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#lockdown: कोरोना कहर के बीच बनते-बिगड़ते रिश्ते-

सीमा अखबार की हेडलाइन बड़े ध्यान से पढ़ रही थी.”लगता है अब अखबार भी बंद करना पड़ेगा…यह कोरोना तो किसी भी सतह पर चिपक कर घर के अंदर प्रवेश पा सकता है”

तभी लंबी लंबी सांस लेते अभय सामने सोफे पर आकर बैठ गये, ”क्या हुवा…तबीयत तो ठीक है….आपकी सांस इतनी क्यों फूल रही है” सीमा घबराई सी बोलीं

”लगता है…एन्जाइटी लेवल फिर बढ़ गया है…डाॅक्टर को फोन मिलाया था…उठा ही नहीं रहे”

”ओह! दवाइया ंतो हैं न पूरी” सीमा चिंतित सी बोली.

पिछले कुछ महीनों से अभय एन्जाइटी की समस्या से जूझ रहे थे और कोरोना के कहर ने उनकी इस समस्या को और भी बढ़ा दिया था, क्योंकि एक तरफ उन्हें बंगलुरू में रह रहे बेटे बहु व न्यूयाॅर्क में रह रहे बेटी दामाद की चिंता सता रही थी तो दूसरी तरफ अजमेर में रह रहे बुजुर्ग माता पिता की.

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59 वर्षीय अभय कुछ महीनों में रिटायर होने वाले थे. उनकी तबीयत को देखते हुये उनका बेटा श्रीष व बेटी प्राची उन्हें रिटायरमेंट लेकर अजमेर जाकर दादा दादी के साथ अपने घर पर रहने के लिये कह रहे थे. एन्जाइटी के कारण अभय खुद को कार ड्राइव करने में भी असमर्थ महसूस रहे थे. सीमा कोरोना के कारण सामने आई विकट परिस्थितियों से किसी तरह निपट रही थी. बच्चों, पति, सास ससुर की चिंता के साथ साथ काम वालियों के न आने के कारण, घर के काम काज मैनेज करना, सावधानी बरतना…सब उसीके ज़िम्मे पड़ गया था. जिससे वह कई बार खुद को बहुत असहाय महसूस कर रही थी.

”एन्जाइटी की दवाइयां मुश्किल से 4, 5 दिन की और बची हैं…ब्लडप्रेशर की तो आज की ही है…सोच रहा था, डाॅक्टर से एक बार बात हो जाती तो पैदल जाकर ले आता” अभय लगभग हाँपते हुये बोले.

अभय की हालत देखकर सीमा का ह्रदय रोने को हो आया. अभय ठीक होने पर आ गये थे. लेकिन कोरोना के भय व अपनों की चिंता ने उनकी समस्या को फिर से बढ़ा दिया. इस वक्त उनकी हालत बहुत नाजु़क सी हो रही थी.

”आप मत जाओ…मैं जाती हूँ…मैं तो स्कूटी से चली जाऊँगी…पैदल जाने में आपको बहुत टाइम लग जायेगा और थक भी जायेंगे…”

”नहीं, तुम कहाँ जाओगी….घर के काम करने में ही इतनी थक जाती हो….मैं चला जाऊँगा”

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अभय बेहद स्नेहिल मगर शिथिल शब्दों में बोले. उनका घायल स्वर सीमा के दिल में अंदर तक उतर गया. कामवाली के न आने पर कभी उसके झाड़ू हाथ में उठाने या बरतन धोने को लेकर अभय पूरा घर सिर पर उठा लेते थे. जिस दिन काम वाली न आये, खाना बाहर से आ जायेगा या फिर आसपास के घरों से किसी कामवाली को ढंूढ लाते थे. घर गंदा पड़ा है तो पड़ा रहे कोई बात नहीं…लेकिन झाड़ू नहीं लगाना है. सीमा को काम करने के लिये अभय के आॅफिस जाने का इंतजा़र करना पड़ता था. पर उम्र, बीमारी व परिस्थितियां इन्सान को कितना मजबूर कर देती है. लेकिन प्रेम व भावनायें बेबस नहीं होतीं, वे तो शब्दों में, हाव भाव में छलक ही जातीं हैं.

आज भी उनकी आँखों की भाषा से तो बहुत कुछ छलक रहा था लेकिन शब्द उतनी दृढता नहीं दिखा पा रहे थे. क्योंकि वे खुद को पैदल जाने में असमर्थ महसूस कर रहे थे.

”नहीं, आप फिक्र मत करो….ऐसे भी थकी नहीं हूँ मैं…आज खाने में खिचड़ी ही बना देती हूँ….नाश्ते में दलिया खालो…काम कम हो जायेगा….दवाइयां ज्यादा जरूरी हैं, खाने में तो कुछ भी खा लेंगे…” वह जैसे खुद को व पति को तसल्ली देती हुई सी बोली.

बरतन आकर धो लेगी उसने सोचा. प्रेशर कुकर में खिचड़ी भिगाई. नहा धोकर तैयार होकर बाहर निकली. कुछ दिनों से लोवर बैक बहुत दर्द कर रहा था. दिल कर रहा था थोड़ी देर लेट जाय पर अभय की दवाइयां लानी जरूरी थीं. केमस्ट की दुकान की बगल में डिपार्टमेंटल स्टोर है. वहाँ से किचन का कुछ आवश्यक सामान भी ले आयेगी.

बाहर निकलते हुये उसने अभय से कहा कि अजमेर फोन करके माँजी पिताजी का हालचाल पता कर लें…सावधानी बरतने की हिदायत देदें…अजमेर में उनके घर में सर्वेंट क्वार्टर में रमेश का परिवार रह रहा था. उन्हीं को माँजी पिताजी की देखभाल के लिये वे बार बार फोन कर रहे थे.

उसने स्कूटी स्टार्ट की ही थी कि बंगलुरू से बेटे श्रीष का फोन आ गया, ”कैसी हो मम्मी?”

”ठीक हूँ बेटा..” लोवर बैक में पेन के कारण वह टूटी सी आवाज़ में बोली.

”क्या हुवा…आपकी तबीयत तो ठीक है न…?” वह घबरा गया.

”हाँ, हाँ वैसे ठीक है…बस कमर दर्द हो रहा है….पापा की दवाइयां लेेने जा रही थी…” श्रीष चुप हो गया. मम्मी की करूण आवाज़ दिल में उतर गई थी. उसके मम्मी पापा को इस पल उसकी कितनी जरूरत है. लेकिन वह चाहते हुये भी उनकी कोई मदद नहीं कर सकता.

”मम्मी आस पास कोई नहीं है…जो आपकी दवाइयां ला दे”

”ऐसे समय कौन घर से बाहर जायेगा बेटा..”

”पैसे तो हैं न आप लोगों के पास…” उसे मालुम था मम्मी पापा अधिकतर पेमेंट कैश देकर करते हैं. आॅन लाइन सबकुछ सिखाकर भी वे करना नहीं चाहते.

”हाँ, निकाल लिये थे, पहले ही बैंक से…”

”मास्क लगाया है आपने..?”

”हाँ, लगाया है…तू कितनी फिक्र करता है…मुझे देर हो रही है…तू पापा से बात कर ले…तुम दोनों भाई बहन के लिये वे बहुत चितिंत हो रहे हैं…”

”हमारे लिये चिंतित रह कर अपनी तबीयत खराब क्यों कर रहे हो मम्मी…अपनी दोनों की फिक्र करो…बुर्जुगों को ज्यादा खतरा है…दादा दादी के लिये तो और भी ज्यादा…कल ही बात की मैने दादाजी से….बात तो ऐसे कर रहे थे, जैसे कुछ हुवा ही न हो…” वह हँसता हुवा बोला, ”उनके लिये कोरोना के बारे में कुछ कम जानना ही सही है, इससे उनके अंदर भय जोर नहीं पकड़ेगा…बस मैंने रमेश को अच्छी तरह समझा दिया है कि उन्हें घर से बाहर किसी सूरत में न जाने दे और न खुद जाय बिना कारण…”

”अच्छा आप जाओ मम्मी…अपना ध्यान रखना….थोड़ी दूरी रखकर बात करना किसी से भी…बाहर से आकर हाथ अच्छी तरह धो लेना और कपड़े भी बदल लेना…सिर भी ढक कर हेलमेट पहनना…” श्रीष उसे किसी बच्चे की तरह समझाता हुवा बोला.

स्नेह के अतिरेक में सीमा की पलकें भीग गईं. बच्चों को समझाते समझाते कब वे बड़े होकर तुम्हें समझाने लगते हैं….कब उनकी फिक्र करते करते वे तुम्हारी फिक्र करने लगते हैं…पता ही नहीं चलता…कब उम्र का पहिया कुछ साल और आगे सरक जाता है अहसास ही नहीं हो पाता.

58 साल की सीमा यूं तो अभी हर तरह से फिट थी पर उम्र बाहर से न सही अंदर से तो अपना असर दिखाती ही है. बच्चों की चिंता, अभय की तबीयत व सास ससुर की फिक्र में वह अपने लोवर बैक की तकलीफ को लगातार नज़र अंदाज़ कर रही थी. ऊपर से सारा काम करने में वह बुरी तरह से थक रही थी.

21 दिन का लाॅकडाउन पहाड़ की तरह लग रहा था. और फिर बात 21 दिन की ही हो यह भी तो पक्का नहीं है. पता नहीं कितनी लंबी व विकराल होती है यह समस्या. स्कूटी चलाते समय वह अपनी सोचों में गुम थी. सड़क पर न के बराबर लोग थे. उसने केमेस्ट से दवाइयां खरीदी. उसने खुद भी ग्लब्स व मास्क पहने हुये थे व केमेस्ट ने भी. बगल के डिपार्टमेंटल स्टोर से जरूरत का सामान खरीदा और वापस आ गई.

सामान दरवाजे के पास बाहर ही रख दिया और पीछे के बाथरूम के दरवाजे से अंदर घुसकर हाथ धोकर कपड़े बदल लिये. पहने हुये कपड़े डिटर्जेंट में भिगो दिये और अंदर चली गई. अपनी तरफ से पूरी सावधानियां बरती. बुजुर्गों व बच्चों के लिये ज्यादा खतरनाक है. क्योंकि उनके शरीर में रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. यह वाक्य उसके मस्तिष्क में हर समय गूंजता रहता था. लेकिन फिर भी पता नहीं कौन से माध्यम से कोरोना घर में प्रवेश पा जाय.

अंदर गई तो अभय सोफे पर अधलेटे हो रखे थे, ”क्या हुवा…तबीयत तो ठीक है?”

”हाँ, श्रीष व प्राची से बात की तो कुछ सहारा महसूस हुवा उनकी आवाज़ सुनकर..” बोलते बोलते उनकी आवाज़ भावुक सी हो गई थी. सीमा का ह्रदय भर गया. अभय की एक आवाज़ से पूरा घर अर्लट हो जाता था. हर किसी की समस्या का समाधान अभय के पास ही होता था. आज वे खुद को कितना असहाय व बेचैन महसूस कर रहे थे कि बच्चों की आवाज़ भी उन्हें सहारा दे रही थी….साथ ही संतोष भी कि वे ठीक हंै.

”अजमेर बात हुई आपकी..?” वह बात बदलती हुई बोली.

”नहीं…पर श्रीष की बात हो गई…कह रहा था कि उनकी फिक्र मत करो….रमेश को अच्छी तरह समझा दिया है…कि गेट पर ताला डाल दे…मार्निंग वाॅक का जुनून है पिताजी को…कहीं सुबह बाहर न चले जांय…हर बात को बहुत लाइटली लेते हैं”

”हाँ, यह तो ठीक किया…श्रीष और प्राची ही हैं उनके गुरू…”

”पता नहीं जयपुर में शीना के पेरेंट्स कैसे होंगे…उनसे भी बात नहीं हो पा रही है…प्राची की ससुराल में तो कल बात कर ली थी…टाइम ही नहीं मिल पाता है मुझे…आपकी तबीयत ठीक नहीं…और मैं काम में उलझ जाती हूँ”

तभी सीमा का मोबाइल बज गया. बहु शीना का फोन था, ”कैसी हैं मम्मी..?”

”ठीक हैं बेटा…तेरे मम्मी पापा कैसे हैं?”

”बहुत परेशान हैं…मम्मी का ज्वाइंट्स पेन बहुत बढ़ गया है…सीजन चेंज में उनको बहुत परेशानी होती है….तनाव के कारण पापा का शुगर लेवल बहुत अप डाउन हो रहा है….समझ नहीं आ रहा क्या करूं…” बोलते बोलते शीना फोन पर रो पड़ी. शीना अपने मम्मी पापा की इकलौती बेटी थी.

”मत रो बेटा…सब ठीक हो जायेगा” सबकी परेशानियां सुनते सुनते सीमा घबराहट महसूस करने लगी थी फिर भी बातों से वह फोन पर शीना को भरोषा देकर चुप कराने लगी.

”तुम अपने मम्मी पापा से रोज बात कर लिया करो बेटा…मानसिक सहारा दिया करो उन्हें”

”मम्मी, उनसे घर के काम भी नहीं हो पा रहे हैं…इतने दिनों से एक टाइम या तो दलिया बनाते हैं या खिचड़ी….और तीनों टाइम खाते हैं…सफाई की तो कौन कहे….उनको न्यूनतम काम जो जिंदा रहने के लिये जरूरी है….वे ही करने मुश्किल हो रहे हैं….पता नहीं कब कोरोना का कहर खत्म होगा” रोते रोते शीना की हिचकियां बंध गईं. तभी फोन पर श्रीष की आवाज़ सुनाई दी. वह शीना को चुप करवा रहा था.

”मम्मी, आप अपना और पापा का खयाल रखना” वह

#lockdown: कोरोना से खतरे के बीच फल और सब्जियों को ऐसे बनाएं सुरक्षित

कई हाथों से होकर गुजरती हुई रसोई तक पहुंची सब्जियां और फलों के कोरोना वायरस   संक्रमति होने से इनकार नहीं किया जा सकता. कल तक इनके कीटनाशकों के विषाणु, विषाक्त धूल-कण, गंदे पानी का बैक्टिीरिया और रसायनों से प्रभावित होने की आशंका थी, लेकिन अब इनके जरिए कोविड-19 के फैलाने का खतरा भी बन गया है. कई शोध से स्पष्ट हो चुका है कि कोरोना वायरस फल और सब्जियों के माध्यम से हमें संक्रमित कर सकता है. इससे बचाव के कई अनाप-शनाप सुझावों के वीडियो वायरल हो चुके हैं.अधिकतर में सब्जियों और फलों को डिश वाश  से धोने की सलाह दी गई है. जबकि इस तरीके को स्वास्थ्य और कृषि एवं खाद्य वैज्ञानिक गलत बताते हैं. उनका कहना है कि फलों और सब्जियों को डिश सोप या हैंड वाश से धोना बहुत ही बुरा विचार हो सकता है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा उन्हें खरीदने से पहले अपने हाथ धोकर या सैनिटाइजर इस्तेमाल के बाद छूने के निर्देश दिए गए हैं.

अमेरिका में नार्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और फूड सेफ्टी विशेषज्ञ बेंजामिन चैपमैन ने विज्ञान की पत्रिका लाइव सांइस को बताया कि सब्जियों और फलों को साबुन से धोने से विषाक्तता का खतरा बढ़ सकता है. खासकर सलाद के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली सब्जियों, जैसे टमाटर, प्याज, मूली, नींबू गाजर आदि और फलों के खाने से मतली आ सकती है या फिर पेट खराब हो सकता है. साबुन के रसयान हमारे पेट के लिए हानिकारक होते हैं. इसे विषाणु रहित बनाने के लिए ठंडे पानी, क्लोरीन के घोल या नींबू या सिरका मिश्रित पानी से अच्छी तरह धोना ही बेहतर तरीका हो सकता है. यह सब सब्जियों के प्रकार पर भी निर्भर करता है किसे किस तरह से साफ और स्वच्छ बनाया जाए.

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मिशिगन में ग्रैंड रेपिड्स के एक निजी प्रैक्टिस करने वाले डाॅक्टर ने इस बारे में यूट्यूब पर वीडियो पोस्ट किया है. वीडियो में लोगों को किराने की दुकानों पर कम से कम समय बिताने और  कोविड-19 रोकथाम एवं रोग नियंत्रण केंद्र के अनुसार कीटाणुनाशक के तरीके इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है.न्यू इंग्लैंड जर्नल आफ मेडिसिन के अध्ययन के अनुसार कोरोना वायरस  6-7 घंटे तक लकड़ी की सतह या कार्डबोर्ड,  24 घंटे तक प्लास्टिक और स्टेनलेस स्टील पर 72 घंटे तक बना रहता है.इस हालत में सवाल खड़ा हो गया है कि फलों और सब्जियों को हानिकारक वैक्टिीरिया, वायरस या विषाक्त पदार्थों से कैसे बचाया जाए? ताज फलों और सब्जियों की सफाई और स्वच्छता  सिलसिले में बारीकी से ध्यान केंद्रीत करने की जरूरत है.सलाद, डेसर्टस और गार्निश में कच्चे परोसे जाने वाली सब्जियों और फलों से जोखिम बढ़ सकता है. उसे संभालने और किटाणुरहित बनाने के टिप्स इस प्रकार हो सकते हैं.

o   इस्तेमाल में ताजा और गुणवत्ता की सब्जियां व फल की जानी.बाजार से लाई गई सब्जियां कटे-फटे नहीं होने चाहिए.

सामान्यतः उनसे बैक्टिरिया को खत्म करने के लिए क्लोरीन के घोल से साफ करने की सलाह दी गई है, लेकिन इसका इस्तेमाल दिशा-निर्देश के अनुसार किया जाना चाहिए.

o   क्लोरीन आधारित रसायन सोडियम हाइपोक्लोराइट को समान्य तौर पर ब्लीच के रूप मंे जाना जाता है. यह खाद्य पदार्थों के लिए एक स्वीकृत रसायन है और इसे वाशिंग एजेंट के तौर पर काम लया जाता है. इनके सैनिटाइजर वाश बनाने के समय सही माप का होना जरूरी होता है.

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o   क्लोरीन तेजी से गंदगी, कार्बनिक पदार्थ, हवा और प्राकश या धातुओं के संपर्क में आने पर अपनी प्रभावशीलता खो देता है. इसलिए यह सब्जियों की मात्रा के अनुसार क्लोरीन सैनिटाइजर के स्तर की जांच किया जाना जरूरी है.इसके इस्तेमाल से पहले सब्जियों को पानी से धो लेना चाहिए.

o   अमेरिका के यूटा विश्वविद्यालय की विशेषज्ञ टेरेसा हंसकर का कहना है कि सब्जियों को पानी से धोना भर ही पर्याप्त है.इन्हें सिरका या नींबू वाले पानी से धोना ज्यादा अच्छा होता है.

सब्जियों या फलों को 30 मिनट के लिए एक बड़े बर्तन में पानी के साथ किसी एक घोल में भिगो कर रखना चाहिए.उसके बाद अच्छी तरह से साफ पानी से धो लेना चाहिए.

o   चमकीला दिखने वाले वैक्स किए हुए फल और विभिन्न रसायनों व कीटनाशकों से प्रभावित सब्जियों के लिए एक कप पानी, आधा कप सिरका, एक बड़ा चम्मच बेकिंग सोड़ा से बने घोल का छींटा मारकर एक घंटे के लिए छोड़ दें.उसके बाद सामान्य नल के पानी से धो लें.

o   इनमें से किसी एक घोल को तैयार करें, उसका फल और सब्जियों पर छिड़काव करें और 5 से 10 मिनट छोड़ने के बाद साफ पानी से धोएं.

o   शुरूआती तरीके में सब्जियों-फलों को नल के साफ चलते पानी से धोना चाहिए. बाद में उसे क्लोरीन के घोल या सिरके मिश्रित पानी से बर्तन में रखकर धोने के बाद साफ कपड़े से सुखाना चाहिए.

o   जमीन के नीचे उगने वाली आलू, मूली, गाजर, शलजम आदि सब्जियों को 10 सेकेंड तक धोने के बाद साफ कपड़े से पोछना चाहिए. इसके लिए हल्के गुनगुने पानी से धोना ठीक होता है.

o   पत्तेदार सब्जियों में बंदगोभी की ऊपरी परत उतारने के बाद धोना सही होता है, जबकि छिलका उतार कर पकाई जाने वाली लौकी, तोरई को सामान्य पानी से धोया जा सकता है.

o   छिलका सहित खाने वाले फलों और सब्जियों को कम से कम आधा घंटे तक पानी में भिगोकर रखना चाहिए.ऐसी सब्जियों को  नींबू, सिरके या गर्म पानी से धोना सही होता है.

o   फल और सब्जियों को 5 से 10 मिनट तक सिरका मिले पानी में भिगोना चाहिए और उसके बाद अच्छी तरह से सादे पानी से धो लेना चाहिए.

o   फूलगोभी, पालक, ब्रोकली, बंदगोभी या पत्तियों वाले शाक को दो प्रतिशत साधारण नमक वाले गर्म पानी से धोएं, जबकि गाजर और बैंगन जैसी सब्जियों को इमली वाले पानी के घोल से धोया जा सकता है.

  • धोनेके लिए पानी का तापमान भी मायने रखता है, जो सब्जियों या फलों को तापमान पर निर्भर करता है. सामान्यतः करीब 5 से 10 डिग्री होनी चाहिए.यदि धोने का पानी सब्जियों की तुलना में ठंडा है तो सब्जियों पर पाए जाने वाले बैक्टिीरिया को शोषित कर लेता है.ज्यादा गर्म पानी सब्जियों द्वारा सोख ली जा सकती है.

सौगात: भाग 2

‘‘हैदराबाद आ कर मैं ने राजनीतिशास्त्र में उस्मानिया विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर यानी एमए की डिगरी हासिल की,’’ स्मिता सहज हो कर बोलने लगी, ‘‘इस के बाद डेढ़ साल स्कूल में शिक्षिका रही. बस. फिर शादी हो गई. एक बेटा हो गया. बेटा अब बड़ा हो गया है. उसे पढ़ाने की जिम्मेदारी अब मेरी नहीं है, कोचिंग वालों की है. इसलिए अब खाली समय में थोड़ा लिखने का प्रयास करती हूं. कहानी खत्म.’’ यह कह कर स्मिता खिलखिला कर हंस पड़ी. फिर प्रणव से पूछा, ‘‘तुम यहां कैसे आए, यह तुम ने अब तक नहीं बताया?’’

प्रणव बोला, ‘‘क्या करोगी जान कर? हर कहानी रोचक नहीं होती है न.’’

‘‘इसीलिए तो जानना चाहती हूं. यह कहानी रोचक कैसे नहीं बन पाई? प्लीज, अपनी मित्रता की खातिर ही सही, कालेज के बाद की जिंदगी के बारे में बताओ. हो सकता है, शायद मैं तुम्हारे कुछ काम आ सकूं.’’

‘‘मेरे काम? तुम्हारे पतिदेव को बताऊं, स्मिता ऐसा कह रही है?’’ कह कर प्रणव हंसने लगा. स्मिता झेंप गई, फिर बोली, ‘‘मेरे कहने का मतलब तुम्हारी मदद करना था. तुम्हारी बात पकड़ने की आदत अभी गई नहीं है.’’ प्रणव मुसकरा रहा था. थोड़ी देर बाद उस ने शांतभाव से कहना शुरू किया, ‘‘तुम्हारे जाने के बाद मैं ने भी राजनीतिशास्त्र में स्नातकोत्तर का कोर्स जौइन किया. प्रथम वर्ष में ही मैं ने आईएएस की प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली और मुख्य परीक्षा की तैयारियों में लग गया. जिस दिन मुख्य परीक्षा पास की तो मैं और निश्ंिचत हो गया. सोचा, बस, अब अंतिम सीढ़ी साक्षात्कार रह गई है. साक्षात्कार को अभी कुछ दिन बाकी थे कि मेरे पिताजी अकस्मात हार्टअटैक के कारण चल बसे. मैं ने जोधपुर अपने घर जा कर मां और दीदी को संभाला. जिस दिन साक्षात्कार था, उसी दिन पिताजी का श्राद्ध था. मैं रस्मों और रिश्तेदारों में उलझा हुआ था.’’ यह कहतेकहते प्रणव शांत हो गया. थोड़ी देर बाद यंत्रवत फिर कहने लगा, ‘‘रिश्तेदारों के जाने के बाद मैं ने प्राइवेट ही स्नातकोत्तर डिगरी हासिल करने के लिए फौर्म भर दिया. साथ ही, घर चलाने के लिए छोटेमोटे काम ढूंढ़ने लगा. कभी दुकान का सेल्समैन तो कभी स्कूल का क्लर्क.’’

स्मिता व्यथित हो कर बोली, ‘‘आईएएस की तैयारी बीच में ही छोड़ दी, दोबारा प्रयास कर सकते थे?’’ प्रणव के स्वर में झुंझलाहट सुनाई पड़ी जब वह बोला, ‘‘अरे मैडम, कविताएं और कहानियां वास्तविक नहीं होती हैं,’’ यह कह कर वह चुप हो गया. स्मिता ने कहना चाहा कि कविता और कहानी सभी यथार्थ से ही प्रेरित होती हैं. तभी तो साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है. इस समय स्मिता ने चुप रहना ही बेहतर समझा. थोड़ी देर बाद प्रणव स्वयं ही संयत हो बोला, ‘‘मेरे बाबूजी अपनी ईमानदारी की कमाई से केवल घर का खर्च चलाते और हमें पढ़ाते थे. उन के जाने के बाद सिर्फ पुश्तैनी मकान रह गया था. दीदी बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती और मैं अपनी कमाई से घर और बाहर का काम संभालने लगा. जिंदगी मंथर गति से चल रही थी कि पता चला, मां ब्लड कैंसर से ग्रस्त हैं. शायद हम दोनों भाईबहन के भविष्य की चिंता में ही मां ऐसा रोग लगा बैठी थीं. उन्होंने बीमारी को हम से छिपा कर भी रखा था, पड़ोस की आंटी को पता था. 4 महीने में मां भी हमें छोड़ गईं.’’ प्रणव थोड़ा रुका. स्मिता को उस की आंखों में आंसू दिखे. उस ने भी महसूस किया कि मांबाप का साया सिर से उठ जाए तो कैसी बेचारगी होती है. यों ही बच्चे अनाथ नहीं कहलाते. प्रणव फिर संवेदनशून्य हो कर कहने लगा, ‘‘अब मेरी दीदी के ब्याह की जिम्मेदारी मेरी थी. पता चला दूल्हे तो शादी के बाजार में भारी दहेज में बिकते थे. कहीं कोई बात बन नहीं रही थी. ऐसे में एक परिवार में बात चली तो लड़के वाले हमारे पुश्तैनी मकान के बदले दीदी को बहू बनाने को तैयार हो गए. मैं अपने ही घर में अपने जीजा और दीदी के सासससुर का नौकर बन कर रह गया. दीदी कुछ कह नहीं पाती थीं क्योंकि वे अपने पति को छोड़ कर भाई पर दोबारा बोझ बनना नहीं चाहती थीं.

‘‘जब जीवन असहनीय हो गया तो मैं यहां भाग आया. यहां भी छोटेमोटे काम किए, फिर दीप होटल में काम मिला. अब शादीशुदा हूं 2 बच्चे हैं. कह सकती हो कि जिंदगी कट रही है.’’ स्मिता सोचने लगी, जीवन खुल कर जीना और सिर्फ काटने में अंतर होता है. पैदा होते ही हम मौत की तरफ बढ़ते हुए जिंदगी काटते ही तो हैं. प्रणव की आवाज आई तो स्मिता ध्यान से सुनने लगी. प्रणव कह रहा था, ‘‘मेरा अनुभव यह कहता है कि जिंदगी अचानक ही घटी घटनाओं का क्रम है. जैसे आज इतने सालों बाद तुम मिली हो, वह भी कवयित्री बन कर. पता है, कभीकभी ऐसा लगता है यदि जिंदगी को फ्लैशबैक में जा कर दोबारा जीने का अवसर मिलता तो शायद मैं अलग ढंग से जीता.’’ प्रणव ज्यादा बोलने की वजह से हांफ रहा था. स्मिता ने सोचा कि कहीं प्रणव हाई ब्लडप्रैशर का रोगी तो नहीं. इस से पहले कि स्मिता कुछ अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करती, होटल का एक कर्मचारी आया और प्रणव से बोला, ‘‘सर, बाहर मेहमान लोग आना शुरू हो गए हैं, उन्हें लौबी में बिठाऊं या कन्वैंशन हौल में?’’

प्रणव ने घड़ी देख कर कहा, ‘‘अरे, समय का पता ही नहीं लगा. तुम उन्हें लौबी में ही बिठाओ. पानी सर्व करवाओ, मैं अभी आता हूं.’’ इतना कह कर प्रणव स्मिता से बोला, ‘‘तुम्हें भी मैं अन्य कवियों के साथ छोड़ देता हूं. मुझे सभागार की व्यवस्था दोबारा चैक करनी है. तुम्हारी कविताएं अवश्य सुनूंगा, पक्का वादा. सम्मेलन के बाद मिलते हैं.’’ प्रणव ने स्मिता को लौबी में छोड़ा और तेजी से सभागार की ओर बढ़ गया. स्मिता अन्य कवियों से नमस्ते, आदाब वगैरह कहने लगी. उन में अशोक चक्रधर की स्मिता बहुत बड़ी प्रशंसक थी. उन से बातचीत कर वह बहुत प्रसन्न हुई. इतने में सभी कविगणों को सभागार में बैठाया गया. इस के बाद विपिन चंद्र, होटल के मालिक, विश्वनाथ के साथ पधारे तो सभी ने उठ कर उन दोनों का अभिवादन किया. विश्वनाथ ने मंच पर जा कर अतिथि कवियों का स्वागत किया और कवि सम्मेलन शुरू करने की घोषणा अपनी एक छोटी सी कविता से की. कवियों में सर्वप्रथम जानेमाने कवि गौरव को बुलाया गया. गौरव मूलत: हास्य कवि हैं जो अपनी छोटीछोटी कविताओं में व्यंग्य के रूप में बड़ीबड़ी बात समझा जाते हैं. उन्होंने आते ही अपनी आत्महत्या की योजना के बारे में व्यंग्यात्मक ढंग की कविता सुनाई. वातावरण पूरा हास्यमय हो गया. इस के बाद दिल्ली के उभरते कवि विनय विनम्र ने नेताओं की देशभक्ति पर एक गीत प्रस्तुत किया तो श्रोताओं ने तालियों से उन का जोरदार समर्थन किया. ऐसे ही कार्यक्रम बढ़ता रहा पर स्मिता का मन कहीं और भटक रहा था. उसे यह खयाल बारबार परेशान कर रहा था कि प्रणव जैसा मेधावी छात्र अपनेआप को समाज में प्रतिष्ठित न कर पाया. मां से बचपन में सुनी कहावत ‘पढ़ोगे, लिखोगे तो बनोगे नवाब…’ उसे झूठी लग रही थी.

इसी बीच जलपान करने के लिए सभी कवियों और श्रोताओं को पास ही के हौल में बुलाया गया. स्मिता ने देखा कि विश्वनाथ और विपिन चंद्र बैठे बातचीत कर रहे थे. स्मिता ने मन ही मन साहस बटोरा और उन दोनों के पास पहुंच गई. उस ने अभिवादन कर विपिनजी से कहा, ‘‘सर, मैं आप से थोड़ी देर बात करना चाहती हूं.’’ विपिनजी स्मिता को जानते थे, बोले, ‘‘हां जी, कहिए, आप को चैक तो मिल गया है न?’’ स्मिता ने मुसकरा कर कहा, ‘‘जी, वह तो मिल गया है. पर आज मैं आप से इस होटल के मैनेजर प्रणव के बारे में बात करना चाहती हूं.’’ इतना कह कर स्मिता ने कालेज के सब से प्रतिभावान छात्र प्रणव की कहानी संक्षेप में कह डाली. उस ने फिर कहा, ‘‘आप जैसे कलापारखी शायद प्रणव की प्रतिभा का उचित मूल्य दे सकेंगे. क्या आप उसे अपने व्यवसाय में किसी प्रकार का कार्य दिला सकते हैं?’’ विपिनजी बोले, ‘‘अरे स्मिताजी, आप के सहपाठी को हम भी अच्छी तरह जानते हैं. दरअसल, अभी विश्वनाथ भी हमें यही बता रहे थे कि आर्थिक तंगियों की वजह से यह होटल बंद होने की कगार पर था कि तभी प्रणव ने जौइन किया. कर्मचारी कम होने की वजह से प्रणव ने हर तरह का काम किया. आज फिर से यह होटल चल पड़ा है. मेरी एक फैक्टरी, जिस में साबुन, शैंपू वगैरह बनते हैं, ऐसे ही हालात से गुजर रही है. ठीक है, देखते हैं, प्रणव वहां भी अपनी जादू की छड़ी घुमा सकता है या नहीं.’’

स्मिता खुश हो कर बोली, ‘‘धन्यवाद, सर, मुझे उम्मीद थी कि आप मेरी विनती का मान जरूर रखेंगे.’’ विपिनजी बोले, ‘‘अरेअरे, इस में धन्यवाद कैसा? भई, हमें भी तो कर्मठ और ईमानदार स्टाफ की जरूरत पड़ती है या नहीं?’’ स्मिता थोड़ा सोच कर बोली, ‘‘एक और बात है सर, प्रणव को यह मालूम नहीं होना चाहिए कि मैं ने आप से उस की सिफारिश की है. इस से उस के आत्मसम्मान को ठेस लग सकती है. मुझे विश्वास है प्रणव स्वयं ही अपनी काबिलीयत साबित कर पाएगा. आप को निराशा नहीं होगी. अच्छा सर, अब मैं चलती हूं. सब लोग जलपान हौल से वापस आ रहे हैं.’’ इतना कह कर स्मिता तेजी से सभागार की अपनी सीट पर जा बैठी. कवि सम्मेलन जलपान के अल्पविराम के बाद फिर से शुरू हुआ. कई जानेमाने गीतकार भी आए. हमारे फिल्म संगीत की एक विचित्र परंपरा यह है कि गीतकार का गीत चाहे जनजन की जबां पर आ जाए पर उस के पीछे गीतकार को कोई जानता ही नहीं है. कोई जानना चाहता भी नहीं है. गीत के गायक या बहुत हुआ तो संगीतकार, जिस ने धुन बनाई है, पर आ कर बात थम जाती है. फिल्म ‘शोर’ का गाना इक प्यार का नगमा है, मौजों की रवानी है…इसे गुनगुनाते समय कितने लोग भला उस गीत के गीतकार संतोष आनंद को याद करते होंगे. ऐसे में गीतकारों को अपने गीत कह कर, गा कर सुनाते देख अच्छा लगा. इतने में स्मिता का नाम पुकारा गया तो वह भी साड़ी संभालती हुई, हाथ में कविता की डायरी लिए पहुंच गई. सभी को नमस्कार कर उस ने प्रसिद्ध गीतकार गोपालदास नीरज की कुछ लाइनें पढ़ीं. इस के बाद स्मिता ने उड़ान नामक अपनी कविता, जिस में एक पंछी के माध्यम से जीवन की वास्तविकता और उस से समझौता कर कैसे अपनी उड़ान जारी रखी जा सकती है, का सस्वर पाठ किया. इस के बाद उस ने अपनी मधुमेह रोग पर लिखी हास्य कविता का पाठ किया. उस ने मंच से देखा, प्रणव श्रोताओं में पीछे खड़ा था और उस की कविता सुन कर ‘वाहवाह’ कहता हुआ तालियां बजा रहा था.

#coronavirus: बिहारी भइया के आगे कोरोना फुस्स 

कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते यूरोप और अमेरिका में काफी संख्या में लोगों की जान जा रही है, वहीं भारत में बिहारी मानुस के आगे कोरोना की ताकत फुस्स नज़र आ रही है. बिहार में इस वायरस से संक्रमित लोगों में इसका कम असर दिख रहा है.एक तरफ जहां विदेशों में कई मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही है, अमेरिका, स्पेन, इटली और योरोप के कई देशों की हालत खराब है, वहां मरने वालों की तादात बढ़ती जा रही है, वहीँ भारत के बिहार राज्य में कोरोना मरीज़ों ने कोरोना को मुहतोड़ जवाब देना शुरू कर दिया है. एक खबर के अनुसार बिहार का सीवान जिला कोरोना की चपेट में है.यहाँ कोरोना के मरीज़ बढ़ते जा रहे हैं मगर ख़ुशी की बात ये है कि अधिकतर मरीज़ जल्दी ही ठीक होकर अपने घरों को लौट भी रहे हैं. जहां पूरी दुनिया में कोरोना से अपनी जाती साँसे बचाने के लिए वेंटिलेटर को ले कर मारामारी मची है, वहीं बिहार में अब तक किसी भी कोरोना मरीज को वेंटिलेटर या आईसीयू में रखने की जरूरत नहीं हुई है.बिहार के लोगों पर कोरोना आक्रमण तो कर रहा है मगर जल्दी ही पराजित हो कर भाग खड़ा हो रहा है। दरअसल मलेरिया, चिकनगुनिया, डेंगू, दिमागी बुखार जैसी बीमारियों का सामना करते-करते बिहार के लोगों का इम्यूनिटी सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता इतनी मजबूत हो गई है कि उन पर कोरोना का वार खाली ही जा रहा है.

गौरतलब है कि पिछले दो दिनों में बिहार में कोरोना संक्रमण के मामले अचानक बढे हैं. ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक बिहार में संक्रमण के 60 केस हो चुके हैं. लेकिन इनमें से 15 लोग पूरी तरह ठीक होकर अपने-अपने घर जा चुके हैं, जबकि अभी तक मात्र एक शख्स की ही जान गई है. बिहार में फैले कोरोना संक्रमण के मामलों में एक बात और गौर करने वाली है. यहां अब तक जितने भी कोरोना संक्रमित मरीज आए हैं उन सबको केवल अलग वॉर्ड में क्वारंटीन करके और मलेरिया की दवाई खिलाकर ठीक किया जा रहा है.बिहार की राजधानी पटना के नालन्दा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा है.यहां अबतक केवल दो कोरोना पॉजिटिव मरीज को इमरजेंसी वॉर्ड में शिफ्ट करने की नौबत आई है.

 

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हालांकि इस चीज़ पर कभी रिसर्च नहीं हुई कि बिहारियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता देश के अन्य राज्यों के निवासियों से अधिक है अथवा नहीं, लेकिन ये बात सौ फीसदी सही है कि बिहार में लोग साल के कई महीने कई तरह के वायरस का सामना करते हैं. डॉक्टर मान रहे हैं कि इस वजह से हो सकता है कि बिहारी मानस के शरीर में बेस्ट लाइन इम्यूनिटी सिस्टम डेवलप कर गया हो, जो कोरोना को मात दे रहा है.फोर्टिस अस्पताल की डॉक्टर नीना बहल कहती हैं कि इस बात की पूरी संभावना है कि कई वायरस को झेलने वाले बिहार के लोगों के शरीर में वायरस के क्रॉस कनेक्शन की वजह से हार्ड इम्युनिटी डेवलप हो गया है. इसलिए वे इस महामारी के असर से जल्दी बाहर निकल पा रहे हैं.

डॉक्टर नीना बहल कहती हैं कि बिहार के ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े लोग बचपन से ही कई तरह के वायरस का सामना करते हैं. इसलिए ऐसी संभावना है कि उनकी  रोग प्रतिरोधक क्षमता अमेरिका और यूरोपिय लोगों से अधिक है और इसीलिए उनको वेंटीलेटर की आवश्यकता भी नहीं पड़ रही है.हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि यह शोध का विषय है इसलिए अभी किसी निष्कर्ष को बताना आसान नहीं है.

उल्लेखनीय है कि तराई एरिया होने के कारण बिहार में मलेरिया का काफी प्रभाव है.यहां हर साल भारी तादात में लोगों में मलेरिया की शिकायत होती है.ऐसे में जानकार यह भी मानते हैं कि मलेरिया का सामना करते-करते बिहार के लोगों की वायरस प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि हो गई है. यहां यह भी गौर करने वाली बात है कि कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के इलाज में मलेरिया की दवाई कारगर साबित हो रही है. अमेरिका ने भी भारत से मलेरिया की दवाई डिमांड की है.

 

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बिहार से जो खबर आ रही है उसने ये बात तय कर दी है कि अगर  कोरोना से बचना है तो अपने इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करना होगा. इस वक़्त कोरोना वायरस ने दुनियाभर में आतंक मचा रखा है. लेकिन यह भी सच है कि कोरोना आखिरी वायरस नहीं है, आगे भी कई जानलेवा वायरस आएंगे. जरूरी है कि आप अपनी इम्यूनिटी बढ़ाएं और खुद को अंदर से मजबूत बनाएं ताकि आप आसानी से बीमार न पड़ें.

 

सौगात: भाग 1

स्मिता तेज कदमों से चलती हुई स्टेशन की एक खाली बैंच पर बैठ गई. कानपुर वाली ट्रेन आने में अभी 2 घंटे बाकी थे. एक बार उस ने सोचा कि वेटिंगरूम में जा कर थोड़ा सुस्ता ले, पर फिर विचार बदल दिया. आज उस के दिल में जो खुशी का ज्वार फूट रहा था, उस के आगे कोई भी परेशानी माने नहीं रखती थी. स्मिता आज दिनभर की घटनाओं के क्रम और रफ्तार को सोच कर हैरान थी. आज सुबह ही ब्रह्मपुत्र मेल से 8 बज कर 25 मिनट पर कानपुर से इलाहाबाद पहुंची थी. होटल दीप में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इलाहाबाद के प्रसिद्ध व्यवसायी विपिन चंद्र की तरफ से स्मिता को निमंत्रणपत्र भेजा गया था. विपिन चंद्र पेशे से फैक्टरियों के मालिक होते हुए भी दिल से कवि और कलापारखी थे. वे साल में इस प्रकार के कवि सम्मेलन 1-2 बार आयोजित करते थे. ऐसे सम्मेलनों में वे जानेमाने कवियों के साथ उभरते नए कवियों को भी बुलाते थे, ताकि उन की कला को मंच मिल सके और आर्थिक रूप से भी उन की मदद हो सके. हमारे देश में आर्थिक तंगी से तंग हो कर कितनी ही प्रतिभाएं हर रोज दम तोड़ देती हैं. स्मिता सोचने लगी कि यह भी एक तरह का समाज कल्याण कार्य है.

सिविल लाइंस स्थित दीप होटल कुछ खास बड़ा नहीं था, परंतु पुराना और जानामाना अवश्य था. आटो वाले को दीप होटल का पता था इसलिए स्मिता को उस ने मात्र 20 मिनट में ही होटल के बाहर उतार दिया. स्मिता ने होटल में जा कर रिसैप्शनिस्ट को अपना परिचयपत्र और निमंत्रणपत्र दिखाया. रिसैप्शनिस्ट ने उसे लौबी में बैठाया और कहा, ‘‘मैं अभी मैनेजर साहब को खबर करती हूं.’’ स्मिता ने सोफे पर बैठते हुए सोचा, ‘कवि सम्मेलन के लिए मैं ही शायद सब से पहले आ गई हूं. स्टेशन पर बैठी रहती तो अच्छा था. सम्मेलन शुरू होने में अभी डेढ़ घंटा बाकी है. क्या करूंगी साढ़े 10 बजे तक?’ स्मिता ने सामने रखी पत्रिकाओं पर निगाह डाली और एक पत्रिका उठाने ही जा रही थी कि पीछे से किसी की आवाज आई, ‘‘आप को आने में कोई तकलीफ तो नहीं हुई न?’’

‘‘जी, नहीं,’’ कह कर स्मिता ने जैसे ही नजर घुमाई तो देखा सामने प्रणव खड़ा था. कोट पर लगे बिल्ले से पता चला, प्रणव ही मैनेजर था. स्मिता हैरान थी, उस का सहपाठी, प्रेमी प्रणव इस साधारण से होटल में मैनेजर था? कितनी तनख्वाह पाता होगा, 15-20 या 25 हजार? प्रणव तो इतना मेधावी छात्र हुआ करता था, और उस के आईएएस बनने की खबर भी तो आई थी, उस का क्या हुआ?

प्रणव ने स्मिता को पहचान कर कहा, ‘‘मेहमान कवियों में जब तुम्हारा नाम देखा तो मुझे जरा भी उम्मीद नहीं थी कि स्मिता तुम होगी, तुम तो मलिक थीं न?’’

‘‘हां, तो? 25 साल तक कुंआरी बैठी रहूं और पढ़पढ़ कर बुड्ढी होती रहूं? अरे भई, राम नरेश सहाय से मेरी शादी हुए 23 साल हो गए हैं,’’ स्मिता ने हंसते हुए कहा. अपनी गरिमा और गांभीर्य की चादर को उतार कर स्मिता अचानक पहले वाली कालेज गर्ल बन गई थी.

प्रणव ने कहा, ‘‘चलो, मेरे केबिन में चल कर बात करते हैं.’’ इतना कह कर प्रणव ने एक कर्मचारी को बुला कर चायनाश्ता मंगवाया और स्मिता के साथ केबिन में चला आया. होटल की तरह प्रणव का केबिन भी कुछ खास बढि़या न था. स्मिता और प्रणव दोनों टेबल के दोनों ओर आराम से बैठ गए. स्मिता ने पूछा, ‘‘तुम बताओ, यहां पर कैसे? मैं ने तो सुना था तुम एक बार टीवी के किसी ‘क्विज शो’ में गए थे. बाद में सुना तुम्हारा आईएएस में सलैक्शन हो गया है.’’

प्रणव मुसकरा कर बोला, ‘‘मेरे बारे में बड़ी खबरें रखती रहीं. कालेज में तो मुझे कभी भाव नहीं दिया.’’

‘‘सही कहा तुम ने, कभी भाव नहीं दिया, पर खबरें रखने में क्या जाता है?’’ स्मिता ने बात को बदल कर पूछा, ‘‘यह बताओ, तुम ने शादी की? इस होटल में कैसे नौकरी कर रहे हो? शक्ल तो देखो, अपनी उम्र से 10 साल बड़े लग रहे हो.’’ प्रणव ने हंस कर कहा, ‘‘जब से आई हो प्रश्नों की बौछार कर रही हो. एक बात तो तय है कि तुम्हें मेरी परवा पहले भी थी और अब भी है. हालांकि तुम ने अपने मुंह से कभी कुछ कहा नहीं, पर मुझे तुम्हारी भावनाओं का एहसास है.’’ इतने में नाश्ता आ गया तो जैसे स्मिता को बात बदलने का मौका मिल गया, कहने लगी, ‘‘अरे वाह, क्या बढि़या समोसे हैं. होटल में खाना बढि़या बनता है, यह मानना पड़ेगा.’’ प्रणव समझ गया स्मिता पहले की तरह प्यार की बातों को किसी बहाने टालने का प्रयास कर रही थी. वह स्वयं भी समझता  था कि अब स्मिता एक शादीशुदा औरत थी. उस ने कालेज के दिनों में ही प्रणव के प्रणय निवेदन को स्वीकारा नहीं था. स्मिता और प्रणव दोनों चुपचाप नाश्ता करने लगे. दोनों अपनेअपने ढंग से अतीत को देख रहे थे.

कालेज के रंगारंग कार्यक्रम में स्मिता और प्रणव पहली बार मिले थे. दोनों को युगल गान के लिए चुना गया था. प्रणव में संगीतकारों वाली समझ थी. गीत बढि़या गाया जाए, उस के लिए यह काफी न था. गीत को विभिन्न वाद्यों के मेल से कैसे सजा कर पेश किया जाए यह उन के लिए माने रखता था. तमाम तैयारियों के बाद जब कार्यक्रम के दौरान प्रणव और स्मिता ने गीत गाया तो उन्हें खूब तालियां मिलीं. कालेज के शिक्षकों ने भी उन की प्रशंसा की. धीरेधीरे उन के सहपाठियों ने उस युगल गान के बहाने उन की युगल जोड़ी बनानी शुरू कर दी. ऐसी बातें सुन प्रणव तो खुश होता था पर स्मिता हंस कर कहती, ‘तुम लोग कहानी बना रहे हो, ऐसा कुछ नहीं है’ प्रणव ने कई बार स्मिता से इस बारे में बात करनी चाही पर स्मिता कोई न कोई बहाने से टाल जाती. धीरेधीरे प्रणव समझ गया कि स्मिता शायद उसे प्रेमी के रूप में स्वीकार नहीं करना चाहती थी. इस के बावजूद वह स्मिता का दोस्त बने रहना चाहता था. प्रणव पढ़ाई में अत्यंत प्रखर छात्र था. उस ने स्मिता को अपने नोट्स दिए. पुस्तकालय से किताबें इश्यू करा कर दीं. स्मिता को याद है वह प्रायोगिक परीक्षा का दिन, जब प्रणव ने उस में आत्मबल जगाया था. कालेज के नियम के अनुसार, प्रत्येक परीक्षार्थी को शिक्षक के सामने 2 पर्चियां उठानी होती थीं. उन में किन्हीं 2 प्रयोगों के नाम लिखे होते थे. परीक्षार्थी को उन प्रयोगों में से एक का चुनाव कर शिक्षक को बताना पड़ता था और उसी प्रयोग को प्रयोगशाला में करना पड़ता था. स्मिता ने जिन पर्चियों का चुनाव किया था उन में लिखे दोनों प्रयोग उसे मुश्किल लग रहे थे. आखिरकार उस ने एक प्रयोग चुना और शिक्षक को बताया. स्मिता प्रयोगशाला में प्रयोग करने जा रही थी कि अचानक प्रणव ने आ कर कहा, ‘चेहरे का बल्ब क्यों औफ है? कौन सा प्रैक्टिकल मिला?’ स्मिता ने धीरे से अपनी पर्ची दिखाई.

‘अरे, यह तो बहुत आसान है. समय से पहले कर लोगी तुम, घबराना नहीं.’ उस ने उस प्रयोग के बारे में जरूरी टिप्स दिए और शिक्षकों की नजर बचा कर जल्दी से खिसक गया. उस की इन्हीं छोटीछोटी मदद के कारण स्मिता अच्छे अंकों से पास हो गई.इसी बीच स्मिता के पिता का तबादला हैदराबाद हो गया. प्रणव ने बड़ी मिन्नत कर के स्मिता से मिलने का समय मांगा तो वह मान गई. स्मिता ने अपने भाई को भी उसी समय कालेज से ले जाने का समय दे दिया. प्रणव पुस्तकालय के बाहर स्मिता से मिलते ही बोला, ‘सुना है तुम हैदराबाद जा रही हो?’

‘हां.’

‘यहीं होस्टल में रह जाओ न?’

‘यह संभव नहीं है.’

‘पता है मैं ने हमारे गाने की रिकौर्डिंग अपने घर में मम्मी को सुनाई है. मम्मी को तुम्हारे बारे में भी बताया है. मेरे पेरैंट्स मुझे आईएएस अधिकारी के रूप में देखना चाहते हैं जबकि मैं तो संगीतकार बनना चाहता हूं. जगजीत सिंह-चित्रा सिंह के जैसी हमारी जोड़ी भी क्या खूब जमेगी, है न?’स्मिता गंभीरता से बोली, जो वह कई बार अकेले में अभ्यास कर चुकी थी, ‘देखो प्रणव, मैं कोई चलतीफिरती मूर्ति नहीं हूं जो तुम्हारे प्यार को समझ न सकूं. मैं एक रूढि़वादी परिवार से हूं. हमारे घर में प्यार शब्द को सिर्फ गाने में इस्तेमाल करने की इजाजत है. प्यार कर घर बसाने की तो मैं सपनों में भी नहीं सोच सकती. तुम एक मेधावी छात्र हो. अपने मांबाप की इच्छा पूरी कर आईएएस अधिकारी बनो, देश की सेवा करो. हर जोड़ी जगजीत सिंह-चित्रा सिंह जैसी कामयाब नहीं बनती है. फिल्म अभिमान की कहानी याद है न? अभिमान में अमिताभ-जया दोनों गायक कलाकार थे. दोनों में प्यार हुआ, शादी हुई. उस के बाद जो दोनों के अहं आपस में टकराए तो बस, कहानी बन गई.’ स्मिता थोड़ा रुक कर बोली, ‘मुझे उम्मीद है कि तुम्हें मुझ से कई गुणा सुंदर और गुणी जीवनसंगिनी मिलेगी.’ इतने मे स्मिता के भैया आते दिखाई दिए. स्मिता ने आगे बढ़ कर प्रणव का परिचय भैया से करवाया. उन तीनों में औपचारिकतावश 2-4 बातें हुईं. इस के बाद स्मिता हमेशा के लिए उस कालेज और प्रणव की जिंदगी से चली गई. अतीत के पन्नों से निकल स्मिता ने नजरें उठाईं तो प्रणव को अपनी ओर देखते पाया. स्मिता ने सोचा, ‘प्रणव क्या देख रहा है? कहीं उसे चेहरे की हलकीहलकी झुर्रियां तो दिखाई नहीं दे रहीं? आने से पहले तो मैं फेशियल करवा आई थी.’

इतने में प्रणव ने कहा, ‘‘तुम ने अपने बारे में कुछ नहीं बताया.’’

#coronavirus: कोरोना ‘हॉट स्पॉट’ क्या होता है ?

दुनिया के साथ साथ भारत में जिस रफ़्तार से कोरोना बढ़ रहा है, अगर समय रखते सख्त कदम नहीं उठाया जायेगा तो स्थिति और भयावह हो जाएगी। इसके फैलाव को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 1200 से अधिक स्थानों को चिन्हित किया है , भीलवाड़ा  मॉडल के तर्ज पर कर्फ्यू लगा संक्रमण को रोकने की योजना तैयार किया गया है । देश में कुछ इलाके ऐसे हैं, जिन्हे कोरोना वायरस के ‘हॉटस्पॉट’ के रूप में चिन्हित किया गया हैं, तो जानते है क्या होता है हॉट स्पॉट ?  कैसी है यहाँ व्यवस्था और देश में ऐसे कितने जगह है . जानते है सबके बारे में …

* क्या होता है कोरोना हॉटस्पॉट :- 

कोरोना के संक्रमण से ग्रसित वैसा इलाका, जहाँ संक्रमित मरीजों की संख्या  6 या 6 से अधिक हो , उस इलाकों को हॉटस्पॉट कहा जाता है.

* हॉटस्पॉट घोषित कैसे करती है सरकार  :-

स्वास्थ्य मंत्रालय ने उन क्षेत्रों को ‘हॉटस्पॉट’ के रूप में चिन्हित किया है जहाँ सबसे अधिक कोरोना पॉजिविट मरीज पाए जा रहे हैं.  सरकार का कहा है कि ‘अगर सरकार को लगेगा कि किसी इलाक़े में संक्रमण के बड़े पैमाने पर फैलने की संभावना है तो सिर्फ एक मामला सामने आने पर भी उस इलाक़े को हॉटस्पॉट घोषित किया जाएगा.’

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* यह इलाके कैसे अन्य इलाकों से अलग होंगे :- 

1 कोरोना हॉटस्पॉट के रूप में चिन्हित को सरकार ने सील करने का फैसला किया है, जहां से तबलीगी जमात के लोग पकड़े गए हैं, या जहां पर कोरोना पॉजिटिव मरीजों को रखा गया है.

2 सील किए गए पूरे इलाके में बैरियर लगाए जाएंगे और मैजिस्ट्रेट के साथ पुलिस अधिकारी इलाके की निगरानी करेंगे.

3 इलाकों में किसी भी तरह की दुकान को खुलने की इजाजत नहीं होगी.

4 इसके अलावा प्रवेश और निकास के दरवाजों पर पुलिस का सख्त पहरा होगा.

5 ऐसे इलाकों में किसी भी शख्स के आने या इनसे बाहर जाने पर पाबंदी होगी.

6 अति आवश्यक सेवाओं के कुछ पास छोड़कर सारे मूवमेंट एकदम से बंद कर दिए जाएंगे.

7 साथ ही ऐम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को भी अनुमति के बाद आने की इजाजत होगी .

8 इन इलाकों में लोगों को जरूरत के सामानों जैसे-दवा और राशन के लिए भी घरों से निकलने की इजाजत नहीं दी जाएगी.  स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी और डिलीवरी वाले कर्मचारी ही इन इलाकों में जा पाएंगे.

9 इन इलाकों का कोई भी व्यक्ति ना ही यहां से बाहर जा पाएगा, और ना ही बाहर का कोई व्यक्ति इन इलाकों में एंट्री पा सकेगा, यानी पूरी तरह से आवाजाही रोकी जाएगी.

10 इन हॉटस्पॉट वाली जगहों पर मीडिया को भी नहीं जाने दिया जायेगा.

11 तीन किलोमीटर में रहने वाले सभी लोगों को घर में रहने की सलाह दी जा रही है.

12 साथ ही, यहां के सभी घरों पर सेनेटाइजर छिड़का जा रहा है.

13 पीड़ित व्यक्ति से बात करके उन लोगों की लिस्ट बनवाई जा रही, जिन-जिनके वह संपर्क में आया.

14 जिस किसी में कोरोना के लक्षण मिल रहे हैं, उन्हें तुरंत क्वारंटाइन करके उनके टेस्ट किए जा रहे हैं.

* 9 सूबों में 10 विशेष टीमें :-

इन क्षेत्रों में केंद्र सरकार विशेष टीमें भेजेगी जो राज्यों को कोरोना हॉटस्पॉट में रोकथाम की रणनीति पर करेगी मदद करेगी . इन इलाकों में डोर टू डोर सर्वेक्षण को शुरू किया जायेगा. इसमें साथ ही सभी को घर घर जाकर स्वास्थ्य पड़ताल और अधिक टेस्ट करने की योजना सरकार ने बनाया. केंद्र सरकार ने 9 सूबों में 10 टीमें भेजी रही है , यह टीम बिहार, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश जैसे कोरोना हॉट स्पॉट वाले लाखों में जाकर रोकथाम रणीनीति पर मदद करेंगी.

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* दिल्ली में  हॉट स्पॉट :- दिल्ली में बुधवार को 20 इलाको हॉट स्पॉट घोषित कर  सील किया गया है , इन इलाकों में मंडावली गली नंबर एक, पांडव नगर एच ब्लॉक की गली नबंर एक, खिचड़ीपुर की तीन गलियां, किशन कुंज एक्सटेंशन की गली नंबर चार, आईपी एक्सटेंशन के दो अपार्टमेंट वर्धमान व मयूरध्वज और वसुंधरा एंक्लेव के मनसारा अपार्टमेंट का नाम शामिल है .

* उत्तर प्रदेश में हॉट स्पॉट :–  यूपी में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए राज्य sarkar ने budhvar को ही फैसला लिया कि 15 जिलों के हॉटस्पॉट को सील किया जाएगा. लोगों को हर हाल में बाहर निकलने से रोका जाएगा.  यह फैसला अभी 15 अप्रैल तक के लिए लिया गया है. लखनऊ, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, आगरा, कानपुर, वाराणसी, शामली, मेरठ, सीतापुर, बरेली, बुलंदशहर, फिरोजाबाद, बस्ती, सहारनपुर और महाराजगंज ऐसे जिले हैं यहां मरीजों की संख्या ज्यादा है.  इन जिलों के वे मोहल्ले पूरी तरह सील होंगे जहां सबसे  ज्यादा मरीज मिल रहे हैं. उन मोहल्लों में सब कुछ बंद रहेगा. इन जिले के दूसरे मोहल्ले खुले रहेंगे.

हरियाणा में हॉट स्पॉट :- हरियाणा में वायरस संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ते जा रहे है . हरियाणा में दिल्ली के नजदीक स्थित गुरुग्राम और नूंह कोरोना वायरस के हॉटस्पॉट बन गए हैं. हरियाणा के चार जिले है जहाँ सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमितों की संख्या पाया गया है , नूंह से 38, गुरुग्राम से 32 , पलवल से 28 एवं फरीदाबाद से 28 संक्रमण का मामला मिला है , इन इलाको में कई क्षेत्रों को हॉट स्पॉट घोषित किया गया है .

* पंजाब में हॉट स्पॉट :- दिल्ली-अंबाला राष्ट्रीय राजमार्ग के निकट स्थित मोहाली जिला का डेरा  बस्सी का जवाहरपुर गांव  कोरोना हॉट स्पॉट बन क्र उभरा है . यहाँ वायरस संक्रमण के 21 मामले सामने आये है. इस गांव में लोगों की आवाजाही बंद करने लिए पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं ताकि जानलेवा महामारी के प्रसार को रोका जा सके.

* राजस्थान में हॉट स्पॉट :-  राज्य का पहला हॉट स्पॉट एक महीने पहले भीलवाड़ा जिला बन क्र  उभरा था, लेकिन सरकार के सख्ती के बाद स्थिति बेहतर हो गया है . अब  प्रदेश में राजधानी जयपुर और जोधपुर  में कोरोना संक्रमण  के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. राज्य में जयपुर और जोधपुर दो नया कोरोना के बड़ा हॉट स्पॉट बन कर उभरा है .

* बिहार में हॉटस्पॉट :- बिहार का सीवान जिला कोरोना का हॉटस्पॉट बन गया है और अबतक सबसे ज्यादा कोरोना के मरीज इसी जिले से मिले हैं. बिहार में जहां पॉजिटिव मामलों की संख्या 58 हो गई वहीं इसमें सिर्फ सीवान जिले के 27 मरीजों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव मिली है. बिहार में  सीवान के साथ ही नवादा, गोपालगंज, बेगूसराय, पटना समेत अन्य जिलों में भी कोरोना को लेकर स्वास्थ्य विभाग हाई अलर्ट पर है.

* केरल में हॉटस्पॉट :-  केरल के कासरगोड जिले में कोरोना वायरस के सबसे संक्रमित लोग है. यह देश का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट में बदल गया है. यही देश का पहला संक्रमण मरीज मिला था , तब से अब तक यहाँ संक्रमित मामलों में तेजी हुए है. जिले  से 150 अधिक मामले मिले है , अब यहाँ स्थिति स्थिर है . इसके साथ ही आप यह जान ले केरल के सभी जिले संक्रमित है. राज्य सरकार के सख्ती के बाद यहाँ कोरोना संक्रमण के मामले आने में भरी कमी देखी गई है .

* हिमाचल में हॉटस्पॉट :- हिमाचल में चिह्नित की गईं हॉटस्पॉट पंचायतें कांगड़ा, चंबा, सिरमौर, सोलन और ऊना जिले की हैं, जहां पर कोरोना वायरस के मरीज सामने आए हैं.

* मध्य प्रदेश में हॉट स्पॉट :– प्रदेश में तेजी से कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है , शुक्रवार को यह संख्या 411 पहुंच गया। गुरुवार को ही सरकार ने कोरोना से ज्यादा प्रभावित 15 जिलों के 46 हॉटस्पॉट को पूरी तरह सील करने के आदेश दे दिए गए हैं। प्रदेश के 15 जिलों के कुल 46 क्षेत्रों को हॉटस्पॉट घोषित किया गया है, जहां कोरोना संक्रमण के मामले मिले हैं। जबलपुर 8, ग्वालियर 6, खरगोन 5, बड़वानी 5, छिंदवाड़ा 5, देवास 4, होशंगाबाद 3, विदिशा 2, खंडवा 2, मुरैना, शिवपुरी, बैतूल, श्योपुर, रायसेन और धार की 1-1 जगह को हॉटस्पॉट घोषित किया गया है.

* महाराष्ट्र में हॉट स्पॉट :-  मुंबई में 21 हॉटस्पॉट और ठाणे शहर में 15 क्षेत्रों को चिह्नित किया है और उन्हें कोरोना हॉट स्पॉट घोषित किया गया है.

* जम्मू और कश्मीर में हॉट स्पॉट :- कश्मीर में मध्य और उत्तरी कश्मीर के कई क्षेत्र कोरोना के हॉटस्पॉट बनकर उभर कर आये हैं , उत्तरी कश्मीर के बारामुला का उड़ी और बांडीपोर का हाजिन क्षेत्र संक्रमण के बड़े केंद्र बन चुके हैं. श्रीनगर के छत्ताबल में सबसे अधिक संक्रमण है। इसके बाद लालबाजार और ईदगाह क्षेत्र में कई हॉटस्पॉट बनकर उभर कर आये हैं.

Coronavirus: समाज और रामदीन का योगदान 

लेखक-दीपा डिंगोलिया 

आज सोसाइटी में सुबह-सुबह मीटिंग थी.सब लोग इकट्ठा थे.”करोना के लिए आप लोग जितना योगदान कर सकते हैं उतना ही अच्छा है. सारी राशि प्रधानमंत्री कोष में ही जायेगी”-सोसाइटी के मैनेजर गुप्ता जी माइक पर जोर-जोर से बोल रहे थे.

सब बढ़ चढ़ कर दान बॉक्स में कैश और चेक डाल रहे थे और खुद को दुनिया का सबसे बड़ा दानवीर समझ फूले नहीं समा रहे थे. कुछ तो स्वयं को सोसाइटी का सबसे अमीर व्यक्ति भी साबित कर चुके थे.

जब पूरा कार्यक्रम ख़त्म हुआ तब हिम्मत कर सालों से काम कर रहा सोसाइटी का सफाई कर्मचारी रामदीन अमीरों व ताजे-ताजे दानवीर लोगों से घिरे गुप्ता जी के पास पहुँचा और बोला -“साहब मैं भी कुछ देना चाहता हूँ इस कोष में”.

गुप्ता जी और दूसरे लोग उसे घूरते हुए बोले -“तुम…तुम क्या दे सकते हो ? तुम्हारे पास है ही क्या ? तुम खुद को और अपने बीवी-बच्चों को ही दो टाइम की रोटी खिला लो वो ही बहुत है”.

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“साहब मैं अब छुट्टी नहीं लूँगा और इतवार को भी सफाई करूँगा जिससे सोसाइटी में गन्दगी न हो व सभी लोग सुरक्षित रहें . कोष में सिर्फ पैसा ही नहीं इंसान अपनी सेवा भी तो दान में दे कर अपना योगदान दे सकता है.सेवा कैसी भी हो पुण्य तो सबको बराबर ही मिलता है न साहब”-रामदीन ने कहा.

रामदीन की बात सुन नए-नए दानवीरों के मुहँ की चमक फीकी पड़ गयी.

तभी सोसाइटी की बुजुर्ग माता जी बोलीं -“वो सब तो ठीक है पर कुछ हिस्सा पूजा,पाठ और दान में भी लगायें  गुप्ता जी. दो दिन बाद महायज्ञ का आयोजन रखिये सोसाइटी के मंदिर में.

दूर खड़ा रामदीन बोला -“पर माता जी इस समय पर इतने लोगों का एक साथ इकट्ठा होना ठीक नहीं है और इन सब से कुछ न होगा माता जी. खुद को एक दूसरे से दूर रखने में ही समझदारी है “.

“तुझे बड़ा कुछ पता है”-माता जी बोलीं.

“हाँ माता जी मेरा बेटा भी उसी अस्पताल में सफाई का काम कर रहा है जहाँ करोना के मरीज़ों का इलाज हो रहा है.समाज की सेवा में कुछ इस तरह ही योगदान कर रहें हैं हम माता जी “-रामदीन बड़े ही फख्र से बोला . रामदीन की बात सुनते ही सोसाइटी के सभी लोग उसे घेर कर खड़े हो गए.

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“तुमने बताया क्यों नहीं अपने लड़के के बारे में. तुम ही हम सब को बीमार कर दोगे. भैय्या अपना हिसाब करो और चलते बनो यहाँ से. किसी तरह की असावधानी नहीं झेल सकते हम”-गुप्ता जी और अन्य लोग गुस्से से रामदीन से बोले और उसे फ़ौरन नौकरी छोड़ जाने को कहा.

“पर साहब अभी तो वह काफी समय से मेरे साथ नहीं रहता है. आप चाहें तो मेरा चेकअप करवा लें. पर मुझे नौकरी से न निकालें. इस समय मुझे कहाँ काम मिलेगा”-रामदीन सबके सामने गिड़गिड़ाने लगा.

किसी ने उसकी एक न सुनी और रामदीन को सोसाइटी से बाहर निकाल दिया गया. रामदीन चलते हुए सोच रहा था कि -इस कठिन समय में अपनी जिंदगी को दाँव  पर लगा कर दिया जा रहा उसका व उसके परिवार का योगदान समाज को पसन्द नहीं आया शायद.

#coronavirus: कोरोना ही नहीं भूख और बेरोजगारी से भी लड़ना कड़ी चुनौती

भारत मे एक तरफ महंगाई और बेरोजगारी बढ़ रही है तो दूसरी तरफ शेयर बाजार में चमक देखी जा रही जिससे साफ लग रहा कि देश मे अमीर और गरीब के बीच की दूरी और बढ़ने जा रही है. ऐसे में कोरोना से बड़ा संकट महंगाई और बेरोजगारी के रूप में सामने आने को तैयार है.

नोटबन्दी और जीएसटी की गलत आर्थिक नीतियों से भारत की जीडीपी पहले से ही लगातार गिरावट की तरफ चल रही थी.कोरोना संकट ने इसको और भी अधिक बढ़ा दिया है.सरकार के लिए जरूरी है कि वह कोरोना संकट से लड़ने के साथ ही साथ देश के आर्थिक विकास को भी ध्यान के रखते हुए काम करे. भारत का एक बहुत बड़ा हिस्सा ऐसे लोगो का जिनको किसी तरह की सरकारी सहायता नहीं मिलती है. यह वर्ग निजी क्षेत्रों में काम करता है.निजी क्षेत्रों में संकट आने से इनमे काम करने वाले लोगो की आजीविका जानें का पूरी तरह से खतरा बढ़ गया है.

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संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वितीय वर्ष के दौरान भारत की जीडीपी घट कर 4.8 प्रतिशत रहने की उम्मीद है.कोरोना यानी कोविड 19 के कारण पूरी दुनिया मे आर्थिक संकट आने का बड़ा खतरा दिख रहा है. इसका सबसे बड़ा खतरा पर्यटन, सीमा पार व्यपार और वित्तीय स्थिति पर पड़ेगा.विदेशों में कोविड 19 का आर्थिक प्रभाव भले ही कुछ देर में पड़े पर भारत जैसे देशों में इसका असर 2 सप्ताह में ही देखने को मिलने लगा है.

2 सप्ताह में ही बढ़ गई बेरोजगारी :
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि कोविड 19 के संकट के पहले 2 सप्ताह में ही 5 करोड़ लोगों का बेरोजगार होना चिंताजनक है.सरकार को ऐसे लोगो की पहचान करके इनके लिये कोई एक्शन प्लान तैयार करना चाहिए.

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अखिलेश यादव ने कहा कि लोक डाउन के दौरान सभी को मेडिकल सुविधा तो दी ही जाए लॉक डाउन के बाद इनको रोजगार दिया जा सके इसके उपाय होना चाहिए.1 से 2 हजार की मदद से किसी की परेशानियों से निजात नही मिलनी चाहिए.

संकट में निजी क्षेत्र
कोरोना संकट का सबसे बड़ा असर निजी क्षेत्र पर पड़ रहा है. देश का 85 प्रतिशत निजी सेक्टर और 93 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र प्रभावित हुआ है.भारत मे बेकारी की दर 23 प्रतिशत से अधिक हो गई है.अखिलेश यादव कहते है यह संख्या अभी और बढ़ने वाली है. विभिन्न प्रदेशो में काम करने वॉले श्रमिक और कामगार लाखो की संख्या में शहरों से गांव की तरफ जिस तरह से पलायन करने को मजबूर हुए है उससे परेशानी और बढ़ी है.

बुनकर और इस तरह के काम करने वाले लोगो के सामने सबसे अधिक परेशानी भरा समय आ गया है.अखिलेश यादव कहते है कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी और आसपास के क्षेत्रों में 4 लाख 30 हजार बुनकर परिवार रहते है.इन सभी के काम धंधे बन्द हो गए है। मज़दूरो का सबसे बड़ा काम सड़क निर्माण से हो रहा था. सड़क निर्माण बन्द होने से इसमे लगे मजदूर भुखमरी की कगार पर पहुँच गए है. अखिलेश यादव कहते है ऐसे समय मे आर्थिक संकट को दूर करने के लिए आथिर्क पैकेज और बेरोजगारी भत्ता देने की जरूरत है. अमेरिका जैसे देश भी इस काम को कर रहे है.

संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट भी इस चिंता की तरफ ध्यान दिलाते कहती है कि भारत मे आर्थिक विकास में पहले की तुलना में कमी आई है. आने वाले दिनों में बेरोजगारी और महंगाई बढ़ने से देश मे दिक्कते और बढ़ेगी.

 

#lockdown: मंदी में भी चमका शेयर मार्किट

देशभर में कोरोना वायरस अब तक 6412 लोगों को संक्रमित कर चुका है. कोविड-19 के शिकार लोगों के ताजा आकड़ों के मुताबिक भारत में संक्रमण के चलते अब तक 199 लोगों की मौत हो चुकी है. कोरोना के प्रसार की तेज़ी को देखते हुए यूपी के 15 जिलों के हॉटस्पॉट को बिलकुल सील कर दिया गया है. दिल्ली मुंबई में भी कई जगहें पूरी तरह सील हैं. अन्य तमाम राज्यों में भी कर्फ्यू जैसी सख्ती बरती जा रही है.लोगों के काम धंधे ठप्प हैं.बेरोज़गारी और भुखमरी से देश आने वाले सालों में कैसे निपटेगा, अर्थव्यवस्था पटरी पर कैसे आएगी, किसानो-मजदूरों को आत्महत्या जैसे घातक कदम उठाने से कैसे रोका जाएगा, इन तमाम चिंताओं ने सरकार, नीति-निर्णायकों और बुद्धिजीवियों की नींद हराम कर दी है.मगर निराशा, डर और तनाव के माहौल में भी शेयर मार्केट मुस्कुरा रहा है.बीते तीन दिनों पर नज़र डालें तो कोरोना का डर पीछे छोड़ शेयर बाजार ने लम्बी हुंकार भरी है.बीते दो दिनों में सेंसेक्स 2,500 अंक चढ़ने से निवेशकों की पूंजी 6.63 लाख करोड़ बढ़ी है.

दुनियाभर में कोरोना वायरस के बढ़ते मामले और देश में लॉकडाउन आगे बढ़ने की आशंका में शेयर बाजार बुधवार को लाल निशान के साथ खुला था मगर कुछ ही देर बाद सेंसेक्स और निफ्टी में जोरदार तेजी दिखने लगी. हालांकि दोपहर तक सुबह की बढ़त गंवाकर दोनों एक्सचेंज शाम को लाल निशान पर बंद हुए. सेंसेक्स 173 अंक लुढ़ककर 29893 के स्तर पर और निफ्टी 43 अंक टूटकर 8747 के स्तर पर बंद हुआ। जबकि इससे पहले मंगलवार को सेंसेक्स ने एक दिन की सबसे बड़ी बढ़त हासिल की थी. लॉकडाउन में छूट के संकेत, वैश्विक बाजारों में तेजी, दवाओं पर से निर्यात प्रतिबंध हटाने तथा एफपीआई निवेश बढ़ने की खबरों के बीच मंगलवार को भी सेंसेक्स में 2500 अंकों की तेजी दर्ज की गई थी. गुरुवार को शेयर मार्किट खुल कर मुस्कुराया और अब इसके बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है.

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दरअसल कोरोना संक्रमण के कम पड़ने की उम्मीद से अमेरिकी शेयर बाजारों में थोड़ी तेज़ी आई तो एशियाई शेयर बाजारों में गुरुवार को फिर से रौनक बढ़ी. इसका असर घरेलू शेयर बाजार पर भी देखने को मिला और सेंसेक्स 1265 अंक उछल कर 31159 के स्तर पर बंद हुआ. वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 9100 का स्तर फिर पाने में कामयाब रहा. बैंक, फार्मा, ऑटो सेक्टर में भी खूब तेजी देखी गई.वहीं अगर निफ्टी के टॉप गेनर स्टॉक की बात करें तो महिंद्रा एंड महिंद्रा, मारुति, सिप्ला, टाइटन और टाटा मोटर्स प्रमुख रहे। जबकि हिन्दुस्तान लीवर, डॉक्टर रेड्डी, इंडसंड बैंक, यूपीएल के शेयर सबसे ज्यादा नुकसान उठाने वाले स्टॉक्स की लिस्ट में ऊपर थे.

गुरुवार को प्री-ओपनिंग सेशन में भारतीय शेयर हरे निशान पर थे. सुबह 9:02 बजे सेंसेक्स 462 अंक या 1.6% बढ़कर 30,356 अंक पर पहुंच गया.निफ्टी 209 अंक या 2.4% बढ़कर 8,958 पर था.बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों वाला प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 677 अंकों की उछाल के साथ 30571 के स्तर पर खुला. वहीं निफ्टी भी शुरुआती कारोबार में 234 अंक चढ़कर 9000 के करीब पहुंच गया था. डॉलर के मुकाबले रुपया 8 पैसे मजबूत होकर 76.29 के स्तर पर बंद हुआ.

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आईडीबीआई बैंक का शेयर 10.6 प्रतिशत तक उछल गया। बीएसई पर आईडीबीआई बैंक का शेयर 10.57 प्रतिशत बढ़कर 21.95 रुपये पर चल रहा था. इसी तरह एनएसई पर भी यह 6.34 प्रतिशत की बढ़त के साथ 20.95 रुपये पर चल रहा था.बैंक ने बुधवार को कहा था कि उसकी योजना चालू वित्त वर्ष में 7,500 करोड़ रुपये जुटाने की है.शेयर बाजार में जोरदार खरीदारी के चलते सेंसेक्स 1126 अंकों की उछाल के चलते 31,020 के स्तर पर पहुंच गया है जबकि निफ्टी 333 अंक उछलकर 9081 के स्तर पर कारोबार कर रहा है. बैंक निफ्टी, ऑटो, मिड कैप, फार्मा सेक्टर में जोरदार तेजी देखी गई.
बड़ा सवाल यह है कि बढ़ती महामारी के बावजूद शेयर बाजार में इतना उछाल कैसे आ रहा है? विशेषज्ञों की माने तो इसके लिए कुछ बिंदुओं पर विचार किया जाना चाहिए.

लॉकडाउन में छूट
सरकार द्वारा 14 अप्रैल के बाद चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन हटाने की खबरों से निवेशकों में भारी उत्साह पैदा हो गया है क्योंकि इससे एक बार फिर तमाम बिजनस शुरू हो जाएंगे.सरकारी अधिकारी एक प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं, जिसमें कोरोना के कम जोखिम वाले राज्यों और जिलों से लॉकडाउन को आंशिक रूप से हटाने और जिन इलाकों में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या अधिक है, वहां सख्ती बरकरार रखने की बात कही जा रही है. कोरोना वायरस महामारी से बुरी तरह प्रभावित दो देशों स्पेन तथा इटली में भी वायरस से मरने वालों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है. इसलिए वहां के अधिकारी भी लॉकडाउन में छूट देने पर विचार कर रहे हैं। जिससे शेयर मार्किट में ख़ुशी देखी जा रही है.

1.3 अरब डॉलर का विदेशी निवेश
भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा 1.3 अरब डॉलर (लगभग 10 हजार करोड़ रुपये) के निवेश की खबरों का भी घरेलू निवेशकों पर सकारात्मक असर पड़ा है.दरअसल, विभिन्न क्षेत्रों में एफपीआई निवेश की सीमा को बढ़ा दिया गया है, जिसकी वजह से पैसिव फ्लो विदेशी निवेश में बढ़ोतरी होनी तय है.यह राहत ऐसे वक्त में सामने आ रही है, जब 1 मार्च तक विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से 1.25 लाख करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं.

भारत ने दवा निर्यात से बैन हटाया
अमेरिका में कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों की संख्या से घबरा कर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा की खेप भिजवाने का दबाव बनाया और ऐसा ना करने पर बदला लेने की धमकी दी. गौरतलब है कि भारत में कोरोना मरीज़ों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इस दवा के निर्यात पर प्रतिबन्ध लगा हुआ था मगर अंकल सैम की धमकी के बाद भारत ने कोरोना के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल में आने वाली 24 दवाओं के निर्यात पर से प्रतिबंध हटा लिया. सरकार के इस फैसले के बाद फार्मा कंपनियों के शेयरों में बड़ी तेजी दर्ज की गई.केडिल हेल्थकेयर, ऑरबिंदो फार्मा, सिप्ला और डॉ. रेड्डीज लबोरेट्रीज में 10-14% की तेजी की बदौलत निफ्टी फार्मा में 9.53% की तेजी देखी गई.हालांकि पैरासिटामोल तथा इसके फॉर्म्यूलेशंस पर प्रतिबंध बरकरार है अगर इस पर भी प्रतिबन्ध उठा लिया गया तो तो फार्मा शेयर्स में और उछाल आने की संभावना है.

वैश्विक बाजारों में तेजी का माहौल
अमेरिकी शेयर बाजार तथा एशियाई शेयर बाजारों में तेजी से घरेलू शेयर बाजार को बल मिला और लगातार तीन सत्रों की गिरावट झेल रहे भारतीय बाजार में जमकर लिवाली हुई.जापान के निक्केई में 2 फीसदी की तेजी देखी गई.
अमेरिकी शेयर बाजारों में तेजी के चलते एशियाई शेयर बाजारों में सकारात्मक रुख देखा जा रहा है.कारोबारियों को उम्मीद बंध रही है कि कोरोना वायरस संकट अब अपने चरम पर है और आगे स्थितियां सुधार की ओर बढ़ेंगी. यही वजह है कि हांगकांग, सियोल और सिंगापुर में एक प्रतिशत से अधिक और सिडनी में लगभग दो प्रतिशत की तेजी देखने को मिली है.

इन शेयरों में तेजी
बीएसई पर इंडसइंड बैंक के शेयर में सर्वाधिक 22.60 फीसदी, एक्सिस बैंक में 19.41 फीसदी, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा में 14.44 फीसदी, आईसीआईसीआई बैंक में 13.82 फीसदी तथा हिंदुस्तान यूनिलीवर में 13.51 फीसदी की तेजी दर्ज की गई.वहीं, एनएसई पर इंडसइंड बैंक के शेयर में 25 फीसदी, एक्सिस बैंक में 20.14 फीसदी, ग्रासिम में 15 फीसदी, डॉ. रेड्डी में 14.40 फीसदी तथा हिंदुस्तान यूनिलीवर के शेयर में 13.69 फीसदी की मजबूती दर्ज की गई.

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