अमेरिका में कोरोना वायरस की चपेट में आकर जान गवाने वालों की तादात बढ़ती जा रही है.वैसे तो दुनिया भर में कोरोना के संक्रमण और मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है मगर दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका भी इस बीमारी के सामने इतना बेबस और लाचार हो जाएगा. इसका अंदाजा किसी को नहीं था. चीन, जहाँ से कोरोना वायरस निकल कर दुनिया भर में फैल गया, उसने अब इस बीमारी पर काबू पा लिया है.बीते अड़तालीस घंटों में वहां से किसी की मौत की खबर नहीं आई है, मगर अमेरिका सहित पूरी दुनिया में कोरोना से मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है.

बीमारी के प्रवाह पर काबू पाने में लाचार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कभी भारत पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की खेप भेजने का दबाव बना रहे हैं, धमकियां दे रहे हैं, तो कभी विश्व स्वास्थ्य संगठन (हू) को चीन से मिलीभगत और कोरोना वायरस के फैलने का जिम्मेदार बता रहे हैं. अमेरिका ने विश्व स्वास्थ संगठन पर चीन से मिले होने और वहां इस बीमारी से मरने वालों की सही संख्या दुनिया के सामने ना रखने का दोषी करार दिया हैं. कोरोना वायरस को लेकर अमेरिकी राजनेताओं ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस एडहैनम घेब्रियेसुस के इस्तीफे की भी मांग की है.
अमेरिका के रिपब्लिकन सीनेटर मार्था मैकसैली का कहना है कि कोरोना को लेकर चीन ने जो रेस्पॉन्स दिया और विश्व स्वास्थ संगठन की ओर से उसे जिस तरह से मैनेज किया गया, इससे चीन के साथ उसकी मिलीभगत का पता चलता है.

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कोरोना के संक्रमण को लेकर चीन ने कभी भी सही आंकड़ा पेश नहीं किया, मगर दुनिया के स्वास्थ की रक्षा करने का ठेका उठाने वाले विश्व स्वास्थ संगठन ने भी इसकी तस्दीक किये बगैर चीन की कही बातों पर भरोसा किया और वो आंकड़े ही दुनिया को दिखाए, जो उसको चीन ने उपलब्ध कराये. विश्व स्वास्थ संगठन ने अपनी ओर से सच जानने का कोई प्रयास नहीं किया.

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आज कोरोना वायरस के प्रकोप और उससे निपटने में लॉकडाउन के कारण विश्‍व अर्थव्‍यवस्‍था दबाव में है.धरती की आधी से अधिक आबादी किसी न किसी तरह अपने घरों में है. कोविड-19 महामारी के कारण दुनियाभर में 50 हजार से अधिक लोगों की मृत्‍यु हुई है जबकि 11 लाख से अधिक लोग संक्रमित है.रिपब्लिकन सीनेटर मार्था मैकसैली कहते हैं कि विश्व स्वास्थ संगठन प्रमुख टेड्रोस को चीन के कवर-अप के लिए इस्तीफा दे देना चाहिए.उन्होंने कहा कि चीन की ओर से पारदर्शिता नहीं रखने के लिए कुछ हद तक विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख भी दोषी हैं.

उल्लेखनीय है कि विश्व स्वास्थ संगठन प्रमुख टेड्रोस 55 साल के हैं और इथियोपिया के रहने वाले हैं.ट्रेडोस को लेकर सीनेटर मैकसैली ने कहा कि उन्होंने दुनिया को ‘धोखा दिया. इतना ही नहीं, टेड्रोस ने कोरोना वायरस रेस्पॉन्स को लेकर चीन की ‘पारदर्शिता’ की तारीफ भी की थी.मैकसैली ने टेड्रोस पर आरोप लगाया है कि उन्होंने कभी किसी कम्युनिस्ट पर भरोसा नहीं किया और चीनी सरकार ने अपने यहां पैदा होने वाले वायरस को छिपाया और इसकी वजह से अमेरिका और दुनिया में अनावश्यक मौतें हुई हैं. इसलिए टेड्रोस को इस्तीफा दे देना चाहिए.

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गौरतलब है कि इस साल फरवरी माह में जब चीन में 17,238 संक्रमण के मामले आये थे और 361 लोगों की मौत हो चुकी थी, तब टेड्रोस ने कहा था कि ट्रैवल पर रोक लगाने की जरूरत नहीं है.अमेरिका का कहना है कि टेड्रोस ने बीमारी की गंभीरता को नहीं समझा और ना ही इस बात की जांच करवाई कि चीन जो आंकड़े दे रहा है वो सही हैं या नहीं.अमेरिका के मुताबिक़ चीन शुरू से बीमारों और मरने वालों की संख्या कम करके बताता आया है. एक अनुमान के मुताबिक चीन में कोरोना वायरस से हुई मौतों का असल आंकड़ा 40 हजार तक हो सकता है.आधिकारिक रूप से चीन ने करीब 3300 मौत की बात ही कही है.
वुहान, जहाँ से ये जानलेवा वायरस निकला और दुनिया भर में फ़ैल गया वहां आधिकारिक तौर से सिर्फ 2548 लोगों की जान जाने की बात चीन कहता रहा.लेकिन स्थानीय एक्टिविस्ट का कहना है कि यहां के शवदाह गृह से रोज 500 लोगों को अस्थि कलश दिए गए.

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शवदाह गृहों के बाहर लंबी लाइनें भी देखी गईं.इसके पीछे दुनिया की इकॉनमी को बर्बाद करने के लिए चीन द्वारा रची गई साजिश की बू आ रही है. चीन ने अब इस बीमारी पर काबू भी पा लिया है. चीन में एक भी राजनेता, बड़े बिज़नेसमैन या मिलिटरी अफसर की इस बीमारी से मौत नहीं हुई है. ना ही चीन के सत्ता प्रमुख को इस बीमारी से कभी चिंतित या मास्क लगाए देखा गया है.वो खुलेआम पब्लिक में बेफिक्री से घूमते नज़र आये हैं. जैसे उनको इस बीमारी से कोई ख़तरा ही ना हो.यही वजह है कि अमेरिका चीन पर भड़का हुआ है और साथ ही विश्व स्वास्थ संगठन के प्रमुख पर भी उसका गुस्सा उतर रहा है.अमेरिकी रिपब्लिकन सीनेटर टेड क्रूज ने भी कहा है कि वैश्विक स्वास्थ्य और वायरस के संक्रमण को रोकने के इतर ‘हू’ लगतार चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की ओर झुका दिख रहा है. ‘हू’ ने अपनी क्रेडिबिलिटी खो दी है.
फ्लोरिडा के राजनेता मार्को रुबियो ने भी कहा है कि महामारी को जिस तरह से हैंडल किया गया उसके लिए ‘हू’ प्रमुख की जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि ‘हू’ प्रमुख ने बीजिंग को दुनिया को गुमराह करने की इजाजत दी. इस वक्त वे या तो चीन से मिले हुए हैं या फिर खतरनाक रूप से असक्षम हैं.वहीं, यूएन में पूर्व अमेरिकी अम्बैसडर निकी हेली ने भी कोरोना वायरस को लेकर ‘हू’ के बयानों की आलोचना की है. उन्होंने ट्वीट करके कहा – ‘हू’ ने इसे 14 जनवरी को पोस्ट किया था कि ‘हू’ को इंसानों से इंसानों में कोरोना वायरस फैलने के स्पष्ट सबूत नहीं मिले हैं. ‘हू’ को दुनिया को बताना चाहिए कि क्यों उन्होंने चीनी शब्दों का इस्तेमाल किया?

 

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