने बेटे को नहीं समझाया तो पुलिस में रिपोर्ट कर देंगे. वह हम दोनों का पहला प्यार था. बहुत छोटेपन से हम एक आर्ट स्कूल में थे. वहां से ही प्यार था. उस के बाद मुझे छोड़ बाहर चले गए वे. हम हमेशा के लिए अलग हो गए.’’ भारती के आंसू आ गए, ‘‘कितनी दुखभरी कहानी है. फिर आप ने शादी नहीं की?’’

हंसी सुदर्शना, ‘‘पगली, शादी, प्यार, यह सब जीवन में एक बार ही होता है.’’

‘बेचारी,’ भारती ने गहरी सांस ली. यह घटना उस ने पति को सुनाई थी. संजीव ने ध्यान नहीं दिया, उलटे समझाया था, ‘‘देखो, बड़े घरों में घटनाएं भी बड़ीबड़ी घटती हैं. तुम इतनी अंदर मत घुसा करो.’’ अगले दिन भारती के पास करने के लिए कुछ खास काम नहीं था. संजीव की एक पुरानी अलमारी साफ करने की सोची. वैसे वह अलमारी उस के ससुरजी की थी. उस में ससुरजी के कपड़ेलत्ते जितने थे, वे सब संजीव ने उन की बरसी पर ही गरीबों में बांट दिए थे. उस के बाद से इस अलमारी में संजीव अपने कागजपत्तर रखता था. फिर उस ने एक छोटी स्टील की अलमारी खरीदी तो उस को कोने में रख दिया. आज लगभग 6 वर्ष बाद उसे भारती ने खोला था. सोचा, इस की मरम्मत, रंगरोगन करा कर चांदनी को दे देगी. भारती ने सोचा कि पहले सारा सामान नीचे उतार कर रैक अच्छी तरह साफ कर के फिर सारा सामान झाड़ कर ऊपर रखेगी. उस ने सब से पहले ऊपर के खाने को टटोला. एक लैदर का पुराना छोटा सा पोर्टफोलियो बैग लौकर में मिला. आजकल इन का चलन समाप्त हो गया है, पहले था. संजीव को कभी लेते नहीं देखा. शायद, ससुरजी का होगा. उस पर मोटी धूल की परत थी. एक फटे तौलिए का टुकड़ा ले वह बैग को ले कर कुरसी खींच कर बैठ गई. पहले सोचा था ऊपरऊपर से पोंछ कर रख देगी पर फिर सोचा कि अब जब निकाला ही है तो अंदर के कागजपत्तर भी झाड़ दे. बेकार के कागज होंगे तो उन को फेंक बैग को हलका कर देगी.

बैग खोलते ही संजीव के स्कूल के कागज, रिपोर्टकार्ड और कुछ सर्टिफिकेट मिले. उस ने कभी बताया नहीं कि वह आर्ट स्कूल में भी जाता था. तभी चांदनी का हाथ ड्राइंग में इतना साफ है. पिता से विरासत में मिली सौगात है उस को. मन ही मन गर्व का अनुभव किया उस ने. तभी उस की नजर एक लिफाफे पर पड़ी. कुतूहल के साथ उस ने उसे उठाया. मथुरा के किसी फोटोस्टूडियो का लिफाफा है. मथुरा से तो दूरदराज तक इन लोगों का कोई मतलब नहीं है. हो सकता है ससुरजी कभी परिवार सहित दर्शन करने गए हों, तब फोटो खिंचवाया हो. उस ने उस में से फोटो निकाला और देखते ही उस के पूरे शरीर को मानो लकवा मार गया. संजीव और सुदर्शना विवाह की वेदी के सामने विवाह के जोड़े और जयमाला के साथ. लगभग 19-20 वर्ष पुराना फोटो है. उस समय रंगीन फोटो कम लिए जाते थे. पर यह फोटो रंगीन है. सुदर्शना की मांग में लाल सिंदूर की रेखा, संजीव के गले में फूलों की माला, माथे पर टीका और गुलाबी चादर में गठजोड़ा. दोनों की ही उम्र 16-17 वर्ष से कम ही है. बहुत बदल गए हैं दोनों. पर पहचानने में कोई परेशानी नहीं. पीछे बड़ेबड़े अक्षरों में लिखा है ‘संजीव वैड्स सुदर्शना’. बेहोशी की दशा से उभर भारती को होश में आते ही मानो क्रोध का ज्वालामुखी फूट पड़ा. संजीव उस का वह पति जिस पर उसे गर्व है. वह अपने को सारी सहेलियों से ज्यादा पति सुहागिन मान इतराती है, गर्व से फूलीफूली फिरती है. वह विश्वासघाती है. वह पहले से ही विवाहित था. सुदर्शना उस की पहली पत्नी ही नहीं, उस का पहला प्यार भी है. तो क्या ‘आंचल’ में उस का फ्लैट लेना, फिर कामवाली के बहाने उस के घर में घुसना और फिर उस से, परिवार में बेटी से इतना घुलमिल जाना, यह सब सोचीसमझी साजिश है? दोनों जरूर मिलते होंगे आज भी. यह सब जो हो रहा है, सब इन दोनों की योजना है. वह मूर्ख की मूर्ख ही बनी रही. अपने ऊपर भी गुस्सा आया, क्या किया उस ने? अपनी मूर्खता के कारण स्वयं अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली. पति पर इतना अंधा विश्वास अपनी कोई सहेली कभी नहीं करती है. एक वही आज तक मूर्ख बन कर धोखे की दुनिया में जीती रही. अब इस विश्वासघाती पति के साथ एक दिन नहीं रहेगी और उस डायन को उसी के फ्लैट में जा कर सब के सामने झाड़ू से पिटाई कर के आएगी. तभी भारती की कुछ व्यावहारिक बुद्धि जागी, संजीव के साथ न रहेगी यह तो तय है पर वह जाएगी कहां? मांबाप नहीं हैं, दादी भी नहीं. घर पर बहुओं की सरकार है. वे ननद और उस की बेटी को तो अपने घर पैर भी न धरने देंगी. ‘हाय, क्या करूं मैं’ सोचसोच कर बहुत रोई भारती. फिर आंसू पोंछ ठंडे दिमाग से सोचने बैठी. 14 वर्ष पूरे हो चुके थे विवाह को. चांदनी 10 वर्ष पूरा कर 11वें साल में चल रही थी.

उस ने आज तक संजीव के चरित्र में कोई उन्नीसबीस नहीं देखा. उस की किसी इच्छा को अपनी क्षमता में रहते अपूर्ण नहीं रखा. तब क्या पता था कि यह सब चालाकी थी. उस के सारे मन पर तो सुदर्शना का अधिकार था. आज दोनों के मुखौटे नोच फेंकेगी वह, आग लगा देगी परिवार को और सब से पहले इस मनहूस फोटो को, जिसे इतने वर्षों से सीने में छिपा रखा है और उसे भनक तक नहीं लगने दी. वह उठ कर फोटो को ले कर गैस पर जलाने ले जा रही थी कि तभी एक बात ध्यान में आई. अच्छा, इतने वर्षों में कभी भी संजीव को अलमारी खोलते तो नहीं देखा. उस ने फिर फोटो को देखा, दो मासूम बच्चे ही लग रहे हैं. 5-6 वर्षों में ही अपनी चांदनी इतनी ही बड़ी हो जाएगी. संजीव…उस का पति है, पति के धर्म को निभाने में कहीं भी वह चूका नहीं. किसी प्रकार की समस्या, कठिनाई आई तो ढाल बन कर उस के सामने आ गया. उसे हर कठिनाई से बचाता रहा. उसे हर तरह से खुश रखने का प्रयास करता रहा. आज तक एक कटु शब्द तक नहीं बोला वह उस से. पति उस का इतना अच्छा है कि उस से उस की हमउम्र स्त्रियां ईर्ष्या करती हैं. और सुदर्शना, वह भी तो ठीक बड़ी बहन की तरह उस पर लाड़प्यार बरसाती है, उस का ध्यान रखती है, उस के लिए चिंता करती है. सब चालाकी तो नहीं लगती.

संजीव भी अपनी सीमा में रह कर ही सुदर्शना से मिलता है. शालीनता बनाए रखता है, मर्यादा बनाए रखने में सतर्क रहता है. सुदर्शना भी संजीव के साथ व्यवहार में सदा ही औपचारिकता बना कर रखती है जबकि चांदनी और उस के साथ एकदम एकात्म हो कर घुलमिल गई है. सब प्रकार के आमोदप्रमोद में घुलमिल उपभोग करती है जबकि दोनों रीतिरिवाजों के तहत बंधनों के पतिपत्नी हैं. पल में सारा क्रोध, सारी उत्तेजना शांत हो गई भारती की. उस का कितना ध्यान रखते हैं दोनों. वह आहत न हो, मन में संदेह न हो, उस का विश्वास न टूटे, यही सोच वे कितने संयत, कितने सतर्क हो कर एकदूसरे से औपचारिक संपर्क बना कर रखते हैं. कितना कष्ट होता होगा उन दोनों को ही. एकदूसरे को समर्पित थे दोनों. बाल बुद्धि में भाग कर भले ही विवाह किया हो पर विवाह तो झूठा नहीं था. भले ही समाज ने दोनों को खींच कर अलग कर दिया हो पर मन का बंधन क्या टूटता है कभी? सच तो यह है कि वही खुद सुदर्शना का संसार, अधिकार यहां तक कि पति कब्जा किए बैठी है. ये दोनों तो तिलतिल मर कर जी रहे हैं प्रतिदिन. एकदूसरे को सामने पाते ही कितनी पीड़ा होती होगी मन में. उसे दुख न हो, यही सोच वे दोनों सहज भाव से बस अच्छे पड़ोसी की तरह एकदूसरे से हंसतेबोलते, योजनाएं बनाते हैं. बस, इसलिए कि उस के सुखी जीवन में दुख की छाया न पड़े और एक वह है कि उन को ही अभियुक्त बना कठघरे में खड़ा करने चली थी. छि:छि:, कितना ओछापन है उस में. संयोग से सुदर्शना को संजीव फिर से मिल गया. पर अब वह उस का नहीं, भारती का पति है. चाहती तो वह भारती से उस के पति को छीनने की कोशिश कर सकती थी पर उस ने ऐसा नहीं किया. वह उस की बहन और संजीव की अच्छी दोस्त बन गई. इस परिवार की सच्ची शुभचिंतक बन गई और वह उस पर ही आक्रोश में भर कर अपने हाथ से सजाए गृहस्थी में आग लगाने जा रही थी. कितना छोटा मन है उस का.आंसू पोंछ भारती ने फोटो को लिफाफे में भर कर बैग में रख कर धूल की परत समेत जहां था वहीं रख दिया. ताला लगा उस ने हाथ धोए. खिड़की से ठंडी हवा के झोंके ने आ कर उस के माथे को चूमा. उस का मन हलका हो गया मानो हरी घास के ऊपर हिरशृंगार के फूल बखर गए हों. उस ने सोचा आज रात सुदर्शना को खाने पर बुला उस के पसंद के दहीबड़े, आलूपरांठा बनाएगी जो संजीव और चांदनी को भी पसंद हैं और उसे तो हैं ही.

सौतन: भाग 3

‘‘क्यों?’’

सुदर्शना हंसी, ‘‘बड़ेबड़े लोग हैं सब. सभी अपने को दूसरे से बड़ा समझते हैं. आपस में आनाजाना भी नहीं. बस, चढ़तेउतरते हायहैलो.’’ ‘‘अब जो भी काम हो यहां आ जाइए अपना घर समझ कर.’’ तभी संजीव, चांदनी को ले कर बाइक से घर लौटा. भारती ने आपस में परिचय कराया, ‘‘मेरे पति संजीव और ये हैं सुदर्शना दीदी, ‘आंचल’ सोसाइटी में नई आई हैं.’’ पता नहीं संजीव एकदम चौंका या सहमा. शायद स्तर के अंतर को समझ संकुचित हुआ, एक पल रुक कर उस के हाथ उठे, ‘‘नमस्कार.’’

‘‘नमस्कार.’’

‘‘यह मेरी बेटी चांदनी, प्राइवेट स्कूल में 8वीं में पढ़ती है.’’

सुदर्शना ने उसे गोद में खींच माथे को चूमा, ‘‘बड़ी प्यारी बच्ची है तुम्हारी. अब मैं चलूं?’’

भारती ने रोका, ‘‘घर में तो खानेपीने का जुगाड़ है नहीं. कामवाली शाम को आएगी तो आप दोपहर में खाना हमारे साथ खाइए.’’

‘‘अरे नहीं, मैं कैंटीन से लंच पैक करा कर लाई हूं, वह खराब हो जाएगा.’’ संजीव जल्दी से बोला, ‘‘नहींनहीं, तब तो नहीं रोकेंगे आप को.’’

भारती ने अवाक् हो संजीव का मुख देखा. इतने वर्षों से उसे देख रही है. उसे संजीव का आज का व्यवहार बड़ा ही अजीब लगा. वह लोगों को खिलाना बहुत पसंद करता है. दोस्त आते हैं तो जबरदस्ती उन को खाना खिला कर भेजता है. असल में उसे भारती के हाथ से बने स्वादिष्ठ भोजन पर गर्व है. आज स्वभाव के विपरीत आग्रह करना तो दूर, सुदर्शना को भगाने को उतावला हो उठा. क्या उसे भी पहले सुदर्शना जैसी एलिट क्लास की महिला को देख कर घबराहट हुई जैसे उसे हुई थी. पर सुदर्शना वैसी नहीं है. वह बहुत अच्छी है. दो मिनट बैठ बात करता तो समझ जाता जैसे वह समझ गई है. सुदर्शना ने उन से विदा ली. जाते समय फिर चांदनी को प्यार किया. सब को अपने फ्लैट पर आने का निमंत्रण दिया और चली गई.

कुछ देर बाद जब सब खाने बैठे तब चांदनी ने कहा, ‘‘मैं आंटी को जानती हूं.’’

संजीव चौंका, ‘‘अरे, कैसे?’’

‘‘हमारे स्कूल की चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन करने आई थीं. ये फाइन आर्ट अकादमी की डायरैक्टर हैं.’’

भारती का मुंह खुल गया, ‘‘हैं…’’

‘‘हां मम्मी. और इन के बनाए चित्र लाखों में बिकते हैं.’’

‘‘बाप रे, देखने में लगता नहीं. इतनी सीधीसादी हैं न जी.’’ संजीव खाने में मस्त था, शायद सुना ही नहीं, चौंका, ‘‘क्या, क्या कह रही हो?’’

‘‘सुना नहीं, सुदर्शनाजी कितनी बड़ी नौकरी पर हैं. इन के चित्र लाखों में बिकते हैं. पर देखो, कितनी अच्छी हैं, हम लोगों से कैसे घुलमिल गईं. लगता ही नहीं कि इतने ऊंचे स्तर की हैं.’’

‘‘हां, हां, वह तो है. पर भारती, हमारे और इन के स्तर में बहुत बड़ा अंतर है. तुम जरा संभल कर मिलनाजुलना.’’

‘‘अरे, वह मैं समझती हूं. मैं तो गई नहीं, वही मदद मांगने आई थीं. सो, भोले सब्जी वाले की बहन को उन के घर काम पर लगा दिया, बस. अब कौन रोजरोज आएंगी वे.’’

संजीव ‘यह भी ठीक है.’ सोच कर चुप हो गया. पर इन लोगों ने जैसा सोचा था कि बात आईगई हो गई, ऐसा हुआ नहीं. क्योंकि सुदर्शना ने स्वयं ही बारबार आ कर घनिष्ठता बढ़ा ली. स्वभाव भी उस का इतना मधुर और मिलनसार था कि ये लोग भी उस से घुलमिल गए. वह चांदनी की आदर्श, भारती की स्नेहमयी दीदी और संजीव की शुभचिंतक बन गई. भोले भी बड़ा खुश था, उस की दीदी को सुदर्शना मोटा वेतन देती और रोज ही कुछ न कुछ घर ले जाने को देती. उस का आर्थिक संकट दूर हो गया. अब भारती के घर सुदर्शना का आनाजाना बहुत हो गया. धीरेधीरे संजीव भी खुल गया उस के सामने. अब तो घर की व्यक्तिगत बातें भी उस के सामने करते यह परिवार नहीं हिचकता. जैसे उस दिन दीवार पर फ्रेम किए चांदनी के बनाए 2 चित्रों को देख उस ने कहा, ‘‘चांदनी का हाथ बहुत अच्छा है. इसे आर्ट स्कूल में क्यों नहीं भेजती.’’

भारती ने रुकरुक कर जवाब दिया, ‘‘स्कूल…से…लौट…समय…होमवर्क भी रहता है.’’

‘‘पर वहां शाम की क्लासेज भी होती हैं शनिवार और रविवार को, तो क्या परेशानी है.’’

‘‘नहीं, असल में पूरे वर्ष की फीस जमा करते हैं वहां, अब एकदम 24 हजार रुपए…’’ सुदर्शना चुप हो गई. एक हफ्ते बाद चांदनी का जन्मदिन आया. शाम को बच्चों की पार्टी हो गई. रात को खाने पर सुदर्शना को बुलाया था भारती ने. उस दिन वह कुछ काम में व्यस्त थी, देर से आई 11 बजे के आसपास. चांदनी को ले कर एक बार बाजार गई थी. उसे सुंदर सा एक ड्रैस खरीद दिया. रात खाने पर आई तो सब से पहले उस ने चांदनी को खूब प्यार किया, आशीर्वाद दिया. फिर बोली, ‘‘भारती, मैं ने चांदनी को कोई गिफ्ट नहीं दिया अभी तक.’’

भारती से पहले संजीव बोल पड़ा, ‘‘अरे, इतना महंगा ड्रैस…’’

‘‘वह गिफ्ट नहीं. गिफ्ट यह है,’’ उस ने एक लिफाफा बढ़ा दिया संजीव की ओर.

संजीव हैरान था, ‘‘यह क्या?’’

‘‘बर्थडे गिफ्ट.’’

चांदनी के होंठों पर दबी मुसकान अर्थात उसे पता है कि इस में क्या है. संजीव ने भारती की ओर देखा, उस ने असमंजस से सिर हिलाया. उसे भी कुछ पता नहीं. संजीव ने सोचा, इस में चैक होगा. खोला तो चौंका, मुंह से निकला, ‘‘अरे, यह कब…?’’

खिलखिला उठी चांदनी, ‘‘जब ड्रैस लेने गई थी…’’ आर्ट कालेज में चांदनी के भरती होने की पूरे 2 वर्ष की फीस 48 हजार रुपए की रसीद. संजीव के पैरों के नीचे की जमीन खिसकने लगी. भारती ने भी देखा, वह कुछ बोलती कि सुदर्शना ने रोका, ‘‘देखो भारती, आज खुशी का दिन है. चांदनी को मैं अपनी बेटी मानती हूं. उस के लिए 2 रुपए का सामान लाने में भी मुझे बड़ा सुख मिलता है. मैं तुम लोगों को अपना मानती हूं. तुम लोग भले ही मुझे पराया समझते हो.’’ व्यावहारिक ज्ञान भारती को संजीव से ज्यादा है. उस ने बात संभाली, ‘‘नहीं दीदी, आप को भी हम परिवार का हिस्सा समझते हैं.’’

‘‘तो फिर इतने परेशान क्यों हो?’’

संजीव अब तक संभल गया था, बोला, ‘‘सुदर्शनाजी, रकम बहुत बड़ी है.’’ ‘‘देखिए, संजीवजी, मैं संसार में एकदम अकेली हूं, मेरी आय काफी है. मेरे लिए यह सजा है कि मेरे पास कोई नहीं है जिस पर मैं 10 रुपए भी खर्च करूं. पता नहीं, किस अच्छे काम के चलते इतने दिनों बाद मुझे एक ऐसा परिवार मिला जो मुझे अपना लगा, जिस ने मुझे अपना समझा. कृपया, कुछ कर के मुझे सुख मिले तो मुझे रोक कर उस सुख से वंचित मत करिए.’’ यह कह कर उस ने हाथ जोड़े. भारती लिपट गई उस से.

‘‘ना-ना दीदी, आप जो मन में आए, करिए, हम कुछ नहीं कहेंगे. चांदनी आप की ही बेटी है.’’ दोनों के बीच स्तर के नाम की जो कांच की दीवार थी वह झनझना कर टूट गई. सुदर्शना इस परिवार की सदस्या बन गई. वास्तव में इन लोगों को याद ही न रहा कि सुदर्शना पड़ोस में रहने वाली एक पारिवारिक मित्र भर है. उस के बिना ये लोग अब कुछ सोच भी नहीं सकते थे. घूमना, खाना, भविष्य योजना, यहां तक कि आर्थिक योजना सब कुछ में सुदर्शना शामिल हो गई. संजीव ने थोड़ा रोकने का प्रयास न किया हो, ऐसी बात नहीं पर चांदनी व भारती की खुशी देख वह चुप रह जाता. धीरेधीरे घर की कायापलट हो रही थी. सब से पहले उस ने एक माली लगाया जिस से बगीचा सजसंवर जाए. वह अकादमी में काम करता रविवार पूरा दिन यहां काम कर जाता, वेतन नहीं लेता. पैसों की बात करते ही हाथ जोड़ता, ‘‘मैडमजी का बहुत उपकार है मेरे ऊपर. आप उन के अपने हैं, पैसे की बात न करें. बहुत ले रखा है उन से. भारती को ठंड में काम करने में कष्ट होता है, जल्दी ठंड लग जाती है. उस ने भोले की दीदी को भारती के घर काम के लिए लगा दिया. 8 बजे के बाद आ कर पूरा काम करती, यहां तक कि सागसब्जी, दाल भी रात के लिए बना जाती. रात को भारती

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