कोरोना तो बीमारी लाया ही, पर कइयों की जिंदगी इस कदर हिला दी कि कहते नहीं बनता. कोरोना के चलते अचानक ही लॉकडाउन होने से जो जहां हैं वहीं का हो कर रह गया.
इस का जीताजागता निशाना एक परिवार बना. उस के निशां आज भी मेरे दिलोदिमाग को कचोटते है.
गोंडा में कुछ महीने पहले राकेश की शादी बड़ी ही धूमधाम से सोनी के साथ हुई. सोनी भी राकेश जैसे पति को पा कर बेहद खुश थी.
राकेश की नईनई शादी हुई थी इसलिए वह बौराया सा घूमता और पत्नी सोनी को किसी तरह की तकलीफ नहीं देना चाहता.
सोनी भी राकेश में खुशियां तलाशने की कोशिश करती.
राकेश रहता गोंडा में था और अपना कामधंधा करता. पर लॉक डाउन होने से वह भी घर पर ही रहता.
लॉक डाउन से पहले इत्तेफाकन पत्नी सोनी को किसी काम से मायके जाना पड़ गया. उसी रात 12 बजे अचानक ही सबकुछ थम सा गया क्योंकि पूरे शहर में ही नहीं देश में लॉक डाउन लागू हो गया और इस का सख्ती से पालन किया जाने लगा.
पुलिस भी डंडे फटकारने में पीछे नहीं थी. भीड़ को तितरबितर करने के लिए लाठीचार्ज किया जा रहा था. लोग बदहवास दौड़ पड़े थे. कोई छिपने की कोशिश कर रहा था, तो कोई बच कर निकल जाने की जुगत में था.
पुलिस को भी पहली बार फ़िल्म सरीखा हकीकत का किरदार निभाने में बड़ा मजा आ रहा था. वहीं बाजार बंद, सिनेमाघरों में लाली गायब क्योंकि सिनेमा ही नहीं दिखाया जा रहा था. सड़कें सूनी सी आंखों को कौंधियाती. सड़क पर चलना भी मुश्किल क्योंकि पुलिस घरों में बंद होने को कह रही थी. सड़क पर दिखते ही लाठी भांजने लगती.
घर में बैठ सबकुछ सूनासूना सा लगता राकेश को, क्योंकि वह कैदियों सरीखी जिंदगी बिता रहा था. भले ही अपने घर में था, पर पूरापूरा दिन कभीकभी तो पूरी रात जाग कर बितानी पड़ती क्योंकि पत्नी की याद आ जाती. इस वजह से वह रात को सोता भी नहीं था.
पर, दिन तो जैसेतैसे कट जाता था, पर रात में जब भी वह करवटें बदलता तो पत्नी सोनी की याद सताती.
राकेश उस दिन को कोस रहा था, जब पत्नी सोनी ने मायके जाने की बात उस से कही थी. यदि वह सोनी को उस दिन मना कर देता तो ऐसी नौबत ही नहीं आती.
इधर, पत्नी सोनी भी लॉक डाउन के कारण घर से निकल नहीं सकती थी, वहीं राकेश उस के बिना परेशान सा पूरे दिन इस कमरे से उस कमरे में चक्कर लगाते काटता.
एक दिन तो हद ही हो गई, जब राकेश ने पत्नी की बेहद याद आने पर पंखे से लटक कर जान देने की ठानी. पर तभी फोन की घंटी बजी. पत्नी वीडियो कॉल पर थी.
उस ने खुशखबरी देते हुए कहा कि वह पेट से है, यह खुशी की खबर सुनते ही उस को काटो तो खून नहीं. वह आत्मग्लानि से भर गया कि वह क्या करने जा रहा था. उसे लगा कि पत्नी ने उसे नई जिंदगी दी है. उस की पत्नी सही माने में जीवनसंगिनी है और वह कितना बेवकूफ.
और राकेश जीवन की नई जिम्मेदारी को संभालने की सोच में खो गया.