कोरोना कहर के बीच महेंद्र सिंह धौनी और सुरेश रैना के संन्यास की खबरें बेचैनी को और बढ़ाने वाली हैं. इन दोनों ही खिलाडि़यों ने भारतीय क्रिकेट को ऊंचे मुकाम तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया है. इन दोनों को नजरंदाज करना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा क्योंकि इन की उपलब्धियों के पीछे जीत के जज्बे का सबक भी है.

‘मैं पल दो पल का शायर हूं, पल दो पल मेरी कहानी है...’ गीत की इस पंक्ति के साथ पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया. धौनी ने इंस्टाग्राम पर क्रिकेट के सफर की अपनी यादोंभरी  झलकियों के साथ लिखा, ‘‘आज तक के लिए आप के प्यार और साथ के लिए धन्यवाद. शाम के 7 बज कर 29 मिनट से ही मु झे रिटायर्ड सम िझए.’’ 15 अगस्त को धौनी की इस घोषणा के साथ ही हर तरफ प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई. हर फैन अपने कैप्टन कूल के लिए उदास है, तो हर शख्स क्रिकेट जगत में माही के समर्पण को याद कर रहा है.

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बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली कहते हैं, ‘‘यह एक युग का अंत है. वैश्विक क्रिकेट और देश के लिए खिलाड़ी रहे हैं वे. उन के नेतृत्व गुणों की बराबरी करना किसी के लिए बहुत मुश्किल होगा, खासकर क्रिकेट के छोटे फौर्मेट में.’’

39 वर्षीय एम एस धौनी भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एकलौते ऐसे कप्तान हैं जिन की कप्तानी में आईसीसी वर्ल्ड कप के सभी खिताब भारत ने जीते हैं. धौनी की कप्तानी में भारत ने 2007 में आईसीसी ट्वैंटी20 वर्ल्ड कप, 2011 में आईसीसी वर्ल्ड कप और 2013 में आईसीसी चैंपियंस ट्रौफी जीती. धौनी ने 350 ओडीआई, 90 टैस्ट व 95 टी20 इंटरनैशनल क्रिकेट में भारत का नेतृत्व किया है. वे ओडीआई के महारथी हैं जिन्होंने ज्यादातर 5वें व 6वें स्थान पर खेलते हुए एक दिवसीय मैच में 50.58 औसत की दर से रन बनाए. साथ ही, इस तथ्य को  झुठलाया नहीं जा सकता कि धौनी भारत के सब से सफल विकेटकीपर हैं. अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कुल 195 स्टंपिंग तथा 634 कैच अपने नाम लिखने वाले धौनी की बराबरी शायद ही कोई और कर पाए.

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