शिक्षिका से राजनेता बनीं के.के. शैलजा का डंका आज पूरी दुनिया में बज रहा है. कोरोना काल में इन मंत्री की चपलता को ले कर पहले भी कई अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संस्थाओं में के.के. शेलेजा कि प्रशंसा चलती रहीं थी किन्तु इस बार वर्ल्ड फेमस ब्रिटिश मेगेजीन प्रोस्पेक्ट ने स्वास्थ्य मंत्री को कोविड एरा में दुनिया की सर्वोच्च विचारक बता दिया.
इस खबर ने एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है. केरल की हेल्थ मिनिस्टर माननीय के. के. शैलजा को कोविड 19 के संकट की सब से बड़ी थिंक टेंकर के तौर पर पहला स्थान मिला है. इंग्लेंड की वर्ल्ड फैमश मैगेजीन प्रोस्पेक्ट ने कोरोना काल के टॉप 50 विचारकों के नामों की लिस्ट जारी की है. भारत के लिए ख़ुशी की बात यह कि इस में के. के. शैलजा को सर्वोच्च स्थान प्राप्त हुआ है.
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ब्रिटिश मैगेजीन ‘प्रोस्पेक्ट’ ने यह लिस्ट को कोरोना काल में पूरी दुनिया के थिंक टेंकरों के विचारों के आधार पर बनाई, जिस के लिए सर्वे भी किए गई. कहा जा रहा है कि 20,000 मत पब्लिक बैलट पर इस लिस्ट को बनाने के लिए लिए गए. जिस में दुनिया भर के 50 उच्च अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री, दार्शनिकों, लेखकों, वैज्ञानिकों और बुध्हिजीवियों को सेलेक्ट किया गया.
इस लिस्ट में पहले स्थान पर भारत में केरल की हेल्थ मिनिस्टर के.के शैलजा रहीं. उन के बाद न्यूजीलैंड की प्रधानमन्त्री जेसिका अर्डरन दुसरे स्थान पर रहीं. मैगेजीन ने के.के शैलजा की उपलब्धियों को याद करते हुए लिखा कि उन्होंने सही समय पर सही फैसले लिए. के.के. शैलजा के लिए लिखा गया,
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“जब कोविड-19 चीन में अपने पैर पसार रहा था तभी से ही के.के. शैलजा ने केरल में इस के खिलाफ मोर्चा संभालना शुरू कर दिया था. उन्होंने जनवरी में ही कोरोना वायरस को रोकने के लिए उचित कदम उठाने शुरू कर दिए. साल 2018 में भी उन्होंने केरल में फैले निपाह वायरस का भी डट कर सामना किया. और उसे राज्य से निकाल फेंका था.” मैगेजीन के अनुसार, “वे सब से सही महिला रही, सही जगह पर इससे लड़ने के लिए.”
यही नहीं इससे पहले भी बीबीसी, द गार्डियन, द न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे कई अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संस्थान भी कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए केरल के प्रयासों और के.के. शैलजा की सराहना कर चुके हैं. सयुंक्त राष्ट्र ने भी जून में अपने लोक सेवा दिवस पर के.के. शैलजा को अपने विचार साझा करने के लिए आमंत्रित किया था. संयुक्त राष्ट्र ने कोविड 19 की रोकथाम के लिए उठाए गए क़दमों को ले कर माननीय शैलजा की प्रशंसा की थी.
यूएन में अपनी बात रखते हुए कुमारी शैलजा ने कहा था, ‘निफा वायरस और दो बढ़ से निपटने के अनुभव- 2018 और 2019 जहां स्वास्थ्य क्षेत्र ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इन अनुभवों ने ही कोरोना वायरस (कोविड-19) के समय पर निपटने में मदद की. ठीक उसी समय से जब वुहान में कोविड-19 के मामले दर्ज हुए, केरल डब्ल्यूएचओ के ट्रेक में आ गया उर हर मानक संचालन प्रोटोकौल और अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का पालन किया. इसलिए, हम संपर्क प्रसार डर को 12.5 प्रतिशत से नीचे रखने में सक्षम हुए और मृत्यु डर 0.6 प्रतिशत रहा.’
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लिस्ट में महिला विचारक रहीं अव्वल
इस लिस्ट में सबसे खूबसूरत बात यह रही कि इस में महिलाओं का प्रभुत्व देखने को मिला. के.के शैलजा के अलावा टॉप 5 में जगह बनाने वालों में से अन्य 3 महिलाएं ही रहीं. दुसरे नंबर पर इस लिस्ट में न्यूजीलेंड की 40वीं प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डनर रहीं. जिन्होंने हाल ही में अपने देश में कोरोना के कर्व को फ्लैट कर 100 से अधिक दिन तक उसे शुन्य पर रखा. यहां तक कि न्यूजीलेंड पहला देश बना जहां कोरोना के मामले इतने दिनों तक शुन्य दर्ज किये गए. जेसिंडा खुद को सोशल डेमोक्रेट विचारों की बताती हैं. मैगेजीन ने जेसिंडा के लिए लिखा, ‘क्राइस्टचर्च मस्जिद नरसंहार के बाद उन की सहजता और जोड़े रखने वाली नेतृत्व शैली एक प्रेरणा थी. उन की कोविड-19 रणनीति मुख्य वैज्ञानिक जूलियट जेरार्ड के साथ लौकस्टो में तैयार की गई. जिसने दुनिया में सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त किए.”
इसी लिस्ट में अलग नाम बंगलादेश से मरीना तबस्सुम का रहा. जिन्हें श्रेय दिया गया कि उन के घरों को सेफ डिजाईन देने के प्रोजेक्ट के लिए. जिस से परिवार को बदलते क्लाइमेट से सुरक्षित किया जा सके. वहीँ इस लिस्ट में चौथा स्था कार्नेल वेस्ट का रहा जो अफ्रीकन अमेरिकन दार्शनिक हैं. जो इतिहासकार भी हैं. इसी लिस्ट में पांचवां स्थान इल्होना कारवाल्हो का है जिनहे मुख्यता सिविक एक्शन, ड्रग पौलिसी और वायलेंस प्रेवंशन और रिडक्शन के काम के लिए जाना जाता है. इस टौप 50 लोगों की लिस्ट की खासियत यह कि इसमें अधिकतम (26) महिलाएं रहीं. यानी देखा जाए तो कोविड एरा में चीजों को बेहतर तरीके से हैंडल करने और समझने में महिला चिंतकों राजनीतिज्ञों ने अपनी अहम् भूमिका निभाई.
समस्त उत्तर भारत का यूं उन्हें इग्नोर करना दुखद
20 नवंबर,1956 में जन्मी केके शैलजा को केरल में शिक्षिका के तौर पर भी जाना जाता रहा है, जो अभी इस समय केरल राज्य की स्वास्थय मंत्री हैं. वे कुठुपरम्बा सीट से बीते इलेक्शन में चुनी गईं थी. के.के. शैलेजा राजनीति में सीपीआई(एम) के स्टूडेंट संगठन एएफआई से एक्टिव हुई थीं. उसके बाद वह पार्टी की सेंट्रल कमिटी में शामिल हुई थी. वह केरल की केबिनेट मिनिस्ट्री में 2 महिला मंत्री में से एक हैं. इन सब के अलावा उन्होंने स्त्री शब्दम में चीफ एडिटर के तौर पर काम किया है.
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राजनीति में आने से पहले शैलजा ने मत्तानुर के पझास्सी राजा एनएसएस कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की थी. 1980 में उन्होंने वेसवेसवर्र्या से बीएड की पढ़ाई की. उसके बाद उन्होंने हाई स्कूल में अध्यापक के तौर पर अपनी सेवाएँ दीं. जिसका कार्यकाल 2004 में उनकी रिटायरमेंट के बाद समाप्त हुआ. साल 1996 में उन्होने फली बार केरला लेजिस्लेटिव के लिए चुनाव लड़ा और कुठूपराम्बा से प्रतिनिधित्वा किया. उन्होंने उस दौरान एम.पी कृष्णान नायर को हराया. उसके बाद 2006 में वह पेरावूर से लड़ीं और प्रोफेसर एडी मुस्तफा को हराया. विगत चुनाव (2016) वह जेडी(यू) के कैंडिडेट केपी मोहनन के खिलाफ खाड़ी हुईं और जीत हांसिल की. और उन्हें कैबिनेट में जगह देकर हेल्थ मिनिस्टर बनाया गया.
के.के शैलजा का नाम अब खासतौर पर उन नेताओं में दर्ज हो गया है जिन्होंने कोविड 19 को शुरूआती तौर पर नियंत्रण करने के लिए जरुरी कार्यवाहियां की. वह अन्तराष्ट्रीय तौर पर किसी भी हिसाब से पुरे देश के लिए मिशाल हैं और गौरव भी हैं. दुखद यह कि उन की इन कार्यवाहियों में उत्तर भारत की मुख्यधारा की मीडिया शांत रही. यह तब भी शांत थी जब निफा वायरस से केरल अकेले लड़ रहा था और शैलजा की कर्यशेलियों को उस वक्त ऊंचाइयां मिल रही थी. कोरोना काल में यह मीडिया ज्यादातर समय कोरोना से लड़ने में मोदी के तालीथाली, दिया टोर्च इत्यादि फौके या टोटकों के कसीदे ही कसते दिखीं. जबकि उसी समय दक्षिण भारत से एक महिला नेता इस कोरोना काल के पैनिक समय में बड़े सूझबूझ से एहम फैंसले ले रही थी. और आज जब कोरोना मोदी के बूते से बाहर की बात हो चली तो कोरोना कि खबर इसी मीडिया में दम तोडती दिख रही है.
भारत के लिए मायने
भारत में इस समय कोरोना के मामले लागातार बढ़ रहे हैं. इस समय पूरी दुनिया में भारत सर्वोच्च तीसरे पायदान पर है. हाल ही में भारत में पूरी दुनिया के एक दिन में रिकॉर्ड 83,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए. जबकि हम से ऊपर दो देश (अमेरिका और ब्राजील) हैं. जिन के यहां कोरोना केसेस फ्लेट हो रहे हैं. एकलौता इस समय भारत ऐसा देश है जहां कोरोना की रफ़्तार काफी तेजी से बढ़ रही है. इस समय कोरोना के मामलों में भारत में कुल केसेस 40 लाख से ऊपर हो चुके हैं. वहीँ दुसरे पायदान में ब्राजील के मामलों को देख कर लगता है कि कुछ ही दिनों में भारत दुसरे नंबर पर आ जाएगा.
ऐसे में जहां केरल की स्वास्थ्य मंत्री की प्रसंशा दुनिया भर के अलग अलग प्लेटफॉर्म पर हो रही है वहीँ भारत में लगातार बढ़ रहे मामले प्रधानमंत्री की लचर कार्यवाहियों और खराब नेतृत्व की तरफ इशारा कर रहे हैं. कोरोना को लेकर के.के. शैलजा की इनिशियल कार्यवाहियों ने जहां देश दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा वहीँ प्रधानमंत्री की नाटकीयता ने भारत को भयंकर आर्थिक विपदा और महामारी की चपेट में झोंक दिया है.
नेतृत्व के सवाल पर प्रधानमन्त्री के कोविड की शुरूआती तैयारियों पर काफी सवाल खड़े हुए हैं. फिर चाहे आपदा के समय अमेरिकी राष्ट्रपति का नमस्ते ट्रंप से मान मनोहर करना हो, मध्यप्रदेश की सरकार को गिराने और बनाने का प्रकरण हो, या स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर करने की जगह लोगों से ताली थाली बजवाना हो. यहां तक कि प्रधानमन्त्री का कोरोना को ले कर ख़ास संजीदा न होना उन की दशोदिशा को सामने ला रहा है. असल में कोरोना का हाल भी नोटबंदी सरीके हो गया है. जिसे मोदी जी ने कहा तो था कि 50 दिन सारा काला धन वापस आ जाएगा. ठीक उसी प्रकार कोरोना के खिलाफ उनके 21 दिन के युद्ध वाले सारे दावे खोखले साबित हो गए हैं. यहां तक कि अब तो इससे पैदा हो रही विपत्ति को एक्ट ऑफ़ गॉड का नाम दिया जा रहा है.
भारत के लिए किसी महिला नेता का इस तरह कमान संभालना गौरव की बात है. यहां तक कि दुनिया के अलग अलग हिस्सों में उन के कार्यों पर प्रसंशा उत्साहवर्धक है.