जब से कोरोना आया बच्चों के स्कूलों पर भी पहरा लग गया है, पिछले पांच माह से स्कूलों में ताले पड़े हैं और स्कूलों का स्थान ऑनलाइन क्लासेज ने ले लिया है. ऑनलाइन क्लासेस में बच्चों को स्कूल नहीं जाना पड़ रहा है और कोरोना के इस कठिन दौर में अभिभावक भी अपने लाडलों को अपनी आंखों सामने देखकर सन्तुष्ट हैं. बच्चों के लिए मोबाइल और लेपटॉप की व्यवस्था करने के प्रयास में कुछ घरों की आर्थिक अवस्था भी चरमराने लगी है .ऑनलाइन क्लासेज में अभिभावकों की अपनी समस्याएं हैं तो बच्चों की भी कुछ समस्याएं कुछ कम नहीं हैं. टीनेजर हेल्पलाइन उमंग के अनुसार मार्च से लेकर अगस्त तक हेल्पलाइन में 4,965 फोन कॉल्स 6 वीं से लेकर 12 वीं तक के बच्चों के आये जिसमें उन्होंने उमंग हेल्पलाइन की काउंसलर माया बोहरा को अपनी समस्याएं बताई जिनसे लग रहा था कि ऑनलाइन क्लासेज में वे कैसी कैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं-

सातवीं कक्षा का अक्षत कहता है" मैं अपने घर में  नहीं रहना चाहता, यहां सब मेरी ऑनलाइन क्लास को लेकर मुझे परेशान करते हैं, मेरा मजाक उड़ाते हैं इसलिए मेरा मन करता है कि मैं यहां से भाग जाऊँ."

आठवी कक्षा की तनीशा काउंसलर के सामने फूट फूट कर रो पड़ती है और कहती है,'' मेम क्लास के दौरान मेरी मम्मी मेरे साथ ही बैठती हैं और जब मुझे किसी प्रश्न का उत्तर नहीं आता और दूसरा छात्र बता देता है तो मेरी मम्मी मुझे डांटती है कि तुझे इतना तक नहीं पता इसके अलावा पूरे दिन मुझे दूसरे बच्चों से कंपेयर करती रहतीं हैं, इससे अच्छा तो स्कूल था जहां से मम्मी को कुछ ज्यादा पता तो नहीं चलता था."

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