आम आदमी जब किसी काम से घर से बाहर निकलता है तो सरकार द्वारा लगाई गई तमाम बंदिशों को ध्यान में रखता है. वहीं हर नुक्कड, हर चौराहे पर पुलिस खड़ी रहती है. साथ ही, न मानने पर सरकार के लॉकडाउन का खौफ दिखाती है. साथ ही, सोशल डिस्टेंस का पालन करने की हिदायत भी देती है.
पर, बांग्लादेश में तो बिलकुल ही उलटा हो गया. वहां लॉक डाउन लगा हुआ है, फिर भी तमाम लोगों का जुटना सरकार की उदासीनता दर्शाता है. वजह, एक धार्मिक नेता के जनाजे में सरकार की तूती बोलने के बजाय पीपनी भी नहीं बज रही.
सरकार की बेबसी भीड़ को काबू करने में नाकाम रही, वहीं सोशल मीडिया पर फोटो वायरल होते ही सवालों की बौछार होने लगी.
ये भी पढ़ें-#coronavirus: काम नही आ रहा कोई यज्ञ
यह भीड़ 18 अप्रैल की सुबह ब्राह्मणबारिया में एक धार्मिक नेता मौलाना जुबैर अहमद अंसारी के जनाजे में जुटी थी. इस जनाजे में 50,000 से ज्यादा लोग शामिल हुए थे.
बांग्लादेश खिलाफत मजलिस के नायब-ए-अमीर (उप) मौलाना जुबैर अहमद अंसारी (55 साल) का 17 अप्रैल, 2020 की रात बेरताला गांव में निधन हो गया था. इसी में शरीक होने के लिए काफी लोग जुट गए और सोशल डिस्टेंस की जम कर धज्जियां उड़ गईं. इतना ही नहीं, लॉक डाउन के नियमों को भी ताक पर रख दिया गया.
वहीं कोरोना वायरस नियंत्रण और बचाव समिति के एक सदस्य ने कहा, ‘जनाजे में ऐसे समय में भीड़ एकत्र हुई, जब सरकार ने कोरोना वायरस के प्रसार की रोकथाम के लिए सामाजिक दूरी बनाए रखने के तहत लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है।’
बता दें कि लॉकडाउन में सभी तरह की सभाओं पर बैन लगा होने के बावजूद भी बांग्लादेश के ब्राह्मणबारिया में जनाजे में जुटी भीड़ को ले कर बांग्लादेश की लेखिका तस्लीमा नसरीन ने सरकार को ही कठघरे में खड़ा कर दिया और बेवकूफ सरकार तक कह डाला.
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि लॉकडाउन में सामूहिक सभाओं पर बैन होने के बावजूद बांग्लादेश के ब्राह्मणबारिया में एक धार्मिक नेता मौलाना जुबैर अहमद अंसारी के जनाजे में 50,000 से ज्यादा लोग जमा हुए. बेवकूफ सरकार ने इन बेवकूफ लोगों को रोकने की कोशिश भी नहीं की.
ये भी पढ़ें-#lockdown: एक ही देश में अलग अलग कानून क्यों?
वहीं तस्वीरें सामने आने के बाद सारायल पुलिस के एक अधिकारी मोहम्मद हुसैन ने कहा कि कई सारे लोग यहां तक कि ढाका से भी कई लोग इस जनाजे में शामिल होने के लिए आए थे. हम ने कभी नहीं सोचा था कि इतने लोग इस जनाजे में आएंगे. इतनी भीड़ जमा हो गई कि हम कुछ कर नहीं सकते थे.’
इस मौलाना के जनाजे में आ कर लोगों ने न तो लॉकडाउन का पूरी तरह पालन किया और न ही सोशल डिस्टेंस का खयाल रखा. इन अनुयायियों ने क्यों नहीं माना सरकार का आदेश? सरकार ने भी क्यों नहीं रोका इतनी भीड़ को? अपने नेता से हम ने यही सीखा है क्या? नेता को अपना आदर्श मानने वाले इन अनुयायियों ने सरकार के नियम को न मान कर एक तरह से कानून का उल्लंघन किया है. क्या सरकार इन पर शिकंजा कस पाएगी, संदेह है.