उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों के टीचर्स बच्चों से दूर रहने के उपाय की ताक में रहते हैं. कोरोना वायरस के संक्रमण के समय जैसे ही नेताओ औऱ अफसरों ने उनको ऑन लाइन क्लासेस करने का शिगूफा छेड़ा टीचर्स को मन माँगी मुराद मिल गई.
सभी टीचर्स ऑन लाइन पढ़ाई के दावे करने लगे. सोशल मीडिया पर उनकी पोस्ट देख कर ऐसा लगने लगा जैसे स्कूलों में नही पढ़ाया जाता था उतना अब पढ़ाया जाएगा.
निजी स्कूलों में ऑन लाइन क्लासेज और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पढ़ाई के तर्ज पर उत्तर प्रदेश की सरकार ने अपने सरकारी स्कूलों में भी इसे लागू करने का आदेश जारी कर दिया.
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सरकार के कर्मचारी आदेश के पालन में लग गए। सफलता की रिपोर्ट भी बनने लगी। सरकार खुश है कि "लोक डाउन" में बिना स्कूल जाए बच्चे ऑन लाइन पढ़ाई पढ़ रहे है. अब उनकी पढ़ाई का नुकसान नहीं होगा.
ऑन लाइन पढ़ाई मतलब वाट्सएप पर पढ़ाई
उत्तर प्रदेश में ऑन लाइन पढ़ाई का मतलब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नही वट्सअप ग्रुप में पढ़ाई करना है. प्राइमरी स्कूलों में ऑन लाइन कलेसेस का जोर शोर से प्रचार होने लगा. इधर सरकार की मंशा पता चलते ही कई स्कूलों से यह खबर आने भी लगी कि प्राइमरी स्कूलों में ऑन लाइन क्लासेज चलने लगी हैं. कुछ बच्चो को ऑन लाइन एप भेजे जाने लगे. टीचर्स अपने वीडियो बना कर भेजने लगे।.सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया.
असल मे ऑन लाइन पढ़ाई के शिगूफे में टीचर्स को सबसे अधिक लाभ दिख रहा है.कोरोना वायरस के डर से उनको अपने घर मे रह कर पढ़ाना होगा. ऊँची जातियों के यह पढ़ाने वाले दलितों को छूना नही पड़ेगा.उनके खाने के लिए मिड डे मील का इंतजाम नहीं करना होगा.इसका एक बड़ा लाभ होगा कि वो कम्प्यूटर और लैपटॉप अपने घर ले आ सकेंगे.