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नादानियां: भाग 1

अपने पीठ पीछे तकिया टिकाये पलंग के किनारे बैठी रचना आराम सेमैगज़ीन पढ़ रही थी.  बड़ा सुकून मिल रहा था उसे अपनी मन-पसंद मैगज़ीन पढ़ते हुए.   वरना, तो रोज उसे कहाँ समय मिल पाता था .  सुबह हड़बड़ी में ऑफिस निकल जाती थी और फिर रात के 8 बजे ही घर वापस आती थी.  थक कर इतना चूर हो जाती कि फिर कहाँ उसे कुछ पढ़ने लिखने का मन  होता था.  एक संडे की छुट्टी में घर-बाहर के ही इतने काम होते थे कि मैगज़ीन पढ़ना तो दूर, झाँकने तक का समय नहीं मिल पाता था उसे.  अखबार वाला हर महीने का मैगज़ीन दे जरूर जाता था, पर वह उलट-पुलट कर देख भर लेती थी.  लेकिन अब जब इस लॉकडाउन मेंउसे घर में रहने का मौका मिला है,तोवह सारे मैगज़ीन पढ़ लेना चाहती है.

लेकिन निखिल उसे पढ़ने दे तब न .  कब उसे परेशान किए जा रहा है.  कुछ-कुछ लिख कर कागज के बॉल बना-बना कर उस पर फेंक रहा है, ताकि वह डिस्टर्ब हो जाए और पढे ही न. इस बार फिर निखिल ने उस पर कागज का बॉल बनाकर फेंका तो वह तिलमिला उठी.

“निखिल………..चीखते हुए रचना बोली, “क्या है तुम्हें ?क्यों मुझे परेशान कर रहे हो ?एक और बॉल फेंका न तो बताती हूँ. “ लेकिन निखिल को तो आज बदमाशी सूझी थी, सो उसने फिर रचना के ऊपर कागज का बॉल फेंका. “प्लीज, निखिल, पढ़ने दो न मुझे.  वैसे भी मुझे कुछ पढ़ने-लिखने का समय नहीं मिल पाता है और अभी मिला है तो तुम मुझे परेशान कर रहे हो.  मैं तो कहती हूँ तुम भी पढ़ने की आदत बना लो, अच्छा टाइम पास हो जाएगा और कुछ सीखने को भी मिलगे.  ये लो”  एक मैगज़ीन उसकी तरफ बढ़ते हुए रचना बोली.

लेकिन निखिल कहने लगा, “हुम्म……… ये औरतों वाली मैगज़ीन मैं नहीं पढ़ता.  होते ही क्या हैं इसमें? सिर्फ औरतों की बातें. “

“औरतों वाली? अरे, इसमें तुम पुरुषों के लिए भी बहुत कुछ होता है, पढ़ कर देखों तो”  रचना के जिद करने पर निखिल ने मैगज़ीन ले तो लिया, पर उलट-पुलट कर यह बोलकर रख दिया कि उसे कुछ समझ नहीं आता और वैसे भी पढ़ना उसे कुछ खास पसंद नहीं है.  “हाँ,सही बात है. तुम्हें तो सिर्फ मोबाइल चलाना और फालतू के वीडियो देखना अच्छा लगता है, है न ?देखती नहीं हूँ क्या कैसे दिन भर मोबाइल में आँख गड़ाए रहते हो. फालतू के वीडियो देख-देखकर ‘ही ही ही’ करते रहते हो . मोबाइल एडिक्ट हो गए हो तुम, मोबाइल एडिक्ट. “

“और तुम किताबी क्रीड़ा नहीं बन गई हो. जब देखों कोई न कोई किताब लेकर बैठ जाती हो.  कब से बोल रहा हूँ चाय बनाओ, पर  तुम हो की, तुम्हें तो पढ़ने से ही फुर्सत नहीं मिल रही है.  अरे, है क्या इस किताब में, कोई ख़जाना?” खीजते हुए निखिल बोला, तो तुनक कर रचना बोल पड़ी.

“हाँ, ख़जाना ही समझा लो, पर तुम जैसे उल्लू को यह बात समझा नहीं आएगी.  पढ़ना मुझे कोई खास पसंद नहीं है………..यही कहा था न तुमने ?” मुंह चिढ़ाते हुए रचना बोली, तो निखिल गुर्राया ! “ऐसे घूरो मत, चाय पीनी है, जाकर खुद बना लो, मैं नहीं बनाऊँगी समझे ?” बोलकर वह फिर किताब में घुस गई.  सोच लिया उसने, वह बिल्कुल चाय बनाने नहीं उठेगी. ‘अरे, सुबह से काम कर के अभी तो बैठी हूँ, फिर भी किसी को चैन नहीं है.  हर समय कुछ न कुछ  चाहिए हीं इन्हें.   अच्छा था जो ऑफिस जाती थी.  भले थक जाती थी, पर इतना काम तो नहीं करना पड़ता था घर का.  सोचा था लॉकडाउन में खूब सोऊंगी, पढ़ूँगी.  लेकिन यहाँ तो घर कामों से ही फुरसत नहीं मुझे.  सब घर में हैं, तो सब को कुछ न कुछ चाहिए ही होता है और ये निखिल की तो नवाबी और बढ़ गई है.  जब देखो,‘रचना चाय बनाओ, रचना पकौड़ी बनाओ.  रचना आज खाने में पिज्जा बनाना. रचना ये, रचना वो. अरे, मैं क्या कोई नौकरनी हूँ इनसब की जो इनके हुक्म बजाती रहूँ ?’अपने मन में ही सोच रचना भुनभुना उठी और किताबों में फिर से आँख गड़ा दिया कि तभी उसके सिर पर एक कागज का बॉल आकर गिरा.  देखा तो निखिल शरारती अंदाज में मुस्कुरा रहा था.

“निखिल………मैं ने कहा न मैं कोई चाय-वाय नहीं बनाने वाली. तुम जीतने भी तंग कर लो मुझे मैं नहीं उठने वाली यहाँ से . तुम जाओ खुद ही चाय बना लो. “

“मुझसे चाय अच्छी नहींबनती रचना, नहीं तो क्या बना नहीं लेता” बहाने बनाते हुए निखिल बोला, “अच्छा एक काम करते हैं.  चलो, हम लूडो खेलते हैं.  जो हारा वह चाय पकौड़े बनाएगा.  बोलो, मंजूर ?”

“हुंम………..कुछ सोचते हुए रचना बोली, “अच्छा चलो मंजूर, पर शर्त याद रखना ? और हाँ, जीतूगी तो मैं ही” हँसते हुए रचना ने किताब बंद की और शुरू हो गया लूडो के खेल.

जैसे-जैसे खेल बढ़ता जा रहा था रचना जीत की तरफ बढ़ती जा रही थी. वहीं निखिल को अपनी हार साफ नजर आने लगी थी. ‘कहीं हार गया तो चाय-पकौड़े बनाने पड़ेंगे.  रचना खिल्ली उड़ाएगी सो अलग’  यह सोचकर निखिल बेईमानी पर उतर आया और जीतने के लिए उसने बेईमानी शुरू कर दी, जिससे खेल में वह आगे और रचना पीछे जाने लगी.  निखिल को बेईमानी करते देख रचना तिलमिला उठी और उसने खेल पलट दिया.

खेल पलटते देख निखिल आगबबूला हो उठा ! क्योंकि वह  खेल जीतने ही वाला था, मगर रचना ने उस पर पानी फेर दिया.  “क्यों……..क्यों खेल बिगाड़ा तुमने?” लगभग चीख पड़ा निखिल.

“क्योंकि……….क्योंकि तुम बेईमानी कर रहे थे. “ बोलते हुए रचना ने निखिल को ठेल दिया और लूडो के भी दो टुकड़े कर डाले.

“क्या की बेईमानी मैंने, हूं?” कह कर निखिल ने भी रचना को एक धक्का दे दिया.  फिर क्या था तिलमिलाई सी उसने भी उसे ऐसा कस कर धक्का मारा की वह जाकर दूर लुढ़क गया.  एक छोटी सी बात पर दोनों के बीच लड़ाई शुरू हुई तो दोनों ‘तू तू मैं मैं’ पर उतर आएं.  बेटे-बहू के कमरे से हल्ला-गुल्ला की आवाजें सुनकर जब मालती दौड़ी आई तो देखादोनों जुद्दम-जुद्दी लड़ें जा रहे थे.  कोई किसी की बात सुनने को तैयार ही नहीं. मालती ने पूछा भी‘अरे, क्या हुआ, क्यों लड़ रहे हो तुम दोनों इस तरह से?’मगर उन्हेंलड़ने से फुर्सत मिले तब तो मालती की बात सुनें. हार कर मालती वहाँ से यह सोचकर खिसक गई कि यह पति-पत्नी के बीच का मामला है,अपने ही सुलझ लेंगे.   मगर उनकी लड़ाई तो बढ़ते-बढ़ते इतनी बढ़ती चली गई जैसे राई का पहाड़.  दोनों एक-दूसरे पर उंगली उठाने लगें, एक-दुसरे की गलतियाँ गिनवाने लगें, एकदूसरे के परिवार को कोसने लगें और जाने वे एकदूसरे पर क्या-क्या अनाप-शनाप दोषारोपण लगाने लगें थे.  लग रहा था दोनों एक दूसरे की जान ही ले लेंगे.  अगर बीच में मालती ना आती, तो शायद कोई अनहोनी जरूर ही जाती आज.

“अरे, क्या हो गया तुम दोनों को…………..पागल हो गए हो क्या?” बेटे बहू की हरकतों ने मालती को चिल्लाने पर मजबूर कर दिया. “क्यों इस तरह से आपस में लड़ रहे हो बच्चे की तरह? और बहू,ये तुम्हारा मायका नहीं, ससुराल है, समझा नहीं आता ? एक बच्चे की तरह लूडो खेलती हो और फिर झगड़ा करते शर्म नहीं आती? क्या यही संस्कार दिये हैं तुम्हारे माँ-बाप ने ? क्या अच्छे घरों की बहू-बेटियाँ ऐसे करती हैं ? आसपड़ोस सुनेंगे तो क्या कहेंगे ?” सास की बात सुनकर  रचना की त्योरियों पर और बल पड़ गये .  झुंझुलाहट के मारे बदन में ज्वाला-सी दहक उठी.  दहके भी क्यों न, कोई भी लड़की अपने लिए कुछ भी बर्दाश्त कर लेगी, मगर कोई उसके माँबाप के बारे में कुछ कहें, तो कोई कैसे सहन कर सकता है.

19 दिन 19 टिप्स: इन कारणों से होता है शीघ्रपतन, जानें कैसे बचें

आज के दौर में हर उम्र के मर्दों में शीघ्रपतन की समस्या देखने में आ रही है. आम भाषा में इसे जल्दी पस्त हो जाना और अंगरेजी में इसे प्रीमैच्योर इजैकुलेशन या अर्ली इजैकुलेशन कहा जाता है. ऐसा अकसर अंग में प्रवेश से पहले या उस के तुरंत बाद हो सकता है. इस की वजह से दोनों पार्टनर सैक्स संबंधों के लिहाज से असंतुष्ट रहते हैं. दरअसल, शीघ्रपतन आदमियों में सैक्स की आम समस्याओं में से एक है. शायद हर मर्द अपनी जिंदगी में कभी न कभी इस परेशानी से घिरता है. अगर अंग में डालने से पहले ही मर्द का वीर्य गिर जाता है, तो ऐसे में उस जोड़े में बच्चे पैदा न होने की समस्या भी पेश आती है.

शीघ्रपतन की समस्या का असर आदमी की सैक्स लाइफ पर देखने को मिलता है. इस समस्या के चलते आदमी अपनी लाइफ पार्टनर या प्रेमिका को सैक्स सुख नहीं दे पाता. इस से नाजायज संबंध भी बन जाते हैं, जिस का नतीजा कई बार परिवार के टूटने के रूप में भी होता है. इस समस्या के हल के लिए लोग नीमहकीमों के चंगुल में भी फंस जाते हैं, जो उन को लूटते हैं और समस्या को सुलझाने के बजाय और बढ़ा देते हैं. ज्यादा हस्तमैथुन करने से शरीर के बायोलौजिकल क्लौक का सैट हो जाना है. इस की वजह से आदमी को क्लाइमैक्स पर पहुंचने की जल्दी होती है और वह जल्दी से जल्दी मजा पाना चाहता है.

* सैक्स के बारे में ज्यादा सोचना भी शीघ्रपतन के लिए जिम्मेदार होता है. सैक्स फैंटेसी या पोर्न फिल्में देखने से भी आदमी ज्यादा जोश में आ जाता है और जल्दी ही पस्त हो जाता है.

* शराब के ज्यादा सेवन या डायबिटीज की वजह से भी शीघ्रपतन की समस्या पैदा हो सकती है.

* सैक्स संबंध बनाने के शुरुआती दिनों में भी इस तरह की समस्या पैदा हो जाती है.

* नया पार्टनर होने के चलते जोश में जल्दी वीर्य गिर सकता है.

* जल्दी पस्त होना इस बात पर भी निर्भर करता है कि जोश देने का तरीका कैसा है.

* ओरल सैक्स से भी आदमी जल्दी डिस्चार्ज हो सकता है.

क्या करें?

अगर शीघ्रपतन की समस्या आप की जिंदगी में भी तनाव की वजह बन चुकी है, तो इसे चुपचाप सहन न करते रहें, बल्कि अपने डाक्टर से मिलें. वह आप की शारीरिक जांच कर इस की वजह पता लगाने की कोशिश करेगा. डाक्टर के साथ खुल कर अपनी सैक्स लाइफ के बारे में बात करें और अगर कभी किसी बीमारी से पीडि़त हैं, तो उस के बारे में भी किसी तरह की जानकारी न छिपाएं.

ये उपाय भी आजमाएं

* जल्दी पस्त होना रोकने के लिए लंबी सांसें लें.

* जब भी वीर्य निकलने का समय हो, अपने साथी को लंबी सांसें लेने को कहें. इस से धड़कनों की रफ्तार कम होगी और वीर्य जल्दी नहीं निकलेगा.

* सैक्स के पहले इस प्रक्रिया के बारे में उसे अच्छे से समझाएं.

* ‘निचोड़ने की विधि’ के तहत अपने साथी के अंग को नीचे से जोर से दबाएं. ऐसा तब करें, जब आप के साथी का वीर्य निकलने वाला हो. इस से उस के अंग का इरैक्शन कम होगा और वीर्य नहीं निकलेगा.

* जल्द वीर्य को गिरने से रोकने के लिए स्टौप एंड स्टार्ट विधि अपनाएं. इस के तहत अपने साथी को 3 से 4 बार हस्तमैथुन करने के लिए कहें, जिस में वीर्य निकलने के समय पर उस का रुकना जरूरी है. इस से उसे पता चलेगा कि किस समय इजैकुलेशन होता है और वह इस पर अच्छे से काबू भी कर सकता है.

शीघ्रपतन और दवाएं

ऐसा नहीं है कि शीघ्रपतन होने से हर किसी के मन में तनाव की भावना पैदा हो जाती है. कुछ लोग इसे ले कर ज्यादा नहीं सोचते और इस का हल अपने तरीके से निकालते हैं. लेकिन अगर आप को लगता है कि इस से आप के मजे में कमी आ रही है, तो आप जोलोफ्ट, प्रोजाक जैसी दवाओं का सेवन कर सकते हैं. ये दवाएं शीघ्रपतन रोकने में आप की मदद करती हैं व आप का साथी बिस्तर पर आने से कई घंटे पहले भी इन दवाओं का सेवन कर सकता है.

एक बार इस दवा का सेवन कर लेने पर जब आप दोनों अच्छा वक्त बिताना शुरू कर रहे हों, तो उस समय मर्द की कामुकता में इजाफा होगा. इस से न सिर्फ वीर्य निकलने से रुकेगा, बल्कि पहले के मुकाबले आप के सैक्स संबंध भी बेहतर होंगे.

इन दवाओं के सेवन के लिए बेहतर यही होगा कि आप किसी माहिर सैक्स डाक्टर से सलाह लें. इस के अलावा जोश रोकने के लिए अंग पर लोकल एनैस्थैटिक क्रीम या स्प्रे का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. अंग में जोश में कमी आने से वीर्य गिरने में देरी आएगी. कुछ मर्दों में कंडोम का इस्तेमाल भी इसी तरह जोश घटाने में मददगार होता है.

आमतौर पर आदमी वीर्य गिरने को कंट्रोल करना सीख लेते हैं. इस बारे में जानकारी हासिल करना और कुछ आसान उपायों को अपनाने से हालात पूरी तरह सामान्य हो जाते हैं, लेकिन लंबे समय तक शीघ्रपतन की समस्या का जारी रखना आदमी में डिप्रैशन या एंग्जाइटी की वजह से हो सकता है. किसी मनोवैज्ञानिक से मिल कर इन परेशानियों को दूर किया जा सकता है.

(लेखक दिल्ली के अपोलो अस्पताल में सीनियर कंसल्टैंट हैं)

बिना तेल के खाने से मोटापा रहेगा दूर और भी हैं फायदे

लेखक-डॉ. बिमल छाजेड़

हार्ट अटैक मुख्य रूप से धमनियों में वसा के जमने के कारण होता है, जो न सिर्फ खून के प्रवाह को रोकता है, बल्कि मांसपेशियों को भी कमजोर कर देता है. कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर दो महत्वपूर्ण कारक हैं, जो धमनियों को ब्लॉक करके खून के प्रवाह में रुकावट का काम करते हैं. इससे हार्ट अटैक की स्थिति बनती है. इन दोनों कारकों को एक प्रकार से माफिया कहा जा सकता है क्योंकि विश्वस्तर पर हर साल हार्ट अटैक से करोड़ों लोगों की मौत हो जाती है. बावजूद इसके, कई हृदय रोग विशेषज्ञ कोलेस्ट्रॉल स्तर 180 एमजी/1 से अधिक और ट्राइग्लिसराइड्स स्तर 160एमजी/डी1 से अधिक की अनुमति देते हैं.

मोटापा और हृदय रोगों में संबंध

सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि मोटापा किस प्रकार हृदय रोगों को बढ़ावा देता है. शरीर कैलोरी की मदद से ऊर्जा उत्पन्न करता है। हम जो कुछ भी खाते हैं वह ग्लूकोस के रूप में मांसपेशियों तक पहुंचता है, जिससे शरीर को जरूरी ऊर्जा मिलती है. शरीर इंसुलिन की मदद से यह सुनिश्चित करता है कि कैलोरी सही मात्रा में इस्तेमाल हो रही है. अतिरिक्त कैलोरी वसा यानी कि फैट के रूप में जमा होता रहता है.ऐसे में ग्लूकोस के स्तर को संतुलित रखने के लिए इंसुलिन ज्यादा मात्रा में बनने लगता है. जमा हुआ अतिरिक्त फैट शरीर की चयापचय (मेटाबोलिज्म) की कार्यप्रणाली को बिगाड़ता है.चूंकि, इस स्थिति में मांसपेशियां ग्लूकेगन को सोखने में असमर्थ हो जाती है, जिससे इंसुलिन और अधिक मात्रा में उत्पन्न होने लगता है.यदि इसके बावजूद प्रक्रिया में कोई सुधार नहीं आता है, तब व्यक्ति डायबिटीज का शिकार हो जाता है. शरीर का ज्यादा वजन न सिर्फ डायबिटीज का कारण बनता है बल्कि मोटापा और उच्च रक्तचाप का कारण भी बनता है.

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हार्ट अटैक की रोकथाम

जब किसी व्यक्ति में ब्लॉकेज का स्तर 50 प्रतिशत से ऊपर चला जाता है तो उस स्थिति में उसे कभी भी दिल का दौरा पड़ सकता है. यदि में ब्रेन कमजोर है तो वह 50-70 प्रतिशत के स्तर पर नष्ट हो जाएगी. ऐसे मरीजों को हार्ट अटैक से पहले नहीं पता चलता है कि उन्हें ब्लॉकेज की समस्या है क्योंकि 70 प्रतिशत से कम ब्लॉकेज में कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं. हालांकि, नॉन इनवेसिव टेस्ट यानी कि सीटी कोरोनरी एंजियोग्राफी की मदद से इस ब्लॉकेज का आसानी से पता चल जाता है. यह एक लोकप्रिय टेस्ट है जो भारत में भी उपलब्ध है. लेकिन 70-80 प्रतिशत ब्लॉकेज होने पर एंजिना की समस्या हो सकती है, जिसे

टीएमटी (एक्सरसाइज स्ट्रेस टेस्ट) या सीटी एंजियोग्राफी की मदद से पहचाना जा सकता है। यदि ब्लॉकेज की पहचान हार्ट अटैक से पहले हो जाती है, तो ब्लॉकेज को साफ करके हार्ट अटैक की रोकथाम संभव है.

डाइटिंग और एक्सरसाइज की मदद से वजन कम करके ही हृदय रोगों के जोखिम से बचना संभव है. यहां डाइटिंग का मतलब भूखा रहना नहीं है. सही डाइटिंग वह है जिसमें आप कैलोरी की मात्रा को कम कर देते हैं, जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फैट का संतुलित मात्रा में सेवन करते हैं.इसके साथ हर दिन कम से कम 45 मिनट एक्सरसाइज करना जरूरी होता है, जिसमें वेट लिफ्टिंग को जरूर शामिल करें। शारीरिक गतिविधियां, एक्सरसाइज और एरोबिक्स मांसपेशियों को मजबूत बनाती हैं, जो अतिरिक्त फैट की खफत के लिए बेहद जरूरी है.

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हर महीने 3-4 किलो वजन कम किया जाए, यह जरूरी नहीं है. धीरे-धीरे ही सही लेकिन हर महीने एक किलो वजन कम करना भी पर्याप्त है.

जीरो ऑयल कुकिंग    

ट्राइग्लिसराइड्स एक प्रकार का तेल होता है, जो धमनियों को ब्लॉक करके विभिन्न प्रकार के हृदय रोगों का कारण बनता है. इसका यह अर्थ है कि हम हर रोज चाहे कितना भी कम तेल वाला खाना खाते हों, लॉग रन के हिसाब से हम खुद को एक बड़ी मुश्किल में डाल रहे हैं.हालांकि, अधिकतर लोग खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए तेल का उपयोग करते हैं, लेकिन सच यह है कि तेल में कोई स्वाद या फ्लेवर नहीं होता है. यदि इस बात पर यकीन न हो तो आप खुद एक चम्मच तेल को पीकर यह जांच सकते हैं. तेल का उपयोग सिर्फ मसाले और खाने को पकाने के लिए किया जाता है, जिससे खाने का स्वाद बढ़ जाता है. लेकिन क्या किसी को पता है कि बिना तेल के इस्तेमाल के भी खाने का स्वाद बढ़ाया जा सकता है?

हमने 1000 से भी ज्यादा रेसिपी तैयारी की हैं जो न सिर्फ बिना तेल के बनाई जा सकती हैं बल्कि उनमें स्वाद की भी कोई कमी नहीं है. हमारे शरीर को जितनी मात्रा में वसा की जरूरत होती है, वह चावल, सब्जियां, फल, गेंहू और दाल आदि से पूरी हो जाती है.

वहीं बादाम, काजू, अखरोट और पिस्ता आदि जैसे सूखे मेवों में 50 प्रतिशत से भी ज्यादा तेल पाया जाता है. नारियल और मूंगफली में लगभग 40 प्रतिशत तेल पाया जाता है. हालांकि, कुछ हृदय रोग विशेषज्ञ अपने रोगियों को यह कहकर गलत सलाह देते हैं कि उनमें वसा नहीं है. वे मरीजों को यह कहकर सूखे मेवे खाने की अनुमति दे देते हैं कि इनमें ओमेगा-3 ऑयल होता है जो एचडीएल स्तर को बढ़ाते हैं. वे मरीजों को ये कभी नहीं बताते हैं कि इनके सेवन से उनके शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा बढ़ती है. इसलिए दिल के मरीजों को हर प्रकार के नट्स से दूर रहना चाहिए. किशमिश, मुनक्का, अंजीर, खजूर और खुबानी में बिल्कुल तेल नहीं होता है, इसलिए यदि दिल के मरीज को शुगर की समस्या नहीं है तो वे इन्हें खा सकते हैं.

19 दिन 19 टिप्स: देर रात खाना खाने से होती हैं ये परेशानियां

शहरी लाइफस्टाइल में तेजी से बदलाव हो रहा है. समय की जरूरत के हिसाब से ये बदलाव सही माना जा सकता है पर हमारी सेहत पर इसका खासा बुरा असर हो रहा है. देर रात सोना, देर से जगना, हमारी सेहत के लिए सही नहीं है. चूंकि देर रात में जागना अब लोगों की जरूरत बन चुकी है, इस दौरान वो कुछ ना कुछ खाते रहते हैं. इसमें स्नैक्स शामिल हैं. देर रात स्नैक्स खाना सेहत के लिए काफी हानिकारक होता है. उससे बहुत सी सेहत संबंधित परेशानियां होती हैं.

इस खबर में हम आपको देर रात स्नैक्स या खाना खाने के नुकसान के बारे में बताएंगे.

तो आइए शुरू करें.

बढ़ता है वजन

देर रात में खाने से शरीर की सरकेडियन क्लौक भी प्रभावित होती है. सरकेडियन क्लौक के नींद में बाधा आती है इसके साथ ही हार्मोंस भी बुरी तरह से प्रभावित होते हैं. इससे लोगों का वजन बढ़ता है. दिन की तुलना में रात में शरीर का मेटाबौलिज्म कमजोर रहता है जिसके कारण रात में अधिक मात्रा में कैलोरी बर्न नहीं हो पाती.

बढ़ता है ब्लड प्रेशर

अनहेल्दी खानपान से लाइफस्टाइल पर बुरा असर होता है. इससे दिल की कई बीमारियों के होने का खतरा अधिक होता है. कई जानकारों की माने तो देर रात खाना खाने से ब्लड प्रेशर के साथ साथ ब्लड शुगर लेवल भी अधिक होता है. लोगों के लिए ये बेहद खतरनाक होता है.

सोने में होती है परेशानी

देर रात में खाने से व्यक्ति की स्लीप साइकल डिस्टर्ब होती है. 2015 में सामने आई एक रिपोर्ट की माने तो देर रात स्नैक्स का सेवन करने से नींद में तो बाधा आती ही है साथ ही गैस्ट्रिक समस्या होने पर सोते समय बुरे सपने भी आते हैं.

खराब होता है डाइजेशन

अगर आपको पेट की समस्याएं है तो आपको अपने खानपान से समय में परिवर्तन करना चाहिए. अगर आप देर रात खाना खाते हैं तो खाने के पाचन में परेशानी हो सकती है. इस कारण लोगों को गैस की परेशानी होती है. यही कारण है कि लोगों को खाने के बाद टहलने की सलाह दी जाती है.

19 दिन 19 कहानियां: शूलों की शैय्या पर लेटा प्यार – भाग 2

पहला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- 

सतही तौर पर सब ठीक था, पर अंदर ही अंदर लावा उबल रहा था. राधा को अपना भविष्य अंधकारमय दिखाई दे रहा था. उस के लिए मायके का दरवाजा बंद हो चुका था. ससुराल वालों से भी अपनेपन की कोई उम्मीद नहीं थी. उसे यह अपराधबोध भी परेशान कर रहा था कि उस ने अपनी ही बहन के दांपत्य में सेंध लगा दी है.

परिवार की बड़ी बहू तो तुलसी ही थी. राधा को जबतब तुलसी के ताने भी सहने पड़ते थे. जिंदगी में सुखचैन नहीं था. आगे देखती तो भी अंधेरा ही नजर आता था. एक संजय का प्यार ही था, जिस के सहारे वह सौतन की भूमिका निभा रही थी.

23 मई, 2016 को संजय को उस के किसी दुश्मन ने गोली मार दी. जख्मी हालत में उसे अलीगढ़ मैडिकल ले जाया गया. उस की हालत गंभीर थी. राधा डर गई कि अगर संजय मर गया तो वह कहां जाएगी.

संजय की देखरेख कभी तुलसी करती तो कभी राधा. तभी तुलसी ने राधा से कहा, ‘‘संजय की हालत कुछ ज्यादा ही बिगड़ गई है, तुम जा कर बच्चों को देखो, मैं यहां संभालती हूं.’’

जुलाई महीने में संजय की हालत कुछ सुधरी तो घर वाले उसे कासगंज वाले घर में ले आए. तुलसी अपने पति के साथ थी, जबकि राधा बच्चों के साथ पति से दूर थी.

अस्पताल में संजय ने एक बार राधा से कहा, ‘‘मेरी हालत ठीक नहीं है. अगर तुम किसी और से शादी करना चाहो तो कर लो.’’

सुन कर राधा सन्न रह गई, ‘‘यह क्या कह रहे हो संजय, मैं सिर्फ तुम्हारी हूं. तुम्हारे लिए कितना कुछ सह रही हूं. मेरे जैसी औरत से कौन शादी करेगा और कौन मुझे मानसम्मान देगा.’’

उस दिन के बाद से राधा डिप्रेशन में रहने लगी. पति और बच्चा दोनों ही उस की ख्वाहिश थीं. अगर पूरी नहीं होती तो वह कुछ भी नहीं थी. नितिन और शिवम इस बात से अनभिज्ञ थे कि मौसी क्यों परेशान है और उस की परेशानी कौन सा तूफान लाने वाली थी.

19 अगस्त, 2016 को बच्चे स्कूल से आए तो राधा ने उन्हें खाना दिया. फिर दोनों पढ़ने बैठ गए. राधा ने रात के खाने की तैयारी शुरू कर दी. रात का खाना खा कर सब टीवी देखने बैठ गए. किसी को पता ही नहीं चला कि मौत ने कब दस्तक दे दी थी. कुछ देर बाद  राधा ने कहा, ‘‘तुम लोग सो जाओ,सुबह उठ कर स्कूल भी जाना है.’’

कुछ देर बाद बच्चे सो गए. राधा ने संजय को फोन किया, लेकिन घंटी बजती रही. फोन नहीं उठा. यह सोच कर राधा का गुस्सा बढ़ने लगा कि क्या मैं सिर्फ सौतन के बच्चों की नौकरानी हूं. मेरे बच्चे नहीं होंगे तो क्या मुझे घर की बहू का सम्मान नहीं मिलेगा. संजय ने तो परिवार में सम्मान दिलाने का वादा किया था, पर वह मर गया तो?

ऐसे ही विचार उसे आहत कर रहे थे, गुस्सा दिला रहे थे. उस ने देखा शिवम निश्चिंत हो कर सो रहा था. यंत्रचालित से उस के हाथ शिवम की गरदन तक पहुंच गए और जरा सी देर में 4 वर्ष का के शिवम का सिर एक ओर लुढ़क गया. बच्चे की मौत से राधा घबरा गई.

उस ने सोचा सुबह होते ही शिवम की मौत की खबर नितिन के जरिए सब को मिल जाएगी.

इस के बाद तो पुलिस, थाना, कचहरी और जेल. संजय भी उसे माफ नहीं करेगा, ऐसे में क्या करे? उसे लगा, शिवम के भाई नितिन को भी मार देने में ही भलाई है. उस ने नितिन के गले पर भी दबाव बनाना शुरू कर दिया. नितिन कुछ देर छटपटाया, फिर बेहोश हो गया.

राधा ने जल्दी से एक बैग में कपड़े, कुछ गहने, पैसे और सर्टिफिकेट भरे और कमरे में ताला लगा कर बस अड्डे पहुंच गई, जहां मथुरा वाली बस खड़ी थी. वह बस में बैठ गई. मथुरा पहुंच कर वह स्टेशन पर गई, वहां जो भी ट्रेन खड़ी मिली, वह उसी में सवार हो गई.

इधर सुबह जब नितिन को होश आया तो उस ने खिड़की में से शोर मचाया. जरा सी देर में लोग इकट्ठा हो गए. उन्होंने देखा कमरे के दरवाजे पर ताला लगा हुआ था.

ताला तोड़ कर जब लोग अंदर पहुंचे तो शिवम मरा पड़ा था. नितिन ने बताया, ‘‘इसे राधा मौसी ने मारा है और मुझे भी जान से मारने की कोशिश की, लेकिन मैं बेहोश हो गया था.’’

लोगों ने कोतवाली में फोन किया, कुछ ही देर में थानाप्रभारी सुधीर कुमार पुलिस टीम के साथ वहां आ गए. पुलिस जांच में जुट गई. शिवम को अस्पताल भेजा गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. नितिन ठीक था, उस का मैडिकल परीक्षण नहीं किया गया. बच्चे के पोस्टमार्टम में मौत का कारण दम घुटना बताया गया.

इस मामले की सूचना कासगंज में विजय पाल को दे दी गई थी. विजय पाल ने 28 जुलाई, 2016 को थाना एटा में राधा के खिलाफ भादंवि की धारा 307, 302 के तहत रिपोर्ट दर्ज करा दी.

राधा के इस कृत्य से सभी हैरान थे. राधा कहां गई, किसी को कुछ पता नहीं था. पुलिस ने मुखबिरों का जाल फैला दिया. पुलिस को राधा की लोकेशन मथुरा में मिली थी लेकिन आगे की कोई जानकारी नहीं थी.

23 अगस्त, 2016 को लुधियाना के एक गुरुद्वारे के ग्रंथी ने फोन कर के एटा पुलिस को बताया कि लुधियाना में एक लावारिस महिला मिली है जो खुद को कासगंज की बता रही है.

यह खबर मिलते ही पुलिस राधा की गिरफ्तारी के लिए रवाना हो गई. लुधियाना पहुंच कर एटा पुलिस ने राधा को हिरासत में ले लिया और एटा लौट आई. एटा में उच्चाधिकारियों की मौजूदगी में राधा से पूछताछ की गई.

उस ने बताया कि वह सौतन के तानों से परेशान थी, जिस के चलते उसे अपना भविष्य अंधकारमय दिखाई दे रहा था. अकेले हो जाने के तनाव में उस से यह गलती हो गई. राधा ने यह बात पुलिस के सामने दिए गए बयान में तो कही. लेकिन बाद में अदालत में अपना गुनाह स्वीकार नहीं किया.

केस संख्या 572/2016 के अंतर्गत दायर इस मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रैट द्वारा 5 दिसंबर, 2016 को भादंवि की धारा 307, 302 का चार्ज लगा कर केस सत्र न्यायालय के सुपुर्द कर दिया गया.

घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था, राधा ने अपने बचाव में कहा कि उस के खिलाफ रंजिशन मुकदमा चलाया जा रहा है, वह निर्दोष है. उस ने किसी को नहीं मारा. तुलसी ने गवाही में कहा कि उस का राधा के साथ कोई विवाद नहीं है. उसे नहीं मालूम कि शिवम को किस ने मारा.

घटना के गवाह मुकेश ने कहा कि उसे जानकारी नहीं है कि राधा ने किस वजह से शिवम की हत्या कर दी और नितिन को भी मार डालने की कोशिश की. मुकेश विजय पाल का मंझला बेटा था.

संजय ने अपनी गवाही में दूसरी पत्नी राधा को बचाने का भरसक प्रयास करते हुए कहा कि उस ने अपनी पहली पत्नी तुलसी की सहमति से राधा से शादी की थी.

राधा बच्चों से प्यार करती थी. जब दुश्मनी के चलते किसी ने उसे गोली मार दी तो वह अस्पताल में था. तुलसी भी उस के साथ अलीगढ़ के अस्पताल में थी.

घटना वाले दिन राधा घर पर नहीं थी, जिस से सब को लगा कि राधा ही शिवम की हत्या कर के कहीं भाग गई होगी. इसी आधार पर मेरे पिता ने उस के खिलाफ कोतवाली एटा में रिपोर्ट दर्ज कराई थी, पर सच्चाई यह है कि घटना वाले दिन रात में 2 बदमाश घर में घुस आए, जिन्होंने शिवम को मार डाला और नितिन को भी मरा समझ राधा को अपने साथ ले गए. बाद में उन्होंने राधा को कुछ न बताने की धमकी दे कर छोड़ दिया था.

राधा कोतवाली एटा पहुंची और पुलिस  को घटना के बारे में बताना चाहा, लेकिन पुलिस ने उस की बात नहीं सुनी.

राधा के अनुसार बदमाशों से डर कर शिवम रोने लगा और उन्होंने शिवम की हत्या कर दी और जेवर लूट लिए. लेकिन अदालत ने कहा कि राधा ने अदालत को यह बात कभी नहीं बताई.

पुलिस के अनुसार राधा ने कभी भी अपने साथ लूट और बदमाशों द्वारा शिवम की हत्या की कभी कोई रिपोर्ट नहीं लिखाई, न ही अपने 164 के बयानों में इस बात का जिक्र किया.

8 वर्षीय नितिन ने अपनी गवाही में कहा, ‘‘मां ने बताया कि मुझे अपनी गवाही में कहना है कि राधा ने मेरा गला दबाया था. लेकिन उस ने राधा द्वारा शिवम की हत्या किए जाने के बारे में कुछ नहीं बताया, जबकि वह राधा के साथ ही सो रहा था.’’

सत्र न्यायाधीश रेणु अग्रवाल ने 21 जनवरी, 2019 के अपने फैसले में लिखा कि नितिन की हत्या की कोशिश के कोई साक्ष्य नहीं मिले और न ही नितिन का कोई चिकित्सकीय परीक्षण कराया गया. अत: आईपीसी की धारा 307 से उसे बरी किया जाता है. परिस्थितिजन्य साक्ष्य राधा द्वारा शिवम की हत्या करना बताते हैं. अत: अभियुक्ता राधा जो जेल में है, को आईपीसी की धारा 302 का दोषी माना जाता है.

अभियुक्त राधा को भादंवि की धारा 302 के अंतर्गत दोषी पाते हुए आजीवन कारावास और 20 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया जाता है. अर्थदंड अदा न करने की स्थिति में अभियुक्ता को 2 माह की साधारण कारावास की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी.

अर्थदंड की वसूली होने पर 10 हजार रुपए मृतक शिवम की मां तुलसी देवी को देय होंगे. अभियुक्ता की सजा का वारंट बना कर जिला कारागार एटा में अविलंब भेजा जाए. दोषी को फैसले की प्रति नि:शुल्क दी जाए.

आजीवन कारावास यानी बाकी का जीवन जेल में गुजरेगा, फैसला सुनते ही राधा का चेहरा पीला पड़ गया. संजय की मोहब्बत और उस के साथ जीने, उस के बच्चों की मां बनने की उम्मीद राधा के लिए सिर्फ एक मृगतृष्णा बन गई थी.

जीनेमरने की स्थिति में राधा ने इधरउधर देखा, वहां आसपास कोई नहीं था. संजय उस से कहता था कि वह बेदाग छूट कर बाहर आएगी और वह उसे दुनिया की सारी खुशियां देगा.

बेजान सी राधा ने जेल में अपनी बैरक में पहुंचने के बाद इधरउधर देखा. चलचित्र की तरह सारी घटनाएं उस की आंखों के सामने गुजर गईं. कुछ ही देर में अचानक महिला बैरक में हंगामा मच गया. किसी ने जेलर को बताया कि राधा उल्टियां कर रही है, उस की तबीयत बिगड़ गई है.

जेल के अधिकारी महिला बैरक में पहुंच गए. उन के हाथपैर फूल गए. राधा की हालत बता रही थी कि उस ने जहर खाया है, पर उसे जहर किस ने दिया, कहां से आया, यह बड़ा सवाल था. राधा को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. राधा का मामला काफी संदिग्ध था. उस का विसरा सुरक्षित कर लिया गया और जांच के लिए अनुसंधान शाखा में भेज दिया गया.

राधा के ससुराल और मायके में उस की मौत की खबर दी गई, लेकिन दोनों परिवारों ने शव लेने से इनकार कर दिया. राधा की विषैली आशिकी ने उस के जीवन में ही विष घोल दिया. राधा के शव का सरकारी खर्च पर अंतिम संस्कार कर दिया गया.

मैं 40 वर्षीय युवक हूं, मेरी 30 वर्षीय मुंहबोली भाभी से मेरे संबंध हैं, उनके साथ कई बार सैक्स कर चुका हूं. क्या यह सही है?

सवाल
मैं 40 वर्षीय अविवाहित युवक हूं. काफी समय से 32 वर्ष के एक लड़के के साथ मेरे अनैतिक संबंध हैं. मैं एक गे की तरह उस से सैक्स करवाता हूं और वह भी मुझ से सैक्स करवाता है. इस लेनदेन में बहुत मजा आता है. दूसरी तरफ मेरी एक मुंहबोली भाभी हैं जिन के 3 बच्चे हैं, उन की उम्र 30 साल है. उन से भी मेरे शारीरिक संबंध हैं. जब भी मौका मिलता है उन से भी मैं सैक्स करता हूं, कभी पकड़ा न जाऊं, इसलिए चाहता हूं कि किसी लड़की से विवाह कर लूं पर भाभी कहती हैं कि यदि मैं किसी और से विवाह करूंगा तो वे मर जाएंगी. मैं क्या करूं, उचित सलाह दें?

जवाब
असल में आप बायोसैक्सुअल हैं इसलिए आप को महिलापुरुष दोनों से संबंध रखने की लत लग गई है. हालांकि बायोसैक्सुअल होना बुरी बात नहीं होती लेकिन हमारा सामाजिक ढांचा ऐसा है कि अभी भी पहचान का संकट बड़ा मसला है, इसलिए पहले तय कीजिए कि आप को किस के साथ रहना है. जरूरत पड़े तो मनोचिकित्सक या रिलेशनशिप काउंसलर से मिलें. अपनी भाभी को भी समझाएं कि वे बेवकूफीभरी बातें न करें और अपनी गृहस्थी पर ध्यान दें.

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भौजाई से प्यार, पत्नी सहे वार

19 जनवरी, 2017 को उत्तर प्रदेश के जिला सिद्धार्थनगर के थाना जोगिया उदयपुर के थानाप्रभारी शमशेर बहादुर सिंह औफिस में बैठे मामलों की फाइलें देख रहे थे, तभी उन की नजर करीब 4 महीने पहले सोनिया नाम की एक नवविवाहिता की संदिग्ध परिस्थितियों में ससुराल में हुई मौत की फाइल पर पड़ी. सोनिया की मां निर्मला देवी ने उस के पति अर्जुन और उस की जेठानी कौशल्या के खिलाफ उस की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. घटना के बाद से दोनों फरार चल रहे थे. उन की तलाश में पुलिस जगहजगह छापे मार रही थी. लेकिन कहीं से भी उन के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली थी.

आरोपियों की गिरफ्तारी को ले कर एसपी राकेश शंकर का शमशेर बहादुर सिंह पर काफी दबाव था, इसीलिए वह इस केस की फाइल का बारीकी से अध्ययन कर आरोपियों तक पहुंचने की संभावनाएं तलाश रहे थे. संयोग से उसी समय एक मुखबिर ने उन के कक्ष में आ कर कहा, ‘‘सरजी, एक गुड न्यूज है. अभी बताऊं या बाद में?’’

‘‘अभी बताओ न कि क्या गुड न्यूज है,ज्यादा उलझाओ मत. वैसे ही मैं एक केस में उलझा हूं.’’ थानाप्रभारी ने कहा, ‘‘जो भी गुड न्यूज है, जल्दी बताओ.’’

इस के बाद मुखबिर ने थानाप्रभारी के पास जा कर उन के कान में जो न्यूज दी, उसे सुन कर थानाप्रभारी का चेहरा खिल उठा. उन्होंने तुरंत हमराहियों को आवाज देने के साथ जीप चालक को फौरन जीप तैयार करने को कहा. इस के बाद वह खुद भी औफिस से बाहर आ गए. 5 मिनट में ही वह टीम के साथ, जिस में एसआई दिनेश तिवारी, सिपाही जय सिंह चौरसिया, लक्ष्मण यादव और श्वेता शर्मा शामिल थीं, को ले कर कुछ ही देर में मुखबिर द्वारा बताई जगह पर पहुंच गए. वहां उन्हें एक औरत और एक आदमी खड़ा मिला.

पुलिस की गाड़ी देख कर दोनों नजरें चुराने लगे. पुलिस जैसे ही उन के करीब पहुंची, उन के चेहरों पर हवाइयां उड़ने लगीं. शमशेर बहादुर सिंह ने उन से नाम और वहां खड़े होने का कारण पूछा तो वे हकलाते हुए बोले, ‘‘साहब, बस का इंतजार कर रहे थे.’’

‘‘क्यों, अब और कहीं भागने का इरादा है क्या?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘नहीं साहब, आप क्या कह रहे हैं, हम समझे नहीं, हम क्यों भागेंगे?’’ आदमी ने कहा.

‘‘थाने चलो, वहां हम सब समझा देंगे.’’ कह कर शमशेर बहादुर सिंह दोनों को जीप में बैठा कर थाने लौट आए. थाने में जब दोनों से सख्ती से पूछताछ की गई तो उन्होंने अपने नाम अर्जुन और कौशल्या देवी बताए. उन का आपस में देवरभाभी का रिश्ता था.

अर्जुन अपनी पत्नी सोनिया की हत्या का आरोपी था. उस की हत्या में कौशल्या भी शामिल थी. हत्या के बाद से दोनों फरार चल रहे थे. थानाप्रभारी ने सीओ महिपाल पाठक के सामने दोनों से सोनिया की हत्या के बारे में पूछताछ की तो उन्होंने सारी सच्चाई उगल दी. सोनिया की जितनी शातिराना तरीके से उन्होंने हत्या की थी, वह सारा राज उन्होंने बता दिया. नवविवाहिता सोनिया की हत्या की उन्होंने जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—

उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले का एक थाना है जोगिया उदयपुर. इसी थाने के अंतर्गत मनोहारी गांव के रहने वाले जगदीश ने अपने छोटे बेटे अर्जुन की शादी 4 जुलाई, 2013 को पड़ोस के गांव मेहदिया के रहने वाले रामकरन की बेटी सोनिया से की थी. शादी के करीब 3 सालों बाद 25 अप्रैल, 2016 को गौने के बाद सोनिया ससुराल आई थी.

पति और ससुराल वालों का प्यार पा कर सोनिया बहुत खुश थी. अपने काम और व्यवहार से सोनिया घर में सभी की चहेती बन गई. सब कुछ ठीकठाक चल रहा था कि अचानक सोनिया ने पति अर्जुन में कुछ बदलाव महसूस किया. उस ने गौर करना शुरू किया तो पता चला कि अर्जुन पहले उसे जितना समय देता था, अब वह उसे उतना समय नहीं देता.

पहले तो उस ने यही सोचा कि परिवार और काम की वजह से वह ऐसा कर रहा होगा. लेकिन उस की यह सोच गलत साबित हुई. उस ने महसूस किया कि अर्जुन अपनी भाभी कौशल्या के आगेपीछे कुछ ज्यादा ही मंडराता रहता है. वह भाभी के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताता है.

जल्दी ही सोनिया को इस की वजह का भी पता चल गया. अर्जुन के अपनी भाभी से अवैध संबंध थे. भाभी से संबंध होने की वजह से वह सोनिया की उपेक्षा कर रहा था. कमाई का ज्यादा हिस्सा भी वह भाभी पर खर्च कर रहा था. यह सब जान कर सोनिया सन्न रह गई.

कोई भी औरत सब कुछ बरदाश्त कर सकती है, लेकिन यह हरगिज नहीं चाहती कि उस का पति किसी दूसरी औरत के बिस्तर का साझीदार बने. भला नवविवाहिता सोनिया ही इस बात को कैसे बरदाश्त करती. उस ने इस बारे में अर्जुन से बात की तो वह बौखला उठा और सोनिया की पिटाई कर दी. उस दिन के बाद दोनों में कलह शुरू हो गई.

सोनिया ने इस बात की जानकारी अपने मायके वालों को फोन कर के दे दी. उस ने मायके वालों से साफसाफ कह दिया था कि अर्जुन का संबंध उस की भाभी से है. शिकायत करने पर वह उसे मारतापीटता है. यही नहीं, उस से दहेज की भी मांग की जाती है. सोनिया की परेशानी जानते हुए भी मायके वाले उसे ही समझाते रहे.

वे हमेशा उस के और अर्जुन के संबंध को सामान्य करने की कोशिश करते रहे, पर अर्जुन ने भाभी से दूरी नहीं बनाई, जिस से सोनिया की उस से कहासुनी होती रही, पत्नी की रोजरोज की किचकिच से अर्जुन परेशान रहने लगा. उसे लगने लगा कि सोनिया उस के रास्ते का रोड़ा बन रही है. लिहाजा उस ने भाभी कौशल्या के साथ मिल कर एक खौफनाक योजना बना डाली.

24-25 सितंबर, 2016 की रात अर्जुन और कौशल्या ने साजिश रच कर सोनिया के खाने में जहरीला पदार्थ मिला दिया. अगले दिन यानी 25 सितंबर की सुबह जब सोनिया की हालत बिगड़ने लगी तो अर्जुन उसे जिला अस्पताल ले गया.

उसी दिन सुबह सोनिया के पिता रामकरन को मनोहारी गांव के किसी आदमी ने बताया कि सोनिया की तबीयत बहुत ज्यादा खराब है, वह जिला अस्पताल में भरती है. यह खबर सुन कर वह घर वालों के साथ सिद्धार्थनगर स्थित जिला अस्पताल पहुंचा. तब तक सोनिया की हालत बहुत ज्यादा खराब हो चुकी थी. डाक्टरों ने उसे कहीं और ले जाने को कह दिया था.

26 सितंबर की सुबह 4 बजे पता चला कि सोनिया की मौत हो चुकी है. बेटी की मौत की खबर मिलते ही रामकरन अपने गांव के कुछ लोगों को साथ ले कर बेटी की ससुराल मनोहारी गांव पहुंचा तो देखा सोनिया के मुंह से झाग निकला था. कान और नाक पर खून के धब्बे थे. हाथ की चूडि़यां भी टूटी हुई थीं. लाश देख कर ही लग रहा था कि उस के साथ मारपीट कर के उसे कोई जहरीला पदार्थ खिलाया गया था.

बेटी की लाश देख कर रामकरन की हालत बिगड़ गई. उन के साथ आए गांव वालों ने पुलिस कंट्रोल रूम को हत्या की सूचना दे दी. सूचना पा कर कुछ ही देर में थाना जोगिया उदयपुर के थानाप्रभारी शमशेर बहादुर सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए. उन्होंने सोनिया के शव को कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

बेटी की मौत से रामकरन को गहरा सदमा लगा था, जिस से उन की तबीयत खराब हो गई थी. उन्हें आननफानन में इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया. इस के बाद पुलिस ने सोनिया की मां निर्मला की तहरीर पर अर्जुन और उस की भाभी कौशल्या के खिलाफ भादंवि की धारा 498ए, 304बी, 3/4 डीपी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया था.

2 दिनों बाद जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो पता चला कि सोनिया के साथ मारपीट कर के उसे खाने में जहर दिया गया था. घटना के तुरंत बाद अर्जुन और कौशल्या फरार हो गए थे. लेकिन पुलिस उन के पीछे हाथ धो कर पड़ी थी. उन दोनों की गिरफ्तारी न होने से लोगों में आक्रोश बढ़ रहा था.

आखिर 4 महीने बाद मुखबिर की सूचना पर अर्जुन और कौशल्या गिरफ्तार कर लिए गए थे. पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें सक्षम न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. कथा लिखे तक दोनों की जमानतें नहीं हो सकी थीं.

पुलिस अधीक्षक राकेश शंकर ने घटना का खुलासा करने वाली पुलिस टीम की हौसलाअफजाई करते हुए 2 हजार रुपए का नकद इनाम दिया है.

भाभी के चक्कर में अर्जुन ने अपना घर तो बरबाद किया ही, भाई का भी घर बरबाद किया. इसी तरह कौशल्या ने देह की आग को शांत करने के लिए देवर के साथ मिल कर एक निर्दोष की जान ले ली.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

नादानियां: भाग 3

यह बात निखिल भी जानता था कि रचना ‘शॉर्ट-टेंपर लड़की है.  उसे जल्दी गुस्सा आ जाता है.  लेकिन उसकी यही आदत शादी के बाद निखिल को बुरी लगने लगी थी.  उनके बीच बातचीत बंद हुए आज चार दिन हो चुके थे.  घर अजीब सा लगने लगा था.  एक तो लॉकडाउन में वैसे ही सब उदास-उदास लग रह था, ऊपर से घर का ऐसा माहौल, मालती को और बिचलित कर रहा था.  वह माहौल को हल्का करने की कोशिश कर रही थी, पर कोई झुकने को तैयार नहीं था.  माँ के समझाने पर, अगर निखिल रचना से बात करने की कोशिश भी करता, तो वह अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लेती और कहती कि गलती हो गई उससे निखिल से शादी करने का फैसला लेकर.  और निखिल का गुस्सा फिर बढ़ जाता.  बात सुलझने के बजाय और उलझता जा रहा था.

उस दिन मालती जब रचना के कमरे में चाय-नास्ता लेकर गई, तो देखा रचना बिछावन पर लेटी छटपटा रही है.  पूछने पर बताया कि उसे मासिक धर्म आया है इसलिए पेट में दर्द हो रहा है.  दर्द के मारे रात भर वह सो भी नहीं पाई. रचना को अक्सर ऐसा होता है, इसलिए वह पेट दर्द की दवाई रखती है, पर दवाई खत्म हो गई है और लॉकडाउन में लाए कैसे?  निखिल को जब पता चला कि पेट दर्द के कारण रचना रात भर सो नहीं पायी, तो वह भी छटपटा उठा.  रचना को लेकर उसके मन में जो गुस्सा था, वह पल भर में काफ़ुर हो गया.  तुरंत निखिल दवाई लाने घर से निकल गया. यह भी नहीं सोचा उसने कि पुलिस उसे रोकेगी या डंडे बरसाएगी.  इधर मालती रचना के सिर अपने गोद में लेकर सहलाने लगी ताकि उसे नींद आ जाए.  मालती के प्यार भरे स्पर्श से कुछ ही पलों में रचना की आँखें लग गई.  कुछ घंटे बाद जब उसकी आँखें खुली तो देखा मालती उसके सिहरने बैठी है. और निखिल बाहर से ही ताक-झांक कर रहा है।

“माँ……….आ आप……

“कुछ नहीं बेटा, अब तुम्हारा पेट दर्द कैसा है ? देखो निखिल दवाई भी ले आया जाकर.  लेकिन पहले कुछ खा लो, फिर दवाई खाना” बोलकर मालती एक माँ की तरह ‘कौर कौर’ कर उसे खिलाने लगी.  दवाई लेकर रचना सोने की फिर कोशिश करने लगी, पर नींद नहीं आ रही थी.  उसके आँखों से टप-टप कर आँसू बहे जा रहे थे.  उसे अपनी गलती का एहसास होने लगा था कि अगर वह चाहती तो बात खत्म हो सकती थी, पर वह जान-बूझकर रबर की तरह बात को खींचती चली गई.

माँ समान अपनी सास को भी उसने कितना कुछ सुना दिया.  यहाँ तक की पुलिस में जाने की भी धमकी दे दी.  यह भी नहीं सोचा कि कभी उसने बहू-बेटी में फर्क नहीं किया, फिर भी उन पर पक्षपात का इल्जाम लगा दिया. ‘अरे, वो तो बड़ी हैं, पर मैं छोटी होकर उनके संस्कार पर उंगली उठाकर क्या सही किया ? नहीं मुझे माँ जी से ऐसे बात नहीं करनी चाहिए थी.  कितनी पागल थी मैं जो पुलिस को फोन करने जा रही थी!  अपने घर की इज्जत को चौराहे पर नीलाम करने जा रही थी ? ऐसा कैसे करने जा रही थी मैं ! खुद मेरे ही माँ-पापा मेरी इस गलती के लिए कभी माफ नहीं करते मुझे. और किस पति-पत्नी के बीच झगड़ें नहीं होते ? इसका मतलब यह तो नहीं कि पुलिस को फोन का हिंसा का केस कर दें ?और गलती मेरी भी तो कम नहीं थी . मैंने भी तो निखिल को कितना कुछ सुना दिया और यहाँ तक की……….. यहाँ तक की उसे अपने लंबे नाखून से भी नोच डाला.  कितना खून बहा देखा मैंने, फिर भी मुझे उस पर दया नहीं आई. अगर वह अपना हाथ आगे न करता, तो उसका सिर तो फूट ही गया होता, फिर सी लॉकडाउन में………………. हाय……. क्या हो गया था मुझे ? कौन सा भूत सवार हो गया था मेरे सिर पर ?”अपने गुस्से पर गुस्सा आने लगा था रचना को अब. “और वह जरा सी मेरे पेट दर्द के लिए दवा लाने दौड़ पड़ा, वह भी इस लॉकडाउन में?  ये मेरी नादानियाँ नहीं तो और क्या है.

‘नहीं, मुझे जाकर उनसे अपनी गलती की माफी मंगनी चाहिए’ अपने मन में ही सोच जैसे ही रचना कमरे से बाहर आई,देखा, एक कोने में बैठी मालती सुबक रही थी. वह निखल को कह रही थी कि गलती उसकी ही है उसने ही रचना को गुस्सा दिलाया तभी वह गरम हो गई होगी.  वरना, दिल की बुरी नहीं है वह.  और अगर ऐसे ही करना है, तो वह कहीं चली जाएगी, नहीं रहेगी इस घर में . तभी मालती की नजर रचना पर पड़ी तो हाथ जोड़ कर वह कहने लगी, “बहू, मैं क्षमा चाहती हूँ जो तुम्हें कुछ कह दिया तो” बोलते हुए जब मालती के आँखों से आँसू टपके तो रचना का रहा-सहा गुस्सा भी उन आंसुओं में बह गया.  अपनी सास का हाथ अपने हाथों में लेकर वह खुद भी रोने लगी.  सास बहू दोनों रोने लगी.  मन का मैल धोने के लिए नयन-जल से उपयुक्त और कोई वस्तु नहीं है.

 

निखिल को भीअब अपनी गलती का एहसास होने लगा था. पर उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी रचना के समीप जाने की.  उसे लगा कि उसने जान-बूझकर रचनाके गुस्से को भड़काया है.  क्योंकि वह तो घर के काम निपटाकर पढ़ने बैठी थी.  मगर उसने ही मधु मक्खी के छत्ते में हाथ डाला. तो गुस्सा तो आयेगा ही न.  क्या चाय वह खुद जाकर नहीं बना सकता था? आखिर वह उसकी पत्नी है, कोई नौकरनी तो नहीं, जो हर वक़्त उसकी हुक्म बजाती रहेगी ? इस लॉकडाउन में आम इंसान से लेकर सेलिब्रिटीज तक अपनी पत्नियों की घर के काम में हाथ बटा रहे हैं, तो मैं कौन सा बड़ा लाट साहब हूँ जो कुछ कर नहीं सकता ?’

“हूं…….. सही सोच रहे हो बेटा और सिर्फ लॉकडाउन में ही नहीं, बल्कि हमेशा तुम घर-बाहर के कामों मे अपनी पत्नी की मदद करोगे” बेटे की मन की बात पढ़ते हुए मालती बोली, तो निखिल चौंक पड़ा कि उन्हें कैसे पता चला कि वह यही सब सोच रहा था ? “क्योंकि मैं तुम्हारी माँ हूँ.  बचपन में जब कोई तुम्हारी तोतली भाषा नहीं समझ पाता = था, मैं समझ जाती थी कि तुम क्या कहना चाह रहे हो या तुम्हें क्या चाहिए” मालती की बातों पर जहां निखिल हंस पड़ा वहीं रचना भी खिलखिला कर हंसने लगी.  लेकिन जैसे ही निखिल पर नजर पड़ी, मुंह बिचका दिया और कमरे में चली गई.  कुछ देर बाद वह भी कमरे में गया कि लेकिन अब भी उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी रचना से कुछ कहने की.

देखा तो आसमान में चाँद खूब चमक रहा था.  अपनी रौशनी से वह धरती को चमका रहा था, लेकिन दूर से. निखिल ने एक भरपूर नजर चाँद पर डाला और एक लंबी सांस भरते हुए बोला,‘आज रात चाँद बिल्कुल आप जैसा है………..वही खूबसूरती…….. वही नूर………वही गुरूर और वही आपकी तरह दूर……… बोलकर उसने रचना को कस कर अपनी बाहों पर भर लिया ताकि वह कितना भी कोशिश कर ले, निकल न पाए.  वैसे, निकालना तो वह भी नहीं चाह रही थी, इसलिए अपने पति के आगोश में वह समाती चली गई और फिर पूरे कमरे मे अंधेरा छाह गया.

अपने बेटे बहू के कमरे से हंसने-खिलखिलाने की आवाज सुनकर मालती ने संतुष्टि भरी सांस ली और मन ही मन हँसते हुए बोली. ‘ मेरे नादान बच्चे. नादानियाँ गई नहीं इनकीअभी तक.’

Coronavirus: अब सुमित्रा महाजन ने फैलाया अंधविश्वास

ताई के नाम से मशहूर वरिष्ठ भाजपा नेत्री सुमित्रा महाजन उन सैकड़ों भाजपा नेताओं में से एक हैं जिन्हें बेहतर मालूम है कि भाजपा आज अगर सत्ता में है तो उसकी एक बड़ी वजह लोगों को धर्म के नाम पर बरगलाकर की गई लगातार कोशिशें हैं . सालों साल की अथक मेहनत के बाद भगवा गेंग सवर्ण हिंदुओं को यह समझा पाने में कामयाब हो पाई थी कि इस देश के असल मालिक तो वे हैं लेकिन आपसी फूटम फाट के चलते राज वह कांग्रेस कर रही है जो शुरू से ही मुसलमानो , दलितों , इसाइयों और आदिवासियों की हिमायत करते मलाई इन्हीं तबकों में बांटती रही है .

8-10 करोड़ सवर्ण हिंदुओं को बताया गया कि कांग्रेस और वामपंथी हिन्दू धर्म की मान्यताओं और रीतिरिवाजों का मज़ाक बनाते रहते हैं और सही दिशा और मार्ग निर्देशन के अभाव में हम में से कई जाने अंजाने में उनका साथ देते रहते हैं . वैचारिक , वैज्ञानिक और तकनीकी रूप से हिन्दू धर्म कितना और कैसे समृद्ध है इस झूठ  फरेब से ज्यादा लोगों को यह बताया गया कि कैसे नेहरू कांग्रेस खानदान ने देश और धर्म को बर्बाद किया अब वक्त है कि उस परिवार का राज खतम किया जाये हो आधा मुसलमान और आधा ईसाई है यानि वर्ण संकर है .

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साल 2014 में हिंदुओं ने इस मुहिम पर महज एक बार आजमाने की गरज से मुहर लगा दी लेकिन इसके पहले इतना हो हल्ला मचाया कि बेकबर्ड कहा जाने बाला हिन्दू भी इस मुहिम का हिस्सा बन गया लेकिन जल्द ही इस तबके को समझ भी आ गया कि वह ठगा जा चुका है .

गुजरे कल की इन बातों का कोरोना संकट से गहरा ताल्लुक है क्योंकि धीरे धीरे ही सही यह  साबित तो हो रहा है कि संकट के इस दौर में कोई देवी देवता कुछ नहीं कर पा रहा है .  मंदिरों के कपाट भी कोरोना के डर से बंद हैं तो फिर अब तक जो समझाया और दिखाया जाता रहा था उस चमत्कारी और मायावी धार्मिक मायाजाल के कहीं अते पते नहीं हैं  .

पंडे पुजारी तो हैरान परेशान हैं ही लेकिन किनारे कर दिये गए बूढ़े भाजपा नेता उनसे ज्यादा छटपटा रहे हैं कि अगर हाल ऐसा ही रहा तो पूजा पाठ के धंधे पर स्थाई ग्रहण लग जाएगा जिसकी पुड़िया फाँके बिना भाजपाई सोच पाने में भी खुद को असहाय पाते हैं .

पिलाई घुट्टी –

सांसद , केंद्रीय मन्त्री और लोकसभा अध्यक्ष रहीं सुमित्रा महाजन ने लाक डाउन के दिनों में एक पुराना और घिसा पिटा दांव खेला . उन्होने धर्म गुरुओं की तरह वीडियो के जरिये लोगों को संदेश दिया कि हम लोग आधा घंटे महामृत्युंजय मंत्र का पाठ अपनी रक्षा के लिए करें . जो लोग इस मंत्र का पाठ नहीं कर सकते वे रुद्र का पाठ करें और जो यह भी नहीं कर सकते वे  अहिल्यामाता के साथ अपने इष्ट देवों का जाप करते प्रार्थना करें कि वे हमें कोरोना वायरस के प्रकोप से मुक्ति दिलाएँ .

गौरतलब है कि अहिल्यादेवी कोई पौराणिक देवी नहीं हैं बल्कि होल्कर खनदान की राजकुमारी थीं और मालवा की रानी भी थीं . अब यह तो सुमित्रा महाजन जैसे महान नेता ही बता सकते हैं कि जिस महामारी से निजात दिलाने शंकर जी तक कुछ नहीं कर पा रहे उसमें अहिल्या क्या कर लेंगी उनके पास तो कोई चमत्कारी शक्ति भी नहीं थी .

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इस मेसेज का सार यह है कि हिन्दू मूर्ख हैं और मूर्खों को ही चुनते हैं जो उन्हें यह आभास कराते रहते हैं कि मूर्ख तुम नहीं बल्कि वे लोग हैं जो तुम्हें मूर्ख कहते रहते हैं इसलिए बिना किसी की परवाह किए तुम धार्मिक मूर्खताएं करते जाओ आज नहीं तो कल कल्याण होगा .  फिर गर्व से कहना कि देखी सनातन धर्म के मंत्रों की शक्ति , कोरोना को भी भगा दिया .

जबकि हकीकत सामने है , इंदोर में कोरोना का कहर हर कोई देख रहा है . अब अगर भक्तों ने ताई के संदेश को दिल पर ले लिया तो शहर वीरान हो जाएगा . अगर सुमित्रा महाजन को अपने इष्टों और मंत्रों पर जरा भी भरोसा है तो क्या वे एक बार बिना मास्क लगाए , बिना हाथ धोये कोरोना मरीजों के साथ चंद घटे गुजारने की चुनौती स्वीकार करेंगी जिससे साबित हो कि वाकई धर्म इष्टों और मंत्रों की महिमा अपरंपार है . और अगर वे ऐसा नहीं कर सकतीं तो उन्हें आम लोगों को गुमराह करने के जुर्म के एवज में माफी मांगनी चाहिए .

वक्त की नजाकत और मांग यह है कि लोग एहतियात बरतें .  यह तो उन्हें डेढ़ महीने में समझ आ ही गया है कि कोई भगवान कुछ नहीं कर सकता तो ताई क्यों अंधविश्वास फैला रहीं हैं . भाजपा के भविष्य की चिंता उन्हें सता रही होगी लेकिन इसके लिए आम लोगों के भविष्य और ज़िंदगी से खिलवाड़ करने का हक उन्हें किसने दिया . अब जरूरत तो इस बात की भी महसूस होने लगी है कि जो धर्म के जरिये कोरोना के कहर से मुक्ति की बात करे उसे अपराधी मानते हुये उस पर कानूनी काररवाई की जाये जिससे लोग इलाज और सावधानियों से भटकें नहीं .

Video: कार्तिक आर्यन की बहन ने ऐसे लिया पिटाई का बदला, लगाया जोरदार थप्पड़

बॉलीवुड एक्टर कार्तिक आर्यन लॉकडाउन में अपने फैमली के साथ अच्छा वक्त बीता रहे हैं. इस दौरान कई बार वह अपने घर के काम को करते हुए  तो कभी अपनी बढ़ी हुई दाढ़ी की तस्वीर शेयर करते रहते हैं. हाल ही में कार्तिक ने एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें वह अपनी बहन से थप्पड़ खाते हुए वीडियो सेयर किए हैं.

जी हां सोचने वाली बात नहीं है कार्तिक की बहन ने उन्हें जोरदार थप्पड़ मारा है. इस वीडियो को कार्तिक ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया है. दरअसल, कार्तिक की बहन कृतिका नकली स्ट्रिंग से खेल रही हैं. खेल-खेल में कृतिका मौका देखते ही कार्तिक के गाल पर थप्पड़ मार देती हैं.

 

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Subah Utho Nahao Pito So Jao #QuarantineLife #KokiToki

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इस वीडियो को शेयर करते हुए कार्तिक ने लिखा है. सुबह उठो नहाओ पिटाओ और सो जाओ #quarantine life.

इससे पहले कार्तिक ने एक वीडियो शेयर किया था जिसमें वह अपनी बहन का बाल पकड़कर अत्याचार करते नजर आ रहे हैं. इससे पता चलता है कि कार्तिक का पूरा टाइम अपनी बहन के साथ मस्ती करते स्पेंड होता है.

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वर्फ फ्रंट की बात करे तो हाल ही में एक्टर फिल्म लव आज कल में नजर आएं थें. इस फिल्म में कार्तिक के साथ अभिनेत्री सारा अली खान भी नजर आई थीं.

इससे पहले वह अन्नया पांडे के साथ फिल्म पति-पत्नी और वो में नजर आ चुके हैं. लॉकडाउन से पहले कार्तक भूल भूलैया फिल्म की शुटिंग में व्यस्त थें.

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