विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि 2009 के स्वाइन फ्लू के मुकाबले कोरोना वायरस 10 गुना अधिक जानलेवा महामारी है. स्वाइन फ्लू महामारी से करीब 2 लाख लोगों की मौत हो गई थी.वहीं, कोरोना वायरस से चार महीने में ही डेढ़ लाख से अधिक लोगों की जानें जा चुकी हैं और यह आंकड़ा पूरी दुनिया में लगातार बढ़ता जा रहा है. कोरोना बहुत तेज़ी से फैलने वाली महामारी है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस एडहैनम घेब्रियेसुस का कहना है कि संगठन लगातार कोरोना वायरस के बारे में विश्लेषण कर रहा है और नई जानकारी हासिल कर रहा है. इस वक़्त सबसे ज़रूरी है इसकी वैक्सीन की खोज, जिसके लिए दुनिया भर में रिसर्च और प्रयोग जारी हैं.

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जानकारी के मुताबिक़ वैश्विक स्तर पर स्वाइन फ्लू से संक्रमित होने वाले लोगों में सिर्फ 1.1 फीसदी की जान गई थीं. वहीं, अमेरिका में स्वाइन फ्लू से 0.2 फीसदी और ब्रिटेन में 0.03 फीसदी मौतें हुई थीं.

हालांकि दुनिया में स्वाइन फ्लू से हुई मौतों का सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. लेकिन माना जाता है कि वर्ष 2009 में दो लाख से अधिक लोगों की जान स्वाइन फ्लू से गई थी. विश्व स्वास्थ संगठन ने लैब में कंफर्म केस के आधार पर कहा था कि स्वाइन फ्लू से 18,500 लोगों की जान गयी है.

प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल The Lancet ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि स्वाइन फ्लू से हुई मौतों का आंकड़ा 151,700 से 575,400 के बीच है. The Lancet ने अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में हुई मौतों का अनुमानित आंकड़ा भी जोड़ा था जिसे विश्व स्वास्थ संगठन की रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया था. स्वाइन फ्लू को जून 2009 में महामारी घोषित किया गया था.ऐसा समझा गया था कि अगस्त 2010 में स्वाई फ्लू समाप्त हो गया है.

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वहीं, कोरोना से बहुत कम समय में ही कुल डेढ़ लाख से अधिक लोगों की मौतें हुई हैं. इनमें सबसे अधिक अमेरिका के लोग शामिल हैं. वहीं, इटली, स्पेन, फ्रांस और ब्रिटेन में भी बड़ी संख्या में लोग मारे जा चुके हैं. टेड्रोस का कहना है कि हम जानते हैं कि कोरोना तेजी से फैलता है और हम यह भी जानते हैं कि यह 2009 के स्वाइन फ्लू महामारी से 10 गुना अधिक जानलेवा है. उन्होंने कहा कि कुछ देशों में हर 3 से 4 दिन में संक्रमित मामलों की संख्या दोगुनी हो रही है. कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले मरीजों में मौत की दर फिलहाल अलग-अलग देशों में अलग-अलग है. ब्रिटेन में संक्रमित होने वाले लोगों में 12 फीसदी की मौत हो चुकी है. ऑस्ट्रेलिया में ये आंकड़ा फिलहाल 0.1 फीसदी है और अमेरिका में 4 फीसदी. दुनियाभर में कोरोना संक्रमित लोगों की औसत मृत्यु दर फिलहाल 6.4 फीसदी है.

टेड्रोस कहते हैं कि अगर प्रत्येक देश संक्रमण के मामलों को पहले ही पहचान कर, जांच कर प्रत्येक मामले को आइसोलेट करें और प्रत्येक संक्रमित व्यक्ति से मिले लोगों को भी पहचाना जाए तो इस वाइरस को काबू किया जा सकता है.  टेड्रोस को डर है कि वैश्विक जुड़ाव से यह बीमारी फिर से सिर उठा लेगी. यानी दो देशों के बीच आवागमन खुलने से मानवजाति विनाश के रास्ते पर चल पड़ेगी और इस बीमारी को रोक पाना मुश्किल हो जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 का फैलाव बड़ी तेजी से होता है लेकिन उसका खात्मा बहुत ही धीमी गति से होता है.  इसका मतलब ऊपर की ओर जाने की गति नीचे की ओर जाने की गति से काफी ज्यादा है.’

टेड्रोस ने तमाम देशों से आग्रह किया है कि नियंत्रण उपायों को ‘धीमे और नियंत्रण के साथ’ उठाया जाना चाहिए. यह सब एक बार में नहीं करना होगा. नियंत्रण उपायों को केवल तभी अपनाया जा सकता है जब कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के लिए महत्वपूर्ण क्षमता सहित सही सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय किए जाएं.

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने जोर देकर कहा है कि देशों को उन उपायों के बीच संतुलन बनाना होगा जो कोविड-19 की मृत्यु दर की ओर ध्यान दिला रहे हैं और अत्यधिक स्वास्थ्य प्रणालियों की वजह से अन्य बीमारियों के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक प्रभावों को भी प्रभावित करते हैं. महामारी हर जगह फैल गई है, इसके सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक आर्थिक प्रभाव गहरे हो रहे हैं. जो असुरक्षित रूप से कमजोर लोगों को प्रभावित कर रहे हैं. बहुत बड़ी आबादी पहले से ही नियमित, आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच की कमी का अनुभव कर चुकी है. बावजूद इसके प्रतिबन्ध धीमी गति से उठाये जाने चाहिए. इसको यदि एकदम से उठा लिया गया तो हम मनुष्य के लिए सर्वनाश का द्वार खोल देंगे.

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