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पारस छाबड़ा और माहिरा शर्मा के वेडिंग कार्ड को मां ने बताया फेक , यूजर्स पर भड़की

बिग बॉस देखने वाले पारस छाबड़ा और माहिरा शर्मा को कैसे भूल सकते हैं. बिग ब़स सीजन 13 में इनकी केमेस्ट्री लोगों को खूब पसंद आई थी वहीं कुछ लोगों ने इन्हें जमकर ट्रोल भी किया था. पारस और माहिरा एक दूसरे को कितना पसंद करते हैं.

माहिरा शर्मा के प्यार में इतने पागल होगए थे कि बिग बॉस 13 से बाहर आते ही पूर्व गर्लफ्रेंड आकांक्षा पुरी से ब्रेकअप कर लिया था. आकांक्षा पर शो के दौरान कई तरह के गलत आरोप भी लगाए थें.

 

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Lock the date ♥️ #baarish #pahira @parasvchhabrra @sonukakkarofficial @desimusicfactory

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वहीं महिरा शर्मा पारस को सिर्फ अपना दोस्त मानती है. वह कभी इस रिश्ते को दोस्त से ज्यादा नहीं बताई है. वहीं, पारस ने शो के दौरान कहा था कि मेरे दिमाग में माहिरा के लिए कुछ कुछ चलता है. इन सभी के बीच एक कार्ड इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जो पारस और माहिरा का वेडिंग कार्ड है.

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यह कार्ड सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. माहिरा की मां ने कहा है कि इस कार्ड को जब माहिरा और पारस ने देखा तो वह खुद ही शॉक्ड थे कि यह कार्ड कहा से आया है और किसने बनाया है.

आगे माहिरा की मां ने कहा अगर कुछ भी ऐसा होगा तो हम सभी को बताएंगे हमारे तरफ से ऐसा कुछ नहीं है. हमें भी समझ नहीं आ रहा है कि यह अफवाहें कहां से आ रही हैं.

शादी कोई छुपाने वाली बात नहीं है अगर होगी तो हम सभी को बताएंगे. यह कार्ड एक फैन ने बनाया है जो पारस और माहिरा की जोड़ी को बहुत पसंद करता है.

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माहिरा की मां सानिया शर्मा ने कहा वह मेरी तरह माहिरा का बहुत ज्यादा ध्यान रखता है. बिग बॉस के घर में सिर्फ पारस की वजह से ही इतने दिनों तक वह टिक पाई थी. यह खुद भी माहिरा भी मानती है.

पारस हमारे फैमली का हिस्सा है, माहिरा अक्सर उनसे मिलती जुलती रहती है. हमें इससे कोई एतराज नहीं है, लेकिन शादी का फिलहाल कोई इरादा नहीं है.

पूरे देश में परेशान, गन्ना किसान

गन्ना किसान पर्ची न मिलने से परेशान

बिजनौर: उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले की चीनी मिल गन्ने की पैदावार कम होने के बाद भी कम पेराई कर रही हैं. किसानों के खेतों में अब भी गन्ना खड़ा है. नोटिस जारी होने के बाद भी चीनी मिल क्षमता के अनुसार पेराई नहीं कर रही हैं. इस से पेराई सत्र पूरे अप्रैल चलने का अनुमान है.

जिले के किसानों की प्रमुख फसल गन्ना है. जिले की खेती के कुल रकबे से आधी जमीन करीब 2 लाख,10 हजार हेक्टेयर में केवल गन्ने की फसल बोई जाती है.

गन्ने की फसल पैदा करने में किसान कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. पेराई सत्र 2017-18 में जिले की चीनी मिलों में गन्ना उत्पादन 10 करोड़ क्विंटल से भी अधिक हुआ था. उत्पादन अधिक होने से चीनी भी बंपर बनी थी.

जिले की चीनी मिलों में चीनी रिकवरी 13 फीसदी से भी ऊपर पहुंच गई थी. जिले में गन्ना उत्पादन बंपर होने से किसानों की आमदनी में भी भारी बढ़ोतरी हुई थी. किसानों ने पिछले साल गन्ने का रकबा बढ़ा दिया था. रकबा बढ़ने के बाद भी इस बार गन्ने की पैदावार कम हुई नहै.

वजह, बेमौसम बारिश और ओला पड़ने से गन्ने की पैदावार प्रभावित हुई है. गन्ने की पैदावार कम होने के बाद भी चीनी मिल पेराई समय से नहीं कर पा रही हैं.

यह हाल तब है, जब पिछले साल के मुकाबले चीनी मिलों ने पेराई सीजन देरी से शुरू किया.

पिछले साल की पेराई के मुकाबले इस साल गन्ने की पेराई बहुत कम होने की उम्मीद है.

तौल न होने से किसानों ने किया हंगामा

मुजफ्फरनगर: कस्बे में उत्तम शुगर मिल खाईखेड़ी के गन्ना क्रय केंद्र पर 4 दिनों से तौल न होने व इंडेंट जारी न होने से नाराज किसानों ने गन्ना क्रय केंद्र पर जम कर हंगामा किया.

कस्बा छपार में गन्ना क्रय केंद्र पर एकत्र किसानों ने हंगामा करते हुए उत्पीड़न करने का आरोप लगाया. एक किसान ने बताया कि 4 दिनों से कस्बे में गन्ना का तौल और इंडेट जारी नहीं हुआ है. किसानों के खेतों में अभी तक आधे से अधिक गन्ने की फसल खड़ी हुई है. गन्ने की छिलाई न होने के कारण पशुओं के चारे की समस्या भी उत्पन्न हो रही है.

आला अधिकारियों से शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई.

घंटों चले हंगामे के बाद किसानों के बीच पहुंचे उत्तम शुगर मिल खाईखेडी के डीजीएम साईम अंसार ने प्रतिदिन 1600 क्विंटल इंडेट जारी करने और क्रय केंद्रों पर तौल होने के आश्वासन दे कर किसानों को शांत किया.

गन्ना किसान हैं परेशान: पड़ी दोहरी मार

शामली : पहले ही गन्ना भुगतान न होने से किसान परेशान है, वहीं उन की समस्या दिनोदिन बढ़ती जा रही है.

एक तरफ तो गन्ना कटाई के लिए मजदूर कम मिल रहे हैं, वहीं पर्चियों का भी संकट है. गेहूं की फसल पक कर तैयार है और जल्द कटाई भी शुरू होनी है. ऐसे में किसान चितित हैं कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो गन्ने की कटाई करेंगे या गेहूं की.

गन्ना विभाग ने पर्चियों की छपाई बंद कर दी है. किसानों को पहले ही पर्चियों की दिक्कत रहती थी, लेकिन अब और अधिक है. व्यवस्था एसएमएस पर्ची भेजने की है, लेकिन काफी किसानों के पास अभी तक एसएमएस नहीं पहुंचा है.

एक और किसान का कहना है कि गेहूं की कटाई में लग जाएंगे तो गन्ना नहीं डाल पाएंगे. गन्ना डालने जाएंगे तो गेहूं की कटाई का काम प्रभावित होगा.

वहीं उस किसान का यह कहना कि एक तो गन्ने का पेमेंट नहीं हो रहा है, वहीं गन्ने की फसल के साथ गेहूं की फसल भी तैयार है और मजदूर कम मिल रहे हैं.

विजय बहादुर सिह, जिला गन्ना अधिकारी का कहना है कि अभी तो पर्चियों की छपाई बंद है. किसानों को एसएमएस भेजे जा रहे हैं. अगर किसी को समस्या है तो संबंधित समिति के सचिव से मिल लें. सरकार ने चीनी मिलों को चलाने को इसलिए कहा है, जिस से किसानों को परेशानी न हो.

किसानों के लिए खुला ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ पोर्टल

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने गेहूं की खरीद के लिए किसानों का ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर पंजीकरण शुरू करवा दिया है.

उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के अनुसार, सरसों की खरीद 15 अप्रैल, तो गेहूं की खरीद 20 अप्रैल तक होगी. इस के लिए किसान 19 अप्रैल तक पोर्टल पर पंजीकरण करा सकते हैं.

उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पास खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता विभाग भी है. उन्होंने यहां खरीद प्रबंधों की समीक्षा के लिए बुलाई गई एक बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल और आढ़ती एसोसिएशन के पदाधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए.

इस बैठक में जानकारी दी गई कि सरसों की खरीद के लिए 140 मंडियां, जबकि गेहूं की खरीद के लिए लगभग 2,000 मंडी, उपमंडी व खरीद केंद्र निर्धारित किए गए हैं. किसानों को बारदानेे की कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी. इस बार प्रतिदिन 1.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद करने का प्रस्ताव है.

किसानों को सरसों व गेहूं की खरीद के लिए ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ पोर्टल के आधार पर दी गई जानकारी के अनुसार कूपन दिए जाएंगे, ताकि मंडियों में किसान एकसाथ उपज ले कर न आएं और निर्धारित तिथि के अनुसार ही विशेष गांवों के किसान क्रमवार अपनी उपज मंडियों में ले कर आएं.

बैठक में यह भी फैसला लिया गया है कि जिन किसानों ने ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर पंजीकरण करवाया है, उन की उपज की खरीद प्राथमिकता आधार पर की जाएगी.

बता दें कि अब तक तकरीबन 60 फीसदी किसानों ने गेहूं की फसल का पंजीकरण करवाया है, जबकि 40 फीसदी किसानों ने पंजीकरण नहीं करवाया है.

बैठक में आढ़ती एसोसिएशन ने आश्वासन दिया कि वे अपनी 2.5 फीसदी आढ़त में से 0.10 फीसदी राशि ‘हरियाणा कोरोना रिलीफ फंड’ में सहयोग के रूप में देंगे.

बैठक में इस बात का भी फैसला लिया गया है कि देरी से गेहूं की खरीद होने के कारण केंद्र सरकार जो भी दिशानिर्देश देगी, उसी के अनुरूप किसानों को बोनस या प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. इस बार गेहूं की खरीद जून माह तक चलने की संभावना है.

वहीं इनेलाे के नेता अभय चौटाला ने राज्य सरकार के 15 अप्रैल से सरसों और 20 अप्रैल से गेहूं की फसल खरीदने संबंधी बयान पर कहा कि सरसों के किसान तो अपनी फसल को समर्थन मूल्य से कम दाम पर देने को मजबूर हो रहे हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि मेवात इलाके में सरसों की फसल की आवक तो फरवरी माह के आखिरी हफ्ते में मंडियों में आनी शुरू हो जाती है. रेवाड़ी व नारनौल में मार्च माह के दौरान तैयार हो जाती है. अब इस इलाके के किसान सीधे कारखानों में समर्थन मूल्य से कम दाम पर सरसों बेचने पर मजबूर हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि गेहूं की खरीद 20 अप्रैल से पहले शुरू की जाए तो किसानों को भंडारण की व्यवस्था से छुटकारा मिल सकता है. सरकार 4 या 5 गांवों के ग्रुप बना कर सरसों व गेहूं की खऱीद शुरू कर सकती है. इस से खरीद एजेंसी के अधिकारियों को भी सुविधा होगी. किसानों को भी सहूलियत होगी. अभी तक खऱीद के बारे में मंडियों में खरीद एजेंसियों द्वारा प्रबंध न के बराबर हैं. अभी तक तो यह भी सुनिश्चित नहीं है कि कौन सी एजेंसी किस मंडी में कितना गेहूं व सरसों की खऱीद का लक्ष्य निर्धारित किया है.

गन्ना भुगतान न मिलने से किसान परेशान

ईसानगर : एक तो किसानों को अपनी गन्ना फसल का भुगतान नहीं हुआ, वहीं दूसरी ओर उन किसानों के सामने पैसों की तंगी मुंहबाए खडी है.

भुखमरी से जूझ रहे किसान कभी अपने बच्चों की सूनी आंखों में देखते हैं तो उन्हें रोना आ जाता है. वे चाह कर भी अपने बच्चों की इच्छाओं का गला घोंटने को मजबूर हैं.

वजह, एक तो गन्ना किसानों की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है, वहीं सरकार भी पूरी तरह सजग नहीं है. भले ही ये किसान खेतों में काम कर सकते हैं , पर सचाई यह है कि उन्हें उन के ही खेतों में काम नहीं करने दिया जा रहा है.

किसानों की माने तो क्षेत्र की चीनी मिल ने इस सत्र के 4 महीने गन्ना खरीद के बदले महज कुछ ही दिन का भुगतान किया है.

यहां के किसानों की सभी जरूरतें एकमात्र नकदी फसल गन्ना से ही पूरी होती हैं. इस क्षेत्र की एकलौती गोविंद शुगर मिल ऐरा है, जो किसानों की भरोसेमंद चीनी मिल थी. पिछले कुछ सालों से इस चीनी मिल के प्रबंध तंत्र की वजह से किसानों को उन की फसलों की कीमत समय पर नहीं मिल पा रही है, जिस वजह से किसानों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है.

परौरी गांव के एक किसान बताते हैं कि भुगतान न मिलने से तमाम किसान परेशान हैं. बच्चों के स्कूलों की फीस तो क्या घरेलू खर्च भी पूरा नहीं कर पा रहे.

ईसानगर के बिरसिंह गांव के किसान ने बताया कि जब इस चीनी मिल का प्रबंधन बिरला ग्रुप के पास था तो वह किसानों का दर्द समझ कर ध्यान रखते थे. जब से प्रबंधन बदला, रिश्ते ही बदल गए.

ईसानगर के रहने वाले एक और किसान का कहना है कि चीनी मिल मैनेजमेंट किसानों से धोखा कर रहा है. सरकार भी इस पर ध्यान नही दे रही.

किसानों की जुताईबोआई मुफ्त में कराएगी योगी सरकार

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के लघु और सीमांत किसानों को राहत देने के लिए योगी सरकार ने ट्रैक्टरों से मुफ्त में खेतों की जुताई और बोआई कराने का निर्णय लिया है. वहीं सूबे के किसानों को भी बड़ी राहत दी है.

पहले चरण में यह योजना उत्तर प्रदेश के लखनऊ, वाराणसी और गोरखपुर समेत 16 जिलों में लागू की जा रही है. किसानों को 2 महीने ही मुफ्त में जुताई और बोआई की यह सुविधा मिलेगी.

यह मौसम खेत से गेहूं और तिलहन जैसी फसलों की कटाई का है. पर किसान खेतों की फसल कटाई और बोआई की तैयारी नहीं कर पा रहे हैं.

उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही के मुताबिक, प्रदेश के छोटे किसानों की लागत कम करने के लिए निजी कंपनियों की मदद ली जा रही है.

उन्होंने ट्वीट किया कि मैसी टैफे कंपनी के सहयोग से लघु व सीमांत किसानों को आगामी 2 माह तक फसल कटाई, खेतों की जुताई व बोआई मुफ्त में मुहैया कराई जाएगी.

उन्होंने यह भी कहा कि यह सुविधा अगले 2 महीने के लिए ही होगी, जो छोटे किसानों के लिए कटाई और बोआई का मौसम होगा और जिस का खर्च सरकार उठाना चाहती है.

प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के खेतों की जुताई व बोआई मुफ्त कराने के लिए प्रथम चरण में जिन 16 जिलों का चयन किया गया है, इन में लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, सुलतानपुर, अयोध्या, सीतापुर, अंबेडकरनगर, प्रयागराज, आजमगढ़, बाराबंकी, हरदोई, जौनपुर, गाजीपुर, प्रतापगढ़, संत कबीरनगर व भदोही शामिल हैं.

इन जिलों के पात्र किसान अपने क्षेत्र के कृषि अधिकारियों से मिल कर योजना का लाभ उठा सकते हैं. वहीं, दूसरे चरण में बहराइच, बलरामपुर, देवरिया, कुशीनगर, श्रावस्ती, चंदौली, फतेहपुर, सिद्धार्थ नगर, मेरठ, चित्रकूट व बस्ती जिलों के छोटे किसानों को सुविधा मुहैया कराने की योजना है.

राज्य सरकार ने किसानों की तिलहन और दलहन फसल की उपज का उचित मूल्य दिलाने का भी आश्वासन दिया है. इस के तहत सरसों, चना और मसूर की सरकारी खरीद भी कराई जाएगी. इस का सरकार ने न्यूनतम मूल्य भी निर्धारित कर दिया है.

किसान अपनी उपज बेचने बाजार तक नहीं ले जा पा रहा है, जिस के चलते सरकार ने खरीदारी करने का निर्णय लिया है.

गेहूं कटाई के लिए कंबाइन मशीन में चालक के अलावा 3 व्यक्ति और भी

ऊधमसिंह नगर: जिले में गेहूं की फसल पक चुकी है, लेकिन गेहूं कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं. ऐसे में जिला प्रशासन व कृषि विभाग ने किसानों को राहत देते हुए कंबाइन मशीन से गेहूं कटाई की छूट दी है.

गेहूं कटाई के दौरान कंबाइन मशीन में चालक के अलावा 3 और काम करने वाले मौजूद रहेंगे. खेती के काम करने के बाद कंबाइन मशीन व काम करने वाले मजदूरों को सैनिटाइज किया जाएगा.

ऊधमसिंह नगर में तकरीबन एक लाख हेक्टेयर खेती की जमीन में गेहूं बोया गया.भले ही एक अप्रैल से रबी विपणन सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन गेहूं कटाई के लिए काम करने वाले मजदूर ही नहीं मिल पा रहे हैं.

जिला प्रशासन व कृषि विभाग ने किसानों को गेहूं काटने के लिए कंबाइन मशीन का इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी है. साथ ही, सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक बाजार में कंबाइन मशीन व ट्रैक्टर के स्पेयर पार्ट की बिक्री की जाएगी.

जिले में जिन गांवों में गेहूं की फसल पक चुकी है, वहां गेहूं काटने के लिए कंबाइन मशीन की अनुमति मिलने से किसानों को राहत मिली है.

खेती में काम आने वाली मशीनों के मिलेंगे स्पेयर पार्ट

गोरखपुर: सरकार ने किसानों को राहत देते हुए राज्यों के बीच और एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच ट्रकों के आनेजाने के लिए स्थानीय प्रशासन को पास देने की अनुमति दी है.

इस के अलावा पेट्रोल पंप के निकट स्थित कृषि उपकरण, ट्रक एवं कृषि संबंधी मशीनों के स्पेयर पार्ट की दुकानें भी खोलने की अनुमति देने के निर्देश दिए हैं.

सरकार के इस कदम के बाद खादबीज, कृषि रसायन और रबी की फसल की बिक्री को ले कर कृषि विभाग के अधिकारी उत्साहित हैं.

संयुक्त निदेशक, कृषि, गोरखपुर मंडल डाक्टर ओमबीर सिंह कहते हैं कि मंडी में गेहूं ढुलाई के लिए ट्रकों की जरूरत होगी, वहीं जायद की फसलों की बोआई के लिए बीज, खाद, कृषि रक्षा रसायनों को लाने व ले जाने के लिए भी ट्रकों की भी जरूरत होगी.

गृह सचिव अजय भल्ला ने राज्यों के प्रमुख सचिव को पत्र लिख कर ट्रकों को चलाने के निर्देश दिए हैं. मसलन, दूध को जरूरी चीजों में शामिल किया गया है, लेकिन पैकेजिंग के सामान यानी पैकेट गैरजरूरी बताए गए हैं. ऐसे में सप्लाई चेन प्रभावित हो रही है.

फिलहाल अब ग्रासरी के साथ ही साफसफाई के उत्पाद मसलन हैंड वौश, साबुन, बौडी वौश, शैंपू, सरफेस क्लीनर, डिटर्जेंट, टिश्यू पेपर, टूथपेस्ट, ओरल केयर, सैनिटेरी पैड, डायपर, बैटरी सेल, चार्जर वगैरह की ढुलाई को भी मंजूरी दे दी गई है.

इस के अलावा मैनुफैक्चरिंग कंपनियों से दवाओं की आपूर्ति भी हो सकेगी. देश में अब सभी तरह के माल भले ही जरूरी चीजों की कैटीगरी में न आते हो, आवाजाही की जा सकेगी. ट्रक, ट्रेक्टरट्रौली, कृषि मशीनरी, कंबाइन हार्वेस्टर की मरम्मत के लिए स्पेयर पाटर्स, मैकेनिक और टायर की दुकानें भी खोली जाएंगी.

सरकार के निर्देशानुसार ट्रकों के चालक और क्लीनर को स्थानीय प्रशासन अनुमति पास जारी करेगा. इस के लिए चालक के पास नियमानुसार ड्राइविंग कार्ड और गाड़ी के दस्तावेज होने जाहिए.

किसानों के लिए राहत की खबर
भोरमदेव शक्कर कारखाना में काम की शुरुआत

कवर्धा: गन्ना किसानों के लिए राहत की खबर यह है की जिले के सभी पंजीकृत किसानों का गन्ना खरीदी हो गया है.

वहीं प्रदेश के पहले ग्राम राम्हेपुर स्थिति भोरमदेव शक्कर कारखाना में खरीदी शुरू की गई, लेकिन यहां पंडरिया के शक्कर कारखाना के बचे हुए किसानों की भी गन्ना खरीदी की जाएगी.

गन्ना खरीदी किए जाने को ले कर भारतीय किसान संघ ने जिला प्रशासन का अभार जताया है. जिला अध्यक्ष दानेश्वर परिहार ने बताया कि किसानों की स्थिति बेहद खराब है. ऐसी स्थिति में जिला प्रशासन ने कारखाने को शुरू करा कर किसानों के हित में बेहतर काम किया है.

कलक्टर अवनीश कुमार शरण ने बताया कि कारखाना शुरू किए जाने को सहमति दे दी है.

उन्होंने अपने निर्देश में खरीदी के दौरान किसानों व कारखाना कर्मचारी के बीच दूरी बनाए रखने कहा है.

#Coronavirus: lockdown के चलते धूमधाम से नहीं होगी पूजा बनर्जी और कुणाल वर्मा की शादी, ऐसे लेंगे सात फेरे

टीवी जगत के क्यूटेस्ट कपल में पूजा बेनर्जी और कुणाल वर्मा का नाम आता है. 15 अप्रैल को कुणाल और  पूजा देश के गंभीर हालात को देखते हुए दोनों ने अपनी शादी का फैसला सादगी से करने के लिए लिया है.

पहले इन दोनों का प्लान था कि दोनों अपनी शादी बेहद धूमधाम से करेंगे, लेकिन परिस्थितियों को देखते हुए दोनों के परिवार वालों ने कोर्ट मैरेज करने का फैसला लिया है. शादी में कोई ताम झाम नहीं होगा.

कुणाल ने बातचीत के दौरान बताया है कि हम उम्मीद करते हैं कि 15 अप्रैल को हमारी शादी फिक्स हो जाए लेकिन यह सब लॉकडाउन पर निर्भर करता है. देखते है आगे क्या होगा.

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आगे उन्होंने कहा अगर कुछ नहीं हो पाया तो हम अपनी शादी को 10 दिन आगे बढ़ा देंगे. हो सकता है तब तक हालातों पर कुछ काबू पाया जा सके.

कुणाल ने बताया मेरी मां सबसे ज्यादा इस शादी के लिए उत्साहित थी, अब वो थोड़ी सी परेशान है कि जैसा सोचा था चीजें वैसी नहीं हो पाएंगी. उन्होंने पूरे परिवार के साथ मिलकर जमकर शॉपिंग कि थी. वह मुझे घोड़ी पर चढ़ते हुए देखना चाहती थी. अब थोड़ी उदास है. उनका सपना पूरा नहीं हो पा रहा है.

 

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Jai Mata di

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मेरा भी दिल बहुत ज्यादा दुख रहा है लेकिन क्या कर सकते हैं. हम शादी का ज्यादा दिनों तक इंतजार नहीं कर सकते हैं. पूजा और मैं सोलमेट हैं. अब शादी में ज्यादा देर करने की जरुरत नहीं है.

अब देखते है कि आगे क्या होता है. उम्मीद है भगवान की कृपा से सबकुछ अच्छा होगा.

 

#lockdown: देश में कोरोना का कोहराम

भारत के हालात अमेरिका, स्पेन और इटली से बेहतर हैं. लेकिन कोरोना का फैलाव भारत में तेजी हो रहा है, स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बताया गया कि गुरुवार (09 अप्रैल 2020 ) को सुबह 08 बजे तक ,  कुल संक्रमित मरीजों कि संख्या 5734 पहुंच चुका है, वही 473 लोगो को इलाज के बाद संक्रमण मुक्त हो चुके है वही अभी तक 166 लोगो का मौत हो चूका है. फिर भी आश्वस्त नहीं हुआ जा सकता, क्योंकि विशेषज्ञ डाक्टरों का मानना है कि भारत में कोरोना दूसरे चरण  में तो था ही अब कुछ इलाको में यह तीसरे चरण में पहुंच चुका है. यदि यहीं नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह अगर व्यापक स्तर पर तीसरे चरण में भी पहुंच सकता है. स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि भारत में कोरोना दूसरे और तीसरे स्तर के बीच में है. लॉक डाउन का आखिरी सप्ताह सरकार के लिए काफी अहम है . इसलिए केंद्र सरकार ने सभी को कोरोना वायरस से मिल कर लड़ने को कह रही है. सख्ती से लॉकडाउन का पालन करने को कह रही है, लेकिन कुछ लोग है कि जो इस भयावह स्थिति को समझने को तैयार ही नहीं है. भारत के कई राज्य इसे से बेहद प्रभावित है तो कई राज्यों में यह संक्रमण ना के बराबर है, कही संक्रमण का फैलाव तेजी से हो रहा है तो कही रुका हुआ है तो आइये एक नजर डालते है  गुरुवार (09 अप्रैल 2020 ) तक भारत के किस इलाके का क्या हाल है.

* जहाँ संक्रमण तेजी रहा है :-

  • देश में सर्वाधिक कोरोना संक्रमित मरीज महाराष्ट्र में मिल रहे है . महाराष्ट्र में संक्रमण का मामला तेजी से संक्रमित मरीजों की संख्या 1135 पहुंच गया है , वहीं 72 लोगो का मौत हो चुका है , इलाज से 117 लोग ठीक हो चुके है . बाकी का इलाज चल रहा है .
  • दूसरे नंबर पर तमिलनाडु स्थान आ रहा है , तमिलनाडु में संक्रमण का मामला 738 पहुंच गया है, यहाँ इलाज से 21 लोग ठीक हो चुके है, जब 8 लोगो का मौत हो गया है , बाकी का इलाज चल रहा है.
  • तीसरे नंबर पर दिल्ली का स्थान आ रहा है. दिल्ली में मकरज मामला के बाद आचनक मरीजों की संख्या बढ़ा गया है , यहां कुल 669 संक्रमित मरीज मिले है, जिनका इलाज चल रहा है , इसमें से 21 लोग इलाज से ठीक हो कर अस्पताल से घर पहुंच चुके है , अभी तक 09 लोगो की मौत हुई है.
  • चौथा नंबर पर है तेलंगाना. यहाँ कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 427 पहुंच चुका है, इसके साथ ही यह संक्रमित मरीजों के हिसाब से सात वे स्थान पर आता है. जिनमें से 35 मरीज ठीक हो गए है , बाकी का इलाज चल रहा है , वहीं 7 मरीजों का देहांत हो चुका है.
  • कभी अपने विदेश पर्यटकों से गुलजार रहने वाला प्रदेश राजस्थान, आज कल कोराना के चपेट में है . यह संक्रमित मरीजों के हिसाब से पांचवे स्थान पर आता है ,यहां कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 381 पहुंच चुका है. इलाज से 21 लोग ठीक हो चुके है , 3 लोगो का मौत हो चुका है.
  • छठवे स्थान पर उत्तर प्रदेश है , यहाँ कुल 361 संक्रमित मरीज है, सबका इलाज चल रहा है. 27 मरीज ठीक हो गए है , वहीं 4 लोगो की मौत कोराना के कारण हुआ है.

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  • सातवे नंबर पर आंध्र प्रदेश का स्थान आ रहा है , यहाँ कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 348 पहुंच गया है. इलाज से यह 06 मरीज ठीक हो कर घर पहुंच गया, वहीं अभी तक चार लोगों की मौत हो गया है.
  • आठवे स्थान पर भारत का वह राज्य है जहाँ कोरोना संक्रमित पहला मामला मिला था, केरल ने योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर के इसे फैलने से रोका, यह कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 345 पहुंच गया है, इसके साथ ही यह संक्रमित मरीजों के हिसाब से छठा राज्य है. यहाँ सभी मरीजों का इलाज चल रहा है , अभी तक 83 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके है , वहीं दो संक्रमित व्यक्ति का देहांत हो गया.
  • मध्यप्रदेश कोरोना संक्रमित मरीजों के हिसाब से नौवा स्थान पर है . शिवराज सरकार इन दिनों कोरोना से सख्ती से लड़ने की बात कहा है, प्रदेश में सबसे अधिक मामले इंदौर से मिला है , यहां संक्रमित मरीजों की संख्या 229 है, दुखद खबर है कि अभी तक यहाँ इलाज से कोई ठीक नहीं हुआ है , जबकि मारने वालो की संख्या 13 पहुंच चुका है.
  • 181 कुल संक्रमित मरीजों के साथ कर्नाटक दसवे स्थान पर है.  इलाज से 28 लोग यहां ठीक हो गए है , अभी तक 05 लोगो की मौत गया है.

* जहाँ धीरेधीरे फ़ैल रहा है कोरोना संक्रमण :-

  • गुजरात , हरियाणा , पंजाब , जम्मू और कश्मीर एवं पश्चिम बंगाल ऐसे राज्य है , जहाँ कोरोना धीरे- धीरे फ़ैल रहा है . गुजरात में अभी तक 179 संक्रमित मरीज है, जिनमे इलाज से 25 ठीक हो गए है ,16 लोगो का मौत हो चुका है. वही हरियाणा में हालात ठीक नहीं है कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 147 पहुंच गया है , 28 लोगो इलाज से ठीक हो गए , तो 3 लोगो का मौत हो गया है.
  • पंजाब का हालत भी ठीक नहीं है, पंजाब में कुल 101 संक्रमित मरीज है, जिनमे 04 मरीज इलाज से ठीक हो गए है वहीं 8 लोगो का मौत कोरोना से हो चुका है.
  • पंजाब के सीमा से सटा हुआ राज्य जम्मू और कश्मीर में संक्रमित मरीजों की संख्या 158 पहुंच गई है, यहां इलाज के बाद 4 मरीज ठीक हो गए है , जबकि 4 लोगो का देहांत हो गया है.
  • पश्चिम बंगाल में कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 103 है , जिसमें 16 मरीज इलाज के बाद ठीक हो गए है , वहीं अभी तक 5 मरीजों का मौत हो चुका है .

 * जहां  संक्रमण बहुत कम है , और फैलाव भी कम है :-

  • नॉर्थ ईस्ट के प्रदेश अरुणाचल प्रदेश , मिजोरम, मणिपुर और त्रिपुरा संक्रमित मरीजों की संख्या एक – एक- एक – एक है . संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है .
  • केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेर्री में पांच मामले सामने आया है , वहीं इलाज से एक लोग ठीक भी हो गए है , बाकी का इलाज चल रहा है.
  • गोवा में संक्रमित मरीजों की संख्या 7 पहुंच गई है , वहीं सबका इलाज चल रहा है.
  • छत्तीसगढ़ से भी अच्छी खबर है ,10 संक्रमित मामलों यहां देखे गए जिसमें 09 मरीज ठीक हो चुके है. बाकी का इलाज चल रहा है .
  • वहीं केंद्रशासित प्रदेश अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में संक्रमित मरीजों की संख्या 11 है . सबका  इलाज चल रहा है .

जहाँ  संक्रमित की संख्या 10 से अधिक है ,लेकिन 100 से कम है:-

  • ऐसे क्षेत्रों में पहला नाम आता है झारखण्ड , यहाँ  में अभी तक 13 संक्रमित मरीज मिले है , एक मरीज का मौत हो गया , बाकी सबका इलाज चल रहा है .
  • केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में अभी तक 14 कोराना के मामले सामने आए है , जिनमें इसमें से 10 लोग ठीक हो चुके है , एक सुखद खबर है , अभी तक किसी का मौत नहीं हुआ है.
  • इसके बाद केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ का स्थान आता है, यहाँ मरीजों संख्या 18 पहुंच चुका है ,वही उनमें से 7 लोगों अभी तक ठीक होकर घर जा चुके है , अभी तक किसी का कोरोना से  मौत नहीं हुआ है.
  • पहाड़ों की रानी का प्रदेश हिमाचल प्रदेश में 18 मामले आए है वहीं इसमें से 2 लोग ठीक हो चुके है , बाकी का इलाज चल रहा है , एक संक्रमित मरीज का मौत हुए है
  • देवभूमि का प्रदेश उत्तराखंड में अभी स्थिति समान्य है , यहां कुल 33 मामले सामने आए है , जिनमें 5 लोगों ठीक हो चुके है बाकी का इलाज चल रहा है .
  • चाय के बागान वाला प्रदेश असम से सुखद खबर है , यहां कोराना के  28 मामले आए है ,लेकिन किसी का मौत नहीं हुआ है , सभी का इलाज चल रहा है .
  • बिहार में 50 संक्रमित मरीज सामने आये है ,रक्तचाप से पीड़ित एक मरीज की छह अप्रैल को मौत हो गई. बाकि अन्य मरीजों का इलाज चल रहा है.
  • ओडिशा में अभी तक 42 संक्रमित मरीज सामने आए है , वही 2 मरीज ठीक हो गए है , बाकी मरीजों का इलाज चल रहा है , वही रक्तचाप से पीड़ित एक मरीज की छह अप्रैल को मौत हो गई.देश में कोराना का कोहराम

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भारत के हालात अमेरिका, स्पेन और इटली से बेहतर हैं. लेकिन कोरोना का फैलाव भारत में तेजी हो रहा है, स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बताया गया कि गुरुवार (09 अप्रैल 2020 ) को सुबह 08 बजे तक ,  कुल संक्रमित मरीजों कि संख्या 5734 पहुंच चुका है, वही 473 लोगो को इलाज के बाद संक्रमण मुक्त हो चुके है वही अभी तक 166 लोगो का मौत हो चूका है. फिर भी आश्वस्त नहीं हुआ जा सकता, क्योंकि विशेषज्ञ डाक्टरों का मानना है कि भारत में कोरोना दूसरे चरण  में तो था ही अब कुछ इलाको में यह तीसरे चरण में पहुंच चुका है. यदि यहीं नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह अगर व्यापक स्तर पर तीसरे चरण में भी पहुंच सकता है. स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि भारत में कोरोना दूसरे और तीसरे स्तर के बीच में है. लॉक डाउन का आखिरी सप्ताह सरकार के लिए काफी अहम है . इसलिए केंद्र सरकार ने सभी को कोरोना वायरस से मिल कर लड़ने को कह रही है. सख्ती से लॉकडाउन का पालन करने को कह रही है, लेकिन कुछ लोग है कि जो इस भयावह स्थिति को समझने को तैयार ही नहीं है. भारत के कई राज्य इसे से बेहद प्रभावित है तो कई राज्यों में यह संक्रमण ना के बराबर है, कही संक्रमण का फैलाव तेजी से हो रहा है तो कही रुका हुआ है तो आइये एक नजर डालते है  गुरुवार (09 अप्रैल 2020 ) तक भारत के किस इलाके का क्या हाल है.

 

* जहाँ संक्रमण तेजी रहा है :-

  • देश में सर्वाधिक कोरोना संक्रमित मरीज महाराष्ट्र में मिल रहे है . महाराष्ट्र में संक्रमण का मामला तेजी से संक्रमित मरीजों की संख्या 1135 पहुंच गया है , वहीं 72 लोगो का मौत हो चुका है , इलाज से 117 लोग ठीक हो चुके है . बाकी का इलाज चल रहा है .
  • दूसरे नंबर पर तमिलनाडु स्थान आ रहा है , तमिलनाडु में संक्रमण का मामला 738 पहुंच गया है, यहाँ इलाज से 21 लोग ठीक हो चुके है, जब 8 लोगो का मौत हो गया है , बाकी का इलाज चल रहा है.
  • तीसरे नंबर पर दिल्ली का स्थान आ रहा है. दिल्ली में मकरज मामला के बाद आचनक मरीजों की संख्या बढ़ा गया है , यहां कुल 669 संक्रमित मरीज मिले है, जिनका इलाज चल रहा है , इसमें से 21 लोग इलाज से ठीक हो कर अस्पताल से घर पहुंच चुके है , अभी तक 09 लोगो की मौत हुई है.
  • चौथा नंबर पर है तेलंगाना. यहाँ कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 427 पहुंच चुका है, इसके साथ ही यह संक्रमित मरीजों के हिसाब से सात वे स्थान पर आता है. जिनमें से 35 मरीज ठीक हो गए है , बाकी का इलाज चल रहा है , वहीं 7 मरीजों का देहांत हो चुका है.
  • कभी अपने विदेश पर्यटकों से गुलजार रहने वाला प्रदेश राजस्थान, आज कल कोराना के चपेट में है . यह संक्रमित मरीजों के हिसाब से पांचवे स्थान पर आता है ,यहां कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 381 पहुंच चुका है. इलाज से 21 लोग ठीक हो चुके है , 3 लोगो का मौत हो चुका है.
  • छठवे स्थान पर उत्तर प्रदेश है , यहाँ कुल 361 संक्रमित मरीज है, सबका इलाज चल रहा है. 27 मरीज ठीक हो गए है , वहीं 4 लोगो की मौत कोराना के कारण हुआ है.
  • सातवे नंबर पर आंध्र प्रदेश का स्थान आ रहा है , यहाँ कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 348 पहुंच गया है. इलाज से यह 06 मरीज ठीक हो कर घर पहुंच गया, वहीं अभी तक चार लोगों की मौत हो गया है.
  • आठवे स्थान पर भारत का वह राज्य है जहाँ कोरोना संक्रमित पहला मामला मिला था, केरल ने योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर के इसे फैलने से रोका, यह कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 345 पहुंच गया है, इसके साथ ही यह संक्रमित मरीजों के हिसाब से छठा राज्य है. यहाँ सभी मरीजों का इलाज चल रहा है , अभी तक 83 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके है , वहीं दो संक्रमित व्यक्ति का देहांत हो गया.
  • मध्यप्रदेश कोरोना संक्रमित मरीजों के हिसाब से नौवा स्थान पर है . शिवराज सरकार इन दिनों कोरोना से सख्ती से लड़ने की बात कहा है, प्रदेश में सबसे अधिक मामले इंदौर से मिला है , यहां संक्रमित मरीजों की संख्या 229 है, दुखद खबर है कि अभी तक यहाँ इलाज से कोई ठीक नहीं हुआ है , जबकि मारने वालो की संख्या 13 पहुंच चुका है.
  • 181 कुल संक्रमित मरीजों के साथ कर्नाटक दसवे स्थान पर है.  इलाज से 28 लोग यहां ठीक हो गए है , अभी तक 05 लोगो की मौत गया है.

 

* जहाँ धीरेधीरे फ़ैल रहा है कोरोना संक्रमण :-

  • गुजरात , हरियाणा , पंजाब , जम्मू और कश्मीर एवं पश्चिम बंगाल ऐसे राज्य है , जहाँ कोरोना धीरे- धीरे फ़ैल रहा है . गुजरात में अभी तक 179 संक्रमित मरीज है, जिनमे इलाज से 25 ठीक हो गए है ,16 लोगो का मौत हो चुका है. वही हरियाणा में हालात ठीक नहीं है कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 147 पहुंच गया है , 28 लोगो इलाज से ठीक हो गए , तो 3 लोगो का मौत हो गया है.
  • पंजाब का हालत भी ठीक नहीं है, पंजाब में कुल 101 संक्रमित मरीज है, जिनमे 04 मरीज इलाज से ठीक हो गए है वहीं 8 लोगो का मौत कोरोना से हो चुका है.
  • पंजाब के सीमा से सटा हुआ राज्य जम्मू और कश्मीर में संक्रमित मरीजों की संख्या 158 पहुंच गई है, यहां इलाज के बाद 4 मरीज ठीक हो गए है , जबकि 4 लोगो का देहांत हो गया है.
  • पश्चिम बंगाल में कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 103 है , जिसमें 16 मरीज इलाज के बाद ठीक हो गए है , वहीं अभी तक 5 मरीजों का मौत हो चुका है .

 * जहां  संक्रमण बहुत कम है , और फैलाव भी कम है :-

  • नॉर्थ ईस्ट के प्रदेश अरुणाचल प्रदेश , मिजोरम, मणिपुर और त्रिपुरा संक्रमित मरीजों की संख्या एक – एक- एक – एक है . संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है .
  • केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेर्री में पांच मामले सामने आया है , वहीं इलाज से एक लोग ठीक भी हो गए है , बाकी का इलाज चल रहा है.
  • गोवा में संक्रमित मरीजों की संख्या 7 पहुंच गई है , वहीं सबका इलाज चल रहा है.
  • छत्तीसगढ़ से भी अच्छी खबर है ,10 संक्रमित मामलों यहां देखे गए जिसमें 09 मरीज ठीक हो चुके है. बाकी का इलाज चल रहा है .
  • वहीं केंद्रशासित प्रदेश अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में संक्रमित मरीजों की संख्या 11 है . सबका  इलाज चल रहा है .

 

जहाँ  संक्रमित की संख्या 10 से अधिक है ,लेकिन 100 से कम है:-

  • ऐसे क्षेत्रों में पहला नाम आता है झारखण्ड , यहाँ  में अभी तक 13 संक्रमित मरीज मिले है , एक मरीज का मौत हो गया , बाकी सबका इलाज चल रहा है .
  • केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में अभी तक 14 कोराना के मामले सामने आए है , जिनमें इसमें से 10 लोग ठीक हो चुके है , एक सुखद खबर है , अभी तक किसी का मौत नहीं हुआ है.
  • इसके बाद केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ का स्थान आता है, यहाँ मरीजों संख्या 18 पहुंच चुका है ,वही उनमें से 7 लोगों अभी तक ठीक होकर घर जा चुके है , अभी तक किसी का कोरोना से  मौत नहीं हुआ है.
  • पहाड़ों की रानी का प्रदेश हिमाचल प्रदेश में 18 मामले आए है वहीं इसमें से 2 लोग ठीक हो चुके है , बाकी का इलाज चल रहा है , एक संक्रमित मरीज का मौत हुए है
  • देवभूमि का प्रदेश उत्तराखंड में अभी स्थिति समान्य है , यहां कुल 33 मामले सामने आए है , जिनमें 5 लोगों ठीक हो चुके है बाकी का इलाज चल रहा है .
  • चाय के बागान वाला प्रदेश असम से सुखद खबर है , यहां कोराना के  28 मामले आए है ,लेकिन किसी का मौत नहीं हुआ है , सभी का इलाज चल रहा है .
  • बिहार में 50 संक्रमित मरीज सामने आये है ,रक्तचाप से पीड़ित एक मरीज की छह अप्रैल को मौत हो गई. बाकि अन्य मरीजों का इलाज चल रहा है.
  • ओडिशा में अभी तक 42 संक्रमित मरीज सामने आए है , वही 2 मरीज ठीक हो गए है , बाकी मरीजों का इलाज चल रहा है , वही रक्तचाप से पीड़ित एक मरीज की छह अप्रैल को मौत हो गई.

 

सौतन: भाग 1

निकलते-निकलते उसे वहीं देर हो गई. सुबह से उस का सिर भारी था, सोचा था घर जल्दी जा कर थोड़ा आराम करेगा पर उठते समय ही बौस ने एक जरूरी फाइल भेज दी. उसे निबटाना पड़ा. वैसे, यह काम रमेश का है पर वह धूमकेतु की तरह उदय हो दांत निपोर कर बोला, ‘‘यार, आज मेरा यह काम तू निबटा दे. मेरे दांत में दर्द है, डाक्टर को दिखाना है, प्लीज.’’

‘‘कट कर दे.’’

‘‘बाप रे, बुड्ढा कच्चा चबा जाएगा. आजकल वह कटखना कुत्ता बना है.’’

‘‘क्यों, क्या हुआ उसे, वह ठीकठाक तो है?’’

‘‘कुछ ठीकठाक नहीं, सब गड़बड़ हो गया है.’’

‘‘क्या गड़बड़ है?’’

‘‘इस उम्र में उस की बीवी ठेंगा दिखा कर भाग गई.’’

‘‘हैं…’’

‘‘तभी तो बौखला कर अब हमारे ऊपर गरज रहा है.’’ रमेश निकल गया और संजीव लेट हो गया. पत्नी भारती और 10 वर्ष की बेटी चांदनी उस की प्रतीक्षा में थे. उसे देखते ही भारती चाय का पानी रखने गई. संजीव सीधा बाथरूम गया फ्रैश होने. एक गैरसरकारी दफ्तर में मामूली क्लर्क है वह. मामूली परिवार का बेटा है. उस के पिता भी क्लर्क थे. उस का जीवन भी मामूली है. मामूली रहनसहन, मामूली पत्नी, मामूली समाज में उठनाबैठना. पर वह अपने जीवन में संतुष्ट है, सुखी है. कारण यह कि उस की आशाएं, योजनाएं, मित्र सभी मामूली हैं. मामूली जीवन में फिट हो कर भी संजीव एक जगह ट्रैक से अलग हट गया है. वह है बेटी चांदनी का पालनपोषण. अपने वेतन की ओर ध्यान न दे कर, भारती की आपत्ति को नजरअंदाज कर उस ने बेटी को एक महंगे अंगरेजी माध्यम स्कूल में डाला है. उस का वेतन हाथ में आता है 7 हजार रुपए. इस महंगाई के जमाने में क्या होता है उस में. पर भारती अपनी मेहनत, सूझबूझ और सुघड़ता से बड़े सुंदर ढंग से घर चला लेती है. किसी प्रकार का अभावबोध पति या बेटी को नहीं होने देती. पुराना घर और साथ में चारों ओर छूटी जमीन संजीव की एकमात्र पैतृक संपत्ति है. किराया बचता है और खुली, बड़ी जगह में रहने का सुख भी है.

भारती भी मामूली घर की बेटी है. सम्मिलित परिवार था. मां, चाची मिल कर घर का काम करतीं. दादीमां भी हाथ पर हाथ धर कर नहीं बैठती थीं, मिर्चमसाले कूटतीं, दाल, चावल, गेहूं बीन कर साफ करतीं. इसलिए शादी से पहले भारती को काम नहीं करना पड़ा. पर शादी के बाद सारा काम उस ने अपने सिर पर उठा लिया, और उस से उसे खुशी ही मिली. अपना घर, अपना पति और अपनी बच्ची, उन सब के लिए कुछ भी कर सकती है. प्राइवेट स्कूल में बेटी को डालने के बाद तो झाड़ूबरतन भी खुद ही करती, महीने के 500 रुपए बच जाते. उस ने वास्तव में घर को खुशहाल बना रखा था क्योंकि उस ने अपने घर में देखा था कि निर्धनता में भी कैसे सुखी रहा जाता है. वहां तीजत्योहार बड़े उत्साह से मनाए जाते, पूड़ीकचौरी, लड्डू, गुजिया बनते, हर मौसम का अचार पड़ता. यहां तक कि मार्चअप्रैल में मिट्टी के नए कलश में गाजरमूली का पानी वाला अचार पड़ता, पापड़ बनते, बडि़यां तोड़ी जातीं. अभावबोध कभी नहीं रहा. उसी ढंग से उस ने अपने इस घर को भी सुख का आशियाना बना रखा था. पति की हर बात मान कर चलने वाली भारती ने विरोध भी किया था बेटी को इतने महंगे स्कूल में डालने के लिए पर बापबेटी दोनों की इच्छा देख वह चुप हो गई थी.

चाय के साथ गरम पकौड़े ले कर आई भारती संजीव के पास बैठ गई. चांदनी पार्क में खेलने गई थी.

‘‘सुनोजी, वो बंसलजी आज फिर आए थे.’’ पकौड़े खातेखाते संजीव के माथे पर बल पड़ गए, ‘‘कब?’’

‘‘आज तो तुम लेट आए हो. तुम्हारे आने के 10-15 मिनट पहले.’’ चाय का घूंट भर कर उस ने एक और पकौड़ा उठाया, ‘‘अब क्या चाहिए? मैं ने मना तो कर दिया.’’

‘‘अरे, गुस्सा क्यों करते हो? वह तो निमंत्रण देने आए थे.’’

‘‘किस बात का निमंत्रण?’’

‘‘उन की सोसाइटी ‘आंचल’ का मुहूर्त है कल, मतलब गृहप्रवेश.’’

‘‘उन बड़ेबड़े लोगों में हम जैसे मामूली लोगों का क्या काम?’’ भारती बहुत ही धीरगंभीर है. शांत स्वर में बोली, ‘‘देखो, मान के पान को भी आदर देना चाहिए. वह बड़ेबड़े लोगों की सोसाइटी है, सब जानते हैं. पर उन्होंने हमें निमंत्रण दिया है तो मान दे कर ही. फिर हमें उन का भी मान रखना चाहिए.’’

‘‘तुम बहुत ही भोली हो. आज के संसार में तुम जैसी को बेवकूफ माना जाता है क्योंकि तुम चालाक लोगों के छक्केपंजे नहीं पकड़ पातीं. अरे मानवान कुछ नहीं, स्वार्थ है उन का सिर्फ.’’

भारती अवाक् संजीव का मुंह देखने लगी, ‘‘अब क्या स्वार्थ, सोसाइटी तो बन चुकी?’’

‘‘उस का धंधा है सोसाइटी बनाना. एक बन गई तो क्या काम छोड़ देगा? चौहान का घर खरीद रखा है, अब दूसरी सोसाइटी वहां बनेगी. वह जगह कम है, साथ में लगा है हमारा घर. हमारा घर पुराना व छोटा है पर जमीन कितनी सारी है, यह मिल गई तो यहां ‘आंचल’ से दोगुनी बड़ी सोसाइटी बनेगी.’’

‘‘पर चांदनी तो जाने के लिए उछल रही है, उस की स्कूल की 2 सहेलियां भी यहां आ रही हैं.’’ ‘‘वह बच्ची है. एक काम करते हैं, कल शनिवार है, आधी छुट्टी तो है ही, सोमवार को सरकारी छुट्टी है. चलो, उसे आगरा घुमा लाते हैं. वह खुश हो जाएगी और तुम भी तो अपनी बूआ से मिलने की बात कब से कह रही हो. 2 दिन उन के घर में भी रह लेंगे.’’ भारती चहक उठी, ‘‘सच, तब तो बड़ा अच्छा होगा. चांदनी खुश हो जाएगी ताजमहल देख कर. पर आखिरी महीना है, हाथ खाली होगा.’’

‘‘अरे वह जुगाड़ हो जाएगा.’’

दूसरे दिन शनिवार को ही संजीव सपरिवार आगरा चला गया, लौटा मंगलवार को. रविवार को सोसाइटी में ‘गृहप्रवेश’ समारोह था. आतेआते रात हो गई. गेट के सामने से ही ‘आंचल’ सोसाइटी पर नजर पड़ी. 150 फ्लैटों में बस 4-6 फ्लैट ही बंद हैं, बाकी फ्लैटों की खिड़कियां दूधिया रोशनी से झिलमिला रही हैं. खिड़कियों पर परदे पड़े हैं. भारती अवाक्. फिर बोली, ‘‘अरे, लोग रहने भी आ गए?’’ रिकशे से बैग उतार पैसे चुका रहा था संजीव. उस ने नजरें उठाईं फिर देख कर बोला, ‘‘तो क्या घर खाली पड़ा रहता? दिल्ली में किराया तो आसमान छूता है.’’

‘‘पार्टी जबरदस्त हुई होगी?’’

‘‘क्यों नहीं, बड़े लोगों की पार्टी थी. खाना, पीना, नाच, मस्ती सभी कुछ…’’

‘‘अच्छा हुआ कि हम नहीं गए.’’

संजीव हंसा, ‘‘ऐसे लोगों में हम चल नहीं पाते, तभी निकल गया था.’’

‘‘चलो पड़ोस बसा. रोशनी, चहलपहल रहेगी. सूना पड़ा था.’’

‘‘शहर लगभग सीमा के पास है. तभी आबादी कम है.’’

‘‘इतने बड़े लोगों के बीच बंसलजी को हमें बुलाना नहीं चाहिए था.’’

‘‘अरे उस ने उम्मीद नहीं छोड़ी. दूसरी सोसाइटी में बड़े फ्लैट का लाखों रुपए का चारा जो डाल रखा है.’’ संजीव ने गलत नहीं कहा. ‘आंचल’ बनाते समय ही उस की नजर इस घर पर थी. घर तो पुराना और जर्जर है पर साथ में जमीन बहुत सारी है. कुल मिला कर 3 बीघा तो होगी. यह मिल जाती तो 4 स्विमिंग पूल, कम्युनिटी हौल बनवाता तो इन्हीं फ्लैटों के दाम 10-10 लाख रुपए और बढ़ जाते. एक फ्लैट और 20-30 लाख रुपए कैश देने को तैयार था. रातोंरात संजीव की आर्थिक दशा सुधर जाती. भविष्य सुनहरा होने के साथ ही साथ सुखआराम से भरपूर सुंदर झिलमिलाता घर मिलता. एक उच्च समाज का प्रवेशपत्र भी हाथोंहाथ मिल जाता. पर संजीव नहीं माना. मामूली आदमी जो ठहरा. उस के लिए ग्लैमर से ज्यादा अपनी जड़, अपनी पहचान कीमत रखती थी. निर्धन पिता से पाई एकमात्र संपत्ति थी यह घर. इस को वह जीवनभर संभाल कर रखना चाहता था. भारती भी घर में बहुत संतुष्ट थी. दिनरात घर की सफाई और साजसज्जा में लगी रहती थी. घर की मरम्मत के लिए खर्चे से बचा कर पैसे भी जोड़ रही थी. उसे बस एक ही चिंता थी सो एक दिन संजीव से बोली, ‘‘सुनोजी, दोनों ओर ऊंचीऊंची सोसाइटी बन गईं तो हमारे घर की धूप, हवा, रोशनी एकदम बंद हो जाएगी.’’

संजीव चाय पी रहा था. हंस कर बोला, ‘‘कुछ भी बंद नहीं होगा.’’

‘‘क्यों?’’

#lockdown: रामायण और महाभारत के सहारे धर्म के राज का सपना

सोशल मीडिया पर एक मैसेज आजकल बहुत चल रहा है कि लॉक डाउन में रामायण और महाभारत का जीवन पर जिस तरह असर हो रहा उससे लगता है कि लोक डाउन के बाद ऑफिस जयेगे तो बोस को देख कर मुँह से यह ना निकल जाए कि “महाराज की जय हो ” असल मे सरकार भी यही चाहती है कि रामायण और महाभारत के जरिये धर्म की सत्ता को स्थापित किया जा सके।

राजा की याचना मे भी आदेश छिपा रहता है. रामायण और महाभारत की कहानियों में राजा और प्रजा के बीच संबंधों को बताया गया है. इसमें राजा के हर कार्य को भगवान का काम बताया गया है. रामायण और महाभारत में जीवन और मृत्यू के मर्म को भी बखूबी समझाया गया है. यही वजह है कि जब देश में करोनो का संकट आया रामायण और महाभारत का प्रसारण शुरू किया गया. जिससे जनता राजा और धर्म की शिक्षा में उलझ कर स्वास्थ्य और इंसान की जरूरतो पर सवाल ना कर सके.

रामायण और महाभारत के सहारे देश में धर्म के राज्य की स्थापना संभव हो सके. धार्मिक ग्रंथों में मरने के समय इंसान को जीवन और मृत्यू के गूढ़ रहस्यों को बताया जाता है. धर्म में कई तरह के कर्मकांड भी इसके लिये बने है. मोक्ष की प्राप्ति के लिये धार्मिक कहानियां को सुनने का कर्मकांड भी किया जाता है. रामायण और महाभारत दोनो धार्मिक ग्रंथो में जीवन के प्रति मोह पर दाशर्निक अंदाज में व्यख्यान दिया गया है.

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महाभारत में कृष्ण ने गीता का जो भी ज्ञान दिया है वह जीवन के प्रति मोह को खत्म करता है. रामायण और महाभारत दोनोग्रंथो में राजा और जनता के बीच संबंधों को भी बताया गया है.

जीवन और मृत्यू का सार

कोरोनावायरस के संकट भरे दौर में जब पूरी दुनिया अपने देश के वैज्ञानिकों को बायरस से निपटने के लिये दवाये बनाने के लिये तैयार कर रही उस समय भारत में अपने देश के लोगों को रामायण और महाभारत दिखाने में लग गई. वैसे तो यह दोनो ग्रंथ काफी लंबे समय तक चलने वाले थे. पर इसको इस तरह से प्रसारित किया जा रहा कि जीवन और मृत्यू के सार और राजा प्रजा के बीच के कर्तव्य वाली कहानियो के एपिसोड जरूर दिखाई दे जाये.
असलमें धर्म ही वह चाशनी है जिसमें लपेट कर कोई भी चीज जनता को परोसी जा सकती है. किसी को भी इस पर कोई आपत्ति भी नहीं होती है.

धर्म की चाशनी में डूबी मौत का भी खौफ खत्म हो जाता है. धर्म के प्रचार के लिये ऐसे ऐसे उदाहरण पेश किये जाते है कि जनता सच और झूठ के अंतर को नही समझ पाती है.

मंदिर जरूरी या अस्पताल:

सोशल मीडिया पर एक संदेश भरा मैसेज आता है. जिसमे यह बताया जाता है कि आज के इस दौर में मंदिर की जरूरत है या अस्पताल की. मैसेज में कहा जाता है कि विदेशों में अस्पताल सबसे ज्यादा है. इसके बाद भी वहां पर मरने वालों की संख्या सबसे अधिक रही है. ऐसे में समझने की बातहै कि हमें अस्पताल जरूरत है या मंदिर की.

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यह मैसेज उस समय वायरल किया गया जब कोरोना से लडने में अस्पतालों की भूमिका अधिक बताई जा रही थी. उस समय कहा गया था कि संकट के जिस समय में मंदिरों के दरवाजे लोगों के लिये बंद हो गये तो अस्पतालों के दरवाजे खुले थे ऐसे में हमें मंदिर नहीं अस्पताल चाहिये. मदिरों पर उठे सवालों से धर्म की सत्ता प्रभावित न हो जाये इसके लिये जवाब में विदेशों में कम मंदिर और ज्यादा मौत के सवाल का उठाते हुये मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे. कोरोना संकट के समय में धर्म की सत्ता बनी रहे इसके लिये थाली बजाने से लेकर दीये जलाने तक के काम किया गया.

इसका उददेश्य कोरोना संकट में लगे कर्मचारियों का उत्साह बढाना बताया गया पर असल में इसका उददेश्य जनता में यह देखना था कि अभी राजाऔर धर्म दोनो में उनका यकीन कायम है या नहीं.

#coronavirus: लॉकडाउन में पत्नी वियोग

कोरोना तो बीमारी लाया ही, पर कइयों की जिंदगी इस कदर हिला दी कि कहते नहीं बनता. कोरोना के चलते अचानक ही लॉकडाउन होने से जो जहां हैं वहीं का हो कर रह गया.

इस का जीताजागता निशाना एक परिवार बना. उस के निशां आज भी मेरे दिलोदिमाग को कचोटते है.

गोंडा में कुछ महीने पहले राकेश की शादी बड़ी ही धूमधाम से सोनी के साथ हुई. सोनी भी राकेश जैसे पति को पा कर बेहद खुश थी.

राकेश की नईनई शादी हुई थी इसलिए वह बौराया सा घूमता और पत्नी सोनी को किसी तरह की तकलीफ नहीं देना चाहता.

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सोनी भी राकेश में खुशियां तलाशने की कोशिश करती.

राकेश रहता गोंडा में था और अपना कामधंधा करता. पर लॉक डाउन होने से वह भी घर पर ही रहता.

लॉक डाउन से पहले इत्तेफाकन पत्नी सोनी को किसी काम से मायके जाना पड़ गया. उसी रात 12 बजे अचानक ही सबकुछ थम सा गया क्योंकि पूरे शहर में ही नहीं देश में लॉक डाउन लागू हो गया और इस का सख्ती से पालन किया जाने लगा.

पुलिस भी डंडे फटकारने में पीछे नहीं थी. भीड़ को तितरबितर करने के लिए लाठीचार्ज किया जा रहा था. लोग बदहवास दौड़ पड़े थे. कोई छिपने की कोशिश कर रहा था, तो कोई बच कर निकल जाने की जुगत में था.

पुलिस को भी पहली बार फ़िल्म सरीखा हकीकत का किरदार निभाने में बड़ा मजा आ रहा था. वहीं बाजार बंद, सिनेमाघरों में लाली गायब क्योंकि सिनेमा ही नहीं दिखाया जा रहा था. सड़कें सूनी सी आंखों को कौंधियाती. सड़क पर चलना भी मुश्किल क्योंकि पुलिस घरों में बंद होने को कह रही थी. सड़क पर दिखते ही लाठी भांजने लगती.

घर में बैठ सबकुछ सूनासूना सा लगता राकेश को, क्योंकि वह कैदियों सरीखी जिंदगी बिता रहा था. भले ही अपने घर में था, पर पूरापूरा दिन कभीकभी तो पूरी रात जाग कर बितानी पड़ती क्योंकि पत्नी की याद आ जाती. इस वजह से वह रात को सोता भी नहीं था.

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पर, दिन तो जैसेतैसे कट जाता था, पर रात में जब भी वह करवटें बदलता तो पत्नी सोनी की याद सताती.

राकेश उस दिन को कोस रहा था, जब पत्नी सोनी ने मायके जाने की बात उस से कही थी. यदि वह सोनी को उस दिन मना कर देता तो ऐसी नौबत ही नहीं आती.

इधर, पत्नी सोनी भी लॉक डाउन के कारण घर से निकल नहीं सकती थी, वहीं राकेश उस के बिना परेशान सा पूरे दिन इस कमरे से उस कमरे में चक्कर लगाते काटता.

एक दिन तो हद ही हो गई, जब राकेश ने पत्नी की बेहद याद आने पर पंखे से लटक कर जान देने की ठानी. पर तभी फोन की घंटी बजी. पत्नी वीडियो कॉल पर थी.

उस ने खुशखबरी देते हुए कहा कि वह पेट से है, यह खुशी की खबर सुनते ही उस को काटो तो खून नहीं. वह आत्मग्लानि से भर गया कि वह क्या करने जा रहा था. उसे लगा कि पत्नी ने उसे नई जिंदगी दी है. उस की पत्नी सही माने में जीवनसंगिनी है और वह कितना बेवकूफ.

और राकेश जीवन की नई जिम्मेदारी को संभालने की सोच में खो गया.

#lockdown: अब दूध भी और्गेनिक

हैल्थ इज वैल्थ यानी स्वास्थ्य ही धन है. यह कहावत दुनिया मानती है लेकिन दुनियावाले नहीं. अब जब कमजोर स्वास्थ्य वालों को वायरसरूपी दुश्मन आसानी से टारगेट कर रहा है तो जिस्म के इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने की चिंता दनियाभर में महसूस की जा रही है.

इम्यूनिटी के मद्देनजर आज हर तरफ और्गेनिक का बोलबाला है. सब्जी, फल, मसाले, दालें, आटा सभी कुछ और्गेनिक मिल रहा है और लोग भी और्गेनिक चीजों को खासा पसंद कर रहे हैं. इसी बीच, अब और्गेनिक दूध का भी प्रचलन बढ़ रहा है. कई कंपनियां तो लोगों को और्गेनिक दूध मुहैया करा भी रही हैं.

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क्या है और्गेनिक दूध और्गेनिक का मतलब होता है सौ फीसदी नेचुरल यानी जिस चीज के उत्पादन में किसी भी रासायनिक वस्तु का इस्तेमाल नहीं किया गया हो. दूध गाय और भैंस से निकाला जाता है तो फिर इसमें और्गेनिक क्या है, यह बड़ा सवाल है.दरअसल,‌ और्गेनिक दूध पाने के लिए पशुओं को ऐसा चारा खिलाया जाता है जिसका उत्पादन जैविक खाद से किया जाता है. इसके साथ ही इन जानवरों को किसी भी तरह का एंटीबायोटिक भी नहीं दिया जाता है.

और्गेनिक डेयरी फार्म में स्वच्छंद घूमती हैं गाय बड़े स्तर पर और्गेनिक दूध का उत्पादन करने के लिए विशेष तरह के डेयरी फार्म की जरूरत होती है. ये डेयरी फार्म कई एकड़ में फैले होते हैं. यहां एक हिस्से में पशुओं को रखने का इंतजाम होता है वहीं कई बड़े हिस्से में पशुओं के लिए और्गेनिक तरीके से चारे का उत्पादन किया जाता है. इन डेयरी फार्मों पर पशुओं को रेडीमेड चारा नहीं खिलाया जाता बल्कि फार्म में ही पैदा किया गया पौष्टिक व जैविक चारा खिलाया जाता है.

जैविक चारा इसलिए कहते हैं क्यों कि इसे उगाने में रासायनिक खादों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.  इतना ही नहीं, इन फार्मों में गायों को नेचुरल वातावरण में स्वच्छंद घूमने दिया जाता और चरने दिया जाता है, इन्हें बांध कर नहीं रखा जाता है.

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मशीन से निकाला जाता है दूध और्गेनिक डेयरी फार्म पर गायों का दूध निकालने में हाथ का इस्तेमाल नहीं किया जाता, बल्कि दूध दुहने के लिए मशीनों का इस्तेमाल होता है.  मशीन के जरिए दूध निकाल कर सीधे उसे चिलर प्लांट में ले जाया जाता है और फिर वहां से पैकिंग के बाद उपभोक्ताओं तक सप्लाई किया जाता है.

सेहत के लिए फायदेमंद है और्गेनिक दूध सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. शोध से पता चला है कि और्गेनिक चारा खाने वाली गाय का दूध पीने से शरीर में पौलिअनसेचुरेटिड फैट में इजाफा होता है. इस फैट का सेवन दिल के लिए फायदेमंद होता है. और्गेनिक दूध में गुड कोलैस्ट्रौल की मात्रा सामान्य दूध से दोगुनी ज्यादा होती है. एक नई रिसर्च में यह भी सामने आया है कि और्गेनिक मिल्क में ओमेगा 3 होता है, जो हार्ट के लिए अच्छा होता है.

 

#coronavirus: सच को परदे में रखना चाहती है ट्रोल आर्मी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस को धमकाने, डराने, भगाने के लिए देश भर में ताली-थाली पिटवाई. फिर अग्नि देवता का आह्वान भी किया और देश भर से दिया-बत्ती जलवाई मगर कोरोना का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. प्रधानमंत्री समय-समय पर टीवी पर प्रकट होकर नए-नए टोटके बताते हैं और अंधभक्त सच से आँखें फिरा कर टोटकों को पूरा करने में जुट जाते हैं. टोटकों को पूरा करने के चक्कर में सोशल डिस्टेंसिंग की वाट लग गई. कहीं थाली-ताली के चक्कर में लोगों का हुजूम सड़कों पर उतर कर नाचा तो कही दिया-बत्ती से भी आगे बढ़ कर मशाल जुलूस निकले. उत्तर प्रदेश में तो एक भाजपा नेत्री ने बाकायदा बन्दूक दागी. अब इसने कोरोना को भगाया या पास बुलाया?

भक्तों को ऐसे सवालों से मिर्ची लग जाती हैं. वो नहीं जानना चाहते कि कोरोना से निपटने के लिए सरकार कोई मज़बूत कदम उठा भी रही है या नहीं ? वो नहीं जानना चाहते कि तेज़ी से पैर पसारते जा रहे कोरोना से निपटने के लिए डॉक्टर्स को ज़रूरी संसाधन हासिल हो रहे हैं या नहीं ? वे नहीं जानना चाहते कि एम्स, वेदांता जैसे नामी अस्पतालों में कितने नर्स और डॉक्टर दूसरों की जान बचाते बचाते खुद अपनी जान दांव पर लगा बैठे हैं.वो नहीं जानना चाहते कि अगर कोरोना थर्ड स्टेज में पहुंच गया और कम्युनिटीज में फैला तो हज़ारों लोगों का इलाज करने के लिए कितने अस्पताल तैयार हैं ? कितने बेड, कितने ऑक्सीजन सिलिंडर, कितने वेंटीलेटर, कितने डॉक्टर, कितनी नर्स, कितनी दवाइयां भारत के पास हैं? क्योंकि समय-समय पर टीवी पर प्रकट होकर नए-नए टोटकों का फरमान सुनाने वाले हमारे प्रधानमंत्री कभी ये ज़रूरी बातें तो बताते ही नहीं हैं. हाँ उनके टोटकों के खिलाफ अगर कोई बोला, किसी ने कुछ लिखा तो फिर उसकी खैर नहीं. ट्रोल आर्मी जोंक की तरह उससे चिपक जाएगी.उसकी खूब लानत-मलामत करेगी. उसको खूब उपदेश देगी.जाति सूचक, धर्मसूचक बाण मारेगी और इस तरह अपनी अंधभक्ति का परिचय देते हुए अपने अंधविश्वास से सच को ढांप देना चाहेगी.

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‘सरिता’ बार बार इस सच को उघाड़ कर सामने लाती थी और लाती रहेगी. ‘सरिता’ खुली आँखों से देख रही है कि किस तरह धीरे-धीरे गरीबों की उम्मीदों का दिया बुझता जा रहा है.भुखमरी उनके दरवाज़े पर आ खड़ी हुई है. रामधनी की बूढ़ी बीमार माँ खाट पर पड़ी है, खांस-खांस कर बेहाल हुई जा रही है, मगर दवा मयस्सर नहीं है क्योंकि डॉक्टर के पास नहीं जा सकते. घर के बाहर कर्फ्यू लगा है. पुलिस डंडे फटकारते घूम रही है.रामधनी तुलसी-अदरक का काढ़ा बना बना कर बार बार पिला रहा है कि किसी तरह माँ को आराम आ जाए. बेचारी का पुराना दमा उभर आया है.

कल रात मोती नगर सब्ज़ी मार्किट में पुलिस वालों ने गरीब सब्ज़ी विक्रेताओं के सब्ज़ी से भरे ठेले पलट दिए. गरीब सब्ज़ी वालों के दिल पर क्या गुज़री होगी सड़क पर बिखरी अपनी सब्ज़िया देख कर. किस मुसीबत से उधार सब्ज़ियां लाये थे मगर पुलिस का डंडा पड़ा तो ठेला और सब्ज़ी वही छोड़ कर भागना पड़ा. सरकारी आदेश का पालन होना है, गरीब कोरोना से पहले भूख से मर जाए तो फ़िक्र नहीं.
मध्यवर्ग की तकलीफें भी बढ़नी शुरू हो चुकी हैं. आम जनता को आने वाली तकलीफों के अंत की राह धुंधली पड़ती नज़र आ रही है. किसी को हार्ट अटैक पड़ा है, एम्बुलेंस के लिए हॉस्पिटल में फ़ोन पर फ़ोन किया जा रहा है मगर एम्बुलेंस नहीं आ रही है. कैंसर के मरीज़ रिज़वान को कीमोथेरपी के बाद हर महीने लखनऊ मेडिकल कॉलेज में जांच के लिए जाना होता है मगर दो महीने बीत चुके हैं वह नहीं गया। छोटा व्यवसाई चिंतित है.दुकाने बंद हैं, बिक्री बंद है मगर दूकान का किराया तो फिर भी देना है. दूकान में सामान भरा है, पता नहीं लॉक डाउन के बाद जब दूकान खोलेगा तो कितना सामान ख़राब हो चुका होगा. वो नुक्सान का अनुमान लगा कर हलकान हुआ जा रहा है.

इन लोगो के लिए सरकार के पास का क्या ‘राहत पैकेज’ है? शायद कुछ भी नहीं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब  3 अप्रैल को कोरोना को लेकर तीसरी बार देश को संदेश दिया तो  उम्मीद जगी थी कि वे इस बीमारी से बचाव के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों और तैयारियों के बारे में बताएंगे, इस बीमारी से लड़ने में दिन रात जुटे हजारों लाखों, डॉक्टरों, नर्सों, मेडिकल स्टाफ, पुलिस कर्मी, सुरक्षा कर्मी, सफाई कर्मी और लोगों को रोजमर्रा की चीज़े मुहैया करा रहे लोगों केलिए कोई घोषणा होगी, कोई योजना होगी। लॉकडाउन से सबसे अधिक प्रभावित गरीब और वंचित तबके के लिए किसी नए रोडमैप का ऐलान होगा.

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मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ, वो आये और ‘ दिया जलाओ इवेंट’ का फरमान सुना कर चले गए.
प्रधानमंत्री ने जब कहा कि, “कोरोना महमामारी के अंधकार से हमें प्रकाश की तरफ जाना है. जो भी इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं हमारे गरीब भाई बहन, उन्हें कोरोना संकट से आशा की तरफ ले जाना है. कोरोना से जो अंधकार और अनिश्चतता पैदा हुई है उसे प्रकाश के तेज से चारों दिशाओं में फैलाना है.“ पीएम के इस कथन से उम्मीद जगी कि शायद गरीबों के लिए कुछ घोषणा होने वाली है, गरीबों के लिए वे सामर्थ्यवान लोगों से कुछ मांगने वाले हैं, या किसी सरकारी योजना की घोषणा करने वाले हैं. लेकिन…???
लेकिन उन्होंने इसके बाद जो कहा, वहा अद्भुत था. उन्होंने कहा, “इस रविवार 5 अप्रैल को हम सबको मिलकर कोरोना के संकट के अंधकार को चुनौती देनी है, उसे प्रकाश की ताकत का परिचय कराना है, 5 अप्रैल को हमें 130 करोड़ देशवासियों की महाशक्ति का जागरण करना है…5 अप्रैल रविवार को रात 9 बजे मैं आप सबके 9 मिनट चाहता हूं, घर की सभी लाइटें बंद करके, घर के दरवाजे पर या बालकनी में खड़े रहकर 9 मिनट तक मोमबत्ती, दीया या मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाए टॉर्च जलाएं…”
अच्छा होता अगर प्रधानमंत्री कोरोना से लड़ाई के इस टोटके  के बजाए देश को यह बताते कि चिकित्सा क्षेत्र में इस दौरान हमने क्या प्रगति की? हमने कितनी नई सुविधाएं तैयार कीं? हमने इस वायरस के कम्यूनिटी ट्रांसमिशन को रोकने के लिए कौन सी नई योजना पर काम किया?

उल्लेखनीय है कि जब चीन में इस वायरस की भयावहता सामने आई तो उसने 10 दिन के अंदर एक विशाल अस्पताल का निर्माण कर दिया, क्या हम ऐसी किसी योजना पर काम कर रहे हैं? आज चीन ने बहुत हद तक इस महामारी पर काबू पा लिए है. कितना अच्छा होता अगर हमारे भी प्रधानमंत्री बताते कि कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था को जो झटका लगा है, छोटे-बड़े सभी धंधे ठप हो गए हैं, उन्हें उबारने के लिए किस स्तर पर सरकार तैयारी कर रही है। सरकार अस्पतालों तक क्या सुविधाएं पहुंचा रही है.निसंदेह कोरोना से लड़ाई के लिए सोशल डिस्टेंसिंग ही सबसे पहला उपाय है, ताकि इस वायरस का फैलाव एक दूसरे से न हो, और लोग इसका पालन भी कर रहे हैं, करना भी चाहिए, और जो भी इसका उल्लंघन कर रहे हैं उन्हें सिर्फ आइसोलेशन या क्वारंटाइन में भेजने की जरूरत नहीं, बल्कि उनके खिलाफ तय कानून के तहत सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन इसके अतिरिक्त सरकार की ओर से और क्या किया जा रहा है, ये बताना भी हमारे प्रधानमन्त्री का दायित्व है.

‘सरिता’ बार-बार ये सवाल पूछ रही है.मगर जवाब नदारद है.  हाँ, ट्रोल आर्मी धड़ाधड़ कमेंट कर रही है. सत्ता का रक्षा कवच बन कर सवाल पूछने वाले पत्रकारों को निशाना बना रही है.सवालों को दबाने पर उतारू है. सच को छिपाने के जतन कर रही है. मगर हे मूरख, सच भी कभी छिपा है?

 

#coronavirus: कोरोना से न बढ़ने दे दिल की दूरी

भारत में जब से कोरोना संकट गहराया है.. अजीब सी स्थिति है.. सोशल डिस्टेंसिंग की बात की जा रही है.. मगर इस डिस्टेंसिंग ने लोगों के दिलों को दूर कर दिया है. सच है कि संक्रमण तेजी से फैलता है और एतिहातन हमें दूरी बनानी चाहिए.. मगर हम दूरी बनाए रखते हुए भी हालचाल पूछ सकते हैं कम से कम.. फोन करके.. उन्हें हिम्मत बंधा सकते हैं, सांत्वना दे सकते हैं. संक्रमण को देखते हुए काफी लोगों को घर या अस्पताल में क्वेरेनटाइन किया जा रहा है. लेकिन क्वेरेनटाइन का मतलब संक्रमित होना नहीं है और अगर संक्रमण होता भी है तब भी हमें रिश्तों को जीवंत रखना है.. फोन से उन्हें सबके साथ होने का एहसास दिलाए रखना है. कोरोना से तो एक बार हम जंग जीत जाएंगे मगर इस बीच इस वायरस के चलते जो दरार पड़ जाएगी उसे भरने में लंबा वक़्त लगेगा.. शायद कोई आपका अपना उपेक्षित होने पर माफ भी न कर पाए.

लोगों के मन में डर इस हद तक आ चुका है कि अगर ये पता चल जाए कि कोई बीमार है तो उससे किनारा करने लगते हैं.. इतना तक नहीं पूछा जा रहा है कि आखिर दिक्कत क्या है?

कोरोना संक्रमण के चलते प्राइवेट क्लिनिक और अस्पताल बंद है.. हमारे यहां पहले से काफी लोग किसी न किसी स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त हैं जैसे दमा, दिल के रोग, डायबिटीज, मानसिक तनाव और परेशानियाँ.. जो समय समय डॉक्टर से मिलकर दवा लेते थे.

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.अचानक से बंद हो जाने के कारण सभी लोग घरों में बंद हो गए हैं.. लेकिन उनकी समस्या तो रहेगी ही.. सम्भवतः समय से दवा न मिलने पर बढ़ भी सकती हैं.. ऐसे में आपसी सहयोग, वार्तालाप, हंसी मजाक इस स्थिति को थोड़ा हल्का कर सकती है.. जरूरी नहीं कि आप सामने बैठ कर बात करें.. दूरी बनाकर बात कर सकते हैं.. जो क्वेरेनटाइन है.. उनकी वीडियो काॅल की जा सकती है..शहरों में ऐसी परेशानियां ज्यादा देखने को मिल रही है कि कोई गलती से भी ये कह दे कि बीमार है तो उनके अपने, दोस्त दूरी बना लेते हैं.इस बीच हमें मानवता, प्रेम और जिम्मेदारी सिखाता एक उदाहरण सामने है..

 

KGMU लखनऊ के एक रेजिमेंट डॉक्टर की ड्यूटी कोरोना पेशेंट के वार्ड में बाकी डॉक्टर के साथ लगती है.. ड्यूटी करते हुए उन्हें अचानक हल्की सर्दी, खांसी के साथ कुछ परेशानी महसूस होती है.. वो अपने सीनियर से कहते हैं.. तुरंत उन्हें क्वेरेनटाइन किया जाता है.. अगले दिन उनकी रिपोर्ट positive आ जाती है.. सभी अवाक रह जाते हैं.. खासकर उनके दोस्त और वो परिवार वाले जो उनके साथ रहते हैं.. उनके संपर्क में आने वाले सभी लोगों की जांच होती है.. जिसमें से उनके परिवार के तीन लोगों की रिपोर्ट positive आ जाती है. सभी चिंतित तो होते हैं मगर हिम्मत नहीं हारते.. उचित सलाह, दवा और खानपान के चलते ये संक्रमित डॉक्टर ठीक हो जाते हैं.. इनका नाम है डॉ तौसीफ.. जो सेवा करते हुए बीमार हुए और बीमारी से जंग जीतकर आज स्वस्थ्य हो गए हैं.उन्होंने ठीक होने के बाद फिर से Corona positive वार्ड में ड्यूटी करने की इच्छा जाहिर की है.

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उन्होंने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि आपको डरने और घबराने की जरूरत नहीं है.. कोरोना उपचार के दौरान किसी भी तरह का दर्द नहीं होता है.. बस डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा और ध्यान रखने की जरूरत है.. यहाँ आपका positive होना बहुत जरूरी है और इसके लिए अपनों से संपर्क बनाए रखना.. उन्होने भी उपचार के दौरान अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से संपर्क बनाए रखा जिससे मानसिक रूप से स्वस्थ्य होने में मदद मिली..और अब भी बाकी परिवार वालों के साथ संपर्क में हैं और counselling करते रहते हैं जो उनके चलते positive हुए थे.

 

डॉ तौसीफ की inspirational स्टोरी जानने से हमको यही पता चलता है कि सही treatment के साथ सकारात्मक रहना बहुत जरूरी है और उसके किए परिवार, दोस्त के साथ संपर्क में रहना.. कोई भी आपका अपना जो क्वेरेनटाइन हो या किसी और समस्या से परेशान हैं तो उसे अकेला बिल्कुल न होने दे.. बात करते रहे.. कुछ भी creative करने को कहें जिससे खुशी मिलती हो.. बुक पढ़ना, ऑनलाइन कोई game खेलना, धार्मिक गीत, संगीत सुनना.. जिससे तनाव न हावी होने पाए.. खुश रहें और खुश रखे अपनों को.. शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए.. तो कोरोना से जंग जीतना बहुत आसान होगा.

 

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